मॉड्यूल 11 गतिविधि 6: चिंतन बिंदु
पाठ्यपुस्तक की सहायता से स्पष्ट करें कि आप अपनी कक्षा में विभिन्न संवेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर, पर्यावरण और विशेष आवश्यकताओं (दिव्यांग्जन) आदि का समावेश कैसे करेंगे ?
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
जेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे
और दिव्यॉगता का अहसास नहीं होगा|
पर्यावरण सभी विषयों का आधार
है आज पढा़ये जाने वाले सभी विषय पर्यावरण से निकलकर आये हैभाषा,पर्यावरण की वस्तुओं को चिह्नित करने के लिए निर्मित की गयी है जीव जन्तुओ की सामाजिक आवासीय व्यवस्था से मानवीय सामाजिक व्यवस्था का विकाय हुआ है|पर्यावरण ही समस्त भूगोल खगोल व विज्ञान है पर्यावरणीय वस्तुओं कीगणना व आकृतियॉ व उनके मध्य दूरियो कीगणना, गणित है अंक तो संकेत मात्र हैं|
इस प्रकार पाठ्यपुस्तक की सहायता से विभिन्न संवेदी मुद्दे जैसे जेंडर
संवेदन शीलता ,पर्यावरण वदिव्यॉगता आदि का समावेश किया जा सकता है|
We can do various textbook activities in the classroom where boys and girls can be grouped together and asked to do the activity in this way both boys and girls will work together to achieve their goal.
ReplyDeleteEnvironment is the basis of all subject.Every student has an environmental impact.
As all children learn in different way.It us important to make every lesson as multisensory as possible.Students with learning disabilities might have difficulty in one area,while they might excel in another.For example use both visual and auditory cues.Create opportunities for tactile experiences.We need to use the balance of structure and familiar lessons with original content.
ReplyDeleteनमस्कार,
पाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
पर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना।
जलवायु परिवर्तन से जोड़ते हुए महामारीयो के कारण,प्रकोप और बचाव के उपाय आदि का संवेदनशीलता के साथ वास्तविक ज्ञान देना।NCERT की पर्यावरण अध्ययन पर प्रकाशित "पुस्तकों में हमारा पर्यावरण"
https://swayam.gov.in/nd2 nce20 sc04/preview.
वेब लिंक पर प्राप्त किया जा सकता हैl
विशेषआवश्यकतावाले(दिव्यांगजन)बच्चों के लिए शासन ने लगभग 21 तरह से केटेग्राइज किया है, जिनमें- दृष्टिबाधित,अल्प दृष्टि,कुष्ठ रोगी,श्रवण बाधित,चल-निशक्तता, बैगपन,बौद्धिक निशक्तता,मानसिक रोग,ऑटिज्म,सेरीब्रल, मांसपेशी दुविकारकार,न्यूरो-लाजिकल कंडीशन आदि से संबंधित हो सकते हैं। इंटरनेट की सहायता से हम इनकी विशेषता की पहचान कर कक्षा में अथवा बाहर निम्न प्रकार मदद कर सकते हैं।
@गंभीर अक्षमता वाले बच्चों को घर में शिक्षा पाने का पूर्ण अधिकार-RTE 2012 समावेशी शिक्षा एवं नीतिगत ढांचा।
@RPW विशेष आवश्यकता वाले बच्चे दिव्यांगजन अधिकार कानून 2016
@
(01) यदि बच्चा श्रवण बाधित(HI) है तो उसके लिए आवश्यक उपकरणों सहायक सामग्री पाठ्यचर्या समायोजन और कक्षा व्यवस्था का उपयोग कर उसकी अधिगम क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
(02) HI-श्रवण बाधित बच्चे की अधिगम क्षमता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षणार्थियों से उपाय पूछ कर।
(03) शिक्षक विशेष आवश्यकता वाले बच्चे को आगे वाली पंक्ति में अपने ठीक सामने बैठाए ताकि वह शिक्षक का चेहरा देख अनुमानित तौर पर सीखता रहे।
(04) दृष्टिबाधित दिव्यांगजन(VI)को प्रशिक्षित शिक्षको से उपाय पूछकर या सहायक सामग्री की मांग कर।
(05) मानसिक रूप से दिव्यांग(ID) बच्चों का शारीरिक दोष दिखाई नहीं देता अतः उन्हें सरल गतिविधियों से जोड़कर।
यदि हम दिव्यांगजनों को समाज का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा माने जितना एक स्वस्थ व्यक्ति होता है, तो वह समाज की उपेक्षाओ से बचकर अपने भीतर छुपी विशिष्ट क्षमताओं को दिखा सकते हैं,निश्चित ही उन्हें हमारी हमदर्दी कि नहीं मदद की आवश्यकता होती है।
धन्यवाद।
संतोष कुमार अठया
( सहायक शिक्षक )
शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा
जिला-दमोह (म. प्र. )
शालाडाइस कोड - 23120300502
मोबाइल नंबर- +919893106688
Kailash prasad yadav
ReplyDeleteM.s soojipurva Gangeo rewa m.p
मेरे विचार
जेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
दिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे।
पाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना।
पाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना।
पर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना।पाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिलेपाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे
जेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे।
पाठ्यपुस्तक की सहायता से हम जेंडर की भिन्नता को दूर करने की कोशिश करेंगे एवं जो बच्चे दिव्यांग है उन्हें हीन भावना से दूर रखेंगे
ReplyDeleteWe can do various text book activities in the class room . We can give different activites to them where both girls and boys are involved in the activity.Environment is the basic of all the subject. It is very important to make the subject interesting by giving lot of activities as we can keep them involve in this way.
ReplyDeleteमैं रघुवीर गुप्ता शासकीय प्राथमिक विद्यालय नयागांव संकुल केंद्र शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सहसराम ब्लॉक विजयपुर जिला sheopur मध्य प्रदेश पाठ पुस्तकों के माध्यम से हम बच्चों के बीच लैंगिक भेदभाव और विषमता को दूर कर सकते हैं बच्चों को जो बालिकाओं ने साहस के काम किए हैं उनकी कहानियां सुनाइए तथा जो हमारे विकलांग बच्चे हैं तो जो विकलांग बच्चों के द्वारा जो साहस के कार्य किए गए हैं उनकी कहानी सुनाएंगे तथा विकलांग बच्चे बच्चियां एवं मंदबुद्धि बच्चेआदि सभी बच्चों का समावेश करके हम अपनी कक्षा का संचालन करेंगे और एक समानता का भाव पैदा करेंगे और यह बच्चों को बताएंगे कि सभी बच्चे समान हैं कोई भी कम या अधिक महत्वपूर्ण नहीं है बच्चों को ऐसी कहानियां सुनाएंगे जिसमें सभी लोगों का समावेश किया गया हो जैसे दिव्यांग बच्चे बालिकाएं शारीरिक विकलांग बच्चे मानसिक विकलांग बच्चे बच्चे मोम की तरह होते हैं उन्हें कोई भी रूप दिया जा सकता है हम जैसे विचार उनके साथ साझा करेंगे बच्चों की मनोवृति अभी वैसे ही होंगी हम अपने पढ़ाने के दौरान भी इस बात का ध्यान रखें कि हम किसी प्रकार का भेदभाव तो नहीं कर रहे हैं हमारा व्यक्तित्व ही हमारे बच्चों पर निर्भर करेगा कि हमारा कार्य किस प्रगति का है अगर हम स्वयं स्टाफ में भेदभाव रखते हैं तो निश्चित तौर पर बच्चों के बीच भी हम लैंगिक भेदभाव को कभी नहीं मिटा पाएंगे इसीलिए सबसे पहले हमें अपने आप में बदलाव करने की आवश्यकता है तदनुसार पाठ पुस्तकों के अनुसार बच्चों को शैक्षणिक कार्य करवाना है जिससे उनमें लिंग भेदभाव जातिवाद आदि दूर हो सके
ReplyDeleteजेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे।
Jendar bhed samaj ke dawara banaya gaya hai.hum pathy pustak ke madyam sesabhi bachcho ke sath samanta ka byabhar kahenge.gati vidhi me sabhi ko saman avsar denge.
ReplyDeleteDiviyang bachche bhi samaj ka avinn ang hote hai. Esliye unki chhamta anusar unhe bhi gati vidhi me anay bachchon ke sath avsar piradan karenge.
जेंडर भेद सामाजिक है जैविक रूप से सभी समान हैं शारीरिक भावनात्मक मनो परक समानता मेल फीमेल और थर्ड जेंडर तीनों में है अता कक्षा में पाठ्यपुस्तक की गतिविधियां करने के अवसर सभी को समानता यसंतापुर वर्क उपलब्ध कराएंगे दिव्यांग बच्चे भी समाज का अंग है इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों में भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे।
ReplyDeleteशारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना
सभी मनुष्य समाज का अंग है ।शारीरिक संरचना में अंतर या विकृति होने के बावजूद सभी बच्चों को सीखने के समान अवसर उपलब्ध कराना ,शैक्षिक गतिविधियों में समान भागीदारी सुनिश्चित कराएंगे ,हमारे आसपास विभिन्न जैविक एवं अजैविक घटक मौजूद हैं इनका दोहन रखरखाव सुरक्षा उचित उपयोग जो हमारे जीवन को खुशहाल एवं उन्नत बनाता है ।
ReplyDeleteसमाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास हमें सतत रूप से करते रहना चाहिए ।बच्चों को इस बारे में हमेशा शिक्षा देते रहना चाहिए ।जब भी अनजान लोग भी कई तरह का कार्य कर सकते हैं ।जैसे खेल कूद, डॉक्टर ,वैज्ञानिक आदि का कार्य दिव्यांग व्यक्ति कर सकते हैं ।अत: उन्हे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए ।उन्हें पढ़ाने हेतु कक्षा में भी कई व्यवस्थाएं की जा सकती हैं ।बच्चों की जानकारी देते रहना चाहिए स्कूलों में भी उन्हे पढ़ाने के लिए हम विशेष त्यवस्थाएं कर सकते हैं ।
ReplyDeleteSab ke sath samaanta ka vyawahar karte huwe,samaan awsar pradan karke shikshan karna.bhogolik bhraman par lejakar paryawaran ka adhyayan karwana .
