मॉड्यूल 17 गतिविधि 3: प्रदर्शन
अपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित करें जो लॉकडाउन की अवधि के दौरान हुए थे। आपने उन भावनाओं का सामना कैसे किया?
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
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Yes hame jeene ka kosal sikhata he sath me ak dusare ke prati akta ki bhabna paida karta he
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान उत्पन्न विषम परिस्थितियों ने कुछ समय के लिए चिंतित कर दिया पर जब विचार किया कि हम अकेले नहीं हैं बल्कि पूरा विश्व ही इस आपदा से प्रभावित हुआ है और इसी के साथ जीना है।तब थोड़ा धेर्य बधा और घर में रह कर सोशल मीडिया मे फैली अफवाहों से दूर रह कर ध्यान पूजा पाठ और सकारात्मक विचार पर ध्यान केंद्रित किया।
Deleteलॉकडाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिंतन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकते वाले मजदूरों की दुर्दशा देखी लगा कि प्रदेश में भटकने से अच्छा घर का रुखा सुखा भोजन है। अपने गांव में सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं। सब रोजगार और से अच्छा रोजगार करती है जो घर पर रहकर परिवार के साथ किया जाता है। जाने अनजाने में एवं अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया का कार्य भी ठीक नहीं रहा वहीअफवाह उच्च स्तर से फैली अतः वह परिवार तनाव मे रहेजिनके सदस्घय घर से दूर से कोरोना वायरस के कारण उपचार की दवा ना होने एवं भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित है।
Deleteकोविड-19 बेसिक महामारी में जब lock-down जैसी स्थिति पैदा हुई आदरणीय प्रधानमंत्री हमारे देश के मोदी जी द्वारा पहला ही सतर्कता बरतते हुए जनता कर्फ्यू फिर दिया जलाना इन सबके अलावा ईश्वरीय आराधना भक्ति उसके बाद प्रत्येक गांव शहर में लोगों का वापस आना की व्यवस्था व आइसोलेशन में ड्यूटी करना इन सब को सामने देखते हुए धैर्य पूर्वक लोगों को धैर्य रखा है कुछ मजदूर वर्ग जो बाहर से अपने गांव में वापस पलायन किया उनके भोजन की व्यवस्था करना टीवी चैनल द्वारा बार-बार महामारी के बारे में बताना इन सब से भयभीत लोगों में धैर्य धारण कर कर बनाना यह सब सबक इस कोविड-19 में हमको मिले
Deleteलाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर दशा देखी
ReplyDeleteलगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |अपने गाॅव मे सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं| सब रोजगारों से अच्छा रोजगार
कृषि है जो घर पर रहकरपरिवार के साथ किया जाता है|जाने अनजाने में एवं अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया का कार्अय भी ठीक नही रहा अफवाहे भी उच्च स्त र से फैली अत: वे परिवार तनाव में रहे जिनके सदस्य घर से दूर थे|
कोराना वायरस के उपचार की दवा न होने से हम भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित हैं|
माशा गुगवारा ,देवरी ,सागर
ReplyDeleteनमस्कार...
"लाकडाउन" अर्थात तालाबंदी के समय जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था। उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे। क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग खडे होने की वजह से हम घर दुपके बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।
एक शिक्षक के लिए चिंतन के दो प्रमुख पहलू होते हैं-पहला उसका परिवार और दूसरा उसका विद्यालय। इस समय हमारी बेटी अंजलि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ रही थी। जिसके स्वास्थ्य की चिंता हमें दिन-रात रहती थी। दूसरी ओर लॉकडाउन में ही सीएम राइस प्रशिक्षणो का उदय हो चुका था। जो हमें हमारे छात्रों से फोन पर जुड़े रहने में मदद कर रहा था।
लाकडाउन के दौरान,मजदूर भाइयों के काम छोड़ कर घर वापसी के वीडियोस मन की संवेदना को झकझोर रहे थे। हमारे कुछ मित्रों ने मिलकर स्वयंसेवा के रूप में, इनके भोजन-पानी,कपड़ा-मास्क आदि की इन्हें मदद के रूप में एक कार योजना बनाई। और सुरक्षात्मक तरीके अपनाते हुए हम लोगों ने धीरे धीरे घर से बाहर निकलना शुरू किया।
इस विषम और भयावह परिस्थिति में, मेरा और घर के सदस्यों का धैर्य ना टूटे,हमरी सोच सकारात्मक बनी रहे इस हेतु हम अपने पुत्र तरुण के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो घंटे गिटार बजाया करने थे, और अपने संगीत के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर उन्हें सकारात्मक संदेश के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते थे। ताकि हम से ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोगों तक सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश पहुंचाया जा सके। यही संदेश आत्मक कार्य अपनी छत पर योगा कर अपने साथ दूसरों को भी स्वस्थ रखने के लिए किया करते थे।
इस प्रकार हम ने जुगनू बन कर,एक शिक्षक होने का धर्म खुद और दूसरों को भी इस वैश्विक महामारी के दौरान-,स्वस्थ रह पाने में अपनी और दूसरों की मदद करते हुए निभाया।
धन्यवाद....।
संतोष कुमार अठया
(सहायक शिक्षक )
शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा
जिला- दमोह (म.प्र.)
प्रीति सोनी , धमना , नरसिंहपुर
ReplyDeleteलॉक डाउन की अवधि के दौरान हम सभी बहुत डरे हुए थे कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली। इसके अलावा हमने भक्ति की शक्ति को भी जाना
सुंदरकांड , हनुमान चालीसा ,हनुमान अष्टक, बजरंग बाण का प्रतिदिन पाठ कर हमने अपने आसपास ईश्वरीय शक्ति को भी महसूस किया।
उत्तम
Deleteमैंने lockdown में अपने आपको बहुत संभाल के रखा था। senetisation का बहुत ध्यान रखा।कहीं बाहर से आती तो हाथो को बार बार धोना ,मास्क का use किया। इम्यूनिटी बढ़ाने बाली चीजें खाईं etc
DeleteSavadhani me hi suraksha hai bhi anubhav kiya
Deleteलाक डाउन के समय शुरू में तो बहुत बुरा लगा फिर धीरे धीरे जानकारी मिली तब जीवन को सकारात्मक कार्यों की ओर मोड़ा शास्त्रीय संगीत के भजन गाकर सुकून मिला घर में काम करने वाली मेड्स की यथासंभव मदद की आन लाइन प्रशिक्षण लिया बच्चों को आन लाइन ज्ञान दिया
Deleteराजेंद्र प्रसाद मिश्र सहायक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मणपुर जिला रीवा लॉकडाउन से सारा जीवन जैसे ठहर सा गया हूं जो जहां वही रहेगा बस रेल हवाई यात्राएं बंद यदि कोई सेवा नहीं रुकी तो वह थी मोबाइल सेवा जो लॉकडाउन में भी अपनों को अपनासहारा था वैश्विक महामारी का कहर बड़ों से लेकर छोटे बच्चों तक के मन को कुरेद रहा था अपनों से सुनी एक बात पर बल था कर भला तो हो भला को लेकर तपती धूप में मैंने निश्चय किया कि गांव से 7 किलोमीटर दूर रीवा में गरीब और बेसहारा लोगों को सेंट्रल किचन से बनने वाले भोजन के वितरण का संकल्प लिया जिसकी प्रेरणा शिक्षक साथी शाहिद परवेज व्याख्याता भौतिक शास्त्र लक्ष्मणपुर के साथ 2 महीने तक निरंतर भोजन वितरण का कार्य किया घर लौटने पर घर के लोग सेनीटाइजर स्नान कर आते थे बहुत भयभीत थे पर कर भला तो हो भला की कहावत चरितार्थ हुई
ReplyDeleteलॉकडाउन को जहां विदेशों में वैश्विक महामारी को इतनी गंभीरता से लिया गया कि लोग डर के मारे लोगों के प्राण निकल गए हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने शंख घड़ियाल ताली थाली बजा करके लोगों के मन में एक विश्वास जगाया और उनका अंतर मन मजबूत किया जिससे भारत में लोगों के मन में आत्मविश्वास पैदा हुआ और लोगों ने जंग को जीत कर दिखाया
ReplyDeleteलाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर दशा देखी
ReplyDeleteलगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |अपने गाॅव मे सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं| सब रोजगारों से अच्छा रोजगार
कृषि है जो घर पर रहकरपरिवार के साथ किया जाता है|जाने अनजाने में एवं अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया का कार्अय भी ठीक नही रहा अफवाहे भी उच्च स्त र से फैली अत: वे परिवार तनाव में रहे जिनके सदस्य घर से दूर थे|
कोराना वायरस के उपचार की दवा न होने से हम भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित हैं|
लॉक डाउन की अवधि के दौरान हम सभी बहुत डरे हुए थे कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली। इसके अलावा हमने भक्ति की शक्ति को भी जाना
ReplyDeleteसुंदरकांड , हनुमान चालीसा ,हनुमान अष्टक, बजरंग बाण का प्रतिदिन पाठ कर हमने अपने आसपास ईश्वरीय शक्ति को भी महसूस किया।
लॉकडाउन से सारा जीवन जैसे ठहर सा गया हूं जो जहां वही रहेगा बस रेल हवाई यात्राएं बंद यदि कोई सेवा नहीं रुकी तो वह थी मोबाइल सेवा जो लॉकडाउन में भी अपनों को अपनासहारा था वैश्विक महामारी का कहर बड़ों से लेकर छोटे बच्चों तक के मन को कुरेद रहा था अपनों से सुनी एक बात पर बल था कर भला तो हो भला को लेकर तपती धूप में मैंने निश्चय किया कि गांव से 7 किलोमीटर दूर रीवा में गरीब और बेसहारा लोगों को सेंट्रल किचन से बनने वाले भोजन के वितरण का संकल्प लिया जिसकी प्रेरणा शिक्षक साथी शाहिद परवेज व्याख्याता भौतिक शास्त्र लक्ष्मणपुर के साथ 2 महीने तक निरंतर भोजन वितरण का कार्य किया घर लौटने पर घर के लोग सेनीटाइजर स्नान कर आते थे बहुत भयभीत थे पर कर भला तो हो
ReplyDeleteलॉकडाउन से सारा जीवन जैसे ठहर सा गया हूं जो जहां वही रहेगा बस रेल हवाई यात्राएं बंद यदि कोई सेवा नहीं रुकी तो वह थी मोबाइल सेवा जो लॉकडाउन में भी अपनों को अपनासहारा था वैश्विक महामारी का कहर बड़ों से लेकर छोटे बच्चों तक के मन को कुरेद रहा था अपनों से सुनी एक बात पर बल था कर भला तो हो भला को लेकर तपती धूप में मैंने निश्चय किया कि गांव से 7 किलोमीटर दूर रीवा में गरीब और बेसहारा लोगों को सेंट्रल किचन से बनने वाले भोजन के वितरण का संकल्प लिया जिसकी प्रेरणा शिक्षक साथी शाहिद परवेज व्याख्याता भौतिक शास्त्र लक्ष्मणपुर के साथ 2 महीने तक निरंतर भोजन वितरण का कार्य किया घर लौटने पर घर के लोग सेनीटाइजर स्नान कर आते थे बहुत भयभीत थे पर कर भला तो हो
ReplyDeletelockdown ke samay ham sab nebhat si paresaniyo se ladna sikha sath hi apno ki help ke sath other ki help ki
DeleteLokdoun me online prashikshan or hamara ghar hamara vidhyal ke madhyam se hum apane balko se jude rahe sath samany ne bahut kuchh sikhaya sonu sud jaise riyal hero diya par desh ki janta pareshan hui isse dukh huaa.
Deleteलॉकडाउन को जहां विदेशों में वैश्विक महामारी को इतनी गंभीरता से लिया गया कि लोग डर के मारे लोगों के प्राण निकल गए हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने शंख घड़ियाल ताली थाली बजा करके लोगों के मन में एक विश्वास जगाया और उनका अंतर मन मजबूत किया जिससे भारत में लोगों के मन में आत्मविश्वास पैदा हुआ और लोगों ने जंग को जीत कर दिखाया
ReplyDeleteCovid-19 mahamari ka Bhayanak Roop videshon Mein Dekhkar Bharat mein Ham sab sochte the the key ki yah Hamare Bharat mein nahin a payegi Manga yah Mein Hamari Ham se Hamara Desh bhi nahin bacha isliye Hamare Pradhanmantri Ji Ne lakh down Kiya log ghar mein kaid ho gaye Sare Vidyalay aur Sarkari Vibhag private Vibhag tatha factory band Karva Di gai jisse Hamari arthvyavastha dagmag gai nai nai khabren Sanson Ka Dil dehlane Wali e Soch Janm Leti thi parantu Hamare Pradhanmantri Ji Ne diye Jal vah kar Thalaiva kar Logon ke andar aatmvishwas Paida Kiya aur aur savdhani Vrat Ne ki Hidayat Di Gai Logon Ne marks Lagana sanitize karna Shuru kar diya Kyunki is bar Hamari ki ki koi dawai Nahin Hai Suraksha distancing marks Lagana send price karna na Khuda Ko Bheed Mein Jaane Se Bachana
ReplyDeleteऐसा लगा जैसे जिंदगी थम गयी हो जिंदगी बहुत कीमती लगने लगी थी। अपनों के खोने का भय सताने लगा था हर समय भयभीत रहते थे कि आज किस अपने की बारी है मन सिहर उठता था और हम इतना बेबस कभी न हुए आखों के सामने मौत का मंज़र देख कर।
ReplyDeleteबेरोजगारी बढ़ी।लोगो मे जागरूकतै आई।
ReplyDeleteफरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
ReplyDeleteलॉकडाऊन अवधि के दौरान मजदूरों की दशा देखकर मन व्यथित हुआ सोनू सूद साहब के प्रयासों से मन को सुकून प्राप्त हुआ
ReplyDeleteSahi hai sir ji
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Deleteलाक डाउन , मेरे जीवन का अनोखा में हो रहा है। मैं रोज 8- 10 किलोमीटर सैर करने वाला , चारदीवारी में सिमटकर रह गया । कोविड-19 में कभी भी कोई नकारात्मक विचार मुझमें नहीं आया। संतुलित भोजन लेने से इम्यूनिटी बनी रही और मैं भावनात्मक रूप से काफी सशक्त रहा।वाट्स ऐप ग्रुप में छात्रों के संपर्क में रहकर डिजिलेप द्वारा पढ़ाई चलती रही । कुल मिलाकर समय का सदुपयोग करता रहा।
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ReplyDeleteइस कोरोना महामारी ने मानव जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया |कोविड -महामारी के कारण संपूर्ण देश में लोक डाउन लग जाने से
ReplyDeleteलोगों को कई प्रकार की समस्याएं आई | उन्हें अपने घर में बंद होकर रहना पड़ा ,तथा बच्चों की पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ा, और उनकी पढ़ाई कुछ समय के लिए जैसे लगभग चौपट हो गई ,लेकिन हमारी मध्य प्रदेश सरकार ने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए व्हाट्सएप के माध्यम से पढ़ाई को जारी रखा और हमारे शिक्षकों के लिए भी सीएम rise के नाम से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए| जिससे हमारे शिक्षक भाई प्रशिक्षण ले रहे थे, और बच्चों को भी मोबाइल के माध्यम से संपर्क करके गतिविधियों को पढ़ा रहे थे| लेकिन इस लॉकडाउन में मजदूर वर्ग बहुत परेशान रहा क्योंकि यह लोग जो दिन भर कमाते हैं, उसी से अपना पेट भरते हैlockdown की स्थिति में उनकी मजदूरी छिन गई, और उनके पेट भरना दूभर हो गया |लेकिन हमारी मध्य प्रदेश सरकार व कुछ दानवीर आगे आए जिन्होंने इनके लिए राशन ,पानी ,अनाज आदि की व्यवस्था की |जिससे उनको कुछ राहत पहुंची |मैं ईश्वर से कामना करता हूं कि इस प्रकार की covid-19 महामारी अब हमारे भारत में फिर कभी वापस नहीं आए |और यह जल्द से जल्द भारत से खत्म हो जाए|
कोबिड-19 महामारी के दौरान लॉक डाउन से जीवन की गतिविधियों में एकाएक ठहराव सा आ गया,में प्रतिदिन 8से 10 किलो मीटर पैदल घूमता था जो सिमटकर छत पर घूमने तक ही सीमित रह गया।सरकार ने एहतियात के तौर पर वचाव के जो साधन बताये उसका पालन करते हुए स्वम् तथा परिवार को इस महामारी से सुरक्षित रख पाने में सफल रहे।इस दौरान सामाजिक रूप से मिलना-जुलना कम होने से दूरी देखने को मिली,एकाकी जीवन जीने का अलग प्रकार का अनुभव महसूस किया।इस दौर में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में राशन वितरण के दरम्यान दूरी एवं मास्क के उपयोग के साधन अपनाने हेतु हितग्राहियों को जागरूक किया।
ReplyDeleteकोरोना संक्रामक बीमारी है बचाव ही उपचार है
Deleteलॉकडाउन के समय घर पर रहने के कारण दिनभर टीवी पर समाचार चैनल पर विदेशों में हो रही मौतों पर समाचार दिखाए जाते थे जिससे भय उत्पन्न होता था ।ऐसे समय में दूरदर्शन पर रामायण एवं महाभारत सीरियल से संबल मिला एवं हम भावनात्मक रूप से सुदृढ़ हुए।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
लॉकडाउन के दौरान एक भाई का माहौल बना हुआ था और उस डर के माहौल में सभी अपने अपने घरों में बंद थे एक मोबाइल ही था जिसके माध्यम से विद्यार्थियों की पढ़ाई को जारी रखा जा सकता था अतः प्रश्नोत्तरी ई लर्निंग वीडियोस कहानियां कार्टून आदि के माध्यम से विद्यार्थियों को जोड़ा जिससे एक सकारात्मक ऊर्जा का विस्तार हुआ पारिवारिक रूप से भी इस दौरान एक अच्छा अनुभव प्राप्त हुआ घर परिवार के बीच रहते हुए अधिक से अधिक कार्य करना एवं सभी से जुड़ने का अवसर प्राप्त हुआ
ReplyDeleteलॉक डाउन के कारण देश और विदेश में जो उहापोह की स्थितियाँ निर्मित होती रही उनसे दिल दहल जाता था । हर कोई स्वयं और परिवार की महामारी से सुरक्षा के लिये तो चिंतित रहा ही साथ ही उनके भरण पोषण की भी चिंता सताती रही ।
ReplyDeleteकोविड-19 महामारी प्रारंभ में कुछ स्पष्ट जानकारी ना होने की वजह से लोगों के अंदर भ्रम की स्थिति बनी रही लोग अफवाह का भी शिकार हुए दूरदराज निवास करने वाले लोग अपने घर को बिना वाहन के ही पलायन करने लगे पैदल यात्रा करके जल्द से जल्द अपने घर पहुंचना चाहते थे ऐसे भयावह दृश्य टीवी मीडिया इंटरनेट पर काफी देखे गए घर में रहकर भी हमें काफी खाने पीने की चीजों का डर सताने लगा बाजार बंद कर दिए लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा सड़कें बाजार सब सुनसान दिखाई देने लगा जैसे जीवन थम सा गया हो इस दृश्य को देखकर घर में रह रहे लोगों के मन में बुरे बुरे ख्याल आने लगे जब बोर होते तो टीवी मोबाइल टीवी का सहारा लेकर काफी समय व्यतीत किया
ReplyDeleteकोविड-19 की परिस्थितियों में लॉकडाउन के दौरान सभी अपने अपने घरों में स्थिर रहे ।कई लोगों के व्यवसाय से छिन गए ।काम नहीं मिला गरीबी भी फैलने लगी |मनुष्य अपने आप को असहाय समझने लगा । कई प्रकार की समस्याएं आने लगी। बच्चों को देखें तो बच्चों की पढ़ाई स्थिर हो गई कोई कहीं जा नहीं सकता था ।कोरोनावायरस का डर इस तरह फैल गया था जैसे कि कोई भूकंप आया हो या बाढ़ आई हो या इस प्रकार की स्थितियां बन गई थी ।सभी लोग डरे डरे सहमे सहमे से रहने लगे थे।
ReplyDeleteलाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर दशा देखी
ReplyDeleteलगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |अपने गाॅव मे सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं| सब रोजगारों से अच्छा रोजगार
कृषि है जो घर पर रहकरपरिवार के साथ किया जाता है|जाने अनजाने में एवं अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया का कार्अय भी ठीक नही रहा अफवाहे भी उच्च स्त र से फैली अत: वे परिवार तनाव में रहे जिनके सदस्य घर से दूर थे|
कोराना वायरस के उपचार की दवा न होने से हम भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित हैं
अचानक लगा कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली। इसके अलावा हमने भक्ति की शक्ति को भी जाना
ReplyDeleteऐसा लगा जैसे जिन्दगी थम सी गई हो। समय बिताना काफी मुस्किल हो गया था। गली सडक और मोहल्ला सब वीरन सा लगता था। दूर दूर तक कोई दिखाई नही देता था ऐसा मंजर हमने कभी नही देखा था। वो समय काफी कष्ट दायक था।
ReplyDeleteमार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह lakdown कर दिया यह समय प्राथमिक, माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाकडाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा, अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
ReplyDeleteअपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित करें जो लॉकडाउन की अवधि के दौरान हुए थे। आपने उन भावनाओं का सामना कैसे किया?
ReplyDeleteचिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
उपरोक्त संदर्भ में जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था। उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे। क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग खडे होने की वजह से हम घर दुपके बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।
एक शिक्षक के लिए चिंतन के दो प्रमुख पहलू होते हैं-पहला उसका परिवार और दूसरा उसका विद्यालय। हमें स्वयं की, अपने परिवार जनों की और हमारे विद्यार्थियों की स्वास्थ्य की चिंता दिन-रात रहती थी। दूसरी ओर लॉकडाउन में ही सीएम राइस प्रशिक्षणो का उदय हो चुका था। जो हमें हमारे छात्रों से फोन पर जुड़े रहने में मदद कर रहा था।
लाकडाउन के दौरान,मजदूर भाइयों के काम छोड़ कर घर वापसी के वीडियोस मन की संवेदना को झकझोर रहे थे। हमारे कुछ मित्रों ने मिलकर स्वयंसेवा के रूप में, इनके भोजन-पानी,कपड़ा-मास्क आदि की इन्हें मदद के रूप में एक कार योजना बनाई। और सुरक्षात्मक तरीके अपनाते हुए हम लोगों ने धीरे धीरे घर से बाहर निकलना शुरू किया।
इस विषम और भयावह परिस्थिति में, मेरा और घर के सदस्यों का धैर्य ना टूटे,हमरी सोच सकारात्मक बनी रहे इस हेतु हम प्रतिदिन सुबह-शाम अपने जीवन अनुभवों को लेकर परिवार में चर्चा करते थे, और सकारात्मक संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से स्वजनों को शेयर करते थे। ताकि हम से ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोगों तक सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश पहुंचाया जा सके। वहीं अपनी छत पर व्यायाम कर अपने साथ परिवार जनों को भी स्वस्थ रखने के लिए प्रेरित किया करते थे।
इस प्रकार हम ने खुद को और दूसरों को भी इस वैश्विक महामारी के दौरान-स्वस्थ रहने का प्रयास व प्रेरणा देते रहे। और अपना कर्तव्य अपनी और दूसरों की मदद करते हुए निभाया।
लॉक डाउन की अवधि के दौरान हम सभी बहुत डरे हुए थे कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली।
Cobid 19 महामारी के बंद के दौरान सभी क्षेत्रों में इसका बुरा प्रभाव पड़ा, पूरी अर्थव्यवस्था अपनी स्थैतिक अवस्था मे आ गई थी। शैक्षिक गतिविधिया पूरी तरह से प्रभावित हुई । बच्चो के स्वस्थ की चिंता के कारण विद्यालय अभी तक बंद है,छात्रों की पढ़ाई न रुके इसके लिए शासन स्तर से ऑन लाइन गतिविधियों का संचालन किया गया,जिसमे सूचना प्रद्योगिकी ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।मोबाईल, रेडियो, तथा ऑफ लाइन गतिविधिया, जैसे मेरा घर मेरा विद्यालय ,मोहल्ला क्लास आदि के द्वारा बहुत हद तक
ReplyDeleteपढ़ाई में आने वाली बाधाओं को हल किया गया
साथ ही अभिभावकों के सहयोग तथा मोबाइल द्वारा शिक्षको के दिशा निर्देशो द्वारा छात्रों की पढ़ाई जारी रखी गई।
लॉकडाउन को जहां विदेशों में वैश्विक महामारी को इतनी गंभीरता से लिया गया कि लोग डर के मारे लोगों के प्राण निकल गए हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने शंख घड़ियाल ताली थाली बजा करके लोगों के मन में एक विश्वास जगाया और उनका अंतर मन मजबूत किया जिससे भारत में लोगों के मन में आत्मविश्वास पैदा हुआ और लोगों ने जंग को जीत कर दिखाया
ReplyDeleteलॉक डाउन अचानक लगने के कारण जनता को बहुत परेशानी उठानी पड़ी जैसे यातायात बंद हो जाने एवं दुकानें बंद होने के कारण के घरों का सामान खत्म होने के बच्चों एंव बड़ो को भूखा रहना पड़।
ReplyDeleteशुरुआत में बहुत डर लगता था,ऐसा लगा जैसे जिन्दगी थम सी गई हो। समय बिताना काफी मुस्किल हो गया था। गली सडक और मोहल्ला सब वीरन सा लगता था। दूर दूर तक कोई दिखाई नही देता था ऐसा मंजर हमने कभी नही देखा था। वो समय काफी कष्ट दायक था।
ReplyDeleteऐसा लगा जैसे जिन्दगी थम सी गई हो। समय बिताना काफी मुस्किल हो गया था। गली सडक और मोहल्ला सब वीरन सा लगता था। दूर दूर तक कोई दिखाई नही देता था ऐसा मंजर हमने कभी नही देखा था। वो समय काफी कष्ट दायक था
ReplyDeleteLockdown Ne sabhi ko Kafi Sare Anubhav Diye Hain Sabhi Ko Ye Sikhaya hai ki Hamen Aane Wale Dinon ke liye taiyar Rahana chahie Rojgar Aur sehat Ke Prati sabhi ko Jagran Kiya Hai
ReplyDeleteएक डर का माहौल निर्मित हो गया और दूसरा या के साथ में रहने के जो समय नहीं प्राप्त हो पाता था सभी का एक साथ बैठना उतना रहना घर पर इतने लंबे समय तक काम और कार्य की व्यवस्था व्यस्तता के कारण कभी इतना समय साथ में रहने को नहीं मिला यह भी एक अच्छा अनुभव रहा अभी भी बना हुआ है
ReplyDeleteलाकडाउन का अनुभव हमारे जीवन का नया अनुभव रहा इससे पूर्व कभी ऐसी परिस्थिति नहीं आई ऐसी बीमारी जिसमें सभी शालाएं बंद थी सभी जनता घर के अंदर बंद थी घर के बाहर निकलने में डर लगता था ऐसी परिस्थिति में छात्राओं से सम्पर्क मात्र मोबाइल से ही हो सकता है
ReplyDeleteऐसी स्थिति की कभी कल्पना ही नहीं थी कई छात्राओं ने मोबाईल नम्बर दिया था वह भी बंद था ऐसी परिस्थिति में सभी छात्राओं का मोबाइल नम्बर लेना चुनौतीपूर्ण कार्य था
हमने सभी छात्राओं से चर्चा की उनकी सहेली के सम्बन्ध में बात की ये अच्छी बात रही कि छात्राओं के पास अपनी सहेली के नंबर थे इसलिए आसानी से सबके नंबर मिल गए
सभी छात्राओं एवं उनके पालकों से सम्पर्क किया गया तथा ऑनलाइन शिक्षण कार्य के लिए प्रेरित किया शुरू में कुछ समस्या हुई फिर सभी छात्राएं जिनके पास एंड्राइड मोबाइल थे सभी ने पढ़ाई प्रारम्भ कर दी और जिनके पास एंड्राइड मोबाइल नहीं थे उनके लिए रेडियो प्रोग्राम से पढ़ाई करने हेतु कहा गया तथा प्रतिदिन सभी से फोन कर पूछा भी गया जिससे उन्होंने निरंतर प्रोग्राम देखकर पढ़ाई की
इस प्रकार का अनुभव विशेष रहा
अल्का बैंस प्राथमिक शाला कुकड़ा जगत छिन्दवाड़ा।
ReplyDeleteजीवन में पहली बार मेरे द्वारा लॉकडॉउन जैसी स्थिति देखी गई। जब मार्च में पहला lockdown लगा उस समय ऐसे मानसिक, भावनात्मक अनुभव प्रतीत हुए जो पहले कभी नहीं हुए थे।
सबसे पहले यह लगा की भागदौड़ भरे जीवन में हम जानबूझकर अनावश्यक कार्यों में ऐसे उलझे रहते हैं कि स्वयं और परिवार के लिए समय ही भी निकाल पाते।
Lockdown में ज़्यादातर समय टेलीविजन पर यह देखते देखते बीता की किस प्रकार देश कि रीढ़ रूप मजदूर शक्ति रोज़गार और धन के आभाव में पैदल हजारों किलोमीटर चलकर घर लौटने को मजबूर हैं। जब सर देश अंदर घरों में बंद है तब ये मजदूर न केवल परेशान हो रहे थे बल्कि इससे संक्रमण का भी खतरा कई गुना बढ़ गया था। अनेक व्यवसाय चौपट हो गए। स्कूल कॉलेज बंद हो गए जिससे बच्चो कि शिक्षा पर भी बहुत गहरा असर हुआ।
कुल मिलाकर हमें तीन महत्वपूर्ण चीज़ों की अहमियत पता चली। अपने स्वास्थ्य के महत्व की, परिवारजनों के लगाव और अपनेपन की और आर्थिक रूप से सक्षम होने के लिए आवश्यक वित्तीय प्रबंधन के महत्व की। इससे हमें आने वाले भविष्य के लिए सावधान होने व तैयार रहने की अहमियत पता चली।
लाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर दशा देखी
ReplyDeleteलगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |अपने गाॅव मे सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं| सब रोजगारों से अच्छा रोजगार
कृषि है जो घर पर रहकरपरिवार के साथ किया जाता है|
लॉक डाउन की अवधि के दौरान हम सभी बहुत डरे हुए थे कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली। इसके अलावा हमने भक्ति की शक्ति को भी जानासभी छात्राओं एवं उनके पालकों से सम्पर्क किया गया तथा ऑनलाइन शिक्षण कार्य के लिए प्रेरित किया शुरू में कुछ समस्या हुई फिर सभी छात्राएं जिनके पास एंड्राइड मोबाइल थे सभी ने पढ़ाई प्रारम्भ कर दी और जिनके पास एंड्राइड मोबाइल नहीं थे उनके लिए रेडियो प्रोग्राम से पढ़ाई करने हेतु कहा गया तथा प्रतिदिन सभी से फोन कर पूछा भी गया जिससे उन्होंने निरंतर प्रोग्राम देखकर पढ़ाई की
ReplyDeleteमोहम्मद अजीम सहायक अध्यापक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रैगांव जिला सतना
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान विभिन्न प्रकार के संवेदनशील दृश्य सामने आ रहे थे चाहे वह मजदूरों का पलायन हो या भूख से कराहती आबादी टेलीविजन पर यह दृश्य देख कर मन बहुत विचलित हो जाता था हमसे भी जो हो सका हमने लोगों की मदद की
Corona mahamari ne manav jeevan ko puri tarah se asthvyasth kar diya sampoorn desh me lockdown lag jane se logo ko apne ghar me band hokar rehna pda or bachcho ki padai per bahut bura asar pda lekin whatsapp ke jariye sarkar ne padai jaari rakhi lekin majdoor barg sabse adhik paresan rha
ReplyDeleteकोरोना काल में लाॅकडाउन के दौरान मन बहुत व्यथित था कि इसका दूरगामी परिणाम क्या होने वाला है साथ सबसे मजदूरों की पीड़ा ने सबसे ज्यादा दुखी किया जो नंगे पांव भूखे पेट अपने आशियाने की और लौट रहे थे।
ReplyDeleteलॉक डाउन की अवधि के दौरान हम सभी बहुत डरे हुए थे कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली। इसके अलावा हमने भक्ति की शक्ति को भी जानासभी छात्राओं एवं उनके पालकों से सम्पर्क किया गया तथा ऑनलाइन शिक्षण कार्य के लिए प्रेरित किया शुरू में कुछ समस्या हुई फिर सभी छात्राएं जिनके पास एंड्राइड मोबाइल थे सभी ने पढ़ाई प्रारम्भ कर दी और जिनके पास एंड्राइड मोबाइल नहीं थे उनके लिए रेडियो प्रोग्राम से पढ़ाई करने हेतु कहा गया तथा प्रतिदिन सभी से फोन कर पूछा भी गया जिससे उन्होंने निरंतर प्रोग्राम देखकर पढ़ाई की।आज भी वो सबबाते याद करके एक अलग ही मंजर दिखाई देता है।
ReplyDelete"लाकडाउन" अर्थात तालाबंदी के समय जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था। उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे। क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग खडे होने की वजह से हम घर दुपके बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।कोरोना काल में लाॅकडाउन के दौरान मन बहुत व्यथित था कि इसका दूरगामी परिणाम क्या होने वाला है साथ सबसे मजदूरों की पीड़ा ने सबसे ज्यादा दुखी किया जो नंगे पांव भूखे पेट अपने आशियाने की और लौट रहे थे।
ReplyDeleteप्रधानमंत्री महोदय जी ने शंख ,घडियाल ताली बजा करके लोगों के मन में एक विश्वास जगाया और अंतर मन मजबूत किया ,जिससे भारतीयों के मन में आत्मविश्वास पैदा हुआ और लोगों ने जंग को जीतकर दिखाया ।एक दिन इस
ReplyDeleteजंग में हम सफल होगा।
सुनिल सिसोदिया शासकीय माध्यमिक मुण्डला जेतकरण
कोशिश काल में बच्चों को पढ़ाया जाता है और बच्चे बीडीओ के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं तथा बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भी बराबर शिक्षा प्रदान करने की चुनौती है
ReplyDeleteकोर्णाक ऑल में बच्चों को पढ़ाया जाता है और बच्चे वीडियो के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं तथा बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भी बराबर शिक्षा प्रदान करने की चुनौती है हमारा घर हमारे विद्यालय के माध्यम से घर-घर जाकर उनसे संपर्क कर पढ़ाई के बारे में बताया जा रहा है।
ReplyDeleteऐंसा लग रहा था ज़िन्दगी थम गई हो घर से निकलना बंद हो गया था । अपनों को खोने डर बना रहता था । सड़कें सूनी पुलिस गाड़ी की सायरन आवाज सुनाई देती थी डर
ReplyDeleteका माहौल था ।
लाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर दशा देखी
ReplyDeleteलगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |अपने गाॅव मे सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं| सब रोजगारों से अच्छा रोजगार
कृषि है जो घर पर रहकरपरिवार के साथ किया जाता है|जाने अनजाने में एवं अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया का कार्अय भी ठीक नही रहा अफवाहे भी उच्च स्त र से फैली अत: वे परिवार तनाव में रहे जिनके सदस्य घर से दूर थे|
कोराना वायरस के उपचार की दवा न होने से हम भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित हैं
कोविड 19 के कारण, जिंदगी थम गयी, अचानक इस अनजानी संक्रामक विपदा से समूचा विश्व भयभीत ही गया, सिर्फ इसका बचाव ही इसका इलाज़ है !सभी ने बड़े धैर्य से इस आपदा का सामना किया है, छात्रों को विभिन्न आधुनिक तरीकों से, कोविद के नियमों का पालन करते हुए शिक्षा देने का प्रयास किया है !
