मॉड्यूल 7 - गतिविधि 3: विचार करें
अपने राज्य / केंद्रशासित प्रदेश के किसी भी विषय / कक्षा के पाठ्यक्रम और प्रारंभिक चरण पर एनसीईआरटी दस्तावेज में उस विषय / कक्षा में सीखने के प्रतिफल को भी देखें। आपको क्या लगता है कि दोनों कैसे संबंधित हैं?
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
आई सी टी से तात्पर्य यह है कि सीखने के तरीके सभी के एक समान नहीं होते है, सभी अलग-अलग तरह से सीखते हैं,
ReplyDeleteइसलिए सभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं,,,,,
Dono hi pathykram achey h,bus gatividhiyon me thoda anter h,,jisse learning outcomes me b diffrence hote h,,,or गतिविधि के अनुसार bachon me samajh viksit hoti h
DeleteI.C.T. के अनुसार, कई बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं, इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना अतिआवश्यक हैं, जिससे वे अधिक गतिशील बैन सकें।
Deleteआई सी टी से तात्पर्य यह है कि सीखने के तरीके सभी के एक समान नहीं होते है, सभी अलग-अलग तरह से सीखते हैं,
ReplyDeleteइसलिए सभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं,,,,,
Baris ke mosam me jab ham charo or se badalo se ghir jate he or badalo ke garjane ki abaj asman se ati he he to ek ajib tarah ki anubhuti hoti he or charo or hariyali bara batavarad hota he or mosam bhut suhana hota or mitti me se ek ajib tarah khusabu ati he or jab ham bachapan ki yado ko yad kar man me vichar karate he to accha lagata he
ReplyDeleteइन प्रशिक्षण से आज की समय मैं किस प्रकार से हम विभिन्न विधियों का प्रयोग करके छात्र-छात्राओं में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करके उन्हें भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लायक बना सकते हैं निष्ठा के प्रशिक्षण में यह बात बहुत ही सरल तरीके से बताई गई है।
ReplyDeleteICT या अधिगम मूल्यांकन के माध्यम से यह बताया गया है की किस प्रकार से हम वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर प्रयोग करते हुए छात्र-छात्राओं में अध्ययन में अलग-अलग प्रकार से इनका प्रयोग करते हुए आगे बढ़ सकते हैं जिससे कि मूल्यांकन और अधिगम के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।
ReplyDeleteP s Pujariya faliya niwali Manglaइन प्रशिक्षण से आज की समय मैं किस प्रकार से हम विभिन्न विधियों का प्रयोग करके छात्र-छात्राओं में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करके उन्हें भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लायक बना सकते हैं निष्ठा के प्रशिक्षण में यह बात बहुत ही सरल तरीके से बताई गई है। Jadhav
Deletechhatra/chhatro ko ham i ,c,t, k tehat kai tariko se read karwa sakte h ,jo ki new teknalogi h.
ReplyDeleteICT is information gathered, evaluated and shared with others. this is the time when we cannot survive without using ICT specially in education field.
ReplyDeleteआई सी टी से तात्पर्य यह है कि सीखने के तरीके सभी के एक समान नहीं होते है, सभी अलग-अलग तरह से सीखते हैं,
Deleteइसलिए सभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं,,,,,
कला समेकित शिक्षा शिक्षण का कार्य सभी विषयों में किया जा सकता है यह बहुत ही रोचक एवं नतीजा शिक्षण विधि है जिससे बच्चों के ज्ञान विकास होता है और बच्चे सरलता से सीखते हैं
ReplyDeleteसही हैं
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteInformation and communication technology helped all of us in this lockdown due to the Pandemic of Covid-19. Computers, tabs, mobiles, and internet, various software and WIFI helped us reach our students in this crisis. We may not have been able to exploit the full scope of ICT but surely we are forging ahead especially after the insightful courses which the NCERT has designed for us. I am sure they will keep updating us on the new techniques that continue to evolve. ICT not only makes the process of teaching-learning more interactive but the assessment is also instant.
ReplyDeleteआई सी टी से तात्पर्य यह है कि सीखने के तरीके सभी के एक समान नहीं होते है, सभी अलग-अलग तरह से सीखते हैं,
ReplyDeleteइसलिए सभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं,,,,, swami sharan jaiswal ps urua
Pathyakram mein Udyog siyon ke sath kya sikhna hai hai kya sikhaya sikhana hai sikhane ke kshetra kya hai hai aur dharna kaise spasht karna hai hai aadami ka nirdharan hai vahin sikhane ke pratifal uddeshya ki prapti ka nirdharan karte Hain patkura uddesh hai to sikhane ke pratifal uddeshy prapti ka sadhan hai
ReplyDeleteसभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं,,,,,
ReplyDeleteREPLY
Mukesh Sharma
एनसीईआरटी के दस्तावेजों को देखने के बाद हम पता लगा पाएंगे कि सीखने के प्रतिफल हूं को बच्चा अचीव कर पा रहा है या नहीं
ReplyDeleteI.C.T. के अनुसार, कई बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं, इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना अतिआवश्यक हैं, जिससे वे अधिक गतिशील बैन सकें।
ReplyDeleteI.C.T. के अनुसार, कई बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं, इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना अतिआवश्यक हैं, जिससे वे अधिक गतिशील बन सकें।
ReplyDeleteICT ke anusaar or civid19 ke time per school ke bachho ko padane ke saath saath kai rochak gatividhi karai ja rahi hai saath week ke end me bachho ke assessment ke jinke pass whats app hai unko tatha jinke pass whats app.nhi hai un bachho ko other bachho ke saath jod kar test liya ja raha jiske karan bachhe padai ke saath saath other activities md bhi ruchi le rahe hai tatha alag alag activiti sikhne me bhi ruchi le rahe hai...RASHMI VERMA PS BORDA PHANDA BLOCK BHOPSL MADHYA PRADESH
ReplyDeleteI.C.T. के अनुसार, कई बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं, इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना अतिआवश्यक हैं, जिससे वे अधिक गतिशील बैन सकेंसभी बच्चे अलग- ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं
ReplyDeleteराज्य के पाठ्यक्रम एवं एन सी ई आर टी दस्तावेज को देखने से लगता हैं कि दोनों में सीखने के प्रतिफलो पर जोर दिया गया हैं। आकलन की प्रक्रिया में भी उपलब्धि स्तर को ध्यान में न रखकर यह ध्यान देने योग्य हैं कि छात्र के दक्षता स्तर में क्या सुधार हुआ।
ReplyDelete0k
ReplyDeleteG.M.S. Sahijana1Rewa M.P.-
ReplyDeleteकिसी भी विषय वस्तु को सीखने के लिए एक सरल ,सुगम,सहज एवं इंटेरेस्टिंग पाठ्य वस्तु की आवश्यकता होती है और पाठ्य वस्तु पाठ्यक्रम से प्राप्त होती है।
अतः राज्य के किसी भी विषय/कक्षा के पाठ्यक्रम और NCERT दस्ता-
वेज में उसी विषय/कक्षा में सीखने के
प्रतिफल में गहरा संबंध है।
; मध्य प्रदेश राज्य की हिंदी भाषा के पाठ्यक्रम और प्रति फलों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि बच्चों के विभिन्न सीखने के स्तरों क्रियाकलापों उद्देश्यों आया मुंह एवं क्रियाकलापों को दृष्टिगत रखते हुए उनके व्यवहार गत कौशलों अवधारणाओं भाषाई कौशलों क्षेत्रीय भाषाओं बोलियों आज के विषय में स्तर के अनुसार विभाजित करना तथा उनके भाषाई कौशलों का निरूपण करना ही हमारे एनसीईआरटी की प्रमुख विशेषता रही है भाषावाद भाषाई कौशल एवं अन्य बोली जाने वाली क्षेत्रीय भाषाओं के विकास पर बल देना तथा सांस्कृतिक स्तर पर समाज एवं एवं विद्यालय स्तर पर शिक्षकों के साथ बोली जाने वाली भाषाएं बोलचाल की भाषा में उसको स्तर में बांटना हमारे प्रतिफल का मूल उद्देश्य होगा। साथ ही विद्यालय स्तर पर क्षेत्रीय भाषाओं एवं प्रदेश स्तर की सामान्य भाषा तथा राष्ट्रीय स्तर की भाषा का प्राथमिक द्वितीयक एवं तृतीयक स्तर पर चरणबद्ध तरीके से बच्चों के साथ गतिविधि कराया जा कर यह पाया गया कि तीनों स्तरों की भाषाओं में व्यापक भिन्नता पाई गई साथ ही सीखने के प्रतिफल में यह पाया गया कि क्षेत्रीय भाषा प्रादेशिक भाषा एवं राष्ट्रीय स्तर की भाषाओं में बालिकाओं के अलग-अलग समूहों में गतिविधियों के आधार पर अंकन से प्राप्त हुआ कि क्षेत्रीय स्तर की भाषा प्रायः समझ से परे किंतु राष्ट्रीय स्तर की भाषा से काफी भिन्न है अर्थात भाषाई कौशलों के विकास में हमारे सीखने के प्रतिफल में बाधक भी है अर्थात हमें तीनों भाषाओं की एक समय सारणी अंकन के अनुसार साला स्तर पर गतिविधि आधारित कार्य निष्पादन शिक्षकों द्वारा कराया जा कर विभिन्न क्षेत्रीय राज्य स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर की भाषाओं के विकास में बच्चों के साथ साझा करना चाहिए।
ReplyDeleteLatika jaiswal
ReplyDeleteG.p.s.panjra,sarna, chhindwara
ICT se tatpary h.sikhne k trike sbhi ke ek sman nhi hote,sbhi alag alag trh se sikhte h,isliye sbhi bchee alag gyannendriyo se sikhne m ruchi rkhte h....
