शाला परिसर मे गेट औरबाउंड्रीवॉल ना होने से आवागमन प्रतिबंधित नहीं होना जिससे कोई भी असामाजिक तत्व बिना किसी अवरोध के आते जाते रहते हैं।साथ ही समय समय पर पर सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस टीम का राउंड और काउंसलिंग नहीं होना भी एक कारण है।
यह अक्सर इसलिए होता हैं क्योंकि बच्चें अपराधि द्वारा किए गए दुष्कार्य को जाहिर करने में सक्षम नहीं हो पाते , कभी - कभी तो वह समझ ही नहीं पाते कि उनके साथ यह हो क्या रहा है?
स्कूल गाँव क बाहर एवं एकांन्त मे स्थापित है, अव काश के दिनों मे आसमाजिक तत्व स्कूल परिसर को आसमाजिक कार्यों का अड्डा बना लेते हैं जो बच्चे शाला कार्य दिवसो ं समय के पूर्व आते हैं, शोषण की संभावना अधिक होती है| परिसर के आस पास की गुमठियों पर भी इस तरह के व्यक्ति खड़े होकर अवसर पाकर बच्चों को गंदी नजरों से निहाते व रास्तें में क्षेड़ते है ,इन घटनाओं को शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |कतिपय शिक्षक भी ऐसी मांसिकता के होते है| शामाशा गुगवारा ,देवरी, सागर |
नमस्कार... स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
धन्यवाद...।
संतोष कुमार अठया (सहायक शिक्षक ) शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा जिला-दमोह (म. प्र.)
राजेंद्र प्रसाद मिश्र सहायक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मणपुर जिला रीवा मध्य प्रदेश स्कूलों में बाल शोषण के कई कारण है उनमें अशिक्षा अंधविश्वास और गरीबी प्रमुख है अशिक्षा के कारण माता-पिता बच्चों के पठन-पाठन पर ध्यान नहीं दे पाते जिन बच्चों को घर में गाइड नहीं किया जाता वह कमजोर पड़ जाते हैं तथा शिक्षक भी ध्यान देना कम कर देते हैं दूसरा अंधविश्वास अशिक्षित माता-पिता के मन में एक धारणा होती है कि शिक्षा हमारे भाग्य में नहीं है तो भला हमारे बच्चों के भाल में कहां से आएगी फलस्वरूप बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर ध्यान नहीं देते तीसरा गरीबी गरीबी के कारण माता-पिता बच्चों का साला में नाम लिखा कर आवश्यकता ओं के पूर्ति समय पर नहीं कर पाते साथ ही अपने बच्चों को भी काम पर ले जाते हैं ऐसे बच्चे जब साला में आते हैं तो पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता वह सफाई जल संग्रहण बैठक व्यवस्था खिड़की दरवाजे खोलना बंद करना पानी पिलाना संदेश वाह का कार्य करना जैसे कार्य अपने हाथ में स्वता ही ले लेते हैं
स्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|
हिमांशु पटेल ,जनशिक्षक औरई :--------प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।स्कूलों में बाल सभा एवं चिल्ड्रन कमेटियों का गठन किया जाएगा, जिसमें बच्चे अपने सहपाठियों के साथ शेयरिंग एवं लर्निंग पैटर्न पर बहुत कुछ सीखेंगे। इस विलक्षण क्रिया के जरिए सहपाठियों के साथ आपबीती अथवा अनुभव साझा करके बच्चों में सजग चेतना लाई जा सकेगी।
जागरुकता के अभाव में,लालच और डर आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
बाल शोषण के 2 प्रमुख कारण हैं। एक -उत्तेजक व गलत खानपान एवं वातावरण। दो- बच्चों, अभिभावकों व शिक्षकों में उचित जानकारी का अभाव ।यह जानकारी बच्चों के अधिकारों से संबंधित है ।
स्कूल में बाल शोषण क्यों होता है, इस पर अपने विचार साझा करें।
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना कि स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है। स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिकता ही रह जाती है। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है | कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं | जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरणों के माध्यम से पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है। इस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
मेरे विचार या अनुभव से तो ये संभव नही है ,पर सुनने में आता है कभी तो ह्रदय को आघात पहुचता है ,विद्यालय एक मंदिर है और शिक्षक संवरक्षक ,गुरु,मार्गदर्शक परंतु शिक्षक की लापरवाही से ये संभव हो सकता है ,एक नैतिकता वाला शिक्षक सदैव अपने विद्यार्थियों की सुरक्षा का भाव रखता है ,परन्तु पालक, परिवार का अधिक विस्वास इसे जन्म देता है ,जिससे विद्यालय में बाल शोषण होसकता है ,मारना,पीटना धमकाना कायर ओर अनिपुर्ण व्यक्ति का कृत्य है ,।बाल शोषण के लिए जागरूक न होना ,भी एक कारण हो सकता है ।
कुछ शिक्षक ही खराब मानसिकता वाले लोग होते हैं। ऐसा मैंने महसूस किया है। मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है विद्यालय में ईस सदमे से मैं आज तक उबर नहीं पायी हू।शिक्षक होकर मेरे साथ ऐसा हुआ है तो बच्चों की स्थति क्या होगी बहुत खराब लगता बार बार वही मंज़र याद आता है मै अभी तक भुला नहीं पायी हू
बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है। इस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
स्कूलों में यौन शोषण रोकने के लिए जागरूकता लाना आवश्यक मोबाइल के आने के बाद लोग मोबाइल का मिस यूज कर घटनाएं कर रहे हैं इन सब को रोकने के लिएकोई कठोर कानून बनना चाहिए और इस तरह के करने में उनको सौ बार सोचना पड़े इस प्रकार जागृत करना आवश्यक है समाज कहीं न कहीं जिम्मेदार है शिक्षकों को भी चाहिए कि वह इसके बारे में बच्चों को विधिवत तरीके से समय-समय पर अवगत कराते रहें
स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है। स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिकता ही रह जाती है। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है | कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं | जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरणों के माध्यम से पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
स्कूलों में बच्चों के बाल शोषण की घटनाओं का कारण ,बच्चे अपनी बात कह नही पाते है कोई भय से तो कोई लालच के कारण।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले का एक कारण शिक्षक और बच्चों को सुरक्षा, स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों के बारे में जानकारी न होना। हमे स्कूलों में सुरक्षा, स्वास्थ्य और बाल शोषण के खिलाफ बच्चो को जागरूक करना होगा तभी वह शोषण होने पर बता पायेगा।
स्कूलों में बाल शोषण इसलिए होता है, क्योंकि बच्चा सबसे ज्यादा समय अपना स्कूल में समय बताता है, और स्कूल में उसके साथ जातिगत भेदभाव भी किया जाता है, तथा कई बार उससे ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो उसे अपमानजनक महसूस करते हैं| कभी-कभी उसकी पिटाई भी लगा दी जाती है |इस प्रकार बच्चा कई शोषण ओं का स्कूल में शिकार होता है| इसका मुख्य कारण यह है कि शिक्षक व बच्चे दोनों को ही के उनका शोषण हो रहा है ,या वह शोषण कर रहे हैं| इसकी जानकारी का अभाव होता है और वह न चाहते हुए अनजाने में भी शोषण करते हैं |इस समस्या के निदान के लिए शिक्षक व बच्चे दोनों को इसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए| ,तथा रंगीन चित्रों के माध्यम से सभी गतिविधियां जो के शोषण को इंगित करती हैं| उनकी जानकारी बच्चों को वह शिक्षकों दोनों को देना चाहिए| अगर शिक्षक और बच्चे दोनों को शोषण के बारे में जानकारी होगी ,तो इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग जाएगा ,वह शिक्षक भी बच्चों की शोषण के विरुद्ध मदद कर पाएंगे| मैं -रघुवीर गुप्ता शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहस राम-विकासखंड -विजयपुर ,जिला -शिवपुर (मध्य प्रदेश)
स्कूल में बाल शोषण शिक्षक, शिक्षिकाओं तथा अन्य स्टाफ कर्मियों की उदासीनता और लापरवाही से होता है। अमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
स्कूल में बालशोषण नही होता यदि होता भी है तो समाज में फैली कुरीतियों के कारण बच्चों में वह मानसिकता पनपती है। जिससे बच्चे किसी भी अनर्थक व्यक्ति की बातो में आकर फंस जाते है । इन घटनाओं को न पालक समझ पाता है और न ही शिक्षक जब तक यह बात घर या स्कूल में पहुंचती है तब तक बहुत समय बीत जाता है और बालक या बालिका शोषण का शिकार हो जाते है। धन्यवाद अनिल कुमार कुशवाहा माध्यमिक शिक्षक माध्यमिक शाला नगवाड़ा विकास खण्ड-बनखेड़ी जिला_होशंगाबाद (म० प्र०)
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।स्कूल में बालशोषण नही होता यदि होता भी है तो समाज में फैली कुरीतियों के कारण बच्चों में वह मानसिकता पनपती है। जिससे बच्चे किसी भी अनर्थक व्यक्ति की बातो में आकर फंस जाते है । इन घटनाओं को न पालक समझ पाता है और न ही शिक्षक जब तक यह बात घर या स्कूल में पहुंचती है तब तक बहुत समय बीत जाता है और बालक या बालिका शोषण का शिकार हो जाते है।
बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है। इस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।स्कूलों में बाल सभा एवं चिल्ड्रन कमेटियों का गठन किया जाएगा, जिसमें बच्चे अपने सहपाठियों के साथ शेयरिंग एवं लर्निंग पैटर्न पर बहुत कुछ सीखेंगे। इस विलक्षण क्रिया के जरिए सहपाठियों के साथ आपबीती अथवा अनुभव साझा करके बच्चों में सजग चेतना लाई जा सकेगी
स्कूल गाँव क बाहर एवं एकांन्त मे स्थापित है, अव काश के दिनों मे आसमाजिक तत्व स्कूल परिसर को आसमाजिक कार्यों का अड्डा बना लेते हैं जो बच्चे शाला कार्य दिवसो ं समय के पूर्व आते हैं, शोषण की संभावना अधिक होती है| परिसर के आस पास की गुमठियों पर भी इस तरह के व्यक्ति खड़े होकर अवसर पाकर बच्चों को गंदी नजरों से निहाते व रास्तें में क्षेड़ते है ,इन घटनाओं को शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के होते है| मोबाईल इंटरनेट का दुरुपयोग अधिक हो रहा है।साथ ही लोगो की घटिया मानसिकता,गंदी सोच,नैतिकता की कमी ,कभी गरीबी और कभी अशिक्षा इन अपराधो का कारण बनते हैं।
अल्का बैंस शासकीय प्राथमिक शाला कुकड़ा जगत छिन्दवाड़ा
मध्य प्रदेश स्कूलों में बाल शोषण के कई कारण है उनमें अशिक्षा अंधविश्वास और गरीबी प्रमुख है अशिक्षा के कारण माता-पिता बच्चों के पठन-पाठन पर ध्यान नहीं दे पाते जिन बच्चों को घर में गाइड नहीं किया जाता वह कमजोर पड़ जाते हैं। फिर एक दूसरी महत्वपूर्ण वजह है लैंगिक आकर्षण। बाल शोषण अचानक किसी अपराधी द्वारा नहीं होता इसके लिए अपराधी की मानसिकता निर्भर करती है। यदि अपराधी किसी समय स्वयं गलत संगत में है या था तो उसके मन में मस्तिष्क में यौन इच्छाओं और आकांक्षाओं के प्रति आकर्षण होगा और इसी से प्रभावित होकर वह गलत कार्य करने के लिए संचालित होगा। इसकी वजह यह भी है कि युवा पीढ़ी को समय रहते यौन शिक्षा नहीं दी गई हो और नैतिक कर्तव्य के बारे में न बताया गया हो।
स्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|ओर घर, पर भी बच्चे प्रौन फिल्मों का मोबाइल बडे भीआजकल एसे साईट देखते है। लैगिंग अपराध का बडना एक सामाजिक स्वत्रंता ,आजादी, ईन शब्दों का इस्तेमाल होता है। अनुशासन ही बच्चों ओर समाज मे ऐसे अपराधो को रोक सकता है।
बाल शोषण सभी शालाओं में नही होता है कुछ शाला में हो सकता है इसका मुख्य कारण है बच्चों को बाल शोषण के संबंध में पूर्ण जानकारी का अभाव के कारण शोषण होता है
Schoolon main baalshoshan hota hai ye dhaarna galat hai. Gaon main school adhiktar ekaant main hote hain. Adhiktar asaamaajik tatvon ka school ke aas paas hi dera hota hai. Unki ghatiya soch, roodhivaadita, aur unka ashikshit hona adi kaaranon se bal shoshan hota hai
बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है। इस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
स्कूल में बच्चों का यौन शोषण होता है! इसमें पूर्ण सच्चाई है! जब मोबाइल का युग नहीं था तब भी स्कूल में यौन शोषण होता था!अब मोबाइल आ जाने के कारण बच्चों को आसानी से यौन शोषण के झांसे में ले लिया जाता है जिसमें बड़े बच्चे भी हो सकते हैं स्कूल परिसर के आसपास रहने वाले लोग भी हो सकते हैं! यहां तक कि शिक्षक भी हो सकते हैं! मर्यादित रूप से कमजोर लोग यौन शोषण की ओर बढ़ जाते हैं और बच्चों को अपने जाल में फंसा लेते हैं! उदाहरण देकर यहां बता पाना संभव नहीं है! अतः इस मामले में बच्चों को शिक्षित और जागरूक करने की अत्यंत आवश्यकता है!
बाल शोषण के 2 प्रमुख कारण हैं। एक -उत्तेजक व गलत खानपान एवं वातावरण। दो- बच्चों, अभिभावकों व शिक्षकों में उचित जानकारी का अभाव ।यह जानकारी बच्चों के अधिकारों से संबंधित है ।इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|ओर घर, पर भी बच्चे प्रौन फिल्मों का मोबाइल बडे भीआजकल एसे साईट देखते है। लैगिंग अपराध का बडना एक सामाजिक स्वत्रंता ,आजादी, ईन शब्दों का इस्तेमाल होता है।
बच्चों के साथ शारीरिक ,मानसिक और भावनात्मक शोषण स्कूल में हो सकता है क्योंकि बच्चा अपना सबसे अधिक समय स्कूल में ही होता है क्योंकि बच्चों को गुड टच एंड बैड टच की जानकारी नहीं होती रानी पटेल प्राथमिक शिक्षक |
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना कि स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है। स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिकता ही रह जाती है। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है | कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं | जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरणों के माध्यम से पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
सबसे पहली बात तो यह है बहुत सा सामाजिक तत्व जो गांव में उपस्थित होते हैं वह स्कूल नहीं लग रहा होता है तो तो उसे अपने अय्याशी का अड्डा बना कर रखते हैं और बच्चे जो स्कूल लगने से पहले उपस्थित हो जाते तथा स्कूल बंद होने के बाद भी उपस्थित रहते हैं या तो उनकी ईव teasing का शिकार होते हैं गांव के एकांत में बने स्कूलों में सबसे बड़ी समस्या है कि वहां कोई सुनने हैं देखने वाला नहीं होता है तथा समय-समय पर छात्रों तथा शिक्षकों को यह सेमिनार में बताया जाना चाहिए कि किया क्या होता है तथा क्यों होता है
यह पूर्ण रूपेण सत्य नहीं है कि शालाओं में बाल शोषण होता है। हां,विद्यालय इसके अपवाद हो सकते है परन्तु उसके कारण और रोकथाम के उपायों को भी समझना अत्यावश्यक है। शालाओं में बाल उत्पीड़न के प्रमुख कारण प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में जागरूक करने हेतु समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविर आयोजित नहीं किए जाते है और यदि आयोजित भी होते है तो महज औपचारिक। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड एंड बैड टच एवं यौन शिक्षा आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।जबकि यह आज की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण एवं पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते है तथा उन्हें अपराधियों द्वारा यह कुकृत्य उजागर करने पर डराया-धमकाया जाता है । इसलिए सबंधित इस प्रकार के अपराधों का गरीबी वश अल्प लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी परिस्थिति वश शिक्षकों की निष्क्रयता एवं उपेक्षा करने से प्रोत्साहित होते है | कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं | जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां तथा सामाजिक विकृतियों भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। स्कूली बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की नितांत आवश्यकता है। उक्त के अलावा बच्चों के पलकों कि आर्थिक बदहाली,शाला भवनों का मानव बस्ती से दूर एकांत में होना,स्थानीय नशेड़ियों का अनाधिकृत प्रवेश तथा साथ ही एंड्रॉयड फोन्स भी इसके लिए आंशिक जिम्मेदार है।
जब छोटे बच्चे शाला में जाते है तो बड़े बच्चे छोटे बच्चों का भावनात्मक शोषण करते है उनको डरा कर धमका कर तथा उनको पीछे बिठालकर इस प्रकार बड़े बच्चे छोटे बच्चों का शोषण करते है।
Palkon,shikshkon ko bachchon se mitrwat vyavhar karke unka vishwas jeet kar,sabkuch batane se na darene se bachchon par hone wale yaonshoshan ki sambhawana ko kam kiya ja sakata hai
स्कूल में बाल शोषण क्यों होता है, इस पर अपने विचार साझा करें।
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना कि स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है। स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिकता ही रह जाती है। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है | कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं | जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरणों के माध्यम से पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। धन्यवाद !!!!!!
