Sanjay Balothiya Middle School teacher Govt. Residential school Dhar Today is a world of IT and globlisation. Our education has also been globlised. We should aware our childrens and students about gender and good touch bed touch. Parents also become very cruel about gender. This is a social weakness.
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है ।इसलिए शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस टॉपिक पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए ओर कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए।
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावना तो ग्रुप से जुड़ा रहता है पूर्व में ना इसलिए शिक्षक को यौन शोषण अच्छा टच बुरा टच के बारे में समझाना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति इस प्रकार का व्यवहार करता है तो वह अपने शिक्षकों को वह अपने बालकों को अवगत कराएं ।
बच्चा अधिकांश समय स्कूल में व्यतित करता है इसलिए अध्यापकों को उनके साथ बहुत ज्यादा कढाई नहीं अपनानी चाहिए साथ ही सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चों को यौन संबंधित वीडियो तथा सामान्य जानकारी विद्यालय में अवश्य दी जानी चाहिए |
Balak balika sabse jyada samay shala mai bitate hai atah is vishay mai shikshak unse bat karke tatha bal shoshan kaya hai ye vishtar se samjhakar bal shoshan ko rok sakta hai
Sanjay Balothiya Middle School teacher Govt. Residential school Dhar Today is a world of IT and globlisation. Our education has also been globlised. We should aware our childrens and students about gender and good touch bed touch. Parents also become very cruel about gender. This is a social weakness.
भंवर लाल जाटव पीएस बोर Khadi बच्चे अधिकांश समय स्कूल में ही व्यतीत करते हैं बच्चों को इस बात से अवगत अवगत कराना चाहिए कि यदि आपको बुरी निगाह से कोई टच करें या छुए तो अपने शिक्षक को अवगत कराएं और अपने पलकों को भी अवगत कराएं शालाओं में कार्यशाला भी आयोजित होना चाहिए
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। इस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बाल लैंगिक समस्या का समाधान हेतु बच्चो को अवगत कराना होगा कि कभी कोई भी आपको अकेले में अनजान व्यक्ति मिले तो उससे सावधान रहना , उससे अकेले में न मिले , क्या ओ आपको किसी अंग को टच कर रहा है या कोई लोभ से रहा है कि ये रुपया रख और अकेले में मेरे साथ चल आदि बातो से अवगत करा देने से बच्चा समस्या से बच सकता है ।
बच्चा घर के अलावा सबसे ज्यादा समय स्कूल में बीतता है और वह अपने टीचर्स पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है तो एक टीचर का दायित्व है कि वह बच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में बताए और कहे की अगर आपके साथ कोई ऐसा करे तो अपने टीचर्स को या माता पिता को इसके बारे में जानकारी दे
बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति चॉकलेट या अन्य कोई खाने की चीज दे तो उसे नहीं लेना चाहिए
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए स्कूलों में बालिकाओं कोआत्मरक्षा के प्रशिक्षण की व्यवस्था के लिए शासन ने राशि उपलब्ध कराई है अत: बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना प्रथम कार्य है | उत्पीणन की जानकारी होने पर सहानुभूति पूर्वक बच्चे से जानकारी लेकर पुलिस में सूचना देना चाहिए, यदि बच्चा घटना साझा नहीं करना चाहता ,तब भी संस्था प्रधान व शिक्षकों को पुलिस को सूचना देकर अपने उत्दातरयित्व का पालन करना चाहिए| परिवार एवं समाज मे घटित होने वाली उत्पीड़न कीघटनाओं के प्रति बच्चों को सचेत एवं जागरुकरहने के लिए कार्यशालओं का आयोजन करना चाहिए| शामाशा गुगवारा ,देवरी,सागर
बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति चॉकलेट या अन्य कोई खाने की चीज दे तो उसे नहीं लेना चाहिए
नमस्कार.. स्कूलों में बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....। बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों के बीच गुड टच एंड बेड टच गतिविधि द्वारा समझाएं। स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो। लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है। बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी को गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी,ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
धन्यवाद....।
संतोष कुमार अठया ( सहायक-शिक्षक ) शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा जिला-दमोह (म. प्र.)
बाल लैंगिक शोषण को अच्छी तरह बच्चों को क्लास रूम में समझा कर रोका जा सकता है और स्कूल में सभी को अलग से पैरंट्स को बुलाकर यह भी शिक्षा दी जाए और बच्चों को भी इसका ज्ञान होना आवश्यक है यस गुड खेड़ा ग पिपरियाहोशंगाबाद
हमें बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।
राजेंद्र प्रसाद मिश्र सहायक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मणपुर जिला रीवा मध्य प्रदेश बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकने में स्कूल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं प्रत्येक शालाओं में एक शिक्षिका का होना आवश्यक है संस्था प्रमुख द्वारा एक शिक्षिका और एक शिक्षक की एक लैंगिक उत्पीड़न कमेटी का गठन किया जाना चाहिए नंबर दो बाल सभा या प्रार्थना सभा में उद्घोषणा की जानी चाहिए कि किसी बच्ची या बच्चे को कोई किसी तरह से परेशान कर रहा हो तो इसकी सूचना कमेटी को दी जाए नंबर चार बच्चों को बताया जाए कि किसी अनजान व्यक्ति के साथ ना आए ना जाए रास्ते या शाला में किए गए किसी के द्वारा अनुचित बातों को अपने माता-पिता से अवश्य बताएं ऐसा समझाया जाए किसी के द्वारा कोई भी दी हुई चीज या रुपए पैसे ना लिए जाएं अकेले में या छिपकर कोई बात कर रहा हो तो उससे बात ना की जाए किसी के पकड़ने छूने पर जोर से आवाज लगाई जाए शाला द्वारा छात्रों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देकर के भी लैंगिक उत्पीड़न से मुक्त दिलाई जा सकती है
नमस्कार बाबू राम अहिरवार माध्यमिक शिक्षक जन शिक्षा केंद्र शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय महाराजपुर जिला छतरपुर मध्य प्रदेश लैंगिक उत्पीड़न रोकने हेतु बालकों ने छात्राओं को गुड टच बैड टच के संबंध में जानकारी देना चाहिए आई बाप को और शिक्षकों को बच्चों के नजदीक लेने वाले 82 लोगों के पूर्व रिकॉर्ड से भी परिचित होना चाहिए हमारे बच्चे जहां-जहां आते जाते हैं वहां से वहां के सभी जगह के वातावरण एवं लोगों के बारे में जानकारी अभिभावकों को रखना चाहिए यदि उनकी नजर में कोई व्यक्ति गलत समझ है तो उन्हें इस बारे में आगाह करते रहना चाहिए धन्यवाद
हिमांशु पटेल ,जनशिक्षक औरई ,मण्डला :---लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे । शिक्षक स्कूल समय में आधे अवकाश या पढ़ाई के अलावा के समय में विशेष चौकसी बरतें।
बच्चे अधिकांश समय स्कूल में ही व्यतीत करते हैं बच्चों को इस बात से अवगत अवगत कराना चाहिए कि यदि आपको बुरी निगाह से कोई टच करें या छुए तो अपने शिक्षक को अवगत कराएं और अपने पलकों को भी अवगत कराएं शालाओं में कार्यशाला भी आयोजित होना चाहिए
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं?
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उपरोक्त संदर्भ में बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे ।स्कूलों के द्वारा बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....। बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों को गुड टच एंड बेड टच समझाएं। स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो। लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है। बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो रहा है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी। छात्रों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
बाल शोषण की रोकथाम के लिए एक शिक्षक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।वह बच्चों को अप्रत्यक्ष रूप से इस बारे में (शिक्षक/शिक्षिका छात्रों में शोषण के विषय मे जागृत कर उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहारों के बारे में उन्हें सजगता,जागरूकता,तथा बचाव के उपयोग कदम बताने में अपनी महत्त्व पूर्ण भूमिका निभा सकता है।
हमें बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।
बच्चों व पालको के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए। तथा उन्हें जागरुक करते हुये बताना चाहिए कि अगर कोई भी आपके साथ अभद्र व्यवहार करता है या आपके किसी भी अंग को छूता है या छूने का प्रयास करता है तो शिक्षक या शाला की महिला शिक्षिका को इसकी सूचना देना चाहिए। साथ ही शाला स्तर पर प्रतेक शनिवार बाल सभा में इस विषय पर बच्चों से जानकारी साझा किया जा सकता है।
हमें बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।
शाला में बच्चो को योन शोषण को लेकर विभिन्न माध्यमों से जाग्रत करना , उनमें आत्म विश्वास बनाये रखना , बच्चों की हर गतिविधि का अवलोकन करना , बाहरी व असामाजिक तत्वों की शाला के आस पास की गतिविधियों पर पैनी नजर रखना ।बच्चों के पारिवारिक वातावरण की जानकारी भी बच्चों से समय समय पर लेना आदि ।
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका वहुत ही महत्वपूर्ण है स्कूलों में सुरक्षित और सुरक्षात्मक वातावरण निर्मित करना बहुत ही जरूरी है,क्यो कि बच्चा अधिकांश समय स्कूल में बिताता है और शिक्षकों पर भरोसा करता है।शिक्षकों को संकेतो और लक्षणों की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है,यदि शिक्षक को लगता है कि बच्चा कुछ साझा करना चाहता है लेकिन वह बता नही पा रहा है तो ऐसी परिस्थिति में बच्चे में साहस और आत्मविश्वास का निर्माण करना होगा जिससे वह अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का खुलासा कर सके।हम स्कूलों में सुझाव/शिकायत पेटी भी रख सकते है ताकि बच्चा घटना के बारे में बोलने में संकोच करता हो तो उसमें लिखकर डाल सके।
विद्यालय स्टाफ बाल लैंगिक शोषण के संकेतक समझता हो। बाल दुर्व्यवहार के प्रकारों से परिचित हो ।पाक्सो अधिनियम 2012 एवं पाक्सोअधिनियम संशोधन 2019 के संशोधनों को जानता समझता हो। ऐसी संस्थाओं की जानकारी रखता हो जो इस प्रकार के प्रकरणों में शाला स्टाफ की सहायता कर सकती हो। समय-समय पर बच्चों को ऐसी परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए उस पर किसी कहानी के माध्यम से बात की जा सकती है। अमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए स्कूलों में बालिकाओं कोआत्मरक्षा के प्रशिक्षण की व्यवस्था के लिए शासन ने राशि उपलब्ध कराई है अत: बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना प्रथम कार्य है | उत्पीणन की जानकारी होने पर सहानुभूति पूर्वक बच्चे से जानकारी लेकर पुलिस में सूचना देना चाहिए, यदि बच्चा घटना साझा नहीं करना चाहता ,तब भी संस्था प्रधान व शिक्षकों को पुलिस को सूचना देकर अपने उत्दातरयित्व का पालन करना चाहिए| परिवार एवं समाज मे घटित होने वाली उत्पीड़न कीघटनाओं के प्रति बच्चों को सचेत एवं जागरुकरहने के लिए कार्यशालओं का आयोजन करना चाहिए|
बाल लैंगिक उत्पीड़न से बचाने के लिए स्कूल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है |स्कूल के प्रधानाचार्य को अपने समस्त स्टाफ की एक बैठक लेकर उनको पास्को अधिनियम के बारे में समझाना चाहिए ,तथा बच्चों को भी वीडियो फिल्म के माध्यम से किस -किस तरह के लैंगिक अपराध हो सकते हैं ,और किस प्रकार व शिकायत दर्ज कर सकते हैं, तथा किस प्रकार से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते| इसके लिए वीडियो दिखाया जाना चाहिए तथा शिक्षक व प्रधानाध्यापक बच्चों के व्यवहार में आए हुए परिवर्तनों को देखते रहेंगे तथा उनके में आए हुए पर्वतों परिवर्तनों का अनुमान लगाकर व उनकी मदद कर सकते हैं |इस प्रकार स्कूल बाल लैंगिक उत्पीड़न में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है| Raghuveer Gupta Government prathmik school Nayagaon block vijaypur district-Sheopur
Schoolon ko Aisa mahaul taiyar karna hoga jisse bacche Sabhi parivesh Mein Khul sakte hain aur apne Man Ki Baat bacche parent ko aur teachers ko Samjha sake jo bhi samajh ja rahi hai unhen theek Tarah Se nipat Sake
बाल लैंगिक उत्पीड़न के संबंध में यदि शाला स्तर पर बच्चों की काऊंसलिंग की जाय अर्थात बच्चों को लैंगिक अपराधों से परिचित कराया जाय और उन्हें इस पर अपनी बात स्वतंत्र रूप से रखनें का मौका दिया जाय तो शाला में बच्चों के मन में अपराध बोध और उसकी समझ बनेगी तो इसप्रकार के अपराधों में रूकावट होगी।
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। विद्यालय स्टाफ बाल लैंगिक शोषण के संकेतक समझता हो। बाल दुर्व्यवहार के प्रकारों से परिचित हो ।पाक्सो अधिनियम 2012 एवं पाक्सोअधिनियम संशोधन 2019 के संशोधनों को जानता समझता हो। ऐसी संस्थाओं की जानकारी रखता हो जो इस प्रकार के प्रकरणों में शाला स्टाफ की सहायता कर सकती हो। समय-समय पर बच्चों को ऐसी परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए उस पर किसी कहानी के माध्यम से बात की जा सकती है। अमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों के बीच गुड टच एंड बेड टच गतिविधि द्वारा समझाएं।
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। इस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
उपरोक्त संदर्भ में बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे ।स्कूलों के द्वारा बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....। बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों को गुड टच एंड बेड टच समझाएं। स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो। लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है। बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो रहा है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी। छात्रों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न में स्कूल की भूमिका - बच्चों को इस बात से स्कूल शिक्षकों को समय समय पर अवगत कराते रहना चाहिए कि अगर कोई विशेषकर बच्चियों को कोई विशेष सहानुभूति या लालच देता है और धीरे धीरे छूने का प्रयास करता है तो वे सतर्क हो। अगर कोई अनजानत व्यक्ति कुछ खाने पीने की चीजें दे और बच्चों से कहीं घूमने फिर ने या कोई कार्य करावे या फिर कहीं छूये तो वे सतर्क रहें। धन्यवाद
बाल उत्पीडन की रोकथाम के लिये शाला प्रबंधन की बैठक में यह प्रस्ताव लाया जाय कि सभी पालक अपने बच्चों को बाल उत्पीड़न के बारे में समझाये शाला के शिक्षक भी इसके बारे में सभी बच्चों को समझाया जाय शाला में इसके संबंध में बाल उत्पीड़न विशेषज्ञ को बुलाकर उनका मार्गदर्शन भी लिया जा सकता है
अल्का बैंस प्राथमिक शाला कुकड़ा जगत छिन्दवाड़ा लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति चॉकलेट या अन्य कोई खाने की चीज दे तो उसे नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा स्कूलों में बालिकाओं कोआत्मरक्षा के प्रशिक्षण की व्यवस्था के लिए शासन ने राशि उपलब्ध कराई है अत: बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना प्रथम कार्य है | उत्पीणन की जानकारी होने पर सहानुभूति पूर्वक बच्चे से जानकारी लेकर पुलिस में सूचना देना चाहिए, यदि बच्चा घटना साझा नहीं करना चाहता ,तब भी संस्था प्रधान व शिक्षकों को पुलिस को सूचना देकर अपने उत्दातरयित्व का पालन करना चाहिए| परिवार एवं समाज मे घटित होने वाली उत्पीड़न कीघटनाओं के प्रति बच्चों को सचेत एवं जागरुकरहने के लिए कार्यशालओं का आयोजन करना चाहिए| प्रत्येक शालाओं में एक शिक्षिका का होना आवश्यक है संस्था प्रमुख द्वारा एक शिक्षिका और एक शिक्षक की एक लैंगिक उत्पीड़न कमेटी का गठन किया जाना चाहिए नंबर दो बाल सभा या प्रार्थना सभा में उद्घोषणा की जानी चाहिए कि किसी बच्ची या बच्चे को कोई किसी तरह से परेशान कर रहा हो तो इसकी सूचना कमेटी को दी जाए।
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।बाल उत्पीडन की रोकथाम के लिये शाला प्रबंधन की बैठक में यह प्रस्ताव लाया जाय कि सभी पालक अपने बच्चों को बाल उत्पीड़न के बारे में समझाये शाला के शिक्षक भी इसके बारे में सभी बच्चों को समझाया जाय शाला में इसके संबंध में बाल उत्पीड़न विशेषज्ञ को बुलाकर उनका मार्गदर्शन भी लिया जा सकता है
बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।ओर सभी को लडका हो या लडकी सभी को अनुशासन सिखाना चाहिए। जहाँ डर नही सिर्फ बच्चे अपने मन से अनुशासन मे रहे।
बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए बच्चों को गुड टच बेड टच के बारे मे बताना चाहिए और उन्हें यह भी बताया जाना चाहिए कि यह कार्य कोई भी करे अपने माता पिता एवं गुरु को बताया जाना चाहिए ।
बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकने में विद्यालय के समस्त शिक्षकों की अहम भूमिका होनी चाहिये जब भी शिक्षक कक्षा कक्ष में जाते है बच्चों को पढाते हैं पढाने के दौरान ऐसी अच्छी शिक्षा प्रदान करें तथा बुरी बातों से भी अवगत कराये कि कोई भी व्यक्ति खाने का कुछ समान या कोई और वस्तु देने का प्रलोभन देने का कार्य करता है तो ऐसी कोई भी वस्तु नहीं लेना चाहिए इसकी जानकारी शिक्षक को तथा माता पिता को बिना संकोच किए देना चाहिए
Bal laingik utpeedan ki roktham ke liye school main usse sambandhit bachchon aur shikshakon ko poorn roop se prashikshan dilwana chahiye. Bachchon ko usse smabandhit pratyek baat ka gyaan aur uske parinam ka gyan dekar bachchon ko is utpeedhan se bachaya ja sakta hai.
शालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक एक छात्र-शिक्षक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बताया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटनाएं सख्त वर्जित एवं अक्षम्य व दंडनीय अपराध है। बाल-सभा व पी.टी.ए. की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की सख्ती को समझाएं। इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना चाहिए है। छात्र छात्राओं को गुड टच एंड बेड टच के बारे में बताया जाए।। शाला स्तर पर एक छात्र सुरक्षा समिति एवं व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक, छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर भी अंकित हो। लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 (पास्को एक्ट ) में केंद्र सरकार ने कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित करते हुए उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है। बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी को गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी,ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
शालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक एक छात्र-शिक्षक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बताया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटनाएं सख्त वर्जित एवं अक्षम्य व दंडनीय अपराध है। बाल-सभा व पी.टी.ए. की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की सख्ती को समझाएं। इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना चाहिए है। छात्र छात्राओं को गुड टच एंड बेड टच के बारे में बताया जाए।। शाला स्तर पर एक छात्र सुरक्षा समिति एवं व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक, छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर भी अंकित हो। लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 (पास्को एक्ट ) में केंद्र सरकार ने कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित करते हुए उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है। बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह अत्यंत चिंतनीय विषय है क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र-छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
इस विषय में गंभीरता के साथ सूचना बहुत आवश्यक है तथा बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में भी बताना बहुत जरूरी है उन्हें यह बताना चाहिए कि आपको अगर कोई भी गलत तरीके से छुए या देखे तो आप घर में आकर माता-पिता तथा विद्यालय में शिक्षक के पास जाकर बताएं किन किन अंगो को छूना एक बैड टच होता है यह बच्चों को बहुत अच्छे तरीके से सिखाना बहुत जरूरी है यह भी बताना है कि जैसे उन्हें कोई बैड टच करें वह तुरंत चिल्ला पड़े एवंम शिक्षक को जाकर बताएं. एक ही उपाय है कि शिक्षक को इस बारे में समय-समय पर एक सेमिनार के साथ यह सूचना देना जरूरी है कि वह बच्चों का इस मामले में ध्यान रखें
स्कूल में बच्चों को शिक्षक द्वारा यौन उत्पीड़न की शिक्षा देनी चाहिए! ! बच्चों को इस बात के लिए आगाह किया जाना चाहिए की उनक़े प्राइवेट पार्ट्स को कोई भी व्यक्ति यदि हाथ लगाता है तो स्कूल में शिक्षक और घर पर मां-बाप को बताना चाहिए! बच्चों को इन मामलों में अपने दादा चाचा मामा पड़ोसी अंकल, दादा से भी सावधान रहना चाहिए उत्पीड़न कर्ता बच्चों के साथ कैसी -कैसी हरकतें करते हैं, इसकी बच्चों को सांकेतिक जानकारी दी जाना चाहिए ! यह कार्य शिक्षक और माता-पिता दोनों के माध्यम से किया जा सकता है ! तभी हम सब के बच्चे सुरक्षित रह सकते हैं !
शालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक एक छात्र-शिक्षक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बताया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटनाएं सख्त वर्जित एवं अक्षम्य व दंडनीय अपराध है। बाल-सभा व पी.टी.ए. की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की सख्ती को समझाएं। इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना चाहिए है। छात्र छात्राओं को गुड टच एंड बेड टच के बारे में बताया जाए।। शाला स्तर पर एक छात्र सुरक्षा समिति एवं व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक, छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर भी अंकित हो। लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 (पास्को एक्ट ) में केंद्र सरकार ने कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित करते हुए उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है। बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह अत्यंत चिंतनीय विषय है क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र-छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं?
उपरोक्त संदर्भ में बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे ।स्कूलों के द्वारा बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....। बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों को गुड टच एंड बेड टच समझाएं। स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो। लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है। बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो रहा है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी। छात्रों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है। धन्यवाद !!!!!!
बाल यौन – उत्पीड़न है किसी बड़े व्यक्ति अथवा अधिक शक्तिशाली व्यक्ति द्वारा यौन संबंध बनाने के लिए किसी बच्चे का उत्पीड़न करना। इसका अपराधी सामान्यता: कोई वयस्क ही होता है परंतु यह बच्चे से बड़ा अथवा उससे अधिक शक्तिशाली कोई अन्य बच्चा भी हो सकता है। लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, 2012 यौन हमलों, यौन उत्पीड़न तथा अश्लील साहित्य संबंधी अपराधों से 18 वर्ष की आयु से कम के सभी बच्चों को संरक्षण प्रदान करता हैं।
पोक्सो अधिनियम के अनुसार, किसी बच्चे के विरूद्ध हुए यौन – उत्पीड़न के मामलों की पुलिस को सूचना दिया जाना अनिवार्य है। इस कानून के तहत यदि किसी व्यवस्था या संस्था को यह जानकारी है कि किसी बच्चे के साथ यौन उत्पीड़न हुआ है यह होने की संभावना है तो उनकी यह जिम्मेदारी है कि वे तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दें। यही प्रावधान सरपंच और ग्राम पंचायत सदस्यों पर भी लागू होता है।
बाल यौन – उत्पीड़न के कुप्रभाव क्या हैं? यौन – उत्पीड़न के शिकार बच्चे जीवन भर उस सदमे को भूल पाने में सर्मथ नहीं हो पाते। उत्पीड़न की गंभीरता, अवधि और प्रकार पर निर्भर करते हुए उस घटना के प्रभाव भी अलग –अलग हो सकते हैं। परंतु सभी पीड़ितों को निश्चित रूप से कुछ न कुछ मनोवैज्ञानिक, सामाजिक यौन-संबंधी अथवा शारीरिक समस्याएँ तो झेलनी ही पड़ती हैं। उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है तथा उनका स्वयं पर विश्वास भी कम हो जाता है। यौन – उत्पीड़न के शिकार बच्चों में अवसाद, भय, अनिद्रा, बुरे सपने, चिडचिडापन, अचानक गुस्सा होना तथा सदमे की प्रतिक्रियाएं दिखाई पड़ती हैं। वे अन्य लोगों पर विश्वास करना छोड़ देते हैं। परिवार के ही किसी सदस्य द्वारा किए गए यौन-उत्पीड़न अथवा कौटुम्बिक व्यभिचार के परिणामस्वरूप बच्चे को और भी अधिक गंभीर तथा दीर्धकालिक मनोवैज्ञानिक आघात लग सकता है।
बच्चे के यौन – उत्पीड़न का बाल- पीड़ित पर न केवल हानिकारक एवं दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है बल्कि यह परिवारों, समुदायों तथा बड़े पैमाने पर समाज को भी प्रभावित करता है। किसी अन्य अनियंत्रित अपराध की ही भांति, घर के भीतर अथवा बाहर, बच्चों का यौन – उत्पीड़न एक गहन चिंता का विषय है तथा यह समग्र रूप से समाज के ताने – बाने को प्रभावित कता है।
छतीसगढ़ के सरगुजा जिले में एक गाँव में, अनुसूचित जनजाति परिवार की एक दस वर्षीय बालिका रीता (नाम परिवर्तित) के साथ उसके गाँव के किसी गैर – अनुसूचित जनजाति के पुरूष ने बलात्कार किया। इस घटना के उपरांत, पाँचवी कक्षा में पढ़ने वाली रीता, जो अपने विद्यालय की एक मेधावी छात्रा थी, को उसके परिवार द्वारा विद्यालय से निकाल दिया गया। वह अपने ही परिवार द्वारा तथा गाँव के अन्य लोगों के उपहास का पात्र बन गई तथा उसे ताने दिए जाने लगे। उसके परिवार जनों ने यह कहते हुए उसके त्याग कर दिया कि रीता ने अपने लिए पुरूष ढूंढ लिया है, अत: उनकी उसके प्रति अब कोई जिम्मेदारी नहीं। समुदाय के अन्य बच्चों और लोगों ने उसका नाम उस अभियुक्त के साथ जोड़ते हुए उसे चिढ़ाना शुरू कर दिया। रीता अपनी पढाई को आगे जारी रखना चाहती थी परंतु उसके पास उसके परिवार अथवा समुदाय की ओर से कोई सहारा नहीं था। शालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक एक छात्र-शिक्षक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बताया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटनाएं सख्त वर्जित एवं अक्षम्य व दंडनीय अपराध है। बाल-सभा व पी.टी.ए. की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की सख्ती को समझाएं। इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना चाहिए है। छात्र छात्राओं को गुड टच एंड बेड टच के बारे में बताया जाए।। शाला स्तर पर एक छात्र सुरक्षा समिति एवं व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक, छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर भी अंकित हो। लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 (पास्को एक्ट ) में केंद्र सरकार ने कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित करते हुए उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है। बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी को गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी,ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
विद्यालयों में छात्रों को आत्मरक्षा के बारे में भी सचेत करते रहना चाहिए। प्रारमबिक कक्षाओं में ही उन्हें अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में समझाया जाना चाहिए। समय समय पर कांउसलर के दवारा बच्चों के साथ भेंटवार्ता करते रहना चाहिए। बाल शोषण के बारे में सभी को जानकारी होनी चाहिए व विद्यालयों में पोकसो अधिनियम के तहत बाल सुरक्षा का प्रबंध सुनिश्चित किया जाना चाहिए। अभभावकों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए। अध्यापकों को अपनी कक्षाओं में बच्चों के बदलते व्यवहार को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बस चालकों, परिचालकों व अन्य सहायक कर्मियों को भी दिशा निर्देश देते रहना चाहिए।
बाल लेंगिक शोषण में पॉस्को एक्ट 2012 की छात्र छात्राओं को जानकारी देकर और भयमुक्त वातावरण बनाकर छात्र छात्राओं की निगरानी करके तथा सुचना पेटी लगाकर जो बात छात्र छात्रा सीधे नही कह सकते वह सुचना पेटी में शिकायत डाल कर कह सकते है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमका बहुत ही महत्वपूर्ण है। स्कूलों में सुरक्षित और सुरक्षात्मक वातावरण निर्मित करना बहुत ही जरूरी हैं।क्योंकि बच्चा अधिकांश समय स्कूल में विताता हैं। और शिक्षको पर भरोसा करता है।शिक्षको को संकेतो और लक्षणों कि पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण हैं। यदि शिक्षक को लगता हैं । कि बच्चा कुछ बात साझा करना चाहता हैं। लेकिन वह बता नहीं पा रहा हैं। तो ऐसी परिस्थिति में बच्चे में साहस और आत्मविश्वास का निर्माण करना होगा। जिससे वह अपने साथ हुए दुरवेहार का खुलासा कर सके। हम स्कूलों मै सुझाव/शिकायत पेटी भी रख सकते हैं। ताकि बच्चा घटना के बारे में बोलने में संकोच करता हो। तो उसमे लिखकर डाल सके।
स्कूल में बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार होना चाहिए साथ ही आसपास के परिवेश में उसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए एवं स्कूल प्रबंधन को इस जवाबदारी को पूर्णता निभाना होगा
बाल लैंगिक समस्या का समाधान हेतु बच्चो को अवगत कराना होगा कि कभी कोई भी आपको अकेले में अनजान व्यक्ति मिले तो उससे सावधान रहना , उससे अकेले में न मिले , क्या ओ आपको किसी अंग को टच कर रहा है या कोई लोभ से रहा है कि ये रुपया रख और अकेले में मेरे साथ चल आदि बातो से अवगत करा देने से बच्चा समस्या से बच सकता है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति चॉकलेट या अन्य कोई खाने की चीज दे तो उसे नहीं लेना चाहिए |
GMS CHAKGUNDHARA MORARRURAL Gwalior स्कूलों में बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....। बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों के बीच गुड टच एंड बेड टच गतिविधि द्वारा समझाएं। स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो। लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है। बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी को गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी,ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
School mein main bal utpidan rokane ke liye sabhi bacchon ko good touch and bad touch ki class Di je jismein sabhi chhatra chhatra AVN shikshak purn roop se sewagatha Karen chhatron ko Bosco act ke bare mein bhi samay samay per jankari de jaani chahie jisse vah Apne adhikaron ke prati jagran hun school ki deewar per II 10 98 likha Jana chahie taki bacche apni shikayat number unka darj kar sakte hain AVN bacchon se a is Tarah vishwas hasil karna chahie ki vah apni samasyaen bheja Apne shikshak se kaise karen.
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। इस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं:- सुरक्षित वातावरण निर्माण करना ताकि बच्चा अपने साथ अगर किसी प्रकार का दूर दुर्व्यवहार हो तो बेझिझक बता सकें बनाना| विद्यालय में शिकायत या सुझाव पेटी भी रख सकते हैं इससे अगर बच्चा घटना के बारे में बताने में हिचकिचाहट महसूस करता है तो वह अपनी शिकायत लिखकर पेटी में डाल सकता है| हम विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण के मुद्दों पर खुली चर्चा कर सकते हैं इससे बच्चे में जागरुकता आएगी| विद्यालय में बाल संरक्षण नीति होना चाहिए और बाल संरक्षण नीति को कड़ाई से लागू भी करना चाहिए जैसे- कराटे ,आत्मरक्षा -प्रशिक्षण देना चाहिए| जिससे दुर्व्यवहार कि घटना के समय वह अपना बचाव कर सके | बाल यौन शोषण पर नुक्कड़ नाटक, पोस्टर- प्रतियोगिता ,जागरूकता रैली आदि का आयोजन करते रहना चाहिए| साथ ही शिक्षक न केवल बच्चों को अपनी सुरक्षा के उपाय बताएं बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए जो कानून ,पुलिस ,रिपोर्ट आदि है उनके बारे में भी मैं जागरूक करें है | रानी पटेल प्राथमिक शिक्षक
बाल लैंगिक उत्पीडन में स्कूल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं हमें अपने बच्चों को जागरूक करके हम उन्हें उत्पीडन से बचा सकते हैं बच्चों को गुड़ की बैंड की बताना चाहिए तथा माता और पिता दोनों को भी जिम्मेदार होते हैं
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। इस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है
बाल लैंगिक समस्या का समाधान हेतु बच्चो को अवगत कराना होगा कि कभी कोई भी आपको अकेले में अनजान व्यक्ति मिले तो उससे सावधान रहना , उससे अकेले में न मिले , क्या ओ आपको किसी अंग को टच कर रहा है या कोई लोभ से रहा है कि ये रुपया रख और अकेले में मेरे साथ चल आदि बातो से अवगत करा देने से बच्चा समस्या से बच सकता है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं
छात्र छात्राओं को जानकारी देकर और भयमुक्त वातावरण बनाकर छात्र छात्राओं की निगरानी करके तथा सुचना पेटी लगाकर जो बात छात्र छात्रा सीधे नही कह सकते वह सुचना पेटी में शिकायत डाल कर कह सकते है।
Tulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal. शालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि छात्र छात्राओं को जानकारी देकर और भयमुक्त वातावरण बनाकर छात्र छात्राओं की निगरानी करके तथा सुचना पेटी लगाकर जो बात छात्र छात्रा सीधे नही कह सकते वह सुचना पेटी में शिकायत डाल कर कह सकते है। छात्र छात्राओ को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।बाल उत्पीडन की रोकथाम के लिये शाला प्रबंधन की बैठक में यह प्रस्ताव लाया जाय कि सभी पालक अपने बच्चों को बाल उत्पीड़न के बारे में समझाये शाला के शिक्षक भी इसके बारे में सभी बच्चों को समझाया जाय शाला में इसके संबंध में बाल उत्पीड़न विशेषज्ञ को बुलाकर उनका मार्गदर्शन भी लिया जा सकता है
बच्चों से इस विषय पर बातचीत करनी चाहिए उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में विस्तार से बताना चाहिए उनके माता-पिता को भी इस बारे में शिक्षित करना चाहिए एवं वह भी बच्चों को इस बारे में बताएं शाला के आसपास असामाजिक तत्व इकट्ठे ना हो साला समय के बाद भी शाला प्रभारी इस ओर निरंतर ध्यान दे शाला का वातावरण सुरक्षित है ध्यान दें
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम हेतु स्कूल मैं बच्चों को बाल लैंगिक अपराध के बारे में जागरूक करें बच्चों को विश्वास में ले जिससे बच्चे आपके पास आकर बताने का साहस करें बच्चे की भावना को स्वीकार करें जैसे क्रोध लज्जा भाई उदासी आदि बच्चे को बताएं कि उसकी कोई गलती नहीं है सभी उसके साथ हैं बच्चे से कोई अनर्गल सवाल ना पूछना चाहिए उन्हें दोष नहीं देना चाहिए बच्चों को माफ करने या भूलने समायोजित करने के लिए नहीं कहना चाहिए यदि उनके साथ कोई बाल लैंगिक उत्पीड़न हुआ है तो रिपोर्टिंग करना अनिवार्य है पूछने के लिए उन्हें सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराना चाहिए शिकायत पेटी स्कूल में लगी होनी चाहिए बच्चों को चाइल्डलाइन नंबर 1098 की जानकारी होनी चाहिए ऑनलाइन सुरक्षा और असुरक्षित स्पर्श गुड टच बैड टच की जानकारी से बच्चों को जागरूक करना चाहिए स्कूल के स्टाफ सहित आसपास की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए इन सब बातों से स्कूल में बाल लैंगिक अपराध को रोका जा सकता है
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। इस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
Bal lengik smasya ke samadha hetu bachcho ko avagat krana hoga ki kabhi koi bhi apko akele me anjaan ya parchit person mile to usse savdhan rahe or kisi prakar ki lalach de to Svikar na kare
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। इस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बाल लैंगिक अपराध को रोकने में शिक्षक और विद्यालय की अहम भूमिका होती है बच्चों को शिक्षक के द्वारा good touch and bad touch के बारे में बताया जाए और उन्हें पॉक्सो अधिनियम की जानकारी दी जाए
बाल लैंगिक अपराध रोकने मे स्कूल अहम योगदान कर सकता है।बालक घर के बाद शिछक पर विश्वास करता है।शिक्षक बच्चो को जागरूक कर गुड टच ,बेड टच के बारे मे कर सकता है।
बाल लैंगिक अपराध रोकने मे स्कूल अहम योगदान कर सकता है।बालक घर के बाद शिछक पर विश्वास करता है।शिक्षक बच्चो को जागरूक कर गुड टच ,बेड टच के बारे मे कर सकता है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे । शिक्षक स्कूल समय में आधे अवकाश या पढ़ाई के अलावा के समय में विशेष चौकसी बरतें।
बाल लैंगिक अपराध को रोकने में शिक्षक और विद्यालय की अहम भूमिका होती है ।बच्चों को शिक्षक द्वारा गुड टच तथा बैड टच के बारे में बताया जाए तथा उन्हें पाक्सो अधिनियम की जानकारी भी देना चाहिए।
Bal apradh rokne me shikshako ka vishesh yodan rahat hai. Isliye is mudde par gambhirta se chhatron se chrcha karni chahiye. Unhe batana chahiye ki koi anjan bykti aapka koi bhi gupt ang tuch karta, ya chhuta hai ya chhed chhad karta, ya kanhi akele me bulata hai to apne shikshko ya apne palkon ko batany. K.c.kushwaha P/a BamhanGaon khurd Hoshngabad m.p
बच्चे के हाव भाव को जानकर तथा उसके स्वभाव को जानकर उसके साथ होने वाले बाल लैंगिक शोषण का पता लगा सकते हैं जैसे नियमित आने वाला बच्चा आज अधिकांश अनुपस्थित रहता है वह डरा हुआ रहता है वह चिड़चिड़ा रहता है वह एकांत में रहना पसंद करता है वह विषम लिंग के साथ रहना पसंद करता है उसका स्वभाव आक्रामक हो जाता है उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता आदि बातों की पहचान करके बच्चे के साथ इन विषयों पर बात करके उसके साथ सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करके उसके साथ होने वाले दूर व्यवहार का पता लगाया जा सकता है तथा साथ ही इसकी रिपोर्टिंग पुलिस को चाइल्डलाइन टीम को तथा सक्षम प्राधिकारी को रिपोर्टिंग की जा सकती है साथ ही बच्चे की गोपनीयता को बनाए रखते हुए और उसकी हर संभव मदद की जानी चाहिए उसके साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चा बिना डरे सब कुछ बता सके तथा साथ ही शिक्षक को भी इस मामले में सतर्कता रखनी चाहिए ताकि इस तरह के प्रकरण स्कूल में ना हो सके।। राजेश कुमार जांगिड़, ढोटी स्कूल , जिला -श्योपुर,मध्य प्रदेश।।
हमें बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।
बाल लैंगिक अपराधों की रोकथाम हेतु स्कूलों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि विद्यार्थियों का दिनभर का एक बड़ा हिस्सा स्कूल में व्यतीत होता हैं और ऐसे में शिक्षकों को बच्चों को बेड टच और गुड टच के बारे में और समय-समय पर बच्चों और उनके अभिभावकों की काउंसलिंग करना चाहिए और बच्चों से मित्रवत व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चा आपसे खुल कर अपनी भावनाएं बता सकें
अगर कोई बच्चे के साथ कोई ग़लत बात हुई है और शिक्षक को बता रहा है तो उसको ध्यान से सुनना एवं उस पर कार्यवाही करना ।बच्चों को गुड टच एवं बेड टच के बारे में जानकारी बताना । आत्म रक्षा हेतु प्रशिक्षण आयजित करना, विद्यालय, की भूमिका हो सकती है ।
बच्चों को जीवन सुरक्षा एवं समग्रः विकास के लिए सशकत् एवं अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना। शाला में बच्चो को योन शोषण को लेकर विभिन्न माध्यमों से जाग्रत करना , उनमें आत्म विश्वास बनाये रखना , बच्चों की हर गतिविधि का अवलोकन करना , बाहरी व असामाजिक तत्वों की शाला के आस पास की गतिविधियों पर पैनी नजर रखना ।बच्चों के पारिवारिक वातावरण की जानकारी भी बच्चों से समय समय पर लेना आदि ।
बच्चों के साथ इस विषय पर गम्भीरता पूर्वक बात करें।उन्हें इस संबंध मे जागरूक करते हुए बताए ।कि यदि कोई भी आपको स्पर्श करता है,अंगों को हाथ लगाता है,तो उसका विरोध करें। अपने शिक्षक,माता पिता को तुरंत इस संबंध मे बताए।शिक्षकों को समय समय पर बच्चों को ये बातें बताना आवश्यक है कि किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ कहीं न जाए कोई प्रलोभन मे न आए।कोई वस्तुएं उपहार उनसें न ले।विद्यालय मे कार्यशाला आयोजित कर यौन शोषण से संबंधित जानकारी बच्चों को दी जानी चाहिए।
Bal laingik apradh ko rokne me school and Teachers ki aham bhumika hoti hai. School me bachchon ko bal laingik apradh ke bare me aur good tuch and bad tuch ke bare me jankari dene chahiye.(DBSINGH)
बाल लैंगिक अपराधों की रोकथाम हेतु स्कूलों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि विद्यार्थियों का दिनभर का एक बड़ा हिस्सा स्कूल में व्यतीत होता हैं और ऐसे में शिक्षकों को बच्चों को बेड टच और गुड टच के बारे में और समय-समय पर बच्चों और उनके अभिभावकों की काउंसलिंग करना चाहिए और बच्चों से मित्रवत व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चा आपसे खुल कर अपनी भावनाएं बता सकें|
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका वहुत ही महत्वपूर्ण है स्कूलों में सुरक्षित और सुरक्षात्मक वातावरण निर्मित करना बहुत ही जरूरी है,क्यो कि बच्चा अधिकांश समय स्कूल में बिताता है और शिक्षकों पर भरोसा करता है।शिक्षकों को संकेतो और लक्षणों की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है,यदि शिक्षक को लगता है कि बच्चा कुछ साझा करना चाहता है लेकिन वह बता नही पा रहा है तो ऐसी परिस्थिति में बच्चे में साहस और आत्मविश्वास का निर्माण करना होगा जिससे वह अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का खुलासा कर सके।हम स्कूलों में सुझाव/शिकायत पेटी भी रख सकते है ताकि बच्चा घटना के बारे में बोलने में संकोच करता हो तो उसमें लिखकर डाल सके।
शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में न आएं
बच्चे अपने शिक्षक पर अपने अविभावकों से भी ज्यादा भरोसा करते हैं। उनका अपने शिक्षकों से भावनात्मक लगाव होता है, अतः शिक्षकों की स्वाभाविक जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने छात्रों और उनके अविभावकों को समय समय पर जागरूक करते रहें, छात्रों को उदास या अन्य कोइ विशेष परिवर्तन देखें तो उससे प्रेम पूर्वक बात करें।इस प्रकार हम छात्रों का लैंगिक एवं अन्य शोषण रोक सकते हैं।
पाक्सो 2012नियम sala main sabhi chhatron ko Samjha Niyam ke bare mein Sabhi staff AVN chhatron ko Jankari Den tabhi Bal Yon shoshan ko roka Ja sakta hai
नबालक बालिका पूर्ण मनोयोग से अपने आप को सुरक्षित मानते हुए स्कूल में जाता है मगर कभी-कभी वह स्कूल में भी और जगहों में वह शरारती लोगों या अपरिचित लोगों के संपर्क में आ जाता है और वह छोटे-मोटे लालच से बाहर शोषण रूपी दरवाजे में फस जाता है वह उनके द्वारा किए गए गुड टच और बैड टच के अपराध से शोषण सूचित हो जाता है चाइल्ड हेल्पलाइन लाइन 1098 बच्चों को देखभाल और सुरक्षित के लिए 24 घंटा सेवा करती रहती है इससे पूरे भारतवर्ष के 30 लाख बच्चे संपर्क में हैं चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय नोडल एजेंसी है बच्चा अधिकांश स्कूल में जाता है इसलिए स्कूल में हिंसा का सामना करने के लिए विशेष रूप से लैंगिक दुर्वाह्वर किसी भी रूप में पता लगाने बच्चों द्वारा कही गई बातों को गंभीरता से सुनने और उन्हें गंभीरता से कार्य रूप में करना होता है बच्चा खाने संबंधित खाने संबंधित वस्तु देखकर विश्वास लेकर बच्चे का शोषण होता है या प्रकृति 1 दिन में नहीं होती है रहती है समझ नहीं पाता है और वह इस शोषण में फंस जाता है
यदि संस्था प्रमुख , शिक्षक और माता पिता ,अभिभावक स्वयं अपने छात्रों/ छात्राओं से good और bad touch के बारे में तथा लैंगिक उत्पीड़न के act के विषय मे जाने और समय समय पर बच्चों से वीडियो दिखा चर्चा करे तो बहुत हद तक लैंगिक उत्पीड़न से बचाया जा सकता है।
Ratnesh sahu बच्चा घर के अलावा सबसे ज्यादा समय स्कूल में बीतता है और वह अपने टीचर्स पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है तो एक टीचर का दायित्व है कि वह बच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में बताए और कहे की अगर आपके साथ कोई ऐसा करे तो अपने टीचर्स को या माता पिता को इसके बारे में जानकारी देयदि संस्था प्रमुख , शिक्षक और माता पिता ,अभिभावक स्वयं अपने छात्रों/ छात्राओं से good और bad touch के बारे में तथा लैंगिक उत्पीड़न के act के विषय मे जाने और समय समय पर बच्चों से वीडियो दिखा चर्चा करे तो बहुत हद तक लैंगिक उत्पीड़न से बचाया जा सकता है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं?
