मॉड्यूल 11 गतिविधि 1 : चिंतन बिंदु
विभिन्न दस्तावेजों और नीतियों ने बहुभाषिकता के महत्व पर प्रकाश डाला है। एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता के संबंध में आपके विचार क्या हैं। क्या हम इसे एक संसाधन और एक रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हैं?
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आद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
ReplyDeleteलिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है और रणनीति भी है|
गतिविधि नं. -1 चिंतन बिंदु-
Deleteविभिन्न ने दस्तावेजों और नीतियों ने बहुभाषिकता के
नमस्कार,
" कोस-कोस पर पानी बदले,चार कोस पर वाणी।" इस कहावत की तटस्थता को देश के किसी भी कोने में रख कर जांचा-परखा जा सकता है। हिंदी हो या बंगाली,हम सबसे सहज घर की भाषा को स्कूल में मानकता का आवरण पहनाते हुए अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में है यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
बहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विचार पैदा करे ।
इस तरह ये अति आवश्यक है कि भाषा बहुभाषी होना चाहिए।
B.S.Kulaste
P.S.Baraudi distribution. Dindori
भाषा शिक्षण में बहुभाषा का बहुत महत्व हैं बच्चा जब विद्यालय जाता हैं तो उसके पास केवल मातृभाषा का ज्ञान होता हैं जब वह विद्यालय परिवेश में जाता हैं तो मातृभाषा के साथ साथ अन्य भाषाओ पर भी उसकी पकड़ बढ़ती जाती हैं और वह बाहरी संसार के परिवेश से जुडता हैं उसे समझता हैं हमें निश्चितरूप से बहुभाषा का ज्ञान होना बहुत आवश्यक हैं इसका बहुत बड़ा महत्व हैं
Deleteभाषा शिक्षण में बहुभाषा का बहुत महत्व हैं बच्चा जब विद्यालय जाता हैं तो उसके पास केवल मातृभाषा का ज्ञान होता हैं जब वह विद्यालय परिवेश में जाता हैं तो मातृभाषा के साथ साथ अन्य भाषाओ पर भी उसकी पकड़ बढ़ती जाती हैं और वह बाहरी संसार के परिवेश से जुडता हैं उसे समझता हैं हमें निश्चितरूप से बहुभाषा का ज्ञान होना बहुत आवश्यक हैं इसका बहुत बड़ा महत्व हैं
DeleteMultilingualism is referred to as the ability of a speaker to express himself or herself in several languages with equal and native like proficiency.
ReplyDeleteThe children who are fluent in more than one language are superior and reasoning skills are better and their cognitive abilities are also greater.
Multilingualism provides an insight into the understanding of different cultures and experiences hence a multilingual becomes multicultural in nature.
Multilingual are more efficient and better developed executive control systems.
Agr hme bachche ka smprn vikas krna h to ak se adhik bhashaon ka gyan bhut jruri h matri bhasha ke sath ak ese bhasha bhi avashyak h jo sarvebhoum ho arthat jo Adhunik jgt ke gyan prapt krne me shayak ho esliye bhubhashagyan prapt krne ka mukhya sansadhan bhi h aur ranniti bhi
DeleteBachchon ke samgra vikas ke liye bahubhasha gyan jaruri hain .bachache adhik se adhik jankari prapat kar sake.
Deleteमॉड्यूल क्रमांक- 11 गतिविधि नं. -1 चिंतन बिंदु-
ReplyDeleteविभिन्न ने दस्तावेजों और नीतियों ने बहुभाषिकता के
नमस्कार,
" कोस-कोस पर पानी बदले,चार कोस पर वाणी।" इस कहावत की तटस्थता को देश के किसी भी कोने में रख कर जांचा-परखा जा सकता है। हिंदी हो या बंगाली,हम सबसे सहज घर की भाषा को स्कूल में मानकता का आवरण पहनाते हुए अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
बहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।
धन्यवाद।
संतोष कुमार अठया
(सहायक-शिक्षक)
शासकीय प्राथमिक शाला,एरोरा
जिला-दमोह ( म. प्र.)
शाला डाईस कोड-23120300502
मोबाइल नंबर-+919893106699
Bilkul sahi
Deleteसत्यं ब्रूयात
DeleteMultilingualism means to speak and express onself in more than one language . The children who are fluent in more than one language can express themself in better way than the other students . Multilingulism provide a platform and understanding of different culture and hence become multicultural in nature
ReplyDeleteLanguage is the most wonderful part of humanbeings. Language gives power to us to separate us from other living beings. It gives power to connect one mind to many minds either in oral or written form.It is the means to collect the total knowledge of the world since a baby comes in the womb of his/her mother. A baby starts to learn his mother tongue unconsciously where as other tongue very consciously. The mother tongue helps him to learn other tongue. We follow the natural formula to learn mother tongue LSRW as listening, speaking , reading and writing. But we do not apply it picking up the second and third language. A child starts to second language RWSL as reading , writing, speaking and listing. Now days through technology we can listen native speakers but it was not possible earlier. A language teacher must use the LSRW formula dealing with second and third language.
ReplyDeleteआद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
ReplyDeleteलिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है
Kailash prasad yadav
ReplyDeleteM.s soojipurva Gangeo rewa m.p
मेरे विचार
नवीन जानकारी प्राप्त करने के
लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।
Hume duniya ke sath sath tabhi chal payenge jab hame yek se Adhik bhasha ka gyan ya jankari hoti.vigyan uchch shikshha ki pathay pustake videshi bhasha me hi prakashit hoti hai. Nevin khojon ke prakashan bhi videshi vhashaon me hote hai. Es prakar bahubhashikta hona Aabashyk hai.yah yek sansadhan hai.
ReplyDeleteASHIM KUMAR TIWARI CAC BALSAMUD RAJPUR BARWANI
ReplyDeleteबहुभाषी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो दो या अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है। विश्व में बहुभाषी लोगों की संख्या एकभाषियों की तुलना में बहुत अधिक है।
Right
DeleteHume duniya ke sath sath tabhi chal payenge jab hame yek se Adhik bhasha ka gyan ya jankari hoti.vigyan uchch shikshha ki pathay pustake videshi bhasha me hi prakashit hoti hai. Nevin khojon ke prakashan bhi videshi vhashaon me hote hai. Es prakar bahubhashikta hona Aabashyk hai.yah yek sansadhan hai
ReplyDeleteजीवन में सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने के लिए बहुभाषिकता का ज्ञान बहुत ही आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है।
Delete" कोस-कोस पर पानी बदले,चार कोस पर वाणी।" इस कहावत की तटस्थता को देश के किसी भी कोने में रख कर जांचा-परखा जा सकता है। हिंदी हो या बंगाली,हम सबसे सहज घर की भाषा को स्कूल में मानकता का आवरण पहनाते हुए अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
ReplyDeleteबहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।
भाषा चाहे जो भी हो,हिंदी हो या बंगाली, हमारे लिए सबसे सहज है घर की भाषा जिसको स्कूल में मान्यता, स्वीकार्यता और सम्मान का आवरण पहनाते हुए मानक हिन्दी, अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
ReplyDeleteबहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।
मैं नाथूराम अहिरवार सहायक शिक्षक मा०शा० लोधाखेड़ी विकासखंड लटेरी जिला विदिशा Disecode 23310416802
ReplyDeleteबहुभासिकता को साधन के रूप मे एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राइमरी शिक्षक के रूप मे अपने छेत्र मे इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे । घर का जोगी जोग आन गाँव का सिध्य जब एक विध्यालय की कक्षा मे किसी दूसरे स्थान के विध्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है । तो छात्रों का आकर्षण और बढ़ जाता है । चाहे जो भी हो हमारे लिए सबसे सहज है कि घर कि भाषा जिसको स्कूल मे मान्यता स्वीकारता और सम्मान का आवरण पहचानते हुये मानक हिन्दी अतिरिक्त भाषा संस्कृत से भी परिचय कर लेने मे सफल हो जाते हैं ।
हमारे देश कि राष्ट्रीय एकता की दीवार को सुदृड्ताप्रदान करने मे सफलता प्राप्त होगी। परिणामता तमिलनाडू को हिन्दी के प्रति सम्मान और गुजरात के मराठी के प्रति जिगयसा जाग्रत होगी । प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जाग्रत हो और बहुभाषिक समद्रष्टि का विकास संभव हो ।
ek se Adhik bhashaon ka gyan hone se ham dusre deshon tatha dusre rajyon Jahan Hindi ke alava Anya Bhasha Chalti Hai unke Samne Apne Bhav vyakt kar sakte hain vichar pradushit kar sakte hain
ReplyDeleteममताjangde
Ek se adhik bhasa ka gyan skill ko badhata hai
ReplyDeleteदुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।
ReplyDeleteदुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है| मनीष कारगुवाल
ReplyDeleteEk se adhik bhasa ka gyan hona awsyak hai.
