मॉड्यूल 16 गतिविधि 2: प्रतिबिंबित
आज के परिदृश्य के बारे में विचार करें- कु. लक्ष्मी कक्षा 11वीं की छात्रा है। कोविड-19 के अन्तर्गत लॉकडाउन के पश्चात् अचानक एक दिन उसके अध्ययन कक्ष की ट्यूबलाइट ने काम करना बंद कर दिया। उसने कुछ समय पहले फिल्ड टेक्नीशियन का व्यावसायिक प्रशिक्षण लिया था। उसने अपने इस प्रशिक्षण को आजमाया और अपने कक्ष की ट्यूबलाइट बदल दी। आप अपने शब्दों में अपने जीवन से जुड़ी घटनाओं के बारे में अपने अनुभव को साझा करें जब आपने अपने पेशेवर जीवन कौशल का प्रयोग भलीभाँति कर अपनी दिनचर्या को सुलभ बनाया।
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
Iam a science teacher. I have a good knowledge of IT also. I use this knowledge at my home. I make plantation of different plant. I make so many experiment like pressure temperature etc.
ReplyDeleteBasudev Paul, Betul, M. P. Se---Mai ek kisanon ka beta hu. Maine krishi karya and krishi aujar ko dekh kar, krishi se sambandhit sabhi karya seekh liya. Kisi karya ko bar- bar dekhne se hame prashikshan jaisa anubhav ho jata hai.
Deleteअनेक कार्य ऐसे हैं जो हम बार-बार देखते हैं और उसे जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उस कार्य को कर भी लेते हैं जैसा कि लक्ष्मी ने किया।
Deleteहा हम जो शिखते है वो कही न कही काम आता है लुक्मी का हु नर काम आया
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं|
ReplyDeleteमाशा गुगवारा ,देवऱी सागर |
संजय जासूजा,
ReplyDeleteमाध्यमिक शिक्षक,
शासकीय माद्यमिक शाला कसही,
पनागर, जबलपुर (म.प्र.)
सादर नमस्कार
मेरे बड़े बूढे कहा करते थे कि जिस व्यक्ति के पास ज्ञान व हुनर है।वह जीवन मे कभी भूखा नही मर सकता है।
बचपन में स्कूल के दिनों में मेरी रुचि विशेष रूप से गणित में थी और कालांतर में इस एक विषय के कारण अन्य विषयों से भी जुड़ाव बड़ा.. विशेषरुप से विज्ञान व अंग्रेजी और कॉलेज के दिनों में कम्प्यूटर व ज्योतिष विद्या से, जिन्हें मैंने सीखा और बेरोजगारी के दिनों में सेल्स लाईन का अनुभव भी लिया फिर कुछ समय के पश्चात एक धार्मिक स्थल से जुड़ा व वहां विभिन्न प्रकार के कौशलों जैसे बागवानी, पुताई, प्लंबिंग आदि का आधारभूत ज्ञान लिया।
ये सभी के ज्ञान/अनुभव और कौशल कही न कही... न केवल रोजमर्रा के व्यक्तिगत जीवन में वरन कार्यस्थल पे भी काम आते हैं जिससे न केवल बहुत से कार्य सहज ही जाते है और धन, समय व ऊर्जा/शक्ति की बचत के साथ लाभ भी देते हैं।
अतः विद्यार्जन के साथ साथ बच्चों को भी कम से कम कौशलों का आधारभूत ज्ञान शालास्तर से मिलना चाहिए।
धन्यवाद।
पुरानी विधा रटन्त थी
Delete। आज की विधा सीखने के प्रतिफल पर आधारित है।जब हम सीखे हुए ज्ञान को अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं,यही तो सीखने का प्रतिफल है।यह गतिविधि इसी का उदाहरण है
Ghar men fuze wire badla tha.
Deleteनमस्कार...
ReplyDeleteमेरे लिए पहली बार ऑनलाइन ब्लॉग लिखना अभूतपूर्व अनुभव रहा है।कोविडनाईटीन के लाकडाउन के बाद यह शुभ अवसर पहले-पहल घुड़सवारी करने जैसा था। जिसके प्रथम चरण में ही लगभग एक-दो झटकों की संभावना तो बनती ही है। 16 अक्टूबर 2020 को प्रातः 07:16 पर माड्यूल एक की गतिविधि चार -"कोविडनाईटीन के दौरान आपका कक्षा संम्पर्क" दो बार पब्लिश हो गया। पता ही नहीं था कि पब्लिकेशन के बाद प्रॉपर पब्लिकेशन के लिए 15 से 20 सेकंड इंतजार करना पडता है।अब हमारा विचार 'ब्लाग' के रूप मैं दो बार पब्लिक हो चुका था। देख कर बहुत खुशी है, पर खुशी में लाग आउट हुए बगैर मॉडल दो की गतिविधि एक- एक दृष्टिकोण- "बर्फ की परिकल्पना" पब्लिश कर दिया जिसे डिलीट कर पाना संभव नहीं था।
इन सभी ग़लतियों का परिणाम यह हुआ कि हमने अपना ब्लॉग मोबाइल फोन के व्ही.नोट पेड़ में मॉडल क्रमांक और गतिविधि नंबर डालकर,प्रश्नसह- उत्तर के रूप में, हिंदी में बोलकर लिखना शुरू कर दिया। जहां से हम इसे सिलेक्ट ऑल कर,कॉपी कर, वास्तविक ऑनलाइन गतिविधि के रूप में-
Enter your comment.....पेस्ट करने लगे। पर अभी भी पब्लिश करने के पहले एक कार्य बाकी था। वह यह कि ऊपर लिखे मॉड्यूल क्रमांक और गतिविधि नंबर कोऔर प्रश्न को बैकस्पेस से मिटाना था। ताकि हमारे द्वारा लिखे हुए सार्थक शब्द ही ब्लॉक के रूप में पब्लिश हो ।
अब मेरे पास, प्रत्येक माड्यूल की ऑनलाइन गतिविधि के रूप में लिखे गए मेरे विचार, मेरे फोन के व्ही नोट पेड़ में,पब्लिशिंग टाइम के साथ हमेशा मौजूद रहते हैं। जिसे मैं चाहे गए प्रश्न के उत्तर के रूप में दिखाकर पढ़कर किसी को भी, किसी भी समय समझा सकता हूं।
अपने पाँच मित्र शिक्षक साथियों से चर्चा के दौरान ज्ञात हुआ कि वह ब्लॉक लिखने की प्रोसेस को जटिल मानकर उस में रुचि नहीं ले रहे हैं। तब उन्हें एक फैसिलिटेटर के रूप में, उनके ही फोन पर यह संपूर्ण प्रक्रिया संपन्न करा कर समझाई। और उन्हें आधुनिक शैक्षिक तकनीक आईसीटी से वास्तविक रूप में जोड़ने मैं सफलता प्राप्त की।
आधुनिक समय के परिपेक्ष में,मैं अपनी समस्या का हल सर्वहित में निकाल पाऊंगा ऐसा मैंने सोचा भी ना था।
धन्यवाद.....
संतोष कुमार अठया
( सहायक शिक्षक )
शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा
जिला -दमोह (म. प्र.)
नव वर्ष 2021 मंगलमय हो ।🙏💐
Deleteपूर्व प्राथमिक के 3 से 4 वर्ष के बच्चों को बहुत ही अच्छी तरीके से गतिविधि कराकर t.l.m. के साथ ऐसे जैसा मैडम ने वीडियो में बताएं कुछ खिलौने कुछ कार्ड्स लेकर उनको बता सकते हैं 4 से 5 साल तक के बच्चे भी इनके साथ कर देंगे तब एक दूसरों को से देखकर सीखते हैं बच्चे
ReplyDeleteप्रीति सोनी , धमना , नरसिंहपुर
ReplyDeleteपेशेवर जीवन कौशल का प्रयोग भली-भांति कर , मैंने अपनी दिनचर्या को इस सुलभ प्रकार बनाया -
कोविड-19 के अंतर्गत लॉकडाउन के पश्चात सीएम राइस प्रशिक्षण के अंतर्गत हमने नई नई गतिविधियों और जानकारियों को समझा तथा बच्चों , पालकों और समुदाय की भागीदारी से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो इसके लिए लगातार उनसे संपर्क बनाए रखा ।और बचे हुए समय में टी एल एम का निर्माण किया ।
राजेंद्र प्रसाद मिश्र सहायक शिक्षक शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मणपुर जिला रीवा बच्चों के समग्र विकास का शिक्षा ही एकमात्र साधन है प्राथमिक स्तर तक जो विषय पढ़ाए जाते हैं उनमें जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं
DeleteUmesh Joshi Govt.Girls Hr Sec. School (E.S.E.P.) Rau, Dist.Indore ,
ReplyDelete(Block:-Indore Rural) M.P.
दैनिक जीवन मे बहुत से कार्य करते कुछ कार्य लगातार करते रहने से हम अपने आप ही प्रशिक्षित हो जाते है। जैसे बच्चे के साईकिल चलाना वह शौकिया तौर पर सीखता है। परन्तु कुछ कार्य पर जाने हेतु वह तत्पर हो जाता है क्योंकि उसने साइकिल चलाना सीख लिया है। अब वह अपने दैनिक जीवन के वे सभी कार्य जहाँ साईकिल से जाने की आवश्यकता हो आनंद पूर्वक करता है। शौक से करता है। व इन कार्यों से अन्य कार्य भी सीखता।जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें
अनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं
Deleteप्राथमिक स्तर तक जो विषय पढ़ाए जाते हैं उनमें जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें।पूर्व प्राथमिक के 3 से 4 वर्ष के बच्चों को बहुत ही अच्छी तरीके से गतिविधि कराकर t.l.m. के साथ ऐसे जैसा मैडम ने वीडियो में बताएं कुछ खिलौने कुछ कार्ड्स लेकर उनको बता सकते हैं
ReplyDeleteमें एक विज्ञान शिक्षक हु मेने प्रशिक्षण प्राप्त किया है जिसका उपयोग में अपने काम मे बखूबी करता हु ,जैसे खेती में वाष्पीकरण ,सांद्रण प्रथकरण की विधियों का उपयोग ,साथ ही घर मे उपयोग होने वाले छोटे कार्य विद्ययुत ,प्लंबिंग,आदि को में आसानी से कर लेता हूं ।
ReplyDeleteहमारे जीवन में ऐसे बहुत से अनुभव और समय है जिसमें हम अपने सीखे हुए कौशलों को साक्षात रूप देते हैं कुछ वक्त पहले ही मेरे घर में वॉशिंग मशीन खराब हुई लॉक डाउन की वजह से हम टेक्नीशियन को भुला नहीं सकते थे पर उसको पिछली बार काम करते हुए देखा था उसी को ध्यान में रखते हुए तब को खोला और उसकी पूरी क्लीनिंग स्वयं की कोविड-19 की परिस्थितियों में ऐसे बहुत से अनुभव है जो हम पहले खुद नहीं करते थे लेकिन ऐसे समय में सारे काम स्वयं करें हमारे अनुभव ऐसे वक्त में हमें 1 सीट भी देते हैं कि अपना काम आप करो यह सीख हमने अपने बच्चों में अपनी शाला के विद्यार्थियों में बार-बार दोहराई और उन्हें बहुत से काम करने एवं अपने बड़ों को कॉर्पोरेट करने के तथ्य पर बार-बार समझाएं
ReplyDeleteDainik jivan me ham anek kary var var karte hain jisse hame us kary ka visheh prashikshan ho jata hai aur ham samay aur paryavarn tatha apne rupaye paison ki bachat kar sakte hai atah yeh kah sakte hai ki hamari dakshtay jivan me hamr rojgar pradan karti hai.
