मॉड्यूल 13 गतिविधि 3: विद्यालय नेतृत्व एवं छात्र अधिगम

विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव (चार प्रकार), इस अवधारणा को आप अपने विद्यालय के संदर्भ में कैसे क्रियान्वित करेंगे?

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Comments

  1. कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का महत्व


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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    1. विद्यालय प्रमुख या अध्यापक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है इसकेलिए कुशल नेतृब करता कुशल प्रबंध कर्ता साहसी पहल्कर्ता निर्णय लेने की छमता आदी गुणो का होना आवश्यक नहीं है । विद्यालय का लिये 4 एम जरूरी है 1 विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना 3 नवाचारों का प्रयोग 4 आव्सय्क्तओ की पूर्ति करना । क्लास मे अधिगम के लिए नेतृत्व की अहम भूमिका होती है

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    2. गुणों का होना आवश्यक हो

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    3. ...व्यावहारिक कुशलता से इन अवधारणाओं को कक्षा शिक्षण में क्रियान्वयन किया जा सकता है।

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    4. विद्यालय प्रमुख या अध्यापक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है इसकेलिए कुशल नेतृब करता कुशल प्रबंध कर्ता साहसी पहल्कर्ता निर्णय लेने की छमता आदी गुणो का होना आवश्यक नहीं है । विद्यालय का लिये 4 एम जरूरी है 1 विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना 3 नवाचारों का प्रयोग 4 आव्सय्क्तओ की पूर्ति करना । क्लास मे अधिगम के लिए नेतृत्व की अहम भूमिका होती है

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    5. Vidhalay netratv ka chhatra adhigam par prabhavi, sakaratmak soch samay ki pawandi, navachar, rakh-rakhav.

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    6. Najra khatun ps Dhawari Ajaigarh panna m. P.

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    7. Najra p s Dhawari ajaigarh panna. P. Netratavkrta k roop m shikshak ka
      mahatavporma yogdan h

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    8. नेतृत्वकर्ता को संघर्ष व सहनशील होना चाहिए।उसमें समन्वय का गुण होना चाहिए।योजना बनाकर कार्य करने की क्षमता का विकास होना चाहिए।

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  2. नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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    1. Netratav karta ka mahatavpurd yogdan rahta hai adhigam lane me netratav karta ke rup me pradhanaadhyapak shikshak ko adhyan adhyapan ke taur tariko ki parakh karni padti hai sath hi beech - beech me es bat ke bhi mulyankan bhi kiya Jana chahiye ki bachche Kya aur kaise Sikh sake

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  3. विद्यालय स्तर पर साला प्रमुख के दायित्वों का निर्वहन हेड मास्टर या मुख्याध्यापक द्वारा निष्पादित किया जाता है जिसे संस्था प्रमुख या साला प्रमुख कहा जाता है अपने गुणों से संपन्न तथा समस्त विषयों का ज्ञाता होता है एवं उसकी उसका जीवन सरल तथा सादा होता है। अपने नेतृत्व क्षमता कौशलों एवं दृष्टिकोण तथा विभिन्न प्रकार की शैलियों से युक्त विभिन्न गुणों से परिपूर्ण होता है। विद्यालय नेतृत्व के चार प्रमुख प्रकार का होना परम आवश्यक है - विभिन्न विषयों के शैक्षिक नवाचार ओं /
    से का समय-समय पर जारी या प्रेरित करना।
    3- मुख्याध्यापक का प्रमुख कर्तव्य है कि अपने विद्यालय में स्टाफ एवं बच्चों की आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की समय-समय पर पूर्ति करते रहें जिससे उन्हें पठन-पाठन के संपूर्ण संसाधन बच्चों तथा शिक्षकों को उपलब्ध हो सके।
    4- विद्यालय का उचित रूप से रखरखाव भी होना आवश्यक है विद्यालय बच्चों के लिए आकर्षक हो जिससे वे विद्यालय की ओर आकर्षित हो।

    संस्था प्रमाता प्रधान का यह भी प्रमुख दायित्व है कि वह बच्चों के साथ सहृदयता एवं विभिन्न कौशलों का प्रयोग कर शिक्षकों एवं छात्रों को मार्गदर्शन भी समय-समय पर देता रहे। शालेय गतिविधियों में शिक्षकों एवं बच्चों को मार्गदर्शन भी देते रहना उनका दायित्व है। छात्र अधिगम यानी छात्रों के सीखने सिखाने की प्रक्रिया में भाग लेना एवं उनका मार्गदर्शन करना भी प्रमुख दायित्व है।

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  4. राजेंद्र प्रसाद मिश्र सहायक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मणपुर रीवा नेतृत्वकर्ता के रूप में विद्यालय प्रधान या शिक्षक की आम भूमिका होती है कि हमारे विद्यालय के बच्चे विषय वस्तु को किस विधि से और कैसे सीख रहे हैं यदि शिक्षण विधि में सुधार की आवश्यकता है तो संपूर्ण स्टाफ को एक साथ बैठाकर समय-समय पर मार्गदर्शन करना चाहिए

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    1. विद्यालय प्रमुख का दायित्व एक नेतृत्वकर्ता के रूप मे उन गतिविधियों से होता है जो छात्र का चहुमुखी विकास कर सके।

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  5. कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का महत्व


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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    1. Shikshakon ke sahyog se yojana banakar madhyth bankar chhatron ko adhigmit karenge

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  6. नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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    1. नेतृत्वकर्ता को संघर्ष व सहनशील होना चाहिए।उसमें समन्वय का गुण होना चाहिए।योजना बनाकर कार्य करने की क्षमता का विकास होना चाहिए।

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  7. नमस्कार,
    हम विद्यालय नेतृत्व के रूप में अपने विद्यालय की सांस्कृतिक,परिपाठी को उन बर्तावो ,रबैयों अपेक्षाओं और अंतर- क्रियाओं का प्रतिरूपण करके स्थापित करने में मदद करते हैं,जो हमारे एरोरा के छात्रों के लिए सकारात्मक सीखने का निर्णय करते हैं।
    विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ता है,यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से हो सकता है।जो पूरी तरह विद्यालय की नेतृत्व क्षमता पर निर्भर करता है।
    हमारे विद्यालय के संदर्भ में विद्यालय नेतृत्व,संस्था प्रधान अपने मौजूदा स्टाफ,छात्रों और अभिभावकों के मध्य त्रिकोणीय सामंजस्य स्थापित करने में पूर्णतः सफल है। यह उचित कार्य विभाजन और सफल नियोजन के प्रयासों का परिणाम है। 2005 की पाठ्यचर्या के अनुरूप छात्रों को सीखने के अवसर उपलब्ध कराने का वातावरण, शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री का उचित उपयोग, प्रमुख शैक्षिक कौशलों का छात्रों में विकास और जीवनोपयोगी, मूल्यपरक शिक्षा हमारे विद्यालय का मूल ध्येय है। शिक्षकों का नवाचारी दृष्टिकोण छात्र और अभिभावकों से पारसपारिक सहयोगात्मक रवैया हमारे विद्यालय की वास्तविक विशेषता है।
    हमारे विद्यालय में आने वाली किसी भी प्रकार की चुनौतियों को,आपसी सामंजस से निराकृत किया जाता है। जबकि अधिकांश छात्र विश्व स्तरीय ज्ञान के संपर्क में हैं, तब विद्यालय के नेतृत्वकर्ता के सामने अदृश्य चुनौतियां तो नित्य जन्म लेंगी ही,जिनका समाधान आधुनिक शैक्षिक प्रौद्योगिकी तकनीक का प्रयोग कर या अतिरिक्त संसाधन के रूप में बैवलिंक द्वारा प्राप्त कर पाना संभव हो सकता है।पाठ्य सहगामी क्रियाएं और बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति शिक्षकों को भी नैतिकता के गुण सिखाती है।
    विद्यालय नेतृत्व का हुनर,
    छात्रअधिगम में दिखता है।
    एड़ियाँ उठाने से,
    आकलन के परिणाम नहीं बदलते ।
    धन्यवाद्।
    संतोष कुमार अठया
    (सहायक-शिक्षक)
    शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा
    जिला-दमोह (म.प्र.)

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  8. Vidyalay netrutva ka Sahi mahine Mein Bharat hai ki Shala mein utpann pratyek samasyaon ka Shanti purvak nirakaran karna aur abhibhavak kaun aur shikshakon ke bich Achcha Saman Jaise sthapit karna Hota Hai

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  9. नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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  10. Vidyalay mein netrutva Karta ka mahatva yogdan rahata hai jismein Vidyalay ke pure vatavaran AVN kaksha ganit sampurn Vikas kab karna uski jimmedari hoti hai

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  12. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव-बच्चे को क्या सीखना और कितना सीखना चाहिए था इसके लिए रणनीति बनाकर अधिगम कार्य करना होगा क्योंकि शाला मे विभिन्न आवश्यकता वाले बच्चे होते हैं उनको ध्यान मे रखकर हमे कार्य करना होगा।

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  13. विद्यालय में नेतृत्वकर्ता का व्यवहार कार्यशैली आदि का सीधा संबंध छात्र अधिगम से होता है क्योंकि संस्था का आंतरिक माहौल अधिगम के अनुकूल होने पर ही वांछित लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है ओर माहौल का सीधा संबंध नेतृत्व से है संस्था प्रधान ओर स्टाफ या स्टाफ के स्टाफ से संबंध ही माहौल को निर्धारित करते है

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  14. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि नेतृत्व ही संस्था के आंतरिक एवं बाह्य वातावरण को नियंत्रित एवं निर्धारित करता है यदि विद्यालय का आंतरिक माहौल अनुकूल हैतो समस्त गतिविधियां वांछित लक्ष्य को प्राप्त करते हुए पूर्ण हो सकती है

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  15. नेतृत्वकर्ता को संघर्ष व सहनशील होना चाहिए।उसमें समन्वय का गुण होना चाहिए।योजना बनाकर कार्य करने की क्षमता का विकास होना चाहिए।