ReplyDeleteसंतोष मुदगल शा प्रा वि महोना, संकुल -पिछोर (डबरा )ग्वालियर
कोविड-19 के कारण जिंदगी थम गई,अचानक इस अनजानी संक्रामक विपदा से समूचा विश्व भयभीत हो गया। सिर्फ इसका बचाव ही इसका इलाज है। सभी ने बड़े धैर्य से इस आपदा का सामना किया। छात्रों को विभिन्न आधुनिक तरीको से, कोविड-19 के नियमो का पालन करते हुए। बच्चो को शिक्षा देने का प्रयास किया गया है।
ReplyDeleteकोविड-19में ऐसा लगा जैसे जिंदगी थम सी गई हो। समय बिताना काफी मुस्किल हो गया था। गली सड़क और मोहल्ला सव वीरान लगता था। दूर दूर तक कोई दिखाई नहीं देता था। ऐसा मंजर हमने पहले कभी नहीं देखा था। वो समय काफी कष्ट दायक था।
ReplyDeleteकोविड-19के कारण जिंदगी थम गई।अचानक इस अनजानी संक्रामक विपदा से समूचा विश्व भयभीत हो गया। सिर्फ इसका बचाव ही इसका ईलाज है। सभी ने बड़े धैर्य से इस आपदा का सामना किया। छात्रों को विभिन्न आधुनिक तरीको से, कोविड-19 के नियमो का पालन करते हुए। बच्चो को शिक्षा देने का प्रयास किया गया है।
ReplyDeleteJindagi tham gayi.gali, mohalla,gaon ,kasbe,shahar, sabhi band the.mently distribution tha. In the future what happens.corona ke karan jindagi jane ka dar tha.
ReplyDeleteलॉक डाउन की महामारी में भी मेरी सोच सकारात्मक बनी रही कोरोना प्रतिबंधित क्षेत्रों में शासन के आदेशानुसार ड्यूटी कर लोगों में संक्रमण के बचाव हेतु जागरूकता का संदेश पहुंचाया ज्यादातर मजदूर वर्ग को परेशानी का सामना करना पड़ा फिर भी शासन सामाजिक संस्थाओं सामाजिक वर्ग के लोगों ने प्रत्येक स्तर से उनकी सहायता की जो सराहनीय और भारत की एकता का प्रतीक है
ReplyDeleteLockdown me samay mujhe pariwar our school me bachcho ki fikra ho rhi thi ki inki shiksha our bhojan ki vyavashtha kaise hogi
ReplyDeleteलॉकडाउन के समय घर पर रहने के कारण दिनभर टीवी पर समाचार चैनल पर विदेशों में हो रही मौतों पर समाचार दिखाए जाते थे जिससे भय उत्पन्न होता था ।ऐसे समय में दूरदर्शन पर रामायण एवं महाभारत सीरियल से संबल मिला एवं हम भावनात्मक रूप से सुदृढ़ हुए।
ReplyDeleteलाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुई रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर्दशा देखी लगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |
ReplyDeleteलॉकडाउन को जहां विदेशों में वैश्विक महामारी को इतनी गंभीरता से लिया गया कि डर के मारे लोगों के प्राण निकल गए, हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने शंख, घड़ियाल ताली-थाली बजा करके लोगों के मन में एक विश्वास जगाया और उनका अंतर मन मजबूत किया जिससे भारत में लोगों के मन में आत्मविश्वास पैदा हुआ और लोगों ने जंग को जीत कर दिखाया |
लॉकडाउन के समय घर पर रहने के कारण दिनभर टीवी पर समाचार चैनल पर विदेशों में हो रही मौतों पर समाचार दिखाए जाते थे जिससे भय उत्पन्न होता था ।ऐसे समय में दूरदर्शन पर रामायण एवं महाभारत सीरियल से संबल मिला एवं हम भावनात्मक रूप से सुदृढ़ हुए।
REPLY
Covid-19 ki paristhitiyon mein lockdown ke dauran sabhi Apne gharon mein sthit rahe Kai Logon ke chhin gaye Kam Nahin Mila Garibi bhi Bahane Lagi manushya apne aap ko samajhne laga Kai Prakar Ki samasyaen Aane Lagi bacchon ki padhaai sthit ho gai Koi Kahin Ja nhi sakta tha coronavirus Kadar Is Tarah file gaya tha jaise ki koi Bhukamp Aaya ho ya badh I Ho Sabhi log Dhare Dhare tatha sehma sehma se Rahane Lage the coronavirus ka upchar Ki Dava na hone se Ham Bhavishya Ki Shiksha Kaisi Hogi aashankit Hain
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिए घरों में बंद था हम लोग भी सह परिवार टेलीविजन फोन आदि के माध्यम से अपने संबंधियों अपने बच्चों से जुड़े रहे साथ ही बच्चों के साथ फोन से संपर्क करते रहे देश में हो रही मजदूर में गरीबों की दुर्दशा को टीवी के माध्यम से देखते रहे सरकार द्वारा दी जा रही सलाह का पालन करते रहे घर पर रहकर स्वस्थ रहने के उपाय जैसे खानपान व्यायाम योग आदि करते रहे बच्चों से निरंतर संपर्क कर उन्हें पढ़ने स्वस्थ रहने और कोरोना महामारी से बचने के उपाय सुझाव दे रहे
ReplyDeleteलॉकडाउन को जहां विदेशों में वैश्विक महामारी को इतनी गंभीरता से लिया गया कि लोग डर के मारे लोगों के प्राण निकल गए हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने शंख घड़ियाल ताली थाली बजा करके लोगों के मन में एक विश्वास जगाया और उनका अंतर मन मजबूत किया जिससे भारत में लोगों के मन में आत्मविश्वास पैदा हुआ और लोगों ने जंग को जीत कर दिखाया
ReplyDeleteLockdown ke samay sbhi or bhay ka vatawaran tha ese samay me Doordarshan pr dikhaye gaye ramayan , mahabharat adi serialo se logo ka manobal badha.
ReplyDeleteमें योगेन्द्र सिंह रघुवंशी GMS बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी लोकडाउं न का अलग अनुभव रहा समझ विकसित हुई की काम करने का जो आनंद है वो अलग होता है साथ ही न्यू सोच विकसित हुई ऑन लाइन टीचिंग की और घर बैठे काम भी हो सकता है
ReplyDeleteSandhya Gautam
ReplyDeleteBlock-Sohawal
District-Satna
इस विश्व व्यापी महामारी covid 19 के दौर में हुए लॉकडाउन ने देश की गरीबी का आईना दिखा दिया।हमें चिंतन पर मजबूर कर दिया कि हमारे देश का मजदूर वर्ग कितना बेबस और लाचार है।पलायन की तस्वीरों ने 1947 के भारत और 2020 के भारत के बीच सिर्फ फ़ोटो और वीडियो कलर फुल हो गए बस इतना अंतर ही नजर आया।
लॉक डाउन ने बहुत से सबक दिए।कहीं कहीं हमने अपने आपको भावनात्मक रूप से कमजोर भी पाया।और फिर इन कमियों को दूर करने के लिए हम शिक्षक समाज में क्या भूमिका निभा सकते हैं इस पर विचार किया तो पाया कि जन जागरूकता और शिक्षा के द्वारा ही देश की दिशा दशा को बदला जा सकता है।जनता को स्वम् जागरूक होकर अपने बच्चों को पढ़ाने भेजना होगा, शिक्षा को पहली आवश्यकता में शामिल करना होगा, हम शासकीय शिक्षकों को हमारे कार्य में सहयोग करना होगा तभी सभी उच्च स्तरीय जीवन जी सकते हैं।
और हमने भी अपनी तरफ से व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर अध्ययन सामग्री, वीडियो बच्चों को भेजे की आप पढ़ते रहिये, अपना सीखना जारी रखिए।
इस तरह अपना ध्यान रचनात्मक कार्यों में लगाकर भावनाओं को सही दिशा दी।
।। धन्यवाद।।
Covid-19 mahamary k time poore Bharat varsh m sannata pasar gya tha.sabhi deshbasi aane wale kal ki surachha k liya chintit hone lage.parantu PM Modi ji k guidence s sab thik ho rha hai.
ReplyDeleteलॉकडाउन पहली बार हुआ ऐसी परिस्थिति पहले कभी नही आई ऐसी परिस्थिति में घर के अंदर ही रहना बहुत बड़ा काम था घर पर रहकर कुछ घर के कार्य करने के पश्चात घर के सभी सदस्यो के साथ खेल खेलना शुरू किया कैरम, लूडो खेलकर समय बिताया इस महा मारी से निजात पाने हेतु ईश्वर से प्रार्थना की रोज हनुमान चालीसा का पाठ एवम रामायण का पाठ कर इस महामारी से छुटकारा पाने के लिये ईश्वर से प्रार्थना की
ReplyDeleteअचानक हुए लॉकडाउन से शाला की छात्राओं से सिर्फ फोन पर ही संपर्क करने का प्रयास किया जिनके मोबाइल नम्बर मालूम नही थे उनकी सहेली से नम्बर लेकर सम्पर्क किया तथा उन्हें डिजिटल ऑनलाइन पढ़ाई के बारे में जानकारी देकर जोड़ा गया
ऐसी विषम परिस्थिति मैने अपने जीवन मे कभी नही देखी
इस दौरान सभी लोगो को अनेक समस्या ओ का सामना करना पड़ा।पर सभी ने मिलकर इसका सामना किया।
ReplyDeleteलेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली। इसके अलावा हमने भक्ति की शक्ति को भी जाना
ReplyDeleteलाकडाउन" अर्थात तालाबंदी के समय जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था। उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे। क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग खडे होने की वजह से हम घर दुपके बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।
ReplyDeleteNamaskar Saathiya main Vipin Kumar Gila madhyamik Shiksha madhyamik Shala bhajiya Dana jila Hoshangabad jahan tak Laga down ka Anubhav ki baat hai jab Laga down Laga to money man mein chinta hai badh Gaye ki aage is jivan ka kya hoga hamare rojgar on ka kya hoga hamare Jo Bhai bahan dusre saharon mein main naukari yah kam dhandha kar rahe hain UN logon ka kya hoga jab Jaise Jaise media ke dwara news prabhavit ki gai is bare mein ham log Aatank chinta nahin the ki is duniya mein ab jina mushkil Ho Gaya parantu hamare aadarniy Pradhanmantri mananiy Shri Narendra Modi ji ke dwara samay samay per Tali bajana sankhya Jana aadi ke dwara sabko ektrit karke Prerna roop Diya Gaya jisse sabhi ka manobal bada Aaj ham unhen ki badaulat is mukam per Hain ki Aaj humne covid-19 ko kabu kar liya hai yah bimari purn roop se to khatm nahin hui hai parantu aaj unhen ke prayas hone se ham Apne a kamon par paune Laut Hain Pune udyog dhandhe naukariyan RD chalu hui hai parantu abhi Vidyalay chalu nahin hua hai hamen Vidyalay ko chalu karne se purv vibhinn prakar ki savdhaniyan ko Dhyan mein rakhna padega mere dwara ine Dinon mein ghar per meri aur meri shrimati Ji ke dwara mast banae Gaye tatha sala ke bacchon ko aur gaon ke aadmiyon ko mask bete Gaye dhanyvad
ReplyDeleteNamaskar Sathiyon main Vipin Kumar Jila Madhyamik Shiksha Madhyamik Shala bhajiya Dana Vikas Khand suhagpur Jila Hoshangabad jahan tak covid-19 Mein lockdown ki Anubhav ke bare mein baat hai Jaise hi Laga down Laga sabhi janon ko Apne Swasthya Apne Parivar aur apne Hue Sathi jo ki bahar dusre shahron Mein kam kar rahe hain unke Prati Chinta badh Gai ab ine logon ka Rojgar ka kya hoga jo majdur work kam kar rahe the Unka kya hoga Aise Mein Hamare Pradhanmantri mananiy Shri Narendra Modi ji ke dwara Samay Samay par Deepak Jalana Shankh bajana Thali bajana Aadi vyaktiyon ko ektrit karne sambandhit Kai karykram organised kiye Gaye Jiske dwara vyaktiyon ke Man Mein Ek Prerna Jagi ki Ham is Rog se bhi Lad sakte hain tatha Kai janon ke dwara Jo palayan karne wale majdur log the UN Logon ke liye bhojan Vitran Kiya Gaya Sabhi Ne usmein Sahyog Kiya Gaya is tarike se a is karykram Ko purn Kiya Gaya aur aaj Hamesha per Hain Ki Humne covid-19 Jaisi mami Mari ko Kuchh hadtal Kabu Pa Liya Hai yadi vyakti Har vyakti mask Laga Samajik Duri banae rakhega tatha Bhilwada wale sthanon per kam Jayega aur Nimit Pratidin Hath dho Agar aur apni saaf Safai rakhega To Ham is Bimari ko Kabu Pa sakte hain dhanyvad
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान घर में यदि किसी को बुखार खांसी जुकाम होता था! तो बहुत डर लगता था ! प्राइवेट डॉक्टर देखने से मना कर देते थे ! कहते थे, सरकारी मैं जाओ, सरकारी में positive के निकलने का भय बना रहता था! डर के मारे घर पर ही थोड़ा बहुत उपचार कर लिया करते थे! कहीं पर भी आना जाना नहीं होता था ! प्रधानमंत्री टीवी पर जनता का बार-बार मनोबल बढ़ाते थे !और सावधानियों के बारे में समझाते थे !जो सकारात्मक सोच वालों के लिए अमृतमय वातावरण था !धन्यवाद !