ReplyDelete
ReplyDeleteजेंडर भेद सामाजिक है जैविक रूप से सभी समान हैं शारीरिक भावनात्मक मनो परक समानता मेल फीमेल और थर्ड जेंडर तीनों में है अता कक्षा में पाठ्यपुस्तक की गतिविधियां करने के अवसर सभी को समानता यसंतापुर वर्क उपलब्ध कराएंगे दिव्यांग बच्चे भी समाज का अंग है इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों में भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे
समाज में व्याप्त रुढ़िवादी विचारों, जेंडर व दिव्यांगजन भेदभाव को दूर करने के लिए समावेशी कक्षा व पाठयपुस्तकों के माध्यम से सभी को समान अवसर प्रदान कर तथा सामूहिक गतिविधि के द्वारा शिक्षण करना तथा विद्यार्थियों को जागरूक करना।
Deleteअध्ययन अध्यापन में लिंग भेद या लैंगिक समानता समानता कतई उचित नही है । हाँ दिव्यांगजनो के लिये उनकी सुविधा व क्षमतानुसार शिक्षण होना चाहिये ।
ReplyDeleteASHIM KUMAR TIWARI CAC BALSAMUD RAJPUR BARWANI
ReplyDeleteशारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
दिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
लैगिक असमानता
ReplyDeleteजेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteसमाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास हमें सतत रूप से करते रहना चाहिए ।बच्चों को इस बारे में हमेशा शिक्षा देते रहना चाहिए ।जब भी अनजान लोग भी कई तरह का कार्य कर सकते हैं ।जैसे खेल कूद, डॉक्टर ,वैज्ञानिक आदि का कार्य दिव्यांग व्यक्ति कर सकते हैं ।अत: उन्हे नजर अंदाज नहीं करना चाहिए ।उन्हें पढ़ाने हेतु कक्षा में भी कई व्यवस्थाएं की जा सकती हैं ।बच्चों की जानकारी देते रहना चाहिए स्कूलों में भी उन्हे पढ़ाने के लिए हम विशेष त्यवस्थाएं कर सकते हैं ।
पाठ्यपुस्तक में दी गई प्रत्येक गतिविधियों में जेंडर, पर्यावरण और दिव्यांग जनों को साथ लेकर हल करने का प्रयास करेंगे
ReplyDeleteपढाई कराते समय भेदभाव नही समानता का भाव रखेंगे
कक्षा 6 में पाठ 1-' विजयी विश्व तिरंगा प्यारा' कविता पढ़ाते समय बच्चों से महापुरुषों के चित्र पहचानने को कहेंगे ।उनमें महिलाएं ,जैसे -लक्ष्मीबाई का चित्र भी होगा( जेंडर के समायोजन हेतु )।फिर सुरीले बच्चे से कोई राष्ट्रीय गीत गाने को कहेंगे या शिक्षक स्वयं गाएगा (तन्मयता / तादात्म्य हेतु )।फिर पाठ पढ़ाने के बाद रोल प्ले करने को कहेंगे ।छात्रों को महिला चरित्र की भूमिका निभाने को कहेंगे और छात्रा को पुरुष की ।अल्प दृष्टि के बच्चों को उचित पंक्ति में खिड़की के पास बैठाने की व्यवस्था करेंगे ।श्रवण बाधित यदि कोई है तो उसके लिए जरूरत पड़ने पर दोहराव करेंगे ।उत्कृष्ट स्तर वाले छात्र पदों का अनुवाद करेंगे एवं श्रुतलेख एवं सारांश लेखन में मदद करेंगे। ध्वज के हरे रंग का वर्णन करते समय पर्यावरण संरक्षण पर जोर देंगे। इस प्रकार हम अपनी पाठ योजना में जेंडर ,दिव्यांगता, कला ,भाव-प्रवणता, पर्यावरण के साथ-साथ जाति धर्म से ऊपर उठकर देश - रक्षा की भावना आदि भी शामिल करेंगे।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक में दी गई प्रत्येक गतिविधियों में जेंडर, पर्यावरण और दिव्यांग जनों को साथ लेकर हल करने का प्रयास करेंगे
ReplyDeleteपढाई कराते समय भेदभाव नही समानता का भाव रखेंगे
पाठ्य पुस्तक में दी गई गतिविधियां जेंडर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों एवं पर्यावरण को साथ लेकर अध्यापन कराना नितांत आवश्यक है। पठन-पाठन के दौरान जेंडर भेद का समावेश नहीं होना चाहिए अर्थात लिंगी या भेदभाव पठन-पाठन के दौरान नहीं होना चाहिए। कक्षा में पाठ्यपुस्तक के में दी गई विभिन्न गतिविधियों को पूर्ण करने में जेंडर पर्यावरण और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को समान रूप से शामिल करना शिक्षक का परम कर्तव्य है। कक्षा में सभी बच्चों को पठन-पाठन का समान अवसर प्रदान करना चाहिए। बच्चों में पर्यावरण के प्रति सचेत करते रहना चाहिए तथा समान रूप से सभी बच्चों में आसपास के पर्यावरण से वाकिफ कराना नितांत आवश्यक है। कक्षा में समावेशी शिक्षा अन्य बच्चे अपने स्वयं के व्यक्तिगत आवश्यकताओं यानी क्षमताओं के साथ-साथ जेंडर को एक व्यापक विविधता के साथ दोस्ती विकसित करने आज का शिक्षा का परम कर्तव्य है। समावेशी शिक्षा का आशय दिव्यांग विद्यार्थियों जिन्हें आजकल विशेष आवश्यकताओं वाला बच्चा माना जाता है को सामान्य बच्चों और विशिष्ट आवश्यकता वाले बच्चों में भी कोई भेदभाव कक्षा में नहीं रहना चाहिए। आपसी सहयोग से पठन-पाठन के कार्य को सहजता से हो तथा उनमें लिंगी भेदभाव भी ना हो। इसका भी कक्षा में देखना एक दोनों तरह के विद्यालय एक दूसरे को ठीक ढंग से समझें और पठन-पाठन करें। इनके प्रति अपेक्षित संवेदनशीलता का विकास हो इसके लिए समावेशी शिक्षा को समय-समय पर प्रोत्साहित करते रहना चाहिए। अपनी उदारीकरण की प्रक्रियाओं से प्रेरित करना। यह राजनीति का अर्थशास्त्र इस मान्यता पर भी आधारित है कि जो भूमंडलीकरण पर इस सरकार को जन कल्याण सामाजिक तथा गैर उत्पादक कार्यों में कम से कम यानी विशेष आवश्यकता वाले बच्चों जैसे के लिए विशेष विद्यालय चलाना महंगा सौदा है। शिक्षा में समावेशी शिक्षा को लागू करना बेहद कठिन है। जैसे दृष्टिबाधित अस्थि बाधित मूकबधिर मंदबुद्धि स्वलीनता से ग्रसित बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग मार्गों से होकर अंशकालीन शिक्षक शिक्षिकाएं रखे जाते हैं। समावेशी शिक्षा भूमंडलीकरण की देन है।
ReplyDeleteआता यह हम सब को चाहिए कि सभी बच्चों को सीखने के समान अवसर प्रदान करना नितांत आवश्यक है। जो बच्चे दिव्यांग हैं उनमें हीनता की भावना ना पन पर इस हेतु उनका समय समय पर शिक्षकों को उत्साहवर्धन करते रहना भी आवश्यक है। पाठ्य पुस्तक में दी गई गतिविधियों को करने के लिए सभी बच्चों को समान अवसर प्रदान करना भी है इस हेतु समय-समय पर जेंडर विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के साथ समानता का भाव भी रखना आवश्यक है।
एक शिक्षक के रूप में मेरे विचार से बहु भाषा को एक संसाधन यह रणनीति की तरह उपयोग में ला सकते हैं जैसे हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास करते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है कि वे एक से अधिक शाखा ध्यान रखें हमारे भारत के स्कूलों में हम ऐसा कर सकते हैं की दक्षिण की भाषाओं को उत्तर में और उत्तर की भाषाओं को दक्षिण में पूर्व की भाषाओं को भी इसी तरह अन्य राज्यों में लागू कर हमें 3 भाषा जानने वाला पाठ्यक्रम चलाना अधिक उचित प्रतीत होता है
ReplyDeleteLatika jaiswal
ReplyDeleteG.P.S panjra,sarna, chhindwara
Divyang bachhe bhi smaj k ang h dusre chatro k sath chmta k anusar gatividhi bhag lene ke avsar upalabdh honge , bhavishy m bachee pariwaar v smaj akelepan ka anubhav nhi krenge, khush rhenge......
Pathy pustak m di gai prtyek gatividhi jender, prywarn aur
diwyangjno ko sath lekar hl krne ka pryas krege..
कक्षा में सभी बच्चो की समान कार्य करने का अवसर देकर लिंग भेद किये बिना दिव्यांग बच्चों को उनकी क्षमताओं के अनुरूप सहयोग देकर एवम लेकर शिक्षण योजना का निर्धारण करके
ReplyDeleteशिक्षण मे लिंग, पर्यावरण, विकलांग ता का भेद नही करना चाहिए सभी को समान शिक्षा देना नवीन शिक्षा नीति का उद्देश्य है ।
ReplyDeleteरामेश्वर श्रीवास्तव शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय दतिया कक्षा में बिना भेदभाव के सभी बच्चों को एक समान कार्य देने का कौशल विकसित करना चाहिए
ReplyDeletePathyakram pustake hamari sabse achi mitra hai. Hamari har ek samsya ka hal karti hai. O khoon kaho kis matlab ka jo a sake desh ke kam nhi.hindi ke path 678 ke haar ki jeet .Rakshabandhan. nanha satyagrhi. Maharani laxmi bai. Mughe bahut achai lage. Shala ko shidha karne or gender sambandhi muddon ko hal karne me ye path hamari bahut madad karte hai. Padna arth gadna. Desh ki sewa ham kisi bhi roop mai kar sakte hai bus sewa karne ka jajba hamare dil mai hona chahiye. Vishesh awasyakta wale samuh ke liye shashan ke pass kya ranniti hai o mughe chahiye . Ek mansik rogi or mand budhi dusro ko badhit bhi to kar sakta hai eske liye shashan hame margdarshan de. Ek mandabuddhi or shararti padne ke vatavaran ko banne nhi dete eske liye hame karya yojna banane ki awsykta.
ReplyDeleteNamaskar.
