विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
Observation skills helps in widening the conceptual understanding by children of things around them and also in promoting their natural curiosity.It also enhance students scientific attitude and learning
प्राथमिक शिक्षक के दृष्टिकोण से विज्ञान सीखाने में अवलोकन कौशल का महत्व-
एक दिन हम अपनी चौथी कक्षा के कक्ष में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवा रहा थे। जब हम ने छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछा तो कुछ ने- जड़,तना,फूल,पत्ती के रूप में जवाब दिए और कुछ शांत बैठे रहे।हमने उनसे प्रश्न किया-क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..? एक छात्र ने खड़े होकर जवाब दिया- है सर। अब पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर हमें दिखाना था। नवंबर का महीना था। कक्षा कक्ष के सामने लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार "मकुईया" के छोटे पौधे की ओर इशारा करते हुए हमने,एक छात्र से कहा-इसे जड़ सहित लेकर आएं। छात्र जड़ सहित पौधा ले आया। अब कक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर था। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l अरे..वाह..! इसमें तो राई के दानों से भी,छोटे-छोटे बीज हैं..! अब छात्रों की जिज्ञासा और आकर्षण पूरी तरह बढ़ चुका था। चार-चार छात्रों के विषमागी समूह निर्धारित किये। क्रमशः एक- एक समूह को,अपने हाथ से छू कर जड़ से शुरू करते हुए बारी- बारी से पौधे के अंग बोलने को कहा। शिक्षक द्वारा ग्रीन बोर्ड पर पौधों के अंगों को क्रमशः लिखा गया।(जड़,तना,डाली,पत्ती,फूल फल,और फल के अंदर आंतरिक अंग बीज )जब दूसरे तीसरे और चौथे समूह द्वारा यह प्रक्रिया दोहराई गई तब शिक्षक द्वारा ग्रीन बोर्ड पर लिखे पौधों के अंगों को अलग-अलग रंग की रंगीन चाको द्वारा समूहवार टिक लगा कर चिन्हित किया गया। पर्यावरण अध्ययन से जोड़कर प्राथमिक स्तर पर विज्ञान सीखाने की यह सूक्ष्म और अवलोकनात्मक गतिविधि छात्रों में विज्ञान विषय के प्रति अवलोकन कौशल का विकास करती है। छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करने के लिए हम उनसे कुछ इस प्रकार के प्रश्न भी पूछ सकते हैं। ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका ताना नहीं होता..? ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ जाती है..? ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है..? इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते हैं, जिससे छात्रों में उच्च माध्यमिक और हाईस्कूल स्तर पर विज्ञान सीखने के प्रति रुचि उत्पन्न होगी। धन्यवाद... संतोष कुमार अठया शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा जिला-दमोह (मध्य प्रदेश) शाला डाइस कोड-23120300502 मोबाइल नंबर- +919893106699
अवलोकन कौशल का सीखने सीखाने में बहुत महत्व है। हम स्वाभाविक रूप से अवलोकन करते हुए ही अपनी समझ को परिपक्व करने का प्रयास करते रहे हैं।
उदाहरण के लिए चौथी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवाना है। अब हम छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछें तो कुछ छात्र जड़,तना,फूल,पत्ती के बारे में अपने विचार व्यक्त कर जवाब देते हैं और कुछ शांत बैठे । हम उनसे प्रश्न करें कि -क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..? छात्रों में जिज्ञासा बढ़ेंगी अब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर रखकर दिखा सकते हैं। विद्यालय के आसपासकक्षा कक्ष के लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कह सकते हैं। जब छात्र जड़ सहित पौधा ले आये तोकक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर रहेगा। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l अरे..वाह..! इसमें तो राई के दानों से भी,छोटे-छोटे बीज हैं..! अब छात्रों की जिज्ञासा और आकर्षण पूरी तरह बढ़ जाएगा। दो-दो या तीन-तीन छात्रों के समूह निर्धारित करते हुएक्रमशः एक- एक समूह को,अपने हाथ से छू कर जड़ से शुरू करते हुए बारी- बारी से पौधे के अंगों के बारे में बताने का अवसर दिया जाए। और हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर पौधों के अंगों को क्रमशः लिखा जाना चाहिए।(जड़,तना,डाली,पत्ती,फूल फल,और फल के अंदर आंतरिक अंग बीज )जब दूसरे तीसरे और चौथे समूह द्वारा यह प्रक्रिया दोहराई जाए तब भी हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर लिखे पौधों के अंगों को अलग-अलग रंग की रंगीन चाको द्वारा समूहवार टिक लगा कर चिन्हित किया जाना चाहिए। पर्यावरण अध्ययन से जोड़कर प्राथमिक स्तर पर सीखाने की यह सूक्ष्म गतिविधि छात्रों में सीखने और समझने के प्रति अवलोकन कौशल का विकास करती है। छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करती है। हम उनसे अभ्यास के लिए इस प्रकार के प्रश्न भी पूछ सकते हैं जैसे- ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना नहीं होता..? ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ गहरी जाती है..? ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है..? ऐसे कौन कौन से पौधे या बेल हैं जिनकी जड़ ही नहीं होती ..? इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते है।
Observation skills helps to inculcate in them the level of performing any activity.Being able to observe and gather information about the world.Improving your observation skills allows you to listen more than your ears and make better decisions.It enhances your abilities to interact with others.
अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
Vigyan alokin base per hi aadharit vishay hai ismein pahle kisi bhi prakriya ko ya kisi bhi dharna ko samajhne ke liye Dhyan purvak dekhna usse akad ekatrit karna aur uske pakshat avdharna ko samajhna hota hai
Middle teachear GMS mahadeva satna M P डाइस कोड-23130717005 प्रत्येक विषय की विज्ञान विषय के भी कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिनकी प्राप्ति हेतु विज्ञान का विषय के रूप में अध्ययन किया जाता है। विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल अत्यन्त ही आवश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता होताहै। गतिविधि: मोमबत्ती का अवलोकन माइकल फैराडे, जिन्होंने कई विज्ञान के प्रयोग किए व विभिन्न नियम प्रतिपादित किए, का एक अनुभव यहाँ उदाहरण के लिए जोड़ना चाहूँगा। फैराडे प्रयोगशाला में कार्य करने के अलावा विद्यार्थियों को पढ़ाया भी करते थे। फैराडे ने मोमबत्ती (उस समय प्रकाश बत्ती) पर साठ अवलोकन किए थे। यह उदाहरण मैं इसलिए दे रहा हूँ जिससे कि हम यह देख सकें कि एक सामान्य, दैनिक जीवन से जुड़े कार्य को किस हद तक गहराई से देखा व अनुभव किया जा सकता है। फैराडे ने भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों से विज्ञान विषय पर चर्चा की, जिसमें प्रयोग से सम्बन्धित बिन्दुओं जैसे मोम के पूर्व स्वरुप व अब के स्वरूप पर भी चर्चा करते थे। इस चर्चा में वे प्रकाशबत्ती के इतिहास को भी शामिल किया करते थे। इसे हम ज्ञान के विकास के रूप में देख सकते हैं। किसी भी विषय के नवीन ज्ञान के सृजन से पूर्व उसकी पूर्व जानकारी आवश्यक है जो की आगे किए जाने वाले कार्यों का मार्ग प्रशस्त करती है। 1. बिना जलाए मोमबत्ती का अवलोकन 2. जलाकर क्या परिवर्तन आते हैं 3. बुझाने पर क्या परिवर्तन होते हैं तीनों परिस्थितियों में प्राप्त अवलोकन प्राप्त हो सकते है जैसे-मोम में अवस्था परिवर्तन, जलने पर निकलने वाली गैस, रंग, अवशेष का प्रकार आदि। इस गतिविधि की विशेष बात थी अवलोकन करने का तरीका, सीमा से बाहर निकलकर सोचना अथवा पूर्व धारणाओं से अलग सोचना। यह नयापन बच्चों को कुछ नया सीखने की ओर ले जाता है। इस प्रकार अनुभव के आधार पर उनमे नई धारणा का जन्म होता है, इस प्रकार बच्चे किसी वैज्ञानिक तथ्य को अवलोकन कौशल के द्वारा सहज रूप में ही सीख सकते हैं।
अवलोकन कौशल का सीखने सीखाने में बहुत महत्व है। हम स्वाभाविक रूप से अवलोकन करते हुए ही अपनी समझ को परिपक्व करने का प्रयास करते रहे हैं।
उदाहरण के लिए चौथी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवाना है। अब हम छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछें तो कुछ छात्र जड़,तना,फूल,पत्ती के बारे में अपने विचार व्यक्त कर जवाब देते हैं और कुछ शांत बैठे । हम उनसे प्रश्न करें कि -क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..? छात्रों में जिज्ञासा बढ़ेंगी अब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर रखकर दिखा सकते हैं। विद्यालय के आसपासकक्षा कक्ष के लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कह सकते हैं। जब छात्र जड़ सहित पौधा ले आये तोकक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर रहेगा। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l अरे..वाह..! इसमें तो राई के दानों से भी,छोटे-छोटे बीज हैं..! अब छात्रों की जिज्ञासा और आकर्षण पूरी तरह बढ़ जाएगा। दो-दो या तीन-तीन छात्रों के समूह निर्धारित करते हुएक्रमशः एक- एक समूह को,अपने हाथ से छू कर जड़ से शुरू करते हुए बारी- बारी से पौधे के अंगों के बारे में बताने का अवसर दिया जाए। और हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर पौधों के अंगों को क्रमशः लिखा जाना चाहिए।(जड़,तना,डाली,पत्ती,फूल फल,और फल के अंदर आंतरिक अंग बीज )जब दूसरे तीसरे और चौथे समूह द्वारा यह प्रक्रिया दोहराई जाए तब भी हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर लिखे पौधों के अंगों को अलग-अलग रंग की रंगीन चाको द्वारा समूहवार टिक लगा कर चिन्हित किया जाना चाहिए। पर्यावरण अध्ययन से जोड़कर प्राथमिक स्तर पर सीखाने की यह सूक्ष्म गतिविधि छात्रों में सीखने और समझने के प्रति अवलोकन कौशल का विकास करती है। छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करती है। हम उनसे अभ्यास के लिए इस प्रकार के प्रश्न भी पूछ सकते हैं जैसे- ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना नहीं होता..? ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ गहरी जाती है..? ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है..? ऐसे कौन कौन से पौधे या बेल हैं जिनकी जड़ ही नहीं होती ..? इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते है।
विज्ञान में अवलोकन का महत्व इतना है जितना शरीर में मन का. जैसे हम शरीर की के अंगों की गतिविधियां एवं उनका सूक्ष्म चिंतन करने पर इन ज्ञानेंद्रियों की कार्यप्रणाली उपयोग आदि से परिचित होते हैं अर्थात मन या बुद्धि के द्वारा हम शरीर के सभी अंगों उनके सभी कार्यों उपयोग एवं समस्त जानकारी समझ लेते हैं जान लेते हैं उसी प्रकार वस्तुओं का को देखकर उनको सॉन्ग कर ध्वनियों को सुनकर स्पर्श करके स्वाद लेकर हम वस्तुओं पदार्थ को के स्वभाव को समझ सकते हैं जैसे नमक देखने में देखने में सफेद रंग का पर्स में स्पर्श करने में कठोर स्वाद में खारा सूंघने में गंध हीन है इसी प्रकार अन्य पदार्थों तत्व आदि के भौतिक गुण को हम अवलोकन के द्वारा ही तो जानते हैं इस तरह अवलोकन विज्ञान में सबसे प्रमुख भूमिका का निर्वहन करता है
बच्चा अपने परिवेश होने वाले परिवर्तनों, घटनाओं को नित्य देखता है अर्थात अवलोकन करता है जिससे उसके मन में जिज्ञासा होती है ऐसा क्यों वैसा क्यों? यही आगे विज्ञानिक दृष्टिकोण को जन्म देता है अतः अवलोकन विज्ञान का मूल आधार है।
अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं और दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
Keen observation is must to learn the science in properly, if some one wants to be scientist and even if all can't be scientists at least they must have scientific vision and attitude, keen observation is essential for it. If anything studied on paper or black board even after watching their diagram, would not suffice, the observation of the same think in nature or in videos, operating models adds fillip to the teaching and subsequently learning by the students. it not only make the topic permanent in memory but also makes the learning interesting. For instance if we are teaching the change in shape of moon and show the two D diagram only, students would still remain confused about the correct explanation about occurring of eclipses on full moon day and on Amavasya or why eclipse cant's occur every month. But if we show them video in natural surrounding by showing tilted orbital of moon and possible combination of shadow of moon appearing on earth thereby causing solar eclipse or shadow of earth covering the moon thereby causing lunar eclipse. Interestingly, fewer students ask such question which also shows that they have keen observation and others are lacking it. Its just like making of structure of anything on CAD CAM system before manufacturing it, as . isn't it.
Keen observation is must to learn the science in properly, if some one wants to be scientist and even if all can't be scientists at least they must have scientific vision and attitude, keen observation is essential for it. If anything studied on paper or black board even after watching their diagram, would not suffice, the observation of the same think in nature or in videos, operating models adds fillip to the teaching and subsequently learning by the students. it not only make the topic permanent in memory but also makes the learning interesting. For instance if we are teaching the change in shape of moon and show the two D diagram only, students would still remain confused about the correct explanation about occurring of eclipses on full moon day and on Amavasya or why eclipse cant's occur every month. But if we show them video in natural surrounding by showing tilted orbital of moon and possible combination of shadow of moon appearing on earth thereby causing solar eclipse or shadow of earth covering the moon thereby causing lunar eclipse. Interestingly, fewer students ask such question which also shows that they have keen observation and others are lacking it. Its just like making of structure of anything on CAD CAM system before manufacturing it, as . isn't it.
विज्ञान विषय विद्यार्थियों में करके सीखने के गुण का विकास करता है। प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को पौधें के बारे में पढ़ाना है तो हम विद्यार्थियों के एक पौंधा लेकर आने के लिए कहेंगे फिर लाये गये पौधें के अवलोकन पश्चात विद्यार्थियों से पौधें के अंग पूछेंगे । विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त उत्तर पर चर्चा करेंगे उन्हें पौधें के अंग जड़ , तना , पत्ती ,फूल और फल के बारे में जानकारी देंगे । जब विद्यार्थी अवलोकन करेंगे तो उन्हें पौधे के अंग रटने की जरूरत नहीं पड़ेगी वह अवलोकन से चिरस्थाई ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह अवलोकन कौशल से विद्यार्थियों में स्वयं करके सीखने की आदत का विकास होता है । विज्ञान में यह कौशल सुव्यवस्थित सीखने और चिरस्थाई ज्ञान प्रदान करता हैं।
विज्ञान अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप से देखना चाहते हैं और दिमाग मैं स्थाई ज्ञान का विकास होता है।
अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
Bachche swad ka awlokan karte hain to seekhte hain ki namak,shakkar,karela,jal aadi ka swad namkeen,meetha,kadwa,swadheen hota he.is tarah awlokan seeekhne me madad karta he.
B.S.Kulaste P.S.Baraudi Distt.Dindori. विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार हैअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढ़ाव होता है ।इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है ।साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है ।
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार हैअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढ़ाव होता है ।इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है ।साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है ।
विझान अवलोकन का आधार है, इस के द्वारा प्राथमिक स्तर के छात्रों को ज्ञान प्राप्त होता है । जैसे पोधो के अंगों के नाम पौधा दिखाकर तना, जड़,पत्तियों आदि के बारे मे बताया जाना आसान हो जाता है।
विज्ञान विषय हमारे मन एवं मस्तिष्क में जिज्ञासा को जगाता हैं | जब हम किसी चीज का अवलोकन करते तो हमारे मन में उस वस्तु के बारे में जानने की प्रबल इच्छा होती हैं|अवलोकन को हम विज्ञान के एक उदाहरण से समझ सकते हैं की जैसे हल्दी पर जब चूने का पानी डाले तो उसका रंग लाल हो जाता हैं|यह रासायनिक अभिक्रिया हमें उसके कारणों की खोज की और ले जाता हैं इस प्रकार हम अवलोकन से ही सीखते हैं|अवलोकन हमें हमारे चारों और घटने वाली घटनाओं के बारे में जानने के लिए प्रेरित करता हैं|
अवलोकन विज्ञान के क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। अवलोकन से ही विभिन्न कल्पना का जन्म होता है ,तथा कल्पनाओं के बाद प्रयोगों से विभिन्न प्रकार के आविष्कार होते हैं ।अतः यह कहा जा सकता है कि गहन एवं सूक्ष्म अवलोकन ही आविष्कारों के जन्मदाता हैं।
अवलोकन विज्ञान के क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। अवलोकन से ही विभिन्न कल्पना का जन्म होता है ,तथा कल्पनाओं के बाद प्रयोगों से विभिन्न प्रकार के आविष्कार होते हैं ।अतः यह कहा जा सकता है कि गहन एवं सूक्ष्म अवलोकन ही आविष्कारों के जन्मदाता हैं।
अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं और दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
अवलोकन करना अन्य विषयों के साथ ही विज्ञान का अभिन्न हिस्सा है। इसके द्वारा बच्चा लगभग 80% ज्ञानार्जन करता है ।अवलोकन या निरीक्षण द्वारा सार्थक पैटर्न और मूल तत्व तक पहुंचने में मदद मिलती है। यदि ध्यान पूर्वक अवलोकन हो तो विज्ञान प्रक्रिया के अन्य कौशल जैसे प्रश्न प्रस्तुत करना , जांच की योजना बनाना आदि भी सुगम हो जाते हैं। अवलोकन को विज्ञान सीखने में सहायक ही नहीं अनिवार्य भी माना गया है।
विज्ञान विषय के क्षेत्र में अवलोकन एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, विज्ञान अवलोकन कौशल बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण में बदलाव के साथ नवीन खोजों की समझ विकसित करता है।
अवलोकन कौशल का विकास किया जाए तो बच्चे अपने आसपास की वस्तुओं से जुड़ेंगे और उनका विश्लेषण भी कर पाएंगे। जैसे पौधों के भाग पेड़ के अंगों के नाम और उनका महत्व आदि।
अल्का बैंस प्राथमिक शाला कूकड़ा जगत छिन्दवाड़ा जन्म से ही कोई भी मनुष्य अथवा जीव सबसे ज़्यादा ज्ञान ग्रहण बोलने अथवा सुनने से नहीं करता बल्कि देखने से करता है। देखने से ही वह प्रारंभिक रूप से वस्तुओं, जीव जंतु, पादपों आदि को समझ पाता है उनकी तुलना कर पाता है और अपनी समझ के अनुसार ज्ञान ग्रहण कर पाता है। बच्चे जन्म से ही व्यक्ति, वस्तुओं आदि को देखते हैं और उन्हें समझने की कोशिश करते हैं। जैसे जैसे वे बड़े होते हैं और उनकी समझ का विकास होता है वे चीजो को देखने के साथ ये जानने की कोशिश करते हैं क्यों है। इसकी वजह क्या है। ऐसा क्यों होता है। उदाहरण के लिए बच्चे आसमान देखते हैं तो दिन में उन्हें वह नीला दिखाई देता है व रात में काला तो बच्चे के अंदर ये जिज्ञासा स्वतः जागरूक होती है कि ऐसा क्यों होता है। इसका जवाब जानते जानते वे पृथ्वी, सूरज, सौरमंडल के गृह, अपवर्तन, परावर्तन के नियम, भौगोलिक संरचना का धीरे धीरे जानने लगते हैं और उनकी परस्पर तुलना करने लगते हैं। फूलों, झाड़ियों को देखते समय उनके प्रकार उनमें समानता, विपरीत गुण क्या हैं आदि को जानने की कोशिश करता है इस प्रकार हम का सकते हैं कि अवलोकन ही वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से बच्चों के अंदर विज्ञान को जानने की किसी भी प्रक्रिया के दिखने मिलने होने की वजह जानने की जिज्ञासा प्रगट होती है।
Kisi v vishay ko avlokan k dwara acche smjha jaa sktaa hai. Isliye vigyaan k addhyan krte samay v avlokan avashyak hai. Avlokan dwara vidharthiyo me kuch naya seekhne ki ruchi badhti haii.