दोनों में गहरा संबंध है । एन सी आर टी द्वारा निर्धारित सीखने के प्रतिफल को ध्यान में रखकर ही राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश द्वारा पाठ्यक्रम तैयार किया जाता है । केवल स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखकर पाठ्यवस्तु का चयन किया जाता है ।
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफल में पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । राज्य स्तर का पाठ्यक्रम स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है जबकि केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिदृश्य सामने रहता है । अत: राज्य का पाठ्यक्रम सीखने के प्रतिफल के लिये अपेक्षाकृत ज्यादा लाभदायक व उपयोगी होता है ।
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफल में पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । राज्य स्तर का पाठ्यक्रम स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है जबकि केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिदृश्य सामने रहता है । अत: राज्य का पाठ्यक्रम सीखने के प्रतिफल के लिये अपेक्षाकृत ज्यादा लाभदायक व उपयोगी होता है ।
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफल में पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । राज्य स्तर का पाठ्यक्रम स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है जबकि केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिदृश्य सामने रहता है । केन्द्र के विषयबस्तु पर अत: राज्य का पाठ्यक्रम सीखने के प्रतिफल के लिये अपेक्षाकृत ज्यादा लाभदायक व उपयोगी होता है
ReplyDeleteछात्र छात्राओं को हम ict का उपयोग करके कठिन से कठिन अवधारणा को सहज और सरल तरीके से सीखा सकते है।
ReplyDeleteयह गति विधि भयमुक्त सीखने सिखाने समग्र समावेशी आकलन कासरल एवं बालकों के सर्वांगीण विकास हेतु अति उत्तम विधि है। हम सीखने के पृतिफल आकलन .के लिए सदैव तत्पर रहते हैं।
ReplyDeleteNCERT dwara nirdharit learning outcomes ke adhar pr rajy pathyakram taiyar krte hai..
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आकलन एक समग्र एवं समावेशी भयमुक्त आदर्श कला है। ये शिक्षक के नैतिक शैक्षिक सामाजिक तथा कौशल कोसाझा करने का उपयुक्त माडल है।
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आकललन (SBA)एक समुदाय, मातापिता, एवं शिक्षक हम सभी मिलकर विद्यार्थियों के लिए भयमुक्त, आदर्श, नैतिक, मुल्यांकन के आधार को मजबूत करती है।
ReplyDeleteSikhne ke tarike alag alag hote he hum bahar ke vatavaran se bhi bahut kuch sikhte he
ReplyDeleteVery good
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफल में पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है राज्य स्तर का पाठ्यक्रम स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता हैजबकि केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिदृश्य सामने रहता है केंद्र के विषय वस्तु पर आता राज्य का कार्यक्रम सीखने के प्रतिफल के लिए अपेक्षाकृत ज्यादा लाभदायक उपयोगी होगा
ReplyDeleteयह प्रशिक्षण छात्र की ज्ञानिन्द्रियों के अनुसार सिखने पर बल देता है ।आई सी टी पाठ्यक्रम अनुसार इसी पर ज़ोर दिया गया है।
ReplyDeleteSikhne ke vibhinna ayamo ka prayog karke bachcho ko ruchikar shikshan karana aur uska aklan karna iska uddesya he
ReplyDeleteसीखने के प्रतिपल मे पाठयक्रम की भूमिका महत्त्वपूर्ण भूमिका होती हे/
ReplyDeleteसंतोष कुमार नामदेव शासकीय माध्यमिक विद्यालय लखनवास सभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं in
ReplyDeleteकेन्द्र शासित प्रदेश और अपने राज्य शिक्षा कोर्स को आय सी टी के अनुसार कला आधारित शिक्षा के माध्यम से पढ़ाने पर बच्चों को सीखने के प्रतिफल् प्राप्त हो सकते है ।दोनों का उद्देश्य एक ही है कि बच्चों को अधिगम प्राप्त हो सके ।
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आंकलन (SBA) में हम सभी मिलकर एक आदर्श शैक्षणिक परिवेश का निर्माण करते हैं जिसमें विद्यार्थियों के साथ विद्यालय के कर्मचारियों का भी बहुमुखी विकास संभव है ।
ReplyDeleteदुरगलाल राहंगडाले ps makundatola block paraswada district Balaghat
ReplyDeleteकक्षा के पाठ्यक्रम और सीखने के प्रतिफल में गहराई से ध्यान रखकर और पाठ्यक्रम के पाठ के अधिगम प्रक्रिया में एन सी आर टी द्वारा राज्यशासन के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर सीखने के प्रतिफल तैयार किये गए है सीखने के प्रतिफल शिक्षकों को किसी पाठ की छात्रों के शिक्षण अधिगम प्रिक्रिया के दौरान आकलन में मदद करता है
Manoj pathak prathamik shikshk Begumganj राज्यके पाठ्यक्रम एवं एन सी ई आर टी दस्तावेज को देखने से लगता हैं कि दोनों में सीखने के प्रतिफलो पर जोर दिया गया हैं। आकलन की प्रक्रिया में भी उपलब्धि स्तर को ध्यान में न रखकर यह ध्यान देने योग्य हैं कि छात्र के सीखने के स्तर में क्या सुधार हुआ है।
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आंकलन (SBA) में हम सभी मिलकर एक आदर्श शैक्षणिक परिवेश का निर्माण करते हैं जिसमें विद्यार्थियों के साथ विद्यालय के कर्मचारियों का भी बहुमुखी विकास संभव है ।
ReplyDeleteकला समेकित शिक्षा शिक्षण का कार्य सभी विषयों में किया जा सकता है यह बहुत ही रोचक शिक्षण विधि है जिससे बच्चों के ज्ञान विकास होता है और बच्चे सरलता से सीखते हैं
ReplyDeleteमैं ज्योति कहार, शासकीय माध्यमिक शाला जमुनिया छीर सोचती हूं कि,
ReplyDeleteकेंद्र स्तर पर राष्ट्रीय अपेक्षाओं के अनुरूप परिदृश्य को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम निर्धारित किया जाता है ।वहीं राज्य के पाठ्यक्रम का निर्धारण स्थानीय परिवेश के अनुसार होता है दोनों का ही अपना अपना महत्व है। सीखने के प्रतिफल के लिए केंद्र और राज्य दोनों ही स्तर के पाठ्यक्रम की आवश्यकता होती है।
ओमप्रकाश गावंडे प्राथमिक शाला गुलसी विकास खंड-बिछूआ जिला-छिन्दवाड़ा (म.प्र.)