ReplyDeleteदैनिक जीवन मे बहुत से कार्य करते कुछ कार्य लगातार करते रहने से हम अपने आप ही प्रशिक्षित हो जाते है। जैसे बच्चे के साईकिल चलाना वह शौकिया तौर पर सीखता है। परन्तु कुछ कार्य पर जाने हेतु वह तत्पर हो जाता है क्योंकि उसने साइकिल चलाना सीख लिया है। अब वह अपने दैनिक जीवन के वे सभी कार्य जहाँ साईकिल से जाने की आवश्यकता हो आनंद पूर्वक करता है। शौक से करता है। व इन कार्यों से अन्य कार्य भी सीखता।जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं
ReplyDeleteपरिवार के बच्चे बाहर रहकर पढते थे, लाकडाउन में घर आ गये,मैंने अपने व्यवसायिक कौशल का उपयोग करते हुये उनकी पढाई रूकने नहीं दी।
ReplyDeletekahate Hain ham Jo sikhate Hain vah kabhi Na kabhi Kam aata hai Aksar kar Jo ham Apne vyavsay hunar ko banate hain bhavishya mein kabhi Na kabhi Kam aata hai Jaise Lakshmi ko uska hona kam aaya tha hamen khoon koi vyavsay dakshita Das prapt karne chahie
ReplyDeleteजो हम सीखते है वो जीवन में कही ना कही काम आता है।
ReplyDeleteये सही है की हम जो व्यवसायिक प्रशिक्षण लेते है या हम कुछ ऐसा सीखते है जो हमारे जीवन मे काम आने वाला हो वो जरुर ही फायदा देकर जता है।और कुछ कांम ऐसे होते है जिनसे हमे नई पहचान भी मिलती है।जैसे मझे पढाई के दोरान ही नीटिंग का काम सीखने से मिली है।
ReplyDeleteमैने अध्ययन काल मे आई. टी. आई. से ईलेक्ट्रीशियन का प्रशिक्षण लिया है, उसका फायदा यह है, कि अपने स्कूल के साथ -साथ अपने घर मे बिजली संबंधित सभी कार्य मै ही करता हूँ, तथा अपनी स्कूल के बच्चो को भी सिखाता हूँ! इस प्रकार अपने जीवन कौशल का प्रयोग कर अपनी दिनचर्या को सुलभ बनाता हूँ!
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं|
ReplyDeleteहमारे जीवन में ऐसे बहुत से अनुभव और समय है जिसमें हम अपने सीखे हुए कौशलों को साक्षात रूप देते हैं कुछ वक्त पहले ही मेरे घर में वॉशिंग मशीन खराब हुई लॉक डाउन की वजह से हम टेक्नीशियन को भुला नहीं सकते थे पर उसको पिछली बार काम करते हुए देखा था उसी को ध्यान में रखते हुए तब को खोला और उसकी पूरी क्लीनिंग स्वयं की कोविड-19 की परिस्थितियों में ऐसे बहुत से अनुभव है जो हम पहले खुद नहीं करते थे लेकिन ऐसे समय में सारे काम स्वयं करें हमारे अनुभव ऐसे वक्त में हमें 1 सीट भी देते हैं कि अपना काम आप करो यह सीख हमने अपने बच्चों में अपनी शाला के विद्यार्थियों में बार-बार दोहराई और उन्हें बहुत से काम करने एवं अपने बड़ों को कॉर्पोरेट करने के तथ्य पर बार-बार समझाएं
नव वर्ष सब के लिए मंगलमय हो ।🙏💐
ReplyDeleteमैं अपने तकनीकी ज्ञान का उपयोग समय समय पर करता रहता हूँ । मेरे मित्रों निष्ठा प्रशिक्षण प्राप्त करने में जब भी कोई कठिनाई आती है मै सरलता से सुलझा देता हूँ ।कई बार नेटवर्क की समस्या के कारण मेमोरी अधिक भर जाने के उनके मोबाइल पर लागइन करने में या वीडियो नहीं चल पाने में कठिनाई आती है तो मुझ से मदद ले लेते हैं ।
तकनीकी जानकारी होने से मित्र सम्मान देते हैं ।खुश रहते हैं ।
यह माड्यूल छात्रों शिक्षकों और अन्य हितकारकों मैं कोविड 19वायरस के कारण संक्रमण केबारे मैं जागरूकता पैदा करने और विद्यालयी शिक्षा मैं मुद्दों तथा चिंताऔं को दूर करनेकेलिएहै।
ReplyDeleteबच्चों को समझ विकसित करने का अच्छा तरीका है सभी काम के लिए आदर की भावना रखे।हर प्रकार का हुनर सीखेगे आगे उत्साहित रहेगे।
ReplyDeleteपरिवार के बच्चे बाहर रहकर पढ़ते थे।लोक डॉउन में घर आ गए। मैने अपने व्यवसायिक कौशल का उपयोग करते हुए अपनी पढ़ाई रुकने नहीं दी।
ReplyDeleteहम जो भी कुछ सीखते हैं वो जीवन में कभी न कभी काम आता है
ReplyDeleteपढ़ाई के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही जरूरी है |मेरा अनुभव यह है ,मैं पहले lock-down से पहले, मोबाइल में किस तरह से अपनी बात को टाइप करके हम दूसरों को भी भेज सकते हैं, मुझे पहले हिंदी टाइपिंग करना मोबाइल में नहीं आता था लेकिन मैंने अपने सीनियर से मार्गदर्शन लेकर टाइपिंग करना सीखा| आज मैं ब्लॉग स्पॉट पर भी अपने विचार टाइप करके साझा कर पा रहा हूं ,और अपने अन्य शिक्षक साथियों को भी सुझाव देकर उनकी मदद कर पा रहा हूं |इस प्रकार पढ़ाई के साथ-साथ व्यवसाय शिक्षा प्राप्त करना बहुत जरूरी है| इसके साथ ही ऐसे कई काम है, जो पढ़ाई के साथ-साथ चलते हैं जैसे घर की बिजली खराब हो गई हो तो, उसको ठीक करना| अपनी मोटरसाइकिल में प्लग को बदलना |आज कई ऐसे कार्य है, जो पढ़ाई के साथ-साथ मैंने सीखे जिसको मैं कर सकता हूं |मैं रघुवीर गुप्ता शासकीय प्राथमिक विद्यालय -नयागांव ,जन शिक्षा केंद्र -शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सहसराम विकास खंड -विजयपुर जिला- श्योपुर ,मध्य प्रदेश
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे हैं। जो बार बार देखने से हमे प्रशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता हैं। समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते हैं।जैसे बल्ब बदलना, फ्युज डालना, वाहन का प्लग से का रवन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं।
ReplyDeleteमैने अध्ययन काल मे इलेक्ट्रॉनिक की दुकान मे कार्य किया जिससे मे घर मे शाला रेडियो, टेलीविजन विधुत बोर्ड आदि मे आसानी से सुधार कार्य करता हूँ।
ReplyDeleteपूर्व प्राथमिक के 3 से 4 वर्ष के बच्चों को बहुत ही अच्छी तरीके से गतिविधि कराकर t.l.m. के साथ ऐसे जैसा मैडम ने वीडियो में बताएं कुछ खिलौने कुछ कार्ड्स लेकर उनको बता सकते हैं 4 से 5 साल तक के बच्चे भी इनके साथ कर देंगे तब एक दूसरों को से देखकर सीखते हैंl
ReplyDeleteमें योगेन्द्र सिंह रघुवंशी श मा शाला बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी मेरे विचार से प्रत्येक व्यक्ति के पास अपना एक हुनर होना आवश्यक है इस प्रकार से प्राप्त नई शिक्षा नीति का उद्देश्य पूर्व व्यवशैक शिक्षा से हो सकता है हम जो भी कुछ सीखते हैं वो जीवन में कभी न कभी काम आता है
ReplyDeleteUnknownDecember 31, 2020 at 11:28 AM
ReplyDeleteहमारे जीवन में ऐसे बहुत से अनुभव और समय है जिसमें हम अपने सीखे हुए कौशलों को साक्षात रूप देते हैं कुछ वक्त पहले ही मेरे घर में वॉशिंग मशीन खराब हुई लॉक डाउन की वजह से हम टेक्नीशियन को भुला नहीं सकते थे पर उसको पिछली बार काम करते हुए देखा था उसी को ध्यान में रखते हुए तब को खोला और उसकी पूरी क्लीनिंग स्वयं की कोविड-19 की परिस्थितियों में ऐसे बहुत से अनुभव है जो हम पहले खुद नहीं करते थे लेकिन ऐसे समय में सारे काम स्वयं करें हमारे अनुभव ऐसे वक्त में हमें 1 सीट भी देते हैं कि अपना काम आप करो यह सीख हमने अपने बच्चों में अपनी शाला के विद्यार्थियों में बार-बार दोहराई और उन्हें बहुत से काम करने एवं अपने बड़ों को कॉर्पोरेट करने के तथ्य पर बार-बार समझाएं
हमारे विद्यार्थी जीवन में हम कुछ ना कुछ सीखते रहते है ।वो हमारे भविष्य में कहीं ना कहीं काम आता है ।
ReplyDeleteहमारे विद्यार्थी जीवन में हम कुछ ना कुछ सीखते रहते हैं। वह हमारे भविष्य में कहीं ना कहीं काम आता है और उन्हें बहुत से काम करने एवं अपने बड़ों को कॉर्पोरेट करने में तथ्य पर बार-बार समझाया जाता है।
ReplyDeleteVyavsayik Shiksha ke madhyam se baccho mein unke nai hunar ki Khoj ki ja sakti hai jiska upyog Apne jivan mein kar sakte hain .
ReplyDeleteजब मैंने 8वी पास की , तब गर्मी की छुट्टी में कक्षा आठवीं में पूरक वाले विद्यार्थियों को पढ़ाया ।मेरे पढ़ाने के अनुभव ने ही मुझे शिक्षक बनाया । मैं सर्वप्रथम प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक था । प्राथमिक में रहते हुए ही मैंने लगभग 10 वर्ष तक हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूल में अपनी सेवाएं दी ।तब मैं सहायक शिक्षक था ।
ReplyDeleteकोई भी व्यावसायिक हमेशा उपयोगी होती है।
Pushpa singh MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station.
ReplyDeleteVocational education jeevan k har kshetra ka important part hai.jaise electrical work,stitching cloths,painting,cooking food.weaving sweaters,for the poor people.mai padhai ke sath stitching bhi karti thi to earn money.
आओं करके सीखें।बहुत आयोगी ह।
ReplyDeleteAlka singh (GPS Hati)
ReplyDeleteVyavsayik Shiksha ke madhyam se hamare Vidyarthi kuchh Na kuchh sikhenge uska upyog kabhi bhavishya me kar sakte hain
व्यवसायिक शिक्षा व शिक्षा है जिसके जरिए हम कोई भी कार्य जो देखते हैं ,अनुभव करते हैं ,वक्त आने पर उसे करने का प्रयास करते हैंI कभी-कभी सफल होते हैं कभी असफल भी हो जाते हैंl लेकिन असफलता से डरना नहीं चाहिए ,असफलता में ही सफलता छुपी रहती है। कार्य करने से अनुभव बढ़ता है जिससे हम कार्य करना सीख जाते हैं ।वही हाल लक्ष्मी जो कक्षा 11 में पढ़ती थी उसने भी अपने अनुभव का प्रयोग कर ट्यूबलाइट बदलना सीख लिया इसी प्रकार हम अन्य कार्य सीख सकते हैं ।धन्यवाद
ReplyDeleteअनिल कुमार कुशवाहा
माध्यमिक शिक्षक
शासकीय माध्यमिक शाला नगवाड़ा विकासखंड =बनखेड़ी
जिला होशंगाबाद (म० प्र०)
धन्यवाद
रमेश चंद मेघवाल।शासकीय प्राथमिक विद्यालय दूधली (गोवर्धनपुरा) डाइस कोड 23190104603 तहसील भानपुरा जिला मंदसौर(म.प्र.)
