Yah kathan bilkul sahi hai Kyunki Paryavaran adhyayan ke antargat bacche Apne aaspaas ke bhautik,Samajik, Arthik, rajnitik Aur sampurn parivesh Ka gyan prapt kar sakte hain
एक फौजी जल सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है। जब वह बच्चा था ,परिवार का हिस्सा था ,फिर मोहल्ले का शाला का ,समाज का हिस्सा बना। जब वह पढ़ लिख कर तैयार हुआ तो वह राष्ट्रीय स्तर का हिस्सा बन गया। अब वह जल सेना में है तो उसका पर्यावरण अलग है ,वह भावनात्मक व देशभक्ति से लबरेज है ।वह हथियार चलाकर व युद्ध नीति , कूटनीति ,राजनीति व प्रशासन का हिस्सा भी है। अब हम देखें तो जब वह बच्चा था तब भी वह भारत का नागरिक था और इतने व्यापक जुड़ाव के बाद भी वह भारत का ही नागरिक है, परंतु उसमें भूगोल, पर्यावरण ,नागरिक शास्त्र ,अर्थशास्त्र ,भावना ,सम्मान ,परोपकार आदर्श आचरण, संविधान आदि भी जुड़ गए हैं। अर्थात पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय है।
वास्तव में पर्यावरण अध्ययन से हमें जैविक और अजैविक घटकों के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं। पर्यावरण एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके अंतर्गत भू परिवेश इकोसिस्टम कार्य काली परी क्षेत्र परिवर्तन स्थानिक परिवेश॰ परिवर्तन मानव एवं पर्यावरण प्रकरण भूमंडलीय समस्याएं प्रकोप एवं आपदाएं पर्यावरणीय अध्ययन एवं प्रदूषण पर्यावरण प्रबंधन प्रमुख हैं। पर्यावरण अध्ययन से हमारा न केवल छात्रों में मानसिक सामाजिक विकास होता है बल्कि बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी उत्पन्न होती हैं। पर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समझती प्रदान करता है यह बच्चों के लिए ऐसे परिवेश निर्मित करता है जिससे वह पर्यावरणीय परिवर्तनों से वह ढल जाता है। उदाहरण के लिए माननीय आपदाएं जैसे ओले पड़ना अर्थात ओले पड़ने से हमारे परी क्षेत्र में अनेक प्रकार की आपदाएं आपदाओं का सामना करना पड़ता है जैसे फसल का नष्ट होना ठिठुरन कीटों का उत्पन्न होना आदि समस्याएं आती हैं ऐसी गतिविधियों को कक्षा गत कार्य क्षेत्र में शामिल किया जाना नितांत आवश्यक है इसमें समूह विभाजन कर बच्चों को विभिन्न आपदाओं की गतिविधि आधारित शिक्षण में समाहित करना परम आवश्यक है तथा इस और शिक्षार्थी को ध्यान देना नितांत आवश्यक है अतः पर्यावरण के क्षेत्र में बच्चों को सामाजिक मानसिक शारीरिक तौर पर उन्हें सवाल बनाना होगा।
किसी भी आउटकम के लिए एक गतिविधि चुनेंगे जैसे वृक्षों का जीवन बच्चों को आस पड़ोस में बगीचे की सैर कराएंगे वृक्षों का अवलोकन कर आएंगे और उन्हें डायरी देखकर कुछ लिखने के लिए कहेंगे जब भी लिखेंगे तो वृक्षों के बारे में सोचेंगे
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत पृकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
पर्यावरण एकीकृत विषय क्षेत्र है ।"जैसे कि पर्यावरण अध्ययन समूचे समाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है ।इसके अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है ।एवं यह अध्ययन सर्वागीण विकास में सहायक है ।
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत पृकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
किसी भी आउटकम के लिए एक गतिविधि चुनेंगे जैसे वृक्षों का जीवन बच्चों को आस पड़ोस में बगीचे की सैर कराएंगे वृक्षों का अवलोकन कर आएंगे और उन्हें डायरी देखकर कुछ लिखने के लिए कहेंगे जब भी लिखेंगे तो वृक्षों के बारे में सोचेंगे
किसी भी आउटकम के लिए हमें गतिविधि सुनेंगे जैसे हमारे आसपास जो वृक्ष लगे हैं उनसे उन की सैर कराएंगे जो बच्चे जंगल में लकड़ी वगैरह काटने के लिए जाते हैं उसका अवलोकन के बारे में बताएंगे और उनके द्वारा महा से प्राप्त और क्या-क्या फायदे होते हैं जंगल से हमें उसका अध्ययन करने के लिए और उस पर टिप्पणी लिखने के लिए चाहेंगे
श्रीमती सुधा शर्मा, सहा. शिक्षक. शा. मा. शा. बाग फरहत अफजा ऐशबाग भोपाल- (म.प्र.) पर्यावरण के अध्ययन से हमें प्रकृति🌿🍃 सम्बंधित हर क्षेत्र की जानकारी खुद भी और अपने छात्रों को सिखाने में मदद मिलती है. साथ ही एक अलग ही प्राकृतिक आन्नद की अनुभूति होती हैं. सचमुच मुझे तो प्रकृति से बड़ा प्रेम है👍.
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत प्रकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
प्रर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है। जिसमें प्रकृति के समस्त जैविक और अजैविक घटक शामिल होते हैं। अमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके लिए हम निम्नलिखित उदाहरण दे सकते हैं- 1. पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत विज्ञान,सामाजिक विज्ञान, गणित आदि विषयों को समाहित करते हुए अध्ययन किया जाता है। 2. पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत क्षेत्र है इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों का समावेश होता है और हमारे आसपास घटित होने वाले विभिन्न घटनाओं को इसके अंतर्गत रखा जाता है।उन घटनाओं को विभिन्न विषयों के अंतर्गत भी रखा जा सकता है। अतः पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत और एकीकृत विषय है।
ASHIM KUMAR TIWARI CAC BALSAMUD RAJPUR BARWANI सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं के समुच्चय से निर्मित इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी के अन्दर सम्पादित होती है तथा हम मनुष्य अपनी समस्त क्रियाओं से इस पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं। इस प्रकार एक जीवधारी और उसके पर्यावरण के बीच अन्योन्याश्रय संबंध भी होता है।
"पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है" पिछले कुछ दशकों में पर्यावरण अध्ययन एक ऐसे विषय के रूप में उभर आया है जो कि पारंपरिक विषयों की सीमाओं में न बंधकर सम्पूर्ण परिवेश को समग्र रूप से समझने में मदद करता है जो कि उन सामान्य धारणाओं के विपरित है जिनके अनुसार एकीकरण प्रक्रिया विषय संबंधी उद्देश्यों की महत्ता को कम कर देती है। ज्ञान को कठोर सीमाओं में बांधकर दिया जाना भी अपने आप में एक प्रदर्शन उत्पन्न करता है। जिसे चुनौती देना भी जरूरी है क्योंकि हम जानते हैं कि बच्चे अपने पर्यावरण के प्राकृतिक, भौतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलूओं को अलग-अलग रुप से नहीं देखते। पर्यावरण अध्ययन समूचे समाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है ।इसके अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है ।एवं यह अध्ययन सर्वागीण विकास में सहायक है। पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत अन्य विषयों का भी अध्ययन किया जा रहा है। प्रकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण किया जा सकता है।
Umesh Joshi Govt.Girls Hr. Sec. School (E.S.E.P.) Rau Indore(ग्रामीण) :- पर्यावरण अध्ययन के ये उद्देश्य व उनसे जुड़े सरोकार, देखने में बड़े ही सरल से प्रतीत होते हैं परन्तु वास्तविकता में ये इतने सरल नहीं है। ऐसा करने के लिए अधिगम को एकीकृत परिपेक्ष्य में लिया जाना आवश्यक हो जाता है। ऐसा तब ही संभव हो सकता है जब घटक विषय एकीकृत रूप में हो। यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों। सरल शब्दों में कहें तो घटक विषयों का सीमरहित समेकन हो।
paryavaran adhyayan vigyapan Hai ismein bacchon ko sochne aur samajhne ka prayog kab milta Hai main bhi Apne bacchon ko padhne ke liye unka tatha unko se sambandh jodna tatha karna sikho kunga bacchon ke liye paryavaran vishay Mein jitni bhi theme Di gai hai vah sabhi aapas Mein unke Dainik Jeevan se sambandhit Hai Jaise jal aawas bahujan yatayat aap sabhi unke Dainik Jeevan se sambandhit Hai tatha bacche ki jivan Mein jod kar dekh sakte hain
paryavaran ki sabhi theme aapas mein purv related Hai Jaise jal bhojan yatayat aawas rahan Sahan pehnao dharmik Utsav sabhi ek dusre se sambandhit hai aur bacche ke dene kriyakalap vah Dainik jivan par prabhav dalne wale Hain baccha ko Apne jivan Mein dekh sakta hai tatha sakta hai
पर्यावरण वास्तव मे एक एकीकृत विषय है,क्योकि हम विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान सभी क्षेत्रों का समग्र रूप पर्यावरण में समाहित पाते है रोज व्यवहार में हम खरीद फरोख्त मे गणित का प्रयोग करते है,हरी पत्तियों की जानकारी व्यवहारिक रूप से हम इस क्षेत्र में पाते है,सामाजिक व्योहार भी अपने चारों तरफ ,जिसमे रिस्ते समाहित है, पर्यावरण की ही देन है।
पर्यावरण अध्ययन हमारे संपूर्ण परिवेश का अध्ययन करता है ! समाज को बनाने और संगठित करने में भरपूर मदद करता है ! पर्यावरण अध्ययन छात्रों को बहुमुखी प्रतिभा बना सकता हैं ! जिससे छात्र आगे चलकर भविष्य में समाज में सम्मान और उच्च स्थान प्राप्त करते है ! आतः !पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है ! जिसका मैं पूरजोर समर्थन करता हूं ! Ms Rupa Bedi dhanyvad.
Prathmik shikshak Begumganj पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत पृकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
पर्यावरण शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास में पूर्णतः सहायक होती है।आगे चलकर वह प्राप्त पर्यावरणीय ज्ञान का उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर आसपास केवातावरण को सफल बनाता है।
बच्चों को उनके वास्तविक जीवन से जुड़े सामाजिक सांस्कृतिक राजनैतिक और पर्यावरणीय मुद्दों से इस प्रकार जोड़ा जाना चाहिए जिससे भी विविध संसाधनों व जीवों के प्रति असमानताओं अन्यायो और शोषण जैसी समस्याओं के प्रति सचेत व संवेदनशील हो सके। सीखने सिखाने के ऐसे अनुभव को इन मुद्दों के प्रति व्यापक रूप से बच्चों के ज्ञान विकास सचेतता और अनुभवो की परिधि का दायरा धीरे-धीरे इस प्रकार बढ़ायें जिससे वे अपनी असल जिंदगी में भी इनका सही मायने में उपयोग कर पाएं। यह सभी पर्यावरण अध्ययन द्वारा ही संभव है अतः कहा जा सकता है कि पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है।
Latika jaiswal,sarna,chhindwara G.P.S.Panjra Prywarn adhyan shikshan prkriya ko sral or suvidhajanak bnane m shayk h,yh krke sikhne m bl deta h,iske adhyan se bachhe ghnta se sochte avm sikhte h or anubhav ko vishleshan krte h..." Jise apna ker alag _alag vishyon k shikshan ke isthan pr sbhi vishayon ko sammilit svrup ke shikshan pr jor diya h..."
प्रश्न:-"पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है" कोई उदाहरण देते हुए इस कथन का समर्थन करें। उत्तर:-हमारे आस पास के वातावरण से पर्यावरण का निमार्ण होता हैं|पर्यावरण अध्ययन एक ऐसा विषय हैं जिसमें विद्यार्थी को उसकी उम्र और समझ के आधार पर आसपास के वातावरण से जोड़ा जाता है जिसे वह अपने आस पास महसूस करता हैं अनुभव करता हैं जिससे उसमे तुलना करना,विश्लेषण करना तर्क करना,समाज से मेल जोल बढ़ाना जैसे गुणों का विकास होता हैं एवं समाज से जुड़ा रहता हैं| इस विषय के माध्यम से ही विद्यार्थी अपने अपने आस पास के परिवेश,रहन-सहन,एको सिस्टम इत्यादि की समझ विकसित कर पाता हैं |इस प्रकार हम कह सकते हैं की "पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है"
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है।जहाँ समग्र परिवेश की गति विधियाँ शामिल हैं। पर्यावरण अध्ययन से जैविक तथा अजैविक घटकों का समग्र अध्ययन शामिल है।यह बच्चों के सर्वांगीण विकास मैं सहायक है। यू.एल.चौपरिया पृधानाध्यापक मा.वि.गिन्दौरा जिलाशिवपुरी म.पृ.
Sadhna pandey Ps makronia sagar mp Vikaas khand sagar पर्यावरण अध्ययन को आसपास के परिवेश से जोड़ने से बच्चे खुद अपनी समझ विकसित करके और अपने पाठ्यक्रम को सही रूप से विकसित कर सकेंगे और उनके सीखने के प्रतिफल का भी परिपूर्ण होगा
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है। यह कथन बिलकुल सत्य है।उदाहरण के लिए ,बच्चे पर्यावरण अध्ययन में अगर पेड़ो के बारे में पढ़ रहे है तो उनकी जीव विज्ञान की समझ भी विकसित होती है कि ऑक्सीजन पेड़ो से ही मिलती है इनका संरक्षण करना चाहिए।संरक्षण करते है तो एक तरह का मैनेजमैंट की समझ बिक्सित करते है।ऐसे उदाहरण बहुत सारे है जिन्हें हम बच्चो के आस पास की चीजों और गतिविधियों से ले सकते है। धन्यवाद्
पर्यावरण शिक्षा बच्चों के विकास में सहायक होती है।आगे चलकर वह प्राप्त पर्यावरणीय ज्ञान का उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर आसपास के वातावरण को सफल बनाता है।
सर्वेश कुमार पाण्डेय, माध्यमिक शिक्षक शा.पूर्व मा. विद्या. महदेवा-सतना(म.प्र.) डाइस कोड-23130717005 ----# पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र के रूप में होना चाहिये । राष्ट्रीय पाठयचर्या की रूपरेखा 2000 में पहली बार पर्यावरण अध्ययन को सामाजिक अध्ययन और विज्ञान के रूप में पृथक-पृथक न कर समेकित रूप में पढ़ाने की सिफारिश की गई थी। इसके अनुसार कक्षा 3 से 5 के स्तर पर बच्चों को ‘पर्यावरण उसके प्राकृतिक और सामाजिक रूप में विभक्त न करते हुए एक सम्पूर्ण विषय के रूप में पढ़ाने के लिए कहा गया। कक्षा 1 व 2 में इसे पाठ्यक्रम के अलग से विषय के रूप में नहीं रख कर इसकी पाठ्यसामग्री को बच्चे के निकटतम पर्यावरण से लिया जा कर इसे भाषा और गणित विषयों के साथ एकीकृत कर पढ़ाने के लिए कहा गया। राष्ट्रीय पाठयचर्या की रूपरेखा 2005 में भी प्राथमिक कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन को समेकित पद्धति से अधिक सशक्त रूप से पढ़ाने पर बल दिया गया। कक्षा 1 व 2 में स्तर पर पर्यावरणीय कौशलों एवं सरोकारों को भाषा तथा गणित के विषयों के साथ एकीकृत रूप में पढ़ाने की सिफारिश की गई है तथा कक्षा 3 से 5 तक अलग विषय के रूप में पढाए जाने की संस्तुति की गई है। गंभीरता से विचार कर के देखें तो ‘पर्यावरण अध्ययन’ मात्र विषय नहीं अपितु यह जीवन जीने की पद्धति है। इसके माध्यम से भावी जीवन की तैयारी हेतु कौशलों का विकास किया जाता है। अतः यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि पर्यावरण अध्ययन की विषयवस्तु कैसी हो तथा किस तरह से जीवन जीने की पद्धति सहजता से बच्चों मे पोषित कर सके यानि वह अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, जैविक और भौतिक वातावरण के साथ तादात्मय स्थापित करते हुए उसके साथ संवेदनशील ढंग से अपनी समझ का निर्माण कर सके। हमारे परिवेश में भौतिक घटक (हवा, पानी, मिट्टी, धूप, वर्षा), जैविक घटक (मनुष्य, जीव-जंतु, पेड़ पौधे) तथा सामाजिक घटक (रिश्ते-नाते,समाज, रीति-रिवाज, परम्ंपराएँ) में अन्तःक्रियाएँ चलती रहती हैं। इन्हीं अन्तःक्रियाओं के प्रति समझ भावी जीवन की तैयारी है। अतः पर्यावरण अध्ययन की विषय-वस्तु ऐसी हो जो इस प्रकार की समझ विकसित करती हो । पर्यावरण अध्ययन की विषय वस्तु में जहाँ एक ओर हम प्रकृति के विभिन्न घटकों के प्रति समझ बनाने वालेे तत्वों को शामिल कर सकते है वहीं दूसरी ओर उसके चारों और के समाजिक पर्यावरण की समझ बनाने वाले तत्वों को सम्मिलित किया जा सकता है। अगर विषय के रूप में हम देखे तो हमारे परिवेश के इन दो घटकों - प्राकृतिक एवं सामाजिक का अध्ययन क्रमशः विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। अपने परिवेश की समझ को ओर पुख्ता बनाने हेतु इतिहास और भूगोल की समझ की जरूरत से इन्कार नहीं किया जा सकता। अपने आसपास के प्रति समझ बनाने के लिए सौन्दर्यात्मक अनुभूति के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। साथ ही स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण साधन की अनदेखी कर बच्चों से अपने आसपास के प्रति समझ बनाने की अपेक्षा करना बेमानी सा लगता इसलिए स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा विषय का अध्ययन भी करवाना होगा। ऐसे में इतने विषयों का अलग अलग अध्ययन प्राथमिक कक्षाओं में करवाना हो तो बच्चे का बस्ता बच्चे से भारी होना भी तर्कपूर्ण सा लगता है। मोटे रूप में देखें तो पर्यावरण अध्ययन का उद्देश्य बच्चे में उन क्षमताओं को विकसित करना है जिससे वह अपने आस-पास के समस्त भौतिक, और जैविक परिवेश के प्रति अपनी समझ को विकसित कर सके। वह अपने आस- पास के सामाजिक वातावरण को समझ सके। अपने परिवेश की सामाजिक ,सांस्कृतिक विभिन्नताओं और जटिलताओं को समझ सके। पर्यावरण के प्रति जागरूक हो सके। इन सभी अमूर्त से लगने वाले उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बच्चों मे अवलोकन करना, संकलन करना, वर्गीकरण करना, प्रयोग करना, मापन करना, अनुमान लगाना, चर्चा करना, चिंतन करना, और निष्कर्ष निकालना, जैसी क्षमताओं को विकसित करने जैसे मूर्त उद्देश्य लिए जा सकते है। पर्यावरण अध्ययन के ये उद्देश्य व उनसे जुड़े सरोकार, देखने में बड़े ही सरल से प्रतीत होते हैं परन्तु वास्तविकता में ये इतने सरल नहीं है। ऐसा करने के लिए अधिगम को एकीकृत परिपेक्ष्य में लिया जाना आवश्यक हो जाता है। ऐसा तब ही संभव हो सकता है जब घटक विषय एकीकृत रूप में हो। यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों। सरल शब्दों में कहें तो घटक विषयों का सीमरहित समेकन हो।
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत पृकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय - क्षेत्र हैं। पर्यावरण अध्ययन समस्त सामाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है। पर्यावरण का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है।
Tulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal. Paryyavaran adhayyan se baccho ka sarvangin vikas Hota hai evam bacche prapt paryyavaran gyan ko aapne denik jivan m upyog kar vatavarn ko safal banate hai.
