मॉड्यूल 16 गतिविधि 6: अपने विचार साझा करें
सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है। किये गये चरणों का पालन करके सहयोगी दीवार पर लगभग 50 शब्दों का एक परिच्छेद लिखकर अपने विचारों को साझा करें
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Education is power. It makes us strong. Gandhiji always says that every student must take commercial education with normal education. Student should not be a burdon on parents. They can arrang there educational expenses. Japan and America are two world where commercial education is a part of everybody life.
ReplyDeleteजीवन में स्वावलंबन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन हेतु धन आवश्यक है।हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदत किये जानेवाले ज्ञान में कार्य व्यवहार की कमी है।अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अतिआवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप कोभी समझेंगे। इसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
Deleteधन्यवाद।
भागीरथ अहिरवार विदिशा MP
Jeevan me aatmanirnhar, salamaan, swabhiman, atmavisvasa banne ke liye vartmaan shiksha pranaali ke sath-sath vyavsayik shiksha ati aavashyak hai. Isaliye ham kah sakte hai school and uchcha shiksha pranaali me vyavasayik shiksha ko atrim kiya jana chahiye. Taki students rojgar unmukh shiksha prapta kar aatmanirbhar van sake. ---Basudev Paul, Betul, M. P.
Deleteसामान्य शिक्षा और वयवसाइक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए ताकि हर बचच ा आगे बड़ सके
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है। व्यावसायिक का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा में सहायक होगी। इसलिए हम कह सकते हैं की स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है। कैलाश दास बैरागी सहायक शिक्षक शा प्रा वि बाढ़कुम्मेद उज्जैन (म.प्र.)
DeleteSchooli shiksha ke sath sath byabharik abm byabharik shiksha jaruri hai.
Deleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान समय मे बहुत ही आवश्यक और अनिवार्य घटक है। इससे बच्चो मे स्वावलंबी बनने का गुण विकसित होगा ओर आत्म विश्वास भी जागृत होगा
Deleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है | व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा मे सहायक होगी |इसलिए हम कह सकते है कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है|
ReplyDeleteमा शा गुगवारा ,देवरी,सागर |
जब हमारी बाल्यवस्था थी उस समय पूर्व प्राथमिक कक्षाएं नहीं होती थी बच्चों का नाम 7 साल की उम्र में लिखा जाता था शिक्षक द्वारा उम्र का अनुमान लगाने के लिए हाथ कान में पुराया जाता था जिस बच्चे का हाथ कान में पहुंच जाता था उसका एडमिशन हो जाता था शिक्षक द्वारा मेरा भी हाथ पुराया गया और कक्षा पहली में नाम दर्ज किया गया मैने सर्वप्रथम चल रे मटके टम्मक टू कविता याद किया जो इस प्रकार है- चल रे मटके टम्मक टूं
ReplyDeleteहुए बहुत दिन बुढ़िया एक
चलती थी लाठी को टेक
उसके पास बहुत था माल
जाना था उसको ससुराल
मगर राह में चीते शेर
लेते थे राही को घेर
बुढ़िया ने सोची तदबीर
जिससे चमक उठीं तकदीर
मटका एक मंगाया मोल
लंबा-लंबा गोल मटोल
गुड़िया उस में बैठी आप
वह ससुराल चली चुप चाप
गुड़िया गाती जाती यूं
चल रे मटके टम्मक टूं
जब हमारी बाल्यवस्था थी उस समय पूर्व प्राथमिक कक्षाएं नहीं होती थी बच्चों का नाम 7 साल की उम्र में लिखा जाता था शिक्षक द्वारा उम्र का अनुमान लगाने के लिए हाथ कान में पुराया जाता था जिस बच्चे का हाथ कान में पहुंच जाता था उसका एडमिशन हो जाता था शिक्षक द्वारा मेरा भी हाथ पुराया गया और कक्षा पहली में नाम दर्ज किया गया मैने सर्वप्रथम चल रे मटके टम्मक टू कविता याद किया जो इस प्रकार है- चल रे मटके टम्मक टूं
हुए बहुत दिन बुढ़िया एक
चलती थी लाठी को टेक
उसके पास बहुत था माल
जाना था उसको ससुराल
मगर राह में चीते शेर
लेते थे राही को घेर
बुढ़िया ने सोची तदबीर
जिससे चमक उठीं तकदीर
मटका एक मंगाया मोल
लंबा-लंबा गोल मटोल
गुड़िया उस में बैठी आप
वह ससुराल चली चुप चाप
गुड़िया गाती जाती यूं
चल रे मटके टम्मक टूं
जब हमारी बाल्यवस्था थी उस समय पूर्व प्राथमिक कक्षाएं नहीं होती थी बच्चों का नाम 7 साल की उम्र में लिखा जाता था शिक्षक द्वारा उम्र का अनुमान लगाने के लिए हाथ कान में पुराया जाता था जिस बच्चे का हाथ कान में पहुंच जाता था उसका एडमिशन हो जाता था शिक्षक द्वारा मेरा भी हाथ पुराया गया और कक्षा पहली में नाम दर्ज किया गया मैने सर्वप्रथम चल रे मटके टम्मक टू कविता याद किया जो इस प्रकार है- चल रे मटके टम्मक टूं
ReplyDeleteहुए बहुत दिन बुढ़िया एक
चलती थी लाठी को टेक
उसके पास बहुत था माल
जाना था उसको ससुराल
मगर राह में चीते शेर
लेते थे राही को घेर
बुढ़िया ने सोची तदबीर
जिससे चमक उठीं तकदीर
मटका एक मंगाया मोल
लंबा-लंबा गोल मटोल
गुड़िया उस में बैठी आप
वह ससुराल चली चुप चाप
गुड़िया गाती जाती यूं
चल रे मटके टम्मक टूं
नमस्कार,
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
धन्यवाद ...
संतोष कुमार अठया
( सहायक- शिक्षक )
शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा
जिला - दमोह ( म. प्र. )
संजय जासूजा,
ReplyDeleteमाध्यमिक शिक्षक,
शासकीय माद्यमिक शाला कसही,
पनागर, जबलपुर (म.प्र.)
सादर नमस्कार
जीवन में स्वावलंबन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन हेतु धन आवश्यक है।हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदत किये जानेवाले ज्ञान में कार्य व्यवहार की कमी है।अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अतिआवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप कोभी समझेंगे। इसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
धन्यवाद।
प्रीति सोनी , धमना , नरसिंहपुर
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा वर्तमान समय में एक बेहतर विकल्प है। इससे बच्चे के अंदर की छुपी हुई प्रतिभा सामने आती है जो उसको उसकी पहचान दिलाती है। विद्यार्थी का आत्मविश्वास भी बढ़ता है ।
जब लोगों के पास अपना हुनर होगा , तो बेरोजगारी भी कम होगी।
सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का समन्वय छात्रों के लिए बहुत बहुत ही लाभदायक होगा । क्योंकि जब वे स्वयं व्यावहारिक रूप में कार्य करते हैं तो वह उसे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छी तरह से उपयोग में लायेंगे।
Deleteसामान्य शिक्षा और वयवसाइक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए ताकि हर बचच ा आगे बड़ सकेl
ReplyDeleteराजेंद्र प्रसाद मिश्र सहायक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मण पुर जिला रीवा मध्यप्रदेश मेरे समझ से सामान शिक्षा अक्षर ज्ञान से आगे कुछ नहीं है सामान्य शिक्षा से हम रोड पर लिखे किलोमीटर की दूरी जान सकते हैं बसें कौन कहां जाती हैं यदि वास्तव में सामान्य शिक्षा के साथ प्राथमिक कक्षाओं से माध्यमिक कक्षाओं तक कई व्यवसायों की जानकारी दी जाए तब तक बच्चे के व्यवसायिक रुझान का भी पता लग जाएगा कि वह किस व्यवसाय में अधिक रुचि रखता है तब उस कौशल पर बालक को अधिक दक्ष किया जाए तो वह पूरे मनोयोग से कुशलता पूर्वक उत्तम किस्म का उत्पाद दे सकेगा
ReplyDeleteसावन शिक्षा मेरे समझ से अक्षर ज्ञान से आगे कुछ भी नहीं है सामान्य शिक्षा पर रोड में लिखें किलोमीटर की दूरी पढ़ी जा सकती है बसें कौन कहां जाती है रास्ता कहां सकरा है कहां पुल है आगे स्कूल है आदि यदि वास्तव में सामान्य शिक्षा के साथ प्राथमिक कक्षा से माध्यमिक कक्षाओं तक कई व्यवसायियों की जानकारी बच्चों को दी जाए तब तक बच्चे के रुझान का भी पता लग जाएगा कि वह किस व्यवसाय में अधिक रुचि रखता है तब उस कौशल पर अधिक बल देकर बच्चों को दक्ष किया जाए तो वह पूरे मनोयोग से कुशलता पूर्वक उत्तम किस्म का उत्पाद दे सकेगा
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए,
ReplyDeleteसावन शिक्षा मेरे समझ से अक्षर ज्ञान से आगे कुछ भी नहीं है सामान्य शिक्षा पर रोड में लिखें किलोमीटर की दूरी पढ़ी जा सकती है बसें कौन कहां जाती है रास्ता कहां सकरा है कहां पुल है आगे स्कूल है आदि यदि वास्तव में सामान्य शिक्षा के साथ प्राथमिक कक्षा से माध्यमिक कक्षाओं तक कई व्यवसायियों की जानकारी बच्चों को दी जाए तब तक बच्चे के रुझान का भी पता लग जाएगा कि वह किस व्यवसाय में अधिक रुचि रखता है तब उस कौशल पर अधिक बल देकर बच्चों को दक्ष किया जाए तो वह पूरे मनोयोग से कुशलता पूर्वक उत्तम किस्म का उत्पाद दे सकेगा
Deleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए,
Deleteका प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है | व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा मे सहायक होगी |इसलिए हम कह सकते है कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा और वयवसाइक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए ताकि हर बचच ा आगे बड़ सके
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
ReplyDeleteधन्यवाद ...
नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत पूर्व माध्यमिक स्तर से ही बच्चो को उनके भावी विकास के लिए पूर्व व्यवसाय के लिए चिंतन से संबंधित ,भविष्य के लिए जीवन निर्माण के विषय मे सोच पैदा करना,उनमें छिपी कौशल को उभारने के लिए सोच पैदा करना ही मुख्य उद्देश्य है।
ReplyDeleteताकि उनका भावी जीवन सुखद और निरंतर चलने के लिए तैयार हो सके।प्राथमिक स्तर से ही अपने हुनर ,कलाकौशल के प्रति जागरूकता आ सके और वे एक भावी अच्छे नागरिक बन सके।माध्यमिक स्तर से ही उनमें वह सोच पैदा हो सके कि उन्हें आगामी जीवन मे किस क्षेत्र में अपनी भूमिका निभानी है।
उनकी रुचि के क्षेत्र जागृत करने में प्राथमिक प्रयास से ही संभव हो सके।
शिक्षा के क्षेत्र हो या तकनीकी, उनके रुचि के अनुसार चयन का मार्ग निर्धारित हो सके।
एक सफल जीवन यापन के लिए यह जरूरी है कि उनमें जीवन कौसल की नींव शुरुवाती दौर से ही डाली जाय, एवं एक रुचिकर मार्ग तैयार हो सके।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा वर्तमान समय में एक बेहतर विकल्प हैं। इससे बच्चे के अंदर कि छुपी हुई प्रतिभा सामने आती हैं। जो उसके उसकी पहचान दिलाती हैं।विद्यार्थी का आत्म विश्वास भी बढ़ता है।
ReplyDeleteजब लोगों के पास अपना हुनर होगा तो बेरोजगारी भी कम होगी।
समान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का शिक्षण भी बच्चो के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए। ताकि हर बच्चा आगे बढ़ सके।
ReplyDeleteमें योगेन्द्र सिंह रघुवंशी श मा शाला बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी मेरे विचार सेव्यावसायिक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए जब लोगों के पास अपना हुनर होगा तो बेरोजगारी भी कम होगी। और जब प्रत्यक व्यक्ति की आय में वृद्धि होगी तो हमारा देश और दुनिया में विकाश करेगा
ReplyDeleteएक सफल जीवन यापन के लिए यह जरूरी है कि उनमें जीवन कौशल की नींव शुरुआती दौर से ही डाली जाए यह एक रुचिकर मार्ग तैयार हो सके समान शिक्षा और व्यवसायिक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए ताकि हर बच्चा आगे बढ़ सके।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है | व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा मे सहायक होगी |इसलिए हम कह सकते है कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है|
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए। ताकि हर बच्चा आगे बढ़ सके।
मोबाइल ५ पर गतिचीधि ५र्ण लिखना संभव नहीं।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा अतयंत आवश्यक है बच्चों का सर्वागीण विकास के लिए अतयंत आवश्यक है बच्चों का मनोबल बढ़ाने के लिए अतयंत आवश्यक है बच्चे जब ऐसा करते हैं तब बहुत ख़ुश रहते हैं
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है | व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा मे सहायक होगी |इसलिए हम कह सकते है कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है|
ReplyDeleteमा शा गुगवारा ,देवरी,सागर |
Alka singh (GPS hati)
ReplyDeleteVocational education is necessary along with general education .it is necessary for the all round development of children.
Thanku
सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा अतयंत आवश्यक है बच्चों का सर्वागीण विकास के लिए अतयंत आवश्यक है बच्चों का मनोबल बढ़ाने के लिए अतयंत आवश्यक है बच्चे जब ऐसा करते हैं तब बहुत ख़ुश रहते हैं
ReplyDeleteTeacher and student ara both good vue for it
ReplyDeleteप्रश्न की भाषा ज्यादा समझ में नहीं आई परंतु मैं कह सकता हूं साक्षर होने के बाद सामान्य शिक्षा को ही व्यावसायिक बना देना चाहिए जो पॉलिटेक्निक किया है 10वीं या 12वीं के बाद देते हैं उसे आठवीं के बाद दिया जाना चाहिए उच्च शिक्षा के लिए इच्छुक विद्यार्थी शौक से अपने-अपने क्षेत्र कोर्स कर सकते हैं
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण करना बहुत ही जरूरी है| सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण हो जाने से जो हमारा विद्यार्थी है, वह शिक्षा ग्रहण करने के बाद बेरोजगार नहीं घूमेगा |हम देखते हैं कि हमारा विद्यार्थी बी.ए. और एम.ए .पढ़ने के बाद भी बेरोजगार घूमता रहता है उसके पास रोजगार के अवसर नहीं होते हैं| लेकिन सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण हो जाने से उसके अंदर जो प्रतिभाएं छुपी हुई हैं, उनका समुचित प्रयोग हो सकेगा और वह स्वयं का रोजगार स्थापित कर ,अपना जीवन बेहतर तरीके से जी सकेगा ,तथा अपना जीवन निर्वाह भी कुशलतापूर्वक कर सकेगा| अतः सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण आज की आवश्यकता है ,जरूरत है |वस्तुतः हम कह सकते हैं कि, सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण बहुत जरूरी है |यह सोने पर सुहागा लगने का कार्य करेगा |मैं रघुवीर गुप्ता -शासकीय प्राथमिक विद्यालय- नयागांव जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सहसराम विकासखंड -विजयपुर जिला -श्योपुर (मध्य प्रदेश)
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ कार्य व्यवहार एवं व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को देना नितांत आवश्यक है आज के परिदृश्य में बच्चों को शिक्षा ज्ञान के साथ-साथ होनर सिखाना बहुत आवश्यक है जिससे कि भविष्य में रोजगार के संकट से लड़ा जा सके एवं युवा बेरोजगारी में कमी आए व्यावसायिक शिक्षा देने के लिए विद्यालयों में सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ प्रायोगिक ज्ञान के लिए उपकरण की व्यवस्था विद्यालयों में होना चाहिए
ReplyDeleteनई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत पूर्व माध्यमिक स्तर से ही बच्चो को उनके भावी विकास के लिए पूर्व व्यवसाय के लिए चिंतन से संबंधित ,भविष्य के लिए जीवन निर्माण के विषय मे सोच पैदा करना,उनमें छिपी कौशल को उभारने के लिए सोच पैदा करना ही मुख्य उद्देश्य है।
ReplyDeleteताकि उनका भावी जीवन सुखद और निरंतर चलने के लिए तैयार हो सके।प्राथमिक स्तर से ही अपने हुनर ,कलाकौशल के प्रति जागरूकता आ सके और वे एक भावी अच्छे नागरिक बन सके।माध्यमिक स्तर से ही उनमें वह सोच पैदा हो सके कि उन्हें आगामी जीवन मे किस क्षेत्र में अपनी भूमिका निभानी है।
उनकी रुचि के क्षेत्र जागृत करने में प्राथमिक प्रयास से ही संभव हो सके।
शिक्षा के क्षेत्र हो या तकनीकी, उनके रुचि के अनुसार चयन का मार्ग निर्धारित हो सके।
Samany shiksha ke sath vyavasayik shiksha ke ekikaran se bacchon ko rojgar chayan karne aur ruchi anusar karya karne men aasani hogi.
Deleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का समन्वय छात्र के लिए बहुत बहुत ही लाभदायक होगा व्यावसायिक शिक्षा से बच्चों का स्वागत विकास होगा
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए ताकि बच्चों की छमता का विकास हो सके
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए। ताकि बच्चो की छमता का विकास हो सके।
ReplyDeleteSaman Shiksha vayavsayik Shiksha uchch Shiksha teenon ke ekikaran se bacchon mein skill ka vikash hota h jivan bacchon ke future ka Nirman karne mein sahayak siddh hi sabhi bacchon ke Vikas mein sahayak Sid hoti hai
ReplyDeleteप्राचीन भारतीय शिक्षा केवल सैध्दांतिक नही थी,बल्कि जीवन और कार्य की वास्तविकताओं से सम्बंधित थी।गुरुकुल शिक्षा व्यबस्था में विद्यार्थी, विषयों से सम्बंधित ज्ञान और व्यावसायिक कौशल तथा जीवन कौशल की शिक्षा ग्रहण की जाती थी।सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा में किताबी ज्ञान और ज्ञान के अनुप्रयोग के बीच की सीमाओं को कम करेगा,बल्कि विद्यार्थियों को कार्यक्षेत्रो में कौशलपूर्ण आवश्यकताओ को भी उजागर करेगा।स्कूल एवं उच्च शिक्षा में युवा की पहल से उधमता की भावना विकसित होगी तथा श्रम बाजार में प्रवेश के अवसर प्राप्त किये जा सकेंगे।श्रम बाजार प्रासंगिक योग्यता की ओर नही ले जाते है,लेकिन विद्यार्थियों में ज्ञान कौशल एवं व्यावसायिक दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद करेगा।
ReplyDeleteजब हम बालक होते है तो पूर्व व्यवसायिक शिक्षा दी जाती ये केवल कक्षा 6 से 8 तक के लिए होती है जब हम कक्षा 8 पास करलेते है तो हमें व्यावसायिक शिक्षा दी जाती है तथा हमें विषय चुनने का अधिकार भी होता है जिस विषय में रूचि होती है वह विषय हम चुनते है विषय अनुसार ही हम व्यवसाय के लिए तैयार होते है।
ReplyDeleteप्राथमिक ,माध्यमिक व उच्च शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा के साथ एकीकरण छात्रों को व्यवहारिक समझ तो प्रदान करेगा ही साथ ही जीविकोपार्जन की भी व्यवस्था करेगा ।
ReplyDeleteSeema khalil Bps Chandbarh Bhopal
ReplyDelete6to8tk hi agar professional education bhi di jaye toy students ke liye uski practical life ke liyebahit beneficial hogi than alag se higher education ke baad professional streem ke
जीवन में आत्मविश्वास, आत्मसम्मान ,स्वावलंबन और जीवन यापन कौशल प्राप्त करने हेतु सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त करना आवश्यक है, ताकि मानवीय गुणों का समग्र विकास हो सके तथा हम स्वयं ,परिवार ,समाज एवं देश की उन्नति व प्रगति में योगदान कर सकें।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
Pushpa singh MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station.