ReplyDeleteएक बार जब मैंने मेरे घर के छत के पंखे की सर्विस की तब मुझसे अनजाने में कंडेनसर का तार गलत लग जाने से पंखा उल्टा चलने लगा तब मैंने मेरे अनुभव से कंडेनसर का तार बदला और चेक किया तब वह वापस सीधा चलने लगा यह मैंने सर्विस की दुकान पर देखा था इसलिए ऐसा कर पाया।
धन्यवाद
Avashyakta padhne vyavsayikprashikshan ke madhyam se samasya HAL kar sakte hain. Kisi bhi kshetra ki samasya Ho
ReplyDeleteव्यवसायिक प्रशिक्षण या कौशल विकास कार्यक्रम बच्चों के लिए उनकी कक्षा और आयु के अनुसार आज के समय में बहुत आवश्यक है ।इससे बच्चे बुनियादी शिक्षा के साथ साथ अपनी रूचि के अनुसार प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने दैनिक जीवन के कार्यों के करने में समक्ष होते हैं साथ ही अपने रोजगार के अवसर भी प्राप्त करते हैं ।मैं स्वयं अपने घर पर बिना कोई प्रशिक्षण लिए कई कार्य कार्यानुभव से करलेता हूँ ।
ReplyDeleteव्यवसायिक प्रशिक्षण या कौशल विकास कार्यक्रम बच्चों के लिए उनकी कक्षा और आयु के अनुसार आज के समय में बहुत आवश्यक है ।इससे बच्चे बुनियादी शिक्षा के साथ साथ अपनी रूचि के अनुसार प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने दैनिक जीवन के कार्यों के करने में समक्ष होते हैं साथ ही अपने रोजगार के अवसर भी प्राप्त करते हैं ।मैं स्वयं अपने घर पर बिना कोई प्रशिक्षण लिए कई कार्य कार्यानुभव से करलेता हूँ ।
ReplyDeleteपढ़ाई के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा बहुत ही जरूरी है |मेरा अनुभव यह है ,मैं पहले lock-down से पहले, मोबाइल में किस तरह से अपनी बात को टाइप करके हम दूसरों को भी भेज सकते हैं, मुझे पहले हिंदी टाइपिंग करना मोबाइल में नहीं आता था लेकिन मैंने अपने सीनियर से मार्गदर्शन लेकर टाइपिंग करना सीखा| आज मैं ब्लॉग स्पॉट पर भी अपने विचार टाइप करके साझा कर पा रहा हूं ,और अपने अन्य शिक्षक साथियों को भी सुझाव देकर उनकी मदद कर पा रहा हूं |इस प्रकार पढ़ाई के साथ-साथ व्यवसाय शिक्षा प्राप्त करना बहुत जरूरी है| इसके साथ ही ऐसे कई काम है, जो पढ़ाई के साथ-साथ चलते हैं जैसे घर की बिजली खराब हो गई हो तो, उसको ठीक करना| अपनी मोटरसाइकिल में प्लग को बदलना |आज कई ऐसे कार्य है, जो पढ़ाई के साथ-साथ मैंने सीखे जिसको मैं कर सकता हूं
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें प्रशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे बल्ब बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं ।
ReplyDeleteनिश्चित ही जो ज्ञान और कौशल हम प्राप्त करते हैं वह जीवन में कहीं ना कहीं हमें काम में आता है अभी निष्ठा प्रशिक्षण चल रहे हैं मैंने पूरे प्रशिक्षण बहुत अच्छे तरीके से एक-एक बिंदु पर विचार कर के लिए और मुझे कंप्यूटर का बहुत अच्छा ज्ञान इन प्रशिक्षण के माध्यम से हुआ इसका नतीजा यह हुआ कि मेरे कई शिक्षक साथियों को निष्ठा प्रशिक्षण करने में कई प्रकार की परेशानियां आ रही थी मैंने उनकी परेशानियों को दूर किया जैसे कई लोगों का हंड्रेड परसेंट प्रशिक्षण नहीं हो रहा था कई लोगों के प्रमाण पत्र नहीं आ रहे थे कई लोगों को मिसिंग पीडीएफ की समस्या आ रही थी तो कई लोग लॉगिन ही नहीं हो पा रहे थे
ReplyDeleteहम हमारे दैनिक जीवन में बिना प्रशिक्षण के कार्य अनुभव के आधार पर कई चीजों को ठीक कर लेते हैं ।जैसे-बोर्ड से स्विच बदलना, फ्यूज डालना,सिग्नल मिलाना।सभी कार्यों में लगे व्यवसायी अपनें अनुभव के आधार पर सब कुछ सुधार सकते हैं ।
ReplyDeleteप्राथमिक स्तर तक जो विषय पढ़ाए जाते हैं उनमें जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरणसभी के सहयोग से करें
ReplyDeleteHa mene apne school ke time gardning sikhi thi aur apne ghar me ek sundr gardn ka nirmad kr paya iske alawa me apne sikhe gyan ka ghar me upyog kiya hai.
ReplyDeleteStudent bhi krte hai mene bachcho ko school me panting sikhai ek bachche ne apne ghar me chatigrth diwaro pr panting bnakr use sundr bnaya.
86 से शिक्षा विभाग में सेवा दे रहा हूं शिक्षा मनोविज्ञान विषय में मेरी रुचि है अतः मैंने अपने पुत्रों की शिक्षा दीक्षा में शिक्षा मनोविज्ञान के सिद्धांतों को व्यावहारिक रूप से लागू किया जिससे उनका संज्ञानात्मक विकास अच्छा हुआ उनका शैक्षिक स्तर भी अच्छा रहा और मेरे बड़े पुत्र का चयन नवोदय विद्यालय में हो गया जो कि एक अच्छी उपलब्धि मान जा सकती।
ReplyDeleteMene bed. Ki training me gardening sikhi thi uski madad se mene apne ghr pr ek sundar bagiche ka nirman kia.
ReplyDeleteप्राथमिक स्तर तक जो विषय पढ़ाए जाते हैं उनमें जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें।पूर्व प्राथमिक के 3 से 4 वर्ष के बच्चों को बहुत ही अच्छी तरीके से गतिविधि कराकर t.l.m. के साथ ऐसे जैसा मैडम ने वीडियो में बताएं कुछ खिलौने कुछ कार्ड्स लेकर उनको बता सकते हैं
ReplyDeleteनौशाद जहां
ReplyDeleteपीएस उर्दू मोघट शालl खंडवा
हमारे समाज में मान्यता है हुनर हबीब अल्लाह अर्थात जिसके पास होना है वह जिंदगी में कभी तकलीफ नहीं उठा सकता।बच्चों को सामान्य विषय के साथ-साथ यदि व्यवसायिक शिक्षा भी दी जाए तो यह ज्ञान अनुभव कौशल कहीं ना कहीं कभी ना कभी रोजमर्रा के जीवन में तथा कार्यस्थल पर भी काम में आते हैं।इससे अचानक आज आने वाली समस्या का निराकरण ही नहीं बल्कि समय ऊर्जा शक्ति और धन की बचत का भी लाभ होता है।
अनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं
ReplyDeleteबचपन में मेरी साईकिल पंचर हो गई थी। पंचर बनाने वाला कहीं बाहर गया था। मेरा 11वी बोर्ड का एग्जाम था। उसकी पत्नी ने कहा कि सामान रखा है बनता हो तो बना लीजिये। मैं पंचर बनाते हुए देखा करता था। उस दिन मैंने स्वयं पंचर बनाया और एग्जाम देने समय पर पहुंच सका।
ReplyDeleteबड़े बुजुर्ग कहा करते थे कि जिस व्यक्ति में ज्ञान एवं हुनर है वह जीवन में कभी भूखा नहीं मर सकता इसलिए हम शिक्षकों का कर्तव्य है कि बच्चों को प्राथमिक स्तर पर कार्यानुभव की शिक्षा एवं माध्यमिक स्तर पर भी व्यावसायिक शिक्षा का ज्ञान अनिवार्य रूप से दिया जाए अर्थात बच्चों को हुनरमंद बनाना यह शिक्षकों का एक लक्ष्य होना चाहिए
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं|. Jalal Mohammad Ansari GPS DEORI MULLA
ReplyDeleteहमारे दैनिक जीवन में बहुत से कार्य हैं जिन्हें हम देख कर या स्वयं करके सीख जाते हैं । बच्चे जिस परिवेश में रहते हैं उस परिवेश के कार्य आसानी से सीख सकते हैं ।लकड़ी के समान बनाते हुए देखकर बच्चे लकड़ी के समान बनाने मे दक्ष हो जाते हैं ।
ReplyDeleteबचपन में मेरी साईकिल पंचर हो गई थी। पंचर बनाने वाला कहीं बाहर गया था। मेरा 11वी बोर्ड का एग्जाम था। उसकी पत्नी ने कहा कि सामान रखा है बनता हो तो बना लीजिये। मैं पंचर बनाते हुए देखा करता था। उस दिन मैंने स्वयं पंचर बनाया और एग्जाम देने समय पर पहुंच सका।
ReplyDeleteपूर्व प्राथमिक के 3 से 4 वर्ष के बच्चों को बहुत ही अच्छी तरीके से गतिविधि कराकर t.l.m. के साथ ऐसे जैसा मैडम ने वीडियो में बताएं कुछ खिलौने कुछ कार्ड्स लेकर उनको बता सकते हैं 4 से 5 साल तक के बच्चे भी इनके साथ कर देंगे तब एक दूसरों को से देखकर सीखते हैं बच्चे
ReplyDeleteHamare Jeevan Mein Aise bahut se Anubhav aur Samay Hain jismein Ham Apne sikhe Hue Kaushal Logon Ko sakshat Roop Dete Hain Kuchh Waqt pahle hi mere ghar per washing machine kharab hui thi lockdown ki vajah se Ham technician Ko Bhula Nahin Sakte the per usko pichhali bar kam karte hue dekha tha Usi ke Dhyan Mein rakhte Hue machine ko khola aur uski Puri cleaning Swayam ki covid-19 ki paristhiti Mein Aise bahut se Anubhav hai jo Ham pahle Khud Nahin Karte The lekin Samay Mein Sare kam Swayam Karen Hamare andar Aise Waqt Mein Hamen Sikh bhi bhi Dete Hain.
