मॉड्यूल 11 गतिविधि 1 : चिंतन बिंदु

विभिन्न दस्तावेजों और नीतियों ने बहुभाषिकता के महत्व पर प्रकाश डाला है। एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता के संबंध में आपके विचार क्या हैं। क्या हम इसे एक संसाधन और एक रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हैं?

चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।

Comments

  1. आद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है और रणनीति भी है|

    ReplyDelete
    Replies
    1. गतिविधि नं. -1 चिंतन बिंदु-
      विभिन्न ने दस्तावेजों और नीतियों ने बहुभाषिकता के
      नमस्कार,
      " कोस-कोस पर पानी बदले,चार कोस पर वाणी।" इस कहावत की तटस्थता को देश के किसी भी कोने में रख कर जांचा-परखा जा सकता है। हिंदी हो या बंगाली,हम सबसे सहज घर की भाषा को स्कूल में मानकता का आवरण पहनाते हुए अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में है यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
      बहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
      अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विचार पैदा करे ।
      इस तरह ये अति आवश्यक है कि भाषा बहुभाषी होना चाहिए।
      B.S.Kulaste
      P.S.Baraudi distribution. Dindori

      Delete
    2. भाषा शिक्षण में बहुभाषा का बहुत महत्व हैं बच्चा जब विद्यालय जाता हैं तो उसके पास केवल मातृभाषा का ज्ञान होता हैं जब वह विद्यालय परिवेश में जाता हैं तो मातृभाषा के साथ साथ अन्य भाषाओ पर भी उसकी पकड़ बढ़ती जाती हैं और वह बाहरी संसार के परिवेश से जुडता हैं उसे समझता हैं हमें निश्चितरूप से बहुभाषा का ज्ञान होना बहुत आवश्यक हैं इसका बहुत बड़ा महत्व हैं

      Delete
    3. भाषा शिक्षण में बहुभाषा का बहुत महत्व हैं बच्चा जब विद्यालय जाता हैं तो उसके पास केवल मातृभाषा का ज्ञान होता हैं जब वह विद्यालय परिवेश में जाता हैं तो मातृभाषा के साथ साथ अन्य भाषाओ पर भी उसकी पकड़ बढ़ती जाती हैं और वह बाहरी संसार के परिवेश से जुडता हैं उसे समझता हैं हमें निश्चितरूप से बहुभाषा का ज्ञान होना बहुत आवश्यक हैं इसका बहुत बड़ा महत्व हैं

      Delete
  2. Multilingualism is referred to as the ability of a speaker to express himself or herself in several languages with equal and native like proficiency.
    The children who are fluent in more than one language are superior and reasoning skills are better and their cognitive abilities are also greater.
    Multilingualism provides an insight into the understanding of different cultures and experiences hence a multilingual becomes multicultural in nature.
    Multilingual are more efficient and better developed executive control systems.

    ReplyDelete
    Replies
    1. Agr hme bachche ka smprn vikas krna h to ak se adhik bhashaon ka gyan bhut jruri h matri bhasha ke sath ak ese bhasha bhi avashyak h jo sarvebhoum ho arthat jo Adhunik jgt ke gyan prapt krne me shayak ho esliye bhubhashagyan prapt krne ka mukhya sansadhan bhi h aur ranniti bhi

      Delete
    2. Bachchon ke samgra vikas ke liye bahubhasha gyan jaruri hain .bachache adhik se adhik jankari prapat kar sake.

      Delete
  3. मॉड्यूल क्रमांक- 11 गतिविधि नं. -1 चिंतन बिंदु-
    विभिन्न ने दस्तावेजों और नीतियों ने बहुभाषिकता के
    नमस्कार,
    " कोस-कोस पर पानी बदले,चार कोस पर वाणी।" इस कहावत की तटस्थता को देश के किसी भी कोने में रख कर जांचा-परखा जा सकता है। हिंदी हो या बंगाली,हम सबसे सहज घर की भाषा को स्कूल में मानकता का आवरण पहनाते हुए अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
    बहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
    अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।
    धन्यवाद।
    संतोष कुमार अठया
    (सहायक-शिक्षक)
    शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा
    जिला-दमोह ( म. प्र.)
    शाला डाईस कोड-23120300502
    मोबाइल नंबर-+919893106699

    ReplyDelete
  4. Multilingualism means to speak and express onself in more than one language . The children who are fluent in more than one language can express themself in better way than the other students . Multilingulism provide a platform and understanding of different culture and hence become multicultural in nature

    ReplyDelete
  5. Language is the most wonderful part of humanbeings. Language gives power to us to separate us from other living beings. It gives power to connect one mind to many minds either in oral or written form.It is the means to collect the total knowledge of the world since a baby comes in the womb of his/her mother. A baby starts to learn his mother tongue unconsciously where as other tongue very consciously. The mother tongue helps him to learn other tongue. We follow the natural formula to learn mother tongue LSRW as listening, speaking , reading and writing. But we do not apply it picking up the second and third language. A child starts to second language RWSL as reading , writing, speaking and listing. Now days through technology we can listen native speakers but it was not possible earlier. A language teacher must use the LSRW formula dealing with second and third language.

    ReplyDelete
  6. आद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है

    ReplyDelete
  7. Kailash prasad yadav
    M.s soojipurva Gangeo rewa m.p
    मेरे विचार
    नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।

    ReplyDelete
  8. Hume duniya ke sath sath tabhi chal payenge jab hame yek se Adhik bhasha ka gyan ya jankari hoti.vigyan uchch shikshha ki pathay pustake videshi bhasha me hi prakashit hoti hai. Nevin khojon ke prakashan bhi videshi vhashaon me hote hai. Es prakar bahubhashikta hona Aabashyk hai.yah yek sansadhan hai.

    ReplyDelete
  9. ASHIM KUMAR TIWARI CAC BALSAMUD RAJPUR BARWANI
    बहुभाषी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो दो या अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है। विश्व में बहुभाषी लोगों की संख्या एकभाषियों की तुलना में बहुत अधिक है।

    ReplyDelete
  10. Hume duniya ke sath sath tabhi chal payenge jab hame yek se Adhik bhasha ka gyan ya jankari hoti.vigyan uchch shikshha ki pathay pustake videshi bhasha me hi prakashit hoti hai. Nevin khojon ke prakashan bhi videshi vhashaon me hote hai. Es prakar bahubhashikta hona Aabashyk hai.yah yek sansadhan hai

    ReplyDelete
    Replies
    1. जीवन में सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने के लिए बहुभाषिकता का ज्ञान बहुत ही आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है।

      Delete
  11. " कोस-कोस पर पानी बदले,चार कोस पर वाणी।" इस कहावत की तटस्थता को देश के किसी भी कोने में रख कर जांचा-परखा जा सकता है। हिंदी हो या बंगाली,हम सबसे सहज घर की भाषा को स्कूल में मानकता का आवरण पहनाते हुए अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
    बहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
    अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।

    ReplyDelete
  12. भाषा चाहे जो भी हो,हिंदी हो या बंगाली, हमारे लिए सबसे सहज है घर की भाषा जिसको स्कूल में मान्यता, स्वीकार्यता और सम्मान का आवरण पहनाते हुए मानक हिन्दी, अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
    बहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
    अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।

    ReplyDelete
  13. मैं नाथूराम अहिरवार सहायक शिक्षक मा०शा० लोधाखेड़ी विकासखंड लटेरी जिला विदिशा Disecode 23310416802


    बहुभासिकता को साधन के रूप मे एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राइमरी शिक्षक के रूप मे अपने छेत्र मे इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे । घर का जोगी जोग आन गाँव का सिध्य जब एक विध्यालय की कक्षा मे किसी दूसरे स्थान के विध्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है । तो छात्रों का आकर्षण और बढ़ जाता है । चाहे जो भी हो हमारे लिए सबसे सहज है कि घर कि भाषा जिसको स्कूल मे मान्यता स्वीकारता और सम्मान का आवरण पहचानते हुये मानक हिन्दी अतिरिक्त भाषा संस्कृत से भी परिचय कर लेने मे सफल हो जाते हैं ।
    हमारे देश कि राष्ट्रीय एकता की दीवार को सुदृड्ताप्रदान करने मे सफलता प्राप्त होगी। परिणामता तमिलनाडू को हिन्दी के प्रति सम्मान और गुजरात के मराठी के प्रति जिगयसा जाग्रत होगी । प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जाग्रत हो और बहुभाषिक समद्रष्टि का विकास संभव हो ।

    ReplyDelete
  14. ek se Adhik bhashaon ka gyan hone se ham dusre deshon tatha dusre rajyon Jahan Hindi ke alava Anya Bhasha Chalti Hai unke Samne Apne Bhav vyakt kar sakte hain vichar pradushit kar sakte hain
    ममताjangde

    ReplyDelete
  15. Ek se adhik bhasa ka gyan skill ko badhata hai

    ReplyDelete
  16. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।

    ReplyDelete
  17. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है| मनीष कारगुवाल

    ReplyDelete
  18. Ek se adhik bhasa ka gyan hona awsyak hai.