उपरोक्त संदर्भ में बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे ।स्कूलों के द्वारा बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....। बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों को गुड टच एंड बेड टच समझाएं। स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो। लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है। बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो रहा है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी। छात्रों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है। धन्यवाद !!!!!!
दिलीप सिंह ठाकुर, शिक्षक, शासकीय एकीकृत शाला, घाना, घुन्सौर, जबलपुर के अनुसार शिक्षकों के साथ बच्चों का अधिक समय स्कूल में व्यतीत होता है। बच्चे की हर गतिविधि पर शिक्षक की नजर होती है।बच्चे की बदली हुई हरकतें शिक्षक की नजर भांप लेती हैँ इसलिये बच्चों के भविष्य और उनकी गतिविधियों पर माता पिता के साथ साथ शिक्षकों की नजर भी बहुत महत्पूर्ण होती है.... दिलीप सिंह ठाकुर, जबलपुर
शालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि छात्र छात्राओं को जानकारी देकर और भयमुक्त वातावरण बनाकर छात्र छात्राओं की निगरानी करके तथा सुचना पेटी लगाकर जो बात छात्र छात्रा सीधे नही कह सकते वह सुचना पेटी में शिकायत डाल कर कह सकते है। छात्र छात्राओ को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
लोकेश विश्वकर्मा, भूमका टोला, हर्रई छिंदवाड़ा बच्चे के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करना चाहिए तथा विद्यालय स्तर पर इस विषय पर कार्यशाला आयोजित करना चाहिए । जिससे उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में जानकारी हो पाएगी।
बाल उत्पीडन की रोकथाम के लिये शाला प्रबंधन की बैठक में यह प्रस्ताव लाया जाय कि सभी पालक अपने बच्चों को बाल उत्पीड़न के बारे में समझाये शाला के शिक्षक भी इसके बारे में सभी बच्चों को समझाया जाय शाला में इसके संबंध में बाल उत्पीड़न विशेषज्ञ को बुलाकर उनका मार्गदर्शन भी लिया जा सकता है
बाल शोषण की रोकथाम के लिए एक शिक्षक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।वह बच्चों को अप्रत्यक्ष रूप से इस बारे में (शिक्षक/शिक्षिका छात्रों में शोषण के विषय मे जागृत कर उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहारों के बारे में उन्हें सजगता,जागरूकता,तथा बचाव के उपयोग कदम बताने में अपनी महत्त्व पूर्ण भूमिका निभा सकता है।
मोहम्मद अजीम सहायक अध्यापक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रैगांव जिला सतना बाल लैंगिक शोषण रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य है बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बहुत अच्छी तरीके से समझाया जाए। इसके लिए उन्हें आमिर खान द्वारा प्रसारित सत्यमेव जयते का एपिसोड दिखाया जा सकता है जिसमें बहुत अच्छी तरीके से इसके बारे में बताया गया था इसके अलावा बच्चों को स्कूल में किसी एक शिक्षक से बात करने में अपनापन लगना चाहिए जिससे वह अपनी समस्याएं उसे आसानी से बता सकें।
Janki thakur बाल शोषण की रोकथाम के लिए एक शिक्षक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।वह बच्चों को अप्रत्यक्ष रूप से इस बारे में (शिक्षक/शिक्षिका छात्रों में शोषण के विषय मे जागृत कर उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहारों के बारे में उन्हें सजगता,जागरूकता,तथा बचाव के उपयोग कदम बताने में अपनी महत्त्व पूर्ण भूमिका निभा सकता है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम मैं स्कूल प्रबंधन की जागरूकता नीति नियम एवं कठोर कानून के प्रति प्रतिदिन 1 period संदेश देना रोजाना सफलतापूर्वक प्रार्थना करवाना आदि एवं नियमों का पालन करना कहावत के तौर पर जैसे आपके सामने अगर घी का बर्तन रखेंगे तो पिघल लेगा ही जिस प्रकार कोविड-19 के नियम में देखा गया कि उत्पीड़न के मामले 0% तक रह गए थे शिक्षा नीति में परिवर्तन कर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए क्योंकि यह भी एक संक्रमित बीमारी की तरह है थैंक यू जय प्रकाश पवार प्राथमिक शिक्षक डांडिया डाइस कोड 2333 040 9301 तहसील नसरुल्लागंज जिला सीहोर मध्य प्रदेश
स्कूल में बच्चों को अच्छे और बुरे टेस्ट के बारे में जानकारी देना उनके साथ मैत्रीपूर्ण वातावरण का माहौल निर्मित कर अपनी भावनाओं जिज्ञासाओं भय किसी परिचित या परिचित व्यक्ति से अपेक्षित व्यवहार का ना होना और मूल्यों पर बातचीत करके एवं स्वस्थ वातावरण में बच्चों के शारीरिक बदलाव एवं यूं संबंधित सामान्य जानकारियों से अवगत करा कर व्यस्त व्यस्त होते हुए बच्चों को समझाएं देते हुए स्वस्थ वातावरण का निर्माण कर सकते हैं
Giving information about good and bad tests to children in school by creating an environment of friendly atmosphere with them, their feelings, curiosities, fear of non-expected behavior from an acquaintance or acquaintance and by negotiating values and physical changes of children in a healthy environment and You can create a healthy environment by explaining to the children while busy, by making them aware of the general information related to it.
सर्वप्रथम शिक्षकों को सदाचारी बनना पडेगा ।क्योंकि कुछ मामले इस प्रकार के आ चुके हैं जहाँ यौन शोषण में शिक्षक ही शामिल रहे हैं ।शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को गुड और बेड टच के बारे में जागरूक करें ।
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावना तो ग्रुप से जुड़ा रहता है पूर्व में ना इसलिए शिक्षक को यौन शोषण अच्छा टच बुरा टच के बारे में समझाना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति इस प्रकार का व्यवहार करता है तो वह अपने शिक्षकों को वह अपने बालकों को अवगत कराएं ।
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है ।इसलिए शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस टॉपिक पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए ओर कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए।
तोकराम धुर्वे प्राथमिक शाला लखनपुरा / बाल लैन्गीक समस्या समाधान हेतु बच्चों को अवगत कराना होगा । कि कोई भी आपको अकेले में अंजान व्यक्ति मिले तो उससे सावधान रहना उससे अकेले न मिले । माता-पिता को इसके बारे मे जानकारी दे ।
सुनिल सिसोदिया प्राथमिक शिक्षक मुण्डला जेतकरण विधालय में बच्चेंअधिक समय व्यतीत करता है।वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रुप से जुडा रहताहै इसलिए शिक्षक की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चों को इस टापिक पर बातचीत कर जागरुक करना चाहिए और कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए ।बच्चों को किसी भी परिचित व अनजान व्यक्ति के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए।
Bal lengik smasya ke samaDhan hetu bachcho ko avagat karana hoga ki kabhi koi bhi apko akele me anjaan ya parchit person mile to usse savdhan rahne or kisi prakar ka lalch de to svikar na kare.
Bal lengik smasya ke samaDhan hetu bachcho ko avagat karana hoga ki kabhi koi bhi apko akele me anjaan ya parchit person mile to usse savdhan rahne or kisi prakar ka lalch de to svikar na kare.
विद्यालय प्रबंधन समिति के सभी सदस्यों का जागरुक होना आवश्यक है साथ ही पाक्सो अधिनियम की जानकारी सभी विद्यालयीन सदस्यों को होना चाहिए। विद्यालय में बाल संरक्षण समिति का क्रियाशील रूप में होना आवश्यक है। इसके अलावा बच्चों को भी बाल शोषण एवं दुर्व्यवहार के प्रति जागरूक करना चाहिए।
बच्चा स्कूल में 6-7 घंटे का समय गुजरता हैं और बच्चो से शिक्षक रू बू रु रहता हैं शिक्षक को चाहिए की बच्चो की गतिविधि पर नजर रखे तथा एक दोस्तों के समान व्यौहार करे जिससे बच्चें शिक्षक के साथ अपनी हर समस्या बता सके यदि बच्चें के किसी भी प्रकार की यौन शौषण सम्बन्धी दिक्कत हो या कोई आपके शरीर को छूता हैं तो तुरंत शिक्षक या माता पिता से बताये जिससे पॉक्सो एक्ट के तहत कार्यवाही हो सके और ये भी बच्चो तथा अभिभावकों को मीटिंग एवं कक्षा में जानकारी की पॉक्सो अधिनियम क्या हैं इसके क्या फायदे और कितनी सुरक्षा हैं फिर भी शिक्षकों स्वंम आत्मरक्षा की की प्रेरित करना चाहिए जिससे स्यंम की आत्मरक्षा कर सके |साथ ही पॉक्सो एक्ट की प्रक्रिया के एफ आर आई करके उस दुराचारी को कम से कम 20 साल या फांसी की सजा का प्रावधान हैं आपका कोई लैंगिक यौन शौषण करता हैं तो तुरंत शिक्षक बताये जिससे आपको न्याय मिल सके और दुबारा भविष्य यौन शौषण न हो || राधेश्याम लोधी प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शाला बंडोल विकास खंड गोटेगांव जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है ।इसलिए शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस टॉपिक पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए ओर कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए।
विद्यालय में बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए विद्यालय को इस विषय में बिल्कुल सतर्कता और सावधानी अपनाना चाहिए तथा बालको को यौन उत्पीड़न के समस्त प्रकार के नियमों एवं सावधानियों का प्रचार प्रसार करना चाहिए गुड टच एवं बैड टच का विस्तृत आशय छात्रों को समझाना चाहिए लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित सभी इन सूचनाओं को साला के प्रांगण में चस्पा कर सूचनाओं का प्रचार प्रसार करना चाहिए इस विषय पर साला में कार्यशाला आयोजित कर विस्तार से छात्रों को समझाइश प्रदान करना चाहिए तथा छात्र-छात्राओं को इस बारे में जागरूक कर उचित ज्ञान निर्धारित समय अनुसार प्रदाय करना चाहिए तथा इस बारे में विस्तृत युद्ध स्तर पर शाला एवं समुदाय में प्रचार प्रसार कर जागरूकता उत्पन्न करना चाहिए तथा सरकार द्वारा बनाए गए नियम पांचो एक्ट सन- 2012 का के लैंगिक उत्पीड़न के लिए निर्धारित नियमों कानूनों एवं सजाओ का विस्तृत परचार प्रसार करना चाहिए जैसे कि संबंधित व्यक्ति को इन कार्यों के प्रति भय उत्पन्न होकर लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम हो सके तथा छात्रों का स्कूल में ठहराव अधिक समय तक होने के कारण लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित समस्त प्रकार के आवश्यक कदम स्कूल प्रबंधन एवं शिक्षकों को उठाना चाहिए जिससे कि छात्रों में सुरक्षा की भावना मजबूत हो सके और छात्र निर्भय होकर अपने समय में शालाओं में विद्या अध्ययन कर सके एवं अपने जीवन को भविष्य को उज्जवल बना सके धन्यवाद
Bal lengik utpidan roktham ke liye bacchon Ko Kisi Anjan vyakti se Sampark na Rakhe bacchon ko bed touch AVN good touch ki jankari Dena Chhatra chhatraon ko alag pankti mein baithana Mata Pita bachchon Ke School Jaane aane ke Samay ka Vishesh Dhyan Rakha Jaaye Samay Samay per Shikshak Palak meeting Ka aayojan Kar palakon ko Jankari den AVN bacchon ke Prati sajag Rahane ko kaha Jaaye
बच्चे स्कूल में अपने घर के जैसे ही समय व्यतीत करते हैं हम शिक्षक उनके लिए माता पिता के समान होते हैं हमें उनको जागरूक करना चाहिए ताकि वह गुड टच और बैड टच के विषय में जानकारी रख सके उन्हें बताना चाहिए की कोई भी व्यक्ति आपको यदि गलत तरीके से स्पर्श करता है तो आप उसकी जानकारी माता-पिता को देंउन्हें आत्मरक्षा के विषय में भी जानकारी देना चाहिए हमें समय-समय पर कार्यशाला आयोजित करनी चाहिए उनके माता-पिता को भी बुलाना चाहिए हमें बच्चों को अनजान व्यक्ति से सावधान रहने के लिए बताना चाहिए यदि घर में भी चाचा मामा भाई या अपने दोस्तों से यदि उसको ऐसा लगे कि वह हमारे साथ कुछ गलत करने की कोशिश करना चाहिए तो तुरंत इसकी जानकारी दे ना डरे अपने माता पिता को देनी चाहिए माता पिता से नहीं तो कम से कम अपने गुरु से कह सके हमें बच्चों को इतने विश्वास दिलाना चाहिए कि हम उसकी हर हाल में रक्षा करेंगे कई जगह बहुत से शिक्षक भी गलत होते हैं इसलिए हमारे विद्यालय में यदि कोई शिक्षक इस प्रकार के कार्य में शामिल है हमें इस की भनक भी है तो हमें उनकी भी शिकायत बाहर करनी चाहिए श्रीमती चंद्रिका गौरव एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा जिला नरसिंहपुर एमपी
बच्चों को स्कूल में भयमुक्त वातावरण प्रदान करना, उन्हें good touch और bad touch की जानकारी देना,समय-समय पर बाल अधिकारों से बच्चों एवं उनके माता-पिता को अवगत कराना और किसी भी प्रकार के अपराध होने की स्थिति में बच्चों को नजरअंदाज ना करना बल्कि सहानुभूति के साथ उनसे संवाद करना चाहिए।और विरोध दर्ज करने में उनकी सहायता करनी चाहिए।
माधुरी ठाकुर सहायक शिक्षक शासकीय आदर्श चित्र माध्यमिक कन्या शाला परासिया जिला छिंदवाड़ा स्कूल एक ऐसी जगह है का बच्चा कई घंटे और कई साल बाद आता है शिक्षकों के साथ बच्चा परिवार की बात सबसे अधिक समय व्यतीत करता है और हमारी भूमिका को देखते हुए हमें बच्चों को विभिन्न प्रकार के दुर्व्यवहार शोषण को समझने की कोशिश करना चाहिए इसे कैसे पहचाने samajh wish karna chahie हमें सुरक्षा व्यवस्था भी दुरुस्त रखना चाहिए स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगवाना चाहिए बच्चों को आत्मरक्षा कि प्रशिक्षण की व्यवस्था स्कूलों में होनी चाहिए बच्चों को समझाना चाहिए कि वह अनजान व्यक्तियों से किसी लालच में कि बिना किसी प्रलोभन की उनकी बातों में नहीं आना चाहिए साला में एक महिला शिक्षिका का होना आवश्यक है संस्था प्रमुख द्वारा एक शिक्षिका और एक शिक्षक की लैंगिक उत्पीड़न कमेटी का गठन किया जाना चाहिए प्रार्थना सभा और बाल सभा में युद्ध घोषणा होनी चाहिए कि किसी बच्चे को कोई परेशान कर रहा है तो इसकी सूचना तुरंत कमेटी को दी जाए बच्चों को उनके अधिकारों के संबंध में जागरूक करना चाहिए स्कूल स्तर पर एक सुरक्षा समिति का गठन होना चाहिए समय-समय पर स्कूलों में लैंगिक शोषण से संबंधित जानकारी प्रदान की जानी चाहिए फिल्मों से बच्चों को जागरुक किया जा सकता है
नमस्कार... स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
बच्चे शिक्षक के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं , शिक्षक को समय समय पर विभिन्न चर्चाओं के माध्यम से इस सम्बंध में बच्चों को जागरूक करते रहना चाहिए ।
Lakhanlal vishwakarma GMSUncha-----बच्चा सबसे अधिक अपना समय स्कूल मैंबिताता हैस्कूल के शिक्षकों को चाहिए कि बच्चे को लैंगिक अपराधों के बारे में जागरूक करें और उन्हें अपराध करने वालों के प्रति सजगता हेतु प्रशिक्षित करें
Bal langik Apradh ko Rokne Mein Shikshak aur Vidyalay ki Aham Bhumika Hoti Hai bacchon Ko Shikshak dwara good touch aur bad touch ke bare mein bataya Jaaye tatha unhen PACSO adhiniyam ki jankari bhi Dena chahie
बच्चे शिक्षक के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं , शिक्षक को समय समय पर विभिन्न चर्चाओं के माध्यम से इस सम्बंध में बच्चों को जागरूक करते रहना चाहिए ।
बच्चा अपना अधिकांश समय शाला में शिक्षकों के साथ व्यतित करता है। ऐसे में हमे बच्चों की भावनाओं को समझते हुए उन्हें अच्छे टच बुरे टच साथ ही उन्हें शालाओं में कराटे सिखाकर स्वयं रक्षा एवं वादविवाद जैसी प्रतियोगिता के माध्यम से इसके परिणामों से परिचित कराया जा सकता है।
बाल लैंगिक उत्पिडन विषय पर समय समय पर विद्यालय में कार्य शाला आयोजित करना चाहिए और बच्चों को गुड टच बैड टच बताना चाहिए शाला स्तर पर विभिन्न पोस्टर लगाना चाहिए
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है ।इसलिए शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस टॉपिक पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए ओर कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए।
स्कूल में बच्चों को जानकारी देकर कुछ वीडियोस दिखा कर उनको समझा कर ताकि बच्चे समझ सकेंगे क्या गलत है क्या सही है और उनको यह भी विश्वास दिलाना कि जो भी उनके साथ कभी कुछ ऐसा हो तो वह सीधे आकर अपने माता-पिता को शिक्षकों को बताएं
School mein bacchon ko Jankari dekar Kuchh videos dikha kar unko Samjha kar Taki bacche samajh sake kya galat hai ya sahi hain aur unko yah bhi Vishwas dilana ki jo bhi unke Sath Kuchh aisa hota vah Sidhe Aakar Apne Mata Pita ya FIR Shikshak ko bataen
स्कूल में बच्चों को जानकारी देकर कुछ वीडियोस दिखा कर उनको समझा कर कि ताकि बच्चे समझ सके गलत क्या है सही क्या है उनको यह विश्वास दिलाकर कि जो भी उनके साथ कुछ ऐसा हुआ है वह सीधे अपने माता-पिता का शिक्षक को बताएं
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका वहुत ही महत्वपूर्ण है स्कूलों में सुरक्षित और सुरक्षात्मक वातावरण निर्मित करना बहुत ही जरूरी है,क्यो कि बच्चा अधिकांश समय स्कूल में बिताता है और शिक्षकों पर भरोसा करता है।शिक्षकों को संकेतो और लक्षणों की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है,यदि शिक्षक को लगता है कि बच्चा कुछ साझा करना चाहता है लेकिन वह बता नही पा रहा है तो ऐसी परिस्थिति में बच्चे में साहस और आत्मविश्वास का निर्माण करना होगा जिससे वह अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का खुलासा कर सके।हम स्कूलों में सुझाव/शिकायत पेटी भी रख सकते है ताकि बच्चा घटना के बारे में बोलने में संकोच करता हो तो उसमें लिखकर डाल सके।
बाल लैंगिक समस्या का समाधान करने हेतु बच्चों को good touch, bad touchके बारे में बताना चाहिए ।यदि उसे अनैतिक कार्य करने के लिए दंड या प्रलोभन दिया जा रहा है तो उसके विषय मे जानकारी देना चाहिए। साथ ही ऐसी इस्थिति से कैसे बचा जाए यह बताना चाहिए।
बाल लैंगिक समस्या का समाधान के लिए स्कूलों में समय-समय पर पोक्सो अधिनियम के तहत जागरूकता कार्यक्रम करना चाहिए और बच्चों को इन सभी चीजों की जानकारी देना चाहिए और ऐसी समस्या होने पर वह विश्वास ने व्यक्ति को इसकी सूचना दें
बाल लैंगिक शोषण को अच्छी तरह बच्चों को क्लास रूम में समझा कर रोका जा सकता है और स्कूल में सभी को अलग से पैरंट्स को बुलाकर यह भी शिक्षा दी जाए और बच्चों को भी इसका ज्ञान होना आवश्यक है
Pushpa singh MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station bhopal Bachho ko samay-samay par councling karna chahiye.unhe good touch and bad touch ki jankari di Jani chahiye .school ka campus safe hona chahiye.Asamajik tatvo se safety hetu upay kiye jane chahiye.
