मॉड्यूल 6 - गतिविधि 4 : द मेमोरी लेन
कृपया बारिश के मौसम से जुड़े अपने बचपन के अनुभवों को लिखें या चित्र बनाएँ ।
निर्देश: यह गतिविधि आपके बचपन की यादें / बारिश के मौसम का आनन्द साझा करने के लिए है। आप नीचे दिए गए बिंदुओं के आधार पर अपना अनुभव लिख सकते हैं तरह-तरह की आवाज़ें जो आपको याद हों - बारिश की आवाज़, छत पर गिरने वाली बारिश, हवा, बादलों के गर्जन , पक्षियों की तथा झरनों आदि की आवाज़ । बरसात के मौसम में मिट्टी की गंध - वनस्पति की, गीली मिट्टी की, नमी की, मौसम के दौरान विशेष भोजन की गंध जो आपको याद है ।उस समय पहनने वाले वस्त्र। बरसात के मौसम में भोजन, मौसम के विशेष गाने। त्यौहार और फसलें जो आपको याद हों कोई भी बीमारी जो लोग सोचते हों कि वह इस समय में उन्हें प्रभावित कर सकती है? भारी बारिश के कारण आने वाली समस्याओं या कठिनाइयों का सामना कभी आपको करना पड़ा हो । कुछ और जो आप साझा करना चाहते हैं?
चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स में अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।
मै वह शिक्षक हूँ ,जो विद्यालय को साधना केन्द्र मान हूँ। अपने ज्ञान, सामर्थ्य, ओर मन से क साधक केरुप मे बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा एवं स्वस्थ रहने की शिक्षा देता हूँ।ओर एक राष्ट्र के प्रति समर्पित देशभक्त उर्जावान व्यक्तिव्य का निर्माण करने देश का सहयोग करता हूँ।
ReplyDeleteमैं राजेंद्र प्रसाद मिश्र शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय लक्ष्मण पुर विकासखंड रीवा जिला रीवा मध्य प्रदेश बरसात का समय बचपन की याद आते ही हर्षोल्लास से भर जाता है बचपन में बादलों की गर्जना सुनकर अंदर भाग जाते थे बिजली गिरने का भय लगता था पक्षी जोर जोर से क्या चाहते थे बरसात में उछल कूद कर मित्रों के साथ एक दूसरे पर पानी के छींटे मारते कपड़े भेज दिया ते बरसात के मौसम में दाल पुरी और मोहरी जो महुआ के फूल से बनती है मजे से खाया करते थे बरसात में कजली हिंदू ली और पपीहे मोर के संबंधित गीत गाए जाते थे कभी-कभी भेजने पर जब सर्दी जुकाम होता तो बड़ों के द्वारा बाहर ना निकलने की हिदायत दी जाती थी सर्दी होने पर हल्दी और दूध पीने को मिलता सर्दी छूमंतर हो जाती कभी कभी मैं जोकर नमक राय से नजर झाड़ती उससे भी कहे बीमारी ठीक हो ना बताती थी
Deleteबारिश को बुलाना हाथों को फैलाकर घूमना और बोलना पाणी बाबा आई जा काकड़ी भुट्टा लईजा
Deleteबारिश को बुलाना हाथों को फैलाकर घूमना और बोलना पाणी बाबा आई जा । काकड़ी भुट्टा लईजा।
Deleteमैं रवि बेन शासकीय कन्या हाई स्कूल विजयराघवगढ़, जिला कटनी
Deleteजब हम छोटे थे, उस समय हमें बारिश का मौसम बहुत प्यारा लगता था। मम्मी के बार-बार मना करने के बाद भी हम लोग किसी ना किसी बहाने से बारिश में भीग जाया करते थे। जगह-जगह भरे हुए पानी को पैरों से उछालना, कागज की नाव बनाकर तैराना,उफनती हुई नदियों को देखना और घर में मम्मी से भजिया पकौड़ी बनाने की डिमांड करना।बहुत मजेदार मौसम लगा करता था।
🙏🙏जय हिंद
बरसात से जुड़ा यादों का कलेवर कुछ इतना लंबा है कि उसे इस पोस्ट में थोड़ी जगह में समेट पाना मुमकिन नहीं है फिर भी जो याद आता है वह यह की बरसात में हमेशा हर साल एक नई बरसाती (rain coat)की जिन हुआ करती थी जो यकीनन हर साल नहीं तो नहीं मिल पाती थी तेज वर्षा हो और उस दिन छुट्टी हो जाए तो यह बड़े हर्ष का विषय होता था अपेक्षा होती थी जब नौकरी लगी तो बारिश एक बहुत बड़ी मुसीबत होती थी क्योंकि सुदूर वनांचल के जिस गांव में में पदस्थ हूं वहां पर जो झोपड़ी की वह अक्सर पानी घुस जाया करता था बारिश का मौसम बड़ी मुसीबत में करता था जब अब डाउन की स्थिति शुरू हुई तो रास्ते में बारिश ने कई बार रोका है और पढ़ने वाली नदियों को घंटों इंतजार करके फिर पानी में डूब के पार करना पड़ता है इस तरह की कई खट्टी मीठी यादें बारिश से जुड़ी हुई हैं
Deleteयह माड्यूल बहुत ही सुन्दर तरीके से कला के माध्यम से विभिन्न विषयों को जोड़ने के लिए सेतु का कार्य कर रहा है। शिक्षक विभिन्न विषयों और उनसे संबंधित अवधारणाओं को बच्चों से सरल तरीके जुड़ता है और आंकलन भी कर सकता है।
ReplyDeleteविनोदकुमार द्विवेदी
ReplyDeleteGMS Ambedkar Kripalpur Satna MP
बारिश होने पर मिट्टी की सोंधी खुशबू, की पहिचान,बूदों के गिरने की आवाज, पेड़ो में बैठे पक्षियों के हावभाव,वर्षा गीत का आनंन्द,अचानक बारिश होने से लोग छाया की तरफ कैसे भागते है का दृश्य,साथ ही बाढ़ की स्थिति निर्मित होने पर लोग अपने बचाव के लिए क्या करते है,एक किसान के हाव भाव का प्रदर्शन कर कला के माध्यम से सामाजिक विज्ञान का अध्यापन करा सकते है।
Barish mane sabhi taraf mitti ki Khushboo se bhara dhula hua vatavaran. Jo sabko pasand hai
ReplyDeleteJab main Chhota tha aur gussa mein barish hoti thi to main Apne doston ke sath galiyon mein Pani mein chhapa chhap kar ke khela karte the aur kheton mein bahar aane per Chetan ko dekhne Jaya karte the halki halki barish mein bhi nahin karke khila karte the
ReplyDeleteMe apne bachpan ki brish ki
ReplyDeletesukhad yado Ko bachcho K sath sajha karungi or unke vicharo Ko bhi sunungi or kagaj ki nav banakar un yado Ko taza karungi
बारिश का नाम सुनते ही मन उत्साहित होता था कभी बारिश मे नहाना कभी बारिश मे खेलना आदि।
ReplyDeleteबारिश में बिमारियां जैसे-बुखार,सर्दी ज़ुकाम आदि रोग होते थे
बरसात बचपन का वह अनुभव है जो जीवन को पानी ही नहीं, बल्कि ढेरों/अनगिनत छम-छम उल्लसित खुशियों की फुहारों से तर कर देता था।वाह!उन दोनों में जाकर /कुछ देर फ्लैशबैक लेकर ही मन मयूरा होने लगा,तन पपीहा हो गया और 'वदन'तो कहना ही क्या!