    ReplyDelete
  19. दिलीप सिंह ठाकुर, शिक्षक,शासकीय एकीकृत शाला, घाना, घुन्सौर, जबलपुर =बच्चों को एक से अधिक भाषाओँ का ज्ञान होना बहुत ही अच्छी बात है। विशेषकर अंग्रेजी भाषा का बनना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि अधिकांशतह इसी का प्रयोग होता है =दिलीप सिंह ठाकुर,घाना, जबलपुर

    ReplyDelete
  20. Nidhi Tiwari BA1065
    नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है|

    ReplyDelete
  21. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  22. विश्व में ज्ञान के भंडार को अपने में समाहित करने के लिए बहु भाषा का ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है।यह मानसिक विकास के लिए भी अच्छा है।

    ReplyDelete
  23. भाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता बहुत ही आवश्यक है यह बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है और उनको सभी लोगों से अपने विचार संप्रेषण करने के लिए सक्षम बनाती है हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर राज्य तथा देश और विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि कर सकते हैं बहु भाषा के प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता है तथा हम अपनी बात को पूरी सटीकता के साथ कह पाते हैं

    ReplyDelete
  24. एक शिक्षक के रूप में मेरे विचार से बहु भाषा को एक संसाधन यह रणनीति की तरह उपयोग में ला सकते हैं जैसे हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास करते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है कि वे एक से अधिक शाखा ध्यान रखें हमारे भारत के स्कूलों में हम ऐसा कर सकते हैं की दक्षिण की भाषाओं को उत्तर में और उत्तर की भाषाओं को दक्षिण में पूर्व की भाषाओं को भी इसी तरह अन्य राज्यों में लागू कर हमें 3 भाषा जानने वाला पाठ्यक्रम चलाना अधिक उचित प्रतीत होता है

    ReplyDelete
  25. जी बिलकुल हम संसाधन के रूप में उपयोग कर सकते हैं एक शिक्षक के रूप में बहुत उपयोगी है शिक्षक इसका उपयोग करके रणनीति बना सकते हैं

    ReplyDelete
  26. bahubhashi ka Arth hai vibhinn Jagat ki apni alag alag bhashaen aisi hoti hai jo unke aaspaas ke vatavaran Sanskriti Dharm jaati per nirbhar Karti hai ise ham bacchon ke sath unki matrabhasha ka upyog kar ke roop mein viksit kar sakte hain.

    ReplyDelete
  27. बहु भाषा में ज्ञान प्राप्त करने से छात्रों का मानसिक विकास होता है। असीमित ज्ञान प्राप्त करने की सम्भावना बढ़ जाती है।

    ReplyDelete
  28. भाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता का बहुत महत्व है।बहुभाषिकता से अपने विचार सम्प्रेषण करने के लिए सक्षम बनाने के साथ यह राज्य,अंतर राज्य तथा देश विदेश की सीमाएं समाप्त करने के साथ ज्ञानार्जन में वृद्धि करती है।

    ReplyDelete
  29. भारत एक बहुभाषी देश है इसके साथ-साथ संपूर्ण विश्व आज एक परिवार की तरह है सारे लोग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं विभिन्न देशों की विभिन्न विभिन्न भाषाएं हैं ऐसी परिस्थिति में बहुभाषी होना अत्यंत आवश्यक है

    ReplyDelete
  30. एक शिक्षक के रूप में मेरे विचार से बहु भाषा को एक संसाधन यह रणनीति की तरह उपयोग में ला सकते हैं जैसे हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास करते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है

    ReplyDelete
  31. Hame sampurn or samg ra vikas karna hai to ek se adhik bhasa ko shikhana hoga.

    ReplyDelete
  32. बहुभाषी बच्चे के विद्यालय में आते हैं तो उन्हें प्रवेश की भाषा स्कूल की भाषा अपने बच्चों की भाषा आज का ज्ञान सीखने की भाषा कुछ अलग होती है बच्चे जिस भाषा में सीख जाए उसी भाषा को सीखने की भाषा कहते हैंजिससे बच्चे सुगमता पूर्वक सीख जाए वही सीखने की भाषा होती है

    ReplyDelete
  33. अल्का बैंस प्राथमिक शाला कूकड़ा जगत छिन्दवाड़ा
    भाषा एक इसी योग्यता है जिसे हम जन्म लेते ही ग्रहण करना चालू कर देते हैं। हमारी भाषा, बोलने की लय, भाव पर हमारे आस पास की गतिविधियों, प्राकृतिक और सामाजिक वातावरण एवम् भौगोलिक संरचना से अत्यंत प्रभावित होती है।
    आज का समय बहुराष्ट्रीय करन का है इसीलिए विभिन्न देशों के मध्य या प्रांतों के और उसके लोगों के मध्य संबंध बनना स्वाभाविक है और इसी से हम अपनी भाषा संबंधी आवश्यकताओं के विस्तार को और आवश्यक समझते हैं इसीलिए बचपन से ही हमें मात्रा भाषा के साथ उस भाषा को सीखने पर ज़ोर दिया जाता है जिससे हम अपने आने वाले जीवन में व्यावसायिक दृष्टि से भी सफल हो सकें।
    बहुभाषी होता एक से अधिक भाषा बोलने, लिखने और समझने की योग्यता है। एक शिक्षक होने के नाते बच्चो को आज के परिप्रेक्ष्य में बहुभाषी होने के महत्व को समझना आवश्यक है। बहुभाषी होने से बच्चे अपने आने वाले भविष्य में न केवल विचारों ओर योग्यता सेवाओं का आदान प्रदान करेंगे बल्कि सम्पूर्ण विश्व को एकजुट करने सांस्कृतिक मूल्यों को समझने में भी उन्हें सरलता मिलेगी। इसका प्रयोग हम अपनी कक्षा से प्रारंभ कर सकते हैं बहु भाषा को एक संसाधन के रूप में लेते हुए हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास कर सकते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है।

    ReplyDelete
  34. बहुभाषी बच्चे के विद्यालय में आते हैं तो उन्हें प्रवेश की भाषा स्कूल की भाषा कुछ अलग होती । जिस भाषा में सीखना चाहते हैं उसी भाषा में सीखने की परिभाषा को ही भाषा कहते हैं।

    ReplyDelete
  35. मनुष्य संसार का सबसे शक्तिशाली प्राणी है वह अपने विचारों का आदान-प्रदान अपनी भाषा के अलावा अनेक भाषाओं में संप्रेषण करता है ।जिज्ञासु प्रवृत्ति का होने के कारण संसार की सारी जानकारियां प्राप्त करना चाहता है ,जो कि बहुभाषिकता से ही संभव है । वसुधैव कुटुंबकम की भावना के लिए अनेक भाषाओं का सीखना अत्यंत आवश्यक है।

    ReplyDelete
  36. भाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता बहुत ही आवश्यक है यह बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है और उनको सभी लोगों से अपने विचार संप्रेषण करने के लिए सक्षम बनाती है हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर राज्य तथा देश और विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि कर सकते हैं बहु भाषा के प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता है तथा हम अपनी बात को पूरी सटीकता के साथ कह पाते हैं

    ReplyDelete
  37. भाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता बहुत ही आवश्यक है यह बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है और उनको सभी लोगों से अपने विचार संप्रेषण करने के लिए सक्षम बनाती है हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर राज्य तथा देश और विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि कर सकते हैं बहु भाषा के प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता है तथा हम अपनी बात को पूरी सटीकता के साथ कह पाते हैं

    ReplyDelete
    Replies
    1. Bahubhasikta baccho ke sampurn Vikas ke lily avashyak hai.

      Delete
  38. बहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।

    ReplyDelete
  39. भाषा शिक्षण के तहत बच्चो को विभिन्न भाषाओं का ज्ञान होना चाहिये , ताकि भिन्न भिन्न संस्कृति ,परिवेश आदि को आसानी से समझ सके ।

    ReplyDelete
  40. Manav sabse shaktishali prani he apni chintan v jigyasa se har samasya ka samadhan ker sakta ha. Vicharo ka adan pradan kerne ka liye ek se adhik bhasa ka gyan hona avashyak hai .