ReplyDeleteएन सी आर टी और राज्य के पाठ्यक्रम दोनों में सीखने के प्रतिफल पर जोर दिया गया है। आकलन की प्रक्रिया में उपलब्धि को ध्यान में न रखकर यह ध्यान देना है कि छात्रों के सीखने के स्तर में क्या सुधार हुआ है।
राज्य के पाठ्यक्रम एवं एन सी ई आर टी दस्तावेज को देखने से लगता हैं कि दोनों में सीखने के प्रतिफलो पर जोर दिया गया हैं। आकलन की प्रक्रिया में भी उपलब्धि स्तर को ध्यान में न रखकर यह ध्यान देने योग्य हैं कि छात्र के दक्षता स्तर में क्या सुधार हुआ।
ReplyDeleteराज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश के पाठ्यक्रमों में मूलतः यही विभिन्नता दर्शायी जा सकती है कि दोनों क्षेत्रों में देश के विभिन्न क्षेत्रों की जानकारी प्राप्त हो सकती है क्योंकि दोनों क्षेत्रों में अपने अपने क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाती है तथा कुछ अंश अन्य क्षेत्रों का भी रखा जाता है जिससे छात्रों के बुद्धि कौशल का विकास संभव हो पाता है...।।।।
ReplyDeleteमै रामभुवन धुर्वे शास. माध्य. शाला चाँवड़ी जिला सिवनी से मेरे अनुसार ICT के अनुसार बच्चो को सिखने का एक अच्छा अवसर है छात्र इससे अच्छा समझ सकते है , ये सही है की सभी छात्रो का दिमाग एक समान नहीं होता, सभी भे सिखने की क्षमता अलग अलग होती है। हमे बच्चो के उस स्तर को समझ के उन्हे शिक्षा प्रदान करना चाहिए|
ReplyDeleteआकलन से बच्चो मे खुद के जरिये किये गये कार्य का आकलन बच्चे खुद ही कर सकते है इससे बच्चों मेआत्म बिस्बास आता है
ReplyDeleteदोनों का महत्व है
ReplyDeleteआई सी टी से तात्पर्य यह है कि सीखने के तरीके सभी के एक समान नहीं होते है, सभी अलग-अलग तरह से सीखते हैं,
ReplyDeleteइसलिए सभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं,,,,,
NCERT एवं राज्य के पाठ्यक्रम एवं सीखने के प्रतिफल दोनों मिलते जुलते हैं
ReplyDeleteएनसीईआरटी एवं राज्यों के ने पाठ्यक्रम सीखने के प्रतिफल पर जोर दिया है
राज्य शासन के पाठ्यक्रम एवं सीखनें के प्रतिफल दोनों का उद्देश्य अधिगम प्रक्रिया को सरल बनाना है ।
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आकलन (SBA) में हम सभी मिलकर एक आदर्श शैक्षणिक परिवेश का निर्माण करते हैं जिसमें विद्यार्थियों के साथ साथ विद्यालय के कर्मचारियों का भी बहुमुखी विकास संभव है ।
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आकलन (SBA) में हम सभी शिक्षक अभिभावक एवं विद्यार्थी मिलकर एक आदर्श शैक्षणिक परिवेश का निर्माण करते हैं जिसमें विद्यार्थियों के साथ साथ विद्यालय के कर्मचारियों का भी बहुमुखी विकास संभव है ।
Deleteआई सी टी से तात्पर्य यह है कि सीखने के तरीके सभी के एक समान नहीं होते है, सभी अलग-अलग तरह से सीखते हैं,
ReplyDeleteइसलिए सभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं,,,,, swami sharan jaiswal ps urua
सिखाने के प्रतिफल मे पाठयक्रम की
ReplyDeleteभुमिका मह्त्वपूर्व भुमिका हैं
दोनों ऐसे संबंधित है की पाठ्यक्रम में विषय वस्तु का विभाजन दिया है और लर्निंग आउटकम्स में यह बताया गया है कि बच्चे उस विषय वस्तु को समझते हैं, उसकी समस्याओं का हल करते हैं ,उनका अनुप्रयोग करते हैं ,सत्यापन करते हैं । इस प्रकार पाठ्यक्रम उद्देश्य है तो लर्निंग आउटकम्स उसका अनुप्रयोग है।
ReplyDeleteमैं सुभाष चन्द्र गौर ms pitholi kurbai
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आंकलन एक सतत एवं व्यापक आकलन है जिसमें शिक्षक छात्रों पर हर क्षेत्र पर नजर रखते हुए आकलन करता है तथा हर स्तर पर उनको सुधार करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश एवं सहयोग प्रदान करता है इसमें सीखना बहुत आसान हो जाता है। विद्यालय स्तर के आकलन में छात्रों को भी बहुत सहूलियत होती है और अपनी कमियों को ही अपने शिक्षकों को बता सकती हैं जिसमें शिक्षा अपेक्षित सुधार कर छात्रों को समुचित मार्गदर्शन देकर उनका सहयोग कर सकते हैं।
एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम एवं राज्य के पाठ्यक्रम में कुछ अंतर है जिसमें राज्य अपने राज्य के स्थानीय परिस्थितियों अन्य विषयों को समावेशन की आवश्यकता के अनुसार एनसीईआरटी की अनुमति से कुछ लर्निंग आउटकम्स प्राप्त करने के लिए अपने पाठ्यक्रम में कुश अपेक्षित सुधार किया है जिससे बच्चों को अपने राज्य के बारे में राज्य की स्थितियां राज्य के अन्य जो परिवेश ढांचा है उसके अनुकूल विद्यार्थी अपना सर्वांगीण विकास कर सके और NCF05 के जो उद्देश्य है एनसीईआरटी की नई शिक्षा नीति के उद्देश्य है उनको प्राप्त करने में सुलभता हो
ReplyDeleteDono me sikhne par Jor diya gaya hai
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आकलन बहुत आवश्यक है इससे छात्रों का समग्र विकास होगा.
ReplyDeleteइस विद्यालय आधारित आकलन में शिक्षक व छात्र दोनों को आसानी होती है जिससे शिक्षक अपने छात्रों को यथास्थिति समझ कर आवश्यक सुधार कर रही हो प्रदान कर सकते हैं जो कि छात्रों के सीखने में उपयोगी होता है।
ReplyDeleteइन प्रशिक्षण से आज की समय मैं किस प्रकार से हम विभिन्न विधियों का प्रयोग करके छात्र-छात्राओं में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करके उन्हें भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लायक बना सकते हैं निष्ठा के प्रशिक्षण में यह बात बहुत ही सरल तरीके से बताई गई है।
ReplyDeleteएनसीईआरटी के पाठ्यक्रम एवं राज्य के पाठ्यक्रम में कुछ अंतर है जिसमें राज्य अपने राज्य के स्थानीय परिस्थितियों अन्य विषयों को समावेशन की आवश्यकता के अनुसार एनसीईआरटी की अनुमति से कुछ लर्निंग आउटकम्स प्राप्त करने के लिए अपने पाठ्यक्रम में कुश अपेक्षित सुधार किया है जिससे बच्चों को अपने राज्य के बारे में राज्य की स्थितियां राज्य के अन्य जो परिवेश ढांचा है उसके अनुकूल विद्यार्थी अपना सर्वांगीण विकास कर सके और NCF05 के जो उद्देश्य है एनसीईआरटी की नई शिक्षा नीति के उद्देश्य है उनको प्राप्त करने में सुलभता हो
ReplyDeleteअधिगम आधारित मूल्यांकन के आधार पर शिक्षक विभिन्न छात्रों को उनकी सीखने की क्षमता अनुसार ज्ञान इंद्रियों का उपयोग कर कौशल के विकास में और लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास में सतत और निरंतर प्रयासरत रहते हैं जिससे विद्यालय आधारित छात्रों का मूल्यांकन उनकी गतिविधियों के आधार पर आसानी से किया जा सकता है
ReplyDeleteप्रस्तावित जानकारी school Based assessment के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रही हैं
ReplyDeleteSyllabus and learning outcomes are completely associated with each other. For example in English of class six when we teach lesson" The Tree ",we try to motivate our learners to love the nature and its creature .We encourage them to plant more and more trees and not to cut them ruthlessly .We make them aware how trees are valuable for life. We teach them the moral values as tree serves everyone selflessly
ReplyDeleteDonon Aise sambandhit Hai Ki ki paath kram Mein Vishay vastu you ka vibhajan diya hai aur learning outcomes May kya bataya gaya hai ki bacche is Vishay vastu ko samajhte hain aur uski samasyaon Ka Hal Karte Hain Unka anuprayog karte hain satyapan Karte Hain is path Param uddeshy hai ki learning outcomes Unka anuprayog Karte Hain
ReplyDeleteICT के अनुसार कई बच्चे अपनी चाहत के आधार पर वे अलग अलग विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं। इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना चाहिए, जिससे वे अधिक गतिशील बन सकें। सभी बच्चे अलग अलग ज्ञानेद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं।
ReplyDeleteदोनों ऐसे संबंधित है कि पाठ्यक्रम में विषय वस्तु का विभाजन दिया है और लर्निंग आउटकम्स में क्या बताया गया है कि बच्चे की विषय वस्तु को समझते हैं और उसकी समस्याओं का हल करते हैं अनुप्रयोग करते हैं सत्यापन करते हैं एवं आगे सीखने में मदद करते हैं।
ReplyDeleteBachhon ka mulyakan unki gatividhi k aadhar per kar sakte hai
ReplyDeleteICT aaega mulyankan ke madhyam se yah bataya gaya hai ki kis prakar se ham vartman Mein uplabdh sansadhanon ka behtar prayog karte hue balak wale gaon Mein atyant Mein alag alag prakar se unka prayog karte hue aage badh sakti hain jisse ki mulyankan aur adhigam ke uddeshya ko prapt Kiya ja sake aur bacchon ki samgra prati ki ja sake
ReplyDeleteICT के अनुसार कई बच्चे अपनी चाहत के आधार पर वे अलग अलग विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं। इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना चाहिए, जिससे वे अधिक गतिशील बन सकें। सभी बच्चे अलग अलग ज्ञानेद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं।
ReplyDeleteICT ke anusar sabhi bacche alag alag tarike se sikhate hain aur alag alag karyon Mein ruchi lete Haiisliye unko alag alag tarike se sikhana chahie aur unka mulyankan Kiya Jana chahie Taki bacchon ka Vikas ho sake aur unka Sahi tarike se mulyankan Kiya ja sake
ReplyDeleteदोनों ऐसे संबंधित है कि पाठ्यक्रम में विषय वस्तु का विभाजन दिया है और लर्निंग आउटकम्स में क्या बताया गया है कि बच्चे की विषय वस्तु को समझते हैं और उसकी समस्याओं का हल करते हैं अनुप्रयोग करते हैं सत्यापन करते हैं एवं आगे सीखने में मदद करते हैं।
ReplyDeleteदोनों ऐसे संबंधित है कि पाठ्यक्रम में विषय वस्तु का विभाजन दिया है और लर्निंग आउटकम्स में क्या बताया गया है कि बच्चे की विषय वस्तु को समझते हैं और उसकी समस्याओं का हल करते हैं अनुप्रयोग करते हैं सत्यापन करते हैं एवं आगे सीखने में मदद
ReplyDeleteNCERT ka pathyakram rashtriya level k hota h .Isase bachhe apne desh sbhi rajyon se anek jankari hasil karte hain.state level ke pustakon se nivasi rajya ke vishya me gyan milta h.dono me bhut anand ata h.