ReplyDeleteदिलीप सिंह ठाकुर, शिक्षक,शासकीय एकीकृत शाला, घाना, घुन्सौर, जबलपुर =बच्चों को एक से अधिक भाषाओँ का ज्ञान होना बहुत ही अच्छी बात है। विशेषकर अंग्रेजी भाषा का बनना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि अधिकांशतह इसी का प्रयोग होता है =दिलीप सिंह ठाकुर,घाना, जबलपुर
ReplyDeleteNidhi Tiwari BA1065
ReplyDeleteनवीन जानकारी प्राप्त करने के
लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है|
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ReplyDeleteविश्व में ज्ञान के भंडार को अपने में समाहित करने के लिए बहु भाषा का ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है।यह मानसिक विकास के लिए भी अच्छा है।
ReplyDeleteभाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता बहुत ही आवश्यक है यह बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है और उनको सभी लोगों से अपने विचार संप्रेषण करने के लिए सक्षम बनाती है हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर राज्य तथा देश और विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि कर सकते हैं बहु भाषा के प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता है तथा हम अपनी बात को पूरी सटीकता के साथ कह पाते हैं
ReplyDeleteएक शिक्षक के रूप में मेरे विचार से बहु भाषा को एक संसाधन यह रणनीति की तरह उपयोग में ला सकते हैं जैसे हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास करते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है कि वे एक से अधिक शाखा ध्यान रखें हमारे भारत के स्कूलों में हम ऐसा कर सकते हैं की दक्षिण की भाषाओं को उत्तर में और उत्तर की भाषाओं को दक्षिण में पूर्व की भाषाओं को भी इसी तरह अन्य राज्यों में लागू कर हमें 3 भाषा जानने वाला पाठ्यक्रम चलाना अधिक उचित प्रतीत होता है
ReplyDeleteजी बिलकुल हम संसाधन के रूप में उपयोग कर सकते हैं एक शिक्षक के रूप में बहुत उपयोगी है शिक्षक इसका उपयोग करके रणनीति बना सकते हैं
ReplyDeletebahubhashi ka Arth hai vibhinn Jagat ki apni alag alag bhashaen aisi hoti hai jo unke aaspaas ke vatavaran Sanskriti Dharm jaati per nirbhar Karti hai ise ham bacchon ke sath unki matrabhasha ka upyog kar ke roop mein viksit kar sakte hain.
ReplyDeleteबहु भाषा में ज्ञान प्राप्त करने से छात्रों का मानसिक विकास होता है। असीमित ज्ञान प्राप्त करने की सम्भावना बढ़ जाती है।
ReplyDeleteभाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता का बहुत महत्व है।बहुभाषिकता से अपने विचार सम्प्रेषण करने के लिए सक्षम बनाने के साथ यह राज्य,अंतर राज्य तथा देश विदेश की सीमाएं समाप्त करने के साथ ज्ञानार्जन में वृद्धि करती है।
ReplyDeleteभारत एक बहुभाषी देश है इसके साथ-साथ संपूर्ण विश्व आज एक परिवार की तरह है सारे लोग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं विभिन्न देशों की विभिन्न विभिन्न भाषाएं हैं ऐसी परिस्थिति में बहुभाषी होना अत्यंत आवश्यक है
ReplyDeleteएक शिक्षक के रूप में मेरे विचार से बहु भाषा को एक संसाधन यह रणनीति की तरह उपयोग में ला सकते हैं जैसे हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास करते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है
ReplyDeleteHame sampurn or samg ra vikas karna hai to ek se adhik bhasa ko shikhana hoga.
ReplyDeleteबहुभाषी बच्चे के विद्यालय में आते हैं तो उन्हें प्रवेश की भाषा स्कूल की भाषा अपने बच्चों की भाषा आज का ज्ञान सीखने की भाषा कुछ अलग होती है बच्चे जिस भाषा में सीख जाए उसी भाषा को सीखने की भाषा कहते हैंजिससे बच्चे सुगमता पूर्वक सीख जाए वही सीखने की भाषा होती है
ReplyDeleteअल्का बैंस प्राथमिक शाला कूकड़ा जगत छिन्दवाड़ा
ReplyDeleteभाषा एक इसी योग्यता है जिसे हम जन्म लेते ही ग्रहण करना चालू कर देते हैं। हमारी भाषा, बोलने की लय, भाव पर हमारे आस पास की गतिविधियों, प्राकृतिक और सामाजिक वातावरण एवम् भौगोलिक संरचना से अत्यंत प्रभावित होती है।
आज का समय बहुराष्ट्रीय करन का है इसीलिए विभिन्न देशों के मध्य या प्रांतों के और उसके लोगों के मध्य संबंध बनना स्वाभाविक है और इसी से हम अपनी भाषा संबंधी आवश्यकताओं के विस्तार को और आवश्यक समझते हैं इसीलिए बचपन से ही हमें मात्रा भाषा के साथ उस भाषा को सीखने पर ज़ोर दिया जाता है जिससे हम अपने आने वाले जीवन में व्यावसायिक दृष्टि से भी सफल हो सकें।
बहुभाषी होता एक से अधिक भाषा बोलने, लिखने और समझने की योग्यता है। एक शिक्षक होने के नाते बच्चो को आज के परिप्रेक्ष्य में बहुभाषी होने के महत्व को समझना आवश्यक है। बहुभाषी होने से बच्चे अपने आने वाले भविष्य में न केवल विचारों ओर योग्यता सेवाओं का आदान प्रदान करेंगे बल्कि सम्पूर्ण विश्व को एकजुट करने सांस्कृतिक मूल्यों को समझने में भी उन्हें सरलता मिलेगी। इसका प्रयोग हम अपनी कक्षा से प्रारंभ कर सकते हैं बहु भाषा को एक संसाधन के रूप में लेते हुए हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास कर सकते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है।
बहुभाषी बच्चे के विद्यालय में आते हैं तो उन्हें प्रवेश की भाषा स्कूल की भाषा कुछ अलग होती । जिस भाषा में सीखना चाहते हैं उसी भाषा में सीखने की परिभाषा को ही भाषा कहते हैं।
ReplyDeleteमनुष्य संसार का सबसे शक्तिशाली प्राणी है वह अपने विचारों का आदान-प्रदान अपनी भाषा के अलावा अनेक भाषाओं में संप्रेषण करता है ।जिज्ञासु प्रवृत्ति का होने के कारण संसार की सारी जानकारियां प्राप्त करना चाहता है ,जो कि बहुभाषिकता से ही संभव है । वसुधैव कुटुंबकम की भावना के लिए अनेक भाषाओं का सीखना अत्यंत आवश्यक है।
ReplyDeleteभाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता बहुत ही आवश्यक है यह बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है और उनको सभी लोगों से अपने विचार संप्रेषण करने के लिए सक्षम बनाती है हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर राज्य तथा देश और विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि कर सकते हैं बहु भाषा के प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता है तथा हम अपनी बात को पूरी सटीकता के साथ कह पाते हैं
ReplyDeleteभाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता बहुत ही आवश्यक है यह बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है और उनको सभी लोगों से अपने विचार संप्रेषण करने के लिए सक्षम बनाती है हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर राज्य तथा देश और विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि कर सकते हैं बहु भाषा के प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता है तथा हम अपनी बात को पूरी सटीकता के साथ कह पाते हैं
ReplyDeleteBahubhasikta baccho ke sampurn Vikas ke lily avashyak hai.
Deleteबहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
ReplyDeleteभाषा शिक्षण के तहत बच्चो को विभिन्न भाषाओं का ज्ञान होना चाहिये , ताकि भिन्न भिन्न संस्कृति ,परिवेश आदि को आसानी से समझ सके ।
ReplyDeleteManav sabse shaktishali prani he apni chintan v jigyasa se har samasya ka samadhan ker sakta ha. Vicharo ka adan pradan kerne ka liye ek se adhik bhasa ka gyan hona avashyak hai .
ReplyDeleteआद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
ReplyDeleteलिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है और रणनीति भी है|
एक शिक्षक के रूप मे मै बहुभाषिकता का समर्थक हूँ बच्चों को पूरी दुनिया का ग्यान अर्जित करने के लिए अनेक भाषा की जानकारी आवश्यक है
ReplyDeleteबच्चा शाला में अपने साथ अपनी मातृभाषा का ज्ञान लेकर विद्यालय में आता है, यहा उसका प्रथम सम्पर्क मानक भाषा से होता है । हमे चाहिए कि हम अपने विद्यार्थियों के साथ प्रथम परिचय उनकी भाषा जो वह जानते है, के साथ करने का प्रयत्न करें जिससे वह हमारे साथ अच्छे से जुड जाए और हमारे दिशा निर्देशों को समझकर उसके अनुसार कार्य करने में सक्षम हो सकें। बहुभाषिकता से बच्चें कुछ समय के लिए परेशान होते है किन्तु शीघ्र ही वे सामजस्य बैठा लेते है। मेरे अपने घर में ही मराठी भाषा का उपयोग किया जाता है,शाला में बच्चें हिन्दी,संस्कृत, अंग्रेजी भाषा का ज्ञान प्राप्त कर चारों भाषाओं पर समान अधिकार प्राप्त कर लेते हैं।
ReplyDeleteनमस्कार मैं सुंदर सूर्यवंशी माध्यमिक शिक्षक शासकीय माध्यमिक शाला चिकली मुकसा विकासखंड अमरवाड़ा आज की दुनिया मैं संसाधनों की कोई कमी नहीं है जितने भी साधन है वह सभी के उपयोग के लिए है इसमें भाषा किसी को अवरोध उत्पन्न ना करें इसलिए सभी भाषाओं को सीखना हमारे लिए आवश्यक एवं रुचिकर है सभी बच्चे इसको आसानी से सीख सके इसके लिए शालाओं में भी तीन भाषाओं को हम पढ़ाते हैं मुख्य रूप से मातृभाषा में पढ़ने के साथ-साथ अन्य भाषाओं की जानकारी एवं उनके शब्दों के बारे में जानकारी लेना बच्चों को रुचिकर लगता है अतः बहु भाषा का ज्ञान प्राप्त करना छात्र हित में है कोस कोस में पानी बदले 4 कोस में वाणी।
ReplyDeleteहमें आद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है और रणनीति भी है|
ReplyDeleteमातृ भाषा के साथ अन्य भाषाओं का ज्ञान अतिआवश्यक है क्योंकि भारत बहु भाषी देश है ।
ReplyDeleteविभिन्न दस्तावेजों और नीतियों ने बहुभाषिकता के महत्व पर प्रकाश डाला है। एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता के संबंध में आपके विचार क्या हैं। क्या हम इसे एक संसाधन और एक रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हैं?