यह पूर्ण रूपेण सत्य नहीं है कि शालाओं में बाल शोषण होता है। हां,कुछेक विद्यालय इसके अपवाद हो सकते है परन्तु उसके कारण और रोकथाम के उपायों को भी समझना अत्यावश्यक है। शालाओं में बाल उत्पीड़न के प्रमुख कारण प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में जागरूक करने हेतु समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविर आयोजित नहीं किए जाते है और यदि आयोजित भी होते है तो महज औपचारिक। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड एंड बैड टच एवं यौन शिक्षा आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।जबकि यह आज की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण एवं पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते है तथा उन्हें अपराधियों द्वारा यह कुकृत्य उजागर करने पर डराया-धमकाया जाता है । इसलिए सबंधित इस प्रकार के अपराधों का गरीबी वश अल्प लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी परिस्थिति वश शिक्षकों की निष्क्रयता एवं उपेक्षा करने से प्रोत्साहित होते है | कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं | जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां तथा सामाजिक विकृतियों भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। स्कूली बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की नितांत आवश्यकता है। उक्त के अलावा बच्चों के पलकों कि आर्थिक बदहाली,शाला भवनों का मानव बस्ती से दूर एकांत में होना,स्थानीय नशेड़ियों का अनाधिकृत प्रवेश तथा साथ ही एंड्रॉयड फोन्स भी इसके लिए आंशिक जिम्मेदार है।
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बाल शोषणः भारत 2007 पर में कराये गये अध्ययन से पता चला कि विभिन्न प्रकार के शोषण में पांच से 12 वर्ष तक की उम्र के छोटे बच्चे शोषण और दुर्व्यवहार के सबसे अधिक शिकार होते हैं तथा इन पर खतरा भी सबसे अधिक होता है। इन शोषणों में शारीरिक, यौन और भावनात्मक शोषण शामिल होता है।
शारीरिक शोषण हरेक तीन में से दो बच्चे शारीरिक शोषण के शिकार बने। शारीरिक रूप से शोषित 69 प्रतिशत बच्चों में 54.68 प्रतिशत लड़के थे। 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे किसी न किसी प्रकार के शारीरिक शोषण के शिकार थे। पारिवारिक स्थिति में शारीरिक रूप से शोषित बच्चों में 88.6 प्रतिशत का शारीरिक शोषण माता-पिता ने किया। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार और दिल्ली से अन्य राज्यों की तुलना में सभी प्रकार के शोषणों के अधिक मामले सामने आये। 50.2 प्रतिशत बच्चे सप्ताह के सात दिन काम करते हैं। यौन शोषण 53.22 प्रतिशत बच्चों ने एक या अधिक प्रकार के यौन शोषण का सामना करने की बात कही। आंध्र प्रदेश, असम, बिहार और दिल्ली से लड़कों और लड़कियों के गंभीर यौन शोषण के सर्वाधिक मामले सामने आये। 20.90 प्रतिशत बच्चों ने गंभीर यौन शोषण का सामना करने की बात कही, जबकि 50.76 प्रतिशत बच्चों ने अन्य प्रकार के यौन शोषण की बात स्वीकारी। असम, आंध्र प्रदेश, बिहार और दिल्ली के बच्चों ने यौन प्रताड़ना का सबसे अधिक सामना किया। 50 प्रतिशत शोषक बच्चों के जान-पहचान वाले या विश्वसनीय लोग जिम्मेवार थे। भावनात्मक शोषण और बालिका उपेक्षा हर दूसरा उत्तरदाता बच्चा भावनात्मक शोषण का शिकार है। बालक और बालिका के समान प्रतिशत ने भावनात्मक शोषण का सामना करने की बात स्वीकार की। 83 प्रतिशत मामलों में माता-पिता ही शोषक थे। 48.4 प्रतिशत लड़कियों ने कहा कि वे लड़के होते तो अच्छा था।
बाल अधिकार के बारे में बच्चों को जागृत करना चाहिए जिससे स्कूलों में बाल शोषण की कमी आएगी मोबाइल इंटरनेट का दुरुपयोग अधिक हो रहा है साथ ही लोगों की घटिया मानसिकता गंदी सोच नेता की कमी कभी गरीबी और कभी अशिक्षा इन अपराधों का कारण बनते हैं।
जरूरी नहीं है कि हर स्कूल में बच्चों के साथ यौन शोषण होता ही हो। पर इसकी संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता। बाल सुरक्षा नियमों के प्रतिकूल परिस्थितियों को इसका जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। जो स्कूल नितांत एकांत व निर्जन स्थानों पर होते हैं वहाँ इस तरह के दुर्व्यवहार की कल्पना की जा सकती है।
स्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|
बच्चो के साथ शारीरिक,मानसिक और भावनात्मकशोषण स्कूल हो सकता हैं। क्योंकि बच्चा अपना सबसे अधिक समय स्कूल में ही होता हैं। क्योंकि बच्चो को गुड टच एंड बैड टच की जानकारी नहीं होती हैं।वहा इस तरह के दुर्व्यवहार कि कल्पना को जा सकती हैं। Nk
स्कूलों में बच्चो का शोषण असामाजिक तत्वों द्वारा है सकता हैं।इसलिए विद्यालयों में बच्चो के सुरक्षा के प्रबन्ध होना अत्यावश्यक हैं। इसके अतिरिक्त,जागरूकता के अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं। बाल अधिकारों को जानकारी सभी को होनी चाहिए।
नमस्कार... स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना कि स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है। स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिकता ही रह जाती है। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है | कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं | जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरणों के माध्यम से पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
स्कूल में बाल शोषण होता है इस पर मेरे विचार से स्कूल में बाल शोषण का होना प्रतीत नहीं होता है कुछ स्कूल इसके अपवाद हो सकते हैं इसमें कुछ विकृत मानसिकता वाले कर्मचारी कार्यरत होते हैं जैसा कि यदा-कदा कभी-कभी अखबारों में भी इस प्रकार की सूचनाएं एवं खबरें प्रकाशित होकर सुनने एवं पढ़ने को मिलती है जो कि सर्वथा शिक्षा के जैसे संस्थानों में उचित नहीं कही जा सकती स्कूल विद्या दान का मंदिर है यहां पर छात्रों को उनके परिजनों को एवं अन्य सभी आगंतुकों को उचित एवं जीवन में उन्नति युक्त शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है यदि स्कूलों में इस प्रकार की कोई तत्व कार्यरत है तो उनके खिलाफ इस प्रकार के कानूनों का इस्तेमाल कर उन्हें अपने किए गए कृत्य की सजा आवश्यक रूप से दिलवाना चाहिए इस बाबत सरकार ने पॉक्सो एक्ट के नियमों के प्रावधानों को बनाकर उनका प्रचार-प्रसार करने के लिए तेजी से कार्य करने बाबत कदम उठाया है साथ ही शालाओं में प्रति शनिवार को जीवन कौशल उमंग के माध्यम से इस विषय पर छात्रों को शिक्षित करना प्रारंभ किया है साथ ही सरकार के द्वारा यौन शोषण के प्रति बनाए गए कानूनों का युद्ध स्तर पर प्रचार प्रसार कर छात्रों को उनके अभिभावकों को उनके माता-पिता को जन समुदाय को इस बारे में सचेत और जागृत किया जाना चाहिए ताकि इस प्रकार की घटनाओं के होने पर संबंधित व्यक्ति को उसके किए गाय कृत्य का अंजाम भली-भांति कानूनों का पालन कर दिलवाया जा सके साथ ही ऐसे कृत्यों के प्रति को जन समुदाय को जागरूक किया जाना चाहिए जोकि लोक लाज के डर से अशिक्षा गरीबी एवं अन्य कारणों से ऐसे मामलों को दवा लेते हैं उन्हें जागरूकता और प्रचार प्रसार कर संबंधित पक्षों को कानूनों का उपयोग करने बाबत सबल बनाया जाना चाहिए ताकि इस प्रकार की त्रासदी का अंत हो सके एक सामाजिक अच्छे परिवेश का निर्माण हो सके बाल शोषण स्कूलों में एक कलंक के रूप में देखा जाना चाहिए तथा स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों प्रबंधन कोएक स्वास्थ एवं सौहार्द्र वातावरण का निर्माण कर दो एवं कानूनों का उपयोग करने बाबत जनसमुदाय को जागरूक कर इस प्रकार बाल शोषण के कृतित्व पर रोक लगाकर छात्रों को उन्नति की ओर अग्रसर कर छात्रों का सर्वांगीण विकास का समाज एवं समुदाय के भलाई के लिए कार्य करना चाहिए धन्यवाद
GMS CHAKGUNDHARA MORARRURAL Gwalior 18 साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे के साथ जानबूझकर मानसिक या शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाना या दुर्व्यवहार करना आदि बाल शोषण माना जाता है। जो कानूनी तौर पर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। बाल दुर्व्यवहार के कई रूप होते हैं, जैसे कि-
शारीरिक शोषणः शारीरिक बाल शोषण की स्थिति तब होती है जब किसी बच्चे को शारीरिक तौर पर जानबूझकर नुकसान पहुंचाया जाता है। यौन शोषणः यौन शोषण की स्थिति तब होती है जब किसी बच्चे के साथ शारीरिक तौर पर दुर्व्यवहार, यौन रिश्ता, सेक्स, ओरल सेक्स, गुप्तांओं का गलत तरीके से छूना या चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जाती है। भावनात्मक शोषणः भावनात्मक बाल दुर्व्यवहार का अर्थ है बच्चे के आत्मसम्मान या भावनात्मक स्थिति को नुकसान पहुंचाना। इसमें मौखिक और भावनात्मक हमले शामिल हो सकते हैं- जैसे बच्चे को जबरन शांत करना, उसे दूसरे बच्चों से एकदम अलग रखना, उसे अनदेखा करना या अस्वीकार करना। चिकित्सक शोषणः जब कोई जानबूझकर किसी बच्चे को बीमार करता है, तो उसे चिकित्सा की आवश्यकता होती है। जिसकी वजह से बच्चे को अनावश्यक चिकित्सा देखभाल की जरूरत पड़ती है। यह मानसिक विकार के कारण हो सकता है, जैसे- माता-पिता किसी बच्चे को नुकसान पहुंचाते हैं। बाल उपेक्षाः पर्याप्त भोजन, आश्रय, स्नेह, माहौल, शिक्षा या चिकित्सा देखभाल न मिलना। स्कूलों में भावनात्मक शोषण , बाल उपेक्षा और शारीरिक शोषण के ज्यादा मामले होते हैं यह ज्यादातर पुरानी कुरीतियों और अधिकारों की जानकारी ना होने की वजह से होते हैं यौन शोषण के मामले स्कूलों में कम होते हैं ये मामले विक्षिप्त मानसिकता बाले व्यक्तियों द्वारा किए जाते हैं
बाल शोषण एक सामाजिक अभिशाप है । मेरे विचार से सरस्वती के सदन में ऐसे कार्य नही होते है। यदि होते है तो कुत्सित और घृणित है। इसके निवारण के लिए शिक्षित समाज होना चाहिए ।
Schoolon Mein Bal shoshan ke Kai Karan Hai anman ashiksha andhvishwas Aur Garibi Pramukh Hai Shiksha Ke Karan Mata Pita bacchon Ke Parthen Parthen per Dhyan Nahin De paate Jin bacchon ko ghar mein guide nahin kiya Jata vah kamjor pad Jaate Hain tatha Shikshak bhi Dhyan Dena kam kar dete Hain dusra andhvishwas ashikshit Mata Pita Ke Man Mein Ek dharana Hoti Hai Ki Shiksha Hamare Bhagya mein Main Nahin Hai Tu Bhala Hamare bacche ke Bhagya mein kahan se Aaegi fal Swaroop bacchon Ki Shiksha Diksha per Dhyan Nahin dete Teesra Garibi Garibi Ke Karan Mata Pita bacchon ko sala Mein Naam Likha kar avashyakta ki purti Samay per nahin kar paate Sath hi Apne bacchon Ko Bhi kam per Le Jaate Hain Aise bacche Jab sala Mein Aate Hain To padhaai Mein Unka man Nahin lag pata
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
स्कूल में बाल शोषण इसलिए भी होता है क्योंकि बच्चा निर्णय लेने के लिए परिपक्व नहीं होता उस में जागरूकता की कमी होती है वह गलत और सही के बीच अंतर नहीं कर पाते बाल अधिकारों की जानकारी का अभाव होता है माता-पिता शिक्षकों को संविदा एवं आदि में भी जागरूकता एवं बाल अधिकारों की जानकारी नहीं होती है बच्चा गुड टच और बैड टच की जानकारी नहीं होती है बढ़ती उम्र विद्यालय का प्रवेश का भी विशेष प्रभाव होता है रूढ़िवादी विचारधारा एवं लैंगिक असमानता आदि भी बाल शोषण के लिए उत्तरदाई होते हैं स्कूल एवं माता-पिता समुदाय आदि का प्रशिक्षित ना होना बाल अधिकारों के बारे में जानकारी ना होना बाल शोषण की प्रमुख कारण है आता है बच्चों को उनके बाल शोषण के अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए माता पिता समुदाय एवं शिक्षकों को बाल शोषण का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे सभी मिलकर बाल शोषण से बच्चों को मुक्त रख सकें
स्कूलों में बाल यौन शोषण क्यों होता है ? इसके लिए मुख्य कारण निम्नलिखित है- 1-संस्था प्रमुख एवं शिक्षकों द्वारा अभिभावकों एवं स्कूली बच्चों से से बातचीत न करना और उन्हें यौन शोषण के बारे में शिक्षित नहीं करना - संस्था प्रमुख एवं शिक्षकों को जागरूकता हेतु एवं बाल यौन शोषण की रोकथाम के लिए विभिन्न प्रकार की भूमिका एवं समझ विकसित करने के लिए समय-समय पर बैठक का आयोजन करना चाहिए। जिससे बच्चों में भी अपने अनुभव और अपने मन की बात बिना किसी संकोच के साझा कर सकें। बच्चों के माता-पिता से चर्चा कर समस्या को गंभीरता से लेते हुए उनके स्वभाव में यदि कोई अंतर या नकारात्मक अनुभव ,है उन्हें आपस में साझा करना नितांत आवश्यक है साथ ही साथ इसके लिए उपयुक्त कदम उठाने के लिए मदद भी मिलती है।
2- साथी शिक्षकों में जागरूकता का अभाव माइनस बाल लैंगिक शोषण पर सभी शिक्षकों में जागरूकता का अभाव होता है तथा वह संकोच बस ना तो प्राचार्य को और ना ही संस्था के विद्यार्थियों को साथ ही साथ उनके अभिभावकों को इस हेतु सूचना प्रदान करते हैं। बाल यौन शोषण और इसकी रोकथाम के लिए संस्था में कार्यशाला तथा प्रशिक्षण का आयोजन करना नितांत आवश्यक है जिससे सभी शिक्षक इस विषय में संवेदनशीलता के साथ समझें और शोषण को रोकने के लिए अपनी भूमिका को समझें। इस विषय पर अन्य शिक्षकों के साथ संवाद करना है, ताकि हम सभी बाल यौन शोषण से निपटने के लिए जागरूक और सचेत हो सकें।
3- यौन शोषण के बारे में बच्चों को शिक्षित ना करना - इसके लिए निम्न कारक जिम्मेदार हैं 1-अगर आपके शरीर के इन हिस्सों को छूता है, तो वह गलत स्पर्श है यानी बच्चों के साथ गलत स्पर्श भी होते हैं। गुड टच एवं बैड टच के बारे में बच्चों को अवगत नहीं कराना यही से बाल यौन शोषण का आरंभ होता है।, 2-किसी को भी बच्चों के शरीर के इन हिस्सों को छूने की अनुमति के बारे में जानकारी नहीं देना जैसे - छाती, होंठ पैरों के बीच में ,कमर के नीचे। 3-बच्चों का अपना शरीर निजी संपत्ति है इसके संबंध में जानकारी नहीं देना। 4- यदि कोई व्यक्ति गलत ढंग से बालक बालिकाओं को स्पर्श करता है तो आपको उसे मना करना है और उनके माता-पिता या शिक्षक दिन पर आप भरोसा करते हैं उन्हें सूचित करना। के बारे में जानकारी से अवगत संस्था प्रमुख या शिक्षक द्वारा नहीं करना बाल यौन शोषण का मुख्य कारण है।
3- संस्था प्रमुख या शिक्षक द्वारा यौन शोषण के बारे में बच्चों को शिक्षित ना करना - अक्सर ऐसा देखने में आता है कि बच्चों को बाल शोषण के बारे में जागरूक करने के लिए संस्था प्रमुख या शिक्षक द्वारा शिक्षित नहीं किया जाता है। एक साथी मित्र के रुप में यह आपका दायित्व है कि अगर बच्चों के साथ कोई भी दूर व्यवहार होता है तो सबसे पहले उनके माता-पिता या अभिभावक को बताना चाहिए। साथ ही साथ बड़े बच्चों को इस मुद्दे की गंभीरता को समझाना और उसकी रोकथाम के लिए सहयोग लेना तथा बच्चों के व्यवहार पर भी नजर रखना नितांत आवश्यक है साथ ही साथ यदि उनके व्यवहारों में कोई अंतर आता है, तो किसी तरह की समस्या पैदा होने की स्थिति में शिक्षकों, पालकों एवं संस्था प्रमुखों को समय-समय पर ध्यान आकृष्ट कराते रहना चाहिए। 4- शिक्षकों एवं संस्था प्रमुखों द्वारा बच्चों को आत्म जागरूकता न उत्पन्न कर पाना भी यौन शोषण का मुख्य कारण है। साथ ही साथ बाल यौन शोषण रोकने के लिए सबसे पहले आत्म जागरूकता की भावना भी होनी चाहिए। साथ ही साथ इनमें गंभीर मुद्दों के बारे में बच्चों को शिक्षित करना तथा शोषण को रोकने के लिए सही कदम उठाना। खुद को शिक्षित करने के लिए पास्को अधिनियम 2012 और बाल अधिकारों को अच्छी तरह से समझने के लिए अनेकों संसाधनों जैसे इंटरनेट, किताबों, अखबारों इत्यादि का उपयोग करना एवं बच्चों को जागरूकता हेतु शाला में बच्चों के साथ कार्य योजना बनाना तथा बच्चों के साथ अपने अनुभवों का विश्लेषण करना नितांत आवश्यक है। 5- विद्यालय तथा सामुदायिक स्तर पर बाल यौन शोषण एवं बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए रणनीतियां नहीं बनाना तथा इसे अपनाने के लिए पहल नहीं करना शिक्षक अभिभावक तथा बच्चों की देखभाल नहीं करना लोगों को ऐसे मुद्दे पर गंभीर नहीं होना तथा बच्चों एवं शिक्षकों के साथ इन मुद्दों पर विचार -विमर्श नहीं करना भी बाल यौन शोषण का मुख्य कारण है। 6- विद्यालय स्तर पर बाल सुरक्षा कमेटी का गठन नहीं करना। 7- विद्यालय सूचना पटल पर चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 को अंकित नहीं करना और ना ही बच्चों को हेल्पलाइन नंबर को मुहैया कराना बाल यौन शोषण मुख्य कारण है।
स्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|
स्कूलों में बाल यौन शोषण का कारण अभिभावकों की जागरूकता में कमी अभिभावकों का ज्यादा पढ़ा लिखा ना होना अपने बच्चे की मन की भावनाओं को ना समझना उनको अच्छे बुरे का ज्ञान ना देना अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को समझें मैं अच्छे बुरे का ज्ञान कराकर उनसे प्रेम पूर्वक हर बात को पूछे, यदि अभिभावक अपने बच्चे से एक झिझक खत्म होती है तो कहीं ना कहीं बाल यौन शोषण को रोका जा सकता है लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र में बाल यौन शोषण होने के बावजूद भी अभिभावक उस चीज कोदबा देते हैं जिससे यौन शोषण करने वाले को बढ़ोतरी मिल जाती है
School mein bal shoshan ka Karan bacchon AVN abhibhavak on mein jagrukta ki Kami hai Sahi gyan na hone ke Karan bacche shoshan Ka shikar hote Hain. Shikshakon dwara yon shoshan per charcha nakanna bhi iska ek Karan hai. Samay se purv yah avkash ke dinon mein bhi Salon mein aisi ghatnayen pravakta se ho jaati Hain.chhatron ko tak bete ki bhi jankari Nahin Hoti hai.