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है ।इसलिए शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस टॉपिक पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए ओर कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए।
बच्चा घर के बाद यदि सबसे ज्यादा समय स्कूल में ही रहता यदि बच्चे के व्यवहार में कुछ भी परिवर्तन होता दिखाई देता है डरना स्कूल न आना अकेले रहना बात कम करना आदि तो शिक्षक या प्रधानाचार्य उसकी मदद कर सकते हैं या अभिभावक से भी संपर्क कर सकते हैं उसकी ओर अधिक ध्यान देना उसका डर कम करना आदि
बच्चों के साथ शिक्षक का दोस्त की तरह व्यवहार होना चाहिए, बच्चों को अच्छा और बुरा छूने के बारे में बताना चाहिए, शिकायत पेटी की बातों का प्रचार किये बिना समाधान होना चाहिए।
बाल लैंगिक उत्पीडन की रोकथाम के लिए स्कूल स्तर पर निम्न उपाय किए जा सकते हैं। स्कूल स्तर पर बाल यौन अपराधों की रोकथाम हेतु नीति निर्धारण करना। ऐसा कोई प्रकरण अगर स्कूल स्तर पर उजागर होता है, तो उसे न्यायिक जांच आयोग तक पहुंचाना। बच्चों को गुड़ टच और बैंड टच के बारे में जानकारी देना। पोक्सो एक्ट की जानकारी देना।
बाल लैंगिक उत्पीडन की रोकथाम के लिए स्कूल स्तर पर निम्न उपाय किए जा सकते हैं। स्कूल स्तर पर बाल यौन अपराधों की रोकथाम हेतु नीति निर्धारण करना। ऐसा कोई प्रकरण अगर स्कूल स्तर पर उजागर होता है, तो उसे न्यायिक जांच आयोग तक पहुंचाना। बच्चों को गुड़ टच और बैंड टच के बारे में जानकारी देना। पोक्सो एक्ट की जानकारी देना।
यदि संस्था प्रमुख शाला के सभी शिक्षक शिक्षिकाओं एवं माता पिता स्वयं अपने छात्र छात्राओं एवं बच्चों कोgood tach and bad tach के बारे में बताएंगे तो अपराध कम होंगे। एवं बच्चों के साथ कुछ ग़लत हो तो वे खुलकर अपने माता-पिता व शिक्षक शिक्षिकाओं को बताएंगे।
बच्चों से इस विषय पर बातचीत करनी चाहिए उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में विस्तार से बताना चाहिए उनके माता-पिता को भी इस बारे में शिक्षित करना चाहिए एवं वह भी बच्चों को इस बारे में बताएं शाला के आसपास असामाजिक तत्व इकट्ठे ना हो साला समय के बाद भी शाला प्रभारी इस ओर निरंतर ध्यान दे शाला का वातावरण सुरक्षित है ध्यान दें
स्कूल में बच्चो के साथ होने वाले अपराध रोकने के लिए समय-समय पर गतिविधियां सामूहिक मीटिंग एसएम सीकी बैठक और अब अफसरों की बैठक कराकर समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए और किसी प्रकार की कोई समस्या आने पर बच्चों से साक्षात्कार करके उनके समस्याओं से संबंधित किसी भी प्रकार के रोगों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए जिससे कोई आगे भविष्य में कोई घटना घटित न होने पाए
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। इस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।ओर सभी को लडका हो या लडकी सभी को अनुशासन सिखाना चाहिए। जहाँ डर नही सिर्फ बच्चे अपने मन से अनुशासन मे रहे।
Ombati Raghuwanshi. PS.Pali. हमें बच्चे के साथ इस तरह जुड़ना होगा की बच्चा अपनी हर बात हमसे शेयर करे ताकि वो इस तरह की कोई भी बात हमें बेझिजक हमें वता सके
बच्चें ज्यादातर समय स्कूल में रहते हैं। शिक्षक को उनसे बातचीत करके अच्छा व गलत हरकत के बारे में विस्तार से समझा सकते हैं। जिससे बच्चों के साथ कोई दुर्व्यवहार न हो सके। और वह अपने माता-पिता व शिक्षक को बता सके।
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। इस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
दिनेश तमखाने जिला हरदा स्कूलों मे शिक्षक बच्चों को अनुशासन मे रखे बाहरी व्यक्ति को वगेर अनुमति प्रवेश न करने दे, तथा बच्चों से खुलकर बात करें, समस्या का समाधान करें
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं:- सुरक्षित वातावरण निर्माण करना ताकि बच्चा अपने साथ अगर किसी प्रकार का दूर दुर्व्यवहार हो तो बेझिझक बता सकें बनाना| विद्यालय में शिकायत या सुझाव पेटी भी रख सकते हैं इससे अगर बच्चा घटना के बारे में बताने में हिचकिचाहट महसूस करता है तो वह अपनी शिकायत लिखकर पेटी में डाल सकता है| हम विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण के मुद्दों पर खुली चर्चा कर सकते हैं इससे बच्चे में जागरुकता आएगी| विद्यालय में बाल संरक्षण नीति होना चाहिए और बाल संरक्षण नीति को कड़ाई से लागू भी करना चाहिए जैसे- कराटे ,आत्मरक्षा -प्रशिक्षण देना चाहिए| जिससे दुर्व्यवहार कि घटना के समय वह अपना बचाव कर सके | बाल यौन शोषण पर नुक्कड़ नाटक, पोस्टर- प्रतियोगिता ,जागरूकता रैली आदि का आयोजन करते रहना चाहिए| साथ ही शिक्षक न केवल बच्चों को अपनी सुरक्षा के उपाय बताएं बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए जो कानून ,पुलिस ,रिपोर्ट आदि है उनके बारे में भी मैं जागरूक करें है |
स्कूलों में होने वाले अपराधों को रोकने के लिए सही माहौल बच्चों को प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वह अपनी समस्या को शिक्षकों से साझा कर सकें और शिक्षकों को उस पर गंभीरता से विचार कर निर्णय लेना चाहिए
आज के समय में बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम करने के लिए विद्यालय कई मोर्चों पर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं?
आज विद्यालयों में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों के समुचित मार्गदर्शन एवं सहयोग से बच्चों को लैंगिक अपराधों के प्रति जागरूक एवं सावधान किया जा रहा है....
बच्चों को बहुत ही दक्षता एवं सूझबूझ के साथ लैंगिक अपराधों के बारे में बताया जा रहा है साथ ही उनसे बचने के लिए विभिन्न उपायों पर भी पूरा जोर दिया जा रहा है उन्हें हर उस व्यक्ति और परिस्थिति के प्रति जागरूक , सतर्क एवं तैयार किया जा रहा है जो उनके साथ गलत कर सकता है
उन्हें पूरी तरह से आश्वस्त किया जा रहा है कि अगर उन्हें अपने साथ ज़रा-सा भी कुछ ग़लत महसूस हो तो वो बेहिचक, बिना डरें बिना शर्माएं अपने शिक्षक/शिक्षिका/माता/पिता/मित्र/सहेली से इस बारे में बात करें.. और ऐसा भी न कर पाएं तो शिकायत पेटिका में लिखकर डाल दें....
और भी अन्य कई तरीकों से आज़ हमारे विद्यालय बाल लैंगिक शोषण रोकने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं...
बच्चों का अधिकांश समय विद्यालय में व्यतीत होता है इसलिए बच्चे अपने माता-पिता के अलावा शिक्षकों के सबसे ज्यादा नजदीक होते हैं इसलिए विद्यालय में समय-समय पर काउंसलर ओं को बुलाकर बच्चों के काउंसलिंग की जानी चाहिए एवं उन्हें गुड टच तक तथा बैड टच के बारे में मत लाना चाहिए बच्चों के साथ सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करना चाहिए उनकी बातें ध्यान से सुनना चाहिए
बच्चों का अधिकांश समय विद्यालय में व्यतीत होता है इसलिए बच्चे अपने माता-पिता के अलावा शिक्षकों के सबसे ज्यादा नजदीक होते हैं इसलिए विद्यालय में समय-समय पर काउंसलर ओं को बुलाकर बच्चों के काउंसलिंग की जानी चाहिए एवं उन्हें गुड टच तक तथा बैड टच के बारे में मत लाना चाहिए बच्चों के साथ सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करना चाहिए उनकी बातें ध्यान से सुनना चाहिए
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। इस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें। इस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है स्कूल में बच्चों को लैंगिक शोषण के बारे में ज्ञान कराया जाना चाहिए इस हेतु प्रशिक्षण एवंशिविरों का आयोजन करके बच्चों को जागरूक करना चाहिए तथा उनसे बचाव की जानकारी एवं तरीके बताना चाहिए ताकि बच्चे सतर्क रहें
स्कूल में बच्चों को बाल लैंगिक उत्पीडन के बारे में समझाकर उन्हें सावधान रहने हेतु प्रेरित किया जा सकता है । बच्चों को किसी भी व्यक्ति द्वारा उनके साथ अप्रिय व्यवहार करने पर सख्ती से विरोध करने हेतु उनका मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ाना चाहिए । साथ ही बच्चों को बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 के बारे में भी समझाया जाना चाहिए । जिससे उनमें आत्मविश्वास बढे और वे गलत व्यवहार का विरोध करने की हिम्मत कर सकें ।
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है इसलिए शिक्षको की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस विषय पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए और कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए
कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013. ये अधिनियम, 9 दिसम्बर, 2013, में प्रभाव में आया था। जैसा कि इसका नाम ही इसके उद्देश्य रोकथाम, निषेध और निवारण को स्पष्ट करता है और उल्लंघन के मामले में, पीड़ित को निवारण प्रदान करने के लिये भी ये कार्य करता है।
नाम- लक्ष्मीनारायण छीपा स्कूल - शा.मा.वि.बरकीसरांय भांडेर बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति चॉकलेट या अन्य कोई खाने की चीज दे तो उसे नहीं लेना चाहिए
स्कूल में बाल लैंगिक शिक्षा के बारे में बताना क्योंकि छात्र शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है और शिक्षक के बातों को बहुत ही ध्यान से सुनता है इसलिए समय-समय पर बच्चों को पाल लेंगे और शोषण के बारे में बताते रहना चाहिए और उन्हें जागरूक बनाना चाहिए शिक्षक बच्चों की बात को ध्यान से सुने उनकी बात को अहमियत दी और उनकी बात को सार्वजनिक ना करें अपने तक ही सीमित रखें जिससे बच्चा खुलकर अपने शिक्षक से बात कर सके
विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव (चार प्रकार), इस अवधारणा को आप अपने विद्यालय के संदर्भ में कैसे क्रियान्वित करेंगे? चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता बनने के लिए आप में क्या प्रमुख गुण होने चाहिए? उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं- पहल करना सकारात्मक दृष्टिकोण रखना स्वप्रेरित होना परिवर्तन लाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहना आपके अनुसार प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता में अन्य कौन-कौन से गुण होने चाहिए? चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
बताएँ कि कैसे कला समेकित शिक्षा का अनुभव छात्रों को आपके विषयों के सार्थक सीखने में लाभान्वित कर सकता है चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
Sanjay Balothiya
ReplyDeleteMiddle School teacher
Govt. Residential school Dhar
Today is a world of IT and globlisation. Our education has also been globlised. We should aware our childrens and students about gender and good touch bed touch. Parents also become very cruel about gender. This is a social weakness.
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है ।इसलिए शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस टॉपिक पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए ओर कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए।
Deleteएक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावना तो ग्रुप से जुड़ा रहता है पूर्व में ना इसलिए शिक्षक को यौन शोषण अच्छा टच बुरा टच के बारे में समझाना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति इस प्रकार का व्यवहार करता है तो वह अपने शिक्षकों को वह अपने बालकों को अवगत कराएं ।
Deleteबच्चा अधिकांश समय स्कूल में व्यतित करता है इसलिए अध्यापकों को उनके साथ बहुत ज्यादा कढाई नहीं अपनानी चाहिए साथ ही सबसे महत्वपूर्ण है कि बच्चों को यौन संबंधित वीडियो तथा सामान्य जानकारी विद्यालय में अवश्य दी जानी चाहिए |
DeleteBalak balika sabse jyada samay shala mai bitate hai atah is vishay mai shikshak unse bat karke tatha bal shoshan kaya hai ye vishtar se samjhakar bal shoshan ko rok sakta hai
DeleteSanjay Balothiya
ReplyDeleteMiddle School teacher
Govt. Residential school Dhar
Today is a world of IT and globlisation. Our education has also been globlised. We should aware our childrens and students about gender and good touch bed touch. Parents also become very cruel about gender. This is a social weakness.
सभी को शिक्षा दे कर
ReplyDeleteBacchon ko yon utpidan aur paristhitiyon ke anusar karya karne ki jankari denge
Deleteभंवर लाल जाटव पीएस बोर Khadi बच्चे अधिकांश समय स्कूल में ही व्यतीत करते हैं बच्चों को इस बात से अवगत अवगत कराना चाहिए कि यदि आपको बुरी निगाह से कोई टच करें या छुए तो अपने शिक्षक को अवगत कराएं और अपने पलकों को भी अवगत कराएं शालाओं में कार्यशाला भी आयोजित होना चाहिए
Deleteबच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteइस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
This post is by Anjana Senani
DeleteHigh School Teacher
Prakriya Green Wisdom School, Bangalore
बाल लैंगिक समस्या का समाधान हेतु बच्चो को अवगत कराना होगा कि कभी कोई भी आपको अकेले में अनजान व्यक्ति मिले तो उससे सावधान रहना , उससे अकेले में न मिले , क्या ओ आपको किसी अंग को टच कर रहा है या कोई लोभ से रहा है कि ये रुपया रख और अकेले में मेरे साथ चल आदि बातो से अवगत करा देने से बच्चा समस्या से बच सकता है ।
Deleteबच्चों को विद्यालय में गुड टच व बेड टच के बारे में बताया जा चाहिए। बेड टच की परिस्थिति व अन्य शोषण व रोकथाम पर कार्यशाला रखना चाहिये।
DeleteBachchon ko samay samay par uchit margdarshan dena chahiy
ReplyDeleteबच्चा घर के अलावा सबसे ज्यादा समय स्कूल में बीतता है और वह अपने टीचर्स पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है तो एक टीचर का दायित्व है कि वह बच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में बताए और कहे की अगर आपके साथ कोई ऐसा करे तो अपने टीचर्स को या माता पिता को इसके बारे में जानकारी दे
Deleteबाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति चॉकलेट या अन्य कोई खाने की चीज दे तो उसे नहीं लेना चाहिए
ReplyDeleteSchool me bachcho ke sath bal utpeedan se sambandhit chrcha karni chahiye or uhne jagruk karna chahiye
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ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए स्कूलों में बालिकाओं कोआत्मरक्षा के प्रशिक्षण की व्यवस्था के लिए शासन ने राशि उपलब्ध कराई है अत: बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना प्रथम कार्य है |
ReplyDeleteउत्पीणन की जानकारी होने पर सहानुभूति पूर्वक बच्चे से जानकारी लेकर पुलिस में सूचना देना चाहिए, यदि बच्चा घटना साझा नहीं करना चाहता ,तब भी संस्था प्रधान व शिक्षकों को पुलिस को सूचना देकर अपने उत्दातरयित्व का पालन करना चाहिए| परिवार एवं समाज मे घटित होने वाली उत्पीड़न कीघटनाओं के प्रति बच्चों को सचेत एवं जागरुकरहने के लिए कार्यशालओं का आयोजन करना चाहिए|
शामाशा गुगवारा ,देवरी,सागर
Child care
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति चॉकलेट या अन्य कोई खाने की चीज दे तो उसे नहीं लेना चाहिए
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ReplyDeleteनमस्कार..
स्कूलों में बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....।
बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों के बीच गुड टच एंड बेड टच गतिविधि द्वारा समझाएं।
स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।
बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी को गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी,ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
धन्यवाद....।
संतोष कुमार अठया
( सहायक-शिक्षक )
शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा
जिला-दमोह (म. प्र.)