ReplyDeleteलॉकडाउन" के दौरान जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था,उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,स्वास्थ्य कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग रहने से हम घर बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।
ReplyDeleteएक शिक्षक के लिए चिंतन के दो प्रमुख पहलू होते हैं-
पहला उसका परिवार।
दूसरा उसका विद्यालय।
इस दौरान हमारे परिजन,रिश्तेदार एवं मित्रगण दूरस्थ स्थानों पर जॉब में या अध्ययनरत थे तो दूसरी ओर लॉकडाउन में ही सीएम राइज़ प्रशिक्षणो का उदय हो चुका था जो हमें हमारे छात्रों से ऑनलाइन जुड़े रहने में मदद कर रहा था।
लाकडाउन के दौरान,मजदूरो एवं कामगारों के कार्य स्थल छोड़ कर घर वापसी के वायरल वीडियोज़ मन की संवेदनाओं को झकझोर रहे थे। हमारे कुछ मित्रों ने मिलकर ऐसे लोगों के लिए स्वयं सेवा के रूप में इनके भोजन-पानी,कपड़ा-मास्क आदि सुलभ करवाने हेतु एक योजना बनाई और सुरक्षात्मक तरीके अपनाते हुए हम लोगों ने धीरे-धीरे घर से बाहर निकलना शुरू किया।
इस विषम और भयावह परिस्थिति में मेरा और परिजनों का धैर्य ना टूटे,हमरी सोच सकारात्मक बनी रहे इस हेतु हम प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो घंटे गिटार एवं अन्य रचनात्मक गतिविधियां किया करते और इन क्रियाकलापों के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर उन्हें सकारात्मक संदेश के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते थे ताकि हम से ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोगों तक सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश पहुंचाया जा सके।
इस प्रकार हम ने जुगनू बन कर एक शिक्षक होने का धर्म खुद और दूसरों को भी इस वैश्विक महामारी के दौरान स्वस्थ रह पाने में अपनी और दूसरों की मदद करते हुए निभाया।
इस दौरान बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से ई लर्निंग कंटेंट उपलब्ध करवाया तथा साथ ही शासन के निर्देशानुसार विभिन्न शिक्षा विभागीय योजनाओं यथा - हमारा घर,हमारा विद्यालय........का सफल क्रियान्वयन किया ताकि इस वैश्विक महामरी के दौरान हमारे बच्चों कि पढ़ाई ना छूटे एवं एवं उनकी निरंतरता पूर्ववत यथावत बनी रहे।
तालाबंदी के दौरान भविष्य के प्रति डर चिन्ता मे नींद नही आ रही थी।परिवार के बारे चिन्ताग्रस्त थे।आवश्यक सामग्री नही मिल रही थी।पुलिस का उग्र रूप सुनाई दे रहा था।किन्तु कोविद वायरस ने अभाव मे भी जीना सीखा दिया।
ReplyDeleteनमस्कार शिक्षक साथियों लॉक डाउन की समय अवधि में हम सब लोग अपने अपने घरों में बंद है हमने इस कोरोना वायरस की विषम परिस्थिति में अपनी बहुत सी भावनाओं का अनुभव किया जिसमें हमने यह देखा कि मजदूर वर्ग के लोग अपने व्यवसाय को बंद होने के कारण अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने में असफल हुए जिससे वे पैदल ही अपने घरों की ओर निकल लिए और दर दर भटकते रहे भूखे प्यासे तथा बच्चों को कंधों पर ला दे सड़कों पर रातें बिताई और कई कोसों मीलों की दू दूरी उन्होंने भूखे प्यासे थे कि कैसे विषम स्थिति में लॉकडाउन के दौरान दूसरे गांवों में प्रवेश निषेध और लोगों में लोगों के प्रति हीन भावना भी जागृत हुई जिससे मानवता की भावना मैं लोगों में हीन भावना पैदा हुई कुछ लोगों ने मजदूर वर्ग को म भोजन पानी खाना तथा आवास उपलब्ध कराया यहां सराहनीय धन्यवाद
ReplyDeleteअपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित करें जो लॉकडाउन की अवधि के दौरान हुए थे। आपने उन भावनाओं का सामना कैसे किया?
ReplyDeleteलॉकडाउन जैसा कि नाम ही है सब कुछ बंद हो जाना जिंदगी का स्थिर हो जाना।
मनुष्य का अपने काम से अपने घरों की ओर लौटना, पैदल हजारों किलोमीटर का सफर तय करना। कहानियों में पढ़ा गया था और हकीकत में सामने था । जिससे जो समझ में आता मदद कर रहा था।
मृत्यु एक खौफ बन गई। किसी का बीमार होना एक डर हो गया।
इन सब बातों के बीच में शिक्षक प्रशिक्षक के रूप में अपने परिवार अपने छात्रों से सतत संपर्क में रहते हुए उनको डिप्रेशन से ऊपर लाने का भरसक प्रयास किया। मोबाइल वीडियो के माध्यम से सतत संपर्क में रहते हुए जीवंत संपर्क किया और इस महामारी से बचाव के उपाय स्वयं को और दूसरों को भी बताते रहे। छात्रों को एवं दोस्तों के साथ बेसहारा जिन्हें भोजन प्राप्त नहीं होता उनके लिए व्यवस्था की। विपरीत परिस्थितियों में भी अपने को मजबूत रखते हुए वर्चुअल और गांव में बहुत से शिक्षकों का छात्रों का मनोबल बढ़ाया।
सूनी सड़कें,खामो़श मुहल्लें और मानवीय अविश्वसनीयता का अकल्पनीय नजा़रा महसूस किया है हम सभी ने,,,।
ReplyDeleteबाहर से आने वाले कुछ मजदूर वर्ग की संकटों से भरी असहनीय यात्रा ने जैसे जीवन मृत्यु के फासलें को खत्म ही कर दिया था। उन्हीं में कुछ मासूम बच्चों के संग स्कूल में रुकें। हालातों का दौर ऐसा था कि इन लोगों से स्थानीय लोगों की सामाजिक दूरी तो थी ही पर मानसिक दूरी ने इन्हें अंदर से तोड़ दिया था।एक शिक्षक होने की बाध्यता और शासकीय निर्देशो की वजह से नियमानुसार दूरी और मास्क , सेनेटाइजर का उपयोग कर इनका सहयोग,सेवा और विशेष रूप से मानसिक तनाव से मुक्ति और आत्मविश्वास जागृत करने के प्रयास किए। आत्मसंतुष्टि तो हुई ही कुछ ही दिनों में गांव वालों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहयोग मिला। तब अहसास यह भी हुआ कि समाज में संवेदनशीलता अभी भी मौजूद हैं।बस शिद्दत से उसे जागृत करने के प्रयास किए जाएं ।
सत्यम नेमा सहायक शिक्षक
जेएसके करकबेल विकासखंड गोटेगांव
जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश
ंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंंं
लाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर दशा देखी
ReplyDeleteलगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |अपने गाॅव मे सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं| सब रोजगारों से अच्छा रोजगार
कृषि है जो घर पर रहकरपरिवार के साथ किया जाता है|जाने अनजाने में एवं अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया का कार्अय भी ठीक नही रहा अफवाहे भी उच्च स्त र से फैली अत: वे परिवार तनाव में रहे जिनके सदस्य घर से दूर थे|
कोराना वायरस के उपचार की दवा न होने से हम भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित हैं|
सूनी सड़कें,खामो़श मुहल्लें और मानवीय अविश्वसनीयता का अकल्पनीय नजा़रा महसूस किया है हम सभी ने,,,।
ReplyDeleteबाहर से आने वाले कुछ मजदूर वर्ग की संकटों से भरी असहनीय यात्रा ने जैसे जीवन मृत्यु के फासलें को खत्म ही कर दिया था। उन्हीं में कुछ मासूम बच्चों के संग स्कूल में रुकें। हालातों का दौर ऐसा था कि इन लोगों से स्थानीय लोगों की सामाजिक दूरी तो थी ही पर मानसिक दूरी ने इन्हें अंदर से तोड़ दिया था।एक शिक्षक होने की बाध्यता और शासकीय निर्देशो की वजह से नियमानुसार दूरी और मास्क , सेनेटाइजर का उपयोग कर इनका सहयोग,सेवा और विशेष रूप से मानसिक तनाव से मुक्ति और आत्मविश्वास जागृत करने के प्रयास किए। आत्मसंतुष्टि तो हुई ही कुछ ही दिनों में गांव वालों का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष सहयोग मिला। तब अहसास यह भी हुआ कि समाज में संवेदनशीलता अभी भी मौजूद हैं।बस शिद्दत से उसे जागृत करने के प्रयास किए जाएं ।
सत्यम नेमा सहायक शिक्षक
जेएसके करकबेल विकासखंड गोटेगांव
जिला नरसिंहपुर मध्य प्रदेश
मेरे विचार
ReplyDeleteलाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर दशा देखी
लगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |अपने गाॅव मे सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं| सब रोजगारों से अच्छा रोजगार
कृषि है जो घर पर रहकरपरिवार के साथ किया जाता है|जाने अनजाने में एवं अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया का कार्अय भी ठीक नही रहा अफवाहे भी उच्च स्त र से फैली अत: वे परिवार तनाव में रहे जिनके सदस्य घर से दूर थे|
कोराना वायरस के उपचार की दवा न होने से हम भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित हैं|
नेमवती गौर
सांची
लॉकडाउन के दौरान हम सभी अपने घर पर सुरक्षित थे हाथ धोना,सैनीटाइजर का प्रयोग हमारे लिये परम आवश्यक हो गया है इसके अलावा मास्क, सामाजिक दूरी भी हमारे जीवन का अंग बन गया है।
ReplyDeleteलॉकडाउन" के दौरान जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था,उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,स्वास्थ्य कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग रहने से हम घर बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।
ReplyDeleteएक शिक्षक के लिए चिंतन के दो प्रमुख पहलू होते हैं-
पहला उसका परिवार।
दूसरा उसका विद्यालय।
इस दौरान हमारे परिजन,रिश्तेदार एवं मित्रगण दूरस्थ स्थानों पर जॉब में या अध्ययनरत थे तो दूसरी ओर लॉकडाउन में ही सीएम राइज़ प्रशिक्षणो का उदय हो चुका था जो हमें हमारे छात्रों से ऑनलाइन जुड़े रहने में मदद कर रहा था।
लाकडाउन के दौरान,मजदूरो एवं कामगारों के कार्य स्थल छोड़ कर घर वापसी के वायरल वीडियोज़ मन की संवेदनाओं को झकझोर रहे थे। हमारे कुछ मित्रों ने मिलकर ऐसे लोगों के लिए स्वयं सेवा के रूप में इनके भोजन-पानी,कपड़ा-मास्क आदि सुलभ करवाने हेतु एक योजना बनाई और सुरक्षात्मक तरीके अपनाते हुए हम लोगों ने धीरे-धीरे घर से बाहर निकलना शुरू किया।
इस विषम और भयावह परिस्थिति में मेरा और परिजनों का धैर्य ना टूटे,हमरी सोच सकारात्मक बनी रहे इस हेतु हम प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो घंटे गिटार एवं अन्य रचनात्मक गतिविधियां किया करते और इन क्रियाकलापों के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर उन्हें सकारात्मक संदेश के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते थे ताकि हम से ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोगों तक सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश पहुंचाया जा सके।
इस प्रकार हम ने जुगनू बन कर एक शिक्षक होने का धर्म खुद और दूसरों को भी इस वैश्विक महामारी के दौरान स्वस्थ रह पाने में अपनी और दूसरों की मदद करते हुए निभाया।
इस दौरान बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से ई लर्निंग कंटेंट उपलब्ध करवाया तथा साथ ही शासन के निर्देशानुसार विभिन्न शिक्षा विभागीय योजनाओं यथा - हमारा घर,हमारा विद्यालय........का सफल क्रियान्वयन किया ताकि इस वैश्विक महामरी के दौरान हमारे बच्चों कि पढ़ाई ना छूटे एवं एवं उनकी निरंतरता पूर्ववत यथावत बनी रहे।
ऐसा लगा जैसे जिंदगी थम गयी हो जिंदगी बहुत कीमती लगने लगी थी। अपनों के खोने का भय सताने लगा था हर समय भयभीत रहते थे कि आज किस अपने की बारी है मन सिहर उठता था और हम इतना बेबस कभी न हुए आखों के सामने मौत का मंज़र देख कर।
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ReplyDeleteलाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर दशा देखी
ReplyDeleteलगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |अपने गाॅव मे सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं| सब रोजगारों से अच्छा रोजगार
कृषि है जो घर पर रहकरपरिवार के साथ किया जाता है|
कोविड-19 की परिस्थितियों में लॉकडाउन के दौरान सभी अपने घरों में स्थिर रहे। कई लोगों के व्यवसाय छिन गए ।काम नहीं मिला गरीबी भी फैलने लगी ।मनुष्य अपने आप को असहाय समझने लगा। कई प्रकार की समस्याएं आने लगी। बच्चों की पढ़ाई स्थिर हो गई। कोई कहीं जा नहीं सकता था। कोरोना वायरस का डर इस तरह फैल गया था, जैसे कि कोई भूकंप आया हो, या बाढ़ आई हो। सभी लोग डरे -डरे तथा सहमे- सहमे से रहने लगे थे। कोरोनावायरस के उपचार की दवा ना होने से, हम भविष्य की शिक्षा कैसी होगी ?आशंकित हैं।
ReplyDeleteKovid19महामारी बंद के दौरान प्रत्येक क्षेत्र में इसका बुरा प्रभाव रहा। शैक्षणिक गतिविधियां पूर्णतः प्रभावित रही। छात्रोँ की पढ़ाई न रुके अतः ऑन लाईन और ऑफ लाइन गतिविधियों का संचलन किया गया। मेरा घर मेरा विद्यालय से लेकर मोहल्ला क्लास ने बहुत हद तक पढ़ाई में आने वाली बाधाओं को दूर किया। बच्चो अभिभावकों का सहयोग का परिणाम पढ़ाई निरन्तर जारी है।
ReplyDeleteऐसा लगता जैसे कि मानो जिन्दगी थम गई है आज किसी अपने की बारी है मन सहम सा जाता है आंखों के सामने मौत का मंजर दिखाई देने लगा था। है
ReplyDeleteLockdown के समय हम सब ने बहुत सी परेशानियों से लड़ना सीखा साथ ही अपनो की एवं दूसरो की भी मदद की
ReplyDeleteलॉकडाउन की अवधि के दौरान इस विषम परिस्थिति में बेटे वह विद्यालय के बच्चों की पढ़ाई को लेकर बहुत चिंता होती थी क्योंकि इस तरह पहले कभी विद्यालय बंद लंबे समय तक बंद नहीं रहे तथा हमेशा डर बना रहता है कि परिवार कोई सदस्य कोरोना संक्रमित ना हो जाए इसके साथ ही विद्यालय के बच्चों की पढ़ाई को लेकर भी चिंता होने लगी थी किंतु डिजिटल माध्यम द्वारा विद्यालय के बच्चों के पढ़ाई में काफी मदद साबित हुई तथा इस विषम परिस्थिति में भी ऑनलाइन गतिविधियों के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने में काफी मदद हुई
ReplyDeleteरानी पटेल प्राथमिक शिक्षक
लॉकडाउन को जहां विदेशों में वैश्विक महामारी को इतनी गंभीरता से लिया गया कि लोग डर के मारे लोगों के प्राण निकल गए हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने शंख घड़ियाल ताली थाली बजा करके लोगों के मन में एक विश्वास जगाया और उनका अंतर मन मजबूत किया जिससे भारत में लोगों के मन में आत्मविश्वास पैदा हुआ और लोगों ने जंग को जीत कर दिखाया
ReplyDeleteबेरोजगारी बढ़ी।लोगो मे जागरूकतै आई।
ReplyDeleteEise lga jaise jindgi tham si gyi ho, zindagi bohot kimti lagne lagi, apno ke khone ka bhay satane laga, he samay darr hi laga rehta tha ab kiski baari hai. Humare pradhanmantri ji ke nit- pratidin prayogon dwaara humari himmat ko badaya aur sabhi deshavaasiyon ko is mahamari se ladne ki shakti mili.