स्कूलों में बाल शोषण के कई कारण है उनमें अशिक्षा अंधविश्वास और गरीबी प्रमुख है अशिक्षा के कारण माता-पिता बच्चों के पठन-पाठन पर ध्यान नहीं दे पाते जिन बच्चों को घर में गाइड नहीं किया जाता वह कमजोर पड़ जाते हैं तथा शिक्षक भी ध्यान देना कम कर देते हैं दूसरा अंधविश्वास अशिक्षित माता-पिता के मन में एक धारणा होती है कि शिक्षा हमारे भाग्य में नहीं है तो भला हमारे बच्चों के भाल में कहां से आएगी फलस्वरूप बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर ध्यान नहीं
में योगेन्द्र सिंह रघुवंशी GMS बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी बाल शोषण का मुख्य कारण बच्चो जागरूकता का अभाव जिसे माता पिता अभिभावक शिक्षक बाल शोषण के प्रति जागरूक करने से बाल शोषण जैसे कृत्य पर रोकथाम की जा सकती हैं स्कूल में बाल शोषण का मेरे विचार से मुख्य कारण बच्चो को जानकारी का अभाव है जिसे हम सबको बच्चो को जानकारी दी जानी चाहिए
बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|ओर घर, पर भी बच्चे प्रौन फिल्मों का मोबाइल बडे भीआजकल एसे साईट देखते है। लैगिंग अपराध का बडना एक सामाजिक स्वत्रंता ,आजादी, ईन शब्दों का इस्तेमाल होता है। अनुशासन ही बच्चों ओर समाज मे ऐसे अपराधो को रोक सकता है।
Bachcho ke sath sharirik manshik or bhavnatmak shoshan school me ho sakta hai kyoki bachcho ko apne adhikaro ki jankari nhi hoti hai bachche good touch or badtouch nhi jante
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
शाला में बच्चों का शोषण हो सकता है शाला बंद होने के बाद असामाजिक तत्वों का शाला में आना शाला के आसपास जमा होना शाला प्रभारी को इस ओर निरंतर ध्यान देना चाहिए कि हमारी शाला में क्या शाला के आसपास साला लगने के बाद कोई असामाजिक तत्व शाला में प्रवेश ना करें शाला का वातावरण साफ एवं स्वच्छ बच्चों के अनुकूल हो सुरक्षित हो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान शिक्षक प्रधानाध्यापक पालक सभी इस ओर ध्यान दें बच्चों को गुड टच बेड टच के बारे में बताएं मीटिंग में बालकों को भी इस बारे में बताएं ताकि वह अपने बच्चों को इस बारे में अच्छे से बता सके बच्चों को ही इस बारे में सजग रहना चाहिए यह काम माता पिता बचपन से ही बच्चे को सिखाएं स्कूल में शिक्षक इस बारे में बच्चों से बात करें इस बारे में बच्चों से बात करें बच्चे साला समय पर ही स्कूल आए और छुट्टी होने के बाद सीधे घर जाए बात का ख्याल साला प्रभारी एवं शिक्षक पालक सभी रखें तो बच्चों का शाला में शोषण होने से रोका जा सकता है हो सके तो पुलिस की भी मदद ले शाला में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दें बच्चों को निरंतर इस बारे में शिक्षित करें
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
Tulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal. यह पूर्ण रूपेण सत्य नहीं है कि शालाओं में बाल शोषण होता है। हां,कुछेक विद्यालय इसके अपवाद हो सकते है परन्तु उसके कारण और रोकथाम के उपायों को भी समझना अत्यावश्यक है। बाल अधिकार के बारे में बच्चों को जागृत करना चाहिए जिससे स्कूलों में बाल शोषण की कमी आएगी
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
जागरुकता के अभाव में,लालच और डर आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
बच्चों को बिधालय में सुरक्षित बातावरण देना सभी का दायित्व है और समय-समय पर बालशोषण की जानकारी नहीं दी जाती है जब कि बच्चों को और समुदाय को समय-समय पर बालशोषण की जानकारी दी जाना चाहिए
बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है।जागरुकता के अभाव में,लालच और डर आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए। इस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
लालच प्रलोभन और जागरुकता के अभाव आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है,अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए बच्चों को हर क्षेत्र में जागरूक करना चाहिए। सुनिल सिसोदिया शासकीय माध्यमिक विद्यालय मुण्डला जेतकरण
बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है। इस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
स्कूल में बाल शोषण इसलिए भी होता है क्योंकि बच्चा निर्णय लेने के लिए परिपक्व नहीं होता उस में जागरूकता की कमी होती है वह गलत और सही के बीच अंतर नहीं कर पाते बाल अधिकारों की जानकारी का अभाव होता है माता-पिता शिक्षकों को संविदा एवं आदि में भी जागरूकता एवं बाल अधिकारों की जानकारी नहीं होती है बच्चा गुड टच और बैड टच की जानकारी नहीं होती है बढ़ती उम्र विद्यालय का प्रवेश का भी विशेष प्रभाव होता है रूढ़िवादी विचारधारा एवं लैंगिक असमानता आदि भी बाल शोषण के लिए उत्तरदाई होते हैं स्कूल एवं माता-पिता समुदाय आदि का प्रशिक्षित ना होना बाल अधिकारों के बारे में जानकारी ना होना बाल शोषण की प्रमुख कारण है आता है बच्चों को उनके बाल शोषण के अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए माता पिता समुदाय एवं शिक्षकों को बाल शोषण का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे सभी मिलकर बाल शोषण से बच्चों को मुक्त रख सकें
स्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं|
मोहम्मद अजीम सहायक अध्यापक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रैगांव जिला सतना दुनिया में हर जगह अच्छे और बुरे इंसान होते हैं उसी तरह स्कूल के विभिन्न स्टॉफ मैं भी अच्छे और बुरे लोग होते हैं यह कोई स्कूल की बात नहीं है जिस तरह बच्चे बाहर असुरक्षित हैं उसी तरह स्कूल में भी । हां स्कूल में बच्चे ज्यादा समय के लिए मां बाप से दूर होते हैं इसलिए शोषण के ज्यादा चांस स्कूल में होते हैं
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।स्कूल में बालशोषण नही होता यदि होता भी है तो समाज में फैली कुरीतियों के कारण बच्चों में वह मानसिकता पनपती है। जिससे बच्चे किसी भी अनर्थक व्यक्ति की बातो में आकर फंस जाते है । इन घटनाओं को न पालक समझ पाता है और न ही शिक्षक जब तक यह बात घर या स्कूल में पहुंचती है तब तक बहुत समय बीत जाता है और बालक या बालिका शोषण का शिकार हो जाते है।
बच्चों एवं शिक्षक दोनों की सजगता जरूरी हैं जिससे बच्चों का समग्र विकास हो सके। उपरोक्त संदर्भ में यह कहना कि स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है।
School me balshoshan nahi hota h lakin choti mansikta ke kuch log yaha per bhi bhavnatak chot pahuxhate h.sabse jaruri h school me students ko moral support dena sath hi unko sahi or galat spersh ki jankari dena,khud ke gher me bhi apne relatives se bhii savdhan rahna kyoki bchhe apno se bhi asurakshit ho sakte h,teachers ko unme jagrukta lani hogi.jisse we apna bachav ker sake
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के बच्चों के लिए गुड टच और बैड टच की जानकारी होना चाहिए और बाल शोषण के रूप में नैतिक कानूनों का ज्ञान होना चाहिए टीवी पर फिल्में आदि बच्चों के मनोरंजन के हिसाब से होना चाहिए ना कि शोषण यौन शोषण के हिसाब से शैक्षणिक गतिविधियों में गुड टच बैड टच को का समावेश होना चाहिए नैतिक मूल्यों का उत्थान होना चाहिए असामाजिक तत्वों से अपने आप को बचाना चाहिए एवं खुलकर आने तक कृतियों का के दुष्चक्र से दूर रहना चाहिए।।
बच्चों को बिधालय में सुरक्षित बातावरण देना सभी का दायित्व है और समय-समय पर बालशोषण की जानकारी नहीं दी जाती है जब कि बच्चों को और समुदाय को समय-समय पर बालशोषण की जानकारी दी जाना चाहिए
जागरुकता के अभाव में,लालच और डर आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
स्कूलों में बाल शोषण वैसे तो नहीं होता है फिर भी यदि आंशिक रूप से बाल शोषण को कहीं प्रकार से देखा जा सकता है बालक का शारीरिक शोषण मानसिक शोषण तथा लैंगिक शोषण और उपेक्षा के माध्यम से बाल शोषण हो सकता है लेकिन यदि शिक्षक की सतर्कता हो तो स्कूलों में बाल शोषण नहीं के बराबर या यह समस्या उत्पन्न ही नहीं हो सकती है।।आ राजेश कुमार जांगिड़ ढोटी स्कूल, जिला श्योपुर ,मध्य मध्य प्रदेश।।आq
बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है। इस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
स्कूल में बाउंड्री न होने के कारण असामजिक तत्व आते जाते रहना । बच्चों का दूसरे ग्राम से लम्बी दूरी करके आना । मोबाइल के दुरुपयोग आदि कारण बाल शोषण के कारण हो सकते है ।
स्कूलों में लैंगिक अपराध होने के लिए जिम्मेदार कारणों में -बच्चों में जागरूकता की कमी , विकृत मानसिकता वाले लोगॉ की अमानवीय सोच, बच्चों को भय ,लालच और असहज भाव और शिक्षकों को इस बारे में उचित प्रशिक्षण न होना, समाज मे हो रहे नित्य बदलाव और मोबाइल, इंटरनेट आदि पर परोसे जाने वाले अश्लील सामग्री ,ये सभी जिम्मेदार हैं
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है।
स्कूल गाँव क बाहर एवं एकांन्त मे स्थापित है, अव काश के दिनों मे आसमाजिक तत्व स्कूल परिसर को आसमाजिक कार्यों का अड्डा बना लेते हैं जो बच्चे शाला कार्य दिवसो ं समय के पूर्व आते हैं, शोषण की संभावना अधिक होती है| परिसर के आस पास की गुमठियों पर भी इस तरह के व्यक्ति खड़े होकर अवसर पाकर बच्चों को गंदी नजरों से निहाते व रास्तें में क्षेड़ते है ,इन घटनाओं को शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |
बच्चों का यौन शोषण एक कमजोर विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति करते है।ऐसे व्यक्ति बच्चों की अपरिपक्वता ,बच्चों को यौन शिक्षा की जानकारी का होना। वस्तुओं की लालच ,भोलेपन के कारण बच्चों के शोषण मे सफल हो जाते है।इसके लिये बच्चों को बाल अधिकार,यौन शिक्षा दी जानी चाहिए।
Bachchon me jagrukta ki kami ke karn laingik apradh hote. Bachche bhole bhale nasmjh hote hai. Apradhi kism ke log, kabhi bhay,dar, dikhakr kabhi lalch dekar bachchon ke sath apradh karte hai. Aaj ka midiya bhi dosi hai.bachche din bhar mobail,telibigan par dekhte hai.jiska galt asar padta hai.
बच्चों का यौन शोषण एक कमजोर विकृत मानसिकता वाले व्यक्ति करते है।ऐसे व्यक्ति बच्चों की अपरिपक्वता ,बच्चों को यौन शिक्षा की जानकारी का होना। वस्तुओं की लालच ,भोलेपन के कारण बच्चों के शोषण मे सफल हो जाते है।इसके लिये बच्चों को बाल अधिकार,यौन शिक्षा दी जानी चाहिए|
लोकेश विश्वकर्मा, हर्रई, छिंदवाड़ा जागरूकता के अभाव में या लालच या डर आदि के कारण सी बच्चों के साथ शोषण स्थिति बन सकती है। बच्चों में सामाजिक जागृति लाना चाहिए एवं शोषण के बारे में जानकारी प्रदान करना चाहिए। स्कूल में बाल शोषण होता है, यह कहना उचित नहीं है।
Bachche nasamajh hote hai.isliye aaksar bal soshan hota hai .bal soshan na ho iske liye bachchon ko School me bal soshan sambandhi jankari dena chahiye.(DBSINGH)
स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।शाला में बच्चों का शोषण हो सकता है शाला बंद होने के बाद असामाजिक तत्वों का शाला में आना शाला के आसपास जमा होना शाला प्रभारी को इस ओर निरंतर ध्यान देना चाहिए कि हमारी शाला में क्या शाला के आसपास साला लगने के बाद कोई असामाजिक तत्व शाला में प्रवेश ना करें शाला का वातावरण साफ एवं स्वच्छ बच्चों के अनुकूल हो सुरक्षित हो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान शिक्षक प्रधानाध्यापक पालक सभी इस ओर ध्यान दें बच्चों को गुड टच बेड टच के बारे में बताएं मीटिंग में बालकों को भी इस बारे में बताएं ताकि वह अपने बच्चों को इस बारे में अच्छे से बता सके बच्चों को ही इस बारे में सजग रहना चाहिए यह काम माता पिता बचपन से ही बच्चे को सिखाएं स्कूल में शिक्षक इस बारे में बच्चों से बात करें इस बारे में बच्चों से बात करें बच्चे साला समय पर ही स्कूल आए और छुट्टी होने के बाद सीधे घर जाए बात का ख्याल साला प्रभारी एवं शिक्षक पालक सभी रखें तो बच्चों का शाला में शोषण होने से रोका जा सकता है हो सके तो पुलिस की भी मदद ले शाला में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दें बच्चों को निरंतर इस बारे में शिक्षित करें। श्रीमती चंद्रिका कौरव एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा नरसिंहपुर मध्य प्रदेश
अविभावक एवं छात्रों में जागरूकता का अभाव , शिक्षकों की बच्चों से व्यक्तिगत लगाव में कमी, छात्रों की बातों पर ध्यान नहीं देना, छात्रों को गुड टच बेड टच की जानकारी नहीं होना,कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे स्कूलों में बच्चों का बाल शोषण होता है।
स्कूल में बाल शोषण क्यों होता है इस टॉपिक पर मेरा विचार यह है की सभी स्कूलों में बाल शोषण होता है तो पूर्ण रूप से गलत है हां एक दो परसेंट स्कूल में हो सकता है तो उसके बहुत से कारण है इन कारणों पर शासन अपनी नीति व कानून के आधार पर सुधार कर सकने में सक्षम है फिर भी मेरा कहना है की विद्यालय एक मंदिर है एवं शिक्षक उसका पुजारी है वह नित्य प्रतिदिन अपने कर्मानुसार कर्तव्य का पालन करता है लेकिन कुछ जगह गलत सोच विकृत मानसिकता अज्ञानी लोग इस तरह के कृत्य करते हैं उन पर शासन अपनी नीति व कानून प्रक्रिया के आधार पर सुधार कर सकते हैं अभी तो यह है मानसिक रोग की तरह है इसे जितना सोचेंगे कहेंगे समझेंगे मैं उतना ही दिखेगा थैंक यू जय प्रकाश पवार प्राथमिक शिक्षक इंडिया डाइस कोड 2333 04 09301 तहसील नसरुल्लागंज जिला सीहोर मध्य प्रदेश
बचपन बच्चे का सबसे खुशहाल समय होता है अपने बचपन को याद करेंगे तो हमें बचपन की सुनहरी यादें याद आ जाएंगे बचपन में हम स्वतंत्र रूप से खेलना कूदना पढ़ना लिखना सब स्वतंत्रता से करते रहते हैं नगर जब वह स्कूल में आता है वहां भी वह अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है मगर तेज परिस्थितियों में वह अपने आप को असुरक्षित महसूस करता है बाल शोषण एक गंभीर विषय बनता जा रहा है इसके लिए बच्चों को भी लैंगिक शोषण किस तरह का हो सकता है इस ओर उनका ध्यान आकर्षित करना होगा हमें विशेष रूप से लैंगिक अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 जिससे शिक्षक बच्चों को लैंगिक अपराध से सुरक्षित रख सकता है विद्यालय में शिक्षक का महत्व होता है जिससे वह बच्चों को विभिन्न द्वारा विभिन्न संस्थाओं के द्वारा जीवन को बहुआयामी बना सकता है बच्चे जो है बच्चे पशुओं में पढ़ने से वह गलत आदतों का शिकार हो जाता है और वहां अपने ही प्रतीत शेरों से होता है इससे बचने के लिए शिक्षक और परिवार के सदस्यों का महत्वपूर्ण पारिवारिक सदस्यों को पता होना चाहिए उसमें आज तो मैं क्या करूं तन हो रहा है यह भी उसे घर वालों को पता होना चाहिए मेरी यादों में कुछ परिवर्तन होता है और वह विभिन्न प्रकार की गतिविधि करता है जो प्रतिदिन की प्रतिक्रिया से भिन्न हो तो समझना चाहिए कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा है। इन बातों का बहुत अधिक ध्यान घर के सदस्यों को रखना होगा तभी हम बाल लिंग्कि अपराधों को रोक सकते है।
Janki thakur जागरुकता के अभाव में,लालच और डर आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
शोषण होने का मुख्य कारण बच्चों में जागरूकता का अभाव है स्कूलों में बाल वह अपने द्वारा अपने स्कूलों में बाल शोषण होने का मुख्य कारण बच्चों में जागरूकता का अभाव है वह बाल अधिकारों से अनभिज्ञ रहते हैं इसके लिए उन्हें बाल अधिकारों से परिचित कराने की आवश्यकता है जिससे बाल शोषण जैसी घटनाएं स्कूलों में कम से कम हो
दिलीप सिंह ठाकुर, शिक्षक, शासकीय एकीकृत शाला, घाना, घुन्सौर, जबलपुर के अनुसार बाल अवशोषण, लैंगिग अपराध,योन शोषण जैसे गंभीर अपराध माने जाते हैँ। मेरे अनुसार ये अक्षम्य अपराध हैँ। मानसिक विकृति के उदाहरण हैँ.... दिलीप सिंह, जबलपुर
Lakhanlal vishwakarma GMSUncha असामाजिक तत्वों द्वारा वासियों का बाल शोषण किया जाता है बच्चों को अधिकतर ज्ञान नहीं होता हैउन्हें डराया धमकाया जाता है जिससे भी किसी से अवगत नहीं कर पाते और शोषण का शिकार होते हैं
स्कूल में बाल शोषण इसलिए भी होता है क्योंकि बच्चा निर्णय लेने के लिए परिपक्व नहीं होता उस में जागरूकता की कमी होती है वह गलत और सही के बीच अंतर नहीं कर पाते बाल अधिकारों की जानकारी का अभाव होता है माता-पिता शिक्षकों को संविदा एवं आदि में भी जागरूकता एवं बाल अधिकारों की जानकारी नहीं होती है बच्चा गुड टच और बैड टच की जानकारी नहीं होती है बढ़ती उम्र विद्यालय का प्रवेश का भी विशेष प्रभाव होता है रूढ़िवादी विचारधारा एवं लैंगिक असमानता आदि भी बाल शोषण के लिए उत्तरदाई होते हैं स्कूल एवं माता-पिता समुदाय आदि का प्रशिक्षित ना होना बाल अधिकारों के बारे में जानकारी ना होना बाल शोषण की प्रमुख कारण है आता है बच्चों को उनके बाल शोषण के अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए माता पिता समुदाय एवं शिक्षकों को बाल शोषण का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे सभी मिलकर बाल शोषण से बच्चों को मुक्त रख सकें
स्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|
बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है। इस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
मौजूदा परिप्रेक्ष्य में स्कूलों में बाल शोषण नहीं होता है क्योंकि अब यह अपराध की श्रेणी में आता है बच्चों का आपस में एक दूसरे का मजाक उड़ाना जाति शारीरिक बनावट मोटा पतला लंबा छोटा इस आधार पर या या उनका आपस का मनमुटाव उस रूप को ले लेता है खासकर घरों में पालक का पढ़ा लिखा ना होना सामाजिक आर्थिक श्रेणी में पिछड़ापन कई बार ऐसी भावनाओं को व्यक्त करता है कि वह छात्र छात्राओं के खेलने साथ पढ़ने उठने बैठने में पोषित होते-होते शोषण की श्रेणी में आ जाता है अन्यथा स्कूलों में अब यह नहीं होता है
स्कूल में बच्चों को बाल शोषण की जानकारी का अभाव होने से बाल शोषण होता है। शाला में सुरक्षित बाउंडरीवाल होना एवं शिक्षकों द्वारा भी शालाओं में छात्रों को व्यक्तिगत सुरक्षा के बारे में समझाना चाहिए यदी किसी बच्चे के साथ ऐसा कोई शोषण हो रहा हो, तो उसे अकेले में सही मार्गदर्शन दे सकते हैं।
स्कूलों में बच्चों के साथ बाल शोषण न के बराबर होता है। अपवाद स्वरूप शोषण होने काकारण बच्चों को स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवस्था बाल शोषण के अपराधकीजानकारिया नहीं होना है। थोड़ी सी लालच ग़रीबी बहलावा,
स्कूल गांव से दूर होते हैं अक्सर छोटे बच्चों को वहां पैदल ही आना जाना पड़ता है और प्रत्येक स्कूल में सुरक्षित बाउंड्री वाल का ना होना एवं असामाजिक तत्व आसानी से बच्चों तक पहुंच जाते हैं जो उन्हें महिला को सुला कर अपनी संतुष्टि करते हैं एवं छोटे बच्चे बैड टच गुड टच की प्रति पर्याप्त जागरूक नहीं रहते हैं उनको इस संबंध में स्कूल में कोई भी जानकारी नहीं दी जाती है
स्कूल में बाल यौन शोषण होने के वैसे तो अनेकों कारण हो सकते हैं ।किन्तु मेरे विचार से इसका प्रमुख कारण शिक्षकों में जानकारी और जागरूकता का अभाव हो सकता है ।
