मॉड्यूल 14 गतिविधि 6: सर्वोत्तम अभ्यास साझा करें
अपने राज्य / संघ राज्य क्षेत्र / संगठन में किए जा रहे किसी नवाचारी अभ्यास की पहचान करें जो एक उदाहरण के रूप में कार्य कर सकता है या देश के अन्य हिस्सों के लिए एक आदर्श हो सकता है। इसे संक्षेप में साझा करें।
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राजेंद्र प्रसाद मिश्र सहायक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मीपुर जिला रीवा मध्य प्रदेश आपने देश में पूर्व प्राथमिक कक्षाओं का संचालन बहुप्रतीक्षित था क्योंकि बच्चे में सीखने की क्षमता वैसे तो जन्म से ही होती है किंतु 3 वर्ष से बच्चा सीखना अच्छी तरह से प्रारंभ कर देता है और 6 वर्ष में प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश लेने का मतलब है कि 3 वर्ष से 6 वर्ष के बीच का अंतराल लर्निंग गैप के रूप में सामने आता फलस्वरूप बच्चे की सीखने की दिशा में विपरीत प्रभाव पढ़ता था साथ ही हर तबके के लोगों में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है जिससे वह 3 वर्ष में ही अपने बच्चे को प्रवेश दिलाने के लिए अशासकीय शालाओं का सहारा लेते थे फलस्वरूप शासकीय शालाओं में संख्या निरंतर घटने लगी
ReplyDeleteBade baccho ki apeksha chhote baccho ka I.Q.leval adhik hota h.3 se 6 vars tak ke baccho ko swar,vanjan,ank,1-100 tak small and capital letters ko kard me likhkar bol-bol kar khele to hamare samajh se chota baccha bhut jaldi apne man mastik me bhaitha leta h jo gyan ka base h.
DeleteALM teqnic use karen
DeleteSandeepa sthapak GHS Pachpedhi मैंने अपनी कक्षा में नक्शे k द्वारा एक गतिविधि प्रतियोगिता k रूप में करवाई ,चार समूह बांटे ,नक्शे को चार हिस्से में बांट कर अपने क्षेत्र की अधिकतम जानकारी समूह में लिख के प्रस्तुतिकरण के आधार पर प्रथम, द्वितीय स्थान दिया,
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ReplyDeleteहिमांशु पटेल जनशिक्षक औरई,बिछिया जिला -मण्डला :-किसी नवाचारी अभ्यास की पहचान के लिए 3 वर्ष से 6 वर्ष के बीच का अंतराल लर्निंग गैप के रूप में सामने छात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDelete
Deleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
मध्य प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत बच्चों का 25% जो भी एससी एसटी बीपीएल बच्चों का प्रवेश प्राइवेट संस्थान में कराया जा रहा है उससे यह हुआ कि बच्चों का रुझान पढ़ाई की तरफ बड़ा अभिभावक भी पढ़ाई की तरफ जोड़े कि उन्हें उच्च स्तर प्राइवेट संस्थान में पढ़ने का सौभाग्य मिल रहा है
ReplyDeleteहमारे यहाँ मोहल्ला क्लास का संचालन किया जा रहा है। बच्चे बहुत ख़ुश रहते हैं एक शिक्षक के रूप में बहुत उपयोगी है शिक्षक इसका उपयोग करके रणनीति बना सकते हैं ।बच्चे बहुत आनंदित होते हैं
ReplyDeleteबच्चों के स्कूल न आने के कारणों का पता लगाने में मदद करना
ReplyDeleteGMS Ambedakar Kripalpur Satna MP
ReplyDeleteछात्रों द्वारा समाज मे व्याप्त कुरीतियों का अपने स्तर से जानकारी प्राप्त कर उनके दुष्परिणाम के बारे में स्कूल आ कर कक्षा में अपने सहपाठियों के सामने प्रस्तुत करेंगे। समाज मे इन कुरीतियों द्वारा क्षरण हो रहे परिवारों को सचेत करने के प्रयास होने चाहिए।
सब सही है ।
DeleteBacho ko isthaniy pariwesh ke sath sath apne giyan Or anubhav ke sath bacho ko jode bacho ko bina dar Or jhijhak ke sath ek dost ki trah wo hmase sabhi preshani ya koi question puch ske.
ReplyDeleteChatron ko saptah me ek bar school ke bahar bhraman per le jakar nature ko dekh kar seekhne de.
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें।क्लास रूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteSarve shiksha abhiyan ke tahatpoorv prathmik estar 3 se 6 varsh Tak kebachho ko avam 6 se 14 varsh ke bachho ko unke parivesh aur boli ke madhyam se prarambhik shiksha Dena uchit h avam khel khel ki shiksha bachho ko adhik rijhhati h bachhe sahjta ke sath teacher se apne app ko samil karke sikhte h .TLM apne aas pas ke parivesh se hi let's h jisse bachho ko asani se prapt ho jata h. bachho ko school me hi Sara Kar ya techer ke sath hi purna karma chahiye biseshkar Jo kamjor Eve ashikchhit parivar se h joshikshit private se h unko karya Ghar se Karne de.lekin kamjor bachho ko Ghar ke liye jyada h.w. na de yah liye avasyak ki kamjor bachho ke private me ashikshit h.ya fir rojgar ke age vo samay nahi de Patel jisse bachho ka h.w. pura nahi ho pata aur bachha school se anupasthit hota hjab bachhe me ruchhi lagatar badte dikhe tab hi homm work ki or bade suruat me to bachhe school me hi Sara h.w avam c.w. karayeyadi h.w.de bhi to yesa de ki vo bachha kr let aap uska pryash school me karva Kar de.isse Kya hoga ki bachhe me davab .dar .bhya adi nahi hog aur dusre din bachha school jaroor ata h.jab bachha lagatar ata ho vah dhire dhire shikne lagta h.
Deleteमध्य प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत बच्चों का 25% जो भी एससी एसटी बीपीएल बच्चों का प्रवेश प्राइवेट संस्थान में कराया जा रहा है उससे यह हुआ कि बच्चों का रुझान पढ़ाई की तरफ बड़ा अभिभावक भी पढ़ाई की तरफ जोड़े कि उन्हें उच्च स्तर प्राइवेट संस्थान में पढ़ने का सौभाग्य मिल रहा है
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में बेटी बचाओ बेटी पढाओ अभियान एक अच्छा उदाहरण है ।
Deleteमैं नाथूराम अहिरवार सहायक शिक्षक मा०शा०लोधाखेड़ी वि०ख०लटेरी जिला विदिशा Disecode 23310416802
ReplyDeleteआर टी ई अधिनियम 2009 के तहत केंद्र सरकार द्वारा गरीब पिछड़े sc / st वंचित समूह के लिए 25 प्रतिशत का कोटा अशासकीय विध्यालय मे आरक्षित किया गया है । जिससे आशासकीय विध्यालयों के नामांकन मे वृद्धि हुई है। और शासकीय स्कूलो का नामांकन कम हुआ है । तथा शासकीय विध्यालय मे नामांकन 6 वर्ष की आयु मे कक्षा 1 मे किए जाने का प्रावधान है । जबकि प्राइवेट स्कूलो मे 3 वर्ष की आयु मे नर्सरी मे नामांकन होता है । जिससे विध्यार्थी प्राइवेट स्कूल का विध्यार्थी अंतिम अध्यापन के लिए हो जाता है । इसी कारण से पालको का रुझान प्राइवेट स्कूलो की ओर बढा है।
मोहल्ला क्लास एवं डिजीलेप विडीयो के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है जो एक न ई तकनीक है ।
ReplyDeleteजिडीलेप कार्यकम हमारा घर हमारा विद्यालय योजना सफल है।
ReplyDeleteप्रदेश आपने देश में पूर्व प्राथमिक कक्षाओं का संचालन बहुप्रतीक्षित था क्योंकि बच्चे में सीखने की क्षमता वैसे तो जन्म से ही होती है किंतु 3 वर्ष से बच्चा सीखना अच्छी तरह से प्रारंभ कर देता है और 6 वर्ष में प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश लेने का मतलब है कि 3 वर्ष से 6 वर्ष के बीच का अंतराल लर्निंग गैप के रूप में सामने आता फलस्वरूप बच्चे की सीखने की दिशा में विपरीत प्रभाव पढ़ता था साथ ही हर तबके के लोगों में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है जिससे वह 3 वर्ष में ही अपने बच्चे को प्रवेश दिलाने के लिए अशासकीय शालाओं का सहारा लेते थे फलस्वरूप शासकीय शालाओं में संख्या निरंतर घटने लगी
ReplyDeleteप्रीति सोनी , धमना , नरसिंहपुर
ReplyDeleteबच्चों ने परिवेश से जो सीखा है, उसे वो कक्षा में साझा करें , ऐसी गतिविधि कराना जिसमें उनकी सहभागिता ज्यादा हो और वे स्वयं कर सकें , उन्हें बोलने का पूरा अवसर मिले । बच्चा विद्यालय और कक्षा दोनों में सहज रहे और एन्जॉय करे।
प्रवीण कुमार पाठक शासकीय माध्यमिक विद्यालय रूपाबेड़ी डीजीलेप और मोहल्ला क्लॉस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है! यह एक अभूतपूर्व कोविड-19 की वजह से परिस्थितिजन्य नवाचार है
ReplyDeleteछात्रो को उनकी रूचि एवं भाषा वोली के अनुसार स्थानीय परिवेश पर्यावरण से संबंधित गतिविधियो के माध्यम से बहुत कुछ सिखाया जा सकता है
Deleteजैसे पांच छात्रो को एक पेड के रूप मे पेश कर पौधे के अंगो का ज्ञान कराया जा सकता है
जब बच्चे सीखना शुरू करते हैं तो वह जन्म से सीखना प्रारंभ कर देते हैं ।लेकिन फिर भी बालक या बालिका 3 वर्ष की आयु से अच्छी तरह सीखता है ।लेकिन जब वह स्कूल में आता है तो उसकी आयु 6 वर्ष होती है ।तब यह लर्निंग गेम सामने आता है इसलिए पालकों को अशासकीय विद्यालयों का सहारा लेने लगते हैं इसके परिणाम स्वरूप शासकीय संख्या लगातार कम होती जा रही है ।इसलिए इस पर कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए शासन को जिससे बच्चे 3 वर्ष की आयु से ही स्कूल में शिक्षक सीख सकें।
ReplyDeleteधन्यवाद
मध्यप्रदेश में हमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास एवं डिजीलेप विडीयो के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है जो एक न ई तकनीक है ।
ReplyDeleteMadhya Pradesh mein chhatron ke samuh banakar UN ki yogyata anusar unhen padhaya ja raha hai Jo ek srahniy kadam hai
ReplyDeleteHmare yha hm log mohalla class sanchalit karva rhe h, jiski jimmedari padhe likhe parents ya badi classes me adhyayan krne vale chhatr samhal rhe h.