ReplyDeleteGMS CHAKGUNDHARA MORARRURAL Gwalior
ReplyDeleteलाकडाउन" अर्थात तालाबंदी के समय जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था। उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे। क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग खडे होने की वजह से हम घर दुपके बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।
एक शिक्षक के लिए चिंतन के दो प्रमुख पहलू होते हैं-पहला उसका परिवार और दूसरा उसका विद्यालय। इस समय हमारी बेटी विश्वविद्यालय में पढ़ रही थी। जिसके स्वास्थ्य की चिंता हमें दिन-रात रहती थी। दूसरी ओर लॉकडाउन में ही सीएम राइस प्रशिक्षणो का उदय हो चुका था। जो हमें हमारे छात्रों से फोन पर जुड़े रहने में मदद कर रहा था।
लाकडाउन के दौरान,मजदूर भाइयों के काम छोड़ कर घर वापसी के वीडियोस मन की संवेदना को झकझोर रहे थे। हमारे कुछ मित्रों ने मिलकर स्वयंसेवा के रूप में, इनके भोजन-पानी,कपड़ा-मास्क आदि की इन्हें मदद के रूप में एक कार्य योजना बनाई। और सुरक्षात्मक तरीके अपनाते हुए हम लोगों ने धीरे धीरे घर से बाहर निकलना शुरू किया।
इस विषम और भयावह परिस्थिति में, मेरा और घर के सदस्यों का धैर्य ना टूटे,हमरी सोच सकारात्मक बनी रहे इस हेतु हम अपने दोस्तों के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो घंटे गिटार बजाया करते थे, और अपने संगीत के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर उन्हें सकारात्मक संदेश के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते थे। ताकि हम से ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोगों तक सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश पहुंचाया जा सके। यही संदेश आत्मक कार्य अपनी छत पर योगा कर अपने साथ दूसरों को भी स्वस्थ रखने के लिए किया करते थे।
इस प्रकार हम ने जुगनू बन कर,एक शिक्षक होने का धर्म खुद और दूसरों को भी इस वैश्विक महामारी के दौरान-,स्वस्थ रह पाने में अपनी और दूसरों की मदद करते हुए निभाया।
लॉकडाउन को जहां विदेशों में वैश्विक महामारी को इतनी गंभीरता से लिया गया कि लोग डर के मारे लोगों के प्राण निकल गए हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने शंख घड़ियाल ताली थाली बजा करके लोगों के मन में एक विश्वास जगाया और उनका अंतर मन मजबूत किया जिससे भारत में लोगों के मन में आत्मविश्वास पैदा हुआ और लोगों ने जंग को जीत कर दिखाया
ReplyDeleteलॉकडाउन को जहां विदेशों में वैश्विक महामारी को इतनी गंभीरता से लिया गया कि लोग डर के मारे लोगों के प्राण निकल गए हमारे प्रधानमंत्री महोदय ने शंख घड़ियाल ताली थाली बजा करके लोगों के मन में एक विश्वास जगाया और उनका अंतर मन मजबूत किया जिससे भारत में लोगों के मन में आत्मविश्वास पैदा हुआ और लोगों ने जंग को जीत कर दिखाया
ReplyDeleteलाॅकडाउन अवधि के दौरान बहुत सी मार्मिक और दुखद घटनाएं समाचार के माध्यम से जानी, परिजनों एवं अन्य जनों की मुश्किलों को देखा तो मन दुखी हुआ। ऐसे हालातों में क्षमता अनुसार सहयोग किया एवं सावधानी बरती ।
ReplyDeleteअपने आध्यात्मिक एवं धार्मिक प्रवृत्ति से प्रेरित होकर ईश्वर से इस विकट अवधि से छुटकारे की प्रार्थना भी की ।
कोविड-19 की परिस्थितियों में लॉकडाउन के दौरान सभी अपने घरों में स्थिर रहे। कई लोगों के व्यवसाय छिन गए ।काम नहीं मिला। गरीबी भी फैलने लगी ।मनुष्य अपने आप को असहाय समझने लगा। कई प्रकार की समस्याएं आने लगी। बच्चों की पढ़ाई स्थिर हो गई ।कोई कहीं जा नहीं सकता था ।कोरोनावायरस का डर इस तरह फैल गया था ,जैसे कि कोई भूकंप आया हो, या बाढ आई हो। सभी लोग डरे- डरे तथा सहमे-सहमे से रहने लगे थे ।कोरोनावायरस के उपचार की दवा ना होने से हम भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित हैं।
ReplyDeleteलॉकडाउन से सारा जीवन जैसे ठहर सा गया हूं जो जहां वही रहेगा बस रेल हवाई यात्राएं बंद यदि कोई सेवा नहीं रुकी तो वह थी मोबाइल सेवा जो लॉकडाउन में भी अपनों को अपनासहारा था वैश्विक महामारी का कहर बड़ों से लेकर छोटे बच्चों तक के मन को कुरेद रहा था अपनों से सुनी एक बात पर बल था कर भला तो हो भला को लेकर तपती धूप में मैंने निश्चय किया कि गांव से 7 किलोमीटर दूर रीवा में गरीब और बेसहारा लोगों को सेंट्रल किचन से बनने वाले भोजन के वितरण का संकल्प लिया जिसकी प्रेरणा शिक्षक साथी शाहिद परवेज व्याख्याता भौतिक शास्त्र लक्ष्मणपुर के साथ 2 महीने तक निरंतर भोजन वितरण का कार्य किया घर लौटने पर घर के लोग सेनीटाइजर स्नान कर आते थे बहुत भयभीत थे पर कर भला तो हो
ReplyDeleteलाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर दशा देखी
ReplyDeleteलगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |अपने गाॅव मे सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं| सब रोजगारों से अच्छा रोजगार
कृषि है जो घर पर रहकरपरिवार के साथ किया जाता है|जाने अनजाने में एवं अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया का कार्अय भी ठीक नही रहा अफवाहे भी उच्च स्त र से फैली अत: वे परिवार तनाव में रहे जिनके सदस्य घर से दूर थे|
कोराना वायरस के उपचार की दवा न होने से हम भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित हैं
कोविड 19 के कारण, जिंदगी थम गयी, अचानक इस अनजानी संक्रामक विपदा से समूचा विश्व भयभीत ही गया, सिर्फ इसका बचाव ही इसका इलाज़ है !सभी ने बड़े धैर्य से इस आपदा का सामना किया है, छात्रों को विभिन्न आधुनिक तरीकों से, कोविद के नियमों का पालन करते हुए शिक्षा देने का प्रयास किया है !
ReplyDeleteऐसा लगा जैसे जिंदगी थम सी गई हो। समय बिताना काफी मुस्किल हो गया था। गली सड़क और मोहल्ला सव वीरान लगता था। दूर दूर तक कोई दिखाई नहीं देता था। ऐसा मंजर हमने पहले कभी नहीं देखा था। वो समय काफी कष्ट दायक रहा
ReplyDeleteकोविड 19 महावारी के दौरान लॉकडाउन के समय पूरी व्यवस्था में अस्त व्यस्त हो गई और रोजगार भी लोगों के छीनने लगे जिससे उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गई इस बीच प्राइवेट सेक्टर में पूरी तरह लोगों का भरोसा तोड़ दिया जबकि सरकारी मशीनरी ने पूरी हिम्मत और जोशके साथ काम किया वह लोगों की पूरी पूरी मदद की जबकि बड़े-बड़े महानगरों मे जो कारखाने या उद्योग थे उन्होंने अपने मजदूरों को वेबश और लाचार सड़कों पर छोड़ दिया। यह समय पूरे विश्व के लिए चुनौतीपूर्ण रहा और आप धीरे धीरे अनलॉक के साथ जीवन वापस अपनी रफ्तार पकड़ने लगा है
ReplyDeleteकोरोना संकट काल एवं लॉकडॉन के दोरान म. प्र शासन हमारा घर हमारा विधालये छात्रों को घरों मे ही पढ़ने व सीखने के लिए एक सार्थक उधेशह पूर्ण अभिया साबित हुआ। मेरा घर मेरा विद्यालय से लेकर मोहल्ला क्लास ने बहुत हद तक पढ़ाई में आने वाली बाधाओं को दूर किया। बच्चो अभिभावकों का सहयोग का परिणाम पढ़ाई निरन्तर जारी है।
ReplyDeleteकोरोना संक्रमण बिमारी है सुरक्षा ही बचाव है बिना मास्क के नहीं रहना चाहिए सामाजिक दुरी 6 फीट रखना चाहिए
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान कई प्रकार के अनुभवों से जीवन गुजरा है। एक तरफ जहां परिवार की चिंता वहीदूसरी तरफ घर की आवश्यकता की पूर्ति हेतु घर के बाहर निकलने की आवश्यकता। जैसे मेरे परिवार में मेरे बुजुर्ग माता पिता हैं जो स्वास्थ्य की दृष्टि से कमजोर है। उनके रोजमर्रा में चल रही स्वास्थ्य सम्बंधित समस्याओं के उपचार हेतु चिकित्सक से परामर्श एवम दवाओँ पूर्ति हेतु व्यवस्था रखना। एक शिक्षक के लिए चिंतन के दो प्रमुख पहलू होते हैं-पहला उसका परिवार और दूसरा उसका विद्यालय। विद्यालय के बच्चों की पढ़ाई की चिंता एक शिक्षक को हमेशा रहती हैं।
ReplyDeleteलॉक डाउन की अवधि के दौरान हम सभी बहुत डरे हुए थे कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली। इसके अलावा हमने भक्ति की शक्ति को भी जानासभी छात्राओं एवं उनके पालकों से सम्पर्क किया गया तथा ऑनलाइन शिक्षण कार्य के लिए प्रेरित किया शुरू में कुछ समस्या हुई फिर सभी छात्राएं जिनके पास एंड्राइड मोबाइल थे सभी ने पढ़ाई प्रारम्भ कर दी और जिनके पास एंड्राइड मोबाइल नहीं थे उनके लिए रेडियो प्रोग्राम से पढ़ाई करने हेतु कहा गया तथा प्रतिदिन सभी से फोन कर पूछा भी गया जिससे उन्होंने निरंतर प्रोग्राम देखकर पढ़ाई की
ReplyDeleteलॉक डाउन की अवधि के दौरान हम सभी बहुत डरे हुए थे कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली। सभी के मन मे इस बीमारी से लड़ने की हिम्मत जागी ।ओर आज हम कोरोना को मात देने में कई हद तक सफल भी हुए ।
ReplyDeleteइस वैश्विक महामारी मे लोगों ने ऐसे शब्दों को लेकर जानकारी हुई जिनको कभी भी नहीं जाना जा सका जैसे -sani tiger, quarantin, isolation,
ReplyDeleteकोरोना महामारी ने वास्तव में सारे संसार को एक जगह थाम सा दिया बीमारी के भय के कारण कोई भी बाहर नहीं निकला और सरकार ने लॉकडाउन लागू कर दिया जिससे महामारी से तो बचाओ हो सका लेकिन बहुत से लोग बेरोजगार हो गए मजदूरों को एक राज्य से दूसरे राज्य में जाते हुए देख कर मन में बहुत वेदना हुई साथ ही बच्चों के कुछ समय के लिए स्कूलों का बन्द हो जाना भी एक शिक्षक के लिए व्यक्तिगत रूप से बडी हानि ही है।। राजेश कुमार जांगिड़, ढोटी स्कूल, जिला-श्योपुर, मध्यप्रदेश।।
ReplyDeleteकोरोना संक्रमण बीमारी है सुरक्षा ही बचाव है बिना मास्क के नहीं रहना चाहिए सामाजिक दुरी 6 फीट रखना चाहि
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ReplyDeleteनमस्कार...
"लाकडाउन" अर्थात तालाबंदी के समय जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था। उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे। क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग खडे होने की वजह से हम घर दुपके बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।
एक शिक्षक के लिए चिंतन के दो प्रमुख पहलू होते हैं-पहला उसका परिवार और दूसरा उसका विद्यालय। इस समय हमारी बेटी अंजलि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ रही थी। जिसके स्वास्थ्य की चिंता हमें दिन-रात रहती थी। दूसरी ओर लॉकडाउन में ही सीएम राइस प्रशिक्षणो का उदय हो चुका था। जो हमें हमारे छात्रों से फोन पर जुड़े रहने में मदद कर रहा था।
लाकडाउन के दौरान,मजदूर भाइयों के काम छोड़ कर घर वापसी के वीडियोस मन की संवेदना को झकझोर रहे थे। हमारे कुछ मित्रों ने मिलकर स्वयंसेवा के रूप में, इनके भोजन-पानी,कपड़ा-मास्क आदि की इन्हें मदद के रूप में एक कार योजना बनाई। और सुरक्षात्मक तरीके अपनाते हुए हम लोगों ने धीरे धीरे घर से बाहर निकलना शुरू किया।
इस विषम और भयावह परिस्थिति में, मेरा और घर के सदस्यों का धैर्य ना टूटे,हमरी सोच सकारात्मक बनी रहे इस हेतु हम अपने पुत्र तरुण के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो घंटे गिटार बजाया करने थे, और अपने संगीत के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर उन्हें सकारात्मक संदेश के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते थे। ताकि हम से ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोगों तक सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश पहुंचाया जा सके। यही संदेश आत्मक कार्य अपनी छत पर योगा कर अपने साथ दूसरों को भी स्वस्थ रखने के लिए किया करते थे।
इस प्रकार हम ने जुगनू बन कर,एक शिक्षक होने का धर्म खुद और दूसरों को भी इस वैश्विक महामारी के दौरान-,स्वस्थ रह पाने में अपनी और दूसरों की मदद करते हुए निभाया।
धन्यवाद....।
कोरोना महामारी ने वास्तव में सारे संसार को एक जगह थाम सा दिया बीमारी के भय के कारण कोई भी बाहर नहीं निकला और सरकार ने लाक डाउन लागू कर दिया जिससे महामारी से तो बचाओ हो सका लेकिन बहुत से लोग बेरोजगार हो गए मजदूरों को एक राज्य राज्य से दूसरे राज्य में जाते हुए देख कर मन में बहुत वेदना हुई साथ ही बच्चों के कुछ समय के लिए स्कूलों का बंद हो जाना भी एक शिक्षक के लिए व्यक्तिगत रूप से बड़ी हानि हुई है।
ReplyDeleteकोरोना महामारी ने वास्तव में सारे संसार को एक जगह थाम सा दिया बीमारी के भय के कारण कोई भी बाहर नहीं निकला और सरकार ने लाक डाउन लागू कर दिया जिससे महामारी से तो बचाओ हो सका लेकिन बहुत से लोग बेरोजगार हो गए मजदूरों को एक राज्य राज्य से दूसरे राज्य में जाते हुए देख कर मन में बहुत वेदना हुई साथ ही बच्चों के कुछ समय के लिए स्कूलों का बंद हो जाना भी एक शिक्षक के लिए व्यक्तिगत रूप से बड़ी हानि हुई है।
ReplyDeleteफरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
ReplyDeleteइस कोरोना महामारी ने मानव जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया |कोविड -महामारी के कारण संपूर्ण देश में लोक डाउन लग जाने से
Deleteलोगों को कई प्रकार की समस्याएं आई | उन्हें अपने घर में बंद होकर रहना पड़ा ,तथा बच्चों की पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ा, और उनकी पढ़ाई कुछ समय के लिए जैसे लगभग चौपट हो गई ,लेकिन हमारी मध्य प्रदेश सरकार ने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए व्हाट्सएप के माध्यम से पढ़ाई को जारी रखा और हमारे शिक्षकों के लिए भी सीएम rise के नाम से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए| जिससे हमारे शिक्षक भाई प्रशिक्षण ले रहे थे, और बच्चों को भी मोबाइल के माध्यम से संपर्क करके गतिविधियों को पढ़ा रहे थे| लेकिन इस लॉकडाउन में मजदूर वर्ग बहुत परेशान रहा क्योंकि यह लोग जो दिन भर कमाते हैं, उसी से अपना पेट भरते हैlockdown की स्थिति में उनकी मजदूरी छिन गई, और उनके पेट भरना दूभर हो गया |लेकिन हमारी मध्य प्रदेश सरकार व कुछ दानवीर आगे आए जिन्होंने इनके लिए राशन ,पानी ,अनाज आदि की व्यवस्था की |जिससे उनको कुछ राहत पहुंची |मैं ईश्वर से कामना करता हूं कि इस प्रकार की covid-19 महामारी अब हमारे भारत में फिर कभी वापस नहीं आए |और यह जल्द से जल्द भारत से खत्म हो जाए|
मुकेश कुमार सक्सेना
उ,प्रा,शाला मण्डावर
जिला राजगढ़
Lockdown avdhi mein sabhi dare huye the. Controlroom mein hamari bhi duty lagi huye thi. Dar laga rhta tha ki kahi corona positive na ho jau aarogya setu aapp download kiya. Surakshit rhane ke sabhi upay apnayein tT. v. News dhekhkar tanav jaisi stithti banti thi. Dhyan hatane ke liye pustaken padhana suru kiya. Phir bhi corona ki dwa na hone se hum bhavishya ki shiksha kaishi hogi dar lagata tha. Degilep. Mohlla class ke rup mein shiksha dene se dhire dhire dar smapth huwa ab samanya rup se dar khatm ho gaya phir bhi jab tak dwaee nahi tab tak dhilae nhi.