स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
जागरूकता के अभाव में, लोभ,लालच और दवाव के कारण यौन शौषण होने का मुख्य कारण हैं जिससे सरकार द्वारा 2012 में पॉक्सो एक्ट बनाया गया जो यौन शोषण को रोक सकता हैं लड़के लड़किया यौन शोषण के शिकार हो जाते हैं | शिक्षक बच्चे और अभिभावक मिलकर यौन शोषण रोक सकते हैं यौन शोषण के अलावा अन्य शोषण भी होते है , जैसे बालश्रम, बालमजदूरी, बालविवाह, किसनेपिंग लड़कियों की तस्करी इत्यादि जैसे अपराद समाज में खूब पनप रहे हैं |इन अपराधों को समाप्त करने के लिए सरकार और शिक्षक, बच्चे मिलकर कर सकते हैं कुछ लोगो द्वारा अश्लील मूवी, पिक्चर आदि भी जबरदस्ती दवाव देकर दिखाते हैं शोषण करते हैं | राधेश्याम लोधी प्राथमिक शिक्षक प्राथमिक शाला बंडोल विकास खंड गोटेगांव जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश
मेरे विचार या अनुभव से तो ये संभव नही है ,पर सुनने में आता है कभी तो ह्रदय को आघात पहुचता है ,विद्यालय एक मंदिर है और शिक्षक संवरक्षक ,गुरु,मार्गदर्शक परंतु शिक्षक की लापरवाही से ये संभव हो सकता है ,एक नैतिकता वाला शिक्षक सदैव अपने विद्यार्थियों की सुरक्षा का भाव रखता है ,परन्तु पालक, परिवार का अधिक विस्वास इसे जन्म देता है ,जिससे विद्यालय में बाल शोषण होसकता है ,मारना,पीटना धमकाना कायर ओर अनिपुर्ण व्यक्ति का कृत्य है ,।बाल शोषण के लिए जागरूक न होना ,भी एक कारण हो सकता है ।
स्कूलों में बच्चों के बाल शोषण की घटनाओं का कारण ,बच्चे अपनी बात कह नही पाते है कोई भय से तो कोई लालच के कारण।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले का एक कारण शिक्षक और बच्चों को सुरक्षा, स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों के बारे में जानकारी न होना। हमे स्कूलों में सुरक्षा, स्वास्थ्य और बाल शोषण के खिलाफ बच्चो को जागरूक करना होगा तभी वह शोषण होने पर बता पायेगा। मुकेश कुमार सक्सेना U,E,G,S,मण्डावर नरसिंहगढ जिला,राजगढ़,म,प्र,
Dont be tarture. Dont be fear in life necesity. Humanity in. every family but defrence when other in their. Inshools. We are seeing andbehaviour like family members
स्कूलों में कई कारण से यौन शोषण हो सकता है सफाई कर्मी और दूसरे स्टाफ के लोगों का शाला में वे रोक टोक आने की अनुमति ग्रामीण क्षेत्र की शालाओं में बच्चों का घर पर अकेले रहना जिसकी जानकारी सभी को होती है बच्चो को छूकर बात करना जिससे बच्चा अंदर से भयभीत हो जाता है
बच्चों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती है। शोषण की घटनाओं के बाद बच्चें डर के कारण बोल नहीं पाते । बच्चों को अधिकारों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
मेरे विचार या अनुभव से तो ये संभव नही है ,पर सुनने में आता है कभी तो ह्रदय को आघात पहुचता है ,विद्यालय एक मंदिर है और शिक्षक संवरक्षक ,गुरु,मार्गदर्शक परंतु शिक्षक की लापरवाही से ये संभव हो सकता है ,एक नैतिकता वाला शिक्षक सदैव अपने विद्यार्थियों की सुरक्षा का भाव रखता है ,परन्तु पालक, परिवार का अधिक विस्वास इसे जन्म देता है ,जिससे विद्यालय में बाल शोषण होसकता है ,मारना,पीटना धमकाना कायर ओर अनिपुर्ण व्यक्ति का कृत्य है ,।बाल शोषण के लिए जागरूक न होना ,भी एक कारण हो सकता है । Suraiya Siddiqui
हमारे स्कूलों में बाल शोषण और उससे संबंधित एवं अपराध तथा स्कूलों में बाल शोषण के कई कारण है उनमें अशिक्षा अंधविश्वास और गरीबी प्रमुख है अशिक्षा के कारण माता-पिता बच्चों के पठन-पाठन पर ध्यान नहीं दे पाते जिन बच्चों को घर में गाइड नहीं किया जाता वह कमजोर पड़ जाते हैं तथा शिक्षक भी ध्यान देना कम कर देते हैं दूसरा अंधविश्वास अशिक्षित माता-पिता के मन में एक धारणा होती है कि शिक्षा हमारे भाग्य में नहीं है तो भला हमारे बच्चों के भाल में कहां से आएगी.। इन सबके लिए समाज बहुत उत्तरदाई है। लेकिन बाल यौन शोषण को रोका जाना चाहिए यह एक निंदनीय कृत्य है।
बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है। इस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
बच्चों के साथ स्कूलों में शोषण इस कारण से होता है क्योंकि उन्हें अच्छे और बुरे संपर्क या टच के बारे में पता नहीं होता है। वह इसे एक सामान्य व्यवहार के तौर पर देखता है। और जब उसे समझ आता है तब तक यह दुर्व्यवहार बहुत आगे तक बढ़ चुका होता है।
शाला परिसर मे गेट औरबाउंड्रीवॉल ना होने से आवागमन प्रतिबंधित नहीं होना जिससे कोई भी असामाजिक तत्व बिना किसी अवरोध के आते जाते रहते हैं।साथ ही समय समय पर पर सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस टीम का राउंड और काउंसलिंग नहीं होना भी एक कारण है।
शाला में बाल शोषण होने का कारणों में बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जानकारी ना होना है| बच्चे शाला में काफी समय होते हैं जिससे वे लालच में या डर के कारण विपरीत परिस्थितियों में फंस जाते हैं| यदि उन्हें समय-समय पर उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया जाए एवं विषम परिस्थितियों से निपटारा करने हेतु जानकारी दी जाए तो उन्हें शोषित होने से बचाया जा सकता है|
नाम - लक्ष्मीनारायण छीपा स्कूल - शा.मा.वि,बरकीसरांय भांडेर स्कूलों में बाल शोषण इसलिए होता है, क्योंकि बच्चा सबसे ज्यादा समय अपना स्कूल में समय बताता है, और स्कूल में उसके साथ जातिगत भेदभाव भी किया जाता है, तथा कई बार उससे ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो उसे अपमानजनक महसूस करते हैं| कभी-कभी उसकी पिटाई भी लगा दी जाती है |इस प्रकार बच्चा कई शोषण ओं का स्कूल में शिकार होता है| इसका मुख्य कारण यह है कि शिक्षक व बच्चे दोनों को ही के उनका शोषण हो रहा है ,या वह शोषण कर रहे हैं| इसकी जानकारी का अभाव होता है और वह न चाहते हुए अनजाने में भी शोषण करते हैं |इस समस्या के निदान के लिए शिक्षक व बच्चे दोनों को इसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए| ,तथा रंगीन चित्रों के माध्यम से सभी गतिविधियां जो के शोषण को इंगित करती हैं| उनकी जानकारी बच्चों को वह शिक्षकों दोनों को देना चाहिए| अगर शिक्षक और बच्चे दोनों को शोषण के बारे में जानकारी होगी ,तो इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग जाएगा ,वह शिक्षक भी बच्चों की शोषण के विरुद्ध मदद कर पाएंगे|
जागरुकता के अभाव में ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
बच्चों का योन शोषण एक मानसिक विकृति का परिणाम होती है । विकृत व्यक्ति बच्चों की अपरिपक्वता व योन शिक्षा के अभाव के कारण उसका शोषण करने मे सफल हो जाता है ।
Schoolon Mein Bal shoshan ke Kai Karan Hain Mata Pita Mein Shiksha Garibi andhvishwas paryapt Suraksha na hona lalach Dara De iske liye Logon Mein jagrukta Prashikshan dwara bacchon main Atma Raksha Hetu prashikshit karaya Jana chahie
माधुरी ठाकुर सहायक शिक्षक शासकीय आदर्श उच्चतर माध्यमिक कन्या शाला परासिया जिला छिंदवाड़ा जागरूकता के अभाव में डर और लालच आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरूक करना चाहिए बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान गुड टच बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित किया जाना चाहिए लैंगिक अपराध आदि के बारे में समय-समय पर स्कूलों में बच्चों को शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज के कुछ अल्पतम लोगों की घटिया सोच और आप परिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते हैं स्कूलों में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर दीवारों पर पाठ्यपुस्तक हो मैं लिखा होना चाहिए
बाल शोषण के संबंध में काफी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई इन जानकारियों का उपयोग परिवार समाज एवं शाला परिसर में करने का प्रयास करूंगा हरि ओम नमस्कार
Namaskar Sathiyon main Vipin Kumar Gilla Madhyamik Shikshak Madhyamik Shala bhajiyadhana jahan tak schoolon Mein Bal shoshan ki baat hai aajkal yah Priya schoolon mein atyadhik dekhne ko Aati Hai Iske Kuchh Naman parinaam Hai jaise schoolon mein boundary wall Ka Na Hona schoolon Ka Gaon Se Ekant Mein Bane Hona Jiske Karan are Samajik tatoo log schoolon ka Chakkar Lagate Hain aur bacchon per oskarwadi kahan per Buri Najar rakhte Hain 77 Hamen Hamare Vidyalay Parisar Mein bacchon ki Suraksha ke liye uchit intejaam bhi karna chahie tatha unhen Samay Samay par good touch bed touch ke bare mein Jankari Dena chahie aur yadi Shikshak aur Chhatra ke bich bhavnatmak sambandh hoga to baccha Apne Man Ki Baat Shiksha Ko Bata payega jisse Uske usko hone wale Yon shoshan ko Ham rok bhi sakte hain aur Parivar Walon Samaj walon ki madad se use apradhik pravati ke vyakti ko Saja V Dila sakte hain iske liye Sarkar dwara pass ko act aaya hai jo ki bacchon ki child helpline Hai tatha is ka number hai 1098 dhanyvad
Namaskar sathiyon main Vipin Kumar Gila madhyamik Shiksha madhyamik Shala bhajiya Dana jila Hoshangabad jahan tak schoolon mein yon shoshan ke bare mein baat hai to aajkal yah praman schoolon mein dekha ja raha hai iske kuchh nimnikaran hai jaisa schoolon mein surakshit vatavaran ka Na hona schoolon mein boundary wall ka Na hona schoolon ke aaspaas panki ghumti hai ya samajik tat par Jo log baithe rahte hain unke dwara Bal bacchon per buri najar Rakhi jaati hai yahi aage banke even shoshan ka Karan banta hai iske liye hamen samay samay per bacchon ko good touch bed touch ke bare mein Sikh Dena chahie tatha unhen unke sath bhavnatmak sambandh banana chahie jisse hamen ke man ki baat Jaan sake yadi kisi bacche ke sath ya apradh gatividhi Ho Rahi hai to hamen uska pata chale to ham usko gatividhi ko rok sake dhanyvad
स्कूल में बाल शोषण का मुख्य कारण शिक्षकों का उदासीन व्यवहार एवं शिक्षकों में अपने कर्तव्यों के प्रति परिपक्वता की कमी भी हो सकता है, जिसके फलस्वरूप शिक्षक बच्चों में भेदभाव करते हैं, तुलना करते हैं एवं आवश्यक प्रोत्साहित नहीं करते हैं जिसकी वजह से बालमन चोटिल(hurt) हो सकता है। स्कूलों में ऐसा ना हो इसलिए शिक्षक को अपने दायित्वों की ओर ध्यान देने एवं उसमें सुधार हेतु चिंतन करने की आवश्यकता है।
हमारी पाठशालाओं में बाल शोषण होता है यह कहना गलत है।हम अपने स्कूल को देवी सरस्वती का मंदिर मानते हैं।अपवाद के रुप में यदि कोई घटना होती है तो कुछ विकृत बुद्धि के लोग होते हैं।हमें अपने बच्चों को इस से बचने के लिए गुड टच और बेड टच के बारे में समझाना चाहिये और उनके अधिकारो की जानकारी देना चाहिये।
स्कूल में यौन शोषण होना गलत हैं हां अपवाद स्वरूप हो सकता है। जैसे बुरा स्पर्श अच्छा स्पर्श मोबाईल का दुरुपयोग , नेतिक माहौल, असामाजिक तत्वों का शाला में प्रवेश, आर्थिक कमजोरी, पारिवारिक माहौल, आदि शाला में यौन शौषण का कारण हो सकता हैं।
बच्चों का बाल शोषण के प्रति जागरूक ना होना इसका मुख्य कारण है बच्चों को चाइल्ड हेल्प लाइन के बारे में बताना गुड टच बैड टच क्या होता है इस संबंध में भी बच्चों को बताना चाहिए
Balko ko shoshana ki jankari ka abhaw hota hai parents and neighbor should be aware and teacher s should be alert about social exploitation. Pramod Chandra Mishra S.R.G G.m.s.Baraj satna .
दुर्व्यवहार यानी अधिकारों काउलंघन है।स्कूल परिसर मैं बाउंड्री वाल का न होना जिससे कोई भीआसाजिक तत्व बिना किसी अवरोध केआते जाते रहते हैं।बच्चों कोअपने अधिकारों केबारे मैं जानकारी नहीं होती है।स्कूल एकांत मैं होते हैं।मैं एकयोग्य तथा कुशल शिक्षक हूँ।हमबच्चों कोसदभाव केसाथ अधिकारों और कर्तव्यों काबोध कराकर हीसीखने सिखाने कीगतिविधियां कराते हैं।हमबच्चों मैं सामाजिक जागरूकता लाने केलिए अच्छे पालकों कासहयोग लेकर बच्चों कोभय तथा शोषण केविरुद्ध जानकारी देकर सक्षम बनाने मैं सर्वश्रेष्ठ बनाने मैं रत रहते हैं।यू. एल. चौपरिया हेडमास्टर शा.मा. वि.गिन्दौरा जिला शिवपुरी म.पृ.।
बच्चों को अपने अधिकार के बारे में जानकारी नहीं होने से और विद्यालय में बच्चों की सुरक्षा का प्रबंध वालबाउंन्ड्री असामाजिक तत्वों का प्रवेश नहीं होना चाहिए
दिनेश तमखाने जिला हरदा स्कूलों मे बाल शोषण होने के कई कारण होते है स्कूलों का ग्राम से बाहर होना जिससे असामाजिक तत्वों का आना जाना हो जाता है, आपने आधिकारो का बच्चों को जानकारी न होना, शाला मे सुविधाओं का अभाव, सय्यम न होना, संस्कार का अभाव, विषम परिस्थिति आदि
यह अक्सर इसलिए होता हैं क्योंकि बच्चें अपराधि द्वारा किए गए दुष्कार्य को जाहिर करने में सक्षम नहीं हो पाते , कभी - कभी तो वह समझ ही नहीं पाते कि उनके साथ यह हो क्या रहा है?
बच्चों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती है, इसलिए वहां शोषण होता है।इसे रोकने के लिए सामाजिक जागृति लाना चाहिए एवं शोषण के बारे में बच्चों को जानकारी अच्छी तरह देनी चाहिए।
बाल शोषण स्कूलों मे असामाजिक तत्वों के द्वारा हो सकता है इसलिए विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा का प्रबंध होना चाहिए बाल अधिकारों की जानकारी होना चाहिए
बच्चों के साथ यौन शोषण करना मतलब एक जानवर जैसा कृत्य है। क्योंकि ऐसा कार्य एक जानवर ही कर सकता है। मनुष्य नहीं। परिवार में लड़के व लड़कियों दोनों को बराबर संस्कार अच्छे देना चाहिए उनमें भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
बच्चों को अपने अधिकारों के बारे में ज्ञान नहीं होता इसलिए बच्चे शोषण का शिकार होते है इसलिए बच्चों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण और शिविरों के आयोजन कराए जाने चाहिए ताकि बच्चे जागरूक हो सके और उन्हें उनसे बचाव के तरीके भी बताए जाने चाहिए
स्कूलों में बाल शोषण के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है, और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र। गुड टच और बैड टच को शिक्षकों द्वारा बताया जाना चाहिए। प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण स्वरूप पहचान शिक्षक को कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिेए।
me diliprolas ps Akhand jsk sulgoun block punasa district khandwa bacho ka yon shoshan esliye hota he kyoki ek to school ka samajik tattvo ka khule me ghumna or bacho ko unke baare me pata na hona ye log adhiktar masum ya shishade bacho ko nazarbandh rakhte hai.ye un bacho ko apne udham se apne jaal me asani se fasha lete hai .fir dhamkana darana ya lalach prolobhan adhi se bacho ko apani taraf khichte rahte hai .chuki bacho ko ache bure ki pahchan ka abhav rahta he esliye school bacho ka yon shashn hota hai.
साला मैं बाल लैंगिक अपराध इसीलिए होने की संभावना होती है कि बच्चों इस विषय पर जागरूक नहीं किया जाता है और उस स्कूल के स्टाफ का ध्यान नहीं देना भी एक कारण हो सकता है
इस सब का एक ही कारण है कि बच्चों को इस संबंध में कोई भी जानकारी नहीं होती है और कभी कहीं स्कूलों विद्यालयों का माहौल भी इस तरह से नहीं होता है तब यह गतिविधियां वहां इस तरह की हो पाती है
Bacchon ko Apne adhikaron ke bare mein Gyan Nahin Hota isliye bacche shoshan Ka Shikar hote hain aur isliye bacchon ke liye Samay Samay per Prashikshan AVN Shivir on ka aayojan Kare Jaane chahie Taki bacche Jagran ho sake aur unhen Unse bachav ke tarike bhi bataya Jaane chahie.
बच्चों को अपने अधिकारों के बारे में ज्ञान नहीं होता इसलिए बच्चे शोषण का शिकार होते हैं इसलिए बच्चों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण और शिविरों का आयोजन कराना चाहिए ताकि बच्चे जागरूक हो सके और उनसे बचाव के तरीके भी बताने जाने चाहिए।
विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव (चार प्रकार), इस अवधारणा को आप अपने विद्यालय के संदर्भ में कैसे क्रियान्वित करेंगे? चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता बनने के लिए आप में क्या प्रमुख गुण होने चाहिए? उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं- पहल करना सकारात्मक दृष्टिकोण रखना स्वप्रेरित होना परिवर्तन लाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहना आपके अनुसार प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता में अन्य कौन-कौन से गुण होने चाहिए? चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
बताएँ कि कैसे कला समेकित शिक्षा का अनुभव छात्रों को आपके विषयों के सार्थक सीखने में लाभान्वित कर सकता है चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
There are so many types of child exploitation. There is a ideology of ego and torcher is responsible for it. Ragging is also a factor.
ReplyDeleteBalko ko bal shoshan ki jankari ka abhav rahata hai
Deleteशाला परिसर मे गेट औरबाउंड्रीवॉल ना होने से आवागमन प्रतिबंधित नहीं होना जिससे कोई भी असामाजिक तत्व बिना किसी अवरोध के आते जाते रहते हैं।साथ ही समय समय पर पर सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस टीम का राउंड और काउंसलिंग नहीं होना भी एक कारण है।
Deleteयह अक्सर इसलिए होता हैं क्योंकि बच्चें अपराधि द्वारा किए गए दुष्कार्य को जाहिर करने में सक्षम नहीं हो पाते , कभी - कभी तो वह समझ ही नहीं पाते कि उनके साथ यह हो क्या रहा है?
Deleteबच्चों को डर धमकाकर आपराधिक प्रवृत्ति के लोग अपनी विकृत मानसिकता की पूर्ति करते हैँ।
DeleteBal adhikaron ke bare me bchho ko jgrit krna chahiye
ReplyDeleteStudents se bat kara chahiye
ReplyDeleteबच्चों को अपने अधिकार के बारे में जानकारी नहीं होती है इसलिए
Deleteबच्चों को अपने अधिकारों का ज्ञान नहीं होता इसलिए वहां शोषण होता है
Deleteस्कूल गाँव क बाहर एवं एकांन्त मे स्थापित
ReplyDeleteहै, अव काश के दिनों मे आसमाजिक तत्व स्कूल परिसर को आसमाजिक कार्यों का अड्डा बना लेते हैं जो बच्चे शाला कार्य दिवसो ं समय के पूर्व आते हैं, शोषण की संभावना अधिक होती है| परिसर के आस पास की गुमठियों पर भी इस तरह के व्यक्ति खड़े होकर
अवसर पाकर बच्चों को गंदी नजरों से निहाते व रास्तें में क्षेड़ते है ,इन घटनाओं को शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |कतिपय शिक्षक भी ऐसी मांसिकता के होते है| शामाशा गुगवारा ,देवरी, सागर |
बच्चों में सामाजिक जागृति लाना चाहिए एवं शोषण के बारे में जानकारी अच्छी तरह बच्चों को लेना चाहिए
DeleteBacchon ko yon shiksha ke jankari ka n hona
Deleteनमस्कार...
ReplyDeleteस्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
धन्यवाद...।
संतोष कुमार अठया
(सहायक शिक्षक )
शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा
जिला-दमोह (म. प्र.)