सर्वेश पाण्डेय, माध्यमिक शिक्षक शा.पूर्व मा.विद्या. महदेवा-सतना(म.प्र.) डाइस कोड-23130717005 ^^^^^^ पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत बिषय के रूप में होना चाहिए। NCF 2000 में पहली बार पर्यावरण अध्ययन को सामाजिक अध्ययन और विज्ञान के रूप में पृथक-पृथक न कर समेकित रूप में पढ़ाने की सिफारिश की गई ।NCF 2005 में भी प्राथमिक कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन को समेकित पद्धति से अधिक सशक्त रूप से पढ़ाने पर बल दिया गया। वस्तुतः‘पर्यावरण अध्ययन’ मात्र विषय नहीं अपितु यह जीवन जीने की पद्धति है। इसके माध्यम से भावी जीवन की तैयारी हेतु कौशलों का विकास किया जाता है। अतः कि पर्यावरण अध्ययन की विषयवस्तु ऐसी हो कि वह जीवन जीने की पद्धति सहजता से बच्चों मे पोषित कर सके यानि वह अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, जैविक और भौतिक वातावरण के साथ तादात्मय स्थापित करते हुए उसके साथ संवेदनशील ढंग से अपनी समझ का निर्माण कर सके। हमारे परिवेश में भौतिक घटक (हवा, पानी, मिट्टी, धूप, वर्षा), जैविक घटक (मनुष्य, जीव-जंतु, पेड़ पौधे) तथा सामाजिक घटक (रिश्ते-नाते,समाज, रीति-रिवाज, परम्ंपराएँ) में अन्तःक्रियाएँ चलती रहती हैं। इन्हीं अन्तःक्रियाओं के प्रति समझ भावी जीवन की तैयारी है। अतः पर्यावरण अध्ययन की विषय-वस्तु ऐसी हो जो इस प्रकार की समझ विकसित करती हो । अगर विषय के रूप में हम देखे तो हमारे परिवेश के इन दो घटकों - प्राकृतिक एवं सामाजिक का अध्ययन क्रमशः विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। अपने परिवेश की समझ को ओर पुख्ता बनाने हेतु इतिहास और भूगोल की समझ की जरूरत से इन्कार नहीं किया जा सकता। अपने आसपास के प्रति समझ बनाने के लिए सौन्दर्यात्मक अनुभूति के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। अतः कला शिक्षा का अघ्ययन भी जरूरीलगता है। साथ ही स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण साधन की अनदेखी कर बच्चों से अपने आसपास के प्रति समझ बनाने की अपेक्षा करना बेमानी सा लगता इसलिए स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा विषय का अध्ययन भी करवाना होगा। ऐसे में इतने विषयों का अलग अलग अध्ययन प्राथमिक कक्षाओं में करवाना हो तो बच्चे का बस्ता बच्चे से भारी तर्कसंगत सा लगता है। मोटे रूप में देखें तो पर्यावरण अध्ययन का उद्देश्य बच्चे में उन क्षमताओं को विकसित करना है जिससे वह अपने आस-पास के समस्त भौतिक, और जैविक परिवेश के प्रति अपनी समझ को विकसित कर सके।अपने परिवेश की सामाजिक ,सांस्कृतिक विभिन्नताओं और जटिलताओं को समझ सके। यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों।
पर्यावरण अध्ययन के ये उद्देश्य व उनसे जुड़े सरोकार, देखने में बड़े ही सरल से प्रतीत होते हैं परन्तु वास्तविकता में ये इतने सरल नहीं है। ऐसा करने के लिए अधिगम को एकीकृत परिपेक्ष्य में लिया जाना आवश्यक हो जाता है। ऐसा तब ही संभव हो सकता है जब घटक विषय एकीकृत रूप में हो। यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों। सरल शब्दों में कहें तो घटक विषयों का सीमरहित समेकन हो।
पर्यावरण अध्ययन के ये उद्देश्य व उनसे जुड़े सरोकार, देखने में बड़े ही सरल से प्रतीत होते हैं परन्तु वास्तविकता में ये इतने सरल नहीं है। ऐसा करने के लिए अधिगम को एकीकृत परिपेक्ष्य में लिया जाना आवश्यक हो जाता है। ऐसा तब ही संभव हो सकता है जब घटक विषय एकीकृत रूप में हो। यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों। सरल शब्दों में कहें तो घटक विषयों का सीमरहित समेकन हो।
कक्षा 3 से 5 तक पर्यावरण अध्ययन के पाठ्यक्रम को एकीकृत स्वरूप प्रदान करने के लिए छः विषय क्षेत्रों परिवार और मित्र (संबंध, कार्य, एवं खेल, जानवर, पौधे) , भोजन, आवास, जल, यात्रा, और कुछ करना व बनाना की पहचान की गई जिनमें बहुविषयकता को एकीकृत रूप में साथ साथ रखा जा सकता है। इन्हें ही थीम कहा गया है।
पर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समझती प्रदान करता है यह बच्चों के लिए ऐसे परिवेश निर्मित करता है जिससे वह पर्यावरणीय परिवर्तनों से वह ढल जाता है। उदाहरण के लिए माननीय आपदाएं जैसे ओले पड़ना अर्थात ओले पड़ने से हमारे परी क्षेत्र में अनेक प्रकार की आपदाएं आपदाओं का सामना करना पड़ता है जैसे फसल का नष्ट होना ठिठुरन कीटों का उत्पन्न होना आदि समस्याएं आती हैं ऐसी गतिविधियों को कक्षा गत कार्य क्षेत्र में शामिल किया जाना नितांत आवश्यक है इसमें समूह विभाजन कर बच्चों को विभिन्न आपदाओं की गतिविधि आधारित शिक्षण में समाहित करना परम आवश्यक है तथा इस और शिक्षार्थी को ध्यान देना नितांत आवश्यक है अतः पर्यावरण के क्षेत्र में बच्चों को सामाजिक मानसिक शारीरिक तौर पर उन्हें सवाल बनाना होगा।
Pushpa singh (U.D.T) MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station Date.17.11 2020 Paryavaran addhyan me students apne parivar se shuru karte hue, apne aas-padose, samuday, samaj se jude un vibbhinn pahuluo ka gyan prapt karte hai jo alag-alag subjects se related hote hai.jaise bhasha,civics,economics,sociology,economics,moral science,maths etc.
कक्षा 3 से 5 तक पर्यावरण अध्ययन के पाठ्यक्रम को एकीकृत स्वरूप प्रदान करने के लिए छः विषय क्षेत्रों परिवार और मित्र (संबंध, कार्य, एवं खेल, जानवर, पौधे) , भोजन, आवास, जल, यात्रा, और कुछ करना व बनाना की पहचान की गई जिनमें बहुविषयकता को एकीकृत रूप में साथ साथ रखा जा सकता है। इन्हें ही थीम कहा गया है।
पर्यावरण शिक्षा बच्चों के विकास में सहायक होती है।आगे चलकर वह प्राप्त पर्यावरणीय ज्ञान का उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर आसपास के वातावरण को सफल बनाता है।
पर्यावरण अध्ययन एकीकृत पहलुओं को समझने में सहायक होता है इसमें विभिन्न विषयों का समावेश छात्रों का सर्वांगीण विकास करता है संदीप मिश्रा एकीकृत शाला हाई स्कूल गोंडी गोला जिला बैतूल मध्य प्रदेश
पर्यावरण अध्ययन एकीकृत विषय क्षेत्र है। हमारे आसपास की समस्त घटनाएं जो प्रकृति में घट रही हैं परिवार, समाज, जल भोजन,आवास, संस्कृति आदि कोई भी विषय पर्यावरण से अछूता नहीं है।
निसंदेह पर्यावरण एक ऐसा विषय है जो ज्ञान, विज्ञान, गणित, तर्क, सामाजिक विज्ञान सभी को अनपे भीतर समाए हुए एक एकीकृत विषय के रूप में होता है। सभी चल अचल वस्तु, प्राणी, पदार्थ, मानव, जानवर, कीट, जलचर, नभचर, उभयचर कुल मिलाकर हम सभी इस धरती पर साथ मिलकर रहते हैं और इस धरती की भौगोलिक संरचना जिसे पर्यावरण भी कहा जाता है उससे हम सभी प्रभावित भी होते हैं। जो भी विषय हम पढ़ते हैं चाहे वह गणित हो या विज्ञान, भाषा हो या सामाजिक विज्ञान या राजनीति अथवा अर्थशास्त्र सब इस धरती और इसके जीवन को आपस में जोड़ने इसे चलाने के एक सिस्टम के रूप में कार्य करती हैं। उदाहरण के लिए जब हैं नदियों का अध्यन करते हैं तो उसके निकलने और सागर में विलय होने के बारे में उससे प्राप्त होने वाले खनिजों के बारे में। फसल उगाने सहायक पोषक पदार्थों के बारे में। बिजली के निर्माण कृषि कार्य पेयजल पूर्ति। नदी के पानी का भौगोलिक व सामाजिक प्रभाव आदि सभी विषयों के बारे में चर्चा परिचर्चा होती है।
पर्यावरण अध्ययन समस्त सामाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है। बच्चे अपने चोरों ओर के वातावरण से भी सीखत हैं सभी चल अचल वस्तु, प्राणी, पदार्थ, मानव, जानवर, कीट, जलचर, नभचर, उभयचर कुल मिलाकर हम सभी इस धरती पर साथ मिलकर रहते हैं और इस धरती की भौगोलिक संरचना जिसे पर्यावरण भी कहा जाता है उससे हम सभी प्रभावित भी होते हैं। जो भी विषय हम पढ़ते हैं यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों।
मैं विजय सिंह जन शिक्षक फंदा ग्रामीण जिला भोपाल पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसकी अवधारणा इस बात से पुष्ट हो जाती है कि ncf-2005 में इस संबंध में विस्तृत रूप से बताया गया है साथ ही चाहे भाषा गणित विज्ञान अथवा सामाजिक विज्ञान विषय की बात करें तो किसी न किसी पहलू पर यह सभी विषय सम्मिलित रूप से दिखाई देते हैं उदाहरण के लिए यदि हम जेल की अवधारणा को स्पष्ट करें तो सर्वप्रथम जल जीव जंतुओं एवं पौधों के लिए अत्यंत आवश्यक है जीवन देने वाली वस्तु है जल ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन से बना है विज्ञान की समझ विकसित करता है जल के आयतन की बात करते हैं तो गणित विषय की अवधारणा को स्पष्ट करता है जल का उपयोग कहां कहां किया जाता है जल आदिकाल से आस्था का विषय रहा है जल वर्षा के रूप में किस प्रकार बरसता है जल की भौगोलिक स्थिति आदि सामाजिक विज्ञान की अवधारणा को पुष्ट करने में मदद करता है जल के संबंध में निबंध लेखन जल का पर्यायवाची रूप आदि भाषा विषय की अवधारणा स्पष्ट करने में मदद करता है अतः इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है
सुनील बिसेन हर व्यक्ति प्रकृति से जुड़ा है,अपने वातावरण को मजबूत करने हेतु वृक्षारोपण करता है।प्रकृति को सभी विषयों में ढूंढना आवश्यक है,,।पर्यावरण ही प्रारम्भ व अंत है।
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत प्रकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
मै करणसिंह पवार शासकीय हाईस्कूल पिपरी रैयत त+जि बुरहानपुर मध्यप्रदेश में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं। पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके लिए हम निम्नलिखित उदाहरण दे सकते हैं- 1. पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत विज्ञान,सामाजिक विज्ञान, गणित आदि विषयों को समाहित करते हुए अध्ययन किया जाता है। 2. पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत क्षेत्र है इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों का समावेश होता है और हमारे आसपास घटित होने वाले विभिन्न घटनाओं को इसके अंतर्गत रखा जाता है।उन घटनाओं को विभिन्न विषयों के अंतर्गत भी रखा जा सकता है। अतः पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत और एकीकृत विषय है।
रमाकान्त पाराशर माध्यमिक शाला हापला JSK बड़ागांव गूजर मध्यप्रदेश खण्डवा। पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है। इसके अध्ययन -अध्यापन में हम सभी विषयों का समावेश कर सकते हैं ।विज्ञान, गणित, भाषाज्ञान, राजनीति, समाज, संस्कृति, अर्थशास्त्र, भूगोल, व्यवहार व संस्कारों की शिक्षा दे सकते हैं।
यह बिल्कुल सत्य है कि पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है पर्यावरण अध्ययन को मात्र विज्ञान अथवा पर्यावरण की दृष्टि में देखना न्यायोचित नहीं है क्योंकि पर्यावरण के अंदर मानव जीवन के समस्त विषयों का गहराई से अध्ययन होता है उदाहरण के तौर पर यदि हम किसी पेड़ पौधे का उदाहरण लेते हैं तो यह पर्यावरण केसाथ साथ अन्य विषयों से भी गहराई से संबंध रखता है यदि हम उसे कृषि के तौर पर लेते हैं तो वह कृषि के क्षेत्र से संबंधित है यदि हम उससे प्राप्त दवाई के बारे में अध्ययन करते हैं तो यह औषधि के क्षेत्र में चिकित्सा विज्ञान से संबंध रखता है इसके साथ ही यदि इसे हम जंगली जीव-जंतुओं की दृष्टि से देखते हैं तो यह उनके संरक्षण के क्षेत्र में देखा जा सकता है। इसे हम विज्ञान ,प्रौद्योगिकी,चिकित्सा कृषि ,खनिज, जलवायु,जीव जंतु ,भूमि,पर्यावरण, सामाजिक ,स्वास्थ्य,चिकित्सा आदि विभिन्न विषयों के रूप में अध्ययन के रूप में उपयोग कर सकते हैं। पर्यावरण अध्ययन वास्तव में विभिन्न ज्ञान, विभिन्न कौशलों एवं विभिन्न पद्धतियों के साथ यह जीवन के बाहर समग्र रूप में अध्ययन का एक विषय है।
पर्यावरण अध्ययन हमारे संपूर्ण परिवेश का अध्ययन करता है ! समाज को बनाने और संगठित करने में भरपूर मदद करता है ! पर्यावरण अध्ययन छात्रों को बहुमुखी प्रतिभा बना सकता हैं ! जिससे छात्र आगे चलकर भविष्य में समाज में सम्मान और उच्च स्थान प्राप्त करते है ! आतः !पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है !
