मॉड्यूल 14 गतिविधि 2: योजना साझा करें
समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत आप कौन सी नवाचार गतिविधियाँ कर सकते हैं। एक संक्षिप्त योजना साझा करें।
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राजेंद्र प्रसाद मिश्र सहायक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मणपुर जिला रीवा मध्य प्रदेश समग्र शिक्षा से आशय बच्चे के सर्वांगीण विकास से है उसके मन मस्तिष्क शारीरिक विकास के साथ उसमें नैतिकता के गुणों का भी समावेश हो जिससे वह अपने से बड़ों का आदर व शिष्टाचार में पारंगत हो सके उसे एक सभ्य और सुसंस्कृत नागरिक बनाया जा सके बच्चे को खेल कला संस्कृति शिक्षण तथा चिंतन के विभिन्न भागों में पारंगत करने का प्रयास करना होगा
ReplyDeleteSchool ka annual function
Deleteke samay hum kisi mahapurush ki jivani ka
manchan karva sakte hain
Jisase students ko apni sanskriti ke baare mein
jaankari milegi.
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ReplyDeleteअनिल कुमार कुशवाहा माध्यमिक शिक्षक ,शासकीय माध्यमिक शाला नगवाड़ा ,विकासखंड बनखेड़ी ,जिला होशंगाबाद ,शिक्षा से आशय बच्चों के सर्वांगीण विकास होना है ।बच्चे के मस्तिष्क में शिक्षा का विकास करना उसे एक अच्छा नागरिक बनाना ,देश के प्रति उसकी लग्न पैदा करना ,समाज में रहने के तरीकों के बारे में बताना यही एक अच्छी शिक्षा हैं।
ReplyDeleteबालसभा में कई बदलाव की गतिविधियां सम्मिलित की जाएगी
Deleteबच्चों के विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है बहुत प्रकार की गतिविधियों का आयोजन कर बच्चों में इन सब का विकास किया जा सकता है खेल के माध्यम से वाद-विवाद चर्चा क्विज
ReplyDeleteबच्चों के विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है जैसे कि खेल के माध्यम से, वाद-विवाद ,चर्चा और क्विज ।
ReplyDeleteछात्रों को विभिन्न प्रेरक कहानियों और स्थानिय स्तर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के से जोड़कर अधिगम को बढाया जा सकता है ।
ReplyDeleteNatak,dance,geet,bagvani,,khet dikhakar gatividhiyon
Deleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
ReplyDeleteशिक्षा के इस पहलू के नवाचार हेतु गतिविधियो मे हम भ्रमण कार्यक्रम को माध्यम बनाकर छात्रो से उनकी रूचि अनुसार नाटक नुक्कड़ गीत नृत्य संगीत द्वारा सास्कृतिक एवं पर्यावरण पहलुओ का पोषण कर सकते है।
Deleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरण विकास हेतु बच्चों को आसपास के स्थानों का भ्रमण कराया जाना चाहिए सांस्कृतिक विकास के लिए स्कूल में ही गीत भाषण नृत्य आदि गतिविधी करा कर बच्चों का विकास कर सकते हैं सरिता तिवारी मां.शा. कोठी बाजार होशंगाबाद
Deleteसंस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अन्तर्गत हम उन्हे एक मंच देकर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं।उन्हे प्रोत्साहित करके कला को निखरने मे हर सम्भव मदद कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों को स्थानीय परिवेश की गतिविधियों से जोड़कर काम कराना
ReplyDeleteGMS Ambedakar Kripalpur Satna MP
ReplyDeleteबच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए कोई गतिविधि आधारित योजना विद्यालय स्तर पर बनाई जा सकती है।
बच्चो के पारिवेशिक स्वच्छता हेतु बच्चो द्वारा घर घर जा कर जनजागरण करना,सफाई से होने वाले लाभों व रोग निदान के प्रति जागृति लाना हो सकता है।
हम अभिनय के द्वारा बच्चों को सिखा सकते हैं। कुछ नया करने की की समझ विकसित कर सकते हैं एक शिक्षक के रूप में बहुत उपयोगी है शिक्षक इसका उपयोग करके रणनीति बना सकते हैं फुटपाथ की दुकान के बारे में लिखकर नोटबुक में व्यवसाय की समझ विकसित कर सकते हैं
ReplyDeleteSchool me prativarsh varsik utsav hona chahiye jisme chhatro se natak ,geet,dance baad-vivaad chitrakala rangoli aadi ka aayojan karbana chahiye aur ghar tatha school meped-paudhe lagana,bagwani karna jaise navachar gatividhiya jod sakte ha isse baccho ka sarbangeed vikas hota hai
Deleteसमग्र शिक्षा से आशय बच्चों के सर्वांगीण विकास से हैं उनके मन मस्तिष्क शारीरिक विकास के साथ उनमें नैतिकता के गुणों का भी समावेश हो जिससेवह अपने बड़ों का आदर व शिष्टाचार में पारंगत हो सके बच्चे को खेल कला संस्कृति शिक्षण तथा चिंतन के विभिन्न भागों में पारंगत करने का प्रयास करना होगा।
ReplyDeleteBacchon ke sarvangeen Vikas ke liye Ham vibhinn prakar ki gatividhiyan kara sakte hain sanskritik pehlu ke antargat apne rajya ke lok nritya loknatya aadi ki jankari ektrit kara sakte hain paryavaran ke antargat vibhinn prakar ke a paudhon or paden ki jankari ekatrit kara sakte hain
ReplyDeleteबच्चे का संपूर्ण विकास हेतु समस्त प्रकार की शिक्षा गातिवेधियो का आयोजन
ReplyDeleteमैं नाथूराम अहिरवार सहायक शिक्षक मा०शा०लोधाखेड़ी वि०ख०लटेरी जिला विदिशा Disecode 23310416802
ReplyDeleteसमग्रशिक्षा अभियान के अंतर्गत हम विध्यालय के बच्चों का जिला तहसील एवं अन्य स्थानो अनिवार्य विभागो संग्रहालयों पुरातात्विक स्थानो के भ्रमण का आयोजन करेंगे । जिससे बच्चों को इतिहास की जानकारी हासिल हो सकेगी । खेलो इंडिया के तहत हम अपने बच्चों की स्पर्धा अन्य स्कूल के बच्चों से कराएंगे जिससे बच्चों के स्वस्थ्य मे व्रद्धि होगी और खेलो के प्रति आकर्षण बदेगा। समग्र शिक्षा का आशय सभी तरह की शिक्षा प्राप्त करने से है । किताबी शिक्षा ही पूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है ।
सांस्कृतिक व पर्यावरणीय पहलू पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्रों का सर्वांगिण विकास संभव है ।
ReplyDeleteसमग्रशिक्षा अभियान के अंतर्गत हम विध्यालय के बच्चों का जिला तहसील एवं अन्य स्थानो अनिवार्य विभागो संग्रहालयों पुरातात्विक स्थानो के भ्रमण का आयोजन करेंगे । जिससे बच्चों को इतिहास की जानकारी हासिल हो सकेगी । खेलो इंडिया के तहत हम अपने बच्चों की स्पर्धा अन्य स्कूल के बच्चों से कराएंगे जिससे बच्चों के स्वस्थ्य मे व्रद्धि होगी और खेलो के प्रति आकर्षण बदेगा। समग्र शिक्षा का आशय सभी तरह की शिक्षा प्राप्त करने से है । किताबी शिक्षा ही पूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है ।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा का अर्थ है बच्चों का सर्वागीण विकास इसके लिए हम बच्चों को खेल खेल मे सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विरासत का विकास करेंगे
ReplyDeleteबच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए कोई गतिविधि आधारित योजना विद्यालय स्तर पर बनाई जा सकती है।
ReplyDeleteबच्चो के पारिवेशिक स्वच्छता हेतु बच्चो द्वारा घर घर जा कर जनजागरण करना,सफाई से होने वाले लाभों व रोग निदान के प्रति जागृति लाना हो सकता है।
बच्चों को सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम एक मंच देकर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं और गतिविधियों द्वारा उनके अंदर छिपी कला को निखार सकते हैं
ReplyDeleteबच्चों को सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम एक मंच देकर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं और गतिविधियों द्वारा उनके अंदर छिपी कला को निखार सकते हैं
ReplyDeleteप्रवीण कुमार पाठक शासकीय माध्यमिक विद्यालय रूपाबेड़ी ! समग्र शिक्षा से आशय है छात्र का चहुमुखी विकास करना! छात्रों को मंच देकर उनकी कलाओं को निखारना, स्कूली शिक्षा और सामाजिक शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करना है !