    ReplyDelete
  41. आद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है और रणनीति भी है|

    ReplyDelete
  42. एक शिक्षक के रूप मे मै बहुभाषिकता का समर्थक हूँ बच्चों को पूरी दुनिया का ग्यान अर्जित करने के लिए अनेक भाषा की जानकारी आवश्यक है

    ReplyDelete
  43. बच्‍चा शाला में अपने साथ अपनी मातृभाषा का ज्ञान लेकर विद्यालय में आता है, यहा उसका प्रथम सम्‍पर्क मानक भाषा से होता है । हमे चाहिए कि हम अपने विद्यार्थियों के साथ प्रथम परिचय उनकी भाषा जो वह जानते है, के साथ करने का प्रयत्‍न करें जिससे वह हमारे साथ अच्‍छे से जुड जाए और हमारे दिशा निर्देशों को समझकर उसके अनुसार कार्य करने में सक्षम हो सकें। बहुभाषिकता से बच्‍चें कुछ समय के लिए परेशान होते है किन्‍तु शीघ्र ही वे सामजस्‍य बैठा लेते है। मेरे अपने घर में ही मराठी भाषा का उपयोग किया जाता है,शाला में बच्‍चें हिन्‍दी,संस्‍कृत, अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्‍त कर चारों भाषाओं पर समान अधिकार प्राप्‍त कर लेते हैं।

    ReplyDelete
  44. नमस्कार मैं सुंदर सूर्यवंशी माध्यमिक शिक्षक शासकीय माध्यमिक शाला चिकली मुकसा विकासखंड अमरवाड़ा आज की दुनिया मैं संसाधनों की कोई कमी नहीं है जितने भी साधन है वह सभी के उपयोग के लिए है इसमें भाषा किसी को अवरोध उत्पन्न ना करें इसलिए सभी भाषाओं को सीखना हमारे लिए आवश्यक एवं रुचिकर है सभी बच्चे इसको आसानी से सीख सके इसके लिए शालाओं में भी तीन भाषाओं को हम पढ़ाते हैं मुख्य रूप से मातृभाषा में पढ़ने के साथ-साथ अन्य भाषाओं की जानकारी एवं उनके शब्दों के बारे में जानकारी लेना बच्चों को रुचिकर लगता है अतः बहु भाषा का ज्ञान प्राप्त करना छात्र हित में है कोस कोस में पानी बदले 4 कोस में वाणी।

    ReplyDelete
  45. हमें आद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है और रणनीति भी है|

    ReplyDelete
  46. मातृ भाषा के साथ अन्य भाषाओं का ज्ञान अतिआवश्यक है क्योंकि भारत बहु भाषी देश है ।

    ReplyDelete
  47. विभिन्न दस्तावेजों और नीतियों ने बहुभाषिकता के महत्व पर प्रकाश डाला है। एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता के संबंध में आपके विचार क्या हैं। क्या हम इसे एक संसाधन और एक रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हैं?
    भारत एक धर्म निरपेक्ष देश हैं,जिस प्रकार हमारे देश में अनेक धर्मों का सम्मान के साथ निर्वहन किया जाता है उसी सभी प्रकार की भाषाओं का आदर के उपयोग किया जाता है चाहे वह देव भाषा संस्कृत हो या हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी इस प्रकार हमारे देश में सभी भाषाओं का एक अपना महत्त्व हैं| इस प्रकार हमने विदेशी भाषा अंग्रेजी को भी हमारे पाठ्यक्रम में द्वितीय भाषा का दर्जा दिया हैं| जिसका हमारे दैनिक जीवन में एक अपना महत्व हैं | इस प्रकार एक शिक्षक के रूप मे हम इसे एक संसाधन और एक रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हैं|

    ReplyDelete
  48. विश्व में ज्ञान के भंडार को अपने में समाहित करने के लिए बहु भाषा का ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है।यह मानसिक विकास के लिए भी अच्छा है।

    ReplyDelete
  49. मात्रभाषा के साथअन्य भाषाओं का ज्ञानॶतिआवश्यक है

    ReplyDelete
  50. Bachhe ki bahubhashikata, usake vikas me madadgar hoti hai.bachhe ko anek bhasao ki janakari hoti hai. Jisase very apane vicharo ka Adan pradan kar sakate hai.

    ReplyDelete
  51. हमारा देश बहुभाषी राष्ट्र है। मध्य्रदेश में हिन्दी को राजभाषा के रूप में दर्जा प्राप्त है। एक शिक्षक के रूप में हमें सभी राज्यों की भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। मध्यप्रदेश में हिन्दी अंग्रेजी और संस्कृत भाषा को पढ़ाया जाता है जो उपयुक्त है। हमें विश्व में अपनी राषट्रभाषा हिन्दी के सम्मान और विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।

    ReplyDelete
  52. To move step by step with the world, knowledge of more than one language is necessary. Textbooks related to higher education in science are available only in foreign language, so multilingualism is necessary, it is a resource.

    ReplyDelete
  53. To move step by step with the world, knowledge of more than one language is necessary. Textbooks related to higher education in science are available only in foreign language, so multilingualism is necessary, it is a resource.

    ReplyDelete
  54. To move step by step with the world, knowledge of more than one language is necessary. Textbooks related to higher education in science are available only in foreign language, so multilingualism is necessary, it is a resource.

    ReplyDelete
  55. Ek se adhik bhasa ka gyan hona siksha ke liye helpful hein.

    ReplyDelete
  56. Ek se adhik bhasha seekhna jaruri he .bhasha se ham vibhinna deshon ki sanskrati jan pate hain.ham translator ka kam kar ke desh ki sewa kar sakte hain.

    ReplyDelete
  57. एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता के संबंध में मेरा विचार यह है कि एक राष्ट्रीय और एक अंतरराष्ट्रीय भाषा को जरूर सीखने का प्रयास होना चाहिए ।हम राष्ट्रीय भाषा /मातृभाषा को प्राथमिक स्तर तक और अन्य अतिरिक्त भाषाओं को छठी से नौवीं तक बहुत आसानी से सीख सकते हैं। इसके बाद भाषा सीखना क्रमशः कठिन होता जाता है, क्योंकि हमारे अन्य विषय गहरे होने लगते हैं । निश्चय ही भाषा एक अद्भुत संसाधन है और हम एक रणनीति के रूप में इसका उपयोग कर सकते हैं और करना ही चाहिए। परंतु यहां यह भी उल्लेखनीय है कि - 'निज भाषा उन्नति लहै ,सब उन्नति को मूल । बिन निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को शूल ।'

    ReplyDelete
  58. Naveen yug me bahubhashi hona athva ek se adhik bhashaon ka gyan hona ati avashyak h,jisase ham apne vicharon ko samne balon ko prabhavi dhang se samjha sakte hai

    ReplyDelete
  59. बहुभासिकता को साधन के रूप मे एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राइमरी शिक्षक के रूप मे अपने क्षेत्र मे इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे । घर का जोगी जोग आन गाँव का सिध्य जब एक विध्यालय की कक्षा मे किसी दूसरे स्थान के विध्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है । तो छात्रों का आकर्षण और बढ़ जाता है । चाहे जो भी हो हमारे लिए सबसे सहज है कि घर कि भाषा जिसको स्कूल मे मान्यता स्वीकारता और सम्मान का आवरण पहचानते हुये मानक हिन्दी अतिरिक्त भाषा संस्कृत से भी परिचय कर लेने मे सफल हो जाते हैं ।
    हमारे देश कि राष्ट्रीय एकता की दीवार को सुदृड्ताप्रदान करने मे सफलता प्राप्त होगी। परिणामता तमिलनाडू को हिन्दी के प्रति सम्मान और गुजरात के मराठी के प्रति जिगयसा जाग्रत होगी । प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जाग्रत हो और बहुभाषिक समद्रष्टि का विकास संभव हो ।
    हमारा देश बहुभाषी राष्ट्र है। मध्य्रदेश में हिन्दी को राजभाषा के रूप में दर्जा प्राप्त है। एक शिक्षक के रूप में हमें सभी राज्यों की भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। मध्यप्रदेश में हिन्दी अंग्रेजी और संस्कृत भाषा को पढ़ाया जाता है जो उपयुक्त है। हमें विश्व में अपनी राषट्रभाषा हिन्दी के सम्मान और विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।

    ReplyDelete
  60. Ombati Raghuwanshi. Ps. Pali. हमें बच्चों को उनकी अपनी भाषा से शुरुआत करनी होगी क्योंकि उनकी घर की भाषा में वो जल्दी समझते हैं

    ReplyDelete
  61. आद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है

    ReplyDelete
  62. India is multi.language land so indian people should learn multi language.