सभी बच्चों को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर देकर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की मदद से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता को दूर करने के लिए हम सभी बच्चों को समान अवसर देंगे
ReplyDeleteभाषा कौशल शिक्षण सुन ना बोलना पढना लिखना सन्दर्भ आधारित व्याकरण शिक्षण शब्दावली और साहित्यक मूलपाठ कक्षा में प्रिंट वातावरण का निर्माण करना है
ReplyDeleteसभी बच्चों को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर देकर लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।
ReplyDeleteसभी बच्चों को , चाहे वह लड़का हो , लड़की हो , या विशेष आवश्यकता वाले बच्चे, सभी को समान अवसर देकर कक्षा मे पढ़ाई और गतिविधियां कराई जा सकती है , जिससे उनका बहुमुखी विकास हो सके ......क्योंकि मेरा भी मानना है कि जैविक अंतर अलग पर हमें अपने स्तर पर सामाजिक भेदभाव नही करना चाहिए तभी हम आगे बढ़ सकते है ।
ReplyDeleteधन्यवाद 🙏 दीप्ति जैन शिक्षिका दतिया
अल्का बैंस प्राथमिक शाला कूकड़ा जगत छिन्दवाड़ा
ReplyDeleteएक शिक्षक होने के नाते हर व्यक्ति की ज़िम्मेदारी होती है कि वह एक परिपक्व स्तर पर संवेदनशील मुद्दों को को स्वयं समझे और समाज को समझाए ताकि छात्र छात्राएं उन मुद्दों को अपनी योग्यता अनुसार समझकर समन्वय स्थापित कर सकें।
क क्षा में जेंडर, विकलांगता ऐसे मुद्दे है जो पुरानी रूढ़िवादी सोच पर आधारित है और जिन्हें बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए बच्चों को शुरवात से ऐसा माहौल देना चाहिए कि वे सभी के साथ किसी भी व्यक्ति परिस्थिति को समझे। इसके लिए हमें सभी बच्चों को बिना भेदभाव के साथ समान ध्यान देते हुए पढ़ाना चाहिए। विभिन्न खेलों, सांस्कृतिक गतिविधियों, शैक्षिक चर्चा परिचर्चाओं में भाग दिलवाना चाहिए। भौगोलिक एवम् समजिक पर्यावरण को समझाने के लिए मिलजुलकर काम करना चाहिए ताकि पढ़ने वाले एक दूसरे को समझ सकें और उनमें एक दूसरे की अहमियत समझने कि भावना विकसित हो।
लड़का हो या लड़की या विशेष आवश्यकता वाले बच्चे सभी को कक्षा में समान अवसर देकर बहुमुखी विकास किया जा सकता है।
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना।
नमस्कार जेंडर, पर्यावरण और सीडब्ल्यूएसएन यह सभी मुद्दे हमारी कक्षा में मौजूद रहते हैं सभी बच्चों को समान रूप से समेकित शिक्षा प्राप्त हो सके यह प्रयास करूंगा एवं उनकी सामाजिक भाषाई स्थितियों का आकलन कर उनके स्तर से उन्हें नॉलेज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करूंगा।
ReplyDeleteMs Phanda kala mukesh Sharma handicapped
ReplyDeleteमेरे विचार
जेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
दिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे।
Ladke, ladkiyo or vishesh awashyakta vale bccho ko saman awasar dekar unka sarwangin vikas kiya ja skta he.
ReplyDeleteकक्षा में पाठ्यपुस्तक की गतिविधियां करने के अवसर समान रूप से सभी विद्यार्थियों को उपलब्ध कराएंगे उनमें किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेंगे चाहे वह जेंडर आधारित हो या दिव्यांग बच्चे हो पाठ्य पुस्तक पर आधारित गतिविधियां करने के अवसर हम सभी बच्चों को समान रूप से देंगे ताकि आगे समाज में वह सब एक साथ चल सके एक साथ आगे बढ़ सके
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक में दी गई प्रत्येक गतिविधियों में जेंडर, पर्यावरण और दिव्यांग जनों को साथ लेकर हल करने का प्रयास करेंगे
ReplyDeleteपढाई कराते समय भेदभाव नही समानता का भाव रखेंगे
Sabhi vidhyarthiyon ko saman avsar prapt hona chajhiye. Padhyapustak me di gayi gatividhi karwakar sabhi ko saman roop se gyan prapt hogaa.
ReplyDeleteदिलीप सिंह ठाकुर, शिक्षक, शासकीय एकीकृत शाला, घाना, घुन्सौर, जबलपुर =पाठ्य पुस्तकों की सहायता से लेगिंग असमानता को दूर करने के लिए शैक्षिक चर्चा विद्यार्थियों के साथ करना उचित होगा।... दिलीप सिंह ठाकुर, जबलपुर
ReplyDeleteबहुत से ऐसे काम गतिविधियां क्लास में कराई जा सकती है जिनमें लड़कों की जगह लड़की और लड़की की जगह लड़कों से प्ले करवाया जा सकता है परमप्रीत चली आ रही कुरीतियों को खत्म करने का यह सबसे अच्छा तरीका होगा इकलेश तिवारी आलमगंज मनगवाँ
ReplyDeleteकक्षा सभी विद्यार्थियों को समान शिक्षा देने हेतु उचित मार्गदर्शन एवं गतिविधियां उपयोग करेंगे। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए उनकी आवश्यकता अनुसार शिक्षण हेतु गतिविधियों को उपलब्ध कराना। शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराना
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से हम जेंडर की भिन्नता को दूर करने की कोशिश करेंगे छात्रों को समानरूप से ही कक्षा में अध्यापन कार्य करना चाहिये
ReplyDeleteजेंडर का मुद्दा हमारे समाज में बहुत ही बड़े रूप में फैला है हम लोग बहुत प्रयास करते हैं और निष्ठा मॉड्यूल से तो हमें आप बहुत अधिक प्रयास करना है ताकि एक जेंडर भेदभाव जो है वह समाप्त किया जा सके पाठ्यपुस्तक की सहायता से भी हम जेंडर भेदभाव को खत्म कर सकते हैं हर शिक्षक को जेंडर भेदभाव को खत्म करना ही होगा हमें सभी छात्रों को छात्राओं को समान रूप से शिक्षा देनी पड़ेगी दिव्यांग बच्चों को भी हम समानता का अधिकार दे उन्हें भी हम समान रूप से शिक्षा देंहमें कुछ वीरांगनाओं और कुछ भरे गरीब वर्ग से आई रे लड़कियां जो आज बहुत बड़े पद पर है उनके उदाहरण देनी चाहिए ताकि लड़कियों में भी आत्मविश्वास बढ़ सके जब भी हम नाटक या नृत्य का कार्यक्रम आयोजित करें या रंगोली मेहंदी प्रतियोगिता कुछ भी हो उसमें हमें लड़कियां और लड़कों दोनों को साथ लेना चाहिए लड़कों को यह बताएं कि जो लड़कियां करती हैं वह लड़के भी करें और लड़कियों को लड़कों वाले काम नहीं करने चाहिए इस प्रकार हमारे यहां समानता की भावना पैदा होगी
ReplyDeleteश्रीमती चंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा,जिला नरसिंहपुर (एम.पी.)
जेंडर सामाजिक रूप से निर्धारित और सांस्कृतिक रूप से महिलाओं पुरूषों और ट्रांसरेंडर के बीच अंतर को संदर्भित करता है ।आज लड़कियां भी हर क्षेत्र में बराबरी से लड़की के समान कार्य कर रही है।
ReplyDeleteप्रकृति हमें सभी प्रकार का बोध कराती है, यदि हम सूक्ष्म अन्वेषण करें तो, प्रत्येक बच्चे के आसपास ऐसी चीजें मिल जायेंगी जिनकी सहायता से हम उन्हें सभी बातों से परिचय करवा सकते हैं।।
ReplyDeleteविभिन्न विषयों के अध्यापन के समय जेण्डर,प्रर्यावरण,cwsn, से संबंधित विषय वस्तु आने पर कक्षा में चर्चा करना, वाद विवाद आयोजित करना आदि विधियों से इन विषयों का समावेश किया जा सकता है।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
प्रत्येक बच्चे से पाठ्यपुस्तक में दी गई प्रत्येक गतिविधियों में जेंडर, पर्यावरण और दिव्यांग जनों को साथ लेकर हल करने का प्रयास करे तथा विद्यालय मे पढाई कराते समय भेदभाव नही समानता का भाव रखना चाहिए
ReplyDeleteजेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे।
पाठ्यपुस्तक के माध्यम से जेंडर भेद को मिटाने की कोशिश करेंगे ।सभी को समान अवसर देंगे पर्यावरण की जानकारी देंगे एवम दियांगजनो को समान अवसर प्रदान करेंगे।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से हम जेंडर भेद के फासले को दूर करेंगे जेंडर भेद सामाजिक हैजबकी जैविक रूप से सब समान हैसभी को समानता पूर्व क अवसर उपलब्ध कराएगे भविष्य में यह बच्चे समाज से अलग नही रहेगे हमेशा।
ReplyDeleteजेण्डर विविधता सामाजिक है, जैविक रूप से सभी समान है, बिना किसी भेदभाव के, समानता से, समग्र उन्नति ही लक्ष्य हो !