ReplyDeleteभारत एक धर्म निरपेक्ष देश हैं,जिस प्रकार हमारे देश में अनेक धर्मों का सम्मान के साथ निर्वहन किया जाता है उसी सभी प्रकार की भाषाओं का आदर के उपयोग किया जाता है चाहे वह देव भाषा संस्कृत हो या हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी इस प्रकार हमारे देश में सभी भाषाओं का एक अपना महत्त्व हैं| इस प्रकार हमने विदेशी भाषा अंग्रेजी को भी हमारे पाठ्यक्रम में द्वितीय भाषा का दर्जा दिया हैं| जिसका हमारे दैनिक जीवन में एक अपना महत्व हैं | इस प्रकार एक शिक्षक के रूप मे हम इसे एक संसाधन और एक रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हैं|
विश्व में ज्ञान के भंडार को अपने में समाहित करने के लिए बहु भाषा का ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है।यह मानसिक विकास के लिए भी अच्छा है।
ReplyDeleteमात्रभाषा के साथअन्य भाषाओं का ज्ञानॶतिआवश्यक है
ReplyDeleteBachhe ki bahubhashikata, usake vikas me madadgar hoti hai.bachhe ko anek bhasao ki janakari hoti hai. Jisase very apane vicharo ka Adan pradan kar sakate hai.
ReplyDeleteहमारा देश बहुभाषी राष्ट्र है। मध्य्रदेश में हिन्दी को राजभाषा के रूप में दर्जा प्राप्त है। एक शिक्षक के रूप में हमें सभी राज्यों की भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। मध्यप्रदेश में हिन्दी अंग्रेजी और संस्कृत भाषा को पढ़ाया जाता है जो उपयुक्त है। हमें विश्व में अपनी राषट्रभाषा हिन्दी के सम्मान और विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।
ReplyDeleteTo move step by step with the world, knowledge of more than one language is necessary. Textbooks related to higher education in science are available only in foreign language, so multilingualism is necessary, it is a resource.
ReplyDeleteTo move step by step with the world, knowledge of more than one language is necessary. Textbooks related to higher education in science are available only in foreign language, so multilingualism is necessary, it is a resource.
ReplyDeleteTo move step by step with the world, knowledge of more than one language is necessary. Textbooks related to higher education in science are available only in foreign language, so multilingualism is necessary, it is a resource.
ReplyDeleteEk se adhik bhasa ka gyan hona siksha ke liye helpful hein.
ReplyDeleteEk se adhik bhasha seekhna jaruri he .bhasha se ham vibhinna deshon ki sanskrati jan pate hain.ham translator ka kam kar ke desh ki sewa kar sakte hain.
ReplyDeleteएक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता के संबंध में मेरा विचार यह है कि एक राष्ट्रीय और एक अंतरराष्ट्रीय भाषा को जरूर सीखने का प्रयास होना चाहिए ।हम राष्ट्रीय भाषा /मातृभाषा को प्राथमिक स्तर तक और अन्य अतिरिक्त भाषाओं को छठी से नौवीं तक बहुत आसानी से सीख सकते हैं। इसके बाद भाषा सीखना क्रमशः कठिन होता जाता है, क्योंकि हमारे अन्य विषय गहरे होने लगते हैं । निश्चय ही भाषा एक अद्भुत संसाधन है और हम एक रणनीति के रूप में इसका उपयोग कर सकते हैं और करना ही चाहिए। परंतु यहां यह भी उल्लेखनीय है कि - 'निज भाषा उन्नति लहै ,सब उन्नति को मूल । बिन निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को शूल ।'
ReplyDeleteNaveen yug me bahubhashi hona athva ek se adhik bhashaon ka gyan hona ati avashyak h,jisase ham apne vicharon ko samne balon ko prabhavi dhang se samjha sakte hai
ReplyDeleteबहुभासिकता को साधन के रूप मे एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राइमरी शिक्षक के रूप मे अपने क्षेत्र मे इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे । घर का जोगी जोग आन गाँव का सिध्य जब एक विध्यालय की कक्षा मे किसी दूसरे स्थान के विध्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है । तो छात्रों का आकर्षण और बढ़ जाता है । चाहे जो भी हो हमारे लिए सबसे सहज है कि घर कि भाषा जिसको स्कूल मे मान्यता स्वीकारता और सम्मान का आवरण पहचानते हुये मानक हिन्दी अतिरिक्त भाषा संस्कृत से भी परिचय कर लेने मे सफल हो जाते हैं ।
ReplyDeleteहमारे देश कि राष्ट्रीय एकता की दीवार को सुदृड्ताप्रदान करने मे सफलता प्राप्त होगी। परिणामता तमिलनाडू को हिन्दी के प्रति सम्मान और गुजरात के मराठी के प्रति जिगयसा जाग्रत होगी । प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जाग्रत हो और बहुभाषिक समद्रष्टि का विकास संभव हो ।
हमारा देश बहुभाषी राष्ट्र है। मध्य्रदेश में हिन्दी को राजभाषा के रूप में दर्जा प्राप्त है। एक शिक्षक के रूप में हमें सभी राज्यों की भाषाओं का सम्मान करना चाहिए। मध्यप्रदेश में हिन्दी अंग्रेजी और संस्कृत भाषा को पढ़ाया जाता है जो उपयुक्त है। हमें विश्व में अपनी राषट्रभाषा हिन्दी के सम्मान और विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।
Ombati Raghuwanshi. Ps. Pali. हमें बच्चों को उनकी अपनी भाषा से शुरुआत करनी होगी क्योंकि उनकी घर की भाषा में वो जल्दी समझते हैं
ReplyDeleteआद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
ReplyDeleteलिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है
India is multi.language land so indian people should learn multi language.
ReplyDeleteभारत जैसे विशाल देश में अनेक भाषाऐं बोली जाती हैं हमारी प्रथम या मात्र भाषा हिन्दी हैं जिसको सीखने मेंं बच्चे को कोई परेशानी नहीं होती।परन्तु अन्य भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करने में कुछ परेशानी होती है व वह उनको देर से सीखता हैं। परन्तु आगे बढने के लिये अन्य भाषाओं का ज्ञान होना बहुत आबश्यक हैं।
ReplyDeleteदुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।
ReplyDeleteभारत जैसे देश में कई भाषाएं प्रचलित हैं और एक विशिष्ट भारतीय कक्षा में बहुभाषी लोग मिल सकते हैं बच्चे अपनी मातृभाषा सीखकर विद्यालय आते हैं और एक साथ या बाद में राज्य विद्यालय की भाषा सीखते हैं वे अंग्रेजी जैसी विदेशी भाषा भी सीखते हैं, जिसे अधिकांश भारतीय स्थितियों में दूसरी भाषा के रूप में माना जाता है। भाषा के शिक्षकों के रूप में हमें समझने और विचार करने की आवश्यकता है की भाषा कैसे सीखी जाती है और हमारी कक्षा के संदर्भों में भाषा सीखने के लिए परिस्थितियां कैसी हैं?