    नवीन मिश्रा

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  16. कोविड19 की परिस्थितियों को देखते हुए यह बात सामने आती हैं कि हम अपने कार्य को पूरा कैसे करें । विद्यालय संचालित करने के लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।
    साथ ही न्याय पूर्ण व्यवहार कर रहा हो ।

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    1. Vidyalay Pramukh adhyaksh AVN natak Karta ke roop mein unka vidhiyon se hota hai use chhatron ka Vikas kar sake Suresh Kumar Meher prathmik Shala Gujarat khapa jila Hoshangabad

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  17. 1.प्रबंधन सुनिश्चित करना
    2.स्टॉप, अभिभावकों,बच्चों के समन्वय से योजना बनाकर कार्य करना।
    3.आत्म विश्वास व संयमी होना।
    4.अनुशासन,न्याय,ईमानदारी से कार्यव्यवहार से कुशल संचालन।

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  18. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  19. GMS Ambedakar Kripalpur Satna
    किसी भी संस्थान में संस्था प्रमुख अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    उसके कार्यव्योहार ,आचरण, संस्था के प्रति समर्पण ,नियमितता,अनुशासन ,पदीय दायुत्व, का ज्ञान ,शासकीय प्रयोजनों का क्रियान्वयन,
    प्रशासनिक नियमो ,समय समय पर शासन द्वारा प्रदत्त कार्यो व नियमो का प्रतिस्थापन,
    के साथ शाला के प्रति समर्पण,सहकार की भावना होना अति आवश्यक है।
    किसी संस्था के संचालन में शाला प्रमुख अपनी
    महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है,उसी की संशुति से कोई भी विद्यालय उतरोत्तत विकास करता है।

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  20. विद्यालय में छात्रों के अधिगम एवं सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न नवाचारों का प्रयोग आवश्यक है तथा छात्र-छात्राओं में नेतृत्व क्षमता का विकास हेतु गतिविधि आधारित शिक्षण समाकलन पर जोर दिया जाना चाहिए।शाला प्रमुख व अध्यापक साथियों को छात्र अनुरूप कक्षा अनुरूप प्रेरणादायक नेतृत्व व्यवहार किया जाना उचित रहेगा

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  21. प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे है

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  22. नेतृत्व द्वारा छात्रों की प्रबंधन समिति गठित कर निर्णय लेना चाहिए।

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  23. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि नेतृत्व ही संस्था के आंतरिक एवं बाह्य वातावरण को नियंत्रित एवं निर्धारित करता है यदि विद्यालय का आंतरिक माहौल अनुकूल हैतो समस्त गतिविधियां वांछित लक्ष्य को प्राप्त करते हुए पूर्ण हो सकती है

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  24. शाला प्रमुख को विद्यालय का उचित रूप से रखरखाव आकर्षित कक्षाओं बच्चों व सहयोगी शिक्षकों को समय-समय पर मार्गदर्शन करते हुए सीखने-सिखाने की प्रक्रिया में भाग लेते हुए नवाचार पर विशेष ध्यान देना प्रभावशाली व्यक्तिव के साथ सीखने सिखाने की क्षमता का विकास करते हुए शाला का नेतृत्व करना चाहिए।

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  25. नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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  26. School head ko poori dakhbhalकरना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक kam kare

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  27. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता हैक्योंकि विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  28. विद्यालय प्रशासक पर विद्यालय मे अनुशासन बनाये रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है साथ ही यह जिम्मेदारी भी होती है कि बच्चे कितना सीख रहे हैं और कैसे सीख रहे हैं

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  29. Saroj prajapati
    Sagar
    विद्यालय में छात्रों के अधिगम एवं सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न नवाचारों का प्रयोग आवश्यक है तथा छात्र-छात्राओं में नेतृत्व क्षमता का विकास हेतु गतिविधि आधारित शिक्षण समाकलन पर जोर दिया जाना चाहिए।शाला प्रमुख व अध्यापक साथियों को छात्र अनुरूप कक्षा अनुरूप प्रेरणादायक नेतृत्व व्यवहार किया जाना उचित रहेगा

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  30. नेतृत्वकर्ता को संघर्ष व सहनशील होना चाहिए।उसमें समन्वय का गुण होना चाहिए।योजना बनाकर कार्य करने की क्षमता का विकास होना चाहिए।

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  31. शिक्षण अधिगम में नेतृत्व का महत्व होता है ।एक सफल नेतृत्व करने वाले मेंस्पष्ट वादितासमानता का व्यवहार और साहसी आदि गुण होने चाहिए।तभी शिक्षण अधिगम पूर्ण होगा।

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  32. विद्यालय अधिगम में नेतृत्व का बहुत बड़ा प्रभाव नंबर 1 छात्रों का पाठ्यक्रम समय के अंदर पूर्ण करवाना नंबर दो विद्यालय में सभी संसाधनों का सही उपयोग करना नंबर 3 विद्यालय में अनुशासन बनाए रखना नंबर 4 सरकारी योजनाओं का विद्यालय में क्रियान्वयन सुनिश्चित कराना हर वर्ग के छात्रों को पर्याप्त उन्नति के अवसर प्रदान करना कमजोर छात्रों पर विशेष क्लास लकवा कर उनकी कमजोरियों को दूर करना

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  33. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव, इस अवधारणा को अपने विद्यालय में क्रियान्वित करने के लिए संस्था प्रधान प्रत्येक कक्षा में 1-1 पीरियड लेगा अथवा किसी शिक्षक के अनुपस्थित रहने पर वह स्वयं पीरियड लेकर छात्रों से जीवित संपर्क बनाएगा ।वह प्रति सप्ताह शिक्षकों की मीटिंग लेकर उनसे भी छात्र अधिगम के लिए सकारात्मक पहल करेगा ।वह प्रतिदिन किसी भी एक शिक्षक के एक कक्षा में पीछे बैठकर शिक्षण का निरीक्षण करेगा ।प्रतिमाह होने वाली एसएमसी बैठक का एजेंडा बनाएगा और पलकों से भी सहयोग प्राप्त करेगा। वह शाला संसाधनों के विकास में भी योजना बनाकर कार्य करेगा। समय-समय पर विद्व जनों की शाला में विजिट करवाएगा और छात्रों को प्रेरित करेगा । विशिष्ट छात्रों के लिए वह स्वयं मध्य अवकाश या अन्य समय में चर्चा करके उनके लिए उचित मार्गदर्शन करेगा। निश्चय ही इसके लिए एच एम स्वयं को अपडेट रखेगा और नवाचार करेगा तथा स्टाफ को भी प्रेरित करेगा।

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  34. शाला नेतृत्व का छात्र अधिगम पर विशेष प्रभाव पड़ता है । शिक्षक की हर गतिविधि पर छात्र की नजर होती है , इसलिये यह प्रयास होना चाहिये कि शिक्षक के द्वारा छात्रों के बहुआयामी विकास का लक्ष्य निर्धारित हो ।

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  35. छात्र अधिगम लाने में नेतृत्वकर्ता यानी शिक्षक का बहुत योगदान होता है यदि शिक्षक अच्छा नेतृत्वकर्ता है तो वो विद्यालय के अन्दर बाहर की सभी परिस्थितियों से परिचित होता है छात्रों की मनोस्थिति के बारे में भी उसको अच्छे से पता होता है इस तरह वह अधिगम को कुशल और सफलतापूर्वक छात्रों के सामने प्रस्तुत करता है जिस से छात्र बेहतर ढंग से सीखते है तथा स्थाई समझ बनाने मै सक्षम होते है।

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  36. Vibbhinna navacharo ka upyog krke evam baccho me netratva ki samta ka vikas krna adi

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  37. कोविड19 की परिस्थितियों को देखते हुए यह बात सामने आती हैं कि हम अपने कार्य को पूरा कैसे करें । विद्यालय संचालित करने के लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1)विद्यालय का रखरखाव |
    (2)सीखने का अवसर प्रदान करना |(3)नवाचार के लिए प्रेरित करना |
    (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर ठीक उसी प्रकार प्रभाव पड़ता है, जैसा कि विद्यालय का नेतृत्व होता है अर्थात कुशल नेतृत्व कुशल अधिगम |

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  38. नेतृत्व करना एक जोखिम भरा कार्य है ! अध्यापकों के मान सम्मान को ठेस पहुंचे बिना उनके अध्यापन कार्य की परख करना पड़ती है! और उन्हें नेतृत्व देने के लिए समन्वय की भूमिका निभाना पड़ती है! साथ ही छात्रों के भी मूल्यांकन पर भी ध्यान देना अत्यावश्यक है ! छात्र बेहतर ढंग से सीख सकें इस बात पर बल दिया जाना चाहिए !

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  39. Tulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal.
    एक विद्यालय नेतृत्व के रूप में, आप विद्यालय की संस्कृति को उन बर्तावों, रवैयों, अपेक्षाओं और अंतर्क्रियाओं का प्रतिरूपण करके स्थापित करने में मदद करते हैं जो आपके छात्रों के लिए सकारात्मक सीखने के वातावरण का निर्माण करते हैं।नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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  40. नेतृत्व कर्ता को संघर्ष व सहनशीलता होना चाहिए । उससे समन्वय का गुण होना चाहिए। योजना बनाकर कार्य करने की

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  41. में योगेन्द्र सिंह रघुवंशी श मा शाला बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी मेरे विचार से नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता हैयोजना बनाकर कार्य करने कीएक विद्यालय नेतृत्व के रूप में, आप विद्यालय की संस्कृति को उन बर्तावों, रवैयों, अपेक्षाओं और अंतर्क्रियाओं का प्रतिरूपण करके स्थापित करने में मदद करते हैं जो आपके छात्रों के लिए सकारात्मक सीखने के वातावरण का निर्माण करते हैं।नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं समाज से या समुदाय से सबंद पर महत्व और मधुर हो