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है" इसमें गणित, विज्ञान व सामाजिक विज्ञान तीनों विषय शामिल है । अतः पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है" ।
पर्यावरण एकीकृत विषय है इसमें पर्यावरण के लिए सीखना पर्यावरण से सीखना पर्यावरण के द्वारा सीखना सभी सिद्धांत शामिल है पर्यावरण में सामाजिक सांस्कृतिक पर्यावरण अध्ययन विज्ञान पर्यावरण अध्ययन सामाजिक विज्ञान विज्ञान और सामाजिक विज्ञान का एकीकरण सभी शामिल है इसमें ज्ञान कौशल समानता न्याय मानवता के लिए सम्मान नैतिक मूल्य संवेदनशीलता और जिम्मेदार नागरिक होने के बारे में बताया जाता है जैसे पर्यावरण अध्ययन में बाहर के कंकड़ के खेल पत्तियां बिना और फिर उनको उनके चित्र बनाना और कंकड़ ओं के खेल से गिनती सीखना चित्र बनाना कला विषय में आ गया और गिनना गणित में आ गया ऐसे ही सामाजिक विज्ञान में इतिहास के बारे में किसी के लिए या संस्कृति के बारे में बताना
पर्यावरण एक एकीकृत विषय है जिसमे अपने आसपास के जैविक विविधताओं के साथ ही अपने आसपास के अजैविक तत्वों के बारे मे जानकारी दी गई है ।जिसके अध्ययन से सभी घटको के बीच समन्वय कर विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है ।
नमस्कार मेरा नाम राजेंद्र प्रसाद तिवारी शासकीय प्राथमिक शाला मदरो रीवा।पर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है । यह अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है ।
पर्यावरण अध्ययन एकीकृत विषय है इसमें सभी विषयों का समावेश होता है । मुख्यतः हिन्दी मे कविताएं प्रकृति से संबंधित होती है ....हिन्दी मे कई कविताएं आसपास के चारों ओर के पर्यावरण वातावरण को आधार मानकर लिखी जाती है । वृक्षों का परिचय जानकी बारे मे जानकारी तो हर विषय का महत्वपूर्ण अंग है । संस्कृत तक अछूता नही पर्यावरण के प्रभाव से । वृक्ष ,नदियाँ, पहाड़, प्राकृतिक सौंदर्य आदि पर तो हिन्दी अंग्रेजी संस्कृत विज्ञान सामाजिक विज्ञान ....हर विषय मे महत्ता से लेख छपे होते है । गणित विज्ञान मे क्रियाकलाप कराने के लिए बच्चों के प्राप्त ज्ञान को स्थायित्व देने मे पर्यावरण का विशेष योगदान है , इस प्रकार पर्यावरण एक एकीकृत विषय है ॥ धन्यवाद 🙏 दीप्ति जैन शिक्षक दतिया
पर्यावरण अध्यन कोई एक विषय क्षेत्र नहीं है,बल्कि विभिन्न विषय क्षेत्रों का एक समूह है।पर्यावरण अध्यन के पाठयक्रम को एकीकृत स्वरूप प्रदान करने के लिए छ: विषय क्षेत्रो में परिवार और मित्र(सम्बन्ध,कार्य एवं खेल,जानवर,पौधे)भोजन,आवास,जल, यात्रा और कुछ करना व बनाना के पहचान की गई जिनमे वहुविष्यकत्ता को एकीकृत रूप में साथ साथ रखा जा सकता है
पर्यावरण विषय छात्र, छात्राओं को आस पास के ज्ञान से परिचित कराता है। छात्र छात्राएं पर्यावरण विषय पर उनकी अपनी सोच को प्रगाढ़ करने के साथ साथ आत्मविश्वास, विचार अभिव्यक्ति के लिए सहायक होगा।
ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खंडवा पर्यावरण अध्ययन से हमें आस पास के परिवेश के संबंध में जानकारी मिलती है पर्यावरण अध्ययन बच्चों के मन में पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करती है।एवं प्रकृति से जुड़े रहने की प्रेरणा प्रदान करती है।
पर्यावरण अध्ययन अधिगम का उद्देश्य बच्चों के ज्ञान,कौशल,स्वभाव को विकसित करता है साथ हि पर्यावरण अध्ययन से छात्रों में मानसिक,शारीरिक,सामाजिक विकास होता है ।। हमने प्रैक्टिकल रूप से 2006 से अब निस्वार्थ भाव से प्रति वर्ष वृक्षारोपण कर वर्ष भर जल से सींचते रहे आज लगभग 1500 पौधे बड़े हो चुके है संकुल के विद्यालय में भी पर्यावरण संरक्षण अध्ययन के तहत विद्यार्थियो ओर शिक्षकों के सहयोग वृक्षारोपण कर छात्रों में पर्यावरण के प्रति भाव संवेदना जाग्रत हुई जिससे पर्यावरण अध्ययन प्रैक्टिकल रूप में स्कूलों में लगे पेड़ो ओर उस पर बैठने वाले पक्षियो,फलों, फूलों को देखकर सीखे
पर्यावरण अध्ययन सभी स्त् र के पाठयक्रम मे विशेष स्थान रखता है। एन. सी. एफ. 05 मे प्रधामिक स्त् र पर्यावरण शिक्षा को विज्ञान और समा जिक अध्ययन के एकीकृत रूप मे पढाएजाने की अनुशंषा है। जिसे पढ़ कर विधार्थीयो मे अन्तः दृष्टि विकसित हो जाती है।
पर्यावरण विषय में कई विषयों को समाहित कर अध्ययन न कराया जाता है अधिकांश विषयों का एकीकरण कर का समावेश कर पर्यावरण अध्ययन कराया जाता है पर्यावरण अध्ययन से बच्चों का सामाजिक बौद्धिक विकास होता है
पर्यावरण अध्ययन शिक्षण में आपेक्षित है कि NCF2005 के पश्चात से जारी निर्देशों अनुरूप विषयवस्तु की समग्रता को दृष्टिकोण में रखकर उससे जुड़े समस्त पहलुओं को सिखाने का संपूर्ण प्रयास गतिविधियों के आधार पर संपादित किये जावें। शिक्षा और शिक्षण प्रक्रिया बाल केन्द्रित हो ताकि रटने रटाने की विधा से मुक्त होकर ज्ञान को बाहरी जीवन से जोड़कर प्रजातांत्रिक राज्य व्यवस्था एवं मूल्यों तथा राष्ट्रीय चिताओं को स्थान.देते हुए बच्चों के चहुंमुखी सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को पूरे मनोयोग, प्रयासों एवं गतिविधियों के साथ प्राप्त किया जा सके।
Ps Nanakheda District Jabalpur पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,जहाँ समग्र परिवेश की गतिविधियां शामिल हैं।पर्यावरण अध्ययन में जैविक तथा अजैविक घटकों का समग्र अध्ययन शामिल है,इसमें गणित,विज्ञानं,सामाजिक विज्ञान तीनो विषय शामिल हैं।यह बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक है।
पर्यावरण अध्यन में हम किसी टॉपिक पर कार्यनीत बनाने के लिए हम जल विषय पर अध्ययन करना चाहते है तो हमे एक कार्ययोजना बनाकर दिशा-निर्देशों और नियमो का निर्धारण कराना होगा,जैसे छात्रों को जल विषय के बारे में उपलब्धता,प्रदूषण,स्वच्छता सम्बन्धी मापदंडो का पता लगाकर निर्धारण करना एवं मानव जीवन मे जल की महत्ता को स्थापित करना आदि का जल टॉपिक के विषय मे महत्वपूर्ण व्यवहारिक ज्ञान प्रदाय किया जा सकता है।
आस पास जितना भी वातावरण है उसको पर्यावरण कहते हैं पर्यावरण का अर्थ है परि+आवरण हम जब पर्यावरण में ही रह रहे हैं तो उसके विषय में जानना तो हमें बेहद आवश्यक है पर्यावरण में जीव जंतु जैविक अजैविक घटक पेड़ पौधे भूगोल की स्थिति सूर्य चंद्रमा तारे जिन्हें हम किताबों में पढ़ते हैं वह सभी हम पर्यावरण को देखकर अपने छात्रों को समझा सकते हैं पर्यावरण के द्वारा ही हम गणित विज्ञान सामाजिक विज्ञान सभी विषयों की जानकारी अच्छी तरीके से दे सकते हैं श्रीमती चंद्रिका कौरव एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा जिला नरसिंहपुर एमपी
Anil alanse,p.s.girls talwada bu.,पर्यावरण अध्ययन में सभी विषय समाहित है, इससे बच्चो को संपूर्ण विषय का ज्ञान प्राप्त होता हैं। अतः पर्यावरण एक एकीकृत विषय है।
मै करणसिंह पवार शासकीय हाईस्कूल पिपरी रैयत त+जि बुरहानपुर मध्यप्रदेश में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं। पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके लिए हम निम्नलिखित उदाहरण दे सकते हैं- 1. पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत विज्ञान,सामाजिक विज्ञान, गणित आदि विषयों को समाहित करते हुए अध्ययन किया जाता है। 2. पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत क्षेत्र है इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों का समावेश होता है और हमारे आसपास घटित होने वाले विभिन्न घटनाओं को इसके अंतर्गत रखा जाता है।उन घटनाओं को विभिन्न विषयों के अंतर्गत भी रखा जा सकता है। अतः पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत और एकीकृत विषय है।
Vijaya Tripathi Paryavaran adhyyan hame bahut saru chijo se avgat karata hai . Uske madhyam se ham apne jeewan shaili me aane vale kamo ke bare me ek tarika sikhte hai jisse hame un kamo ko karne me sahayata milti hai . Paryavaran adhyyan se jiwan me ek vektigat prerna milti hai jisko pa kr ham apne jivan me kuch acha krte hai.
बच्चे जिस परिवेश में रहते हैं उससे वे घनिष्ठता से जुड़े होते हैं, वे पूरे परिवेश को एकमेव अनुभव करते हैं न कि अलग अलग विषयों के रूप में जैसे विज्ञान सामाजिक विज्ञान इत्यादि। इसलिए पर्यावरण अध्ययन को समेकित किया जाना उचित है।
आस पास जितना भी वातावरण है उसको पर्यावरण कहते हैं पर्यावरण का अर्थ है परि+आवरण हम जब पर्यावरण में ही रह रहे हैं तो उसके विषय में जानना तो हमें बेहद आवश्यक है पर्यावरण में जीव जंतु जैविक अजैविक घटक पेड़ पौधे भूगोल की स्थिति सूर्य चंद्रमा तारे जिन्हें हम किताबों में पढ़ते हैं वह सभी हम पर्यावरण को देखकर अपने छात्रों को समझा सकते हैं पर्यावरण के द्वारा ही हम गणित विज्ञान सामाजिक विज्ञान सभी विषयों की जानकारी अच्छी तरीके से दे सकते हैं श्रीमती चंद्रिका कौरव एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा जिला नरसिंहपुर एमपी
पर्यावरण अध्यन कोई एक विषय क्षेत्र नहीं है,बल्कि विभिन्न विषय क्षेत्रों का एक समूह है।पर्यावरण अध्यन के पाठयक्रम को एकीकृत स्वरूप प्रदान करने के लिए छ: विषय क्षेत्रो में परिवार और मित्र(सम्बन्ध,कार्य एवं खेल,जानवर,पौधे)भोजन,आवास,जल, यात्रा और कुछ करना व बनाना के पहचान की गई जिनमे वहुविष्यकत्ता को एकीकृत रूप में साथ साथ रखा जा सकता है
पर्यावरण हमारे जीवन के लिए बहुत मूल्यवान है इससे हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है इसे स्वस्थ रखना हमारे स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने जैसा है
पर्यावरण विषय में बच्चे अपने आसपास अपने जैविक अजैविक घटक एवं सभी विषयों के बारे में भी पर्यावरण के माध्यम से बड़े आसानी से सीख जाते हैं उन्हें पर्यावरण के बारे में पढ़ने में भी बहुत रुचि रहती है पर्यावरण एक बहुत महत्वपूर्ण सब्जेक्ट है इसके द्वारा बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं बहुत जल्दी आत्मसात करते है पर्यावरण विषय बहुत ही आवश्यक विषय है
पर्यावरण अध्ययन में जब हम परिवेश की बात करते हैं तो स्थानीय मापदंडों में सामाजिक भौतिक काल्पनिक एवं वस्तु स्थिति सभी पर विश्लेषण क्रिया प्रतिक्रिया और प्रमाणीकरण देते हैं उसके पश्चात ही हम वस्तु स्थिति को समझाने में सक्षम हो पाते हैं उदाहरण के तौर पर अगर हम बच्चों से अपने आसपास के पेड़ पौधों के बारे में या अपने आसपास के उन व्यवसाय के बारे में जिन की अधिकता है पर बात करते हैं तो बच्चे का जुड़ाव परिवेश से स्वाभाविक है
पर्यावरण हमारे जीवन के लिए बहुत मूल्यवान है इससे हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है इसे स्वस्थ रखना हमारे स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने जैसा है
हम चारों ओर से जिस आवरण से घिरे हैं उससे कोई भी विषय अछूता नहीं है पर्यावरण में कमोवेश हर विषय का समावेश रहता है जिसमें विज्ञान और सामाजिक विज्ञान भाषा जो इनको पढ़ने का माध्यम है एक दूसरे से अलग नहीं किए जा सकते अत: पर्यावरण को एकीकृत किया जाना उचित है
पर्यावरण हमारे जीवन के लिए बहुत मूल्यवान है इससे हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है इसे स्वस्थ रखना हमारे स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने जैसा है
विद्यार्थी जब विद्यालय में आते हैं, तो अपने आसपास के परिवेश वातावरण से संबंधित जानकारियों की समझ उनमें होती है। पर्यावरण अर्थात हमारे आसपास का वातावरण होता है। पर्यावरण एकीकृत विषय क्षेत्र है, इसके अंतर्गत विद्यार्थी अपने आसपास के सामाजिक राजनैतिक एवं पारिवारिक वातावरण से उनके जीवन की राह बनाते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से पर्यावरण एक महत्वपूर्ण विषय है।
पर्यावरण अध्ययन के एकीकृत विषय है जिसके अंतर्गत छात्र विश्व समुदाय के अंदर अपनी हिस्सेदारी को समझ पाता है और समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों को समझ सकता है
पर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है । यह अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है पर्यावरण अध्ययन के एकीकृत विषय है जिसके अंतर्गत छात्र विश्व समुदाय के अंदर अपनी हिस्सेदारी को समझ पाता है और समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों को समझ सकता है
बच्चे अपने चारों ओर के परिवेश से सीखते हैं पर्यावरण हर क्षेत्र के लिए आवश्यक है, घर व प्रकृति से बहुत सीखता है, उन्ही उदाहरण को बताकर उसकी समझ को और विकसित कर सकते हैं।
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है l j. जिसमें प्रकृति के समस्त जैविक और a जैविक घटक समाहित है l इसमें हम विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, गणित विषयो को भी समाहित करते हुए अध्ययन करते हैं l इससे बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसमें विज्ञान गणित सामाजिक विज्ञान आदि विषयों का समावेश है पर्यावरण अध्ययन में बच्चे प्राकृतिक भौतिक सामाजिक सांस्कृतिक तथा पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनते हैं जैसे पेड़ पौधों के बारे में अभी कैसे उगते हैं बढ़ते हैं उनमें फल लगते हैं पत्ती फूल फलों के रंगों का ज्ञान उनका भोजन बनाना प्रकाश संश्लेषण करना पौधों की ऊंचाई मोटाई की माप आदि गतिविधि के माध्यम से अध्ययन करते हैं जिसमें सभी विषयों का समावेश हो जाता है इस प्रकार पर्यावरण अध्ययन एकीकृत विषय क्षेत्र है
पर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समेकित करता है । पर्यावरण अध्ययन काे समाज की हर गतिविधि प्रभावित करती है । पर्यावरण व्यापक स्वरूप में हमारे आसपास के समस्त वातावरण के अध्ययन को ही कहते है।
पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत क्षेत्र है इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों का समावेश होता है और हमारे आसपास घटित होने वाले विभिन्न घटनाओं को इसके अंतर्गत रखा जाता है।उन घटनाओं को विभिन्न विषयों के अंतर्गत भी रखा जा सकता है। अतः पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत और एकीकृत विषय है।
उत्तर:-हमारे आस पास के वातावरण से पर्यावरण का निमार्ण होता हैं|पर्यावरण अध्ययन एक ऐसा विषय हैं जिसमें विद्यार्थी को उसकी उम्र और समझ के आधार पर आसपास के वातावरण से जोड़ा जाता है जिसे वह अपने आस पास महसूस करता हैं अनुभव करता हैं जिससे उसमे तुलना करना,विश्लेषण करना तर्क करना,समाज से मेल जोल बढ़ाना जैसे गुणों का विकास होता हैं एवं समाज से जुड़ा रहता हैं| इस विषय के माध्यम से ही विद्यार्थी अपने अपने आस पास के परिवेश,रहन-सहन,एको सिस्टम इत्यादि की समझ विकसित कर पाता हैं |इस प्रकार हम कह सकते हैं की "पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है"
ovember 16, 2020 at 9:17 AM पर्यावरण अध्ययन हमारे संपूर्ण परिवेश का अध्ययन करता है ! समाज को बनाने और संगठित करने में भरपूर मदद करता है ! पर्यावरण अध्ययन छात्रों को बहुमुखी प्रतिभा बना सकता हैं ! जिससे छात्र आगे चलकर भविष्य में समाज में सम्मान और उच्च स्थान प्राप्त करते है ! आतः !पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है ! जिसका मैं पूरजोर समर्थन करता हूं