बाल शोषण और बाल अपराध में अंतर है
Deleteराजेंद्र प्रसाद मिश्र सहायक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मणपुर जिला रीवा मध्य प्रदेश स्कूलों में बाल शोषण के कई कारण है उनमें अशिक्षा अंधविश्वास और गरीबी प्रमुख है अशिक्षा के कारण माता-पिता बच्चों के पठन-पाठन पर ध्यान नहीं दे पाते जिन बच्चों को घर में गाइड नहीं किया जाता वह कमजोर पड़ जाते हैं तथा शिक्षक भी ध्यान देना कम कर देते हैं दूसरा अंधविश्वास अशिक्षित माता-पिता के मन में एक धारणा होती है कि शिक्षा हमारे भाग्य में नहीं है तो भला हमारे बच्चों के भाल में कहां से आएगी फलस्वरूप बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर ध्यान नहीं देते तीसरा गरीबी गरीबी के कारण माता-पिता बच्चों का साला में नाम लिखा कर आवश्यकता ओं के पूर्ति समय पर नहीं कर पाते साथ ही अपने बच्चों को भी काम पर ले जाते हैं ऐसे बच्चे जब साला में आते हैं तो पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता वह सफाई जल संग्रहण बैठक व्यवस्था खिड़की दरवाजे खोलना बंद करना पानी पिलाना संदेश वाह का कार्य करना जैसे कार्य अपने हाथ में स्वता ही ले लेते हैं
ReplyDeleteस्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|
ReplyDeleteहिमांशु पटेल ,जनशिक्षक औरई :--------प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।स्कूलों में बाल सभा एवं चिल्ड्रन कमेटियों का गठन किया जाएगा, जिसमें बच्चे अपने सहपाठियों के साथ शेयरिंग एवं लर्निंग पैटर्न पर बहुत कुछ सीखेंगे। इस विलक्षण क्रिया के जरिए सहपाठियों के साथ आपबीती अथवा अनुभव साझा करके बच्चों में सजग चेतना लाई जा सकेगी।
ReplyDeleteजागरुकता के अभाव में,लालच और डर आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
Deleteस्कूलों की जगह एकांत।सुरक्षा के इंतजाम नही।
ReplyDeleteबाल शोषण के 2 प्रमुख कारण हैं। एक -उत्तेजक व गलत खानपान एवं वातावरण। दो- बच्चों, अभिभावकों व शिक्षकों में उचित जानकारी का अभाव ।यह जानकारी बच्चों के अधिकारों से संबंधित है ।
ReplyDeleteस्कूल में बाल शोषण क्यों होता है, इस पर अपने विचार साझा करें।
ReplyDeleteचिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना कि स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है। स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिकता ही रह जाती है। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |
कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं |
जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरणों के माध्यम से पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
मोबाईल इंटरनेट का दुरुपयोग अधिक हो रहा है।साथ ही लोगो की घटिया मानसिकता,गंदी सोच,नैतिकता की कमी ,कभी गरीबी और कभी अशिक्षा इन अपराधो का कारण बनते हैं।
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
मेरे विचार या अनुभव से तो ये संभव नही है ,पर सुनने में आता है कभी तो ह्रदय को आघात पहुचता है ,विद्यालय एक मंदिर है और शिक्षक संवरक्षक ,गुरु,मार्गदर्शक परंतु शिक्षक की लापरवाही से ये संभव हो सकता है ,एक नैतिकता वाला शिक्षक सदैव अपने विद्यार्थियों की सुरक्षा का भाव रखता है ,परन्तु पालक, परिवार का अधिक विस्वास इसे जन्म देता है ,जिससे विद्यालय में बाल शोषण होसकता है ,मारना,पीटना धमकाना कायर ओर अनिपुर्ण व्यक्ति का कृत्य है ,।बाल शोषण के लिए जागरूक न होना ,भी एक कारण हो सकता है ।
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज में कुछ लोगो की गलत सोच व अपरिपक्व मानसिकता के कारण होता है। जो हमारे लिये निन्दनीय व चिन्तनीय है।
ReplyDeleteकुछ शिक्षक ही खराब मानसिकता वाले लोग होते हैं। ऐसा मैंने महसूस किया है। मेरे साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ है विद्यालय में ईस सदमे से मैं आज तक उबर नहीं पायी हू।शिक्षक होकर मेरे साथ ऐसा हुआ है तो बच्चों की स्थति क्या होगी
ReplyDeleteबहुत खराब लगता बार बार वही मंज़र याद आता है मै अभी तक भुला नहीं पायी हू
बच्चों में यौन उत्पीड़न का प्रभाव पारिवरिक,सामाजिकवातावरण का अधिक पड़ता है ।
ReplyDeleteबाल अधिकार के बारे मे बच्चों को जाग्रत करना चाहिए जिससे स्कूलो मे बाल शोषण मे कमी आएगी
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
स्कूलों में यौन शोषण रोकने के लिए जागरूकता लाना आवश्यक मोबाइल के आने के बाद लोग मोबाइल का मिस यूज कर घटनाएं कर रहे हैं इन सब को रोकने के लिएकोई कठोर कानून बनना चाहिए और इस तरह के करने में उनको सौ बार सोचना पड़े इस प्रकार जागृत करना आवश्यक है समाज कहीं न कहीं जिम्मेदार है शिक्षकों को भी चाहिए कि वह इसके बारे में बच्चों को विधिवत तरीके से समय-समय पर अवगत कराते रहें
Deleteआज के कामुक समय में गलत मानसिकता के लोग इस प्रकार का कुकृत्य करते हैं
ReplyDeleteVikrit mansikata vale aur baal shiksha me shiksha ke abhav ke karan
ReplyDeleteस्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है। स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिकता ही रह जाती है। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
ReplyDeleteप्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |
कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं |
जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरणों के माध्यम से पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
स्कूलों में बच्चों के बाल शोषण की घटनाओं का कारण ,बच्चे अपनी बात कह नही पाते है कोई भय से तो कोई लालच के कारण।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले का एक कारण शिक्षक और बच्चों को सुरक्षा, स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों के बारे में जानकारी न होना। हमे स्कूलों में सुरक्षा, स्वास्थ्य और बाल शोषण के खिलाफ बच्चो को जागरूक करना होगा तभी वह शोषण होने पर बता पायेगा।
ReplyDeleteस्कूलों में बाल शोषण इसलिए होता है, क्योंकि बच्चा सबसे ज्यादा समय अपना स्कूल में समय बताता है, और स्कूल में उसके साथ जातिगत भेदभाव भी किया जाता है, तथा कई बार उससे ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो उसे अपमानजनक महसूस करते हैं| कभी-कभी उसकी पिटाई भी लगा दी जाती है |इस प्रकार बच्चा कई शोषण ओं का स्कूल में शिकार होता है| इसका मुख्य कारण यह है कि शिक्षक व बच्चे दोनों को ही के उनका शोषण हो रहा है ,या वह शोषण कर रहे हैं| इसकी जानकारी का अभाव होता है और वह न चाहते हुए अनजाने में भी शोषण करते हैं |इस समस्या के निदान के लिए शिक्षक व बच्चे दोनों को इसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए| ,तथा रंगीन चित्रों के माध्यम से सभी गतिविधियां जो के शोषण को इंगित करती हैं| उनकी जानकारी बच्चों को वह शिक्षकों दोनों को देना चाहिए| अगर शिक्षक और बच्चे दोनों को शोषण के बारे में जानकारी होगी ,तो इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग जाएगा ,वह शिक्षक भी बच्चों की शोषण के विरुद्ध मदद कर पाएंगे| मैं -रघुवीर गुप्ता शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सहस राम-विकासखंड -विजयपुर ,जिला -शिवपुर (मध्य प्रदेश)
ReplyDeleteMansik vikruti Aur jagrukta Ka abhav Do Karan ho sakte hain ki bacchon Ka shoshan Hota Hai
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ReplyDeleteस्कूल में बाल शोषण शिक्षक, शिक्षिकाओं तथा अन्य स्टाफ कर्मियों की उदासीनता और लापरवाही से होता है।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
स्कूल में बालशोषण नही होता यदि होता भी है तो समाज में फैली कुरीतियों के कारण बच्चों में वह मानसिकता पनपती है। जिससे बच्चे किसी भी अनर्थक व्यक्ति की बातो में आकर फंस जाते है । इन घटनाओं को न पालक समझ पाता है और न ही शिक्षक जब तक यह बात घर या स्कूल में पहुंचती है तब तक बहुत समय बीत जाता है और बालक या बालिका शोषण का शिकार हो जाते है।
ReplyDeleteधन्यवाद
अनिल कुमार कुशवाहा
माध्यमिक शिक्षक
माध्यमिक शाला नगवाड़ा
विकास खण्ड-बनखेड़ी
जिला_होशंगाबाद (म० प्र०)
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।स्कूल में बालशोषण नही होता यदि होता भी है तो समाज में फैली कुरीतियों के कारण बच्चों में वह मानसिकता पनपती है। जिससे बच्चे किसी भी अनर्थक व्यक्ति की बातो में आकर फंस जाते है । इन घटनाओं को न पालक समझ पाता है और न ही शिक्षक जब तक यह बात घर या स्कूल में पहुंचती है तब तक बहुत समय बीत जाता है और बालक या बालिका शोषण का शिकार हो जाते है।
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।स्कूलों में बाल सभा एवं चिल्ड्रन कमेटियों का गठन किया जाएगा, जिसमें बच्चे अपने सहपाठियों के साथ शेयरिंग एवं लर्निंग पैटर्न पर बहुत कुछ सीखेंगे। इस विलक्षण क्रिया के जरिए सहपाठियों के साथ आपबीती अथवा अनुभव साझा करके बच्चों में सजग चेतना लाई जा सकेगी
ReplyDeleteस्कूल गाँव क बाहर एवं एकांन्त मे स्थापित
ReplyDeleteहै, अव काश के दिनों मे आसमाजिक तत्व स्कूल परिसर को आसमाजिक कार्यों का अड्डा बना लेते हैं जो बच्चे शाला कार्य दिवसो ं समय के पूर्व आते हैं, शोषण की संभावना अधिक होती है| परिसर के आस पास की गुमठियों पर भी इस तरह के व्यक्ति खड़े होकर
अवसर पाकर बच्चों को गंदी नजरों से निहाते व रास्तें में क्षेड़ते है ,इन घटनाओं को शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के होते है|
मोबाईल इंटरनेट का दुरुपयोग अधिक हो रहा है।साथ ही लोगो की घटिया मानसिकता,गंदी सोच,नैतिकता की कमी ,कभी गरीबी और कभी अशिक्षा इन अपराधो का कारण बनते हैं।
अल्का बैंस शासकीय प्राथमिक शाला कुकड़ा जगत छिन्दवाड़ा
ReplyDeleteमध्य प्रदेश स्कूलों में बाल शोषण के कई कारण है उनमें अशिक्षा अंधविश्वास और गरीबी प्रमुख है अशिक्षा के कारण माता-पिता बच्चों के पठन-पाठन पर ध्यान नहीं दे पाते जिन बच्चों को घर में गाइड नहीं किया जाता वह कमजोर पड़ जाते हैं। फिर एक दूसरी महत्वपूर्ण वजह है लैंगिक आकर्षण। बाल शोषण अचानक किसी अपराधी द्वारा नहीं होता इसके लिए अपराधी की मानसिकता निर्भर करती है। यदि अपराधी किसी समय स्वयं गलत संगत में है या था तो उसके मन में मस्तिष्क में यौन इच्छाओं और आकांक्षाओं के प्रति आकर्षण होगा और इसी से प्रभावित होकर वह गलत कार्य करने के लिए संचालित होगा। इसकी वजह यह भी है कि युवा पीढ़ी को समय रहते यौन शिक्षा नहीं दी गई हो और नैतिक कर्तव्य के बारे में न बताया गया हो।
बाल शोषण,बाल अधिकार का न जानना के कारण होता है।यह समाजिक चेतना कि कमी के कारण होता है।
ReplyDeleteस्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|ओर घर, पर भी बच्चे प्रौन फिल्मों का मोबाइल बडे भीआजकल एसे साईट देखते है। लैगिंग अपराध का बडना एक सामाजिक स्वत्रंता ,आजादी, ईन शब्दों का इस्तेमाल होता है। अनुशासन ही बच्चों ओर समाज मे ऐसे अपराधो को रोक सकता है।
ReplyDeleteबाल शोषण सभी शालाओं में नही होता है कुछ शाला में हो सकता है इसका मुख्य कारण है बच्चों को बाल शोषण के संबंध में पूर्ण जानकारी का अभाव
ReplyDeleteके कारण शोषण होता है
Schoolon main baalshoshan hota hai ye dhaarna galat hai. Gaon main school adhiktar ekaant main hote hain. Adhiktar asaamaajik tatvon ka school ke aas paas hi dera hota hai. Unki ghatiya soch, roodhivaadita, aur unka ashikshit hona adi kaaranon se bal shoshan hota hai
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
स्कूल में बच्चों का यौन शोषण होता है! इसमें पूर्ण सच्चाई है! जब मोबाइल का युग नहीं था तब भी स्कूल में यौन शोषण होता था!अब मोबाइल आ जाने के कारण बच्चों को आसानी से यौन शोषण के झांसे में ले लिया जाता है जिसमें बड़े बच्चे भी हो सकते हैं स्कूल परिसर के आसपास रहने वाले लोग भी हो सकते हैं! यहां तक कि शिक्षक भी हो सकते हैं! मर्यादित रूप से कमजोर लोग यौन शोषण की ओर बढ़ जाते हैं और बच्चों को अपने जाल में फंसा लेते हैं! उदाहरण देकर यहां बता पाना संभव नहीं है! अतः इस मामले में बच्चों को शिक्षित और जागरूक करने की अत्यंत आवश्यकता है!
ReplyDeleteबाल शोषण के 2 प्रमुख कारण हैं। एक -उत्तेजक व गलत खानपान एवं वातावरण। दो- बच्चों, अभिभावकों व शिक्षकों में उचित जानकारी का अभाव ।यह जानकारी बच्चों के अधिकारों से संबंधित है ।इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|ओर घर, पर भी बच्चे प्रौन फिल्मों का मोबाइल बडे भीआजकल एसे साईट देखते है। लैगिंग अपराध का बडना एक सामाजिक स्वत्रंता ,आजादी, ईन शब्दों का इस्तेमाल होता है।
ReplyDeleteबच्चों के साथ शारीरिक ,मानसिक और भावनात्मक शोषण स्कूल में हो सकता है क्योंकि बच्चा अपना सबसे अधिक समय स्कूल में ही होता है क्योंकि बच्चों को गुड टच एंड बैड टच की जानकारी नहीं होती
ReplyDeleteरानी पटेल प्राथमिक शिक्षक |
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना कि स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है। स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिकता ही रह जाती है। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
ReplyDeleteप्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |
कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं |
जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरणों के माध्यम से पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
सबसे पहली बात तो यह है बहुत सा सामाजिक तत्व जो गांव में उपस्थित होते हैं वह स्कूल नहीं लग रहा होता है तो तो उसे अपने अय्याशी का अड्डा बना कर रखते हैं और बच्चे जो स्कूल लगने से पहले उपस्थित हो जाते तथा स्कूल बंद होने के बाद भी उपस्थित रहते हैं या तो उनकी ईव teasing का शिकार होते हैं गांव के एकांत में बने स्कूलों में सबसे बड़ी समस्या है कि वहां कोई सुनने हैं देखने वाला नहीं होता है तथा समय-समय पर छात्रों तथा शिक्षकों को यह सेमिनार में बताया जाना चाहिए कि किया क्या होता है तथा क्यों होता है
ReplyDeleteयह पूर्ण रूपेण सत्य नहीं है कि शालाओं में बाल शोषण होता है। हां,विद्यालय इसके अपवाद हो सकते है परन्तु उसके कारण और रोकथाम के उपायों को भी समझना अत्यावश्यक है। शालाओं में बाल उत्पीड़न के प्रमुख कारण प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में जागरूक करने हेतु समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविर आयोजित नहीं किए जाते है और यदि आयोजित भी होते है तो महज औपचारिक। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड एंड बैड टच एवं यौन शिक्षा आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।जबकि यह आज की विशेष माँग है।
ReplyDeleteप्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण एवं पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते है तथा उन्हें अपराधियों द्वारा यह कुकृत्य उजागर करने पर डराया-धमकाया जाता है । इसलिए सबंधित इस प्रकार के अपराधों का गरीबी वश अल्प लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी परिस्थिति वश शिक्षकों की निष्क्रयता एवं उपेक्षा करने से प्रोत्साहित होते है |
कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं |
जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां तथा सामाजिक विकृतियों भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। स्कूली बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की नितांत आवश्यकता है।
उक्त के अलावा बच्चों के पलकों कि आर्थिक बदहाली,शाला भवनों का मानव बस्ती से दूर एकांत में होना,स्थानीय नशेड़ियों का अनाधिकृत प्रवेश तथा साथ ही एंड्रॉयड फोन्स भी इसके लिए आंशिक जिम्मेदार है।
जब छोटे बच्चे शाला में जाते है तो बड़े बच्चे छोटे बच्चों का भावनात्मक शोषण करते है उनको डरा कर धमका कर तथा उनको पीछे बिठालकर इस प्रकार बड़े बच्चे छोटे बच्चों का शोषण करते है।
ReplyDeletePalkon,shikshkon ko bachchon se mitrwat vyavhar karke unka vishwas jeet kar,sabkuch batane se na darene se bachchon par hone wale yaonshoshan ki sambhawana ko kam kiya ja sakata hai
ReplyDeleteमॉड्यूल 18 गतिविधि 2ः चिंतन करें
ReplyDeleteस्कूल में बाल शोषण क्यों होता है, इस पर अपने विचार साझा करें।
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना कि स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है। स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिकता ही रह जाती है। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |
कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं |
जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरणों के माध्यम से पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
धन्यवाद !!!!!!
यह पूर्ण रूपेण सत्य नहीं है कि शालाओं में बाल शोषण होता है। हां,कुछेक विद्यालय इसके अपवाद हो सकते है परन्तु उसके कारण और रोकथाम के उपायों को भी समझना अत्यावश्यक है। शालाओं में बाल उत्पीड़न के प्रमुख कारण प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में जागरूक करने हेतु समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविर आयोजित नहीं किए जाते है और यदि आयोजित भी होते है तो महज औपचारिक। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड एंड बैड टच एवं यौन शिक्षा आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।जबकि यह आज की विशेष माँग है।
ReplyDeleteप्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण एवं पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते है तथा उन्हें अपराधियों द्वारा यह कुकृत्य उजागर करने पर डराया-धमकाया जाता है । इसलिए सबंधित इस प्रकार के अपराधों का गरीबी वश अल्प लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी परिस्थिति वश शिक्षकों की निष्क्रयता एवं उपेक्षा करने से प्रोत्साहित होते है |
कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं |
जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां तथा सामाजिक विकृतियों भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। स्कूली बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की नितांत आवश्यकता है।
उक्त के अलावा बच्चों के पलकों कि आर्थिक बदहाली,शाला भवनों का मानव बस्ती से दूर एकांत में होना,स्थानीय नशेड़ियों का अनाधिकृत प्रवेश तथा साथ ही एंड्रॉयड फोन्स भी इसके लिए आंशिक जिम्मेदार है।
भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा बाल शोषणः भारत 2007 पर में कराये गये अध्ययन से पता चला कि विभिन्न प्रकार के शोषण में पांच से 12 वर्ष तक की उम्र के छोटे बच्चे शोषण और दुर्व्यवहार के सबसे अधिक शिकार होते हैं तथा इन पर खतरा भी सबसे अधिक होता है। इन शोषणों में शारीरिक, यौन और भावनात्मक शोषण शामिल होता है।
ReplyDeleteशारीरिक शोषण
हरेक तीन में से दो बच्चे शारीरिक शोषण के शिकार बने।
शारीरिक रूप से शोषित 69 प्रतिशत बच्चों में 54.68 प्रतिशत लड़के थे।
50 प्रतिशत से अधिक बच्चे किसी न किसी प्रकार के शारीरिक शोषण के शिकार थे।
पारिवारिक स्थिति में शारीरिक रूप से शोषित बच्चों में 88.6 प्रतिशत का शारीरिक शोषण माता-पिता ने किया।
आंध्र प्रदेश, असम, बिहार और दिल्ली से अन्य राज्यों की तुलना में सभी प्रकार के शोषणों के अधिक मामले सामने आये।
50.2 प्रतिशत बच्चे सप्ताह के सात दिन काम करते हैं।
यौन शोषण
53.22 प्रतिशत बच्चों ने एक या अधिक प्रकार के यौन शोषण का सामना करने की बात कही।
आंध्र प्रदेश, असम, बिहार और दिल्ली से लड़कों और लड़कियों के गंभीर यौन शोषण के सर्वाधिक मामले सामने आये।
20.90 प्रतिशत बच्चों ने गंभीर यौन शोषण का सामना करने की बात कही, जबकि 50.76 प्रतिशत बच्चों ने अन्य प्रकार के यौन शोषण की बात स्वीकारी।
असम, आंध्र प्रदेश, बिहार और दिल्ली के बच्चों ने यौन प्रताड़ना का सबसे अधिक सामना किया।
50 प्रतिशत शोषक बच्चों के जान-पहचान वाले या विश्वसनीय लोग जिम्मेवार थे।
भावनात्मक शोषण और बालिका उपेक्षा
हर दूसरा उत्तरदाता बच्चा भावनात्मक शोषण का शिकार है।
बालक और बालिका के समान प्रतिशत ने भावनात्मक शोषण का सामना करने की बात स्वीकार की।
83 प्रतिशत मामलों में माता-पिता ही शोषक थे।
48.4 प्रतिशत लड़कियों ने कहा कि वे लड़के होते तो अच्छा था।
बाल अधिकार के बारे मे बच्चों को जाग्रत करना चाहिए जिससे स्कूलो मे बाल शोषण मे कमी आएगी
ReplyDeleteमोबाईल इंटरनेट का दुरुपयोग अधिक हो रहा है।साथ ही लोगो की घटिया मानसिकता,गंदी सोच,नैतिकता की कमी ,कभी गरीबी और कभी अशिक्षा इन अपराधो का कारण बनते हैं।
ReplyDeleteबाल शोषण मे बच्चो को अधिकार की जानकारी न होना शासन द्वारा बालक बालिका को जागरूक करना
ReplyDeleteबाल अधिकार के बारे में बच्चों को जागृत करना चाहिए जिससे स्कूलों में बाल शोषण की कमी आएगी मोबाइल इंटरनेट का दुरुपयोग अधिक हो रहा है साथ ही लोगों की घटिया मानसिकता गंदी सोच नेता की कमी कभी गरीबी और कभी अशिक्षा इन अपराधों का कारण बनते हैं।
ReplyDeleteजरूरी नहीं है कि हर स्कूल में बच्चों के साथ यौन शोषण होता ही हो। पर इसकी संभावना से इनकार भी नहीं किया जा सकता। बाल सुरक्षा नियमों के प्रतिकूल परिस्थितियों को इसका जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। जो स्कूल नितांत एकांत व निर्जन स्थानों पर होते हैं वहाँ इस तरह के दुर्व्यवहार की कल्पना की जा सकती है।
ReplyDeleteस्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|
ReplyDeleteबच्चो के साथ शारीरिक,मानसिक और भावनात्मकशोषण स्कूल हो सकता हैं। क्योंकि बच्चा अपना सबसे अधिक समय स्कूल में ही होता हैं। क्योंकि बच्चो को गुड टच एंड बैड टच की जानकारी नहीं होती हैं।वहा इस तरह के दुर्व्यवहार कि कल्पना को जा सकती हैं।
ReplyDeleteNk
स्कूलों में बच्चो का शोषण असामाजिक तत्वों द्वारा है सकता हैं।इसलिए विद्यालयों में बच्चो के सुरक्षा के प्रबन्ध होना अत्यावश्यक हैं। इसके अतिरिक्त,जागरूकता के अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं। बाल अधिकारों को जानकारी सभी को होनी चाहिए।
ReplyDeleteआदरणीय समानता स्कूलों में ऐसी स्थिति नहीं है सभी स्कूलों में बच्चे अपने अधिकारों के साथ ही पढ़ते हैं एवं आपका किसी प्रकार का बाल शोषण नहीं होता
ReplyDeleteनमस्कार...