ReplyDeleteChatron ko saptah me ek bar school ke bahar bhraman per le jakar nature ko dekh kar seekhne de.
ReplyDeleteजब बच्चे सीखना शुरू करते हैं तो वह जन्म से सीखना प्रारंभ कर देते हैं ।लेकिन फिर भी बालक या बालिका 3 वर्ष की आयु से अच्छी तरह सीखता है ।लेकिन जब वह स्कूल में आता है तो उसकी आयु 6 वर्ष होती है ।तब यह लर्निंग गेम सामने आता है इसलिए पालकों को अशासकीय विद्यालयों का सहारा लेने लगते हैं इसके परिणाम स्वरूप शासकीय संख्या लगातार कम होती जा रही है ।
ReplyDeleteधन्यवाद
Chhindwara jile me mohalla class lagai ja rahi h
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास,दक्षता वर्क बुक,बेसलाइन और endline टेस्ट नवाचार हैं।
ReplyDeleteनरेन्द्र सोनी एकीकृत शाला ईशरपुर बनखेड़ी जिला होशंगाबाद
ReplyDeleteअपने आसपास वस्तुओं से अवगत करवाया करवाएंगे।
छात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें
ReplyDeleteडीजीलेप, T.V., Radio, और मोहल्ला क्लॉस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है। यह एक अभूतपूर्व कोविड-19 की वजह से परिस्थित व आपदा जन्य नवाचार है। इसे हम कोविड-19 के बाद भी जारी रख सकते है।
मध्प्रदेश में हमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास एवम् डिजिलेप वीडियो के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है जो एक नई तकनीक है।।
ReplyDeleteडिजीलेप ओर मोहल्ला कलांस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है। यह एक अभूतपूर्व कोविड-19 की वजह से प रि स्थितियां व आपदा जन्य नवाचार है।।
ReplyDeleteमॉड्यूल 14 गतिविधि 6: सर्वोत्तम अभ्यास साझा करें
ReplyDeleteअपने राज्य / संघ राज्य क्षेत्र / संगठन में किए जा रहे किसी नवाचारी अभ्यास की पहचान करें जो एक उदाहरण के रूप में कार्य कर सकता है या देश के अन्य हिस्सों के लिए एक आदर्श हो सकता है। इसे संक्षेप में साझा करें।
छात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें। डीजीलेप, T.V., Radio, और मोहल्ला क्लॉस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है। यह एक अभूतपूर्व कोविड-19 की वजह से परिस्थित व आपदा जन्य नवाचार है। इसे हम कोविड-19 के बाद भी जारी रख
सकते है।
धन्यवाद !!!!
हमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास एवं दिलीप वीडियो के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है जो एक नई तकनीकें दिल्ली टीवी रेडियो और मोहल्ला किला से वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है यह एक अभूतपूर्व कोविड-19 की वजह से पर स्थित व आपदा व अन्य नवाचार है हम कोविड-19 के बाद भी जारी रख सकते हैं।
ReplyDeleteMohalla class ke madhyam shikshan karya ho raha hai.yah covid 19 ke samay ka rsk ka ek new pahal hai.jo saphal hai.(DBSINGH )
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लाश दक्षता वर्क बुक ,वेश लाईन और एंडलाईन नवाचार है।
ReplyDeleteनमस्ते मैं ज्योति सक्सेना पीएस Namakhedi से हमारे गांव में पहले लड़कियों को बहुत कम स्कूल में नाम लिखाया जाता था कुछ नाम लिखवा भी देते थे तो साला बहुत कम भेजते थे जब हमने इस बात का पता लगाने की कोशिश की गांव वालों से संपर्क किया तो कई बातें सामने आई गांव वालों का मानना था की लड़की पढ़ लिख कर क्या करेगी और यदि लड़की ने स्कूल जाएंगे तो घर का काम छोटे भाई बहनों को कौन संभालेगा क्योंकि अधिकांश माता पिता मजदूरी को जाते थे फिर हमने उनके माता-पिता को समझाया की यदि लड़कियां पड़ेगी तो वह अपने साथ-साथ अपने भाई बहनों का अभी विकास करेगी और वह घर का काम भी कर सकती हैं और पढ़ाई भी कर सकती हैं उन्हें हमने हमारा उदाहरण दिया कि हम भी लड़की है और घर का काम भी करते हैं और स्कूल भी देखते हैं इस तरह कई प्रकार से समझाने के बाद हमारे साला में आज लड़कियों का प्रतिशत ज्यादा है और एक लिखी नवोदय में भी चयनित हुई है
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विद्यालय, वाट्स अप, रेडियो एवं विडियो के माध्यम छात्रों को शिक्षित किया जा रहा है।कोरोना के समय यह उत्तम नवाचार है।
ReplyDeleteKULDEEP kourav GMS chargaon kala block chichli district narsinghpur mp. Learning outcomes based teaching plan se students bahut hi Saralta se sikhte h.covid 19 ,lockdown ke time period me students ne dth channels, digilep group, video, audio, mohalla class se bahut dikha.ye sab navachar daily school teaching me bhi use hona chahiye.
ReplyDeleteआर टी ई अधिनियम 2009 के तहत केंद्र सरकार द्वारा गरीब पिछड़े sc / st वंचित समूह के लिए 25 प्रतिशत का कोटा अशासकीय विध्यालय मे आरक्षित किया गया है । जिससे आशासकीय विध्यालयों के नामांकन मे वृद्धि हुई है। और शासकीय स्कूलो का नामांकन कम हुआ है । तथा शासकीय विध्यालय मे नामांकन 6 वर्ष की आयु मे कक्षा 1 मे किए जाने का प्रावधान है । जबकि प्राइवेट स्कूलो मे 3 वर्ष की आयु मे नर्सरी मे नामांकन होता है । जिससे विध्यार्थी प्राइवेट स्कूल का विध्यार्थी अंतिम अध्यापन के लिए हो जाता है । इसी कारण से पालको का रुझान प्राइवेट स्कूलो की ओर बढा है।
ReplyDeleteTulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal.
ReplyDeleteडीजीलेप, T.V., Radio, और मोहल्ला क्लॉस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है। कोरोना के समय यह उत्तम नवाचार है।
में योगेन्द्र सिंह रघुवंशी GMS बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी मेरे विचार से प्रश्क्षण मार्ग दर्शन अनुसार वर्तमान में covid 19 के कारण हमारा घर हमारा विद्यायल कृक्रम से को कार्य हो रहा है वो भी एक नवाचार है इसी प्रकारडीजीलेप, T.V., Radio, और मोहल्ला क्लॉस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है। कोरोना के समय यह उत्तम नवाचार है।
ReplyDeleteBaccho ko gatvidhi k madhyam se sikhane se
ReplyDeleteहमारे यहाँ मोहल्ला क्लास का संचालन किया जा रहा है। बच्चे बहुत ख़ुश रहते हैं एक शिक्षक के रूप में बहुत उपयोगी है शिक्षक इसका उपयोग करके रणनीति बना सकते हैं ।बच्चे बहुत आनंदित होते हैं
ReplyDeleteनमस्ते सर !🙏
ReplyDeleteअभी कोरोना काल से पहले तक हमारे राज्य मध्य प्रदेश मे *शाला सिद्धि* - हमारी शाला कैसी हो ! आधारित शिक्षा दी जा रही थी। इस आधार पर सभी ने अपने अपने विद्यालय मे प्रयास किए ....शिक्षा और भौतिक संसाधन आधार पर और उसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे है । तथा कोरोनाकाल दौरान digilep , whatsapp आधारित शिक्षण तथा मोहल्ला क्लास द्वारा छात्रों की पढ़ाई जारी रखने का प्रयास किया जा रहा है , जो कि एक बहुत अच्छी पहल है।
दीप्ति जैन शिक्षिका दतिया
हम शाला के बच्चों के लिये मोहल्ला क्लास का संचालन कर रहे हैं। बच्चे बहुत खुश हैं।हमारे शिक्षक बच्चों तक जाकर नवाचारी गतिविधियां करा रहे हैं। बच्चों को स्थानीय परिवेश के साथ व समझ को बांटने का कार्य करते हैं। यू. एल चौपरिया हेडमास्टर शा.मा.वि गिन्दौरा जिला शिवपुरी म.प..
ReplyDeleteChhatron ko apne Aas pas ke privesh se judne ka avsar de.our apne gyan ba samjh ko sanjha Karen. Shala me bachchon ki bhagidari nishchit kare. Chhatron ko sawal puchhne pirotsahit karen.