    ReplyDelete
  63. भारत जैसे विशाल देश में अनेक भाषाऐं बोली जाती हैं हमारी प्रथम या मात्र भाषा हिन्दी हैं जिसको सीखने मेंं बच्चे को कोई परेशानी नहीं होती।परन्तु अन्य भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करने में कुछ परेशानी होती है व वह उनको देर से सीखता हैं। परन्तु आगे बढने के लिये अन्य भाषाओं का ज्ञान होना बहुत आबश्यक हैं।

    ReplyDelete
  64. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।

    ReplyDelete
  65. भारत जैसे देश में कई भाषाएं प्रचलित हैं और एक विशिष्ट भारतीय कक्षा में बहुभाषी लोग मिल सकते हैं बच्चे अपनी मातृभाषा सीखकर विद्यालय आते हैं और एक साथ या बाद में राज्य विद्यालय की भाषा सीखते हैं वे अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा भी सीखते हैं, जिसे अधिकांश भारतीय स्थितियों में दूसरी भाषा के रूप में माना जाता है। भाषा के शिक्षकों के रूप में हमें समझने और विचार करने की आवश्यकता है की भाषा कैसे सीखी जाती है और हमारी कक्षा के संदर्भों में भाषा सीखने के लिए परिस्थितियां कैसी हैं?
    हम इसे एक संसाधन और एक रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
    भाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता बहुत ही आवश्यक है यह बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है और उनको सभी लोगों से अपने विचार संप्रेषण करने के लिए सक्षम बनाती है हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर राज्य तथा देश और विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि कर सकते हैं बहु भाषा के प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता है तथा हम अपनी बात को पूरी सटीकता के साथ कह पाते हैं

    ReplyDelete
  66. एक से अधिक भाषा का ज्ञान आबश्यक है

    ReplyDelete
  67. कई भाषाओं का सीरवना सीरवाना आवश्यक ह।क्योंकि हमारे देश मे ही कई भाषाएं बोली एवं लिखी जाती ह।

    ReplyDelete
  68. , 2020 at 6:20 PM
    आद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है

    ReplyDelete
  69. बहुभाषा को एक संसाधन व रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हे क्योकि हमारा देश कई जातियों के साथ साथ कई भाषाओं को भी एक धागे में पोकर रखता है इसलिए कहा जाता है अनेकता में एकता वाला है मेरा देश । यहाँ पग पग पर कई बोली के लोग मिलते हे इसलिए हमें भी अपनी शिक्षा में बहुभाषा का उयोग करना चाहिए ।

    ReplyDelete
  70. आद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है

    ReplyDelete

  71. आद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है

    ReplyDelete

  72. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।

    ReplyDelete
  73. हमें आगे बढ़ने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता बहुत अच्छी रणनीति साबित हो सकती है क्योंकि हमारी कक्षा में विभिन्न भाषा के बच्चे पढ़ सकते हैं जिन्हें समझाने के लिए हमें बहुभाषिक होना बहुत आवश्यक है यदि हम अपने प्रदेश से बाहर जाते हैं तब हर जगह अलग-अलग भाषा का उपयोग होता है जिसके लिए बहुभाषिकता बहुत आवश्यक होती है

    ReplyDelete
  74. भाषा भाषा हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है उससे ही हमारे जीवन का सर्वांगीण विकास होता है हमारी भाषा ही हमारी पहचान है भाषा के द्वारा हम पहचाने जाते हैं कि हम किस देश के हैं किस शहर के हैं हमें सबसे पहली भाषा जो हमारी मातृ भाषा कहलाती है हमारे घर से परिवार से मिलती हैजब हम बाहर की दुनिया में कदम रखते हैं हम विद्यालय जाते हैं कॉलेज जाते हैं कहीं नौकरी करते हैं तब वही की भाषा सीखते हैं इससे हमें तरह-तरह की भाषाओं का ज्ञान होता हैहम जानते हैं कि हमारी भाषा से ज्यादा अच्छा हम किसी भाषा को नहीं जान पाते लेकिन यदि हमें आगे बढ़ना है अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करना है तो हमें अन्य भाषाओं का ज्ञान बहुत आवश्यक है कि जब हम बाहर जाते हैं तो वहां एक ही भाषा से काम नहीं चलता हमें विदेशी भाषाओं का भी ज्ञान होना चाहिए हमें कभी दूसरे व्यक्ति की भाषा का अपमान नहीं करना चाहिए सबके लिए अपनी अपनी भाषा का सम्मान होता है भाषा के द्वारा ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं और अपना सर्वांगीण विकास कर सकते हैं
    श्रीमती चंद्रिका कौरव
    एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा
    जिला- नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)

    ReplyDelete
  75. Bhashao ka upyog kar hm apni bat ko dusro tk or dusro ki bat samjh sakte h . Bhasha k bina hm kisi ki bat ko nhi samjh sakte bhasha ka hmare jivan m bhut upyog h

    ReplyDelete
  76. एक शिक्षक के रूप में मेरे विचार से बहु भाषा को एक संसाधन यह रणनीति की तरह उपयोग में ला सकते हैं जैसे हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास करते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है कि वे एक से अधिक शाखा ध्यान रखें हमारे भारत के स्कूलों में हम ऐसा कर सकते हैं की दक्षिण की भाषाओं को उत्तर में और उत्तर की भाषाओं को दक्षिण में पूर्व की भाषाओं को भी इसी तरह अन्य राज्यों में लागू कर हमें 3 भाषा जानने वाला पाठ्यक्रम चलाना अधिक उचित प्रतीत होता है

    ReplyDelete
  77. भाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता बहुत ही आवश्यक है यह बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है और उनको सभी लोगों से अपने विचार संप्रेषण करने के लिए सक्षम बनाती है हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर राज्य तथा देश और विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि कर सकते हैं बहु भाषा के प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता है तथा हम अपनी बात को पूरी सटीकता के साथ कह पाते हैं

    ReplyDelete
  78. Yes bachche Shala aane pr bahu bhashi ban jaye h . Ve Mili Juli bhasha Bolte Bolte apni Matra bhasha VA English Sanskrit etc. Sikh jate h.

    ReplyDelete
  79. बहुभाषिकता आवश्यक है

    ReplyDelete
  80. सभी भाषा का ज्ञान आवश्यक है

    ReplyDelete
  81. भारत विविधताओं वाला देश हैं जिसमें भाषाओं की बहुत अधिक विविधता हैं बहु भाषी ही ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों तक पहुंच पाता है भारतीय भाषाओं की समझ विकसित करने के लिए प्राकृत संस्कृत पाली आदि प्राचीन भाषाओं की समझ अति आवश्यक हैं

    ReplyDelete
  82. Latika jaiswal
    G.P.S.Panjra,sarna, chhindwara
    Bhubhashikta ka arth
    1.ek se adhik bhasha ka prchlan hona..
    2.do ya do se adhik bhashaon ko shjta ke sath bolne vale vykti ko bhubhashi khte h....


    ReplyDelete
  83. हम जितनी भाषाओं से परिचित होते जाएंगे उतना ही हमारे सोचने समझने का दायरा बढ़ता जाएगा और हम अलग अलग क्षेत्रों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।

    ReplyDelete
  84. भाषा हमें सभी प्रकार की आती हो तो हम प्रत्येक क्षेत्र में अपना समुचित विकास कर सकते हैं अन्य प्रकार की भाषाओं के माध्यम से उनके द्वारा किए गए कार्यों को हम कर सकते हैं समझ सकते हैं बोल सकते हैं आपसी तालमेल स्थापित कर सकते हैं हम जितनी भाषाओं से परिचित होते जाएंगे उतना ही हमारे सोचने समझने का क्षेत्र बढ़ता जाएगा और हम अलग-अलग क्षेत्रों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे

    ReplyDelete
  85. Hme hr bhasa ka giyan hona duniya ko samach n me bahut jaruri h

    ReplyDelete
  86. बहुभाषा को एक संसाधन और रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते है इससे हम भाषा शिक्षा के उद्देश्य और सीखने के प्रतिफल को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है

    ReplyDelete
  87. बहुभाषिकता वास्तव में कोई अवरोध न होकर एक महत्वपूर्ण संसाधन है। इस के माध्यम से विद्यार्थी न केवल विभिन्न भाषाओं को जानते हैं वर्ण उनकी संस्कृति व लोक व्यवहार से भी परिचित होते हैं। एक शिक्षक के रूप में हम बहुभाषिक कक्षा कक्ष का उपयोग छात्रों के समग्र भाषायी विकास के लिए अधिक बेहतर तरीके से कर सकते हैं।

    ReplyDelete
  88. में योगेन्द्र सिंह रघुवंशी श मा शाला बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी निष्ठा प्रशिक्षण के 11 माड्यूल के अंतर गत अपने अनुभव एवं प्रशक्षण अनुसार यह अनुभव कर पाया की भाषा एक अपने विचारो की अभिकती है जो प्रत्येक जीव की होती है हमें अधिक से अधिक भाशो का ज्ञान हो हमें सभी प्रकार की आती हो तो हम प्रत्येक क्षेत्र में अपना समुचित विकास कर सकते हैं अन्य प्रकार की भाषाओं के माध्यम से उनके द्वारा किए गए कार्यों को हम कर सकते हैं समझ सकते हैं बोल सकते हैं आपसी तालमेल स्थापित कर सकते हैं हम जितनी भाषाओं से परिचित होते जाएंगे उतना ही हमारे सोचने समझने का क्षेत्र बढ़ता जाएगा और हम अलग-अलग क्षेत्रों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे

    ReplyDelete
  89. आज के समय में एक से अधिक भाषाओं की आवश्यकता है

    ReplyDelete
  90. आज़ की परिस्थितियों को देखते हुए दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है तो हमें अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है।एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिक कक्षा कक्ष के रूप में बच्चों को भाषिय ज्ञान दिया जा सकता है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. भाषा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका नहीं होती है हमें सभी प्रकार की भाषाओं का ज्ञान होने पर किसी भी क्षेत्र में हम अपना समुचित विकास कर सकते हैं

      Delete
  91. भाषा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होने पर हम किसी भी क्षेत्र में अपना समुचित विकास कर सकते हैं

    ReplyDelete
  92. भाषा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होने पर हम किसी भी क्षेत्र में अपना समुचित विकास कर सकते हैं इसमें कोई दो मत नहीं है