ReplyDeleteUnder the cultural and environmental aspect of holistic education, we will organize inter-district tours every quarter in the form of innovation, which will include various competitions such as pictures, rangoli, celebrations etc. about the festival coming up in that tremas. This program should be video-recorded and broadcast in all schools. With this, the students of both the districts will be able to exchange their respective culture, sports, language etc. and environmental awareness will also be increased.
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के मूर्त क्रियान्वयन हेतु एक प्रेरक कार्य ये किया जा सकता है कि हम अपने समुदाय के किसी बुजुर्ग नागरिक को विद्यालय में आमंत्रित कर उनसे जल संरक्षण,पर्यावरण संरक्षण और परिवार-समाज के महत्व को उनके अनुभव और विचारों से बच्चों को अवगत करायें।
ReplyDeleteIske liye hm school me vibhinna social activities krvane ke sath sath unhe a unhe alg alg sthano pr picnic pr le ja skte h.
ReplyDeleteबच्चों को विभिन्न प्रकार की गतिविधियों के माध्यम से समूह में खेल के द्वारा एवं वाद विवाद प्रतियोगिता आदि के द्वारा पुरस्कार आदि के द्वारा सीखने में रुचि पैदा करके सांस्कृतिक एवं पर्यावरण पहलू को समझाया जा सकता है सिखाया जा सकता है
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा से आशय छात्रों का बहुमुखी विकास करना। मंच देकर उनकी कला को निखारना ।
ReplyDeleteनरेन्द्र सोनी एकीकृत शाला ईशरपुर विकासखंड बनखेड़ी जिला होशंगाबाद,
ReplyDeleteबच्चे के सर्वागीण विकास के साथ-साथ अन्य गतिविधिया जैसे खेल- कूद ,व्यायाम, प्राणायाम, नैतिक शिक्षा आचार विचार ,आदि भी करवाना आवश्यक होता हैं
Sohabatpatel primary teacher ups Bharatpur tahsil Manpur District-Umaria M.P.बचचों को शिक्षण अधिगम के बिभिन्न आयामों के माध्यम से समूह गतिविधि के द्वारा, बादबिबाद प्रतियोगिता के द्वारा,श्रेष्ट प्रर्दशन छात्रों को पुरस्कार प्रतियोगिताआयोजित कार्यक्रम रखना,बच्चों में नैतिक एवं सांस्क्रतिक गुणों को बिकसित करना,प्रर्यावरण संरक्षण की भावनाआदि जैसे गुणों से संजय बनाया जा सकता हैं।
ReplyDeleteछात्रों को पर्यावरण व सांस्कृतिक पहलू के प्रति जागरूक करने के लिए गतिविधियां अनिवार्य है साथ ही सर्वांगीण विकास के लिए क ई गतिविधियां कराई जा सकती है
ReplyDeleteसमग्रशिक्षा अभियान के अंतर्गत हम विध्यालय के बच्चों का जिला तहसील एवं अन्य स्थानो अनिवार्य विभागो संग्रहालयों पुरातात्विक स्थानो के भ्रमण का आयोजन करेंगे । जिससे बच्चों को इतिहास की जानकारी हासिल हो सकेगी । खेलो इंडिया के तहत हम अपने बच्चों की स्पर्धा अन्य स्कूल के बच्चों से कराएंगे जिससे बच्चों के स्वस्थ्य मे व्रद्धि होगी और खेलो के प्रति आकर्षण बदेगा। समग्र शिक्षा का आशय सभी तरह की शिक्षा प्राप्त करने से है । किताबी शिक्षा ही पूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है ।
ReplyDeleteबच्चों के विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है जैसे हर्बल गार्डन के पेड़ पौधों के oshdiya लाभ की सूची बनाना। और परिवार के सदस्यों की सहायता भी ली जा सकती है।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा से तात्पर्य है छात्रों का सर्वांगीण विकास जो विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कराया जा सकता है
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा से तात्पर्य है छात्रों का सर्वांगीण विकास जो विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कराया जा सकता है
ReplyDeleteमॉड्यूल 14 गतिविधि 2: योजना साझा करें
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत आप कौन सी नवाचार गतिविधियाँ कर सकते हैं। एक संक्षिप्त योजना साझा करें।
समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
धन्यवाद !!!!
शिक्षा का आशय बच्चे के सर्वागीण विकास से है
ReplyDelete
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में त्रैमासिक अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे जिसमें उस त्रिमास में आने वाले उत्सवों के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण किया जाए। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल एवं भाषाआदि का आदान-प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
समग्र शिक्षा से तात्पर्य है छात्रों का सर्वागिण विकास जो भिभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कराया जा सकता है।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा का अर्थ है। कि बच्चो का सर्वागिण विकास इसके लिए हम बच्चो को खेलखेल में सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विरासत का विकास करेगे।।
ReplyDeleteबच्चों को सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम एक मंच देकर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं और गतिविधियों द्वारा उनके अंदर छिपी कला को निखार सकते हैं
ReplyDeleteSamir shiksha ka arth Bachchon ka sarvwageen vikas karna hai.bachchon ko apne aas pas ke parivesh se parchay karakar. Apni chhetriy bhasha me gati vidhi kara kar unke gyan me birdh ki ja sakti hai.
ReplyDeleteK.c.kushwaha
P/a BamhanGaon khurd,
Hoshngabad (m.p.)