ReplyDeleteलो नाव चली भई नाव ........
काले बादल पानी दे,पानी दे गुड़ धानी दे
ओह!!क्या सब कुछ भूल-भाल बीके गुनगुनाते थे,बस सोचते ही अंदर घोर बरसात के गहरे अहसास फुदकने लगे।
कई त्यौहार, कई पर्व,कई उत्सव,कई राग-रंग के पल जो अब हैं आंखों से ओझल लेकिन हमने उन्हें जिया है, इसलिए अंतर्मन में मीठे थोड़े खट्टे से समाए हैं, वर्षा के वे दिन बड़े ही नाचते, गाते,फिसलते, लिपटते,उठते फिर गिरते या भीगते ही भागते पर रोके न रुकते ;हाँ ज्यादा करते तो ठुकते तो थे;पर खुशी में वह चटाचट किसी संगीत की ही थाप लगती थी।
कभी तो सूखे कपड़े ही कम पड़े तो कहीं सूखा घर का कोना ही न रहा फिर भी भीगने,नहाने,दौड़ने पानी की उलवाती को झेलने के आनन्द कम न थे।
Me apne bachpan ki brish ki
ReplyDeletesukhad yado Ko bachcho K sath sajha karungi or unke vicharo Ko bhi sunungi or kagaj ki nav banakar un yado Ko taza karungi
बस सोचते ही अंदर घोर बरसात के गहरे अहसास फुदकने लगे।
ReplyDeleteकई त्यौहार, कई पर्व,कई उत्सव,कई राग-रंग के पल जो अब हैं आंखों से ओझल लेकिन हमने उन्हें जिया है, इसलिए अंतर्मन में मीठे थोड़े खट्टे से समाए हैं, वर्षा के वे दिन बड़े ही नाचते, गाते,फिसलते, लिपटते,उठते फिर गिरते या भीगते ही भागते पर रोके न रुकते ;हाँ ज्यादा करते तो ठुकते तो थे;पर खुशी में वह चटाचट किसी संगीत की ही थाप लगती थी।
बरसात के मौसम में पुरी पृथ्वी हरियाली की चादर ओड़ लेती है ।रंग बिरंगे पक्षीयों का कलरव कलकल करते झरने ,वर्षा के बूंदों की भीनी भीनी खुश्बू बरबस ही मन को मोह लेती है।
Deleteparasram uikey NPSkhuddatola Nainpur बारिश होने पर मिट्टी की सोंधी खुशबू, की पहिचान,बूदों के गिरने की आवाज, पेड़ो में बैठे पक्षियों के हावभाव,वर्षा गीत का आनंन्द,अचानक बारिश होने से लोग छाया की तरफ कैसे भागते है का दृश्य,साथ ही बाढ़ की स्थिति निर्मित होने पर लोग अपने बचाव के लिए क्या करते है,एक किसान के हाव भाव का प्रदर्शन कर कला के माध्यम से सामाजिक विज्ञान का अध्यापन करा सकते है।
ReplyDeleteमैं ममता सिंह गौर इस प्रशिक्षण से अच्छे से सीख रही हूँ और बच्चों के लिए भी यह प्रशिक्षण बहुत अच्छा है।
ReplyDeleteमैं प्रभा सिंह राय प्रशिक्षण से अच्छे से कर रही हूं आपने जो बारिश की गतिविधि सिखाए वह बहुत ही अच्छी लगी इससे बच्चों का मानसिक बल बढ़ेगा तनाव भी दूर होगा पढ़ाई में मन लगेगा धन्यवाद
ReplyDeleteजब हम छोटे थे तो बारिश मे bhogne me मजा आता था और स्कूल से छुट्टी मिल जाती थी.