    ReplyDelete
  93. थोड़ी थोड़ी दूरी पर भाषा और बोली में अंतर देखने को मिलता है यदि शिक्षक छात्रों को उनकी बोली या भाषा में सिखाता है तो बच्चा जल्दी सीखता है । यही बच्चा जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवार के साथ जाता है तो वह विभिन्न प्रकार की बोलियों को सुनता और उसके अनुरूप अपनी प्रतिक्रिया करता है। अतः भाषा शिक्षण में बहुभाषिकता का उपयोग एक संसाधन और रणनीति के रूप में किया जा सकता है।

    ReplyDelete
  94. भाषा जिसकी सरल ओर जल्दी समझ मे आने वालीओर प्रभावशाली होती है।वही भाषा विश्व मे प्रचलित होती है। जैसे अंग्रेजी भाषा आजके दौर मे भारत मे इतनी भाषा बोली जाती है ।ओर अपने क्षैत्र मे प्रभाव रखती है। पर अंग्रेजी भाषा हर प्रान्त, क्षैत्र मे एक लोगो को जोडनज का माध्यम हो गया है। हम बहुभाषीय होने से हमारे विकास ,व्यापार, सभी क्षैत्रो मे उन्नति कारक है। इसलिए सभी भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए।

    ReplyDelete
  95. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है| CHHAYA MALVIYA parthmik shikshak p/S PAIJANWARA PARASIA 🙏

    ReplyDelete
  96. भाषा चाहे जो भी हो,हिंदी हो या बंगाली, हमारे लिए सबसे सहज है घर की भाषा जिसको स्कूल में मान्यता, स्वीकार्यता और सम्मान का आवरण पहनाते हुए मानक हिन्दी, अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
    बहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
    अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।

    ReplyDelete
  97. एक हमारी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा ,इंग्लिश, एवम संस्कृत भाषा का ज्ञान छात्रों को होना ही चाहिए।

    ReplyDelete
  98. Bahasa hamare jivan me mahatva purna bhumika nibhati he .ek se adhik bahasa ka gyan hone se Hum sbhi chetra me apna or baccho ka sarwangin vikas kr skte he.

    ReplyDelete
  99. विद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए बहुभाषीय होना चाहिए |

    ReplyDelete
  100. Bharat desh bahu bhashi hai Hindi bhasha ke alawa bahu bhashi mahtvapurn evam avasyaka hai

    ReplyDelete
  101. Bhasha shikshan me apni vicharo ko adan pradan Karne ke lite bahubhashita bahut hi avashyak hai. Ham bahubhashita ka praying karke desh ur videsho me alone vicharo ka aasan pradan Kar sakte hai.yaha bachho ka sarvangin vikas karti hai. ve apni gyanarjan me vriddhi Kar sakte hai ur apni bat ko Puri satikta ke sath kaha sakte hai.

    ReplyDelete
  102. बच्चो को उनकी मात्र भाषा मे जल्दी समझ मे आता है इस कारण शिक्षक को बविभिन्न भाषाओ का ज्ञान आवश्यक है बहुभाषी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो दो या अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है। विश्व में बहुभाषी लोगों की संख्या एकभाषियों की तुलना में बहुत अधिक है एवं भारत बहुभाषीय देश है

    ReplyDelete
  103. भाषा चाहे जो भी हो,हिंदी हो या बंगाली, हमारे लिए सबसे सहज है घर की भाषा जिसको स्कूल में मान्यता, स्वीकार्यता और सम्मान का आवरण पहनाते हुए मानक हिन्दी, अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
    बहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
    अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।
    Suraiya Siddiqui
    GPS gadde wala mohalla
    Gwalior

    ReplyDelete
  104. बच्चो को अपनी मात्र भाषा में चीजे शिखने में आसानी होती है पर बच्चो को आगे बढ़ने के लिए बहुभाषीय होना जरूरी है

    ReplyDelete
  105. भारत देश बहुत विशाल है यहां पर विभिन्न भाषाओं को बोलने वाले लोग रहते हैं इसलिए हमें बच्चों को बहु भाषा का ज्ञान कराना परम आवश्यक है शासन के द्वारा भी पाठ्यक्रम में कई भाषाओं का समावेश किया गया है जो कि उचित है

    ReplyDelete
  106. बच्चों को अपनी मातृभाषा चीजों को सिखाने में आसान होती है बहुभाषी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो दो या दो से अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है

    ReplyDelete
  107. विभिन्न शोधों से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि जो विद्यार्थी एक से अधिक भाषाएं बोलना, पढ़नाऔर लिखना जानता है वह एकल भाषी विद्यार्थी की अपेक्षा मानसिक रूप से अधिक समृद्ध होता है। ऐसे विद्यार्थी जल्दी दूसरों के साथ सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं।
    अमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश।
    462010

    ReplyDelete
  108. अपनी सीमाओं से परे जाने में बहुभाषिकता का महत्व है।

    ReplyDelete
  109. छात्रों के लिए बहुभाषिकता के महत्व को उनके जीवन में बहु उपयोगी बनाने हेतु किसी भी भाषा का उन्हें समुचित ज्ञान होना आवश्यक होगा यदि मैं अपने पुराने छात्रों से बात करता हूं तो सदैव यह तथ्य सामने आता है कि जब उन्होंने पढ़ाई के बाद अपने रोजगार की तलाश प्रारंभ की तो उन्हें सबसे ज्यादा समस्या इंग्लिश कम्युनिकेशन अच्छा ना होने के कारण फेस करनी पड़ी अतः यहीं से यह बात सुनिश्चित होती है कि हमें जितनी भी भाषाओं का अध्ययन या अध्यापन करना हो उसका हमें सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों ज्ञान होना आवश्यक है और इसकी शुरुआत कहीं ना कहीं प्राथमिक शिक्षा से होनी अनिवार्य है

    ReplyDelete
  110. भाषा शिक्षण के तहत छात्रों को विभिन्न भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए, ताकि भिन्न भिन्न संस्कृति, परिवेश आदि को आसानी समझ सके।

    ReplyDelete
  111. बहु भाषी का अर्थ दो या दो से अधिक भाषाओं का उपयोग करना होता है भारत में बहुभाषी लोगों की संख्या एक भाषी से अधिक है।

    ReplyDelete
  112. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है विशेषकर हिंदी के साथ अंग्रेजी भाषा का ज्ञान। नवीन खोजों के प्रकाशन ज्यादातर विदेशी भाषा में होते हैं, साथ ही देश की विभिन्न स्थानीय भाषाओं की समझ विकसित करनी होगी । इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है और यह मानसिक विकास के लिए भी अच्छा है ।

    ReplyDelete
  113. बहु भाषाओं का ज्ञान होना अति आवश्यक है आज के समय में ग्लोबलाइजेशन को देखते हुए बच्चे देश-विदेश हर क्षेत्र में जाकर ज्ञानार्जन कर रहे हैं और उन्हें अपने काम के जीवन यापन के लिए भी हर जगह जाना पड़ सकता है अतः उन्हें बहु भाषा का ज्ञान होना

    ReplyDelete
  114. हमारा देश बहुभाषी है यही ईसकी खुबसुरती का राज भी है।हमारे यहा अनेक भाषाये और बोलियाँ प्रयोग की जाती है ईसलिये यह कहा भी गया है कि कोसकोस पर बदले पानी ,कोस कोस पर वाणी अर्थात भाषा।हम जितनी भाषा को सीखेंगे हमारा ज्ञान उतना विस्तृत्र होता जायेगा और हम विश्व को जान पायेंगे ।हमारी देना श ने त्रिभाषा फार्मुला की निती शिक्षा मे अपनाई है परंतु अपनी मातृभाषा से हम जितने जल्दी सीखते है उतना अन्य किसी भाषा से नही।बडी प्रसन्नता की बात है कि न ई शिक्षा नीति मे मातृभाषा मे शिक्षण को महत्व दिया गया है।जहाँ तक शिक्षक के रूप मे बहुभाषिकता की बात है तो प्रत्येक शिक्षक को त्रिभाषा फार्मूला की निती के अनुसार अपनेअपने राज्य की तीन शिक्षणभाषा का ज्ञान होना ही चाहिये ।बहुभाषा ज्ञान से शिक्षक के साथसाथ छात्र का भी एक राष्ट्रीय चरित्रनिर्माण एवं सहनशील नागरिक का विकास होगा और हम विश्व स्तर के ज्ञान को अपने छात्रो तक पहुंचा पायेंगे।मै मराठी मातृभाषी के साथसाथ हिंदी राष्ट्भाषी हूँ और मुझे अपनी संस्कृत भाषा से जितना प्यार है उतना ही विदेशी भाषा अंग्रेजी से भी लगाव है।ईन सबके ज्ञान से मुझे अपने अध्ययन अध्यापन कार्य मे बहुत सहायता मिलती है और आनंद आता है।अनिल केचे ,स.शि.,शा.प्रा.शा.भरियाढाना, पातालकोट, तामियाँ, छिंदवाडा, म.प्र.