ReplyDeleteICT ke anusar sabhi bacchon ke sikhane Ka tarika alag alag hota hai tatha unki ruchiya abhinandan hoti hain atah bacchon ko unki khushiyon ke anusar shikshan karya karate hue alag alag tarike se Kiya Jana chahie
ReplyDeleteआईसीटी से तात्पर्य है यह है कि सीखने के तरीके सभी के एक समान नहीं होते बच्चे अलग अलग तरीके से सीखते हैं बच्चों के सीखने के प्रति फलों पर जोर दिया गया है जिससे बच्चों के सीखने के स्तर में सुधार हुआ है
ReplyDeleteआईसीटी से तात्पर्य है कि इसके द्वारा बच्चे अलग अलग तरह से सीख सकते हैं।बच्चों को उनकी रूचि के अनुसार पढ़ाना और शिक्षण अनुप्रयोगों का अनुसरण करना है।
ReplyDeleteमध्य प्रदेश राज्य की हिंदी भाषा के पाठ्यक्रम और प्रति फलों के आधार पर यह निष्कर्ष निकलता है कि बच्चों के विभिन्न सीखने के स्तरों क्रियाकलापों उद्देश्यों आया मुंह एवं क्रियाकलापों को दृष्टिगत रखते हुए उनके व्यवहार गत कौशलों अवधारणाओं भाषाई कौशलों क्षेत्रीय भाषाओं बोलियों आज के विषय में स्तर के अनुसार विभाजित करना तथा उनके भाषाई कौशलों का निरूपण करना ही हमारे एनसीईआरटी की प्रमुख विशेषता रही है भाषावाद भाषाई कौशल एवं अन्य बोली जाने वाली क्षेत्रीय भाषाओं के विकास पर बल देना तथा सांस्कृतिक स्तर पर समाज एवं एवं विद्यालय स्तर पर शिक्षकों के साथ बोली जाने वाली भाषाएं बोलचाल की भाषा में उसको स्तर में बांटना हमारे प्रतिफल का मूल उद्देश्य होगा। साथ ही विद्यालय स्तर पर क्षेत्रीय भाषाओं एवं प्रदेश स्तर की सामान्य भाषा तथा राष्ट्रीय स्तर की भाषा का प्राथमिक द्वितीयक एवं तृतीयक स्तर पर चरणबद्ध तरीके से बच्चों के साथ गतिविधि कराया जा कर यह पाया गया कि तीनों स्तरों की भाषाओं में व्यापक भिन्नता पाई गई साथ ही सीखने के प्रतिफल में यह पाया गया कि क्षेत्रीय भाषा प्रादेशिक भाषा एवं राष्ट्रीय स्तर की भाषाओं में बालिकाओं के अलग-अलग समूहों में गतिविधियों के आधार पर अंकन से प्राप्त हुआ कि क्षेत्रीय स्तर की भाषा प्रायः समझ से परे किंतु राष्ट्रीय स्तर की भाषा से काफी भिन्न है अर्थात भाषाई कौशलों के विकास में हमारे सीखने के प्रतिफल में बाधक भी है अर्थात हमें तीनों भाषाओं की एक समय सारणी अंकन के अनुसार साला स्तर पर गतिविधि आधारित कार्य निष्पादन शिक्षकों द्वारा कराया जा कर विभिन्न क्षेत्रीय राज्य स्तर एवं राष्ट्रीय स्तर की भाषाओं के विकास में बच्चों के साथ साझा करना चाहिए।
ReplyDeleteमेरे विचार:-
गणेशराव देशमुख
प्राथमिक शिक्षक
GPS बेहड़ी
आमला
जिला बैतूल
पाठ्यक्रम और सीखने के प्रतिफल आपस में सह सम्बंधित है।
ReplyDeleteपरिवेश को ध्यान में रखकर ही पाठ्यक्रम का निर्माण किया जाता है
ReplyDeleteएनसीईआरटी और राज्य आधारित पाठ्यक्रम के दस्तावेज मे सीखने के प्रतिफलो पर पर्याप्त ध्यान दिया गया है।लेकिन दोनो मे स्थानीय परिवेश और राष्ट्रीय परिदृश्य की कल्पना को भी समाहित किया गया है जो बहुत महत्वपूर्ण है।प्रारंभिक चरणो मे चाहे वह एनसीईआरटी आधारित पाठ्यक्रम हो या प्रदेश आधारित पाठ्यक्रम हो,दोनो मे सीखने के प्रतिफलो का गहरा संबंध है।सीखने के प्रतिफल के लिये उपलब्धि स्तर के साथसाथ दक्षता स्तर के अंतर को भी देखा जाना चाहिये।अनिल केचे,स.शि.शा.प्रा.शा.भरियाढाना, तामियाँ, पातालकोट,छिंदवाड़ा, म.प्र.
ReplyDeleteराज्य के पाठ्यक्रम एवं एन सी ई आर टी दस्तावेज को देखने से लगता हैं कि दोनों में सीखने के प्रतिफलो पर जोर दिया गया हैं। आकलन की प्रक्रिया में भी उपलब्धि स्तर को ध्यान में न रखकर यह ध्यान देने योग्य हैं कि छात्र के दक्षता स्तर में क्या सुधार हुआ।
ReplyDeleteआईसीटी से तात्पर्य है की सभी बच्चों के सीखने की गति एक जैसी नहीं होती।सभी बच्चे अलग अलग तरीकों से सीखते हैं।
ReplyDeleteBoth are useful for students in own statuses
ReplyDeleteअपने राज्य / केंद्रशासित प्रदेश के किसी भी विषय / कक्षा के पाठ्यक्रम और प्रारंभिक चरण पर एनसीईआरटी दस्तावेज में उस विषय / कक्षा में सीखने के प्रतिफल दोनों संबंधित हैं विषय वस्तु सीखने सिखाने को सरल और सरस बनाते हैं इसमें छात्र अपनी सीखने की गति अनुसार विषय वस्तु को सीखता है और उसे दैनिक क्रियाकलापों में प्रयोग करता है।
ReplyDeleteबलक विभिन्न परिवेश सेआते है,उनका सीखने का कैशल भिन्न होते है,हमे अपने अधिगम या मूयाँकन मे भिन्न अधुनिक उपकरण,विधियो का समावेश कर समग्र कौशल ला सकते है।
ReplyDeleteसभी बच्चों की सीखने की गति एवं सीखने की समझ अलग-अलग होती है सभी बच्चे अलग-अलग तरीकों एवं ज्ञानेंद्रियों से सीखते हैं
ReplyDeleteहर बच्चे का अधिगम स्तर भिन्न होता है अतः हमे उपलब्ध संसाधनों का प्रयोग करते हुए ऐसा शिक्षण प्रदान करना है जिससे छात्र अपनी योग्यता के अनुसार आगे बढ़ सके और भावी जीवन के लिए तैयार हो सके
ReplyDeleteChatro ke sikhne ki gati or sikhne ki samajh sbhi me Bhinn photo he .sbhi chatra alag alag tarik se sikhne he
ReplyDeleteबच्चे विभिन्न परिवेश से आते है इसलिए उनके स्तर को ध्यान रखते हुए उन्हें आधुनिक उपकरणों का प्रयोग का समावेश किया जा सकता है।
ReplyDeleteSbhi chatrro ki sikhne ki gati or sikhne ki samajh alag hote he.