ReplyDeleteहिमांशु पटेल ,जनशिक्षक औरई ,मण्डला :----व्यवसायिक प्रशिक्षण या कौशल विकास कार्यक्रम बच्चों के लिए उनकी कक्षा और आयु के अनुसार आज के समय में बहुत आवश्यक है ।निश्चित ही जो ज्ञान और कौशल हम प्राप्त करते हैं वह जीवन में कहीं ना कहीं हमें काम में आता हैअपने दैनिक जीवन के कार्यों के करने में समक्ष होते हैं साथ ही अपने रोजगार के अवसर भी प्राप्त करते हैं
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं|
ReplyDeleteमैं राधा यादव ब्लॉक ईसागढ़ माध्यमिक विद्यालय सेमर खेड़ी की शिक्षिका हूं।
ReplyDeleteबच्चों के समग्र विकास का शिक्षा ही एकमात्र साधन है प्राथमिक स्तर तक जो विषय पढ़ाए जाते हैं उनमें जीवन उपयोगी कौशल बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपनी कठिनाइयों के कारण में कर सकें।
विद्यार्थी जीवन से आज तक हमने जो कुछ भी सीखा है।भविष्य मे वह हमारे लिए बहुत उपयोगी है।जिसका उपयोग हम आवश्यकता पड़ने पर कर सकते हैं।
ReplyDeleteबच्चों का अपना अपना अलग अलग सीखने का स्तर होता हैं, कोई बच्चा जल्दी तो कोई देर से सीख पाता है।शिक्षक को चाहिए कि वह प्रत्येक बच्चे का मानसिक स्तर,उसके सीखने का कौशल ध्यान में रखते हुए उन्हें शिक्षा दे।लेकिन उन्हें असमय होने वाली असाधारण घटनाओं जैसे कोरोना वायरस या और भी चेलेंज अगर कोई आते हैं, उनसे निपटने हेतु प्रेरित करना चाहिए।महेन्द्र
ReplyDeleteहमने विद्यार्थि जीवन में शिक्षा प्राप्त की अब प्रदान कर रहे है और आज तक जो भी सीखा है वह कहीं न कहीं काम आता है।
ReplyDeleteविद्यार्थी जीवन में आज तक हमने जो भी कुछ सीखा है। भविष्य में वह हमारे लिए बहुत उपयोगी है जिसका उपयोग आवश्यकता पढ़ने पर कर सकते हैं।
ReplyDeleteविद्यार्थी जीवन में आज तक हमने जो भी कुछ सीखा है वह भविष्य में बहुत उपयोगी उपयोगी है जिसका उपयोग हम आवश्यकता पढ़ने पर कभी भी कर सकते हैं।
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं|
ReplyDeleteहम अपने विधार्थी जीवन में जो कुछ भी सीखते हे ,वह हमारे जीवन में भविष्य में काम आता है और उससे कुछ न् कुछ सीखने को मिलता है ।
ReplyDeleteहम दूसरे के द्वारा किए गये कार्य को देखकर उसको स्वयं करते है जिससे प्रेक्टिकल भी हो जाता हैं और उस व्यवसाय करना सीख सकते है।और जब बच्चों के सामने करते है तो भी करके देखते है और जल्दी सीखते हैं।जो भविष्य मे उनके रोजगार में सहायक होता है।
ReplyDeleteहम दूसरे के द्वारा किए गये कार्य को देखकर उसको स्वयं करते है जिससे प्रेक्टिकल भी हो जाता हैं और उस व्यवसाय करना सीख सकते है।और जब बच्चों के सामने करते है तो भी करके देखते है और जल्दी सीखते हैं।जो भविष्य मे उनके रोजगार में सहायक होता है।
ReplyDeleteऐसे अनेक कार्य होते हैं ,जिन्हें बार बार देखने से हमें प्रशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ।समय आने पर तथा अन्य विकल्प ना होने पर हम उस काम को आसानी से कर लेते हैं ।जैसे बल्ब बदलना, फ्यूज डालना, बाइक का प्लग से कार्बन साफ करना ,कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक कर लेते हैं।
ReplyDeleteसीख जीवन के लिए अति आवश्यक है
ReplyDeleteहमने विद्यार्थी जीवन में शिक्षा प्राप्त की और अब प्रदान कर रहे हैं। हमने जो कुछ सीखा है वह किसी भी रूप बच्चों को सीखने को मिल रहा है।
ReplyDeleteमेरे विचार
ReplyDeleteदैनिक जीवन मे बहुत से कार्य करते कुछ कार्य लगातार करते रहने से हम अपने आप ही प्रशिक्षित हो जाते है। जैसे बच्चे के साईकिल चलाना वह शौकिया तौर पर सीखता है। परन्तु कुछ कार्य पर जाने हेतु वह तत्पर हो जाता है क्योंकि उसने साइकिल चलाना सीख लिया है। अब वह अपने दैनिक जीवन के वे सभी कार्य जहाँ साईकिल से जाने की आवश्यकता हो आनंद पूर्वक करता है। शौक से करता है। व इन कार्यों से अन्य कार्य भी सीखता।जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें
नेमवती गौर
सांची
पुरानी विधा रटन्त थी
ReplyDelete। आज की विधा सीखने के प्रतिफल पर आधारित है।जब हम सीखे हुए ज्ञान को अपने दैनिक जीवन में प्रयोग करते हैं,यही तो सीखने का प्रतिफल है।यह गतिविधि इसी का उदाहरण है EpEs AASi H S kori tahsil devri jila Sagar madhya Pradesh
प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा के दौरान व्यावसायिक शिक्षा जीवन का लक्ष्य तो निर्धारित तो करेगी ही साथ ही बेरोजगारी से मुकाबला करने मे भी सहायक होगी ।
ReplyDeleteस्कूली पढ़ाई के साथ व्यवसायिक शिक्षा देने से बच्चों को बहुत ही लाभ मिलता है जब वह स्कूल पास करके निकालते हैं तो वह आत्मनिर्भर बन जाते हैं हमने इस तरह की कई घटनाएं देखी है कि बच्चे स्कूल के समय अगर उनसे खुद चर्चा होती है जैसे छोटी छोटी चीजें स्कूल बिजली का स्विच लगा लेना बल्ब होटल में तार लगा लेना इस प्रकार की छोटी-छोटी घटनाएं उनको अपना आप स्वयं कर लेते हैं इससे उनको याद में मरने में बड़ी सहायता मिलती है
ReplyDeleteहमारे सीखने का कौशल हमारे दैनिक जीवन मे काम आ सके इसके लिए हमारे शैक्षिक जीवन मे सीखे गये अनुभव का उपयोग आवशयकता पड़ने पर आकस्मिक तौर पर काम आना व्यवसायिक सीख का उदाहरण है।
ReplyDeleteविद्यार्जन के साथ साथ बच्चों को कम से कम कौशलों का आधार भूत ज्ञान एव्ं व्यवसायिक शिक्षा कौन ज्ञान दे ना चाहिए बागवानी, चित्रकला पेंटिंग आदि जो हम सीखते हैं वह जीवन मुझे काम आता है
ReplyDeleteअनेक कार्य एसे होते हैं जिन्हें बार बार करने से प्रशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है समय आने पर हम अपने अनुभव से कार्य कर लेते हैं
ReplyDeleteमैं अपने विद्यार्थी जीवन में एक बार
ReplyDeleteकमरे का वल्व फ्यूज हो जाने पर
उसे चेंज किया था ।
दैनिक जीवन में ऐसे बहुत से कार्य होते हैं जब हमें स्वयं वह कार्य करने होते हैं जैसे -नल सुधारना ,बल्ब बदलना, ट्यूबलाइट सुधारना ,फ्यूज बदलना आदि। हमारा ज्ञान एवं अनुभव काम आता है
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल 462010
अनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं
ReplyDeleteजब हम बड़ई को बार बार टेबल कुर्सी बनाते देखते है तो हम स्वयं बनाना सीख जाते है यही जीवन कौशल है।
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे हैं जो बार बार देखने से हमे प्रशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता हैं। समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते हैं। जैसे बल्ब बदलना, फ्यू ज डालना, बाइक का प्लग से कर्वन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं।
ReplyDeleteहम गांव में रहते हैं चूंकि गांव में सभी सुविधाएं नहीं होती है ,हर काम के लिए बार बार शहर नही जाया जा सकता ,ऐसी परिस्थितियों में गांव के लोग अपने काम स्वाम ही करते हैं ।इस लोक डाउन में मुझे समय बिताने के लिए कुछ तो करना था ,मै एक छोटे से भू भाग में सब्जी की खेती किया । जिसमें पानी देने के लिए बेकार पड़ी प्लास्टिक की बोतलों में सुई से पंचर कर टपक सिचाई (ड्रिप) का सिस्टम बनाया ,पानी की भी बचत हुई फसल भी शानदार।
ReplyDeleteSkillful students are the requirement of future.
ReplyDeleteजीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें। जैसे घरेलू उपकरणों का रखरखाव मरमत् करना घर परिवेश मे स्वतचता स्वस्थ भोजन तत्व तथा कृषि खाद वागवानी की शिक्षा देना आदि।
ReplyDeleteSeema khalil Bps Chandbarh Bhopal
ReplyDeleteProfessional training students ko middle se dena students ko practical life m bahut useful rahega
मैंने एक बार देखने के बाद अनेक कार्य जैसे घर की बिजली फीटीग, आटा चक्की के समस्त कार्य, कुल्फी मशीन के सारे काम सीख गया था। उपरोक्त सभी कार्य मैंने कक्षा दसवीं पढने तक किये थे।
ReplyDeleteमैंने इंजीनियरिंग ड्रॉइंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया था जिसमें किसी वास्तविक वस्तु को कैसे चित्र के रूप में प्रदर्शित कर सकते हैं।
ReplyDeleteतो लॉकडाउन के समय ही हमारे गृह निर्माण हेतु नक्शा कि वह कैसा बनना चाहिए और एक बार मैंने वास्तु शास्त्र की पुस्तक पड़ी थी तो उसके अनुसार मैंने अपनी इंजीनियरिंग ड्रॉइंग के प्रशिक्षण को घर के नक्शे को तैयार करने में उपयोग किया ।
हमारे जीवन में ऐसे बहुत से अनुभव और समय है जिसमें हम अपने सीखे हुए कौशलों को साक्षात रूप देते हैं कुछ वक्त पहले ही मेरे घर में वॉशिंग मशीन खराब हुई लॉक डाउन की वजह से हम टेक्नीशियन को भुला नहीं सकते थे पर उसको पिछली बार काम करते हुए देखा था उसी को ध्यान में रखते हुए तब को खोला और उसकी पूरी क्लीनिंग स्वयं की कोविड-19 की परिस्थितियों में ऐसे बहुत से अनुभव है जो हम पहले खुद नहीं करते थे लेकिन ऐसे समय में सारे काम स्वयं करें हमारे अनुभव ऐसे वक्त में हमें 1 सीट भी देते हैं कि अपना काम आप करो यह सीख हमने अपने बच्चों में अपनी शाला के विद्यार्थियों में बार-बार दोहराई और उन्हें बहुत से काम करने एवं अपने बड़ों को कॉर्पोरेट करने के तथ्य पर बार-बार समझाएं
ReplyDeleteजो हम सीखते हैं वह जीवन में कभी न कभी काम आता है।
ReplyDeleteपूर्व प्राथमिक के 3 से 4 वर्ष के बच्चों को बहुत ही अच्छी तरीके से गतिविधि कराकर t.l.m. के साथ ऐसे जैसा मैडम ने वीडियो में बताएं कुछ खिलौने कुछ कार्ड्स लेकर उनको बता सकते हैं 4 से 5 साल तक के बच्चे भी इनके साथ कर देंगे तब एक दूसरों को से देखकर सीखते हैं बच्चे
ReplyDeleteGMS CHAKGUNDHARA MORARRURAL Gwalior
ReplyDeleteसामान्य शिक्षा के साथ व्यवसायिक शिक्षा या प्रशिक्षण बहुत ही आवश्यक है यह शिक्षा छात्रों में हुनर का विकास करतीं हैं साथ ही यह आगे चलकर जीवन यापन के लिए भी मदद करती है
मैंने अपनी शिक्षा के साथ इलेक्ट्रिकल का डिप्लोमा किया साथ ही टायपिंग का कोर्स किया मैं अपने घर तथा पहचान बालों के यहां लाईट कार्य ।खुद ही कर लेता हूं तथा टायपिंग कोर्स की मदद से मैं कम्पयूटर पर आसानी से कार्य कर पाता हूं
मैंने बचपन में सिलाई कढ़ाई बुनाई सिखा था जिसका फायदा आज भी उठा रही हूं।
ReplyDeleteअपने बच्चों के लिए स्वयं कपड़े सिलती हूं।
वास्तव में शिक्षा ज्ञान के साथ बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान भी होना चाहिये, क्योंकि आवश्यकता होने पर वह अपने शिक्षण ज्ञान के साथ सीखे हुए व्यवासायिक कार्य भी कर सके।। राजेश कुमार जांगिड, ढोटी स्कूल, जिला-श्योपुर, मध्यप्रदेश।।