    ReplyDelete
  115. Ek se adhik bhasha ka gyan hona shiksha ke liye helpful hai....

    ReplyDelete
  116. बहुभाषा को एक संसाधन व रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हे क्योकि हमारा देश कई जातियों के साथ साथ कई भाषाओं को भी एक धागे में पोकर रखता है इसलिए कहा जाता है अनेकता में एकता वाला है मेरा देश । यहाँ पग पग पर कई बोली के लोग मिलते हे इसलिए हमें भी अपनी शिक्षा में बहुभाषा का उयोग करना चाहिए ।

    ReplyDelete
  117. एक शिक्षक के रूप में मेरे विचार से बहु भाषा को एक संसाधन यह रणनीति की तरह उपयोग में ला सकते हैं जैसे हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास करते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है कि वे एक से अधिक शाखा ध्यान रखें हमारे भारत के स्कूलों में हम ऐसा कर सकते हैं की दक्षिण की भाषाओं को उत्तर में और उत्तर की भाषाओं को दक्षिण में पूर्व की भाषाओं को भी इसी तरह अन्य राज्यों में लागू कर हमें 3 भाषा जानने वाला पाठ्यक्रम चलाना अधिक उचित प्रतीत होता है

    ReplyDelete
  118. बहुभाषी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो दो या अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है। विश्व में बहुभाषी लोगों की संख्या एकभाषियों की तुलना में बहुत अधिक है।

    ReplyDelete
  119. भाषा का ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है।यह मानसिक विकास के लिए भी अच्छा है।

    ReplyDelete
  120. कोस-कोस पर पानी बदले,चार कोस पर वाणी।" इस कहावत की तटस्थता को देश के किसी भी कोने में रख कर जांचा-परखा जा सकता है। हिंदी हो या बंगाली,हम सबसे सहज घर की भाषा को स्कूल में मानकता का आवरण पहनाते हुए अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
    बहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
    अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।

    ReplyDelete
  121. मैं करणसिंह पवार शास. हाई. स्कूल पिपरी रैय्यत त+जि बुरहानपुर (म. प्र) प्राथमिक शिक्षक के पद पर कार्यरत हूँ।

    Multilingualism means to speak and express onself in more than one language . The children who are fluent in more than one language can express themself in better way than the other students . Multilingulism provide a platform and understanding of different culture and hence become multicultural in nature

    ReplyDelete
    Replies
    1. भारत हमारा देश बहुभाषी देश है।आज की परस्तिथी में बहु भाषा का ज्ञान आवश्यक है।हिन्दी हमारी मात्र भाषा है।हम सब इसी का उपयोग अधिक करते हैं।

      Delete
  122. बच्चो को बहुभाषिक का अनुभव के लिए क्लास मे बहुभाषा का उपयोग से होगा

    ReplyDelete
  123. सभी भाषाओं का ज्ञान हमारे लिए बहुत अवयस्क है जिससे कि हम अन्य भाषाओं को जान सके और उनका अध्ययन कर सके

    ReplyDelete
  124. विचार अभिव्यक्ति के लिए भाषा का होना जरूरी है। बहुउद्देशीय! उद्देश्यों को पूरा करने हेतु बहुभाषी होना अत्यंत आवश्यक।

    ReplyDelete
  125. प्राथमिक और माध्यमिक शाला में बच्चों को भाषा पढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि हमको अनेक भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए क्योंकि बच्चे क्षेत्रीय परिवेश से आते हैं और वे क्षेत्रीय बोली का ही उपयोग करते हैं इन बच्चों के साथ हिंदी संस्कृत अंग्रेजी जैसे भाषाओं से बात करना उन्हें सिखाना भाषण कौशल में दक्ष दक्ष हासिल करना यह एक अच्छी उपलब्धि रहती है कि बच्चों को हम विभिन्न भाषाओं का ज्ञान कराएं बहुभाषी होना अनिवार्य है बिना भाषा के हम अगले व्यक्ति की भावनाओं को नहीं समझ सकते इसलिए बहुभाषी होना अनिवार्य है

    ReplyDelete
  126. समस्त भाषाओं का ज्ञान हम सबके लिए अत्यंत आवश्यक है। जिससे की हम अन्य भाषाओं को समझ सके और उनका अध्ययन कर सके।

    ReplyDelete
  127. ओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा. नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
    नवीन जानकारी प्राप्त करने के लिए हमें एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है हम यह कह सकते हैं कि हमारी उन्नति में भाषा एक सशक्त माध्यम है।

    ReplyDelete
  128. भाषा का अपना एक अलग महत्व है जिस तरह से हमें अपनी जन्मभूमि प्रिय है उसी तरह से अपनी मातृभाषा।किन्तु आज के समय में हमें ज्ञान अर्जित करने हेतु बहुभाषीय होना बहुत आवश्यक है ।हम अग्रेंजी संस्कृत हिन्दी और अपनी मातृभाषा तो सीख ही लेते है।हमारे देश में कम से कम 26भाषाएं है।चहुमुंखी ज्ञान अर्जन के लिऐ और सफलता पाने हेतु बहुभाषीय होना बहुत आवश्यक है।धन्यवाद

    ReplyDelete
  129. राजपाल ठाकुर समस्त भाषाओं का ज्ञान हम सबके के लिये अत्यंत आवश्यक हैं! जिससे की हम अन्य भषाओं को समज सके एवं उनका अध्य्यन कर सके अतः हमें बहू भाषाई होना बहुत जरुरी है! बच्चो के साथ हिंदी,अग्रेजी ,संस्कृत आदि भषाओं मे बात करना एवं उनके कौशलों का विकास करना बहुत जरुरी हैं

    ReplyDelete
  130. जीवन मैं सफलता पाने के लिए शिक्षा अर्जनहेतु बहुभाषिकता की शिक्षा बहुत ही आवशयक एवं महत्वपूर्ण है। हम शिक्षक हैं हमें भी बहु भाषी विद्वान होना आवशयक है। भारत मैं लगभग 26 भाषाएँ हैं।

    ReplyDelete
  131. सकीना बानो सहायक शिक्षिका
    भारत जैसे विशाल देश में अनेक भाषाएं बोली जाती है और विश्व स्तर पर आधुनिकता के इस दौर में एक से अधिक भाषाओं को ज्ञान विशेषकर अंग्रेज़ी का ज्ञान आवश्यक है

    ReplyDelete
  132. भाषा भावनाओं को प्रगट करने का माध्यम है, किसी भी भाषा का व्याकरण शास्त्र उसे महान बनाता है इस दृष्टि से हमारी भाषा बहुत समृद्ध है, आप सभी को धन्यवाद।।

    ReplyDelete
  133. भारत विविधता में एकता वाला देश है। यहाँ हर प्रांत की अपनी अपनी भाषा व बोलियाँ है।नई-नई जानकारी व ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त होना आवश्यक है।

    ReplyDelete
  134. जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए जिस प्रकार शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है उसी प्रकार अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना बहुत महत्वपूर्ण है जिससे कि अन्य भाषाओं में समायोजित ज्ञान भी अर्जित हो सके

    ReplyDelete
  135. बहुभाषिकता क्या है?
    जैसे अगर किसी बच्चे के घर पर मिजो बोली जाती है। स्कूल में होने वाली पढ़ाई इंग्लिश और हिंदी में होती है तो बच्चे के लिए स्कूल में समायोजन करना काफी मुश्किल होगा अगर उसको अपनी भाषा में बोलने का मौका नहीं दिया जाएगा। उदाहरण के लिए अगर किसी बच्चे के घर में गुजराती, मराठी या हिंदी बोली जाती है और स्कूल में पढ़ाई का माध्यम इंग्लिश है तो ऐसे में बच्चा एक से अधिक भाषाओं के संपर्क में आता है। धीरे-धीरे उसमें कुशलता का एक स्तर हासिल करता है। एक से अधिक भाषाओं के प्रति सम्मान का भाव और मूलतः एक से अधिक भाषाओं के इस्तेमाल के विचार को स्वीकार करना और उसे रोजमर्रा के जीवन में स्थान देना ही, सही मायने में बहुभाषिकता है।बहुभाषी कक्षा’ से तात्पर्य है कि कक्षा में सभी बच्चों को अपनी-अपनी भाषा में बोलने के अवसरों की उपलब्ध कराना । एक भाषा वैज्ञानिक ने बातचीत के दौरान बताया कि हम सभी मूलतः बहुभाषी हैं। किसी एक भाषा से हमारा काम चल ही नहीं सकता है। हम स्कूल में एक भाषा बोलते हैं, घर पर दूसरी भाषा बोलते हैं, दोस्तों के साथ किसी अन्य भाषा में संवाद करते हैं।
    एक शिक्षाविद् कहते हैं कि हम मूलतः बहुभाषी हैं। भारत जैसे बहुभाषी देश में तो हमारा किसी एक भाषा के सहारे काम चल ही नहीं सकता। हमें अपनी बात बाकी लोगों तक पहुंचाने के लिए और उनके साथ संवाद करने के लिए एक भाषा से दूसरे भाषा के बीच आवाजाही करनी ही पड़ती है। जैसे हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं का मिश्रित रूप है हिंदुस्तानी जुबान। हिंदुस्तान जुबान में होने वाले संवाद की मिठास और संप्रेषण की सहजता देखने लायक है। बहुत से बच्चों से घर की भाषा (होम लैंग्वेज) स्कूल की भाषा से इतर होती है।