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफल वास्तव में सिखाने का उद्देश्य होता है| छात्रों मे सीखने की क्षमता और गति अलग अलग होती है|अत: पाठ्यक्रम में अधिक से अधिक गतिविधियों का समावेश होना चाहिए|
ReplyDeleteDono hi pathykram achey h,bus gatividhiyon me thoda anter h,,jisse learning outcomes me b diffrence hote h,,,or गतिविधि के अनुसार bachon me samajh viksit hoti h
ReplyDeleteनमस्कार मेरा नाम राजेंद्र प्रसाद तिवारी शासकीय प्राथमिक शाला मदरो रीवा। इन प्रशिक्षण से आज की समय मैं किस प्रकार से हम विभिन्न विधियों का प्रयोग करके छात्र-छात्राओं में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करके उन्हें भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लायक बना सकते हैं निष्ठा के प्रशिक्षण में यह बात बहुत ही सरल तरीके से बताई गई है।
ReplyDeleteTulsha Barsaiya MS bagh farhat afza ,bhopal.Rajya ke
ReplyDeletepathyakram evam NCRT documents ko dekhne se lagta
he ki dono me shikhne ke pratifal par jor diya gya hai.
Sikhne ke vibhinna ayamo ka prayog karke bachcho ko ruchikar shikshan karana aur uska aklan karna iska uddesya he.
छात्र और शिक्षक स्वमूल्यांकन ,आकलन के द्वारा खुद अपनी कमी तथा उसमें सुधार के क्षेत्रों के बारे में आपसी समझ द्वारा अवधारणा के क्षेत्रों को स्पष्ट कर पाते है,
ReplyDeleteजब छात्र खुद अपना आकलन करते है ,की अधिगम प्रक्रिया में उनकी समझ कहा तक हुई।एवं उसमे सुधार हेतु शिक्षको से किन बिंदुओं पर मदद ले कर अपने प्रतिफल को बढ़ाया जा सकता है। यह एक पारदर्शी ,सहज अधिगम का रास्ता है।
सभी छात्रों की सीखने कि गति ओर समझ अलग अलग होती है।फिर भी उन्हें यदि उन्हीं की क्षेत्रीय भाषा में दिखाया जाए तो सीखने की गति बढ़ जाती हैं ।पाठ्यक्रम कोई भी हो उन्हें स्थानीय भाषा में सीखना चाहिए जब वो समझ जाए तब कितावी भाषा से सीखना चाहिए।
ReplyDeleteराज्य स्तरीय पाठ्यक्रम राज्य/क्षेत्र की बोली, भाषा, परिवेश, संस्कृति, उपलब्ध संसाधनों को दृष्टिगत रखते हुए बनाया जाता है। जबकि केन्द्र द्वारा बनाया पाठ्यक्रम समग्र रूप से सारे देश के विद्यार्थियों के लिए बनाया जाता है। दोनों में भयमुक्त सीखने-सिखाने पर जोर दिया गया है।
ReplyDeleteइस स्वमूल्यांकन, एवं आकलन के द्वारा शिक्षक और छात्र निरंतर अपनी प्रगति प्रक्रिया का निरीक्षण कर समीक्षा करते है।
ReplyDeleteप्रत्येक कक्षा के सीखने के प्रतिफल शिक्षकों को केवल शिक्षा के वांछित तरीके अपनाने में ही सहायक नहीं है. बल्कि अन्य साझेदारों, जैसे– संरक्षक, माता-पिता, विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों, समुदाय तथा राज्य स्तर के शिक्षा अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका के प्रति सर्तक और ज़िम्मेदार भी बनाता है।
ReplyDeleteClass I pathhykram aurr sikhne k pratiphal dauno me gahra sambandh he
ReplyDeleteJageshwar sharma
ReplyDeleteDonna me ek gahra sambandh he.Dono no uddeshya bachchon ko sikha va shiksha dena he.
N.C.E.R.T. पाठ्यक्रम के दस्तावेज के प्रारंभिक चरण व राज्य(S.C.E.R.T) के के पाठ्यक्रम के दस्तावेज के प्रारंभिक चरण के अवलोकन करने से यह परिणामित होता है कि दोनो ंं पाठ्यक्रमों मे सीखने के प्रतिफल पर जोर दिया गया है। आकलन की प्रक्रिया मे उपलब्धि स्तर के साथ ही छात्र की दक्षता स्तर पर पर्याप्त सुधार हुआ है।
ReplyDeleteSba me hum ek aaders sikchn ka nirman kerte h jise bucce aache see sekhne h.
ReplyDeleteओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा. नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
ReplyDeleteविभिन्न विधियो का प्रयोग करके बच्चों में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करके उन्हें भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लायक बना सकते है।N CERT के दस्तावेज से हम पता लगा सकते है कि बच्चा सीख पा रहा है या नही।
I.C.T. के अनुसार, कई बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं, इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना अतिआवश्यक हैं, जिससे वे अधिक गतिशील बैन सकें।
ReplyDeleteराज्य और कक्षा के किन्ही विषयों पर प्रत्येक बच्चे का सीखने के प्रतिफल का समय अलग अलग हो सकता है हो सकता है कोई बच्चा किसी प्रतिफल को शीघ्र प्राप्त कर ले । कोई ज्यादा समय ले या उसकी समझ के ऊपर निर्धारित है एवं शिक्षक द्वारा प्रत्येक बच्चे को उसकी बुद्धि लब्धि या उसकी समझ के ऊपर डिपेंड होकर ही उसे समझाया जाना चाहिए ।
ReplyDeleteदोनों पाठ्यक्रम अपनी अपनी जगह ठीक है।
ReplyDeleteलेकिन एनसीईआरटी के जो सीखने के प्रतिफल दिया गए हैं वह अपने आप में बहुत अच्छे हैं ।
कक्षा 5के हिन्दी के पाठ एक में पुष्प की अभिलाषा में पाठ्यपुस्तक के अनुसार, पर्यायवाची, शुद्धवर्तनी लेखन का अभ्यास, संज्ञा और क्रिया की पहचान। देशप्रेम, त्याग और बलिदान की भावना का विकास करना। जबकि टीचर हैडबुक में-*रचना की विषयवस्तु, घटनाओं, पात्रों, शीर्षक आदि के बारे में बातचीत करते हैं। *कविता में आए नये शब्दों को संदर्भ में समझकर उनका मौखिक और लिखित इस्तेमाल करते हैं।
ReplyDeleteदोनों के अध्ययन के फलस्वरूप यह निष्कर्ष निकला कि विषयवस्तु के समग्र शैक्षिक मूल्यों का विद्यार्थी में स्थापित करना ।इसके लिए पाठ्यपुस्तक और टीचर हैंडबुक से इतर लर्निंग आउटकम्स, विषयवस्तु के अनुसार निकाला जाकर उद्देश्य पूरा किया जा सकता है।
आई सी टी से तात्पर्य यह है कि सीखने के तरीके सभी के एक समान नहीं होते है, सभी अलग-अलग तरह से सीखते हैं,
ReplyDeleteइसलिए सभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं।
अधिगम आधारित मूल्यांकन के आधार पर शिक्षक विभिन्न छात्रों को उनकी सीखने की क्षमता अनुसार ज्ञान इंद्रियों का उपयोग कर कौशल के विकास में और लक्ष्य प्राप्ति के प्रयास में सतत और निरंतर प्रयासरत रहते हैं जिससे विद्यालय आधारित छात्रों का मूल्यांकन उनकी गतिविधियों के आधार पर आसानी से किया जा सकता है
ReplyDeleteराजेन्द्र सिंह ठाकुर
S B A Mata Pita Avam shikshak Sabhi Milkar vidyarthiyon ke liye bhai Mukt Aadarsh Naitik mulyankan ke Aadhar ko majbut karti hai.