वास्तव में पर्यावरण अध्ययन से हमें जैविक और अजैविक घटकों के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं। पर्यावरण एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके अंतर्गत भू परिवेश इकोसिस्टम कार्य काली परी क्षेत्र परिवर्तन स्थानिक परिवेश॰ परिवर्तन मानव एवं पर्यावरण प्रकरण भूमंडलीय समस्याएं प्रकोप एवं आपदाएं पर्यावरणीय अध्ययन एवं प्रदूषण पर्यावरण प्रबंधन प्रमुख हैं। पर्यावरण अध्ययन से हमारा न केवल छात्रों में मानसिक सामाजिक विकास होता है बल्कि बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी उत्पन्न होती हैं। पर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समझती प्रदान करता है यह बच्चों के लिए ऐसे परिवेश निर्मित करता है जिससे वह पर्यावरणीय परिवर्तनों से वह ढल जाता है। उदाहरण के लिए माननीय आपदाएं जैसे ओले पड़ना अर्थात ओले पड़ने से हमारे परी क्षेत्र में अनेक प्रकार की आपदाएं आपदाओं का सामना करना पड़ता है जैसे फसल का नष्ट होना ठिठुरन कीटों का उत्पन्न होना आदि समस्याएं आती हैं ऐसी गतिविधियों को कक्षा गत कार्य क्षेत्र में शामिल किया जाना नितांत आवश्यक है इसमें समूह विभाजन कर बच्चों को विभिन्न आपदाओं की गतिविधि आधारित शिक्षण में समाहित करना परम आवश्यक है तथा इस और शिक्षार्थी को ध्यान देना नितांत आवश्यक है अतः पर्यावरण के क्षेत्र में बच्चों को सामाजिक मानसिक शारीरिक तौर पर उन्हें सवाल बनाना होगा।
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके अध्ययन के लिए हमारे चारों ओर व्याप्तजैविक अजैविक घटकों का एक व्यापक क्षेत्र समाहित होता है।अतः पर्यावरण का अध्ययन सामाजिक विज्ञान विज्ञान गणित इत्यादि विषयों के रूप में किया जाता है
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत प्रकृति के समस्त जैविक एवं जैविक घटकों और उनके बीच अंतर्निहित क्रियाओं का अध्ययन करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़कर उसके उपयोगी कारणों का अध्ययन एवं संरक्षण करना है
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत वि ष य क्षेत्र है क्योंकि इसमें विज्ञान, सामाजिक विज्ञान एवं गणित,भाषा आ दि विषय समा हित होनेसे यह संपूर्ण परि वेश को समग्र रूप से समझने में महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है ।
पर्यावरण एकीकृत विषय क्षेत्र है ।"जैसे कि पर्यावरण अध्ययन समूचे समाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है ।इसके अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है ।एवं यह अध्ययन सर्वागीण विकास में सहायक है ।पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है l इसमें सभी विषय समाहित है पर्यावरण अध्ययन के बिना शिक्षार्थियों का सर्वांगीण विकास सम्भव नहीं l
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है। पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत हमारे चारों ओर के जैविक अजैविक घटकों के बीच परस्पर संबंध स्थापित होता है। उदाहरण के रूप में प्रकृति के जैविक घटक वनस्पति और जीवजंतु अजैविक घटक प्रकाश जल और वायु पर आश्रित होतें है। अतः हमारे लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक हो जाता है। लिहाजा पर्यावरण अध्ययन हमारे लिए एक एकीकृत विषय के रूप में उभरकर आता ही है।
पर्यावरण आध्यन के लिए अपने आसपास सहज उपलब्ध सजीव वा निर्जीव वस्तुओं से विद्यर्थियों का ज्ञान कौशल और प्रवृतियों के बारे में जानकारी देकर उसे बाल केंद्रीय शिक्षा देकर अपने वाली समस्याओं का निराकरण कर उसे सक्षम और जवाबदार विद्यार्थी बना सकते है एक समावेशी कक्षा में विद्यार्थी को कक्षा मै सीखने संबंधी प्रगति का आकलन करने में उसे विद्यार्थी ना मानते हुए अपना सहायक के रूप में सम्मान दे और उसे प्रोत्साहित करे।
Mukesh Kumar Rai shasakiy Karte Madhyamik Vidyalay bhayawadi block Amla Jila Baitul Paryavaran adhyayan Vastav Mein ekikrit Vishay hai ismein Paryavaran Ke Sath Sath Sabhi Vishva ka samavesh Kiya gaya hai jaise ki prakrutik aapda is se sambandhit vibhinn samasyaon ko bhi Paryavaran Ke adhyayan ke antargat Shamil Kiya gaya hai Paryavaran adhyayan Samajik rajnitik Dharmik sabhi chhatron ko sammanit kare hue hi Iske Dhyan Ke Bina Chhatra ka sarvangin Vikas Sambhav Nahin Hai
पर्यावरण अध्ययन का एकीकृत रूप न केवल पाठ्यक्रम के बोझ को कम करता है ,अपितु बच्चों की आयु क्षमता प्रवृत्तियों को ध्यान मे रखते हुए उन्हें बेहतर सीखने मे भी सहायक होता है।इसके अलावा यह बच्चों को अपने परिवेश को समग्र रूप से समझने मे भी सक्षम बनाता है।पर्यावरण का एकीकृत रूप बच्चों के ज्ञान कौशल और प्रवृत्तियाँ प्राप्त करने मे मदद करता है जिससे वे समानता ,न्याय, मानव गरिमा और अधिकारो के,सम्मान से संबंधित मुद्दों को उठाने हेतु संवेदनशील और जिम्मेदार व्यक्ति बन सके। संभव हो तो उनका समाधान भी कर सके। अपने परिवेश से संबंधित सामाजिक मुद्दे,परम्पराऐं,रुढ़िवादी विचार धारा,बेटियों के साथ भेदभाव,समान अधिकार,प्राकृतिक आपदाएं ,प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण इसके उदाहरणहै।पर्यावरण का एकीकृत रूप से पर्यावरण के बारे मे सीखना,पर्यावरण के लिए सीखना,पर्यावरण के द्वारा सीखना के सिध्दांत को न केवलबढ़ावा मिलेगा ,अपितु पाठ्यक्रम भी पर्यावरण केन्द्रित हो सकेगा
पर्यावरण अध्ययन एक ऐसा विषय है जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है बच्चों में पर्यावरण को जानने समझने की तथा हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है इसकी जानकारी प्राप्त होती है
पर्यावरण-अध्ययन परिवेश के सामाजिक और भौतिक घटकों की अन्तःक्रियाओं का अध्ययन है। वास्तव में ये घटक मिलकर ही हमारे सम्पूर्ण परिवेश का निर्माण करते हैं। अतः जब हम अपने परिवेश, अर्थात् इर्द-गिर्द उपस्थित उपरोक्त सामाजिक और भौतिक घटकों को समझने का प्रयास करते हैं तो वही पर्यावरण-अध्ययन कहलाता है। सामाजिक घटकों में संस्कृति (भाषा, मूल्य, दर्शन) तथा भौतिक/प्राकृतिक घटकों में हवा, पानी, मिट्टी, धूप, पशु-पक्षी, खनिज, जंगल/वनस्पति आदि शामिल हैं। इस दृष्टि से पर्यावरण-अध्ययन में हम एक ओर तो मानव और इसके द्वारा निर्मित समाज एवं सामाजिक क्रियाकलापों का अध्ययन करते हैं, और दूसरी ओर प्रकृति एवं उसकी कार्य-प्रणाली के पीछे के नियमों का अध्ययन किया जाता है।
Paryavaran adhyan yak eykikrat bisay hai isme gadit ,bigyan,Samajik bigyan ,bhasha Aadi bisay Samahit hone se yah Sampud Parivesh ko Samagr Roop se Smjhne m Mahatbpud Abam Upyogi h.
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है, पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत प्रकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना है। पर्यावरण का एकीकृत रूप बच्चों के ज्ञान कौशल और प्रवृत्तियाँ प्राप्त करने मे मदद करता है जिससे वे समानता ,न्याय, मानव गरिमा और अधिकारो के,सम्मान से संबंधित मुद्दों को उठाने हेतु संवेदनशील और जिम्मेदार व्यक्ति बन सके।
विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव (चार प्रकार), इस अवधारणा को आप अपने विद्यालय के संदर्भ में कैसे क्रियान्वित करेंगे? चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता बनने के लिए आप में क्या प्रमुख गुण होने चाहिए? उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं- पहल करना सकारात्मक दृष्टिकोण रखना स्वप्रेरित होना परिवर्तन लाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहना आपके अनुसार प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता में अन्य कौन-कौन से गुण होने चाहिए? चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
बताएँ कि कैसे कला समेकित शिक्षा का अनुभव छात्रों को आपके विषयों के सार्थक सीखने में लाभान्वित कर सकता है चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
Bacche apne charo aur ke vatavaran se bhi sikhte he
ReplyDeleteबच्चे अपने चोरों ओर के वातावरण से भी सीखत हैं
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से वे अपने बारे में सोचना समझना सीखते हैं और यह गतिविधियां बच्चे को अपने प्रति आत्मसम्मान की भावना से भर्ती है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से वे अपने बारे में सोचना समझना सीखते हैं और यह गतिविधियां बच्चों को अपने प्रति आत्मसम्मान की भावना से भरी होती है।
ReplyDeleteMangla Jadhav पर्यावरण अध्ययन से वे अपने बारे में सोचना समझना सीखते हैं और यह गतिविधियां बच्चे को अपने प्रति आत्मसम्मान की भावना से भर्ती है
DeleteYah kathan bilkul sahi hai Kyunki Paryavaran adhyayan ke antargat bacche Apne aaspaas ke bhautik,Samajik, Arthik, rajnitik Aur sampurn parivesh Ka gyan prapt kar sakte hain
ReplyDeleteSandeepa sthapak,GHS Pachpedhi
Deleteक्रमिक विकास को स्वयं से आगे जा कर परिवार,पड़ोस, समझ,देश और विश्व के व्यापक सन्दर्भो को समझ पाता है
पर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है । यह अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है ।
ReplyDeleteबिल्कुल सही हैं
Deleteपर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है । यह अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है ।
Deleteपर्यावरण अध्ययन से छात्रों में मानसिक, शारिरिक, सामाजिक विकास होता है ।पर्यावरण में जैविक एवं अजैविक घटको का अघ्ययन किया जाता है।
ReplyDeleteप्रर्यावरण चर व अचर दोनों पर समान प्रभाव डालता है और यह हमारे लिए एक मार्ग दर्शक है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन बच्चों के लिए अतयंत आवश्यक है। बच्चों की पर्यावरण के प्रति जागरूक ता आती है।
ReplyDeleteपर्या वरण अध्यन से वे सींखते है पर्या वरण अध्यन समूचेसामाजिक परिवेश को समाविष्ट करतां है
Deleteपर्यावरण अध्ययन से हमारा ना केवल शैक्षिक बल्कि सामाजिक व मानसिक विकास भी होता है।
ReplyDeleteएक फौजी जल सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है। जब वह बच्चा था ,परिवार का हिस्सा था ,फिर मोहल्ले का शाला का ,समाज का हिस्सा बना। जब वह पढ़ लिख कर तैयार हुआ तो वह राष्ट्रीय स्तर का हिस्सा बन गया। अब वह जल सेना में है तो उसका पर्यावरण अलग है ,वह भावनात्मक व देशभक्ति से लबरेज है ।वह हथियार चलाकर व युद्ध नीति , कूटनीति ,राजनीति व प्रशासन का हिस्सा भी है। अब हम देखें तो जब वह बच्चा था तब भी वह भारत का नागरिक था और इतने व्यापक जुड़ाव के बाद भी वह भारत का ही नागरिक है, परंतु उसमें भूगोल, पर्यावरण ,नागरिक शास्त्र ,अर्थशास्त्र ,भावना ,सम्मान ,परोपकार आदर्श आचरण, संविधान आदि भी जुड़ गए हैं। अर्थात पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय है।
ReplyDeleteआस पास के परिवेश के साथ बच्चों को जोड़ कर उन का मानसिक शारिरिक विकास कर सकते हैं।
Deleteपर्यावरण अध्ययन से छात्रों में मानसिक, शारिरिक, सामाजिक विकास होता है ।पर्यावरण में जैविक एवं अजैविक घटको का अघ्ययन किया जाता है।
ReplyDeleteवास्तव में पर्यावरण अध्ययन से हमें जैविक और अजैविक घटकों के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं। पर्यावरण एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके अंतर्गत भू परिवेश इकोसिस्टम कार्य काली परी क्षेत्र परिवर्तन स्थानिक परिवेश॰ परिवर्तन मानव एवं पर्यावरण प्रकरण भूमंडलीय समस्याएं प्रकोप एवं आपदाएं पर्यावरणीय अध्ययन एवं प्रदूषण पर्यावरण प्रबंधन प्रमुख हैं। पर्यावरण अध्ययन से हमारा न केवल छात्रों में मानसिक सामाजिक विकास होता है बल्कि बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी उत्पन्न होती हैं। पर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समझती प्रदान करता है यह बच्चों के लिए ऐसे परिवेश निर्मित करता है जिससे वह पर्यावरणीय परिवर्तनों से वह ढल जाता है। उदाहरण के लिए माननीय आपदाएं जैसे ओले पड़ना अर्थात ओले पड़ने से हमारे परी क्षेत्र में अनेक प्रकार की आपदाएं आपदाओं का सामना करना पड़ता है जैसे फसल का नष्ट होना ठिठुरन कीटों का उत्पन्न होना आदि समस्याएं आती हैं ऐसी गतिविधियों को कक्षा गत कार्य क्षेत्र में शामिल किया जाना नितांत आवश्यक है इसमें समूह विभाजन कर बच्चों को विभिन्न आपदाओं की गतिविधि आधारित शिक्षण में समाहित करना परम आवश्यक है तथा इस और शिक्षार्थी को ध्यान देना नितांत आवश्यक है अतः पर्यावरण के क्षेत्र में बच्चों को सामाजिक मानसिक शारीरिक तौर पर उन्हें सवाल बनाना होगा।
Deleteकिसी भी आउटकम के लिए एक गतिविधि चुनेंगे जैसे वृक्षों का जीवन बच्चों को आस पड़ोस में बगीचे की सैर कराएंगे वृक्षों का अवलोकन कर आएंगे और उन्हें डायरी देखकर कुछ लिखने के लिए कहेंगे जब भी लिखेंगे तो वृक्षों के बारे में सोचेंगे
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन के माध्यम से नई पीढ़ी को जागरूक किया जा सकता हैं
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से छात्रों के मानसिक, शारिरिक, सामाजिक विकास सहित सर्वांगीण विकास होता है।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत पृकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
ReplyDeleteपर्यावरण एकीकृत विषय क्षेत्र है ।"जैसे कि पर्यावरण अध्ययन समूचे समाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है ।इसके अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है ।एवं यह अध्ययन सर्वागीण विकास में सहायक है ।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत पृकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
ReplyDeleteकिसी भी आउटकम के लिए एक गतिविधि चुनेंगे जैसे वृक्षों का जीवन बच्चों को आस पड़ोस में बगीचे की सैर कराएंगे वृक्षों का अवलोकन कर आएंगे और उन्हें डायरी देखकर कुछ लिखने के लिए कहेंगे जब भी लिखेंगे तो वृक्षों के बारे में सोचेंगे
ReplyDeleteकिसी भी आउटकम के लिए हमें गतिविधि सुनेंगे जैसे हमारे आसपास जो वृक्ष लगे हैं उनसे उन की सैर कराएंगे जो बच्चे जंगल में लकड़ी वगैरह काटने के लिए जाते हैं उसका अवलोकन के बारे में बताएंगे और उनके द्वारा महा से प्राप्त और क्या-क्या फायदे होते हैं जंगल से हमें उसका अध्ययन करने के लिए और उस पर टिप्पणी लिखने के लिए चाहेंगे
ReplyDeleteपर्यावरण में छात्रों के सारे के मानसिक और सामाजिक विकास होते हैं सामाजिक अध्ययन में पर्यावरण में जो जैविक अजैविक घटक पाए जाते हैं उनका अध्ययन करते हैं
ReplyDeleteश्रीमती सुधा शर्मा, सहा. शिक्षक.
ReplyDeleteशा. मा. शा. बाग फरहत अफजा ऐशबाग भोपाल- (म.प्र.)
पर्यावरण के अध्ययन से हमें प्रकृति🌿🍃 सम्बंधित हर क्षेत्र की जानकारी खुद भी और अपने छात्रों को सिखाने में मदद मिलती है. साथ ही एक अलग ही प्राकृतिक आन्नद की अनुभूति होती हैं.
सचमुच मुझे तो प्रकृति से बड़ा प्रेम है👍.