बच्चों को सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम एक मंच दे कर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं और गतिविधियों द्वारा उनके अंदर छिपी कला को निकाल सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों के द्वारा विभिन्न गतिविधियां जैसे खेल,सांस्कृतिक प्रतियोगिता रंगोली, वृक्ष रोपण द्वारा जागरूक किया जा सकता है।
ReplyDeleteSanskratik sambandhit gatividhi
ReplyDeleteSamagra shiksha se tatparya hai . Chhatra ka sarvangin vikash .jo ki vibhinna gatividhion ke madhyam se viksit kiya ja sakta hai.(DBSINGH)
ReplyDeleteबच्चों के द्वारा विभिन्न गतिविधियां जैसे खेल,सांस्कृतिक प्रतियोगिता रंगोली, वृक्ष रोपण द्वारा जागरूक किया जा सकता है।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के अन्तर्गत छात्रों मे शैक्षिक विकास के साथ साथ सामाजिक शारीरिक मानसिक सांस्कृतिक विकास होना भी बहुत जरूरी है तभी छात्र छात्राओं का सर्वांगीण विकास होगा ....इसके लिए नृत्य , गायन ,खेल , आत्म रक्षा हेतु जुडो कराटे , वाद विवाद भाषण , जिससे उनके भाषायी स्तर का विकास होगा । आदि गतिविधियां कराकर बच्चों का विकास बहुमुखी हो सकेगा ।
ReplyDeleteधन्यवाद 🙏
दीप्ति जैन ms sonagir station
दतिया
सांस्कृतिक बच्चों के परिवेश व उनकी स्थानीय भाषाओं में गीत गायन नृत्य करने को प्रेरित किया जा सकता है। पर्यावरण हेतु प्रदूषण जल , वायु स्वच्छ ता के लिए पौधों का रोपण।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के तहत पत्रों का शैक्षिक विकास के साथ-साथ उसका मानसिक बौद्धिक शारीरिक विकास से है सांस्कृतिक विकास होना बहुत जरूरी है इस प्रकार शाला में कई प्रकार की गतिविधियां करा कर बच्चों का सर्वांगीण विकास करते हैं
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के तहत हम बच्चों से कई प्रकार की गतिविधियां के माध्यम से उनके ज्ञान को बढ़ाएंगे नाटक के द्वारा नृत्य के द्वारा चित्रों के द्वारा रोलप्ले के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से किसी पेड़ या गार्डन के माध्यम से बच्चों के स्वयं के अनुभव तथा परिवार वालों के अनुभव के द्वारा
ReplyDeleteरंगोत्सव, यूथ क्लव और इको क्लव का गठन कर आदि गतिविधियां कर सकते हैं।
ReplyDeleteमें योगेन्द्र सिंह रघुवंशी श मा शाला बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी मेरे विचार से बच्चे का समग्र शिक्षा से आशय बच्चों के सर्वांगीण विकास से हैं उनके मन मस्तिष्क शारीरिक विकास के साथ उनमें नैतिकता के गुणों का भी विकास हो इसके लिए आवश्यक है गतिविधियों को बढ़ावा देने की साथ ही कक्षा गत गतिविधि हो औरसांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम एक मंच देकर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं और गतिविधियों द्वारा उनके अंदर छिपी कला को निखार सकते हैं गतिविधियां कराकर बच्चों का विकास बहुमुखी हो सकेगा ।
ReplyDeleteधन्यवाद
बच्चों के विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है जैसे कि खेल के माध्यम से, वाद-विवाद ,चर्चा और क्विज
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा का अर्थ है बच्चों का सर्वांगीण विकास ,इसके लिए हम बच्चों को खेल खेल मैं सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय विरासत विकास करें गे ।हम बच्चों को हर गतिविधियों मैं भागीदार बनाते हैं। हर गतिविधि काउद्देश्य सीखने सिखाने का सुगम तरीका है।। यू.एल.चौपरिया हेडमास्टर शा.मा. वि. गिन्दौरा जिला शिवपुरी म.पृ. स्कूल कोड1330
ReplyDeleteशा.मा.वि.गिन्दौरा स्कूल कोड13305
ReplyDeleteSchool estar pr choti chhoti sanskratik gatividhi karna
ReplyDeleteYes vibhinna sanskartik gatividhi karna.
ReplyDeleteKULDEEP kourav GMS chargaon kala block chichli district narsinghpur mp, environmental quiz and cultural quiz competition karke.
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय नवाचारों के लिए भ्रमण कराऐगे। अपने आसपास होने वाले उत्सव मेले पर परिचर्चा करना। राष्ट्रीय पर्व पर मंचों पर ऐंकाकी नाटक के लिए प्रोत्साहित करना।
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ReplyDeleteTulsha Barsaiya MS bagh farhat afza , bhopal.
ReplyDeletesanskritik pehlu ke antargat apne rajya ke lok nritya loknatya aadi ki jankari ektrit kara sakte hain paryavaran ke antargat vibhinn prakar ke a paudhon or paden ki jankari ekatrit kara sakte hain.
समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु सशक्त मंच है, नवाचार के रूप में हम आने बाले उत्सवों पर सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन कर उनमे नैतिक गुणों के विकास के साथ पर्यावरण सरंक्षण की भावना के प्रति जागरूक कर सकेंगे।
ReplyDeleteबच्चों को शिक्षण अधिगम के बिभिन्न आयामों के माध्यम से समूह गतिविधि के द्वारा, बादबिबाद खेल, प्रतियोगिता के द्वारा,श्रेष्ट प्रर्दशन छात्रों को पुरस्कार प्रतियोगिताआयोजित कार्यक्रम रखना,बच्चों में नैतिक एवं सांस्क्रतिक गुणों को बिकसित करना,प्रर्यावरण संरक्षण की भावनाआदि जैसे गुणों से सुयोग्य बनाया जा सकता हैं।
ReplyDeleteबच्चों के बीच तरह तरह की गतिविधियों कराई जा सकता है जैसे कि खेल के माध्यम से, वाद-विवाद ,चर्चा और क्विज ।
ReplyDeleteVibhhin khelo ke madhyam se, vad vivad pratiyogitao ke madhyam se,kwij ke madhyam adi.
ReplyDeleteबच्चो के बीच में तरह तरह की गतिविधि कर उनका विकास करेंगे जैसे वाद विवाद खेलकूद पर्यावरण संरक्षण कर उनके गुणों का विकास करेंगे ।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो प्रतियोगिता करेगे। जिससे विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
ReplyDeleteबच्चों के विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है बहुत प्रकार की गतिविधियों का आयोजन कर बच्चों में इन सब का विकास किया जा सकता है खेल के माध्यम से वाद-विवाद चर्चा क्विज
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु सशक्त मंच है, नवाचार के रूप में हम आने बाले उत्सवों पर सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन कर उनमे नैतिक गुणों के विकास के साथ पर्यावरण सरंक्षण की भावना के प्रति जागरूक कर सकेंगे।
बच्चो की शिक्षण अधिग के विभिन्न आयामो के माध्यम से समूह गतिविधि के प्रतियोगिता के द्वारा श्रेष्ठ प्रर्दशन छात्रों को पुरूष्कार देना आदि गतिविधि द्वारा पूर्ण करना
ReplyDeleteराधेश्याम लोधी प्राथमिक शिक्षक
बंडोल गोटेगांव जिला नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश
बच्चों को विभिन्न गतिविधियों से जोड़ कर श्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले बच्चों को पुरस्कार देना समुह गतिविधियों कराना
ReplyDeleteछात्रों को विभिन्न प्रेरक कहानियों और स्थानिय स्तर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के से जोड़कर अधिगम को बढाया जा सकता है ।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा मे बच्चों को सास्कृतिक एवं पर्यावरण से जोडने के लिए उनके परिवेश एवं स्थानीय संस्कृति से जोडने के लिए आवश्यकता है अपने प्राचीन संस्कृति एवं जन,जंगल,जमीन, पेड़ पौधे, पशु पक्षियों के प्रति संवेदनशीलता के लिए प्रेरित करना
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में रंगोत्सव का आयोजन कर सकते हैं जिससे कला एवं संस्कृति की विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से विद्यालय के माहौल में सीखने और एक जीवंत व आनंददाई वातावरण प्रदान कर सकते हैं। कलात्मक प्रतिभा और रचनात्मकता के लिए मंच प्रदान करना चाहिए कि छात्र विभिन्न रीति रिवाजों, सांस्कृतिक विभिन्नता, विरासतों, भाषाओं के साथ ही भौगोलिक भिन्नताओं से परिचित हो सकें।
ReplyDeleteयूथ क्लब और इको क्लब का गठन किया जाना भी इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। समय समय पर जिला भ्रमण का आयोजन करना ,जिसमें उस समयावधि में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे समस्त जिले के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी। इस प्रकार समग्र शिक्षा के अंतर्गत छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु सशक्त मंच रंगोत्सव नवाचार के रूप में हम आने वाले उत्सवों पर सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन कर उनमे नैतिक गुणों के विकास के साथ पर्यावरण सरंक्षण की भावना के प्रति जागरूक कर सकेंगे।
विद्यार्थियों के समग्र शिक्षा से तात्पर्य है छात्रों का सर्वांगीण विकास जो विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से कराया जा सकता है, जिनमें मुख्यत खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रम, शैक्षणिक प्रतियोगिता, शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम, आदि है।
ReplyDeleteबच्चों को स्थानीय परिवेश की गतिविधियों से जुड़कर काम करना उन्हें प्रोत्साहित करके कला को निखारने में हर संभव मदद कर सकते हैं छात्रों को विभिन्न प्रेरक कहानियों और स्थानीय स्तर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम से जोड़कर अधिगम को बढ़ाया जा सकता है बच्चों के विभिन्न स्तर विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है जैसे कि खेल के माध्यम से वाद-विवाद चर्चा कर और पुलिस के माध्यम से हम अभिनय के द्वारा बच्चों को सिखा सकते हैं कुछ नया करने की समझ विकसित कर सकते हैं धन्यवाद
ReplyDeleteThe cultural activity can be promoted by the group activity initiated by students in different activities.