ReplyDeleteलाकडाउन" अर्थात तालाबंदी के समय जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था। उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे। क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग खडे होने की वजह से हम घर दुपके बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।
ReplyDeleteएक शिक्षक के लिए चिंतन के दो प्रमुख पहलू होते हैं-पहला उसका परिवार और दूसरा उसका विद्यालय। इस समय हमारी बेटी अंजलि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ रही थी। जिसके स्वास्थ्य की चिंता हमें दिन-रात रहती थी। दूसरी ओर लॉकडाउन में ही सीएम राइस प्रशिक्षणो का उदय हो चुका था। जो हमें हमारे छात्रों से फोन पर जुड़े रहने में मदद कर रहा था।
लाकडाउन के दौरान,मजदूर भाइयों के काम छोड़ कर घर वापसी के वीडियोस मन की संवेदना को झकझोर रहे थे। हमारे कुछ मित्रों ने मिलकर स्वयंसेवा के रूप में, इनके भोजन-पानी,कपड़ा-मास्क आदि की इन्हें मदद के रूप में एक कार योजना बनाई। और सुरक्षात्मक तरीके अपनाते हुए हम लोगों ने धीरे धीरे घर से बाहर निकलना शुरू किया।
इस विषम और भयावह परिस्थिति में, मेरा और घर के सदस्यों का धैर्य ना टूटे,हमरी सोच सकारात्मक बनी रहे इस हेतु हम अपने पुत्र तरुण के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो घंटे गिटार बजाया करने थे, और अपने संगीत के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर उन्हें सकारात्मक संदेश के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते थे। ताकि हम से ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोगों तक सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश पहुंचाया जा सके। यही संदेश आत्मक कार्य अपनी छत पर योगा कर अपने साथ दूसरों को भी स्वस्थ रखने के लिए किया करते थे।
इस प्रकार हम ने जुगनू बन कर,एक शिक्षक होने का धर्म खुद और दूसरों को भी इस वैश्विक महामारी के दौरान-,स्वस्थ रह पाने में अपनी और दूसरों की मदद करते हुए निभाया।
मुकेश कुमार सक्सेना
उ,प्रा,शाला मण्डावर
नरसिंहगढ (जिला,राजगढ़)
म,प्र, 9926991846
ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
ReplyDeleteकोविड19 के दौरान जब सारे रोजगार बन्द हो गए तब मजदूरों की जो स्तिथि बनी थी वह विचारणीय थी। विद्यालय में भी जो बच्चे पढ़ते हैं अधिकतर वे ऐसे ही परिवारों से संबंध रखते हैं ऐसी स्थिति में उन्हें घर घर जाकर राशन बांटा गया जो उनके लिये राहत भरा कदम था।
कोविड-19 महामारी एवं लाकडाउन में बहुत ही कटु अनुभव हुए हम अपनों से तीन महीने तक दूर रहे और मज़दूर और दिहाड़ी काम करने वाले लोगो के दुःख दर्द करीब से देखे।
ReplyDeleteSeema Shrivastava BV1588G.M.S.Panari Pipariya Hoshangavad कोविड19बीमारी मे सभी को आपस मे दो गज की दूरी बनाकर रखना मास्क लगाना बीमार होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लेना है
ReplyDeleteभावना और भावना के परिणामों के बीच संबंधित अंतर मुख्य व्यवहार और भावनात्मक अभिव्यक्ति है। अपनी भावनात्मक स्थिति के परिणामस्वरूप अक्सर लोग कई तरह की अभिव्यक्तियां करते हैं, जैसे रोना, लड़ना या घृणा करना. यदि कोई बिना कोई संबंधित अभिव्यक्ति के भावना प्रकट करे तो हम मान सकते हैं की भावनाओं के लिए अभिव्यक्ति की आवश्यकता नहीं है। न्यूरोसाइंटिफिक (स्नायुविज्ञान) शोध से पता चलता है कि एक "मैजिक क्वार्टर सैकंड" होता है जिसके दौरान भावनात्मक प्रतिक्रिया बनने से पहले विचार को जाना जा सकता है। उस पल में, व्यक्ति भावना को नियंत्रित कर सकता है।
ReplyDeleteअचानक लॉक डाउन की घोषणा के बाद सभी तरफ अफरा तफरी,हड़बड़ाहट,सामग्री संचयन की दौड़भाग के बाद आत्म मंथन का दौर आया।दीन दुनिया का ख्याल आया,लोगों की बेबसी के समाचार देखकर द्रवित होता रहा।दूर दराज से अपने घर लौट रहे मजदूरों की भयावह स्थिति देख हर सम्भव मदद का प्रयास किया।अपने कार्य क्षेत्र के लोगों से सम्पर्क कर यथा सम्भव मदद दिया।बच्चों से संपर्क बनाए रखते हुए उन्हें कोविड के प्रति जागरूक करते रहा, मास्क उपलब्ध कराया एवं अपने घर मे ही पढ़ाई करने प्रेरित करते रहा।इस कोविड काल ने परिवार के सदस्यों को एक दूसरे से जोड़ा।
ReplyDeleteक्या लॉकडाउन के दौरान हमें बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा वहीं दूसरी ओर इससे प्रकृति में लाभ हुआ जिसे की नदियां साफ हुई लोगों में समझ से बड़ा अपने परिवार के साथ लेने की क्षमता बढ़ी साथ ही साथ ही हमारी सहनशीलता में बढ़ाओ सुधार हुआ इसके विपरीत इससे महिलाओं पर अत्याचार बढ़े क्योंकि जो व्यक्ति पास रहता है अधिक पास होने से झगड़ा संभव है इससे कुछ नुकसान भी हुआ है परंतु नुकसान की वजह लाभ अधिक हुआ है सिर्फ आर्थिक को छोड़कर
ReplyDeleteलाक डाउन के समय हमने सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखी तथा दूसरे को सहयोग दिया छात्रों से संपर्क किया तथा उनके साथ खड़े रहे
ReplyDeleteकोविड 19 महामारी एवं लॉक डाउन के हमारे आसपास का माहौल शांत था। बीमारी के बढ़ते प्रभाव के कारण सभी लोग भयभीत थे।केवलपुलिस का सायरन सुनाई देता था। तीन महीने बड़ी मुश्किल से बीते।
ReplyDeleteऐसा लगा जैसे जिदंगी थम गयीं हैं जीवन बहुत कीमती लगने लगी थीं अपनो के खोने का भय सताने लगा था इस दौरान सभी लोगों को अनेक समस्याओ का सामना करना पडा।
ReplyDeleteLockdown ke samay ham sab ne bhut si paresaniyo se ladna sikha sath apno ke halp kee hath me other kee halp ked
ReplyDeleteLockdown ke samay ham sab ne bhut si paresaniyo se ladna sikha sath apno ke halp kee hath me other kee halp ked
ReplyDeleteलव टोन के समय में सबसे पहले बीमारी से को लेकर एक अनजान भय हम सब के मस्तिष्क में रहा अपनी अपने बच्चों अपने परिवार की चिंता साथ ही एक्जाम ड्यूरेशन में अचानक से यूं शाला से संपर्क कर टूटना हर तरफ से न्यूज़ के माध्यम से नेगेटिव खबरों का आना कोविड-19 मरीजों की बढ़ती संख्या लॉक डाउन का प्रकोप झेलते हम सभी डर से हमें अपने घरों में थे मार्च आखिरी सप्ताह और अप्रैल प्रथम सप्ताह तक न्यूज़ चैनल्स के खबरों से इतना अधिक डरी केस नहीं पा रही थी जिसके कारण ब्लड प्रेशर हाई होने लगा फिर खुद को संयमित किया बच्चों के लिए वर्कशीट और t.l.m. की कुछ कुछ सामग्री घर में बनाना हरम की जिससे मेरा दहन बेटा तदुपरांत अपने आप को निगेटिव इट इस से निकाल कर नॉर्मल होने में मुझे कम से कम 15 20 दिन से ज्यादा का समय लगा
ReplyDeleteCovid-19 के दौरान कुछ खट्टी कुछ मीठी अनुभव हुए महामारी इतनी खतरनाक थी जिसमें व्यक्तियों को आपस में मिलने में परेशानी खड़ी की कोविड-19 के दौरान स्वास्थ्य संबंधी बहुत सी बातों को हमने ध्यान में रखा जैसे कि मास्क पहनना भीड़ में नहीं जाना सार्वजनिक स्थानों पर थूकना इस समय में इन सब बातों का पालन करते हुए हमने इस संकट काल में इस महामारी को परास्त किया लेकिन फिर भी हमें सतर्कता रखना पड़ेगी
ReplyDeleteलोकेश विश्वकर्मा, भूमका टोला, हर्रई, छिंदवाड़ा
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान उत्पन्न विषम परिस्थितियों में मन में विचार आया की हम इस आपदा में अकेले नहीं हैं बल्कि पूरा विश्व इस सप्ताह से प्रभावित है और इसी आपदा के साथ जीना है तो धैर्य से नियमों का पालन करके घर में रहकर बाहर जाना है तो मांस पर सैनिटाइजर का उपयोग सोशल डिस्टेंस का पालन पालन कर सकारात्मक विचार पर ध्यान केंद्रित किया।
Locdoun ke time yesa laga, jaise hmari jindgi rook si gai ho. Ghar se niklna duvar ho gaya tha.school,college,bajar sabhi band ho the.yeae me hamne studant, ba unke palkon se samprk jar,what shop ke jariye padhai jaree rahki. Aaj bhay mukt hokar, soshal,distant,mask,senetaijar ka paln kar padhai kar rahe hai.
ReplyDeleteKc.kushwaha
P/a BamhanGaon (Hoshngabad, )m.p.
लाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकने वाले मजदूरों की दुर दशा देखी
ReplyDeleteलगा कि परदेश में भटने से अच्छा घर का रूखा सूखा भोजन है |अपने गाॅव मे सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं| सब रोजगारों से अच्छा रोजगार
कृषि है जो घर पर रहकरपरिवार के साथ किया जाता है|जाने अनजाने में एवं अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया का कार्अय भी ठीक नही रहा अफवाहे भी उच्च स्त र से फैली अत: वे परिवार तनाव में रहे जिनके सदस्य घर से दूर थे|
कोराना वायरस के उपचार की दवा न होने से हम भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित हैं
लाकडाउन के दौरान हमें बहुत सी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
ReplyDeleteलाकडाउन अर्थात ताला बंदी केसमय जब पूरा देश कोरोना वायरल से लडने घरों मैं कैद था।उस समय हम टेलीविजन, फोन, स्वास्थ्य सेवाओं, सुरक्षा, विद्धुत सेवाओं की आपूर्ति जैसी सेवाओं मैं लगे थे।हमने सूचना टेक्नोलॉजी काभी पृचार पृसार कर लोगों को जागरूक किया।जो लोग इस महामारी मैं सहयोग दे सके हैं। हम उनके आभारी हैं।शिक्षक होने के नाते दो पृमुख पहलू हैं। पहला परिवार औरदूसरा विद्यालय परिवार।हमने मिल कर बच्चों और पालकों को जागरूक किया मास्क आदि वितरण करवाया।हमने जुगनू बनकर एक शिक्षक काधर्म दूसरों की मदद करके निभाया है। यू. एल. चौपरिया हेडमास्टर शा.मा. वि.गिन्दौरा जिला शिवपुरी म.पृ.
ReplyDeleteलाकडाउन के दौरान,मजदूर भाइयों के काम छोड़ कर घर वापसी के वीडियोस मन की संवेदना को झकझोर रहे थे। हमारे कुछ मित्रों ने मिलकर स्वयंसेवा के रूप में, इनके भोजन-पानी,कपड़ा-मास्क आदि की इन्हें मदद के रूप में एक कार योजना बनाई। और सुरक्षात्मक तरीके अपनाते हुए हम लोगों ने धीरे धीरे घर से बाहर निकलना शुरू किया।
ReplyDeleteइस विषम और भयावह परिस्थिति में, मेरा और घर के सदस्यों का धैर्य ना टूटे,हमरी सोच सकारात्मक बनी रहे इस हेतु हम अपने पुत्र तरुण के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो घंटे गिटार बजाया करने थे, और अपने संगीत के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर उन्हें सकारात्मक संदेश के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते थे। ताकि हम से ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोगों तक सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश पहुंचाया जा सके। यही संदेश आत्मक कार्य अपनी छत पर योगा कर अपने साथ दूसरों को भी स्वस्थ रखने के लिए किया करते थे।
इस प्रकार हम ने जुगनू बन कर,एक शिक्षक होने का धर्म खुद और दूसरों को भी इस वैश्विक महामारी के दौरान-,स्वस्थ रह पाने में अपनी और दूसरों की मदद करते हुए निभाया।
धन्यवाद....।
Ramakant sharma
P. S. Sustikheda
लाकडाउन में शुरु में तो बहुत चिन्ता हुई कि अब क्या होगा रोज समय से तैयार होना स्कूल जाना घर के अन्य कार्यों के लिए बाहर जाना सब बन्द हो गया बस घर में ही रहना पड़ा बहुत चिन्ता होती थी घर परिवार वालों को इस बीमारी से कैसे सुरक्षित रखा जाये फिर धीरे धीरे इन सब की आदत हो गई भैर घर परिवार के साथ समय व्यतीत करने का अवसर मिला ।
ReplyDeleteकोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण जब लॉकडाउन के दौरान बहुत भय लग रहा था की कहीं भूखमरी गरीबी ना फैल जाए जिससे लोग जहां के तहां अपना जीवन यापन करने लगे एवं लूटपाट ब दंगा फसाद जैसी घटना का भय बना हुआ था विश्वेश संक्रमित बीमारी से संघर्ष कर रहा था लाखों लाख जनता ही जाने जा रही थी बहुत भय बना हुआ था लेकिन धीरे धीरे यह भरा है कम होता गया और लगा की लाख डाउन से जो पहले की जिंदगी समय एवं योग का परिवर्तन हो गया है और आज का युग बहुत बदल गया है आज के इस युग में बहुत सुकून एवं संहिता लग रहा एक युग परिवर्तन हुआ मेरे को दुनिया एक नई जिंदगी का अनुभव पर आ रही है
ReplyDeleteTulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal.
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान कई प्रकार के अनुभवों से जीवन गुजरा है।लाॅक डाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिन्तन पैदा हुआ । इस कोरोना महामारी ने मानव जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया |कोविड -महामारी के कारण संपूर्ण देश में लोक डाउन लग जाने से लोगों को कई प्रकार की समस्याएं आई |
फरवरी मार्च महीने में भारत में भी कोविड-19 नामक संक्रामक बीमारी ने अपने पैर फैला लिए थे सरकार ने एहतियात के तौर पर 22 जनवरी से पूरी तरह लाभ नाम कर दिया यह समय माध्यमिक विद्यालयों के लिए परीक्षा का समय था परंतु सारी परीक्षाएं रद्द कर दी गई विद्यालय बाजार सब कुछ बंद हो गया यह एक मानसिक प्रताड़ना का दौर था बच्चे और शिक्षक परीक्षाओं की आशंकाओं से भी परेशान थे कि परीक्षाएं होंगी नहीं होंगी लॉक डाउन कब तक चलेगा क्या लाभ डाउन के समाप्ति के बाद परीक्षाएं होंगी यही सारे विचार उनके मन में बने रहते थे साथ ही यह एक ऐसा दौर था जब लोग किसी से मिल नहीं सकते थे किसी से बातें नहीं कर सकते थे बहुत सारे लोग पूरी तरह एकांकी जीवन व्यतीत करें लगे अकेलापन भूत सा बन गया था लग रहा था क्या कभी स्थिति सामान्य होगी सारे काम धंधे सब कुछ बंद हो चुके थे यहां तक कि गांव में फसलों की कटाई पर रोक लगा दी गई थी यद्यपि फिर कुछ एहतियात के साथ फसलों को काटने और बेचने का समय दिया गया दुकानें और बाजार संपन्न थे लोक जरूरतों का सामान भी नहीं ले पा रहे थे देशभर के मजदूर अपने घर वापस आना चाहते थे पर साधन उपलब्ध ना होने की वजह से उन्हें पैदल ही घर आना पड़ा पर फिर भी विश्व के अन्य देशों की अपेक्षा भारत ने इस बीमारी का दौर उतना नहीं रहा महामारी के रूप में यह भारत में नहीं खेल पाए इसके लिए सभी भारतीयों को धन्यवाद भी है और अब धीरे-धीरे बाजार खुल रहे हैं स्थिति सामान्य हो रही है शायद आगे कुछ ही महीनों में पूरी तरह उबर समाप्त हो जाए क्योंकि अब तो वैक्सीन भी बनकर तैयार हो गई है जो शायद जनवरी माह से ही वैक्सीनेशन का काम प्रारंभ हो जाएगा और धीरे-धीरे यह बीमारी समाप्त होने लगेगी
ReplyDeleteJanki thakur
ReplyDeleteलॉक डाउन की अवधि के दौरान हम सभी बहुत डरे हुए थे कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली। इसके अलावा हमने भक्ति की शक्ति को भी जाना
सुंदरकांड , हनुमान चालीसा ,हनुमान अष्टक, बजरंग बाण का प्रतिदिन पाठ कर हमने अपने आसपास ईश्वरीय शक्ति को भी महसूस किया।
लाकडाउन के शुरुआत में बहुत डर लगता था किन्तु जैसे जैसे जानकारी मिलती गई वैसे तब उसका पालन करते हुए सकारात्मक कार्य में संलग्न रहकर कार्य किया। क्योंकि मेरी ड्यूटी कोरेंटीन सेंटर में लगी थी जिससे परिवार में डर का माहौल था, फिर सावधानीपूर्वक रहना सीखा, तथा लगातार नियमों का पालन अभी तक कर रहे हैं। मास्क, सेनेटाइजर, हाथ धोना, दो गज दूरी, भीड़ से दूरी, सामूहिक आयोजनो में शामिल नहीं होना आदि। वास्तव में यह बीमारी कब खत्म हो जिससे जिंदगी सही तरह से फिर जी सकें, डर तो अभी भी है।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान हमने बहुत ही अपने आप को असहज और असुरक्षित महसूस किया लेकिन धीरे-धीरे हम लोगों ने हिम्मत बांधी और फिर उसके बाद सरवाइव कर पाए जहां तक बात है लॉकडाउन के समय में हम लोगों ने भगवत भजन में अपना ध्यान लगाया रामायण पढ़ी हनुमान चालीसा रुद्राष्टकम और इस प्रकार से हम लोगों ने विभिन्न प्रकार की धार्मिक गतिविधियों में शामिल रहे उसके बाद हम सोशल डिस्टेंसिंग सैनिटाइजेशन और सफाई साफ-सफाई इसके प्रति काफी जागरूक हुए और बांस का नियमित रूप से इस्तेमाल किया और सरकार द्वारा बताई गई डॉक्टर द्वारा बताई गई प्रकार की गाइडलाइंस को हमने फॉलो किया उनका अनुसरण किया तथा हम लोगों ने कुछ आयुर्वेदिक तरकीबें भी अपनाई जिससे कि हमारी इम्यूनिटी मजबूत हो इस लाभ डाउन और इस बीमारी के बाद ही महसूस हुआ कि हम लोगों ने अपने जो वास्तविक जीवन शैली है उसको हमने छोड़ा है ग्रामीण दिनचर्या को भूल गए थे इसलिए यह सब महामारी बीमारी हमारे पास आई धीरे-धीरे हम लोगों ने फिर अपनी मेलडी मजबूत की मॉर्निंग वॉक सुबह चलना फिर ना घूमना खेलकूद ना घर पर ही रहना यह सब चीजों का काफी जोड़-तोड़ से शुरुआत किस की बच्चों को भी इसकी सलाह दी और ईश्वर की कृपा से पूरे लाख डाउन और करोना काल में हम लोगों को किसी प्रकार की कोई भी व्याधि रोग नहीं हुआ मामूली सर्दी जुखाम हुआ जिसका निपटान घर पर ही आयुर्वेदिक तरीके से सब लोगों ने कर लिया और ईश्वर की कृपा से आज हम लोग सब लोग सुरक्षित और स्वस्थ है धन्यवाद।
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान उत्पन्न विषम परिस्थितियों ने कुछ समय के लिए चिंतित कर दिया पर जब विचार किया कि हम अकेले नहीं हैं बल्कि पूरा विश्व ही इस आपदा से प्रभावित हुआ है और इसी के साथ जीना है।तब थोड़ा धेर्य बधा और घर में रह कर सोशल मीडिया मे फैली अफवाहों से दूर रह कर ध्यान पूजा पाठ और सकारात्मक विचार पर ध्यान केंद्रित किया।
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान सबसे ज्यादा दुख तबहुआ जब हमारे अजीज लोग बीमार हुए और हम लोग उन्हें देखने भी नहीं जा पाए ।परिचितों में कुछ लोगों के यहां अनहोनी भी हुई और हम उसमें शामिल नहीं हो सके।अपने घर में बैठकर बस उनको याद करते रहे।ऐसा समय अब कभी ना आए यही भगवान से विनती है।जब बुरे समय में लोग अपने लोगों से दूर रहें।आज भी क्योंकि हमारे घर में बुजुर्ग लोग हैं इसलिए हम सभी को बहुत ही सावधानी से रहना पड़ रहा है।सभी जगह आना जाना बंद है।जल्दी से पुराना समय वापस आ जाए।
ReplyDeleteमेरे विचार,लाक डाउन की अवधि में सर्वत्र भय व्याप्त था लग रहा था जैसे हालीवुड मूवी देख रहा हूं। बच्चों की आयु कम होने की वजह से मैं बाहर नहीं निकलता, माता-पिता और अन्य परिजनों की चिंता में दिन रात गुजरते थे। धीरे धीरे सब सामान्य हो गया। धैर्य और साहस से काम पूरे होंगे।छुट पुट दुर्घटना से मन व्यथित हो जाता था। ईश्वर से प्रार्थना करता कि सब धैर्य धारण कर आपस में भाई चारे का निर्वाह करें।
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान उत्पन्न विषम परिस्थितियों ने कुछ समय के लिए चिंतित कर दिया पर जब विचार किया कि हम अकेले नहीं हैं बल्कि पूरा विश्व ही इस आपदा से प्रभावित हुआ है और इसी के साथ जीना है।तब थोड़ा धेर्य बधा और घर में रह कर सोशल मीडिया मे फैली अफवाहों से दूर रह कर ध्यान पूजा पाठ और सकारात्मक विचार पर ध्यान केंद्रित किया।..... By Anjana chopra
ReplyDeleteमॉड्यूल 17 गतिविधि 3: प्रदर्शन
ReplyDeleteअपने भावनात्मक अनुभवों को प्रदर्शित करें जो लॉकडाउन की अवधि के दौरान हुए थे। आपने उन भावनाओं का सामना कैसे किया?