पर्यावरण अध्ययन से वे अपने बारे में सोचना समझना सीखते हैं और यह गतिविधियां बच्चों को अपने प्रति आत्मसम्मान की भावना से भरी होती है।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत प्रकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
ReplyDeleteप्रर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है। जिसमें प्रकृति के समस्त जैविक और अजैविक घटक शामिल होते हैं।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश
बच्चों को पर्यावरण के प्रति सचेत और सचिंतितहोना चाहिए ।
ReplyDeleteऔर पर्यावरण से हमेशा कुछ ना कुछ सीखना चाहिए।
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके लिए हम निम्नलिखित उदाहरण दे सकते हैं-
ReplyDelete1. पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत विज्ञान,सामाजिक विज्ञान, गणित आदि विषयों को समाहित करते हुए अध्ययन किया जाता है।
2. पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत क्षेत्र है इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों का समावेश होता है और हमारे आसपास घटित होने वाले विभिन्न घटनाओं को इसके अंतर्गत रखा जाता है।उन घटनाओं को विभिन्न विषयों के अंतर्गत भी रखा जा सकता है।
अतः पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत और एकीकृत विषय है।
ASHIM KUMAR TIWARI CAC BALSAMUD RAJPUR BARWANI
ReplyDeleteसामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं के समुच्चय से निर्मित इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी के अन्दर सम्पादित होती है तथा हम मनुष्य अपनी समस्त क्रियाओं से इस पर्यावरण को भी प्रभावित करते हैं। इस प्रकार एक जीवधारी और उसके पर्यावरण के बीच अन्योन्याश्रय संबंध भी होता है।
"पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है"
ReplyDeleteपिछले कुछ दशकों में पर्यावरण अध्ययन एक ऐसे विषय के रूप में उभर आया है जो कि पारंपरिक विषयों की सीमाओं में न बंधकर सम्पूर्ण परिवेश को समग्र रूप से समझने में मदद करता है जो कि उन सामान्य धारणाओं के विपरित है जिनके अनुसार एकीकरण प्रक्रिया विषय संबंधी उद्देश्यों की महत्ता को कम कर देती है। ज्ञान को कठोर सीमाओं में बांधकर दिया जाना भी अपने आप में एक प्रदर्शन उत्पन्न करता है। जिसे चुनौती देना भी जरूरी है क्योंकि हम जानते हैं कि बच्चे अपने पर्यावरण के प्राकृतिक, भौतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहलूओं को अलग-अलग रुप से नहीं देखते।
पर्यावरण अध्ययन समूचे समाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है ।इसके अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है ।एवं यह अध्ययन सर्वागीण विकास में सहायक है।
पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत अन्य विषयों का भी अध्ययन किया जा रहा है। प्रकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण किया जा सकता है।
Umesh Joshi Govt.Girls Hr. Sec. School (E.S.E.P.) Rau Indore(ग्रामीण) :- पर्यावरण अध्ययन के ये उद्देश्य व उनसे जुड़े सरोकार, देखने में बड़े ही सरल से प्रतीत होते हैं परन्तु वास्तविकता में ये इतने सरल नहीं है। ऐसा करने के लिए अधिगम को एकीकृत परिपेक्ष्य में लिया जाना आवश्यक हो जाता है। ऐसा तब ही संभव हो सकता है जब घटक विषय एकीकृत रूप में हो। यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों। सरल शब्दों में कहें तो घटक विषयों का सीमरहित समेकन हो।
ReplyDeleteबच्चे अपने आसपास के वातावरण को देखकर बढ़ते हैं तथा पर्यावरण को समझते हैं और उसमें बस जाते हैं जाते हैं
ReplyDeleteparyavaran adhyayan vigyapan Hai ismein bacchon ko sochne aur samajhne ka prayog kab milta Hai main bhi Apne bacchon ko padhne ke liye unka tatha unko se sambandh jodna tatha karna sikho kunga bacchon ke liye paryavaran vishay Mein jitni bhi theme Di gai hai vah sabhi aapas Mein unke Dainik Jeevan se sambandhit Hai Jaise jal aawas bahujan yatayat aap sabhi unke Dainik Jeevan se sambandhit Hai tatha bacche ki jivan Mein jod kar dekh sakte hain
ReplyDeleteparyavaran ki sabhi theme aapas mein purv related Hai Jaise jal bhojan yatayat aawas rahan Sahan pehnao dharmik Utsav sabhi ek dusre se sambandhit hai aur bacche ke dene kriyakalap vah Dainik jivan par prabhav dalne wale Hain baccha ko Apne jivan Mein dekh sakta hai tatha sakta hai
ReplyDeleteपर्यावरण वास्तव मे एक एकीकृत विषय है,क्योकि हम विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान सभी क्षेत्रों का समग्र रूप पर्यावरण में समाहित पाते है
ReplyDeleteरोज व्यवहार में हम खरीद फरोख्त मे गणित का प्रयोग करते है,हरी पत्तियों की जानकारी व्यवहारिक रूप से हम इस क्षेत्र में पाते है,सामाजिक व्योहार भी अपने चारों तरफ ,जिसमे रिस्ते समाहित है, पर्यावरण की ही देन है।
इस प्रकार पर्यावरण एक संयुक्त एकीकृत विषय है।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन हमारे संपूर्ण परिवेश का अध्ययन करता है ! समाज को बनाने और संगठित करने में भरपूर मदद करता है ! पर्यावरण अध्ययन छात्रों को बहुमुखी प्रतिभा बना सकता हैं ! जिससे छात्र आगे चलकर भविष्य में समाज में सम्मान और उच्च स्थान प्राप्त करते है ! आतः !पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है ! जिसका मैं पूरजोर समर्थन करता हूं ! Ms Rupa Bedi dhanyvad.
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से छात्रों के मानसिक, शारिरिक, सामाजिक विकास सहित सर्वांगीण विकास होता है। मनीष कारगुवाल
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से छात्रों में मानसिक, शारिरिक, सामाजिक विकास होता है
ReplyDeleteThe mantly and physically power increase in child by using envirnmental study...
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन विषयों से जुड़ा हुआ है इसी तरह से सभी विषयों में इसका प्रयोग करना है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से बच्चों में तर्क के साथ सही गलत की पहचान कर पाते है ।
ReplyDeleteजै पीने के पानी को कैसे सुद्ध किया जा ता है या पीने योग्य जल कैसा होता है।
Prathmik shikshak Begumganj पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत पृकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
ReplyDeleteParyavaran adhyan se bachche ka sampurn mansik, samajh ka vikas hota hai.
ReplyDeleteसंतोष कुमार नामदेव बच्चे अपने चारों और के वातावरण से सीखते हैं
ReplyDeleteपर्यावरण शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास में पूर्णतः सहायक होती है।आगे चलकर वह प्राप्त पर्यावरणीय ज्ञान का उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर आसपास केवातावरण को सफल बनाता है।
ReplyDeleteबच्चों को उनके वास्तविक जीवन से जुड़े सामाजिक सांस्कृतिक राजनैतिक और पर्यावरणीय मुद्दों से इस प्रकार जोड़ा जाना चाहिए जिससे भी विविध संसाधनों व जीवों के प्रति असमानताओं अन्यायो और शोषण जैसी समस्याओं के प्रति सचेत व संवेदनशील हो सके। सीखने सिखाने के ऐसे अनुभव को इन मुद्दों के प्रति व्यापक रूप से बच्चों के ज्ञान विकास सचेतता और अनुभवो की परिधि का दायरा धीरे-धीरे इस प्रकार बढ़ायें जिससे वे अपनी असल जिंदगी में भी इनका सही मायने में उपयोग कर पाएं। यह सभी पर्यावरण अध्ययन द्वारा ही संभव है अतः कहा जा सकता है कि पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है।
ReplyDeleteLatika jaiswal,sarna,chhindwara
ReplyDeleteG.P.S.Panjra
Prywarn adhyan shikshan prkriya ko sral or suvidhajanak bnane m shayk h,yh krke sikhne m bl deta h,iske adhyan se bachhe ghnta se sochte avm sikhte h or anubhav ko vishleshan krte h..." Jise apna ker alag _alag vishyon k shikshan ke isthan pr sbhi vishayon ko sammilit svrup ke shikshan pr jor diya h..."
पर्यावरण शिक्षा से बच्चे का सर्वागीण विकास संभव है वह अपने चारों और के वातावरण से बहुत सीखता है
ReplyDeleteजल को सभी विषय के साथ जोडा जा सकता है.गणित में माप, science में सूत्र etc.भाषा में कविताetc
ReplyDeleteबच्चे अपने चोरों ओर के वातावरण से भी सीखत हैं
ReplyDeleteबच्चे अपने चोरों ओर के वातावरण से भी सीखत हैं
ReplyDeleteपर्यावरण शिक्षा से बच्चो का सामाजिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होता है
ReplyDeleteजीवन के हर क्षेत्र में पर्यावरण है
ReplyDeleteप्रश्न:-"पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है" कोई उदाहरण देते हुए इस कथन का समर्थन करें।
ReplyDeleteउत्तर:-हमारे आस पास के वातावरण से पर्यावरण का निमार्ण होता हैं|पर्यावरण अध्ययन एक ऐसा विषय हैं जिसमें विद्यार्थी को उसकी उम्र और समझ के आधार पर आसपास के वातावरण से जोड़ा जाता है जिसे वह अपने आस पास महसूस करता हैं अनुभव करता हैं जिससे उसमे तुलना करना,विश्लेषण करना तर्क करना,समाज से मेल जोल बढ़ाना जैसे गुणों का विकास होता हैं एवं समाज से जुड़ा रहता हैं| इस विषय के माध्यम से ही विद्यार्थी अपने अपने आस पास के परिवेश,रहन-सहन,एको सिस्टम इत्यादि की समझ विकसित कर पाता हैं
|इस प्रकार हम कह सकते हैं की "पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है"
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है।जहाँ समग्र परिवेश की गति विधियाँ शामिल हैं। पर्यावरण अध्ययन से जैविक तथा अजैविक घटकों का
ReplyDeleteसमग्र अध्ययन शामिल है।यह बच्चों के सर्वांगीण विकास मैं सहायक है। यू.एल.चौपरिया पृधानाध्यापक मा.वि.गिन्दौरा जिलाशिवपुरी म.पृ.
Sadhna pandey
ReplyDeletePs makronia sagar mp
Vikaas khand sagar
पर्यावरण अध्ययन को आसपास के परिवेश से जोड़ने से बच्चे खुद अपनी समझ विकसित करके और अपने पाठ्यक्रम को सही रूप से विकसित कर सकेंगे और उनके सीखने के प्रतिफल का भी परिपूर्ण होगा
Paryyavaran adhayyan se baccho ka saravangin vikas Hota he.jisase bacche apne aspas ke parivesh ko jan skenge
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है। यह कथन बिलकुल सत्य है।उदाहरण के लिए ,बच्चे पर्यावरण अध्ययन में अगर पेड़ो के बारे में पढ़ रहे है तो उनकी जीव विज्ञान की समझ भी विकसित होती है कि ऑक्सीजन पेड़ो से ही मिलती है इनका संरक्षण करना चाहिए।संरक्षण करते है तो एक तरह का मैनेजमैंट की समझ बिक्सित करते है।ऐसे उदाहरण बहुत सारे है जिन्हें हम बच्चो के आस पास की चीजों और गतिविधियों से ले सकते है।
ReplyDeleteधन्यवाद्
पर्यावरण शिक्षा बच्चों के विकास में सहायक होती है।आगे चलकर वह प्राप्त पर्यावरणीय ज्ञान का उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर आसपास के वातावरण को सफल बनाता है।
ReplyDeleteसर्वेश कुमार पाण्डेय, माध्यमिक शिक्षक
ReplyDeleteशा.पूर्व मा. विद्या. महदेवा-सतना(म.प्र.)
डाइस कोड-23130717005
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पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र के रूप में होना चाहिये ।
राष्ट्रीय पाठयचर्या की रूपरेखा 2000 में पहली बार पर्यावरण अध्ययन को सामाजिक अध्ययन और विज्ञान के रूप में पृथक-पृथक न कर समेकित रूप में पढ़ाने की सिफारिश की गई थी। इसके अनुसार कक्षा 3 से 5 के स्तर पर बच्चों को ‘पर्यावरण उसके प्राकृतिक और सामाजिक रूप में विभक्त न करते हुए एक सम्पूर्ण विषय के रूप में पढ़ाने के लिए कहा गया। कक्षा 1 व 2 में इसे पाठ्यक्रम के अलग से विषय के रूप में नहीं रख कर इसकी पाठ्यसामग्री को बच्चे के निकटतम पर्यावरण से लिया जा कर इसे भाषा और गणित विषयों के साथ एकीकृत कर पढ़ाने के लिए कहा गया।
राष्ट्रीय पाठयचर्या की रूपरेखा 2005 में भी प्राथमिक कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन को समेकित पद्धति से अधिक सशक्त रूप से पढ़ाने पर बल दिया गया। कक्षा 1 व 2 में स्तर पर पर्यावरणीय कौशलों एवं सरोकारों को भाषा तथा गणित के विषयों के साथ एकीकृत रूप में पढ़ाने की सिफारिश की गई है तथा कक्षा 3 से 5 तक अलग विषय के रूप में पढाए जाने की संस्तुति की गई है।
गंभीरता से विचार कर के देखें तो ‘पर्यावरण अध्ययन’ मात्र विषय नहीं अपितु यह जीवन जीने की पद्धति है। इसके माध्यम से भावी जीवन की तैयारी हेतु कौशलों का विकास किया जाता है। अतः यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि पर्यावरण अध्ययन की विषयवस्तु कैसी हो तथा किस तरह से जीवन जीने की पद्धति सहजता से बच्चों मे पोषित कर सके यानि वह अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, जैविक और भौतिक वातावरण के साथ तादात्मय स्थापित करते हुए उसके साथ संवेदनशील ढंग से अपनी समझ का निर्माण कर सके। हमारे परिवेश में भौतिक घटक (हवा, पानी, मिट्टी, धूप, वर्षा), जैविक घटक (मनुष्य, जीव-जंतु, पेड़ पौधे) तथा सामाजिक घटक (रिश्ते-नाते,समाज, रीति-रिवाज, परम्ंपराएँ) में अन्तःक्रियाएँ चलती रहती हैं। इन्हीं अन्तःक्रियाओं के प्रति समझ भावी जीवन की तैयारी है। अतः पर्यावरण अध्ययन की विषय-वस्तु ऐसी हो जो इस प्रकार की समझ विकसित करती हो । पर्यावरण अध्ययन की विषय वस्तु में जहाँ एक ओर हम प्रकृति के विभिन्न घटकों के प्रति समझ बनाने वालेे तत्वों को शामिल कर सकते है वहीं दूसरी ओर उसके चारों और के समाजिक पर्यावरण की समझ बनाने वाले तत्वों को सम्मिलित किया जा सकता है।
अगर विषय के रूप में हम देखे तो हमारे परिवेश के इन दो घटकों - प्राकृतिक एवं सामाजिक का अध्ययन क्रमशः विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। अपने परिवेश की समझ को ओर पुख्ता बनाने हेतु इतिहास और भूगोल की समझ की जरूरत से इन्कार नहीं किया जा सकता। अपने आसपास के प्रति समझ बनाने के लिए सौन्दर्यात्मक अनुभूति के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। साथ ही स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण साधन की अनदेखी कर बच्चों से अपने आसपास के प्रति समझ बनाने की अपेक्षा करना बेमानी सा लगता इसलिए स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा विषय का अध्ययन भी करवाना होगा। ऐसे में इतने विषयों का अलग अलग अध्ययन प्राथमिक कक्षाओं में करवाना हो तो बच्चे का बस्ता बच्चे से भारी होना भी तर्कपूर्ण सा लगता है।
मोटे रूप में देखें तो पर्यावरण अध्ययन का उद्देश्य बच्चे में उन क्षमताओं को विकसित करना है जिससे वह अपने आस-पास के समस्त भौतिक, और जैविक परिवेश के प्रति अपनी समझ को विकसित कर सके। वह अपने आस- पास के सामाजिक वातावरण को समझ सके। अपने परिवेश की सामाजिक ,सांस्कृतिक विभिन्नताओं और जटिलताओं को समझ सके। पर्यावरण के प्रति जागरूक हो सके। इन सभी अमूर्त से लगने वाले उद्देश्य की प्राप्ति के लिए बच्चों मे अवलोकन करना, संकलन करना, वर्गीकरण करना, प्रयोग करना, मापन करना, अनुमान लगाना, चर्चा करना, चिंतन करना, और निष्कर्ष निकालना, जैसी क्षमताओं को विकसित करने जैसे मूर्त उद्देश्य लिए जा सकते है।
पर्यावरण अध्ययन के ये उद्देश्य व उनसे जुड़े सरोकार, देखने में बड़े ही सरल से प्रतीत होते हैं परन्तु वास्तविकता में ये इतने सरल नहीं है। ऐसा करने के लिए अधिगम को एकीकृत परिपेक्ष्य में लिया जाना आवश्यक हो जाता है। ऐसा तब ही संभव हो सकता है जब घटक विषय एकीकृत रूप में हो। यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों। सरल शब्दों में कहें तो घटक विषयों का सीमरहित समेकन हो।
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत पृकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय - क्षेत्र हैं। पर्यावरण अध्ययन समस्त सामाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है। पर्यावरण का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है।
ReplyDeleteTulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal.
ReplyDeleteParyyavaran adhayyan se baccho ka sarvangin vikas Hota hai evam bacche prapt paryyavaran gyan ko aapne denik jivan m upyog kar vatavarn ko safal banate hai.