ReplyDeleteसंतोष मुदगल शा प्रा वि. महोना, JSK. -पिछोर, डबरा, ग्वालियर
अपनी कक्षा मे किसी भी विषयवस्तु की गतिविधियों को अपनाते समय हम किसी भी प्रकार के जैंडरभेद को नही अपनायेंगे।सभी को शिक्षा के समान अवसर का पूर्ण पालन करेंगे।जैंडर के साथसाथ दिव्यांग बच्चो को भी उनकी शारिरिक क्षमता और कुशाग्रता के अनुसार सभी गतिविधियों मे समानता के साथ शामिल कर एक अच्छी समावेशी कक्षा की अच्छी समावेशी गतिविधि क्रियान्वित करेंगे।अनिल केचे,स.शि.,शा.प्रा.शा.भरियाढाना, पातालकोट,तामियाँ, छिंदवाड़ा, म.प्र.।
ReplyDeleteसभी को समान व्यवहार एवं अवसर प्रदान करके।
ReplyDeleteसभी बच्चों को , चाहे वह लड़का हो , लड़की हो , या विशेष आवश्यकता वाले बच्चे, सभी को समान अवसर देकर कक्षा मे पढ़ाई और गतिविधियां कराई जा सकती है , जिससे उनका बहुमुखी विकास हो सके |
ReplyDeleteजैसे विद्यालय या कक्षा कक्ष में कोई गतिविधि कराई जाती हैं तो सभी को समान अवसर देकर इस भेद को मिटाया जा सकता हैं|
कक्षा में सभी बच्चों को समान कार्य करने का अवसर देकर लिंग भेद किए बिना दिव्यांग बच्चों को उनकी क्षमताओं के अनुरूप सहयोग देकर एवं लेकर शिक्षण योजना का निर्धारण करना चाहिए।
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान अवसर देकर भाषा के सिखने का भाषा कौशल विकसित किया जा सकता है। समान अवसरो से सिखनूके प्रतिफल विकसित किऐ जा सकते है।
ReplyDeleteClass me activities karate samay balak balika ke sath sath divyag bacho ko bhi samil karege
ReplyDeleteजेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे।
विभिन्न विषयों के अध्यापन के समय जेण्डर,प्रर्यावरण,cwsn, से संबंधित विषय वस्तु आने पर कक्षा में चर्चा करना, वाद विवाद आयोजित करना आदि विधियों से इन विषयों का समावेश किया जा सकता है।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश 462010
शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास हो सके। जैसे- अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की। ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू' और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए। जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को मिटाया जा सके।
ReplyDeleteशंकर प्रसाद नामदेव प्राथमिक शिक्षक ,जिला -टीकमगढ़ ।हमारे भारत देश मे प्राचीन काल से समाज में किसी भी प्रकार का लैंगिक भेदभाव नहीं रहा है ।महिलाओं को पुरुषों के समान ही समाज में इज्ज़त और सम्मान मिला करता था ।हमारे समाज मे महिला को देवी का स्थान मिला हुआ है ।इतिहास और शास्त्र इसके सबूत है जैसे- गौरीशंकर ,राधेश्याम ,सीताराम ,लक्ष्मी नारायण, रमाशंकर इत्यादि ।इसके बाद जब विदेशी सभ्यता के आगमन के साथ ही यहां पर महिलाओं से भेदभाव शुरू हुआ जो रूढ़ि बन कर हमारे समाज में अभिशाप बन गया।आज हमारा फर्ज ही नहीं बल्कि जिम्मेदारी भी है कि इस कुरीति का शिक्षा के माध्यम से अंत करें। बिद्यालयों मे छात्र छात्राओं के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिये ।बालकों के समान ही बालिकाओं को शिक्षा, समाज, खेल कूद ,राजनीति इत्यादि सभी जगह समान अवसर प्रदान किया जाना चाहिए ।
ReplyDeleteSabhi ko sikhne k saman avsar dekar,boys girls or cwsn,
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तकों की मदद से हम समाज में फैली जेंडर संबंधी असमानता को दूर करने का प्रयास कर सकते हैं समाज को जागृत करने के लिए पाठ्य पुस्तकों से मदद ली जा सकती है ।
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चो की समान कार्य करने का अवसर देकर लिंग भेद किये बिना दिव्यांग बच्चों को उनकी क्षमताओं के अनुरूप सहयोग देकर एवम लेकर शिक्षण योजना का निर्धारण करके
ReplyDeleteओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा.नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से हम समाज मे व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने के लिए छात्रों के समक्ष ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करेंगे जिससे छात्रों में जेंडर संबंधी समानता वाले गुणो का विकास हो सके।
सबसे पहले हम समानता सद्भावना भेदभाव जेंडर समानता का स्वस्थ्य पालन करते हैं। भाषा शिक्षा शास्त्र का उद्देश्य बच्चों की ंंघर से सीखी पहली भाषा से ही शुरुआत होती है। अन्य भाषा ओं को तो जोडा जाताहै भाषा शिक्षा शास्त्र एक विशाल भण्डार है।
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तकों की मदद से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने के लिए छात्रों के सामने ऐसे उदाहरण प्रस्तुत करेंगे जिससे छात्रों में जेंडर संबंधित समानता वाले गुणों का विकास हो सके
ReplyDeletePathyapustak me uplabdh gatividhi k madhyam se aasani gender, environment or divyangjan k samvesh ko samjhaya ja sakta h
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना।
सकीना बानो सहायक शिक्षिका
ReplyDeleteपाठयपुस्तक की सहायता से हम जेंडर की भिन्नता को दूर करने का प्रयास करेंगे जो बच्चे दिव्यांग है उन्हे हीन भावना से दूर रखेंगे कक्षा में पाठयपुस्तक की गतिविधियां करने के अवसर सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध कराएंगे
शाला में कक्षा में अध्यापन के समय जेन्डर, पर्यावरण व दिव्यांग बच्चों को एक साथ ही समावेशी ढंग से अध्यापन कार्य करने के लिए मानसिक रूप से पहले ही तैयार होना होगा जेन्डर व
ReplyDeleteदिव्यांग मिश्रित समूह बनाकर विद्यालय के आस-पास के पर्यावरण को दिखा कर सभी की सहभागिता सुनिश्चित करना
जेंडर भेद सामाजिक हैं,जैविक रूप से सभी समान हैं, पाठ्यपुस्तको की की सहायता से हम समकज में व्याप्त लैंगिक असमानता, के भेदभाव को समाप्त करने के लिए विद्यार्थियों के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत करेंगे। पर्यावरण विषय के बारें में भी विद्यार्थियों से चर्चा करेंगे और उसके महत्व के बारे में बताएंगे और CWSN विद्यार्थियों को भी सामान्य विद्यार्थियों के साथ सामान्य रूप से सभी गतिविधियों में शामिल कर उन्हें भी मुख्य धारा में जोडने का कार्य करेंगे।
ReplyDeleteविशेष आवस्यकता वाले बालक को अन्य बलको के साथ पाठन कार्य कर उसे अपने छमता के अनुसार अधिगम लेगा,इससे उसे ग्लानी का अनुभव नही होगा
ReplyDeleteजैविक रूप से सभी समान है! पाठ्य पुस्तक गतिविधियां कराने के अवसर सभी को समान रूप से समता पूर्वक कराएंगे! पर्यावरण संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना! जैसे घर के आसपास की वस्तुएं वनस्पतियां जीव जंतु पानी, भोजन, पहाड़, नदी आदि का समान रूप से समावेश कर सभी लिंगो का ज्ञान वर्धन कराएंगे
ReplyDeleteविद्या अध्ययन के कुरुक्षेत्र में
ReplyDeleteपाठ्य-पुस्तक ही कृष्ण हैं....
पाठ्य-पुस्तक ही अर्जुन है...
पाठ्य-पुस्तक ही शिक्षक का गांडीव है...
यानी
पाठ्य-पुस्तक ही
खर-पीर-बावर्ची-भिस्ती सब कुछ है...
तो जब शिक्षक बच्चों को पढ़ाते हैं तो
उन्हें पाठ्य-पुस्तक में मौजूद
पाठ्यक्रम का उपयोग करते हुए ही
बच्चों का सर्वांगीण विकास करना होता है.....
यानी सभी प्रकार की चीजें और ज्ञान इस पाठ्य-पुस्तक के माध्यम से ही बच्चों को सिखाना रहता है....
ऐसे में शिक्षक विभिन्न मुद्दों को इसी पाठ्यक्रम के साथ जोड़कर बच्चों के मस्तिष्क में ज्ञान का रोपण करते हैं.....
जैसे
जेंडर पढ़ाते समय सभी जेंडर की समानता के विभिन्न उदाहरण प्रस्तुत करेंगे...
ऐसे ही दिव्यांगता या अन्य संवेदनशील मुद्दे पर प्रकाश डालते समय पूरी ईमानदारी के साथ इन खुलकर बात करेंगे एवं इनके विभिन्न आदर्श उदाहरण द्वारा पारंपरिक मिथकों का खंडन करेंगे...
धन्यवाद..
जेंडर एक सामाजिक भेदभाव है हमे कक्षा में सभी बच्चों के साथ समान रूप से प्रयास कर भाषा शिक्षण कार्य करना चाहिए दिवयांग बच्चों को भी सीखने का समान अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना।
पाठ्यपुस्तक में दी गई प्रत्येक गतिविधियों में जेंडर, पर्यावरण और दिव्यांग जनों को साथ लेकर हल करने का प्रयास करेंगे
ReplyDeleteपढाई कराते समय भेदभाव नही समानता का भाव रखेंगे
Pushpa singh MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station bhopal
ReplyDeleteGender and diyangjano jaise samvedansheel topic ka shikshan karte samay kaisi pathya pustako la chayan karenge jinme in topic se related aise example ho jin se Hamare desh ka nam uncha hua ho.example ke madhyam se students kisi bhi avdharna ko acche se samjhte hai.
जेंडर एक सामाजिक पर्यावरण है हमें कक्षा में जेंडर को महत्व न देकर सभी बच्चों को सीखने का समान अवसर देना चाहिए था दिव्यांगता एवं विभिन्न पर्यावरण क्षेत्रों से आए बच्चों को भी भाषा शिक्षण में कौशल प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए अरुणा शर्मा शा मा शाला खूंथी
ReplyDeleteबिना किसी भेदभाव के सभी को सीखने के समान अवसर देना चाहिए
ReplyDeleteसभी छात्रों को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से शिक्षा प्राप्त होनी चाहिए, ताकि छात्रों का सर्वांगीण विकास हो सके
ReplyDeleteकक्षा में शिक्षण कार्य में लिंग,पर्यावरण आदि का भेद नहीं करना चाहिए।सभी को समान शिक्षा प्रदान करना चाहिए।यही हमारी नवीन शिक्षा नीति का उद्देश्य है।दिव्यांग छात्रों को उनकी आवश्यकता के अनुरुप शिक्षण कार्य कराना चाहिए।
ReplyDeleteशिक्षण मैं लिंग ,विकलांगता का भेद नही करना चाहिए ।सभी को समान शिक्षा देना नवीन शिक्षा नीति का उद्देश्य है ।
ReplyDeleteशिक्षण मैं लिंग ,विकलांगता का भेद नही करना चाहिए।सभी को समान शिक्षा देना नवीन शिक्षा नीति का उद्देश्य है ।
ReplyDeleteसभी बच्चों को बिना किसी भेद भाव के वे किसी भी लिंग के हो या दिव्यांग हो उन्हें समान रूप से शिक्षण कार्य करवाना चाहिए, यही नवीन शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है।
ReplyDeleteJendr ak smajik samasya hai .have sabhi bachho ko ak sath lekar chalana hai. Sabhi ki bhasha kausal ka vikas karana hai. Bachche and sikshak milakar es samasya ka samadhan karana hai.
ReplyDeletejismein ladke wali ladkiyon vah mansik roop se kamjor bacchon ko bhi Shamil kar unki Ruchi vasta ke anusar pratyek samuh avdharna mein karya karne ki anumati de jaani chahie
ReplyDeleteबिना लिंग भेद शिक्षा राष्ट्र की प्रगति के लिये आवश्यक है
ReplyDeleteDivyang bachhe bhi smaj k ang h dusre chatro k sath chmta k anusar gatividhi bhag lene ke avsar upalabdh honge , bhavishy m bachee pariwaar v smaj akelepan ka anubhav nhi krenge, khush rhenge......
ReplyDeletePathy pustak m di gai prtyek gatividhi jender, prywarn aur
diwyangjno ko sath lekar hl krne ka pryas krege..