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  42. शरद कुमार श्रीवास्तव,शिक्षक,शासकीय माध्यमिक शाला सुनपुरा, तहसील व जिला विदिशा।
    छात्र अधिगम में विद्यालय नेतृत्व का बहुत महत्व है। विद्यालय का प्रमुख विद्यालय का नेतृत्व करता है।उसकी कार्यपद्धती ही विद्यालय के स्तर को निर्धारित करती है। 1.हम विद्यालय का रखरखाव बहुत शानदार करेंगे क्योंकि बाहर से जो प्रभाव पड़ता है वह बहुत महत्व रखता है।
    दूसरे नंबर पर हम विद्यालय में विद्यार्थियों को सीखने के अवसर प्रदान करेंगे।विद्यार्थी अपने घर पर भी सीख सकें इसके लिए हम पूरे स्टाफ सहित उनके संपर्क में रहेंगे तथा प्रत्येक विद्यार्थी तक पहुंचने की कार्य योजना बनाएंगे।
    3.हम शिक्षकों को नवाचार नवाचार के लिए भी प्रेरित करेंगे क्योंकि कोविड-19 की स्थिति में साधारण ढंग से कक्षा का अध्यापन नहीं हो पा रहा है।
    4.आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए शाला के फंड से एवं जन सहयोग से भी संसाधन जुटाने का प्रयास करेंगे ।वरिष्ठ कार्यालय को भी इस कार्य हेतु सहयोग करने को प्रेरित करेंगे।
    शरद कुमार श्रीवास्तव, शिक्षक, सुनपुरा, विदिशा

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  43. नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं
    लेकिन मेरे विद्यालय में नेतृत्व व साथी शिक्षक का सहयोग शून्य है

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  44. नेतृत्वकर्ता को संघर्ष व सहनशीलता होना चाहिए । उसमे समन्वय का गुण होना चाहिए। योजना बनाकर कार्य करने की क्षमतका विकास होना चाहिए।

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  45. छात्र अधिगम में नेतृत्व का महत्वपूर्ण स्थान है बालक भयमुकत वातावरण में सीखेगे। व रुचिकर होगा उबाऊ नहीं होगे

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  46. नेतृत्व कर्ता को संघर्ष व सहनशीलता होना चाहिए।उसमे समन्वय का गुण होना चाहिए।योजना बनाकर कार्य कर ने की क्षमता का विकास होना चाहिए।

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  47. छात्र अधिगम के विस्तृत में व्यक्ति गत सामाजिक गुणो के विकास के साथ साथ सामाजिक ज्ञान कोशल अभिवृत्ति आती है 23250106101

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  48. अरविंद कुमार यादव पीएस कटोरी जन शिक्षा केंद्र madhi लखनादौन
    आज की इस कठिन परिस्थिति में प्रधान पाठक का कार्य बहुत ही महत्वपूर्ण एवं चुनौतीपूर्ण है जिसमें स्वयं एवं बच्चों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के साथ ही नवीन शैक्षिक प्रौद्योगिकी तकनीकी द्वारा शिक्षा के साथ अतिरिक्त संसाधनों का कौशल के साथ उपयोग कर शिक्षा प्रदान करना है

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  49. प्रवीण कुमार जैन माध्यमिक शिक्षक शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक शाला मुलताई जिला बैतूल
    शाला प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करने लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम करना है।
    हम विद्यालय नेतृत्व के रूप में अपने विद्यालय की सांस्कृतिक,परिपाठी को उन बर्तावो ,रबैयों अपेक्षाओं और अंतर- क्रियाओं का प्रतिरूपण करके स्थापित करने में मदद करते हैं,जो हमारे छात्रों के लिए सकारात्मक सीखने का निर्णय करते हैं।
    विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ता है,यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से हो सकता है।जो पूरी तरह विद्यालय की नेतृत्व क्षमता पर निर्भर करता है।
    हमारे विद्यालय के संदर्भ में विद्यालय नेतृत्व,संस्था प्रधान अपने मौजूदा स्टाफ,छात्रों और अभिभावकों के मध्य त्रिकोणीय सामंजस्य स्थापित करने में पूर्णतः सफल है। यह उचित कार्य विभाजन और सफल नियोजन के प्रयासों का परिणाम है। 2005 की पाठ्यचर्या के अनुरूप छात्रों को सीखने के अवसर उपलब्ध कराने का वातावरण, शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री का उचित उपयोग, प्रमुख शैक्षिक कौशलों का छात्रों में विकास और जीवनोपयोगी, मूल्यपरक शिक्षा हमारे विद्यालय का मूल ध्येय है। शिक्षकों का नवाचारी दृष्टिकोण छात्र और अभिभावकों से पारसपारिक सहयोगात्मक रवैया हमारे विद्यालय की वास्तविक विशेषता है।
    हमारे विद्यालय में आने वाली किसी भी प्रकार की चुनौतियों को,आपसी सामंजस से निराकृत किया जाता है। जबकि अधिकांश छात्र विश्व स्तरीय ज्ञान के संपर्क में हैं, तब विद्यालय के नेतृत्वकर्ता के सामने अदृश्य चुनौतियां तो नित्य जन्म लेंगी ही,जिनका समाधान आधुनिक शैक्षिक प्रौद्योगिकी तकनीक का प्रयोग कर या अतिरिक्त संसाधन के रूप में बैवलिंक द्वारा प्राप्त कर पाना संभव हो सकता है।पाठ्य सहगामी क्रियाएं और बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति शिक्षकों को भी नैतिकता के गुण सिखाती है।
    विद्यालय नेतृत्व का हुनर,
    छात्रअधिगम में दिखता है।

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  50. विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  51. Vivinh navacharon ka upyog karke bachon me netratav ki samta ka vikas karna...

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  52. Vivinh navacharon ka upyog karke bachon me netratav ki samta ka vikas karna...

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  53. विद्यालय नेतृत्व के प्रमुख चार लक्ष्य निम्न है (1) विद्यालय का रखरखाव (2) सीखने के अवसर प्रदान करना (3) नवाचार के लिए प्रेरित करना (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। विद्यालय में आने वाली चुनौतियों को आपस में मिलकर ही उसका निराकरण करना विद्यालय में आपसी सामंजस्य बनाए रखना।

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    1. विद्यालय नेतृत्व के प्रमुख चार लक्ष्य निम्न है (1) विद्यालय का रखरखाव (2) सीखने के अवसर प्रदान करना (3) नवाचार के लिए प्रेरित करना (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। विद्यालय में आने वाली चुनौतियों को आपस में मिलकर ही उसका निराकरण करना विद्यालय में आपसी सामंजस्य बनाए रखना।

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  54. विद्यालय नेतृत्व करता को यह ध्यान रखना जरूरी है कि वह वांछित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। तीन प्रमुख बिंदुओं पर विशेष ध्यान देवें

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  55. Vidyalay ka netrutva Pradhan Pathak aur Shikshak dwara sampurn tarike Se Kiya Jana chahie jismein bacchon ka Samay Samay par mulyankan karyavidhi purn Karana chahie bacchon ki adhigam prakriya Vidhi Baat tarike se Hona chahie jisse bacchon ka Vikas Purush se ho sake
    Radheshyam Lodhi Prathmik Shala bandol Tahsil gotegao Jila Narsinghpur Madhya Pradesh

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  56. कोविड19 की परिस्थितियों को देखते हुए यह बात सामने आती हैं कि हम अपने कार्य को पूरा कैसे करें । विद्यालय संचालित करने के लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।
    साथ ही न्याय पूर्ण व्यवहार कर रहा हो ।

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  57. Vidhalay pradhan shikshak ke roop me.vidhyalay ka netratav karna hota hai iske liye kushal prashashak, sahsi nirnay lene ki chhamta kary bibhajan, bitiykary ka lekha jokha our punraolokan kaise guno ko apnana hota hai.

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  58. Sathi shikshakon ko nirdeshit karna,chatron ka kaksha karya,grahkarya ka aaklan,avashyak suvidhaen jutana,paalkon se satat sanvad meeting karna.

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  59. नेतृत्व कर्ता को संघर्ष व सहनशीलता होना चाहिए।उसमे समन्वय का गुण होना चाहिए।योजना बनाकर कार्य कर ने की क्षमता का विकास होना चाहिए।

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  60. नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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  61. मीनाक्षी आर्य
    नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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  62. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव-
    विद्यालय नेतृत्व करता को समग्र रूप से विद्यालय ,शिक्षक, छात्र आदि की प्रगति के बारे में विस्तृत योजना बनाना चाहिए। इसके लिए शिक्षकों को समय -समय पर प्रशिक्षण, मार्गदर्शन, सहयोग करना चाहिए । छात्रों के अधिगम हेतु प्रतिदिन अकादमिक सत्रों का आयोजन, स्वयं सीखने के अवसर ,प्रायोगिक कार्य, पुस्तकालय ,खेल गतिविधियां एवं शारीरिक शिक्षा ,नैतिक मूल्यों की शिक्षा आदि सत्रों का आयोजन प्रतिदिन कराना अत्यंत आवश्यक है।

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  63. Iske liye netratvkarta ko kai vishyo me apne kushalta pradarshit krni hoti h.