ReplyDeleteपर कीचड़ बहुत होती थी इसलिए बारिश बहुत बुरी लगती थी
बारिश का नाम सुनते ही मनमे सबसे पहले एक सुहावने मौसम का । चित्र दिमाग में आता है ' वो पहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना बिजली / टेलीफोन केतारो पर चलता हुआपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना ' समूल मे बाहर थो पानी मे कागज़ की नाव चलाना और मैडम की प्यार भरी डाँट सब आद आता है । आजभी वो झूले जो हम पेड - पर बांधते थे याद आते हे । काश कोई मुझको लौटा दे बचपन की यादे वो कागज़ की कश्ती वो बारिश के दिन । धन्यवाद MP कला समेकित शिक्षको जिसने इतना बेहतरीन विषय चुना ' मज़ा . आ गया । कक्षामे बच्चो को भी बहुत मजा आयेगा।
ReplyDeleteबारिश का नाम सुनते ही मनमे सबसे पहले एक सुहावने मौसम का । चित्र दिमाग में आता है ' वो पहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना बिजली / टेलीफोन केतारो पर चलता हुआपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना ' समूल मे बाहर थो पानी मे कागज़ की नाव चलाना और मैडम की प्यार भरी डाँट सब आद आता है । आजभी वो झूले जो हम पेड - पर बांधते थे याद आते हे । काश कोई मुझको लौटा दे बचपन की यादे वो कागज़ की कश्ती वो बारिश के दिन । धन्यवाद MP कला समेकित शिक्षको जिसने इतना बेहतरीन विषय चुना ' मज़ा . आ गया । कक्षामे बच्चो को भी बहुत मजा आयेगा।
ReplyDeleteबारिश का नाम सुनते ही मनमे सबसे पहले एक सुहावने मौसम का । चित्र दिमाग में आता है ' वो पहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना बिजली / टेलीफोन केतारो पर चलता हुआपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना ' समूल मे बाहर थो पानी मे कागज़ की नाव चलाना और मैडम की प्यार भरी डाँट सब आद आता है । आजभी वो झूले जो हम पेड - पर बांधते थे याद आते हे । काश कोई मुझको लौटा दे बचपन की यादे वो कागज़ की कश्ती वो बारिश के दिन । धन्यवाद MP कला समेकित शिक्षको जिसने इतना बेहतरीन विषय चुना ' मज़ा . आ गया । कक्षामे बच्चो को भी बहुत मजा आयेगा।
ReplyDeleteबरसात बचपन का वह अनुभव है जो जीवन को पानी ही नहीं, बल्कि ढेरों/अनगिनत छम-छम उल्लसित खुशियों की फुहारों से तर कर देता था।वाह!उन दोनों में जाकर /कुछ देर फ्लैशबैक लेकर ही मन मयूरा होने लगा,तन पपीहा हो गया और 'वदन'तो कहना ही क्या!
ReplyDeleteलो नाव चली भई नाव ........
काले बादल पानी दे,पानी दे गुड़ धानी दे
ओह!!क्या सब कुछ भूल-भाल बीके गुनगुनाते थे,बस सोचते ही अंदर घोर बरसात के गहरे अहसास फुदकने लगे।
कई त्यौहार, कई पर्व,कई उत्सव,कई राग-रंग के पल जो अब हैं आंखों से ओझल लेकिन हमने उन्हें जिया है, इसलिए अंतर्मन में मीठे थोड़े खट्टे से समाए हैं, वर्षा के वे दिन बड़े ही नाचते, गाते,फिसलते, लिपटते,उठते फिर गिरते या भीगते ही भागते पर रोके न रुकते ;हाँ ज्यादा करते तो ठुकते तो थे;पर खुशी में वह चटाचट किसी संगीत की ही थाप लगती थी।
कभी तो सूखे कपड़े ही कम पड़े तो कहीं सूखा घर का कोना ही न रहा फिर भी भीगने,नहाने,दौड़ने पानी की उलवाती को झेलने के आनन्द कम न थे।
बारिश मे मिट्टी की भीनी भीनी सुगंध आती हैं मेढक टर टर बोलते हैं।
ReplyDeleteपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना,
ReplyDeleteबारिश होने पर मिट्टी की सोंधी खुशबू
कभी बारिश मे नहाना कभी बारिश मे खेलना
बारिश की आवाज़, छत पर गिरने वाली बारिश, हवा, बादलों के गर्जन , पक्षियों की तथा झरनों आदि की आवाज़ ।
पानी मे कागज़ की नाव चलाना
बरसात के मौसम में भोजन में पकौड़े खाना, मौसम के विशेष गाने सब अाज
एक याद बन गए हैं ।
बारिश होने पर मिट्टी की सोंधी खुशबू, बूंंदो के गिरने की आवाज, पैैड़ो में बैठे पक्षियों का कलरव ,वर्षा गीत का आनन्द,अचानक बारिश से बचने के लिए आश्रय तलाश करतेे भागने का आनन्द। बाढ़ की स्थिति में बचाव के लिए किए जाने वाले प्रयास, घरों में बारीश में गर्म भजिए खाने का आनन्द भीग जाने पर पिता की डांट, मॉ का प्यार से सिर का पोंछना, पिता को डॉटने से राेेकना। सर्दी होने पर लोंग, अदरक, तुलसी का काढा मॉ के हाथों से पीना, इस प्रकार बारिश से जुडी अनगिनत यादें मन को प्रसन्न कर देती है।
ReplyDeleteशेखर देथलिया टोंकखुर्द टोंकखुर्द
ReplyDeleteबारिश का नाम सुनते ही बचपन के दिन याद आते है , गिरते पानी मे नहाना ,गलियों में दौड़ लगाना कागज की नाव बनाकर बहते पानी मे बहाना,कच्चे मकान में जगह जगह पानी गिरने से बचाने के लिए बर्तन रखना ,बिजली कड़कने से डर लगना ,ज्यादा पानी गिरने पर स्कूल की छूटी हो जाना बड़ा सुखद अनुभव था ।और कई अनुभवहै जो बहुत आनन्ददायक है ।
बारिश होने पर मिट्टी की सोंधी खुशबू, बूंंदो के गिरने की आवाज, पैैड़ो में बैठे पक्षियों का कलरव ,वर्षा गीत का आनन्द,अचानक बारिश से बचने के लिए आश्रय तलाश करतेे भागने का आनन्द। बाढ़ की स्थिति में बचाव के लिए किए जाने वाले प्रयास, घरों में बारीश में गर्म भजिए खाने का आनन्द भीग जाने पर पिता की डांट, मॉ का प्यार से सिर का पोंछना, पिता को डॉटने से राेेकना। सर्दी होने पर लोंग, अदरक, तुलसी का काढा मॉ के हाथों से पीना, इस प्रकार बारिश से जुडी अनगिनत यादें मन को प्रसन्न कर देती है।
ReplyDeleteबारिश का मौसम मे भिगना चाहे बचपन हो या बुढापा।यह मौसम तनमन को भिगोकर तरोताजा कर देता है
ReplyDeleteBarish k mousam yaad aate h wo ghar k aagan me pani k bhar jana usme lakdi se paani uchhalna ya usme kudna kagaj ki nav chalana yaaad aata h .yah module bachcho ki activity aur unke bau pradarshan aur milkar work krne k liy bahut hi achchha h sabhi bache Anand lete huye activity pr dhyan dege
ReplyDeleteBarish k mousam yaad aate h wo ghar k aagan me pani k bhar jana usme lakdi se paani uchhalna ya usme kudna kagaj ki nav chalana yaaad aata h .yah module bachcho ki activity aur unke bau pradarshan aur milkar work krne k liy bahut hi achchha h sabhi bache Anand lete huye activity pr dhyan dege
ReplyDeleteBarish k mousam yaad aate h wo ghar k aagan me pani k bhar jana usme lakdi se paani uchhalna ya usme kudna kagaj ki nav chalana yaaad aata h .yah module bachcho ki activity aur unke bau pradarshan aur milkar work krne k liy bahut hi achchha h sabhi bache Anand lete huye activity pr dhyan dege
ReplyDeleteBarish ke mausam ki yad aate hi bhini bhini mitti ki saugandh hamare man mein a jaati hai Charo taraf hariyali dekhna atyant Anand dayak lagta hai
ReplyDeleteबारिश का मौसम बड़ा ही अच्छा होता है ।मुझ याद है, हम बारिश के मौसम में भीगते थे,खेलत थे।
ReplyDeleteBarish ke mausam me jo indra dhanush nikalta hai vah bahut hee sundar lagta hai .