ReplyDeleteवास्तव में शिक्षा ज्ञान के साथ बच्चो को व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान भी होना चाहिए। क्यो कि आवश्यक ता होने पर वह अपने शिक्षण ज्ञान के साथ सीखे हुए । व्यवसायिक कार्य भी कर सके ।
Delete
ReplyDeleteपढ़ाई करने के दौरान लिया गया व्यवसायिक प्रशिक्षण भविष्य में हमारे बहुत काम आता है मैंने भी एक प्रशिक्षण लिया था जो वेल्डर का था जिसके आधार पर मुझे जब भी घर पर कोई वैल्डिंग का काम आता है तो मैं स्वयं उसको पूर्ण करता हूं
कहने का तात्पर्य यह है कि शिक्षा ग्रहण करने के दौरान लिया गया कोई भी विशेष प्रशिक्षण हमारे जीवन में काम आता है और हमें शिक्षा ग्रहण करने के दौरान कोई ना कोई विशेष प्रशिक्षण जरूर लेना चाहिए जिसके आधार पर हम जीवन में कम से कम स्वयं के कार्य निपटा सकते हैं एवं रोजगार भी पा सकते है जो निकट भविष्य में हमारे लिए बहुत आवश्यक होता है
C R Maravi ms pali हम अपने पेशेवर व्यवसाय के अतिरिक्त कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें हम समय -समय पर अपने घर पर करते हैं जिन्हें हमने देखकर या अपने अनुभव से सीखा है जैसे कृषि से संबंधित उपकरण या विद्युत संबंधी छोटे मोटे सामान बदलना या थोड़ी बहुत सुधार करना हम अपने घर पर कर सकते हैं।
ReplyDeleteVyavsayik.parsiksan.hamare.jivan.mai.bahut.kam.atta.hai
ReplyDeleteप्रत्येक कार्य एक अनुभव देता है
ReplyDeleteहमारे जीवन में ऐसे बहुत से अनुभव और समय है जिसमें हम अपने सीखे हुए कौशलों को साक्षात रूप देते हैं कुछ वक्त पहले ही मेरे घर में वॉशिंग मशीन खराब हुई लॉक डाउन की वजह से हम टेक्नीशियन को भुला नहीं सकते थे पर उसको पिछली बार काम करते हुए देखा था उसी को ध्यान में रखते हुए तब को खोला और उसकी पूरी क्लीनिंग स्वयं की कोविड-19 की परिस्थितियों में ऐसे बहुत से अनुभव है जो हम पहले खुद नहीं करते थे लेकिन ऐसे समय में सारे काम स्वयं करें हमारे अनुभव ऐसे वक्त में हमें 1 सीट भी देते हैं कि अपना काम आप करो यह सीख हमने अपने बच्चों में अपनी शाला के विद्यार्थियों में बार-बार दोहराई और उन्हें बहुत से काम करने एवं अपने बड़ों को कॉर्पोरेट करने के तथ्य पर बार-बार समझाएं।
ReplyDeleteआज के परिदृश्य के बारे में विचार करें- कु. लक्ष्मी कक्षा 11वीं की छात्रा है। कोविड-19 के अन्तर्गत लॉकडाउन के पश्चात् अचानक एक दिन उसके अध्ययन कक्ष की ट्यूबलाइट ने काम करना बंद कर दिया। उसने कुछ समय पहले फिल्ड टेक्नीशियन का व्यावसायिक प्रशिक्षण लिया था। उसने अपने इस प्रशिक्षण को आजमाया और अपने कक्ष की ट्यूबलाइट बदल दी। आप अपने शब्दों में अपने जीवन से जुड़ी घटनाओं के बारे में अपने अनुभव को साझा करें जब आपने अपने पेशेवर जीवन कौशल का प्रयोग भलीभाँति कर अपनी दिनचर्या को सुलभ बनाया।
ReplyDeleteचिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
उपरोक्त संदर्भ में मेरे पास ऐसा कोई भी व्यक्तिगत अनुभव नहीं है क्योंकि हमारे विद्यार्थी जीवन में विद्यालयीन शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा का समावेश नहीं था और एक शिक्षक के रूप में पेशेवर कौशल के रूप में भी कुछ विशेष अनुभव नहीं।बस इतना ही रहा कि स्वयं के बच्चों को घर पर होमवर्क और कोचिंग दी।
वास्तव में विद्यालयीन शिक्षा में व्यावसायिक शिक्षा का समावेश किया जाना चाहिए।
हम जीवन में अपने अनुभव के आधार पर कई समस्याओं का समाधान स्वता ही ढूंढ लेते हैंl यह हमारी कौशल का परिचय देता हैl
ReplyDeleteकांतिलाल पाटीदार शासकीय माध्यमिक विद्यालय राज सिंह पिपलिया तहसील मल्हारगढ़ जिला मंदसौर दैनिक जीवन में कई ऐसी समस्याएं आती है जिनका हम समाधान कर लेते l
स्कूली पढ़ाई के साथ व्यवसायिक शिक्षा देने से बच्चों को बहुत ही लाभ मिलता है जब वह स्कूल पास करके निकालते हैं तो वह आत्मनिर्भर बन जाते हैं हमने इस तरह की कई घटनाएं देखी है कि बच्चे स्कूल के समय अगर उनसे खुद चर्चा होती है जैसे छोटी छोटी चीजें स्कूल बिजली का स्विच लगा लेना बल्ब होटल में तार लगा लेना इस प्रकार की छोटी-छोटी घटनाएं उनको अपना आप स्वयं कर लेते हैं इससे उनको याद में मरने में बड़ी सहायता मिलती है
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा को दैनिक जीवन में प्रयोग करने पर ही अनुभव प्राप्त होता है और जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में सीखने का अवसर मिलता है छात्रों को भी अवसर मिलना चाहिए सैद्धांतिक शिक्षा के साथ व्यवहारिक शिक्षा होनी चाहिए उसी से व्यावसायिक प्रशिक्षण समृद्ध एवं उपयोगी होता है!
ReplyDeleteVyawsayik gyan hone se hm awshyakta hone pr uska upyogy kr skate he.
ReplyDeleteजीवन मे शिक्षा हमेशा उपयोगी होती है मैने अपने जीवन मे वाहन चालक , गृह निमाड़, एवं दैनिक कार्य के संपादन में शिक्षा के उपयोग किया।
ReplyDeleteSikhne ke pratifal ke antargat jo humne sikha wo hum denik. Jeevan main upyog kar sake ye hi vyavasayik shiksha he
ReplyDeleteमैं निलेश पाटीदार, माध्यमिक शिक्षक, शा.मा. वि. पांजरिया, तहसील महू, जिला इन्दौर (म.प्र.), अपने जीवन की कई ऐसी समस्याए ,जो व्यावसायिक कौशल में दक्ष व्यक्ति ही सुलझा सकता है, लेकिन मैनें स्वयं के प्रयासों से उन्हें सुलझाया है आपसे साझा करना चाहता हूँ |
ReplyDeleteबिजली के तारों का संयोजन, स्वीच बदलना, प्रेस सुधारना, पंखे असेंबल करके लगाना और उनमें होने वाली छोटी छोटी समस्याओं को हल करना, कुलर सुधारना पानी की मोटर बदलना, मोबाइल और इंटरनेट से संबंधित छोटी छोटी समस्याओं का समाधान करना जैसे कई कार्य मै कर लेता हूँ |
हालांकि इन सब के लिए मैंने कौई प्रमाणित व्यावसायिक प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है | बस "आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है" के सिद्धांत अनुसार कही यू- ट्यूब से तो कहीं इंटरनेट से तो कहीं किसी को देख कर सब सीख लिया है|
इस प्रशिक्षण को लेते हुए मुझे बहुत खुशी हो रही है कि जब मैं बीना प्रशिक्षण के इतना सब कर लेता हूँ तो मेरे विद्यार्थियों को शाला स्तर से ही व्यावसायिक प्रशिक्षण मिलेगा तो वे अपने जीवन को कितनी आसानी से सुगमतापूर्वक जी सकेंगे साथ ही जीवन यापन के लिए व्यवसाय के लिए चुनाव करने के असिमित विकल्प उनके पास उपलब्ध होगे |
बचपन से ही मुझें पढाता हुआ व्यक्ति बहुत अच्छा लगता था और मैंने उसे अपनी पेशा माना और दृढ़ निश्चय किया कि मैं भी पढूंगा और 12वी पढ़ने साथ ही पढ़ाना शुरू कर दिया और आज एक शिक्षक हूँ ।
ReplyDeleteMene I t I ki he mere har ke motar band ho gai thi menne kolkar tikh kar di
ReplyDeleteनव वर्ष सब के लिए मंगलमय हो ।🙏💐
ReplyDeleteमैं अपने तकनीकी ज्ञान का उपयोग समय समय पर करता रहता हूँ । मेरे मित्रों निष्ठा प्रशिक्षण प्राप्त करने में जब भी कोई कठिनाई आती है मै सरलता से सुलझा देता हूँ ।कई बार नेटवर्क की समस्या के कारण मेमोरी अधिक भर जाने के उनके मोबाइल पर लागइन करने में या वीडियो नहीं चल पाने में कठिनाई आती है तो मुझ से मदद ले लेते हैं ।
तकनीकी जानकारी होने से मित्र सम्मान देते हैं ।खुश रहते हैंBrijkishor Baroliya
जब मैं हाई स्कूल में अध्ययनरत थी तब हमारी एक शिक्षिका द्वारा गृह विज्ञान के अंतर्गत पाक कला से संबंधित कुछ tips तथा recipes सिखाई गई थी जिसका उपयोग हम हमारे दैनिक जीवन में करते हैं और विशेषकर lockdown में youtube channel में देख कर बहुत सारी recipes try की गई एवं कुछ के लिए अभी भी प्रयासरत हैं।😊
ReplyDeleteजीवन के ऐसे कई अनुभव या प्रशिक्षण जो खेल खेल में प्राप्त किए गए, वह आगे चलकर बहुत मददगार होते हैं उदाहरण के लिए- मैंने बचपन में कंप्यूटर का प्रशिक्षण प्राप्त किया वह भी खेल-खेल में लेकिन आज वह प्रासंगिक है और हर क्षेत्र में मददगार साबित हो रहा है।आज मोबाइल और कंप्यूटर का जमाना है उसमें सामंजस्य बिठाने में वह बहुत मददगार है। बचपन में मुझे किसी इलेक्ट्रॉनिक चीज को निकाल कर देखना बहुत ही पसंद था जैसे कि रेडियो, टीवी, प्रेस, घड़ी आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण शुरुआती दौर में मुझसे कई रेडियो और घड़ियां खराब हुईं लेकिन बाद में उन्हें सुधारना भी सीख गया।टेलीविजन के छोटे-मोटे पार्ट्स को भी मैं घर पर ही बदल लेता हूं और प्रेस, कूलर, पंखा आदि की रिपेयरिंग भी मैं अनुभव के आधार पर ही सीखा हूं और आज मुझे बहुत से कार्यों के लिए टेक्नीशियन तक नहीं जाना पड़ता और मैं घर पर ही कर लेता हूं।
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा सेजीवन सफल हो
ReplyDeleteदैनिक जीवन मे बहुत से कार्य करते कुछ कार्य लगातार करते रहने से हम अपने आप ही प्रशिक्षित हो जाते है। जैसे बच्चे के साईकिल चलाना वह शौकिया तौर पर सीखता है। परन्तु कुछ कार्य पर जाने हेतु वह तत्पर हो जाता है क्योंकि उसने साइकिल चलाना सीख लिया है। अब वह अपने दैनिक जीवन के वे सभी कार्य जहाँ साईकिल से जाने की आवश्यकता हो आनंद पूर्वक करता है। शौक से करता है। व इन कार्यों से अन्य कार्य भी सीखता।जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें
ReplyDeleteअपने तकनीकी ज्ञान का उपयोग समय समय पर करता रहता हूँ । मेरे मित्रों को निष्ठा प्रशिक्षण प्राप्त करने में या कंप्यूटर से संबंधित कार्य में जब भी कोई कठिनाई आती है मै सरलता से सुलझा देता हूँ ।कई बार नेटवर्क की समस्या के कारण मेमोरी अधिक भर जाने के उनके मोबाइल पर लागइन करने में या वीडियो नहीं चल पाने में कठिनाई आती है तो मुझ से मदद ले लेते हैं ।
ReplyDeleteतकनीकी जानकारी होने से मित्र सम्मान देते हैं और मुझे उनकी सहायता करने में खुशी होती हैं ।
पढ़ाई के साथ व्यवसायिक शिक्षा भी जरूरी है इससे बच्चों को बहुत फायदा होगा जैसे कि लक्ष्मी ने अपनी ट्यूबलाईट बदल ली ।
ReplyDeleteइस कॉविड काल में मेरा अनुभव रहा है एक बार मेरा पानी का फिल्टर सही पानी नहीं निकाल रहा था मेने टेक्नीशियन को बुलाता था मगर कोविड-19 के कारण उसको बुलाने में असमर्थ था लेकिन वह पहले काम करता था जिसको मैं देखता था उसको देख कर मैं भी थोड़ा बहुत काम करना सीख गया मैंने पानी के फिल्टर जार को खोला तो देखा कि उसमें बहुत सारी मिट्टी जमी हुई थी उसको साफ करके फिर से लगा दिया इस प्रकार मेरा फिल्टर वापिस चालू हो गया यह मेरा अनुभव रहा की कोई भी काम कैसा भी हो हम उसमें मन लगाकर करें तो कोई भी ऐसा काम नामुमकिन नहीं है जिसे हम कर नहीं सकते ।