अपनी कक्षा में पाठ्य पुस्तकों की गतिविधियों करने के समान रूप से अवसर उपलब्ध कराएंगे दिव्यांग बच्चों को भी सभी बच्चों के साथ समान गतिविधियों में भाग लेने के अवसर प्रदान करेंगे जेंडर भेद समाज में व्याप्त है कक्षा के वातावरण में जेंडर भेद का कोई स्थान नहीं है सभी को साथ लेकर पाठ्य पुस्तकों की सहायता से समान अवसर प्रदान कर प्रसन्नता के साथ वातावरण बनाएंगे
ReplyDeleteBina kisi bhed bhaw ke purn nistha ke sath sabhi baccho kao adhayapan karya karwana chahiye har shetra me balikawo ka karya balko se peche nahi hai
ReplyDeleteShbhi ko sman shiksha dena wh sman avsr dena
ReplyDeleteआनंददायकअनुकूल समावेशी रोचक वातावरण शाला में कक्षा में अध्यापन के समय जेन्डर, पर्यावरण व दिव्यांग बच्चों को एक साथ ही समावेशी ढंग से अध्यापन कार्य करने के लिए मानसिक रूप से पहले ही तैयार रहना व बच्चे आस पास की दुनिया से जुड सके।
ReplyDeleteहमें अपनी कक्षा में जेंडर आधारित भेदभाव नहीं करना चाहिए ऐसी गतिविधि करना चाहिए जिसमें लड़के लड़कियों को समान अवसर मिले। दिव्यांग जनों के साथ पूर्ण सहानुभूति होना चाहिए। पर्यावरण जैसे मुद्दों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।
ReplyDeleteGender discrimination and specially abled ko infertility complex se door rkbne ke books sbse Accha source hai in hihi help se hum social difficulties ko door rkh Sktyee hai.
ReplyDeleteपाठयपुस्तक में दी प्रत्येक गतिविियों में जेंडर पर्यावरण को साथ लेकर हल करने का प्रयास करने। पढ़ाई कराते समय भेद भाव नहीं करना चाहिए समानता का भाव रखना चाहिए
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना।पाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिलेपाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे
ReplyDeleteपाठयपुस्तक में दी प्रत्येक गतिविियों में जेंडर पर्यावरण को साथ लेकर हल करने का प्रयास करने। पढ़ाई कराते समय भेद भाव नहीं करना चाहिए समानता का भाव रखना चाहिए
, पर्यावरण और सीडब्ल्यूएसएन यह सभी मुद्दे हमारी कक्षा में मौजूद रहते हैं सभी बच्चों को समान रूप से समेकित शिक्षा प्राप्त हो सके यह प्रयास करूंगी एवं उनकी सामाजिक भाषाई स्थितियों का आकलन कर उनके स्तर से उन्हें नॉलेज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास करूंगी
ReplyDeleteKaksha me sabhi bachcho ko Saman karya karne ka avsar de kar ling bhed kiy bina divang bachcho ko unki kshmta ke anuroop sahyog de kar Avam le kar, shikshan yojna ka nirdharan kar sakte hai .
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से हम जेंडर की भिन्नता को दूर करने की कोशिश करेंगे एवं जो बच्चे दिव्यांग है उन्हें हीन भावना से दूर रखेंगे
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से हम जेंडर की भिन्नता को दूर करने की कोशिश करेंगे एवं जो बच्चे दिव्यांग है उन्हें हीन भावना से दूर रखेंगे
ReplyDeleteबिना भेदभाव के सभी को समान शिक्षा का अधिकार है |
ReplyDeleteSabhi bachcho ko ek saman mankr hi padhana chahiye.
ReplyDeleteकक्षा में सभी बच्चों को समान कार्य करने का अवसर देकर लिंग भेद किए बिना बच्चों को उनकी क्षमताओं के अनुरूप सहयोग देकर एवं लेकर शिक्षण योजनाओं का निर्धारण करना चाहिए
ReplyDeleteआधुनिक समाज और टेक्नोलॉजी के बच्चे पदम के साथ वर्तमान युग में हमारे छात्र और छात्राओं में वैचारिक क्रांति आएगी जिसमें लिंग भेद और किसी भी प्रकार की डिसेबिलिटी की कोई बाधा नहीं है एक स्वस्थ और स्वच्छ समाज की कल्पना के साथ इसे शिक्षक अपनी सूझबूझ के साथ ग्रुप डिस्कशन जिसमें लड़के और लड़कियां दोनों की सहभागिता समान रूप से हो अन्वेषण प्रयोग परीक्षा सभी में कक्षा के सभी विद्यार्थियों की सहभागिता बराबरी के साथ हूं एसी कार्य योजना बनाएंगे
ReplyDeleteकरोना काल में सबसे बड़ी चुनौती थी कि अपनी कक्षा में जाकर पढ़ाना नहीं था फिर पढ़ाया कैसे जाय फिर बच्चों के घर में जाकर पढ़ाना शुरू किया और आज हमारे बच्चे अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं
ReplyDeleteसभी का समुचित विकास हो, अतः हम शारीरिक संरचना पर ध्यान न देते हुए प्रत्येक के सर्वांगीण विकास पर ध्यान केंद्रित करेंगे। अध्ययन अध्यापन में लिंग भेद एक सामाजिक बुराई है।
ReplyDeleteजेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे।
पाठ्यपुस्तक की सहायता से हम जेंडर की भिन्नता को दूर करने की कोशिश करेंगे एवं जो बच्चे दिव्यांग है उन्हें हीन भावना से दूर रखेंगे
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक में दी गई प्रत्येक गतिविधियों में जेंडर, पर्यावरण और दिव्यांग जनों को साथ लेकर हल करने का प्रयास करेंगे
ReplyDeleteपढाई कराते समय भेदभाव नही समानता का भाव रखेंगे, उन्हे हीन भावना से दूर रखेंगे।
पाठ्यपुस्तक में दी गई प्रत्येक गतिविधियों में जेंडर, पर्यावरण और दिव्यांग जनों को साथ लेकर हल करने का प्रयास करेंगे
ReplyDeleteपढाई कराते समय भेदभाव नही समानता का भाव रखेंगे
पाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके। इसके अलावा देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से हम जेंडर समानता को विकसित करेंगे दृष्टिबाधित श्रवण बाधित सभी को शिक्षा के समान अवसर प्रदान करना उनकी समझ को विकसित करना उन्हें सभी के साथ समान रूप से शिक्षा का अधिकार प्राप्त कराना है
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तकों के माध्यम से हम भेदभाव किए बिना जेंडर समानता विकसित करेंगे l विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को भी शिक्षा के समान अवसर प्रदान करेंगे l
ReplyDeleteसमावेशित कक्षा में हम हर भाषा भाषी ,जेंडर सब को एक साथ एक ही कक्षा में बिना किसी
ReplyDeleteभेदभाव के पढ़ाते है।
दिव्यांग जन को भी समावेशित करते है
उनकी गति व आवश्यकता के अनुसार उन्हें शिक्षा देते है।लड़के लडकिया एक साथ पठन पाठन करते है,हर क्षेत्र में जेंडर समावेशी कार्य होते है।
पाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना। Bablu kumar UMS Sandalpur Harnaut. Dist-NALANDA BIHAR
Gender is equal give equal opportunity
ReplyDeleteबच्चों को को बाहर ले जाएं ।उन्हें पेड़ पौधे दिखाएँ ।अब उनसे पूछें
ReplyDeleteपेड़ पौधों को पानी कौन देता है? पेड़ पौधे छोटे और बड़े क्यों है? कुछ पेड़ झुके हुए क्यों है? इन झुके पेडो़ को सीधा कैसे कर सकते हैं? इनमें आपस में अंतर क्या है ?
बच्चे सहज ही उत्तर दे देंगे ।फिर उन्हें समझाएंगे कि पेडो़ की तरह ही मनुष्य है जिसमें कोई बड़ा छोटा (कद काठी में )है। कोई थोड़ा कमजोर (दिव्यांग) है। किंतु ईश्वर ने माली की तरह बिना भेदभाव के पाला है। हमें भी जाति लिंग और किसी भी भेदभाव के को भूल कर रहना है ।
किसी भी विषय की पाठ पुस्तक की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक समानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के साथ शिक्षण आया चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें जिससे छात्रों में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना।
हम अपनी कक्षा मे विभिन्न संवेदनशील मुद्दों जैसे जेंडर प्रर्यावरण और दिव्यांगजनों आदि को विशेष सुविधा देकर समान रूप से अवसर प्रदान करेंगे।
ReplyDeleteGender bias and discrimination with Divyang people is a common problem which can be solved by making both gender biased people and those who hate or insult handicaps, by convincing them to give up this evil On the other hand those who fall pre to this bias, can be encouraged by citing examples of great women and success Divyangs who proved to be extra ordinary personally in respective field.The victim of bias should be given due importance be n class by giving them higher posts like class captain, school caption, incharge of discipline, cleanliness, home work checking etc so that those who insult them would learn lesson.