सर्वेश पाण्डेय, माध्यमिक शिक्षक
ReplyDeleteशा.पूर्व मा.विद्या. महदेवा-सतना(म.प्र.)
डाइस कोड-23130717005
^^^^^^ पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत बिषय के रूप में होना चाहिए।
NCF 2000 में पहली बार पर्यावरण अध्ययन को सामाजिक अध्ययन और विज्ञान के रूप में पृथक-पृथक न कर समेकित रूप में पढ़ाने की सिफारिश की गई ।NCF 2005 में भी प्राथमिक कक्षाओं में पर्यावरण अध्ययन को समेकित पद्धति से अधिक सशक्त रूप से पढ़ाने पर बल दिया गया।
वस्तुतः‘पर्यावरण अध्ययन’ मात्र विषय नहीं अपितु यह जीवन जीने की पद्धति है। इसके माध्यम से भावी जीवन की तैयारी हेतु कौशलों का विकास किया जाता है। अतः कि पर्यावरण अध्ययन की विषयवस्तु ऐसी हो कि वह जीवन जीने की पद्धति सहजता से बच्चों मे पोषित कर सके यानि वह अपने सामाजिक, सांस्कृतिक, जैविक और भौतिक वातावरण के साथ तादात्मय स्थापित करते हुए उसके साथ संवेदनशील ढंग से अपनी समझ का निर्माण कर सके। हमारे परिवेश में भौतिक घटक (हवा, पानी, मिट्टी, धूप, वर्षा), जैविक घटक (मनुष्य, जीव-जंतु, पेड़ पौधे) तथा सामाजिक घटक (रिश्ते-नाते,समाज, रीति-रिवाज, परम्ंपराएँ) में अन्तःक्रियाएँ चलती रहती हैं। इन्हीं अन्तःक्रियाओं के प्रति समझ भावी जीवन की तैयारी है। अतः पर्यावरण अध्ययन की विषय-वस्तु ऐसी हो जो इस प्रकार की समझ विकसित करती हो ।
अगर विषय के रूप में हम देखे तो हमारे परिवेश के इन दो घटकों - प्राकृतिक एवं सामाजिक का अध्ययन क्रमशः विज्ञान एवं सामाजिक विज्ञान के अन्तर्गत किया जाता है। अपने परिवेश की समझ को ओर पुख्ता बनाने हेतु इतिहास और भूगोल की समझ की जरूरत से इन्कार नहीं किया जा सकता। अपने आसपास के प्रति समझ बनाने के लिए सौन्दर्यात्मक अनुभूति के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। अतः कला शिक्षा का अघ्ययन भी जरूरीलगता है। साथ ही स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण साधन की अनदेखी कर बच्चों से अपने आसपास के प्रति समझ बनाने की अपेक्षा करना बेमानी सा लगता इसलिए स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा विषय का अध्ययन भी करवाना होगा। ऐसे में इतने विषयों का अलग अलग अध्ययन प्राथमिक कक्षाओं में करवाना हो तो बच्चे का बस्ता बच्चे से भारी तर्कसंगत सा लगता है।
मोटे रूप में देखें तो पर्यावरण अध्ययन का उद्देश्य बच्चे में उन क्षमताओं को विकसित करना है जिससे वह अपने आस-पास के समस्त भौतिक, और जैविक परिवेश के प्रति अपनी समझ को विकसित कर सके।अपने परिवेश की सामाजिक ,सांस्कृतिक विभिन्नताओं और जटिलताओं को समझ सके। यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों।
पर्यावरण अध्ययन के ये उद्देश्य व उनसे जुड़े सरोकार, देखने में बड़े ही सरल से प्रतीत होते हैं परन्तु वास्तविकता में ये इतने सरल नहीं है। ऐसा करने के लिए अधिगम को एकीकृत परिपेक्ष्य में लिया जाना आवश्यक हो जाता है। ऐसा तब ही संभव हो सकता है जब घटक विषय एकीकृत रूप में हो। यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों। सरल शब्दों में कहें तो घटक विषयों का सीमरहित समेकन हो।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन के ये उद्देश्य व उनसे जुड़े सरोकार, देखने में बड़े ही सरल से प्रतीत होते हैं परन्तु वास्तविकता में ये इतने सरल नहीं है। ऐसा करने के लिए अधिगम को एकीकृत परिपेक्ष्य में लिया जाना आवश्यक हो जाता है। ऐसा तब ही संभव हो सकता है जब घटक विषय एकीकृत रूप में हो। यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों। सरल शब्दों में कहें तो घटक विषयों का सीमरहित समेकन हो।
ReplyDeletePankaj Kumar Patel.gms-suddi.पर्यावरण शिक्षा से बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव है । बच्चों पर चारों ओर के वातावरण का प्रभाव पड़ता है।
ReplyDeleteकक्षा 3 से 5 तक पर्यावरण अध्ययन के पाठ्यक्रम को एकीकृत स्वरूप प्रदान करने के लिए छः विषय क्षेत्रों परिवार और मित्र (संबंध, कार्य, एवं खेल, जानवर, पौधे) , भोजन, आवास, जल, यात्रा, और कुछ करना व बनाना की पहचान की गई जिनमें बहुविषयकता को एकीकृत रूप में साथ साथ रखा जा सकता है। इन्हें ही थीम कहा गया है।
ReplyDeleteParyavaran shiksha se bachche ka Mansik avam sharirik vikas hota he.
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समझती प्रदान करता है यह बच्चों के लिए ऐसे परिवेश निर्मित करता है जिससे वह पर्यावरणीय परिवर्तनों से वह ढल जाता है। उदाहरण के लिए माननीय आपदाएं जैसे ओले पड़ना अर्थात ओले पड़ने से हमारे परी क्षेत्र में अनेक प्रकार की आपदाएं आपदाओं का सामना करना पड़ता है जैसे फसल का नष्ट होना ठिठुरन कीटों का उत्पन्न होना आदि समस्याएं आती हैं ऐसी गतिविधियों को कक्षा गत कार्य क्षेत्र में शामिल किया जाना नितांत आवश्यक है इसमें समूह विभाजन कर बच्चों को विभिन्न आपदाओं की गतिविधि आधारित शिक्षण में समाहित करना परम आवश्यक है तथा इस और शिक्षार्थी को ध्यान देना नितांत आवश्यक है अतः पर्यावरण के क्षेत्र में बच्चों को सामाजिक मानसिक शारीरिक तौर पर उन्हें सवाल बनाना होगा।
ReplyDeletePushpa singh (U.D.T) MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station Date.17.11
ReplyDelete2020
Paryavaran addhyan me students apne parivar se shuru karte hue, apne aas-padose, samuday, samaj se jude un vibbhinn pahuluo ka gyan prapt karte hai jo alag-alag subjects se related hote hai.jaise bhasha,civics,economics,sociology,economics,moral science,maths etc.
कक्षा 3 से 5 तक पर्यावरण अध्ययन के पाठ्यक्रम को एकीकृत स्वरूप प्रदान करने के लिए छः विषय क्षेत्रों परिवार और मित्र (संबंध, कार्य, एवं खेल, जानवर, पौधे) , भोजन, आवास, जल, यात्रा, और कुछ करना व बनाना की पहचान की गई जिनमें बहुविषयकता को एकीकृत रूप में साथ साथ रखा जा सकता है। इन्हें ही थीम कहा गया है।
ReplyDeleteपर्यावरण शिक्षा बच्चों के विकास में सहायक होती है।आगे चलकर वह प्राप्त पर्यावरणीय ज्ञान का उपयोग अपने दैनिक जीवन में कर आसपास के वातावरण को सफल बनाता है।
ReplyDeleteपर्यावरण में छात्रों के सारे के मानसिक और सामाजिक विकास होते हैं सामाजिक अध्ययन में पर्यावरण में जो जैविक अजैविक घटक पाए जाते हैं उनका अध्ययन करते हैं
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एकीकृत पहलुओं को समझने में सहायक होता है इसमें विभिन्न विषयों का समावेश छात्रों का सर्वांगीण विकास करता है संदीप मिश्रा एकीकृत शाला हाई स्कूल गोंडी गोला जिला बैतूल मध्य प्रदेश
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से वे अपने बारे में सोचना समझना सीखते हैं और यह गतिविधियां बच्चे को अपने प्रति आत्मसम्मान की भावना से भर्ती है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एकीकृत विषय क्षेत्र है। हमारे आसपास की समस्त घटनाएं जो प्रकृति में घट रही हैं परिवार, समाज, जल भोजन,आवास, संस्कृति आदि कोई भी विषय पर्यावरण से अछूता नहीं है।
ReplyDeleteनिसंदेह पर्यावरण एक ऐसा विषय है जो ज्ञान, विज्ञान, गणित, तर्क, सामाजिक विज्ञान सभी को अनपे भीतर समाए हुए एक एकीकृत विषय के रूप में होता है। सभी चल अचल वस्तु, प्राणी, पदार्थ, मानव, जानवर, कीट, जलचर, नभचर, उभयचर कुल मिलाकर हम सभी इस धरती पर साथ मिलकर रहते हैं और इस धरती की भौगोलिक संरचना जिसे पर्यावरण भी कहा जाता है उससे हम सभी प्रभावित भी होते हैं। जो भी विषय हम पढ़ते हैं चाहे वह गणित हो या विज्ञान, भाषा हो या सामाजिक विज्ञान या राजनीति अथवा अर्थशास्त्र सब इस धरती और इसके जीवन को आपस में जोड़ने इसे चलाने के एक सिस्टम के रूप में कार्य करती हैं। उदाहरण के लिए जब हैं नदियों का अध्यन करते हैं तो उसके निकलने और सागर में विलय होने के बारे में उससे प्राप्त होने वाले खनिजों के बारे में। फसल उगाने सहायक पोषक पदार्थों के बारे में। बिजली के निर्माण कृषि कार्य पेयजल पूर्ति। नदी के पानी का भौगोलिक व सामाजिक प्रभाव आदि सभी विषयों के बारे में चर्चा परिचर्चा होती है।
ReplyDeleteबिल्कुल सही हैं
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन समस्त सामाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है। बच्चे अपने चोरों ओर के वातावरण से भी सीखत हैं सभी चल अचल वस्तु, प्राणी, पदार्थ, मानव, जानवर, कीट, जलचर, नभचर, उभयचर कुल मिलाकर हम सभी इस धरती पर साथ मिलकर रहते हैं और इस धरती की भौगोलिक संरचना जिसे पर्यावरण भी कहा जाता है उससे हम सभी प्रभावित भी होते हैं। जो भी विषय हम पढ़ते हैं यानि पर्यावरण के अध्ययन के पाठ्यक्रम का विकास इस रूप में हो कि इसमे सम्मिलित सभी विषय शिक्षा के बालकेन्द्रित स्वरूप की रक्षा करते हुए ऐसे सांझे स्वरूप में इस प्रकार रखें जिसमें विभिन्न संकल्पनाओं और कौशलों के मध्य अंत और अंतर सम्बन्ध हों।
ReplyDeleteमैं विजय सिंह जन शिक्षक फंदा ग्रामीण जिला भोपाल पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसकी अवधारणा इस बात से पुष्ट हो जाती है कि ncf-2005 में इस संबंध में विस्तृत रूप से बताया गया है साथ ही चाहे भाषा गणित विज्ञान अथवा सामाजिक विज्ञान विषय की बात करें तो किसी न किसी पहलू पर यह सभी विषय सम्मिलित रूप से दिखाई देते हैं उदाहरण के लिए यदि हम जेल की अवधारणा को स्पष्ट करें तो सर्वप्रथम जल जीव जंतुओं एवं पौधों के लिए अत्यंत आवश्यक है जीवन देने वाली वस्तु है जल ऑक्सीजन एवं हाइड्रोजन से बना है विज्ञान की समझ विकसित करता है जल के आयतन की बात करते हैं तो गणित विषय की अवधारणा को स्पष्ट करता है जल का उपयोग कहां कहां किया जाता है जल आदिकाल से आस्था का विषय रहा है जल वर्षा के रूप में किस प्रकार बरसता है जल की भौगोलिक स्थिति आदि सामाजिक विज्ञान की अवधारणा को पुष्ट करने में मदद करता है जल के संबंध में निबंध लेखन जल का पर्यायवाची रूप आदि भाषा विषय की अवधारणा स्पष्ट करने में मदद करता है अतः इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एकीकृत क्षेत्र हैं जिसमें सामाजिक राजनैतिक विज्ञान भाषा गणित सभी विषयों का अध्ययन किया जाता हैं।
ReplyDeleteछात्रों को उनके परिवेश से जुड़ना बहुत जरूरी है उससे ही वे अच्छा कर पाते हैं
ReplyDeleteबच्चें प्रर्यावरण से भी बहुत कुछ जानकारी प्राप्त करते हैं वे सीखते हैं
ReplyDeleteसुनील बिसेन
ReplyDeleteहर व्यक्ति प्रकृति से जुड़ा है,अपने वातावरण को मजबूत करने हेतु वृक्षारोपण करता है।प्रकृति को सभी विषयों में ढूंढना आवश्यक है,,।पर्यावरण ही प्रारम्भ व अंत है।
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत प्रकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना।
ReplyDeleteमै करणसिंह पवार शासकीय हाईस्कूल पिपरी रैयत त+जि बुरहानपुर मध्यप्रदेश में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके लिए हम निम्नलिखित उदाहरण दे सकते हैं-
1. पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत विज्ञान,सामाजिक विज्ञान, गणित आदि विषयों को समाहित करते हुए अध्ययन किया जाता है।
2. पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत क्षेत्र है इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों का समावेश होता है और हमारे आसपास घटित होने वाले विभिन्न घटनाओं को इसके अंतर्गत रखा जाता है।उन घटनाओं को विभिन्न विषयों के अंतर्गत भी रखा जा सकता है।
अतः पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत और एकीकृत विषय है।
Paryavaran adhyan eyk yekikrt vishy hchhrtr hai.paryavrn ke antrgat apne aaspas ki jankari yektrit ki jati hai..evm sabhi jarvik ajaivik ghatko our unke antar kiryaou ka adhyan karte hai.
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन स्वयं से लेकर घर परिवार समाज परिवेश दैनिक जीवन की ज़रूरतों ,नागरिकता , वनस्पति ,पशु पक्षी आदि अनेक विषयों का एक विस्तृत क्षेत्र है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन सेबच्चे अपने बारे में सोचना समझना सीखते हैं और यह गतिविधि बच्चों को अपने प्रतिआत्मसम्मान की भावना से भारी होती है
ReplyDeleteParyavaran visay me sare visay samil he .yah akikrat visay he.
ReplyDeleteEsme hindi ganit or bhi visay samil he
Paryavaran subject se student ko prakrati ke kai rupo ki jaankari prapt hoti hai
ReplyDeleteरमाकान्त पाराशर माध्यमिक शाला हापला JSK बड़ागांव गूजर मध्यप्रदेश खण्डवा। पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है। इसके अध्ययन -अध्यापन में हम सभी विषयों का समावेश कर सकते हैं ।विज्ञान, गणित, भाषाज्ञान, राजनीति, समाज, संस्कृति, अर्थशास्त्र, भूगोल, व्यवहार व संस्कारों की शिक्षा दे सकते हैं।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन स्वयं से लेकर घर परिवार समाज परिवेश दैनिक जीवन की ज़रूरतों ,नागरिकता , वनस्पति ,पशु पक्षी आदि अनेक विषयों का एक विस्तृत क्षेत्र है
ReplyDeleteयह बिल्कुल सत्य है कि पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है पर्यावरण अध्ययन को मात्र विज्ञान अथवा पर्यावरण की दृष्टि में देखना न्यायोचित नहीं है क्योंकि पर्यावरण के अंदर मानव जीवन के समस्त विषयों का गहराई से अध्ययन होता है उदाहरण के तौर पर यदि हम किसी पेड़ पौधे का उदाहरण लेते हैं तो यह पर्यावरण केसाथ साथ अन्य विषयों से भी गहराई से संबंध रखता है यदि हम उसे कृषि के तौर पर लेते हैं तो वह कृषि के क्षेत्र से संबंधित है यदि हम उससे प्राप्त दवाई के बारे में अध्ययन करते हैं तो यह औषधि के क्षेत्र में चिकित्सा विज्ञान से संबंध रखता है इसके साथ ही यदि इसे हम जंगली जीव-जंतुओं की दृष्टि से देखते हैं तो यह उनके संरक्षण के क्षेत्र में देखा जा सकता है। इसे हम विज्ञान ,प्रौद्योगिकी,चिकित्सा कृषि ,खनिज, जलवायु,जीव जंतु ,भूमि,पर्यावरण, सामाजिक ,स्वास्थ्य,चिकित्सा आदि विभिन्न विषयों के रूप में अध्ययन के रूप में उपयोग कर सकते हैं। पर्यावरण अध्ययन वास्तव में विभिन्न ज्ञान, विभिन्न कौशलों एवं विभिन्न पद्धतियों के साथ यह जीवन के बाहर समग्र रूप में अध्ययन का एक विषय है।
ReplyDeleteEVS se bachche apne aas pass ke vatavaran se ratha rajnetik samajik aarthik or sampurn Gyan bachcho Ko prapt hota h
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन हमारे संपूर्ण परिवेश का अध्ययन करता है ! समाज को बनाने और संगठित करने में भरपूर मदद करता है ! पर्यावरण अध्ययन छात्रों को बहुमुखी प्रतिभा बना सकता हैं ! जिससे छात्र आगे चलकर भविष्य में समाज में सम्मान और उच्च स्थान प्राप्त करते है ! आतः !पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है !