    ReplyDelete
  136. जीवन में सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने के लिए बहुभाषिकता का ज्ञान बहुत ही आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है।

    ReplyDelete
  137. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।

    ReplyDelete
  138. कक्षा में बहुभाषी माहौल बच्चो को अपने विचारों की अभिवक्त करने में सहजता प्रदान करता है,एक शिक्षक के रूप में हम बहुभाषी माहौल को प्रोत्साहन देकर बच्चो में दूसरी भाषाओं के प्रति संवेदनशील एवम् सम्मान की भावना उत्पन्न कर सकते है

    ReplyDelete
  139. बहुभाषिकता विभिन्न जानकारी को समझने और शिक्षण संप्रेषण के लिए आवश्यक है

    ReplyDelete
  140. बच्चों के समग्र विकास के लिए शिक्षा प्रदान करना आवश्यक होता है चाहे वह किसी भी भाषा मे हो सभी बच्चे अपनी मात्र भाषा के साथ साथ दूसरी भाषा मे भी शिक्षा प्राप्त करते है शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी होना आवश्यक है खान पान रहन सहन वातावरण का बच्चों पर प्रभाव पड़ता है अतः बच्चों को उचित संस्कार देना चाहिए

    ReplyDelete
  141. मेरे विचार
    नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।

    ReplyDelete
  142. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।

    ReplyDelete
  143. भारत सहित अधिकांश विश्व में बहुभाषी विद्यार्थी अपवाद नहीं बल्कि आदर्श हैं। एक से अधिक भाषा ज्ञान के संज्ञानात्मक और व्यावहारिक लाभ के कई शोध और प्रमाण हैं। इस प्रकार का ज्ञान अध्यापन और शिक्षण का अद्भुत साधन है। चाहे किसी भी विषय में विशेषज्ञता हो, प्रत्येक शिक्षक को अपने सभी विद्यार्थियों के भाषा ज्ञान और कौशल की प्रशंसा, प्रचार और उसे निखारने के अवसरों की तलाश करनी चाहिए। एक भाषा और साक्षरता शिक्षक होने के नाते, ऐसा करना आपकी विशेष ज़िम्मेदारी है। यह इकाई दर्शाती है कि यह कैसे संभव है।

    ReplyDelete
  144. छात्रों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहु भाषा का ज्ञान आवश्यक है उन्हें अपनी मातृभाषा के साथ-साथ अंग्रेजी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की जानकारी भी होनी चाहिए

    ReplyDelete
  145. भारत के विषय में यह कहा जाता है कि हर 40 किलोमीटर पर भाषा बदल जाती है इसी परिपेक्ष में एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना बच्चों के लिए नितांत आवश्यक है उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेशी भाषाओं का ज्ञान होना भी श्रेयस्कर होगा

    ReplyDelete
  146. भारत जैसे विशाल देश में विभिन्न भाषाएं बोली जाती है.यह हमारी समृद्ध विरासत और विभिन्नता में एकता की प्रतीक है.किसी भी क्षेत्र की संस्कृति, सभ्यता और विकास की परिचायक होती है- भाषा.भाषाओं का उपयोग व्यक्तित्व एवं सामाजिक विकास के संसाधन के रूप में होता है.भाषा का प्रचलन, उपयोग, विकास और अधिगम एक रणनीति का हिस्सा है.

    ReplyDelete
  147. Language gives power to us to separate us from other living beings. It gives power to connect one mind to many minds either in oral or written form.

    ReplyDelete
  148. हमारा भारत विविधताओं का देश है जहां पर विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती है,अगर हमें हमारे विचार का आदान-प्रदान करना है तो हमें बहुभाषी होना चाहिए।

    ReplyDelete
  149. बच्चो को मातृ भाषा में ही शिक्षा प्रदान की जानी चाहिये।मातृ भाषा में शिक्षण आनंददाई होता है।बच्चे का विकास कही अधिक गति से होता है। विशेष रूप से प्राथमिक शिक्षण में यह अति आवश्यक है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. मातृ भाषा का अन्य कोई विकल्प ही नहीं है
      परन्तु बहु राष्ट्रवाद के युग में देश को यदि विकाश की मेट्रो में सैर करना है तो बहु भाषी होना हमारी परम आवश्यकता होगी
      अध्ययन में प्रमाणित हो चुका है कि बहु भाषी व्यक्ति ज्यादा प्रखर बुद्धि के होते हैं

      Delete
  150. Bachchon ke samgra vikas ke liye bahubhasha gyan jaruri hain .bachache adhik se adhik jankari prapat kar sake.

    ReplyDelete
  151. हमारा देश बहुभाषिक देश है यहां पर कई भाषाएं बोली जाती हैं गांव से लेकर नगर महानगरों व विदेशों में जाने पर कई भाषाओं का प्रयोग किया जाता है इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी को स्थानीय भाषा बोलचाल की भाषा के अलावा अन्य भाषाओं का भी ज्ञान आवश्यक है जितनी भाषाओं का ज्ञान होगा उतनी ही तरक्की करेगा और अपनी समझ को विकसित करेगा इसलिए बहुभाषी होना बहुत जरूरी है

    ReplyDelete
  152. Samagra unnanti pane k liye sampark hona jaruri hai,sampark k sath apni bat samjha pana jaruri hai ,bharat jaise bahubhashi desh me na jane kitni bhasha boli jati hai,aur apne sampark shetra ko badaya tabhi ja sakega jab hm b ek se jayada bhasha k jankar honge,isliye bachcho ko bhi matrabhasha k alava anaya bhasha ka gyan diya jana chahiye

    ReplyDelete
  153. बहुभाषी शिक्षण आज के समय मे महती आवश्यकता हैं,क्योंकि इससे हम अपने शिक्षण को और अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं ।

    ReplyDelete
  154. प्रतिस्पर्धा के युग में भाषाई ज्ञान आवश्यक है। यह एक आवश्यक संसाधन है।

    ReplyDelete
  155. Apni bhasha sbse mehtva poornda hai pr yadi hum bacche Ka overall development krna chate hai toh hme use HR bhasha sikhana Hoga air uski importance smjhani hogi
    Use bahubhadsi bnana hoga

    ReplyDelete
  156. प्रेमनारायण माहौर शा.प्रा.वि.शंकरपुर जिला ग्वालियर
    आज के दौर मे बहुभाषी होना परम आवश्यक है ।हमें हिन्दी के साथ- साथ अंग्रेजी संस्कृत,,मराठी तथा अनेकों क्षेत्रीय भाषाओं का ज्ञान भी होना आवश्यक है।विदेशों में नौकरी व धंधे,के लिए अंतराष्ट्रीय भाषाओं का ज्ञान जरूरी है ।हमे क्षेत्रीय भाषाओं के बारे में भी जानकारी होना चाहिए ।

    ReplyDelete
  157. हम बच्चों को बहुभाषी अध्यापन कर उन्हें विभिन्न स्थानों पर जहां की भाषा विभिन्न है वहां की पर रहने के लायक बना सकते हैं ताकि वहां पर असहज महसूस ना कर सके तथा उनकी भाषा में बात कर सके।

    ReplyDelete
  158. जो अपनी माँ को निःसहाय, निरुपाय व निर्धन दशा में छोड़ कर दूसरे की मां की सेवा सुश्रुषा करता है, उस मनुष्य के पापों का प्रायश्चित मनु,याज्ञवल्क्य व आपस्तव त्रृषि भी नहीं कर सकते हैं ।
    इसलिए मातृभाषा में शिक्षा दीक्षा होना चाहिए ।अन्य भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया जा सकता है ।
    निज भाषा उन्नति अहे,.
    जयहिन्द जय भारत वन्दे मातरम्

    ReplyDelete
  159. हमें आगे बढ़ने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता बहुत अच्छी रणनीति साबित हो सकती है क्योंकि हमारी कक्षा में विभिन्न भाषा के बच्चे पढ़ सकते हैं जिन्हें समझाने के लिए हमें बहुभाषिक होना बहुत आवश्यक है यदि हम अपने प्रदेश से बाहर जाते हैं तब हर जगह अलग-अलग भाषा का उपयोग होता है जिसके लिए बहुभाषिकता बहुत आवश्यक होती है

    ReplyDelete
  160. भाषा जिसकी सरल ओर जल्दी समझ मे आने वालीओर प्रभावशाली होती है।वही भाषा विश्व मे प्रचलित होती है। जैसे अंग्रेजी भाषा आजके दौर मे भारत मे इतनी भाषा बोली जाती है ।ओर अपने क्षैत्र मे प्रभाव रखती है। पर अंग्रेजी भाषा हर प्रान्त, क्षैत्र मे एक लोगो को जोडनज का माध्यम हो गया है। हम बहुभाषीय होने से हमारे विकास ,व्यापार, सभी क्षैत्रो मे उन्नति कारक है। इसलिए सभी भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए।