ReplyDeleteसमावेशी कक्षा के माध्यम से जेन्डर भिन्नता दिव्यांगता की असमानता को दूर करने हेतु शिक्षण में समान अवसर के साथ ही पर्यावरण को भी शामिल कर सकते है
ReplyDeleteसमावेशी कक्षा के माध्यम से जेन्डर भिन्नता दिव्यांगता की असमानता को दूर करने हेतु शिक्षण में समान अवसर के साथ ही पर्यावरण को भी शामिल कर सकते है
ReplyDeleteसमावेशी कक्षा के माध्यम से जेन्डर भिन्नता दिव्यांगता की असमानता को दूर करने हेतु शिक्षण में समान अवसर के साथ ही पर्यावरण को भी शामिल कर सकते है
ReplyDeleteजेंडर रूढ़िवादिता को समाप्त करना चाहिए और लड़के-लड़कियों को एवं दिव्यांग बच्चों को सभी के साथ साथ गतिविधियां संचालित करने के अवसर देना चाहिए।
ReplyDeleteLing bhed kiye Bina bacchon ko unki yogyata ke anusar badhaya jana uchit hoga
ReplyDeleteYes
ReplyDeleteमें योगेन्द्र सिंह रघुवंशी श मा शाला बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी मेरे विचार से पुस्तक की समस्त गतिविधियों को बारीकी से अध्ययन करने की कोशिश करते हुए अपने अनुभव से प्राप्त जानकारी अनुसार गतिविधियों कोजेंडर रूढ़िवादिता को समाप्त करना चाहिएसमावेशी कक्षा के माध्यम से शैक्षिक कार्य करने की जरूरत है
ReplyDeleteमें योगेन्द्र सिंह रघुवंशी श मा शाला बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी मेरे विचार से पुस्तक की समस्त गतिविधियों को बारीकी से अध्ययन करने की कोशिश करते हुए अपने अनुभव से प्राप्त जानकारी अनुसार गतिविधियों कोजेंडर रूढ़िवादिता को समाप्त करना चाहिएसमावेशी कक्षा के माध्यम से शैक्षिक कार्य करने की जरूरत है
Deleteपाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 5 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की,ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना।
जेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है
ReplyDeleteजेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे।
लिंग भेद एवं सक्षम बच्चों के साथ कार्य करने में अब तो कोई कठिनाई नहीं होती क्योंकि जेंडर भेद एवं सक्षम बच्चे एवं सामान बच्चे अनुचित शिक्षा के अंतर्गत सालों में धन कर रहे हैं और सबके साथ समान व्यवहार समान विचार समान अध्यापन कराना अनिवार्य है क्योंकि कुछ बच्चे सीखने में देरी करते हैं कुछ बच्चे उसी बात को जल्दी समझ जाते हैं परंतु कुछ बच्चे जो हैं अनियमित रहते हैं जो सामान हो या सक्षम हो इनके लिए भी हम को बराबर से शिक्षा में योजना बनाना चाहिए और लिंग भेद और सक्षम बच्चों वाली कोई बात नहीं होनी चाहिए और सक्षम बच्चों के लिए पाठ योजना बनाते समय या ध्यान रखना पड़ता है कि उन्हें कैसे आसानी से सिखाए जा सके
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तक की सहायता से हम जेंडर की भिन्नता को आसानी से दूर करने की कोशिश करेंगे एवम् जो बच्चे दिव्यांग है उन्होंने हीन भावना से दूर रखेंगे।
ReplyDeleteहमारे देश में बहुत सारी भाषाएं बोली जाती हैं मगर हिंदी मातृभाषा एकऐ भाषा है जिसे पूरे भारत में समझ ली जाती है मेरा मानना है कि एक दिन हिंदी को राष्ट्रभाषा का दर्जा मिलेगा क्योंकि इस भाषा से शिक्षण करवाने में बच्चा और शिक्षक अपनी और व्यक्ति और सीखने का प्रतिफल की प्राप्ति शत-प्रतिशत कर सकता है बच्चा सीखने का क्रम सुनना बोलना पढ़ना लिखना का रहता है हमारा सिखाने का उद्देश्य बाल केंद्रित रखना चाहिए वह कैसे सीखता है इस पर विशेष ध्यान देना होगा उसके सभी कौशल को एक साथ देख कर उसका मानसिक विकास किस प्रकार कर सकते हैं इस बात का विशेष ध्यान देना है प्रत्येक बच्चे का मानसिक स्तर एक समान नहीं रहता है उसमें कोई ना कोई प्रतिभा रहती है हमें ध्यान देना होगा कि उसमें जो प्रतिभा है उस को बढ़ावा मिले और साथ में अन्य बातों को भी सीख सके छात्रा का सीखना स्कूल के ऊपर एवं शिक्षक के शिक्षण कार्य को भी प्रभावित रहता है इसलिए शिक्षक हमेशा अपने आप को शैक्षणिक तैयारी से तैयार रखें और प्रिंट रिच वातावरण को भी तैयार रखें।
ReplyDeleteलिंग भेद एवं सक्षम बच्चों के साथ कार्य करने में अब तो कोई कठिनाई नहीं होती क्योंकि जेंडर भेद एवं सक्षम बच्चे एवं सामान बच्चे अनुचित शिक्षा के अंतर्गत सालों में धन कर रहे हैं और सबके साथ समान व्यवहार समान विचार समान अध्यापन कराना अनिवार्य है क्योंकि कुछ बच्चे सीखने में देरी करते हैं कुछ बच्चे उसी बात को जल्दी समझ जाते हैं परंतु कुछ बच्चे जो हैं अनियमित रहते हैं जो सामान हो या सक्षम हो इनके लिए भी हम को बराबर से शिक्षा में योजना बनाना चाहिए और लिंग भेद और सक्षम बच्चों वाली कोई बात नहीं होनी चाहिए और सक्षम बच्चों के लिए पाठ योजना बनाते समय या ध्यान रखना पड़ता है कि उन्हें कैसे आसानी से सिखाए जा सके
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तक की सहायता से हम जेंडर की भिन्नता को दूर करने की कोशिश करेंगे एवं जो बच्चे दिव्याग है उन्हें हीन भावना से दूर रखेंगे।
ReplyDeleteपाठ पुस्तक के माध्यम से समाज में व्याप्त जेंडर असमानता को समाप्त करने के लिए हम पाठ्यपुस्तक में महिला और पुरुष को समान रूप से प्राथमिकता देंगे पाठों चित्रों आदि में इस बात का ध्यान रखेंगे कि कहीं भी जेंडर असमानता प्रदर्शित ना हो दिव्यांग जनों के लिए स्पर्श पाठ पुस्तकों का प्रयोग करके उनका अध्यापन कार्य कराएंगे समाज में फैली अन्य समानताओं के बारे में पाठ पुस्तकों में समावेश करेंगे और यह कोशिश करेंगे कि उन असमानता को दूर किया जा सके
ReplyDeletePathya Pustak ki madad se Ham gender ki bhinnata ko khatm karne ki koshish Karenge AVN Jo bacche Divyang hai unhin Bhavna Paida Nahin hone denge.
ReplyDeleteजेंडर आधारित असमानता समाज द्वारा उत्पन्न की गई है जैविक आधार पर शारीरिक संरचना में जो अंतर होता है उसका प्रभाव शिक्षण प्रक्रिया पर नहीं होना चाहिए विभिन्न क्षेत्रों में बालक बालिकाओं को समान रखकर इस भेदभाव को नकारा जा सकता है तथा बालकों की शिक्षा उनके पर्यावरण से संबंधित होनी चाहिए कक्षा की गतिविधियां मे दिव्यांग बच्चों को भी साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए जिससे यह बच्चे राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ सकें तथा अन्य बच्चों के साथ साथ अपना विकास कर सके।
ReplyDeleteअध्ययन अध्यापन में लिंग भेदभाव या लैंगिक समानता कतई उचित नहीं है हां दिव्यांगों को के लिए उनकी सुविधा व क्षमता के अनुसार शिक्षण होना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों को सहशिक्षा देंगे।उनमें जेंडर भेदभाव नहीं करेंगे ।हमेंसभी बच्चोंको समेकित शिक्षा देना है ।जिससे उनमें हीन भावना नहीं पनपेगी ।लड़के- लड़कियाँ सभी शिक्षा के अधिकारी हैं ।
ReplyDeleteकल्पना बेडेकर (प्र.अ.) जबलपुर
ReplyDeleteबिना कासी भेदभाव के शिक्षण कार्य में आवश्कयक गतिविधियों का उपयोग करके अधिगम को पूर्ण करेंगे ।
विभिन्न गतिविधियों को करवाए जाने पर हम इस तरह की भाषा का प्रयोग करेंगे जो जेंडर समेकित हो किसी भी तरह लड़के और लड़कियों में भेदभाव नहीं किया जाएगा तथा इस तरह की भाषा का प्रयोग किया जाएगा जिससे जेंडर का समावेशन उसमें हो साथी साथ जो विशेष आवश्यकता वाले बच्चे हैं उनके लिए अलग से शिक्षण गतिविधियों को कराया जाए जैसे विकलांग के लिए दृष्टिबाधित के लिए उभरे हुए ब्रेल लिपि आदि के द्वारा शिक्षण कराया जाए लेकिन सभी मिट्टी गतिविधियां सभी बच्चों के साथ में कराई जाए ताकि बच्चे एक दूसरों को देखकर सीख सकें तथा उनमें विकलांग बच्चों या दृष्टिबाधित बच्चों के प्रति सभी बच्चों में मिलकर सीखने का भाव भी हो और वह मिलकर समान रूप से सीखे।।
ReplyDeleteसभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा देना एवं उनमें किसी भी प्रकार की जेंडर के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए ।
ReplyDeleteLengik bhed mitane ka kam school me sikshan ke doran kiya ja sakta he cwsn bachho ko class me samayojit kr siksha kiya jana chahiye
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक के माध्यम से जेंडर भेद को मिटाने की कोशिश करेंगे । सभी को समान अवसर देगे पर्यावरण की जानकारी देंगे एवं दिव्यगजनो व जेंडर को सामान अवसर देंगे ।
ReplyDeleteअध्ययन अध्यापन में लिंग भेद या लैंगिक समानता समानता कतई उचित नही है । हाँ दिव्यांगजनो के लिये उनकी सुविधा व क्षमतानुसार शिक्षण होना चाहिये ।
ReplyDeleteHam apni kaksha ki bacchon mein gender Bade bacchon ko Alag Alag Baitha kar prashnon ko alag alag se Karva poochh kar parivesh Ke vatavaran ke Aadhar per samajh viksit kar sakte hain aur Vishesh avashyakta Wale bacchon Ko Unki Samajh Ke Aadhar per jarurat ki mutabik samajh viksit kar sakte hain
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव के उन्नमुलन हेतु छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके यथा-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 05 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की। ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'राफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट-'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने के अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना जैसे- घर के आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़,नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली व वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना। जलवायु परिवर्तन से जोड़ते हुए महामारियों के कारण,प्रकोप और बचाव के उपाय आदि का संवेदनशीलता के साथ वास्तविक ज्ञान देना ।NCERT की पर्यावरण अध्ययन पर प्रकाशित "पुस्तकों में हमारा पर्यावरण"
https://swayam.gov.in/nd2 nce20 sc04/preview.