ReplyDeleteबारिश की आवाज़, छत पर गिरने वाली बारिश, हवा, बादलों के गर्जन , पक्षियों की तथा झरनों आदि की आवाज़ । बरसात के मौसम में मिट्टी की गंध - वनस्पति की, गीली मिट्टी की, नमी की, मौसम के दौरान विशेष भोजन की गंध जो याद है ।उस समय पहनने वाले वस्त्र। बरसात के मौसम में भोजन, मौसम के विशेष गाने। मम्मी की डांट के बाबजूद फिर से भीगना । पहले बीमार भी नही पड़ते थे। बीत चुका समय सबको अच्छा लगता है
ReplyDeleteमै वह शिक्षक हूँ ,जो विद्यालय को साधना केन्द्र मान हूँ। अपने ज्ञान, सामर्थ्य, ओर मन से क साधक केरुप मे बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा एवं स्वस्थ रहने की शिक्षा देता हूँ।ओर एक राष्ट्र के प्रति समर्पित देशभक्त उर्जावान व्यक्तिव्य का निर्माण करने देश का सहयोग करता हूँ।
ReplyDeleteबारिश का नाम सुनते ही मन उत्साहित होता था कभी बारिश मे नहाना कभी बारिश मे खेलना आदि।
ReplyDeleteबारिश में बिमारियां जैसे-बुखार,सर्दी ज़ुकाम आदि रोग होते थे
Barish ke mausam me jo indra dhanush nikalta hai vah bahut hee sundar lagta hai .
मैं श्रीमती करुणा ठाकरे आदिवासी कन्या आश्रम भंडारकुंड विकासखंड मुखेड़ जिला छिंदवाड़ा बारिश का मौसम मुझे ही नहीं अपितु हर किसी को अच्छा लगता है बारिश की शुरुआत मैं मिट्टी की सोंधी सोंधी खुशबू लेह ला हाती फसल और हरे भरे बागान को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है बारिश से जमीन के जल का स्तर भी बढ़ जाता है एवं फसलों के लिए भी बारिश बहुत जरूरी होती है इसलिए कहा जाता है जल ही जीवन है बारिश होगी तो हमें ना ही पीने की पानी परेशानी होगी और ना ही खाने के लिए अन्य की कमी होगी बारिश के मौसम में बारिश की पहली फुहार मैं गोल गोल रानी ठंडा ठंडा पानी और भी मजेदार खेल खेलने में मजा आता
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ReplyDeleteबचपन के दिनों में जब बारिश का मौसम आता था तो मेरे गांव में किसानों चेहरे खिल जाते थे सभी लोग अपने अपने खेतों में बोवनी करते पहली बारिश में मिट्टी की भीनी भीनी सुगंध बहुत अच्छी लगती है बरसात का मौसम मुझे बहुत भाता है
ReplyDeleteबचपन के दिनों में जब बारिश का मौसम आता था तो मेरे गांव में किसानों चेहरे खिल जाते थे सभी लोग अपने अपने खेतों में बोवनी करते पहली बारिश में मिट्टी की भीनी भीनी सुगंध बहुत अच्छी लगती है बरसात का मौसम मुझे बहुत भाता है
ReplyDeleteबचपन के दिनों में जब बारिश का मौसम आता था तो मेरे गांव में किसानों चेहरे खिल जाते थे सभी लोग अपने अपने खेतों में बोवनी करते पहली बारिश में मिट्टी की भीनी भीनी सुगंध बहुत अच्छी लगती है बरसात का मौसम मुझे बहुत भाता है
ReplyDeleteBarish k ate hi sb jgh hatiyali hi haryali dikhai deti h. Barish k pani me nahana ,kagaj ki naav pani me chlana ye sb yad ata h
ReplyDeleteअतीत की नकारात्मक घटनाएं यदि आप याद करते हैं तो आप का जीना दुश्वार हो जाएगा क्या हो जाता है आपको चाहिए कि अतीत की नकारात्मक घटनाओं को पीछे छोड़ आप सकारात्मक अतीत की याद भी सकारात्मक होनी चाहिए हम अपने शिक्षण अधिगम में सकारात्मक भावनाओं का संचार करें जिससे बच्चे कहानियां कविताएं घटनाएं जो पूर्व में में घटित याद किए हैं उसकी अतीत की याद यानी स्मरण शक्ति बनी रहे साथ ही अपने सीखने के के अनुभवों को मुखर होकर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सकारात्मक या नकारात्मक घटनाएं प्रकट कर सकें अशांति रूपी घटनाएं या भावनाएं एक बार की भांति उत्पन्न होती रहती हैं। अतः बच्चों में डर भय का वातावरण ना होकर उन्हें सकारात्मकता की ओर ढालने का प्रयास करना एक शिक्षक का गुण
ReplyDeleteमैं राजकुमार सोनी अध्यापक माध्यमिक विद्यालय छिग्गे सिंह का पुरा मेरा बचपन था बरसात हो रही थी मैं छाता लेकर स्कूल के लिए जा रहा था तो पेड़ पर बैठी चिड़िया बरसात की ठंड से चहचहा रही थी मैं अपने छाते के साथ फिसलता हुआ संभलता हुआ विद्यालय पहुंचाबरसात की वजह से मिट्टी भीग गई थी जिसकी मीठी-मीठी खुशबू आ रही थी जिसका आनंद लेते हुए मैं चला जा रहा था
ReplyDeleteparasram uikey NPSkhuddatola Nainpur बारिश होने पर मिट्टी की सोंधी खुशबू, की पहिचान,बूदों के गिरने की आवाज, पेड़ो में बैठे पक्षियों के हावभाव,वर्षा गीत का आनंन्द,अचानक बारिश होने से लोग छाया की तरफ कैसे भागते है का दृश्य,साथ ही बाढ़ की स्थिति निर्मित होने पर लोग अपने बचाव के लिए क्या करते है,एक किसान के हाव भाव का प्रदर्शन कर कला के माध्यम से सामाजिक विज्ञान का अध्यापन करा सकते है।
ReplyDeleteबारिश में पशुओं की चारागाह में सिर झुका कर वर्षा का आनंद लेना शाला में बैठे निकट के खेत में मोर का नृत्य करना मन को आल्हादित कर देता है।