विज्ञान शिक्षण के अंतर्गत अवलोकन कौशल का महत्वपूर्ण स्थान है विज्ञान की विभिन्न अवधारणाओं को समझने के लिए अवलोकन का सहारा लेना पड़ता है चाहे वह अवलोकनप्रत्यक्षवस्तुओंका हो या।उनके मॉडल रूप का। अवलोकन द्वारा प्राप्त ज्ञान स्थाई होता है
रघुवीर गुप्ता शासकीय प्राथमिक विद्यालय नयागांव संकुल केंद्र शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सहस राम विकासखंड विजयपुर जिला sheopur शिक्षण में अवलोकन का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है विज्ञान जैसे विषय में बिना अवलोकन के शिक्षण हो ही नहीं सकता है अगर हमें बच्चों मैं ,जंतुओं या जीवो में क्रम से वृद्धि एवं विकास को दिखाना है तो हमें उन्हें अवलोकन के माध्यम से ही दिखाना पड़ेगा बच्चे अवलोकन के माध्यम से जब जंतुओं को एवं मनुष्यों को बढ़ते हुए देखते हैं तो वह उनके वृद्धि को बड़ी आसानी से समझ सकते हैं लेकिन इसी विषय पर अगर लंबा-चौड़ा व्याख्यान दिया जाए तो शायद बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे एक दिन मुझे बच्चों को पेड़ के विभिन्न भाग व पेड़ के लिए भोजन कैसे बनता है के बारे में समझाना था तो मैं सभी बच्चों को पेड़ के पास ले गया और उन्हें क्रम शहर छू छू कर पेड़ के विभिन्न भाग जैसे तवा पेड़ के फल फूल पत्तियां तथा एक छोटे से पौधे को उखाड़ कर उसमें जड़ को दिखाया कि किस प्रकार पौधे के प्रत्येक भाग किस प्रकार कार्य करते हैं इस प्रकार बच्चे पेड़ के सभी भाग व उनके कार्यों को बड़ी आसानी से सीख गए और इसके बाद मैंने कई बार बच्चों से पूछा तो बच्चों ने बड़ी सहजता के साथ जवाब दिए इससे सिद्ध होता है कि बच्चे व्याख्यान की अपेक्षा अवलोकन से जल्दी सीखते हैं इसी तरह अगर हमें खेतों के बारे में समझाना है कि फसल किस किस प्रकार की होती हैं तो हम उनको खेतों का अवलोकन करा कर इस अवधारणा को बड़ी आसानी से समझा सकते हैं या हमें पशु पक्षियों के आवास कैसे होते हैं इस विषय के बारे में समझाना है तो हम बस उनको पशु पक्षियों की आवाज को दिखा कर उनको बड़ी आसानी से उनके आवासों की जानकारी दे सकती हैं इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि बच्चे अवलोकन से ज्यादा सीखते हैं न के व्याख्यान से इसीलिए शिक्षण में विशेषकर विज्ञान जैसे विषय में अवलोकन का बहुत ही महत्व है और बिना अवलोकन के बिना विज्ञान जैसा विषय संभव ही नहीं है
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
vigyan alokin ka vishay hai bina aur logon ke vigyan vishay per group se nahin sikha ja sakta hai kisi bhi vastu ki jankari aur lokan se hi jyada hoti hai
विज्ञान अवलोकन का ही विषय हैं बिना अब लोकन किए विज्ञान को सीखना मुश्किल है विभिन्न प्रकार के प्रयोग कराने से बच्चे स्वयं करते हैं तथा विज्ञान की अवधारणा को समझते हैं तथा वह उनके दृष्टि पटल पर चेहरे स्थाई रूप से स्थापित रहता है इसलिए विज्ञान में अवलोकन करना निरीक्षण करना तथा परिणाम प्राप्त करना बहुत जरूरी है
अवलोकन कौशल का सीखने सीखाने में बहुत महत्व है। हम स्वाभाविक रूप से अवलोकन करते हुए ही अपनी समझ को परिपक्व करने का प्रयास करते रहे हैं।
उदाहरण के लिए चौथी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवाना है। अब हम छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछें तो कुछ छात्र जड़,तना,फूल,पत्ती के बारे में अपने विचार व्यक्त कर जवाब देते हैं और कुछ शांत बैठे । हम उनसे प्रश्न करें कि -क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..? छात्रों में जिज्ञासा बढ़ेंगी अब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर रखकर दिखा सकते हैं। विद्यालय के आसपासकक्षा कक्ष के लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कह सकते हैं। जब छात्र जड़ सहित पौधा ले आये तोकक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर रहेगा। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l अरे..वाह..! इसमें तो राई के दानों से भी,छोटे-छोटे बीज हैं..! अब छात्रों की जिज्ञासा और आकर्षण पूरी तरह बढ़ जाएगा। दो-दो या तीन-तीन छात्रों के समूह निर्धारित करते हुएक्रमशः एक- एक समूह को,अपने हाथ से छू कर जड़ से शुरू करते हुए बारी- बारी से पौधे के अंगों के बारे में बताने का अवसर दिया जाए। और हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर पौधों के अंगों को क्रमशः लिखा जाना चाहिए।(जड़,तना,डाली,पत्ती,फूल फल,और फल के अंदर आंतरिक अंग बीज )जब दूसरे तीसरे और चौथे समूह द्वारा यह प्रक्रिया दोहराई जाए तब भी हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर लिखे पौधों के अंगों को अलग-अलग रंग की रंगीन चाको द्वारा समूहवार टिक लगा कर चिन्हित किया जाना चाहिए। पर्यावरण अध्ययन से जोड़कर प्राथमिक स्तर पर सीखाने की यह सूक्ष्म गतिविधि छात्रों में सीखने और समझने के प्रति अवलोकन कौशल का विकास करती है। छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करती है। हम उनसे अभ्यास के लिए इस प्रकार के प्रश्न भी पूछ सकते हैं जैसे- ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना नहीं होता..? ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ गहरी जाती है..? ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है..? ऐसे कौन कौन से पौधे या बेल हैं जिनकी जड़ ही नहीं होती ..? इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते है।अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है| चंद्रिका कौरव एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा नरसिंहपुर मध्य प्रदेश
अवलोकन कौशल का सीखने सीखाने में बहुत महत्व है। हम स्वाभाविक रूप से अवलोकन करते हुए ही अपनी समझ को परिपक्व करने का प्रयास करते रहे हैं।
उदाहरण के लिए चौथी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवाना है। अब हम छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछें तो कुछ छात्र जड़,तना,फूल,पत्ती के बारे में अपने विचार व्यक्त कर जवाब देते हैं और कुछ शांत बैठे । हम उनसे प्रश्न करें कि -क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..? छात्रों में जिज्ञासा बढ़ेंगी अब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर रखकर दिखा सकते हैं। विद्यालय के आसपासकक्षा कक्ष के लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कह सकते हैं। जब छात्र जड़ सहित पौधा ले आये तोकक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर रहेगा। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l अरे..वाह..! इसमें तो राई के दानों से भी,छोटे-छोटे बीज हैं..! अब छात्रों की जिज्ञासा और आकर्षण पूरी तरह बढ़ जाएगा। दो-दो या तीन-तीन छात्रों के समूह निर्धारित करते हुएक्रमशः एक- एक समूह को,अपने हाथ से छू कर जड़ से शुरू करते हुए बारी- बारी से पौधे के अंगों के बारे में बताने का अवसर दिया जाए। और हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर पौधों के अंगों को क्रमशः लिखा जाना चाहिए।(जड़,तना,डाली,पत्ती,फूल फल,और फल के अंदर आंतरिक अंग बीज )जब दूसरे तीसरे और चौथे समूह द्वारा यह प्रक्रिया दोहराई जाए तब भी हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर लिखे पौधों के अंगों को अलग-अलग रंग की रंगीन चाको द्वारा समूहवार टिक लगा कर चिन्हित किया जाना चाहिए। पर्यावरण अध्ययन से जोड़कर प्राथमिक स्तर पर सीखाने की यह सूक्ष्म गतिविधि छात्रों में सीखने और समझने के प्रति अवलोकन कौशल का विकास करती है। छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करती है। हम उनसे अभ्यास के लिए इस प्रकार के प्रश्न भी पूछ सकते हैं जैसे- ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना नहीं होता..? ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ गहरी जाती है..? ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है..? ऐसे कौन कौन से पौधे या बेल हैं जिनकी जड़ ही नहीं होती ..? इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते है।अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है| चंद्रिका कौरव एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा नरसिंहपुर मध्य प्रदेश
Vigyan vishay ke chhetr me avlokan yek mahtvpurn pirkiriya hai. Poudhe ke pas jakar uske bhagon ko dekhkar chhukar uske bhag tana, jad sashay, fal,fool, aadi ki pahchan kar pate hai.
अगर हमें बच्चों मैं ,जंतुओं या जीवो में क्रम से वृद्धि एवं विकास को दिखाना है तो हमें उन्हें अवलोकन के माध्यम से ही दिखाना पड़ेगा बच्चे अवलोकन के माध्यम से जब जंतुओं को एवं मनुष्यों को बढ़ते हुए देखते हैं तो वह उनके वृद्धि को बड़ी आसानी से समझ सकते हैं लेकिन इसी विषय पर अगर लंबा-चौड़ा व्याख्यान दिया जाए तो शायद बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे एक दिन मुझे बच्चों को पेड़ के विभिन्न भाग व पेड़ के लिए भोजन कैसे बनता है के बारे में समझाना था तो मैं सभी बच्चों को पेड़ के पास ले गया और उन्हें क्रम शहर छू छू कर पेड़ के विभिन्न भाग जैसे तवा पेड़ के फल फूल पत्तियां तथा एक छोटे से पौधे को उखाड़ कर उसमें जड़ को दिखाया कि किस प्रकार पौधे के प्रत्येक भाग किस प्रकार कार्य करते हैं इस प्रकार बच्चे पेड़ के सभी भाग व उनके कार्यों को बड़ी आसानी से सीख गए और इसके बाद मैंने कई बार बच्चों से पूछा तो बच्चों ने बड़ी सहजता के साथ जवाब दिए इससे सिद्ध होता है कि बच्चे व्याख्यान की अपेक्षा अवलोकन से जल्दी सीखते हैं इसी तरह अगर हमें खेतों के बारे में समझाना है कि फसल किस किस प्रकार की होती हैं तो हम उनको खेतों का अवलोकन करा कर इस अवधारणा को बड़ी आसानी से समझा सकते हैं या हमें पशु पक्षियों के आवास कैसे होते हैं इस विषय के बारे में समझाना है तो हम बस उनको पशु पक्षियों की आवाज को दिखा कर उनको बड़ी आसानी से उनके आवासों की जानकारी दे सकती हैं इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि बच्चे अवलोकन से ज्यादा सीखते हैं न के व्याख्यान से इसीलिए शिक्षण में विशेषकर विज्ञान जैसे विषय में अवलोकन का बहुत ही महत्व है और बिना अवलोकन के बिना विज्ञान जैसा विषय संभव ही नहीं है
अवलोकन कौशल को विकसित करना आपको यानी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को सूक्ष्मता और सही रूप से देखने के लिए प्रोत्साहित करने में समय लगता है और उन्हें उसके लिए अवसर प्रदान करने होंगे। यद्यपि यह एक ऐसा निवेश है जो उन्हें उनकी दुनिया और एक विषय के रूप में विज्ञान में अधिक रूचि जग आएगा और उत्साहित करेगा। विज्ञान की प्रक्रिया के अंतर्गत विज्ञान सीखने के लिए प्रेक्षण वर्गीकरण संप्रेषण मापन अनुमान भविष्यवाणी जैसे छह आवश्यक कौशल आते हैं। इन मूलभूत कौशलों की सहायता से बच्चे समा समस्या समाधान का कौशल सीखते हैं जो एकीकृत कौशल कहलाते हैं यह एकीकृत कौशल सात प्रकार के होते हैं -
1 परिवर्तनों को पहचानना 2- नियमित करना, 3 क्रियात्मक रूप से परिभाषा देना 4- परिकल्पना बनाना, 4- पूर्ण ज्ञान एवं संकलित तथ्यों का उपयोग करना 5- तालिका बनाना, 6- ग्राफ बनाना, - आंकड़ों की व्यवस्था करना और खोज करना। इन्हीं प्रक्रियाओं द्वारा जो ज्ञान या जानकारी बच्चे प्राप्त करते हैं, वह विज्ञान का उत्पाद कहलाता है। बच्चों द्वारा प्राप्त ज्ञान की गहराई और उसकी सत्यता उसके द्वारा प्रयुक्त प्रक्रियाओं पर निर्भर करती है।
जीवो के अवलोकन हेतु डार्विन ने कई प्रमाण जुटाने के पश्चात विज्ञान के बारे में निम्नलिखित शब्दों एवं प्रक्रियाओं या तथ्यों को समझाने का प्रयास किया है जो निम्नानुसार हैं -
अवलोकन >जानकारियां एकत्र करना >प्रश्न करना >प्रमाण जुटाना संबंध स्थापित करना >विश्लेषण करना जांच करना> परिकल्पना का निर्माण करना >सूचना के साथ संबंध> पुनः परिभाषित करना आदि शामिल हैं।
ASHIM KUMAR TIWARI CAC BALSAMUD RAJPUR BARWANI जब विद्यार्थी अवलोकन करेंगे तो उन्हें रटने की जरूरत नहीं पड़ेगी वह अवलोकन से चिरस्थाई ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं। अवलोकन कौशल से विद्यार्थियों में स्वयं करके सीखने की आदत का विकास होता है । विज्ञान में यह कौशल सुव्यवस्थित सीखने और चिरस्थाई ज्ञान प्रदान करता हैं।
Gyan ka arjan padhdhne aur sunne ki apeksha usko avlokan krne se jaldi prapt hota h Or avlokan se prapt gyan bhut lambe samay tk dimag m sathyi rahta hai. Bachche isse dwara seekhne main interest lete hai
अवलोकन कौशल का सीखने सिखाने में बहुत महत्व है! हम स्वाभाविक रूप से परीक्षण करते हुए अपनी समझ को परिपक्व करते हैं !जब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पटल पर रख कर दिखा सकते हैं विद्यालय के आसपास लगे कच्चे-पक्के लाल हरे छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कहते हैं !और सभी को दिखा सकते हैं ! इस प्रकार सजीवों में वृद्धि और विकास की समझ विकसित करने का मुख्य आधार कौशल और अवलोकन है ! यह परीक्षण से सिद्ध होता है !
किसी जीवित या अजीब चीज के अवलोकन से ही जानने की इच्छा प्रकट होती है और वही विज्ञान है जितना अधिक हम और लोकन करते हैं उतना अधिक जानने की जिज्ञासा बढ़ती जाती है aur ham Vigyan ki or Tat Par Ho Jaate Hain
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
JASHODA VERMA PS KUSMELI CHHINDWARA (M.P) जब हम ने छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछा तो कुछ ने- जड़,तना,फूल,पत्ती के रूप में जवाब दिए और कुछ शांत बैठे रहे।हमने उनसे प्रश्न किया-क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..?उदाहरण के लिए चौथी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवाना है। अब हम छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछें तो कुछ छात्र जड़,तना,फूल,पत्ती के बारे में अपने विचार व्यक्त कर जवाब देते हैं और कुछ शांत बैठे । हम उनसे प्रश्न करें कि -क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..? छात्रों में जिज्ञासा बढ़ेंगी अब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर रखकर दिखा सकते हैं। विद्यालय के आसपासकक्षा कक्ष के लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कह सकते हैं। जब छात्र जड़ सहित पौधा ले आये तोकक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर रहेगा। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l
विज्ञान बच्चों केअवलोकन से ही कौशल विकसित होता हैः।जैसे किसी मशीन के बारे मे बात करते है। जैसे गेहूँ, चने को साफ नखद फसल के रुप मे पौधा से गेहूँ अलग करने केथ्रेशर लिए थशशशश
अवलोकन कौशल से ही विद्यार्थी अपने जीवन मे यह सीखता है कि कोई घटना कैसे घटी, इसका क्या कारण है, अवलोकन कौशल द्वारा वह दूध को दही में परिवर्तित होते हुए देखता है,तथा विचार करता है,ऐसा क्यो हुआ, पानी से बर्फ कैसे वन जाता है,अथवा पानी को गर्म करने के लिए कितने tamprature की जरूरत होती है। किसी पौधे को पानी न देने से वह क्यो सूख जाता है ।
आदि आदि घटनाए विद्यार्थी अपने अवलोकन कौशल के द्वारा ही सीखता है।
अवलोकन में जो ज्ञान बच्चा प्राप्त करता है बह उसेहमेशा स्थाई रूप से याद रहता है और उस चीज को बड़े सजीव का से अनुभव करता है उससे उसके सभी ज्ञानेंद्रियां साथ में काम करती है जैसे पौधों का चित्रण या पौधों के भागों को जो हम पढ़ाते हैं और बच्चे को पौधों के पास ले जाकर उन भागों या उनकी सजीता का चित्रण करते हैं तो वह
साइंस को जानने का सबसे अच्छा तरीका यही होता है कि को बातें books में है बच्चा उन्हें स्वयं करके देखे,जरूरत पड़ने पर अपने टीचर की हेल्प ले,क्योंकि बच्चा अपने ज्ञान का श्रजन स्वयं करता है,और खुद करके सीखा गया ज्ञान हमेशा लोंग लाइफ स्थाई होता है
अवलोकन सभी प्रकार के ज्ञान सभी प्रकार की जानकारी आसपास के परिवेश एवं पर्यावरण पर्यावरण भूगोल एवं समस्त सामाजिक गतिविधियों का अवलोकन करना प्रकृति के परिवर्तन एवं सभी प्रकार की मौसम के संबंध में जानकारी प्राप्त करना
छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करने के लिए हम उनसे कुछ इस प्रकार के प्रश्न पूछ सकते हैं। ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना नहीं होता? ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ जाती है?ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है?इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते हैं, जिससे छात्रों में उच्च माध्यमिक और हाईस्कूल स्तर पर विज्ञान सीखने के प्रति रुचि उत्पन्न होगी।
बच्चों मै अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढाव होता है। इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है।साथ ही तर्क शक्ति विकसित होती है।शिक्षक का कार्य बच्चों को स्वतंत्र अ वसर पृदान करना है।
bacchon ki Kriya silta Mein Sahayak,anushasan Mein Sahayak.avlokan Vidhi sabse prabhavi Vidhi h.bacche kriyashilta m bane rahte h.yah Vidhi tabhi Prabhavi hoti h jab bachhon ki sankhya nirdharit ho.Vigyan ke Kshetra me avalokanvidai bahut Prabhav seal hai.vastuon ko Jamana ekattha karvaya Jsta hai.aankdo ka sangrah bhi karaya jata hai.jo bachhen khud karte h.
विद्यार्थियों को विज्ञान की विभिन्न अवधारणाओं को समझाने के लिए अवलोकन कौशल विकसित करना अत्यंत आवश्यक है ताकि विद्यार्थी अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए अवलोकन,वर्गीकरण, अनुमान लगाना आदि प्रकियाओं द्वारा संज्ञानात्मक और मनोदैहिक कौशल प्राप्त कर सकें। अमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है ।विज्ञान में अवधारणाओं को समझने के लिए अवलोकन कौशल विकसित करना बहुत आवश्यक है। विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा हम कई प्रकार की गतिविधियां जैसे पौधों के बारे में, जंतुओं के बारे में एवं सभी प्रकार के जीवों एवं निर्जीव ओं के बारे में ज्ञान अर्जित करते हैं।
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है ।विज्ञान में अवधारणाओं को समझने के लिए अवलोकन कौशल विकसित करना बहुत आवश्यक है। विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा हम कई प्रकार की गतिविधियां जैसे पौधों के बारे में, जंतुओं के बारे में एवं सभी प्रकार के जीवों एवं निर्जीव ओं के बारे में ज्ञान अर्जित करते हैं।
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है ।विज्ञान में अवधारणाओं को समझने के लिए अवलोकन कौशल विकसित करना बहुत आवश्यक है। विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा हम कई प्रकार की गतिविधियां जैसे पौधों के बारे में, जंतुओं के बारे में एवं सभी प्रकार के जीवों एवं निर्जीव ओं के बारे में ज्ञान अर्जित करते हैं।
विज्ञान अवलोकन द्वारा बच्चे की समझ को विकसित करने में सहायक होती है जैसे द्रव्य की तीन अवस्थाएं होती हैं विद्यार्थी देखेगा ठोस बर्फ के रूप में द्रव्य पानी के रूप में और गैस के रूप में वह अवलोकन करके अपनी समझ को स्थाई रूप से विकसित करेगा पेड़ पौधे जीव जंतुओं के बारे में अवलोकन करें के उसकी समाज स्थाई होगी वह रखने वाली प्रक्रिया से अलग होगी विद्यार्थी के विभिन्न कौशलों को विकसित करने के लिए अवलोकन विज्ञान एक विषय है श्रीमती विमलेश शर्मा बालक खरी फाटक विदिशा
Observe the things and than act means think and this is the habits of many mens who became big scientists so if this habits became the habits of student than they became good human beings and may became scientists because observe the pain and pleasure of things and their result after act make thaem good human
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
Pushpa singh MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station. Avlokan koushal science ki avdharnao ko samjhane me important bhumika nibhate hai.science me practical,avlokan se students ki samajh viksit hoti hai.unki jigyasa ka hal unhe khud mil jata hai.kyo ki ve khud vishay-vastu se related adhigam sangri ka avlokan karte hai.and avdharnao ko samajh ko viksit kar learning out comes ko prapt karte hai.