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  64. नेतृत्वकर्ता को वांछित लछ्य प्राप्त करने के लिएचार गुणो से संपूर्ण अधिगम लाने के लिए सक्षम बनना होगा

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  65. रणनीति बनाकर अधिगम कार्य करना होगा क्योंकि कक्षा में विभिन्न आवश्यकता वाले बच्चे होते हैं उनको ध्यान मे रखकर हमे कार्य करना होगा।

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  66. नेतृत्वकर्ता को वांछित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए 4 गुणों को संपूर्ण अधिगम लाने के लिए सक्षम बनाना होगा रणनीति बनाकर अधिगम कार्य करना होगा क्योंकि कक्षा में विभिन्न आवश्यकता वाले बच्चे होते हैं उस उन को ध्यान में रखकर हमें कार्य करना होगा।

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  67. नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं


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    Unknown

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  68. विद्यालय में नेतृत्व करता का व्यवहार कार्यशैली आदि का सीधा संबंध छात्र अधिगम से होता है।
    समय-समय पर शिक्षण प्रक्रिया के आधार पर छात्रों की दक्षता का आकलन करना चाहिए और क्या कमियां है उन पर विचार कर उन कमियों का समाधान करना चाहिए।
    Rakesh panthi primary teacher Khairoda bagrod block Ganj Basoda district Vidisha unique I'd by7721

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  69. अपने विद्यालय के बच्चों के सीखने सिखाने के स्तर को परखकर ,अपने समस्त स्टाफ के साथ चर्चा करके, नवाचारी सोच को व्यक्त करते हुए ,अपने कुशल नेतृत्व में बच्चों का मार्गदर्शक बनने की कोशिश करेंगे। समय सारणी बनाकर ,विभिन्न आवश्यकता वाले बच्चों के लिए विशिष्ट एवं जेंडर आयामों को ध्यान में रखकर आईसीटी का प्रयोग पर जोर देंगे।

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  70. मैं नाथूराम अहिरवार सहायक शिक्षक मा०शा०लोधाखेड़ी ब्लॉक लटेरी जिला विदिशा disecode 23310416802

    शाला मे आने वाली विभिन्न कठिनाईयो को आपसी समन्वय से सुलझाया जाता है । जबकि बहुत से विधयर्थी विश्व स्तरीय ज्ञान के संपर्क मे है । तब विध्यालअय प्रमुख के सामने कठिनाईयां नित्य जन्म लेती है । जिनका समाधान आधुनिक ICT के माध्यमों का प्रयोग कर करना होगा । शाला प्रमुखके रूप मे शाला का प्रबंधन करना होता है । इसके लिए कुशल नेतृत्व कर्ता , साहसी निर्णय लेने की क्षमता कार्य विभाजन वित्तीए लेखांकन और अपने द्वारा किए जाने वाले कार्यो का पुनरावलोकन करना आदि गुणो को अपनाना होता है । शाला प्रमुख का मुख्य दायित्व है कि वह अपने विध्यालय के स्टाफ एवं बच्चों की आवश्यकता की समय समय पर होने वाली आवश्यकताओ की पूर्ति करें जिससे छात्रों के पठन पाठन मे व्यवधान उत्पन्न न हो और वह अपने क्रमबद्ध अध्ययन को जारी रख सकें।

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  71. कोविड19 की परिस्थितियों को देखते हुए यह बात सामने आती हैं कि हम अपने कार्य को पूरा कैसे करें । विद्यालय संचालित करने के लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है।
    नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं।
    विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1)विद्यालय का रखरखाव,
    (2)सीखने का अवसर प्रदान करना,
    (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और
    (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।
    साथ ही न्याय पूर्ण व्यवहार करना नितान्त आवश्यक है।

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  72. कोविड19 की परिस्थितियों को देखते हुए यह बात सामने आती हैं कि हम अपने कार्य को पूरा कैसे करें । विद्यालय संचालित करने के लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है।
    नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं।
    विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1)विद्यालय का रखरखाव,
    (2)सीखने का अवसर प्रदान करना,
    (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और
    (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।
    साथ ही न्याय पूर्ण व्यवहार करना नितान्त आवश्यक है।
    एल एन जाटव, शिक्षक
    शा कन्या मा वि भैरवगढ़ उज्जैन
    जिला उज्जैन, मध्यप्रदेश

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  73. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव (चार प्रकार) --- निसंदेह विद्यालय नेतृत्व का लक्ष्य बच्चों को गुणात्मक शिक्षा प्रदान करना है इस हेतु शाला प्रमुख को अध्यापकों के निरंतर ज्ञान, कौशल, अभिवृत्ति का आकलन करना चाहिए क्योंकि बच्चे अध्यापक के संपर्क में ज्यादा रहते हैं अध्यापक को स्वयं के साथ साथ कक्षा अधिगम को भी विकसित करना होता है | अत: अध्यापक को प्रयोगधर्मी, नवाचार, एवं शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की नवीन तकनीकी की सुलभता के साथ साथ व्यासायिक प्रशिक्षण ज्ञान हेतु खण्ड समन्वयक, खण्ड शिक्षा अधिकारियों से अकादमिक सहयोग लेंगे जिससेे बच्चों का सवागीण विकास हो सके बच्चों के सीखने सिखाने में छात्रों की रूचि, जरूरतें, ज्ञान, अनुभव को आकलन, सीखने में आवश्यकता अनुरूप सही निर्णय लेंगे अध्यापक विद्यालय के अदर और चारदीवारी के बाहर भी सीखने सिखाने के संवाहक बन सकें इस हेतु इनकी सोच व्यवहार को सकारात्मक गति मैं कर सकता / सकती हूंँ, देना शाला प्रमुख का उत्तर दायित्व है छात्र हित हेतु अध्यापको को व्यावसायिक कौशलों के विकास, अकादमिक सहयोग, एवं सहयोगात्मक कार्य योजना बना ना है अर्थात विद्यालय की कक्षा के अलावा पूरे वातावरण को छात्र अधिगम के अनुकूल बनाना होगा जिसमें विद्यालय नेतृत्व-- शिक्षक अधिगम -- विद्यार्थी अधिगम शामिल हैं विद्यालय के वातावरण को सहज, छात्र अनुकूल, एवं भय रहित प्रदान करेंगे छात्र एवं अध्यापक अपने विचार, मनोभाव, सृजनात्मक विकास कर सकें बच्चोंको गतिविधियों में संलग्न कराना और शामिल होना जरुरी है

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  74. कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  75. कक्षा अधिगम में नेतृत्व कर्ता की सजगता,कौशल,एवं निरीक्षण समझ,विषय पारंगत होना,प्रोत्साहन, बच्चों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षाप्राप्त करने में अहम योगदान देते हैं

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  76. नेतृत्व करने वाले का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधान अध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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  77. अखिलेश भारद्वाज[प्राथमिक शिक्षक]
    शासकीय जवाहर कन्या हाई स्कूल छिंदवाड़ा

    💐कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का महत्व💐


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  78. अखिलेश भारद्वाज[प्राथमिक शिक्षक]
    शासकीय जवाहर कन्या हाई स्कूल छिंदवाड़ा

    💐कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का महत्व💐


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  79. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि नेतृत्व ही संस्था के आंतरिक एवं बाह्य वातावरण को नियंत्रित एवं निर्धारित करता है यदि विद्यालय का आंतरिक माहौल अनुकूल हैतो समस्त गतिविधियां वांछित लक्ष्य को प्राप्त करते हुए पूर्ण हो सकती है। विद्यालय में छात्रों के अधिगम एवं सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न नवाचारों का प्रयोग आवश्यक है तथा छात्र-छात्राओं में नेतृत्व क्षमता का विकास हेतु गतिविधि आधारित शिक्षण समाकलन पर जोर दिया जाना चाहिए।शाला प्रमुख व अध्यापक साथियों को छात्र अनुरूप कक्षा अनुरूप प्रेरणादायक नेतृत्व व्यवहार किया जाना उचित रहेगा।छात्र अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका के महत्व को समझना जरूरी है क्योंकि शिक्षक अपने विद्यालय का नेतृत्व कर्ता भी होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  80. शाला प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करने लिए कुशल प्रशासक,कुशल प्रबंधक,साहसी,निर्णय लेने की क्षमता,कार्य विभाजन,वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण नामक तीन गुण होते हैं। इन्हे अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1)विद्यालय का रखरखाव।
    (2)सीखने का अवसर प्रदान करना।(3)नवाचार के लिए प्रेरित करना।
    (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    शिक्षण अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग लेकर विद्यालयी छात्र शिक्षकों को प्रेरित करें।
    हम विद्यालय नेतृत्व के रूप में अपने विद्यालय की सांस्कृतिक परिपाठी को उन बर्तावो,अपेक्षाओं और अंतर- क्रियाओं का प्रतिरूपण करके स्थापित करने में मदद करते हैं जो हमारे छात्रों के लिए सकारात्मक सीखने का निर्णय करते हैं।
    विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ता है। यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से हो सकता है जो पूरी तरह विद्यालय की नेतृत्व क्षमता पर निर्भर करता है।
    हमारे विद्यालय के संदर्भ में विद्यालय नेतृत्व संस्था प्रधान अपने मौजूदा स्टाफ,छात्रों और अभिभावकों के मध्य त्रिकोणीय सामंजस्य स्थापित करने में पूर्णतः सफल है। यह उचित कार्य विभाजन और सफल नियोजन के प्रयासों का परिणाम है। पाठ्यचर्या के अनुरूप छात्रों को सीखने के अवसर उपलब्ध कराने का वातावरण,शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री का उचित उपयोग,प्रमुख शैक्षिक कौशलों का छात्रों में विकास और जीवनोपयोगी एवं मूल्यपरक शिक्षा हमारे विद्यालय का मूल ध्येय है। शिक्षकों का नवाचारी दृष्टिकोण छात्र और अभिभावकों से पारस्परिक सहयोगात्मक रवैया हमारे विद्यालय की वास्तविक विशेषता है।
    हमारे विद्यालय में आने वाली किसी भी प्रकार की चुनौतियों को आपसी सामंजस से निराकृत किया जाता है जबकि अधिकांश छात्र विश्व स्तरीय ज्ञान के संपर्क में हैं। तब विद्यालय के नेतृत्वकर्ता के सामने अदृश्य चुनौतियां तो नित्य जन्म लेंगी ही जिनका समाधान आधुनिक शैक्षिक प्रौद्योगिकी तकनीक का प्रयोग कर या अतिरिक्त संसाधन के रूप में बैवलिंक द्वारा प्राप्त कर पाना संभव हो सकता है। पाठ्य सहगामी क्रियाएं और बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति शिक्षकों को भी नैतिकता के गुण सिखाती है।

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  81. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।छात्र अधिगम मे बच्चों से बहुत निकटता जरूरी होती है।