ReplyDeleteबचपन में बारिश हो और हम जैसे बच्चे घर में बैठे रहें, नामुमकिन था. किसी न किसी बहाने बाहर जाना था, बारिश की ठंडी फुहारों का आनन्द लेते हुए न जाने क्या-क्या करना था. हां, पहले से बना कर रक्खे विभिन्न साइज के कागज़ के नाव को बारिश के बहते पानी में चलाना और पानी में छप-छपाक करना।
ReplyDeleteमानसून मेरा पसंदीदा मौसम है। छमछम बरसता पानी, लुभावनी जलवायु, हरी-भरी हरियाली और समग्र वातावरण मुझे अंदर से खुश करने में कभी असफल नहीं होता ! मेरे बच्चों को भी पानी उतना ही प्यारा है जितना मुझे – चाहे वह पूल हो, नहाने का समय हो।
ReplyDeleteमै मो. खुर्शीद आलम मध्य वि गुंडी बरहरा भोजपुर बिहार का हूं जहां बारिश और बाढ दोनों ज़िन्दगी के साथ जुड़े हैं बचपन के दिनों में बारिश के मौसम कि कल कल छल छल यादे आते ही मन छमा छम हिलोरें मारने लगता है। मिट्टी कि सोंधी खुशबू लहलहाते खेतों से उठती मन को खुशबू के तरंगों से भर देती थी स्कूल से मजेदार खेल खेलते हुए कीचड़ पानी के साथ घर लौटना, येसभी सकारात्मक यादें आज भी जीने की चाहत को बढ़ा देती है
ReplyDeleteबारिश का मौसम सभी को अच्छा लगता है। बच्चे खाशतौर पर बारिश का आनंद लेते है। चाहे बारिश टिप टिप हो या झमाझम मन को आनंदित करती है। शीतल शीतल पवन के झोंके मन को आल्हादित करते हैं। बच्चों का भींगना कपड़ों का कीचड़ से सना होना कागज की नाव चलाना अनायास ही मन को मोह लेते हैं।
ReplyDeleteवो पहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना बिजली / टेलीफोन केतारो पर चलता हुआपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना ' बारिश हो और हम जैसे बच्चे घर में बैठे रहें, नामुमकिन था. किसी न किसी बहाने बाहर जाना था.
ReplyDeleteवो पहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना बिजली / टेलीफोन केतारो पर चलता हुआपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना ' बारिश हो और हम जैसे बच्चे घर में बैठे रहें, नामुमकिन था. किसी न किसी बहाने बाहर जाना था.
वो पहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना बिजली / टेलीफोन केतारो पर चलता हुआपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना ' बारिश हो और हम जैसे बच्चे घर में बैठे रहें, नामुमकिन था. किसी न किसी बहाने बाहर जाना था.
ReplyDeleteवो पहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना बिजली / टेलीफोन केतारो पर चलता हुआपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना ' बारिश हो और हम जैसे बच्चे घर में बैठे रहें, नामुमकिन था. किसी न किसी बहाने बाहर जाना था.
ReplyDeleteSuresh Sharma
ReplyDeleteवो पहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना बिजली / टेलीफोन केतारो पर चलता हुआपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना ' बारिश हो और हम जैसे बच्चे घर में बैठे रहें, नामुमकिन था. किसी न किसी बहाने बाहर जाना था.
वारिश के मोसम में मिट्टी की सोंधी-सोंधी खूशबू मेंढक की टर्र-टर्र की आवाज ,पानी में नाव चलाना,एवं रिमझिम -वारिश मेंभींगना बड़ा आनंद देता हैं ।
ReplyDeleteयह प्रशिक्षण मेरे लिए बहुत ही उत्साहवर्धक साबित हुआ है क्योंकि इसमें बहुत सी अच्छी बातें बताई गई है जिसके द्वारा हम बच्चों को सही ढंग से पढ़ा सकते हैं । यहां पर जो टॉपिक दिया गया है की बरसात में कैसा लगता है बरसात के मौसम में मिट्टी की सोंधी खुशबू बहुत अच्छी लगती है स्कूल की छत टपकती थी सभी लोग बैठने के लिए झगड़ा करते थे अपनी अपनी स्कॉर्पियो का कागज लेकर ना चलाने के लिए मैदान में भागते थे कपड़ों का भीगना और छुट्टी का होना बहुत ही मजेदार होता था वह पल आज भी नहीं भूलते जब वर्षा होती थी तो सभी लोग स्कूल से घर भागते थे ।
ReplyDeleteबचपन में सर्वाधिक यदि कोई ऋतु बच्चों को प्रभावित है तो वह वर्षा ऋतु ही है। जिसे हम वरखा रानी के नाम से भी जानते हैं। यह हर बच्चे को आवश्य ही अपनी ओर आकर्षित कर लेतीं है। भीगते हुए पानी में उछलना कूदना हम सभी को बचपन की यादें ताजा कर देता है।
ReplyDeleteबाल्यकाल के अनेक अनुभव आज भी हमारी स्मृति मे है । बरसात शुरु होते ही मौहम बहुत सुहाना हो जाता था , चारो और हरियाली छा जाती थी । बचपन में बरसात के दौरान हम अनेक खेल खेला करते थे ।
ReplyDeleteबचपन मे बरसात का मौसम बहुत सुहाना लगता था ।
ReplyDeleteएक बार जब रविवार को स्कूल के अवकाश के दिन में अपने गांव खेत देखने चला गया। अपनी छोटी बहन की बिना डण्डे वाली साइकिल जो बहुत आसानी से चलती थी, उसे लेकर गया। लौटते समय रोड़ से आते हुए, शॉर्ट कट के चक्कर में नहर वाली रास्ते से आया। आधे रास्ते में पानी शुरू हो गया, सर्दियों का पानी उसपर कीचड़ से पहिए जाम। साइकिल में डण्डा भी नहीं एक-डेढ़ किमी का रास्ता जैसे पार किया, उसे याद करना ही.......। उस समय ईश्वर को जितना याद किया उससे पहले तब तक तो नहीं ही किया था।