ReplyDeleteVayvsaik education students ko unke jeevan me economically support karte hai.
Education complete hone ke bad apni pasand la job Chun ne me madam karti hai.schools me students ko pathyakram k sath vayvsaik shiksha unke career ko aage bdhane me bhi sahayak hai.
Aaj ke Badalte Daur Mein Vyavsayik Shiksha ka Apna alag mahatva Vyavsayik Shiksha ke Madhyam se ekikaran Shiksha par Jor padega Jiske Karan chhatron ko Apna Bhavishya Banane Mein Aage madad Milegi Isko Laga stream banane ke Bajaye Bachpan se chhatron ko Aadat Deni padegi
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ कार्य व्यवहार एवं व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को देना नितांत आवश्यक है आज के परिदृश्य में बच्चों को शिक्षा ज्ञान के साथ-साथ होनर सिखाना बहुत आवश्यक है जिससे कि भविष्य में रोजगार के संकट से लड़ा जा सके एवं युवा बेरोजगारी में कमी आए व्यावसायिक शिक्षा देने के लिए विद्यालयों में सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ प्रायोगिक ज्ञान के लिए उपकरण की व्यवस्था विद्यालयों में होना चाहिए
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है। किये गये चरणों का पालन करके सहयोगी दीवार पर लगभग 50 शब्दों का एक परिच्छेद लिखकर अपने विचारों को साझा करें
ReplyDeleteचिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
उपरोक्त संदर्भ में सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करना एक बेहतर विकल्प है।
जीवन में स्वावलंबन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन हेतु धन आवश्यक है।हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदत्त किये जानेवाले ज्ञान में दैनिक जीवन कौशल या कार्य व्यवहार की कमी है।अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिप्रेक्ष्य में अतिआवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र पारिवारिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह करने में भी सक्षम होंगे।
जब लोगों के पास अपना हुनर होगा , तो बेरोजगारी भी कम होगी।वास्तव में सामान्य शिक्षा के साथ प्राथमिक कक्षाओं से माध्यमिक कक्षाओं तक कई व्यवसायों की जानकारी दी जाए तब तक बच्चों के व्यवसायिक रुझान का भी पता लग जाएगा कि वह किस व्यवसाय में अधिक रुचि रखता है तब उस कौशल पर बालकों को अधिक दक्ष किया जाए तो वे पूरे मनोयोग से कुशलता पूर्वक कार्य करते हुए स्वयं का, अपने परिवार का, और मानव समाज का आर्थिक विकास करने में सहायक होंगे।
सामान्य शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा के समावेश से बच्चों को अनूठी सीख मिलती है
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का समन्वय छात्रों के लिए बहुत बहुत ही लाभदायक होगा । क्योंकि जब वे स्वयं व्यावहारिक रूप में कार्य करते हैं तो वह उसे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छी तरह से उपयोग में लायेंगे।
ReplyDeleteनई शिक्षा प्रणाली में व्यवसायिक शिक्षा का उल्लेख काफी महत्वपूर्ण एवं प्रशंसनीय है आने वाली पीढ़ी इसका लाभ ले करके अपने भविष्य निर्माण में काफी सहयोग देश के लिए करेगी जिससे उनकी आने वाली पीढ़ी स्वावलंबी बन सके और नए-नए कौशलों का विकास कर अपनी आने वाली पीढ़ी को मजबूत एवं व्यावसायिक कौशल में दक्ष कर देश को ऊंचाइयों पर ले जा सके
ReplyDeleteVyavsayik Shiksha Yuva Bharat ki buniyad hai purv prathmik vyavsayik Shiksha mein vyavsay shikshak adhyayan karne ke chhatron ko vyavsay chune ki samajh ko majbut Karega dhanyvad.
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाना अति आवश्यक है
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का समन्वय छात्रों के लिए बहुत बहुत ही लाभदायक होगा । क्योंकि जब वे स्वयं व्यावहारिक रूप में कार्य करते हैं तो वह उसे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छी तरह से उपयोग में लायेंगे।
ReplyDeletegms chakgundhara GWALIOR
ReplyDeleteप्राचीन भारतीय शिक्षा केवल सैध्दांतिक नही थी,बल्कि जीवन और कार्य की वास्तविकताओं से सम्बंधित थी।गुरुकुल शिक्षा व्यबस्था में विद्यार्थी, विषयों से सम्बंधित ज्ञान और व्यावसायिक कौशल तथा जीवन कौशल की शिक्षा ग्रहण की जाती थी।सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा में किताबी ज्ञान और ज्ञान के अनुप्रयोग के बीच की सीमाओं को कम करेगा,बल्कि विद्यार्थियों को कार्यक्षेत्रो में कौशलपूर्ण आवश्यकताओ को भी उजागर करेगा।स्कूल एवं उच्च शिक्षा में युवा की पहल से उधमता की भावना विकसित होगी तथा श्रम बाजार में प्रवेश के अवसर प्राप्त किये जा सकेंगे।श्रम बाजार प्रासंगिक योग्यता की ओर नही ले जाते है,लेकिन विद्यार्थियों में ज्ञान कौशल एवं व्यावसायिक दृष्टिकोण प्राप्त करने में मदद करेगा।
सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा भी बहुत आवश्यक है क्योंकि व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान होने पर बालक अपने जीवन कि रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है तथा अपनी आजीविका को भी आसानी से चला सकता है जिससे उसके जीवन में शिक्षा प्राप्त करने का पूरा उद्देश्य प्राप्त हो जाता है राजेश कुमार जांगिड़, ढोटी स्कूल जिला श्योपुर, मध्य प्रदेश।।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा वर्तमान समय में एक बेहतर विकल्प है। इससे बच्चे के अंदर की छुपी हुई प्रतिभा सामने आती है जो उसको उसकी पहचान दिलाती है। विद्यार्थी का आत्मविश्वास भी बढ़ता है ।बच्चे अपने भविष्य को सही दिशा में ले जा सकते है।जब लोगों के पास अपना हुनर होगा , तो बेरोजगारी भी कम होगी।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा आवश्यक है।व्यावहारिक रूप मे कार्य करते हुए भविष्य मे जीवन यापन के लिए धन की जरूरत होती है,केवल किताबी ज्ञान न देकर व्यावहारिक कौशल मे अधिक दक्ष किया जाए तो विद्यार्थी पूरे मनोयोग से कुशलतापूर्वक उत्तम किस्म के उत्पादन कर देश की उन्नति मे चार चाँद लगाऐउंगे
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवहारिक शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। बच्चे अपनी दैनिक जीवन की परिस्थितियों से बहुत कुछ सीखते हैं। नई वस्तुएं है और घटनाएं उन्हें सर्वाधिक आकर्षित करती है। इसी कारण अपने परिवेश को देखकर उनमें बहुत सारी जिज्ञासाएं उत्पन्न होती हैं।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में वह घर विद्यालय परिवार एवं आस-पड़ोस के अनेक उत्पादक कार्यों में शामिल होता है जिससे ना केवल उनकी जिज्ञासा शांत होती है बल्कि परस्पर सहयोग और दूसरों की सहायता करने की प्रवृत्ति का विकास होता है।
राकेश पंथी प्राथमिक शिक्षक खैरोदा बागरोद ब्लॉक गंजबासौदा जिला विदिशा मध्य प्रदेश
By7721
प्रीति सोनी , धमना , नरसिंहपुर
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा वर्तमान समय में एक बेहतर विकल्प है। इससे बच्चे के अंदर की छुपी हुई प्रतिभा सामने आती है जो उसको उसकी पहचान दिलाती है। विद्यार्थी का आत्मविश्वास भी बढ़ता है ।
जब लोगों के पास अपना हुन
सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा आवश्यक है।व्यावहारिक रूप मे कार्य करते हुए भविष्य मे जीवन यापन के लिए धन की जरूरत होती है,केवल किताबी ज्ञान न देकर व्यावहारिक कौशल मे अधिक दक्ष किया जाए तो विद्यार्थी पूरे मनोयोग से कुशलतापूर्वक उत्तम किस्म के उत्पादन कर देश की उन्नति मे चार चाँद लगाऐउंगे
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवहारिक शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। बच्चे अपनी दैनिक जीवन की परिस्थितियों से बहुत कुछ सीखते हैं। नई वस्तुएं है और घटनाएं उन्हें सर्वाधिक आकर्षित करती है। इसी कारण अपने परिवेश को देखकर उनमें बहुत सारी जिज्ञासाएं उत्पन्न होती हैं।