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है"
ReplyDeleteइसमें गणित, विज्ञान व सामाजिक विज्ञान तीनों विषय शामिल है ।
अतः पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है" ।
पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है।इसमें जीवन के विभिन्न पहलू शामिल हैं।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन छात्रों में मानसिक, शारिरिक, सामाजिक विकास होता है ।पर्यावरण में जैविक एवं अजैविक घटको का अघ्ययन किया जाता है।
ReplyDeleteपर्यावरण एकीकृत विषय है इसमें पर्यावरण के लिए सीखना पर्यावरण से सीखना पर्यावरण के द्वारा सीखना सभी सिद्धांत शामिल है पर्यावरण में सामाजिक सांस्कृतिक पर्यावरण अध्ययन विज्ञान पर्यावरण अध्ययन सामाजिक विज्ञान विज्ञान और सामाजिक विज्ञान का एकीकरण सभी शामिल है इसमें ज्ञान कौशल समानता न्याय मानवता के लिए सम्मान नैतिक मूल्य संवेदनशीलता और जिम्मेदार नागरिक होने के बारे में बताया जाता है जैसे पर्यावरण अध्ययन में बाहर के कंकड़ के खेल पत्तियां बिना और फिर उनको उनके चित्र बनाना और कंकड़ ओं के खेल से गिनती सीखना चित्र बनाना कला विषय में आ गया और गिनना गणित में आ गया ऐसे ही सामाजिक विज्ञान में इतिहास के बारे में किसी के लिए या संस्कृति के बारे में बताना
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से हमारा ना केवल शैक्षणिक बल्कि सामाजिक व मानसिक विकास भी होता है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से छात्रों में मानसिक, शारिरिक, सामाजिक विकास होता है ।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से छात्रों में मानसिक, शारिरिक, सामाजिक विकास होता है ।
ReplyDeleteपर्यावरण एक एकीकृत विषय है जिसमे अपने आसपास के जैविक विविधताओं के साथ ही अपने आसपास के अजैविक तत्वों के बारे मे जानकारी दी गई है ।जिसके अध्ययन से सभी घटको के बीच समन्वय कर विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है ।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से छात्रों में मानसिक, शारिरिक और सामाजिक विकास होता है।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से बच्चे सोचना समझना सीखते हैं ।
ReplyDeleteनमस्कार मेरा नाम राजेंद्र प्रसाद तिवारी शासकीय प्राथमिक शाला मदरो रीवा।पर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है । यह अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है ।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एकीकृत विषय है इसमें सभी विषयों का समावेश होता है । मुख्यतः हिन्दी मे कविताएं प्रकृति से संबंधित होती है ....हिन्दी मे कई कविताएं आसपास के चारों ओर के पर्यावरण वातावरण को आधार मानकर लिखी जाती है । वृक्षों का परिचय जानकी बारे मे जानकारी तो हर विषय का महत्वपूर्ण अंग है । संस्कृत तक अछूता नही पर्यावरण के प्रभाव से ।
ReplyDeleteवृक्ष ,नदियाँ, पहाड़, प्राकृतिक सौंदर्य आदि पर तो हिन्दी अंग्रेजी संस्कृत विज्ञान सामाजिक विज्ञान ....हर विषय मे महत्ता से लेख छपे होते है । गणित विज्ञान मे क्रियाकलाप कराने के लिए बच्चों के प्राप्त ज्ञान को स्थायित्व देने मे पर्यावरण का विशेष योगदान है , इस प्रकार पर्यावरण एक एकीकृत विषय है ॥
धन्यवाद 🙏
दीप्ति जैन शिक्षक दतिया
पर्यावरण अध्यन कोई एक विषय क्षेत्र नहीं है,बल्कि विभिन्न विषय क्षेत्रों का एक समूह है।पर्यावरण अध्यन के पाठयक्रम को एकीकृत स्वरूप प्रदान करने के लिए छ: विषय क्षेत्रो में परिवार और मित्र(सम्बन्ध,कार्य एवं खेल,जानवर,पौधे)भोजन,आवास,जल, यात्रा और कुछ करना व बनाना के पहचान की गई जिनमे वहुविष्यकत्ता को एकीकृत रूप में साथ साथ रखा जा सकता है
ReplyDeleteपर्यावरण विषय छात्र, छात्राओं को आस पास के ज्ञान से परिचित कराता है। छात्र छात्राएं पर्यावरण विषय पर उनकी अपनी सोच को प्रगाढ़ करने के साथ साथ आत्मविश्वास, विचार अभिव्यक्ति के लिए सहायक होगा।
ReplyDeleteAnil Kumar Pandey indore
Deleteपर्यावरण अध्ययन से बच्चों में तर्क के साथ सही गलत की पहचान कर पाते है ।
ReplyDeleteजैसे पीने के पानी को कैसे सुद्ध किया जाता है या पीने योग्य जल कैसा होता है।
ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खंडवा
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से हमें आस पास के परिवेश के संबंध में जानकारी मिलती है पर्यावरण अध्ययन बच्चों के मन में पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करती है।एवं प्रकृति से जुड़े रहने की प्रेरणा प्रदान करती है।
पर्यावरण अध्ययन अधिगम का उद्देश्य बच्चों के ज्ञान,कौशल,स्वभाव को विकसित करता है साथ हि पर्यावरण अध्ययन से छात्रों में मानसिक,शारीरिक,सामाजिक विकास होता है ।। हमने प्रैक्टिकल रूप से 2006 से अब निस्वार्थ भाव से प्रति वर्ष वृक्षारोपण कर वर्ष भर जल से सींचते रहे आज लगभग 1500 पौधे बड़े हो चुके है संकुल के विद्यालय में भी पर्यावरण संरक्षण अध्ययन के तहत विद्यार्थियो ओर शिक्षकों के सहयोग वृक्षारोपण कर छात्रों में पर्यावरण के प्रति भाव संवेदना जाग्रत हुई जिससे पर्यावरण अध्ययन प्रैक्टिकल रूप में स्कूलों में लगे पेड़ो ओर उस पर बैठने वाले पक्षियो,फलों, फूलों को देखकर सीखे
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन सभी स्त् र के पाठयक्रम मे विशेष स्थान रखता है। एन. सी. एफ. 05 मे प्रधामिक स्त् र पर्यावरण शिक्षा को विज्ञान और समा जिक अध्ययन के एकीकृत रूप मे पढाएजाने की अनुशंषा है। जिसे पढ़ कर विधार्थीयो मे अन्तः दृष्टि विकसित हो जाती है।
ReplyDeleteपर्यावरण विषय में कई विषयों को समाहित कर अध्ययन न कराया जाता है अधिकांश विषयों का एकीकरण कर का समावेश कर पर्यावरण अध्ययन कराया जाता है पर्यावरण अध्ययन से बच्चों का सामाजिक बौद्धिक विकास होता है
ReplyDeleteयह सामाजिक विज्ञान विज्ञान भाषा मिला जूला रुप ह।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन के बारे में बच्चों से बात करते हुए हम पेड़ पौधों की जानकारी एवं उनके गुणों के बारे में बताकर उनके लाभ भी बताएगे
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन में सम्पूर्ण परिवेश समाहित है, इसलिए पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन शिक्षण में आपेक्षित है कि NCF2005 के पश्चात से जारी निर्देशों अनुरूप विषयवस्तु की समग्रता को दृष्टिकोण में रखकर उससे जुड़े समस्त पहलुओं को सिखाने का संपूर्ण प्रयास गतिविधियों के आधार पर संपादित किये जावें।
ReplyDeleteशिक्षा और शिक्षण प्रक्रिया बाल केन्द्रित हो ताकि रटने रटाने की विधा से मुक्त होकर ज्ञान को बाहरी जीवन से जोड़कर प्रजातांत्रिक राज्य व्यवस्था एवं मूल्यों तथा राष्ट्रीय चिताओं को स्थान.देते हुए बच्चों के चहुंमुखी सर्वांगीण विकास के लक्ष्य को पूरे मनोयोग, प्रयासों एवं गतिविधियों के साथ प्राप्त किया जा सके।
आज के देश काल और वातावरण के अनुसार पर्यावरण अध्ययन का महत्त्व बहुत अधिक है इसके बिना मैं मानता हूं कि शिक्षा अधूरी है l
ReplyDeleteआज के देश काल और वातावरण के अनुसार पर्यावरण अध्ययन का महत्त्व बहुत अधिक है इसके बिना मैं मानता हूं कि शिक्षा अधूरी है l
ReplyDeleteBachcho ko apne aas pas ki jankari dekh kar sunkar chhukar milti h to unko sahi samajh or sahyog ki bhavna ke sath seekhna achchha laga h
ReplyDeletePs Nanakheda District Jabalpur
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है,जहाँ समग्र परिवेश की गतिविधियां शामिल हैं।पर्यावरण अध्ययन में जैविक तथा अजैविक घटकों का समग्र अध्ययन शामिल है,इसमें गणित,विज्ञानं,सामाजिक विज्ञान तीनो विषय शामिल हैं।यह बच्चों के सर्वांगीण विकास में सहायक है।
पर्यावरण अध्ययन आज के समय की आवश्यक और मौलिक आवश्यकता है
ReplyDeleteOK it is alright
ReplyDeleteआज के देश काल और वातावरण के अनुसार पर्यावरण अध्ययन का महत्त्व बहुत अधिक है इसके बिना मैं मानता हूं कि शिक्षा अधूरी है l
ReplyDeleteआज के देश काल और वातावरण के अनुसार पर्यावरण अध्ययन का महत्त्व बहुत अधिक है इसके बिना मैं मानता हूं कि शिक्षा अधूरी है l
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन की विषय में हम बच्चों को अपने आसपास की सारी वस्तुओं की जानकारी दे सकती हैं
ReplyDeleteपर्यावरण अध्यन में हम किसी टॉपिक पर कार्यनीत बनाने के लिए हम जल विषय पर अध्ययन करना चाहते है तो हमे एक कार्ययोजना बनाकर दिशा-निर्देशों और नियमो का निर्धारण कराना होगा,जैसे छात्रों को जल विषय के बारे में उपलब्धता,प्रदूषण,स्वच्छता सम्बन्धी मापदंडो का पता लगाकर निर्धारण करना एवं मानव जीवन मे जल की महत्ता को स्थापित करना आदि का जल टॉपिक के विषय मे महत्वपूर्ण व्यवहारिक ज्ञान प्रदाय किया जा सकता है।
ReplyDeleteNatural and man made things dono he isme aate h
ReplyDeleteआस पास जितना भी वातावरण है उसको पर्यावरण कहते हैं पर्यावरण का अर्थ है परि+आवरण हम जब पर्यावरण में ही रह रहे हैं तो उसके विषय में जानना तो हमें बेहद आवश्यक है पर्यावरण में जीव जंतु जैविक अजैविक घटक पेड़ पौधे भूगोल की स्थिति सूर्य चंद्रमा तारे जिन्हें हम किताबों में पढ़ते हैं वह सभी हम पर्यावरण को देखकर अपने छात्रों को समझा सकते हैं पर्यावरण के द्वारा ही हम गणित विज्ञान सामाजिक विज्ञान सभी विषयों की जानकारी अच्छी तरीके से दे सकते हैं
ReplyDeleteश्रीमती चंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा जिला नरसिंहपुर एमपी
Anil alanse,p.s.girls talwada bu.,पर्यावरण अध्ययन में सभी विषय समाहित है, इससे बच्चो को संपूर्ण विषय का ज्ञान प्राप्त होता हैं। अतः पर्यावरण एक एकीकृत विषय है।
ReplyDeleteमै करणसिंह पवार शासकीय हाईस्कूल पिपरी रैयत त+जि बुरहानपुर मध्यप्रदेश में प्राथमिक शिक्षक के पद पर पदस्थ हूं।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके लिए हम निम्नलिखित उदाहरण दे सकते हैं-
1. पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत विज्ञान,सामाजिक विज्ञान, गणित आदि विषयों को समाहित करते हुए अध्ययन किया जाता है।
2. पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत क्षेत्र है इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों का समावेश होता है और हमारे आसपास घटित होने वाले विभिन्न घटनाओं को इसके अंतर्गत रखा जाता है।उन घटनाओं को विभिन्न विषयों के अंतर्गत भी रखा जा सकता है।
अतः पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत और एकीकृत विषय है।
पर्यावरण अध्ययन की विषय में हम बच्चों को अपने आसपास की सारी वस्तुओं की जानकारी दे सकती है ।
ReplyDeleteआसपास के वातावरण को पर्यावरण कहते है।
ReplyDeleteबच्चो को पर्यावरण के साथ पढाने से उनका बौद्धिक विकास आसानी से हो सकता हैं।
DeleteVijaya Tripathi
ReplyDeleteParyavaran adhyyan hame bahut saru chijo se avgat karata hai .
Uske madhyam se ham apne jeewan shaili me aane vale kamo ke bare me ek tarika sikhte hai jisse hame un kamo ko karne me sahayata milti hai .
Paryavaran adhyyan se jiwan me ek vektigat prerna milti hai jisko pa kr ham apne jivan me kuch acha krte hai.
बच्चे जिस परिवेश में रहते हैं उससे वे घनिष्ठता से जुड़े होते हैं, वे पूरे परिवेश को एकमेव अनुभव करते हैं न कि अलग अलग विषयों के रूप में जैसे विज्ञान सामाजिक विज्ञान इत्यादि।
ReplyDeleteइसलिए पर्यावरण अध्ययन को समेकित किया जाना उचित है।
पर्यावरण अध्ययन से ना केवल सेक्सी बल्कि सामाजिक व मानसिक विकास होता है पर्यावरण अध्ययन संपूर्ण विकास के लिए आवश्यक है
ReplyDeleteनमस्कार पर्यावरण व सामाजिक अध्ययन मैं बच्चा समाज एवं प्राकृतिक वातावरण के जैविक एवं अजैविक घटकों के माध्यम से सीखता है
ReplyDeleteआस पास जितना भी वातावरण है उसको पर्यावरण कहते हैं पर्यावरण का अर्थ है परि+आवरण हम जब पर्यावरण में ही रह रहे हैं तो उसके विषय में जानना तो हमें बेहद आवश्यक है पर्यावरण में जीव जंतु जैविक अजैविक घटक पेड़ पौधे भूगोल की स्थिति सूर्य चंद्रमा तारे जिन्हें हम किताबों में पढ़ते हैं वह सभी हम पर्यावरण को देखकर अपने छात्रों को समझा सकते हैं पर्यावरण के द्वारा ही हम गणित विज्ञान सामाजिक विज्ञान सभी विषयों की जानकारी अच्छी तरीके से दे सकते हैं
ReplyDeleteश्रीमती चंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा जिला नरसिंहपुर एमपी
बच्चे अपने चारों ओर के वातावरण से सीखते हैं पर्यावरण हर क्षेत्र के लिए आवश्यक है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्यन कोई एक विषय क्षेत्र नहीं है,बल्कि विभिन्न विषय क्षेत्रों का एक समूह है।पर्यावरण अध्यन के पाठयक्रम को एकीकृत स्वरूप प्रदान करने के लिए छ: विषय क्षेत्रो में परिवार और मित्र(सम्बन्ध,कार्य एवं खेल,जानवर,पौधे)भोजन,आवास,जल, यात्रा और कुछ करना व बनाना के पहचान की गई जिनमे वहुविष्यकत्ता को एकीकृत रूप में साथ साथ रखा जा सकता है
ReplyDeleteपर्यावरण हमारे जीवन के लिए बहुत मूल्यवान है इससे हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है इसे स्वस्थ रखना हमारे स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने जैसा है
ReplyDeleteपर्यावरण विषय में बच्चे अपने आसपास अपने जैविक अजैविक घटक एवं सभी विषयों के बारे में भी पर्यावरण के माध्यम से बड़े आसानी से सीख जाते हैं उन्हें पर्यावरण के बारे में पढ़ने में भी बहुत रुचि रहती है पर्यावरण एक बहुत महत्वपूर्ण सब्जेक्ट है इसके द्वारा बच्चे बहुत जल्दी सीखते हैं बहुत जल्दी आत्मसात करते है पर्यावरण विषय बहुत ही आवश्यक विषय है
ReplyDeleteपर्यावरण से बच्चे जीवन के सभी पहलुओं पर। कुछ न कुछ जरूर सीखते है ।
ReplyDeleteJanki Thakur पर्यावरण अध्ययन से छात्रों में मानसिक, शारिरिक, सामाजिक विकास होता है ।पर्यावरण में जैविक एवं अजैविक घटको का अघ्ययन किया जाता है।
ReplyDeleteParyyavaran adhayyan se baccho ka vikas Hota hai aur bacche paryyavaran gyan ko aapne jivan m upyog kar vatavarn ko swach banate hai.