ReplyDeleteस्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना कि स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है। स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिकता ही रह जाती है। पाठ्यपुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच आदि को सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
ReplyDeleteप्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। इन घटनाओं की जानकारी होने के बाद भी शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |
कतिपय शिक्षक भी ऐसी मानसिकता के हो सकते हैं |
जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरणों के माध्यम से पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की और इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
स्कूल में बाल शोषण होता है इस पर मेरे विचार से स्कूल में बाल शोषण का होना प्रतीत नहीं होता है कुछ स्कूल इसके अपवाद हो सकते हैं इसमें कुछ विकृत मानसिकता वाले कर्मचारी कार्यरत होते हैं जैसा कि यदा-कदा कभी-कभी अखबारों में भी इस प्रकार की सूचनाएं एवं खबरें प्रकाशित होकर सुनने एवं पढ़ने को मिलती है जो कि सर्वथा शिक्षा के जैसे संस्थानों में उचित नहीं कही जा सकती स्कूल विद्या दान का मंदिर है यहां पर छात्रों को उनके परिजनों को एवं अन्य सभी आगंतुकों को उचित एवं जीवन में उन्नति युक्त शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है यदि स्कूलों में इस प्रकार की कोई तत्व कार्यरत है तो उनके खिलाफ इस प्रकार के कानूनों का इस्तेमाल कर उन्हें अपने किए गए कृत्य की सजा आवश्यक रूप से दिलवाना चाहिए इस बाबत सरकार ने पॉक्सो एक्ट के नियमों के प्रावधानों को बनाकर उनका प्रचार-प्रसार करने के लिए तेजी से कार्य करने बाबत कदम उठाया है साथ ही शालाओं में प्रति शनिवार को जीवन कौशल उमंग के माध्यम से इस विषय पर छात्रों को शिक्षित करना प्रारंभ किया है साथ ही सरकार के द्वारा यौन शोषण के प्रति बनाए गए कानूनों का युद्ध स्तर पर प्रचार प्रसार कर छात्रों को उनके अभिभावकों को उनके माता-पिता को जन समुदाय को इस बारे में सचेत और जागृत किया जाना चाहिए ताकि इस प्रकार की घटनाओं के होने पर संबंधित व्यक्ति को उसके किए गाय कृत्य का अंजाम भली-भांति कानूनों का पालन कर दिलवाया जा सके साथ ही ऐसे कृत्यों के प्रति को जन समुदाय को जागरूक किया जाना चाहिए जोकि लोक लाज के डर से अशिक्षा गरीबी एवं अन्य कारणों से ऐसे मामलों को दवा लेते हैं उन्हें जागरूकता और प्रचार प्रसार कर संबंधित पक्षों को कानूनों का उपयोग करने बाबत सबल बनाया जाना चाहिए ताकि इस प्रकार की त्रासदी का अंत हो सके एक सामाजिक अच्छे परिवेश का निर्माण हो सके बाल शोषण स्कूलों में एक कलंक के रूप में देखा जाना चाहिए तथा स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों प्रबंधन कोएक स्वास्थ एवं सौहार्द्र वातावरण का निर्माण कर दो एवं कानूनों का उपयोग करने बाबत जनसमुदाय को जागरूक कर इस प्रकार बाल शोषण के कृतित्व पर रोक लगाकर छात्रों को उन्नति की ओर अग्रसर कर छात्रों का सर्वांगीण विकास का समाज एवं समुदाय के भलाई के लिए कार्य करना चाहिए धन्यवाद
ReplyDeleteGMS CHAKGUNDHARA MORARRURAL Gwalior
ReplyDelete18 साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे के साथ जानबूझकर मानसिक या शारीरिक तौर पर नुकसान पहुंचाना या दुर्व्यवहार करना आदि बाल शोषण माना जाता है। जो कानूनी तौर पर अपराध की श्रेणी में रखा गया है। बाल दुर्व्यवहार के कई रूप होते हैं, जैसे कि-
शारीरिक शोषणः शारीरिक बाल शोषण की स्थिति तब होती है जब किसी बच्चे को शारीरिक तौर पर जानबूझकर नुकसान पहुंचाया जाता है।
यौन शोषणः यौन शोषण की स्थिति तब होती है जब किसी बच्चे के साथ शारीरिक तौर पर दुर्व्यवहार, यौन रिश्ता, सेक्स, ओरल सेक्स, गुप्तांओं का गलत तरीके से छूना या चाइल्ड पोर्नोग्राफी की जाती है।
भावनात्मक शोषणः भावनात्मक बाल दुर्व्यवहार का अर्थ है बच्चे के आत्मसम्मान या भावनात्मक स्थिति को नुकसान पहुंचाना। इसमें मौखिक और भावनात्मक हमले शामिल हो सकते हैं- जैसे बच्चे को जबरन शांत करना, उसे दूसरे बच्चों से एकदम अलग रखना, उसे अनदेखा करना या अस्वीकार करना।
चिकित्सक शोषणः जब कोई जानबूझकर किसी बच्चे को बीमार करता है, तो उसे चिकित्सा की आवश्यकता होती है। जिसकी वजह से बच्चे को अनावश्यक चिकित्सा देखभाल की जरूरत पड़ती है। यह मानसिक विकार के कारण हो सकता है, जैसे- माता-पिता किसी बच्चे को नुकसान पहुंचाते हैं।
बाल उपेक्षाः पर्याप्त भोजन, आश्रय, स्नेह, माहौल, शिक्षा या चिकित्सा देखभाल न मिलना।
स्कूलों में भावनात्मक शोषण , बाल उपेक्षा और शारीरिक शोषण के ज्यादा मामले होते हैं यह ज्यादातर पुरानी कुरीतियों और अधिकारों की जानकारी ना होने की वजह से होते हैं यौन शोषण के मामले स्कूलों में कम होते हैं ये मामले विक्षिप्त मानसिकता बाले व्यक्तियों द्वारा किए जाते हैं
बाल शोषण एक सामाजिक अभिशाप है । मेरे विचार से सरस्वती के सदन में ऐसे कार्य नही होते है। यदि होते है तो कुत्सित और घृणित है। इसके निवारण के लिए शिक्षित समाज होना चाहिए ।
ReplyDeleteSchoolon Mein Bal shoshan ke Kai Karan Hai anman ashiksha andhvishwas Aur Garibi Pramukh Hai Shiksha Ke Karan Mata Pita bacchon Ke Parthen Parthen per Dhyan Nahin De paate Jin bacchon ko ghar mein guide nahin kiya Jata vah kamjor pad Jaate Hain tatha Shikshak bhi Dhyan Dena kam kar dete Hain dusra andhvishwas ashikshit Mata Pita Ke Man Mein Ek dharana Hoti Hai Ki Shiksha Hamare Bhagya mein Main Nahin Hai Tu Bhala Hamare bacche ke Bhagya mein kahan se Aaegi fal Swaroop bacchon Ki Shiksha Diksha per Dhyan Nahin dete Teesra Garibi Garibi Ke Karan Mata Pita bacchon ko sala Mein Naam Likha kar avashyakta ki purti Samay per nahin kar paate Sath hi Apne bacchon Ko Bhi kam per Le Jaate Hain Aise bacche Jab sala Mein Aate Hain To padhaai Mein Unka man Nahin lag pata
ReplyDeleteउपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
ReplyDeleteभावनात्मक असंवेदनशीलता के कारण छोटे बड़ों के बीच यह स्थिति बनती है।
ReplyDeleteबच्चों का योनि शोषण एक मानसिक विकॄति का परिणाम होती हैं व्यतियो बच्चों की अपरिपक्वता व योनि शिक्षा के अभाव के कारण उसका शोषण करने में सफल हो जाता है
ReplyDeleteस्कूल में बाल शोषण इसलिए भी होता है क्योंकि बच्चा निर्णय लेने के लिए परिपक्व नहीं होता उस में जागरूकता की कमी होती है वह गलत और सही के बीच अंतर नहीं कर पाते बाल अधिकारों की जानकारी का अभाव होता है माता-पिता शिक्षकों को संविदा एवं आदि में भी जागरूकता एवं बाल अधिकारों की जानकारी नहीं होती है बच्चा गुड टच और बैड टच की जानकारी नहीं होती है बढ़ती उम्र विद्यालय का प्रवेश का भी विशेष प्रभाव होता है रूढ़िवादी विचारधारा एवं लैंगिक असमानता आदि भी बाल शोषण के लिए उत्तरदाई होते हैं स्कूल एवं माता-पिता समुदाय आदि का प्रशिक्षित ना होना बाल अधिकारों के बारे में जानकारी ना होना बाल शोषण की प्रमुख कारण है आता है बच्चों को उनके बाल शोषण के अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए माता पिता समुदाय एवं शिक्षकों को बाल शोषण का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे सभी मिलकर बाल शोषण से बच्चों को मुक्त रख सकें
ReplyDeleteस्कूलों में बाल यौन शोषण क्यों होता है ? इसके लिए मुख्य कारण निम्नलिखित है-
ReplyDelete1-संस्था प्रमुख एवं शिक्षकों द्वारा अभिभावकों एवं स्कूली बच्चों से से बातचीत न करना और उन्हें यौन शोषण के बारे में शिक्षित नहीं करना -
संस्था प्रमुख एवं शिक्षकों को जागरूकता हेतु एवं बाल यौन शोषण की रोकथाम के लिए विभिन्न प्रकार की भूमिका एवं समझ विकसित करने के लिए समय-समय पर बैठक का आयोजन करना चाहिए। जिससे बच्चों में भी अपने अनुभव और अपने मन की बात बिना किसी संकोच के साझा कर सकें। बच्चों के माता-पिता से चर्चा कर समस्या को गंभीरता से लेते हुए उनके स्वभाव में यदि कोई अंतर या नकारात्मक अनुभव ,है उन्हें आपस में साझा करना नितांत आवश्यक है साथ ही साथ इसके लिए उपयुक्त कदम उठाने के लिए मदद भी मिलती है।
2- साथी शिक्षकों में जागरूकता का अभाव माइनस बाल लैंगिक शोषण पर सभी शिक्षकों में जागरूकता का अभाव होता है तथा वह संकोच बस ना तो प्राचार्य को और ना ही संस्था के विद्यार्थियों को साथ ही साथ उनके अभिभावकों को इस हेतु सूचना प्रदान
करते हैं।
बाल यौन शोषण और इसकी रोकथाम के लिए संस्था में कार्यशाला तथा प्रशिक्षण का आयोजन करना नितांत आवश्यक है जिससे सभी शिक्षक इस विषय में संवेदनशीलता के साथ समझें और शोषण को रोकने के लिए अपनी भूमिका को समझें। इस विषय पर अन्य शिक्षकों के साथ संवाद करना है, ताकि हम सभी बाल यौन शोषण से निपटने के लिए जागरूक और सचेत हो सकें।
3- यौन शोषण के बारे में बच्चों को शिक्षित ना करना - इसके लिए निम्न कारक जिम्मेदार हैं
1-अगर आपके शरीर के इन हिस्सों को छूता है, तो वह गलत स्पर्श है यानी बच्चों के साथ गलत स्पर्श भी होते हैं। गुड टच एवं बैड टच के बारे में बच्चों को अवगत नहीं कराना यही से बाल यौन शोषण का आरंभ होता है।,
2-किसी को भी बच्चों के शरीर के इन हिस्सों को छूने की अनुमति के बारे में जानकारी नहीं देना जैसे - छाती, होंठ पैरों के बीच में ,कमर के नीचे।
3-बच्चों का अपना शरीर निजी संपत्ति है इसके संबंध में जानकारी नहीं देना।
4- यदि कोई व्यक्ति गलत ढंग से बालक बालिकाओं को स्पर्श करता है तो आपको उसे मना करना है और उनके माता-पिता या शिक्षक दिन पर आप भरोसा करते हैं उन्हें सूचित करना। के बारे में जानकारी से अवगत संस्था प्रमुख या शिक्षक द्वारा नहीं करना बाल यौन शोषण का मुख्य कारण है।
3- संस्था प्रमुख या शिक्षक द्वारा यौन शोषण के बारे में बच्चों को शिक्षित ना करना - अक्सर ऐसा देखने में आता है कि बच्चों को बाल शोषण के बारे में जागरूक करने के लिए संस्था प्रमुख या शिक्षक द्वारा शिक्षित नहीं किया जाता है। एक साथी मित्र के रुप में यह आपका दायित्व है कि अगर बच्चों के साथ कोई भी दूर व्यवहार होता है तो सबसे पहले उनके माता-पिता या अभिभावक को बताना चाहिए। साथ ही साथ बड़े बच्चों को इस मुद्दे की गंभीरता को समझाना और उसकी रोकथाम के लिए सहयोग लेना तथा बच्चों के व्यवहार पर भी नजर रखना नितांत आवश्यक है साथ ही साथ यदि उनके व्यवहारों में कोई अंतर आता है, तो किसी तरह की समस्या पैदा होने की स्थिति में शिक्षकों, पालकों एवं संस्था प्रमुखों को समय-समय पर ध्यान आकृष्ट कराते रहना चाहिए।
4- शिक्षकों एवं संस्था प्रमुखों द्वारा बच्चों को आत्म जागरूकता न उत्पन्न कर पाना भी यौन शोषण का मुख्य कारण है।
साथ ही साथ बाल यौन शोषण रोकने के लिए सबसे पहले आत्म जागरूकता की भावना भी होनी चाहिए। साथ ही साथ इनमें गंभीर मुद्दों के बारे में बच्चों को शिक्षित करना तथा शोषण को रोकने के लिए सही कदम उठाना। खुद को शिक्षित करने के लिए पास्को अधिनियम 2012 और बाल अधिकारों को अच्छी तरह से समझने के लिए अनेकों संसाधनों जैसे इंटरनेट, किताबों, अखबारों इत्यादि का उपयोग करना एवं बच्चों को जागरूकता हेतु शाला में बच्चों के साथ कार्य योजना बनाना तथा बच्चों के साथ अपने अनुभवों का विश्लेषण करना नितांत आवश्यक है।
5- विद्यालय तथा सामुदायिक स्तर पर बाल यौन शोषण एवं बाल लैंगिक शोषण की रोकथाम के लिए रणनीतियां नहीं बनाना तथा इसे अपनाने के लिए पहल नहीं करना शिक्षक अभिभावक तथा बच्चों की देखभाल नहीं करना लोगों को ऐसे मुद्दे पर गंभीर नहीं होना तथा बच्चों एवं शिक्षकों के साथ इन मुद्दों पर विचार -विमर्श नहीं करना भी बाल यौन शोषण का मुख्य कारण है।
6- विद्यालय स्तर पर बाल सुरक्षा कमेटी का गठन नहीं करना।
7- विद्यालय सूचना पटल पर चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर 1098 को अंकित नहीं करना और ना ही बच्चों को हेल्पलाइन नंबर को मुहैया कराना बाल यौन शोषण मुख्य कारण है।
स्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|
ReplyDeleteस्कूलों में बाल यौन शोषण का कारण अभिभावकों की जागरूकता में कमी अभिभावकों का ज्यादा पढ़ा लिखा ना होना अपने बच्चे की मन की भावनाओं को ना समझना उनको अच्छे बुरे का ज्ञान ना देना अभिभावकों को चाहिए कि वह अपने बच्चों को समझें मैं अच्छे बुरे का ज्ञान कराकर उनसे प्रेम पूर्वक हर बात को पूछे, यदि अभिभावक अपने बच्चे से एक झिझक खत्म होती है तो कहीं ना कहीं बाल यौन शोषण को रोका जा सकता है लेकिन आज भी ग्रामीण क्षेत्र में बाल यौन शोषण होने के बावजूद भी अभिभावक उस चीज कोदबा देते हैं जिससे यौन शोषण करने वाले को बढ़ोतरी मिल जाती है
ReplyDeleteSchool mein bal shoshan ka Karan bacchon AVN abhibhavak on mein jagrukta ki Kami hai Sahi gyan na hone ke Karan bacche shoshan Ka shikar hote Hain. Shikshakon dwara yon shoshan per charcha nakanna bhi iska ek Karan hai. Samay se purv yah avkash ke dinon mein bhi Salon mein aisi ghatnayen pravakta se ho jaati Hain.chhatron ko tak bete ki bhi jankari Nahin Hoti hai.
ReplyDeleteस्कूलों में बाल शोषण के कई कारण है उनमें अशिक्षा अंधविश्वास और गरीबी प्रमुख है अशिक्षा के कारण माता-पिता बच्चों के पठन-पाठन पर ध्यान नहीं दे पाते जिन बच्चों को घर में गाइड नहीं किया जाता वह कमजोर पड़ जाते हैं तथा शिक्षक भी ध्यान देना कम कर देते हैं दूसरा अंधविश्वास अशिक्षित माता-पिता के मन में एक धारणा होती है कि शिक्षा हमारे भाग्य में नहीं है तो भला हमारे बच्चों के भाल में कहां से आएगी फलस्वरूप बच्चों की शिक्षा दीक्षा पर ध्यान नहीं
ReplyDeleteमें योगेन्द्र सिंह रघुवंशी GMS बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी बाल शोषण का मुख्य कारण बच्चो जागरूकता का अभाव जिसे माता पिता अभिभावक शिक्षक बाल शोषण के प्रति जागरूक करने से बाल शोषण जैसे कृत्य पर रोकथाम की जा सकती हैं स्कूल में बाल शोषण का मेरे विचार से मुख्य कारण बच्चो को जानकारी का अभाव है जिसे हम सबको बच्चो को जानकारी दी जानी चाहिए
ReplyDeleteबच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|ओर घर, पर भी बच्चे प्रौन फिल्मों का मोबाइल बडे भीआजकल एसे साईट देखते है। लैगिंग अपराध का बडना एक सामाजिक स्वत्रंता ,आजादी, ईन शब्दों का इस्तेमाल होता है। अनुशासन ही बच्चों ओर समाज मे ऐसे अपराधो को रोक सकता है।
ReplyDeleteBachcho ke sath sharirik manshik or bhavnatmak shoshan school me ho sakta hai kyoki bachcho ko apne adhikaro ki jankari nhi hoti hai bachche good touch or badtouch nhi jante
ReplyDeleteबच्चों में यौन उत्पीड़न का प्रभाव पारिवारिक व सामाजिक वातावरण का अधिक पड़ता है।
ReplyDeleteउपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
ReplyDeleteउपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
ReplyDeleteशाला में बच्चों का शोषण हो सकता है शाला बंद होने के बाद असामाजिक तत्वों का शाला में आना शाला के आसपास जमा होना शाला प्रभारी को इस ओर निरंतर ध्यान देना चाहिए कि हमारी शाला में क्या शाला के आसपास साला लगने के बाद कोई असामाजिक तत्व शाला में प्रवेश ना करें शाला का वातावरण साफ एवं स्वच्छ बच्चों के अनुकूल हो सुरक्षित हो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान शिक्षक प्रधानाध्यापक पालक सभी इस ओर ध्यान दें बच्चों को गुड टच बेड टच के बारे में बताएं मीटिंग में बालकों को भी इस बारे में बताएं ताकि वह अपने बच्चों को इस बारे में अच्छे से बता सके बच्चों को ही इस बारे में सजग रहना चाहिए यह काम माता पिता बचपन से ही बच्चे को सिखाएं स्कूल में शिक्षक इस बारे में बच्चों से बात करें इस बारे में बच्चों से बात करें बच्चे साला समय पर ही स्कूल आए और छुट्टी होने के बाद सीधे घर जाए बात का ख्याल साला प्रभारी एवं शिक्षक पालक सभी रखें तो बच्चों का शाला में शोषण होने से रोका जा सकता है हो सके तो पुलिस की भी मदद ले शाला में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दें बच्चों को निरंतर इस बारे में शिक्षित करें
ReplyDeleteउपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
ReplyDeleteTulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal.