बाल लैंगिक शोषण को अच्छी तरह बच्चों को क्लास रूम में समझा कर रोका जा सकता है और स्कूल में सभी को अलग से पैरंट्स को बुलाकर यह भी शिक्षा दी जाए और बच्चों को भी इसका ज्ञान होना आवश्यक है यस गुड खेड़ा ग पिपरियाहोशंगाबाद
Deleteहमें बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।
ReplyDeleteराजेंद्र प्रसाद मिश्र सहायक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मणपुर जिला रीवा मध्य प्रदेश बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकने में स्कूल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं प्रत्येक शालाओं में एक शिक्षिका का होना आवश्यक है संस्था प्रमुख द्वारा एक शिक्षिका और एक शिक्षक की एक लैंगिक उत्पीड़न कमेटी का गठन किया जाना चाहिए नंबर दो बाल सभा या प्रार्थना सभा में उद्घोषणा की जानी चाहिए कि किसी बच्ची या बच्चे को कोई किसी तरह से परेशान कर रहा हो तो इसकी सूचना कमेटी को दी जाए नंबर चार बच्चों को बताया जाए कि किसी अनजान व्यक्ति के साथ ना आए ना जाए रास्ते या शाला में किए गए किसी के द्वारा अनुचित बातों को अपने माता-पिता से अवश्य बताएं ऐसा समझाया जाए किसी के द्वारा कोई भी दी हुई चीज या रुपए पैसे ना लिए जाएं अकेले में या छिपकर कोई बात कर रहा हो तो उससे बात ना की जाए किसी के पकड़ने छूने पर जोर से आवाज लगाई जाए शाला द्वारा छात्रों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देकर के भी लैंगिक उत्पीड़न से मुक्त दिलाई जा सकती है
ReplyDeleteनमस्कार
ReplyDeleteबाबू राम अहिरवार माध्यमिक शिक्षक जन शिक्षा केंद्र शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय महाराजपुर जिला छतरपुर मध्य प्रदेश
लैंगिक उत्पीड़न रोकने हेतु बालकों ने छात्राओं को गुड टच बैड टच के संबंध में जानकारी देना चाहिए आई बाप को और शिक्षकों को बच्चों के नजदीक लेने वाले 82 लोगों के पूर्व रिकॉर्ड से भी परिचित होना चाहिए हमारे बच्चे जहां-जहां आते जाते हैं वहां से वहां के सभी जगह के वातावरण एवं लोगों के बारे में जानकारी अभिभावकों को रखना चाहिए यदि उनकी नजर में कोई व्यक्ति गलत समझ है तो उन्हें इस बारे में आगाह करते रहना चाहिए धन्यवाद
हिमांशु पटेल ,जनशिक्षक औरई ,मण्डला :---लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें
ReplyDeleteबच्चे की समस्त गरतिवधि का आकलन कर भयमुक्त वातावरण देकर उचित काऊंस लिंग करना चाहिये।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे । शिक्षक स्कूल समय में आधे अवकाश या पढ़ाई के अलावा के समय में विशेष चौकसी बरतें।
ReplyDeleteबच्चे अधिकांश समय स्कूल में ही व्यतीत करते हैं बच्चों को इस बात से अवगत अवगत कराना चाहिए कि यदि आपको बुरी निगाह से कोई टच करें या छुए तो अपने शिक्षक को अवगत कराएं और अपने पलकों को भी अवगत कराएं शालाओं में कार्यशाला भी आयोजित होना चाहिए
Deleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं?
ReplyDeleteचिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
उपरोक्त संदर्भ में बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे ।स्कूलों के द्वारा बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....।
बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों को गुड टच एंड बेड टच समझाएं।
स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।
बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो रहा है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी। छात्रों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
बाल शोषण की रोकथाम के लिए एक शिक्षक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।वह बच्चों को अप्रत्यक्ष रूप से इस बारे में (शिक्षक/शिक्षिका छात्रों में शोषण के विषय मे जागृत कर उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहारों के बारे में उन्हें सजगता,जागरूकता,तथा बचाव के उपयोग कदम बताने में अपनी महत्त्व पूर्ण
ReplyDeleteभूमिका निभा सकता है।
बच्चों को गुङ टच बैड टच बताना होगा। कभी-कभी माता-पिता जिम्मेदार होते हैं
ReplyDeleteहमें बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न मे स्कूल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं हमे अपने बच्चो को जागरूक करके हम उन्हें उत्पीड़न से बचा सकते हैं
ReplyDeleteबच्चों व पालको के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए। तथा उन्हें जागरुक करते हुये बताना चाहिए कि अगर कोई भी आपके साथ अभद्र व्यवहार करता है या आपके किसी भी अंग को छूता है या छूने का प्रयास करता है तो शिक्षक या शाला की महिला शिक्षिका को इसकी सूचना देना चाहिए। साथ ही शाला स्तर पर प्रतेक शनिवार बाल सभा में इस विषय पर बच्चों से जानकारी साझा किया जा सकता है।
ReplyDeleteहमें बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।
ReplyDeleteशाला में बच्चो को योन शोषण को लेकर विभिन्न माध्यमों से जाग्रत करना , उनमें आत्म विश्वास बनाये रखना , बच्चों की हर गतिविधि का अवलोकन करना , बाहरी व असामाजिक तत्वों की शाला के आस पास की गतिविधियों पर पैनी नजर रखना ।बच्चों के पारिवारिक वातावरण की जानकारी भी बच्चों से समय समय पर लेना आदि ।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका वहुत ही महत्वपूर्ण है स्कूलों में सुरक्षित और सुरक्षात्मक वातावरण निर्मित करना बहुत ही जरूरी है,क्यो कि बच्चा अधिकांश समय स्कूल में बिताता है और शिक्षकों पर भरोसा करता है।शिक्षकों को संकेतो और लक्षणों की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है,यदि शिक्षक को लगता है कि बच्चा कुछ साझा करना चाहता है लेकिन वह बता नही पा रहा है तो ऐसी परिस्थिति में बच्चे में साहस और आत्मविश्वास का निर्माण करना होगा जिससे वह अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का खुलासा कर सके।हम स्कूलों में सुझाव/शिकायत पेटी भी रख सकते है ताकि बच्चा घटना के बारे में बोलने में संकोच करता हो तो उसमें लिखकर डाल सके।
ReplyDeleteविद्यालय स्टाफ बाल लैंगिक शोषण के संकेतक समझता हो। बाल दुर्व्यवहार के प्रकारों से परिचित हो ।पाक्सो अधिनियम 2012 एवं पाक्सोअधिनियम संशोधन 2019 के संशोधनों को जानता समझता हो। ऐसी संस्थाओं की जानकारी रखता हो जो इस प्रकार के प्रकरणों में शाला स्टाफ की सहायता कर सकती हो। समय-समय पर बच्चों को ऐसी परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए उस पर किसी कहानी के माध्यम से बात की जा सकती है। अमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम के लिए स्कूलों में बालिकाओं कोआत्मरक्षा के प्रशिक्षण की व्यवस्था के लिए शासन ने राशि उपलब्ध कराई है अत: बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना प्रथम कार्य है |
ReplyDeleteउत्पीणन की जानकारी होने पर सहानुभूति पूर्वक बच्चे से जानकारी लेकर पुलिस में सूचना देना चाहिए, यदि बच्चा घटना साझा नहीं करना चाहता ,तब भी संस्था प्रधान व शिक्षकों को पुलिस को सूचना देकर अपने उत्दातरयित्व का पालन करना चाहिए| परिवार एवं समाज मे घटित होने वाली उत्पीड़न कीघटनाओं के प्रति बच्चों को सचेत एवं जागरुकरहने के लिए कार्यशालओं का आयोजन करना चाहिए|
बाल लैंगिक उत्पीड़न से बचाने के लिए स्कूल अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है |स्कूल के प्रधानाचार्य को अपने समस्त स्टाफ की एक बैठक लेकर उनको पास्को अधिनियम के बारे में समझाना चाहिए ,तथा बच्चों को भी वीडियो फिल्म के माध्यम से किस -किस तरह के लैंगिक अपराध हो सकते हैं ,और किस प्रकार व शिकायत दर्ज कर सकते हैं, तथा किस प्रकार से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते| इसके लिए वीडियो दिखाया जाना चाहिए तथा शिक्षक व प्रधानाध्यापक बच्चों के व्यवहार में आए हुए परिवर्तनों को देखते रहेंगे तथा उनके में आए हुए पर्वतों परिवर्तनों का अनुमान लगाकर व उनकी मदद कर सकते हैं |इस प्रकार स्कूल बाल लैंगिक उत्पीड़न में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है|
ReplyDeleteRaghuveer Gupta
Government prathmik school Nayagaon block vijaypur district-Sheopur
Schoolon ko Aisa mahaul taiyar karna hoga jisse bacche Sabhi parivesh Mein Khul sakte hain aur apne Man Ki Baat bacche parent ko aur teachers ko Samjha sake jo bhi samajh ja rahi hai unhen theek Tarah Se nipat Sake
ReplyDeleteबच्चे की समस्त गरतिवधि का आकलन कर भयमुक्त वातावरण देकर उचित काऊंस लिंग करना चाहिये।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न के संबंध में यदि शाला स्तर पर बच्चों की काऊंसलिंग की जाय अर्थात बच्चों को लैंगिक अपराधों से परिचित कराया जाय और उन्हें इस पर अपनी बात स्वतंत्र रूप से रखनें का मौका दिया जाय तो शाला में बच्चों के मन में अपराध बोध और उसकी समझ बनेगी तो इसप्रकार के अपराधों में रूकावट होगी।
Deleteबच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteविद्यालय स्टाफ बाल लैंगिक शोषण के संकेतक समझता हो। बाल दुर्व्यवहार के प्रकारों से परिचित हो ।पाक्सो अधिनियम 2012 एवं पाक्सोअधिनियम संशोधन 2019 के संशोधनों को जानता समझता हो। ऐसी संस्थाओं की जानकारी रखता हो जो इस प्रकार के प्रकरणों में शाला स्टाफ की सहायता कर सकती हो। समय-समय पर बच्चों को ऐसी परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए उस पर किसी कहानी के माध्यम से बात की जा सकती है। अमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों के बीच गुड टच एंड बेड टच गतिविधि द्वारा समझाएं।
ReplyDeleteबच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteइस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
उपरोक्त संदर्भ में बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे ।स्कूलों के द्वारा बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....।
बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों को गुड टच एंड बेड टच समझाएं।
स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।
बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो रहा है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी। छात्रों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न में स्कूल की भूमिका - बच्चों को इस बात से स्कूल शिक्षकों को समय समय पर अवगत कराते रहना चाहिए कि अगर कोई विशेषकर बच्चियों को कोई विशेष सहानुभूति या लालच देता है और धीरे धीरे छूने का प्रयास करता है तो वे सतर्क हो।
ReplyDeleteअगर कोई अनजानत व्यक्ति कुछ खाने पीने की चीजें दे और बच्चों से कहीं घूमने फिर ने या कोई कार्य करावे या फिर कहीं छूये तो वे सतर्क रहें।
धन्यवाद
बाल उत्पीडन की रोकथाम के लिये शाला प्रबंधन की बैठक में यह प्रस्ताव लाया जाय कि सभी पालक अपने बच्चों को बाल उत्पीड़न के बारे में समझाये
ReplyDeleteशाला के शिक्षक भी इसके बारे में सभी बच्चों को समझाया जाय
शाला में इसके संबंध में बाल उत्पीड़न विशेषज्ञ को बुलाकर उनका मार्गदर्शन भी लिया जा सकता है
अल्का बैंस प्राथमिक शाला कुकड़ा जगत छिन्दवाड़ा
ReplyDeleteलैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति चॉकलेट या अन्य कोई खाने की चीज दे तो उसे नहीं लेना चाहिए।
इसके अलावा स्कूलों में बालिकाओं कोआत्मरक्षा के प्रशिक्षण की व्यवस्था के लिए शासन ने राशि उपलब्ध कराई है अत: बालिकाओं को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देना प्रथम कार्य है |
उत्पीणन की जानकारी होने पर सहानुभूति पूर्वक बच्चे से जानकारी लेकर पुलिस में सूचना देना चाहिए, यदि बच्चा घटना साझा नहीं करना चाहता ,तब भी संस्था प्रधान व शिक्षकों को पुलिस को सूचना देकर अपने उत्दातरयित्व का पालन करना चाहिए| परिवार एवं समाज मे घटित होने वाली उत्पीड़न कीघटनाओं के प्रति बच्चों को सचेत एवं जागरुकरहने के लिए कार्यशालओं का आयोजन करना चाहिए|
प्रत्येक शालाओं में एक शिक्षिका का होना आवश्यक है संस्था प्रमुख द्वारा एक शिक्षिका और एक शिक्षक की एक लैंगिक उत्पीड़न कमेटी का गठन किया जाना चाहिए नंबर दो बाल सभा या प्रार्थना सभा में उद्घोषणा की जानी चाहिए कि किसी बच्ची या बच्चे को कोई किसी तरह से परेशान कर रहा हो तो इसकी सूचना कमेटी को दी जाए।
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।बाल उत्पीडन की रोकथाम के लिये शाला प्रबंधन की बैठक में यह प्रस्ताव लाया जाय कि सभी पालक अपने बच्चों को बाल उत्पीड़न के बारे में समझाये
ReplyDeleteशाला के शिक्षक भी इसके बारे में सभी बच्चों को समझाया जाय
शाला में इसके संबंध में बाल उत्पीड़न विशेषज्ञ को बुलाकर उनका मार्गदर्शन भी लिया जा सकता है
बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।ओर सभी को लडका हो या लडकी सभी को अनुशासन सिखाना चाहिए। जहाँ डर नही सिर्फ बच्चे अपने मन से अनुशासन मे रहे।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न रोकने के लिए बच्चों को गुड टच बेड टच के बारे मे बताना चाहिए और उन्हें यह भी बताया जाना चाहिए कि यह कार्य कोई भी करे अपने माता पिता एवं गुरु को बताया जाना चाहिए ।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न रोकने में विद्यालय के समस्त शिक्षकों की अहम भूमिका होनी चाहिये जब भी शिक्षक कक्षा कक्ष में जाते है बच्चों को पढाते हैं पढाने के दौरान ऐसी अच्छी शिक्षा प्रदान करें तथा बुरी बातों से भी अवगत कराये कि कोई भी व्यक्ति खाने का कुछ समान या कोई और वस्तु देने का प्रलोभन देने का कार्य करता है तो ऐसी कोई भी वस्तु नहीं लेना चाहिए इसकी जानकारी शिक्षक को तथा माता पिता को बिना संकोच किए देना चाहिए
ReplyDeleteBal laingik utpeedan ki roktham ke liye school main usse sambandhit bachchon aur shikshakon ko poorn roop se prashikshan dilwana chahiye. Bachchon ko usse smabandhit pratyek baat ka gyaan aur uske parinam ka gyan dekar bachchon ko is utpeedhan se bachaya ja sakta hai.
ReplyDeleteशालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक एक छात्र-शिक्षक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बताया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटनाएं सख्त वर्जित एवं अक्षम्य व दंडनीय अपराध है।
ReplyDeleteबाल-सभा व पी.टी.ए. की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की सख्ती को समझाएं। इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना चाहिए है। छात्र छात्राओं को गुड टच एंड बेड टच के बारे में बताया जाए।।
शाला स्तर पर एक छात्र सुरक्षा समिति एवं व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक, छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर भी अंकित हो।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 (पास्को एक्ट ) में केंद्र सरकार ने कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित करते हुए उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।
बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी को गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी,ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
शालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक एक छात्र-शिक्षक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बताया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटनाएं सख्त वर्जित एवं अक्षम्य व दंडनीय अपराध है।
ReplyDeleteबाल-सभा व पी.टी.ए. की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की सख्ती को समझाएं। इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना चाहिए है। छात्र छात्राओं को गुड टच एंड बेड टच के बारे में बताया जाए।।
शाला स्तर पर एक छात्र सुरक्षा समिति एवं व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक, छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर भी अंकित हो।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 (पास्को एक्ट ) में केंद्र सरकार ने कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित करते हुए उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।
बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह अत्यंत चिंतनीय विषय है क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र-छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
इस विषय में गंभीरता के साथ सूचना बहुत आवश्यक है तथा बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में भी बताना बहुत जरूरी है उन्हें यह बताना चाहिए कि आपको अगर कोई भी गलत तरीके से छुए या देखे तो आप घर में आकर माता-पिता तथा विद्यालय में शिक्षक के पास जाकर बताएं किन किन अंगो को छूना एक बैड टच होता है यह बच्चों को बहुत अच्छे तरीके से सिखाना बहुत जरूरी है यह भी बताना है कि जैसे उन्हें कोई बैड टच करें वह तुरंत चिल्ला पड़े एवंम शिक्षक को जाकर बताएं. एक ही उपाय है कि शिक्षक को इस बारे में समय-समय पर एक सेमिनार के साथ यह सूचना देना जरूरी है कि वह बच्चों का इस मामले में ध्यान रखें
ReplyDeleteस्कूल में बच्चों को शिक्षक द्वारा यौन उत्पीड़न की शिक्षा देनी चाहिए! ! बच्चों को इस बात के लिए आगाह किया जाना चाहिए की उनक़े प्राइवेट पार्ट्स को कोई भी व्यक्ति यदि हाथ लगाता है तो स्कूल में शिक्षक और घर पर मां-बाप को बताना चाहिए! बच्चों को इन मामलों में अपने दादा चाचा मामा पड़ोसी अंकल,
ReplyDeleteदादा से भी सावधान रहना चाहिए उत्पीड़न कर्ता बच्चों के साथ कैसी -कैसी हरकतें करते हैं, इसकी बच्चों को सांकेतिक जानकारी दी जाना चाहिए ! यह कार्य शिक्षक और माता-पिता दोनों के माध्यम से किया जा सकता है ! तभी हम सब के बच्चे सुरक्षित रह सकते हैं !
शालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक एक छात्र-शिक्षक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बताया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटनाएं सख्त वर्जित एवं अक्षम्य व दंडनीय अपराध है।
ReplyDeleteबाल-सभा व पी.टी.ए. की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की सख्ती को समझाएं। इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना चाहिए है। छात्र छात्राओं को गुड टच एंड बेड टच के बारे में बताया जाए।।
शाला स्तर पर एक छात्र सुरक्षा समिति एवं व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक, छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर भी अंकित हो।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 (पास्को एक्ट ) में केंद्र सरकार ने कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित करते हुए उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।
बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह अत्यंत चिंतनीय विषय है क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र-छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
मॉड्यूल 18 गतिविधि 5ः परावर्तन
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं?
उपरोक्त संदर्भ में बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे ।स्कूलों के द्वारा बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....।
बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों को गुड टच एंड बेड टच समझाएं।
स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।
बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो रहा है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी। छात्रों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
धन्यवाद !!!!!!
बाल यौन – उत्पीड़न है किसी बड़े व्यक्ति अथवा अधिक शक्तिशाली व्यक्ति द्वारा यौन संबंध बनाने के लिए किसी बच्चे का उत्पीड़न करना। इसका अपराधी सामान्यता: कोई वयस्क ही होता है परंतु यह बच्चे से बड़ा अथवा उससे अधिक शक्तिशाली कोई अन्य बच्चा भी हो सकता है। लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम, 2012 यौन हमलों, यौन उत्पीड़न तथा अश्लील साहित्य संबंधी अपराधों से 18 वर्ष की आयु से कम के सभी बच्चों को संरक्षण प्रदान करता हैं।
ReplyDeleteपोक्सो अधिनियम के अनुसार, किसी बच्चे के विरूद्ध हुए यौन – उत्पीड़न के मामलों की पुलिस को सूचना दिया जाना अनिवार्य है। इस कानून के तहत यदि किसी व्यवस्था या संस्था को यह जानकारी है कि किसी बच्चे के साथ यौन उत्पीड़न हुआ है यह होने की संभावना है तो उनकी यह जिम्मेदारी है कि वे तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दें। यही प्रावधान सरपंच और ग्राम पंचायत सदस्यों पर भी लागू होता है।
बाल यौन – उत्पीड़न के कुप्रभाव क्या हैं?