ReplyDeleteबचपन में सर्वाधिक यदि कोई ऋतु बच्चों को प्रभावित है तो वह वर्षा ऋतु ही है। जिसे हम वरखा रानी के नाम से भी जानते हैं। यह हर बच्चे को आवश्य ही अपनी ओर आकर्षित कर लेतीं है। भीगते हुए पानी में उछलना कूदना हम सभी को बचपन की यादें ताजा कर देता है।
ReplyDeleteमैं रेवा प्रसाद चौबे प्राथमिक शिक्षक हूँ। बारिस का नाम सुनते ही में काली घटाओं के साथ तेज गड़गड़ाहट के साथ मूसलाधार बारिश का आभास कराती है,, और लाइट गुल हो जाती है तब मन ही मन एक विचार आता है कि सिंह की दहाड़ सी मेघ गर्जना के डर लाईट भी कहीं दुबककर छिप गयी है
ReplyDeleteबारिश का नाम सुनते ही काली घटाओं के साथ तेज गड़गड़ाहट के साथ बारिश का आवास कराती है और लाइट गुल हो जाती है तब मन ही मन एक विचार आता है कि सिंह की दहाड़ सिम 1 गजना केडर लाइट भी कई तो वर्क कर छिप गई है।
ReplyDeleteबचपन मैं ,सबसे सुखद और मजे का अनुभव बच्चे सिर्फ बरसात मैं ही उछल कूद करके ही लेते हैं और अपने अनुभव साझा करते हैं यू.एल.चौपरिया पृधानाध्यापक शा.मा.वि.गिन्दौरा जिलाशिवपुरी म.पृ. डाइस कोड23060306602
ReplyDeleteबारिश का मौसम आते ही वह मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू व पानी में भीगने का आनन्द छतरी का हवा में उल्टा हो जाना पिताजी की डांट स्कूल से छुट्टी मिल जाना बचपन की याद ताजा कर देती है।
ReplyDeleteबारिश का मौसम आते ही वह मिट्टी की सौंधी सौंधी खुशबू व पानी में भीगने का आनन्द छतरी का हवा में उल्टा हो जाना पिताजी की डांट स्कूल से छुट्टी मिल जाना बचपन की याद ताजा कर देती है।साथ ही कला समेकित शिक्षण भी बच्चो के लिए अनिवार्य होता है इससे बच्चो का सर्वांगीण विकास होता है
ReplyDeleteयह माड्यूल बहुत ही सुन्दर तरीके से कला के माध्यम से विभिन्न विषयों को जोड़ने के लिए सेतु का कार्य कर रहा है। शिक्षक विभिन्न विषयों और उनसे संबंधित अवधारणाओं को बच्चों से सरल तरीके जुड़ता है और आंकलन भी कर सकता है।
ReplyDeleteवारिश के मोसम में मिट्टी की सोंधी-सोंधी खूशबू मेंढक की टर्र-टर्र की आवाज ,पानी में नाव चलाना,एवं रिमझिम -वारिश मेंभींगना बड़ा आनंद देता हैं ।
ReplyDeleteमेरी बचपन की यादें बारिश को लेकर बहुत ही सुंदर हैं जिसमें मैं अपने भाई बहनों के साथ अपने घर की छत पर जाकर खूब भीगा करते थे और कागज की नाव बनाकर छत पर रुके जमे पानी में डालकर खेला करते थे इसी प्रकार हम अपने बच्चों से भी उनके अनुभव को पूछ सकते हैं जिससे उनका शब्दकोश बढ़ेगा उनके सोचने का पैमाना बढ़ेगा और जो बातें उनकी जिंदगी से जुड़ी होंगी उसी साझा करने में उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा
ReplyDeleteइस मॉड्यूल मैं बारिश की बूंदों की आवाज के माध्यम से हम अपनी उंगली की करतल ध्वनि निकालकर बच्चों को उल्टी कुंती एवं सीधी गिनती आसानी से सिखा सकते हैं यह गतिविधि खेल खेल के माध्यम से बहुत ही रोचक एवं मनोरंजन युक्त है राजेश नामदेव
ReplyDeleteपहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना बिजली / टेलीफोन केतारो पर चलता हुआपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना ' समूल मे बाहर थो पानी मे कागज़ की नाव चलाना और मैडम की प्यार भरी डाँट सब आद आता है । आजभी वो झूले जो हम पेड - पर बांधते थे याद आते हे । काश कोई मुझको लौटा दे बचपन की यादे वो कागज़ की कश्ती वो बारिश के दिन । धन्यवाद MP कला समेकित शिक्षको जिसने इतना बेहतरीन
ReplyDeleteपहली बारिश में भीगना तथा कवेलू की छत से पानी का टपकना और टपकते पानी के को रोकने के लिए उसके नीचे बर्तनों को रखना तथा टीन की छत के से पानी आने पर उसके नीचे खड़े होकर नहाना साथ ही पहली बारिश की मिट्टी की सोंधी खुशबू बहुत अच्छी लगती है कागज की नाव बनाना तथा छत पर पानी को रोकना अच्छा लगता है साथ ही छतरी को हवा में उल्टा हो जाने पर पिताजी की डांट खाना आदि बचपन की यादें ताजा होती है तथा कला समेकित शिक्षा बच्चों के लिए अनिवार्य हो जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके।
ReplyDeleteबारिश में भीगने का आनंद ही कुछ और है।बारिश के मौसम में धरती हरी भरी हो जाती है जो मन को मोह लेती है
ReplyDeleteयह माड्यूल बहुत ही सुन्दर तरीके से कला के माध्यम से विभिन्न विषयों को जोड़ने के लिए सेतु का कार्य कर रहा है। शिक्षक विभिन्न विषयों और उनसे संबंधित अवधारणाओं को बच्चों से सरल तरीके जुड़ता है और आंकलन भी कर सकता है
ReplyDeletePrakash Shrivastava
ReplyDeleteबचपन के समय बारिश का मौसम शुरू होता था तब बारिश की पहली बोने जमीन पर पड़ती तुम उसकी सोंधी सोंधी खुशबू बहुत ही मनमोहक लगती। उसी पानी में नहाने का मजा अपने साथियों के साथ लिया करते। गड्ढों में भरे पानी का आनंद एक दूसरे के ऊपर उछालना एवं उसके कीचड़ में खेलने का मजा लेना रिमझिम बारिश मैं भीगना एवं रात भर आसपास के गड्ढों से मेंढकों की टर्र-टर्र की आवाज भी कभी-कभी डरावनी लगने लगती थी। बादलों की जोरदार घटना सुनकर घर के अंदर भागना। गड्ढों में भरे पानी पर अपने दोस्तों के साथ कागज की नाव बनाकर चलाना जो हम अपनी कॉपियों के नए कोरे पेज निकाल कर बनाना, जब पिताजी