ReplyDeleteमेरे विचार
ReplyDeleteसत्र 2005-06 मैं मैंने कक्षा दसवीं का अध्यापन कार्य पूरा किया दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की इस सत्र में खास बात यह रहेगी गांव में बिजली आपूर्ति की समस्या के कारण बहुत समय तक बिजली नहीं रहती थी और दिए गए होमवर्क को पूरा करना काफी कठिन रहता था इस समस्या के समाधान हेतु पिताजी द्वारा एक बैटरी लैंप दिलवाया गया वह बैटरी लैंप कहीं बाहर बिगड़ा जिसको मेरे द्वारा सुधारा गया मैंने कई बार घड़िया बंद होने पर और ना आने वाली समस्या को समझा और उनका समाधान किया बचपन में किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सामान के अंदर क्या-क्या चीजें होती है यह जानने की जिज्ञासा मेरे में थी धन्यवाद
हमारे जीवन में ऐसे बहुत से अनुभव और समय है जिसमें हम अपने सीखे हुए कौशलों को साक्षात रूप देते हैं कुछ वक्त पहले ही मेरे घर में वॉशिंग मशीन खराब हुई लॉक डाउन की वजह से हम टेक्नीशियन को भुला नहीं सकते थे पर उसको पिछली बार काम करते हुए देखा था उसी को ध्यान में रखते हुए तब को खोला और उसकी पूरी क्लीनिंग स्वयं की कोविड-19 की परिस्थितियों में ऐसे बहुत से अनुभव है जो हम पहले खुद नहीं करते थे लेकिन ऐसे समय में सारे काम स्वयं करें हमारे अनुभव ऐसे वक्त में हमें 1 सीट भी देते हैं कि अपना काम आप करो यह सीख हमने अपने बच्चों में अपनी शाला के विद्यार्थियों में बार-बार दोहराई और उन्हें बहुत से काम करने एवं अपने बड़ों को कॉर्पोरेट करने के तथ्य पर बार-बार समझाएं
ReplyDeleteमैने अध्ययन काल मे इलेक्ट्रॉनिक की दुकान मे कार्य किया जिससे मे घर मे शाला रेडियो, टेलीविजन विधुत बोर्ड आदि मे आसानी से सुधार कार्य करता हूँ।
ReplyDeleteप्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद उसके अनुभव के माध्यम से सीखी गई प्रक्रिया के आधार पर दूसरी प्रक्रियाओं को करने में आसानी होती है। इसी तरह कु. लक्ष्मी ने अपनी नई प्रक्रिया में सफल हुई।
ReplyDeleteहमारे दैनिक जीवन में बहुत से कार्य हैं जिन्हें हम देख कर या स्वयं करके सीख जाते हैं । बच्चे जिस परिवेश में रहते हैं उस परिवेश के कार्य आसानी से सीख सकते हैं ।लकड़ी के समान बनाते हुए देखकर बच्चे लकड़ी के समान बनाने मे दक्ष हो जाते हैं ।
ReplyDeleteमैं दयाराम सेनानी सहायक शिक्षक मां वि रामपुरा बरसलाय कसरावद खरगोन जिले से निष्ठा प्रशिक्षण के माड्यूल 16के पूर्व वयवसायीक शिक्षा के अन्तर्गत अपने कार्य अनुभव और सीखने के प्रतिफल को अपने व्यवहारिक जीवन में बच्चों के साथ सकारात्मक सोच के साथ साझा करने की बात और अपने जीवन में सीखी गई घटना जैसे हम शुरू में साईकिल सीखते सीखते अभ्यस्त हो जातें हैं और फिर साईकिल में कोई समस्या आने पर सुधारलेते है इसी प्रकार मोटरसाइकिल के प्लग में कार्बन आने पर साफ कर लेते हैं। इसी प्रकार घर से बाहर होस्टल में पढ़ने वाले बच्चे अपने हाथ से विभिन्न कार्यों को सिख जातें हैं और फिर उनका उपयोग अपने व्यवसायिक विकास में करते हैं वर्तमान समय में कोविन्द 19 जैसी प्राकर्तिक आपदाओं के कारण बच्चों की पढ़ाई तकनीकी शिक्षा डीजीटल आईसीटी के माध्यम से शिक्षण कार्य किया जा रहा है। यह भी एक प्रशिक्षण कार्य अनुभव है इसी प्रकार घर में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के खराब होने पर बदलना व सही करना भी एक कार्य अनुभव प्रशिक्षण है।
ReplyDeleteहमारे विद्यार्थी जीवन में हम कुछ ना कुछ सीखते रहते है ।वो हमारे भविष्य में कहीं ना कहीं काम आता है ।
ReplyDeletehamarejeevan meeise pal bhi aate hai jinhe ham aage hal kar sakte hai maine heandpamp sudharne ka training liya hai samar sizan me adhiktar handpump band ho jate hai tab kuch loghno ke madad se khrab hendpump khud sudharne ki koshish karta hun.
ReplyDeleteS.S.DHURVE P/S SURNADEHI JSK CHIP.PIPARIYA DIS. BETUL [M.P.]
हमने जो सीखा है उसको ध्यान में रखते हुए आवश्यकतानुसार उपयोग करें।
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे हैं जो हम बार-बार देखते हैं और उसे जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उस कार्य को कर भी लेते हैं जैसा कि लक्ष्मी ने किया।
ReplyDeleteदैनिक जीवन मे बहुत से कार्य करते कुछ कार्य लगातार करते रहने से हम अपने आप ही प्रशिक्षित हो जाते है। जैसे बच्चे के साईकिल चलाना वह शौकिया तौर पर सीखता है। परन्तु कुछ कार्य पर जाने हेतु वह तत्पर हो जाता है क्योंकि उसने साइकिल चलाना सीख लिया है। अब वह अपने दैनिक जीवन के वे सभी कार्य जहाँ साईकिल से जाने की आवश्यकता हो आनंद पूर्वक करता है। शौक से करता है। व इन कार्यों से अन्य कार्य भी सीखता।जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे होते है जो दैनिक जीवन में देखने से हमे प्रशिक्षण जैसा अनुभव हो जता है और हम वह कार्य आसानी से करना सीख लेते है।हमे बच्चो को व्यवसायिक शिक्षा देनी चाहिये ताकि बच्चे अपना विकाश कर सके।
ReplyDeleteव्यवहारिक जीवन में बच्चों के साथ सकारात्मक सोच के साथ साझा करने की बात और अपने जीवन में सीखी गई घटना जैसे हम शुरू में साईकिल सीखते सीखते अभ्यस्त हो जातें हैं और फिर साईकिल में कोई समस्या आने पर सुधारलेते है इसी प्रकार मोटरसाइकिल के प्लग में कार्बन आने पर साफ कर लेते हैं। इसी प्रकार घर से बाहर होस्टल में पढ़ने वाले बच्चे अपने हाथ से विभिन्न कार्यों को सिख जातें हैं और फिर उनका उपयोग अपने व्यवसायिक विकास में करते हैं वर्तमान समय में कोविन्द 19 जैसी प्राकर्तिक आपदाओं के कारण बच्चों की पढ़ाई तकनीकी शिक्षा डीजीटल आईसीटी के माध्यम से शिक्षण कार्य किया जा रहा है। यह भी एक प्रशिक्षण कार्य अनुभव है इसी प्रकार घर में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के खराब होने पर बदलना व सही करना भी एक कार्य अनुभव प्रशिक्षण है।
ReplyDeleteदैनिक जीवन मे बहुत से कार्य करते कुछ कार्य लगातार करते रहने से हम अपने आप ही प्रशिक्षित हो जाते है। जैसे बच्चे के साईकिल चलाना वह शौकिया तौर पर सीखता है। परन्तु कुछ कार्य पर जाने हेतु वह तत्पर हो जाता है क्योंकि उसने साइकिल चलाना सीख लिया है। अब वह अपने दैनिक जीवन के वे सभी कार्य जहाँ साईकिल से जाने की आवश्यकता हो आनंद पूर्वक करता है। शौक से करता है। व इन कार्यों से अन्य कार्य भी सीखता।जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें
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ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें प्रशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं|
लोकेश विश्वकर्मा, भूमका टोला, हर्रई, छिंदवाड़ा ,
ReplyDeleteHam Jo sikhate Hain, या बार-बार देखते हैं और मन में जिज्ञासा है तो उस कार्य को हम सफलतापूर्वक कर लेते हैं जिस प्रकार जो कार्य लक्ष्मी ने किया।
कक्षा5वी की गणित में जब मैने दस हजार वर्ग मीटर बराबर एक हेक्टेयर वाला पैमाना सीखा तब मैं अपने आस पास की जमीनों का रकबा वर्ग मीटर से नाप कर लगभग ढिस्मिलो में निकलने लगा था।
ReplyDeleteमाड्यूल छात्रोंशिक्षक और अन्य हितकारकों में कोविड 19 वायरस के कारण संक्रमण के बारे में जागरुकता पैदा करने और विद्यालय शिक्षा के मुद्दों तथा चिंताओं को अतिरिक्त अध्धयन कार्य आधारित शिक्षा का ऐतिहासिक चिंता को दूर करने के लिए है।
ReplyDeleteRoj jo kam ham kartes hai usme ham prashikshit ho gate hai
ReplyDeleteDHARMENDRA SINGH PARIHAR
ReplyDeleteM.s.baari
यह शुभ अवसर पहले-पहल घुड़सवारी करने जैसा था। जिसके प्रथम चरण में ही लगभग एक-दो झटकों की संभावना तो बनती ही है। 16 अक्टूबर 2020 को प्रातः 07:16 पर माड्यूल एक की गतिविधि चार -"कोविडनाईटीन के दौरान आपका कक्षा संम्पर्क" दो बार पब्लिश हो गया। पता ही नहीं था कि पब्लिकेशन के बाद प्रॉपर पब्लिकेशन के लिए 15 से 20 सेकंड इंतजार करना पडता है।अब हमारा विचार 'ब्लाग' के रूप मैं दो बार पब्लिक हो चुका था। देख कर बहुत खुशी है, पर खुशी में लाग आउट हुए बगैर मॉडल दो की गतिविधि एक- एक दृष्टिकोण- "बर्फ की परिकल्पना" पब्लिश कर दिया जिसे डिलीट कर पाना संभव नहीं था।
इन सभी ग़लतियों का परिणाम यह हुआ कि हमने अपना ब्लॉग मोबाइल फोन के व्ही.नोट पेड़ में मॉडल क्रमांक और गतिविधि नंबर डालकर,प्रश्नसह- उत्तर के रूप में, हिंदी में बोलकर लिखना शुरू कर दिया। जहां से हम इसे सिलेक्ट ऑल कर,कॉपी कर, वास्तविक ऑनलाइन गतिविधि के रूप में-
Enter your comment.....पेस्ट करने लगे। पर अभी भी पब्लिश करने के पहले एक कार्य बाकी था। वह यह कि ऊपर लिखे मॉड्यूल क्रमांक और गतिविधि नंबर कोऔर प्रश्न को बैकस्पेस से मिटाना था। ताकि हमारे द्वारा लिखे हुए सार्थक शब्द ही ब्लॉक के रूप में पब्लिश हो ।
अब मेरे पास, प्रत्येक माड्यूल की ऑनलाइन गतिविधि के रूप में लिखे गए मेरे विचार, मेरे फोन के व्ही नोट पेड़ में,पब्लिशिंग टाइम के साथ हमेशा मौजूद रहते हैं। जिसे मैं चाहे गए प्रश्न के उत्तर के रूप में दिखाकर पढ़कर किसी को भी, किसी भी समय समझा सकता हूं।
दैनिक जीवन मे बहुत से कार्य करते कुछ कार्य लगातार करते रहने से हम अपने आप ही प्रशिक्षित हो जाते है। जैसे बच्चे के साईकिल चलाना वह शौकिया तौर पर सीखता है। परन्तु कुछ कार्य पर जाने हेतु वह तत्पर हो जाता है क्योंकि उसने साइकिल चलाना सीख लिया है। अब वह अपने दैनिक जीवन के वे सभी कार्य जहाँ साईकिल से जाने की आवश्यकता हो आनंद पूर्वक करता है। शौक से करता है। व इन कार्यों से अन्य कार्य भी सीखता।जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें
ReplyDeleteबच्चों के समग्र विकास का शिक्षा ही एकमात्र साधन है प्राथमिक स्तर तक जो विषय पढ़ाए जाते हैं उनमें जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें
ReplyDeleteहमने कोरा ज्ञान कहानी पड़ी है जैसा कि कोरा ज्ञान काम नहीं आता जीवन में हमेशा हुनर काम आता है इसलिए जीवन में व्यवसायिक शिक्षा बहुत जरूरी है अगर हमने हुनर सीखा है तो हम कोई भी काम आसानी से कर सकते हैं जैसा कि लक्ष्मी ने हुनर सीखा था तो उसने ट्यूबलाइट ठीक कर दी।
ReplyDeleteSatynarayan tripathi GPS Dafai ma fitar se ITI hoo.apne ghar wa school ke chote tools ka sudar wa electric se sambandhit karya swyam kar leta hoon.