ReplyDeleteशिवेन्द्र वर्मा माध्यमिक शिक्षक हायर सेकेन्डरी स्कूल बड़ागांव खाचरौद उज्जैन
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक व पर्यावरणीय पहलू के अन्तर्गत नवाचार कारने का उचित स्थान बाल सभा ही है। हम बाल सभा मे महापुरुषो की जयंती व जन्म दिवस मनाते है ।तथा उनके द्वारा किये गये कार्यो को बच्चों को बताते हैं । भाषण ,वाद विवाद आदि गतिविधी करवाते है। लोक गीत, गायन भजन आदि में बच्चे बडे उत्साह के साथ भाग लेते हैं इसी प्रकार पर्यावरण को समझाने के लिये उन्हे खेत बगीचे आदि मे ले जाकर वनस्पति प्राकृतिक धरोहरों के बारे मे प्रत्यक्ष रूप से बताते हैं। पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित चित्र कला ,पोस्टर प्रजेंटेशन स्लोगन आदि प्रतियोगीता का आयोजन बाल सभा के माध्यम से करते है
बच्चों को आसपास के सांस्कृतिक या धार्मिक कार्यक्रम में ले जाकर उन्हें सामाजिक एवं धार्मिक परंपराओं से परिचित करवाया जा सकता है साथ ही आसपास के जंगल अभ्यारण नदी बांध आदि की सैर करा कर उन्हें पर्यावरण से परिचित कराया जा सकता है साथ ही उन्होंने जो आसपास महसूस किया है उसे बच्चों के बीच साझा करके एक दूसरे का ज्ञान विस्तार किया जा सकता है
ReplyDeleteBacchon ko unki Ruchi ke anusar gatividhiya kara kar ke unhen unhen Shiksha se Joda ja sakta hai
ReplyDeletebacchon ko unki Rachna Ruchi ke anusar gatividhiya karva karke unke sadak samgra Vikas hetu unhen Shiksha se Joda ja sakta hai
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिकी में अन्तर्जिला भ्रमण का आयोजन कर, उस तिमाही में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे- चित्र व रंगोली उत्सव मनाने सम्बंधित कार्यक्रम सम्मिलित हो। इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो, जिससे अन्य जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति, खेल और भाषा आदि का आदान-प्रदान कर सकेंगे।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा विद्यार्थी के सम्पूर्ण विकाश के लिए अओश्यक है
ReplyDeleteसंयुक्त परिवार मैं बच्चे का समानिक एवम सांस्कृतिक विकास होगा।पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से छात्रों को पर्यावरण शिक्षा दी जा सकती है।
ReplyDeleteबिभिन्न प्रकार की गतिबिधि करना व वृराक्षारोपण कराना
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के अन्तर्गतकक्षा एवम विद्यालय मे विभिन्नगतिविधियां कराकर जैसे रंगोली,चित्रकला, विभिन्न अवसरों पर चित्र पोस्टर के माध्यम से अभिव्यक्ति, वाद विवाद,नाटक,नृत्य,गायन बालसभा,।
ReplyDeleteइससे बच्चों की प्रतिभाओं में निखार आता है।
समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत नाटक के माध्यम से गतिविधियां कराई जा सकती है।
ReplyDeleteयह तभी सार्थक होगा जब सभी अध्यापक मिलजुल कर छात्रों के साथ अभिभावकों के सहयोगात्मक रवैया से संभव हो सकता है
Deleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
ReplyDeleteविद्यालय का मासिक समय चक्र निर्धारित करे।साप्ताहिक शैक्षणिक भ्रमण कार्यक्रम,समसामयिक नातको का मंचन,अभिभावको के सामने प्रकटी करण,सामाजिक समस्याओ के प्रति जागरण ,अपने परिवेश में सहयोग कर विधालय परिवार समाज का नेतृत्व कर सकता है।ऐसि योजना बनाकर उसे मुर्त रूप दे।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी
ReplyDeleteविद्यालय के स्टाफ सदस्यों से चर्चा करके एक मासिक समय चक्र तैयार कर समय -समय पर शैक्षिक भ्रमण, विज्ञान वाटिका, कृषि के ज्ञान हेतु कृषि दर्शन और कृषि वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन प्राप्त करना, सांस्कृतिक कार्यक्रम का समय-समय पर आयोजन करना, आदि कार्य किये जा सकते हैं।
ReplyDeletesamagra Shiksha se aashay hi hai ki bacche ka gunvatta purn Vikas Ho sake
ReplyDeleteसमग्र विकास से आशय -छात्र,छात्राओं के सर्वागींण विकास से है।इसमे बौद्धिक,शारीरिक एवं मानसिक विकास शामिल है।इसके लिए खेलकूंद ,सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ आस-पास की खोज करने के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करने चाहिये।
ReplyDeleteसांस्कृतिक कार्यक्रम,बाग बगीचे का भ्रमण, आदि प्रकियाओं द्वारा सांस्कृतिक और पर्यावरणीय नवाचार गतिविधियां कर सकते हैं।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
स्थानीय खेलों के माध्यम से बच्चों के अधिगम स्तर को बढ़ाया जा सकता है
ReplyDeleteशिक्षा विद्यार्थी के सम्पूर्ण विकाश के लिए आवश्यक है
ReplyDeleteबच्चों के साथ विभिन्न गतिविधियां करवाकर उनका विकास किया जा सकता है।जैसे:--प्रेरक कहानियाँ सुनाकर, सांस्कृतिक कार्यक्रम द्वारा,नुक्कड़ नाटक करवाकर,प्राचीन इमारतों,नदी,तालाब,बगीचे आदि की सैर करवाकर। इसके साथ ही खेलकूद - व्यायाम - नैतिक शिक्षा आदि भी आवश्यक हैं।। ★★★मोहम्मद सलीम नागोरी- -माध्यमिक शिक्षक - -शा.उर्दू.माध्यमिक.विद्यालय.महिदपुर।जिला उज्जैन।(डाइस कोड 23210600113 )★★★
ReplyDeleteबच्चों के विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है बहुत प्रकार की गतिविधियों का आयोजन कर बच्चों में इन सब का विकास किया जा सकता है खेल के माध्यम से वाद-विवाद चर्चा क्विज.