अनोखी लाल शर्मा उच्च श्रेणी शिक्षक गणित शासकीय नूतन कन्या उत्तर माध्यमिक विद्यालय इंदिरा नगर उज्जैन विज्ञान वास्तव में एक्सेस सेमिटिक ज्ञान को कहते हैं तिरुपति तरीके से हम जो बच्चों को सिखाते हैं या हम सीखते हैं वही विज्ञान हैंविज्ञान विषय हमारे मन एवं मस्तिष्क में जिज्ञासा को जगाता हैं | जब हम किसी चीज का अवलोकन करते तो हमारे मन में उस वस्तु के बारे में जानने की प्रबल इच्छा होती हैं|अवलोकन को हम विज्ञान के एक उदाहरण से समझ सकते हैं की जैसे हल्दी पर जब चूने का पानी डाले तो उसका रंग लाल हो जाता हैं|यह रासायनिक अभिक्रिया हमें उसके कारणों की खोज की और ले जाता हैं इस प्रकार हम अवलोकन से ही सीखते हैं|अवलोकन हमें हमारे चारों और घटने वाली घटनाओं के बारे में जानने के लिए प्रेरित करता हैं|
नाम संध्या रघुवंशी प्राथमिक शिक्षक एकीकृत शाला माध्यमिक विद्यालय एनएफएल जिला गुना (मध्य प्रदेश) अवलोकन कौशल से बच्चों के बाल केंद्रित रूप से बच्चों के ज्ञान सीखने में भाषा, विचार, ध्यान से सुनना, बोलना, सीखना और उसका अवलोकन करना बच्चे के मानसिक शारीरिक क्षमता के कौशल के बारे में पता लगता है। और बच्चों को विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल अत्यंत ही आवश्यक है ।उदाहरण के लिए कक्षा चार में पर्यावरण अध्ययन विषय में "मुझे पहचानो" पाठ की अवधारणा पौधे के अंग की पुनरावृति एवं अभ्यास कार्य करवाना जैसे हम छात्रों से पौधे के अंग के बारे में पूछते हैं तो कुछ छात्र पौधों के अंग जड़ ,तना ,पत्ती ,फूल के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हैं ,और कुछ छात्र सुनकर शांति से अपने मन में विचार करते हैं जब हम बच्चों से पूछते हैं क्या बीज , पत्ती अपना पौधे का अंग नहीं है ,तो छात्रों में सोचने ,समझने ,बोलने, और विचार करने की जिज्ञासा बढ़ती है ,जब हम जड़ सहित या अंकुर बीच को एक पौधा के रूप में कक्षा में सभी बच्चों के सामने उस पौधे कोे दिखाकर एक गतिविधि कर और अवलोकन करेंगे तो बच्चों में सीखने की जिज्ञासा बढ़ेगी, और उसी पौधे के फूल -फल को हथेली पर मसलकर उससे प्राप्त बीज या कन या अन्य फल दिखाते हैं तो बच्चों में जिज्ञासा बढ़ती है कुछ काम करने की खुशियां मिलती है। जैसे व्यवसाय करना ,रोजगार करना, खेती करना ,उद्योग करना या अपने माता पिता जो काम कर रहे हैं उसके बारे में सोचना ,इस तरह से जिज्ञासा पैदा होती है बच्चों के जीवन में विज्ञान का बहुत महत्व है क्योंकि विज्ञान महत्वपूर्ण विषय है जिसके अध्ययन एवं ज्ञान से बच्चों बाल केंद्रित रूप से रचनात्मक कौशल का लचीलापन जागृत होता है और अवलोकन से बच्चों के ज्ञान और विचार की समझ होती है धन्यवाद।
अन्य विषयों कि तरह विज्ञान विषय के भी कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिनकी प्राप्ति हेतु विज्ञान का एक विषय के रूप में अध्ययन किया जाता है। विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल परमावश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता है। गतिविधि: मोमबत्ती का अवलोकन माइकल फैराडे जिन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए व विभिन्न नियम प्रतिपादित किए का एक अनुभवजनित उदाहरण यहां प्रस्तुत है। फैराडे प्रयोगशाला में कार्य करने के अलावा विद्यार्थियों को शिक्षण अधिगम भी कराते थे। फैराडे ने मोमबत्ती (तत्कालीन प्रकाशबत्ती) पर लगभग 60 अवलोकन किए थे। यह उदाहरण मैं इसलिए महत्वपूर्ण है कि इससे हम यह देख सकें कि एक सामान्य दैनिक जीवन से जुड़े कार्य को किस हद तक गहराई से देखा व अनुभव किया जा सकता है। फैराडे ने भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों से विज्ञान विषय पर चर्चा की जिससे सम्बन्धित बिन्दुओं जैसे मोम के पूर्व स्वरुप व बाद के स्वरूप पर भी चर्चा करते थे। इस चर्चा में वे प्रकाशबत्ती के इतिहास को भी शामिल किया करते थे। इसे हम ज्ञान के विकास के रूप में देख सकते हैं। किसी भी विषय के नवीन ज्ञान के सृजन से पूर्व उसकी पूर्व जानकारी आवश्यक है जोकि आगे किए जाने वाले कार्यों का मार्ग प्रशस्त करती है- 1. बिना जलाए मोमबत्ती का अवलोकन। 2. जलाकर क्या परिवर्तन आते हैं। 3. बुझाने पर क्या परिवर्तन होते हैं। उक्त तीनों परिस्थितियों में भिन्न भिन्न अवलोकन प्राप्त हो सकते है जैसे-मोम में अवस्था परिवर्तन,जलने पर निकलने वाली गैस, रंग एवं अवशेष का प्रकार आदि। इस गतिविधि कि विशेष बात यह थी कि अवलोकन करने का तरीका,सीमा से बाहर निकलकर सोचना अथवा पूर्व धारणाओं से अलग सोचना। यह नयापन बच्चों को कुछ नया सीखने की ओर ले जाता है। इस प्रकार अनुभव के आधार पर उनमे नई धारणा का जन्म होता है। इस प्रकार बच्चे किसी वैज्ञानिक तथ्य को अवलोकन कौशल के द्वारा सहज रूप में ही सीख सकते हैं।
बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है इसमें बच्चों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है साथ ही बच्चों में जिज्ञासा एवं तर्कशक्ति भी विकसित होती है
मॉड्यूल 12 गतिविधि 1: अवलोकन कौशल और विज्ञान सीखना
अवलोकन कौशल बच्चो के विज्ञान सीखने में किस प्रकार से सहायक होते हैं?
प्रत्येक विषय की विज्ञान विषय के भी कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिनकी प्राप्ति हेतु विज्ञान का विषय के रूप में अध्ययन किया जाता है। विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल अत्यन्त ही आवश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता होताहै। गतिविधि: मोमबत्ती का अवलोकन माइकल फैराडे, जिन्होंने कई विज्ञान के प्रयोग किए व विभिन्न नियम प्रतिपादित किए, का एक अनुभव यहाँ उदाहरण के लिए जोड़ना चाहूँगा। फैराडे प्रयोगशाला में कार्य करने के अलावा विद्यार्थियों को पढ़ाया भी करते थे। फैराडे ने मोमबत्ती (उस समय प्रकाश बत्ती) पर साठ अवलोकन किए थे। यह उदाहरण मैं इसलिए दे रहा हूँ जिससे कि हम यह देख सकें कि एक सामान्य, दैनिक जीवन से जुड़े कार्य को किस हद तक गहराई से देखा व अनुभव किया जा सकता है। फैराडे ने भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों से विज्ञान विषय पर चर्चा की, जिसमें प्रयोग से सम्बन्धित बिन्दुओं जैसे मोम के पूर्व स्वरुप व अब के स्वरूप पर भी चर्चा करते थे। इस चर्चा में वे प्रकाशबत्ती के इतिहास को भी शामिल किया करते थे। इसे हम ज्ञान के विकास के रूप में देख सकते हैं। किसी भी विषय के नवीन ज्ञान के सृजन से पूर्व उसकी पूर्व जानकारी आवश्यक है जो की आगे किए जाने वाले कार्यों का मार्ग प्रशस्त करती है। 1. बिना जलाए मोमबत्ती का अवलोकन 2. जलाकर क्या परिवर्तन आते हैं 3. बुझाने पर क्या परिवर्तन होते हैं तीनों परिस्थितियों में प्राप्त अवलोकन प्राप्त हो सकते है जैसे-मोम में अवस्था परिवर्तन, जलने पर निकलने वाली गैस, रंग, अवशेष का प्रकार आदि। इस गतिविधि की विशेष बात थी अवलोकन करने का तरीका, सीमा से बाहर निकलकर सोचना अथवा पूर्व धारणाओं से अलग सोचना। यह नयापन बच्चों को कुछ नया सीखने की ओर ले जाता है। इस प्रकार अनुभव के आधार पर उनमे नई धारणा का जन्म होता है, इस प्रकार बच्चे किसी वैज्ञानिक तथ्य को अवलोकन कौशल के द्वारा सहज रूप में ही सीख सकते हैं। धन्यवाद !!!!!!!
विज्ञान में अवलोकन का महत्व इतना है जितना शरीर में मन का. जैसे हम शरीर की के अंगों की गतिविधियां एवं उनका सूक्ष्म चिंतन करने पर इन ज्ञानेंद्रियों की कार्यप्रणाली उपयोग आदि से परिचित होते हैं अर्थात मन या बुद्धि के द्वारा हम शरीर के सभी अंगों उनके सभी कार्यों उपयोग एवं समस्त जानकारी समझ लेते हैं जान लेते हैं उसी प्रकार वस्तुओं का को देखकर उनको सॉन्ग कर ध्वनियों को सुनकर स्पर्श करके स्वाद लेकर हम वस्तुओं पदार्थ को के स्वभाव को समझ सकते हैं जैसे नमक देखने में देखने में सफेद रंग का पर्स में स्पर्श करने में कठोर स्वाद में खारा सूंघने में गंध हीन है इसी प्रकार अन्य पदार्थों तत्व आदि के भौतिक गुण को हम अवलोकन के द्वारा ही तो जानते हैं इस तरह अवलोकन विज्ञान में सबसे प्रमुख भूमिका का निर्वहन करता है
बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए बच्चों को तार्किक शक्ति मानसिक शक्ति का विकास होना चाहिए मन में विज्ञान के प्रति जागरूकता उत्पन्न होना चाहिए विज्ञान को समझने के लिए उनके मन में अवलोकन निरीक्षण इस प्रकार की चिड़िया होना चाहिए कि वह हर गतिविधियों का अवलोकन कर सके निरीक्षण कर सके और उसे परिणाम प्राप्त कर सके इससे उनकी तार्किक शक्ति बढ़ेगी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न होगा
अन्य विषयों कि तरह विज्ञान विषय के भी कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिनकी प्राप्ति हेतु विज्ञान का एक विषय के रूप में अध्ययन किया जाता है। विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल परमावश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता है। गतिविधि: मोमबत्ती का अवलोकन माइकल फैराडे जिन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए व विभिन्न नियम प्रतिपादित किए का एक अनुभवजनित उदाहरण यहां प्रस्तुत है। फैराडे प्रयोगशाला में कार्य करने के अलावा विद्यार्थियों को शिक्षण अधिगम भी कराते थे। फैराडे ने मोमबत्ती (तत्कालीन प्रकाशबत्ती) पर लगभग 60 अवलोकन किए थे। यह उदाहरण मैं इसलिए महत्वपूर्ण है कि इससे हम यह देख सकें कि एक सामान्य दैनिक जीवन से जुड़े कार्य को किस हद तक गहराई से देखा व अनुभव किया जा सकता है। फैराडे ने भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों से विज्ञान विषय पर चर्चा की जिससे सम्बन्धित बिन्दुओं जैसे मोम के पूर्व स्वरुप व बाद के स्वरूप पर भी चर्चा करते थे। इस चर्चा में वे प्रकाशबत्ती के इतिहास को भी शामिल किया करते थे। इसे हम ज्ञान के विकास के रूप में देख सकते हैं। किसी भी विषय के नवीन ज्ञान के सृजन से पूर्व उसकी पूर्व जानकारी आवश्यक है जोकि आगे किए जाने वाले कार्यों का मार्ग प्रशस्त करती है- 1. बिना जलाए मोमबत्ती का अवलोकन। 2. जलाकर क्या परिवर्तन आते हैं। 3. बुझाने पर क्या परिवर्तन होते हैं। उक्त तीनों परिस्थितियों में भिन्न भिन्न अवलोकन प्राप्त हो सकते है जैसे-मोम में अवस्था परिवर्तन,जलने पर निकलने वाली गैस, रंग एवं अवशेष का प्रकार आदि। इस गतिविधि कि विशेष बात यह थी कि अवलोकन करने का तरीका,सीमा से बाहर निकलकर सोचना अथवा पूर्व धारणाओं से अलग सोचना। यह नयापन बच्चों को कुछ नया सीखने की ओर ले जाता है। इस प्रकार अनुभव के आधार पर उनमे नई धारणा का जन्म होता है। इस प्रकार बच्चे किसी वैज्ञानिक तथ्य को अवलोकन कौशल के द्वारा सहज रूप में ही सीख सकते हैं।
अन्य विषयों कि तरह विज्ञान विषय के भी कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिनकी प्राप्ति हेतु विज्ञान का एक विषय के रूप में अध्ययन किया जाता है। विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल परमावश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता है। गतिविधि: मोमबत्ती का अवलोकन माइकल फैराडे जिन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए व विभिन्न नियम प्रतिपादित किए का एक अनुभवजनित उदाहरण यहां प्रस्तुत है। फैराडे प्रयोगशाला में कार्य करने के अलावा विद्यार्थियों को शिक्षण अधिगम भी कराते थे। फैराडे ने मोमबत्ती (तत्कालीन प्रकाशबत्ती) पर लगभग 60 अवलोकन किए थे। यह उदाहरण मैं इसलिए महत्वपूर्ण है कि इससे हम यह देख सकें कि एक सामान्य दैनिक जीवन से जुड़े कार्य को किस हद तक गहराई से देखा व अनुभव किया जा सकता है। फैराडे ने भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों से विज्ञान विषय पर चर्चा की जिससे सम्बन्धित बिन्दुओं जैसे मोम के पूर्व स्वरुप व बाद के स्वरूप पर भी चर्चा करते थे। इस चर्चा में वे प्रकाशबत्ती के इतिहास को भी शामिल किया करते थे। इसे हम ज्ञान के विकास के रूप में देख सकते हैं। किसी भी विषय के नवीन ज्ञान के सृजन से पूर्व उसकी पूर्व जानकारी आवश्यक है जोकि आगे किए जाने वाले कार्यों का मार्ग प्रशस्त करती है- 1. बिना जलाए मोमबत्ती का अवलोकन। 2. जलाकर क्या परिवर्तन आते हैं। 3. बुझाने पर क्या परिवर्तन होते हैं। उक्त तीनों परिस्थितियों में भिन्न भिन्न अवलोकन प्राप्त हो सकते है जैसे-मोम में अवस्था परिवर्तन,जलने पर निकलने वाली गैस, रंग एवं अवशेष का प्रकार आदि। इस गतिविधि कि विशेष बात यह थी कि अवलोकन करने का तरीका,सीमा से बाहर निकलकर सोचना अथवा पूर्व धारणाओं से अलग सोचना। यह नयापन बच्चों को कुछ नया सीखने की ओर ले जाता है। इस प्रकार अनुभव के आधार पर उनमे नई धारणा का जन्म होता है। इस प्रकार बच्चे किसी वैज्ञानिक तथ्य को अवलोकन कौशल के द्वारा सहज रूप में ही सीख सकते हैं।
बच्चो को अवलोकन कार्य कराने से उनमें विषयवस्तु के बारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न होता हैं और इस प्रकार अर्जित ज्ञान स्थायी रूप से उनकी स्मृति में रहता हैं, सीखने की यह बहुत की कारगर पद्धति हैं
अवलोकन के द्वारा किसी भी चीज को समझने में आसानी होती है यह हम सभी जानते हैं और छोटे बच्चों के लिए किसी भी चीज को देखकर उसे समझना और भी सरल होता है जब वह किसी चीज को देखते हैं तो उसके बारे में विचार करते हैं उसको देखकर आसानी से समझ पाते हैं जैसे हम आसपास के वातावरण की बात करें पेड़ पौधों की बात करें तो बच्चे अलग-अलग प्रकार की पौधों को देखकर उनकी पत्तियों को देखकर उन्हें समझ में आ जाता है कि यह अलग प्रकार का पौधा है यह दूसरे प्रकार का पौधा है क्योंकि इनकी पत्तियों में तने में अंतर होता है और वह देखकर उस चीज को आसानी से समझ पाते हैं इससे उनकी वैज्ञानिक सोच समझ विकसित होने में बढ़ावा मिलता है और बहन की स्मृति में भी अधिक समय तक रहता है
विज्ञान अवलोकन कौशल का विषय है।पौधो व अन्य जीवो के अंगों की जानकारी उनके अवलोकन करने से ही प्राप्त होती है।सभी सजीवो में बृद्धि व विकास सतत अवलोकनो से ही प्राप्त होता है।अतः अवलोकन नवीन खोजों की समझ विकसित करने का आधार है।
विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमे प्रयोग अवलोकन कौशल विकसित विकसित किया जाता है पेड़ पौधों की जानकारी पेड़ पौधों के अवलोकन से ही प्राप्त होती है सजीवों मे वृद्धि विकास की जानकारी सतत अवलोकन से ही ज्ञात होती है अतः अवलोकन विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है
विज्ञान एक विषय है जिसमें एक महत्वपूर्ण कौशल अवलोकन है विज्ञान को हम बच्चों को अवलोकन करा कर बहुत ही सरल ता से पाठ्यवस्तु समझा सकते हैं जैसे पौधे झाड़ी और पेड़ का तुलनात्मक अध्ययन करके हम बच्चों को पौधे झाड़ी और पेड़ के बारे में बता सकते हैं उनका अवलोकन कर सकते हैं आपस में तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं इससे बच्चों को सरलता से पौधे झाड़ी और पेड़ में अंतर समझा सकते हैं प्रकार हम बच्चों में अवलोकन का कौशल विकसित कर सकते हैं
अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं और दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। इसमें उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है।
बच्चे करके जल्दी सीखते है इसलिए अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने से लगभग वास्तविक रूप देखते हैं और बच्चो के दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
अवलोकन जिज्ञासा का ही बीज है, अर्थात् अवलोकन का प्रादुर्भाव जिज्ञासा से ही हुआ है।विज्ञान विषय विद्यार्थियों में करके सीखने के गुण का विकास करता है। प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को पौधें के बारे में पढ़ाना है तो हम विद्यार्थियों के एक पौंधा लेकर आने के लिए कहेंगे फिर लाये गये पौधें के अवलोकन पश्चात विद्यार्थियों से पौधें के अंग पूछेंगे । विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त उत्तर पर चर्चा करेंगे उन्हें पौधें के अंग जड़ , तना , पत्ती ,फूल और फल के बारे में जानकारी देंगे । जब विद्यार्थी अवलोकन करेंगे तो उन्हें पौधे के अंग रटने की जरूरत नहीं पड़ेगी वह अवलोकन से चिरस्थाई ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह अवलोकन कौशल से विद्यार्थियों में स्वयं करके सीखने की आदत का विकास होता है । विज्ञान में यह कौशल सुव्यवस्थित सीखने और चिरस्थाई ज्ञान प्रदान करता हैं।
vigyan aur lukka ka vishay hai aur local karne se bacche kisi bhi vishay vastu ko jaldi nahin bhul padhte unke mansik patal per Awasthi roop se ghar banaa leti hai aur vah jaldi se jaate Hain
बच्चे करके जल्दी सीखते हैं इसलिए अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने से लगभग वास्तविक रूप देखते हैं और बच्चों के दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
जन्म के साथ ही हम हर चीज को जिज्ञासा से देखते हे ओर समझने का प्रयास करते हे । अवलोकन के द्वारा ही विज्ञान के प्रति उत्सुकता उत्पन्न होती है।इसे शांत करने मे जो भी प्रयास किए जाते हे वे विज्ञान सीखने का जरिया हे ।बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। इसमें उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है।
अवलोकन कौशल विज्ञान सीखने की एक महत्वपूर्ण गतिविधि है।मानव स्वभाव करके सीखने को ज्यादा महत्व देता है।छात्रो के लिये भी अवलोकन करके सीखना एक आनंददायी शिक्षण होता है जो ज्यादादिनो तक मन मे स्थापित रहता है।हम प्राथमिक स्तर पर मछली,मेढक की शारिरिक विशेषताओ ंर कार्यप्रणाली का वर्णन छात्रो के सामने करते है तो यह एक ऊबाऊ शिक्षण हो सकता है पर जब यही शिक्षण हम किसी तालाब या नदि के पास जाकर या टेबल पर प्रत्यक्ष मछली,मेढक रखकर उनकी विशेषताओ और कार्यप्रणाली पर वर्णन करते हुये अवलोकन कराते है तो यह अधिक प्रभावी और सरल और स्पष्ट हो जाता है।अतः अवलोकन कौशल विज्ञान सीखने मे अत्यंत ही सहायक है।अनिल केचे,स.शि.,शा.प्रा.शा.भरियाढाना, पातालकोट,तामियाँ, छिंदवाड़ा, म.प्र.
अवलोकन कौशल नवीन खोजों व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधारा है। एक पौधे की विकास यात्रा में बीजों के अंकुरण से लेकर पौधे के पूर्ण विकास की प्रक्रिया और उसमेँ सहयोग करने वाले तत्व मिट्टी, पानी, सूर्य का प्रकाश पौधे की मानव पर व मानव की पौधे पर निर्भरता सभी कुछ अवलोकन कौशल से प्राप्त किया जा सकता है।
Avlokan jigysa Ka beej hai jab jigysa Hoti hai to ni khoj Hoti hai Nye parinam atae hain .vigyan avlokan koshal Ka hi subject hai sajivo ki growth or satat Vikas avlokan se hi gyat Hota hai avlokan ke dwara hi savhi ko samajhnae Mai aasani Hoti hai tatha bacchon ko bhi Kisi bhi vastu ko dhyan poorvak .dhikhakar tatha avlokan dwara samjhaya ja Sakta hai
Avlokan Kaushal Navin khojo aur vigyan ke liye mahatva purne hota hai. नरेंद्र कुमार मिश्रा माध्यमिक शिक्षक शासकीय माध्यमिक शाला atania. विकास खण्ड वा जिला छतरपुर मध्य प्रदेश ।
अवलोकन का अर्थ है देखना और विज्ञान के संदर्भ में अवलोकन का अर्थ है भली प्रकार से देखना और साथ ही परखना जांच पड़ताल करना बच्चे विज्ञान की अधिकांश अवधारणाएं और सिद्धांत अवलोकन करके ही सीखते-समझते हैं
विज्ञान की परिभाषा भी कहती हैं कि
" किसी वस्तु/घटना के क्रमबद्ध ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं "
जब बच्चा किसी वस्तु को विज्ञान के संदर्भ में सीखना चाहता है तो सबसे पहले वह उसका भली-भांति अवलोकन करता है उसके बाद विभिन्न प्रयोग या परीक्षण करके उसके बारे में अपनी अवधारणा विकसित करता है अर्थात् विज्ञान में अवलोकन का बहुत ही ज्यादा महत्व है.... इसलिए विज्ञान शिक्षण में अवलोकन कौशल के विकास की बहुत आवश्यकता है......
इसके सहयोग के बिना विज्ञान शिक्षण सिर्फ तोता-रटंत बनकर रह जाएगा...