ReplyDeleteDigilep ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इस कोविड महामारी के चलते
ReplyDeleteVartaman samay ke adhar pr online sikshan navachar ka behtarin udhahran he
ReplyDeleteमिशन प्रेरणा उत्तरप्रदेश मे एक नवाचारी अभ्यास है।
ReplyDeleteहमारे यहाँ मोहल्ला कक्षा का संचालन किया जा रहा है बच्चे बहुत खुश रहते हैं डीजिलेप कार्यक्रम ने और रेडियो प्रसारण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
ReplyDeleteमध्य प्रदेश में हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम,डीजीलेप, मोहल्ला क्लॉस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है। यह एक अभूतपूर्व एवं परिणाम दायक कार्य है। कोविड-19 की वजह से परिस्थितिजन्य नवाचार है।
ReplyDeleteपरिणाम स्वरूप हमारे छात्र बहुत खुश हैं कि उनके शिक्षक घरों तक जाकर नवाचारी गतिविधियां करा रहे हैं।
मध्यप्रदेश में नवाचार कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थीयों को शिक्षा से जोड़े रखने हेतु तथा शिक्षकों को शिक्षण में एकरूपता बनाए रखने के लिए कई स्तरों पर कार्य किया जा रहा है जिनमे मुख्यत -
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विद्यालय
मोहल्ला क्लास
डिजीलेप विडीयो
व्हाट्स एप से शिक्षण
आदि के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है।
बच्चों ने परिवेश से जो सीखा है, उसे वो कक्षा में साझा करें , ऐसी गतिविधि कराना जिसमें उनकी सहभागिता ज्यादा हो और वे स्वयं कर सकें , उन्हें बोलने का पूरा अवसर मिले । बच्चा विद्यालय और कक्षा दोनों में सहज रहे और एन्जॉय करे।
ReplyDeleteअभी कोरोना काल से पहले तक हमारे राज्य मध्य प्रदेश मे *शाला सिद्धि* - हमारी शाला कैसी हो ! आधारित शिक्षा दी जा रही थी। इस आधार पर सभी ने अपने अपने विद्यालय मे प्रयास किए ....शिक्षा और भौतिक संसाधन आधार पर और उसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे है । तथा कोरोनाकाल दौरान digilep , whatsapp आधारित शिक्षण तथा मोहल्ला क्लास द्वारा छात्रों की पढ़ाई जारी रखने का प्रयास किया जा रहा है , जो कि एक बहुत अच्छी पहल है।
ReplyDeleteClassroom ki gati video mein bacchon ki bhagidari sunishchit Karen aur naye naye gatividhiyon se unhen parichit karaen
ReplyDeleteBacchon mein jo Pravesh Masih ka Usko kaksha Mein Saja karne ke liye unko vyaktigat Roop se prabhavit Dena Aur sikhana Hai Hamari jimmedari hai Hamara Ghar Hamara Vidyalay Mein Mohalla class ka aayojan Kiya ja raha hai ki vah Jis Din Safal hai covid-19 ki hisab se
ReplyDeleteRadheshyam Lodhi Prathmik Shikshak
Prathmik Shala bandol Tahsil gotegao Jila Narsinghpur Madhya Pradesh
समग्र शिक्षा के सांस्कृतिक और पर्यावरणीय पहलू के अंतर्गत हम नवाचार के रूप में प्रत्येक त्रैमासिक रूप से अंतर -जिला भ्रमण का आयोजन करेंगे ,जिसमें उस त्रेमास में आने वाले उत्सव के बारे में विभिन्न प्रतियोगिताएं जैसे चित्र, रंगोली ,उत्सव मनाना आदि शामिल हो। इस कार्यक्रम की वीडियो रिकॉर्डिंग कर समस्त विद्यालयों में इसका प्रसारण हो। इससे दोनों जिलों के विद्यार्थी परस्पर अपनी-अपनी संस्कृति खेल ,भाषा आदि का आदान प्रदान कर सकेंगे और पर्यावरण संबंधी जागरूकता भी बढ़ेगी।
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें
ReplyDeleteडीजीलेप, T.V., Radio, और मोहल्ला क्लॉस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है। यह एक अभूतपूर्व कोविड-19 की वजह से परिस्थित व आपदा जन्य नवाचार है। इसे हम कोविड-19 के बाद भी जारी रख सकते है।
Online class lag rhi h
ReplyDeleteDigilep vedio k maadhyam se bachcho ki study m kaafi faayda hua h
ReplyDeleteबच्चों में सीखने की प्रवृत्ति 3 वर्षों से प्रारंभ हो जाती है 6 वर्ष की उम्र तक आते-आते हम उन्हें प्राथमिक विद्यालय में कक्षा पहली में भर्ती कर लेते हैं यह 3 वर्ष का लर्निंग बहुत ही महत्वपूर्ण होता है इस समय में बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteकोरोना के इस काल में बच्चों को विभिन्न ई लर्निंग कार्यक्रमो व्हाट्स एप्प चाट द्वारा तथा नेटवर्क विहीन छात्रो को मोहल्ला कक्षा द्वारा शिक्षा प्रदान की जा रही है।
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में हमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास एवम् डिजिलेप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है जो एक नई तकनीक है
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विद्यालय, वाट्स अप, रेडियो एवं विडियो के माध्यम छात्रों को शिक्षित किया जा रहा है।कोरोना के समय यह उत्तम नवाचार है।
ReplyDeleteविद्यार्थियों को अपने परिवेश के साथ जुड़कर ज्ञान अर्जन के अवसर देने चाहिए और उन्हें आत्मनिर्भर बनने हेतु कार्यक्रम चलाना चाहिए, विद्यार्थी स्कूल से क्यों शालात्यागी बनते हैं ,उनके कारणों की खोज भी की जाना चाहिए, इसके अलावा वर्तमान परिस्थितियों में रेडियो द्वारा, टी.वी. कार्यक्रमों द्वारा, इंटरनेट के माध्यम से, मोहल्ला कक्षा , बच्चों को उनकी सुविधा अनुसार शिक्षण की सुविधा आदि के द्वारा नवाचार किये जा सकते हैं और भी इस ओर प्रयास निरन्तर जारी रहना चाहिए।
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ-साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव करायें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाये, जिससे उन्हें सभी योग्य क्रियाकलाप करने में आसानी हो।
ReplyDeleteChhatron ko sthaniya parivesh ke sath Apne Gyan vah vah samajh ko jodne Ka Anubhav Kare.
ReplyDeleteDigilep व मोहल्ला क्लास के माध्यम से शिक्षण कार्य कराया जा रहा है।साथ ही रेडियो व दूरदर्शन के माध्यम से भी क्लास 1 से 12 तक के विषयों के शैक्षणिक कार्यक्रम प्रसारित हो रहे हैं।
ReplyDeleteSEEMA SHRIVASTAV BV1688HOSHANGABAD PIPARIYA G.M.S.Panari बच्चो को स्थानिय परिवेश से जोडकर हम विषयो की जानकारी दे सकते है जैसे जोडना घटाना गुणा भाग (गणित) जल स्थल भूगोलकी जानकारी भाषा की जानकारीआदि दी जा सकती है
ReplyDelete3 से 6 वर्ष का बच्चे का दिमाग बहुत तेजी के साथ का काम करता है उस समय बच्चे को खेल -खेल के माध्यम से शिक्षा' प्रोजेक्ट वर्क के आधार से ,शैक्षणिक भ्रमण के आधार से ,उसको ज्ञान का सर्जन करवाया जा सकता है बच्चा कक्षा 1 में आने से पहले भी प्री लर्निंग के रूप में बहुत कुछ सीख सकता है| बशर्ते उस पर ठीक से काम किया जाए आज राज्य सरकार द्वारा 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए आंगनवाड़ी केंद्र खोल दिए गए हैं ,लेकिन उन सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है केवल खानापूर्ति तक ही सीमित कर दिया जाता है इसका परिणाम यह होता है कि जब बच्चा कक्षा एक में शासकीय विद्यालय में प्रवेश लेता है तो वह उस समय अपना नाम लिखना भी नहीं जानता ,पेंसिल पकड़ना भी नहीं जानता ,जिस कारण टीचर को पढ़ाने में खासी मशक्कत का सामना करना पड़ता है अगर3से 6 वर्ष तक के बच्चे पर आंगनवाड़ी में या अन्य किसी माध्यम से अच्छी तरह काम हो जाए तो, बच्चे का शैक्षणिक विकास बहुत तेजी से हो सकेगा ,तथा कक्षा एक में जाने पर ना तो बच्चे को पढ़ने में समस्या समस्या आएगी ना ही शिक्षक को पढ़ाने में समस्या आएगी| हम देखते हैं कि प्राइवेट स्कूलों में आज 3 साल के बच्चे का एडमिशन कर दिया जाता है जिस कारण बच्चों व पालकों का रुझान सरकारी स्कूल की अपेक्षा प्राइवेट स्कूलों की तरफ है और हमारे सरकारी विद्यालयों में नामांकन की संख्या दिनों घटती चली जा रही है हम लोगों को 3 से 6 वर्ष की उम्र के बच्चों के शैक्षणिक स्तर पर कार्य करने के लिए बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि इस लर्निंग लेवल को पूरा किया जा सके |मैं रघुवीर गुप्ता शासकीय प्राथमिक विद्यालय नयागांव जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सहसराम विकासखंड -विजयपुर जिला- sheopur-Madhya Pradesh
ReplyDeleteहमारे विद्यालय क्षेत्र में मोहल्ला स्कूल संचालित किया जा रहा है जिसमें प्रतिदिन 8-10 विद्यार्थी उपस्थित होकर डिजीलेप अध्ययन सामग्री के अनुसार अध्यापन कार्य करते हैं।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
मध्यप्रदेश में कोविड-19 की आपदा में digilep e-conten जो प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थी के स्तर के हिसाब से तैयार किया गया हैं प्रत्येक दिवस बच्चों तक डिजिटल माध्यम से भेजा जाता हैं। उनके उपलब्धि स्तर को जांचने के लिये प्रत्येक सप्ताह व्हाट्सएप बेस्ड असेसमेंट के माध्यम से टेस्ट लिये जाते हैं।
ReplyDeleteविद्यार्थियों को अपने परिवेश के साथ जुड़कर ज्ञान अर्जन के अवसर देने चाहिए और उन्हें आत्मनिर्भर बनने हेतु कार्यक्रम चलाना चाहिए, विद्यार्थी स्कूल से क्यों शालात्यागी बनते हैं ,उनके कारणों की खोज भी की जाना चाहिए, इसके अलावा वर्तमान परिस्थितियों में रेडियो द्वारा, टी.वी. कार्यक्रमों द्वारा, इंटरनेट के माध्यम से, मोहल्ला कक्षा , बच्चों को उनकी सुविधा अनुसार शिक्षण की सुविधा आदि के द्वारा नवाचार किये जा सकते हैं और भी इस ओर प्रयास निरन्तर जारी रहना चाहिए।
ReplyDeleteसुनिता बौरासी प्राथमिक शिक्षक शा मा वि भगोरा महु जिला इंदौर म प्र
ReplyDeleteमुझे अपने विद्यालय में बच्चो का दोस्त बनकर पढ़ाने मे मजा आता है इससे वो निसंकोच मुझे अपने मन की बात बताते है और मै उन्हे अच्छी तरह से पढ़ा पाती हू और उनकी कमजोरी का हल निकालकर उन्हे खुश रख पाती हूं |इससे मेरी कक्षा मे बच्चो की उपस्थिति भी अच्छी बनी रहती है|
छात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें।क्लास रूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteछात्रों को उनकी क्षमता के अनुसार गतिविधि का चयन कर उनकी दक्षता को बढ़ाया जा सकता है ।
ReplyDeleteHamara ghar hamara vidhyalay dwaara ayam digi l EP se education ho raha hai
ReplyDeleteAruna Sharma khuthi
घर घर जाकर एवं DigiLEP शिक्षण सामग्री की सहायता से बच्चों में दक्षता व कौशल का विकास करने हेतु सकारात्मक प्रयास किया जा रहा है ।
ReplyDeleteBaccho ko gatividhi ke madhyam se sikhane se .