ReplyDeleteसांस्कृतिक धरोहर हमारी एक अमूल्य धरोहर है भोपाल एक पुरानी रियासत है जिसमें विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कर हम उससे यहां की पुरानी संस्कृति रीति-रिवाजों से परिचित करा सकते हैं बच्चों का सामूहिक भ्रमण जहां उनमें अपनी संस्कृति से जुड़ा और लगाओ समझाएगा हम उसको सजाने संवारने और सहेजने के लिए ग्रीन और क्लीन इंडिया पर प्लांटेशन करवा सकते हैं अपने आसपास पर्यावरण को सुरक्षित रखने हेतु प्रेरित करते हुए स्वच्छता संबंधी छोटे-छोटे कार्य कि वह अपने घरों के आसपास सफाई का ध्यान रखें या अपने आसपास दो वृक्ष अवश्य लगाएं या अपने दोस्तों को उनके जन्मदिन पर एक पौधा लगाने को कहें ऐसे बहुत से सुझाव हैं जिनके आधार पर हम पर्यावरण और संस्कृति से बच्चों का जुड़ाव और लगाओ, बढ़ा सकते हैं
ReplyDeleteविभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियां जैसे - पारंपरिक नृत्य, गीत, कविता, कहानी आदि का आयोजन किया जा सकता है । पारंपरिक खेलकूद, चित्रकला,वाद विवाद आदि प्रतियोगिताएं आयोजित कर सांस्कृतिक व पर्यावरणीय पहलूओं को समझाया जा सकता है ।
ReplyDeleteविद्यार्थियों में स्थानीय लोक कलाओं के माध्यम से उसमें पर्यावरण शिक्षा का अध्ययन कराया जा सकता है।
ReplyDeleteसुनिता बौरासी शा.मा.वि.भगोरा महु
ReplyDeleteसमय समय पर विद्यालय में सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करवाते रहना चाहिए
सांस्कृतिक और पर्यावरण पहलू के अंतर्गत हम विभिन्न प्रकार की गतिविधियां जैसे- शैक्षणिक भ्रमण, किसी संस्कृति के ऊपर नाटक, वाद -विवाद प्रतियोगिता, लेखन प्रतियोगिता आदि करवा सकते हैं| हमारे श्योपुर जिले में सहरिया संग्रहालय है, उसका भ्रमण भी कराया जा सकता है |बच्चों को शैक्षणिक भ्रमण के लिए अभ्यारण, सेंचुरी तथा आसपास के ऐतिहासिक धरोहरों के दर्शनों के लिए ले जाया जा सकता है| जहां वह हमारी प्राचीन संस्कृति और पर्यावरण से परिचित होते हैं| बच्चों को विभिन्न विषयों पर लेखन प्रतियोगिता वाद-विवाद प्रतियोगिता व भाषण प्रतियोगिता का आयोजन करवाते रहना चाहिए ,तथा हम मोबाइल के द्वारा अलग-अलग राज्यों में कौन-कौन सी संस्कृति प्रचलित हैं किस तरह के उत्सव व त्यौहार मनाए जाते हैं ,इसके बारे में हम बच्चों को मोबाइल के द्वारा दिखा सकते हैं| मैं -रघुवीर गुप्ता शासकीय की प्राथमिक विद्यालय नयागांव जन शिक्षा केंद्र शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सहस राम विकासखंड -विजयपुर जिला -Sheopur,मध्य प्रदेश
ReplyDeleteसांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम उन्हें भ्रमण कार्यक्रम के माध्यम से उनकी रूचि के नाटक नुक्कड़ गीत नृत्य संगीत द्वारा स्थानीय परिवेश से जोड़ सकते हैं
ReplyDeleteSeema shrivastava BV1588Hoshangabad Pipariya G.M.S.Panariबच्चो के सर्वागीण विकास विकास के लिए भ्रमण नुक्कड नाटक साकृतिक कार्यक्रम सत्त एवं व्यापक मूल्याकंन आवशयक है
ReplyDeleteबच्चो के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है ।
ReplyDeleteओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में वाद विवाद, बालसभा,रंगोली, नृत्य संगीत आदि गतिविधियाँ करा सकते हैं।वृक्षारोपण अभियान भी चला सकते हैं।
शिक्षा की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत बच्चों में विभिन्न गतिविधियों के द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास हो बच्चों में बौद्धिक शारीरिक एवं मानसिक विकास के साथ ही नैतिकता के गुणों का विकास भी समावेश हो बच्चों को खेल के माध्यम से आपसी सहयोग की भावना जागृत हो रमन श्रीवास्तव शासकीय हाईस्कूल धवारी गली नं 5 सतना
ReplyDeleteछात्रों को विभिन्न प्रेरक कहानियों और स्थानिय स्तर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के से जोड़कर अधिगम को बढाया जा सकता है ।सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम उन्हें भ्रमण कार्यक्रम के माध्यम से उनकी रूचि के नाटक नुक्कड़ गीत नृत्य संगीत द्वारा स्थानीय परिवेश से जोड़ सकते हैं
ReplyDeleteशाला में विविध प्रकार की गतिविधि आयोजित करेंगे तथा आसपास के जगहों का भ्रमण करवा कर सांस्कृतिक और पर्यावरण अधिगम विकसित करने का प्रयास करेंगे
ReplyDeleteअरूणा शर्मा शा मा शाला खूंथी
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ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक एवं पर्यावरण संबंधी पहलुओं के अंतर्गत हम स्थानीय संस्कृति, लोक कला,रहन-सहन,धार्मिक रीति रिवाज, आसपास के नदी नाले,पहाड़, वनस्पति,आदिकी जानकारी अत्यंत रोचक तरीके से खेल खेल में, छोटी छोटी गतिविधियों के माध्यम से दे सकते हैं,
ReplyDeleteबच्चों के विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है जैसे हर्बल गार्डन के पेड़ पौधों के oshdiya लाभ की सूची बनाना। और परिवार के सदस्यों की सहायता भी ली जा सकती है।
ReplyDeleteबच्चों के विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है जैसे हर्बल गार्डन के पेड़ पौधों के oshdiya लाभ की सूची बनाना। और परिवार के सदस्यों की सहायता भी ली जा सकती है।
ReplyDeleteDr Vandana Dubey Betul Madhya Pradesh
ReplyDeleteनवाचार के रूप में विभिन्न प्रांत के त्योहारों को समूह में बांटकर नाटक द्वारा कराया जा सकता है भिन्न राज्यों के खानपान के स्टाल बालदिवस के अवसर पर किया जा सकता है स्टाल के नाम राज्यों के नाम पर रखे जा सकते हैं जैसे पहला स्टाल का नाम गुजरात के प्रसिद्ध फाफड़ा दूसरे स्टाल का नाम राजस्थान का घेवर आदि क्रमशः सभी राज्यों के खानपान को समायोजित नवाचार हो सकता है
विभिन्न राज्यों के व्यंजनों का स्टाल लगवाकर स्टाल के नाम राज्यों के नाम पर देकर जैसे किसी स्टाल का नाम गुजराती ढोकला राजस्थानी घेवर कश्मीरी पुलाव आदि नवाचार के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत से परिचय कराना
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के लिए समय-समय पर उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित करेंगे।अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान से पर्यावरण संबंधी जागरूकता बढ़ेगी।
ReplyDeleteसांस्कृतिक व पर्यावरणीय पहलू पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्रों का सर्वांगिण विकास संभव है ।नवाचार के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित करेंगे।
ReplyDeleteशिक्षा के इस पहलू के नवाचार हेतु गतिविधियो मे हम भ्रमण कार्यक्रम को माध्यम बनाकर छात्रो से उनकी रूचि अनुसार नाटक नुक्कड़ गीत नृत्य संगीत द्वारा सास्कृतिक एवं पर्यावरण पहलुओ का पोषण कर सकते है।
ReplyDeleteहम बच्चो के बीच विभिन्न प्रेरक कहानियों, स्थानीय परिद्रश्य और स्थानीय स्तर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के बारे मे नवाचार कराकर अधिगम को बढाया जा सकता है ।
ReplyDeleteविद्यालय में प्राचीन संस्कृति ,खानपान, रीति -रिवाज ,पहनावा ,त्यौहार ,रहन-सहन का स्तर आदि के बारे में नाटक ,गीत ,क्विज ,आदि का आयोजन करके तथा बाग- बगीचे ,पार्क ,पुरातत्व संग्रहालय ,प्राचीन मंदिर ,महल, बांध ,परियोजना आदि का भ्रमण करके समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत गतिविधियां करा सकते है।
ReplyDeleteसांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत मैं छात्रों को शाला के निकट मैदान में ले जाऊंगा जहाँ पर व्रक्ष भी होंगे,
ReplyDeleteकिसी वृक्ष के जीवन काल के समस्त विकास के पहलुओ पर चर्चा कर छात्रों से एक बिधिवत चार्ट का संधारण सहयोग देकर करवाऊंगा । वीज से अंकुरण, तना,पत्ती, फूल, फल,रंग,गन्ध,आयु के वारे में उपयोग के वारे में एवम महत्व व सरंक्षण के वारे में विस्तृत चर्चा करते हुए छात्रों को सारी गतिविधि पर एक लेख लिखवा कर शाला में समस्त छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करने में सकारात्मक सहयोग देकर पर्यावरण के माध्यम से शैक्षणिक प्रतिफल प्राप्त करने का प्रयास करूंगा ।
सांस्कृतिक एवं पर्यावरण को सुदृढ़ बनाने के लिए साहित्यिक मंच के माध्यम से कहानी प्रतियोगिता चित्रकला प्रतियोगिता एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण कर ऑन उससे प्राप्त लाभ जड़ी बूटियां आधी विशेषताएं बताकर के कार्य को संपूर्ण किया जाना होगा।
ReplyDeleteBachcho ko esthaniye parivesh ki gatividhiyo se jodkar kaam karna
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
ReplyDeleteVad vivaad and kshetriy braman kara kar
ReplyDeleteहमारे तीज त्यौहार को स्कूल में मनाकर सांस्कृतिक व ऐतिहासिक स्थल के भ्रमण बच्चों को करवाकर, उनको सास्कृतिक व पर्यावरण की गतिविधियां करवाई जा सकता है।।राजेश कुमार जांगिड़, ढोटी स्कूल, जिला-श्योपुर।।
ReplyDeleteसमग्र विकाश के लिए पाठ्यपुस्तक के साथ खेल,सांस्कतिक,नैतिक ,पर्यावरण का समावेश पाठ्य क्रम मे करना होगा।
ReplyDeleteसांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत
ReplyDeleteविद्यालय में प्राचीन संस्कृति ,खानपान, रीति -रिवाज ,पहनावा ,त्यौहार ,रहन-सहन का स्तर आदि के बारे में नाटक ,गीत ,क्विज ,आदि का आयोजन करके तथा बाग- बगीचे ,पार्क ,पुरातत्व संग्रहालय ,प्राचीन मंदिर ,महल, बांध ,परियोजना आदि का भ्रमण करके समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत गतिविधियां करा सकते है।
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पाठ्य-पुस्तक शिक्षा के साथ नैतिक शिक्षा, शारीरिक शिक्षा आदि आवश्यक है।
ReplyDeleteसफल इंसान बनने से अधिक आवश्यक है अच्छा इंसान बनना।
आशा चतुर्वेदी मैं छात्रों से अलग अलग तरह के पौधे मंगवा कर परिसर में औसधीय पौधे लगवाकर पौधों का महत्व उपयोग एवम लाभ बतेयेगे ।साथ ही यह भी जानकारी देंगे कि हमारे भारतीय संस्कृति में व्रकक्षों की पूजा भी होती है ।जैसे पीपल नीम तुलसी आदि इस तरह से क्षेत्रो को पर्यावरण एवं संस्कृति दोनों का ग्यान कर सकने में सक्षम हो पाएंगे ।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
ReplyDeleteASHIM KUMAR TIWARI CAC BALSAMUD RAJPUR BARWANI
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
अल्का बैंस प्राथमिक शाला कुकड़ा जगत छिन्दवाड़ा
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
इसके अलावा छात्रों से अलग अलग तरह के पौधे मंगवा कर परिसर में औसधीय पौधे लगवाकर पौधों का महत्व उपयोग एवम लाभ बतेयेगे ।साथ ही यह भी जानकारी देंगे कि हमारे भारतीय संस्कृति में व्रकक्षों की पूजा भी होती है ।जैसे पीपल नीम तुलसी आदि इस तरह से क्षेत्रो को पर्यावरण एवं संस्कृति दोनों का ग्यान कर सकने में सक्षम हो पाएंगे ।
Bano Bee Ansari
ReplyDeleteबच्चों को सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम एक मंच देकर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं और गतिविधियों द्वारा उनके अंदर छिपी कला को निखार सकते हैं
पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम बच्चों को शैक्षिक भ्रमण कराकर उनको पर्यावरण की जानकारी दे सकते हैं पर्यावरण प्रदूषण पौधे का महत्व पौधे के बारे में जानकारी ने भ्रमण के दौरान आसानी से मिल सकती है सुरेंद्र कुमार गुप्ता शासकीय माध्यमिक विद्यालय देवरी मल्हारगढ़ जिला मंदसौर
ReplyDeleteशिक्षा के इस पहलू के नवाचार हेतु गतिविधियो मे हम भ्रमण कार्यक्रम को माध्यम बनाकर छात्रो से उनकी रूचि अनुसार नाटक नुक्कड़ गीत नृत्य संगीत द्वारा सास्कृतिक एवं पर्यावरण पहलुओ का पोषण कर सकते है।
ReplyDeleteपर्यावरण के अध्ययन में नवाचार का सबसे महत्वपूर्ण पहलू बच्चों को भ्रमण पर ले जाना ताकि भ्रमण के माध्यम से पूरी पर्यावरण की गतिविधियों के समझाया जा सके बिना पर्यावरण के जाने उसी की ज्ञान से पर्यावरण को उतनी अच्छी तरह से नहीं समझाया जा सकता जितनी अच्छी तरह से भ्रमण के माध्यम से समझा जा सकता है
ReplyDelete
ReplyDeleteसमग्रशिक्षा अभियान के अंतर्गत हम विध्यालय के बच्चों का जिला तहसील एवं अन्य स्थानो अनिवार्य विभागो संग्रहालयों पुरातात्विक स्थानो के भ्रमण का आयोजन करेंगे । जिससे बच्चों को इतिहास की जानकारी हासिल हो सकेगी । खेलो इंडिया के तहत हम अपने बच्चों की स्पर्धा अन्य स्कूल के बच्चों से कराएंगे जिससे बच्चों के स्वस्थ्य मे व्रद्धि होगी और खेलो के प्रति आकर्षण बदेगा। समग्र शिक्षा का आशय सभी तरह की शिक्षा प्राप्त करने से है । किताबी शिक्षा ही पूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है ।
छात्रों को विभिन्न प्रेरक कहानियों और स्थानिय स्तर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम के से जोड़कर अधिगम को बढाया जा सकता है
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा का अर्थ है बच्चों का सर्वांगीण विकास। इसके लिए हम बच्चों को खेल खेल में सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विरासत का विकास करेंगे।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा का अर्थ है बच्चो का सर्वागिण विकास। इसके लिए हम बच्चो को खेल खेल में सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विरासत का विकास करेग ।
DeleteNk
संग्रहालयों पुरातात्विक स्थानो के भ्रमण का आयोजन करेंगे । जिससे बच्चों को इतिहास की जानकारी हासिल हो सकेगी । खेलो इंडिया के तहत हम अपने बच्चों की स्पर्धा अन्य स्कूल के बच्चों से कराएंगे जिससे बच्चों के स्वस्थ्य मे व्रद्धि होगी और खेलो के प्रति आकर्षण बदेगा। समग्र शिक्षा का आशय सभी तरह की शिक्षा प्राप्त करने से है । किताबी शिक्षा ही पूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है ।
ReplyDeleteसंग्रहालयों पुरातात्विक स्थानो के भ्रमण का आयोजन करेंगे । जिससे बच्चों को इतिहास की जानकारी हासिल हो सकेगी । खेलो इंडिया के तहत हम अपने बच्चों की स्पर्धा अन्य स्कूल के बच्चों से कराएंगे जिससे बच्चों के स्वस्थ्य मे व्रद्धि होगी और खेलो के प्रति आकर्षण बदेगा। समग्र शिक्षा का आशय सभी तरह की शिक्षा प्राप्त करने से है । किताबी शिक्षा ही पूर्ण शिक्षा नहीं हो सकती है ।
ReplyDeleteApne school ke annual function me mahapurush ke bare me tatha school se bahar paryatan area par le jayenge.