ReplyDeleteहम इसे एक संसाधन और एक रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
भाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता बहुत ही आवश्यक है यह बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है और उनको सभी लोगों से अपने विचार संप्रेषण करने के लिए सक्षम बनाती है हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर राज्य तथा देश और विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि कर सकते हैं बहु भाषा के प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता है तथा हम अपनी बात को पूरी सटीकता के साथ कह पाते हैं
एक से अधिक भाषा का ज्ञान आबश्यक है
ReplyDeleteकई भाषाओं का सीरवना सीरवाना आवश्यक ह।क्योंकि हमारे देश मे ही कई भाषाएं बोली एवं लिखी जाती ह।
ReplyDelete, 2020 at 6:20 PM
ReplyDeleteआद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है
बहुभाषा को एक संसाधन व रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हे क्योकि हमारा देश कई जातियों के साथ साथ कई भाषाओं को भी एक धागे में पोकर रखता है इसलिए कहा जाता है अनेकता में एकता वाला है मेरा देश । यहाँ पग पग पर कई बोली के लोग मिलते हे इसलिए हमें भी अपनी शिक्षा में बहुभाषा का उयोग करना चाहिए ।
ReplyDeleteआद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
ReplyDeleteलिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है
ReplyDeleteआद्तन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के
लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इसप्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधनभी है
ReplyDeleteदुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।
हमें आगे बढ़ने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता बहुत अच्छी रणनीति साबित हो सकती है क्योंकि हमारी कक्षा में विभिन्न भाषा के बच्चे पढ़ सकते हैं जिन्हें समझाने के लिए हमें बहुभाषिक होना बहुत आवश्यक है यदि हम अपने प्रदेश से बाहर जाते हैं तब हर जगह अलग-अलग भाषा का उपयोग होता है जिसके लिए बहुभाषिकता बहुत आवश्यक होती है
ReplyDeleteभाषा भाषा हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है उससे ही हमारे जीवन का सर्वांगीण विकास होता है हमारी भाषा ही हमारी पहचान है भाषा के द्वारा हम पहचाने जाते हैं कि हम किस देश के हैं किस शहर के हैं हमें सबसे पहली भाषा जो हमारी मातृ भाषा कहलाती है हमारे घर से परिवार से मिलती हैजब हम बाहर की दुनिया में कदम रखते हैं हम विद्यालय जाते हैं कॉलेज जाते हैं कहीं नौकरी करते हैं तब वही की भाषा सीखते हैं इससे हमें तरह-तरह की भाषाओं का ज्ञान होता हैहम जानते हैं कि हमारी भाषा से ज्यादा अच्छा हम किसी भाषा को नहीं जान पाते लेकिन यदि हमें आगे बढ़ना है अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करना है तो हमें अन्य भाषाओं का ज्ञान बहुत आवश्यक है कि जब हम बाहर जाते हैं तो वहां एक ही भाषा से काम नहीं चलता हमें विदेशी भाषाओं का भी ज्ञान होना चाहिए हमें कभी दूसरे व्यक्ति की भाषा का अपमान नहीं करना चाहिए सबके लिए अपनी अपनी भाषा का सम्मान होता है भाषा के द्वारा ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं और अपना सर्वांगीण विकास कर सकते हैं
ReplyDeleteश्रीमती चंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज गाडरवारा
जिला- नरसिंहपुर (मध्य प्रदेश)
Bhashao ka upyog kar hm apni bat ko dusro tk or dusro ki bat samjh sakte h . Bhasha k bina hm kisi ki bat ko nhi samjh sakte bhasha ka hmare jivan m bhut upyog h
ReplyDeleteएक शिक्षक के रूप में मेरे विचार से बहु भाषा को एक संसाधन यह रणनीति की तरह उपयोग में ला सकते हैं जैसे हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास करते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है कि वे एक से अधिक शाखा ध्यान रखें हमारे भारत के स्कूलों में हम ऐसा कर सकते हैं की दक्षिण की भाषाओं को उत्तर में और उत्तर की भाषाओं को दक्षिण में पूर्व की भाषाओं को भी इसी तरह अन्य राज्यों में लागू कर हमें 3 भाषा जानने वाला पाठ्यक्रम चलाना अधिक उचित प्रतीत होता है
ReplyDeleteभाषा शिक्षण में अपने विचारों का आदान प्रदान करने के लिए बहुभाषिकता बहुत ही आवश्यक है यह बच्चों का सर्वांगीण विकास करती है और उनको सभी लोगों से अपने विचार संप्रेषण करने के लिए सक्षम बनाती है हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर राज्य तथा देश और विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं तथा अपने ज्ञानार्जन में वृद्धि कर सकते हैं बहु भाषा के प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता है तथा हम अपनी बात को पूरी सटीकता के साथ कह पाते हैं
ReplyDeleteYes bachche Shala aane pr bahu bhashi ban jaye h . Ve Mili Juli bhasha Bolte Bolte apni Matra bhasha VA English Sanskrit etc. Sikh jate h.
ReplyDeleteबहुभाषिकता आवश्यक है
ReplyDeleteसभी भाषा का ज्ञान आवश्यक है
ReplyDeleteभारत विविधताओं वाला देश हैं जिसमें भाषाओं की बहुत अधिक विविधता हैं बहु भाषी ही ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों तक पहुंच पाता है भारतीय भाषाओं की समझ विकसित करने के लिए प्राकृत संस्कृत पाली आदि प्राचीन भाषाओं की समझ अति आवश्यक हैं
ReplyDeleteLatika jaiswal
ReplyDeleteG.P.S.Panjra,sarna, chhindwara
Bhubhashikta ka arth
1.ek se adhik bhasha ka prchlan hona..
2.do ya do se adhik bhashaon ko shjta ke sath bolne vale vykti ko bhubhashi khte h....
हम जितनी भाषाओं से परिचित होते जाएंगे उतना ही हमारे सोचने समझने का दायरा बढ़ता जाएगा और हम अलग अलग क्षेत्रों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।
ReplyDeleteभाषा हमें सभी प्रकार की आती हो तो हम प्रत्येक क्षेत्र में अपना समुचित विकास कर सकते हैं अन्य प्रकार की भाषाओं के माध्यम से उनके द्वारा किए गए कार्यों को हम कर सकते हैं समझ सकते हैं बोल सकते हैं आपसी तालमेल स्थापित कर सकते हैं हम जितनी भाषाओं से परिचित होते जाएंगे उतना ही हमारे सोचने समझने का क्षेत्र बढ़ता जाएगा और हम अलग-अलग क्षेत्रों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे
ReplyDeleteHme hr bhasa ka giyan hona duniya ko samach n me bahut jaruri h
ReplyDeleteबहुभाषा को एक संसाधन और रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते है इससे हम भाषा शिक्षा के उद्देश्य और सीखने के प्रतिफल को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है
ReplyDeleteबहुभाषिकता वास्तव में कोई अवरोध न होकर एक महत्वपूर्ण संसाधन है। इस के माध्यम से विद्यार्थी न केवल विभिन्न भाषाओं को जानते हैं वर्ण उनकी संस्कृति व लोक व्यवहार से भी परिचित होते हैं। एक शिक्षक के रूप में हम बहुभाषिक कक्षा कक्ष का उपयोग छात्रों के समग्र भाषायी विकास के लिए अधिक बेहतर तरीके से कर सकते हैं।
ReplyDeleteमें योगेन्द्र सिंह रघुवंशी श मा शाला बेरुआ सिलवानी जिला रायसेन एमपी निष्ठा प्रशिक्षण के 11 माड्यूल के अंतर गत अपने अनुभव एवं प्रशक्षण अनुसार यह अनुभव कर पाया की भाषा एक अपने विचारो की अभिकती है जो प्रत्येक जीव की होती है हमें अधिक से अधिक भाशो का ज्ञान हो हमें सभी प्रकार की आती हो तो हम प्रत्येक क्षेत्र में अपना समुचित विकास कर सकते हैं अन्य प्रकार की भाषाओं के माध्यम से उनके द्वारा किए गए कार्यों को हम कर सकते हैं समझ सकते हैं बोल सकते हैं आपसी तालमेल स्थापित कर सकते हैं हम जितनी भाषाओं से परिचित होते जाएंगे उतना ही हमारे सोचने समझने का क्षेत्र बढ़ता जाएगा और हम अलग-अलग क्षेत्रों के बारे में अच्छे से जानकारी प्राप्त कर सकेंगे
ReplyDeleteआज के समय में एक से अधिक भाषाओं की आवश्यकता है
ReplyDeleteआज़ की परिस्थितियों को देखते हुए दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना है तो हमें अधिक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है।एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिक कक्षा कक्ष के रूप में बच्चों को भाषिय ज्ञान दिया जा सकता है।
ReplyDeleteभाषा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका नहीं होती है हमें सभी प्रकार की भाषाओं का ज्ञान होने पर किसी भी क्षेत्र में हम अपना समुचित विकास कर सकते हैं
Deleteभाषा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होने पर हम किसी भी क्षेत्र में अपना समुचित विकास कर सकते हैं
ReplyDeleteभाषा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होने पर हम किसी भी क्षेत्र में अपना समुचित विकास कर सकते हैं इसमें कोई दो मत नहीं है
ReplyDeleteथोड़ी थोड़ी दूरी पर भाषा और बोली में अंतर देखने को मिलता है यदि शिक्षक छात्रों को उनकी बोली या भाषा में सिखाता है तो बच्चा जल्दी सीखता है । यही बच्चा जब एक स्थान से दूसरे स्थान पर परिवार के साथ जाता है तो वह विभिन्न प्रकार की बोलियों को सुनता और उसके अनुरूप अपनी प्रतिक्रिया करता है। अतः भाषा शिक्षण में बहुभाषिकता का उपयोग एक संसाधन और रणनीति के रूप में किया जा सकता है।
ReplyDeleteभाषा जिसकी सरल ओर जल्दी समझ मे आने वालीओर प्रभावशाली होती है।वही भाषा विश्व मे प्रचलित होती है। जैसे अंग्रेजी भाषा आजके दौर मे भारत मे इतनी भाषा बोली जाती है ।ओर अपने क्षैत्र मे प्रभाव रखती है। पर अंग्रेजी भाषा हर प्रान्त, क्षैत्र मे एक लोगो को जोडनज का माध्यम हो गया है। हम बहुभाषीय होने से हमारे विकास ,व्यापार, सभी क्षैत्रो मे उन्नति कारक है। इसलिए सभी भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए।
ReplyDeleteदुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलनेके लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है| CHHAYA MALVIYA parthmik shikshak p/S PAIJANWARA PARASIA 🙏
ReplyDeleteभाषा चाहे जो भी हो,हिंदी हो या बंगाली, हमारे लिए सबसे सहज है घर की भाषा जिसको स्कूल में मान्यता, स्वीकार्यता और सम्मान का आवरण पहनाते हुए मानक हिन्दी, अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
ReplyDeleteबहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।
एक हमारी मातृभाषा, राष्ट्रभाषा ,इंग्लिश, एवम संस्कृत भाषा का ज्ञान छात्रों को होना ही चाहिए।
ReplyDeleteBahasa hamare jivan me mahatva purna bhumika nibhati he .ek se adhik bahasa ka gyan hone se Hum sbhi chetra me apna or baccho ka sarwangin vikas kr skte he.