    ReplyDelete
  161. नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है|

    ReplyDelete
  162. नई नई जानकारी जानने के लिए व आगे बढ़ने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है

    ReplyDelete
  163. हमारा देश सांस्कृतिक विविधता वाला देश है जिसमें अनेक प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं हमें अपने जीवन की प्रगति के लिए बहु भाषा का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है।

    ReplyDelete
  164. हमारे देश में जो कि एक बहुभाषीय देश है। और जहाँ विभिन्न बोलियाँ भी हैं। एक से अधिक भाषा आ ही जाती है। जिसमें हिंदी के साथ अंग्रेजी तो आना जैसे अनिवार्य है।
    वैसे भी ज्ञान की व्रद्धि के लिए यह आवश्यक है

    ReplyDelete
  165. हमारी प्रारंभिक शिक्षा हमारी मातृभाषा से शुरू होती है और हम जैसे जैसे उन्नति करते जाते हैं वैसे वैसे हमें अन्य भाषाओं की भी जरूरत पड़ती है
    और हमें स्थान स्थान पर हर भाषा की जरूरत होती है क्योंकि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है यहां विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं और हमें आवागमन के लिए अन्य कार्यों के लिए किसी दूसरी भाषा का प्रयोग करना पड़ता है इसीलिए हमें अन्य भाषाओं का भी ज्ञान होना चाहिए

    ReplyDelete
  166. हमारा देश एक बहुभाषी देश है भर राज्य की अलग भाषा है जो मातृभाषा कहलाती है भैंसें हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी है हमारा देश बिबिधता में एकता का रूप है हमारे देश में कुछ दूरी पर भाषा बदली जाती है

    ReplyDelete
  167. बहुत सी भाषाओं को जानने से हमें अलग-अलग भाषा के लोगों से संवाद करने, घुलने-मिलने, समझने में मदद मिलती है।कक्षा में भी बहुभाषी बच्चे हो सकते हैैं।उन्हें भी पढ़ाने में मदद मिलती है।

    ReplyDelete
  168. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।

    ReplyDelete
  169. जीवन में सफल होने के लिए बहुभाषिकता का ज्ञान आवश्यक है ।

    ReplyDelete
  170. नवीन जानकारी प्राप्त करने के
    लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।

    ReplyDelete
  171. कोस कोस पर बदले पानी! चार कोस पर बदले वाणी! भाषा के माध्यम से हम कई विषयों का अध्ययन कर सकते हैं ! विज्ञान गणित अंग्रेजी और संस्कृत में भाषा के माध्यम से हम कई भाषाओं में इन चीजों का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं ! इस प्रकार शिक्षा के अधिकार को अधिक सशक्त बनाया जा सकता ! विविध भाषा वादियों से जुड़कर हम विदेशियों से जुड़कर हम स्वयं के ज्ञान का भी वर्धन कर सकते हैं! और छात्रों का भी मानसिक विकास कर सकते हैं!

    ReplyDelete
  172. अद्यतन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के लिए, दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए, एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है ।विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्य पुस्तकें विदेशी भाषाओं में ही मिलती हैं। नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं। इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है। यह एक संसाधन भी है ,और रणनीति भी है।

    ReplyDelete
  173. हर देश का साहित्य अलग अलग भाषा में है इसलिए उसे समझने के लिए भाषा का ज्ञान आवश्यक है साथ ही भाषा हमें आपस में जोड़ती है ज्ञान के नए दरवाजे खोलती है इससे आपसी प्रेम बढ़ता है। यह विकास में सहायक है इसलिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है

    ReplyDelete
  174. हमे जीवन की प्रगती के लिये बहू भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है

    ReplyDelete
  175. Jivan me bhubhasa ka ghan avasyak hai isse ham bcharo ka adan pradan kar sakte hai jab ham kahi jate hai

    ReplyDelete
  176. दुनिया कोपास से समझने के लिए हमें हर क्षेत्र की भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है।यहां की भाषा समझेंगे तब हम उस क्षेत्र के सांस्कृतिक महत्व को समझ सकते हैं एवं भाषाओं की जानकारी से ही हम विभिन्न क्षेत्रों के बारे में जानकारी जुटा सकते हैं आता हमें एक से अधिक भाषाओं की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।

    ReplyDelete
  177. Hum ek ese desh me rehte h jaha 4 kos per bhasa badalti dikhegi bahu bhasa ka humare jeevan per bahut prabhav padta h hum. Jitni bhashaon ka gyaan rakhenge humare liye apne vicharon ko rakhna or doosron ke vichaaron. Ko samjhna utna he aasan hoga.

    ReplyDelete
  178. भारत एक विशाल देश हैं।इसलिए यहां पर सैकड़ों भाषाएँ और हजारों बोलियां बोली जाती है ।अतः अपने ही देश के इतिहास ,रीति रिवाज, रहन सहन, खान पान ,और बिचारों को समझने के लिए हम को बहुभाषी होगा आवश्यक है।इससे हम अपने समझ और बिचारों को आसानी से साझा कर पाएंगे। और हमारी राष्ट्रीय एकता मजबूत होने के साथ ही साथ नई नई खोजो पर सफलता प्राप्त कर पायेंगे एवम् अपने और दूसरों के अनुभवों से लाभ उठा पायेंगे तथा बहुभाषा शिक्षण की सार्थकता को सिद्ध कर सकते है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. शंकर प्रसाद नामदेव प्राथमिक शिक्षक ,जिला टीकमगढ़

      Delete
  179. Navin jankariyan prapt karne ke liye ek se adhik bhashaon ka gyan hona avashyak hai vigyan mein uchch Shiksha se sambandhit post ke jyadatar videshi bhasha mein hi milati hai naye khojo ke Prakashan bhi jyadatar videshi bhasha mein hi hote hain isliye ye ek se adhik hai

    ReplyDelete
  180. भारत देश में विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं दो बच्चों को यहां मल्टीलिंगुअल होना आवश्यक है विभिन्न भाषाओं के प्रयोग से बच्चों में सीखने की क्षमता का विकास होता है क्योंकि अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार की भाषाएं और बोली बोली जाती है और प्राथमिक प्राइमरी लेवल पर बच्चे कई प्रकार की भाषाओं को आसानी से सीख सकते हैं इस आयु वर्ग में बच्चे सबसे अच्छी तरीके से अलग-अलग तरह की भाषाएं सीख सकते हैं यदि बच्चे बहुभाषिकता सीखपाएंगे तो उन्हें आगे हमारा देश जो बहुभाषी देश है उसमें अपने आप को एक्ससपोजर करना है तो हमें बच्चों को बहुभाषी होना चाहिए।


    ReplyDelete
  181. हमारा देशभारत बहुभाषी देश है।यहाँ बहुत भाषाएँ बोली जाती हैं।अपने भाषाई कौशल विकसित करने के लिए हमें अन्य भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है।

    ReplyDelete
  182. Anil Kumar panthi हर देश का साहित्य अलग अलग भाषा में है इसलिए उसे समझने के लिए भाषा का ज्ञान आवश्यक है साथ ही भाषा हमें आपस में जोड़ती है ज्ञान के नए दरवाजे खोलती है इससे आपसी प्रेम बढ़ता है।

    ReplyDelete
  183. विश्व में ज्ञान के भंडार को अपने में समाहित करने के लिए बहुभाषी का ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है।यह बच्चों का सवागिण विकास करती है। और मानसिक विकास भी होता है। हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर्राष्ट्रीय तथा देश विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इसके प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता हैं। तथा हम अपनी बात सटीकता से कह सकते हैं।

    ReplyDelete
  184. दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।

    ReplyDelete
  185. Bachcho ke samporn Avam samagra vikas ke liye unhe ek se adhik bhasha ka gyan aavashayak hai. Hmara desh bahubhashiya hai. Hme apne desh ke bare me adhik jankari prapt karne ke liye bahhubhasiya hona aavashayak hai atah bahubhasha ka gyan bachcho ka chahumukh vikas krege.

    ReplyDelete

  186. हमारे देश में बहुत भाषा, धर्म व पंथ/ सम्प्रदाय के लोग रहते हैं क्षेत्रवाद के हिसाब से अलग-अलग बोलियाँ व जीवन पद्धति के साथ लोग रहते हैं हिन्दी, अंग्रेजी के साथ ही अपने सभी प्रदेशों की अलग-अलग स्थानीय बोली
    व भाषा है ं प्राचीन वेद शास्ञों की अलग-अलग भाषा हैं विविधता के साथ एकता ही सुन्दरता है

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मॉड्यूल 13 गतिविधि 3: विद्यालय नेतृत्व एवं छात्र अधिगम

मॉड्यूल 13 गतिविधि 1 : प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता के गुण

मॉड्यूल 15 गतिविधि 1: अपने बचपन की यादों को साझा करें