ReplyDeleteइस परिपेक्ष में वह घर विद्यालय परिवार एवं आस-पड़ोस के अनेक उत्पादक कार्यों में शामिल होता है जिससे ना केवल उनकी जिज्ञासा शांत होती है बल्कि परस्पर सहयोग और दूसरों की सहायता करने की प्रवृत्ति का विकास होता है।
नई शिक्षा प्रणाली में व्यवसायिक शिक्षा का उल्लेख काफी महत्वपूर्ण एवं प्रशंसनीय है आने वाली पीढ़ी इसका लाभ ले करके अपने भविष्य निर्माण में काफी सहयोग देश के लिए करेगी जिससे उनकी आने वाली पीढ़ी स्वावलंबी बन सके और नए-नए कौशलों का विकास कर अपनी आने वाली पीढ़ी को मजबूत एवं व्यावसायिक कौशल में दक्ष कर देश को ऊंचाइयों पर ले जा सके
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा व व्यवसायिक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए जिससे सभी बच्चा आगे बड़ सके।
ReplyDeleteDHARMENDRA SINGH PARIHAR
ReplyDeleteM.s.baari
बच्चों का नाम 7 साल की उम्र में लिखा जाता था शिक्षक द्वारा उम्र का अनुमान लगाने के लिए हाथ कान में पुराया जाता था जिस बच्चे का हाथ कान में पहुंच जाता था उसका एडमिशन हो जाता था शिक्षक द्वारा मेरा भी हाथ पुराया गया और कक्षा पहली में नाम दर्ज किया गया मैने सर्वप्रथम चल रे मटके टम्मक टू कविता याद किया जो इस प्रकार है- चल रे मटके टम्मक टूं
हुए बहुत दिन बुढ़िया एक
चलती थी लाठी को टेक
उसके पास बहुत था माल
जाना था उसको ससुराल
मगर राह में चीते शेर
लेते थे राही को घेर
बुढ़िया ने सोची तदबीर
जिससे चमक उठीं तकदीर
मटका एक मंगाया मोल
लंबा-लंबा गोल मटोल
गुड़िया उस में बैठी आप
वह ससुराल चली चुप चाप
गुड़िया गाती जाती यूं
चल रे मटके टम्मक टूं
सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा वर्तमान समय में एक बेहतर विकल्प हैं।
ReplyDeleteकाम की दुनिया रोजगार कैरियर के लिए वयशाये कौशल उधमशील आत्म निर्भर आई. सी. टी शिक्षण / प्रशिक्षण कौशल विकास करना। जिससे भावी जीवन मे छात्र समाज व राष्ट् के लिए उपयोगी नागरिक वन सके।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का समन्वय छात्रों के लिए बहुत बहुत ही लाभदायक होगा । क्योंकि जब वे स्वयं व्यावहारिक रूप में कार्य करते हैं तो वह उसे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छी तरह से उपयोग में लायेंगे।
सामान्यत शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष्य में अति आवश्यक हैं। यह बुनियादी शिक्षा के साथ में व्याबसायिक शिक्षा पाठ्यक्रम आधारित हो। ताकि बच्चें में बर्तमान के परिवेश अधिगम की समझ हो सके।व्यावसायिक शिक्षा के ग्राह के लिये गतिविधि हों, ताकि बच्चें उस बर्तमान के मूलभूत आधारित अबधारणाओं के प्रति समझ विकसित हो।सोहवत लाल पटेल प्राथमिक शिक्षक पी॰ यस॰ भरतपुर तहसील मानपुर जिला उमरिया म॰प्र॰।
ReplyDeleteजीवन को सफल और सबल बनाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका हैं। और अपना मनोबल बढ़ाने में भी।
ReplyDeleteवर्तमान में विद्यालय में सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा देना अत्यंत आवश्यक है जिससे कि बच्चे रोजगार हासिल कर सकें एवं आत्मनिर्भर भारत की तरफ मजबूती से कदम बढ़ाया जा सके इसके लिए शिक्षकों को भी व्यावसायिक शिक्षा का पूर्ण प्रशिक्षण दिया जाना अत्यंत आवश्यक है जिससे कि वे बुनियादी कार्य शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञान बच्चों को उपलब्ध करा सके
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक के परिवेक्ष में अति आवश्यक यह बुनियादी शिक्षा पाठ्यक्रम आधारित हो ताकि बच्चों में वर्तमान के परिवेश अधिगम की समझ हो सके । उग्रसेन सिंह ps Bharatpur Manpur ditt.Umaria M.P.
ReplyDeleteVyavsayik.parsiksan.se.bache.rojaga.prapt.kar.aatm.nirbhar.ban.sakte.hai.
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा को समान शिक्षा से जोड़ने का जो देश है वह तो बहुत ही अच्छा है परंतु उसका क्रियान्वयन भी विद्यालयों में होना चाहिए ताकि बच्चों को उसका लाभ मिल सके तब भी इसका उद्देश्य पूर्ण माना जाएगा
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए,
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है | व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान हो जो सामान्य शिक्षा मे सहायक होगा | इसलिए यह कहा जा सकता है कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है | इससे छात्रों में आत्मनिर्भरता भी विकसित होगी।
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा एक ऐसी शिक्षा है जो विद्यार्थी जीवन से ही आरंभ की जानी चाहिए ।बच्ची की मानसिक बौद्धिक विकास होने पर बच्चे स्कूली शिक्षा के लिए तैयार हो जाते हैं। इस समय हमें उनकी व्यवसायिक शिक्षा की तैयारी कर देना चाहिए |क्योंकि जब बच्चे प्रारंभ से व्यवसायिक शिक्षा का प्रयोग करेंगे तो अधिक सक्षम बन पाएंगे इसलिए छोटी-छोटी कोर्सेज स्कूलों में भी व्यवसायिक शिक्षा के पर होना चाहिए जिससे कि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके ।धन्यवाद।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ आधुनिक शिक्षा भी दी जानी चाहिए! यह बुनियादी शिक्षा के साथ एक प्रकार की समझ व चिंतन की सामग्री है! इससे छात्रों में व्यक्तिगत गुणों का विकास होता है सामूहिक उत्तरदायित्व व स्वयं के कर्तव्य समझ पाएंगे !इसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी प्रतिभा को की पहचान करना!
ReplyDeleteSamanya Shiksha ke sath Karya vyavhar Ki Shiksha bhi avashyak hai vyavasayik Shiksha ka ekikaran gatividhi aadharit Anubhav ke Saman Hogi Jo Samanya Shiksha Mein Sahayak Hogi isliye Ham kha sakte hain ki School AVN Uchch Shiksha Pranali Mein Vyavsayik Shiksha ko stream karne se behtar Vikalp hai
ReplyDeleteनई शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा का उल्लेख काफी महत्वपूर्ण एवं प्रशंसनीय है ।आने वाली पीढ़ी इसका लाभ ले करके अपने भविष्य निर्माण में काफी सहयोग देश के लिए करेगी। जिससे उनकी आने वाली पीढ़ी स्वावलंबी बन सके और नए-नए कौशलों का विकास कर अपनी आने वाली पीढ़ी को मजबूत एवं व्यवसाय कौशल में दक्ष कर देश को ऊंचाइयों पर ले जा सके।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है | व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा मे सहायक होगी |इसलिए हम कह सकते है कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है|
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का समन्वय छात्रों के लिए बहुत लाभदायक होगा व्यावहारिक रूप में कार्य करने से स्थायी ज्ञान की प्राप्ति होगी जोउन्हे व्यावसायिक रूप से शिक्षित करेगा जिसे वे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छी तरह से उपयोग में लायेंगे।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का समन्वय छात्रों के लिए बहुत बहुत ही लाभदायक होगा । क्योंकि जब वे स्वयं व्यावहारिक रूप में कार्य करते हैं तो वह उसे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छी तरह से उपयोग में लायेंगे।
ReplyDeleteशिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा बहुत आवश्यक है ।इससे आत्म विश्वास के साथ हमारी छिपी प्रतिभा सामने आती हैं । वे आत्म निर्भर बनेंगे ।
ReplyDeleteबच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है ।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यवसाहिक शिक्षा भी देना जरूरी है ।ताकि बच्चा पढ़ाई छोडने के बाद बेरोजगार नहीं रहता।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ पूर्व व्यावसायिक शिक्षा का एकत्रीकरण व्यावसायिक शिक्षा के स्ट्रीम का प्रुमुख विकल्प है।सामान्य शिक्षा के साथ ही हम व्यवसायिक जागरूकता के साथसाथ कुछ करके सीखने का कार्य कौशल हासिल कर लेते है जो आगे चलकर हमे व्यावसायिक शिक्षा मे मददगार होता है और हम आत्मनिर्भरता की ओर बढते है सभी प्रकार की शिक्षा को भी हम अंगीकृत कर पाते है।हम स्थायी व्यवहारिक ज्ञान प्राप्त कर पाते है।अनिल केचे,स.शि.,शा.प्रा.शा.भरियाढाना, तामियाँ, पातालकोट,म.प्र.