ReplyDeleteNCERTद्वारा निर्धारितLOCको ध्यान में रखकर ही राज्य द्वारा विषय वस्तु तैयार की जाती है अतः उसमेंLOC के अनुसार सारी गतिविधियां व क्रिया कलापों दिये गये है इसलिए इसमें गहरा संबंध है
ReplyDeleteArvind Yadav PS Katori
ReplyDeleteDono pathykram mahatvpurn hai
आईसीटी से तात्पर्य है की सभी के लिए सीखने का तरीका एक समान नहीं तभी अलग अलग तरीके से सीखते हैं
ReplyDeleteकक्षा के पाठ्यक्रम और सीखने के प्रतिफल में गहराई से ध्यान रखकर और पाठ्यक्रम के पाठ के अधिगम प्रक्रिया में एन सी आर टी द्वारा राज्यशासन के पाठ्यक्रम को ध्यान में रखकर सीखने के प्रतिफल तैयार किये गए है सीखने के प्रतिफल शिक्षकों को किसी पाठ की छात्रों के शिक्षण अधिगम प्रिक्रिया के दौरान आकलन में मदद करता है
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफल में पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । राज्य स्तर का पाठ्यक्रम स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है जबकि केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिदृश्य सामने रहता है । केन्द्र के विषयबस्तु पर अत: राज्य का पाठ्यक्रम सीखने के प्रतिफल के लिये अपेक्षाकृत ज्यादा लाभदायक व उपयोगी होता है ।राज्य के पाठ्यक्रम एवं एन सी ई आर टी दस्तावेज को देखने से लगता हैं कि दोनों में सीखने के प्रतिफलो पर जोर दिया गया हैं। आकलन की प्रक्रिया में भी उपलब्धि स्तर को ध्यान में न रखकर यह ध्यान देने योग्य हैं कि छात्र के सीखने के स्तर में क्या सुधार हुआ है।
ReplyDeleteदिनेश कुमार लिटौरिया सहायक शिक्षक
शास. प्राथमिक शाला हण्डासागर
विकास खंड -जतारा जिला-टीकमगढ़ मप्र
आई सी टी से तात्पर्य यह है कि सीखने के तरीके सभी के एक समान नहीं होते है, सभी अलग-अलग तरह से सीखते हैं,
ReplyDeleteइसलिए सभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं,,,,,
विभिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अलग अलग परिवेश के बच्चों के लिए एक समान पाठ्य क्रम सेNCRT में समावेश किया गया है 🙏🙏🙏
ReplyDeleteएनसीईआरटी दस्तावेज में सीखने के प्रतिफल पर काफी जोर दिया गया है जिससे छात्र छात्रा को अधिगम प्रणाली से जोड़कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर उन्हें समाज मे विकसित कर जीवन मूल्यों को अधिक से अधिक अधिगम किया जा सके मानवीय गुणों का विकास हो सके तथा उन्हें मानव बनाया जा सके
ReplyDeleteNCERT dastabej dekhne se lagta hai ki seekhne ke Pratiphalo per jor diya gya hai aaklan ki prakriya me bhi uplabdhi star ko Dhyan me na rakhkar student ke dakshata star me kya sudhar hua ba rajya ke pathyakram me bhi seekhne ke pratiphalo per jor diya gya hai
ReplyDeleteमध्य प्रदेश राज्य के प्रारंभिक शिक्षा पाठ्यक्रम और प्रारंभिक चरण पर एनसीईआरटी दस्तावेज में सीखने के प्रतिफल को देखने पर ऐसा लगता है कि दोनों एक-दूसरे से संबंधित हैं और आंशिक समानताएं भी हैं क्योंकि सीखने के प्रतिफल में पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । राज्य स्तर का पाठ्यक्रम स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है जबकि केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिदृश्य सामने रहता है । अत: राज्य का पाठ्यक्रम सीखने के प्रतिफल के लिये अपेक्षाकृत ज्यादा लाभदायक व उपयोगी होता है ।
ReplyDeleteशिक्षण अधिगम प्रक्रिया में पाठ्यक्रमों में निहित प्रतिफलों का समावेश होता है और यही सीखने के प्रतिफल एनसीईआरटी दस्तावेज में देखने को मिलते हैं।अतः राज्य के किसी भी विषय/कक्षा के पाठ्यक्रम और NCERT दस्ता-
वेज में उसी विषय/कक्षा में सीखने के
प्रतिफल में परस्पर संबंध है।
किसी कक्षा के किसी विषय के NCERT के सीखने के प्रतिफल राज्य के सीखने के प्रतिफल की अपेक्षा अधिक व्यापक होते हैं।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी
शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल
बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं
ReplyDeleteकिसी कक्षा के पाठ्यक्रम और प्रारंभिक चरण पर एन सी इ आर टी दस्तावेज मे उस कक्षा / विषय मे सीखने के प्रतिफल के आधार पर ही हम छात्रों के सीखने की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं । छात्रों को नियत समय पर पाठ्यक्रम के विषयवस्तु को सिखाने के लिए सीखने के प्रतिफल अनुसार प्रयास कर लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है ।
ReplyDeleteप्रत्येक कक्षा के सीखने के प्रतिफल शिक्षकों को केवल शिक्षा के वांछित तरीके अपनाने में ही सहायक नहीं है. बल्कि अन्य साझेदारों, जैसे– संरक्षक, माता-पिता, विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों, समुदाय तथा राज्य स्तर के शिक्षा अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका के प्रति सर्तक और ज़िम्मेदार भी बनाता है।
ReplyDeleteLatika jaiswal
ReplyDeleteG.P.S.Panjra,sarna, chhindwara
Bachhoo k sarvagin vikas k liye,NCERT m samavesh kiya h....
ICT ka ka Arth Hai Keval internet aur digital upkaranon ka upyog Nahin Hai balki uddeshy Lakshman ko prapt karne ke liye sikhane sikhane ka sadhan hai
ReplyDeleteमध्य प्रदेश राज्य के प्रारंभिक शिक्षा प्रमोद प्रारंभिक चरण पर एनसीईआरटी दस्तावेज में सीखने के प्रतिफल को देखने पर ऐसा लगता है कि दोनों एक दूसरे से संबंधित है और आंशिक समानताएं भी हैं क्योंकि सीखने के प्रतिफल मैं पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विभिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग परिवेश के बच्चों के लिए एक समान पाठ्यक्रम से एनसीईआरटी मैं समावेश किया गया है।
ReplyDeleteचंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज
गाडरवारा
नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश राज्य के प्रारंभिक शिक्षा प्रमोद प्रारंभिक चरण पर एनसीईआरटी दस्तावेज में सीखने के प्रतिफल को देखने पर ऐसा लगता है कि दोनों एक दूसरे से संबंधित है और आंशिक समानताएं भी हैं क्योंकि सीखने के प्रतिफल मैं पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। विभिन्न परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अलग-अलग परिवेश के बच्चों के लिए एक समान पाठ्यक्रम से एनसीईआरटी मैं समावेश किया गया है।
ReplyDeleteचंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज
गाडरवारा
नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश
पाठ के विभिन्न उद्देश्यों के लिए अपनी भाषा अथवा स्कूल की भाषा का इस्तेमाल करते हुए घर परिवेश एवम विद्यालय की भाषा मे तालमेल बैठाकर अपने अनुभव से सीखने के प्रतिफल जो पूर्वावगत होते है को प्राप्त करने का प्रयास करेंगे । पाठ्यक्रम अपनी क्षेत्रीयता, राष्ट्रीयता, ... को समाहित किये रहता है । दोनो का संबंध एक सिक्के दो पहलू के समान है । DEEPAK TRIPATHI . GMS. DURGAPUR , NAGOD , DIST- SATNA
ReplyDeleteपाठ के विभिन्न उद्देश्यों के लिए अपनी भाषा अथवा स्कूल की भाषा का इस्तेमाल करते हुए घर परिवेश एवम विद्यालय की भाषा मे तालमेल बैठाकर अपने अनुभव से सीखने के प्रतिफल जो पूर्वावगत होते है को प्राप्त करने का प्रयास करेंगे । पाठ्यक्रम अपनी क्षेत्रीयता, राष्ट्रीयता, ... को समाहित किये रहता है । दोनो का संबंध एक सिक्के दो पहलू के समान है । DEEPAK TRIPATHI . GMS. DURGAPUR , NAGOD , DIST- SATNA
ReplyDeleteपाठ के विभिन्न उद्देश्यों के लिए अपनी भाषा अथवा स्कूल की भाषा का इस्तेमाल करते हुए घर परिवेश एवम विद्यालय की भाषा मे तालमेल बैठाकर अपने अनुभव से सीखने के प्रतिफल जो पूर्वावगत होते है को प्राप्त करने का प्रयास करेंगे । पाठ्यक्रम अपनी क्षेत्रीयता, राष्ट्रीयता, ... को समाहित किये रहता है । दोनो का संबंध एक सिक्के दो पहलू के समान है । DEEPAK TRIPATHI . GMS. DURGAPUR , NAGOD , DIST- SATNA
ReplyDeleteराज्य और एनसीईआरटी के कक्षा के पाठ्यक्रम तथा विषय दोनों में बहुत सामनजस्य हैं। राज्य अपने प्राकृतिक परिवेश को ध्यान में रखते हुए बनाए गयें हैं।एनसीईआरटी के सीखने के प्रतिफल मे से चूनकर उपयोग कर सकते हैं।