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  82. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव, इस अवधारणा को अपने विद्यालय में क्रियान्वित करने के लिए संस्था प्रधान प्रत्येक कक्षा में 1-1 पीरियड लेगा अथवा किसी शिक्षक के अनुपस्थित रहने पर वह स्वयं पीरियड लेकर छात्रों से जीवित संपर्क बनाएगा ।वह प्रति सप्ताह शिक्षकों की मीटिंग लेकर उनसे भी छात्र अधिगम के लिए सकारात्मक पहल करेगा ।वह प्रतिदिन किसी भी एक शिक्षक के एक कक्षा में पीछे बैठकर शिक्षण का निरीक्षण करेगा ।प्रतिमाह होने वाली एसएमसी बैठक का एजेंडा बनाएगा और पलकों से भी सहयोग प्राप्त करेगा। वह शाला संसाधनों के विकास में भी योजना बनाकर कार्य करेगा। समय-समय पर विद्व जनों की शाला में विजिट करवाएगा और छात्रों को प्रेरित करेगा । विशिष्ट छात्रों के लिए वह स्वयं मध्य अवकाश या अन्य समय में चर्चा करके उनके लिए उचित मार्गदर्शन करेगा। निश्चय ही इसके लिए एच एम स्वयं को अपडेट रखेगा और नवाचार करेगा तथा स्टाफ को भी प्रेरित करेगा।

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  83. ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
    छात्र अधिगम पर नेतृत्वकर्ता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है नेतृत्व जितना कुशल होगा छात्र अधिगम उतना ही सशक्त बनेगा।कुशल नेतृत्व समय समय पर उचित निर्णय लेता हैजो छात्र हित मे सहायक होता है।

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  84. छात्र अधिगम मैं नेतृत्व का महत्वपूर्ण स्थान हैं।

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  85. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दृष्टिकोण तीन गुण होते हैं।

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  86. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव, इस अवधारणा को अपने विद्यालय में क्रियान्वित करने के लिए संस्था प्रधान प्रत्येक कक्षा में 1-1 पीरियड लेगा अथवा किसी शिक्षक के अनुपस्थित रहने पर वह स्वयं पीरियड लेकर छात्रों से जीवित संपर्क बनाएगा ।वह प्रति सप्ताह शिक्षकों की मीटिंग लेकर उनसे भी छात्र अधिगम के लिए सकारात्मक पहल करेगा ।वह प्रतिदिन किसी भी एक शिक्षक के एक कक्षा में पीछे बैठकर शिक्षण का निरीक्षण करेगा ।प्रतिमाह होने वाली एसएमसी बैठक का एजेंडा बनाएगा और पलकों से भी सहयोग प्राप्त करेगा। वह शाला संसाधनों के विकास में भी योजना बनाकर कार्य करेगा। समय-समय पर विद्व जनों की शाला में विजिट करवाएगा और छात्रों को प्रेरित करेगा । विशिष्ट छात्रों के लिए वह स्वयं मध्य अवकाश या अन्य समय में चर्चा करके उनके लिए उचित मार्गदर्शन करेगा। निश्चय ही इसके लिए एच एम स्वयं को अपडेट रखेगा और नवाचार करेगा तथा स्टाफ को भी प्रेरित करेगा।

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  87. विद्यालय नेतृत्व यदि अच्छा हो तो वह छात्र अधिगम में बहुत सहायक सिद्ध होता है । छात्रों को अच्छा नेतृत्व मिले तो वह उत्तरोत्तर उन्नति करता जाता है। विद्यालय नेतृत्व के अंतर्गत शिक्षक बहुत से गुण व व्यवहार आते हैं जैसे नवाचार करना, सहयोग करना, मोटिवेट करना , प्रोत्साहन देना, करने के लिए आगे बढ़ाना शादी

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  88. विद्यालय नेतृत्व एवं छात्र अधिगम के लिए विद्यालय में नेतृत्व के चार लक्ष्य निर्धारित किए हैं उसमें पहला है विद्यालय का रखरखाव किस प्रकार होना चाहिए कक्षा का निर्धारण कैसा होना चाहिए और बच्चों के ठहराव के लिए क्या-क्या करना चाहिए सीखने के अवसर देने चाहिए और नवाचार के लिए प्रेरित करना चाहिए और उनकी आवश्यकताओं की और तौर-तरीकों का किस प्रकार पूर्ति की जाए

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  89. प्रीति सोनी, धमना , नरसिंहपुर
    ' विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव ' यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो विद्यालय को सुधार की दिशा में आगे बढ़ने में सहायता करती है , परिवर्तनों को लागू करने में मदद मिलती है ।अब तो शिक्षकों ने नई - नई रणनीतियां सीख ली हैं जिनको वे अपनी कक्षा में लागू करेंगे ।

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  90. विद्यालय प्रमुख या अध्यापक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है इसकेलिए कुशल नेतृब करता कुशल प्रबंध कर्ता साहसी पहल्कर्ता निर्णय लेने की छमता आदी गुणो का होना आवश्यक नहीं है । विद्यालय का लिये 4 एम जरूरी है 1 विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना 3 नवाचारों का प्रयोग 4 आव्सय्क्तओ की पूर्ति करना । क्लास मे अधिगम के लिए नेतृत्व की अहम भूमिका होती है

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  91. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  92. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर काफी प्रभाव पड़ता है ! विद्यालय नेतृत्व सही है ,सभी अध्यापक आपसी चर्चा से अपने कार्य में सुधार कर रहे हैं, सभी अपने अपने कार्य निष्ठा पूर्ण तरीके से निभा रहे हैं ! इससे बच्चों को सुरक्षित वातावरण मिलता है ,बच्चों में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास होता है !छात्रों के बीच स्वतंत्र एवं सहयोगात्मक विचारों का आदान-प्रदान होता है !जिससे छात्रों के सीखने की क्षमता बढ़ती है और शिक्षण संबंधी परिणाम अच्छे मिलते हैं !

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  93. शाला प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करने लिए कुशल प्रशासक,कुशल प्रबंधक,साहसी,निर्णय लेने की क्षमता,कार्य विभाजन,वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण नामक तीन गुण होते हैं। इन्हे अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1)विद्यालय का रखरखाव।
    (2)सीखने का अवसर प्रदान करना।(3)नवाचार के लिए प्रेरित करना।
    (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    शिक्षण अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग लेकर विद्यालयी छात्र शिक्षकों को प्रेरित करें।
    हम विद्यालय नेतृत्व के रूप में अपने विद्यालय की सांस्कृतिक परिपाठी को उन बर्तावो,अपेक्षाओं और अंतर- क्रियाओं का प्रतिरूपण करके स्थापित करने में मदद करते हैं जो हमारे छात्रों के लिए सकारात्मक सीखने का निर्णय करते हैं।
    विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ता है। यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से हो सकता है जो पूरी तरह विद्यालय की नेतृत्व क्षमता पर निर्भर करता है।
    हमारे विद्यालय के संदर्भ में विद्यालय नेतृत्व संस्था प्रधान अपने मौजूदा स्टाफ,छात्रों और अभिभावकों के मध्य त्रिकोणीय सामंजस्य स्थापित करने में पूर्णतः सफल है। यह उचित कार्य विभाजन और सफल नियोजन के प्रयासों का परिणाम है। पाठ्यचर्या के अनुरूप छात्रों को सीखने के अवसर उपलब्ध कराने का वातावरण,शिक्षण अधिगम सहायक सामग्री का उचित उपयोग,प्रमुख शैक्षिक कौशलों का छात्रों में विकास और जीवनोपयोगी एवं मूल्यपरक शिक्षा हमारे विद्यालय का मूल ध्येय है। शिक्षकों का नवाचारी दृष्टिकोण छात्र और अभिभावकों से पारस्परिक सहयोगात्मक रवैया हमारे विद्यालय की वास्तविक विशेषता है।
    हमारे विद्यालय में आने वाली किसी भी प्रकार की चुनौतियों को आपसी सामंजस से निराकृत किया जाता है जबकि अधिकांश छात्र विश्व स्तरीय ज्ञान के संपर्क में हैं। तब विद्यालय के नेतृत्वकर्ता के सामने अदृश्य चुनौतियां तो नित्य जन्म लेंगी ही जिनका समाधान आधुनिक शैक्षिक प्रौद्योगिकी तकनीक का प्रयोग कर या अतिरिक्त संसाधन के रूप में बैवलिंक द्वारा प्राप्त कर पाना संभव हो सकता है। पाठ्य सहगामी क्रियाएं और बाल केंद्रित शिक्षा पद्धति शिक्षकों को भी नैतिकता के गुण सिखाती है।

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  94. नेतृत्व का छात्र अधिगम पर काफी प्रभाव पड़ता है विद्यालय का नेतृव सही होना चाहिए

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  95. कुशल नेतृत्व कर्ता का छात्र अधिगम पर प्रभाव_विद्यालयका रखरखाव, सीखने के लिए अवसर प्रदान करना, नवाचार के लिए प्रेरित करना, आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना, विद्यालय में आने वाली चुनौतियों का आपस में मिलकर निराकरण करना ,आपस में सामांजस्य बनाए रखना आवश्यक है।तभी विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास संभव है।

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  96. विद्यालय नेतृत्व के लिए कुशल प्रशासक कुशल प्रबंधक निर्णय क्षमता कार्य विभाजन वित्तीय लेखा-जोखा आदि में ज्ञान होना चाहिए

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  97. Students ka sahi natratva bhut important h

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  98. नेतृत्व का छात्र अधिगम पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।

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  99. विद्यालय प्रमुख या अध्यापक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है इसकेलिए कुशल नेतृब करता कुशल प्रबंध कर्ता साहसी पहल्कर्ता निर्णय लेने की छमता आदी गुणो का होना आवश्यक नहीं है । विद्यालय का लिये 4 एम जरूरी है 1 विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना 3 नवाचारों का प्रयोग 4 आव्सय्क्तओ की पूर्ति करना । क्लास मे अधिगम के लिए नेतृत्व की अहम भूमिका होती है

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  100. नेतृत्वकर्ता को संघर्ष व सहनशील होना चाहिए।उसमें समन्वय का गुण होना चाहिए।योजना बनाकर कार्य करने की क्षमता का विकास होना चाहिए।

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  101. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है। प्रबंधन एवं नेतृत्व को विभिन्न परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए चारों प्रभाव यथा सीधा प्रभाव,मध्यस्थ प्रभाव, पारस्परिक प्रभाव और प्रतिलोम प्रभाव का उपयोग करना चाहिए।
    अमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010