ReplyDeleteकुछ कार्य ऐसे हैं जो हम अपनी जिंदगी में देखते हैं और उनको करने की कोशिश करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें करते हैं यही कार्य लक्ष्मी द्वारा किया गया है।
ReplyDeleteराकेश पंथी प्राथमिक शिक्षक खैरोदा बागरोद ब्लॉक गंजबासौदा जिला विदिशा मध्य प्रदेश
By7721
व्यावसायिक शिक्षा को दैनिक जीवन में प्रयोग करने पर ही अनुभव प्राप्त होता है और जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में सीखने का अवसर मिलता है छात्रों को भी अवसर मिलना चाहिए सैद्धांतिक शिक्षा के साथ व्यवहारिक शिक्षा होनी चाहिए उसी से व्यावसायिक प्रशिक्षण समृद्ध एवं उपयोगी होता है!
ReplyDeleteकोविड-19 के दौरान लॉकडाउन के समय अचानक एक दिन मिक्सर ग्राइंडर चलते चलते बंद हो गई। देखा तो डोरी फाल्ट हो चुकी थी। फिर हमने पेंचकस से प्लग खोलकर देखा और समझकर डोरी बदल ली । जिससे हमारी मिक्सर ग्राइंडर फिर से चालू हो गई।
ReplyDeleteबच्चों को उनके घर के छोटे-छोटे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बारे में सुधारने के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं
ReplyDeleteVyavsayik shiksha ke madhyam se baccho mein unke nai hunar ki khoj ki ja Sakti hai jiska upyog apne jivan mein kar sakte hain .
ReplyDeleteकई कार्य ऐसे हैं जो बार-बार देखने पर हमें प्रशिक्षण जैसा अनुभव होता है जैसा बल्ब या ट्यूब लाइट को बदलना नल की टोटी को बदलना बड़े बूढ़ों ने कहा है कि बच्चों में हुनर होना बहुत आवश्यक है जिससे भविष्य में रोजगार के लिए तैयार हो सके
ReplyDeleteकुछ कार्य बार बार करने पर हम उसमे perfect हो जाते हैं उसे ही हम अपना रोजगार बना सकते हैं।
ReplyDeleteकोविड 19के समय लाइट चले जाने पर मैंने कट आउट बदल कर लाइट ठीक की ।
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे हैं जो हम बार-बार देखते हैं और उसे जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उस कार्य को कर भी लेते हैं जैसा कि लक्ष्मी ने किया।
ReplyDeleteकुछ कार्य बार बार करने पर हम उसमे perfect हो जाते हैं उसे ही हम अपना रोजगार बना सकते हैं।
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे हैं जो हम बार-बार देखते हैं और उसे जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उस कार्य को कर भी लेते हैं जैसा कि लक्ष्मी ने कियाकई कार्य ऐसे हैं जो बार-बार देखने पर हमें प्रशिक्षण जैसा अनुभव होता है जैसा बल्ब या ट्यूब लाइट को बदलना नल की टोटी को बदलना बड़े बूढ़ों ने कहा है कि बच्चों में हुनर होना बहुत आवश्यक है जिससे भविष्य में रोजगार के लिए तैयार हो सके
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा को दैनिक जीवन में प्रयोग करने पर ही अनुभव प्राप्त होता है और जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में सीखने का अवसर मिलता है छात्रों को भी अवसर मिलना चाहिए सैद्धांतिक शिक्षा के साथ व्यवहारिक शिक्षा होनी चाहिए उसी से व्यावसायिक प्रशिक्षण समृद्ध एवं उपयोगी होता है!
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ReplyDeleteपेशेवर जीवन कौशल का प्रयोग भली-भांति कर , मैंने अपनी दिनचर्या को इस सुलभ प्रकार बनाया -
कोविड-19 के अंतर्गत लॉकडाउन के पश्चात सीएम राइस प्रशिक्षण के अंतर्गत हमने नई नई गतिविधियों और जानकारियों को समझा तथा बच्चों , पालकों और समुदाय की भागीदारी से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ना हो इसके लिए लगातार उनसे संपर्क बनाए रखा ।और बचे हुए समय में टी एल एम का निर्माण किया ।
व्यावसायिक शिक्षा बड़े काम की चीज है जो विशेष परिस्थितियों में अपना अटका हुआ कार्य स्वयं से हो जाता है और रुका काम चालू हो जाता है अतः व्यावसायिक शिक्षा बड़े काम की चीज है इसे लेना बहुत जरूरी है
ReplyDeleteB.P.Dwivedi
GHSS Nakaila Satna MP
दैनिक जीवन मे बहुत से कार्य करते कुछ कार्य लगातार करते रहने से हम अपने आप ही प्रशिक्षित हो जाते है। जैसे बच्चे के साईकिल चलाना वह शौकिया तौर पर सीखता है। परन्तु कुछ कार्य पर जाने हेतु वह तत्पर हो जाता है क्योंकि उसने साइकिल चलाना सीख लिया है। अब वह अपने दैनिक जीवन के वे सभी कार्य जहाँ साईकिल से जाने की आवश्यकता हो आनंद पूर्वक करता है। शौक से करता है। व इन कार्यों से अन्य कार्य भी सीखता।जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे होते है जो दैनिक जीवन में देखने से हमे प्रशिक्षण जैसा अनुभव हो जता है और हम वह कार्य आसानी से करना सीख लेते है।हमे बच्चो को व्यवसायिक शिक्षा देनी चाहिये ताकि बच्चे अपना विकाश कर सके।
ReplyDeleteहम अपने विधार्थी जीवन में जो कुछ भी सीखते हे ,वह हमारे जीवन में भविष्य में काम आता है और उससे कुछ न् कुछ सीखने को मिलता है ।
ReplyDeleteजो कार्य को हम सीखते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उस कार्य का उपयोग अपने जीवन में करते हैं यही व्यवसायिक शिक्षा है।
ReplyDeleteSikhne ke pratifal ke antargat jo humne sikha wo hum denik. Jeevan main upyog kar sake ye hi vyavasayik shiksha he
ReplyDeleteएक बार मेरी प्रेस की क्वायल जल गई थी !पास में इलेक्ट्रॉनिक दुकान पर क्वाइल मिल गई !प्रेस को सुधारने के लिए दूर जाना पड़ता था ! मैंने प्रेस को खोला और सुधारने का प्रयास किया, कोशिश करते करते मैं इसमें क्वायल बिठाने में कामयाब हो गया ! और मेरी प्रेस ठीकहो गई ! इस प्रकार थोड़ा सा अनुभव मेरे काम आया! धन्यवाद
ReplyDeleteआने करो ऐसे होते हैं जो हम बार-बार देखते हैं और उसे जीवन में बताने की कोशिश करते हैं और कभी भी आवश्यकता पड़ने पर उस कार्य को भी कर लेते हैं
ReplyDeleteमैं सुनीता निक्कम प्रा वि दिलावरा हम दूर क्यों जाएँ रसोईघर को ही ले लीजिये अगर देखते रहे है तो कभी नहीं कूछ कर पायेगें घर पर ही पूरा खाना बनाएं ओर बाजार से केक पेस्ट्री क्रीम रोल लाने की बजाय घर पर बनाया ओर सीख लिया अब ये में कर सकती हूँ
ReplyDeleteऐसे बहुत से कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से हमें परशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता है ,समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे वल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे हैं जो बार-बार देखने से हमें प्रशिक्षण जैसा अनुभव हो जाता हैं।समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते हैं जैसे बल्ब बदलना फ्युज जाने पर फ्युज डालना बाइक का प्लग साफ करना प्रेस की लीङ़ बदलना बोर्ङ से स्विच बदलना आदि ।किसान भाई खेती के उपकरणो को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं ।
ReplyDeleteव्यावसायिक शिक्षा को दैनिक जीवन में प्रयोग करने पर ही अनुभव प्राप्त होता है और जीवन में प्रत्येक क्षेत्र में सीखने का अवसर मिलता है छात्रों को भी अवसर मिलना चाहिए सैद्धांतिक शिक्षा के साथ व्यवहारिक शिक्षा होनी चाहिए उसी से व्यावसायिक प्रशिक्षण समृद्ध एवं उपयोगी होता है!
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे है जो बार बार देखने से और करने से हम सीख जाते हैं , समय आने पर और अन्य विकल्प न होने पर हम कर लेते है |जैसे बल्व बदलना ,फ्यूज डालना ,बाइक का प्लग से कारबन साफ करना, प्लंबर का कार्य जैसे नल में वाशर बदलना आदि
Vyavsayik shiksha ke madhyam se bachchon me unke naye hunar ki khoj ki ja sakti hai jiska upyog ve apne Jeevan me kar sakte hain.