ReplyDeleteयह पूर्ण रूपेण सत्य नहीं है कि शालाओं में बाल शोषण होता है। हां,कुछेक विद्यालय इसके अपवाद हो सकते है परन्तु उसके कारण और रोकथाम के उपायों को भी समझना अत्यावश्यक है।
बाल अधिकार के बारे में बच्चों को जागृत करना चाहिए जिससे स्कूलों में बाल शोषण की कमी आएगी
उपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
ReplyDeleteउपरोक्त संदर्भ में यह कहना है कि स्कूल में बाल शोषण होता है ,पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है ,तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है ।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराध के बारे में समय-समय पर नहीं दिया जाता है, तथा जागरूक नहीं कराया जाता है।
ReplyDeleteजागरुकता के अभाव में,लालच और डर आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को बिधालय में सुरक्षित बातावरण देना सभी का दायित्व है और समय-समय पर बालशोषण की जानकारी नहीं दी जाती है जब कि बच्चों को और समुदाय को समय-समय पर बालशोषण की जानकारी दी जाना चाहिए
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है।जागरुकता के अभाव में,लालच और डर आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
लालच प्रलोभन और जागरुकता के अभाव आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है,अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए
ReplyDeleteबच्चों को हर क्षेत्र में जागरूक करना चाहिए।
सुनिल सिसोदिया
शासकीय माध्यमिक विद्यालय मुण्डला जेतकरण
Bachche dar k karan kh nahi pate hai
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
स्कूल में बाल शोषण इसलिए भी होता है क्योंकि बच्चा निर्णय लेने के लिए परिपक्व नहीं होता उस में जागरूकता की कमी होती है वह गलत और सही के बीच अंतर नहीं कर पाते बाल अधिकारों की जानकारी का अभाव होता है माता-पिता शिक्षकों को संविदा एवं आदि में भी जागरूकता एवं बाल अधिकारों की जानकारी नहीं होती है बच्चा गुड टच और बैड टच की जानकारी नहीं होती है बढ़ती उम्र विद्यालय का प्रवेश का भी विशेष प्रभाव होता है रूढ़िवादी विचारधारा एवं लैंगिक असमानता आदि भी बाल शोषण के लिए उत्तरदाई होते हैं स्कूल एवं माता-पिता समुदाय आदि का प्रशिक्षित ना होना बाल अधिकारों के बारे में जानकारी ना होना बाल शोषण की प्रमुख कारण है आता है बच्चों को उनके बाल शोषण के अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए माता पिता समुदाय एवं शिक्षकों को बाल शोषण का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे सभी मिलकर बाल शोषण से बच्चों को मुक्त रख सकें
ReplyDeleteस्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं|
ReplyDeleteमोहम्मद अजीम सहायक अध्यापक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रैगांव जिला सतना
ReplyDeleteदुनिया में हर जगह अच्छे और बुरे इंसान होते हैं उसी तरह स्कूल के विभिन्न स्टॉफ मैं भी अच्छे और बुरे लोग होते हैं यह कोई स्कूल की बात नहीं है जिस तरह बच्चे बाहर असुरक्षित हैं उसी तरह स्कूल में भी ।
हां स्कूल में बच्चे ज्यादा समय के लिए मां बाप से दूर होते हैं इसलिए शोषण के ज्यादा चांस स्कूल में होते हैं
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।स्कूल में बालशोषण नही होता यदि होता भी है तो समाज में फैली कुरीतियों के कारण बच्चों में वह मानसिकता पनपती है। जिससे बच्चे किसी भी अनर्थक व्यक्ति की बातो में आकर फंस जाते है । इन घटनाओं को न पालक समझ पाता है और न ही शिक्षक जब तक यह बात घर या स्कूल में पहुंचती है तब तक बहुत समय बीत जाता है और बालक या बालिका शोषण का शिकार हो जाते है।
ReplyDeleteT.V.पर फिल्में आदि देखने से भी कुछ बच्चों की आदतें बिगड़ जाती हैं।
ReplyDeleteबच्चों एवं शिक्षक दोनों की सजगता जरूरी हैं जिससे बच्चों का समग्र विकास हो सके। उपरोक्त संदर्भ में यह कहना कि स्कूल में बाल शोषण होता है पूर्ण सत्य नहीं है। हां आंशिक रूप से कुछ स्कूलों में ऐसा होता है तो उसके कारण और बचाव की विधि को भी समझना आवश्यक है।
ReplyDeleteSchool me balshoshan nahi hota h lakin choti mansikta ke kuch log yaha per bhi bhavnatak chot pahuxhate h.sabse jaruri h school me students ko moral support dena sath hi unko sahi or galat spersh ki jankari dena,khud ke gher me bhi apne relatives se bhii savdhan rahna kyoki bchhe apno se bhi asurakshit ho sakte h,teachers ko unme jagrukta lani hogi.jisse we apna bachav ker sake
ReplyDeleteप्राथमिक और माध्यमिक स्कूल के बच्चों के लिए गुड टच और बैड टच की जानकारी होना चाहिए और बाल शोषण के रूप में नैतिक कानूनों का ज्ञान होना चाहिए टीवी पर फिल्में आदि बच्चों के मनोरंजन के हिसाब से होना चाहिए ना कि शोषण यौन शोषण के हिसाब से शैक्षणिक गतिविधियों में गुड टच बैड टच को का समावेश होना चाहिए नैतिक मूल्यों का उत्थान होना चाहिए असामाजिक तत्वों से अपने आप को बचाना चाहिए एवं खुलकर आने तक कृतियों का के दुष्चक्र से दूर रहना चाहिए।।
ReplyDeleteबच्चों को बिधालय में सुरक्षित बातावरण देना सभी का दायित्व है और समय-समय पर बालशोषण की जानकारी नहीं दी जाती है जब कि बच्चों को और समुदाय को समय-समय पर बालशोषण की जानकारी दी जाना चाहिए
ReplyDelete
ReplyDeleteजागरुकता के अभाव में,लालच और डर आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
स्कूलों में बाल शोषण वैसे तो नहीं होता है फिर भी यदि आंशिक रूप से बाल शोषण को कहीं प्रकार से देखा जा सकता है बालक का शारीरिक शोषण मानसिक शोषण तथा लैंगिक शोषण और उपेक्षा के माध्यम से बाल शोषण हो सकता है लेकिन यदि शिक्षक की सतर्कता हो तो स्कूलों में बाल शोषण नहीं के बराबर या यह समस्या उत्पन्न ही नहीं हो सकती है।।आ राजेश कुमार जांगिड़ ढोटी स्कूल, जिला श्योपुर ,मध्य मध्य प्रदेश।।आq
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
बाल अधिकार का सही तरीके से लागू नहीं होना
ReplyDeleteBacchon ke man dar
ReplyDeleteaur unko baal kanoon
ki samajh na Joana hi baalshoshannn ka mukhya karan h.
स्कूल में बाउंड्री न होने के कारण असामजिक तत्व आते जाते रहना । बच्चों का दूसरे ग्राम से लम्बी दूरी करके आना । मोबाइल के दुरुपयोग आदि कारण बाल शोषण के कारण हो सकते है ।
ReplyDeleteस्कूलों में लैंगिक अपराध होने के लिए जिम्मेदार कारणों में -बच्चों में जागरूकता की कमी , विकृत मानसिकता वाले लोगॉ की अमानवीय सोच, बच्चों को भय ,लालच और असहज भाव और शिक्षकों को इस बारे में उचित प्रशिक्षण न होना, समाज मे हो रहे नित्य बदलाव और मोबाइल, इंटरनेट आदि पर परोसे जाने वाले अश्लील सामग्री ,ये सभी जिम्मेदार हैं
ReplyDeleteप्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteस्कूल गाँव क बाहर एवं एकांन्त मे स्थापित है, अव काश के दिनों मे आसमाजिक तत्व स्कूल परिसर को आसमाजिक कार्यों का अड्डा बना लेते हैं जो बच्चे शाला कार्य दिवसो ं समय के पूर्व आते हैं, शोषण की संभावना अधिक होती है| परिसर के आस पास की गुमठियों पर भी इस तरह के व्यक्ति खड़े होकर अवसर पाकर बच्चों को गंदी नजरों से निहाते व रास्तें में क्षेड़ते है ,इन घटनाओं को शिक्षकों की निष्क्रयता एवं अनदेखी करने से प्रोत्साहन मिलता है |
ReplyDeleteबच्चों का यौन शोषण एक कमजोर
ReplyDeleteविकृत मानसिकता वाले व्यक्ति करते है।ऐसे व्यक्ति बच्चों की अपरिपक्वता ,बच्चों को यौन शिक्षा की जानकारी का होना। वस्तुओं की लालच ,भोलेपन के कारण बच्चों के शोषण मे सफल हो जाते है।इसके लिये बच्चों को बाल अधिकार,यौन शिक्षा दी जानी चाहिए।
Bachchon me jagrukta ki kami ke karn laingik apradh hote. Bachche bhole bhale nasmjh hote hai. Apradhi kism ke log, kabhi bhay,dar, dikhakr kabhi lalch dekar bachchon ke sath apradh karte hai. Aaj ka midiya bhi dosi hai.bachche din bhar mobail,telibigan par dekhte hai.jiska galt asar padta hai.
ReplyDeleteबच्चों का यौन शोषण एक कमजोर
ReplyDeleteविकृत मानसिकता वाले व्यक्ति करते है।ऐसे व्यक्ति बच्चों की अपरिपक्वता ,बच्चों को यौन शिक्षा की जानकारी का होना। वस्तुओं की लालच ,भोलेपन के कारण बच्चों के शोषण मे सफल हो जाते है।इसके लिये बच्चों को बाल अधिकार,यौन शिक्षा दी जानी चाहिए|
लोकेश विश्वकर्मा, हर्रई, छिंदवाड़ा
ReplyDeleteजागरूकता के अभाव में या लालच या डर आदि के कारण सी बच्चों के साथ शोषण स्थिति बन सकती है। बच्चों में सामाजिक जागृति लाना चाहिए एवं शोषण के बारे में जानकारी प्रदान करना चाहिए। स्कूल में बाल शोषण होता है, यह कहना उचित नहीं है।
Bachche nasamajh hote hain.we galat harkaton se parichit nahi hote.isliye bal shoshan ka shikar ban jate hain.
ReplyDeleteBaal adhikar ka sahi tareeke se laagu ni hona
ReplyDeleteBachche nasamajh hote hai.isliye aaksar bal soshan hota hai .bal soshan na ho iske liye bachchon ko School me bal soshan sambandhi jankari dena chahiye.(DBSINGH)
ReplyDeleteस्कूल में बच्चों के ।बाल
ReplyDeleteSushan ki लिएSab jimmedaar Hain bacchon ko Bal shoshan se bachane ke liye Ham sabhi ko Prayas karna chahie
स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
ReplyDeleteप्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न,यौन शोषण,पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं।जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण उदाहरण स्वरूप पहचान कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों(Preventive Measures)पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिए।शाला में बच्चों का शोषण हो सकता है शाला बंद होने के बाद असामाजिक तत्वों का शाला में आना शाला के आसपास जमा होना शाला प्रभारी को इस ओर निरंतर ध्यान देना चाहिए कि हमारी शाला में क्या शाला के आसपास साला लगने के बाद कोई असामाजिक तत्व शाला में प्रवेश ना करें शाला का वातावरण साफ एवं स्वच्छ बच्चों के अनुकूल हो सुरक्षित हो बच्चों की सुरक्षा का ध्यान शिक्षक प्रधानाध्यापक पालक सभी इस ओर ध्यान दें बच्चों को गुड टच बेड टच के बारे में बताएं मीटिंग में बालकों को भी इस बारे में बताएं ताकि वह अपने बच्चों को इस बारे में अच्छे से बता सके बच्चों को ही इस बारे में सजग रहना चाहिए यह काम माता पिता बचपन से ही बच्चे को सिखाएं स्कूल में शिक्षक इस बारे में बच्चों से बात करें इस बारे में बच्चों से बात करें बच्चे साला समय पर ही स्कूल आए और छुट्टी होने के बाद सीधे घर जाए बात का ख्याल साला प्रभारी एवं शिक्षक पालक सभी रखें तो बच्चों का शाला में शोषण होने से रोका जा सकता है हो सके तो पुलिस की भी मदद ले शाला में नैतिक मूल्यों को बढ़ावा दें बच्चों को निरंतर इस बारे में शिक्षित करें।
श्रीमती चंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज
गाडरवारा
नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश
Mansik vikruti aur jagurukta ka abhav do karan ho sakte hain ki bacchon ka shoshan hota hai.
ReplyDeleteMansik vikruti aur jagurukta ka abhav do karan ho sakte hain ki bacchon ka shoshan hota hai.
ReplyDeleteअविभावक एवं छात्रों में जागरूकता का अभाव , शिक्षकों की बच्चों से व्यक्तिगत लगाव में कमी, छात्रों की बातों पर ध्यान नहीं देना, छात्रों को गुड टच बेड टच की जानकारी नहीं होना,कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे स्कूलों में बच्चों का बाल शोषण होता है।
ReplyDeleteस्कूल में बाल शोषण क्यों होता है इस टॉपिक पर मेरा विचार यह है की सभी स्कूलों में बाल शोषण होता है तो पूर्ण रूप से गलत है हां एक दो परसेंट स्कूल में हो सकता है तो उसके बहुत से कारण है इन कारणों पर शासन अपनी नीति व कानून के आधार पर सुधार कर सकने में सक्षम है फिर भी मेरा कहना है की विद्यालय एक मंदिर है एवं शिक्षक उसका पुजारी है वह नित्य प्रतिदिन अपने कर्मानुसार कर्तव्य का पालन करता है लेकिन कुछ जगह गलत सोच विकृत मानसिकता अज्ञानी लोग इस तरह के कृत्य करते हैं उन पर शासन अपनी नीति व कानून प्रक्रिया के आधार पर सुधार कर सकते हैं अभी तो यह है मानसिक रोग की तरह है इसे जितना सोचेंगे कहेंगे समझेंगे मैं उतना ही दिखेगा थैंक यू जय प्रकाश पवार प्राथमिक शिक्षक इंडिया डाइस कोड 2333 04 09301 तहसील नसरुल्लागंज जिला सीहोर मध्य प्रदेश
ReplyDeleteबचपन बच्चे का सबसे खुशहाल समय होता है अपने बचपन को याद करेंगे तो हमें बचपन की सुनहरी यादें याद आ जाएंगे बचपन में हम स्वतंत्र रूप से खेलना कूदना पढ़ना लिखना सब स्वतंत्रता से करते रहते हैं नगर जब वह स्कूल में आता है वहां भी वह अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है मगर तेज परिस्थितियों में वह अपने आप को असुरक्षित महसूस करता है बाल शोषण एक गंभीर विषय बनता जा रहा है इसके लिए बच्चों को भी लैंगिक शोषण किस तरह का हो सकता है इस ओर उनका ध्यान आकर्षित करना होगा हमें विशेष रूप से लैंगिक अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम 2012 जिससे शिक्षक बच्चों को लैंगिक अपराध से सुरक्षित रख सकता है विद्यालय में शिक्षक का महत्व होता है जिससे वह बच्चों को विभिन्न द्वारा विभिन्न संस्थाओं के द्वारा जीवन को बहुआयामी बना सकता है बच्चे जो है बच्चे पशुओं में पढ़ने से वह गलत आदतों का शिकार हो जाता है और वहां अपने ही प्रतीत शेरों से होता है इससे बचने के लिए शिक्षक और परिवार के सदस्यों का महत्वपूर्ण पारिवारिक सदस्यों को पता होना चाहिए उसमें आज तो मैं क्या करूं तन हो रहा है यह भी उसे घर वालों को पता होना चाहिए मेरी यादों में कुछ परिवर्तन होता है और वह विभिन्न प्रकार की गतिविधि करता है जो प्रतिदिन की प्रतिक्रिया से भिन्न हो तो समझना चाहिए कि उसके साथ कुछ गलत हो रहा है। इन बातों का बहुत अधिक ध्यान घर के सदस्यों को रखना होगा तभी हम बाल लिंग्कि अपराधों को रोक सकते है।
ReplyDeleteJanki thakur
ReplyDeleteजागरुकता के अभाव में,लालच और डर आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
शोषण होने का मुख्य कारण बच्चों में जागरूकता का अभाव है स्कूलों में बाल वह अपने द्वारा अपने स्कूलों में बाल शोषण होने का मुख्य कारण बच्चों में जागरूकता का अभाव है वह बाल अधिकारों से अनभिज्ञ रहते हैं इसके लिए उन्हें बाल अधिकारों से परिचित कराने की आवश्यकता है जिससे बाल शोषण जैसी घटनाएं स्कूलों में कम से कम हो
ReplyDeleteदिलीप सिंह ठाकुर, शिक्षक, शासकीय एकीकृत शाला, घाना, घुन्सौर, जबलपुर के अनुसार बाल अवशोषण, लैंगिग अपराध,योन शोषण जैसे गंभीर अपराध माने जाते हैँ। मेरे अनुसार ये अक्षम्य अपराध हैँ। मानसिक विकृति के उदाहरण हैँ.... दिलीप सिंह, जबलपुर
ReplyDeleteLakhanlal vishwakarma GMSUncha असामाजिक तत्वों द्वारा वासियों का बाल शोषण किया जाता है बच्चों को अधिकतर ज्ञान नहीं होता हैउन्हें डराया धमकाया जाता है जिससे भी किसी से अवगत नहीं कर पाते और शोषण का शिकार होते हैं
Deleteस्कूल में बाल शोषण इसलिए भी होता है क्योंकि बच्चा निर्णय लेने के लिए परिपक्व नहीं होता उस में जागरूकता की कमी होती है वह गलत और सही के बीच अंतर नहीं कर पाते बाल अधिकारों की जानकारी का अभाव होता है माता-पिता शिक्षकों को संविदा एवं आदि में भी जागरूकता एवं बाल अधिकारों की जानकारी नहीं होती है बच्चा गुड टच और बैड टच की जानकारी नहीं होती है बढ़ती उम्र विद्यालय का प्रवेश का भी विशेष प्रभाव होता है रूढ़िवादी विचारधारा एवं लैंगिक असमानता आदि भी बाल शोषण के लिए उत्तरदाई होते हैं स्कूल एवं माता-पिता समुदाय आदि का प्रशिक्षित ना होना बाल अधिकारों के बारे में जानकारी ना होना बाल शोषण की प्रमुख कारण है आता है बच्चों को उनके बाल शोषण के अधिकारों की जानकारी दी जानी चाहिए माता पिता समुदाय एवं शिक्षकों को बाल शोषण का प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए जिससे सभी मिलकर बाल शोषण से बच्चों को मुक्त रख सकें
ReplyDeleteस्कूलों में बच्चों का शोषण असामाजिक तत्वो दृ|रा हो सकता है| इसलिए विद्यालयो में बच्चों के सुरक्षा का प्रबंध होना अत्यावश्यक है|इसके अतिरिक्त ,जागरुकता का अभाव के कारण शिक्षक इस तरफ ध्यान नहीं देते हैं| बाल अधिकारो का जानकारी सभी को होना चाहिए|
ReplyDeleteबाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
तोकराम धुर्वे प्राथमिक शाला लखनपुरा -बच्चों का यौन शोषण खराब मानसिकता के कारण होते हैं ।हमें इसके बारे में सही मानसिकता का परिचय देना चाहिए।
ReplyDeleteमौजूदा परिप्रेक्ष्य में स्कूलों में बाल शोषण नहीं होता है क्योंकि अब यह अपराध की श्रेणी में आता है बच्चों का आपस में एक दूसरे का मजाक उड़ाना जाति शारीरिक बनावट मोटा पतला लंबा छोटा इस आधार पर या या उनका आपस का मनमुटाव उस रूप को ले लेता है खासकर घरों में पालक का पढ़ा लिखा ना होना सामाजिक आर्थिक श्रेणी में पिछड़ापन कई बार ऐसी भावनाओं को व्यक्त करता है कि वह छात्र छात्राओं के खेलने साथ पढ़ने उठने बैठने में पोषित होते-होते शोषण की श्रेणी में आ जाता है अन्यथा स्कूलों में अब यह नहीं होता है
ReplyDeleteस्कूल में बच्चों को बाल शोषण की जानकारी का अभाव होने से बाल शोषण होता है। शाला में सुरक्षित बाउंडरीवाल होना एवं शिक्षकों द्वारा भी शालाओं में छात्रों को व्यक्तिगत सुरक्षा के बारे में समझाना चाहिए यदी किसी बच्चे के साथ ऐसा कोई शोषण हो रहा हो, तो उसे अकेले में सही मार्गदर्शन दे सकते हैं।
ReplyDeleteस्कूलों में बच्चों के साथ बाल शोषण न के बराबर होता है। अपवाद स्वरूप शोषण होने काकारण बच्चों को स्वास्थ्य सुरक्षा व्यवस्था बाल शोषण के अपराधकीजानकारिया नहीं होना है। थोड़ी सी लालच ग़रीबी बहलावा,
ReplyDeleteस्कूल गांव से दूर होते हैं अक्सर छोटे बच्चों को वहां पैदल ही आना जाना पड़ता है और प्रत्येक स्कूल में सुरक्षित बाउंड्री वाल का ना होना एवं असामाजिक तत्व आसानी से बच्चों तक पहुंच जाते हैं जो उन्हें महिला को सुला कर अपनी संतुष्टि करते हैं एवं छोटे बच्चे बैड टच गुड टच की प्रति पर्याप्त जागरूक नहीं रहते हैं उनको इस संबंध में स्कूल में कोई भी जानकारी नहीं दी जाती है
ReplyDeleteस्कूल में बाल यौन शोषण होने के वैसे तो अनेकों कारण हो सकते हैं ।किन्तु मेरे विचार से इसका प्रमुख कारण शिक्षकों में
ReplyDeleteजानकारी और जागरूकता का अभाव हो
सकता है ।
स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा,मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है,और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।कक्षा तीन से दस तक की पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान,गुड टच एंड बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित नहीं किया जाता है।किन्तु यह आधुनिक समय की विशेष माँग है।
ReplyDeleteजागरूकता के अभाव में, लोभ,लालच और दवाव के कारण यौन शौषण होने का मुख्य कारण हैं जिससे सरकार द्वारा 2012 में पॉक्सो एक्ट बनाया गया जो यौन शोषण को रोक सकता हैं लड़के लड़किया यौन शोषण के शिकार हो जाते हैं |