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा. नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा अवलोकन कौशल का सीखने में बहुत महत्व है। अवलोकन कौशल सीखने सीखाने का सरल एवं प्रभावी तरीका है ।यह विषय से संबंधित ज्ञान को स्थाई बनाता है।
अवलोकन कौशल विज्ञान विषय सीखने में बहुत सहायक होते है जैसे किसी इमारत का अवलोकन करने पर उसका आकार निर्माण एवं निर्माण सामग्री रंगरूप क्या है क्यों है कैसे है किसलिए है आदि के बारे में वैज्ञानिक सोच एवं समझ विकसित होगी
अवलोकन करके सीखना हर किसी के लिए ज्यादा टिकाऊ एवं जल्दी सीखा जा सकता है जैसे हमे किसी वाहन को चलाना है अथवा वाहन कौन-कौन से पुर्जों को मिला कर बनाया जा ता है उन कल पुर्जों का नाम तथा काम क्या है छूकर व देखकर जल्दी जान सकते हैं
अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है।बच्चों में किसी विषय वस्तु के प्रति स्थाई समझ बन जाती है।जैसे कि प्राथमिक शाला के कक्षा 4 के बच्चों को पेड़ पौधों के बिषय में समझ विकसित करना है।तो बच्चों को चित्र के द्वारा, वीडियो के द्वारा, तो बता सकते हैं।मगर किसी बगीचे में ले जाकर अवलोकन के द्वारा बताया जाना कि जड़ तना पत्ते फल बीज शाखा आदि के विषय में एक परिपक्व समझ विकसित की जा सकती है।
अवलोकन कौशल ही विज्ञान सीखने का मुख्य आधार है l किसी भी पौधे या जीवों के बारे में जानकारी हम उसे सामने देखकर अच्छे से प्राप्त कर सकते हैं और उसे हम कभी भी नहीं भूल सकते l क्योंकि विज्ञान विषय की समझ केवल अवलोकन कौशल से ही विकसित की जा सकती है l
विज्ञान और प्रयोग एक दूसरे के पूरक हैं। अवलोकन से बच्चों में जिज्ञासा उत्पन्न होती है,कि ऐसा क्यों होता है? यही जिज्ञासा बच्चे की वैज्ञानिक रुचि को जागृत करती है एवं तार्किक दृष्टिकोण उत्पन्न होता है।
बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए बच्चों को तार्किक शक्ति मानसिक शक्ति का विकास होना चाहिए मन में विज्ञान के प्रति जागरूकता उत्पन्न होना चाहिए विज्ञान को समझने के लिए उनके मन में अवलोकन निरीक्षण इस प्रकार की चिड़िया होना चाहिए कि वह हर गतिविधियों का अवलोकन कर सके निरीक्षण कर सके और उसे परिणाम प्राप्त कर सके इससे उनकी तार्किक शक्ति बढ़ेगी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न होगा
अवलोकन क्वेश्चन विज्ञान सीखने में सबसे ज्यादा सहायक सिद्ध होता है क्योंकि जब हम अवलोकन की बात करते हैं मान लीजिए हमने किसी बच्चे को, पौधे का बढ़ना उसकी ग्रोथ सिखाने के लिए शाला प्रांगण में एक पौधा लगाया और बच्चे को काम दिया कि वह नियमित उसको देखेगा और कॉपी में नोट करेगा कि उस में क्या बदलाव दिखाई दे रहा है जैसे ही हम बच्चे को यह बताते हैं वह फौरन ही विषय वस्तु को इंगित करता है तुरंत ही उसका सारा ध्यान पौधे पर केंद्रित हो जाता है स्वता ही वह योजनाबद्ध समय के हिसाब से उसको देखता है उसमें प्रतिपादित बदलाव हो नोट कटता है उसके बारे में सोचता है रियो प्रस्तुतीकरण परिकल्पना यह सभी सूत्र विज्ञान की कसौटी पर बच्चे में निरीक्षण आकलन अवलोकन को मजबूत बनाते हैं साथ ही तार्किक क्षमता के आधार पर नतीजे तक पहुंचाते हैं
बच्चों को अवलोकन कौशल द्वारा विज्ञान की विषयवस्तु से सम्बन्धित अधिकांश प्रक्रिया को जीवंत रुप में दिखाया या समझाया जा सकता है , जिससे बच्चे केवल पुस्तक के ज्ञान को प्रत्यक्ष रुप से परिभाषित कर सकते हैं
अवलोकन से जिज्ञासा बड़ती हैं , बच्चा जब अलग-अलग घटनाओं का अलग-अलग ढंग से अवलोकन करता हैं तो उसमें उसके संबंध में जानकारी लेने की स्वाभाविक इच्छा जाग्रत होती हैं। फिर वह उससे संबंधित तथ्य और सत्य जानने हेतु जागरूक हो सकता हैं। और अधिगम क्षमता का विकास कर सकता हैं।
अवलोकन कौशल विज्ञान विषय सीखने में बहुत सहायक होते है जैसे किसी इमारत का अवलोकन करने पर उसका आकार निर्माण एवं निर्माण सामग्री रंगरूप क्या है क्यों है कैसे है किसलिए है आदि के बारे में वैज्ञानिक सोच एवं समझ विकसित होगी
विज्ञान का अवलोकन करने में बच्चों को नया अनुभव होता है पेड़-पौधे कैसे अपना पोषण करते है हम अपने आस-पास के जीवन, प्रकृति,आस-पास की वस्तुएं से बच्चे बहुत कुछ सीख सकते है
श्रीमती हेमलता नापित शासकीय माध्यमिक शाला खारपी फंदा ग्रामीण भोपाल छात्र अपने आसपास के दैनिक जीवन में होने वाले अवलोकन एवं कौशल से विज्ञान को आसानी से सीख सकते हैं विज्ञान अवलोकन और कौशलों पर ही आधारित है
अवलोकन कौशल से विद्यार्थी आसानी से एवं सरल तरीके से विज्ञान सीख सकते हैं पौधों में जीव जंतुओं आदि अनेक वस्तुओं के बारे में सीखने परीक्षण करने आदि के लिए उन्हें सतत अवलोकन कराने से शीघ्र उनके गधी विकास हसन आदि की जानकारी सीख जाते हैं बच्चों की समझ विकसित होती है विज्ञान के अनेक प्रयोग अवलोकन कौशल से ही सीख पाते हैं अतः अवलोकन कौशल विज्ञान सीखने के लिए महत्वपूर्ण है
अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं और दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
अवलोकन जिज्ञासा का प्रथम स्तर है।जिज्ञासा ही विज्ञान सीखने का मार्ग है।जिज्ञासावश ही बच्चे किसी बस्तु का अवलोकन, प्रश्न, विश्लेषण, खोज, परीक्षण, प्रयोग, सूत्र निर्माण, एवं विचार प्रकट करते हैं.अतः हम अवलोकन कर विज्ञान के उद्देश्य तक पहुंच सकते है।
अवलोकन यानि....... देखने का नजरिया .. प्रत्येक व्यक्ति का अलग अलग नजरिया होता है, कुछ बच्चे तार्किक रूप से देखते हैं तो कुछ सामान्य तरीके से देखते.. जैसे फली लगा हुआ जड़🌱🌿 सहित एक पौधा टेबल पर रखा हुआ है और बच्चों को बारी बारी से बुलाया जाता है तो कुछ जड़, तना पत्ती फूल आदि बताएंगे कुछ फल🍎🍊🍌🍉🍇🍒🍍 भी बताएंगें.. कुछ फली कहेंगे कुछ बीज भी बताएंगें... तो ये उनका देखने और सोचने का नजरिया है. विज्ञान में अवलोकन का बहुत अधिक महत्व है.... मधुसूदन शर्मा.उच्च श्रेणी. शिक्षक. शासकीय माध्यमिक विद्यालय कोठीबाजार होशंगाबाद
विज्ञान में अवलोकन का महत्व इतना है जितना शरीर में मन का. जैसे हम शरीर की के अंगों की गतिविधियां एवं उनका सूक्ष्म चिंतन करने पर इन ज्ञानेंद्रियों की कार्यप्रणाली उपयोग आदि से परिचित होते हैं अर्थात मन या बुद्धि के द्वारा हम शरीर के सभी अंगों उनके सभी कार्यों उपयोग एवं समस्त जानकारी समझ लेते हैं जान लेते हैं उसी प्रकार वस्तुओं का को देखकर उनको सॉन्ग कर ध्वनियों को सुनकर स्पर्श करके स्वाद लेकर हम वस्तुओं पदार्थ को के स्वभाव को समझ सकते हैं जैसे नमक देखने में देखने में सफेद रंग का पर्स में स्पर्श करने में कठोर स्वाद में खारा सूंघने में गंध हीन है इसी प्रकार अन्य पदार्थों तत्व आदि के भौतिक गुण को हम अवलोकन के द्वारा ही तो जानते हैं इस तरह अवलोकन विज्ञान में सबसे प्रमुख भूमिका का निर्वहन करता है
अवलोकन द्वारा बच्चे मे किसी भी object की समझ की दिशा की प्रेरणा और प्रक्रिया जाग्रत होती है । उसमे उत्सुकता और एक दिशा मे काम करने की सोच बनती है । जो उसे एक खोज की ओर प्रेरित करती है ।
प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को पौधें के बारे में पढ़ाना है तो हम विद्यार्थियों के एक पौंधा लेकर आने के लिए कहेंगे फिर लाये गये पौधें के अवलोकन पश्चात विद्यार्थियों से पौधें के अंग पूछेंगे । विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त उत्तर पर चर्चा करेंगे उन्हें पौधें के अंग जड़ , तना , पत्ती ,फूल और फल के बारे में जानकारी देंगे ।
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार हैअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढ़ाव होता है ।इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है ।साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है ।
प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को पौधें के बारे में पढ़ाना है तो हम विद्यार्थियों के एक पौंधा लेकर आने के लिए कहेंगे फिर लाये गये पौधें के अवलोकन पश्चात विद्यार्थियों से पौधें के अंग पूछेंगे । विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त उत्तर पर चर्चा करेंगे उन्हें पौधें के अंग जड़ , तना , पत्ती ,फूल और फल के बारे में जानकारी देंगे ।
बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्त्वपूर्ण पढाव है। इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। जिससे वे नये-नये प्रयोग सीखते हैं वे नया कुछ करने की जिज्ञासा विकसित होती है। श्रीमती श्रीलेखा तारे शा.प्रा.वि.सुभाषक्र.२रतलाम
अवलोकन जिज्ञासा का बीज है। अर्थात जिज्ञासा का प्रादुर्भाव अवलोकन से ही होता है ।जिज्ञासा तथ्यों के पीछे निहित सिद्धांतों, मतों को सावित करने के लिए साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए प्रयोग करने और उन्हें सिध्द करने के लिए प्रोत्साहित करती है। चूंकि विज्ञान साक्ष्य पर आधारित है, इसलिए यह तार्किक है।
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगों की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं ! सजीवों मे वृद्धि और विकास , सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज का अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
Ab lokan Kaushal se a bacchon mein vaigyanik drishtikon utpann hota hai vishwam Karke satta ki kasauti par pass kar parinaam on ko jante Hain Jo jo tarikh samta ko banata hai aur aur vigyan vishay ko padhne mein rochak tathya utpann karta hai.
अवलोकन कौशल बच्चों के विज्ञान सीखने में किस प्रकार सहायक होता है तो अवलोकन करने से बच्चे किसी भी चीज को आसानी से सीखजाते हैं और उनके दिमाग में स्थाई रूप से प्रवेश करता है जैसे हमें बच्चों को हमारे देश की रबी खरीफ की फसल के बारे में बताना है तो हम उनके रबी और खरीफ फसल दिखाकर समझा सकते हैं।
अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं और दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है। अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। वृद्धि और विकास सतत अवलोकन सेही ज्ञान होता है। अतः अवलोकन नवीन खोजों का एवं विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है। विज्ञान में अनेक प्रकार की गतिविधियां होती है। विघार्थियों से पौधे के अंग पूछेंगे । विघार्थियों द्बारा प्राप्त उत्तर पर चर्चा करेंगें उन्हें पौधे के अंग जड़ ,तना,पत्ती, फूल और फल के बारे में जानकारी देंगे।
विज्ञान अवलोकन कौशल के द्वारा ही सीखा जाता है l जीव जंतु या वनस्पति आदि के बारे में जानकारी अवलोकन से ही प्राप्त होती है अत: अवलोकन कौशल विज्ञान शिक्षण का मूल आधार है l
अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
अवलोकन कौशल बच्चो के विज्ञान सीखने में सहायक होते हैं|इससे बच्चे में जिज्ञासा, तर्कशक्ति ,विश्लेषण ,परिणाम निकालने की समझ का विकास होता है तथा बच्चे का ज्ञान सुदृढ़ होता है तथा स्वयं अवलोकन करने से बच्चे मेंआत्मविश्वास विश्वास प्रबल होता है| रानी पटेल प्राथमिक शिक्षक
अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है पौधों के अंगों की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती है सजीव में वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही प्राप्त होता है इसलिए अवलोकन नई नई खोजों का वह विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है पौधों के अंगों की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती है सजीव में वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही प्राप्त होता है इसलिए अवलोकन नई नई खोजों का वह विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है
अवलोकन करने से सामग्री की पहचान कतेहैपौधो के तंतुओं, फूलों अवलोकन करबनावट कार्य सुगंध के आधार पर करताहै सामग्रियों जीवों को पृथक करता हैघुलनशील,अघुलनशील पारदर्शी पारभासी अपारदर्शी के रूप में जड़ी बूटी तो झाड़ियों पेड़ों लता जैविक अजैविक के रूप में आदि सवालों के जवाब तलाशने के लिए सरल अवलोकन कर प्रोत्साहित होंगे खोजबीन करते अभिव्यक्तियों को मापता है प्रश्र प्रस्तुतकरता है।
विद्यालय नेतृत्व का छात्र अधिगम पर प्रभाव (चार प्रकार), इस अवधारणा को आप अपने विद्यालय के संदर्भ में कैसे क्रियान्वित करेंगे? चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता बनने के लिए आप में क्या प्रमुख गुण होने चाहिए? उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं- पहल करना सकारात्मक दृष्टिकोण रखना स्वप्रेरित होना परिवर्तन लाने के लिए सतत प्रयत्नशील रहना आपके अनुसार प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता में अन्य कौन-कौन से गुण होने चाहिए? चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें।
बताएँ कि कैसे कला समेकित शिक्षा का अनुभव छात्रों को आपके विषयों के सार्थक सीखने में लाभान्वित कर सकता है चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
Evs ko daily routine se jodkar ur class room se bahar, Out of box ki theam pr sikhana labh prad hoga
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
ReplyDeleteपौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे
वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
नया क्षेत्र घट जायेगा
ReplyDeleteAvalokan karne aur,karke,sikhane se bacchon ko padhana aasan hai
DeleteObservation skills helps in widening the conceptual understanding by children of things around them and also in promoting their natural curiosity.It also enhance students scientific attitude and learning
ReplyDeleteप्राथमिक शिक्षक के दृष्टिकोण से विज्ञान सीखाने में अवलोकन कौशल का महत्व-
ReplyDeleteएक दिन हम अपनी चौथी कक्षा के कक्ष में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवा रहा थे।
जब हम ने छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछा तो कुछ ने- जड़,तना,फूल,पत्ती के रूप में जवाब दिए और कुछ शांत बैठे रहे।हमने उनसे प्रश्न किया-क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..?
एक छात्र ने खड़े होकर जवाब दिया- है सर।
अब पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर हमें दिखाना था। नवंबर का महीना था। कक्षा कक्ष के सामने लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार "मकुईया" के छोटे पौधे की ओर इशारा करते हुए हमने,एक छात्र से कहा-इसे जड़ सहित लेकर आएं। छात्र जड़ सहित पौधा ले आया।
अब कक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर था। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l
अरे..वाह..! इसमें तो राई के दानों से भी,छोटे-छोटे बीज हैं..!
अब छात्रों की जिज्ञासा और आकर्षण पूरी तरह बढ़ चुका था। चार-चार छात्रों के विषमागी समूह निर्धारित किये। क्रमशः एक- एक समूह को,अपने हाथ से छू कर जड़ से शुरू करते हुए बारी- बारी से पौधे के अंग बोलने को कहा। शिक्षक द्वारा ग्रीन बोर्ड पर पौधों के अंगों को क्रमशः लिखा गया।(जड़,तना,डाली,पत्ती,फूल फल,और फल के अंदर आंतरिक अंग बीज )जब दूसरे तीसरे और चौथे समूह द्वारा यह प्रक्रिया दोहराई गई तब शिक्षक द्वारा ग्रीन बोर्ड पर लिखे पौधों के अंगों को अलग-अलग रंग की रंगीन चाको द्वारा समूहवार टिक लगा कर चिन्हित किया गया।
पर्यावरण अध्ययन से जोड़कर प्राथमिक स्तर पर विज्ञान सीखाने की यह सूक्ष्म और अवलोकनात्मक गतिविधि छात्रों में विज्ञान विषय के प्रति अवलोकन कौशल का विकास करती है। छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करने के लिए हम उनसे कुछ इस प्रकार के प्रश्न भी पूछ सकते हैं। ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका ताना नहीं होता..?
ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ जाती है..?
ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है..?
इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते हैं, जिससे छात्रों में उच्च माध्यमिक और हाईस्कूल स्तर पर विज्ञान सीखने के प्रति रुचि उत्पन्न होगी।
धन्यवाद...
संतोष कुमार अठया
शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा
जिला-दमोह (मध्य प्रदेश)
शाला डाइस कोड-23120300502
मोबाइल नंबर- +919893106699
Observation skill helps in widening their knowledge and increse their curiosity of learning .
ReplyDeleteObservation skill helps in widening their knowledge and increse their curiosity of learning.
Deleteअवलोकन कौशल का सीखने सीखाने में बहुत महत्व है। हम स्वाभाविक रूप से अवलोकन करते हुए ही अपनी समझ को परिपक्व करने का प्रयास करते रहे हैं।
ReplyDeleteउदाहरण के लिए चौथी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवाना है।
अब हम छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछें तो कुछ छात्र जड़,तना,फूल,पत्ती के बारे में अपने विचार व्यक्त कर जवाब देते हैं और कुछ शांत बैठे । हम उनसे प्रश्न करें कि -क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..?
छात्रों में जिज्ञासा बढ़ेंगी
अब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर रखकर दिखा सकते हैं। विद्यालय के आसपासकक्षा कक्ष के लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कह सकते हैं। जब छात्र जड़ सहित पौधा ले आये तोकक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर रहेगा। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l
अरे..वाह..! इसमें तो राई के दानों से भी,छोटे-छोटे बीज हैं..!
अब छात्रों की जिज्ञासा और आकर्षण पूरी तरह बढ़ जाएगा। दो-दो या तीन-तीन छात्रों के समूह निर्धारित करते हुएक्रमशः एक- एक समूह को,अपने हाथ से छू कर जड़ से शुरू करते हुए बारी- बारी से पौधे के अंगों के बारे में बताने का अवसर दिया जाए। और हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर पौधों के अंगों को क्रमशः लिखा जाना चाहिए।(जड़,तना,डाली,पत्ती,फूल फल,और फल के अंदर आंतरिक अंग बीज )जब दूसरे तीसरे और चौथे समूह द्वारा यह प्रक्रिया दोहराई जाए तब भी हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर लिखे पौधों के अंगों को अलग-अलग रंग की रंगीन चाको द्वारा समूहवार टिक लगा कर चिन्हित किया जाना चाहिए।
पर्यावरण अध्ययन से जोड़कर प्राथमिक स्तर पर सीखाने की यह सूक्ष्म गतिविधि छात्रों में सीखने और समझने के प्रति अवलोकन कौशल का विकास करती है। छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करती है।
हम उनसे अभ्यास के लिए इस प्रकार के प्रश्न भी पूछ सकते हैं जैसे- ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना नहीं होता..?
ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ गहरी जाती है..?
ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है..?
ऐसे कौन कौन से पौधे या बेल हैं जिनकी जड़ ही नहीं होती ..?
इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते है।
Observation skills helps to inculcate in them the level of performing any activity.Being able to observe and gather information about the world.Improving your observation skills allows you to listen more than your ears and make better decisions.It enhances your abilities to interact with others.
ReplyDeleteअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
ReplyDeletevigyan ko dainic jeewan ki samasyao ko hal karne ke liye kana chahiye
ReplyDeleteVigyan alokin base per hi aadharit vishay hai ismein pahle kisi bhi prakriya ko ya kisi bhi dharna ko samajhne ke liye Dhyan purvak dekhna usse akad ekatrit karna aur uske pakshat avdharna ko samajhna hota hai
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteMiddle teachear
ReplyDeleteGMS mahadeva satna M P
डाइस कोड-23130717005
प्रत्येक विषय की विज्ञान विषय के भी कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिनकी प्राप्ति हेतु विज्ञान का विषय के रूप में अध्ययन किया जाता है। विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल अत्यन्त ही आवश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता होताहै।
गतिविधि: मोमबत्ती का अवलोकन
माइकल फैराडे, जिन्होंने कई विज्ञान के प्रयोग किए व विभिन्न नियम प्रतिपादित किए, का एक अनुभव यहाँ उदाहरण के लिए जोड़ना चाहूँगा। फैराडे प्रयोगशाला में कार्य करने के अलावा विद्यार्थियों को पढ़ाया भी करते थे। फैराडे ने मोमबत्ती (उस समय प्रकाश बत्ती) पर साठ अवलोकन किए थे।
यह उदाहरण मैं इसलिए दे रहा हूँ जिससे कि हम यह देख सकें कि एक सामान्य, दैनिक जीवन से जुड़े कार्य को किस हद तक गहराई से देखा व अनुभव किया जा सकता है। फैराडे ने भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों से विज्ञान विषय पर चर्चा की, जिसमें प्रयोग से सम्बन्धित बिन्दुओं जैसे मोम के पूर्व स्वरुप व अब के स्वरूप पर भी चर्चा करते थे। इस चर्चा में वे प्रकाशबत्ती के इतिहास को भी शामिल किया करते थे। इसे हम ज्ञान के विकास के रूप में देख सकते हैं। किसी भी विषय के नवीन ज्ञान के सृजन से पूर्व उसकी पूर्व जानकारी आवश्यक है जो की आगे किए जाने वाले कार्यों का मार्ग प्रशस्त करती है।
1. बिना जलाए मोमबत्ती का अवलोकन
2. जलाकर क्या परिवर्तन आते हैं
3. बुझाने पर क्या परिवर्तन होते हैं
तीनों परिस्थितियों में प्राप्त अवलोकन प्राप्त हो सकते है जैसे-मोम में अवस्था परिवर्तन, जलने पर निकलने वाली गैस, रंग, अवशेष का प्रकार आदि।
इस गतिविधि की विशेष बात थी अवलोकन करने का तरीका, सीमा से बाहर निकलकर सोचना अथवा पूर्व धारणाओं से अलग सोचना। यह नयापन बच्चों को कुछ नया सीखने की ओर ले जाता है। इस प्रकार अनुभव के आधार पर उनमे नई धारणा का जन्म होता है,
इस प्रकार बच्चे किसी वैज्ञानिक तथ्य को अवलोकन कौशल के द्वारा सहज रूप में ही सीख सकते हैं।
अवलोकन कौशल का सीखने सीखाने में बहुत महत्व है। हम स्वाभाविक रूप से अवलोकन करते हुए ही अपनी समझ को परिपक्व करने का प्रयास करते रहे हैं।
ReplyDeleteउदाहरण के लिए चौथी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवाना है।
अब हम छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछें तो कुछ छात्र जड़,तना,फूल,पत्ती के बारे में अपने विचार व्यक्त कर जवाब देते हैं और कुछ शांत बैठे । हम उनसे प्रश्न करें कि -क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..?
छात्रों में जिज्ञासा बढ़ेंगी
अब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर रखकर दिखा सकते हैं। विद्यालय के आसपासकक्षा कक्ष के लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कह सकते हैं। जब छात्र जड़ सहित पौधा ले आये तोकक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर रहेगा। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l
अरे..वाह..! इसमें तो राई के दानों से भी,छोटे-छोटे बीज हैं..!
अब छात्रों की जिज्ञासा और आकर्षण पूरी तरह बढ़ जाएगा। दो-दो या तीन-तीन छात्रों के समूह निर्धारित करते हुएक्रमशः एक- एक समूह को,अपने हाथ से छू कर जड़ से शुरू करते हुए बारी- बारी से पौधे के अंगों के बारे में बताने का अवसर दिया जाए। और हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर पौधों के अंगों को क्रमशः लिखा जाना चाहिए।(जड़,तना,डाली,पत्ती,फूल फल,और फल के अंदर आंतरिक अंग बीज )जब दूसरे तीसरे और चौथे समूह द्वारा यह प्रक्रिया दोहराई जाए तब भी हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर लिखे पौधों के अंगों को अलग-अलग रंग की रंगीन चाको द्वारा समूहवार टिक लगा कर चिन्हित किया जाना चाहिए।
पर्यावरण अध्ययन से जोड़कर प्राथमिक स्तर पर सीखाने की यह सूक्ष्म गतिविधि छात्रों में सीखने और समझने के प्रति अवलोकन कौशल का विकास करती है। छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करती है।
हम उनसे अभ्यास के लिए इस प्रकार के प्रश्न भी पूछ सकते हैं जैसे- ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना नहीं होता..?
ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ गहरी जाती है..?
ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है..?
ऐसे कौन कौन से पौधे या बेल हैं जिनकी जड़ ही नहीं होती ..?
इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते है।
विज्ञान में अवलोकन का महत्व इतना है जितना शरीर में मन का. जैसे हम शरीर की के अंगों की गतिविधियां एवं उनका सूक्ष्म चिंतन करने पर इन ज्ञानेंद्रियों की कार्यप्रणाली उपयोग आदि से परिचित होते हैं अर्थात मन या बुद्धि के द्वारा हम शरीर के सभी अंगों उनके सभी कार्यों उपयोग एवं समस्त जानकारी समझ लेते हैं जान लेते हैं उसी प्रकार वस्तुओं का को देखकर उनको सॉन्ग कर ध्वनियों को सुनकर स्पर्श करके स्वाद लेकर हम वस्तुओं पदार्थ को के स्वभाव को समझ सकते हैं जैसे नमक देखने में देखने में सफेद रंग का पर्स में स्पर्श करने में कठोर स्वाद में खारा सूंघने में गंध हीन है इसी प्रकार अन्य पदार्थों तत्व आदि के भौतिक गुण को हम अवलोकन के द्वारा ही तो जानते हैं इस तरह अवलोकन विज्ञान में सबसे प्रमुख भूमिका का निर्वहन करता है
ReplyDeleteअवलोकन एक बहुत आवश्यक एवं आनंद कार्य है लगभग सभी प्रकार का ज्ञान सभी प्रकार के विषयों का ज्ञान अर्जन करते हैं.
Deleteबच्चा अपने परिवेश होने वाले परिवर्तनों, घटनाओं को नित्य देखता है अर्थात अवलोकन करता है जिससे उसके मन में जिज्ञासा होती है ऐसा क्यों वैसा क्यों? यही आगे विज्ञानिक दृष्टिकोण को जन्म देता है अतः अवलोकन विज्ञान का मूल आधार है।
Deleteअवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं और दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
ReplyDeleteKeen observation is must to learn the science in properly, if some one wants to be scientist and even if all can't be scientists at least they must have scientific vision and attitude, keen observation is essential for it. If anything studied on paper or black board even after watching their diagram, would not suffice, the observation of the same think in nature or in videos, operating models adds fillip to the teaching and subsequently learning by the students. it not only make the topic permanent in memory but also makes the learning interesting. For instance if we are teaching the change in shape of moon and show the two D diagram only, students would still remain confused about the correct explanation about occurring of eclipses on full moon day and on Amavasya or why eclipse cant's occur every month. But if we show them video in natural surrounding by showing tilted orbital of moon and possible combination of shadow of moon appearing on earth thereby causing solar eclipse or shadow of earth covering the moon thereby causing lunar eclipse. Interestingly, fewer students ask such question which also shows that they have keen observation and others are lacking it.
ReplyDeleteIts just like making of structure of anything on CAD CAM system before manufacturing it, as . isn't it.
Keen observation is must to learn the science in properly, if some one wants to be scientist and even if all can't be scientists at least they must have scientific vision and attitude, keen observation is essential for it. If anything studied on paper or black board even after watching their diagram, would not suffice, the observation of the same think in nature or in videos, operating models adds fillip to the teaching and subsequently learning by the students. it not only make the topic permanent in memory but also makes the learning interesting. For instance if we are teaching the change in shape of moon and show the two D diagram only, students would still remain confused about the correct explanation about occurring of eclipses on full moon day and on Amavasya or why eclipse cant's occur every month. But if we show them video in natural surrounding by showing tilted orbital of moon and possible combination of shadow of moon appearing on earth thereby causing solar eclipse or shadow of earth covering the moon thereby causing lunar eclipse. Interestingly, fewer students ask such question which also shows that they have keen observation and others are lacking it.
ReplyDeleteIts just like making of structure of anything on CAD CAM system before manufacturing it, as . isn't it.
Ratnesh Kumar Mishra cac Jsk Tewar Jabalpur ( Rural) Jabalpur Madhya Pradesh
ReplyDeleteविज्ञान विषय विद्यार्थियों में करके सीखने के गुण का विकास करता है। प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को पौधें के बारे में पढ़ाना है तो हम विद्यार्थियों के एक पौंधा लेकर आने के लिए कहेंगे फिर लाये गये पौधें के अवलोकन पश्चात विद्यार्थियों से पौधें के अंग पूछेंगे । विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त उत्तर पर चर्चा करेंगे उन्हें पौधें के अंग जड़ , तना , पत्ती ,फूल और फल के बारे में जानकारी
देंगे । जब विद्यार्थी अवलोकन करेंगे तो उन्हें पौधे के अंग रटने की जरूरत नहीं पड़ेगी वह अवलोकन से चिरस्थाई ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं।
इस तरह अवलोकन कौशल से विद्यार्थियों में स्वयं करके सीखने की आदत का विकास होता है । विज्ञान में यह कौशल सुव्यवस्थित सीखने और चिरस्थाई ज्ञान प्रदान करता हैं।
विज्ञान अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप से देखना चाहते हैं और दिमाग मैं स्थाई ज्ञान का विकास होता है।
ReplyDeleteबच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढ़ाव होता है ।इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है ।साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है ।
ReplyDeleteअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
ReplyDeleteअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
ReplyDeleteबच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढ़ाव होता है ।इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है ।साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है ।
ReplyDeleteBachche swad ka awlokan karte hain to seekhte hain ki namak,shakkar,karela,jal aadi ka swad namkeen,meetha,kadwa,swadheen hota he.is tarah awlokan seeekhne me madad karta he.
ReplyDeleteB.S.Kulaste P.S.Baraudi Distt.Dindori.
Deleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
पौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे
वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार हैअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढ़ाव होता है ।इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है ।साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है ।
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
ReplyDeleteपौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे
वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार हैअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढ़ाव होता है ।इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है ।साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है ।
विझान अवलोकन का आधार है, इस के द्वारा प्राथमिक स्तर के छात्रों को ज्ञान प्राप्त होता है । जैसे पोधो के अंगों के नाम पौधा दिखाकर तना, जड़,पत्तियों आदि के बारे मे बताया जाना आसान हो जाता है।
ReplyDeleteविज्ञान विषय हमारे मन एवं मस्तिष्क में जिज्ञासा को जगाता हैं | जब हम किसी चीज का अवलोकन करते तो हमारे मन में उस वस्तु के बारे में जानने की प्रबल इच्छा होती हैं|अवलोकन को हम विज्ञान के एक उदाहरण से समझ सकते हैं की जैसे हल्दी पर जब चूने का पानी डाले तो उसका रंग लाल हो जाता हैं|यह रासायनिक अभिक्रिया हमें उसके कारणों की खोज की और ले जाता हैं इस प्रकार हम अवलोकन से ही सीखते हैं|अवलोकन हमें हमारे चारों और घटने वाली घटनाओं के बारे में जानने के लिए प्रेरित करता हैं|
ReplyDeleteअवलोकन विज्ञान के क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। अवलोकन से ही विभिन्न कल्पना का जन्म होता है ,तथा कल्पनाओं के बाद प्रयोगों से विभिन्न प्रकार के आविष्कार होते हैं ।अतः यह कहा जा सकता है कि गहन एवं सूक्ष्म अवलोकन ही आविष्कारों के जन्मदाता हैं।
ReplyDeletePodho me avalokan se vaedhi vikas ko samjana
ReplyDeleteअवलोकन विज्ञान के क्षेत्र में एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। अवलोकन से ही विभिन्न कल्पना का जन्म होता है ,तथा कल्पनाओं के बाद प्रयोगों से विभिन्न प्रकार के आविष्कार होते हैं ।अतः यह कहा जा सकता है कि गहन एवं सूक्ष्म अवलोकन ही आविष्कारों के जन्मदाता हैं।
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ReplyDeleteअवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं और दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
ReplyDeleteअवलोकन करना अन्य विषयों के साथ ही विज्ञान का अभिन्न हिस्सा है। इसके द्वारा बच्चा लगभग 80% ज्ञानार्जन करता है ।अवलोकन या निरीक्षण द्वारा सार्थक पैटर्न और मूल तत्व तक पहुंचने में मदद मिलती है। यदि ध्यान पूर्वक अवलोकन हो तो विज्ञान प्रक्रिया के अन्य कौशल जैसे प्रश्न प्रस्तुत करना , जांच की योजना बनाना आदि भी सुगम हो जाते हैं। अवलोकन को विज्ञान सीखने में सहायक ही नहीं अनिवार्य भी माना गया है।
ReplyDeleteअवलोकन कौशल का सीखने सीखाने मे बहुत महत्व है जिस से उन्हे रटने की आदत नही पडेगी और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
ReplyDeleteविज्ञान विषय अवलोकन के द्वारा ही समझ में आता है पौधे के पास जाकर उसके भागों को देख कर उसके भागों की पहचान
ReplyDeleteविज्ञान विषय के क्षेत्र में अवलोकन एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रक्रिया है, विज्ञान अवलोकन कौशल बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण में बदलाव के साथ नवीन खोजों की समझ विकसित करता है।
ReplyDeleteअवलोकन बिज्ञान की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है। इसके द्वारा बच्चों में बिज्ञानिक सोच विकसित होती है।
ReplyDeleteअवलोकन कौशल का विकास किया जाए तो बच्चे अपने आसपास की वस्तुओं से जुड़ेंगे और उनका विश्लेषण भी कर पाएंगे। जैसे
ReplyDeleteपौधों के भाग पेड़ के अंगों के नाम और उनका महत्व आदि।
विज्ञान का ज्ञान प्राप्त करने का सबसे अच्छा तरीका अवलोकन ही है। अवलोकन के द्वारा ही विज्ञान के प्रति उत्सुकता उत्पन्न होती है।
ReplyDeleteअवलोकन से हम किसी विषय को गहनता से समझ पाते हैं इसलिये विज्ञान का सूक्ष्म अवलोकन आवश्यक है
ReplyDeleteअल्का बैंस प्राथमिक शाला कूकड़ा जगत छिन्दवाड़ा
ReplyDeleteजन्म से ही कोई भी मनुष्य अथवा जीव सबसे ज़्यादा ज्ञान ग्रहण बोलने अथवा सुनने से नहीं करता बल्कि देखने से करता है। देखने से ही वह प्रारंभिक रूप से वस्तुओं, जीव जंतु, पादपों आदि को समझ पाता है उनकी तुलना कर पाता है और अपनी समझ के अनुसार ज्ञान ग्रहण कर पाता है।
बच्चे जन्म से ही व्यक्ति, वस्तुओं आदि को देखते हैं और उन्हें समझने की कोशिश करते हैं। जैसे जैसे वे बड़े होते हैं और उनकी समझ का विकास होता है वे चीजो को देखने के साथ ये जानने की कोशिश करते हैं क्यों है। इसकी वजह क्या है। ऐसा क्यों होता है।
उदाहरण के लिए बच्चे आसमान देखते हैं तो दिन में उन्हें वह नीला दिखाई देता है व रात में काला तो बच्चे के अंदर ये जिज्ञासा स्वतः जागरूक होती है कि ऐसा क्यों होता है। इसका जवाब जानते जानते वे पृथ्वी, सूरज, सौरमंडल के गृह, अपवर्तन, परावर्तन के नियम, भौगोलिक संरचना का धीरे धीरे जानने लगते हैं और उनकी परस्पर तुलना करने लगते हैं। फूलों, झाड़ियों को देखते समय उनके प्रकार उनमें समानता, विपरीत गुण क्या हैं आदि को जानने की कोशिश करता है इस प्रकार हम का सकते हैं कि अवलोकन ही वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से बच्चों के अंदर विज्ञान को जानने की किसी भी प्रक्रिया के दिखने मिलने होने की वजह जानने की जिज्ञासा प्रगट होती है।
Kisi v vishay ko avlokan k dwara acche smjha jaa sktaa hai. Isliye vigyaan k addhyan krte samay v avlokan avashyak hai. Avlokan dwara vidharthiyo me kuch naya seekhne ki ruchi badhti haii.
ReplyDeleteअवलोकन करना ही विज्ञान है इसकी मदद से छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है
ReplyDeleteनिशा यादव चमेलीचौंक सागर
ReplyDeleteडाइस कोड 23111018522
विज्ञान शिक्षण के अंतर्गत अवलोकन कौशल का महत्वपूर्ण स्थान है विज्ञान की विभिन्न अवधारणाओं को समझने के लिए अवलोकन का सहारा लेना पड़ता है चाहे वह अवलोकनप्रत्यक्षवस्तुओंका हो या।उनके मॉडल रूप का। अवलोकन द्वारा प्राप्त ज्ञान स्थाई होता है
ReplyDeleteरघुवीर गुप्ता शासकीय प्राथमिक विद्यालय नयागांव संकुल केंद्र शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सहस राम विकासखंड विजयपुर जिला sheopur शिक्षण में अवलोकन का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है विज्ञान जैसे विषय में बिना अवलोकन के शिक्षण हो ही नहीं सकता है अगर हमें बच्चों मैं ,जंतुओं या जीवो में क्रम से वृद्धि एवं विकास को दिखाना है तो हमें उन्हें अवलोकन के माध्यम से ही दिखाना पड़ेगा बच्चे अवलोकन के माध्यम से जब जंतुओं को एवं मनुष्यों को बढ़ते हुए देखते हैं तो वह उनके वृद्धि को बड़ी आसानी से समझ सकते हैं लेकिन इसी विषय पर अगर लंबा-चौड़ा व्याख्यान दिया जाए तो शायद बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे एक दिन मुझे बच्चों को पेड़ के विभिन्न भाग व पेड़ के लिए भोजन कैसे बनता है के बारे में समझाना था तो मैं सभी बच्चों को पेड़ के पास ले गया और उन्हें क्रम शहर छू छू कर पेड़ के विभिन्न भाग जैसे तवा पेड़ के फल फूल पत्तियां तथा एक छोटे से पौधे को उखाड़ कर उसमें जड़ को दिखाया कि किस प्रकार पौधे के प्रत्येक भाग किस प्रकार कार्य करते हैं इस प्रकार बच्चे पेड़ के सभी भाग व उनके कार्यों को बड़ी आसानी से सीख गए और इसके बाद मैंने कई बार बच्चों से पूछा तो बच्चों ने बड़ी सहजता के साथ जवाब दिए इससे सिद्ध होता है कि बच्चे व्याख्यान की अपेक्षा अवलोकन से जल्दी सीखते हैं इसी तरह अगर हमें खेतों के बारे में समझाना है कि फसल किस किस प्रकार की होती हैं तो हम उनको खेतों का अवलोकन करा कर इस अवधारणा को बड़ी आसानी से समझा सकते हैं या हमें पशु पक्षियों के आवास कैसे होते हैं इस विषय के बारे में समझाना है तो हम बस उनको पशु पक्षियों की आवाज को दिखा कर उनको बड़ी आसानी से उनके आवासों की जानकारी दे सकती हैं इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि बच्चे अवलोकन से ज्यादा सीखते हैं न के व्याख्यान से इसीलिए शिक्षण में विशेषकर विज्ञान जैसे विषय में अवलोकन का बहुत ही महत्व है और बिना अवलोकन के बिना विज्ञान जैसा विषय संभव ही नहीं है
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
ReplyDeleteपौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे
वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
विज्ञान सीरवनें मे अवलोकन का बहुत महत्व है।पहली सीढ़ी अवलोकन ही है।
ReplyDeleteअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
ReplyDeleteObservation se bachho me vaigyanik soch develop hoti hai
Deleteअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
ReplyDeletevigyan alokin ka vishay hai bina aur logon ke vigyan vishay per group se nahin sikha ja sakta hai kisi bhi vastu ki jankari aur lokan se hi jyada hoti hai
ReplyDeleteअवलोकन से बच्चों को वास्तविक ज्ञान का पता चलता है साथ ही बच्चों ने क्या सीखा यह पता करने का आसान तरीका है
ReplyDeleteविग्यान अवलोकन कौशल का ही विषय है बच्चा जब से जन्म लेता है तभी से वह अवलोकन करके सीखना प्रारंभ कर देता है
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन का ही विषय हैं बिना अब लोकन किए विज्ञान को सीखना मुश्किल है विभिन्न प्रकार के प्रयोग कराने से बच्चे स्वयं करते हैं तथा विज्ञान की अवधारणा को समझते हैं तथा वह उनके दृष्टि पटल पर चेहरे स्थाई रूप से स्थापित रहता है इसलिए विज्ञान में अवलोकन करना निरीक्षण करना तथा परिणाम प्राप्त करना बहुत जरूरी है
ReplyDeleteअवलोकन कौशल का सीखने सीखाने में बहुत महत्व है। हम स्वाभाविक रूप से अवलोकन करते हुए ही अपनी समझ को परिपक्व करने का प्रयास करते रहे हैं।
ReplyDeleteउदाहरण के लिए चौथी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवाना है।
अब हम छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछें तो कुछ छात्र जड़,तना,फूल,पत्ती के बारे में अपने विचार व्यक्त कर जवाब देते हैं और कुछ शांत बैठे । हम उनसे प्रश्न करें कि -क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..?
छात्रों में जिज्ञासा बढ़ेंगी
अब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर रखकर दिखा सकते हैं। विद्यालय के आसपासकक्षा कक्ष के लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कह सकते हैं। जब छात्र जड़ सहित पौधा ले आये तोकक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर रहेगा। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l
अरे..वाह..! इसमें तो राई के दानों से भी,छोटे-छोटे बीज हैं..!
अब छात्रों की जिज्ञासा और आकर्षण पूरी तरह बढ़ जाएगा। दो-दो या तीन-तीन छात्रों के समूह निर्धारित करते हुएक्रमशः एक- एक समूह को,अपने हाथ से छू कर जड़ से शुरू करते हुए बारी- बारी से पौधे के अंगों के बारे में बताने का अवसर दिया जाए। और हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर पौधों के अंगों को क्रमशः लिखा जाना चाहिए।(जड़,तना,डाली,पत्ती,फूल फल,और फल के अंदर आंतरिक अंग बीज )जब दूसरे तीसरे और चौथे समूह द्वारा यह प्रक्रिया दोहराई जाए तब भी हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर लिखे पौधों के अंगों को अलग-अलग रंग की रंगीन चाको द्वारा समूहवार टिक लगा कर चिन्हित किया जाना चाहिए।
पर्यावरण अध्ययन से जोड़कर प्राथमिक स्तर पर सीखाने की यह सूक्ष्म गतिविधि छात्रों में सीखने और समझने के प्रति अवलोकन कौशल का विकास करती है। छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करती है।
हम उनसे अभ्यास के लिए इस प्रकार के प्रश्न भी पूछ सकते हैं जैसे- ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना नहीं होता..?
ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ गहरी जाती है..?
ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है..?
ऐसे कौन कौन से पौधे या बेल हैं जिनकी जड़ ही नहीं होती ..?
इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते है।अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है|
चंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज
गाडरवारा
नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश
अवलोकन कौशल का सीखने सीखाने में बहुत महत्व है। हम स्वाभाविक रूप से अवलोकन करते हुए ही अपनी समझ को परिपक्व करने का प्रयास करते रहे हैं।
ReplyDeleteउदाहरण के लिए चौथी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवाना है।
अब हम छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछें तो कुछ छात्र जड़,तना,फूल,पत्ती के बारे में अपने विचार व्यक्त कर जवाब देते हैं और कुछ शांत बैठे । हम उनसे प्रश्न करें कि -क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..?
छात्रों में जिज्ञासा बढ़ेंगी
अब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर रखकर दिखा सकते हैं। विद्यालय के आसपासकक्षा कक्ष के लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कह सकते हैं। जब छात्र जड़ सहित पौधा ले आये तोकक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर रहेगा। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l
अरे..वाह..! इसमें तो राई के दानों से भी,छोटे-छोटे बीज हैं..!
अब छात्रों की जिज्ञासा और आकर्षण पूरी तरह बढ़ जाएगा। दो-दो या तीन-तीन छात्रों के समूह निर्धारित करते हुएक्रमशः एक- एक समूह को,अपने हाथ से छू कर जड़ से शुरू करते हुए बारी- बारी से पौधे के अंगों के बारे में बताने का अवसर दिया जाए। और हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर पौधों के अंगों को क्रमशः लिखा जाना चाहिए।(जड़,तना,डाली,पत्ती,फूल फल,और फल के अंदर आंतरिक अंग बीज )जब दूसरे तीसरे और चौथे समूह द्वारा यह प्रक्रिया दोहराई जाए तब भी हमारे द्वारा ग्रीन बोर्ड पर लिखे पौधों के अंगों को अलग-अलग रंग की रंगीन चाको द्वारा समूहवार टिक लगा कर चिन्हित किया जाना चाहिए।
पर्यावरण अध्ययन से जोड़कर प्राथमिक स्तर पर सीखाने की यह सूक्ष्म गतिविधि छात्रों में सीखने और समझने के प्रति अवलोकन कौशल का विकास करती है। छात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करती है।
हम उनसे अभ्यास के लिए इस प्रकार के प्रश्न भी पूछ सकते हैं जैसे- ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना नहीं होता..?
ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ गहरी जाती है..?
ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है..?
ऐसे कौन कौन से पौधे या बेल हैं जिनकी जड़ ही नहीं होती ..?
इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते है।अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है|
चंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज
गाडरवारा
नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश
अवलोकन कौशल के माध्यम से विज्ञान को बहुत ही बेहतरीन तरीके से सीखा जा सकता है।
ReplyDeleteविज्ञान विषय अवलोकन कौशल पर ही आधारित है।पोधों और सजीवो की जानकारी, वृद्धि, विकास सब अवलोकन कौशल से ही पता करते हैं।
ReplyDeleteविज्ञान मे अवलोकन के माध्यम से सही एवं सटीक जानकारी प्राप्त होती है।
ReplyDeleteVigyan vishay ke chhetr me avlokan yek mahtvpurn pirkiriya hai. Poudhe ke pas jakar uske bhagon ko dekhkar chhukar uske bhag tana, jad sashay, fal,fool, aadi ki pahchan kar pate hai.
ReplyDeleteअगर हमें बच्चों मैं ,जंतुओं या जीवो में क्रम से वृद्धि एवं विकास को दिखाना है तो हमें उन्हें अवलोकन के माध्यम से ही दिखाना पड़ेगा बच्चे अवलोकन के माध्यम से जब जंतुओं को एवं मनुष्यों को बढ़ते हुए देखते हैं तो वह उनके वृद्धि को बड़ी आसानी से समझ सकते हैं लेकिन इसी विषय पर अगर लंबा-चौड़ा व्याख्यान दिया जाए तो शायद बच्चे कभी नहीं समझ पाएंगे एक दिन मुझे बच्चों को पेड़ के विभिन्न भाग व पेड़ के लिए भोजन कैसे बनता है के बारे में समझाना था तो मैं सभी बच्चों को पेड़ के पास ले गया और उन्हें क्रम शहर छू छू कर पेड़ के विभिन्न भाग जैसे तवा पेड़ के फल फूल पत्तियां तथा एक छोटे से पौधे को उखाड़ कर उसमें जड़ को दिखाया कि किस प्रकार पौधे के प्रत्येक भाग किस प्रकार कार्य करते हैं इस प्रकार बच्चे पेड़ के सभी भाग व उनके कार्यों को बड़ी आसानी से सीख गए और इसके बाद मैंने कई बार बच्चों से पूछा तो बच्चों ने बड़ी सहजता के साथ जवाब दिए इससे सिद्ध होता है कि बच्चे व्याख्यान की अपेक्षा अवलोकन से जल्दी सीखते हैं इसी तरह अगर हमें खेतों के बारे में समझाना है कि फसल किस किस प्रकार की होती हैं तो हम उनको खेतों का अवलोकन करा कर इस अवधारणा को बड़ी आसानी से समझा सकते हैं या हमें पशु पक्षियों के आवास कैसे होते हैं इस विषय के बारे में समझाना है तो हम बस उनको पशु पक्षियों की आवाज को दिखा कर उनको बड़ी आसानी से उनके आवासों की जानकारी दे सकती हैं इस प्रकार यह सिद्ध होता है कि बच्चे अवलोकन से ज्यादा सीखते हैं न के व्याख्यान से इसीलिए शिक्षण में विशेषकर विज्ञान जैसे विषय में अवलोकन का बहुत ही महत्व है और बिना अवलोकन के बिना विज्ञान जैसा विषय संभव ही नहीं है
ReplyDeleteAvlokan ka arth hai dekhna prekshan karna vigyan me bina avlokan ke kuchh bhi seekh pana asambhav hai
ReplyDeleteअवलोकन कौशल को विकसित करना आपको यानी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को सूक्ष्मता और सही रूप से देखने के लिए प्रोत्साहित करने में समय लगता है और उन्हें उसके लिए अवसर प्रदान करने होंगे।
ReplyDeleteयद्यपि यह एक ऐसा निवेश है जो उन्हें उनकी दुनिया और एक विषय के रूप में विज्ञान में अधिक रूचि जग आएगा और उत्साहित करेगा।
विज्ञान की प्रक्रिया के अंतर्गत विज्ञान सीखने के लिए प्रेक्षण वर्गीकरण संप्रेषण मापन अनुमान भविष्यवाणी जैसे छह आवश्यक कौशल आते हैं। इन मूलभूत कौशलों की सहायता से बच्चे समा समस्या समाधान का कौशल सीखते हैं जो एकीकृत कौशल कहलाते हैं यह एकीकृत कौशल सात प्रकार के होते हैं -
1 परिवर्तनों को पहचानना
2- नियमित करना,
3 क्रियात्मक रूप से परिभाषा देना
4- परिकल्पना बनाना,
4- पूर्ण ज्ञान एवं संकलित तथ्यों का उपयोग करना
5- तालिका बनाना,
6- ग्राफ बनाना,
- आंकड़ों की व्यवस्था करना और खोज करना।
इन्हीं प्रक्रियाओं द्वारा जो ज्ञान या जानकारी बच्चे प्राप्त करते हैं, वह विज्ञान का उत्पाद कहलाता है।
बच्चों द्वारा प्राप्त ज्ञान की गहराई और उसकी सत्यता उसके द्वारा प्रयुक्त प्रक्रियाओं पर निर्भर करती है।
जीवो के अवलोकन हेतु डार्विन ने कई प्रमाण जुटाने के पश्चात विज्ञान के बारे में निम्नलिखित शब्दों एवं प्रक्रियाओं या तथ्यों को समझाने का प्रयास किया है जो निम्नानुसार हैं -
अवलोकन >जानकारियां एकत्र करना >प्रश्न करना >प्रमाण जुटाना संबंध स्थापित करना >विश्लेषण करना जांच करना> परिकल्पना का निर्माण करना >सूचना के साथ संबंध> पुनः परिभाषित करना
आदि शामिल हैं।
ASHIM KUMAR TIWARI CAC BALSAMUD RAJPUR BARWANI
ReplyDeleteजब विद्यार्थी अवलोकन करेंगे तो उन्हें रटने की जरूरत नहीं पड़ेगी वह अवलोकन से चिरस्थाई ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं। अवलोकन कौशल से विद्यार्थियों में स्वयं करके सीखने की आदत का विकास होता है । विज्ञान में यह कौशल सुव्यवस्थित सीखने और चिरस्थाई ज्ञान प्रदान करता हैं।
S-sensual
ReplyDeleteC-calibre
I-intention
E-evaluate
N-notice
C-curiosity
e-expert in observation
अवलोकन से बच्चो की समझ विकशित करने में मदत मिलती है , अवलोकन के माध्यम से विज्ञान को समझने में इर मदत मिलती है ।
ReplyDeleteS-sensual
ReplyDeleteC-calibre
I-intention
E-evaluate
N-notice
C-curiosity
e-expert in observation
Gyan ka arjan padhdhne aur sunne ki apeksha usko avlokan krne se jaldi prapt hota h Or avlokan se prapt gyan bhut lambe samay tk dimag m sathyi rahta hai. Bachche isse dwara seekhne main interest lete hai
ReplyDeleteअवलोकन कौशल का सीखने सिखाने में बहुत महत्व है! हम स्वाभाविक रूप से परीक्षण करते हुए अपनी समझ को परिपक्व करते हैं !जब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पटल पर रख कर दिखा सकते हैं विद्यालय के आसपास लगे कच्चे-पक्के लाल हरे छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कहते हैं !और सभी को दिखा सकते हैं ! इस प्रकार सजीवों में वृद्धि और विकास की समझ विकसित करने का मुख्य आधार कौशल और अवलोकन है ! यह परीक्षण से सिद्ध होता है !
ReplyDeleteअवलोकन कौशल से ही विज्ञान को सीखा जा सकता है।पूरी प्रकृति मैं विज्ञान व्याप्त है।
ReplyDeleteकिसी जीवित या अजीब चीज के अवलोकन से ही जानने की इच्छा प्रकट होती है और वही विज्ञान है जितना अधिक हम और लोकन करते हैं उतना अधिक जानने की जिज्ञासा बढ़ती जाती है aur ham Vigyan ki or Tat Par Ho Jaate Hain
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
ReplyDeleteपौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे
वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
JASHODA VERMA
ReplyDeletePS KUSMELI CHHINDWARA (M.P)
जब हम ने छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछा तो कुछ ने- जड़,तना,फूल,पत्ती के रूप में जवाब दिए और कुछ शांत बैठे रहे।हमने उनसे प्रश्न किया-क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..?उदाहरण के लिए चौथी कक्षा में पर्यावरण अध्ययन विषय के मुझे पहचानो पाठ की अवधारणा "पौधों के अंग" की पुनरावृत्ति एवं अभ्यास कार्य करवाना है।
अब हम छात्रों से पौधों के अंगों के बारे में पूछें तो कुछ छात्र जड़,तना,फूल,पत्ती के बारे में अपने विचार व्यक्त कर जवाब देते हैं और कुछ शांत बैठे । हम उनसे प्रश्न करें कि -क्या बीज पौधे का अंग नहीं है..?
छात्रों में जिज्ञासा बढ़ेंगी
अब हम पौधों के अंगों को मूर्त रूप में छात्रों के सामने टेबल पर रखकर दिखा सकते हैं। विद्यालय के आसपासकक्षा कक्ष के लगे, कच्चे-पक्के,लाल-हरे,छोटे-छोटे फलदार पौधों की ओर इशारा करते हुए जड़ सहित लेकर आने के लिए किसी एक छात्र से कह सकते हैं। जब छात्र जड़ सहित पौधा ले आये तोकक्षा के सभी छात्रों का ध्यान हमारी टेबल पर रखे पौधे पर रहेगा। पौधे से एक छोटे से लाल फल को तोड़कर हमने अपनी हथेली पर मसला..l
Bachche khud avlokan karenge to unka knowledge badega or unme seekhne ki samjh badegi
ReplyDeleteविज्ञान बच्चों केअवलोकन से ही कौशल विकसित होता हैः।जैसे किसी मशीन के बारे मे बात करते है। जैसे गेहूँ, चने को साफ नखद फसल के रुप मे पौधा से गेहूँ अलग करने केथ्रेशर लिए थशशशश
ReplyDeleteकौशल से विज्ञान विकसित होता है।
Deleteअवलोकन कौशल से ही विद्यार्थी अपने जीवन मे यह सीखता है कि कोई घटना कैसे घटी, इसका क्या कारण है, अवलोकन कौशल द्वारा वह दूध को दही में परिवर्तित होते हुए देखता है,तथा विचार करता है,ऐसा क्यो हुआ,
ReplyDeleteपानी से बर्फ कैसे वन जाता है,अथवा पानी को गर्म करने के लिए कितने tamprature की जरूरत होती है।
किसी पौधे को पानी न देने से वह क्यो सूख जाता है ।
आदि आदि घटनाए विद्यार्थी अपने अवलोकन कौशल के द्वारा ही सीखता है।
रामेश्वर श्रीवास्तव शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय दतिया स्वतंत्र अवलोकन और समूह चर्चा से छात्रों के लिए विज्ञान की नई राह खुलती है
ReplyDeleteअवलोकन में जो ज्ञान बच्चा प्राप्त करता है बह उसेहमेशा स्थाई रूप से याद रहता है और उस चीज को बड़े सजीव का से अनुभव करता है उससे उसके सभी
ReplyDeleteज्ञानेंद्रियां साथ में काम करती है जैसे पौधों का चित्रण या पौधों के भागों को जो हम पढ़ाते हैं और बच्चे को पौधों के पास ले जाकर उन भागों या उनकी सजीता का चित्रण करते हैं तो वह
अधिक स्थाई होता है
अवलोकन के कौशल के द्वारा बच्चे नई नई चीजों को गहराई से स मुझे सकते हैं और नई जानकारियां प्राप्त कर सो करते हैं
ReplyDeleteसाइंस को जानने का सबसे अच्छा तरीका यही होता है कि को बातें books में है बच्चा उन्हें स्वयं करके देखे,जरूरत पड़ने पर अपने टीचर की हेल्प ले,क्योंकि बच्चा अपने ज्ञान का श्रजन स्वयं करता है,और खुद करके सीखा गया ज्ञान हमेशा लोंग लाइफ स्थाई होता है
ReplyDeleteअवलोकन सभी प्रकार के ज्ञान सभी प्रकार की जानकारी आसपास के परिवेश एवं पर्यावरण पर्यावरण भूगोल एवं समस्त सामाजिक गतिविधियों का अवलोकन करना प्रकृति के परिवर्तन एवं सभी प्रकार की मौसम के संबंध में जानकारी प्राप्त करना
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ReplyDeleteAvlokan koshal ke madhyam se baccho nai chijo ko gaharai se jan skte he or we nai jankariyon ke bare asani se jan skte he
ReplyDeleteअवलोकन,जिज्ञासा का बीज है।और जिज्ञासा ही ज्ञान का आधार है।
ReplyDeleteछात्रों के ज्ञान में वृद्धि और जिज्ञासा उत्पन्न करने के लिए हम उनसे कुछ इस प्रकार के प्रश्न पूछ सकते हैं। ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना नहीं होता? ऐसे कौन कौन से पौधे हैं जिनकी जड़ जाती है?ऐसे कौन से पौधे हैं जिनका तना भोजन संग्रहित करता है?इसी प्रकार हम बीजों का अंकुरण, टॉर्च और गेंदों की सहायता से दिन और रात का होना, पदार्थों के रूप, प्लास्टिक पाइप और गुब्बारों से पाचन तंत्र, हवा और पानी जैसी अवधारणाओं पर अवलोकन कौशल का विकास कर सकते हैं, जिससे छात्रों में उच्च माध्यमिक और हाईस्कूल स्तर पर विज्ञान सीखने के प्रति रुचि उत्पन्न होगी।
ReplyDeleteबच्चों मै अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढाव होता है। इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है।साथ ही तर्क शक्ति विकसित होती है।शिक्षक का कार्य बच्चों को स्वतंत्र अ
ReplyDeleteवसर पृदान करना है।
ablokan biggyan ki samach ka aadhar h
ReplyDeletebacchon ki Kriya silta Mein Sahayak,anushasan Mein Sahayak.avlokan Vidhi sabse prabhavi Vidhi h.bacche kriyashilta m bane rahte h.yah Vidhi tabhi Prabhavi hoti h jab bachhon ki sankhya nirdharit ho.Vigyan ke Kshetra me avalokanvidai bahut Prabhav seal hai.vastuon ko Jamana ekattha karvaya Jsta hai.aankdo ka sangrah bhi karaya jata hai.jo bachhen khud karte h.
ReplyDeleteविद्यार्थियों को विज्ञान की विभिन्न अवधारणाओं को समझाने के लिए अवलोकन कौशल विकसित करना अत्यंत आवश्यक है ताकि विद्यार्थी अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए अवलोकन,वर्गीकरण, अनुमान लगाना आदि प्रकियाओं द्वारा संज्ञानात्मक और मनोदैहिक कौशल प्राप्त कर सकें।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश
462010
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है | पौधों के अंगो की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है ।विज्ञान में अवधारणाओं को समझने के लिए अवलोकन कौशल विकसित करना बहुत आवश्यक है। विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा हम कई प्रकार की गतिविधियां जैसे पौधों के बारे में, जंतुओं के बारे में एवं सभी प्रकार के जीवों एवं निर्जीव ओं के बारे में ज्ञान अर्जित करते हैं।
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है ।विज्ञान में अवधारणाओं को समझने के लिए अवलोकन कौशल विकसित करना बहुत आवश्यक है। विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा हम कई प्रकार की गतिविधियां जैसे पौधों के बारे में, जंतुओं के बारे में एवं सभी प्रकार के जीवों एवं निर्जीव ओं के बारे में ज्ञान अर्जित करते हैं।
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है ।विज्ञान में अवधारणाओं को समझने के लिए अवलोकन कौशल विकसित करना बहुत आवश्यक है। विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसके द्वारा हम कई प्रकार की गतिविधियां जैसे पौधों के बारे में, जंतुओं के बारे में एवं सभी प्रकार के जीवों एवं निर्जीव ओं के बारे में ज्ञान अर्जित करते हैं।
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन द्वारा बच्चे की समझ को विकसित करने में सहायक होती है जैसे द्रव्य की तीन अवस्थाएं होती हैं विद्यार्थी देखेगा ठोस बर्फ के रूप में द्रव्य पानी के रूप में और गैस के रूप में वह अवलोकन करके अपनी समझ को स्थाई रूप से विकसित करेगा पेड़ पौधे जीव जंतुओं के बारे में अवलोकन करें के उसकी समाज स्थाई होगी वह रखने वाली प्रक्रिया से अलग होगी विद्यार्थी के विभिन्न कौशलों को विकसित करने के लिए अवलोकन विज्ञान एक विषय है श्रीमती विमलेश शर्मा बालक खरी फाटक विदिशा
ReplyDeleteबच्चके स्वयं करने से समझ विकसित होती है
ReplyDeleteअवलोकन से बच्चों की विज्ञान में गहरी समझ विकसित करने में सहायता मिलती है |
ReplyDeleteObserve the things and than act means think and this is the habits of many mens who became big scientists so if this habits became the habits of student than they became good human beings and may became scientists because observe the pain and pleasure of things and their result after act make thaem good human
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
ReplyDeleteपौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे
वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
Pushpa singh MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station.
ReplyDeleteAvlokan koushal science ki avdharnao ko samjhane me important bhumika nibhate hai.science me practical,avlokan se students ki samajh viksit hoti hai.unki jigyasa ka hal unhe khud mil jata hai.kyo ki ve khud vishay-vastu se related adhigam sangri ka avlokan karte hai.and avdharnao ko samajh ko viksit kar learning out comes ko prapt karte hai.