ReplyDeleteराज्य और ncert सीखने के प्रतिफल प्राकृतिक परिवेश को ध्यान में रखकर बनायें हें।
ReplyDelete
ReplyDeleteसीखने तरीके एक समान नही होते हैं, वे अलग अलग तरीके से सीखते हैं।
I.C.T. के अनुसार, कई बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं, इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना अतिआवश्यक हैं, जिससे वे अधिक गतिशील बैन सकें।
ReplyDeleteदोनों ही पाठ्यक्रम अच्छे हैं बस गतिविधियों में थोड़ा सा अंतर है जैसे लर्निंग आउटकम में भी डिफरेंस होता है और गतिविधियों के अनुसार बच्चों में समझ विकसित होती है
ReplyDeleteI.C.T. के अनुसार, कई बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं, इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना अतिआवश्यक हैं, जिससे वे अधिक गतिशील बैन सकें।
ReplyDeleteमध्य प्रदेश राज्य के प्रारंभिक शिक्षा पाठ्यक्रम और प्रारंभिक चरण पर एनसीईआरटी दस्तावेज में सीखने के प्रतिफल को देखने पर ऐसा लगता है कि दोनों एक-दूसरे से संबंधित हैं और आंशिक समानताएं भी हैं क्योंकि सीखने के प्रतिफल में पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । राज्य स्तर का पाठ्यक्रम स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है जबकि केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिदृश्य सामने रहता है । अत: राज्य का पाठ्यक्रम सीखने के प्रतिफल के लिये अपेक्षाकृत ज्यादा लाभदायक व उपयोगी होता है ।
ReplyDeleteशिक्षण अधिगम प्रक्रिया में पाठ्यक्रमों में निहित प्रतिफलों का समावेश होता है और यही सीखने के प्रतिफल एनसीईआरटी दस्तावेज में देखने को मिलते हैं।अतः राज्य के किसी भी विषय/कक्षा के पाठ्यक्रम और NCERT दस्ता-
वेज में उसी विषय/कक्षा में सीखने के
प्रतिफल में परस्पर संबंध है।
ICT या अधिगम मूल्यांकन के माध्यम से यह बताया गया है की किस प्रकार से हम वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर प्रयोग करते हुए छात्र-छात्राओं में अध्ययन में अलग-अलग प्रकार से इनका प्रयोग करते हुए आगे बढ़ सकते हैं जिससे कि मूल्यांकन और अधिगम के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके। सब बच्चे अलग अलग तरीको से सीखते है
ReplyDeleteI.C.T. के अनुसार, कई बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं, इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना अतिआवश्यक हैं, जिससे वे अधिक गतिशील बैन सकें।
ReplyDeleteदोनों ही पाठ्यक्रम अच्छे हैं बस गतिविधियों में थोड़ा सा अंतर है जैसे लर्निंग आउटकम में भी डिफरेंस होता है और गतिविधियों के अनुसार बच्चों में समझ विकसित होती है
ReplyDeleteMahendra yadav
Deleteमानकुंवर दांगी BO9860
ReplyDeleteकला समेकित शिक्षा शिक्षण का कार्य सभी विषयों में किया जा सकता है यह बहुत ही रोचक एवं नतीजा शिक्षण विधि है जिससे बच्चों के ज्ञान विकास होता है और बच्चे सरलता से सीखते हैं
pathyakram me jo visayvastu di gae he usme sikhne ke pratifal bhi samil he .teacher ko shala or class label ke aankalan me madad milti he
ReplyDeleteमैं कही गई बातों से पूरी तरह सहमत हूं
ReplyDeleteएनसीईआरटी और राज्य के पाठ्यक्रम की तुलना करें तो एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में सीखने के प्रतिफल पर अधिक मह्त्व दिया गया है |
ReplyDeleteकिसी भी प्रकार के प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य ये हैं कि शिक्षक बच्चे की आवश्यकता को समझे और उसका सर्वांगीण विकास में सहायक हो।
ReplyDeleteVery good
ReplyDeleteएनसीईआरटी दस्तावेज और कक्षा अधि गम मे सीखने के प्रतिफल बच्चों को सीखने में संकेत देकर कौशल निर्माण shiksh अधि gam मे मदद करते हैं
ReplyDeleteI.C.T. के अनुसार, कई बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं, इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना अतिआवश्यक हैं, जिससे वे अधिक गतिशील बन सकें।
ReplyDeleteएनसीईआरटी दस्तावेज एवं विषय में कक्षा के सीखने के प्रतिफल में एक अतुलनीय, गहरा एवं अभिन्न संबंध है ।जो बच्चों को स्वयं करके सीखने को प्रेरित करता एवं सीखने की प्रक्रिया बाल केंद्रित होना बच्चों को सीखने के लिए उनकी क्षमता के आधार पर बढ़ावा देना विभिन्न प्रक्रियाओं में बच्चों की सहभागिता सहयोग की भावना ,विकास एवं विषय वस्तु को परिवेश के साथ जोड़कर सीखने का अवसर प्रदान करती है जो मध्य प्रदेश की एनसीईआरटी के दस्तावेज हैं बहुत ही सरल एवं प्रभावी भाषा में है जो किसी को भी सीखने के लिए बहुत ही अवसर प्रदान करते हैं। धन्यवाद
ReplyDelete....अपने राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश के किसी कक्षा/विषय की पुस्तक का अवलोकन करने पर पाठ्यक्रम और सीखने के प्रतिफल दोनों अंत:संबंधित हैं,पाठ्यक्रम क्रियान्वयन से प्रतिफल की प्राप्ति होगी।
ReplyDeleteविद्यालय आधारित मूल्यांकन में सहकर्मी आकलन, व्यक्तिगत आकलन, सीखने के प्रतिफल ,स्व आकलन ,प्रदर्शन आदि से बच्चों के सीखने के उद्देश्यों को प्राप्त किया का सकता है।
ReplyDeleteराज्य के पाठ्यक्रम औरNCERT दोनों के दस्तावेजों में सीखने के प्रतिफल पर ही विशेष जोर दिया गया है विद्यालय आधारित आकलन में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के दौरान समग्र रूप से सीखने के प्रति फलों के संदर्भ में निर्दिष्ट दक्षता ओं को प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करता है
ReplyDeleteSBA मे शिक्षक विद्यार्थी अभिभावक मिलकर स्वस्थ वातावरण का निर्माण करते हैं
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफल में पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । राज्य स्तर का पाठ्यक्रम स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है जबकि केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिदृश्य सामने रहता है । केन्द्र के विषयबस्तु पर अत: राज्य का पाठ्यक्रम सीखने के प्रतिफल के लिये अपेक्षाकृत ज्यादा लाभदायक व उपयोगी होता है
ReplyDeleteICT avam NCRT ek doosre se jude hue hai, kaksha me seekhne ke pratifalasani se prapt kie ja skte hai atah yah mana ja skta ki dono el doosre se sambandhut hai.
ReplyDelete-
Keshav Prasad Pandey LDT Padarbhata
प्रत्येक कक्षा के सीखने के प्रतिफल शिक्षकों को केवल शिक्षा के वांछित तरीके अपनाने में ही सहायक नहीं है. बल्कि अन्य साझेदारों, जैसे– संरक्षक, माता-पिता, विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों, समुदाय तथा राज्य स्तर के शिक्षा अधिकारियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने में उनकी भूमिका के प्रति सर्तक और ज़िम्मेदार भी बनाता है।
ReplyDeleteSeekhne ke prtifhl men pathekrm bahut mehtvlurn he.
ReplyDeleteएन सी ई आर टी के "सीखने के प्रतिफल" को ध्यान मे रखकर ही राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश द्वारा पाठ्यक्रम तैयार करते समय स्थानीय परिवेश को ध्यान मे रखकर पाठ्यवस्तु का चयन किया जाता हैं ।
ReplyDeleteविद्यालय आधारित मूल्यांकन में कहकर्मी आकलन,व्यक्तिगत आकलन,सीखने के प्रतिफल,स्व आकलन,प्रदशन आदि बच्चों के सीखने के उद्देश्यों को प्राप्त किया जाता है
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आकलन में स्व- आकलन, सह-कर्मी आकलन, सीखने के प्रतिफलों का आकलन अधिक प्रभाव कारी होता है
ReplyDeleteICT या अधिगम मूल्यांकन के माध्यम से यह बताया गया है की किस प्रकार से हम वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों का बेहतर प्रयोग करते हुए छात्र-छात्राओं में अध्ययन में अलग-अलग प्रकार से इनका प्रयोग करते हुए आगे बढ़ सकते हैं जिससे कि मूल्यांकन और अधिगम के उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके।
ReplyDeleteसभी बच्चों के सीखने के तरीके अलग-अलग होते हैं । इसके अलावा उनका। परिवार, परिवेश भी अंतर बनाता है।
ReplyDeleteI am rajendra kumar sharma from GGMS Gwalior ......dono siksha nitiyon ka aapas me paraspar sambandh bhi he or ye nitiyan ek doosre se bhinn bhi he ....ICT or NCERT dono hi sikhne ke pratifal ya learning outcomes par jor dete he ......