ReplyDeleteहमारे मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में विगत सत्र से शाला को साधन संपन्न, शिक्षा को आनंददायी बनाने एवं समुदाय को शाला से जोड़ने हेतु कई अभिनव प्रयोग किये गये है,जिनके परिणाम सुखद आये हैं जो पालक पहले अपने बच्चों को मोटी फीस देकर निजी शालाओं में भिजवाते थे,वे अब वहाँ से T C लेकर शासकीय शालाओं में वापिस हो रहे हैं।
ReplyDeleteओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश से जोड़कर शिक्षा देने के साथ साथ उन्हें गतिविधि आधारित शिक्षण देना।
hamara Ghar hamara Vidyalay DJ navachar Shiksha ki nai taknik hai vidyalayon ko covid-19 mein bacchon ko padhne mein sahayak sabit ho rahi hai
ReplyDeleteBachcho ko gatividhi k madhyam se sikhane se
ReplyDeleteजिडीलेप कार्यकम, मोहल्ला क्लास हमारा घर हमारा विद्यालय योजना
ReplyDeleteविद्यार्थियों को अपने परिवेश के साथ जुड़कर ज्ञान अर्जन के अवसर देने चाहिए और उन्हें आत्मनिर्भर बनने हेतु कार्यक्रम चलाना चाहिए, विद्यार्थी स्कूल से क्यों शालात्यागी बनते हैं ,उनके कारणों की खोज भी की जाना चाहिए, इसके अलावा वर्तमान परिस्थितियों में रेडियो द्वारा, टी.वी. कार्यक्रमों द्वारा, इंटरनेट के माध्यम से, मोहल्ला कक्षा , बच्चों को उनकी सुविधा अनुसार शिक्षण की सुविधा आदि के द्वारा नवाचार किये जा सकते हैं और भी इस ओर प्रयास निरन्तर जारी रहना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चों को स्थानीय परिवेश के साथ सहायक सामग्री एंव डिजिटल सामग्री का उपयोग कर शिक्षण कार्य रूचिकर व सरल हो जाता है।
ReplyDeleteभारत सरकार द्वारा चलाया जा रहा" सर्व शिक्षा अभियान" कार्यक्रम के अंतर्गत 6-14वर्ष की आयु वर्ग वाले बच्चों को निशुल्क व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करना है।। राजेश कुमार जांगिड़, ढोटी स्कूल, जिला -श्योपुर।।
ReplyDeleteस्कूलों में बच्चों को. Lkg ,ukg. कक्षाओं का संचालन किया जा सकता है।
ReplyDeleteमोहल्ला क्लास एवं डिजीलेप कार्यक्रम हमारा घर हमारा विद्यालय योजना सफल है जो एक नई तकनीकी अपने आसपास वस्तुओं पेड़ पौधों से अवगत करवाएंगे छात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समाज को जोड़ने का अनुभव देंगे क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को से सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें बिजली टीवी रेडियो और मोहल्ला क्लास तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से कार्य हो रहा है यह एक अभूतपूर्व कोविड-19 की वजह से परिस्थिति व आपदा जने नवाचार है इसे हम कोविड-19 के बाद भी जारी रख सकते हैं धन्यवाद
ReplyDelete
ReplyDeleteहमारे यहाँ मोहल्ला क्लास का संचालन किया जा रहा है। बच्चे बहुत ख़ुश रहते हैं एक शिक्षक के रूप में बहुत उपयोगी है शिक्षक इसका उपयोग करके रणनीति बना सकते हैं ।बच्चे बहुत आनंदित होते हैं
ASHIM KUMAR TIWARI CAC BALSAMUD RAJPUR BARWAI
ReplyDeleteकोविड-19 की आपदा में digilep E-MATERIAL जो प्रत्येक कक्षा के विद्यार्थी के स्तर के हिसाब से तैयार किया गया हैं प्रत्येक दिवस बच्चों तक डिजिटल माध्यम से भेजा जाता हैं। उनके उपलब्धि स्तर को जांचने के लिये प्रत्येक सप्ताह व्हाट्सएप बेस्ड असेसमेंट के माध्यम से टेस्ट लिये जाते हैं।हम शाला के बच्चों के लिये मोहल्ला क्लास का संचालन कर रहे हैं। बच्चे बहुत खुश हैं।हमारे शिक्षक बच्चों तक जाकर नवाचारी गतिविधियां करा रहे हैं। बच्चों को स्थानीय परिवेश के साथ व समझ को बांटने का कार्य करते हैं।
मध्य प्रदेश सरकार ने अब नर्सरी से 12 वी तक शालाओं को एकीकृत किया है वर्तमान में कुछ शालाओं को लिया गया है जो एक नवाचार है इससे ड्राप आउट एवम् दर्ज संख्या में निरंतर कमी की समस्या का समाधान होगा
ReplyDeleteDr Vandana Dubey Betul
मध्य प्रदेश में हमारा घर हमारा विद्यालय एक
ReplyDeleteअभिनव नवाचार कार्यक्रम है। डीजीलेप, मोहल्ला क्लॉस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है। यह एक अभूतपूर्व एवं परिणाम दायक कार्य है। कोविड-19 की वजह से परिस्थितिजन्य सार्थक नवाचार है।
नवाचारी अभ्यास में कोविड19में मोहल्ला क्लास का संचालन किया जा रहा है जिसमें सभी प्रकार के बच्चों का समावेश किया जाता है वहां बच्चे अपनी पढ़ाई निरंतर जारी किए हुए हैं बच्चों को डिजी लैब वीडियो के माध्यम से शिक्षण कार्य कराया जा रहा है बच्चे बहुत खुश हैं। एक शिक्षक के रूप में बहुत उपयोगी है शिक्षक इसका उपयोग करके रणनीति बना सकते हैं। रमन श्रीवास्तव शासकीय हाई स्कूल धवारी गली नंबर 5 सतना
ReplyDeleteBacho ko isthaniy pariwesh ke sath sath apne giyan Or anubhav ke sath bacho ko jode bacho ko bina dar Or jhijhak ke sath ek dost ki trah wo hmase sabhi preshani ya koi question puch ske.
ReplyDeleteBano Bee Ansari
ReplyDeleteजब बच्चे सीखना शुरू करते हैं तो वह जन्म से सीखना प्रारंभ कर देते हैं ।लेकिन फिर भी बालक या बालिका 3 वर्ष की आयु से अच्छी तरह सीखता है ।लेकिन जब वह स्कूल में आता है तो उसकी आयु 6 वर्ष होती है ।तब यह लर्निंग गेम सामने आता है इसलिए पालकों को अशासकीय विद्यालयों का सहारा लेने लगते हैं इसके परिणाम स्वरूप शासकीय संख्या लगातार कम होती जा रही है ।
धन्यवाद
हमारे यहाँ मोहल्ला क्लास का संचालन किया जा ता है। बच्चे बहुत ख़ुश रहते हैं एक शिक्षक के रूप में बहुत उपयोगी है शिक्षक इसका उपयोग करके रणनीति बना सकते हैं ।बच्चे बहुत आनंदित होते हैं
ReplyDeleteकोरोना महामारी के कारण डिजिलेप, रेडियो कार्यक्रम आदि के द्वारा शिक्षण कार्य किया जा रहा है, परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी से बहुत कम बच्चों को इसका लाभ मिल रहा है। जबकि मोहल्ला क्लास सफलता पूर्वक संचालित की जा रही है।
ReplyDeleteछात्र छात्राओं को अपने परिवेश से जोड़कर तथा अधिक से अधिक टी एल एम का उपयोग कर सीखने को सरल बनाया जा सकता है
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteअभी कोरोना काल से पहले तक हमारे राज्य मध्य प्रदेश मे शाला सिद्धि ;हमारी शाला कैसी हो पर आधारित शिक्षा दी जा रही थी। इस आधार पर सभी ने अपने अपने विद्यालय मे प्रयास किए। शिक्षा और भौतिक संसाधनों के आधार पर इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे है तथा कोरोना काल दौरान digilep एवं WhatsApp आधारित शिक्षण तथा मोहल्ला क्लास द्वारा छात्रों की पढ़ाई जारी रखने का प्रयास किया जा रहा है जोकि एक बहुत अच्छी पहल है और अन्यत्र भी लागू किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteChhatron ko apne pariwar tatha parivesh se judne de. Apne samajh ko vikshit karne hetu prashn puchhne par protsahit karen.