यौन – उत्पीड़न के शिकार बच्चे जीवन भर उस सदमे को भूल पाने में सर्मथ नहीं हो पाते। उत्पीड़न की गंभीरता, अवधि और प्रकार पर निर्भर करते हुए उस घटना के प्रभाव भी अलग –अलग हो सकते हैं। परंतु सभी पीड़ितों को निश्चित रूप से कुछ न कुछ मनोवैज्ञानिक, सामाजिक यौन-संबंधी अथवा शारीरिक समस्याएँ तो झेलनी ही पड़ती हैं। उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचती है तथा उनका स्वयं पर विश्वास भी कम हो जाता है। यौन – उत्पीड़न के शिकार बच्चों में अवसाद, भय, अनिद्रा, बुरे सपने, चिडचिडापन, अचानक गुस्सा होना तथा सदमे की प्रतिक्रियाएं दिखाई पड़ती हैं। वे अन्य लोगों पर विश्वास करना छोड़ देते हैं। परिवार के ही किसी सदस्य द्वारा किए गए यौन-उत्पीड़न अथवा कौटुम्बिक व्यभिचार के परिणामस्वरूप बच्चे को और भी अधिक गंभीर तथा दीर्धकालिक मनोवैज्ञानिक आघात लग सकता है।
बच्चे के यौन – उत्पीड़न का बाल- पीड़ित पर न केवल हानिकारक एवं दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है बल्कि यह परिवारों, समुदायों तथा बड़े पैमाने पर समाज को भी प्रभावित करता है। किसी अन्य अनियंत्रित अपराध की ही भांति, घर के भीतर अथवा बाहर, बच्चों का यौन – उत्पीड़न एक गहन चिंता का विषय है तथा यह समग्र रूप से समाज के ताने – बाने को प्रभावित कता है।
छतीसगढ़ के सरगुजा जिले में एक गाँव में, अनुसूचित जनजाति परिवार की एक दस वर्षीय बालिका रीता (नाम परिवर्तित) के साथ उसके गाँव के किसी गैर – अनुसूचित जनजाति के पुरूष ने बलात्कार किया। इस घटना के उपरांत, पाँचवी कक्षा में पढ़ने वाली रीता, जो अपने विद्यालय की एक मेधावी छात्रा थी, को उसके परिवार द्वारा विद्यालय से निकाल दिया गया। वह अपने ही परिवार द्वारा तथा गाँव के अन्य लोगों के उपहास का पात्र बन गई तथा उसे ताने दिए जाने लगे। उसके परिवार जनों ने यह कहते हुए उसके त्याग कर दिया कि रीता ने अपने लिए पुरूष ढूंढ लिया है, अत: उनकी उसके प्रति अब कोई जिम्मेदारी नहीं। समुदाय के अन्य बच्चों और लोगों ने उसका नाम उस अभियुक्त के साथ जोड़ते हुए उसे चिढ़ाना शुरू कर दिया। रीता अपनी पढाई को आगे जारी रखना चाहती थी परंतु उसके पास उसके परिवार अथवा समुदाय की ओर से कोई सहारा नहीं था।
शालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक एक छात्र-शिक्षक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बताया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटनाएं सख्त वर्जित एवं अक्षम्य व दंडनीय अपराध है।
बाल-सभा व पी.टी.ए. की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की सख्ती को समझाएं। इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना चाहिए है। छात्र छात्राओं को गुड टच एंड बेड टच के बारे में बताया जाए।।
शाला स्तर पर एक छात्र सुरक्षा समिति एवं व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक, छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर भी अंकित हो।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 (पास्को एक्ट ) में केंद्र सरकार ने कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित करते हुए उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।
बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी को गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी,ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
विद्यालयों में छात्रों को आत्मरक्षा के बारे में भी सचेत करते रहना चाहिए। प्रारमबिक कक्षाओं में ही उन्हें अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में समझाया जाना चाहिए। समय समय पर कांउसलर के दवारा बच्चों के साथ भेंटवार्ता करते रहना चाहिए। बाल शोषण के बारे में सभी को जानकारी होनी चाहिए व विद्यालयों में पोकसो अधिनियम के तहत बाल सुरक्षा का प्रबंध सुनिश्चित किया जाना चाहिए। अभभावकों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए। अध्यापकों को अपनी कक्षाओं में बच्चों के बदलते व्यवहार को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। बस चालकों, परिचालकों व अन्य सहायक कर्मियों को भी दिशा निर्देश देते रहना चाहिए।
ReplyDeleteबाल लेंगिक शोषण में पॉस्को एक्ट 2012 की छात्र छात्राओं को जानकारी देकर और भयमुक्त वातावरण बनाकर छात्र छात्राओं की निगरानी करके तथा सुचना पेटी लगाकर जो बात छात्र छात्रा सीधे नही कह सकते वह सुचना पेटी में शिकायत डाल कर कह सकते है।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमका बहुत ही महत्वपूर्ण है। स्कूलों में सुरक्षित और सुरक्षात्मक वातावरण निर्मित करना बहुत ही जरूरी हैं।क्योंकि बच्चा अधिकांश समय स्कूल में विताता हैं। और शिक्षको पर भरोसा करता है।शिक्षको को संकेतो और लक्षणों कि पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण हैं। यदि शिक्षक को लगता हैं । कि बच्चा कुछ बात साझा करना चाहता हैं। लेकिन वह बता नहीं पा रहा हैं। तो ऐसी परिस्थिति में बच्चे में साहस और आत्मविश्वास का निर्माण करना होगा। जिससे वह अपने साथ हुए दुरवेहार का खुलासा कर सके। हम स्कूलों मै सुझाव/शिकायत पेटी भी रख सकते हैं। ताकि बच्चा घटना के बारे में बोलने में संकोच करता हो। तो उसमे लिखकर डाल सके।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न में स्कूल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।हमे अपने बच्चो को जागरूक करके हम उन्हे उत्पीड़न से बचा सकते हैं।
ReplyDeleteस्कूल में बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार होना चाहिए साथ ही आसपास के परिवेश में उसकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखना चाहिए एवं स्कूल प्रबंधन को इस जवाबदारी को पूर्णता निभाना होगा
ReplyDeleteबाल लैंगिक समस्या का समाधान हेतु बच्चो को अवगत कराना होगा कि कभी कोई भी आपको अकेले में अनजान व्यक्ति मिले तो उससे सावधान रहना , उससे अकेले में न मिले , क्या ओ आपको किसी अंग को टच कर रहा है या कोई लोभ से रहा है कि ये रुपया रख और अकेले में मेरे साथ चल आदि बातो से अवगत करा देने से बच्चा समस्या से बच सकता है।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति चॉकलेट या अन्य कोई खाने की चीज दे तो उसे नहीं लेना चाहिए |
ReplyDeleteGMS CHAKGUNDHARA MORARRURAL Gwalior
ReplyDeleteस्कूलों में बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....।
बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल यौन शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों के बीच गुड टच एंड बेड टच गतिविधि द्वारा समझाएं।
स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।
बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी को गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो सकता है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी,ताकि हमारे आसपास रह रहे भूखे भेड़िए के हाथ एक और बचपन शिकार ना होने पाए।
School mein main bal utpidan rokane ke liye sabhi bacchon ko good touch and bad touch ki class Di je jismein sabhi chhatra chhatra AVN shikshak purn roop se sewagatha Karen chhatron ko Bosco act ke bare mein bhi samay samay per jankari de jaani chahie jisse vah Apne adhikaron ke prati jagran hun school ki deewar per II 10 98 likha Jana chahie taki bacche apni shikayat number unka darj kar sakte hain AVN bacchon se a is Tarah vishwas hasil karna chahie ki vah apni samasyaen bheja Apne shikshak se kaise karen.
ReplyDeleteबच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteइस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं:-
ReplyDeleteसुरक्षित वातावरण निर्माण करना ताकि बच्चा अपने साथ अगर किसी प्रकार का दूर दुर्व्यवहार हो तो बेझिझक बता सकें बनाना|
विद्यालय में शिकायत या सुझाव पेटी भी रख सकते हैं इससे अगर बच्चा घटना के बारे में बताने में हिचकिचाहट महसूस करता है तो वह अपनी शिकायत लिखकर पेटी में डाल सकता है|
हम विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण के मुद्दों पर खुली चर्चा कर सकते हैं इससे बच्चे में जागरुकता आएगी|
विद्यालय में बाल संरक्षण नीति होना चाहिए और बाल संरक्षण नीति को कड़ाई से लागू भी करना चाहिए जैसे- कराटे ,आत्मरक्षा -प्रशिक्षण देना चाहिए| जिससे दुर्व्यवहार कि घटना के समय वह अपना बचाव कर सके |
बाल यौन शोषण पर नुक्कड़ नाटक, पोस्टर- प्रतियोगिता ,जागरूकता रैली आदि का आयोजन करते रहना चाहिए|
साथ ही शिक्षक न केवल बच्चों को अपनी सुरक्षा के उपाय बताएं बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए जो कानून ,पुलिस ,रिपोर्ट आदि है उनके बारे में भी मैं जागरूक करें है |
रानी पटेल प्राथमिक शिक्षक
बाल लैंगिक उत्पीड़न में स्कूल बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है, बच्चों को जागरूक करके हम उन्हें उत्पीड़न से बचा सकते है।
ReplyDeleteबच्चो को यौन शोषण अपराध को रोकने के लिए जागरूकता संबंधी विडियो देखाई जाएंगे
ReplyDeleteऔर पास्को एक्ट की चर्चा भी की जायगे।
बाल लैंगिक उत्पीडन में स्कूल बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं हमें अपने बच्चों को जागरूक करके हम उन्हें उत्पीडन से बचा सकते हैं बच्चों को गुड़ की बैंड की बताना चाहिए तथा माता और पिता दोनों को भी जिम्मेदार होते हैं
ReplyDeleteबच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteइस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है
बाल लैंगिक समस्या का समाधान हेतु बच्चो को अवगत कराना होगा कि कभी कोई भी आपको अकेले में अनजान व्यक्ति मिले तो उससे सावधान रहना , उससे अकेले में न मिले , क्या ओ आपको किसी अंग को टच कर रहा है या कोई लोभ से रहा है कि ये रुपया रख और अकेले में मेरे साथ चल आदि बातो से अवगत करा देने से बच्चा समस्या से बच सकता है।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं
ReplyDeleteछात्र छात्राओं को जानकारी देकर और भयमुक्त वातावरण बनाकर छात्र छात्राओं की निगरानी करके तथा सुचना पेटी लगाकर जो बात छात्र छात्रा सीधे नही कह सकते वह सुचना पेटी में शिकायत डाल कर कह सकते है।
ReplyDeleteTulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal.
ReplyDeleteशालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि छात्र छात्राओं को जानकारी देकर और भयमुक्त वातावरण बनाकर छात्र छात्राओं की निगरानी करके तथा सुचना पेटी लगाकर जो बात छात्र छात्रा सीधे नही कह सकते वह सुचना पेटी में शिकायत डाल कर कह सकते है। छात्र छात्राओ को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।बाल उत्पीडन की रोकथाम के लिये शाला प्रबंधन की बैठक में यह प्रस्ताव लाया जाय कि सभी पालक अपने बच्चों को बाल उत्पीड़न के बारे में समझाये
ReplyDeleteशाला के शिक्षक भी इसके बारे में सभी बच्चों को समझाया जाय
शाला में इसके संबंध में बाल उत्पीड़न विशेषज्ञ को बुलाकर उनका मार्गदर्शन भी लिया जा सकता है
बच्चों से इस विषय पर बातचीत करनी चाहिए उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में विस्तार से बताना चाहिए उनके माता-पिता को भी इस बारे में शिक्षित करना चाहिए एवं वह भी बच्चों को इस बारे में बताएं शाला के आसपास असामाजिक तत्व इकट्ठे ना हो साला समय के बाद भी शाला प्रभारी इस ओर निरंतर ध्यान दे शाला का वातावरण सुरक्षित है ध्यान दें
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम हेतु स्कूल मैं बच्चों को बाल लैंगिक अपराध के बारे में जागरूक करें बच्चों को विश्वास में ले जिससे बच्चे आपके पास आकर बताने का साहस करें बच्चे की भावना को स्वीकार करें जैसे क्रोध लज्जा भाई उदासी आदि बच्चे को बताएं कि उसकी कोई गलती नहीं है सभी उसके साथ हैं बच्चे से कोई अनर्गल सवाल ना पूछना चाहिए उन्हें दोष नहीं देना चाहिए बच्चों को माफ करने या भूलने समायोजित करने के लिए नहीं कहना चाहिए यदि उनके साथ कोई बाल लैंगिक उत्पीड़न हुआ है तो रिपोर्टिंग करना अनिवार्य है पूछने के लिए उन्हें सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराना चाहिए शिकायत पेटी स्कूल में लगी होनी चाहिए बच्चों को चाइल्डलाइन नंबर 1098 की जानकारी होनी चाहिए ऑनलाइन सुरक्षा और असुरक्षित स्पर्श गुड टच बैड टच की जानकारी से बच्चों को जागरूक करना चाहिए स्कूल के स्टाफ सहित आसपास की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए इन सब बातों से स्कूल में बाल लैंगिक अपराध को रोका जा सकता है
ReplyDeleteबच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteइस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
Bal lengik smasya ke samadha hetu bachcho ko avagat krana hoga ki kabhi koi bhi apko akele me anjaan ya parchit person mile to usse savdhan rahe or kisi prakar ki lalach de to Svikar na kare
ReplyDeleteछात्रों को इस संबंध में जागरूक कर के,भयमुक्त एवं सुरक्षित वातावरण देकर।
ReplyDeleteबच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteइस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बाल लैंगिक अपराध को रोकने में शिक्षक और विद्यालय की अहम भूमिका होती है बच्चों को शिक्षक के द्वारा good touch and bad touch के बारे में बताया जाए और उन्हें पॉक्सो अधिनियम की जानकारी दी जाए
ReplyDeleteबाल लैंगिक अपराध रोकने मे स्कूल अहम योगदान कर सकता है।बालक घर के बाद शिछक पर विश्वास करता है।शिक्षक बच्चो को जागरूक कर गुड टच ,बेड टच के बारे मे कर सकता है।
ReplyDeleteबाल लैंगिक अपराध रोकने मे स्कूल अहम योगदान कर सकता है।बालक घर के बाद शिछक पर विश्वास करता है।शिक्षक बच्चो को जागरूक कर गुड टच ,बेड टच के बारे मे कर सकता है।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे । शिक्षक स्कूल समय में आधे अवकाश या पढ़ाई के अलावा के समय में विशेष चौकसी बरतें।
ReplyDeleteबाल लैंगिक अपराध को रोकने में शिक्षक और विद्यालय की अहम भूमिका होती है ।बच्चों को शिक्षक द्वारा गुड टच तथा बैड टच के बारे में बताया जाए तथा उन्हें पाक्सो अधिनियम की जानकारी भी देना चाहिए।
ReplyDeleteBal apradh rokne me shikshako ka vishesh yodan rahat hai. Isliye is mudde par gambhirta se chhatron se chrcha karni chahiye. Unhe batana chahiye ki koi anjan bykti aapka koi bhi gupt ang tuch karta, ya chhuta hai ya chhed chhad karta, ya kanhi akele me bulata hai to apne shikshko ya apne palkon ko batany.
ReplyDeleteK.c.kushwaha
P/a BamhanGaon khurd
Hoshngabad m.p
बच्चे के हाव भाव को जानकर तथा उसके स्वभाव को जानकर उसके साथ होने वाले बाल लैंगिक शोषण का पता लगा सकते हैं जैसे नियमित आने वाला बच्चा आज अधिकांश अनुपस्थित रहता है वह डरा हुआ रहता है वह चिड़चिड़ा रहता है वह एकांत में रहना पसंद करता है वह विषम लिंग के साथ रहना पसंद करता है उसका स्वभाव आक्रामक हो जाता है उसका पढ़ाई में मन नहीं लगता आदि बातों की पहचान करके बच्चे के साथ इन विषयों पर बात करके उसके साथ सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करके उसके साथ होने वाले दूर व्यवहार का पता लगाया जा सकता है तथा साथ ही इसकी रिपोर्टिंग पुलिस को चाइल्डलाइन टीम को तथा सक्षम प्राधिकारी को रिपोर्टिंग की जा सकती है साथ ही बच्चे की गोपनीयता को बनाए रखते हुए और उसकी हर संभव मदद की जानी चाहिए उसके साथ सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चा बिना डरे सब कुछ बता सके तथा साथ ही शिक्षक को भी इस मामले में सतर्कता रखनी चाहिए ताकि इस तरह के प्रकरण स्कूल में ना हो सके।। राजेश कुमार जांगिड़, ढोटी स्कूल , जिला -श्योपुर,मध्य प्रदेश।।
ReplyDeleteहमें बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।
ReplyDeleteबाल लैंगिक अपराधों की रोकथाम हेतु स्कूलों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि विद्यार्थियों का दिनभर का एक बड़ा हिस्सा स्कूल में व्यतीत होता हैं और ऐसे में शिक्षकों को बच्चों को बेड टच और गुड टच के बारे में और समय-समय पर बच्चों और उनके अभिभावकों की काउंसलिंग करना चाहिए और बच्चों से मित्रवत व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चा आपसे खुल कर अपनी भावनाएं बता सकें
ReplyDeleteअगर कोई बच्चे के साथ कोई ग़लत बात हुई है और शिक्षक को बता रहा है तो उसको ध्यान से सुनना एवं उस पर कार्यवाही करना ।बच्चों को गुड टच एवं बेड टच के बारे में जानकारी बताना । आत्म रक्षा हेतु प्रशिक्षण आयजित करना, विद्यालय, की भूमिका हो सकती है ।
ReplyDeleteबच्चों को जीवन सुरक्षा एवं समग्रः विकास
ReplyDeleteके लिए सशकत् एवं अधिकारों के प्रति जागरूक बनाना।
शाला में बच्चो को योन शोषण को लेकर विभिन्न माध्यमों से जाग्रत करना , उनमें आत्म विश्वास बनाये रखना , बच्चों की हर गतिविधि का अवलोकन करना , बाहरी व असामाजिक तत्वों की शाला के आस पास की गतिविधियों पर पैनी नजर रखना ।बच्चों के पारिवारिक वातावरण की जानकारी भी बच्चों से समय समय पर लेना आदि ।
बच्चों के साथ इस विषय पर गम्भीरता पूर्वक बात करें।उन्हें इस संबंध मे जागरूक करते हुए बताए ।कि यदि कोई भी आपको स्पर्श करता है,अंगों को हाथ लगाता है,तो उसका विरोध करें। अपने शिक्षक,माता पिता को तुरंत इस संबंध मे बताए।शिक्षकों को समय समय पर बच्चों को ये बातें बताना आवश्यक है कि किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ कहीं न जाए कोई प्रलोभन मे न आए।कोई वस्तुएं उपहार उनसें न ले।विद्यालय मे कार्यशाला आयोजित कर यौन शोषण से संबंधित जानकारी बच्चों को दी जानी चाहिए।
ReplyDeleteBal laingik apradh ko rokne me school and Teachers ki aham bhumika hoti hai. School me bachchon ko bal laingik apradh ke bare me aur good tuch and bad tuch ke bare me jankari dene chahiye.(DBSINGH)
ReplyDeleteSchool me good touch ,bad touch ki karya shala ka aayojan karke .
ReplyDeleteSchool dwara Bal laingik utpidan ki Rock than hetu bacchon mein jagrukta utpann kar unhen is vishay per par day batayen samjhaye.
ReplyDeleteबाल लैंगिक अपराधों की रोकथाम हेतु स्कूलों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण हैं क्योंकि विद्यार्थियों का दिनभर का एक बड़ा हिस्सा स्कूल में व्यतीत होता हैं और ऐसे में शिक्षकों को बच्चों को बेड टच और गुड टच के बारे में और समय-समय पर बच्चों और उनके अभिभावकों की काउंसलिंग करना चाहिए और बच्चों से मित्रवत व्यवहार करना चाहिए ताकि बच्चा आपसे खुल कर अपनी भावनाएं बता सकें|
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका वहुत ही महत्वपूर्ण है स्कूलों में सुरक्षित और सुरक्षात्मक वातावरण निर्मित करना बहुत ही जरूरी है,क्यो कि बच्चा अधिकांश समय स्कूल में बिताता है और शिक्षकों पर भरोसा करता है।शिक्षकों को संकेतो और लक्षणों की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है,यदि शिक्षक को लगता है कि बच्चा कुछ साझा करना चाहता है लेकिन वह बता नही पा रहा है तो ऐसी परिस्थिति में बच्चे में साहस और आत्मविश्वास का निर्माण करना होगा जिससे वह अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का खुलासा कर सके।हम स्कूलों में सुझाव/शिकायत पेटी भी रख सकते है ताकि बच्चा घटना के बारे में बोलने में संकोच करता हो तो उसमें लिखकर डाल सके।
ReplyDeleteशिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में न आएं
ReplyDeleteबच्चे अपने शिक्षक पर अपने अविभावकों से भी ज्यादा भरोसा करते हैं। उनका अपने शिक्षकों से भावनात्मक लगाव होता है, अतः शिक्षकों की स्वाभाविक जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने छात्रों और उनके अविभावकों को समय समय पर जागरूक करते रहें, छात्रों को उदास या अन्य कोइ विशेष परिवर्तन देखें तो उससे प्रेम पूर्वक बात करें।इस प्रकार हम छात्रों का लैंगिक एवं अन्य शोषण रोक सकते हैं।
ReplyDeleteपाक्सो 2012नियम sala main sabhi chhatron ko Samjha Niyam ke bare mein Sabhi staff AVN chhatron ko Jankari Den tabhi Bal Yon shoshan ko roka Ja sakta hai
ReplyDeleteनबालक बालिका पूर्ण मनोयोग से अपने आप को सुरक्षित मानते हुए स्कूल में जाता है मगर कभी-कभी वह स्कूल में भी और जगहों में वह शरारती लोगों या अपरिचित लोगों के संपर्क में आ जाता है और वह छोटे-मोटे लालच से बाहर शोषण रूपी दरवाजे में फस जाता है वह उनके द्वारा किए गए गुड टच और बैड टच के अपराध से शोषण सूचित हो जाता है चाइल्ड हेल्पलाइन लाइन 1098 बच्चों को देखभाल और सुरक्षित के लिए 24 घंटा सेवा करती रहती है इससे पूरे भारतवर्ष के 30 लाख बच्चे संपर्क में हैं चाइल्डलाइन इंडिया फाउंडेशन महिला एवं बाल विकास मंत्रालय नोडल एजेंसी है बच्चा अधिकांश स्कूल में जाता है इसलिए स्कूल में हिंसा का सामना करने के लिए विशेष रूप से लैंगिक दुर्वाह्वर किसी भी रूप में पता लगाने बच्चों द्वारा कही गई बातों को गंभीरता से सुनने और उन्हें गंभीरता से कार्य रूप में करना होता है बच्चा खाने संबंधित खाने संबंधित वस्तु देखकर विश्वास लेकर बच्चे का शोषण होता है या प्रकृति 1 दिन में नहीं होती है रहती है समझ नहीं पाता है और वह इस शोषण में फंस जाता है
ReplyDeleteयदि संस्था प्रमुख , शिक्षक और माता पिता ,अभिभावक स्वयं अपने छात्रों/ छात्राओं से good और bad touch के बारे में तथा लैंगिक उत्पीड़न के act के विषय मे जाने और समय समय पर बच्चों से वीडियो दिखा चर्चा करे तो बहुत हद तक लैंगिक उत्पीड़न से बचाया जा सकता है।
ReplyDeleteRatnesh sahu
ReplyDeleteबच्चा घर के अलावा सबसे ज्यादा समय स्कूल में बीतता है और वह अपने टीचर्स पर सबसे ज्यादा भरोसा करता है तो एक टीचर का दायित्व है कि वह बच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में बताए और कहे की अगर आपके साथ कोई ऐसा करे तो अपने टीचर्स को या माता पिता को इसके बारे में जानकारी देयदि संस्था प्रमुख , शिक्षक और माता पिता ,अभिभावक स्वयं अपने छात्रों/ छात्राओं से good और bad touch के बारे में तथा लैंगिक उत्पीड़न के act के विषय मे जाने और समय समय पर बच्चों से वीडियो दिखा चर्चा करे तो बहुत हद तक लैंगिक उत्पीड़न से बचाया जा सकता है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल कैसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं?