को पता चलता तो उनका नाराज होना। गिरते पानी में फुटबॉल, कबड्डी खेलना। इस मौसम में आसपास के सभी मैदानों पर हरी हरी घास होना पेड़ों पर नई पत्तियों का निकलना बड़ा ही सुंदर लगता। अधिक बारिश के समय पूरे परिवार के साथ पकोड़े खाना बड़ा अच्छा लगता था। सी मौसम के बीच हरियाली रक्षाबंधन जन्माष्टमी एवं गणेश उत्सव बड़े धूमधाम से मनाना।
उस समय सभी जगह सड़कें नहीं होल्ड होने के कारण सड़कों में कीचड़ होता था जिससे चलने में बड़ी दिक्कत होती थी चप्पले स्लिप होती हो ना अपने साथियों के साथ चलती समय एक दूसरे के ऊपर कीचड़ उछालना बड़ा मजा आता था। यह मौसम सबके मन में हर्ष उल्लास भर देता है।
कला समेकित शिक्षा द्वारा हम छात्रों को किसी भी विषय के पाठ को लेकर कला के माध्यम से एक स्थाई ज्ञान करा सकते है।जैसे वाटर हार्वेस्टिंग के बारे में पानी कैसे गिरता है ,किसी छत से नीचे कैसे आता है फिर वह किस प्रकार किसी बनाए हुए गड्ढे में भारत हुआ आवाज करता है। उस से क्या लाभ है। इस को कर हम किस समश्या का समाधान पा सकते है।
ReplyDeleteमैं चंदूलाल चौहान शा.मा.शाला अमेडा भरवेली बालाघाट से मैं अपनी बचपन मे बरसात की कुछ यादें शेयर कर रहा हूँ , हमारा बचपन ग्रामीण क्षेत्र में बिता घर कच्चे थे ,घर ग्रामीण कवेलू वाले घर थे ,घर के पास जंगल था जिससे घर पर हमेशा बंदर आते रहते थे जिससे घर के कवेलू टूट जाते और बरसात में घर के अंदर बर्तन रखकर पानी फेकना पढ़ता था । घर के पास एक नाला था जिस में अक्सर बाढ़ आने से गांव में पानी आ जाता था जिससे बहुत घर मे पानी भर जाता था , बाढ़ का पानी देखने हम वहाँ जाते थे इसका आनन्द भी लिया जाता था भीगने पर सर्दी हो जाती माँ गर्म-गर्म चाय पिलाती गर्म-गर्म भजिये खाने मिलते। इस समय स्कूल की छुट्टी हो जाती क्योकि कक्षा के रुम पानी से गिले होने के कारण पढ़ाई नही होती थी। घर जाने की जल्दी में हम भीगते बचते घर पहुचते कपड़े भी भीग जाते मम्मी की डॉट पड़ती। बहुत मज्ज आता था।
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ReplyDeleteIn rainy season I enjoyed ☔ and go to school
ReplyDeleteIn rainy season I enjoyed and go to school
ReplyDeleteinrainyseasonienjoyedandgotoschool
ReplyDeleteIn rainy seasons I enjoyed and go to school
ReplyDeleteअहा!
ReplyDeleteबरसात की ऋतु की कितनी स्मृतियां !
सबसे अधिक मस्ती का मौसम सबसे अधिक यादगार।
अच्छी तरह याद है कि गांव में बारिश के आने की आहट सुनते ही ग्रामीण जनों द्वारा आल्हा पढ़ने के लिए बैठा दिया जाता था और हमें हिदायत दी जाती थी कि सस्वर और ऊंची आवाज में ही गाना वरना बारिश नहीं आएगी।
कितनी ही आवाजें है जो बरसात के मौसम से जुड़ी हुई है बारिश आने से पहले बादलों की गड़गड़ाहट, बारिश आने के साथ घर की कवेलू की छत पर आने वाली आवाज, टीन,की छत पर आने वाली आवाज, कभी किसी पेड़ की छांव में बारिश से बचने के लिए खड़े होने पर आने वाली आवाज, पहली बारिश रुकने पर शाम को जब गांव में निकलते थे तो मेंढकों के टर्राने की आवाज, तेज हवा के साथ जब बारिश की बूंदे जमीन पर पड़ती हैं तो उनकी टकराने के साथ जो आवाज उत्पन्न होती है वह बड़ी अद्भुत आवाज थी। खूब तेज बारिश के पश्चात किसी नदी के पास पहुंचने पर जो गर्जन भरी आवाज बड़ी दूर से ही सुनाई देती है गजब होती है। नदी देखने जा रहे हो तो खुशी की और अगर गुजर रहे हो तो कोतूहल/सावधानी की भावना स्वयं मन में उत्पन्न हो जाती है।
पहली बारिश के पश्चात सौंधी खुशबू जमीन से निकलती है उसके तो क्या कहने । नहाए धोए सब पेड़ पौधों के पास से गुजरने पर जो भीनी भीनी खुशबू आती है अलौकिक लगती थी/है। घूम- घाम कर रास्ते में मिलने वाले
चाट कचौड़ी के ठेलों से जो खुशबू आती थी वह दिव्य होती थी और इसका लोभ संवरण करना बहुत मुश्किल होता था।
अपने गीले कपड़ों के साथ घर में घुसने पर बेसन के चीले अथवा भजियों की खुशबू जो बारिश के मौसम में मिलती थी वह दिव्यता का ही रूप है।
पहली बारिश होने के बाद सोयाबीन और मक्का की बुवाई की तैयारी होते देखना और कुछ ही समय बाद उनके नन्हें नन्हें पौधों को जमीन से निकलते हुए देखना बरसात के मौसम मौसम की विशेष याद है ।
किसी भी रोड के दोनों तरफ से जाने वाली हरियाली सबसे शानदार दृश्य होता था जो आज भी यथावत है।
बारिश के मौसम में जिस आनंद की तलाश में बिना छतरी या रेनकोट के अपनी साइकिल और वर्तमान में मोटरसाइकिल और जब निकलते हैं तो किसी समस्या या कठिनाई का वास यह आभास होता ही नहीं था परंतु कभी किसी के घर या दीवालों के ढह जाने का समाचार अथवा अप्रत्यक्ष रूप से उसे देखकर मन रुक सा जाता था।
हां !