ReplyDeleteशिक्षक बच्चे और अभिभावक मिलकर यौन शोषण रोक सकते हैं यौन शोषण के अलावा अन्य शोषण भी होते है , जैसे बालश्रम, बालमजदूरी, बालविवाह, किसनेपिंग लड़कियों की तस्करी इत्यादि जैसे अपराद समाज में खूब पनप रहे हैं |इन अपराधों को समाप्त करने के लिए सरकार और शिक्षक, बच्चे मिलकर कर सकते हैं कुछ लोगो द्वारा अश्लील मूवी, पिक्चर आदि भी जबरदस्ती दवाव देकर दिखाते हैं शोषण करते हैं |
राधेश्याम लोधी प्राथमिक शिक्षक
प्राथमिक शाला बंडोल
विकास खंड गोटेगांव
जिला नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश
मेरे विचार या अनुभव से तो ये संभव नही है ,पर सुनने में आता है कभी तो ह्रदय को आघात पहुचता है ,विद्यालय एक मंदिर है और शिक्षक संवरक्षक ,गुरु,मार्गदर्शक परंतु शिक्षक की लापरवाही से ये संभव हो सकता है ,एक नैतिकता वाला शिक्षक सदैव अपने विद्यार्थियों की सुरक्षा का भाव रखता है ,परन्तु पालक, परिवार का अधिक विस्वास इसे जन्म देता है ,जिससे विद्यालय में बाल शोषण होसकता है ,मारना,पीटना धमकाना कायर ओर अनिपुर्ण व्यक्ति का कृत्य है ,।बाल शोषण के लिए जागरूक न होना ,भी एक कारण हो सकता है ।
ReplyDeleteमैं श्रीमती सुभद्रा चौहान क्रमांक 14 बाल अधिकार के बारे में बच्चों को जागृत करना चाहिए जिससे स्कूलों में बाल शोषण में कमी आएगी
ReplyDeleteस्कूलों में बच्चों के बाल शोषण की घटनाओं का कारण ,बच्चे अपनी बात कह नही पाते है कोई भय से तो कोई लालच के कारण।स्कूलों में बाल उत्पीड़न के मामले का एक कारण शिक्षक और बच्चों को सुरक्षा, स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों के बारे में जानकारी न होना। हमे स्कूलों में सुरक्षा, स्वास्थ्य और बाल शोषण के खिलाफ बच्चो को जागरूक करना होगा तभी वह शोषण होने पर बता पायेगा।
ReplyDeleteमुकेश कुमार सक्सेना
U,E,G,S,मण्डावर
नरसिंहगढ जिला,राजगढ़,म,प्र,
Dont be tarture. Dont be fear in life necesity. Humanity in. every family but defrence when other in their. Inshools. We are seeing andbehaviour like family members
ReplyDeleteस्कूलों में कई कारण से यौन शोषण हो सकता है सफाई कर्मी और दूसरे स्टाफ के लोगों का शाला में वे रोक टोक आने की अनुमति ग्रामीण क्षेत्र की शालाओं में बच्चों का घर पर अकेले रहना जिसकी जानकारी सभी को होती है बच्चो को छूकर बात करना जिससे बच्चा अंदर से भयभीत हो जाता है
ReplyDeleteबच्चों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती है। शोषण की घटनाओं के बाद बच्चें डर के कारण बोल नहीं पाते । बच्चों को अधिकारों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
ReplyDeleteमेरे विचार या अनुभव से तो ये संभव नही है ,पर सुनने में आता है कभी तो ह्रदय को आघात पहुचता है ,विद्यालय एक मंदिर है और शिक्षक संवरक्षक ,गुरु,मार्गदर्शक परंतु शिक्षक की लापरवाही से ये संभव हो सकता है ,एक नैतिकता वाला शिक्षक सदैव अपने विद्यार्थियों की सुरक्षा का भाव रखता है ,परन्तु पालक, परिवार का अधिक विस्वास इसे जन्म देता है ,जिससे विद्यालय में बाल शोषण होसकता है ,मारना,पीटना धमकाना कायर ओर अनिपुर्ण व्यक्ति का कृत्य है ,।बाल शोषण के लिए जागरूक न होना ,भी एक कारण हो सकता है ।
ReplyDeleteSuraiya Siddiqui
इसका मुख्य T V ,मोबाइल पर तरह तरह के वीडियो देखना यह भी बाल शोषण का कारण बनता ।
ReplyDeleteहम शिक्षकों की जागरूकता से यौन शोषण को रोका जा सकता है
ReplyDeleteहमारे स्कूलों में बाल शोषण और उससे संबंधित एवं अपराध तथा स्कूलों में बाल शोषण के कई कारण है उनमें अशिक्षा अंधविश्वास और गरीबी प्रमुख है अशिक्षा के कारण माता-पिता बच्चों के पठन-पाठन पर ध्यान नहीं दे पाते जिन बच्चों को घर में गाइड नहीं किया जाता वह कमजोर पड़ जाते हैं तथा शिक्षक भी ध्यान देना कम कर देते हैं दूसरा अंधविश्वास अशिक्षित माता-पिता के मन में एक धारणा होती है कि शिक्षा हमारे भाग्य में नहीं है तो भला हमारे बच्चों के भाल में कहां से आएगी.। इन सबके लिए समाज बहुत उत्तरदाई है।
ReplyDeleteलेकिन बाल यौन शोषण को रोका जाना चाहिए यह एक निंदनीय कृत्य है।
बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज मे कुछ अल्पतम लोगो की घटिया सोच और अपरिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते है।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में समय समय पर संस्थाओं में प्रशिक्षण की महती आवश्यकता है।
बच्चों के साथ स्कूलों में शोषण इस कारण से होता है क्योंकि उन्हें अच्छे और बुरे संपर्क या टच के बारे में पता नहीं होता है। वह इसे एक सामान्य व्यवहार के तौर पर देखता है। और जब उसे समझ आता है तब तक यह दुर्व्यवहार बहुत आगे तक बढ़ चुका होता है।
ReplyDeleteबच्चों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती अधिशोषण घटनाओं के बाद बच्चे डर के कारण बोलना ही पाते
ReplyDeleteशाला परिसर मे गेट औरबाउंड्रीवॉल ना होने से आवागमन प्रतिबंधित नहीं होना जिससे कोई भी असामाजिक तत्व बिना किसी अवरोध के आते जाते रहते हैं।साथ ही समय समय पर पर सुरक्षा की दृष्टि से पुलिस टीम का राउंड और काउंसलिंग नहीं होना भी एक कारण है।
Deleteबच्चों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होने के कारण उनका बाल शोषण होता है इसलिए हमें उन को उनके अधिकारों के बारे में बताना चाहिए
ReplyDeleteशाला में बाल शोषण होने का कारणों में बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जानकारी ना होना है| बच्चे शाला में काफी समय होते हैं जिससे वे लालच में या डर के कारण विपरीत परिस्थितियों में फंस जाते हैं| यदि उन्हें समय-समय पर उनके अधिकारों के प्रति जागरूक बनाया जाए एवं विषम परिस्थितियों से निपटारा करने हेतु जानकारी दी जाए तो उन्हें शोषित होने से बचाया जा सकता है|
ReplyDeleteनाम - लक्ष्मीनारायण छीपा
ReplyDeleteस्कूल - शा.मा.वि,बरकीसरांय भांडेर
स्कूलों में बाल शोषण इसलिए होता है, क्योंकि बच्चा सबसे ज्यादा समय अपना स्कूल में समय बताता है, और स्कूल में उसके साथ जातिगत भेदभाव भी किया जाता है, तथा कई बार उससे ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाता है जो उसे अपमानजनक महसूस करते हैं| कभी-कभी उसकी पिटाई भी लगा दी जाती है |इस प्रकार बच्चा कई शोषण ओं का स्कूल में शिकार होता है| इसका मुख्य कारण यह है कि शिक्षक व बच्चे दोनों को ही के उनका शोषण हो रहा है ,या वह शोषण कर रहे हैं| इसकी जानकारी का अभाव होता है और वह न चाहते हुए अनजाने में भी शोषण करते हैं |इस समस्या के निदान के लिए शिक्षक व बच्चे दोनों को इसका प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए| ,तथा रंगीन चित्रों के माध्यम से सभी गतिविधियां जो के शोषण को इंगित करती हैं| उनकी जानकारी बच्चों को वह शिक्षकों दोनों को देना चाहिए| अगर शिक्षक और बच्चे दोनों को शोषण के बारे में जानकारी होगी ,तो इस तरह की घटनाओं पर अंकुश लग जाएगा ,वह शिक्षक भी बच्चों की शोषण के विरुद्ध मदद कर पाएंगे|
जागरुकता के अभाव में ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरुक करना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों का योन शोषण एक मानसिक विकृति का परिणाम होती है । विकृत व्यक्ति बच्चों की अपरिपक्वता व योन शिक्षा के अभाव के कारण उसका शोषण करने मे सफल हो जाता है ।
ReplyDeleteSchoolon Mein Bal shoshan ke Kai Karan Hain Mata Pita Mein Shiksha Garibi andhvishwas paryapt Suraksha na hona lalach Dara De iske liye Logon Mein jagrukta Prashikshan dwara bacchon main Atma Raksha Hetu prashikshit karaya Jana chahie
ReplyDeleteमाधुरी ठाकुर सहायक शिक्षक शासकीय आदर्श उच्चतर माध्यमिक कन्या शाला परासिया जिला छिंदवाड़ा जागरूकता के अभाव में डर और लालच आदि के कारण ही बच्चों के साथ शोषण की स्थिति बन जाती है अतः बच्चों को अपने साथ भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश की जानी चाहिए उसे हर क्षेत्र में जागरूक करना चाहिए बच्चों की पाठ्य पुस्तकों में लैंगिक उत्पीड़न अधिनियम के कठोर प्रावधान गुड टच बैड टच के रूप में रंगीन चित्रों के द्वारा प्रदर्शन सम्मिलित किया जाना चाहिए लैंगिक अपराध आदि के बारे में समय-समय पर स्कूलों में बच्चों को शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाना चाहिये बाल लैंगिक शोषण के पीछे समाज के कुछ अल्पतम लोगों की घटिया सोच और आप परिपक्व मानसिकता के कारण हो सकते हैं स्कूलों में चाइल्ड हेल्पलाइन नंबर दीवारों पर पाठ्यपुस्तक हो मैं लिखा होना चाहिए
ReplyDeleteबाल शोषण के संबंध में काफी महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई इन जानकारियों का उपयोग परिवार समाज एवं शाला परिसर में करने का प्रयास करूंगा हरि ओम नमस्कार
ReplyDeleteNamaskar Sathiyon main Vipin Kumar Gilla Madhyamik Shikshak Madhyamik Shala bhajiyadhana jahan tak schoolon Mein Bal shoshan ki baat hai aajkal yah Priya schoolon mein atyadhik dekhne ko Aati Hai Iske Kuchh Naman parinaam Hai jaise schoolon mein boundary wall Ka Na Hona schoolon Ka Gaon Se Ekant Mein Bane Hona Jiske Karan are Samajik tatoo log schoolon ka Chakkar Lagate Hain aur bacchon per oskarwadi kahan per Buri Najar rakhte Hain 77 Hamen Hamare Vidyalay Parisar Mein bacchon ki Suraksha ke liye uchit intejaam bhi karna chahie tatha unhen Samay Samay par good touch bed touch ke bare mein Jankari Dena chahie aur yadi Shikshak aur Chhatra ke bich bhavnatmak sambandh hoga to baccha Apne Man Ki Baat Shiksha Ko Bata payega jisse Uske usko hone wale Yon shoshan ko Ham rok bhi sakte hain aur Parivar Walon Samaj walon ki madad se use apradhik pravati ke vyakti ko Saja V Dila sakte hain iske liye Sarkar dwara pass ko act aaya hai jo ki bacchon ki child helpline Hai tatha is ka number hai 1098 dhanyvad
ReplyDeleteबच्चों को गुड टच और बेड टच के बारे में बताना चाहिए बाल अधिकार के बारे मे बच्चों को जाग्रत करना चाहिए जिससे स्कूलो मे बाल शोषण मे कमी आएगी
ReplyDeleteNamaskar sathiyon main Vipin Kumar Gila madhyamik Shiksha madhyamik Shala bhajiya Dana jila Hoshangabad jahan tak schoolon mein yon shoshan ke bare mein baat hai to aajkal yah praman schoolon mein dekha ja raha hai iske kuchh nimnikaran hai jaisa schoolon mein surakshit vatavaran ka Na hona schoolon mein boundary wall ka Na hona schoolon ke aaspaas panki ghumti hai ya samajik tat par Jo log baithe rahte hain unke dwara Bal bacchon per buri najar Rakhi jaati hai yahi aage banke even shoshan ka Karan banta hai iske liye hamen samay samay per bacchon ko good touch bed touch ke bare mein Sikh Dena chahie tatha unhen unke sath bhavnatmak sambandh banana chahie jisse hamen ke man ki baat Jaan sake yadi kisi bacche ke sath ya apradh gatividhi Ho Rahi hai to hamen uska pata chale to ham usko gatividhi ko rok sake dhanyvad
ReplyDeleteBacho ko baladhikar ke bare me jagruk kare taki unka sochshs na ho
ReplyDeleteस्कूल में बाल शोषण का मुख्य कारण शिक्षकों का उदासीन व्यवहार एवं शिक्षकों में अपने कर्तव्यों के प्रति परिपक्वता की कमी भी हो सकता है, जिसके फलस्वरूप शिक्षक बच्चों में भेदभाव करते हैं, तुलना करते हैं एवं आवश्यक प्रोत्साहित नहीं करते हैं जिसकी वजह से बालमन चोटिल(hurt) हो सकता है। स्कूलों में ऐसा ना हो इसलिए शिक्षक को अपने दायित्वों की ओर ध्यान देने एवं उसमें सुधार हेतु चिंतन करने की आवश्यकता है।
ReplyDeleteजागरूकता की अभाव में बच्चों के साथ शोषण होता है
ReplyDeleteBala soshan apradh hao jankari Milane par police ko suchnaawamsanchar DeNa chahiye
ReplyDeleteहमारी पाठशालाओं में बाल शोषण होता है यह कहना गलत है।हम अपने स्कूल को देवी सरस्वती का मंदिर मानते हैं।अपवाद के रुप में यदि कोई घटना होती है तो कुछ विकृत बुद्धि के लोग होते हैं।हमें अपने बच्चों को इस से बचने के लिए गुड टच और बेड टच के बारे में समझाना चाहिये और उनके अधिकारो की जानकारी देना चाहिये।
ReplyDeleteस्कूल में यौन शोषण होना गलत हैं हां अपवाद स्वरूप हो सकता है। जैसे बुरा स्पर्श अच्छा स्पर्श मोबाईल का दुरुपयोग , नेतिक माहौल, असामाजिक तत्वों का शाला में प्रवेश, आर्थिक कमजोरी, पारिवारिक माहौल, आदि शाला में यौन शौषण का कारण हो सकता हैं।
ReplyDeleteबच्चों में सामाजिक जागृति लाना चाहिए एवं शोषण के बारे में जानकारी अच्छी तरह बच्चों को लेना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों का बाल शोषण के प्रति जागरूक ना होना इसका मुख्य कारण है बच्चों को चाइल्ड हेल्प लाइन के बारे में बताना गुड टच बैड टच क्या होता है इस संबंध में भी बच्चों को बताना चाहिए
ReplyDeleteBalko ko shoshana ki jankari ka abhaw hota hai parents and neighbor should be aware and teacher s should be alert about social exploitation. Pramod Chandra Mishra S.R.G G.m.s.Baraj satna .
ReplyDeleteजहां पर बच्चों को अपने अधिकार का पूर्ण ज्ञान नहीं होता वहां पर शोषण होता है
ReplyDeleteदुर्व्यवहार यानी अधिकारों काउलंघन है।स्कूल परिसर मैं बाउंड्री वाल का न होना जिससे कोई भीआसाजिक तत्व बिना किसी अवरोध केआते जाते रहते हैं।बच्चों कोअपने अधिकारों केबारे मैं जानकारी नहीं होती है।स्कूल एकांत मैं होते हैं।मैं एकयोग्य तथा कुशल शिक्षक हूँ।हमबच्चों कोसदभाव केसाथ अधिकारों और कर्तव्यों काबोध कराकर हीसीखने सिखाने कीगतिविधियां कराते हैं।हमबच्चों मैं सामाजिक जागरूकता लाने केलिए अच्छे पालकों कासहयोग लेकर बच्चों कोभय तथा शोषण केविरुद्ध जानकारी देकर
ReplyDeleteसक्षम बनाने मैं सर्वश्रेष्ठ बनाने मैं रत रहते हैं।यू. एल. चौपरिया हेडमास्टर शा.मा. वि.गिन्दौरा जिला शिवपुरी म.पृ.।
बच्चों को बाल शोषण के प्रति जागरूक न करना इसका प्रमुख कारण है।
ReplyDeleteबच्चों को अपने अधिकार के बारे में जानकारी नहीं होने से और विद्यालय में बच्चों की सुरक्षा का प्रबंध वालबाउंन्ड्री असामाजिक तत्वों का प्रवेश नहीं होना चाहिए
ReplyDeleteदिनेश तमखाने जिला हरदा
ReplyDeleteस्कूलों मे बाल शोषण होने के कई कारण होते है स्कूलों का ग्राम से बाहर होना जिससे असामाजिक तत्वों का आना जाना हो जाता है, आपने आधिकारो का बच्चों को जानकारी न होना, शाला मे सुविधाओं का अभाव, सय्यम न होना, संस्कार का अभाव, विषम परिस्थिति आदि
यह अक्सर इसलिए होता हैं क्योंकि बच्चें अपराधि द्वारा किए गए दुष्कार्य को जाहिर करने में सक्षम नहीं हो पाते , कभी - कभी तो वह समझ ही नहीं पाते कि उनके साथ यह हो क्या रहा है?
ReplyDeleteबच्चों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती है, इसलिए वहां शोषण होता है।इसे रोकने के लिए
ReplyDeleteसामाजिक जागृति लाना चाहिए एवं शोषण के बारे में बच्चों को जानकारी अच्छी तरह देनी चाहिए।
बाल शोषण स्कूलों मे असामाजिक तत्वों के द्वारा हो सकता है इसलिए विद्यालयों में बच्चों की सुरक्षा का प्रबंध होना चाहिए बाल अधिकारों की जानकारी होना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों के साथ यौन शोषण करना मतलब एक जानवर जैसा कृत्य है। क्योंकि ऐसा कार्य एक जानवर ही कर सकता है। मनुष्य नहीं। परिवार में लड़के व लड़कियों दोनों को बराबर संस्कार अच्छे देना चाहिए उनमें भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को अपने अधिकारों के बारे में ज्ञान नहीं होता इसलिए बच्चे शोषण का शिकार होते है इसलिए बच्चों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण और शिविरों के आयोजन कराए जाने चाहिए ताकि बच्चे जागरूक हो सके और उन्हें उनसे बचाव के तरीके भी बताए जाने चाहिए
ReplyDeleteबच्चों में सामाजिक जागृति लाना चाहिए एवं शोषण के बारे में जानकारी अच्छी तरह बच्चों को लेना चाहिए|
ReplyDeleteस्कूलों में बाल शोषण के मामले इसलिए देखने में आते हैं, क्योंकि प्रत्येक बच्चे और प्रत्येक शिक्षक को व्यक्तिगत सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और लैंगिक अपराधों आदि के बारे में समय-समय पर प्रशिक्षण या शिविरों के माध्यम से जागरूक नहीं कराया जाता है, और यदि कराया भी जाता है तो महज औपचारिक रूप से मात्र।
ReplyDeleteगुड टच और बैड टच को शिक्षकों द्वारा बताया जाना चाहिए।
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों के बच्चे मानसिक तौर पर यौन उत्पीड़न, यौन शोषण, पोर्नोग्राफी के खिलाफ अपनी बात कह पाने में सक्षम नहीं होते और उन्हें बड़ों के द्वारा यह जघन्य अपराध उजागर करने पर डराया धमकाया भी जाता है। इसलिए वह इस प्रकार के कुकृत्य का थोड़ी सी लालच या बहलावा से शिकार हो जाते हैं। जमीनी शिक्षा के रूप में बच्चों के लिए "लालच" और "बहलावा" पर प्राचीन रूढ़िवादी लैंगिक असमानता की कहानियां नहीं सामाजिक विकृतियों को भी उदाहरण स्वरूप पहचान शिक्षक को कराना होगी ।स्कूलों के बच्चों मैं यह डर समाप्त करने की आवश्यकता है। आज इस प्रकार के अपराध की रोकथाम से संबंधित उपायों पर भीअधिक ध्यान दिया जाना चाहिेए।
me diliprolas ps Akhand jsk sulgoun block punasa district khandwa
ReplyDeletebacho ka yon shoshan esliye hota he kyoki ek to school ka samajik tattvo ka khule me ghumna or bacho ko unke baare me pata na hona ye log adhiktar masum ya shishade bacho ko nazarbandh rakhte hai.ye un bacho ko apne udham se apne jaal me asani se fasha lete hai .fir dhamkana darana ya lalach prolobhan adhi se bacho ko apani taraf khichte rahte hai .chuki bacho ko ache bure ki pahchan ka abhav rahta he esliye school bacho ka yon shashn hota hai.
साला मैं बाल लैंगिक अपराध इसीलिए होने की संभावना होती है कि बच्चों इस विषय पर जागरूक नहीं किया जाता है और उस स्कूल के स्टाफ का ध्यान नहीं देना भी एक कारण हो सकता है
ReplyDeleteइस सब का एक ही कारण है कि बच्चों को इस संबंध में कोई भी जानकारी नहीं होती है और कभी कहीं स्कूलों विद्यालयों का माहौल भी इस तरह से नहीं होता है तब यह गतिविधियां वहां इस तरह की हो पाती है
ReplyDeleteBacchon ko Apne adhikaron ke bare mein Gyan Nahin Hota isliye bacche shoshan Ka Shikar hote hain aur isliye bacchon ke liye Samay Samay per Prashikshan AVN Shivir on ka aayojan Kare Jaane chahie Taki bacche Jagran ho sake aur unhen Unse bachav ke tarike bhi bataya Jaane chahie.
ReplyDeleteबच्चों को अपने अधिकारों के बारे में ज्ञान नहीं होता इसलिए बच्चे शोषण का शिकार होते हैं इसलिए बच्चों के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण और शिविरों का आयोजन कराना चाहिए ताकि बच्चे जागरूक हो सके और उनसे बचाव के तरीके भी बताने जाने चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को उनके अधिकारों का ज्ञान नहीं होता इसलिए उनका यौन शोषण होता है
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