वेब लिंक पर प्राप्त किया जा सकता हैl
विशेष आवश्यकता वाले (दिव्यांगजन) बच्चों को शासन ने लगभग 21 तरह से केटेग्राइज किया है जिसमें- दृष्टिबाधित,अल्प दृष्टि,कुष्ठ रोगी,श्रवण बाधित,चल-निशक्तता, बैगपन,बौद्धिक निशक्तता,मानसिक रोग,ऑटिज्म, सेरीब्रल,मांसपेशी दुविकारकार,न्यूरो-लाजिकल कंडीशन आदि से संबंधित हो सकते हैं। इंटरनेट की सहायता से हम इनकी विशेषता की पहचान कर कक्षा में अथवा बाहर निम्न प्रकार मदद कर सकते हैं-
1. गंभीर अक्षमता वाले बच्चों को घर में शिक्षा पाने का पूर्ण अधिकार-RTE 2012 समावेशी शिक्षा एवं नीतिगत ढांचा।
2. RPW विशेष आवश्यकता वाले बच्चे दिव्यांगजन अधिकार कानून 2016
3. यदि बच्चा श्रवण बाधित(HI) है तो उसके लिए आवश्यक उपकरणों सहायक सामग्री पाठ्यचर्या समायोजन और कक्षा व्यवस्था का उपयोग कर उसकी अधिगम क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
4. HI-श्रवण बाधित बच्चे की अधिगम क्षमता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षणार्थियों से उपाय पूछ कर।
5. शिक्षक विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को प्रथम पंक्ति में ठीक अपने सामने बैठाए ताकि वे शिक्षक का चेहरा देख अनुमानित तौर पर सीखता रहे।
6. दृष्टिबाधित दिव्यांगजन (VI) को प्रशिक्षित शिक्षको से उपाय पूछकर या सहायक सामग्री की मांग कर।
7. मानसिक रूप से दिव्यांग (ID) बच्चों का शारीरिक दोष दिखाई नहीं देता। अतः उन्हें सरल गतिविधियों से जोड़कर।
यदि हम दिव्यांगजनों को समाज का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा माने जितना एक स्वस्थ व्यक्ति को माना जाता है तो वह समाज की उपेक्षाओ से बचकर अपने भीतर छुपी विशिष्ट क्षमताओं को दिखा सकते हैं। निश्चित ही उन्हें हमारी हमदर्दी कि नहीं बल्कि मानवीय मदद की आवश्यकता है।
जेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे
और दिव्यॉगता का अहसास नहीं होगा|
पर्यावरण सभी विषयों का आधार
है आज पढा़ये जाने वाले सभी विषय पर्यावरण से निकलकर आये हैभाषा,पर्यावरण की वस्तुओं को चिह्नित करने के लिए निर्मित की गयी है जीव जन्तुओ की सामाजिक आवासीय व्यवस्था से मानवीय सामाजिक व्यवस्था का विकाय हुआ है|पर्यावरण ही समस्त भूगोल खगोल व विज्ञान है पर्यावरणीय वस्तुओं कीगणना व आकृतियॉ व उनके मध्य दूरियो कीगणना, गणित है अंक तो संकेत मात्र हैं|
इस प्रकार पाठ्यपुस्तक की सहायता से विभिन्न संवेदी मुद्दे जैसे जेंडर
संवेदन शीलता ,पर्यावरण वदिव्यॉगता आदि का समावेश किया जा सकता है|
ReplyDeleteShivvanti Bamne p.s Badadhana jsk kesiya
Block shahpur dist Betul
सभी मनुष्य समाज का अंग है
शारीरिक संरचना में अंतर या विकृति होने के बावजूद सभी बच्चों को सीखने के समान अवसर उपलब्ध कराना ,शैक्षिक गतिविधियों में समान भागीदारी सुनिश्चित कराएंगे ,हमारे आसपास विभिन्न जैविक एवं अजैविक घटक मौजूद हैं इनका दोहन रखरखाव सुरक्षा उचित उपयोग जो हमारे जीवन को खुशहाल एवं उन्नत बनाता है ।
में भानुप्रकाश ओझा माध्यमिक शिक्षक हरिपुर गुना का विचार है कि भाषा शिक्षण का आधार है।अध्ययन में स्थानीय भाषा को महत्व दिया जाना चाहिए ।प्रत्येक छात्र को बोलने और सहभागी होने के अबसर दिया जाना चाहिए।छात्रों को समूह में पड़ने में आनन्द आता है ।
ReplyDeleteपाठ्य-पुस्तक की सहायता से हम विषयवस्तु को पढ़ाने और समझाने , उनसे संबंधित सभी गतिविधियों में जेंडर या दिव्यांगजन को बिना भेदभाव किए पाठ्यवस्तु से जोड़ कर अनुरूप गतिविधियों में शामिल कर सीखने के प्रतिफल प्राप्त कर सकते हैं ।
ReplyDeleteसभी मनुष्य समाज का अंग है ।शारीरिक संरचना में अंतर या विकृति होने के बावजूद सभी बच्चों को सीखने के समान अवसर उपलब्ध कराना ,शैक्षिक गतिविधियों में समान भागीदारी सुनिश्चित कराएंगे ,हमारे आसपास विभिन्न जैविक एवं अजैविक घटक मौजूद हैं इनका दोहन रखरखाव सुरक्षा उचित उपयोग जो हमारे जीवन को खुशहाल एवं उन्नत बनाता है ।
ReplyDeleteसभी मनुष्य समाज का अंग है ।शारीरिक संरचना में अंतर या विकृति होने के बावजूद सभी बच्चों को सीखने के समान अवसर उपलब्ध कराना ,शैक्षिक गतिविधियों में समान भागीदारी सुनिश्चित कराएंगे ,हमारे आसपास विभिन्न जैविक एवं अजैविक घटक मौजूद हैं इनका दोहन रखरखाव सुरक्षा उचित उपयोग जो हमारे जीवन को खुशहाल एवं उन्नत बनाता है ।
ReplyDeleteमॉड्यूल 11 गतिविधि 6: चिंतन बिंदु
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से स्पष्ट करें कि आप अपनी कक्षा में विभिन्न संवेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर, पर्यावरण और विशेष आवश्यकताओं (दिव्यांग्जन) आदि का समावेश कैसे करेंगे ?
जेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
दिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे
और दिव्यॉगता का अहसास नहीं होगा|
पर्यावरण सभी विषयों का आधार
है आज पढा़ये जाने वाले सभी विषय पर्यावरण से निकलकर आये हैभाषा,पर्यावरण की वस्तुओं को चिह्नित करने के लिए निर्मित की गयी है जीव जन्तुओ की सामाजिक आवासीय व्यवस्था से मानवीय सामाजिक व्यवस्था का विकाय हुआ है|पर्यावरण ही समस्त भूगोल खगोल व विज्ञान है पर्यावरणीय वस्तुओं कीगणना व आकृतियॉ व उनके मध्य दूरियो कीगणना, गणित है अंक तो संकेत मात्र हैं|
इस प्रकार पाठ्यपुस्तक की सहायता से विभिन्न संवेदी मुद्दे जैसे जेंडर
संवेदन शीलता ,पर्यावरण वदिव्यॉगता आदि का समावेश किया जा सकता है।
धन्यवाद!!!!!!!
पाठ्य पुस्तकों की सहायता से समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के दूर करने के प्रयास के रूप में छात्रों के समक्ष शिक्षण के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो ।ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,।
जेंडर भेद सामाजिक है जैविक रूप से सभी समान हैं शारीरिक भावनात्मक मनो परक समानता मेल फीमेल और थर्ड जेंडर तीनों में है अता कक्षा में पाठ्यपुस्तक की गतिविधियां करने के अवसर सभी को समानता यसंतापुर वर्क उपलब्ध कराएंगे दिव्यांग बच्चे भी समाज का अंग है इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों में भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे
ReplyDeleteकक्षा सभी विद्यार्थियों को समान शिक्षा देने हेतु उचित मार्गदर्शन एवं गतिविधियां उपयोग करेंगे। विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए उनकी आवश्यकता अनुसार शिक्षण हेतु गतिविधियों को उपलब्ध कराना। शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध कराना
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव के उन्नमुलन हेतु छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके यथा-'अंशु जमपसेन्पा' की कहानी जिसने 05 बार एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई पूरी की। ओलंपिक में देश का लोहा मनवाने वाली- गरीब 23 वर्षीय दिव्यांग 'शालू'और आधुनिक बाहुबली लडाकू विमान 'राफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट-'शिवांगी सिंह' के समान देश के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर कार्य करने वाली वीरांगनाओं का जिक्र करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने के अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना जैसे- घर के आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़,नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली व वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारण पता लगाना। जलवायु परिवर्तन से जोड़ते हुए महामारियों के कारण,प्रकोप और बचाव के उपाय आदि का संवेदनशीलता के साथ वास्तविक ज्ञान देना ।NCERT की पर्यावरण अध्ययन पर प्रकाशित "पुस्तकों में हमारा पर्यावरण"
https://swayam.gov.in/nd2 nce20 sc04/preview.