ReplyDeleteडिजिलैप कार्यक्रम हमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी!
ReplyDeleteडिजी लेप कार्यकम हमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास शिक्षा के क्षेत्र मे मील का पत्थर साबित होगी।।
DeleteNk
डिजिलेप कार्यक्रम हमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगी।।
Deleteअभी कोरोनावायरस के पहलेहमारे राज्य में शाला सिद्धि हमारी शाला कैसी हो पर आधारित शिक्षा दी जा रही थी इस आधार पर सभी ने अपने विद्यालय में प्रयास किए शिक्षा और भौतिक संसाधनों के आधार पर इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। तथा कोरोना कॉल दौरान डिजिलेप एवं व्हाट्सएप आधारित आधारित शिक्षण तथा मोहल्ला क्लास द्वारा छात्रों की पढ़ाई जारी रखने का प्रयास किया जा रहा है जो एक बहुत अच्छी पहल है और अन्य न्त्रभी लागू की किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteकोबिड 19 जैसी महामारी में जहाँ स्कूल बंद है इस बीच बच्चों की पढ़ाई न रुके इसके लिए शासन के सहयोग से digilep एवं मोहल्ला क्लास के माध्यम से बच्चों को अभ्यास कार्य किया जा रहा है।
ReplyDeleteनवाचार के विषय में जब हम बात करते हैं शिक्षक कक्षा अधिगम हेतु विभिन्न प्रयासों के द्वारा बच्चों में ज्ञान कौशल और अवधारणाओं किस समझ बनाने के लिए हर संभव प्रयास रहता है किंतु मजदूर वर्ग अथवा पलायन करने वाले छात्रों की वजह से उसके विकास का स्तर प्रभावित होता है इस हेतु कोई योजना ऐसी अवश्य होना चाहिए जो , अभिभावकों मैं ज्ञान के प्रति और अपने बच्चों के सर्वागीण विकास हेतु कटिबद्ध हो जिससे शिक्षक की मेहनत और बच्चे बच्चे की कोशिश सार्थक रूप ले सके तथा लर्निंग गैप को कम किया जा सके
ReplyDeleteअल्का बैंस प्राथमिक शाला कूकड़ा जगत छिन्दवाड़ा
ReplyDeleteछिन्दवाड़ा जिले में प्राथमिक कक्षाओं का संचालन बहुप्रतीक्षित था क्योंकि बच्चे में सीखने की क्षमता वैसे तो जन्म से ही होती है किंतु 3 वर्ष से बच्चा सीखना अच्छी तरह से प्रारंभ कर देता है और 6 वर्ष में प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश लेने का मतलब है कि 3 वर्ष से 6 वर्ष के बीच का अंतराल लर्निंग गैप के रूप में सामने आता फलस्वरूप बच्चे की सीखने की दिशा में विपरीत प्रभाव पढ़ता था साथ ही हर तबके के लोगों में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है जिससे वह 3 वर्ष में ही अपने बच्चे को प्रवेश दिलाने के लिए अशासकीय शालाओं का सहारा लेते थे फलस्वरूप शासकीय शालाओं में संख्या निरंतर घटने लगी।
म.प्र.में कोविड 19की आपदा में डिजीलेप के माध्यम से प्रत्येक कक्षा के विद्धाथी के स्तर के हिसाव से तैयार किया गया है।प्रत्येक दिवस बच्चो तक डिजीटल माध्यम से भेजा जाता है।उनके उपलव्धि स्तर को जाँचने के लिये प्रत्येक सप्ता व्हाट्सप के माध्यम से टेस्ट लिये जाते हैं।
ReplyDeleteअर्चना शुक्ला शासकीय प्राथमिक शाला उमरी मध्य प्रदेश नवाचार के विषय में मेरा यह संदेश है यह सुझाव है कि जो बच्चे 3 से 6 वर्ष के हैं उनकी उम्र लर्निंग प्रभावित हुई है covid के कारण अतः जरूरी है कि उनमें मूलभूत एवं बेसिक शब्द ज्ञान जैसे एबीसीडी अथवा का खा गा घा को घर में सिखाया जा सके इसके लिए अलग-अलग कार्टून का सहारा लिया जा सकता है एवं अभिभावकों को भी नई नई जानकारियां वीडियो के माध्यम से पहुंचाई जावे
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में हमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास एवं डिजीलेप विडीयो के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है जो एक न ई तकनीक है ।
ReplyDeleteबच्चों को स्थानीय परिवेश के साथ अपनी समझ को जोड़ने का अनुभव प्रदान करे एवं प्रश्न पूछने हेतु प्रेरित करे I
ReplyDeleteआर टी ई अधिनियम 2009 के तहत केंद्र सरकार द्वारा गरीब पिछड़े sc / st वंचित समूह के लिए 25 प्रतिशत का कोटा अशासकीय विध्यालय मे आरक्षित किया गया है । जिससे आशासकीय विध्यालयों के नामांकन मे वृद्धि हुई है। और शासकीय स्कूलो का नामांकन कम हुआ है । तथा शासकीय विध्यालय मे नामांकन 6 वर्ष की आयु मे कक्षा 1 मे किए जाने का प्रावधान है । जबकि प्राइवेट स्कूलो मे 3 वर्ष की आयु मे नर्सरी मे नामांकन होता है । जिससे विध्यार्थी प्राइवेट स्कूल का विध्यार्थी अंतिम अध्यापन के लिए हो जाता है । इसी कारण से पालको का रुझान प्राइवेट स्कूलो की ओर बढा है।
ReplyDeleteबच्चे को बच्चे का प्रारंभिक विकास कम आयु से ही होने लगता है अतः उसे 3 वर्ष से ही शिक्षा के क्षेत्र से जोड़ा जाना चाहिए तथा उसे आसपास के परिवेश के आधार पर शिक्षा देनी चाहिए सुनील तिवारी जन शिक्षा केंद्र मनगवां
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteनवाचार के विषय में जब हम बात करते हैं शिक्षक कक्षा अधिगम हेतु विभिन्न प्रयासों के द्वारा बच्चों में ज्ञान कौशल और अवधारणाओं किस समझ बनाने के लिए हर संभव प्रयास रहता है किंतु मजदूर वर्ग अथवा पलायन करने वाले छात्रों की वजह से उसके विकास का स्तर प्रभावित होता है इस हेतु कोई योजना ऐसी अवश्य होना चाहिए जो , अभिभावकों मैं ज्ञान के प्रति और अपने बच्चों के सर्वागीण विकास हेतु कटिबद्ध हो जिससे शिक्षक की मेहनत और बच्चे बच्चे की कोशिश सार्थक रूप ले सके तथा लर्निंग गैप को कम किया जा सके
Shanti funvala padhshala ek achchha vikalp h
ReplyDeleteप्रदेश आपने देश में पूर्व प्राथमिक कक्षाओं का संचालन बहुप्रतीक्षित था क्योंकि बच्चे में सीखने की क्षमता वैसे तो जन्म से ही होती है किंतु 3 वर्ष से बच्चा सीखना अच्छी तरह से प्रारंभ कर देता है और 6 वर्ष में प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश लेने का मतलब है कि 3 वर्ष से 6 वर्ष के बीच का अंतराल लर्निंग गैप के रूप में सामने आता फलस्वरूप बच्चे की सीखने की दिशा में विपरीत प्रभाव पढ़ता था साथ ही हर तबके के लोगों में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है जिससे वह 3 वर्ष में ही अपने बच्चे को प्रवेश दिलाने के लिए अशासकीय शालाओं का सहारा लेते थे फलस्वरूप शासकीय शालाओं में संख्या निरंतर घटने लगीआर टी ई अधिनियम 2009 के तहत केंद्र सरकार द्वारा गरीब पिछड़े sc / st वंचित समूह के लिए 25 प्रतिशत का कोटा अशासकीय विध्यालय मे आरक्षित किया गया है । जिससे आशासकीय विध्यालयों के नामांकन मे वृद्धि हुई है। और शासकीय स्कूलो का नामांकन कम हुआ है । तथा शासकीय विध्यालय मे नामांकन 6 वर्ष की आयु मे कक्षा 1 मे किए जाने का प्रावधान है । जबकि प्राइवेट स्कूलो मे 3 वर्ष की आयु मे नर्सरी मे नामांकन होता है । जिससे विध्यार्थी प्राइवेट स्कूल का विध्यार्थी अंतिम अध्यापन के लिए हो जाता है । इसी कारण से पालको का रुझान प्राइवेट स्कूलो की ओर बढा है।3 से 6 वर्ष का बच्चे का दिमाग बहुत तेजी के साथ का काम करता है उस समय बच्चे को खेल -खेल के माध्यम से शिक्षा' प्रोजेक्ट वर्क के आधार से ,शैक्षणिक भ्रमण के आधार से ,उसको ज्ञान का सर्जन करवाया जा सकता है बच्चा कक्षा 1 में आने से पहले भी प्री लर्निंग के रूप में बहुत कुछ सीख सकता है| बशर्ते उस पर ठीक से काम किया जाए आज राज्य सरकार द्वारा 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए आंगनवाड़ी केंद्र खोल दिए गए हैं ,लेकिन उन सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है केवल खानापूर्ति तक ही सीमित कर दिया जाता है इसका परिणाम यह होता है कि जब बच्चा कक्षा एक में शासकीय विद्यालय में प्रवेश लेता है तो वह उस समय अपना नाम लिखना भी नहीं जानता ,पेंसिल पकड़ना भी नहीं जानता ,जिस कारण टीचर को पढ़ाने में खासी मशक्कत का सामना करना पड़ता है अगर3से 6 वर्ष तक के बच्चे पर आंगनवाड़ी में या अन्य किसी माध्यम से अच्छी तरह काम हो जाए तो, बच्चे का शैक्षणिक विकास बहुत तेजी से हो सकेगा ,तथा कक्षा एक में जाने पर ना तो बच्चे को पढ़ने में समस्या समस्या आएगी ना ही शिक्षक को पढ़ाने में समस्या आएगी| हम देखते हैं कि प्राइवेट स्कूलों में आज 3 साल के बच्चे का एडमिशन कर दिया जाता है जिस कारण बच्चों व पालकों का रुझान सरकारी स्कूल की अपेक्षा प्राइवेट स्कूलों की तरफ है और हमारे सरकारी विद्यालयों में नामांकन की संख्या दिनों घटती चली जा रही है हम लोगों को 3 से 6 वर्ष की उम्र के बच्चों के शैक्षणिक स्तर पर कार्य करने के लिए बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि इस लर्निंग लेवल को पूरा किया जा सके ।
ReplyDeleteचंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज
गाडरवारा
नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश
बच्चो ने परिवेश से जो सीखा है उसे वे करे और साझा करे एसे गतिविधि करना जिसमे उनकी सहभागिता ज्यादा हो और वे स्वयं कर सके उन्हे बोलने का पुर अवसर मिले बच्चा विधालय और कक्षा दोनो मे सहज रहे
ReplyDeleteकोविड काल में मोहल्ला क्लास और digilep सामग्री हमारे mp की नई योजना है।जो इस समय के लर्निंग गैप को कम करने में बहुत ही कारगर हैं।
ReplyDeleteमैं,
ReplyDeleteश्रीमती अंजू लता सक्सेना,
G.G.M.S. Bamhori
कोविड-19 मैं हमारे शिक्षकों ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है उन्होंने घर-घर जाकर बच्चों को शिक्षा प्रदान की है मोबाइल द्वारा एवं वर्क बुक द्वारा अपना फीडबैक देकर अपने कार्य योजना को पूर्ण किया जा रहा है
धन्यवाद
अभी कोरोना काल से पहले तक हमारे राज्य मध्य प्रदेश मे शाला सिद्धि ;हमारी शाला कैसी हो पर आधारित शिक्षा दी जा रही थी। इस आधार पर सभी ने अपने अपने विद्यालय मे प्रयास किए। शिक्षा और भौतिक संसाधनों के आधार पर इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे है तथा कोरोना काल दौरान digilep एवं WhatsApp आधारित शिक्षण तथा मोहल्ला क्लास द्वारा छात्रों की पढ़ाई जारी रखने का प्रयास किया जा रहा है जोकि एक बहुत अच्छी पहल है और अन्यत्र भी लागू किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteवर्तमान मैं कोरोना के कारण हमारा घर हमारा विद्यालय के अंतर्गत मोहल्ला क्लास का आयोजन शिक्षकों द्वारा बच्चों से घर-घर जाकर संपर्क करना रेडियो, टीवी, मोबाइल पर शिक्षण सामग्री का प्रसारण होना नवाचार ही है।
ReplyDeleteHumare Pradesh me CM dwara samuhik vivah sammelan ka ayojan krayaya jata he, jisme garib ghar ki betiyo ka na keval nishulk vivah hota he blki kuch Arthik sahayta bhi di jati he, jisse garib pariwaro ko karj k dal dal se mukti milti he avam dahej rupi kuruti bhi samapt hoti he.
ReplyDeleteSabhi state govt yadi yaha madule apnaye to desh me bhut se pariwar karj se Bach skenge and baby girl k janm ko bojh nhi samjhenge , sath hi janm se phle garbpat jese ghinone kam ki dar me bhi kami ayegi.
छात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें।क्लास रूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteBaccho ko parivesh ke saath apne gyaan wa samjh ko jode class me bhagidaari sunishchit kare avem sawal puchne ke liye prerit kare .
ReplyDeleteमध्यप्रदेश शासन द्वारा कोविड-19 विश्व महामारी जैसी विषम परिस्थिति मैं :-
ReplyDelete"हमारा घर हमारा विद्यालय " "अब पढ़ाई नहीं रुकेगी" एक महत्वपूर्ण नवाचार है शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल है जो शिक्षण को सुचारू रूप से चलाने में सहायक है |
डीजीलेप, T.V., Radio, और मोहल्ला क्लॉस तथा वीडियो व्हाट्सएप माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है।
रानी पटेल प्राथमिक शिक्षक
हमारे प्रदेश मे हमारा घर हमारा विद्यालय,डिजीलिप आनलाईन कार्यक्रम चलाया जाता है,जो कोविड काल मे दक्षता लाने का सराहनीय कार्य है।
ReplyDeleteजब बच्चे सीखना शुरू करते हैं तो वह जन्म से सीखना प्रारंभ कर देते हैं ।लेकिन फिर भी बालक या बालिका 3 वर्ष की आयु से अच्छी तरह सीखता है ।लेकिन जब वह स्कूल में आता है तो उसकी आयु 6 वर्ष होती है ।तब यह लर्निंग गेम सामने आता है इसलिए पालकों को अशासकीय विद्यालयों का सहारा लेने लगते हैं इसके परिणाम स्वरूप शासकीय संख्या लगातार कम होती जा रही है ।
ReplyDeleteMere dwara nawachar taiyarkar delhi bheja gaya tha jisme children yoga ke madhyam se varnmala ki matra and english varn ka exercise karane lagte hai
छात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें।क्लास रूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteTLM ka adhik se adhik use karna.... Jisse bachhe jaldi sikhenge
ReplyDeleteमै जिस शाला मे पदस्थ हूँ वहाँ बहुतायत मे हमारे प्रदेश की सबसे पिछडी जनजाति भारिया वर्ग के बच्चे अध्ययनरत है।ईन बच्चो का शैक्षणिक स्तर बहुत कोशिश करने के बाद भी आशानुरूप नही रहता आया था जो मेरे लिये व्यक्तिगत रूप से चिंतनीय और स्वयं के कार्य मुल्यांकन के लिये असंतोषप्रद था।ऐसी दशा मे मैने नियमित एस.एम.सी की लगातार बैठके की ।ग्राम मे भ्रमण कर पालको से संवाद स्थापित किया।अनियमित बच्चो को नियमित करने हेतु उनके घर जाकर बच्चो को लाने लगा तो ईससे उनके शैक्षणिक स्तर मे सुधार हुआ और पालको मे विश्वास भी बढा कि उनके बच्चो की शिक्षा की चिंता करने वाले शिक्षक भी है।ईनसबसे मुझे अपनी शाला को गतिविधि युक्त बनाने मे सहयोग एवं प्रेरणा मिली ।और मेरे शाला का वातावरण मनोरंजनयुक्त बिना डर और सीखने को प्रेरित करने वाला हो गया जिससे मुझे संतोष प्राप्त हुआ।अब मेरी शाला की नियमित उपस्थिती उत्तम रहती है और स्वयं मेरे क्लास की शतप्रतिशत।
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास एवं दिलीप वीडियो के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है जो एक नई तकनीकें दिल्ली टीवी रेडियो और मोहल्ला किला से वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विध्यालय मोहल्ला क्लास एव् वीडियो के माध्यम से शिक्षण कार्य कराया जा रहा है।जिससे बच्चे लाभान्वित हो रहे है।
ReplyDeleteAnil Kumar Rathore P.S. MORTA MALOTHAR
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विद्यालय छात्रों के घर जा कर पढ़ाई कर आना एवं डीजल ऐप द्वारा छात्रों को पढ़ाई सामग्री भेजना एक नवाचार है इससे बच्चों का सर्वो गुणी विकास हो रहा है
मोहल्ला क्लास एवं डिजीलेप विडीयो के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है जो एक न ई तकनीक है ।
ReplyDeleteमध्य प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत बच्चों का 25% जो भी एससी एसटी बीपीएल बच्चों का प्रवेश प्राइवेट संस्थान में कराया जा रहा है उससे यह हुआ कि बच्चों का रुझान पढ़ाई की तरफ बड़ा अभिभावक भी पढ़ाई की तरफ जोड़े कि उन्हें उच्च स्तर प्राइवेट संस्थान में पढ़ने का सौभाग्य मिल रहा है
ReplyDeleteYeh Module Bachche Aur Teacher Dono Ke Liye Labhkari Rahega Very Very Good Sir Ji
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करेंमध्य प्रदेश में शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत बच्चों का 25% जो भी एससी एसटी बीपीएल बच्चों का प्रवेश प्राइवेट संस्थान में कराया जा रहा है उससे यह हुआ कि बच्चों का रुझान पढ़ाई की तरफ बड़ा अभिभावक भी पढ़ाई की तरफ जोड़े कि उन्हें उच्च स्तर प्राइवेट संस्थान में पढ़ने का सौभाग्य मिल रहा हैl
ReplyDeleteडीजीलेप, T.V., Radio, और मोहल्ला क्लॉस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है। यह एक अभूतपूर्व कोविड-19 की वजह से परिस्थित व आपदा जन्य नवाचार है। इसे हम कोविड-19 के बाद भी जारी रख सकते है।
जन्म से सीखना प्रारंभ कर देते हैं ।और मृतयू तक किसी न किसी प्रकार हम सभी लोग सीखते हैं । लेकिन फिर भी बालक या बालिका 3 वर्ष की आयु से अच्छी तरह सीखता है ।लेकिन जब वह स्कूल में आता है तो उसकी आयु 6 वर्ष होती है ।तब यह लर्निंग गेम सामने आता है इसलिए पालकों को अशासकीय विद्यालयों का सहारा लेने लगते हैं इसके परिणाम स्वरूप शासकीय संख्या लगातार कम होती जा रही है । इस और ध्यान केंद्रित करने की जरूरत हो रही है ।