ReplyDeleteSamanya wikha ke sath byavsayik siksha dena b zaruri hai...taki bacha padayi chorne k bad berozgar nhi rehta
ReplyDeleteएक सफल जीवन यापन के लिए यह जरूरी है कि उनमें जीवन कौसल की नींव शुरुवाती दौर से ही डाली जाय, एवं एक रुचिकर मार्ग तैयार हो सके।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ शिक्षा आज के युग में अति आवश्यक है। इससे व्यक्तिगत गुणों के साथ-साथ मानसिक गुणों का विकास होता है ।करके सीखने की प्रणाली विकसित होती है। व्यवसाय स्थापित करने की क्षमता का विकास होता है एवं जीवन सफल होता है।
ReplyDeleteअल्का बैंस शासकीय प्राथमिक शाला कूकड़ा जगत छिन्दवाड़ा
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए।
नई शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा का उल्लेख काफी महत्वपूर्ण एवं प्रशंसनीय है ।आने वाली पीढ़ी इसका लाभ ले करके अपने भविष्य निर्माण में काफी सहयोग देश के लिए करेगी। जिससे उनकी आने वाली पीढ़ी स्वावलंबी बन सके और नए-नए कौशलों का विकास कर अपनी आने वाली पीढ़ी को मजबूत एवं व्यवसाय कौशल में दक्ष कर देश को ऊंचाइयों पर ले जा सके।
स्कूलों में बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा दिया जाना एक अत्यंत आवश्यक कदम है जिससे बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ रोजगार उन्मुख ई कौशलों में विकसित हो सके और बेहतर तरीके से अपना जीवन यापन कर सके
ReplyDeleteनई शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा का उल्लेख काफी जिससे आने वाली पीढ़ी को बहुत लाभ होगा । छात्र देश को नई ऊंचाई पर ले जाएंगे ।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है | व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा मे सहायक होगी |इसलिए हम कह सकते है कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है| पवन कुमार शर्मा माध्यमिक विद्यालय उतावली विकासखंड धरमपुरी जिला धार
ReplyDeleteआज का युग तकनीकी का है इसलिये सामान्य शिक्षा के साथ साथ बच्चों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देना भी आवश्यक है जिससे युवा पीढ़ी को रोजगार के लिये परेशान न होना पड़े वह आत्मनिर्भर बने।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है | व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा मे सहायक होगी |इसलिए हम कह सकते है कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है|
ReplyDeleteजीवन में स्वावलंबन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन हेतु धन आवश्यक है।हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदत किये जानेवाले ज्ञान में कार्य व्यवहार की कमी है।अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अतिआवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप कोभी समझेंगे। इसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
ReplyDeleteस्कूली शिक्षा के साथ साथ दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली शिक्षा भी बच्चों को देना चाहिए क्योंकि प्राचीन काल में आश्रमों में यह शिक्षा दी जाती थी ।इसी तरह अब नवीन शिक्षा नीति में इस का समावेश किया जा रहा है ।
ReplyDeleteSamanya shiksha ke sath sath vayavasik shiksha vhtar hai kyoki bhavis me bache atyanirvar bante hai
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक दृष्टिकोण को जोड़ना एक बेहतर विकल्प हैं ।कयोकि इससे बच्चोंको अपने सरवागीन विकास मे सहायक हो।
ReplyDeleteसमान्य शिक्षा के साथ ब्यावसायिक शिक्षा एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से वेहतर विकल्प है क्योँकि भारत की स्थिति जैसे बहुत जनसंख्या,बहुत वेरोजगारी में मददगार साबित हो सकता है ।सबको रोजगार मिल सकता है ।
ReplyDeleteमैं इस अवधारणा से पूरी तरह सहमत हूं कि
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है।
सामान्य शिक्षा एवं व्यावसायिक शिक्षा को एकीकृत कर देने से न सिर्फ बच्चों/अभिभावकों के समय एवं पैसे की बचत होगी बल्कि पढ़ाई में उनकी रुचि भी बढ़ेगी और व्यावसायिक कौशल के विकास से उनका आत्मविश्वास भी पल्लवित होगा..
साथ ही स्कूल शिक्षा एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में भी बेहतर सामंजस्य स्थापित होगा...
और मुख्य रूप से यह अवधारणा बेरोजगारी की समस्या का रामबाण समाधान सिद्ध होगी...
धन्यवाद..
Samanya shiksha ke sath karya vyavahar ki shiksha bhi aabashaav hai vaybshyak ekikaran gatividhi aadharit anubhav ke sman hogi jo samanya shiksha me shayak hogi isliye hum keh sakte hai ki school or uchch shiksha pranali me vaybshyak shiksha ko streem karne me behtar vikalp hai
ReplyDeleteVisam parieasthitio me vyavsaek shiksha kam aati hai
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है। व्यावसायिक का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा में सहायक होगी। इसलिए हम कह सकते हैं की स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है।
ReplyDeleteवोकेशनल एजुकेशन नॉर्मल एजुकेशन का समाहित हो ना छोटे-छोटे रोजगार और टेक्निकल कला एवं आर्ट से संबंधित व्यवस्थाओं का बहना और सोए रोजगार के अवसरों के लिए सबसे अधिक लाभान्वित
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा भी आवश्यक है इससे उनको आगे बढने में मदद मिलेगी स्कूल एवं उच्च शिक्षा मैं व्यवसायिक शिक्षा बेहतर विकल्प है
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है व्यावसायिक का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी इसलिए हम कह सकते हैं कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को streem करने से बेहतर विकल्प है
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है। व्यवसायिक का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा में सहायक होगी इसलिए हम कह सकते हैं कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यवसायिक शिक्षा को स्टीम करने से बेहतर विकल्प है।
ReplyDeleteTulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal.
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है।
स्कूलों में बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा दिया जाना एक अत्यंत आवश्यक कदम है ।
जब हमारी बाल्यवस्था थी उस समय पूर्व प्राथमिक कक्षाएं नहीं होती थी बच्चों का नाम 7 साल की उम्र में लिखा जाता था शिक्षक द्वारा उम्र का अनुमान लगाने के लिए हाथ कान में पुराया जाता था जिस बच्चे का हाथ कान में पहुंच जाता था उसका एडमिशन हो जाता था शिक्षक द्वारा मेरा भी हाथ पुराया गया और कक्षा पहली में नाम दर्ज किया गया मैने सर्वप्रथम चल रे मटके टम्मक
ReplyDeleteAlong with general education, it is absolutely necessary to provide work behavior and vocational education to children . In today's scenario, it is very important to teach children with education as well as honors so as to fight future employment crisis and decrease youth unemployment .for imparting vocational education, the schools should have the provision of theoretical knowledge as well as equipment for practical knowledge in schools.
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का समागम करना बहुत पूर्ण है क्योंकि व्यवसायिक शिक्षा को हम प्रशिक्षण या करके सीखते हैं उससे सामान्य शिक्षा भी बेहतर होती हैं और बच्चे बहुत अच्छी तरह से और अच्छा सीख सकते हैं और उसको अपने व्यवहार में भी उपयोग ला सकते हैं सुरेंद्र कुमार गुप्ता माध्यमिक विद्यालय देवरी
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का समन्वय छात्रों के लिए बहुत बहुत ही लाभदायक होगा । क्योंकि जब वे स्वयं व्यावहारिक रूप में कार्य करते हैं तो वह उसे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छी तरह से उपयोग में लायेंगे।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा और व्यावसायिक शिक्षा के समावेश से बच्चों को अनूठीसीख मिलती है। आधुनिक समय केपरिपेक्ष मैं सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का पृवाह अति आवश्यक है।इससे छात्रों मैं व्यक्ति गत अधिगम पृतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा। छात्र सामूहिक उत्तर दायित्व को समझ पाएँगे। व्यावसायिक पारस्परिक निर्भरता को पृकृति आधारित गुणों के रूप मैं समझाया जाना चाहिए। जिसका मूल उद्देश्य छात्रों मैं छिपी हुई पृतिभा की पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा एक अच्छा विकल्प है । इससे बच्चों में ज्ञान के साथ साथ हुनर भी सीखेंगे तथा समाज मे अन्य कर्य कर सकते है कोई भी रोजगार कर सकते है। तथा बेरोजगारी की समस्या भी कम होगी ।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का समन्वय छात्रों के लिए बहुत ही लाभदायक है। क्योंकि जब वे स्वयं व्यावहारिक रुप में कार्य करते हैं, तो वह उसे अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए अच्छी तरह से उपयोग में लाएंगे। बच्चों के सर्वागीण विकास के लिए व्यावसायिक शिक्षा आवश्यक है।
ReplyDelete1, 2021 at 4:39 AM
ReplyDeleteजीवन में स्वावलंबन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन हेतु धन आवश्यक है।हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदत किये जानेवाले ज्ञान में कार्य व्यवहार की कमी है।अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अतिआवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप कोभी समझेंगे। इसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
धन्यवाद।
भागीरथ अहिरवार विदिशा MP
Samanya shiksha ke sath vyavsayik shiksha ka samanvya students ke liye bahut labhdayak hoga, jisse har bachcha aage badh sakega.