उपरोक्त संदर्भ में जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था। उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे। क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग खडे होने की वजह से हम घर दुपके बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।
एक शिक्षक के लिए चिंतन के दो प्रमुख पहलू होते हैं-पहला उसका परिवार और दूसरा उसका विद्यालय। हमें स्वयं की, अपने परिवार जनों की और हमारे विद्यार्थियों की स्वास्थ्य की चिंता दिन-रात रहती थी। दूसरी ओर लॉकडाउन में ही सीएम राइस प्रशिक्षणो का उदय हो चुका था। जो हमें हमारे छात्रों से फोन पर जुड़े रहने में मदद कर रहा था।
लाकडाउन के दौरान,मजदूर भाइयों के काम छोड़ कर घर वापसी के वीडियोस मन की संवेदना को झकझोर रहे थे। हमारे कुछ मित्रों ने मिलकर स्वयंसेवा के रूप में, इनके भोजन-पानी,कपड़ा-मास्क आदि की इन्हें मदद के रूप में एक कार योजना बनाई। और सुरक्षात्मक तरीके अपनाते हुए हम लोगों ने धीरे धीरे घर से बाहर निकलना शुरू किया।
इस विषम और भयावह परिस्थिति में, मेरा और घर के सदस्यों का धैर्य ना टूटे,हमरी सोच सकारात्मक बनी रहे इस हेतु हम प्रतिदिन सुबह-शाम अपने जीवन अनुभवों को लेकर परिवार में चर्चा करते थे, और सकारात्मक संदेश सोशल मीडिया के माध्यम से स्वजनों को शेयर करते थे। ताकि हम से ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोगों तक सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश पहुंचाया जा सके। वहीं अपनी छत पर व्यायाम कर अपने साथ परिवार जनों को भी स्वस्थ रखने के लिए प्रेरित किया करते थे।
इस प्रकार हम ने खुद को और दूसरों को भी इस वैश्विक महामारी के दौरान-स्वस्थ रहने का प्रयास व प्रेरणा देते रहे। और अपना कर्तव्य अपनी और दूसरों की मदद करते हुए निभाया।
लॉक डाउन की अवधि के दौरान हम सभी बहुत डरे हुए थे कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली।
धन्यवाद !!!!!!
Pushpa singh MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station.
ReplyDeleteCovid-19 mahamari ne pure vishva me bhayavah situation utpann kar do thi.lock-down is mahamari se bechna ke liye to bahut hi aavsayk tha.laikin lock down ki vajah se.sabse jyada pareshan garib or majdoor varg hue.unki halat dekhkar man bahut hi dukhi ho jata tha.ek dar tha man me ki kab tak is se mukti mil payegi.
कोविड-19 की महामारी एवं लॉकडाउन ने मनुष्य को ठहर कर उन्हें सोचने के लिए मजबूर कर दिया है की है मनुष्य अब तो तू इस अंधाधुंध हो रहे प्राकृतिक विनाश को रोक और प्रकृति को सहेजने का कार्य कर और अपनी जड़ों की ओर पुनः लौट जाए वरना तेरा विनाश निश्चित है।क
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान टीवी पर समाचार देख विश्व के बारे में चिंतन पैदा हुआ। इतनी बड़ी संख्या में लोगों को मरते देखा। हमारे देश में भटकते मजदूरों की दुर्दशा देखी। पूरा विश्व तनावग्रस्त था ऐसे में मात्र हमारे प्रधानमंत्री देश के मुखिया के संदेश का पालन समय समय पर करके, विभिन्न निर्देश का पालन करके एवं विचारों को सकारात्मक रखकर परिवार में सभी के विचारों को सकारात्मक रखने का प्रयास कर कठिनाइयों से उतरने का प्रयास किया।
ReplyDeleteलॉकडाउन अर्थात तालाबंदी। इसके तहत सभी को अपने-अपने घरों में रहने की सलाह दी गई है जिसका सरकार की तरफ से कड़ाई से पालन भी करवाया जा रहा है। यह इसलिए जरूरी है, क्योंकि कोरोना वायरस नामक महामारी मानव जाति के इतिहास में पहली बार आई है।
ReplyDeleteअब पूरा देश इस वायरस से लड़ने के लिए अपने-अपने घरों में कैद हो गया है। इस महामारी के प्रकोप से लाखों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और इससे बचने का सिर्फ एक ही रास्ता है और वो है सोशल डिस्टेंसिग यानी कि सामाजिक दूरी। यह संक्रमण एक से दूसरे इंसान तक बहुत तेजी से फैलता है जिसके कारण भारत सरकार ने लॉकडाउन को ही इससे बचने के लिए आवश्यक कहा है।
अर्थात लॉकडाउन एक आपातकालीन व्यवस्था है, जो किसी आपदा या महामारी के वक्त लागू की जाती है। जिस इलाके में लॉकडाउन किया गया है, उस क्षेत्र के लोगों को घरों से बाहर निकलने की अनुमति नहीं होती है। उन्हें सिर्फ दवा और खाने-पीने जैसी जरूरी चीजों की खरीदारी के लिए ही बाहर आने की इजाजत मिलती है। लॉकडाउन के वक्त कोई भी व्यक्ति अनावश्यक कार्य के लिए सड़कों पर नहीं निकल सकता।
लॉकडाउन के फायदे- लॉकडाउन से पहले के समय की बात करें तो उस वक्त हम सभी अपने रोजमर्रा के कामों में इतना व्यस्त रहते थे कि अपनों के लिए, अपने परिवार के लिए व बच्चों के लिए कभी समय ही नहीं निकाल पाते थे और सभी की सिर्फ यही शिकायत रहती थी कि आज की दिनचर्या को देखते हुए समय किसके पास है? लेकिन लॉकडाउन से ये सारी शिकायतें खत्म हो गई हैं। इस दौरान अपने परिवार के साथ बिताने के लिए लोगों को बेहतरीन पल मिले हैं। कई प्यारी-प्यारी यादें इस दौरान लोग सहेज रहे हैं, अपने घर के बुजुर्गों के साथ समय बिता रहे हैं और रिश्तों में आई कड़वाहट को मिटा रहे हैं।
लॉकडाउन के दौरान बच्चों को अपने माता-पिता के साथ समय बिताने का मौका मिल रहा है, वहीं जो लोग खाना बनाने के शौकीन हैं, वो यूट्यूब के माध्यम से खाना बनाना भी सीख रहे। पुराने सीरियलों का दौर वापस आ गया है जिसका मजा लोग अपने पूरे परिवार के साथ बैठकर ले रहे हैं और अपनी पुरानी यादों को वापस से जी रहे हैं। बच्चों के साथ वीडियो गेम्स, कैरम जैसे गृहखेल का बड़ों ने आनंद लिया। विद्यालयों में छुट्टी होने के कारण घर बैठकर शिक्षकों ने ऑनलाइन क्लासेज का सहारा लिया ताकि विद्यार्थियों की शिक्षा में कोई रुकावट न आए।
लॉकडाउन के नुकसान- लॉकडाउन की वजह से मजदूरों को बहुत नुकसान हुआ है, जो रोजमर्रा के काम से अपने घर का पेट पालते थे। आज उनके लिए एक वक्त की रोटी भी बहुत मुश्किल हो गई। कई मजदूर ऐसे हैं, जो भूखे पेट ही सो रहे हैं। अगर लॉकडाउन का सबसे ज्यादा नुकसान किसी को हुआ है तो वह है मजदूर, जो अपने परिवार का पेट पालने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं।
लॉकडाउन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हुआ है। कारखानों को बंद रखने के कारण भारी नुकसान वहन करना पड़ रहा है, वहीं व्यापार भी पूरी तरह से ठप पड़ा हुआ है। लोगों की नौकरियां चली गई हैं जिसकी वजह से बेरोजगारी की समस्या भी उत्पन्न हो गई है। लॉकडाउन की वजह से देश आर्थिक रूप से कमजोर पड़ रहा है।
दिन-रात सिर्फ कोरोना से संबधित खबरें लोगों को मानसिक रूप से परेशान कर रही हैं, जो उन्हें नकारात्मक कर रही हैं। पूरे दिन घर पर रहने और शारीरिक व्यायाम न होने से लोग खुद को स्वस्थ भी महसूस नहीं कर पा रहे हैं। बच्चे भी पूरे दिन घर पर रहकर चिड़चिड़ापन महसूस करने लगे हैं, क्योंकि वे बाहर खेलने हेतु अपने दोस्तों के साथ मिलने में असमर्थ हैं। कोरोना वायरस की खबरें लोगों को परेशान कर रही हैं जिससे कई लोग डिप्रेशन जैसी समस्या से भी जूझ रहे हैं।
विशेष- कोरोना वायरस के प्रकोप को रोकने के लिए इस संक्रमण से मुक्ति के लिए भारत के प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन की घोषणा की थी, क्योंकि सामाजिक दूरी ही कोरोना को रोकने के लिए कारगर उपाय है। यही कारण है कि लॉकडाउन को बढ़ाया जा रहा है। इसलिए हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम इस निर्णय का पूर्ण समर्थन करते हुए हम लॉकडाउन का पूरा पालन करें और इस वायरस को जड़ से मिटा दें। सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों का पूरी ईमानदारी के साथ पालन करना ही हमारा कर्तव्य है, तभी इस महामारी को खत्म किया जा सकता है।
कोविड-19 की परिस्थितियों में लॉकडाउन के दौरान सभी अपने अपने घरों में स्थिर रहे ।कई लोगों के व्यवसाय से छिन गए ।काम नहीं मिला गरीबी भी फैलने लगी |मनुष्य अपने आप को असहाय समझने लगा । कई प्रकार की समस्याएं आने लगी। बच्चों को देखें तो बच्चों की पढ़ाई स्थिर हो गई कोई कहीं जा नहीं सकता था ।कोरोनावायरस का डर इस तरह फैल गया था जैसे कि कोई भूकंप आया हो या बाढ़ आई हो या इस प्रकार की स्थितियां बन गई थी ।सभी लोग डरे डरे सहमे सहमे से रहने लगे थे।
ReplyDeleteलॉक डॉउन के समय मेरे मन में बीमारी से पीड़ित होने का डर था क्योंकी में कोविड सेल्टर होम में सेवा कर रहा था तो घर आने पर खुद को रोजाना स्वच्छ करके ही आता था
ReplyDeleteश्रीमती सुभद्रा चौहान प्राथमिक शाला क्रमांक 14 धार मध्य प्रदेश । लोक डाउन के दौरान मुझे मेरी बुजुर्ग सासू मां और मेरे 3 साल के पोते की सबसे ज्यादा चिंता रही । चिंता रही कि हमें करोना हो जाए कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन इन दोनों में से किसी एक को भी अगर इस महामारी से कोई प्रभाव पड़ता है तो हम लोगों के लिए उन्हें संभालना बड़ा मुश्किल होता । इसलिए मैंने सबसे ज्यादा सतर्कता इन दोनों के स्वास्थ्य को लेकर रखी । पूरे लॉकडाउन के दौरान इन्हें घर से कहीं बाहर नहीं जाने दिया । ना ही किसी अनजान को, घर के किसी व्यक्ति को बाहर से आने के बाद इनके पास जाने दिया । खाने पीने पर भी इन दोनों का बड़ा ही ध्यान रखा गया । एक दिन मेरी सासू मां का ब्लड प्रेशर लो हो गया वह दिन मेरे लिए सबसे कठिन बिता । क्योंकि कोई डॉक्टर उस समय इतनी सुगमता से उपलब्ध नहीं था और अस्पताल ले जाने में हमें बहुत डर लग रहा था । हमारा सौभाग्य है कि हमें एक परिचित आयुर्वेदिक डॉक्टर मिले और उन्होंने उनका उपचार करके ठीक कर दिया ।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिंतन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकते वाले मजदूरों की दुर्दशा देखी लगा कि प्रदेश में भटकने से अच्छा घर का रुखा सुखा भोजन है। अपने गांव में सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं। सब रोजगार और से अच्छा रोजगार करती है जो घर पर रहकर परिवार के साथ किया जाता है। जाने अनजाने में एवं अधूरी जानकारी के आधार पर मीडिया का कार्य भी ठीक नहीं रहा वहीअफवाह उच्च स्तर से फैली अतः वह परिवार तनाव मे रहेजिनके सदस्घय घर से दूर से कोरोना वायरस के कारण उपचार की दवा ना होने एवं भविष्य की शिक्षा कैसी होगी आशंकित है। लाकडाउन में एक बात सबसे अच्छी यह रही कि काफी समय बाद पूरे परिवार और पूरे बच्चों को एक साथ रहने का मौका मिला ।
ReplyDeleteलॉक डाउन के समय covid19 के बारे मेँ जानकार थोड़े चिन्तित हुए लेकिन जानकारी के साथ अपने को कार्य में संलग्न रखा ।तथा भ्रमिक जानकारी से दूर रहते हुए।अपना कार्य करते रहे।साफ सफाई का ध्यान रखते हुए।रामायण और महाभारत सीरियल देखा।समाचारो में लोगों की परेशानी को देखते हुए उनके प्रति सहानुभुति के विचार मन में आए।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान विभिन्न माध्यमों से प्राप्त जानकारी और सूचनाओं के आधार पर मन में भय उत्पन्न हुआ और कोविड-19 की भयावह स्थिति की जानकारी समाचार पत्र एवं समाचार चैनलों और सोशल मीडिया से प्राप्त होने से मन में भय उत्पन्न हुआ और प्रभावितों के लिए दुख के भाव और संवेदना भी उत्पन्न हुई भय और दुख से बचने के लिए दूरदर्शन पर प्रसारित धारावाहिक रामायण एवं महाभारत ने अत्यधिक संबल प्रदान किया और मन में विश्वास उत्पन्न कराया कि यह परिस्थितियां भी एक दिन दूर हो जाएगी और परिवार के साथ ने भी बड़ी हिम्मत बंधाई।
ReplyDeleteहुए थे कि यह क्या हो गया और अब आगे क्या होगा।लेकिन हमारे प्रधानमंत्री जी के नित नए प्रयोग जैसे दूरी बनाए रखना , ताली , थाली और शंख बजाना , दिए जलाना इन सब ने हमारी हिम्मत को बढ़ाया और सभी देशवासियों को इस महामारी से लड़ने की शक्ति मिली। इसके अलावा हमने भक्ति की शक्ति को भी जाना
ReplyDeleteसुंदरकांड , हनुमान चालीसा ,हनुमान अष्टक, बजरंग बाण का प्रतिदिन पाठ कर हमने अपने आसपास ईश्वरीय शक्ति को भी महसूस किया
लॉकडाउन के दौरान प्राप्त समाचारों से भविष्य के प्रति चिंतन पैदा हुआ रोजगार के लिए भटकते वाले मजदूरों की दुर्दशा देखी लगा कि प्रदेश में भटकने से अच्छा घर का रुखा सुखा भोजन है। अपने गांव में सब अपने होते हैं जो सदैव एक दूसरे की मदद करने तैयार रहते हैं।