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विद्यालय के अंतर्गत मोहल्ला क्लास ,शिक्षा का कोना ,डिजीटल वीडियो,शिक्षा आपके द्वार,आदि माध्यमो से विद्यर्थीओ को लाभ हो रहा है ।
ReplyDeleteमेरी शाला शासकीय मध्यमिक विद्यालय बकसपुर है जहाँ पिछड़ा वर्ग और अजा के विद्यार्थी है । और गरीब तबके से आते है बच्चो का शैक्षणिक स्तर बहुत कोशिश करने के बाद भी आशानुरूप नही रहता आया था जो मेरे लिये व्यक्तिगत रूप से चिंतनीय और स्वयं के कार्य मुल्यांकन के लिये असंतोषप्रद था । मेने ग्राम मे भ्रमण कर पालको से संवाद स्थापित किया।अनियमित बच्चो को नियमित करने हेतु उनके घर जाकर बच्चो को लाने लगी तो ईससे उनके शैक्षणिक स्तर मे सुधार हुआ और पालको मे विश्वास भी बढा कि उनके बच्चो की शिक्षा की चिंता करने वाले शिक्षक भी है।ईनसबसे मुझे अपनी शाला को गतिविधि युक्त बनाने मे सहयोग एवं प्रेरणा मिली ।और मेरे शाला का वातावरण मनोरंजनयुक्त बिना डर और सीखने को प्रेरित करने वाला हो गया जिससे मुझे संतोष प्राप्त हुआ।
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विद्यालय मोहल्ला क्लास एवं दिलीप वीडियो के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है जो एक नई तकनीकें दिल्ली टीवी रेडियो और मोहल्ला क्लास से वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य के द्वारा शिक्षा को बच्चों तक पहुँचाया जा रहा है ।
श्रीमती उमा यादव
ICT upkarno se gunwattapurna Shiksha adhik prabhawkari Savita ho rha h
ReplyDeleteछात्रों को उनकी क्षमताओं के अनुरूप योजना बनाकर उनकी दक्षता को बढाया जा सकता है। छात्रों को स्थानीय परिवेश से जोड़कर उन्हें शिक्षा देने के साथ साथ गतिविधियां आधारित शिक्षा देना चाहिए।
ReplyDeleteस्थानीय परिवेश में ही बच्चा सीखता है बच्चे को खेलना एवं मनोरंजन अर्थात टीवी रेडियो बहुत पसंद होता है इसलिए पहले उनको खेलों से जुड़े मनोरंजन के साधन जुटाए और इसके बाद वातावरण निर्मित हो जाता है बच्चा बहुत जल्दी सीखता है
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समाज को जोड़ने का अनुभव दे क्लास रूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रेरित करें
ReplyDeleteछात्रों को उनकी क्षमताओं के अनुरूप योजना बनाकर उनकी दक्षता को बढाया जा सकता है। छात्रों को स्थानीय परिवेश से जोड़कर शिक्षा देने के साथ साथ गतिविधियां आधारित शिक्षा देना चाहिए।
ReplyDeleteछात्रों को उनकी क्षमताओं के अनुरूप योजना बनाकर उनकी दक्षता को बढाया जा सकता है। छात्रों को स्थानीय परिवेश से जोड़कर शिक्षा देने के साथ साथ गतिविधियां आधारित शिक्षा देना चाहिए।
ReplyDeleteदूरस्थ इलाकों और निचले तबके के बच्चे कमजोर होते हैं।उन बच्चों को और अधिक सुविधा उपलब्ध कराकर उन्ही की भाषा में शिक्षा उपलब्ध कराना चाहिए।
ReplyDeleteकिसी नवाचारी अभ्यास की पहचान के लिए 3 वर्ष से 6 वर्ष के बीच का अंतराल लर्निंग गैप के रूप में सामने छात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteजब बच्चे सीखना शुरू करते हैं तो वह जन्म से सीखना प्रारंभ कर देते हैं ।लेकिन फिर भी बालक या बालिका 3 वर्ष की आयु से अच्छी तरह सीखता है ।लेकिन जब वह स्कूल में आता है तो उसकी आयु 6 वर्ष होती है ।तब यह लर्निंग गेम सामने आता है इसलिए पालकों को अशासकीय विद्यालयों का सहारा लेने लगते हैं इसके परिणाम स्वरूप शासकीय संख्या लगातार कम होती जा रही है ।इसलिए इस पर कोई ऐसा रास्ता निकालना चाहिए शासन को जिससे बच्चे 3 वर्ष की आयु से ही स्कूल में शिक्षक सीख सकें।
ReplyDelete3 से 6 वर्ष का बच्चे का दिमाग बहुत तेजी के साथ का काम करता है उस समय बच्चे को खेल -खेल के माध्यम से शिक्षा' प्रोजेक्ट वर्क के आधार से ,शैक्षणिक भ्रमण के आधार से ,उसको ज्ञान का सर्जन करवाया जा सकता है बच्चा कक्षा 1 में आने से पहले भी प्री लर्निंग के रूप में बहुत कुछ सीख सकता है| बशर्ते उस पर ठीक से काम किया जाए आज राज्य सरकार द्वारा 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए आंगनवाड़ी केंद्र खोल दिए गए हैं ,लेकिन उन सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है केवल खानापूर्ति तक ही सीमित कर दिया जाता है इसका परिणाम यह होता है कि जब बच्चा कक्षा एक में शासकीय विद्यालय में प्रवेश लेता है तो वह उस समय अपना नाम लिखना भी नहीं जानता ,पेंसिल पकड़ना भी नहीं जानता ,जिस कारण टीचर को पढ़ाने में खासी मशक्कत का सामना करना पड़ता है अगर3से 6 वर्ष तक के बच्चे पर आंगनवाड़ी में या अन्य किसी माध्यम से अच्छी तरह काम हो जाए तो, बच्चे का शैक्षणिक विकास बहुत तेजी से हो सकेगा ,तथा कक्षा एक में जाने पर ना तो बच्चे को पढ़ने में समस्या समस्या आएगी ना ही शिक्षक को पढ़ाने में समस्या आएगी| हम देखते हैं कि प्राइवेट स्कूलों में आज 3 साल के बच्चे का एडमिशन कर दिया जाता है जिस कारण बच्चों व पालकों का रुझान सरकारी स्कूल की अपेक्षा प्राइवेट स्कूलों की तरफ है और हमारे सरकारी विद्यालयों में नामांकन की संख्या दिनों घटती चली जा रही है हम लोगों को 3 से 6 वर्ष की उम्र के बच्चों के शैक्षणिक स्तर पर कार्य करने के लिए बहुत अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ताकि इस लर्निंग लेवल को पूरा किया जा सके |
ReplyDeleteझारखंड व छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू कि गई ऐकिक्रत व शिक्षा हमारे द्वार योजना वर्तमान समय मे अधिकतर राज्य द्वारा अपनायी जा रही हैं । म.प्र. मे भी मोहल्ला क्लास, डिजीलेप विडीयों, मोबाइल ऐप,ई पाठशाला आदि।
ReplyDeleteबालकों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें। एवं पुरस्कार भी वितरण किया जा सकता है
ReplyDeleteनमस्कार मैं सुंदर सूर्यवंशी माध्यमिक शिक्षक शासकीय माध्यमिक शाला चिखली मु विकासखंड अमरवाड़ा
ReplyDeleteमध्यप्रदेश राज्य में प्री प्राइमरी की कक्षाएं कुछ चयनित बसहटो में खोली गई है जिसमें शासकीय शालाओं में दर्ज संख्या में वृद्धि हो सकेगी। एवं बच्चा प्री प्राइमरी की कक्षा में ,अच्छे से अध्ययन कर उसी स्कूल में आगे का अपना अध्ययन कर सकेगा।
बच्चे चित्रों के माध्यम से सरलता से सीखते हैं अतः चित्र बनाकर पठन पाठन कराने से ज्ञान स्थाई हो जाता है।
ReplyDeleteCorona ke karan mohalla class lagane se bachcho ki padai prabhavit ho rahi hai to mohalla class ke karan bachche dakshta poorn kar rahe hai bachcho ko bahut maza aa raha hai
ReplyDeleteMohalla class aur disilap dwara bachcho ko protsahit kiya Ja skta h Kisse bachcho ko group me Kaam krne ki samjh viksit hogi
ReplyDeleteडिजिलेप एव हमारा घर हमारा विधालय योजना शुरू की गई हैं जो बहुत अच्छी है ।
ReplyDeleteMadhya Pradesh mein hamara Ghar hamara Vidyalay ,mohalla class, aur digilep samagri ke madhyam se bacchon ko padhaai karvai ja rahi hai jismein digilep what's up ke madhyam se video prapt hote hain aur teacher in video ke ko prapt kar ke bacchon ko uplabdh Karate Hain tatha Sathi sath radio per radio school karykram aata hai aur hamara Ghar hamara Vidyalay ke antargat mohalla class lagai jaati hai Sathi saath durdarshan per bhi karykram prasarit kiye jaate Hain aur radio school ke sath sath yoga class kahani sunna Apne bujurgon se kahani sunna har Sunday ko ek flipbook kahani aisi Kai Yojana chalai ja rahi hai jisse Vidyarthi Labh le rahe hain aur covid-19 ki paristhiti mein bhi apni padhaai ko jari rakhe hue hain Jay Madhya Pradesh ka navachari prayog hai.
ReplyDeletemain bhi samagri se prapt video ke Aadhar per naye naye tlm banakar aur unke video banakar bacchon ko padhaati hun tatha Sathi sath mohalla class mein bhi in tlm ke prayog se bacchon ki padhaai nirantar nirantar jari hai..