ReplyDeleteउपरोक्त संदर्भ में बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका ही सर्वाधिक महत्वपूर्ण हो सकती है ,क्योंकि बच्चे शिक्षक पर सर्वाधिक भरोसा करते हैं और उन्हें अपना परामर्शदाता ,मित्र ,सहायक और आदर्श मानते हैं ।स्कूल प्रबंधन का यह कर्तव्य है कि वह पाक्सो एक्ट सहित सभी प्रावधानों की जानकारी अद्यतन करते रहे । कुछ बातें प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष में विद्यार्थियों को बताते रहे उन्हें भरोसा दिलायें कि वे जानकारी को गोपनीय रखेंगे और हर तरह से मदद करेंगे ।स्कूलों के द्वारा बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए जरूरी है कि इस विषय पर प्रधानाध्यापक सभी छात्रों-शिक्षकों के साथ एक वर्कशॉप कराएं जिनमें बच्चों को उनकी निजी सुरक्षा और उससे जुड़े उपायों के बारे में बतलाया जाए। स्कूलों में स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए कि ऐसी घटना होने की स्थिति में उससे कैसे निपटा जाएगा....।
बाल-सभा एवं पीटीए की मीटिंग में बाल शोषण संबंधी कानून की कठोरता को समझाएं, इस विषय पर सभी के विचार आमंत्रित कर जागरूकता लाना संभव है। छात्रों को गुड टच एंड बेड टच समझाएं।
स्कूल स्तर पर छात्र सुरक्षा समिति व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण करें जिसमें छात्र,शिक्षक,प्रधानाध्यापक,छात्रों के अभिभावक एवं पुलिस कर्मचारी पूर्ण सक्रियता एवं तत्परता से सम्मिलित हो। शाला की दीवारों पर इन सभी के फोन नंबर अंकित हो।
लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम-2012 जिसे पास्को कहा गया है। हाल ही में केंद्र सरकार ने बाल यौन शोषण संबंधी कानून को कठोर बनाते हुए बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 को अधिसूचित किया है। इसमें किए गए नए संशोधनों के तहत बाल उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों को अधिक कठोर बनाया गया है।
बाल पोर्नोग्राफी और स्कूली छात्रों के यौन शोषण का स्वरूप बदल रहा है और यह हम सभी के लिए गहरी चिंता का विषय है। क्योंकि तकनीक का गलत इस्तेमाल हो रहा है। अतः स्कूली छात्र छात्राओं पर शिक्षकों को आज सीसीटीवी कैमरे से एक कदम आगे बढ़कर अपनी नजर चौकसी बनाए रखनी होगी। छात्रों को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
धन्यवाद !!!!!!
दिलीप सिंह ठाकुर, शिक्षक, शासकीय एकीकृत शाला, घाना, घुन्सौर, जबलपुर के अनुसार शिक्षकों के साथ बच्चों का अधिक समय स्कूल में व्यतीत होता है। बच्चे की हर गतिविधि पर शिक्षक की नजर होती है।बच्चे की बदली हुई हरकतें शिक्षक की नजर भांप लेती हैँ इसलिये बच्चों के भविष्य और उनकी गतिविधियों पर माता पिता के साथ साथ शिक्षकों की नजर भी बहुत महत्पूर्ण होती है.... दिलीप सिंह ठाकुर, जबलपुर
ReplyDeleteशालाओं में बाल लैंगिक उत्पीड़न कि रोकथाम हेतु जरूरी है कि छात्र छात्राओं को जानकारी देकर और भयमुक्त वातावरण बनाकर छात्र छात्राओं की निगरानी करके तथा सुचना पेटी लगाकर जो बात छात्र छात्रा सीधे नही कह सकते वह सुचना पेटी में शिकायत डाल कर कह सकते है। छात्र छात्राओ को आत्मरक्षा प्रशिक्षण देना भी से बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम की दिशा में अच्छा कदम हो सकता है।
ReplyDeleteलोकेश विश्वकर्मा, भूमका टोला, हर्रई छिंदवाड़ा
ReplyDeleteबच्चे के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करना चाहिए तथा विद्यालय स्तर पर इस विषय पर कार्यशाला आयोजित करना चाहिए । जिससे उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में जानकारी हो पाएगी।
बाल उत्पीडन की रोकथाम के लिये शाला प्रबंधन की बैठक में यह प्रस्ताव लाया जाय कि सभी पालक अपने बच्चों को बाल उत्पीड़न के बारे में समझाये
ReplyDeleteशाला के शिक्षक भी इसके बारे में सभी बच्चों को समझाया जाय
शाला में इसके संबंध में बाल उत्पीड़न विशेषज्ञ को बुलाकर उनका मार्गदर्शन भी लिया जा सकता है
बाल शोषण की रोकथाम के लिए एक शिक्षक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।वह बच्चों को अप्रत्यक्ष रूप से इस बारे में (शिक्षक/शिक्षिका छात्रों में शोषण के विषय मे जागृत कर उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहारों के बारे में उन्हें सजगता,जागरूकता,तथा बचाव के उपयोग कदम बताने में अपनी महत्त्व पूर्ण
ReplyDeleteभूमिका निभा सकता है।
मुकेश कुमार सक्सेना
उ,प्रा,शाला मण्डावर नरसिंहगढ
जिला राजगढ़,म,प्र,
मोहम्मद अजीम सहायक अध्यापक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रैगांव जिला सतना
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्य है बच्चों को गुड टच और बैड टच के बारे में बहुत अच्छी तरीके से समझाया जाए।
इसके लिए उन्हें आमिर खान द्वारा प्रसारित सत्यमेव जयते का एपिसोड दिखाया जा सकता है जिसमें बहुत अच्छी तरीके से इसके बारे में बताया गया था इसके अलावा बच्चों को स्कूल में किसी एक शिक्षक से बात करने में अपनापन लगना चाहिए जिससे वह अपनी समस्याएं उसे आसानी से बता सकें।
Janki thakur
ReplyDeleteबाल शोषण की रोकथाम के लिए एक शिक्षक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।वह बच्चों को अप्रत्यक्ष रूप से इस बारे में (शिक्षक/शिक्षिका छात्रों में शोषण के विषय मे जागृत कर उनके साथ होने वाले दुर्व्यवहारों के बारे में उन्हें सजगता,जागरूकता,तथा बचाव के उपयोग कदम बताने में अपनी महत्त्व पूर्ण
भूमिका निभा सकता है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम मैं स्कूल प्रबंधन की जागरूकता नीति नियम एवं कठोर कानून के प्रति प्रतिदिन 1 period संदेश देना रोजाना सफलतापूर्वक प्रार्थना करवाना आदि एवं नियमों का पालन करना कहावत के तौर पर जैसे आपके सामने अगर घी का बर्तन रखेंगे तो पिघल लेगा ही जिस प्रकार कोविड-19 के नियम में देखा गया कि उत्पीड़न के मामले 0% तक रह गए थे शिक्षा नीति में परिवर्तन कर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना चाहिए क्योंकि यह भी एक संक्रमित बीमारी की तरह है थैंक यू जय प्रकाश पवार प्राथमिक शिक्षक डांडिया डाइस कोड 2333 040 9301 तहसील नसरुल्लागंज जिला सीहोर मध्य प्रदेश
ReplyDeleteस्कूल में बच्चों को अच्छे और बुरे टेस्ट के बारे में जानकारी देना उनके साथ मैत्रीपूर्ण वातावरण का माहौल निर्मित कर अपनी भावनाओं जिज्ञासाओं भय किसी परिचित या परिचित व्यक्ति से अपेक्षित व्यवहार का ना होना और मूल्यों पर बातचीत करके एवं स्वस्थ वातावरण में बच्चों के शारीरिक बदलाव एवं यूं संबंधित सामान्य जानकारियों से अवगत करा कर व्यस्त व्यस्त होते हुए बच्चों को समझाएं देते हुए स्वस्थ वातावरण का निर्माण कर सकते हैं
ReplyDeleteGiving information about good and bad tests to children in school by creating an environment of friendly atmosphere with them, their feelings, curiosities, fear of non-expected behavior from an acquaintance or acquaintance and by negotiating values and physical changes of children in a healthy environment and You can create a healthy environment by explaining to the children while busy, by making them aware of the general information related to it.
ReplyDeleteसर्वप्रथम शिक्षकों को सदाचारी बनना पडेगा ।क्योंकि कुछ मामले इस प्रकार के आ चुके हैं जहाँ यौन शोषण में शिक्षक ही
ReplyDeleteशामिल रहे हैं ।शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को गुड और बेड टच के बारे में जागरूक करें ।
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावना तो ग्रुप से जुड़ा रहता है पूर्व में ना इसलिए शिक्षक को यौन शोषण अच्छा टच बुरा टच के बारे में समझाना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति इस प्रकार का व्यवहार करता है तो वह अपने शिक्षकों को वह अपने बालकों को अवगत कराएं ।
ReplyDeleteएक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है ।इसलिए शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस टॉपिक पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए ओर कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चो को अच्छे बुरे बर्ताव के बारे में समझाईस देना उनसे समय समय और दोस्त की तरह व्यवहार करना
ReplyDeleteतोकराम धुर्वे प्राथमिक शाला लखनपुरा / बाल लैन्गीक समस्या समाधान हेतु बच्चों को अवगत कराना होगा । कि कोई भी आपको अकेले में अंजान व्यक्ति मिले तो उससे सावधान रहना उससे अकेले न मिले । माता-पिता को इसके बारे मे जानकारी दे ।
ReplyDeleteबच्चो को गुड और बेड टच के बारे में समझाइश दी जानी चाहिए जिससे छात्र ऐ सा होने पर अपना विरोध दर्ज कर सके
ReplyDeleteसुनिल सिसोदिया प्राथमिक शिक्षक
ReplyDeleteमुण्डला जेतकरण
विधालय में बच्चेंअधिक समय व्यतीत
करता है।वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रुप से जुडा रहताहै
इसलिए शिक्षक की यह जिम्मेदारी है कि
समय समय पर बच्चों को इस टापिक पर बातचीत कर जागरुक करना चाहिए
और कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए ।बच्चों को किसी भी परिचित व अनजान व्यक्ति के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए।
Bal lengik smasya ke samaDhan hetu bachcho ko avagat karana hoga ki kabhi koi bhi apko akele me anjaan ya parchit person mile to usse savdhan rahne or kisi prakar ka lalch de to svikar na kare.
ReplyDeleteBal lengik smasya ke samaDhan hetu bachcho ko avagat karana hoga ki kabhi koi bhi apko akele me anjaan ya parchit person mile to usse savdhan rahne or kisi prakar ka lalch de to svikar na kare.
ReplyDeleteविद्यालय प्रबंधन समिति के सभी सदस्यों का जागरुक होना आवश्यक है साथ ही पाक्सो अधिनियम की जानकारी सभी विद्यालयीन सदस्यों को होना चाहिए। विद्यालय में बाल संरक्षण समिति का क्रियाशील रूप में होना आवश्यक है। इसके अलावा बच्चों को भी बाल शोषण एवं दुर्व्यवहार के प्रति जागरूक करना चाहिए।
ReplyDeleteBachchon ko istopik par charcha Kar jankari dekar jagruk karna
ReplyDeleteबच्चा स्कूल में 6-7 घंटे का समय गुजरता हैं और बच्चो से शिक्षक रू बू रु रहता हैं शिक्षक को चाहिए की बच्चो की गतिविधि पर नजर रखे तथा एक दोस्तों के समान व्यौहार करे जिससे बच्चें शिक्षक के साथ अपनी हर समस्या बता सके यदि बच्चें के किसी भी प्रकार की यौन शौषण सम्बन्धी
ReplyDeleteदिक्कत हो या कोई आपके शरीर को छूता हैं तो तुरंत शिक्षक या माता पिता से बताये जिससे पॉक्सो एक्ट के तहत कार्यवाही हो सके और ये भी बच्चो तथा अभिभावकों को मीटिंग एवं कक्षा में जानकारी की पॉक्सो अधिनियम क्या हैं इसके क्या
फायदे और कितनी सुरक्षा हैं फिर भी शिक्षकों स्वंम आत्मरक्षा की की प्रेरित करना चाहिए जिससे स्यंम की आत्मरक्षा कर सके |साथ ही पॉक्सो एक्ट की प्रक्रिया के एफ आर आई करके उस दुराचारी को कम से कम 20 साल या फांसी की सजा का प्रावधान हैं आपका कोई लैंगिक यौन शौषण करता हैं तो तुरंत शिक्षक बताये जिससे आपको न्याय मिल सके और दुबारा भविष्य यौन शौषण न हो ||
राधेश्याम लोधी प्राथमिक शिक्षक
प्राथमिक शाला बंडोल
विकास खंड गोटेगांव
जिला नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है ।इसलिए शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस टॉपिक पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए ओर कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को समय समय पर इस विषय में बात करके उसे जागरूक करके स्कूल स्तर पर जूडो karte प्रशिक्षण देकर सीसीटीवी केमरे से लगवाकर इसे रोका जा सकता है
ReplyDeleteविद्यालय में बाल लैंगिक उत्पीड़न को रोकने के लिए विद्यालय को इस विषय में बिल्कुल सतर्कता और सावधानी अपनाना चाहिए तथा बालको को यौन उत्पीड़न के समस्त प्रकार के नियमों एवं सावधानियों का प्रचार प्रसार करना चाहिए गुड टच एवं बैड टच का विस्तृत आशय छात्रों को समझाना चाहिए लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित सभी इन सूचनाओं को साला के प्रांगण में चस्पा कर सूचनाओं का प्रचार प्रसार करना चाहिए इस विषय पर साला में कार्यशाला आयोजित कर विस्तार से छात्रों को समझाइश प्रदान करना चाहिए तथा छात्र-छात्राओं को इस बारे में जागरूक कर उचित ज्ञान निर्धारित समय अनुसार प्रदाय करना चाहिए तथा इस बारे में विस्तृत युद्ध स्तर पर शाला एवं समुदाय में प्रचार प्रसार कर जागरूकता उत्पन्न करना चाहिए तथा सरकार द्वारा बनाए गए नियम पांचो एक्ट सन- 2012 का के लैंगिक उत्पीड़न के लिए निर्धारित नियमों कानूनों एवं सजाओ का विस्तृत परचार प्रसार करना चाहिए जैसे कि संबंधित व्यक्ति को इन कार्यों के प्रति भय उत्पन्न होकर लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम हो सके तथा छात्रों का स्कूल में ठहराव अधिक समय तक होने के कारण लैंगिक उत्पीड़न से संबंधित समस्त प्रकार के आवश्यक कदम स्कूल प्रबंधन एवं शिक्षकों को उठाना चाहिए जिससे कि छात्रों में सुरक्षा की भावना मजबूत हो सके और छात्र निर्भय होकर अपने समय में शालाओं में विद्या अध्ययन कर सके एवं अपने जीवन को भविष्य को उज्जवल बना सके धन्यवाद
ReplyDeleteBal lengik utpidan roktham ke liye bacchon Ko Kisi Anjan vyakti se Sampark na Rakhe bacchon ko bed touch AVN good touch ki jankari Dena Chhatra chhatraon ko alag pankti mein baithana Mata Pita bachchon Ke School Jaane aane ke Samay ka Vishesh Dhyan Rakha Jaaye Samay Samay per Shikshak Palak meeting Ka aayojan Kar palakon ko Jankari den AVN bacchon ke Prati sajag Rahane ko kaha Jaaye
ReplyDeleteबच्चे स्कूल में अपने घर के जैसे ही समय व्यतीत करते हैं हम शिक्षक उनके लिए माता पिता के समान होते हैं हमें उनको जागरूक करना चाहिए ताकि वह गुड टच और बैड टच के विषय में जानकारी रख सके उन्हें बताना चाहिए की कोई भी व्यक्ति आपको यदि गलत तरीके से स्पर्श करता है तो आप उसकी जानकारी माता-पिता को देंउन्हें आत्मरक्षा के विषय में भी जानकारी देना चाहिए हमें समय-समय पर कार्यशाला आयोजित करनी चाहिए उनके माता-पिता को भी बुलाना चाहिए हमें बच्चों को अनजान व्यक्ति से सावधान रहने के लिए बताना चाहिए यदि घर में भी चाचा मामा भाई या अपने दोस्तों से यदि उसको ऐसा लगे कि वह हमारे साथ कुछ गलत करने की कोशिश करना चाहिए तो तुरंत इसकी जानकारी दे ना डरे अपने माता पिता को देनी चाहिए माता पिता से नहीं तो कम से कम अपने गुरु से कह सके हमें बच्चों को इतने विश्वास दिलाना चाहिए कि हम उसकी हर हाल में रक्षा करेंगे कई जगह बहुत से शिक्षक भी गलत होते हैं इसलिए हमारे विद्यालय में यदि कोई शिक्षक इस प्रकार के कार्य में शामिल है हमें इस की भनक भी है तो हमें उनकी भी शिकायत बाहर करनी चाहिए
ReplyDeleteश्रीमती चंद्रिका गौरव एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा जिला नरसिंहपुर एमपी
बच्चो को गुड और बेड टच के बारे में समझाइश दी जानी चाहिए जिससे छात्र ऐ सा होने पर अपना विरोध दर्ज कर सके
ReplyDeleteबच्चों को स्कूल में भयमुक्त वातावरण प्रदान करना, उन्हें good touch और bad touch की जानकारी देना,समय-समय पर बाल अधिकारों से बच्चों एवं उनके माता-पिता को अवगत कराना और किसी भी प्रकार के अपराध होने की स्थिति में बच्चों को नजरअंदाज ना करना बल्कि सहानुभूति के साथ उनसे संवाद करना चाहिए।और विरोध दर्ज करने में उनकी सहायता करनी चाहिए।
ReplyDeleteBacho ko gud or bad touch ke bare me jabkari deba chahite
ReplyDeleteमाधुरी ठाकुर सहायक शिक्षक शासकीय आदर्श चित्र माध्यमिक कन्या शाला परासिया जिला छिंदवाड़ा स्कूल एक ऐसी जगह है का बच्चा कई घंटे और कई साल बाद आता है शिक्षकों के साथ बच्चा परिवार की बात सबसे अधिक समय व्यतीत करता है और हमारी भूमिका को देखते हुए हमें बच्चों को विभिन्न प्रकार के दुर्व्यवहार शोषण को समझने की कोशिश करना चाहिए इसे कैसे पहचाने samajh wish karna chahie हमें सुरक्षा व्यवस्था भी दुरुस्त रखना चाहिए स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगवाना चाहिए बच्चों को आत्मरक्षा कि प्रशिक्षण की व्यवस्था स्कूलों में होनी चाहिए बच्चों को समझाना चाहिए कि वह अनजान व्यक्तियों से किसी लालच में कि बिना किसी प्रलोभन की उनकी बातों में नहीं आना चाहिए साला में एक महिला शिक्षिका का होना आवश्यक है संस्था प्रमुख द्वारा एक शिक्षिका और एक शिक्षक की लैंगिक उत्पीड़न कमेटी का गठन किया जाना चाहिए प्रार्थना सभा और बाल सभा में युद्ध घोषणा होनी चाहिए कि किसी बच्चे को कोई परेशान कर रहा है तो इसकी सूचना तुरंत कमेटी को दी जाए बच्चों को उनके अधिकारों के संबंध में जागरूक करना चाहिए स्कूल स्तर पर एक सुरक्षा समिति का गठन होना चाहिए समय-समय पर स्कूलों में लैंगिक शोषण से संबंधित जानकारी प्रदान की जानी चाहिए फिल्मों से बच्चों को जागरुक किया जा सकता है
ReplyDeleteनमस्कार...