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  102. Seema shrivastava BV1588 Hoshangabad pipariy G.M.S.Panari शाला प्रमुख शाला का प्राधान होता है उसका साहसी निर्भीक सभी को समान देखना तथा समस्या हल कराना हैआदि गुण होना चाहिए

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  103. विद्यालय संचालित करने के लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है।
    नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं।
    विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1)विद्यालय का रखरखाव,
    (2)सीखने का अवसर प्रदान करना,
    (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और
    (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।
    साथ ही न्याय पूर्ण व्यवहार करना नितान्त आवश्यक है।

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  104. राबिंसन एवं अन्य, 2008 के अनुसार चार महत्व पूर्ण प्रभाव है-सीधा प्रभाव, मध्यस्थ प्रभाव, पारस्परिक प्रभाव एवं प्रतिलोम प्रभाव।

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  105. शाला नेतृत्व का छात्र अधिगम पर विशेष प्रभाव पड़ता है । शिक्षक की हर गतिविधि पर छात्र की नजर होती है , इसलिये यह प्रयास होना चाहिये कि शिक्षक के द्वारा छात्रों के बहुआयामी विकास का लक्ष्य निर्धारित हो ।

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  106. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  107. यदि नेतृत्वकर्ता सुनियोजित ढंग से शाला संचालन करे तो चारों प्रभावों में सफल हो सकता है।

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  108. यदि नेतृत्वकर्ता सुनियोजित ढंग से शाला संचालन करे तो चारों प्रभावों में सफल हो सकता है।

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  109. नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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    1. कोविड19 की परिस्थितियों को देखते हुए यह बात सामने आती हैं कि हम अपने कार्य को पूरा कैसे करें । विद्यालय संचालित करने के लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।
      साथ ही न्याय पूर्ण व्यवहार कर रहा हो

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  110. नेतृत्व के दौरान दृढ़ संकल्प, लगन व सरल सहज स्वभाव में विद्यालय में छात्रों की अभिगम आवश्यकताओं की पूर्ति, सीखने के अवसर, मार्गदर्शन आदि के आधार पर कार्य करना चाहिए।

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  111. विद्यालय नेतृत्व का विद्यार्थी अधिगम पर व्यापक प्रभाव होता हैl कुशल शाला संचालन एवं प्रबंधन से शाला में उत्तम वातावरण निर्मित होता है।
    अतः शाला प्रबंधक अथवा शिक्षक को समय का पाबंद, नवाचारी एवं लगन शील होना चाहिए। शाला का वातावरण उत्तम होने पर बच्चे शीघ्र अधिगम प्राप्त करते हैं एवं सीखने के अच्छे प्रतिफल प्राप्त होते हैं।
    प्रेषक:- आशीष कुमार पानकर, प्रधानाध्यापक,
    शा. कन्या उच्चतर माध्य. विद्यालय बुधनी जिला सीहोर

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  112. *Mr. Dashrath Singh*
    HM Mehgwan Sarkar , Shahnagar, Dist- Panna Madhyapradesh
    नेतृत्वकर्ता को संघर्ष व सहनशील होना चाहिए।उसमें समन्वय का गुण होना चाहिए।योजना बनाकर कार्य करने की क्षमता का विकास होना चाहिए।

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  113. Vidyalay netritwa pradhan shikshak karte hai chhatron tatha shikshakon ko control karne hetu bahut tarikon ka istemaal karna hota hai

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  114. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  115. Netritva dvara Chatron ke prabandhan samiti gatith krke Nirnaya lenge

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  116. Vidhyalay netratv ka chhatra adhigam per gahra prabhav padta hai kyo ki netratav hi sanstha ke aantrik and bah batawaran ko niyantrat or nirdharit karta hai ydi vidhyalay ka aantrik mahol anukol hai to samast gatividhiyo vanchhit lakshya ko parptp karte hue poord ho sakti hai

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  117. विद्यालय प्रबंधन एवं सही शिक्षा के लिए निडर एवं कुशल शिक्षक होना भी आवश्यक है।

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  118. कोमल गिर गोस्वामी प्राथ.शाला टोला पटी खापा
    नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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  119. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर सीधा और गहरा प्रभाव पड़ता है,यह सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से हो सकता है।जो पूरी तरह विद्यालय की नेतृत्व क्षमता पर निर्भर करता है। रखरखाव, देखभाल, नवाचार का उपयोग, गुडवत्ता परक शिक्षा आदि उपयोगी तथ्य है।

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  120. Shivvanti Bamne PS Badadhana sankul kesiya block shahpur dist Betul
    विद्यालय प्रमुख या अध्यापक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है इसकेलिए कुशल नेतृब करता कुशल प्रबंध कर्ता साहसी पहल्कर्ता निर्णय लेने की छमता आदी गुणो का होना आवश्यक नहीं है । विद्यालय का लिये 4 एम जरूरी है 1 विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना 3 नवाचारों का प्रयोग 4 आव्सय्क्तओ की पूर्ति करना । क्लास मे अधिगम के लिए नेतृत्व की अहम भूमिका होती है

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    1. नेतृत्वकर्ता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है वह शाला के रखरखाव में, सीखने के अवसर प्रदान करने में, नवाचार के लिए प्रेरित करने में,आवश्यकताओं की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ।

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  121. विद्यालय प्रमुख या अध्यापक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है इसकेलिए कुशल नेतृब करता कुशल प्रबंध कर्ता साहसी पहल्कर्ता निर्णय लेने की छमता आदी गुणो का होना आवश्यक नहीं है । विद्यालय का लिये 4 एम जरूरी है 1 विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना 3 नवाचारों का प्रयोग 4 आव्सय्क्तओ की पूर्ति करना । क्लास मे अधिगम के लिए नेतृत्व की अहम भूमिका होती है

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  122. विद्यालय नेतृत्व का विद्यार्थी अधिगम पर प्रभाव पड़ता है कुशल साला प्रबंधन से विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास किया जा सकता है सकारात्मक दृष्टिकोण नवाचार कुशल नेतृत्व का अधिक प्रभाव पड़ता है

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  123. नेतृत्वकर्ता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है वह शाला के रखरखाव में, सीखने के अवसर प्रदान करने में, नवाचार के लिए प्रेरित करने में,आवश्यकताओं की पूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है ।

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  124. Pushpa singh MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station
    Kushal naitratva chatra adhigam ko prabhavit karta hai. Yadi prashasnik and saikshnik vayvastha shala me achha hai to ek positive vatavaran banta hai or teacher -stutents bhi sikhne sikhne ki prakriya me sakriya bhagidari karte hai.

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  125. Netrutv Karta Ek jokhim Bhara Kary hai. adhyapako ke man Samman ko thes Puche Bina unke adhyapan Karya ki Parakh karna padati hai .aur unhen netrutva dene ke liye Saman V ki Bhumika nibhaani padati Hai Sath hi chhatron Ke Bhi mulyankan per bhi Dhyan dena avashyak hai Chhatra Behtar dhang se Sikh sake is Baat per bol diya Jana chahie.
    Seema baghel
    M.S.KASRWAD
    Barwani (m.p.)

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  126. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव, इस अवधारणा को अपने विद्यालय में क्रियान्वित करने के लिए संस्था प्रधान प्रत्येक कक्षा में 1-1 पीरियड लेगा अथवा किसी शिक्षक के अनुपस्थित रहने पर वह स्वयं पीरियड लेकर छात्रों से जीवित संपर्क बनाएगा ।वह प्रति सप्ताह शिक्षकों की मीटिंग लेकर उनसे भी छात्र अधिगम के लिए सकारात्मक पहल करेगा ।वह प्रतिदिन किसी भी एक शिक्षक के एक कक्षा में पीछे बैठकर शिक्षण का निरीक्षण करेगा ।प्रतिमाह होने वाली एसएमसी बैठक का एजेंडा बनाएगा और पलकों से भी सहयोग प्राप्त करेगा। वह शाला संसाधनों के विकास में भी योजना बनाकर कार्य करेगा। समय-समय पर विद्व जनों की शाला में विजिट करवाएगा और छात्रों को प्रेरित करेगा । विशिष्ट छात्रों के लिए वह स्वयं मध्य अवकाश या अन्य समय में चर्चा करके उनके लिए उचित मार्गदर्शन करेगा। निश्चय ही इसके लिए एच एम स्वयं को अपडेट रखेगा और नवाचार करेगा तथा स्टाफ को भी प्रेरित करेगा।

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  127. कोविड19 की परिस्थितियों को देखते हुए यह बात सामने आती हैं कि हम अपने कार्य को पूरा कैसे करें । विद्यालय संचालित करने के लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।
    साथ ही न्याय पूर्ण व्यवहार कर रहा हो ।

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  128. विद्यालय नेतृत्व का अधिगम पर बहुत अधिक प्रभाव देखा जाता है| अगर हमारा नेतृत्व सही है तो हमारे बच्चों का अधिगम सुचारू रूप से, और एक आशा जनक रहता है ,लेकिन अगर नेतृत्व क्षमता सही नहीं है ,तो बच्चे पढ़ाई में पिछड़ जाते हैं या अपनी कक्षा के अनुरूप नहीं सीख पाते हैं |कभी-कभी यह भी देखा जाता है कि शिक्षकों में भी आपसी मतभेद पाए जाते हैं ,और वह शिक्षण कार्य ठीक से नहीं करते हैं इस प्रकार एक नेतृत्वकर्ता को 4 तरह से कार्य करना चाहिए |पहला ,-विद्यालय का प्रबंधन व रखरखाव पर उचित ध्यान देना| दूसरा -सभी बच्चों को पढ़ाने के लिए पाठ योजना पूर्व से तैयार करना व शिक्षकों से करवाना नेतृत्वकर्ता समय-समय पर बच्चों का टेस्ट लेकर यह जान सकते हैं कि अधिगम में किस प्रकार की कमी है |उसके आधार पर वह अपने शिक्षक साथियों को मार्गदर्शन देकर शिक्षण में सुधार कर सकते हैं| साथ-साथ नेतृत्व में बच्चों के खेलने का प्रबंधन बच्चे घर से होमवर्क करके लाए चालकों के बीच शिक्षकों का समन्वय आदमी शामिल होता है |अगर नेतृत्वकर्ता प्रभाव शील है तो वह समुदाय में अपनी पकड़ रखता है वह बच्चों के बीच अपने मधुर संबंध रखता है इस प्रकार वह बच्चे का सर्वांगीण विकास कर पता है| साथ ही अपने शिक्षक साथियों का मनोबल बढ़ा कर वह शिक्षण की गुणवत्ता को परिवर्तित कर सकता है| तथा एक आदर्श शिक्षण योजना तैयार करवाकर शिक्षण में प्रभावी परिवर्तन ला सकता है| अगर नेतृत्व करता अपने शिक्षकों को समय समय पर सहयोगात्मक सुझाव दें तो काफी हद तक विद्यालय परिवर्तन आते हैं| इस प्रकार अधिगम व नेतृत्व का एक गहरा संबंध है| मैं रघुवीर गुप्ता -शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव संकुल केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सहसराम विकासखंड -विजयपुर जिला- sheopur- मध्य प्रदेश

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  129. Netratavkatrta ka mahatavpuran yogdan rahta hai wah shala ke rakhrakhav me seekhne ke avsar pradan karne me nawachar ke liye prerit karne me avashyaktao ki poorti karne me mahatavpurn bhoomika nibha sakta hai. Rajesh Jatav p s Mazeedgarh district Bhopal.