ReplyDeleteबच्चों में कुछ नया सीखने की लालसा रहती है वे हमेशा नया सीखने के लिए तैयार रहते है शाला में अपना पाठ्यक्रम के साथ व्यावसायिक अध्ययन भी कराया जाना आवश्यक होता है जिससे वे उस क्षेत्र को जान सके तथा आने वाले समय में उसका उपयोग कर सके
ReplyDeleteउनके जीवन में व्यावसायिक पढ़ाई से आगे बढ़ने में मदद मिलेगी तथा वे अपने जीवन को जीने में इस पढ़ाई का उपयोग कर सकेंगे
समान्य शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा भी अनिवार्य है जिससे बच्चों में समग्र विकास होगा ।
ReplyDeleteमोहम्मद अजीम सहायक अध्यापक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय रैगांव जिला सतना
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का साथ होने से कई लाभ हैं कुछ बच्चे आर्थिक और दूसरे कई कारणों से पढ़ाई आगे जारी नहीं रख पाते अगर उनको व्यवसायिक शिक्षा की जानकारी है तो वह पढ़ाई छोड़ने के बाद भी कोई तकनीकी कार्य करके अपना जीवन यापन कर पाएंगे या उन्हें व्यवसायिक शिक्षा से काफी सहायता मिलेगी।
सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा भी आवश्यक है इससे उनको आगे बढने में मदद मिलेगी स्कूल एवं उच्च शिक्षा मैं व्यवसायिक शिक्षा बेहतर विकल्प है
ReplyDeleteदयाराम सेनानी सहायक शिक्षक मां वि रामपुरा बरसलाय कसरावद खरगोन जिले से निष्ठा प्रशिक्षण के माड्यूल 16 के अन्तर्गत सामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा के ऊपर ध्यान दिया जाना चाहिए क्योंकि बच्चों के भविष्य का व्यवसायिक शिक्षा से उनकी रूचि के अनुसार पढ़ाई करनी चाहिए क्योंकि वर्तमान समय सूचना प्रौद्योगिकी एव तकनीकी शिक्षा डीजीटल आईसीटी इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर और बुनियादी शिक्षा का स्तर बढ़ा कर अपने भविष्य की नींव रख कर आगे बढ़ सकतें हैं। सामान्य शिक्षा और व्यावासिक शिक्षा का एकीकरण गतिविध आधारित अनुभव के समान होगी। छात्र छात्राओं को कोदोनों शिक्षा के एकीकरण गुणों से पढ़ाई करने से उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विकास हो सके गा। जिसे से उनमें आत्मविश्वास आत्मनिर्भरता और प्रकृति आधारित गुणों के रूप में समझाया जाना चाहिए।2020 की नई शिक्षा नीति बच्चे स्वयं व्यवहारिक रूप से कार्य करे और अपने जीवन में आगे बढ़ ने के लिए अच्छी तरह से उपयोग में लायेगा। सामान्य शिक्षा का तात्पर्य साक्षरता तक ही सीमित रोड़ पर लिखें k m.को पढ़ने में मदद मिलती है।
ReplyDeleteजीवन में स्वावलम्बन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन के लिए धन की आवश्यकता होती है। हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदान किये जाने वाले ज्ञान में कार्य व्यवहार की कमी है। अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय में अति आवश्यक हैं। व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी,जो सामान्य शिक्षा में सहायक होगी। इसलिए स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यवसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प और कोई नहीं है।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण बहुत आवश्यक है ।क्योंकि इससे छात्र अपनी पसंद का व्यवसाय चुन सकते है। मैने ऐसे कई लोगों को देखा है।जो स्कूली शिक्षा कम हो नेपर भी व्यवसायिक योग्यता के कारण बहुत ही सफल हुए हैं।
ReplyDeleteसमान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण करने से बच्चो का सर्वांगीण विकास होगा
ReplyDeleteओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
ReplyDeleteसैद्धांतिक शिक्षा के साथ व्यवहारिक शिक्षा भी आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में पाठ्य सहगामी गतिविधि भी हो सकती है व्यवसायिक शिक्षा छात्रों को आत्मनिर्भर बनातीं है। व्यवहारिक शिक्षा छात्र के सर्वांगीण विकास में सहायक होती है।
सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा समय की जरूरत भी है और आवश्यकता भी , समग्र शिक्षा के परिवेश में ज्ञान,कौशल, और अभिवृति की जरूरत है । प्राचीन काल मे गुरुकुलों में शिक्षा के साथ छात्रों को पारंपरिक अनुभव के आधार पर जीवन जीने के आवश्यक संसाधनो के उपयोग की भी शिक्षा दी जाती थी । आज उसी शिक्षा की जरूरत है जिससे छात्र बुनियादी कार्य भी सीख सके ।
ReplyDeleteआज प्रत्येक शाला में अनुकूलन, पूर्व व्यवसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण दिया जाना जरूरी है, जिससे शिक्षा कौशल के साथ जीवन जीने के कौशलों का विकास सम्भव हो सके ।
Samany shiksha ke saath vyavsayik shiksha vartman samay me ek behtar vikalp hai.isse bachchon ke andar chhupi huyi pratibha samne aati hai jo unko unki pahchan dilati hai aur aatmvishwas bhi badati hai.bachchon ke pass hunar hoga toh berojgari bhi kam hogi.
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य
ReplyDeleteव्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है | व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा मे सहायक होगी |इसलिए हम कह सकते है कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है |
नई शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा का उल्लेख काफी महत्वपूर्ण एवं प्रशंसनीय है ।आने वाली पीढ़ी इसका लाभ ले करके अपने भविष्य निर्माण में काफी सहयोग देश के लिए करेगी। जिससे उनकी आने वाली पीढ़ी स्वावलंबी बन सके और नए-नए कौशलों का विकास कर अपनी आने वाली पीढ़ी को मजबूत एवं व्यवसाय कौशल में दक्ष कर देश को ऊंचाइयों पर ले जा सके।
Samanya shiksha ke sath vyavsayik shiksha ka ekikaran school shiksha evam ucch shiksha pranali ko stream karne ka behtar vikalp hai kyunki esse baccho ko padhai ke sath sath vyavsay ke gun sikhne me madad milegi aur aage chalkar we rojgar prapt karenge aur uske prati wafadar rahkar apni,samaj ki evam desh ki unnati karenge.
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षाको भी जोड़ना चाहिए क्योंकि हर बालक के लिए सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसाय शिक्षा जुड़ी होना जरूरी नहीं होती है क्योंकि कुछ बालक अपने पारिवारिक वातावरण एवं आसपास के माहौल से व्यवसायिक शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं परंतु अधिकांश इससे वंचित ही रहते हैं क्योंकि छात्र अपने-अपने परवल स्थिति के अनुसार उनकी अलग-अलग समस्याएं भी होती है जिसके कारण उन्हें व्यवसायिक शिक्षा प्राप्त होना जरूरी है ताकि भविष्य में उसको शासकीय सेवा के अलावा अपना स्वयं का व्यवसाय करने में सक्षम हो सके
ReplyDeleteSamanya shiksha ke sath vyawsayik shiksha ka vartmaan samay mein bhi ati aawsyak hai buniyadi shiksha ke rup mein ek phatya sahgami aawsyak gatividhiyon kar sakte hai primary kaksha se madhyamik kaksha tak bhi technical shiksha dene se bacchon ko daksh kiya ja sakta hai.
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण गतिविधि आधारित हो सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा विभाग जरूरी है जीवन में स्वावलंबी आत्मविश्वास बहुत जरूरी है।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा आज वर्तमान समय में अत्यंत आवश्यक हो गई है क्योंकि बच्चों को स्वावलंबी बनाना अत्यंत आवश्यक है ताकि वह जीवन में किसी पर निर्भर ना रहे और समाज में अपने आप को स्थापित करने में किसी भी प्रकार की कमी को महसूस ना कर पाए ।
ReplyDeleteनई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत पूर्व माध्यमिक स्तर से ही बच्चो को उनके भावी विकास के लिए पूर्व व्यवसाय के लिए चिंतन से संबंधित ,भविष्य के लिए जीवन निर्माण के विषय मे सोच पैदा करना,उनमें छिपी कौशल को उभारने के लिए सोच पैदा करना ही मुख्य उद्देश्य है।
ReplyDeleteताकि उनका भावी जीवन सुखद और निरंतर चलने के लिए तैयार हो सके।प्राथमिक स्तर से ही अपने हुनर ,कलाकौशल के प्रति जागरूकता आ सके और वे एक भावी अच्छे नागरिक बन सके।माध्यमिक स्तर से ही उनमें वह सोच पैदा हो सके कि उन्हें आगामी जीवन मे किस क्षेत्र में अपनी भूमिका निभानी है।
उनकी रुचि के क्षेत्र जागृत करने में प्राथमिक प्रयास से ही संभव हो सके।
शिक्षा के क्षेत्र हो या तकनीकी, उनके रुचि के अनुसार चयन का मार्ग निर्धारित हो सके|
मुकेश कुमार सक्सेना मण्डावर जिला राजगढ़, म,प्र, 465-685
सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए|
ReplyDeleteआरती सेन, शासकीय प्राथमिक विद्यालय हाटी सतना (मध्य प्रदेश)
Education is power.gandhi always says that every student must take commercial education with normal education,so that students should not be burden on parents.