ReplyDeleteविद्यार्थियों के समग्र विकास के लिए बहुभाषीय होना चाहिए |
ReplyDeleteBharat desh bahu bhashi hai Hindi bhasha ke alawa bahu bhashi mahtvapurn evam avasyaka hai
ReplyDeleteBhasha shikshan me apni vicharo ko adan pradan Karne ke lite bahubhashita bahut hi avashyak hai. Ham bahubhashita ka praying karke desh ur videsho me alone vicharo ka aasan pradan Kar sakte hai.yaha bachho ka sarvangin vikas karti hai. ve apni gyanarjan me vriddhi Kar sakte hai ur apni bat ko Puri satikta ke sath kaha sakte hai.
ReplyDeleteबच्चो को उनकी मात्र भाषा मे जल्दी समझ मे आता है इस कारण शिक्षक को बविभिन्न भाषाओ का ज्ञान आवश्यक है बहुभाषी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो दो या अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है। विश्व में बहुभाषी लोगों की संख्या एकभाषियों की तुलना में बहुत अधिक है एवं भारत बहुभाषीय देश है
ReplyDeleteभाषा चाहे जो भी हो,हिंदी हो या बंगाली, हमारे लिए सबसे सहज है घर की भाषा जिसको स्कूल में मान्यता, स्वीकार्यता और सम्मान का आवरण पहनाते हुए मानक हिन्दी, अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
ReplyDeleteबहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।
Suraiya Siddiqui
GPS gadde wala mohalla
Gwalior
बच्चो को अपनी मात्र भाषा में चीजे शिखने में आसानी होती है पर बच्चो को आगे बढ़ने के लिए बहुभाषीय होना जरूरी है
ReplyDeleteभारत देश बहुत विशाल है यहां पर विभिन्न भाषाओं को बोलने वाले लोग रहते हैं इसलिए हमें बच्चों को बहु भाषा का ज्ञान कराना परम आवश्यक है शासन के द्वारा भी पाठ्यक्रम में कई भाषाओं का समावेश किया गया है जो कि उचित है
ReplyDeleteबच्चों को अपनी मातृभाषा चीजों को सिखाने में आसान होती है बहुभाषी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो दो या दो से अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है
ReplyDeleteविभिन्न शोधों से यह निष्कर्ष निकाला गया है कि जो विद्यार्थी एक से अधिक भाषाएं बोलना, पढ़नाऔर लिखना जानता है वह एकल भाषी विद्यार्थी की अपेक्षा मानसिक रूप से अधिक समृद्ध होता है। ऐसे विद्यार्थी जल्दी दूसरों के साथ सामंजस्य स्थापित कर लेते हैं।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश।
462010
अपनी सीमाओं से परे जाने में बहुभाषिकता का महत्व है।
ReplyDeleteछात्रों के लिए बहुभाषिकता के महत्व को उनके जीवन में बहु उपयोगी बनाने हेतु किसी भी भाषा का उन्हें समुचित ज्ञान होना आवश्यक होगा यदि मैं अपने पुराने छात्रों से बात करता हूं तो सदैव यह तथ्य सामने आता है कि जब उन्होंने पढ़ाई के बाद अपने रोजगार की तलाश प्रारंभ की तो उन्हें सबसे ज्यादा समस्या इंग्लिश कम्युनिकेशन अच्छा ना होने के कारण फेस करनी पड़ी अतः यहीं से यह बात सुनिश्चित होती है कि हमें जितनी भी भाषाओं का अध्ययन या अध्यापन करना हो उसका हमें सैद्धांतिक और प्रायोगिक दोनों ज्ञान होना आवश्यक है और इसकी शुरुआत कहीं ना कहीं प्राथमिक शिक्षा से होनी अनिवार्य है
ReplyDeleteभाषा शिक्षण के तहत छात्रों को विभिन्न भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए, ताकि भिन्न भिन्न संस्कृति, परिवेश आदि को आसानी समझ सके।
ReplyDeleteबहु भाषी का अर्थ दो या दो से अधिक भाषाओं का उपयोग करना होता है भारत में बहुभाषी लोगों की संख्या एक भाषी से अधिक है।
ReplyDeleteदुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है विशेषकर हिंदी के साथ अंग्रेजी भाषा का ज्ञान। नवीन खोजों के प्रकाशन ज्यादातर विदेशी भाषा में होते हैं, साथ ही देश की विभिन्न स्थानीय भाषाओं की समझ विकसित करनी होगी । इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है और यह मानसिक विकास के लिए भी अच्छा है ।
ReplyDeleteबहु भाषाओं का ज्ञान होना अति आवश्यक है आज के समय में ग्लोबलाइजेशन को देखते हुए बच्चे देश-विदेश हर क्षेत्र में जाकर ज्ञानार्जन कर रहे हैं और उन्हें अपने काम के जीवन यापन के लिए भी हर जगह जाना पड़ सकता है अतः उन्हें बहु भाषा का ज्ञान होना
ReplyDeleteहमारा देश बहुभाषी है यही ईसकी खुबसुरती का राज भी है।हमारे यहा अनेक भाषाये और बोलियाँ प्रयोग की जाती है ईसलिये यह कहा भी गया है कि कोसकोस पर बदले पानी ,कोस कोस पर वाणी अर्थात भाषा।हम जितनी भाषा को सीखेंगे हमारा ज्ञान उतना विस्तृत्र होता जायेगा और हम विश्व को जान पायेंगे ।हमारी देना श ने त्रिभाषा फार्मुला की निती शिक्षा मे अपनाई है परंतु अपनी मातृभाषा से हम जितने जल्दी सीखते है उतना अन्य किसी भाषा से नही।बडी प्रसन्नता की बात है कि न ई शिक्षा नीति मे मातृभाषा मे शिक्षण को महत्व दिया गया है।जहाँ तक शिक्षक के रूप मे बहुभाषिकता की बात है तो प्रत्येक शिक्षक को त्रिभाषा फार्मूला की निती के अनुसार अपनेअपने राज्य की तीन शिक्षणभाषा का ज्ञान होना ही चाहिये ।बहुभाषा ज्ञान से शिक्षक के साथसाथ छात्र का भी एक राष्ट्रीय चरित्रनिर्माण एवं सहनशील नागरिक का विकास होगा और हम विश्व स्तर के ज्ञान को अपने छात्रो तक पहुंचा पायेंगे।मै मराठी मातृभाषी के साथसाथ हिंदी राष्ट्भाषी हूँ और मुझे अपनी संस्कृत भाषा से जितना प्यार है उतना ही विदेशी भाषा अंग्रेजी से भी लगाव है।ईन सबके ज्ञान से मुझे अपने अध्ययन अध्यापन कार्य मे बहुत सहायता मिलती है और आनंद आता है।अनिल केचे ,स.शि.,शा.प्रा.शा.भरियाढाना, पातालकोट, तामियाँ, छिंदवाडा, म.प्र.
ReplyDeleteEk se adhik bhasha ka gyan hona shiksha ke liye helpful hai....