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  130. व्यावहारिक कुशलता से इन दक्षता का क्रियान्वयन अच्छे से किया जा सकता है

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  131. अगर हमारा नेतृत्व सही है तो हमारे बच्चो का अधिगम सुचारु रुप सेऔर आशाजनक रहता है

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  132. Netratavkarta ka mahatva puran yogdan rahta hai wah shala ke rakhrakhav me sheekhne ke avsar pradan karne me nawachar ke liye prerit karne me aavashyaktao ki poorti karne me mahatavpuran bhoomika nibha sakta hai.

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  133. व्यावहारिक कुशलताओ से इन अवधारणाओं को क्रियान्वित कर सकते हैं।

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  134. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है। क्योंकि विद्यालय नेतृत्व के चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है 1-विदयालय का रख-रखाव 2-सीखने का अवसर प्रदान करना 3-नवाचार के लिए प्रेरित करना 4-आवशयकता एवं अकांक्षाओं की आकांक्षाओं

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  135. सरलता पूर्वक व्यवहार और सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधियों में किस प्रकार हम लोग सक्षम सुचारू बन सके जिससे विद्यालय अधिगम में और बच्चों के संपूर्ण विकास में हमारा जो सहयोग रहता है वह बच्चों के संपूर्ण विकास में काम आ सके

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  136. मैं श्रीमती प्रभा वर्मा सहायक शिक्षिका बालक प्राथमिक विद्यालय उन बुजुर्ग कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण होना चाहिए।

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  137. विद्यालय नेतृत्व के लिए 4 लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है 1-विद्यालय का रखरखाव 2-सीखने के अवसर प्रदान करना 3-नवाचार के लिए प्रेरित करना 4-आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना साथ ही कुशल प्रशासक कुशल प्रबंधक साहसी निर्णय लेने की क्षमता कार्य विभाजन वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्य का पुनरावलोकन जैसे अन्य गुणों को अपनाकर विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  138. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता हैक्योंकि विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  139. कक्षा अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की भूमिका का महत्व


    विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  140. विद्यालय में छात्रों के अधिगम एवं सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न नवाचारों का प्रयोग आवश्यक है तथा छात्र-छात्राओं में नेतृत्व क्षमता का विकास हेतु गतिविधि आधारित शिक्षण समाकलन पर जोर दिया जाना चाहिए।शाला प्रमुख व अध्यापक साथियों को छात्र अनुरूप कक्षा अनुरूप प्रेरणादायक नेतृत्व व्यवहार किया जाना उचित रहेगा

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  141. Vidhyal evam privaar se sambandhit gatividhi ki shayata se

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  142. कोविड19 की परिस्थितियों को देखते हुए यह बात सामने आती हैं कि हम अपने कार्य को पूरा कैसे करें । विद्यालय संचालित करने के लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है।
    नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं।
    विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1)विद्यालय का रखरखाव,
    (2)सीखने का अवसर प्रदान करना,
    (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और
    (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।
    साथ ही न्याय पूर्ण व्यवहार करना नितान्त आवश्यक है।

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  143. मुकेश कुमावत अध्यापक
    शा.मा.वि.बगूद
    तेह.+जिला-बड़वानी(म.प्र.)
    नेतृत्वकर्ता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन, अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है ।साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं।

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  144. Baccho K vikas K liye shikshak m netratv or guno se paripurn hona avshyak h

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  145. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।

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  146. नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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  147. I am Ghasiram bisen ms khamghat block lalburra district Balaghat Madhya Pradesh vidhyalya ka rkhrkhav sikhne ka avsar pradan krna nvachar ke liye prerit krna stop abhibhavkon bchchon ke samnvya se yojna bnakr kary krna

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  148. नेतृत्व क्षमता के विकास से बच्चे का सामान खास होता है इसलिए बच्चों को विभिन्न प्रतियोगिताओं में नेतृत्व क्षमता के लिए उसका मार्गदर्शन करेंगे।

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  149. ★★★प्रधान अध्यापक को अध्यापन कार्य के साथ इस बात का भी पूर्ण ध्यान रखना आवश्यक है कि,बच्चे क्या सीख रहे हैं?कहाँ सीखने में कठिनाई है ? सम्पूर्ण स्टॉफ के बीच उचित सामंजस्य बनाना भी बहुत जरूरी है।★★★ मोहम्मद सलीम नागोरी माध्यमिक शिक्षक। शा. उर्दू.माध्यमिक.विद्यालय.महिदपुर। जिला उज्जैन। (डाइस कोड--23210600113)★★★

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  150. 1 विद्यालय का रख रखाव 2 सीखने के लिए अवसर प्रदान करना 3 नवाचार के लिए प्रेरित करना 4 आवश्यकताओं एवम विद्यालय की आवश्यकता की पूर्ति करना होगा।

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  151. विद्यालय के नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना।1विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना3 नवाचारों से अवगत कराना 4 आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति।

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  152. नेतृत्व क्षमता के विकास से बच्चो का सामान खास होता हैं इसलिए बच्चो को विभिन्न प्रतियोितआओ में नेत्तृत्व छमता के लिए उनका मारगदर्शन करेंगे

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  153. विद्यालय प्रमुख या अध्यापक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है इसकेलिए कुशल नेतृब करता कुशल प्रबंध कर्ता साहसी पहल्कर्ता निर्णय लेने की छमता आदी गुणो का होना आवश्यक नहीं है । विद्यालय का लिये 4 एम जरूरी है 1 विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना 3 नवाचारों का प्रयोग 4 आव्सय्क्तओ की पूर्ति करना । क्लास मे अधिगम के लिए नेतृत्व की अहम भूमिका होती है

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  154. विद्यालय प्रमुख या अध्यापक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है इसकेलिए कुशल नेतृब करता कुशल प्रबंध कर्ता साहसी पहल्कर्ता निर्णय लेने की छमता आदी गुणो का होना आवश्यक नहीं है । विद्यालय का लिये 4 एम जरूरी है 1 विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना 3 नवाचारों का प्रयोग 4 आव्सय्क्तओ की पूर्ति करना । क्लास मे अधिगम के लिए नेतृत्व की अहम भूमिका होती है

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  155. कोविड19 की परिस्थितियों को देखते हुए यह बात सामने आती हैं कि हम अपने कार्य को पूरा कैसे करें । विद्यालय संचालित करने के लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है।
    नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं।
    विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है।
    (1)विद्यालय का रखरखाव,
    (2)सीखने का अवसर प्रदान करना,
    (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और
    (4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।
    कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विद्यालय नेतृत्व सीधे छात्र अधिगम में भाग ले सकता अथवा विद्यालय नेतृत्व शिक्षकों को प्रेरित करें और फिर शिक्षक छात्रों को अधिगम कराएं।
    साथ ही न्याय पूर्ण व्यवहार करना नितान्त आवश्यक है।

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  156. साला प्रमुख को विद्यालय का समुचित रूप से रखरखाव आकर्षित कक्षा और बच्चों व सहयोगी शिक्षकों को समय-समय पर मार्गदर्शन करते हुए सीखने और सिखाने प्रक्रिया में भाग लेते हुए नवाज चारों पर विशेष ध्यान देना प्रभावशाली व्यक्ति के साथ सीखने सिखाने की क्षमताओं का विकास करते हुए साला नेतृत्व करना चाहिए पहला विद्यालय का रखरखाव दूसरा है सीखने का अवसर प्रदान करना तीसरा है नवा चारों का प्रयोग चौथा है आवश्यकताओं की पूर्ति करना

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  157. विधालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बहुत प्रभाव पड़ता है और यह छात्र के सवागीण विकास में सहायक है। छात्र का स्वयं का नेतृत्व, गतिविधियां, को करने में सहायक है।

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  158. आत्म विश्वास व संयमी होना।
    अनुशासन,न्याय,ईमानदारी से कार्यव्यवहार से कुशल संचालन। विद्यालय प्रमुख का दायित्व एक नेतृत्वकर्ता के रूप मे उन गतिविधियों से होता है जो छात्र का चहुमुखी विकास कर सके।

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  159. विद्यालय प्रमुख या अध्यापक के रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है इसकेलिए कुशल नेतृब करता कुशल प्रबंध कर्ता साहसी पहल्कर्ता निर्णय लेने की छमता आदी गुणो का होना आवश्यक नहीं है । विद्यालय का लिये 4 एम जरूरी है 1 विद्यालय का रखरखाव 2 सीखने का अवसर प्रदान करना 3 नवाचारों का प्रयोग 4 आव्सय्क्तओ की पूर्ति करना । क्लास मे अधिगम के लिए नेतृत्व की अहम भूमिका होती है