वेब लिंक पर प्राप्त किया जा सकता हैl
विशेष आवश्यकता वाले (दिव्यांगजन) बच्चों को शासन ने लगभग 21 तरह से केटेग्राइज किया है जिसमें- दृष्टिबाधित,अल्प दृष्टि,कुष्ठ रोगी,श्रवण बाधित,चल-निशक्तता, बैगपन,बौद्धिक निशक्तता,मानसिक रोग,ऑटिज्म, सेरीब्रल,मांसपेशी दुविकारकार,न्यूरो-लाजिकल कंडीशन आदि से संबंधित हो सकते हैं। इंटरनेट की सहायता से हम इनकी विशेषता की पहचान कर कक्षा में अथवा बाहर निम्न प्रकार मदद कर सकते हैं-
1. गंभीर अक्षमता वाले बच्चों को घर में शिक्षा पाने का पूर्ण अधिकार-RTE 2012 समावेशी शिक्षा एवं नीतिगत ढांचा।
2. RPW विशेष आवश्यकता वाले बच्चे दिव्यांगजन अधिकार कानून 2016
3. यदि बच्चा श्रवण बाधित(HI) है तो उसके लिए आवश्यक उपकरणों सहायक सामग्री पाठ्यचर्या समायोजन और कक्षा व्यवस्था का उपयोग कर उसकी अधिगम क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
4. HI-श्रवण बाधित बच्चे की अधिगम क्षमता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षणार्थियों से उपाय पूछ कर।
5. शिक्षक विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को प्रथम पंक्ति में ठीक अपने सामने बैठाए ताकि वे शिक्षक का चेहरा देख अनुमानित तौर पर सीखता रहे।
6. दृष्टिबाधित दिव्यांगजन (VI) को प्रशिक्षित शिक्षको से उपाय पूछकर या सहायक सामग्री की मांग कर।
7. मानसिक रूप से दिव्यांग (ID) बच्चों का शारीरिक दोष दिखाई नहीं देता। अतः उन्हें सरल गतिविधियों से जोड़कर।
यदि हम दिव्यांगजनों को समाज का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा माने जितना एक स्वस्थ व्यक्ति को माना जाता है तो वह समाज की उपेक्षाओ से बचकर अपने भीतर छुपी विशिष्ट क्षमताओं को दिखा सकते हैं। निश्चित ही उन्हें हमारी हमदर्दी कि नहीं बल्कि मानवीय मदद की आवश्यकता है।
Gender differences
ReplyDeleteClass ke sabhi bachchon ko ling bhed kiye bina saman karya ke liye saman avasar dekar evam divyang bachchhon ko Vishesh protsahan evam sahyog pradan krenge
ReplyDeleteजेंडर एक सामाजिक भेदभाव है हमे कक्षा में सभी बच्चों के साथ समान रूप से प्रयास कर भाषा शिक्षण कार्य कराना चाहिए दिवयांग बच्चों को भी सीखने का समान अवसर प्रदान करना चाहिए
ReplyDeleteयह एक्टिविटी शिक्षक और विद्यार्थी दोनो के लिए बहुत लाभकारी है
ReplyDeleteजेंडर भेद सामाजिक संरचना है प्रकृति ने सभी को समान शक्ति प्रदान की हैं समाज में रूढ़िवादिता के कारण आज जेंडर में भेदभाव किया जाता है विशेषकर फीमेल जेंडर के लिए सामाजिक व्यवस्था मे भेद हैं हमारा प्रयास होगा की कक्षा मे इस असमानता को खत्म करना
ReplyDeleteपाठयपुस्तक की सहायता से शिक्षक अपनी कक्षा में सभी संवेदनशील मुद्दों जैसे जेंडर , पर्यावरण और दिव्यंगजन के बारे में बहुत अच्छे तरीके से समझाएंगे। इन सभी मुद्दों के बारे में एक एक करके बच्चों को समझाएंगे। जैसे - जेंडर भेद एक सामाजिक भेद है इसमें सभी जैविक क्रियायें सभी में एक समान होती हैं।शारीरिक,भावनाएं और मनोविकार,मनोपरक समानताएं सभी में होती हैं। विशेष आवश्कता वाले बच्चे भी समाज का एक अंग है इसलिए इन बच्चों को भी कक्षा के अन्य बच्चों की तरह उनकी क्षमताओं के अनुसार हर गतिविधि में शामिल करना चाहिए। बच्चों को अपने आस पास की वस्तुओ,पर्यावरण से हर विषय के बारे में बताया जाना भी बहुत ही अच्छा समावेश होगा।अपने साथ पढ़ने वाले छात्र छात्राओं से जेंडर भेद व समानता,असमानता समझना।उनकी भावनाएं ,शारीरिक क्षमता।आस पास की वस्तुओ से समझना,सूची बनाना आदि से छात्र बहुत अच्छे से समझ सकते हैं।
ReplyDeleteपाठयपुस्तक गतिविधि
जेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे
शारीरिक भावनात्मक और मानसिक मनोपरक समानता मेल फीमेल और थडजेंडर तीनों में है व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास हमें सतत रूप से करते रहना चाहिए। अतः कक्षा में पाठयपुस्तक की गतिविधियां करने के अवसर सभी को समानता एवं समतापूर्ण उपलब्ध करायगे।दिव्यांग बच्चेभी समाज का अंग है।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक में दी गई प्रत्येक गतिविधियों में जेंडर, पर्यावरण और दिव्यांग जनों को साथ लेकर हल करने का प्रयास करेंगे
ReplyDeleteपढाई कराते समय भेदभाव नही समानता का भाव रखेंगे
मुद्दे संवेदनशील हैं,बच्चों को इसका आभास भी नहीं होगा यदि हम पाठ्य पुस्तकों से उचित उदाहरण लेकर स्थानीय अथवा चर्चा में आयी हुई बातों के साथ तालमेल बिठा कर जेंडर,पर्यावरण और विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के बारे में उन्हें शिक्षित करें ।
ReplyDeleteHum pathypustak ki gatividhiyon kokrane ke avsar sabhi bachchon ko smanta aur samtapurvak uplabdh kraenge . Kyonki gendarbhed samajik he jevik rup se sabhi saman he sharirik bhavnatmak aur mansik samanata mahila purush aur third gendar tino me he .
ReplyDeletePathya pustak ki gatividhiyo me class ke sabhi prakar ke baccho ko saman awsar uplabdh karayenge.samany baccho ke sath cwsn baccho ko bhi gatividhi me saman rup se bhag lene ke awsar denge,girls ko bhi saman awsar denge jisse class me gender vishamta ko dur kiya ja sakta hai..
ReplyDeleteजेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे।
Sabhi ke sath samaanta ke vyawahar karte huwe ,samaan awsar pradhan karke shikshan karana ,bhogolik bhraman par lejaker paryawaran ka adhyan karwana
ReplyDeletePathyapustakoin ki sahayta se ham jander ke bhinta koi door karnay ke yoshi's karangay and jo bacay divyang hai uonhin hine bhavna se door rakhngay .Sarirek bhavnatmac and manopurak samantha, Male ,female and Thardjander Tinto me hai ath:callos me pathypustak ki gatividiyon karnay ka avser sabhi ko samantha or samtapurvac uplabdha karayngay .divyang baccay bhi saman ka Anya hai isleya in bacon ko bhi Anya chatron ke Santa chantal anusaar gatividiyon mi bhag lane ke avser uplabdha Hongay Bhavisey me baccay apny Parivas,parivar and samaj se aprchit nahi rahingay ,.akalaypan anubhva nahi karingay,parsan rahangay.
ReplyDeleteदिव्यांग छात्रों को सामान्य छात्रों के साथ में अध्यापन करवाना चाहिए जिससे वे अन्य छात्रों से हिलमिल सके और जीवन में परिवेश में समावेशित हो सके।
ReplyDeleteसमाज में व्याप्त रुढ़िवादी विचारों, जेंडर व दिव्यांगजन भेदभाव को दूर करने के लिए समावेशी कक्षा व पाठयपुस्तकों के माध्यम से सभी को समान अवसर प्रदान कर तथा सामूहिक गतिविधि के द्वारा शिक्षण करना तथा विद्यार्थियों को जागरूक करना।
ReplyDeleteशाला में सभी तरह के विद्यार्थियों को पढ़ने के समान अवसर मिले ,बिना किसी भेदभाव के ऐसा वातावरण बनाना शिक्षक का परम कर्तव्य है। जिससे जेंडर भेद न हो तथा दिव्यांग बच्चो को समान अवसर मिले।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से हम जेंडर की विभिनता को दूर करने की कोशिश करेंगे एवं जो बच्चे दिव्यांग हैं उन्हें हीन भावना से दूर रखेंगे
ReplyDeleteपाठ्य पुस्तकों की सहायता से हम समाज में व्याप्त लैंगिक असमानता के भेदभाव को समाप्त करने या कम करने के प्रयास के रूप में अपने छात्रों के समक्ष शिक्षण या चर्चा के दौरान ऐसे प्रेरणा स्रोतों का जिक्र करें, जिससे छात्र में जेंडर संबंधी समानता के गुणों का विकास संभव हो सके,जैसे- कल्पना चावला , पीटी उषा, दिव्यांग 'शालू'और लडाकू विमान 'रफेल' उड़ाने वाली- 'फ्लाईट लेफ्टिनेंट -'शिवांगी सिंह' आदि का उल्लेख करना चाहिए जिससे छात्रों में प्रेरणा के साथ-साथ जेंडर संबंधी भेदभाव को समझने का अवसर मिले।
ReplyDeleteपर्यावरण के संतुलन और असंतुलन के बीच जैव विविधता का महत्व एवं छात्रों को उसकी नजदीकी से पहचान कराते हुए इसके घटकों का बोध कराना,जैसे- घर आसपास की वस्तुएं, वनस्पतियां,जीव जंतु,पानी,भोजन,नदी पहाड़ नदियों,तालाब,कुएँ,सड़क,बिजली,वाहन आदि का स्थान एवं महत्व। स्वच्छता और प्रदूषण के कारणों का पता लगाना।
जेंडर भेद सामाजिक है ,जैविक रूप से सभी समान है| शारीरिक, भावनात्मक और मनोपरक समानता मेल ,फीमेल औरथर्ड जेंडर तीनो मे है अत:कक्षा में पाठ्यपुस्तक कीगतिविधियॉ करने के अवसर सभी को समान ता व समतापूर्वक उपलब्ध करांयगे|
ReplyDeleteदिव्यांगबच्चे भी समाज का अंग हैं
इसलिए इन बच्चों को भी अन्य छात्रों के साथ क्षमता अनुसार गतिविधियों मे भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे| भविष्य मे येबच्चे अपने परिवेश ,परिवार और समाज से अपरिचित नहीं रहेंगे, अकेले पन अनुभव नहीं करेगें प्रसन्न रहेंगे।
ReplyDeleteपाठ्यपुस्तक की सहायता से स्पष्ट करेंगे की कक्षा में विभिन्न संवेदनशील मुद्दे जैसे जेंडर, पर्यावरण और विशेष आवश्यकताओं (दिव्यांग्जन) आदि का समावेश नियमानुसार करेंगे:-
पाठ्यपुस्तक की सहायता से जो जेंडर संबंधी असमानता को कम करता है ऐसी प्रेरणा पद कहानियां बच्चों को और घटनाएं कक्षा में बतायेंगे |
विशेष आवश्यकता वाले बच्चों को सभी बच्चों के साथ समान अवसर उपलब्ध कराएंगे तथा उनकी जरूरत के अनुसार साधन उपलब्ध करवाएंगे|
बच्चों को अपने परिवेश पर्यावरण से जुड़ेंगे तथा पर्यावरण का महत्व बताइए बताएंगे किस प्रकार पर्यावरण जीवन के लिए आवश्यक है|
रानी पटेल प्राथमिक शिक्षक
बिना किसी भेदभाव के सभी को समान अवसर प्रदान करना चाहिए1
ReplyDeleteसंवाद communication, मे भाषा को वर्णों, शब्दों के अतिरिक्त, इसारे, छूना,अभिनय करके भी सिखाया जाना चाहिए ताकि दिव्यांग छात्र भी लाभान्वित हो सकें। सीखने की प्रकिया में लिंग भेद अनुचित है, कक्षा में सभी को समान अवसर मिलना चाहिये।
ReplyDeleteजेन्डर भेद सामाजिक हैं जैविक रुप से सभी समान है। अतः कक्षा में पाट्ठयपुस्तक की सहायता से हम जेंडर भिन्नता को दूर करने की कोशिश एवं जो बच्चे दिव्यांग है, वे भी समाज का अंग है। इसलिए इन बच्चो को भी अन्य छात्रों के साथ आवश्यकतानुसार गतिविधियों में भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे।
ReplyDeleteजेन्डर भेद सामाजिक हैं जैविक रुप से सभी समान है। अतः कक्षा में पाट्ठयपुस्तक की सहायता से हम जेंडर भिन्नता को दूर करने की कोशिश एवं जो बच्चे दिव्यांग है, वे भी समाज का अंग है। इसलिए इन बच्चो को भी अन्य छात्रों के साथ आवश्यकतानुसार गतिविधियों में भाग लेने के अवसर उपलब्ध होंगे।
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