ReplyDeleteबहुभाषा को एक संसाधन व रणनीति के रूप में उपयोग कर सकते हे क्योकि हमारा देश कई जातियों के साथ साथ कई भाषाओं को भी एक धागे में पोकर रखता है इसलिए कहा जाता है अनेकता में एकता वाला है मेरा देश । यहाँ पग पग पर कई बोली के लोग मिलते हे इसलिए हमें भी अपनी शिक्षा में बहुभाषा का उयोग करना चाहिए ।
ReplyDeleteएक शिक्षक के रूप में मेरे विचार से बहु भाषा को एक संसाधन यह रणनीति की तरह उपयोग में ला सकते हैं जैसे हमारी कक्षाओं में एक से अधिक भाषा को समझने वाले बच्चे हैं तब हम उनकी भाषा को समझते हुए उनसे मानक भाषा की ओर अपनी समझ को विकसित करने का प्रयास करते हैं इस प्रयास के दौरान यह समझ में आता है की बच्चे मानक भाषा को जानने के न्यू उत्सुक होते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए विश्व के साथ अपने कदम मिलाने के लिए आवश्यक है कि वे एक से अधिक शाखा ध्यान रखें हमारे भारत के स्कूलों में हम ऐसा कर सकते हैं की दक्षिण की भाषाओं को उत्तर में और उत्तर की भाषाओं को दक्षिण में पूर्व की भाषाओं को भी इसी तरह अन्य राज्यों में लागू कर हमें 3 भाषा जानने वाला पाठ्यक्रम चलाना अधिक उचित प्रतीत होता है
ReplyDeleteबहुभाषी का अर्थ ऐसे व्यक्ति से है जो दो या अधिक भाषाओं का प्रयोग करता है। विश्व में बहुभाषी लोगों की संख्या एकभाषियों की तुलना में बहुत अधिक है।
ReplyDeleteभाषा का ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है।यह मानसिक विकास के लिए भी अच्छा है।
ReplyDeleteकोस-कोस पर पानी बदले,चार कोस पर वाणी।" इस कहावत की तटस्थता को देश के किसी भी कोने में रख कर जांचा-परखा जा सकता है। हिंदी हो या बंगाली,हम सबसे सहज घर की भाषा को स्कूल में मानकता का आवरण पहनाते हुए अतिरिक्त भाषा संस्कृत औरअंग्रेजी से भी परिचय कर लेने में सफल हो जाते हैं।हम घर,स्कूल दोस्त,पड़ोस,आफीस,रिश्तों मेंऔरअधिकारियों से बातचीत के दौरान अपनी सुविधा से इन भाषाओं का मिलाजुला उपयोग कर स्वतः ही कब बहुभाषिक बन जाते हैंऔर हमें पता ही नहीं चलता। सर्वविदित है कि हमारे देश में आधिकारिक तौर पर 26 भाषाएं और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाएं प्रचलन में हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में हिंदी बोलने वालों का प्रतिशत 43.6 प्रतिशत है, यहां हमारा दूसरी भाषा का महत्व कम आकलित करना नहीं है, अपितु यह है कि प्रत्येक भाषा को बराबर सम्मान हो।
ReplyDeleteबहुभाषिकता को संसाधन के रूप में एक रणनीतिक नजरिये का उदाहरण हम एक प्राथमिक शिक्षक के रूप में अपने क्षेत्र में प्रचलित इस कहावत के द्वारा देना चाहेंगे- "घर का जोगिया जोग आन गांव का सिद्ध" जब एक विद्यालय की कक्षा में किसी दूसरे स्थान के विद्यालय का शिक्षक आकर छात्रों को पढ़ाता है, तो छात्रों का आकर्षण और सीखने की गति पहले की तुलना में कुछ बढ़ जाती है।
अतः हम कह सकते हैं कि राज्य शिक्षा केंद्रों में भी जवाहर नवोदय विद्यालय की भांति यदि प्रादेशिक भाषा कौशलो के विकास और बहुभाषिता हेतु एक आयाम अंतर राज्यीय प्रशिक्षण के रूप में जोड़ दिया जाए, तो शिक्षकों और छात्रों को नए अवसरों के साथ-साथ हमारे देश की,राष्ट्रीय एकता की दीवार को और सुदृढ़ता प्रदान करने में सफलता प्राप्त होगी। परिणामतः तमिलनाडु में हिंदी के प्रति सम्मान और गुजरात में मराठी के प्रति जिज्ञासा जागृत होगी। अपनी भाषा के अलावा दूसरी प्रादेशिक भाषा के प्रति सम्मान के भाव जागृत हो और एक बहुभाषिक समदृष्टि का विकास संभव हो सके।
मैं करणसिंह पवार शास. हाई. स्कूल पिपरी रैय्यत त+जि बुरहानपुर (म. प्र) प्राथमिक शिक्षक के पद पर कार्यरत हूँ।
ReplyDeleteMultilingualism means to speak and express onself in more than one language . The children who are fluent in more than one language can express themself in better way than the other students . Multilingulism provide a platform and understanding of different culture and hence become multicultural in nature
भारत हमारा देश बहुभाषी देश है।आज की परस्तिथी में बहु भाषा का ज्ञान आवश्यक है।हिन्दी हमारी मात्र भाषा है।हम सब इसी का उपयोग अधिक करते हैं।
Deleteबच्चो को बहुभाषिक का अनुभव के लिए क्लास मे बहुभाषा का उपयोग से होगा
ReplyDeleteसभी भाषाओं का ज्ञान हमारे लिए बहुत अवयस्क है जिससे कि हम अन्य भाषाओं को जान सके और उनका अध्ययन कर सके
ReplyDeleteविचार अभिव्यक्ति के लिए भाषा का होना जरूरी है। बहुउद्देशीय! उद्देश्यों को पूरा करने हेतु बहुभाषी होना अत्यंत आवश्यक।
ReplyDeleteप्राथमिक और माध्यमिक शाला में बच्चों को भाषा पढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि हमको अनेक भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए क्योंकि बच्चे क्षेत्रीय परिवेश से आते हैं और वे क्षेत्रीय बोली का ही उपयोग करते हैं इन बच्चों के साथ हिंदी संस्कृत अंग्रेजी जैसे भाषाओं से बात करना उन्हें सिखाना भाषण कौशल में दक्ष दक्ष हासिल करना यह एक अच्छी उपलब्धि रहती है कि बच्चों को हम विभिन्न भाषाओं का ज्ञान कराएं बहुभाषी होना अनिवार्य है बिना भाषा के हम अगले व्यक्ति की भावनाओं को नहीं समझ सकते इसलिए बहुभाषी होना अनिवार्य है
ReplyDeleteसमस्त भाषाओं का ज्ञान हम सबके लिए अत्यंत आवश्यक है। जिससे की हम अन्य भाषाओं को समझ सके और उनका अध्ययन कर सके।
ReplyDeleteओमप्रकाश पाटीदार प्रा.शा. नाँदखेड़ा रैय्यत विकासखंड पुनासा जिला खण्डवा
ReplyDeleteनवीन जानकारी प्राप्त करने के लिए हमें एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है हम यह कह सकते हैं कि हमारी उन्नति में भाषा एक सशक्त माध्यम है।
भाषा का अपना एक अलग महत्व है जिस तरह से हमें अपनी जन्मभूमि प्रिय है उसी तरह से अपनी मातृभाषा।किन्तु आज के समय में हमें ज्ञान अर्जित करने हेतु बहुभाषीय होना बहुत आवश्यक है ।हम अग्रेंजी संस्कृत हिन्दी और अपनी मातृभाषा तो सीख ही लेते है।हमारे देश में कम से कम 26भाषाएं है।चहुमुंखी ज्ञान अर्जन के लिऐ और सफलता पाने हेतु बहुभाषीय होना बहुत आवश्यक है।धन्यवाद
ReplyDeleteराजपाल ठाकुर समस्त भाषाओं का ज्ञान हम सबके के लिये अत्यंत आवश्यक हैं! जिससे की हम अन्य भषाओं को समज सके एवं उनका अध्य्यन कर सके अतः हमें बहू भाषाई होना बहुत जरुरी है! बच्चो के साथ हिंदी,अग्रेजी ,संस्कृत आदि भषाओं मे बात करना एवं उनके कौशलों का विकास करना बहुत जरुरी हैं
ReplyDeleteजीवन मैं सफलता पाने के लिए शिक्षा अर्जनहेतु बहुभाषिकता की शिक्षा बहुत ही आवशयक एवं महत्वपूर्ण है। हम शिक्षक हैं हमें भी बहु भाषी विद्वान होना आवशयक है। भारत मैं लगभग 26 भाषाएँ हैं।
ReplyDeleteसकीना बानो सहायक शिक्षिका
ReplyDeleteभारत जैसे विशाल देश में अनेक भाषाएं बोली जाती है और विश्व स्तर पर आधुनिकता के इस दौर में एक से अधिक भाषाओं को ज्ञान विशेषकर अंग्रेज़ी का ज्ञान आवश्यक है
भाषा भावनाओं को प्रगट करने का माध्यम है, किसी भी भाषा का व्याकरण शास्त्र उसे महान बनाता है इस दृष्टि से हमारी भाषा बहुत समृद्ध है, आप सभी को धन्यवाद।।
ReplyDeleteभारत विविधता में एकता वाला देश है। यहाँ हर प्रांत की अपनी अपनी भाषा व बोलियाँ है।नई-नई जानकारी व ज्ञान प्राप्त करने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त होना आवश्यक है।
ReplyDeleteजीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए जिस प्रकार शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है उसी प्रकार अच्छी शिक्षा प्राप्त करने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना बहुत महत्वपूर्ण है जिससे कि अन्य भाषाओं में समायोजित ज्ञान भी अर्जित हो सके
ReplyDeleteबहुभाषिकता क्या है?