ReplyDeleteहमारे जीवन में अनेक कार्य ऐसे हैं जिनके बिना ना होने पर जीवन रुका सा महसूस होता है हमारे दैनिक जीवन में अनेक कार्य ऐसे हैं जो बार-बार देखने से हमें प्रशिक्षण जैसा अनुभव होता है मेरे पास कंप्यूटर की कोई डिग्री नहीं थी मैं अपने मामा जी के घर पर जब मामाजी कंप्यूटर में काम करते थे तो मैं उनकी सीट के पीछे खड़े होकर देखा करता था के कंप्यूटर ऑपरेटर कैसे किया जाता है धीरे-धीरे में देखकर कंप्यूटर चलाने लगा l
ReplyDeleteएक बार घर का रेडियो ऊंचाई से गिर गया उसके पीते टूट गए तब मैंने उसे रेडियो सुधारने वाले के पास ले गया मैंने उसे सुधारते हुए देख लिया कुछ सालों पश्चात जब मेरी पोस्टिंग प्राथमिक विद्यालय में प्राथमिक शिक्षक के रूप में हुई तब विद्यालय का रेडियो टूटी फूटी अवस्था में था तब मैंने अपने उस बीते हुए अनुभव का प्रयोग कर उस रेडियो को सुधार कर बच्चों को प्रतिदिन आने वाली रेडियो कार्यक्रम सुनाने लगे l
बच्चे भी उस रेडियो को सुनकर उत्साहित हो उठे और उनमें एक विशेष उत्साह भर उठा
मै घर पर अनेक बार पंखा टीवी लाइट कोसुधार कर चुका हूं
ReplyDeleteअनेक कार्य ऐसे होते हैं जो देखने पर पुनः बन जाते हैं
ReplyDeleteमैंने अपनी पढ़ाई के साथ साथ iti इलेक्ट्रॉनिक का भी प्रशिक्षण लिया जिसका फायदा मुझे यह हुआ कि में अपने घर का, स्कूल का ओर रिश्तेदारों सभी का काम अपने हुनर से स्वम् कर लेता हूं।हमे बाहर से किसी इलेक्ट्रिशन को बुलाने की आवश्यकता नहीं होती है लाइट फिटिंग, खराब हो जाये तो सही करना आदि में स्वम कर लेता हूं।
ReplyDeleteव्यवसायिक शिक्षा का मौजूदा वक्त में छात्र हित में और खासतौर पर स्वरोजगार ढूंढने में शिक्षा जगत में सराहनीय पहल है इससे लाभान्वित होगा अलग-अलग टेक्नोलॉजी के सहयोग से कौशलों की परिपक्वता से एक बड़ा समुदाय अपना स्वरोजगार अपना व्यवसाय अपनी जीविका पार्जन का काम खुद कर सकता है
ReplyDeleteAnek karya ese hote hai jo bar bar dekhne se hame prashikshan jaisa anubhav ho jata hai samay aane per or doosra bikalp na hone per karya ho kar lete hai jaise motorcycle ka panchar bnana
ReplyDeleteSeema Shrivastava BV1588 G.M.S.Panari pipariya Hoshangavad दैनिक जीवन के कार्यो से ही हम अपने जीवन मे व्यावसाय चुन सकते है एवं जीवन को आर्थिक मजबूती दे सकते है
ReplyDeleteरामबरन सिंह खरे
ReplyDeleteमेरे विचार से पढ़ाई के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा बहुत जरूरी है मेरा अनुभव यह है कि मैं लॉकडाउनसे पहले मोबाइल मे किस तरह से अपनी बात को टाइप करके दूसरों को भी भेज सकते हैं मुझे पहले हिंदी टाइपिंग करना मोबाइल में नहीं आता था लेकिन मैंने अपने सीनियरो से मार्गदर्शन लेकर टाइप करना सीखाआज मैं ब्लॉक स्पॉट परभी अपने विचार टाइप करके साझा कर पा रहा हूं और अपने अन्य साथी शिक्षकों को भी सुझाव देकर उनकी मदद कर पा रहा हूं इस प्रकार पढ़ाई के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करना बहुत जरूरी है इसके साथ ही ऐसे कईकाम है यह पढ़ाई के साथ साथ चलते रहते हैं घर की बिजली खराब हो गई उसको ठीक करना बल्बबदलकर लगाना बिजली का फ्यूज उड़ जाने पर फ्यूज लगाना आदि।
पूर्व व्यवसायिक शिक्षा कक्षा 6 से 8 के बच्चे जो अपने आसपास हो रही गतिविधियों से परिचित होते हैं और उत्सुकता बस उसे करने की कोशिश भी करते हैं आज की परिस्थिति में बहुत सारे इस प्रकार के कार्य हैं जो व्यवसाय के रूप में यदि बच्चे कक्षा 6 और 8 की उम्र से ही उस पर कार्य करना प्रारंभ कर दें तो निश्चित ही उनके अंदर उस व्यवसाय के प्रति दक्षता आ जाएगी और वह जो है उस कार्य को जीविका के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं इसलिए नई शिक्षा नीति 2020 का माध्यमिक शिक्षा में पूर्व माध्यमिक शिक्षा में लाना एक अच्छा प्रयास है
ReplyDeleteहम अपने जीवन में जो देखते हैं, वातावरण से सिखाते है, वही कठिन परिस्थितियों के समय काम आता है ।ञ
ReplyDeleteबच्चों के समग्र विकास का शिक्षा ही एकमात्र साधन है प्राथमिक स्तर तक जो विषय पढ़ाए जाते हैं उनमें जीवन उपयोगी कौशल पर बल देते हुए व्यवहारिक रूप से बच्चों को करने का अवसर दिया जाना चाहिए ताकि बच्चे सीखे गए ज्ञान का उपयोग जीवन में अपने कठिनाइयों के निराकरण में कर सकें।
ReplyDeleteमेरे पास कंप्यूटर की कोई डिग्री नहीं थी लेकिन टाइप करना हिंदी अंग्रेजी दोनों तरह से आता था हिंदी टाइपिंग में मेरी स्पीड काफी अच्छी थी एक बार मैं किसी दुकान पर टाइप कर रहा था तो एक कंप्यूटर सेंटर संचालक ने मुझे वहां पर देखा शायद किताबों को पब्लिश का काम करते थे फिर उन्होंने अपने यहां पर मुझे ₹5 एक पेज टाइप करने के हिसाब से रख लिया उस समय में कंप्यूटर पर पहली बार बैठा था इस तरह मैं दिन में करीब 20 से 30 पेज टाइप कर देता था जिससे मुझे सो डेड सो रुपए की आमदनी हो जाती थी धीरे धीरे मेरी रुचि कंप्यूटर में पड़ने लगी और फिर कंप्यूटर के बारे में मुझे अच्छा नॉलेज हो गया।
अनेक कार्य ऐसे हैं , जो हम बार-बार देखते हैं और उसे जीवन में उतारने की कोशिश करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर उस कार्य को कर भी लेते हैं , जैसा कि लक्ष्मी ने किया। विक्रम सिंह गवाटिया प्राथमिक शिक्षक, एकीकृत शाला मा वि नरोला-हीरापुर,जिला-शाजापुर म. प्र.
ReplyDeleteपेस्ट करने लगे। पर अभी भी पब्लिश करने के पहले एक कार्य बाकी था। वह यह कि ऊपर लिखे मॉड्यूल क्रमांक और गतिविधि नंबर कोऔर प्रश्न को बैकस्पेस से मिटाना था। ताकि हमारे द्वारा लिखे हुए सार्थक शब्द ही ब्लॉक के रूप में पब्लिश हो ।
ReplyDeleteअब मेरे पास, प्रत्येक माड्यूल की ऑनलाइन गतिविधि के रूप में लिखे गए मेरे विचार, मेरे फोन के व्ही नोट पेड़ में,पब्लिशिंग टाइम के साथ हमेशा मौजूद रहते हैं। जिसे मैं चाहे गए प्रश्न के उत्तर के रूप में दिखाकर पढ़कर किसी को भी, किसी भी समय समझा सकता हूं।
अपने पाँच मित्र शिक्षक साथियों से चर्चा के दौरान ज्ञात हुआ कि वह ब्लॉक लिखने की प्रोसेस को जटिल मानकर उस में रुचि नहीं ले रहे हैं। तब उन्हें एक फैसिलिटेटर के रूप में, उनके ही फोन पर यह संपूर्ण प्रक्रिया संपन्न करा कर समझाई। और उन्हें आधुनिक शैक्षिक तकनीक आईसीटी से वास्तविक रूप में जोड़ने मैं सफलता प्राप्त की।
आधुनिक समय के परिपेक्ष में,मैं अपनी समस्या का हल सर्वहित में निकाल पाऊंगा ऐसा मैंने सोचा भी ना था।
पूर्व व्यवसायिक शिक्षा कक्षा 6 से 8 के बच्चे जो अपने आसपास हो रही गतिविधियों से परिचित होते हैं और उत्सुकता बस उसे करने की कोशिश भी करते हैं आज की परिस्थिति में बहुत सारे इस प्रकार के कार्य हैं जो व्यवसाय के रूप में यदि बच्चे कक्षा 6 और 8 की उम्र से ही उस पर कार्य करना प्रारंभ कर दें तो निश्चित ही उनके अंदर उस व्यवसाय के प्रति दक्षता आ जाएगी और वह जो है उस कार्य को जीविका के रूप में भी उपयोग कर सकते हैं इसलिए नई शिक्षा नीति 2020 का माध्यमिक शिक्षा में पूर्व माध्यमिक शिक्षा में लाना एक अच्छा प्रयास हैमेरे विचार से पढ़ाई के साथ-साथ व्यवसायिक शिक्षा बहुत जरूरी है मेरा अनुभव यह है कि मैं लॉकडाउनसे पहले मोबाइल मे किस तरह से अपनी बात को टाइप करके दूसरों को भी भेज सकते हैं मुझे पहले हिंदी टाइपिंग करना मोबाइल में नहीं आता था लेकिन मैंने अपने सीनियरो से मार्गदर्शन लेकर टाइप करना सीखाआज मैं ब्लॉक स्पॉट परभी अपने विचार टाइप करके साझा कर पा रहा हूं और अपने अन्य साथी शिक्षकों को भी सुझाव देकर उनकी मदद कर पा रहा हूं इस प्रकार पढ़ाई के साथ साथ व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त करना बहुत जरूरी है इसके साथ ही ऐसे कईकाम है यह पढ़ाई के साथ साथ चलते रहते हैं घर की बिजली खराब हो गई उसको ठीक करना बल्बबदलकर लगाना बिजली का फ्यूज उड़ जाने पर फ्यूज लगाना आदि।हमारे जीवन में अनेक कार्य ऐसे हैं जिनके बिना ना होने पर जीवन रुका सा महसूस होता है हमारे दैनिक जीवन में अनेक कार्य ऐसे हैं जो बार-बार देखने से हमें प्रशिक्षण जैसा अनुभव होता है मेरे पास कंप्यूटर की कोई डिग्री नहीं थी मैं अपने मामा जी के घर पर जब मामाजी कंप्यूटर में काम करते थे तो मैं उनकी सीट के पीछे खड़े होकर देखा करता था के कंप्यूटर ऑपरेटर कैसे किया जाता है धीरे-धीरे में देखकर कंप्यूटर चलाने लगा l
एक बार घर का रेडियो ऊंचाई से गिर गया उसके पीते टूट गए तब मैंने उसे रेडियो सुधारने वाले के पास ले गया मैंने उसे सुधारते हुए देख लिया कुछ सालों पश्चात जब मेरी पोस्टिंग प्राथमिक विद्यालय में प्राथमिक शिक्षक के रूप में हुई तब विद्यालय का रेडियो टूटी फूटी अवस्था में था तब मैंने अपने उस बीते हुए अनुभव का प्रयोग कर उस रेडियो को सुधार कर बच्चों को प्रतिदिन आने वाली रेडियो कार्यक्रम सुनाने लगे l
बच्चे भी उस रेडियो को सुनकर उत्साहित हो उठे और उनमें एक विशेष उत्साह भर उठा।
श्रीमती चंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा नरसिंहपुर मध्य प्रदेश
व्यवसायिक प्रशिक्षण ,जीवन में जहां हम किसी कार्य के प्रति परेशान हो जाते हैं उस स्थिति में हमारा कौशल हमें उस परेशानी से निकलने में सहयोग प्रदान करता है यदि बच्चों को हम व्यवसायिक शिक्षण के माध्यम से बच्चों के अंदर किसी विशेष कौशल को सीखने का सिखाने का प्रयास करते हैं तो वह कौशल उसके जीवन में कई कठिनाइयों से बाहर निकालने मैं मदद करता है।
ReplyDeleteमैंने भी अपने जीवन में अपने व्यवसाय कौशल से घरेलू जीवन के कई कार्य संपन्न किए हैं क्योंकि जब मैं शिक्षा विभाग में नहीं आया था उसके पूर्व में मशीनी कार्य एवं टेक्निकल जॉब में था वह ज्ञान मुझे अपने निजी जीवन में कई प्रकार का सहयोग प्रदान कर गया
श्रद्धानंद उपाध्याय शासकीय माध्यमिक विद्यालय मौसार तहसील बदनावर जिला धार मध्य प्रदेश।
दैनिक जीवन में अनेक कार्य ऐसे हैं जो बचपन से बार-बार देखने से उसे सीख लेते हैं तथा समय आने पर उस कार्य को सफलतापूर्वक कर भी लेते हैं जैसे बलफ बदलना फ्यूज लगाना कृषक भाई कृषि उपकरणों को अपने अनुभव के आधार पर ठीक करते हैं
ReplyDeleteज्ञान कभी भी बेकार नहीं जाता ।हम अपने दैनिक जीवन में बहुत कुछ देखते हैं।लगातार देखने से बहुत सी चीजें हम सीख जाते है।और बहुत कुछ हम कर कर के सीख जाते हैं।ध्यान से देखने और सुनने से ही हमें बहुत कुछ आ जाता है।
ReplyDeleteहमारे दैनिक जीवन में बहुत सारे ऐसे कार्य होते हैं जो कि हमारे विषय से संबंधित होते हैं और हम उसे अपने दैनिक जीवन में उपयोग कर हमारी अनेक समस्याओं को हल कर सकते हैं लक्ष्मी की तरह
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