ReplyDelete, पर्यावरण अध्ययन से बच्चे सीखते गतिविधियां से छात्रों में अपने आत्मसम्मान की भावना का विकास होता है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन में जब हम परिवेश की बात करते हैं तो स्थानीय मापदंडों में सामाजिक भौतिक काल्पनिक एवं वस्तु स्थिति सभी पर विश्लेषण क्रिया प्रतिक्रिया और प्रमाणीकरण देते हैं उसके पश्चात ही हम वस्तु स्थिति को समझाने में सक्षम हो पाते हैं उदाहरण के तौर पर अगर हम बच्चों से अपने आसपास के पेड़ पौधों के बारे में या अपने आसपास के उन व्यवसाय के बारे में जिन की अधिकता है पर बात करते हैं तो बच्चे का जुड़ाव परिवेश से स्वाभाविक है
ReplyDeleteयह कथन बिल्कुल सत्य है कि पर्यावरण अध्ययन एकीक्रत विषय थेत्र है इससे बच्चे आर्थिक सामाजिक राजनैतिक सब कुछ सीखते हैं
ReplyDeleteपर्यावरण एक अनिवार्य विषय है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसमें छात्र जैविक अजैविक सजीव निर्जीव घटकों के बारे में समझते हैं
ReplyDeletePryanran bisay apne andr sare bisyo ko samhit kiye hue hai jisse bachcha maths hindi english smajik ets bisyo ka gyan bhi atjit krta hai .
ReplyDeleteपर्यावरण हमारे जीवन के लिए बहुत मूल्यवान है इससे हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है इसे स्वस्थ रखना हमारे स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने जैसा है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से ही बच्चे अपने आसपास के वातावरण और परिवेश से जोड़कर बहुत कुछ सीखते हैं इसलिए पर्यावरण अध्ययन बहुत आवश्यक विषय है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन से बच्चे अपने आसपास के परिवेश से जोड़ते हैं और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं जिससे उनके ज्ञान में वृद्धि होती है
Deleteहम चारों ओर से जिस आवरण से घिरे हैं उससे कोई भी विषय अछूता नहीं है पर्यावरण में कमोवेश हर विषय का समावेश रहता है जिसमें विज्ञान और सामाजिक विज्ञान भाषा जो इनको पढ़ने का माध्यम है एक दूसरे से अलग नहीं किए जा सकते अत: पर्यावरण को एकीकृत किया जाना उचित है
ReplyDeleteपर्यावरण हमारे जीवन के लिए बहुत मूल्यवान है इससे हमारे स्वास्थ्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ये हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है इसे स्वस्थ रखना हमारे स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने जैसा है
ReplyDeleteविद्यार्थी जब विद्यालय में आते हैं, तो अपने आसपास के परिवेश वातावरण से संबंधित जानकारियों की समझ उनमें होती है। पर्यावरण अर्थात हमारे आसपास का वातावरण होता है। पर्यावरण एकीकृत विषय क्षेत्र है, इसके अंतर्गत विद्यार्थी अपने आसपास के सामाजिक राजनैतिक एवं पारिवारिक वातावरण से उनके जीवन की राह बनाते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से पर्यावरण एक महत्वपूर्ण विषय है।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन के एकीकृत विषय है जिसके अंतर्गत छात्र विश्व समुदाय के अंदर अपनी हिस्सेदारी को समझ पाता है और समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों को समझ सकता है
ReplyDeleteबच्चे अपने आसपास रहने वाले हर चीज को बड़े ध्यान से देखते हैं और समझने का प्रयास करते है
ReplyDeleteANIL KUMAR PANTHI MS MURWAS BLOCK LATERI पर्यावरण अध्ययन बच्चों के लिए अतयंत आवश्यक है। बच्चों की पर्यावरण के प्रति जागरूक ता आती है।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है । यह अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है पर्यावरण अध्ययन के एकीकृत विषय है जिसके अंतर्गत छात्र विश्व समुदाय के अंदर अपनी हिस्सेदारी को समझ पाता है और समुदाय के प्रति अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यों को समझ सकता है
ReplyDeleteबच्चे अपने चारों ओर के परिवेश से सीखते हैं पर्यावरण हर क्षेत्र के लिए आवश्यक है, घर व प्रकृति से बहुत सीखता है, उन्ही उदाहरण को बताकर उसकी समझ को और विकसित कर सकते हैं।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है l j. जिसमें प्रकृति के समस्त जैविक और a जैविक घटक समाहित है l इसमें हम विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, गणित विषयो को भी समाहित करते हुए अध्ययन करते हैं l इससे बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसमें विज्ञान गणित सामाजिक विज्ञान आदि विषयों का समावेश है पर्यावरण अध्ययन में बच्चे प्राकृतिक भौतिक सामाजिक सांस्कृतिक तथा पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति संवेदनशील बनते हैं जैसे पेड़ पौधों के बारे में अभी कैसे उगते हैं बढ़ते हैं उनमें फल लगते हैं पत्ती फूल फलों के रंगों का ज्ञान उनका भोजन बनाना प्रकाश संश्लेषण करना पौधों की ऊंचाई मोटाई की माप आदि गतिविधि के माध्यम से अध्ययन करते हैं जिसमें सभी विषयों का समावेश हो जाता है इस प्रकार पर्यावरण अध्ययन एकीकृत विषय क्षेत्र है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समेकित करता है । पर्यावरण अध्ययन काे समाज की हर गतिविधि प्रभावित करती है । पर्यावरण व्यापक स्वरूप में हमारे आसपास के समस्त वातावरण के अध्ययन को ही कहते है।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत क्षेत्र है इसके अंतर्गत विभिन्न विषयों का समावेश होता है और हमारे आसपास घटित होने वाले विभिन्न घटनाओं को इसके अंतर्गत रखा जाता है।उन घटनाओं को विभिन्न विषयों के अंतर्गत भी रखा जा सकता है।
ReplyDeleteअतः पर्यावरण अध्ययन एक विस्तृत और एकीकृत विषय है।
पर्यावरण वह विषय है जिससे बच्चे आसपास की वस्तुओं को देखते हैं और उनसे ज्ञान प्राप्त करते हैं।
ReplyDeleteउत्तर:-हमारे आस पास के वातावरण से पर्यावरण का निमार्ण होता हैं|पर्यावरण अध्ययन एक ऐसा विषय हैं जिसमें विद्यार्थी को उसकी उम्र और समझ के आधार पर आसपास के वातावरण से जोड़ा जाता है जिसे वह अपने आस पास महसूस करता हैं अनुभव करता हैं जिससे उसमे तुलना करना,विश्लेषण करना तर्क करना,समाज से मेल जोल बढ़ाना जैसे गुणों का विकास होता हैं एवं समाज से जुड़ा रहता हैं| इस विषय के माध्यम से ही विद्यार्थी अपने अपने आस पास के परिवेश,रहन-सहन,एको सिस्टम इत्यादि की समझ विकसित कर पाता हैं
ReplyDelete|इस प्रकार हम कह सकते हैं की "पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय-क्षेत्र है"
रश्मि ताम्रकार पटेरा जिला दमोह से पर्यावरण वह विषय है जिससे बच्चे आसपास की वस्तुओं को देखते हैं और उनसे ज्ञान प्राप्त करते हैं।
ReplyDeleteovember 16, 2020 at 9:17 AM
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन हमारे संपूर्ण परिवेश का अध्ययन करता है ! समाज को बनाने और संगठित करने में भरपूर मदद करता है ! पर्यावरण अध्ययन छात्रों को बहुमुखी प्रतिभा बना सकता हैं ! जिससे छात्र आगे चलकर भविष्य में समाज में सम्मान और उच्च स्थान प्राप्त करते है ! आतः !पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है ! जिसका मैं पूरजोर समर्थन करता हूं
वास्तव में पर्यावरण अध्ययन से हमें जैविक और अजैविक घटकों के बारे में जानकारी प्राप्त होती हैं। पर्यावरण एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके अंतर्गत भू परिवेश इकोसिस्टम कार्य काली परी क्षेत्र परिवर्तन स्थानिक परिवेश॰ परिवर्तन मानव एवं पर्यावरण प्रकरण भूमंडलीय समस्याएं प्रकोप एवं आपदाएं पर्यावरणीय अध्ययन एवं प्रदूषण पर्यावरण प्रबंधन प्रमुख हैं। पर्यावरण अध्ययन से हमारा न केवल छात्रों में मानसिक सामाजिक विकास होता है बल्कि बच्चों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता भी उत्पन्न होती हैं। पर्यावरण अध्ययन समूचे सामाजिक परिवेश को समझती प्रदान करता है यह बच्चों के लिए ऐसे परिवेश निर्मित करता है जिससे वह पर्यावरणीय परिवर्तनों से वह ढल जाता है। उदाहरण के लिए माननीय आपदाएं जैसे ओले पड़ना अर्थात ओले पड़ने से हमारे परी क्षेत्र में अनेक प्रकार की आपदाएं आपदाओं का सामना करना पड़ता है जैसे फसल का नष्ट होना ठिठुरन कीटों का उत्पन्न होना आदि समस्याएं आती हैं ऐसी गतिविधियों को कक्षा गत कार्य क्षेत्र में शामिल किया जाना नितांत आवश्यक है इसमें समूह विभाजन कर बच्चों को विभिन्न आपदाओं की गतिविधि आधारित शिक्षण में समाहित करना परम आवश्यक है तथा इस और शिक्षार्थी को ध्यान देना नितांत आवश्यक है अतः पर्यावरण के क्षेत्र में बच्चों को सामाजिक मानसिक शारीरिक तौर पर उन्हें सवाल बनाना होगा।
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है इसके अध्ययन के लिए हमारे चारों ओर व्याप्तजैविक अजैविक घटकों का एक व्यापक क्षेत्र समाहित होता है।अतः पर्यावरण का अध्ययन सामाजिक विज्ञान विज्ञान गणित इत्यादि विषयों के रूप में किया जाता है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है l इसमें सभी विषय समाहित है पर्यावरण अध्ययन के बिना शिक्षार्थियों का सर्वांगीण विकास सम्भव नहीं l
ReplyDelete, पर्यावरण बच्चो के लिए ऐक अनिवार्य विषय है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत प्रकृति के समस्त जैविक एवं जैविक घटकों और उनके बीच अंतर्निहित क्रियाओं का अध्ययन करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़कर उसके उपयोगी कारणों का अध्ययन एवं संरक्षण करना है
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत वि ष य क्षेत्र है क्योंकि इसमें विज्ञान, सामाजिक विज्ञान एवं गणित,भाषा आ दि विषय समा हित होनेसे यह संपूर्ण परि वेश को समग्र रूप से समझने में महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है ।
ReplyDeleteपर्यावरण एकीकृत विषय क्षेत्र है ।"जैसे कि पर्यावरण अध्ययन समूचे समाजिक परिवेश को समाविष्ट करता है ।इसके अध्ययन का सीधा संबंध समाज की हर गतिविधि को प्रभावित करता है ।एवं यह अध्ययन सर्वागीण विकास में सहायक है ।पर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है l इसमें सभी विषय समाहित है पर्यावरण अध्ययन के बिना शिक्षार्थियों का सर्वांगीण विकास सम्भव नहीं l
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है। पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत हमारे चारों ओर के जैविक अजैविक घटकों के बीच परस्पर संबंध स्थापित होता है। उदाहरण के रूप में प्रकृति के जैविक घटक वनस्पति और जीवजंतु अजैविक घटक प्रकाश जल और वायु पर आश्रित होतें है। अतः हमारे लिए पर्यावरण संरक्षण आवश्यक हो जाता है। लिहाजा पर्यावरण अध्ययन हमारे लिए एक एकीकृत विषय के रूप में उभरकर आता ही है।
ReplyDeleteपर्यावरण आध्यन के लिए अपने आसपास सहज उपलब्ध सजीव वा निर्जीव वस्तुओं से विद्यर्थियों का ज्ञान कौशल और प्रवृतियों के बारे में जानकारी देकर उसे बाल केंद्रीय शिक्षा देकर अपने वाली समस्याओं का निराकरण कर उसे सक्षम और जवाबदार विद्यार्थी बना सकते है एक समावेशी कक्षा में विद्यार्थी को कक्षा मै सीखने संबंधी प्रगति का आकलन करने में उसे विद्यार्थी ना मानते हुए अपना सहायक के रूप में सम्मान दे और उसे प्रोत्साहित करे।
ReplyDeleteParyavaran adhyan yak eykikrat bisay hai isme gadit ,bigyan ,samajik bigyan,bhasha sabi sabhi bisay samahit hai jisse paribes ko samahar roop se samajhne me upogi hai.
ReplyDeleteMukesh Kumar Rai shasakiy Karte Madhyamik Vidyalay bhayawadi block Amla Jila Baitul Paryavaran adhyayan Vastav Mein ekikrit Vishay hai ismein Paryavaran Ke Sath Sath Sabhi Vishva ka samavesh Kiya gaya hai jaise ki prakrutik aapda is se sambandhit vibhinn samasyaon ko bhi Paryavaran Ke adhyayan ke antargat Shamil Kiya gaya hai Paryavaran adhyayan Samajik rajnitik Dharmik sabhi chhatron ko sammanit kare hue hi Iske Dhyan Ke Bina Chhatra ka sarvangin Vikas Sambhav Nahin Hai
ReplyDeleteबच्चों को पर्यावरण के प्रति सचेत और पर्यावरण से हमेशा कुछ ना कुछ सीखना चाहिए
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन का एकीकृत रूप न केवल पाठ्यक्रम के बोझ को कम करता है ,अपितु बच्चों की आयु क्षमता प्रवृत्तियों को ध्यान मे रखते हुए उन्हें बेहतर सीखने मे भी सहायक होता है।इसके अलावा यह बच्चों को अपने परिवेश को समग्र रूप से समझने मे भी सक्षम बनाता है।पर्यावरण का एकीकृत रूप बच्चों के ज्ञान कौशल और प्रवृत्तियाँ प्राप्त करने मे मदद करता है जिससे वे समानता ,न्याय, मानव गरिमा और अधिकारो के,सम्मान से संबंधित मुद्दों को उठाने हेतु संवेदनशील और जिम्मेदार व्यक्ति बन सके। संभव हो तो उनका समाधान भी कर सके। अपने परिवेश से संबंधित सामाजिक मुद्दे,परम्पराऐं,रुढ़िवादी विचार धारा,बेटियों के साथ भेदभाव,समान अधिकार,प्राकृतिक आपदाएं ,प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण इसके उदाहरणहै।पर्यावरण का एकीकृत रूप से पर्यावरण के बारे मे सीखना,पर्यावरण के लिए सीखना,पर्यावरण के द्वारा सीखना के सिध्दांत को न केवलबढ़ावा मिलेगा ,अपितु पाठ्यक्रम भी पर्यावरण केन्द्रित हो सकेगा
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक ऐसा विषय है जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है बच्चों में पर्यावरण को जानने समझने की तथा हमारे जीवन में इसका क्या महत्व है इसकी जानकारी प्राप्त होती है
ReplyDeleteपर्यावरण-अध्ययन परिवेश के सामाजिक और भौतिक घटकों की अन्तःक्रियाओं का अध्ययन है। वास्तव में ये घटक मिलकर ही हमारे सम्पूर्ण परिवेश का निर्माण करते हैं। अतः जब हम अपने परिवेश, अर्थात् इर्द-गिर्द उपस्थित उपरोक्त सामाजिक और भौतिक घटकों को समझने का प्रयास करते हैं तो वही पर्यावरण-अध्ययन कहलाता है। सामाजिक घटकों में संस्कृति (भाषा, मूल्य, दर्शन) तथा भौतिक/प्राकृतिक घटकों में हवा, पानी, मिट्टी, धूप, पशु-पक्षी, खनिज, जंगल/वनस्पति आदि शामिल हैं। इस दृष्टि से पर्यावरण-अध्ययन में हम एक ओर तो मानव और इसके द्वारा निर्मित समाज एवं सामाजिक क्रियाकलापों का अध्ययन करते हैं, और दूसरी ओर प्रकृति एवं उसकी कार्य-प्रणाली के पीछे के नियमों का अध्ययन किया जाता है।
ReplyDeleteE.V.S subject se bacche apne ghar se lekar puri duniya avem prakrakit vatawaran ke baare me jaan pata hai avem samajh pata hai.
ReplyDeleteParyavaran adhyan yak eykikrat bisay hai isme gadit ,bigyan,Samajik bigyan ,bhasha Aadi bisay Samahit hone se yah Sampud Parivesh ko Samagr Roop se Smjhne m Mahatbpud Abam Upyogi h.
ReplyDeleteपर्यावरण अध्ययन एक एकीकृत विषय क्षेत्र है, पर्यावरण अध्ययन के अंतर्गत प्रकृति के समस्त जैविक अजैविक घटकों और उनके बीच अन्तरर्क्रियाओ का अध्ययन करने के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं मानवीय दृष्टिकोण को पर्यावरण के साथ जोड़ कर उसके उपयोगी कारकों का अध्ययन एवं संरक्षण करना है। पर्यावरण का एकीकृत रूप बच्चों के ज्ञान कौशल और प्रवृत्तियाँ प्राप्त करने मे मदद करता है जिससे वे समानता ,न्याय, मानव गरिमा और अधिकारो के,सम्मान से संबंधित मुद्दों को उठाने हेतु संवेदनशील और जिम्मेदार व्यक्ति बन सके।
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