ReplyDeleteजैसे अगर किसी बच्चे के घर पर मिजो बोली जाती है। स्कूल में होने वाली पढ़ाई इंग्लिश और हिंदी में होती है तो बच्चे के लिए स्कूल में समायोजन करना काफी मुश्किल होगा अगर उसको अपनी भाषा में बोलने का मौका नहीं दिया जाएगा। उदाहरण के लिए अगर किसी बच्चे के घर में गुजराती, मराठी या हिंदी बोली जाती है और स्कूल में पढ़ाई का माध्यम इंग्लिश है तो ऐसे में बच्चा एक से अधिक भाषाओं के संपर्क में आता है। धीरे-धीरे उसमें कुशलता का एक स्तर हासिल करता है। एक से अधिक भाषाओं के प्रति सम्मान का भाव और मूलतः एक से अधिक भाषाओं के इस्तेमाल के विचार को स्वीकार करना और उसे रोजमर्रा के जीवन में स्थान देना ही, सही मायने में बहुभाषिकता है।बहुभाषी कक्षा’ से तात्पर्य है कि कक्षा में सभी बच्चों को अपनी-अपनी भाषा में बोलने के अवसरों की उपलब्ध कराना । एक भाषा वैज्ञानिक ने बातचीत के दौरान बताया कि हम सभी मूलतः बहुभाषी हैं। किसी एक भाषा से हमारा काम चल ही नहीं सकता है। हम स्कूल में एक भाषा बोलते हैं, घर पर दूसरी भाषा बोलते हैं, दोस्तों के साथ किसी अन्य भाषा में संवाद करते हैं।
एक शिक्षाविद् कहते हैं कि हम मूलतः बहुभाषी हैं। भारत जैसे बहुभाषी देश में तो हमारा किसी एक भाषा के सहारे काम चल ही नहीं सकता। हमें अपनी बात बाकी लोगों तक पहुंचाने के लिए और उनके साथ संवाद करने के लिए एक भाषा से दूसरे भाषा के बीच आवाजाही करनी ही पड़ती है। जैसे हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं का मिश्रित रूप है हिंदुस्तानी जुबान। हिंदुस्तान जुबान में होने वाले संवाद की मिठास और संप्रेषण की सहजता देखने लायक है। बहुत से बच्चों से घर की भाषा (होम लैंग्वेज) स्कूल की भाषा से इतर होती है।
जीवन में सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचने के लिए बहुभाषिकता का ज्ञान बहुत ही आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है।
ReplyDeleteदुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।
ReplyDeleteकक्षा में बहुभाषी माहौल बच्चो को अपने विचारों की अभिवक्त करने में सहजता प्रदान करता है,एक शिक्षक के रूप में हम बहुभाषी माहौल को प्रोत्साहन देकर बच्चो में दूसरी भाषाओं के प्रति संवेदनशील एवम् सम्मान की भावना उत्पन्न कर सकते है
ReplyDeleteबहुभाषिकता विभिन्न जानकारी को समझने और शिक्षण संप्रेषण के लिए आवश्यक है
ReplyDeleteबच्चों के समग्र विकास के लिए शिक्षा प्रदान करना आवश्यक होता है चाहे वह किसी भी भाषा मे हो सभी बच्चे अपनी मात्र भाषा के साथ साथ दूसरी भाषा मे भी शिक्षा प्राप्त करते है शिक्षा के साथ साथ संस्कार भी होना आवश्यक है खान पान रहन सहन वातावरण का बच्चों पर प्रभाव पड़ता है अतः बच्चों को उचित संस्कार देना चाहिए
ReplyDeleteमेरे विचार
ReplyDeleteनवीन जानकारी प्राप्त करने के
लिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।
दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।
ReplyDeleteभारत सहित अधिकांश विश्व में बहुभाषी विद्यार्थी अपवाद नहीं बल्कि आदर्श हैं। एक से अधिक भाषा ज्ञान के संज्ञानात्मक और व्यावहारिक लाभ के कई शोध और प्रमाण हैं। इस प्रकार का ज्ञान अध्यापन और शिक्षण का अद्भुत साधन है। चाहे किसी भी विषय में विशेषज्ञता हो, प्रत्येक शिक्षक को अपने सभी विद्यार्थियों के भाषा ज्ञान और कौशल की प्रशंसा, प्रचार और उसे निखारने के अवसरों की तलाश करनी चाहिए। एक भाषा और साक्षरता शिक्षक होने के नाते, ऐसा करना आपकी विशेष ज़िम्मेदारी है। यह इकाई दर्शाती है कि यह कैसे संभव है।
ReplyDeleteछात्रों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए बहु भाषा का ज्ञान आवश्यक है उन्हें अपनी मातृभाषा के साथ-साथ अंग्रेजी एवं अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की जानकारी भी होनी चाहिए
ReplyDeleteभारत के विषय में यह कहा जाता है कि हर 40 किलोमीटर पर भाषा बदल जाती है इसी परिपेक्ष में एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना बच्चों के लिए नितांत आवश्यक है उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेशी भाषाओं का ज्ञान होना भी श्रेयस्कर होगा
ReplyDeleteभारत जैसे विशाल देश में विभिन्न भाषाएं बोली जाती है.यह हमारी समृद्ध विरासत और विभिन्नता में एकता की प्रतीक है.किसी भी क्षेत्र की संस्कृति, सभ्यता और विकास की परिचायक होती है- भाषा.भाषाओं का उपयोग व्यक्तित्व एवं सामाजिक विकास के संसाधन के रूप में होता है.भाषा का प्रचलन, उपयोग, विकास और अधिगम एक रणनीति का हिस्सा है.
ReplyDeleteLanguage gives power to us to separate us from other living beings. It gives power to connect one mind to many minds either in oral or written form.
ReplyDeleteहमारा भारत विविधताओं का देश है जहां पर विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती है,अगर हमें हमारे विचार का आदान-प्रदान करना है तो हमें बहुभाषी होना चाहिए।
ReplyDeleteबच्चो को मातृ भाषा में ही शिक्षा प्रदान की जानी चाहिये।मातृ भाषा में शिक्षण आनंददाई होता है।बच्चे का विकास कही अधिक गति से होता है। विशेष रूप से प्राथमिक शिक्षण में यह अति आवश्यक है।
ReplyDeleteमातृ भाषा का अन्य कोई विकल्प ही नहीं है
Deleteपरन्तु बहु राष्ट्रवाद के युग में देश को यदि विकाश की मेट्रो में सैर करना है तो बहु भाषी होना हमारी परम आवश्यकता होगी
अध्ययन में प्रमाणित हो चुका है कि बहु भाषी व्यक्ति ज्यादा प्रखर बुद्धि के होते हैं
Bachchon ke samgra vikas ke liye bahubhasha gyan jaruri hain .bachache adhik se adhik jankari prapat kar sake.
ReplyDeleteहमारा देश बहुभाषिक देश है यहां पर कई भाषाएं बोली जाती हैं गांव से लेकर नगर महानगरों व विदेशों में जाने पर कई भाषाओं का प्रयोग किया जाता है इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए विद्यार्थी को स्थानीय भाषा बोलचाल की भाषा के अलावा अन्य भाषाओं का भी ज्ञान आवश्यक है जितनी भाषाओं का ज्ञान होगा उतनी ही तरक्की करेगा और अपनी समझ को विकसित करेगा इसलिए बहुभाषी होना बहुत जरूरी है
ReplyDeleteSamagra unnanti pane k liye sampark hona jaruri hai,sampark k sath apni bat samjha pana jaruri hai ,bharat jaise bahubhashi desh me na jane kitni bhasha boli jati hai,aur apne sampark shetra ko badaya tabhi ja sakega jab hm b ek se jayada bhasha k jankar honge,isliye bachcho ko bhi matrabhasha k alava anaya bhasha ka gyan diya jana chahiye
ReplyDeleteबहुभाषी शिक्षण आज के समय मे महती आवश्यकता हैं,क्योंकि इससे हम अपने शिक्षण को और अधिक प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर सकते हैं ।
ReplyDeleteप्रतिस्पर्धा के युग में भाषाई ज्ञान आवश्यक है। यह एक आवश्यक संसाधन है।
ReplyDeleteApni bhasha sbse mehtva poornda hai pr yadi hum bacche Ka overall development krna chate hai toh hme use HR bhasha sikhana Hoga air uski importance smjhani hogi
ReplyDeleteUse bahubhadsi bnana hoga
प्रेमनारायण माहौर शा.प्रा.वि.शंकरपुर जिला ग्वालियर
ReplyDeleteआज के दौर मे बहुभाषी होना परम आवश्यक है ।हमें हिन्दी के साथ- साथ अंग्रेजी संस्कृत,,मराठी तथा अनेकों क्षेत्रीय भाषाओं का ज्ञान भी होना आवश्यक है।विदेशों में नौकरी व धंधे,के लिए अंतराष्ट्रीय भाषाओं का ज्ञान जरूरी है ।हमे क्षेत्रीय भाषाओं के बारे में भी जानकारी होना चाहिए ।
हम बच्चों को बहुभाषी अध्यापन कर उन्हें विभिन्न स्थानों पर जहां की भाषा विभिन्न है वहां की पर रहने के लायक बना सकते हैं ताकि वहां पर असहज महसूस ना कर सके तथा उनकी भाषा में बात कर सके।
ReplyDeleteजो अपनी माँ को निःसहाय, निरुपाय व निर्धन दशा में छोड़ कर दूसरे की मां की सेवा सुश्रुषा करता है, उस मनुष्य के पापों का प्रायश्चित मनु,याज्ञवल्क्य व आपस्तव त्रृषि भी नहीं कर सकते हैं ।
ReplyDeleteइसलिए मातृभाषा में शिक्षा दीक्षा होना चाहिए ।अन्य भाषाओं का ज्ञान अर्जित किया जा सकता है ।
निज भाषा उन्नति अहे,.