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  160. नेतृत्व करता का महत्वपूर्ण योगदान रहता है अधिगम लाने में नेतृत्व कर्ता के रूप में प्रधानाध्यापक शिक्षक को अध्ययन अध्यापन के तौर तरीकों की परख करनी पड़ती है साथ ही बीच-बीच में इस बात का मूल्यांकन भी किया जाना चाहिए कि बच्चे क्या और कैसे सीख रहे हैं

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  161. विद्यालय प्रमुख का दायित्व एक नेतृत्वकर्ता के रूप मे उन गतिविधियों से होता है जो छात्र का चहुमुखी विकास कर सके।

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  162. विधालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर बहुत प्रभाव पड़ता है और यह छात्र के सवागीण विकास में सहायक है। छात्र का स्वयं का नेतृत्व, गतिविधियां, को करने में सहायक है।

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  163. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना। कक्षा में अधिगम में विद्यालय नेतृत्व की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

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  164. विद्यालय शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं।

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  165. व्यावहारिक कुशलता से इन अवधारणाओं को कक्षा शिक्षण में क्रियान्वयन किया जा सकता है।आत्म विश्वास व संयमी होना।
    अनुशासन,न्याय,ईमानदारी से कार्यव्यवहार से कुशल संचालन। विद्यालय प्रमुख का दायित्व एक नेतृत्वकर्ता के रूप मे उन गतिविधियों से होता है जो छात्र का चहुमुखी विकास कर सके।

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  166. श्रीमती माया परतेती माध्यमिक शाला अतरिया विकास खंड हर्रर्ई जिला-छिन्दवाडा विद्यालय नेतृत्व व छात्र अधिगम पर विद्यालय नेतृत्व के चार प्रभाव बताए गए 1.प्रत्यक्ष प्रभाव 2.मध्यवर्ती प्रभाव 3.पारस्परिक प्रभाव 4.प्रतिकूल प्रभाव प्रत्यक्ष प्रभाव से तात्पर्य है कि विद्यालय नेतृत्व विद्यार्थी अधिगम को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है यह प्रभाव वहां अधिक दिखाई देता है जहां शिक्षक सहयोग व परामर्श देने के साथ-साथ विद्यालय नेतृत्व व स्वयं शिक्षण कार्य करतेहै ऐसी शिक्षण अधिगम प्रक्रिया जो बाल केन्द्रित हो और बच्चों के सीखने को प्रभावित करती हो ,उसके लिए विद्यालय प्रमुख स्वयं अधिगम हेतु सहयोगात्मक वातावरण बनाते हैं इस प्रकार विद्यालय नेतृत्व का विद्यार्थी अधिगम पर प्रत्यक्ष प्रभाव का संबंध है 2.मध्यवर्ती प्रभाव अथवा अप्रत्यक्ष प्रभाव में विद्यालय नेतृत्व कर्ता स्वयं के अलावा एक से अधिक घटकों के माध्यम से विद्यार्थी अधिगम को प्रभावित करते हैं उदाहरण के लिए नेतृत्व कर्ता शिक्षक गुणवत्ता के माध्यम से विद्यार्थी को प्रभावित करता है जब ब्लॉक या संकुल स्तरीय संसाधन समन्वयक विद्यालय में शिक्षक गुणवत्ता में सुधार करने हेतु शैक्षिक सहयोग प्रदान करतें हैं तो मध्यमवर्ती या अप्रत्यक्ष प्रभाव दिखाई देता है जिसका। प्रभाव विद्यार्थी अधिगम पर पड़ता है 3 पारस्परिक प्रभाव -। विद्यालय नेतृत्व व विद्यार्थी अधिगम में पारस्परिक प्रभाव संबंध है तात्पर्य यह है कि विद्यालय नेतृत्व व शिक्षक ही विद्यार्थी अधिगम को प्रभावित नहीं करते ,वर्ण इसका उत्क्रम कि विद्यार्थी अधिगम की विशेषता, शिक्षण अभ्यास व विद्यालय नेतृत्व को प्रभावित करता है 4. प्रतिकूल प्रभाव - विद्यालय नेतृत्व का विद्यार्थी अधिगम में प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ।

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  167. Vidyalay Pramukh ka ek netrutva group mein Pramukh Aditya hota hai ki vah Vidyarthi ka mukhya Vikas kar sakte

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  168. Principal or teacher ke roop Mai school Ka supervision krna Hota hai, good supervisor ko brave, good by heart, equality towards staff, school care, new technology Ka use, knowledge of good teachers, Jo mulayankn dwara hoskti hai. Apne school staff and students ki needs and wants ki poorti.
    Students ke Saath sympathety and different talents Ka use teachers and students ko guide krna.
    Jisse students Ka all over development ho ske.

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  169. ...व्यावहारिक कुशलता से इन अवधारणाओं को कक्षा शिक्षण में क्रियान्वयन किया जा सकता है।

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  170. विद्यालय नेतृत्व के लिए गुणों का होना आवश्यक है नेतृत्व कर्ता को विजन को विकसित करना जरूरी है उसके साथ चार गुणों का होना आवश्यक है।

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  171. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  172. विद्यालय में छात्रों के अधिगम एवं सर्वांगीण विकास हेतु विभिन्न नवाचारों का प्रयोग आवश्यक है तथा छात्र-छात्राओं में नेतृत्व क्षमता का विकास हेतु गतिविधि आधारित शिक्षण समाकलन पर जोर दिया जाना चाहिए।शाला प्रमुख व अध्यापक साथियों को छात्र अनुरूप कक्षा अनुरूप प्रेरणादायक नेतृत्व व्यवहार किया जाना उचित रहेगा

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  173. Vidyalay netrutva ka adhigam per satik prabhav dekha jata hai Jo hamari chhatron ke adhigam mein aur shikshak ko padhaane mein madad gar hota hai

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  174. किसी भी संस्थान में संस्था प्रमुख अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
    उसके कार्यव्योहार ,आचरण, संस्था के प्रति समर्पण ,नियमितता,अनुशासन ,पदीय दायुत्व, का ज्ञान ,शासकीय प्रयोजनों का क्रियान्वयन,
    प्रशासनिक नियमो ,समय समय पर शासन द्वारा प्रदत्त कार्यो व नियमो का प्रतिस्थापन,
    के साथ शाला के प्रति समर्पण,सहकार की भावना होना अति आवश्यक है।
    किसी संस्था के संचालन में शाला प्रमुख अपनी
    महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है,उसी की संशुति से कोई भी विद्यालय उतरोत्तत विकास करता है।

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  175. विद्यालय प्रधान या शिक्षक रूप में विद्यालय का नेतृत्व करना होता है। इसके लिए कुशल प्रशासक, कुशल प्रबंधक, साहसी, निर्णय लेने की क्षमता, कार्य विभाजन, वित्तीय लेखा-जोखा और अपने कार्यों के पुनरावलोकन जैसे अनेक गुणों को अपनाना होता है। नेतृत्व के ज्ञान, कौशल और दष्टिकोण तीन गुण होते हैं। इनको अपनाने के लिए शिक्षक को पूर्व की धारणाओं और कमजोरियों में बदलाव करना जरूरी हैं। विद्यालय नेतृत्व के लिए तीन लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना

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  176. मैं ज्योति कहार शासकीय माध्यमिक शाला जमुनिया छीर
    अपने शाला में स्टाफ ,अभिभावक एवं विद्यार्थियों के बीच सामंजस्य से तथा सहयोग प्राप्त करने का प्रयास करूंगी व शिक्षण अधिगम की योजना बनाकर कार्य करूंगी साथ ही शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आकलन से जोड़ने को प्राथमिकता दूंगी

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  177. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता हैक्योंकि विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  178. कौशल का विकास नवाचार के लिए प्रेरित करना विदयालय का रखरखाव छात्रों को आगे बढ़ने के अवसर सृजित करना

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  179. अपनी शाला में स्टाफ अभिभावक एवं विद्यार्थियों के बीच सामन्जस्य तथा सहयोग प्राप्त करने का प्रयास करूंगा वह शिक्षण अधिगम की योजना बनाकर कार्य करूंगा साथ ही शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आकलन से जोड़ने की प्राथमिकता दूंगा।

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  180. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर गहरा प्रभाव पड़ता है क्योंकि विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  181. छात्र अधिगम लाने में नेतृत्वकर्ता यानी शिक्षक का बहुत योगदान होता है यदि शिक्षक अच्छा नेतृत्वकर्ता है तो वो विद्यालय के अन्दर बाहर की सभी परिस्थितियों से परिचित होता है छात्रों की मनोस्थिति के बारे में भी उसको अच्छे से पता होता है इस तरह वह अधिगम को कुशल और सफलतापूर्वक छात्रों के सामने प्रस्तुत करता है जिस से छात्र बेहतर ढंग से सीखते है तथा स्थाई समझ बनाने मै सक्षम होते है।

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  182. विद्यालय नेतृत्व के लिए चार लक्ष्यों को प्राप्त करना जरूरी है। (1)विद्यालय का रखरखाव, (2)सीखने का अवसर प्रदान करना, (3)नवाचार के लिए प्रेरित करना और(4) आवश्यकता एवं आकांक्षाओं की पूर्ति करना।

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  183. विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर सीधा प्रभाव पड़ता है
    विद्यालय में जिस प्रकार का नेतृत्व बच्चा देखता और अनुभव करता है
    उससे वो प्रभावित भी होता है
    और उसका अनुसरण करते हुए
    अपने व्यवहार,स्वभाव और जीवन में उसका उपयोग करने की चेष्टा भी करता है
    विद्यालयीन नेतृत्व के अनुरूप वो अपने आप को ढालने लगता है
    इसलिए यह कतई आवश्यक है
    कि बच्चों के सामने
    नेतृत्वकर्ता को अपने आप को एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए...


    धन्यवाद

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  184. विद्यालय नेतृत्व के लिए -साहसी, अनुशासन, निर्णय लेना, सीखने के अवसर प्रदान करने वाला, विद्यालय का रखरखाव, नवाचार के लिए प्रेरित करना,आवश्यकता और आकांक्षाओं की पूर्ति करना आदि, ये सभी आवश्यक हैं

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