अनोखी लाल शर्मा उच्च श्रेणी शिक्षक गणित शासकीय नूतन कन्या उत्तर माध्यमिक विद्यालय इंदिरा नगर उज्जैन विज्ञान वास्तव में एक्सेस सेमिटिक ज्ञान को कहते हैं तिरुपति तरीके से हम जो बच्चों को सिखाते हैं या हम सीखते हैं वही विज्ञान हैंविज्ञान विषय हमारे मन एवं मस्तिष्क में जिज्ञासा को जगाता हैं | जब हम किसी चीज का अवलोकन करते तो हमारे मन में उस वस्तु के बारे में जानने की प्रबल इच्छा होती हैं|अवलोकन को हम विज्ञान के एक उदाहरण से समझ सकते हैं की जैसे हल्दी पर जब चूने का पानी डाले तो उसका रंग लाल हो जाता हैं|यह रासायनिक अभिक्रिया हमें उसके कारणों की खोज की और ले जाता हैं इस प्रकार हम अवलोकन से ही सीखते हैं|अवलोकन हमें हमारे चारों और घटने वाली घटनाओं के बारे में जानने के लिए प्रेरित करता हैं|
ReplyDeleteनाम संध्या रघुवंशी प्राथमिक शिक्षक एकीकृत शाला माध्यमिक विद्यालय एनएफएल जिला गुना (मध्य प्रदेश)
ReplyDeleteअवलोकन कौशल से बच्चों के बाल केंद्रित रूप से बच्चों के ज्ञान सीखने में भाषा, विचार, ध्यान से सुनना, बोलना, सीखना और उसका अवलोकन करना बच्चे के मानसिक शारीरिक क्षमता के कौशल के बारे में पता लगता है। और बच्चों को विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल अत्यंत ही आवश्यक है ।उदाहरण के लिए कक्षा चार में पर्यावरण अध्ययन विषय में "मुझे पहचानो" पाठ की अवधारणा पौधे के अंग की पुनरावृति एवं अभ्यास कार्य करवाना जैसे हम छात्रों से पौधे के अंग के बारे में पूछते हैं तो कुछ छात्र पौधों के अंग जड़ ,तना ,पत्ती ,फूल के बारे में अपने विचार व्यक्त करते हैं ,और कुछ छात्र सुनकर शांति से अपने मन में विचार करते हैं जब हम बच्चों से पूछते हैं क्या बीज , पत्ती अपना पौधे का अंग नहीं है ,तो छात्रों में सोचने ,समझने ,बोलने, और विचार करने की जिज्ञासा बढ़ती है ,जब हम जड़ सहित या अंकुर बीच को एक पौधा के रूप में कक्षा में सभी बच्चों के सामने उस पौधे कोे दिखाकर एक गतिविधि कर और अवलोकन करेंगे तो बच्चों में सीखने की जिज्ञासा बढ़ेगी, और उसी पौधे के फूल -फल को हथेली पर मसलकर उससे प्राप्त बीज या कन या अन्य फल दिखाते हैं तो बच्चों में जिज्ञासा बढ़ती है कुछ काम करने की खुशियां मिलती है। जैसे व्यवसाय करना ,रोजगार करना, खेती करना ,उद्योग करना या अपने माता पिता जो काम कर रहे हैं उसके बारे में सोचना ,इस तरह से जिज्ञासा पैदा होती है बच्चों के जीवन में विज्ञान का बहुत महत्व है क्योंकि विज्ञान महत्वपूर्ण विषय है जिसके अध्ययन एवं ज्ञान से बच्चों बाल केंद्रित रूप से रचनात्मक कौशल का लचीलापन जागृत होता है और अवलोकन से बच्चों के ज्ञान और विचार की समझ होती है धन्यवाद।
विज्ञान में अवलोकन केद्वारा बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति स्थायी होती है।
ReplyDeleteअन्य विषयों कि तरह विज्ञान विषय के भी कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिनकी प्राप्ति हेतु विज्ञान का एक विषय के रूप में अध्ययन किया जाता है। विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल परमावश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता है।
ReplyDeleteगतिविधि: मोमबत्ती का अवलोकन
माइकल फैराडे जिन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए व विभिन्न नियम प्रतिपादित किए का एक अनुभवजनित उदाहरण यहां प्रस्तुत है। फैराडे प्रयोगशाला में कार्य करने के अलावा विद्यार्थियों को शिक्षण अधिगम भी कराते थे। फैराडे ने मोमबत्ती (तत्कालीन प्रकाशबत्ती) पर लगभग 60 अवलोकन किए थे।
यह उदाहरण मैं इसलिए महत्वपूर्ण है कि इससे हम यह देख सकें कि एक सामान्य दैनिक जीवन से जुड़े कार्य को किस हद तक गहराई से देखा व अनुभव किया जा सकता है। फैराडे ने भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों से विज्ञान विषय पर चर्चा की जिससे सम्बन्धित बिन्दुओं जैसे मोम के पूर्व स्वरुप व बाद के स्वरूप पर भी चर्चा करते थे। इस चर्चा में वे प्रकाशबत्ती के इतिहास को भी शामिल किया करते थे। इसे हम ज्ञान के विकास के रूप में देख सकते हैं। किसी भी विषय के नवीन ज्ञान के सृजन से पूर्व उसकी पूर्व जानकारी आवश्यक है जोकि आगे किए जाने वाले कार्यों का मार्ग प्रशस्त करती है-
1. बिना जलाए मोमबत्ती का अवलोकन।
2. जलाकर क्या परिवर्तन आते हैं।
3. बुझाने पर क्या परिवर्तन होते हैं।
उक्त तीनों परिस्थितियों में भिन्न भिन्न अवलोकन प्राप्त हो सकते है जैसे-मोम में अवस्था परिवर्तन,जलने पर निकलने वाली गैस, रंग एवं अवशेष का प्रकार आदि।
इस गतिविधि कि विशेष बात यह थी कि अवलोकन करने का तरीका,सीमा से बाहर निकलकर सोचना अथवा पूर्व धारणाओं से अलग सोचना। यह नयापन बच्चों को कुछ नया सीखने की ओर ले जाता है। इस प्रकार अनुभव के आधार पर उनमे नई धारणा का जन्म होता है।
इस प्रकार बच्चे किसी वैज्ञानिक तथ्य को अवलोकन कौशल के द्वारा सहज रूप में ही सीख सकते हैं।
बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है इसमें बच्चों का वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है साथ ही बच्चों में जिज्ञासा एवं तर्कशक्ति भी विकसित होती है
ReplyDeleteमॉड्यूल 12 गतिविधि 1: अवलोकन कौशल और विज्ञान सीखना
ReplyDeleteअवलोकन कौशल बच्चो के विज्ञान सीखने में किस प्रकार से सहायक होते हैं?
प्रत्येक विषय की विज्ञान विषय के भी कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिनकी प्राप्ति हेतु विज्ञान का विषय के रूप में अध्ययन किया जाता है। विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल अत्यन्त ही आवश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता होताहै।
गतिविधि: मोमबत्ती का अवलोकन
माइकल फैराडे, जिन्होंने कई विज्ञान के प्रयोग किए व विभिन्न नियम प्रतिपादित किए, का एक अनुभव यहाँ उदाहरण के लिए जोड़ना चाहूँगा। फैराडे प्रयोगशाला में कार्य करने के अलावा विद्यार्थियों को पढ़ाया भी करते थे। फैराडे ने मोमबत्ती (उस समय प्रकाश बत्ती) पर साठ अवलोकन किए थे।
यह उदाहरण मैं इसलिए दे रहा हूँ जिससे कि हम यह देख सकें कि एक सामान्य, दैनिक जीवन से जुड़े कार्य को किस हद तक गहराई से देखा व अनुभव किया जा सकता है। फैराडे ने भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों से विज्ञान विषय पर चर्चा की, जिसमें प्रयोग से सम्बन्धित बिन्दुओं जैसे मोम के पूर्व स्वरुप व अब के स्वरूप पर भी चर्चा करते थे। इस चर्चा में वे प्रकाशबत्ती के इतिहास को भी शामिल किया करते थे। इसे हम ज्ञान के विकास के रूप में देख सकते हैं। किसी भी विषय के नवीन ज्ञान के सृजन से पूर्व उसकी पूर्व जानकारी आवश्यक है जो की आगे किए जाने वाले कार्यों का मार्ग प्रशस्त करती है।
1. बिना जलाए मोमबत्ती का अवलोकन
2. जलाकर क्या परिवर्तन आते हैं
3. बुझाने पर क्या परिवर्तन होते हैं
तीनों परिस्थितियों में प्राप्त अवलोकन प्राप्त हो सकते है जैसे-मोम में अवस्था परिवर्तन, जलने पर निकलने वाली गैस, रंग, अवशेष का प्रकार आदि।
इस गतिविधि की विशेष बात थी अवलोकन करने का तरीका, सीमा से बाहर निकलकर सोचना अथवा पूर्व धारणाओं से अलग सोचना। यह नयापन बच्चों को कुछ नया सीखने की ओर ले जाता है। इस प्रकार अनुभव के आधार पर उनमे नई धारणा का जन्म होता है,
इस प्रकार बच्चे किसी वैज्ञानिक तथ्य को अवलोकन कौशल के द्वारा सहज रूप में ही सीख सकते हैं।
धन्यवाद !!!!!!!
विज्ञान में अवलोकन का महत्व इतना है जितना शरीर में मन का. जैसे हम शरीर की के अंगों की गतिविधियां एवं उनका सूक्ष्म चिंतन करने पर इन ज्ञानेंद्रियों की कार्यप्रणाली उपयोग आदि से परिचित होते हैं अर्थात मन या बुद्धि के द्वारा हम शरीर के सभी अंगों उनके सभी कार्यों उपयोग एवं समस्त जानकारी समझ लेते हैं जान लेते हैं उसी प्रकार वस्तुओं का को देखकर उनको सॉन्ग कर ध्वनियों को सुनकर स्पर्श करके स्वाद लेकर हम वस्तुओं पदार्थ को के स्वभाव को समझ सकते हैं जैसे नमक देखने में देखने में सफेद रंग का पर्स में स्पर्श करने में कठोर स्वाद में खारा सूंघने में गंध हीन है इसी प्रकार अन्य पदार्थों तत्व आदि के भौतिक गुण को हम अवलोकन के द्वारा ही तो जानते हैं इस तरह अवलोकन विज्ञान में सबसे प्रमुख भूमिका का निर्वहन करता है
ReplyDeleteबच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए बच्चों को तार्किक शक्ति मानसिक शक्ति का विकास होना चाहिए मन में विज्ञान के प्रति जागरूकता उत्पन्न होना चाहिए विज्ञान को समझने के लिए उनके मन में अवलोकन निरीक्षण इस प्रकार की चिड़िया होना चाहिए कि वह हर गतिविधियों का अवलोकन कर सके निरीक्षण कर सके और उसे परिणाम प्राप्त कर सके इससे उनकी तार्किक शक्ति बढ़ेगी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न होगा
ReplyDeleteअन्य विषयों कि तरह विज्ञान विषय के भी कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिनकी प्राप्ति हेतु विज्ञान का एक विषय के रूप में अध्ययन किया जाता है। विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल परमावश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता है।
ReplyDeleteगतिविधि: मोमबत्ती का अवलोकन
माइकल फैराडे जिन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए व विभिन्न नियम प्रतिपादित किए का एक अनुभवजनित उदाहरण यहां प्रस्तुत है। फैराडे प्रयोगशाला में कार्य करने के अलावा विद्यार्थियों को शिक्षण अधिगम भी कराते थे। फैराडे ने मोमबत्ती (तत्कालीन प्रकाशबत्ती) पर लगभग 60 अवलोकन किए थे।
यह उदाहरण मैं इसलिए महत्वपूर्ण है कि इससे हम यह देख सकें कि एक सामान्य दैनिक जीवन से जुड़े कार्य को किस हद तक गहराई से देखा व अनुभव किया जा सकता है। फैराडे ने भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों से विज्ञान विषय पर चर्चा की जिससे सम्बन्धित बिन्दुओं जैसे मोम के पूर्व स्वरुप व बाद के स्वरूप पर भी चर्चा करते थे। इस चर्चा में वे प्रकाशबत्ती के इतिहास को भी शामिल किया करते थे। इसे हम ज्ञान के विकास के रूप में देख सकते हैं। किसी भी विषय के नवीन ज्ञान के सृजन से पूर्व उसकी पूर्व जानकारी आवश्यक है जोकि आगे किए जाने वाले कार्यों का मार्ग प्रशस्त करती है-
1. बिना जलाए मोमबत्ती का अवलोकन।
2. जलाकर क्या परिवर्तन आते हैं।
3. बुझाने पर क्या परिवर्तन होते हैं।
उक्त तीनों परिस्थितियों में भिन्न भिन्न अवलोकन प्राप्त हो सकते है जैसे-मोम में अवस्था परिवर्तन,जलने पर निकलने वाली गैस, रंग एवं अवशेष का प्रकार आदि।
इस गतिविधि कि विशेष बात यह थी कि अवलोकन करने का तरीका,सीमा से बाहर निकलकर सोचना अथवा पूर्व धारणाओं से अलग सोचना। यह नयापन बच्चों को कुछ नया सीखने की ओर ले जाता है। इस प्रकार अनुभव के आधार पर उनमे नई धारणा का जन्म होता है।
इस प्रकार बच्चे किसी वैज्ञानिक तथ्य को अवलोकन कौशल के द्वारा सहज रूप में ही सीख सकते हैं।
अन्य विषयों कि तरह विज्ञान विषय के भी कुछ मुख्य उद्देश्य हैं जिनकी प्राप्ति हेतु विज्ञान का एक विषय के रूप में अध्ययन किया जाता है। विज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल परमावश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता है।
ReplyDeleteगतिविधि: मोमबत्ती का अवलोकन
माइकल फैराडे जिन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोग किए व विभिन्न नियम प्रतिपादित किए का एक अनुभवजनित उदाहरण यहां प्रस्तुत है। फैराडे प्रयोगशाला में कार्य करने के अलावा विद्यार्थियों को शिक्षण अधिगम भी कराते थे। फैराडे ने मोमबत्ती (तत्कालीन प्रकाशबत्ती) पर लगभग 60 अवलोकन किए थे।
यह उदाहरण मैं इसलिए महत्वपूर्ण है कि इससे हम यह देख सकें कि एक सामान्य दैनिक जीवन से जुड़े कार्य को किस हद तक गहराई से देखा व अनुभव किया जा सकता है। फैराडे ने भिन्न-भिन्न समय पर विद्यार्थियों से विज्ञान विषय पर चर्चा की जिससे सम्बन्धित बिन्दुओं जैसे मोम के पूर्व स्वरुप व बाद के स्वरूप पर भी चर्चा करते थे। इस चर्चा में वे प्रकाशबत्ती के इतिहास को भी शामिल किया करते थे। इसे हम ज्ञान के विकास के रूप में देख सकते हैं। किसी भी विषय के नवीन ज्ञान के सृजन से पूर्व उसकी पूर्व जानकारी आवश्यक है जोकि आगे किए जाने वाले कार्यों का मार्ग प्रशस्त करती है-
1. बिना जलाए मोमबत्ती का अवलोकन।
2. जलाकर क्या परिवर्तन आते हैं।
3. बुझाने पर क्या परिवर्तन होते हैं।
उक्त तीनों परिस्थितियों में भिन्न भिन्न अवलोकन प्राप्त हो सकते है जैसे-मोम में अवस्था परिवर्तन,जलने पर निकलने वाली गैस, रंग एवं अवशेष का प्रकार आदि।
इस गतिविधि कि विशेष बात यह थी कि अवलोकन करने का तरीका,सीमा से बाहर निकलकर सोचना अथवा पूर्व धारणाओं से अलग सोचना। यह नयापन बच्चों को कुछ नया सीखने की ओर ले जाता है। इस प्रकार अनुभव के आधार पर उनमे नई धारणा का जन्म होता है।
इस प्रकार बच्चे किसी वैज्ञानिक तथ्य को अवलोकन कौशल के द्वारा सहज रूप में ही सीख सकते हैं।
विज्ञान दो शब्दों से मिलकर बना है विधान ज्ञान जिसमें विविध प्रकार का ज्ञान प्राप्त होता है
ReplyDeleteअवलोकन कौशल छात्रों की अवधारणाओं को स्पष्ट करती है एवम् उनमें जिज्ञासा उत्पन्न कर वैज्ञानिक दृष्टिकोण को विकसित करने में मदद करती हैं।
ReplyDeleteबच्चो को अवलोकन कार्य कराने से उनमें विषयवस्तु के बारे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न होता हैं और इस प्रकार अर्जित ज्ञान स्थायी रूप से उनकी स्मृति में रहता हैं, सीखने की यह बहुत की कारगर पद्धति हैं
ReplyDeleteअवलोकन के द्वारा किसी भी चीज को समझने में आसानी होती है यह हम सभी जानते हैं और छोटे बच्चों के लिए किसी भी चीज को देखकर उसे समझना और भी सरल होता है जब वह किसी चीज को देखते हैं तो उसके बारे में विचार करते हैं उसको देखकर आसानी से समझ पाते हैं जैसे हम आसपास के वातावरण की बात करें पेड़ पौधों की बात करें तो बच्चे अलग-अलग प्रकार की पौधों को देखकर उनकी पत्तियों को देखकर उन्हें समझ में आ जाता है कि यह अलग प्रकार का पौधा है यह दूसरे प्रकार का पौधा है क्योंकि इनकी पत्तियों में तने में अंतर होता है और वह देखकर उस चीज को आसानी से समझ पाते हैं इससे उनकी वैज्ञानिक सोच समझ विकसित होने में बढ़ावा मिलता है और बहन की स्मृति में भी अधिक समय तक रहता है
ReplyDeleteOmbati Raghuwanshi. PS. Pali. अवलोकन से बच्चे निरीक्षण करके खुद अपने प्रयासों से अच्छी समझ विकसित करते हैं।
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का विषय है।पौधो व अन्य जीवो के अंगों की जानकारी उनके अवलोकन करने से ही प्राप्त होती है।सभी सजीवो में बृद्धि व विकास सतत अवलोकनो से ही प्राप्त होता है।अतः अवलोकन नवीन खोजों की समझ विकसित करने का आधार है।
ReplyDeleteकुमारी गिन्नी
ReplyDeletejnv giridih
अवलोकन ही किसी भी विषय को उसके सत्य तक पहुंचाता है ।अवलोकन कौशल से बच्चो मे बौद्धिक विकास होता है ।अतः ये अतिरिक्त आवश्यक है ।
अवलोकन कौशल से छात्र की जिज्ञासा बढ़ती है तथा उसमें कल्पना शीलता का विकास होता है जिससे खोजी प्रवत्ति का विकास होता है अरूणा शर्मा शा मा शाला खूंथी
ReplyDeleteविज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमे प्रयोग अवलोकन कौशल विकसित विकसित किया जाता है पेड़ पौधों की जानकारी पेड़ पौधों के अवलोकन से ही प्राप्त होती है सजीवों मे वृद्धि विकास की जानकारी सतत अवलोकन से ही ज्ञात होती है अतः अवलोकन विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है
ReplyDeleteविज्ञान एक विषय है जिसमें एक महत्वपूर्ण कौशल अवलोकन है विज्ञान को हम बच्चों को अवलोकन करा कर बहुत ही सरल ता से पाठ्यवस्तु समझा सकते हैं जैसे पौधे झाड़ी और पेड़ का तुलनात्मक अध्ययन करके हम बच्चों को पौधे झाड़ी और पेड़ के बारे में बता सकते हैं उनका अवलोकन कर सकते हैं आपस में तुलनात्मक अध्ययन कर सकते हैं इससे बच्चों को सरलता से पौधे झाड़ी और पेड़ में अंतर समझा सकते हैं प्रकार हम बच्चों में अवलोकन का कौशल विकसित कर सकते हैं
ReplyDeleteअवलोकन के माध्यम से विषय की समझ विकसित होती है
ReplyDeleteअवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं और दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
ReplyDeleteविज्ञान सीखने की प्रक्रिया में अवलोकन कौशल अत्यन्त ही आवश्यक है। यह एक मार्ग है जो विषय से सम्बन्धित कई सारे पहलुओं को अपने में समेटे होता होताहै।
ReplyDeleteबच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। इसमें उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है।
ReplyDeleteबच्चे करके जल्दी सीखते है इसलिए अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने से लगभग वास्तविक रूप देखते हैं और बच्चो के दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
ReplyDeleteअवलोकन जिज्ञासा का ही बीज है, अर्थात् अवलोकन का प्रादुर्भाव जिज्ञासा से ही हुआ है।विज्ञान विषय विद्यार्थियों में करके सीखने के गुण का विकास करता है। प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को पौधें के बारे में पढ़ाना है तो हम विद्यार्थियों के एक पौंधा लेकर आने के लिए कहेंगे फिर लाये गये पौधें के अवलोकन पश्चात विद्यार्थियों से पौधें के अंग पूछेंगे । विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त उत्तर पर चर्चा करेंगे उन्हें पौधें के अंग जड़ , तना , पत्ती ,फूल और फल के बारे में जानकारी
ReplyDeleteदेंगे । जब विद्यार्थी अवलोकन करेंगे तो उन्हें पौधे के अंग रटने की जरूरत नहीं पड़ेगी वह अवलोकन से चिरस्थाई ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं।
इस तरह अवलोकन कौशल से विद्यार्थियों में स्वयं करके सीखने की आदत का विकास होता है । विज्ञान में यह कौशल सुव्यवस्थित सीखने और चिरस्थाई ज्ञान प्रदान करता हैं।
किसी भी बस्तु के क्रम बद्ध ज्ञान को विज्ञान कहते हैं।
ReplyDeletevigyan aur lukka ka vishay hai aur local karne se bacche kisi bhi vishay vastu ko jaldi nahin bhul padhte unke mansik patal per Awasthi roop se ghar banaa leti hai aur vah jaldi se jaate Hain
ReplyDeleteबच्चे करके जल्दी सीखते हैं इसलिए अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने से लगभग वास्तविक रूप देखते हैं और बच्चों के दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
ReplyDeleteप्रेमनारायण माहौर शा.उ.मा.वि.शंकरपुर जिला ग्वालियर अवलोकन से बच्चे विज्ञान को जल्दी सीखते हैं ।अवलोकन शिक्षण के साथ-साथ ही होता रहता है ।
ReplyDeleteजन्म के साथ ही हम हर चीज को जिज्ञासा से देखते हे ओर समझने का प्रयास करते हे । अवलोकन के द्वारा ही विज्ञान के प्रति उत्सुकता उत्पन्न होती है।इसे शांत करने मे जो भी प्रयास किए जाते हे वे विज्ञान सीखने का जरिया हे ।बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पड़ाव होता है। इसमें उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है।
ReplyDeleteअवलोकन कौशल विज्ञान सीखने की एक महत्वपूर्ण गतिविधि है।मानव स्वभाव करके सीखने को ज्यादा महत्व देता है।छात्रो के लिये भी अवलोकन करके सीखना एक आनंददायी शिक्षण होता है जो ज्यादादिनो तक मन मे स्थापित रहता है।हम प्राथमिक स्तर पर मछली,मेढक की शारिरिक विशेषताओ ंर कार्यप्रणाली का वर्णन छात्रो के सामने करते है तो यह एक ऊबाऊ शिक्षण हो सकता है पर जब यही शिक्षण हम किसी तालाब या नदि के पास जाकर या टेबल पर प्रत्यक्ष मछली,मेढक रखकर उनकी विशेषताओ और कार्यप्रणाली पर वर्णन करते हुये अवलोकन कराते है तो यह अधिक प्रभावी और सरल और स्पष्ट हो जाता है।अतः अवलोकन कौशल विज्ञान सीखने मे अत्यंत ही सहायक है।अनिल केचे,स.शि.,शा.प्रा.शा.भरियाढाना, पातालकोट,तामियाँ, छिंदवाड़ा, म.प्र.