ReplyDeleteप्रीति सोनी , धमना , नरसिंहपुर
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा वर्तमान समय में एक बेहतर विकल्प है। इससे बच्चे के अंदर की छुपी हुई प्रतिभा सामने आती है जो उसको उसकी पहचान दिलाती है। विद्यार्थी का आत्मविश्वास भी बढ़ता है ।
जब लोगों के पास अपना हुनर होगा , तो बेरोजगारी भी कम होगी।
नई शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा का उल्लेख काफी महत्वपूर्ण एवं प्रशंसनीय है ।आने वाली पीढ़ी इसका लाभ ले करके अपने भविष्य निर्माण में काफी सहयोग देश के लिए करेगी। जिससे उनकी आने वाली पीढ़ी स्वावलंबी बन सके और नए-नए कौशलों का विकास कर अपनी आने वाली पीढ़ी को मजबूत एवं व्यवसाय कौशल में दक्ष कर देश को ऊंचाइयों पर ले जा सके।
ReplyDeleteसुरेश लोखंडे पट्टन बेतुल से ------------==जीवन में स्वावलंबन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन हेतु धन आवश्यक है।हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदत किये जानेवाले ज्ञान में कार्य व्यवहार की कमी है।अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अतिआवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप कोभी समझेंगे। इसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
ReplyDeleteधन्यवाद।
सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
ReplyDeleteजीवन में स्वावलंबन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन हेतु धन आवश्यक है।हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदत किये जानेवाले ज्ञान में कार्य व्यवहार की कमी है।अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अतिआवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप कोभी समझेंगे। इसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
ReplyDeleteC R Maravi ms pali सामान्य शिक्षा के साथ - साथ व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान समय में एक बेहतरीन विकल्प है इसमें विद्यार्थियों को सामान्य शिक्षा या विषय आधारित शिक्षा के अलावा व्यवहारिक ज्ञान या व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त होता है और छात्रों में नैतिकता, व्यक्तिगत सामाजिक विकास और सामूहिक कार्य करने की क्षमता का विकास होता है।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ- साथ व्यावसायिक शिक्षा का होना आवश्यक है जिनका एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान है जिसका जीवन में स्वावलंबन एवं आत्मविश्वास के साथ जीवन यापन के लिए धन की आवश्यकता होती है जो स्कूल एवं उच्च शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने में बेहतर विकल्प है।
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ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है। व्यावसायिक का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा में सहायक होगी। इसलिए हम कह सकते हैं की स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है
ReplyDeleteवर्तमान परिदृश्य में बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु एवं आत्मनिर्भरता का कौशल विकसित करने के लिए सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा अति आवश्यक है। ताकि बच्चे अपनी रुचि अनुसार अपना कार्य चुनकर कुशल कारीगर बन सकते हैं। इससे छात्र की अपनी छिपी हुई प्रतिभा भी निखरेगी और उसमें आत्मनिर्भरता का कौशल भी विकसित होगा। वह अपनी क्षमता अनुरूप कार्य करने में सक्षम होगा। साथ ही स्वावलंबन का गुण विकसित होगा और वह आगे जाकर हीन भावना से भी ग्रसित नहीं होगा। आजकल बच्चे जो आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा लेते हैं इन सभी अपराधों पर भी रोक लगेगी।
ReplyDeleteइसलिए सामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यवसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है।
सामान्य शिक्षा के साथ-साथ कार्य व्यवहार एवं व्यावसायिक शिक्षा बच्चों को देना नितांत आवश्यक है आज के परिदृश्य में बच्चों को शिक्षा ज्ञान के साथ-साथ होनर सिखाना बहुत आवश्यक है जिससे कि भविष्य में रोजगार के संकट से लड़ा जा सके एवं युवा बेरोजगारी में कमी आए व्यावसायिक शिक्षा देने के लिए विद्यालयों में सैद्धांतिक ज्ञान के साथ-साथ प्रायोगिक ज्ञान के लिए उपकरण की व्यवस्था विद्यालयों में होना चाहिए|
ReplyDeleteसुनिल सिसोदिया मुण्डला जेतकरण
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ आज के समय व्यवसायिकशिक्षा वर्तमान समय में एक बेहतर विकल्प है'! छात्रों में छुपी योग्यता को निखार ने में सहायक है यह शिक्षा विधार्थी का मनोबल आत्मविश्वास एवं विश्वास पैदा करती है इसमे विधार्थी अपना हुनर दिखाता है जिससे बेरोजगारी कि समस्या का समाधान निहित है।
व्यावसायिक शिक्षा का स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल करना एक सराहनीय कार्य है ऐसे कोर्स जो बालक को उसके जीवन मे धन। अर्जित कर आसानी से एक कुशल कारीगर बना दे या हुनर दे शामिल करना चाहिए।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ बच्चो को व्यावहारिक शिक्षा का भी ज्ञान देना चाहिए जिससे वे भविष्य में अपने पैरो पर खड़े हो सके
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा जरूरी हैं क्योंकि आज का युग एसा ही है कुछ हुनर है तो उसकी पोछ है व्यावसायिक शिक्षा इसी प्रकार की है जब विद्यार्थीकाल में व्यावसायिक शिक्षा से परिपूर्ण हो जाता है तो बह नोकरी की तलाश न करके अपना व्यवसाय सुरू कर लेगा ।किसी पर आश्रित न रहकर स्वयं सक्षम बनजाता है ।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ ब्यवसायिक शिक्षा वर्तमान समय में एक बेहतर विकल्प है। इससे बच्चों के अन्दर की छुपी हुई प्रतिभा सामने आती है जो उसको उसकी पहचान दिलाती है। विद्यार्थियों का आत्मविश्वास भी बढ़ता है। जब लोगों के पास अपना हुनर होगा तो बेरोजगारी भी कम होगी।
ReplyDeleteगुलाब हलवाई प्रधानाध्यापक पन्या खुर्द सोहागपुर जिला शहडोल मान्यवर बंधुवर व्यवसायिक शिक्षा के संबंध में विचार व्यक्त करना एक महत्वपूर्ण बात है बच्चा जब व्यवसायिक शिक्षा के तहत कार्यानुभव सीखता है तू वह आप निर्भर स्वावलंबी आत्मविश्वास से परिपूर्ण एक कुशल नागरिक बनता है एवं उसे शासकीय नौकरी आज की इतनी आवश्यकता नहीं होती वह अपने व्यवसाय में कुशल होता है पुरातन भारतीय संस्कृति में इसी व्यवसायिक शिक्षा के तहत सामान्य शिक्षा कार्यानुभव शिक्षा जातिगत दी जाती थी किंतु बाद में वह परिस्थिति के अनुसार बदलती गई और अब तो व्यवसाय की स्वतंत्रता प्राप्त हो गई है कोई भी व्यक्ति कोई भी व्यवसाय कर सकता है इसमें कोई रोक-टोक नहीं है और वह निपुण हो जाता है यही कार्य दी स्कूल स्तर से कराया जाए तो अति उत्तम होगा इसी संबंध में कक्षा 6 से ही कार्यानुभव शिक्षा दी जानी अति उत्तम है धन्यवाद
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो। Jalal Mohammad Ansari GPS DEORI MULLA seoni Madhya Pradesh
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा देना अति आवश्यक है जिससे छात्रो में जीविकोपार्जन करने की दक्षता का विकास हो ताकि वे अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों का भली -भांति निर्वहन कर सके। साथही राष्ट्र का विकास और राष्ट्रीय आर्थिक संरचना को मजबूती प्रदान करते हुए।प्रति व्यक्ति आय में व्रद्धि हो सके।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा देना अति आवश्यक है जिससे छात्रो में जीविकोपार्जन करने की दक्षता का विकास हो ताकि वे अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों का भली -भांति निर्वहन कर सके। साथही राष्ट्र का विकास और राष्ट्रीय आर्थिक संरचना को मजबूती प्रदान करते हुए।प्रति व्यक्ति आय में व्रद्धि हो सके।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा देना अति आवश्यक है जिससे छात्रो में जीविकोपार्जन करने की दक्षता का विकास हो ताकि वे अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों का भली -भांति निर्वहन कर सके। साथही राष्ट्र का विकास और राष्ट्रीय आर्थिक संरचना को मजबूती प्रदान करते हुए।प्रति व्यक्ति आय में व्रद्धि हो सके।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है।
ReplyDeleteहां इससे बच्चों में आत्मविश्वास की भावना तथा स्वालंबन की भावना का विकास होगा तथा इस एकीकरण का बच्चों को लाभ प्राप्त होगा
साथ ही बच्चों के कौशल का विकास होगा तथा उन्हें अपने कार्यों के प्रति रुचि जागृत होंगी तथा आत्मनिर्भर होने से उनकी पारिवारिक स्थिति भी सुदृढ़ होंगी
रानी पटेल प्राथमिक शिक्षक
यह एक अतिआवश्यक शिक्षा होगी जो देर से शुरू की जा रही हैं। व्यवसायिक शिक्षा न केवल रोजमर्रा के जीवन मे उपयोगी होती है बल्कि जीवन मे अपने पैरों पर खड़े होने के लिए आधार प्रदान करती है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है। व्यावसायिक का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा में सहायक होगी। इसलिए हम कह सकते हैं की स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है।
ReplyDeleteशिक्षा ज्ञान और बुद्धि को बढाती है। व्यवसायिक शिक्षा रोजगार उन्मुखी होती है दोनों को मिल जाने से बच्चे का विकास होता है।
ReplyDeleteSamanya shiksha ke saath vyavasayik shiksha ati aavashyak hai. Isse chhaatron main aatmvishvaas aur swavlamban, karya vyavahar, vyaktigat adhigam pratyogita aadi sambandhit gudon ka vikas hoga jisse chhaatron ko aane wale samay main jivika yaapan main adhik kathinai nahin hogi.