जयहिन्द जय भारत वन्दे मातरम्
हमें आगे बढ़ने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है एक शिक्षक के रूप में बहुभाषिकता बहुत अच्छी रणनीति साबित हो सकती है क्योंकि हमारी कक्षा में विभिन्न भाषा के बच्चे पढ़ सकते हैं जिन्हें समझाने के लिए हमें बहुभाषिक होना बहुत आवश्यक है यदि हम अपने प्रदेश से बाहर जाते हैं तब हर जगह अलग-अलग भाषा का उपयोग होता है जिसके लिए बहुभाषिकता बहुत आवश्यक होती है
ReplyDeleteभाषा जिसकी सरल ओर जल्दी समझ मे आने वालीओर प्रभावशाली होती है।वही भाषा विश्व मे प्रचलित होती है। जैसे अंग्रेजी भाषा आजके दौर मे भारत मे इतनी भाषा बोली जाती है ।ओर अपने क्षैत्र मे प्रभाव रखती है। पर अंग्रेजी भाषा हर प्रान्त, क्षैत्र मे एक लोगो को जोडनज का माध्यम हो गया है। हम बहुभाषीय होने से हमारे विकास ,व्यापार, सभी क्षैत्रो मे उन्नति कारक है। इसलिए सभी भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए।
ReplyDeleteनवीन जानकारी प्राप्त करने के
ReplyDeleteलिए ,दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है|
नई नई जानकारी जानने के लिए व आगे बढ़ने के लिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है
ReplyDeleteहमारा देश सांस्कृतिक विविधता वाला देश है जिसमें अनेक प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं हमें अपने जीवन की प्रगति के लिए बहु भाषा का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है।
ReplyDeleteहमारे देश में जो कि एक बहुभाषीय देश है। और जहाँ विभिन्न बोलियाँ भी हैं। एक से अधिक भाषा आ ही जाती है। जिसमें हिंदी के साथ अंग्रेजी तो आना जैसे अनिवार्य है।
ReplyDeleteवैसे भी ज्ञान की व्रद्धि के लिए यह आवश्यक है
हमारी प्रारंभिक शिक्षा हमारी मातृभाषा से शुरू होती है और हम जैसे जैसे उन्नति करते जाते हैं वैसे वैसे हमें अन्य भाषाओं की भी जरूरत पड़ती है
ReplyDeleteऔर हमें स्थान स्थान पर हर भाषा की जरूरत होती है क्योंकि भारत विभिन्न भाषाओं का देश है यहां विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं और हमें आवागमन के लिए अन्य कार्यों के लिए किसी दूसरी भाषा का प्रयोग करना पड़ता है इसीलिए हमें अन्य भाषाओं का भी ज्ञान होना चाहिए
हमारा देश एक बहुभाषी देश है भर राज्य की अलग भाषा है जो मातृभाषा कहलाती है भैंसें हमारी राष्ट्रीय भाषा हिंदी है हमारा देश बिबिधता में एकता का रूप है हमारे देश में कुछ दूरी पर भाषा बदली जाती है
ReplyDeleteबहुत सी भाषाओं को जानने से हमें अलग-अलग भाषा के लोगों से संवाद करने, घुलने-मिलने, समझने में मदद मिलती है।कक्षा में भी बहुभाषी बच्चे हो सकते हैैं।उन्हें भी पढ़ाने में मदद मिलती है।
ReplyDeleteदुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।
ReplyDeleteजीवन में सफल होने के लिए बहुभाषिकता का ज्ञान आवश्यक है ।
ReplyDeleteनवीन जानकारी प्राप्त करने के
ReplyDeleteलिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।
कोस कोस पर बदले पानी! चार कोस पर बदले वाणी! भाषा के माध्यम से हम कई विषयों का अध्ययन कर सकते हैं ! विज्ञान गणित अंग्रेजी और संस्कृत में भाषा के माध्यम से हम कई भाषाओं में इन चीजों का प्रचार-प्रसार कर सकते हैं ! इस प्रकार शिक्षा के अधिकार को अधिक सशक्त बनाया जा सकता ! विविध भाषा वादियों से जुड़कर हम विदेशियों से जुड़कर हम स्वयं के ज्ञान का भी वर्धन कर सकते हैं! और छात्रों का भी मानसिक विकास कर सकते हैं!
ReplyDeleteअद्यतन और नवीन जानकारी प्राप्त करने के लिए, दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए, एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है ।विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्य पुस्तकें विदेशी भाषाओं में ही मिलती हैं। नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं। इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है। यह एक संसाधन भी है ,और रणनीति भी है।
ReplyDeleteहर देश का साहित्य अलग अलग भाषा में है इसलिए उसे समझने के लिए भाषा का ज्ञान आवश्यक है साथ ही भाषा हमें आपस में जोड़ती है ज्ञान के नए दरवाजे खोलती है इससे आपसी प्रेम बढ़ता है। यह विकास में सहायक है इसलिए एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान प्राप्त करना आवश्यक है
ReplyDeleteहमे जीवन की प्रगती के लिये बहू भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है
ReplyDeleteJivan me bhubhasa ka ghan avasyak hai isse ham bcharo ka adan pradan kar sakte hai jab ham kahi jate hai
ReplyDeleteदुनिया कोपास से समझने के लिए हमें हर क्षेत्र की भाषा का ज्ञान होना आवश्यक है।यहां की भाषा समझेंगे तब हम उस क्षेत्र के सांस्कृतिक महत्व को समझ सकते हैं एवं भाषाओं की जानकारी से ही हम विभिन्न क्षेत्रों के बारे में जानकारी जुटा सकते हैं आता हमें एक से अधिक भाषाओं की जानकारी होना अत्यंत आवश्यक है।
ReplyDeleteHum ek ese desh me rehte h jaha 4 kos per bhasa badalti dikhegi bahu bhasa ka humare jeevan per bahut prabhav padta h hum. Jitni bhashaon ka gyaan rakhenge humare liye apne vicharon ko rakhna or doosron ke vichaaron. Ko samjhna utna he aasan hoga.
ReplyDeleteभारत एक विशाल देश हैं।इसलिए यहां पर सैकड़ों भाषाएँ और हजारों बोलियां बोली जाती है ।अतः अपने ही देश के इतिहास ,रीति रिवाज, रहन सहन, खान पान ,और बिचारों को समझने के लिए हम को बहुभाषी होगा आवश्यक है।इससे हम अपने समझ और बिचारों को आसानी से साझा कर पाएंगे। और हमारी राष्ट्रीय एकता मजबूत होने के साथ ही साथ नई नई खोजो पर सफलता प्राप्त कर पायेंगे एवम् अपने और दूसरों के अनुभवों से लाभ उठा पायेंगे तथा बहुभाषा शिक्षण की सार्थकता को सिद्ध कर सकते है।
ReplyDeleteशंकर प्रसाद नामदेव प्राथमिक शिक्षक ,जिला टीकमगढ़
DeleteNavin jankariyan prapt karne ke liye ek se adhik bhashaon ka gyan hona avashyak hai vigyan mein uchch Shiksha se sambandhit post ke jyadatar videshi bhasha mein hi milati hai naye khojo ke Prakashan bhi jyadatar videshi bhasha mein hi hote hain isliye ye ek se adhik hai
ReplyDeleteभारत देश में विभिन्न प्रकार की भाषाएं बोली जाती हैं दो बच्चों को यहां मल्टीलिंगुअल होना आवश्यक है विभिन्न भाषाओं के प्रयोग से बच्चों में सीखने की क्षमता का विकास होता है क्योंकि अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग प्रकार की भाषाएं और बोली बोली जाती है और प्राथमिक प्राइमरी लेवल पर बच्चे कई प्रकार की भाषाओं को आसानी से सीख सकते हैं इस आयु वर्ग में बच्चे सबसे अच्छी तरीके से अलग-अलग तरह की भाषाएं सीख सकते हैं यदि बच्चे बहुभाषिकता सीखपाएंगे तो उन्हें आगे हमारा देश जो बहुभाषी देश है उसमें अपने आप को एक्ससपोजर करना है तो हमें बच्चों को बहुभाषी होना चाहिए।
ReplyDeleteहमारा देशभारत बहुभाषी देश है।यहाँ बहुत भाषाएँ बोली जाती हैं।अपने भाषाई कौशल विकसित करने के लिए हमें अन्य भाषाओं का ज्ञान होना आवश्यक है।
ReplyDeleteAnil Kumar panthi हर देश का साहित्य अलग अलग भाषा में है इसलिए उसे समझने के लिए भाषा का ज्ञान आवश्यक है साथ ही भाषा हमें आपस में जोड़ती है ज्ञान के नए दरवाजे खोलती है इससे आपसी प्रेम बढ़ता है।
ReplyDeleteविश्व में ज्ञान के भंडार को अपने में समाहित करने के लिए बहुभाषी का ज्ञान प्राप्त करना जरूरी है।यह बच्चों का सवागिण विकास करती है। और मानसिक विकास भी होता है। हम बहुभाषिकता का प्रयोग करके राज्य और अंतर्राष्ट्रीय तथा देश विदेश में अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। इसके प्रयोग से शिक्षण सजीव हो जाता हैं। तथा हम अपनी बात सटीकता से कह सकते हैं।
ReplyDeleteदुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए ,एक से अधिक भाषाओं का ज्ञान आवश्यक है|विज्ञान में उच्च शिक्षा से संबंधित पाठ्यपुस्तकें विदेशी भाषा में ही मिलती हैं| नवीन खोजों के प्रकाशन भी विदेशी भाषा में होते हैं|इस प्रकार बहुभाषिकता आवश्यक है,यह एक संसाधन है।
ReplyDeleteBachcho ke samporn Avam samagra vikas ke liye unhe ek se adhik bhasha ka gyan aavashayak hai. Hmara desh bahubhashiya hai. Hme apne desh ke bare me adhik jankari prapt karne ke liye bahhubhasiya hona aavashayak hai atah bahubhasha ka gyan bachcho ka chahumukh vikas krege.
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ReplyDeleteहमारे देश में बहुत भाषा, धर्म व पंथ/ सम्प्रदाय के लोग रहते हैं क्षेत्रवाद के हिसाब से अलग-अलग बोलियाँ व जीवन पद्धति के साथ लोग रहते हैं हिन्दी, अंग्रेजी के साथ ही अपने सभी प्रदेशों की अलग-अलग स्थानीय बोली
व भाषा है ं प्राचीन वेद शास्ञों की अलग-अलग भाषा हैं विविधता के साथ एकता ही सुन्दरता है