ReplyDeleteअवलोकन कौशल नवीन खोजों व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधारा है। एक पौधे की विकास यात्रा में बीजों के अंकुरण से लेकर पौधे के पूर्ण विकास की प्रक्रिया और उसमेँ सहयोग करने वाले तत्व मिट्टी, पानी, सूर्य का प्रकाश पौधे की मानव पर व मानव की पौधे पर निर्भरता सभी कुछ अवलोकन कौशल से प्राप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteAvlokan jigysa Ka beej hai jab jigysa Hoti hai to ni khoj Hoti hai Nye parinam atae hain .vigyan avlokan koshal Ka hi subject hai sajivo ki growth or satat Vikas avlokan se hi gyat Hota hai avlokan ke dwara hi savhi ko samajhnae Mai aasani Hoti hai tatha bacchon ko bhi Kisi bhi vastu ko dhyan poorvak .dhikhakar tatha avlokan dwara samjhaya ja Sakta hai
ReplyDeleteविज्ञान मे अवलोकन कौशल का बहुत महत्व है।इसमे प्रयोग एव॑प्रदर्शन किज जाते है यदि अवलोकन कौशल विकसित नही होगा तो विषय वस्तु समझने मे कठिनाई होगी
ReplyDeleteScience is human life change but keep our work seriously
ReplyDeleteAvlokan Kaushal Navin khojo aur vigyan ke liye mahatva purne hota hai.
ReplyDeleteनरेंद्र कुमार मिश्रा माध्यमिक शिक्षक शासकीय माध्यमिक शाला atania. विकास खण्ड वा जिला छतरपुर मध्य प्रदेश ।
अवलोकन का अर्थ है देखना
ReplyDeleteऔर विज्ञान के संदर्भ में अवलोकन का अर्थ है
भली प्रकार से देखना और साथ ही परखना
जांच पड़ताल करना
बच्चे विज्ञान की अधिकांश अवधारणाएं और सिद्धांत अवलोकन करके ही सीखते-समझते हैं
विज्ञान की परिभाषा भी कहती हैं कि
" किसी वस्तु/घटना के क्रमबद्ध ज्ञान को ही विज्ञान कहते हैं "
जब बच्चा किसी वस्तु को विज्ञान के संदर्भ में सीखना चाहता है तो
सबसे पहले वह उसका भली-भांति अवलोकन करता है
उसके बाद विभिन्न प्रयोग या परीक्षण करके उसके बारे में अपनी अवधारणा विकसित करता है
अर्थात् विज्ञान में अवलोकन का बहुत ही
ज्यादा महत्व है....
इसलिए विज्ञान शिक्षण में
अवलोकन कौशल के विकास की बहुत आवश्यकता है......
इसके सहयोग के बिना विज्ञान शिक्षण सिर्फ तोता-रटंत बनकर रह जाएगा...
धन्यवाद...
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
ReplyDeleteपौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे
वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा. नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
ReplyDeleteअवलोकन कौशल का सीखने में बहुत महत्व है। अवलोकन कौशल सीखने सीखाने का सरल एवं प्रभावी तरीका है ।यह विषय से संबंधित ज्ञान को स्थाई बनाता है।
अवलोकन करने से छात्र विषय वस्तु को आसानी से समझ सकते हैं इससे उनके सोचने व समझने की क्षमता का विकास होता है
ReplyDeleteबिज्ञान अवलोकन करने की एक प्रक्रिया है जिसमें बच्चों में जिज्ञासा आती है तथा पेड़ पौधों के साथ जीव जंतुओं की जानकारी मिलती है
ReplyDeleteअवलोकन कौशल विज्ञान विषय सीखने में बहुत सहायक होते है जैसे किसी इमारत का अवलोकन करने पर उसका आकार निर्माण एवं निर्माण सामग्री रंगरूप क्या है क्यों है कैसे है किसलिए है आदि के बारे में वैज्ञानिक सोच एवं समझ विकसित होगी
ReplyDeleteअवलोकन करके सीखना हर किसी के लिए ज्यादा टिकाऊ एवं जल्दी सीखा जा सकता है जैसे हमे किसी वाहन को चलाना है अथवा वाहन कौन-कौन से पुर्जों को मिला कर बनाया जा ता है उन कल पुर्जों का नाम तथा काम क्या है छूकर व देखकर जल्दी जान सकते हैं
ReplyDeleteअवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है।बच्चों में किसी विषय वस्तु के प्रति स्थाई समझ बन जाती है।जैसे कि प्राथमिक शाला के कक्षा 4 के बच्चों को पेड़ पौधों के बिषय में समझ विकसित करना है।तो बच्चों को चित्र के द्वारा, वीडियो के द्वारा, तो बता सकते हैं।मगर किसी बगीचे में ले जाकर अवलोकन के द्वारा बताया जाना कि जड़ तना पत्ते फल बीज शाखा आदि के विषय में एक परिपक्व समझ विकसित की जा सकती है।
ReplyDeleteअवलोकन कौशल ही विज्ञान सीखने का मुख्य आधार है l किसी भी पौधे या जीवों के बारे में जानकारी हम उसे सामने देखकर अच्छे से प्राप्त कर सकते हैं और उसे हम कभी भी नहीं भूल सकते l क्योंकि विज्ञान विषय की समझ केवल अवलोकन कौशल से ही विकसित की जा सकती है l
ReplyDeleteLatika jaiswal
ReplyDeleteG.P.S.Panjra,sarna, chhindwara
Yeh vigyaan shikshan ki sbse prabhavshali avm mhetvpurn vidhi mani jati h,kyoki bachee isme samasyaon ka samadhan swayam krna sikh kr apni vgyanik soch ka vikas krte h.......
EX-- podhe ke ango ki jankari kramashah,jd,tna,dali, ptti,phool, phl ka avlokan smuhvaar tick lagake, chinhit kr chatro se krya ja skta h....
विज्ञान और प्रयोग एक दूसरे के पूरक हैं। अवलोकन से बच्चों में जिज्ञासा उत्पन्न होती है,कि ऐसा क्यों होता है? यही जिज्ञासा बच्चे की वैज्ञानिक रुचि को जागृत करती है एवं तार्किक दृष्टिकोण उत्पन्न होता है।
ReplyDeleteबच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए बच्चों को तार्किक शक्ति मानसिक शक्ति का विकास होना चाहिए मन में विज्ञान के प्रति जागरूकता उत्पन्न होना चाहिए विज्ञान को समझने के लिए उनके मन में अवलोकन निरीक्षण इस प्रकार की चिड़िया होना चाहिए कि वह हर गतिविधियों का अवलोकन कर सके निरीक्षण कर सके और उसे परिणाम प्राप्त कर सके इससे उनकी तार्किक शक्ति बढ़ेगी और वैज्ञानिक दृष्टिकोण उत्पन्न होगा
ReplyDeleteअवलोकन क्वेश्चन विज्ञान सीखने में सबसे ज्यादा सहायक सिद्ध होता है क्योंकि जब हम अवलोकन की बात करते हैं मान लीजिए हमने किसी बच्चे को, पौधे का बढ़ना उसकी ग्रोथ सिखाने के लिए शाला प्रांगण में एक पौधा लगाया और बच्चे को काम दिया कि वह नियमित उसको देखेगा और कॉपी में नोट करेगा कि उस में क्या बदलाव दिखाई दे रहा है जैसे ही हम बच्चे को यह बताते हैं वह फौरन ही विषय वस्तु को इंगित करता है तुरंत ही उसका सारा ध्यान पौधे पर केंद्रित हो जाता है स्वता ही वह योजनाबद्ध समय के हिसाब से उसको देखता है उसमें प्रतिपादित बदलाव हो नोट कटता है उसके बारे में सोचता है रियो प्रस्तुतीकरण परिकल्पना यह सभी सूत्र विज्ञान की कसौटी पर बच्चे में निरीक्षण आकलन अवलोकन को मजबूत बनाते हैं साथ ही तार्किक क्षमता के आधार पर नतीजे तक पहुंचाते हैं
ReplyDeleteबच्चों को अवलोकन कौशल द्वारा विज्ञान की विषयवस्तु से सम्बन्धित अधिकांश प्रक्रिया को जीवंत रुप में दिखाया या समझाया जा सकता है , जिससे बच्चे केवल पुस्तक के ज्ञान को प्रत्यक्ष रुप से परिभाषित कर सकते हैं
ReplyDeleteअवलोकन से जिज्ञासा बड़ती हैं , बच्चा जब अलग-अलग घटनाओं का अलग-अलग ढंग से अवलोकन करता हैं तो उसमें उसके संबंध में जानकारी लेने की स्वाभाविक इच्छा जाग्रत होती हैं। फिर वह उससे संबंधित तथ्य और सत्य जानने हेतु जागरूक हो सकता हैं। और अधिगम क्षमता का विकास कर सकता हैं।
ReplyDeleteअवलोकन कौशल विज्ञान विषय सीखने में बहुत सहायक होते है जैसे किसी इमारत का अवलोकन करने पर उसका आकार निर्माण एवं निर्माण सामग्री रंगरूप क्या है क्यों है कैसे है किसलिए है आदि के बारे में वैज्ञानिक सोच एवं समझ विकसित होगी
ReplyDeleteविज्ञान का अवलोकन करने में बच्चों को नया अनुभव होता है पेड़-पौधे कैसे अपना पोषण करते है हम अपने आस-पास के जीवन, प्रकृति,आस-पास की वस्तुएं से बच्चे बहुत कुछ सीख सकते है
ReplyDeleteश्रीमती हेमलता नापित शासकीय माध्यमिक शाला खारपी फंदा ग्रामीण भोपाल
ReplyDeleteछात्र अपने आसपास के दैनिक जीवन में होने वाले अवलोकन एवं कौशल से विज्ञान को आसानी से सीख सकते हैं विज्ञान अवलोकन और कौशलों पर ही आधारित है
अवलोकन कौशल से विद्यार्थी आसानी से एवं सरल तरीके से विज्ञान सीख सकते हैं पौधों में जीव जंतुओं आदि अनेक वस्तुओं के बारे में सीखने परीक्षण करने आदि के लिए उन्हें सतत अवलोकन कराने से शीघ्र उनके गधी विकास हसन आदि की जानकारी सीख जाते हैं बच्चों की समझ विकसित होती है विज्ञान के अनेक प्रयोग अवलोकन कौशल से ही सीख पाते हैं अतः अवलोकन कौशल विज्ञान सीखने के लिए महत्वपूर्ण है
ReplyDeleteअवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं और दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
ReplyDeleteKisi bhi vastu ki parakh karke students sikhte he.
ReplyDeleteBachcho ke jivan me avalokan ek bahut hi mahatvpurn padav hota h. Isse unme vaigyanik drishtikon ka vikas hota hai.
ReplyDeleteअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
ReplyDeleteअवलोकन जिज्ञासा का प्रथम स्तर है।जिज्ञासा ही विज्ञान सीखने का मार्ग है।जिज्ञासावश ही बच्चे किसी बस्तु का अवलोकन, प्रश्न, विश्लेषण, खोज, परीक्षण, प्रयोग, सूत्र निर्माण, एवं विचार प्रकट करते हैं.अतः हम अवलोकन कर विज्ञान के उद्देश्य तक पहुंच सकते है।
ReplyDeleteअवलोकन यानि....... देखने का नजरिया ..
ReplyDeleteप्रत्येक व्यक्ति का अलग अलग नजरिया होता है, कुछ बच्चे तार्किक रूप से देखते हैं तो कुछ
सामान्य तरीके से देखते..
जैसे फली लगा हुआ जड़🌱🌿 सहित एक पौधा टेबल पर रखा हुआ है और बच्चों को बारी बारी से बुलाया जाता है तो कुछ जड़, तना पत्ती फूल आदि बताएंगे कुछ फल🍎🍊🍌🍉🍇🍒🍍 भी बताएंगें..
कुछ फली कहेंगे कुछ बीज भी बताएंगें...
तो ये उनका देखने और सोचने का नजरिया है.
विज्ञान में अवलोकन का बहुत अधिक महत्व है.... मधुसूदन शर्मा.उच्च श्रेणी. शिक्षक.
शासकीय माध्यमिक विद्यालय कोठीबाजार होशंगाबाद
विज्ञान में अवलोकन का महत्व इतना है जितना शरीर में मन का. जैसे हम शरीर की के अंगों की गतिविधियां एवं उनका सूक्ष्म चिंतन करने पर इन ज्ञानेंद्रियों की कार्यप्रणाली उपयोग आदि से परिचित होते हैं अर्थात मन या बुद्धि के द्वारा हम शरीर के सभी अंगों उनके सभी कार्यों उपयोग एवं समस्त जानकारी समझ लेते हैं जान लेते हैं उसी प्रकार वस्तुओं का को देखकर उनको सॉन्ग कर ध्वनियों को सुनकर स्पर्श करके स्वाद लेकर हम वस्तुओं पदार्थ को के स्वभाव को समझ सकते हैं जैसे नमक देखने में देखने में सफेद रंग का पर्स में स्पर्श करने में कठोर स्वाद में खारा सूंघने में गंध हीन है इसी प्रकार अन्य पदार्थों तत्व आदि के भौतिक गुण को हम अवलोकन के द्वारा ही तो जानते हैं इस तरह अवलोकन विज्ञान में सबसे प्रमुख भूमिका का निर्वहन करता है
ReplyDeleteअवलोकन द्वारा बच्चे मे किसी भी object की समझ की दिशा की प्रेरणा और प्रक्रिया जाग्रत होती है । उसमे उत्सुकता और एक दिशा मे काम करने की सोच बनती है । जो उसे एक खोज की ओर प्रेरित करती है ।
ReplyDeleteकल्पना बेडेकर (प्र.अ.) जबलपुर
ReplyDeleteअवलोकन द्वारा बच्चें वास्तविकता के समीप जाकर ,तथ्यों को समझने का प्रयास करते है ।
अवलोकन से जागरूकता पैदा होती है और जागरूकता से नवीन चीजों का अविष्कार होता है।
ReplyDeleteप्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को पौधें के बारे में पढ़ाना है तो हम विद्यार्थियों के एक पौंधा लेकर आने के लिए कहेंगे फिर लाये गये पौधें के अवलोकन पश्चात विद्यार्थियों से पौधें के अंग पूछेंगे । विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त उत्तर पर चर्चा करेंगे उन्हें पौधें के अंग जड़ , तना , पत्ती ,फूल और फल के बारे में जानकारी
ReplyDeleteदेंगे ।
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
ReplyDeleteपौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे
वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार हैअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
बच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढ़ाव होता है ।इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है ।साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है ।
प्राथमिक स्तर के विद्यार्थियों को पौधें के बारे में पढ़ाना है तो हम विद्यार्थियों के एक पौंधा लेकर आने के लिए कहेंगे फिर लाये गये पौधें के अवलोकन पश्चात विद्यार्थियों से पौधें के अंग पूछेंगे । विद्यार्थियों द्वारा प्राप्त उत्तर पर चर्चा करेंगे उन्हें पौधें के अंग जड़ , तना , पत्ती ,फूल और फल के बारे में जानकारी देंगे ।
ReplyDeleteबच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्त्वपूर्ण पढाव है। इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। जिससे वे नये-नये प्रयोग सीखते हैं वे नया कुछ करने की जिज्ञासा विकसित होती है।
ReplyDeleteश्रीमती श्रीलेखा तारे
शा.प्रा.वि.सुभाषक्र.२रतलाम
अवलोकन जिज्ञासा का बीज है। अर्थात जिज्ञासा का प्रादुर्भाव अवलोकन से ही होता है ।जिज्ञासा तथ्यों के पीछे निहित सिद्धांतों, मतों को सावित करने के लिए साक्ष्य इकट्ठा करने के लिए प्रयोग करने और उन्हें सिध्द करने के लिए प्रोत्साहित करती है। चूंकि विज्ञान साक्ष्य पर आधारित है, इसलिए यह तार्किक है।
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
ReplyDeleteपौधों के अंगों की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं ! सजीवों मे
वृद्धि और विकास , सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
विज्ञान में अवलोकन का विशेष महत्व है, क्योंकि विज्ञान अवलोकन से ही सीखा जा सकता है।
ReplyDeleteविग्यान सीखने का अहम पद है,आओ करके सीखे,तात्पर्य अवलोकन सीखने का अहम पद है
ReplyDeleteबच्चों में अवलोकन कौशल एक महत्वपूर्ण पढ़ाव होता है ।इससे उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है ।साथ ही जिज्ञासा एवं तर्क शक्ति भी विकसित होती है ।
ReplyDeleteअवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज का अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
ReplyDeleteScience ek ESA Gyan ka subject h jise avalokan ke Bina sikha hi nhi ja skta.ham ye Kah skte h ki science ke aim avaloken se hi possible h
ReplyDeleteAb lokan Kaushal se a bacchon mein vaigyanik drishtikon utpann hota hai vishwam Karke satta ki kasauti par pass kar parinaam on ko jante Hain Jo jo tarikh samta ko banata hai aur aur vigyan vishay ko padhne mein rochak tathya utpann karta hai.
ReplyDeleteअवलोकन कौशल बच्चों के विज्ञान सीखने में किस प्रकार सहायक होता है तो अवलोकन करने से बच्चे किसी भी चीज को आसानी से सीखजाते हैं और उनके दिमाग में स्थाई रूप से प्रवेश करता है जैसे हमें बच्चों को हमारे देश की रबी खरीफ की फसल के बारे में बताना है तो हम उनके रबी और खरीफ फसल दिखाकर समझा सकते हैं।
ReplyDeleteअवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है और प्रत्येक चीज को अवलोकन करने वास्तविक रूप में देखना चाहते हैं और दिमाग में स्थाई ज्ञान का विकास होता है
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ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है। अवलोकन कौशल से बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास होता है। वृद्धि और विकास सतत अवलोकन सेही ज्ञान होता है। अतः अवलोकन नवीन खोजों का एवं विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है। विज्ञान में अनेक प्रकार की गतिविधियां होती है। विघार्थियों से पौधे के अंग पूछेंगे । विघार्थियों द्बारा प्राप्त उत्तर पर चर्चा करेंगें उन्हें पौधे के अंग जड़ ,तना,पत्ती, फूल और फल के बारे में जानकारी देंगे।
ReplyDeleteहमारे लिए विज्ञान की जानकारी होना बहुत ही आबश्यक है विज्ञान के विना हमारा जीवन अधूरा है ।
ReplyDeleteसावित्री भार्गव
विज्ञान अवलोकन कौशल के द्वारा ही सीखा जाता है l जीव जंतु या वनस्पति आदि के बारे में जानकारी अवलोकन से ही प्राप्त होती है अत: अवलोकन कौशल विज्ञान शिक्षण का मूल आधार है l
ReplyDeleteअवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
ReplyDeleteपौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे
वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
अवलोकन कौशल बच्चो के विज्ञान सीखने में सहायक होते हैं|इससे बच्चे में जिज्ञासा, तर्कशक्ति ,विश्लेषण ,परिणाम निकालने की समझ का विकास होता है तथा बच्चे का ज्ञान सुदृढ़ होता है तथा स्वयं अवलोकन करने से बच्चे मेंआत्मविश्वास विश्वास प्रबल होता है|
ReplyDeleteरानी पटेल प्राथमिक शिक्षक
अवलोकन से बच्चो की समझ विकसित करने में मदद मिलती विज्ञान में प्रयोग किए जाने भिन्न शब्दों को अवलोकन की सहायता से समझा जा सकता है। जब बच्चे स्वयं अवलोकन करेंगे तो कुछ नया सोचेंगे ।जिस से उन्हें रटने की आदत नहीं पड़ेगी उनके पास जो ज्ञान होगा वो एक दम पुष्ट होगा । और यही हमारी शिक्षा का लक्ष्य है
ReplyDeleteअवलोकन से बच्चों का विकास होता और उनकी जिज्ञासा उनके प्रश्न सभी को खोजने की प्रवृत्ति विज्ञान को समझने में सहायक होती है
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है |
ReplyDeleteपौधों के अंगो ं की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती हैं सजीवों मे
वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही ज्ञात होता है |अत: अवलोकन नवीन खोजों का व विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है|
विज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है पौधों के अंगों की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती है सजीव में वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही प्राप्त होता है इसलिए अवलोकन नई नई खोजों का वह विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है
ReplyDeleteविज्ञान अवलोकन कौशल का ही विषय है पौधों के अंगों की जानकारी पौधे के अवलोकन से ही प्राप्त होती है सजीव में वृद्धि और विकास सतत अवलोकन से ही प्राप्त होता है इसलिए अवलोकन नई नई खोजों का वह विज्ञान की समझ विकसित करने का आधार है
ReplyDeleteअवलोकन करने से सामग्री की पहचान कतेहैपौधो के तंतुओं, फूलों अवलोकन करबनावट कार्य सुगंध के आधार पर करताहै सामग्रियों जीवों को पृथक करता हैघुलनशील,अघुलनशील पारदर्शी पारभासी अपारदर्शी के रूप में जड़ी बूटी तो झाड़ियों पेड़ों लता जैविक अजैविक के रूप में आदि सवालों के जवाब तलाशने के लिए सरल अवलोकन कर प्रोत्साहित होंगे खोजबीन करते अभिव्यक्तियों को मापता है प्रश्र प्रस्तुतकरता है।
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