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफल बच्चों में रूचि और जिज्ञासा को मजबूत करने में मील का पत्थर है
ReplyDeleteशिक्षक अभिभावक समुदाय और SMC सहयोग विद्यालय आधारित मूल्यांकन से छात्रों के सीखने के उद्देश्य ओर सीखने के प्रतिफल प्राप्त किया जा सकता है
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफल में पाठ्यक्रम की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । राज्य स्तर का पाठ्यक्रम स्थानीय परिवेश को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है जबकि केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रीय परिदृश्य सामने रहता है । अत: राज्य का पाठ्यक्रम सीखने के प्रतिफल के लिये अपेक्षाकृत ज्यादा लाभदायक व उपयोगी होता है ।
ReplyDeleteपाठ्यक्रम में उस पुस्तक में दिये गए पाठ विशेष के अंतर्गत दी जाने वाली विषय वस्तु की जानकारी रहती हैं , राज्य के सीखने के प्रतिफल दस्तावेजों में उस पाठ के अध्ययन और अध्यापन से छात्रों को कौन कौन सी दक्षताओं की प्राप्ति होगी , इसकी जानकारी रहती हैं .
ReplyDeleteवास्तव में यह दोनों एक दूसरे से अलग न हो कर एकदूसरे की संपूरक हैं ।
प्रमोद कुलश्रेष्ठ , शिक्षक
शा.मा.वि.शिवलाल का पुरा , मुरैना
एनसीईआरटी दस्तावेज में दिए गए किसी भी विषय से संबधित "सीखने के प्रतिफल", किसी विषय के पाठ से बच्चों को क्या सीखना सीखना है हेतु विस्तार में मार्गदर्शन देते हैं। किसी भी राज्य शिक्षा केंद्र के पाठ्यक्रम को सफलतापूर्वक विद्यालयों में लागू करने हेतु "सीखने के प्रतिफल" एक उपयोगी दस्तावेज है।
ReplyDeleteकला समेकित शिक्षा शिक्षण का कार्य सभी विषयों में किया जा सकता है यह बहुत ही रोचक एवं नतीजा शिक्षण विधि है जिससे बच्चों के ज्ञान विकास होता है और बच्चे सरलता से सीखते हैं
ReplyDeleteREPLY
PANKAJ KUMAR
इन प्रशिक्षण से आज की समय मैं किस प्रकार से हम विभिन्न विधियों का प्रयोग करके छात्र-छात्राओं में अध्ययन के प्रति रुचि पैदा करके उन्हें भविष्य में आने वाली चुनौतियों के लायक बना सकते हैं निष्ठा के प्रशिक्षण में यह बात बहुत ही सरल तरीके से बताई गई है।
ReplyDeleteI think both are quite effective.Learning outcomes are marked clearly.
ReplyDeleteRajya ke pathyakram evam n c e r t dastaves kodekhne se pata chalta hai ki dono hi seekhne ke pratiphalo par jor diya gaya hai
ReplyDeleteआई सी टी से तात्पर्य यह है कि सीखने के तरीके सभी के एक समान नहीं होते है, सभी अलग-अलग तरह से सीखते हैं,
ReplyDeleteइसलिए सभी बच्चे अलग-अलग ज्ञानेंद्रियों से सीखने में रुचि रखते हैं और पाठ को समझते हैं
विद्यालय आधारित आंकलन एक सतत एवं व्यापक आकलन है जिसमें शिक्षक छात्रों पर हर क्षेत्र पर नजर रखते हुए आकलन करता है तथा हर स्तर पर उनको सुधार करने हेतु आवश्यक दिशा निर्देश एवं सहयोग प्रदान करता है इसमें सीखना बहुत आसान हो जाता है। विद्यालय स्तर के आकलन में छात्रों को भी बहुत आसानी होती है और अपनी कमियों को ही अपने शिक्षकों को बता सकती हैं जिसमें शिक्षा अपेक्षित सुधार कर छात्रों को मार्गदर्शन देकर उनका सहयोग कर सकते हैं.
ReplyDeleteNCERT के दस्तावेजों के आधार पर ही राज्य के पाठ्यक्रम स्थानीय आवश्यकताओं परिस्थितियों के अनुसार मातृभाषा में निर्धारित होते हैं दोनों के बेसिक मापदंड एक होते हैं केवल सीखने सिखाने के तरीके अलग-अलग होते हैं
ReplyDeletebacche alag alag vidhiyobse seekhne me ruchi rkhte h
ReplyDeleteराज्य के पाठ्यक्रम स्थानीय परिवेश का ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं जबकि एनसीईआरटी में पाठ्यक्रम समस्त राज्यों के आधार पर तैयार किए जाते हैं पाठ्यक्रम में दोनों का समावेश होना चाहिए ताकि बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके दोनों पाठ्यक्रम सीखने के प्रतिफल पर जोर देते हैं विद्यालय आधारित आकलन अपने परिवेश के आधार पर एवं बच्चों की क्षमताओं के आधार पर सीखने का मौका प्रदान करते हैं
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आंकलन सीखने की वह प्रक्रिया है जिससे विद्यालयी स्तर पर छात्रों के बेहतर तरीके से सीखने के लिए आयोजित किया जा रहा है इसमें स्व आंकलन,सहकर्मी आंकलन,समूह कार्य आंकलन,पोर्टफोलियो आंकलन एवम उपाख्यान रिकार्ड द्वारा आंकलन किया जाता हैंके द्वारा छात्र छात्राओं में अध्ययन में रुचि पैदा करके उन्हें भविष्य में आने वाली चुनोतियो के लायक बना सकते हैं। निष्ठा के प्रशिक्षण में यह बहुत ही सरल तरीके से बताया गया है।
ReplyDeleteITC के अनुसारकक्षा के सभी बच्चों की बुद्धिलब्धि,रुचियाँ,शारीरिक व मानसिक क्षमताएं ,आर्थिक व सामाजिक स्थितियाँ एक समान नहीं होती हैं ।
ReplyDeleteअतःशिक्षक अपने विवेक से ऐसी समावेशित शिक्षण योजना बनाएं जिससे कक्षा के सभी बच्चों को लाभ मिले ।
या विशेष /चिन्हित बच्चों के लिए प्रथक से कार्य योजना बनाकर शिक्षण करें।जिससे राज्य व NCERT के द्वारा निर्धारित लक्ष्य की पूर्ति हो सके ।हमारे बच्चे को विषयवस्तु के अनुसार दक्षता प्राप्त हो सकें।
Sunil bisen prathmik shikshak.GGMS.Rampaili Balaghat.
ReplyDeleteसीखने की समझ विकसित करने के लिए छात्र/छात्रा में,,,आई सी टी का विशेष योगदान रहेगा, विभिन्न स्तर के बच्चों को नया सीखने में आधुनिक साधनों का प्रयाग लाजमी,,है।बच्चो का नया ज्ञान की ओर अग्रसर होने अत्यंत आवश्यक है।
राज्य के पाठ्यक्रम और एन सी ई आर टी के पाठ्यक्रम को देखने से लगता है
ReplyDeleteकि दोनों के में सीखने के प्रतिफल पर
जोर दिया गया है ।आकलन की प्रतिक्रिया में भी उपलब्धि स्तर को
ध्यान में रखकर यह ध्यान देने योग्य
है कि छात्र के दक्षता स्तर में कितना सुधार हुआ है ,और जो कमी रह गई
है उसमें कैसे सुधार किया जा सकता
है ।
I.C.T. के अनुसार, कई बच्चें, उनकी चाहत के आधार पर, वे पृथक-पृथक विधियों से सीखने में रुचि रखते हैं, इसलिए उन्हें उसी प्रकार से शिक्षण देना अतिआवश्यक हैं, जिससे वे अधिक गतिशील बैन सकें प्रशिक्षण इस का मूल उद्देश्य ये हैं कि शिक्षक बच्चे की आवश्यकता को समझे और उसका सर्वांगीण विकास में सहायक हो।
ReplyDeleteविद्यालय आधारित आकलन यह कैसी प्रक्रिया है जिसमें विद्यार्थी के साथ-साथ शिक्षक अभिभावक को भी अपने स्तर पर सीखने का मौका मिलता है
ReplyDeleteRajkumar Singh GMS Ahirgoan , Amarpatan , Satna , Madhya Pradesh
ReplyDeleteसीखने के प्रतिफल और पाठ्यक्रम दोनों एक-दूसरे से समबन्धित होते हैं ।
Ncert बुक में विषय/कक्षा में सीखने के प्रतिफल राज्य के सीखने के प्रतिफल की अपेक्षा अधिक व्यापक एवं गतिविधियों अधिक होती हैं।
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