ReplyDeleteलोगों को कई प्रकार की समस्याएं आई | उन्हें अपने घर में बंद होकर रहना पड़ा ,तथा बच्चों की पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ा, और उनकी पढ़ाई कुछ समय के लिए जैसे लगभग चौपट हो गई ,लेकिन हमारी मध्य प्रदेश सरकार ने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए व्हाट्सएप के माध्यम से पढ़ाई को जारी रखा और हमारे शिक्षकों के लिए भी सीएम rise के नाम से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए|
ReplyDeleteलोगों को कई प्रकार की समस्याएं आई | उन्हें अपने घर में बंद होकर रहना पड़ा ,तथा बच्चों की पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ा, और उनकी पढ़ाई कुछ समय के लिए जैसे लगभग चौपट हो गई ,लेकिन हमारी मध्य प्रदेश सरकार ने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए व्हाट्सएप के माध्यम से पढ़ाई को जारी रखा और हमारे शिक्षकों के लिए भी सीएम rise के नाम से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए|
ReplyDeleteलाकडाउन का अनुभव एक कठिन समय की याद दिलाता है। हमारे मोहल्ले के कुछ लोग हाथ ठेले पर फेरी लगाकर जीविका चलाते थे,पर लाक डाउन के कारण उनकी परेशानी बहुत बढ़ गई थी।तब पूरे मोहल्ले के लोगों ने उनका आर्थिक सहयोग कर के उनका पूरा साथ दिया। इस तरह से हमने मानवता का एक रूप देखा।
ReplyDeleteRAJPAL THAKUR कोविड 19 के दौरान जब घर से निकलना बंद हो गया था उस समय ऐसा लग रहा था जैसे जिंदगी थम गई थी ! जब हमें ऐसा लगा की अब बहुत ही बुरा दौर आया है हमे अपनों को भी बचाना है और खुद की भी कोविड 19 के दौरान जो लोग हाथ ठेले पर अपनी जीविका चलाते थे उनकी क्या स्थिति रही ये सब सोच कर एक तरह का ऐसे परिस्थियों से सामना किया कि कहि इस महामारी मे हम अपने को न खो दे
ReplyDeleteकोविड-19 बेसिक महामारी में जब lock-down जैसी स्थिति पैदा हुई आदरणीय प्रधानमंत्री हमारे देश के मोदी जी द्वारा पहला ही सतर्कता बरतते हुए जनता कर्फ्यू फिर दिया जलाना इन सबके अलावा ईश्वरीय आराधना भक्ति उसके बाद प्रत्येक गांव शहर में लोगों का वापस आना की व्यवस्था व आइसोलेशन में ड्यूटी करना इन सब को सामने देखते हुए धैर्य पूर्वक लोगों को धैर्य रखा है कुछ मजदूर वर्ग जो बाहर से अपने गांव में वापस पलायन किया उनके भोजन की व्यवस्था करना टीवी चैनल द्वारा बार-बार महामारी के बारे में बताना इन सब से भयभीत लोगों में धैर्य धारण कर कर बनाना यह सब सबक इस कोविड-19 में हमको मिले
ReplyDeleteइस कोरोना महामारी ने मानव जीवन को पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया |कोविड -महामारी के कारण संपूर्ण देश में लोक डाउन लग जाने से
ReplyDeleteलोगों को कई प्रकार की समस्याएं आई | उन्हें अपने घर में बंद होकर रहना पड़ा ,तथा बच्चों की पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ा, और उनकी पढ़ाई कुछ समय के लिए जैसे लगभग चौपट हो गई ,लेकिन हमारी मध्य प्रदेश सरकार ने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए व्हाट्सएप के माध्यम से पढ़ाई को जारी रखा और हमारे शिक्षकों के लिए भी सीएम rise के नाम से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए| जिससे हमारे शिक्षक भाई प्रशिक्षण ले रहे थे, और बच्चों को भी मोबाइल के माध्यम से संपर्क करके गतिविधियों को पढ़ा रहे थे| लेकिन इस लॉकडाउन में मजदूर वर्ग बहुत परेशान रहा क्योंकि यह लोग जो दिन भर कमाते हैं, उसी से अपना पेट भरते हैlockdown की स्थिति में उनकी मजदूरी छिन गई, और उनके पेट भरना दूभर हो गया |लेकिन हमारी मध्य प्रदेश सरकार व कुछ दानवीर आगे आए जिन्होंने इनके लिए राशन ,पानी ,अनाज आदि की व्यवस्था की |
कोविड-19 जैसी महामारी के समय लगने वाला लॉकडाउन की अवधि के दौरान मन में एक भय भी था। जिससे बचाव के लिए तरह-तरह के तरीके अपनाए गए और वहीं दूसरी तरफ online क्लास के माध्यम से नई नई टेक्नोलॉजी भी सीखने को मिली जिसका एक अलग ही तरह का अनुभव जीवन के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ।
ReplyDeleteLockdown में अपने परिवार के साथ समय व्यतीत करना भी जीवन के अनमोल पल रहे,जिन्हें शायद भागदौड़ भरी जिंदगी के साथ नहीं व्यतीत कर पाते। अपने बच्चों को समय दे पाना, उन्हें समझना, उनके साथ मोबाइल कंप्यूटर आदि से नई नई जानकारियां भी सीखने को मिली जिसके कारण जीवन बहुत ही सरल और आसान सा बन गया।
कोविड - 19 में कभी भी कोई नकारात्मक विचार मुझमे नहीं आया। संतुलित भोजन लेने से इम्यूनिटी बनी रही। और मैं भावनात्मक रूप से काफी सशक्त रही। व्हाट्स अप ग्रुप में छात्रों के संपर्क में रहकर डिजिलेप द्वारा पढ़ाई चलती रही। कुल मिलाकर समय का सदुपयोग करती रही।
ReplyDeleteकोरोना से स्वयं भी बचकर रहे और दूसरो को भी बचकर रहने के लिए प्रेरित करे।
ReplyDeleteपरिसतिथि से सीखा के समय को मूल्य वानजानो कयूकि समय बदलते देर नही लगती अच्छे काम न कल पर टालो ।कम मे रहना सीको ।खुद से पहले उपर वाले पर भरोसा रखो।।।
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान उत्पन्न हुई दुखद परिस्थितियों ने कुछ समय के लिए तो हम सभी को चिंता में डाल दिया था परंतु जब विचार किया कि हम ही नहीं पूरे विश्व में इस प्रकार की बीमारी फैली है तो धीरे धीरे इस कठिन परिस्थिति में हम सभी ने जीना सीखा और इस कठिन समय में ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि इस महामारी का जल्द से जल्द विनाश हो और हम सभी पूर्व की भांति जीवन जीने लगे
ReplyDeleteMaine lockdown me sanitization ka dhyan rakha. Bahar se aane par hatho ko dhona, mask ka use Kiya. Immunity badhane wali cheejein khayi.
ReplyDeleteलोगों को कई प्रकार की समस्याएं आई | उन्हें अपने घर में बंद होकर रहना पड़ा ,तथा बच्चों की पढ़ाई पर बहुत बुरा असर पड़ा, और उनकी पढ़ाई कुछ समय के लिए जैसे लगभग चौपट हो गई ,लेकिन हमारी मध्य प्रदेश सरकार ने बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने के लिए व्हाट्सएप के माध्यम से पढ़ाई को जारी रखा और हमारे शिक्षकों के लिए भी सीएम rise के नाम से प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए| जिससे हमारे शिक्षक भाई प्रशिक्षण ले रहे थे, और बच्चों को भी मोबाइल के माध्यम से संपर्क करके गतिविधियों को पढ़ा रहे थे| लेकिन इस लॉकडाउन में मजदूर वर्ग बहुत परेशान रहा क्योंकि यह लोग जो दिन भर कमाते हैं, उसी से अपना पेट भरते हैlockdown की स्थिति में उनकी मजदूरी छिन गई, और उनके पेट भरना दूभर हो गया |लेकिन हमारी मध्य प्रदेश सरकार व कुछ दानवीर आगे आए जिन्होंने इनके लिए राशन ,पानी ,अनाज आदि की व्यवस्था की |जिससे उनको कुछ राहत पहुंची |
ReplyDeleteलॉकडाउन के दौरान कई मार्मिक दृश्य को देखने और महसूस करने का दुखद अनुभव प्राप्त हुआ उसी दौरान मेरे बेटे का एक साथी जो मजदूरी के लिए राजस्थान गया हुआ था और 25 तारीख मार्च की के दिन मैंने अपने बेटे से पूछा के बेटा तेरे दोस्त का क्या हुआ वह कहां है तब उसने बताया कि वह तो राजस्थान के कोटा में कहीं नौकरी कर रहा है जब उससे फोन लगाकर जानकारी चाही गई तब उसने बताया की मैं पिछले 3 दिनों से पैदल चलकर अपने गांव जा रहा हूं एवं 2 दिवस से खाना भी नहीं खाया तब मेरा मन बहुत विचलित हुआ और बड़ी बेचैनी सी महसूस हुई उसी दौरान मेरे बेटे ने अपने फेसबुक फ्रेंड के माध्यम से उसकी सहायता करवाई उसे भोजन और आवास की व्यवस्था के साथ अपने गंतव्य तक पहुंचाने का दुर्लभ कार्य भी संपन्न करवाया तब महसूस हुआ कि मानवता आज भी जिंदा है
ReplyDeleteधन्यवाद
श्रद्धानंद उपाध्याय शासकीय माध्यमिक विद्यालय मौसार तहसील बदनावर जिला धार मध्य प्रदेश
Lockdown k samay hum sab ne musibato se ladna sikha tatha ek dusre k sukh dukh ko samjha tatha ek dusre ki madat ki
ReplyDeleteHamare ghar pariwar men kai log berozgar how gaye. Humane jeevan Jine ke tarIke seekh liye .
ReplyDeleteनमस्कार...
ReplyDelete"लाकडाउन" अर्थात तालाबंदी के समय जब पूरा देश कोरोना वायरस से लड़ने के लिएअपने-अपने घरों में बंद था। उस समय हम लोग सूचना प्रोद्योगिकी से जुड़े टेलीविजन, फोन,स्वास्थ्य सेवाओं,जर्नलिज़्म,सुरक्षा कर्मियों,सैनिकों और विद्युतआपूर्ति जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं में लगे प्रत्येक व्यक्ति के लिए अपना हृदय से आभार व्यक्त कर रहे थे। क्योंकि इनके विपरीत परिस्थितियों में भी अपने कर्तव्य पर अडिग खडे होने की वजह से हम घर दुपके बैठे देश दुनिया से वर्चुअल रूप में जुड़े हुए थे।
एक शिक्षक के लिए चिंतन के दो प्रमुख पहलू होते हैं-पहला उसका परिवार और दूसरा उसका विद्यालय। इस समय हमारी बेटी अंजलि दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ रही थी। जिसके स्वास्थ्य की चिंता हमें दिन-रात रहती थी। दूसरी ओर लॉकडाउन में ही सीएम राइस प्रशिक्षणो का उदय हो चुका था। जो हमें हमारे छात्रों से फोन पर जुड़े रहने में मदद कर रहा था।
लाकडाउन के दौरान,मजदूर भाइयों के काम छोड़ कर घर वापसी के वीडियोस मन की संवेदना को झकझोर रहे थे। हमारे कुछ मित्रों ने मिलकर स्वयंसेवा के रूप में, इनके भोजन-पानी,कपड़ा-मास्क आदि की इन्हें मदद के रूप में एक कार योजना बनाई। और सुरक्षात्मक तरीके अपनाते हुए हम लोगों ने धीरे धीरे घर से बाहर निकलना शुरू किया।
इस विषम और भयावह परिस्थिति में, मेरा और घर के सदस्यों का धैर्य ना टूटे,हमरी सोच सकारात्मक बनी रहे इस हेतु हम अपने पुत्र तरुण के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम दो-दो घंटे गिटार बजाया करने थे, और अपने संगीत के छोटे-छोटे वीडियो बनाकर उन्हें सकारात्मक संदेश के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करते थे। ताकि हम से ज्यादा से ज्यादा जुड़े लोगों तक सोशल डिस्टेंसिंग का संदेश पहुंचाया जा सके। यही संदेश आत्मक कार्य अपनी छत पर योगा कर अपने साथ दूसरों को भी स्वस्थ रखने के लिए किया करते थे।
इस प्रकार हम ने जुगनू बन कर,एक शिक्षक होने का धर्म खुद और दूसरों को भी इस वैश्विक महामारी के दौरान-,स्वस्थ रह पाने में अपनी और दूसरों की मदद करते हुए निभाया।
धन्यवाद....।
करोना के दौरान हमारे बच्चे घर पर नहीं थे हम लोगों ने हिम्मत से काम लिया ईश्वर का नाम लिया।cm. Rise से प्र शिक्षण लिया बच्चों को आनलाइन पढ़ाने का आनन्द लिया उन्हें मार्ग दर्शन दिया अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने का प्रयास किया पास-पड़ोस से मेलजोल बढ़ा एक दूसरे के सुख दुःख में मददगार बने।
ReplyDeleteme diliprolas ps Akhand jsk sulgoun block punasa district khandwa
ReplyDeletemene covid-19 me anubhav kiya ki jiwan kitna mahtva purn he or eski mahta ka anubhav hua
लॉक डाउन के दौरान उत्पन्न विषम परिस्थितियों ने कुछ समय के लिए चिंतित कर दिया पर जब विचार किया कि हम अकेले नहीं हैं बल्कि पूरा विश्व ही इस आपदा से प्रभावित हुआ है और इसी के साथ जीना है।तब थोड़ा धेर्य बधा और घर में रह कर सोशल मीडिया मे फैली अफवाहों से दूर रह कर ध्यान पूजा पाठ और सकारात्मक विचार पर ध्यान केंद्रित किया।
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान उत्पन्न विषम परिस्थितियों ने कुछ समय के लिए चिंतित कर दिया पर जब विचार किया कि हम अकेले नहीं हैं बल्कि पूरा विश्व ही इस आपदा से प्रभावित हुआ है और इसी के साथ जीना है।तब थोड़ा धेर्य बधा और घर में रह कर सोशल मीडिया मे फैली अफवाहों से दूर रह कर ध्यान पूजा पाठ और सकारात्मक विचार पर ध्यान केंद्रित किया।
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान उत्पन्न विषम परिस्थितियों ने कुछ समय के लिए चिंतित कर दिया पर जब विचार किया कि हम अकेले नहीं हैं बल्कि पूरा विश्व ही इस आपदा से प्रभावित हुआ है और इसी के साथ जीना है।तब थोड़ा धेर्य बधा और घर में रह कर सोशल मीडिया मे फैली अफवाहों से दूर रह कर ध्यान पूजा पाठ और सकारात्मक विचार पर ध्यान केंद्रित किया।
ReplyDeleteलॉक डाउन के दौरान उत्पन्न विषम परिस्थितियों ने कुछ समय के लिए चिंतित कर दिया पर जब विचार किया कि हम अकेले नहीं हैं बल्कि पूरा विश्व ही इस आपदा से प्रभावित हुआ है और इसी के साथ जीना है।तब थोड़ा धेर्य बधा और घर में रह कर सोशल मीडिया मे फैली अफवाहों से दूर रह कर ध्यान पूजा पाठ और सकारात्मक विचार पर ध्यान केंद्रित किया।
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