ReplyDeleteसंस्कृति एवं पर्यावरण से जोड़ने के लिए स्थानीय परिवेश में अपनी भाषा में किसी शादी समारोह या कोई नाटक जो पारिवारिक जैसे अनपढ़ पत्नी पर बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करवाना और स्थानीय भाषा में रोल बच्चे द्वारा करवाना आदि
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा का तात्पर्य सर्वांगीण विकास है। समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरण विकास हेतु बच्चों को आसपास के स्थानों का भ्रमण कराया जाना चाहिए। सांस्कृतिक विकास के लिए विद्यालय में नाटक, भाषण गीत नृत्य आदि गतिविधि करा कर बच्चों का विकास कर सकते हैं।
ReplyDeleteछात्रो को विभिन्न प्रेरक कहानियो और स्थानीय स्तर पर आयोजित संस्कृतिक कार्यक्रम के से जोड़कर अधिगम को बढाया जा सकता है
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा का अर्थ है छात्रोंका समुचित विकास।शिक्षा के इस पहलू के नवाचार हेतु कई गतिविधियों से जैसे भ्रमण कार्यक्रम आदि के माध्यम से छात्रों की रुचि के अनुसार नाटक,गीत,नृत्य,संगीत के माध्यम से छात्रों की कला को निखार सकते हैं।
ReplyDeleteअल्का बैंस प्राथमिक शाला कूकड़ा जगत
ReplyDeleteसांस्कृतिक पहलू को बढ़ावा देने के लिए हम देश की मान्यताओं, इतिहास और विरासत के बारे में विभिन्न कहानियां बताएं जिनमें लोक कथाएं, किवदंतियां आदि हो। विभिन्न प्रकार के महापुरुषों और उनके द्वारा किए कार्यों कि जानकारी दें तथा ये बताने की कोशिश करें कि देश के समजीक मूल्य कैसे है।
पर्यावरण का महत्व समझाएं। विभिन्न प्रकार के प्रयोग, कैंपिंग, भ्रमण के कार्यक्रम आयोजित करें। पुस्तकों इंटरनेट से जानकारी जुटाने और उनका डाटाबेस बनाने को कहें ताकि धीरे धीरे विद्यार्थियों को सांस्कृतिक और पर्यावरणीय वातावरण की समझ हो और वे उसका महत्व समझ सकें।
सांस्कृतिक व पर्यावरणीय पहलू पर विभिन्न प्रतियोगिताओं के माध्यम से छात्रों का सर्वांगिण विकास संभव है ।नवाचार के लिए समय-समय पर विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित करेंगे।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा से आशय बच्चे के सर्वांगीण विकास से है उसके मन मस्तिष्क शारीरिक विकास के साथ उसमें नैतिकता के गुणों का भी समावेश हो जिससे वह अपने से बड़ों का आदर व शिष्टाचार में पारंगत हो सके उसे एक सभ्य और सुसंस्कृत नागरिक बनाया जा सके बच्चे को खेल कला संस्कृति शिक्षण तथा चिंतन के विभिन्न भागों में पारंगत करने का प्रयास करना होगा
ReplyDeleteBO9860 मानकुंवर दांगी
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा का अर्थ है छात्रोंका समुचित विकास।शिक्षा के इस पहलू के नवाचार हेतु कई गतिविधियों से जैसे भ्रमण कार्यक्रम आदि के माध्यम से छात्रों की रुचि के अनुसार नाटक,गीत,नृत्य,संगीत के माध्यम से छात्रों की कला को निखार सकते हैं।
नाम संध्या रघुवंशी प्राथमिक शिक्षक एकीकृत शाला माध्यमिक विद्यालय एन एफ एल
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम शिक्षक होने के नाते अनिवार्य विभागों, संग्रहालय ,पुरातात्विक स्थलों के भ्रमण का आयोजन करेंगे, जिससे बच्चों को इतिहास की जानकारी हासिल होगी सांस्कृतिक व पर्यावरणीय पहलू पर विभिन्न प्रतियोगिताएं ,गतिविधियां व फीडबैक भ्रमण के माध्यम से छात्रों में समझ विकसित होगी और कौशल अधिगम की क्षमता का ज्ञान अर्जित होगा, जिससे छात्रों का सर्वागीण विकास होगा ।धन्यवाद।
सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत बच्चों को विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे - बाद विवाद ,रंगोली,उत्सव ,भ्रमण द्वारा ,वृक्षारोपण आदि गतिविधि। द्वारा बच्चों में जागरूकता पैदा की जा सकती है।
ReplyDeleteसांस्कृतिक एवं पर्यावरण पहलू की शिक्षा विद्यालय में प्रदान करने के लिए बच्चों को विभिन्न ग्रामों का भ्रमण करवाना चाहिए . जिले के बाहर के भ्रमण करवाना आवश्यक है ताकि विभिन्न संस्कृति के लोगों को अच्छी तरह से समझ सके और वहां की भाषा बोली पहनावे आदि को समझ सके इससे सांस्कृतिक पहलुओं को समझने के साथ-साथ पर्यावरणीय पहलुओं को समझने मैं आसानी होगी झरने पर्वत पहाड़ नदी आदि को देखेंगे पेड़ पौधों को देखेंगे तथा पर्यावरण से अपने आप को जुड़ा हुआ महसूस करेंगे
ReplyDeleteबच्चो के सम्पूर्ण विकास हेतु समस्त प्रकार की शिक्षा प्रतियोगिता वाद विवाद रंगोली भ्रमण कार्यक्रम वृक्षारोपण आदि गतिविधि द्वार बच्चो मे जागरूक ता पैदा की जा सकती है सत्य नारायण गुप्ता सहायक शिक्षक शा प्रा वि पाडलिया मारू तह जिला मन्दसोर मध्य प्रदेश
DeleteGatividhiya aisi ho jisse bachcho ka sarwan gin vikas ho
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत सभी बच्चे अपनी सांस्कृतिक धरोहरों से जुड़े हुए होते हैं एवं पर्यावरण को समझते हैं अगर हम इससे निचले स्तर परनवाचार गतिविधियाँ करें तो यह समग्र पाठ्यक्रम को समेकित करने के लिए अत्यंत लाभदायक होगा ।
ReplyDeleteसंस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अन्तर्गत हम उन्हें एक मंच प्रदान कर उनकी प्रतिभा को सामने लाया जा सकता है। उन्हें प्रोत्साहित करके कला को निखरने में मदद कर सकते हैं।
ReplyDeleteसत्य नारायण गुप्ता स शि शा प्रा वि पाडलिया मारू तह जिला मन्दसोर मध्य प्रदेश बच्चो के सम्पूर्ण विकास हेतु शाला मे समस्त प्रकार की शिक्षा प्रतियोगिता वाद विवाद रंगोली भ्रमण कार्यक्रम वृक्षारोपण आदि गतिविधि द्वार जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते है
ReplyDeleteबच्चों को एतिहासिक एवं प्रेरक कहानी एवं कल्चरल प्रोग्राम के द्वारा सर्वांगीण विकास तथा environment में साझेदारी को विकसित करना है I
ReplyDeleteसंस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अन्तर्गत हम उन्हे एक मंच देकर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं।उन्हे प्रोत्साहित करके कला को निखरने मे हर सम्भव मदद कर सकते
ReplyDeleteबच्चों को सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम एक मंच देकर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं और गतिविधियों द्वारा उनके अंदर छिपी कला को निखार सकते हैं
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत आप कौन सी नवाचार गतिविधियाँ कर सकते हैं। एक संक्षिप्त योजना साझा करें।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
एक वर्षा गेज बनाओ, लीफ कोलाज बनाएं, एक विंड टर्बाइन बनाओ, ऊर्जा प्रश्नोत्तरी, लंच विदाउट वेस्ट, रंगोली प्रतियोगिता, लोक गीत प्रतियोगिता आदि गतिविधियां विद्यार्थियों से करवाना चाहिए
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के तहत बच्चों का सर्वांगीण विकास किया जाता है इसमें बच्चों को इको क्लब यूथ क्लब शैक्षिक भ्रमण इतिहास के माध्यम से उसका सांस्कृतिक एवं विकास किया जाता है बौद्धिक विकास किया जाता है सुनील तिवारी जन शिक्षा केंद्र मनगवां