ReplyDeleteविद्यार्थियों को व्यवसायिक शिक्षा देना अति आवश्यक है क्योंकि बच्चो में अलग -अलग हुनर होता है । कुछ बच्चो को पेन्टिंग कुछ को चित्रकारी कुछ को कुछ को इलेक्ट्रॉनिक का सीखने का उत्साह होता है । यदि बच्चो को एक से अधिक हुनर होते है तों उन्हें भविष्य में को ई कठिनाई नहींहोगी ।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा छात्रों मानसिक विकास के साथ-साथ व्यवसाय,रोजगारोन्मुखी बनाने एव आत्मनिर्भर होने की दिशा मे पूर्व तैयारी का कम करेगा जो भविष्य मे उनको एक आदर्श नागरिक बनने तथा एक सम्पन्न और सुखी जीवन जीने मे सहायक सिध्द होगि।
ReplyDeleteजीवन में स्वावलंबन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन हेतु धन आवश्यक है।हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदत किये जानेवाले ज्ञान में कार्य व्यवहार की कमी है।अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अतिआवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप कोभी समझेंगे। इसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
ReplyDeleteधन्यवाद।
भाषा शिक्षा के साथ व्यसायिक शिक्षा भी दी जाती है जिससे छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है। किये गये चरणों का पालन करके सहयोगी दीवार पर लगभग 50 शब्दों का एक परिच्छेद लिखकर अपने विचारों को साझा करें
ReplyDeleteचिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
उपरोक्त संदर्भ में सामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करना एक बेहतर विकल्प है।
जीवन में स्वावलंबन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन हेतु धन आवश्यक है।हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदत्त किये जानेवाले ज्ञान में दैनिक जीवन कौशल या कार्य व्यवहार की कमी है।अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिप्रेक्ष्य में अतिआवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र पारिवारिक उत्तरदायित्वों का निर्वाह करने में भी सक्षम होंगे।
जब लोगों के पास अपना हुनर होगा , तो बेरोजगारी भी कम होगी।वास्तव में सामान्य शिक्षा के साथ प्राथमिक कक्षाओं से माध्यमिक कक्षाओं तक कई व्यवसायों की जानकारी दी जाए तब तक बच्चों के व्यवसायिक रुझान का भी पता लग जाएगा कि वह किस व्यवसाय में अधिक रुचि रखता है तब उस कौशल पर बालकों को अधिक दक्ष किया जाए तो वे पूरे मनोयोग से कुशलता पूर्वक कार्य करते हुए स्वयं का, अपने परिवार का, और मानव समाज का आर्थिक विकास करने में सहायक होंगे।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो। Vinod Bharti PS karaiya lakhroni Patharia
सामान्य शिक्षा के साथ जीवन मे रोज़गार की शिक्षा भी आवश्यक है स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यवसाय शिक्षा को स्ट्रीम करने में बेहतर विकल्प है अतः शिक्षा के साथ साथ वयवसाय शिक्षा का प्रवाह वर्तमान समय मे ज़रूरी है ।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा व व्यावसायिक शिक्षा का एकीकरण एक बेहतर विकल्प है ।ऐसा करने से शिक्षा के साथ साथ जीवकोपारजन के लिए आवश्यक कौशलों की जानकारी व प्रशिक्षण प्राप्त हो जाता है और शिक्षा का मुख्य उद्देश्य सर्वागीण विकास की प्राप्ति भी सम्भव हो सकेगी । यह कार्य कक्षा 6-8 से ही प्रारम्भ होना चाहिए ।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा देना उचित है क्योंकि यह उनके कैरियर को आगे बढ़ाने में सहायक होती है
ReplyDeleteबच्चो में स्वयं का खर्च पूरा करने एवं परिवार को मदद करने में व्यासायिक शिक्षा कारगर साबित हो सकती है
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ कार्य व्यवहार की शिक्षा भी आवश्यक है। व्यावसायिक का एकीकरण गतिविधि आधारित अनुभव के समान होगी जो सामान्य शिक्षा में सहायक होगी। इसलिए हम कह सकते हैं की स्कूल एवं उच्च शिक्षा प्रणाली में व्यावसायिक शिक्षा को स्ट्रीम करने से बेहतर विकल्प है।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ पूर्वव्यवसायिक शिक्षा से बच्चों के भविष्य का निर्माण उनके कौशल को उनकी रुचि के साथ न ई सोच,हुनर भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर ना व्यवसाय के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में मदद करना, इच्छा अनुसार जीवन सुखमय बनाने में अच्छे नागरिकों का निर्माण करने में, बेरोजगारी दूर करने में, राष्ट्र का विकास होगा
ReplyDeleteजीवन में स्वावलंबन, स्वाभिमान, आत्मविश्वास और जीवन यापन हेतु धन आवश्यक है।हमारी निवर्तमान शिक्षा प्रणाली विद्यार्थियों को प्रदत किये जानेवाले ज्ञान में कार्य व्यवहार की कमी है।अतः शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अतिआवश्यक है।
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यावसायिक शिक्षा वर्तमान में बहुत ही आवश्यक और अनिवार्य है।इससे छात्रों मे स्वावलंबन का गुण विकसित होगा और उनमें आत्मविश्वास जागृत होगा । तथा वह अपनी रूचि अनुसार आगे बढ सके।
ReplyDeleteSamanya Shiksha ke sath sath Vyavsayik Shiksha ka Pravah aadhunik Samay se Pari Pariksha Mein Ati avashyak Hai Ya buniyadi Shiksha ke roop Mein Ek Gaon Mein avashyakta gatividhi bhi ho sakti hai isase chhatron mein vyaktigat adhigam Pratiyogita sambandhi gunon ka Vikas Hoga aur Chhatra samuhik Uttar De Tu ko samajh Payenge vyavsay parasparik nirbharta ko Prakriti aadharit ko unke Roop samjhaya Jana chahie Jiska uddeshya Chhatra ke bhitar chhapi Hue dusron se prathak sarvashreshta ko pahchan kar uska sarvangeen Vikas karna Na Hai
ReplyDeleteSeema baghel
M.S.KASRWAD
Barwani (m.p.)
सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा का प्रवाह आधुनिक समय के परिपेक्ष में अति आवश्यक है। यह बुनियादी शिक्षा के रूप में एक पाठ्य सहगामी आवश्यक गतिविधि भी हो सकती है। इससे छात्रों में व्यक्तिगत अधिगम प्रतियोगिता संबंधी गुणों का विकास होगा और छात्र सामूहिक उत्तरदायित्व को समझ पाएंगे । व्यवसायिक पारस्परिक निर्भरता को प्रकृति आधारित गुणों के रूप समझाया जाना चाहिए, जिसका उद्देश्य छात्र के भीतर छिपी हुई दूसरों से पृथक सर्वश्रेष्ठता को पहचान कर उसका सर्वांगीण विकास करना हो।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पाठ्यक्रम के साथ अति आवश्यक है जिससे उनका सम्पूर्ण विकास एवम् कला को बढ़ावा मिल सके
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा बहुत आवश्यक हैं इसलिए भारत सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति 2020मे पूर्व व्यवसायिक शिक्षा कक्षा 6, 7,8मे शूरू कर दि गई हैं । इसके कारण बच्चों को व्यवसाय कोशलो का सामान्य ज्ञान मिल जाता हैं बाद मे उच्च शिक्षा मे फिर उन्हें कठिनाई नहीं होती हैं तथा उन्हें रूची भी हो जा ती हैं ।
ReplyDeleteवर्तमान में सामान्य शिक्षा के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा विभाग जरूरी है इससे बच्चे आत्मनिर्भर बनेंगे । खुद अपना काम कर लेंगे बार-बार मिस्त्री की जरूरत नहीं पड़ेगी
ReplyDeleteवर्तमान शिक्षा के साथ आज व्यवसायिक शिक्षा अति आवश्यक है इसके बिना विद्यार्थी के पास शिक्षा हैं पर इसके बाद रोजगार के लिए रास्ते न ही सूझते है। समय के साथ समझते करने पड़ते है और कीमती समय गवाना पड़ता हैं
ReplyDeleteNamaskar sathiyon main Vipin Kumar Gila madhyamik shikshak madhyamik Shala bhajiya Dana nai Shiksha niti ke ke sath sath vyavsayik Shiksha ka Vikas bhi atyant jaroori hai yadi is prakar se naya course banta hai to isase chhatron ki andar ki Pratibha ko jana ja sakta hai ki unke man mein kis karya ke kis karya ko karne ki lagan jyada hai bacchon ko usi se sambandhit prashikshan diya jo Diya jaaye jisse ki ki usko karya mein Ruchi hogi vah ek uchch safalta prapt kar sakega dhanyvad
ReplyDeleteBartman me samajik siksha ke sath. Byavharik ba byavsayk siksha ka dena ati absyak hai.jisse ki aage chalkar noukari nahi mile to student apna rojgar scthapit kar apna our apne pariwar ka bharn roshan kar sakta.our berojgari ki samsya paida nahi hogi
ReplyDeleteसमान्य शिक्षा में व्यवसायी शिक्षा का समावेश बहुत अवश्यक है जिसके द्वारा हम शिक्षार्थी में हम जीवन कौशलों का विकास कर सकते हैं जिससे शिक्षार्थी में स्वालंम्बन, स्वाभिमान आत्मविश्वास, क्रियाशीलता, जैसे गुणों के विकास के साथ सर्वांगीण विकास हो सके और वह एक अच्छा नागरिक तथा अपने कोशल एवं अपने अनुभव आधारित ज्ञान के साथ अच्छा जीवन व्यतीत कर सके |
ReplyDeleteश्रीकान्त पाण्डेय शासकीय प्राथमिक शाला सेमरा ।सामान्य शिक्षा के साथ बच्चों के समग्र विकास के लिए व्यावसायिक शिक्षा को शामिल करना आवश्यक है ।प्रेत्यक बिसय के व्यावसायिक पहलुओं का अध्ययन करने से बच्चों की रुचि के अनुसार अपने जीवन यापन के लिए व्यवसाय चुनने की पूर्ण स्वतंत्रता होती है।
ReplyDeleteसामान शिक्षा के साथ ही साथ व्यवसायिक शिक्षा भी आज के युग में अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है रोजगार की समस्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है ऐसी परिस्थितियों में बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा प्रदान करने की जो पहल है वह एक सराहनीय कार्य बच्चे अपनी शिक्षा पूर्ण करते करते कई ऐसी गतिविधियों में दक्ष हो जाएंगे जिससे वह जो है अपने जीवन यापन के लिए उस व्यवसायिक शिक्षा के माध्यम से आसानी से रोजगार प्राप्त कर सकते हैं एक दक्षता एक हुनर जो उनके पास रहेगा उससे अपना भविष्य बनाने में बच्चों को निश्चित ही सरलता मिलेगी
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