ReplyDeleteस्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
बच्चे शिक्षक के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं , शिक्षक को समय समय पर विभिन्न चर्चाओं के माध्यम से इस सम्बंध में बच्चों को जागरूक करते रहना चाहिए ।
ReplyDeleteLakhanlal vishwakarma GMSUncha-----बच्चा सबसे अधिक अपना समय स्कूल मैंबिताता हैस्कूल के शिक्षकों को चाहिए कि बच्चे को लैंगिक अपराधों के बारे में जागरूक करें और उन्हें अपराध करने वालों के प्रति सजगता हेतु प्रशिक्षित करें
ReplyDeleteBal langik Apradh ko Rokne Mein Shikshak aur Vidyalay ki Aham Bhumika Hoti Hai bacchon Ko Shikshak dwara good touch aur bad touch ke bare mein bataya Jaaye tatha unhen PACSO adhiniyam ki jankari bhi Dena chahie
ReplyDeleteबच्चे शिक्षक के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं , शिक्षक को समय समय पर विभिन्न चर्चाओं के माध्यम से इस सम्बंध में बच्चों को जागरूक करते रहना चाहिए ।
ReplyDeleteबच्चा अपना अधिकांश समय शाला में शिक्षकों के साथ व्यतित करता है। ऐसे में हमे बच्चों की भावनाओं को समझते हुए उन्हें अच्छे टच बुरे टच साथ ही उन्हें शालाओं में कराटे सिखाकर स्वयं रक्षा एवं वादविवाद जैसी प्रतियोगिता के माध्यम से इसके परिणामों से परिचित कराया जा सकता है।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पिडन विषय पर समय समय पर विद्यालय में कार्य शाला आयोजित करना चाहिए और बच्चों को गुड टच बैड टच बताना चाहिए शाला स्तर पर विभिन्न पोस्टर लगाना चाहिए
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए प्रत्येक शाला मे पाक्सो पेटी हो।गुड टच,बैड टच के बारे मे जागरूक करना।
ReplyDeleteएक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है ।इसलिए शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस टॉपिक पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए ओर कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए।
ReplyDeleteस्कूल में बच्चों को जानकारी देकर कुछ वीडियोस दिखा कर उनको समझा कर ताकि बच्चे समझ सकेंगे क्या गलत है क्या सही है और उनको यह भी विश्वास दिलाना कि जो भी उनके साथ कभी कुछ ऐसा हो तो वह सीधे आकर अपने माता-पिता को शिक्षकों को बताएं
ReplyDeleteSchool mein bacchon ko Jankari dekar Kuchh videos dikha kar unko Samjha kar Taki bacche samajh sake kya galat hai ya sahi hain aur unko yah bhi Vishwas dilana ki jo bhi unke Sath Kuchh aisa hota vah Sidhe Aakar Apne Mata Pita ya FIR Shikshak ko bataen
ReplyDeleteस्कूल में बच्चों को जानकारी देकर कुछ वीडियोस दिखा कर उनको समझा कर कि ताकि बच्चे समझ सके गलत क्या है सही क्या है उनको यह विश्वास दिलाकर कि जो भी उनके साथ कुछ ऐसा हुआ है वह सीधे अपने माता-पिता का शिक्षक को बताएं
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका वहुत ही महत्वपूर्ण है स्कूलों में सुरक्षित और सुरक्षात्मक वातावरण निर्मित करना बहुत ही जरूरी है,क्यो कि बच्चा अधिकांश समय स्कूल में बिताता है और शिक्षकों पर भरोसा करता है।शिक्षकों को संकेतो और लक्षणों की पहचान करना बहुत महत्वपूर्ण है,यदि शिक्षक को लगता है कि बच्चा कुछ साझा करना चाहता है लेकिन वह बता नही पा रहा है तो ऐसी परिस्थिति में बच्चे में साहस और आत्मविश्वास का निर्माण करना होगा जिससे वह अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का खुलासा कर सके।हम स्कूलों में सुझाव/शिकायत पेटी भी रख सकते है ताकि बच्चा घटना के बारे में बोलने में संकोच करता हो तो उसमें लिखकर डाल सके।
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ReplyDeleteबच्चों को अपने अधिकारों के जानकारी नहीं होती बच्चों को क्लास रूम में बच्चों को समझाइश देकर बाल लेने शोषण को रोका जा सकता है
ReplyDeleteबाल लैंगिक समस्या का समाधान करने हेतु बच्चों को good touch, bad touchके बारे में बताना चाहिए ।यदि उसे अनैतिक कार्य करने के लिए दंड या प्रलोभन दिया जा रहा है तो उसके विषय मे जानकारी देना चाहिए। साथ ही ऐसी इस्थिति से कैसे बचा जाए यह बताना चाहिए।
ReplyDeleteबाल लैंगिक समस्या का समाधान के लिए स्कूलों में समय-समय पर पोक्सो अधिनियम के तहत जागरूकता कार्यक्रम करना चाहिए और बच्चों को इन सभी चीजों की जानकारी देना चाहिए और ऐसी समस्या होने पर वह विश्वास ने व्यक्ति को इसकी सूचना दें
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण को अच्छी तरह बच्चों को क्लास रूम में समझा कर रोका जा सकता है और स्कूल में सभी को अलग से पैरंट्स को बुलाकर यह भी शिक्षा दी जाए और बच्चों को भी इसका ज्ञान होना आवश्यक है
ReplyDeletePushpa singh MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station bhopal
ReplyDeleteBachho ko samay-samay par councling karna chahiye.unhe good touch and bad touch ki jankari di Jani chahiye .school ka campus safe hona chahiye.Asamajik tatvo se safety hetu upay kiye jane chahiye.
एक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है ।इसलिए शिक्षकों की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस टॉपिक पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए ओर कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चा घर के बाद यदि सबसे ज्यादा समय स्कूल में ही रहता यदि बच्चे के व्यवहार में कुछ भी परिवर्तन होता दिखाई देता है डरना स्कूल न आना अकेले रहना बात कम करना आदि तो शिक्षक या प्रधानाचार्य उसकी मदद कर सकते हैं या अभिभावक से भी संपर्क कर सकते हैं उसकी ओर अधिक ध्यान देना उसका डर कम करना आदि
ReplyDeleteबच्चों के साथ शिक्षक का दोस्त की तरह व्यवहार होना चाहिए, बच्चों को अच्छा और बुरा छूने के बारे में बताना चाहिए, शिकायत पेटी की बातों का प्रचार किये बिना समाधान होना चाहिए।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीडन की रोकथाम के लिए स्कूल स्तर पर निम्न उपाय किए जा सकते हैं। स्कूल स्तर पर बाल यौन अपराधों की रोकथाम हेतु नीति निर्धारण करना। ऐसा कोई प्रकरण अगर स्कूल स्तर पर उजागर होता है, तो उसे न्यायिक जांच आयोग तक पहुंचाना। बच्चों को गुड़ टच और बैंड टच के बारे में जानकारी देना। पोक्सो एक्ट की जानकारी देना।
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीडन की रोकथाम के लिए स्कूल स्तर पर निम्न उपाय किए जा सकते हैं। स्कूल स्तर पर बाल यौन अपराधों की रोकथाम हेतु नीति निर्धारण करना। ऐसा कोई प्रकरण अगर स्कूल स्तर पर उजागर होता है, तो उसे न्यायिक जांच आयोग तक पहुंचाना। बच्चों को गुड़ टच और बैंड टच के बारे में जानकारी देना। पोक्सो एक्ट की जानकारी देना।
ReplyDeleteयदि संस्था प्रमुख शाला के सभी शिक्षक शिक्षिकाओं एवं माता पिता स्वयं अपने छात्र छात्राओं एवं बच्चों कोgood tach and bad tach के बारे में बताएंगे तो अपराध कम होंगे। एवं बच्चों के साथ कुछ ग़लत हो तो वे खुलकर अपने माता-पिता व शिक्षक शिक्षिकाओं को बताएंगे।
ReplyDeleteबच्चे से बात कर गुड टच और वेड टच के विषय मै बताना चाहिए बच्चे को भयमुक्त वातावरण देना हमारा कर्तव्य है
ReplyDeleteबच्चों से इस विषय पर बातचीत करनी चाहिए उन्हें गुड टच और बैड टच के बारे में विस्तार से बताना चाहिए उनके माता-पिता को भी इस बारे में शिक्षित करना चाहिए एवं वह भी बच्चों को इस बारे में बताएं शाला के आसपास असामाजिक तत्व इकट्ठे ना हो साला समय के बाद भी शाला प्रभारी इस ओर निरंतर ध्यान दे शाला का वातावरण सुरक्षित है ध्यान दें
ReplyDeleteस्कूल में बच्चो के साथ होने वाले अपराध रोकने के लिए समय-समय पर गतिविधियां सामूहिक मीटिंग एसएम सीकी बैठक और अब अफसरों की बैठक कराकर समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए और किसी प्रकार की कोई समस्या आने पर बच्चों से साक्षात्कार करके उनके समस्याओं से संबंधित किसी भी प्रकार के रोगों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए जिससे कोई आगे भविष्य में कोई घटना घटित न होने पाए
ReplyDeleteबच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteइस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बच्चों को गुड टच व बेड टच के बारे मे समझाना चाहिए।अगर कोई ऐसी हरकत करता है तो हमे उसका तुरंत विरोध करना है और अपने दोस्त परिचित शिक्षक को बताना है।संकोच की प्रवति को अपने से हटाना है।इसके कारण ही हम सालो तक बुरी हरकत सहन करते रहते है।किसी को कुछ नहीं बताते जोकि बुरी प्रवति को बढ़ावा देती हैं जो कि गलत है।हमें इस प्रकार की हरकत को नजर अंदाज नही करना है।बताना है।।।विद्याथियों को जागरुक बनाना है।ओर सभी को लडका हो या लडकी सभी को अनुशासन सिखाना चाहिए। जहाँ डर नही सिर्फ बच्चे अपने मन से अनुशासन मे रहे।
Deleteशिक्षक का छात्रों से मित्र तुल्य व्यवहार होना चाहिए। उनको गुड टच और बेड टच की जानकारी देना चाहिए।
ReplyDeleteस्कूल मे बच्चों के साथ माता-पिता को भी जागरुकता मे शामिल कर बैढक के दौरान समझाया जाना चाहिए।
ReplyDeleteOmbati Raghuwanshi. PS.Pali. हमें बच्चे के साथ इस तरह जुड़ना होगा की बच्चा अपनी हर बात हमसे शेयर करे ताकि वो इस तरह की कोई भी बात हमें बेझिजक हमें वता सके
ReplyDeleteबच्चें ज्यादातर समय स्कूल में रहते हैं। शिक्षक को उनसे बातचीत करके अच्छा व गलत हरकत के बारे में विस्तार से समझा सकते हैं। जिससे बच्चों के साथ कोई दुर्व्यवहार न हो सके। और वह अपने माता-पिता व शिक्षक को बता सके।
ReplyDeleteबाल लैंगिक अपराधों को रोकने के लिए बच्चों को जागरूक करना बहुत जरूरी है एवं उन्हें गुड टच और bad touch ke bare mein batana chahie
ReplyDeleteबच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteइस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
दिनेश तमखाने जिला हरदा
ReplyDeleteस्कूलों मे शिक्षक बच्चों को अनुशासन मे रखे बाहरी व्यक्ति को वगेर अनुमति प्रवेश न करने दे, तथा बच्चों से खुलकर बात करें, समस्या का समाधान करें
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं:-
ReplyDeleteसुरक्षित वातावरण निर्माण करना ताकि बच्चा अपने साथ अगर किसी प्रकार का दूर दुर्व्यवहार हो तो बेझिझक बता सकें बनाना|
विद्यालय में शिकायत या सुझाव पेटी भी रख सकते हैं इससे अगर बच्चा घटना के बारे में बताने में हिचकिचाहट महसूस करता है तो वह अपनी शिकायत लिखकर पेटी में डाल सकता है|
हम विद्यालय में बाल लैंगिक शोषण के मुद्दों पर खुली चर्चा कर सकते हैं इससे बच्चे में जागरुकता आएगी|
विद्यालय में बाल संरक्षण नीति होना चाहिए और बाल संरक्षण नीति को कड़ाई से लागू भी करना चाहिए जैसे- कराटे ,आत्मरक्षा -प्रशिक्षण देना चाहिए| जिससे दुर्व्यवहार कि घटना के समय वह अपना बचाव कर सके |
बाल यौन शोषण पर नुक्कड़ नाटक, पोस्टर- प्रतियोगिता ,जागरूकता रैली आदि का आयोजन करते रहना चाहिए|
साथ ही शिक्षक न केवल बच्चों को अपनी सुरक्षा के उपाय बताएं बल्कि उनकी सुरक्षा के लिए जो कानून ,पुलिस ,रिपोर्ट आदि है उनके बारे में भी मैं जागरूक करें है |
स्कूलों में होने वाले अपराधों को रोकने के लिए सही माहौल बच्चों को प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वह अपनी समस्या को शिक्षकों से साझा कर सकें और शिक्षकों को उस पर गंभीरता से विचार कर निर्णय लेना चाहिए
ReplyDeleteआज के समय में
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम करने के लिए विद्यालय कई मोर्चों पर अपनी
महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं?
आज विद्यालयों में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों के समुचित मार्गदर्शन एवं सहयोग से बच्चों को लैंगिक अपराधों के प्रति जागरूक एवं सावधान किया जा रहा है....
बच्चों को बहुत ही दक्षता एवं सूझबूझ के साथ लैंगिक अपराधों के बारे में बताया जा रहा है साथ ही उनसे बचने के लिए विभिन्न उपायों पर भी पूरा जोर दिया जा रहा है
उन्हें हर उस व्यक्ति और परिस्थिति के प्रति जागरूक , सतर्क एवं तैयार किया जा रहा है जो उनके साथ गलत कर सकता है
उन्हें पूरी तरह से आश्वस्त किया जा रहा है कि
अगर उन्हें अपने साथ ज़रा-सा भी कुछ ग़लत महसूस हो तो वो बेहिचक, बिना डरें बिना शर्माएं
अपने शिक्षक/शिक्षिका/माता/पिता/मित्र/सहेली से इस बारे में बात करें..
और ऐसा भी न कर पाएं तो शिकायत पेटिका में लिखकर डाल दें....
और भी अन्य कई तरीकों से आज़ हमारे विद्यालय बाल लैंगिक शोषण रोकने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं...
धन्यवाद..
Bacche ke Achanak vayavar me parivartan ho to mata pita ke saath milkar bat karni chahiye
ReplyDeleteबच्चों का अधिकांश समय विद्यालय में व्यतीत होता है इसलिए बच्चे अपने माता-पिता के अलावा शिक्षकों के सबसे ज्यादा नजदीक होते हैं इसलिए विद्यालय में समय-समय पर काउंसलर ओं को बुलाकर बच्चों के काउंसलिंग की जानी चाहिए एवं उन्हें गुड टच तक तथा बैड टच के बारे में मत लाना चाहिए बच्चों के साथ सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करना चाहिए उनकी बातें ध्यान से सुनना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों का अधिकांश समय विद्यालय में व्यतीत होता है इसलिए बच्चे अपने माता-पिता के अलावा शिक्षकों के सबसे ज्यादा नजदीक होते हैं इसलिए विद्यालय में समय-समय पर काउंसलर ओं को बुलाकर बच्चों के काउंसलिंग की जानी चाहिए एवं उन्हें गुड टच तक तथा बैड टच के बारे में मत लाना चाहिए बच्चों के साथ सहानुभूति पूर्वक व्यवहार करना चाहिए उनकी बातें ध्यान से सुनना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteइस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बच्चों के साथ इस विषय पर गंभीरता से बात करनी चाहिए तथा उन्हें जागरूक करते हुए बताना चाहिए कि अगर कोई भीआपके किसी भी अंग को छूता है तो अपने शिक्षक और अपने माता-पिता को सूचित करें।
ReplyDeleteइस विषय पर समय-समय पर विद्यालय में कार्यशाला आयोजित करना आवश्यक है।
बाल लैंगिक उत्पीड़न की रोकथाम में स्कूल की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है स्कूल में बच्चों को लैंगिक शोषण के बारे में ज्ञान कराया जाना चाहिए इस हेतु प्रशिक्षण एवंशिविरों का आयोजन करके बच्चों को जागरूक करना चाहिए तथा उनसे बचाव की जानकारी एवं तरीके बताना चाहिए ताकि बच्चे सतर्क रहें
ReplyDeleteस्कूल में बच्चों को बाल लैंगिक उत्पीडन के बारे में समझाकर उन्हें सावधान रहने हेतु प्रेरित किया जा सकता है । बच्चों को किसी भी व्यक्ति द्वारा उनके साथ अप्रिय व्यवहार करने पर सख्ती से विरोध करने हेतु उनका मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ाना चाहिए ।
ReplyDeleteसाथ ही बच्चों को बाल यौन अपराध संरक्षण नियम पास्को 2020 के बारे में भी समझाया जाना चाहिए । जिससे उनमें आत्मविश्वास बढे और वे गलत व्यवहार का विरोध करने की हिम्मत कर सकें ।
Bacchon ko acchi Shiksha Naitik Shiksha Di Jaani chahie tatha bacchon ko good touch AVN bad touch se bhi avgat Karana chahie
ReplyDeleteएक बच्चा विद्यालय में बहुत अधिक समय व्यतीत करता है और वह अपने शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है इसलिए शिक्षको की यह जिम्मेदारी है कि समय समय पर बच्चो को इस विषय पर चर्चा कर जागरूक करना चाहिए और कार्यशाला भी आयोजित करना चाहिए
ReplyDeleteकार्यस्थल पर महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013. ये अधिनियम, 9 दिसम्बर, 2013, में प्रभाव में आया था। जैसा कि इसका नाम ही इसके उद्देश्य रोकथाम, निषेध और निवारण को स्पष्ट करता है और उल्लंघन के मामले में, पीड़ित को निवारण प्रदान करने के लिये भी ये कार्य करता है।
ReplyDeleteनाम- लक्ष्मीनारायण छीपा
ReplyDeleteस्कूल - शा.मा.वि.बरकीसरांय भांडेर
बाल लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम के लिए बच्चों को गुड टच एवं बैड टच बताना चाहिए इसके अलावा कक्षा में छात्रों को अलग एवं छात्राओं को अलग बैठाना चाहिए तथा उन्हें यह भी बताना चाहिए कि यदि कोई आपको बैड टच करता है तो उससे दूर रहें तथा अपने शिक्षक एवं माता-पिता को अवश्य बताएं किसी अनजान व्यक्ति के साथ स्कूल से घर एवं घर से स्कूल ना जाएं और अनजान व्यक्तियों से हमेशा सावधान रहें यह भी बताना चाहिए किसी भी प्रकार के प्रलोभन में नहीं आना चाहिए यदि कोई व्यक्ति चॉकलेट या अन्य कोई खाने की चीज दे तो उसे नहीं लेना चाहिए
स्कूल में बाल लैंगिक शिक्षा के बारे में बताना क्योंकि छात्र शिक्षक से भावनात्मक रूप से जुड़ा रहता है और शिक्षक के बातों को बहुत ही ध्यान से सुनता है इसलिए समय-समय पर बच्चों को पाल लेंगे और शोषण के बारे में बताते रहना चाहिए और उन्हें जागरूक बनाना चाहिए शिक्षक बच्चों की बात को ध्यान से सुने उनकी बात को अहमियत दी और उनकी बात को सार्वजनिक ना करें अपने तक ही सीमित रखें जिससे बच्चा खुलकर अपने शिक्षक से बात कर सके
ReplyDeleteबाल लैंगिक उत्पीडन को रोकने में विद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हम बच्चों को जागरूक कर उन्हें उत्पीड़न से बचा सकते हैं।
ReplyDeleteस्कूल में बच्चों को बाल लैंगिक उत्पीडन के बारे में जानकारी देकर उन्हें उत्पीड़न से सावधान रहने हेतु प्रेरित किया जा सकता है।
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