ReplyDeleteहमारा घर हमारा विद्यालय के तहत और डिजीलेप के माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम के माध्यम से कोविद 19 के इस दौरान रेडियो दूरदर्शन व्हाट्सएप डिजिलेप मोबाइल के द्वारा बच्चों को शिक्षा दी जा रही है जोकि एक नवाचारों में आता है।
ReplyDeleteबच्चे वीडियो और चित्रों के माध्यम से सरलता से सीखते हैं अतः वीडियो से या चित्र बनाकर पठन पाठन कराना चाहिये जिससे उनका ज्ञान स्थाई हो जाये।
ReplyDeleteविद्यार्थियों को अपने परिवेश के साथ जुड़कर ज्ञान अर्जन के अवसर देने चाहिए और उन्हें आत्मनिर्भर बनने हेतु कार्यक्रम चलाना चाहिए, इसके अलावा वर्तमान परिस्थितियों में रेडियो द्वारा, टी.वी. कार्यक्रमों द्वारा, इंटरनेट के माध्यम से, मोहल्ला कक्षा , बच्चों को उनकी सुविधा अनुसार शिक्षण की सुविधा आदि के द्वारा नवाचार किये जा सकते हैं।
ReplyDeleteअपनी राज्य संघ राज्य संगठन में किए जा रहे नवाचारी अभ्यास की पहचान करने के लिए अभी तो सबसे अच्छा नवाचार यही है कि राज्य शिक्षा केंद्र द्वारा जो सामग्री भेजी जाती है बच्चों के पढ़ने के लिए वह बच्चे उसी से पढ़ रहे हैं तो यही सबसे अच्छा और नया समाचार है कि बच्चे मोबाइल और लैपटॉप के जरिए घर पर ही शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं
ReplyDeleteप्रदेश आपने देश में पूर्व प्राथमिक कक्षाओं का संचालन बहुप्रतीक्षित था क्योंकि बच्चे में सीखने की क्षमता वैसे तो जन्म से ही होती है किंतु 3 वर्ष से बच्चा सीखना अच्छी तरह से प्रारंभ कर देता है और 6 वर्ष में प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश लेने का मतलब है कि 3 वर्ष से 6 वर्ष के बीच का अंतराल लर्निंग गैप के रूप में सामने आता फलस्वरूप बच्चे की सीखने की दिशा में विपरीत प्रभाव पढ़ता था साथ ही हर तबके के लोगों में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है जिससे वह 3 वर्ष में ही अपने बच्चे को प्रवेश दिलाने के लिए अशासकीय शालाओं का सहारा लेते थे फलस्वरूप शासकीय शालाओं में संख्या निरंतर घटने लगी
ReplyDeleteHamare yaha class 1to2kebacchokolikhane ki samagri nisulk vitrit ki jaati hai
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteबच्चों ने परिवेश से जो सीखा है, उसे वो कक्षा में साझा करें , ऐसी गतिविधि कराना जिसमें उनकी सहभागिता ज्यादा हो और वे स्वयं कर सकें , उन्हें बोलने का पूरा अवसर मिले । बच्चा विद्यालय और कक्षा दोनों में सहज रहे और एन्जॉय करे।
ReplyDeleteमप्र में दीक्षा एप्प के माध्यम से शिक्षक को ट्रेनिंग देने का कार्य किया जा रहा । इसीप्रकार m शिक्षा मित्र के माध्यम से स्कूलों की जानकारी ऑनलाइन रखी जा रही हैं।
ReplyDeleteडिजीलेप ओर मोहल्ला कलांस तथा वीडियो क्लिप के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है। यह एक अभूतपूर्व कोविड-19 की वजह से प रि स्थितियां व आपदा जन्य नवाचार है
ReplyDeleteGhar ghar jaker baccho se sampark ker gatividhi ki shayata se adhyapan kary krana
ReplyDeleteबच्चे वीडियो और चित्रों के माध्यम से सरलता से सीखते हैं अतः वीडियो से या चित्र बनाकर पठन पाठन कराना चाहिये जिससे उनका ज्ञान स्थाई हो जाये।
ReplyDeleteबच्चे गतिविधियों से सीखते है
ReplyDeleteनाम संध्या रघुवंशी प्राथमिक शिक्षक एकीकृत शाला एनएफएल
ReplyDeleteअपने राज्य /संघ /संगठन में किए जा रहे नवाचारी अभ्यास के माध्यम से हम शिक्षक कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए जो हमारा घर हमारा विद्यालय ,मोहल्ला ,क्लास, दक्षता, वर्क बुक, क्लास ऑनलाइन व्हाट्सएप आधारित टेस्ट एक नवाचार है। जिसके माध्यम से कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षक एवं विद्यार्थियों के जीवन में कुछ नया करने की पहल जागरूक हुई, फीडबैक व्हाट्सएप एवं अपने मोबाइल संचार के माध्यम से और संचार साधन के माध्यम से बच्चों की पढ़ाई होती रही और बच्चों को कुछ नया सीखने सिखाने की प्रेरणा मिली, रेडियो , डिजीलिप वीडियो के माध्यम से विद्यार्थियों को शिक्षित कर एक अभूतपूर्व एवं एक परिणाम स्वरुप कार्य है, इस परिणाम स्वरूप कार्य से हमारे छात्र बहुत खुश हैं, क्योंकि शिक्षक घरों तक जाकर नवाचारी गतिविधियां करा रहे हैं। धन्यवाद
हमारे यहां बच्चों को सिखाने के मोहल्ला क्लास एवं शैक्षणिक वीडियो भेज कर एवं गृह संपर्क द्वारा पढ़ाने का कार्य किया गया। करुणा महामारी होने के बावजूद बच्चों की पढ़ाई मैं कोई विशेष नहीं आई। बच्चे खेल खेल में आनंद दायक वातावरण मैं सीखते रहे।
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteनवीन कुमार सेन, प्राथमिक शिक्षक,-
ReplyDeleteमध्यप्रदेश में नवाचार कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थीयों को शिक्षा से जोड़े रखने हेतु तथा शिक्षकों को शिक्षण में एकरूपता बनाए रखने के लिए कई स्तरों पर कार्य किया जा रहा है जिनमे मुख्यत:
1- हमारा घर हमारा विद्यालय
2- मोहल्ला क्लास
3- डिजीलेप विडीयो एवं
4- व्हाट्सएप से शिक्षण
आदि माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है।
शून्य निवेश आधारित नवाचार क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें। छात्रों को स्थानीय परिवेश और समाज के साथ जोड़कर भी हम एक नया नवाचार कर सकते हैं जो बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए लाभदायक होगा और एक माध्यम बनेगा ऑनलाइन क्लासों के माध्यम से ऑनलाइन क्विज और ऑनलाइन टीचिंग के माध्यम से तरह-तरह के नवाचार किए जा सकते हैं जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सकेगा।
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
हमारे यहां बच्चों को सिखाने के मोहल्ला क्लास एवं शैक्षणिक वीडियो भेज कर एवं गृह संपर्क द्वारा पढ़ाने का कार्य किया गया। करुणा महामारी होने के बावजूद बच्चों की पढ़ाई मैं कोई विशेष नहीं आई।
मध्यप्रदेश में नवाचार कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थियों को शिक्षा से जुड़े रखना बहुत जरूरी है (1) हमारा घर हमारा विद्यालय (2) मोहल्ला क्लास (3) डीजिलेप शिक्षण (4) व्हाट्सएप कुप्रोग्राम टेस्ट आदि के माध्यम से बच्चों को शिक्षण कार्य करवाना।
ReplyDeleteविद्यार्थियो की शिक्षा में गुणवत्ता लाने अनेक नवाचार मध्यप्रदेश में चलाया जारहा है जैसे हमारा घर हमारा विद्यालय,मोहल्ला क्लास,डिजिलेप शिक्षण ,मोबाइल से व्हाट्सएप्प के प्रतिदिन की शिक्षण सामग्री,क्विज प्रश्न उत्तरी आदि के माध्यम से ओर निष्ठा प्रशिक्षण कोर्स से शिक्षक विद्यार्थियो के मोहल्ला क्लास में बहुत कुछ नवाचार प्रैक्टिकल सीखाने लगे है।
ReplyDeleteहमारे राज्य के द्वारा हमारा घर हमारा विद्यालय अर्थात मोहल्ला क्लास के तहत सभी बच्चों को घर-घर जाकर पढ़ाया जा रहा है और मध्यान भोजन के तहत मिलने वाला भोजन जो कि छात्रों को गेहूं के रूप में उनकेघर घर जाकर वितरित किया जा रहा है
ReplyDeleteछात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ अपने ज्ञान व समझ को जोड़ने का अनुभव दें। क्लासरूम में बच्चों की भागीदारी सुनिश्चित करने वाली रणनीति अपनाएं और छात्रों को सवाल पूछने के लिए प्रोत्साहित करें।
ReplyDeleteDigilep vedio k maadhyam se bachcho ki study m kaafi faayda hua h
ReplyDeleteहमारा घर हमारा मोहल्ला क्लास एवं दिलीप वीडियो के माध्यम से शिक्षण कार्य हो रहा है जो एक नई तकनीक है हमारे क्लास यह हम कोविड-19 के वजह से कर रहे हैं इस स्थिति व आपदा व अन्य नवाचार है हम कोविड-19 के बाद भी जारी रख सकते हैं धन्यवाद
ReplyDeleteSeema khalil Bps Chandbarh Bhopal
ReplyDeleteBachcho ko apne parivesh ka bhrman krwayen
छात्रों को स्थानीय परिवेश के साथ जोड़कर।हमारा घर-हमारा विद्यालय के अंतर्गत- - -डिजिलेप,रेडियो कार्यक्रम,दक्षता वर्क बुक एवं अधिक से अधिक टी.एल.एम. का प्रयोग किया जा सकता है।इसके साथ ही निर्धन वर्ग के बच्चों के पालकों के साथ जीवंत सम्पर्क रखना।। ★★★मोहम्मद सलीम नागोरी- - माध्यमिक शिक्षक - - शा. उर्दू माध्यमिक विद्यालय, महिदपुर।जिला उज्जैन। (डाइस कोड- - 23210600113 )
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ReplyDeleteछात्रों द्वारा समाज मे व्याप्त कुरीतियों का अपने स्तर से जानकारी प्राप्त कर उनके दुष्परिणाम के बारे में स्कूल आ कर कक्षा में अपने सहपाठियों के सामने प्रस्तुत करेंगे। समाज मे इन कुरीतियों द्वारा क्षरण हो रहे परिवारों को सचेत करने के प्रयास होने चाहिए।
हम स्थानीय स्तर पर नुक्कड़ नाटक जैसी अन्य और भी गतिविधियां करके समाज में फैली कुरीतियों को दूर कर सकते हैं एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ आदि कहावत यथार्थ कर सकते हैं
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