ReplyDeleteगतिविधियों का
ReplyDeleteसंस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अन्तर्गत हम उन्हे एक मंच देकर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं।उन्हे प्रोत्साहित करके कला को निखरने मे हर सम्भव मदद कर सकते हैं।
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी
ReplyDeleteशा.प्रा.वि.मोड़ी -----बच्चो को स्वछंद रुप से भयरहित माहौल मे अपनी मौखिक व कलात्मक अभिरुचि को करने का मोका देना।
ReplyDeleteमै उमा चौहान, सहायक शिक्षिका के पद पर एकीकृत माध्यमिक शाला, मोरघडी कॉलोनी मे पदस्थ हूँ। सांस्कृतिक गतिविधियों के अंतर्गत विधार्थियो को पाठ्यक्रम अनुसार विद्यालय समीप के ऐतिहासिक स्थलों का भृमन करवाया जाए। पर्यावरण गतिविधि अंतर्गत ग्लोबल वार्मिंग प्रभाव व स्वछता महत्व को समझाने हेतु मैदानी गतिविधि करवाएंगे।
ReplyDeleteबच्चों की अनेक प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है जेसे वाद विवाद, खेल के माध्यम से, चर्चा के माध्यम से,और क्विज, विभिन्न प्रकार की कहानियों, संस्कृतिक कार्यक्रम से जोड़कर adhigam को बढ़ाया जा सकता है |
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत नवाचार गतिविधियाँ कर सकते हैं:-
ReplyDeleteबच्चों को सांस्कृतिक से जोड़कर नाटक ,चित्र विभिन्न संस्कृतियों की वेशभूषा, खानपान आदि के बारे में चित्र और वीडियो के माध्यम से तथा पर्यावरण को समझाने के लिए शैक्षिक भ्रमण , पेड़-पौधों की जानकारी ,विभिन्न जीव -जंतु की जानकारी ,नदी -तालाब, पर्वत -पहाड़ आदि के वीडियो चित्र दिखाना|
रानी पटेल प्राथमिक शिक्षक
बच्चों की अनेक प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है जेसे वाद विवाद, खेल के माध्यम से, चर्चा के माध्यम से,और क्विज, विभिन्न प्रकार की कहानियों, संस्कृतिक कार्यक्रम से जोड़कर अधिगम को बढ़ाया जा सकता है |
ReplyDeleteक्षीरसागर विश्वकर्मा माध्यमिक शाला पिपरिया विकासखंड गोटेगांव जिला नरसिंहपुर-बच्चों में सर्वांगीण विकास के लिए बच्चों के मस्तिष्क में शिक्षा का विकास कर उसे अच्छा नागरिक बनाना है।उसे देश एवं समाज के लिए उसमें लगन पैदा करना ही एक अच्छी शिक्षा है।इस हेतु अनेक प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है।
ReplyDeleteशाला में बाल कैबिनेट एवं बाल सभा के माध्यम से बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित कर एवं पर्यावरण से जुड़ी गतिविधियों को करा कर नवाचार किए जा सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चे के सर्वांगीण विकास से है उसके मन मस्तिष्क शारीरिक विकास के साथ उसमें नैतिकता के गुणों का भी समावेश हो जिससे वह अपने से बड़ों का आदर व शिष्टाचार में पारंगत हो सके उसे एक सभ्य और सुसंस्कृत नागरिक बनाया जा सके बच्चे को खेल कला संस्कृति शिक्षण तथा चिंतन के विभिन्न भागों में पारंगत करने का प्रयास करना होगा
ReplyDeleteसुनील सिसोदिया प्रा शिक्षक मुण्डला जेतकरण
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक एवं पर्यवरण के विकास के लिए बच्चों को शैक्षणिक भृमण कराया जाना चाहिए विधालय में स्थानीय सांस्कृतिक कार्यक्रम करना चाहिए।
Bachho ko balsava/khel khilakar ,bad vivad pratiyogita,mahapurusho ki jeevani,batakar aaspas ki sair karake bachoo me sanskritik aur paryavaraniya vikas kara sakte hai .
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी
ReplyDeleteबच्चों का संपूर्ण विकास हेतु समस्त प्रकार की शिक्षा गतिविधियों का आयोजन किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम एक मंच देकर उनकी प्रतिभा को सामने ला सकते हैं और गतिविधियों द्वारा उनके अंदर छिपी कला को निखार सकते हैं
ReplyDeleteबच्चों के लिए विभिन्न प्रकार की गतिविधियों का आयोजन किया जा सकता है जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है जैसे खेल गतिविधि वाद विवाद प्रतियोगिता आदि
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा का अर्थ है कि बच्चो का सर्वांगीण इसके लिए हम बच्चो को खेल खेल में सांस्कृतिक व पर्यावरणीय विरासत का विकास करेगे ।
ReplyDeleteKhel kud ,vaad-viwad,charchaa,quiz,prerak kahaniya,avem sthani star par hone waale saanskritik karyakram se jodkar baccho ka sarvangin vikas kar sakte hai.
ReplyDeleteSamagra shikcha se ashay bachho me sampurn viskas se he.
ReplyDeleteTeachers students ko sanskrati k bare me shikshit krne k liye sambandhit books ka adhyyan, vibhhinna kahaniyo, natako ka upyog bhi kr skte he.
Sath hi paryavaran ki sikcha K liye aspas ki visit, group projects and stories ki help bhi le skte he.
समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में त्रैमासिक अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे जिसमें उस त्रिमास में आने वाले उत्सवों के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण किया जाए। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल एवं भाषाआदि का आदान-प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
ReplyDeleteसांस्कृतिक और पर्यावरण से संबधित शिक्षा हेतू मै नवाचारी गतिविधियों के रूप मे शाला के पास समाज को आमंत्रित करूंगा और यदि समाज शाला के पास नही आता तो मै शाला को समाज के बीच ले जाकर विभीन्न गतिविधियों के माध्यम से छात्रो को सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय पहलुओ पर ध्यान केंद्रीत करने के लिये नुक्कड नाटक,गीत,मेलो और ऐतिहासिकस्थलो का भ्रमण,विभीन्न पर्वो पर सांकेतिक आयोजनो के साथ चित्रकला,रांगोली गतिविधिया,वन ,संग्रहालय, भ्रमण कराऊंगा ताकि छात्रो को सांस्कृतिक एवं पर्यावरणीय धरोहर की जानकारी मिल सके।अनिल केचे,स.शि.,शा.प्रा.शा.भरियाढाना, पातालकोट,तामियाँ, छिंदवाड़ा, म.प्र.
ReplyDeleteशासकीय विद्यालयों में विद्यार्थियों की आत्म सुरक्षा हेतु प्रत्येक 1-8शासकीयविद्यालयों में ताइक्वांडो कक्षाकी शुरुआत होना चाहिए विद्यालयों में विषय शिक्षक नियुक्त रहते हैं उसी प्रकार ताइकांडो शिक्षक भी होना आवश्यक है
ReplyDeleteशाला में कुछ ऐसी गतिविधियां कराएंगे जैसे बाल सभा में प्रेरक कहानियां सुनाएंगे एवं पर्यावरण के ज्ञान के लिए आसपास घुमाने ले जाएंगे
ReplyDeleteसमग्र शिक्षा से आशय बच्चों के सर्वांगीण विकास से हैं उनके मन मस्तिष्क शारीरिक विकास के साथ उनमें नैतिकता के गुणों का भी समावेश हो जिससेवह अपने बड़ों का आदर व शिष्टाचार में पारंगत हो सके बच्चे को खेल कला संस्कृति शिक्षण तथा चिंतन के विभिन्न भागों में पारंगत करने का प्रयास करना होगा।
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