वर्तमान में शहरों में बारिश के मौसम में जो नालियों उफान मारती हैं वह मजे को किरकिरा करने का काम बखूबी करती है।
सैकड़ों स्मृतियां है कई किस्से है।
सुनाएंगे कभी।।
Arun Prakash Kaushik(CAC),
JSK GIRLS SAROJINI NAIDU BERASIA, DIST BHOPAL
Rama Khare MS dhonda majholi Jabalpur... Barish bahut majedar bhi e aur bahut musibat wali bhi. Mujhe yad hai barish ke samay school jaane ke liye ham shoes and socks hathon mein lekar jaate aur rail line per baithkar pahante. Har aur kichad ghutno tak pani pani. Aas paas bahut se ped the. Use samay Maine dudhraj pakshi ko Dekha Jo aaj dur dur tak kahin najar Nahin aata. Chulhe shigdi per banne wala har bhojan khaskar bhajiya gulgula...... Aaha. Kya kahana din bhar bhi gana aur bimar hona Sardi khansi bukhar.. Sarkar ko dhanyvad aaj hamare bacchon ko itni adhik kichad pani ka samna nahin karna padta unke naseeb mein pakki sadake Hain...
ReplyDeleteबारिश का नाम सुनते ही मनमे सबसे पहले एक सुहावने मौसम का । चित्र दिमाग में आता है ' वो पहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना बिजली / टेलीफोन केतारो पर चलता हुआपानी की बुन्दो को मोती के समान चमकते देखना ' समूल मे बाहर थो पानी मे कागज़ की नाव चलाना और मैडम की प्यार भरी डाँट सब आद आता है । आजभी वो झूले जो हम पेड - पर बांधते थे याद आते हे । काश कोई मुझको लौटा दे बचपन की यादे वो कागज़ की कश्ती वो बारिश के दिन । धन्यवाद MP कला समेकित शिक्षको जिसने इतना बेहतरीन विषय चुना ' मज़ा . आ गया । कक्षामे बच्चो को भी बहुत मजा आयेगा
ReplyDeleteबारिश के मौसम मे हम जब स्कूल जाते है तो गांवो मे हरियाली दिखाई देती है| बारीश का मौसम बहुत अच्छा और सुहावना मौसम हैं|
ReplyDeleteबारीश के मोसम में मिट्टी की सोंधी-सोंधी खूशबू मेंढक की टर्र-टर्र की आवाज ,पानी में नाव चलाना,एवं रिमझिम बारीश मेंभींगना बड़ा आनंद देता हैं ।
बारीश मैं पकोड़ो कि खुशबू अच्छी लगती हैं
ReplyDeleteदीपक कोरान्ने मा वि चक्रवदा बारिश एक ऐसा मौसम हए जो बच्चो से लेकर बदो तक सबको अच्छा लगता है ऐसे में बारिश की गतिविधि बच्चो को बहुत अच्छी लगेगें और वो ऐसे बहुत अच्छे से enjoy Kar सकते है इस माध्यम से वे अपने शिक्षक और विषय से जुड़ सकते है।
ReplyDeleteबारिश के समय में जूते मोजे गीले हो जाते थे। साला जाने में और आने में बहुत परेशानी होती थी। रात के समय मेंढकों की टर्र टर्र की आवाज नींद नहीं आती थी।
ReplyDeleteBacchon ko barish ka anubhav karana FIR uske madhyam se sikhana bahut hi achcha udaharan hai
ReplyDeleteमै समीर गुप्ता मुझे बारिश का मौसम बचपन से ही बहुत अच्छा लगता है सूखी भूमि पर बारिश की बुंदे जब पडती हैं तो भीनी भीनी सुगंध बहुत अच्छी लगती है
ReplyDeleteMyself dr KAMALAKANT DUBEY ms boys mangawn
ReplyDeleteगर्मी, सर्दी और मानसून जैसे विभिन्न मौसम होते हैं। लेकिन मेरे सभी पसंदीदा मौसम में से मानसून का मौसम या बारिश का मौसम है। मैं एक संयुक्त परिवार में रहता हूं। मैं और मेरे चचेरे भाई बारिश के लिए पूरे साल इंतजार करते हैं और जब बारिश होती है तो हमारी आंखें खुशी से चमक उठती हैं।
सीज़न की पहली बारिश पर हम अपने घर के बाहर बारिश में भीगते हैं और खुश होकर मुस्कुराते हैं। धूप के दिनों में बारिश में ठंडा प्राकृतिक स्नान करने के बाद यह बहुत ताज़ा लगता है।
हम बगीचे में खेलना पसंद करते हैं क्योंकि बारिश की बारिश हम पर बरसती है। हम गीत गाते हैं और एक दूसरे पर पानी के छींटे मारने के लिए मैला ढोते हैं। हम जमीन पर बिल्लियों और कुत्तों की तरह लड़ते हैं जो पानी और एक दूसरे पर चिपचिपा कीचड़ फैलाते हैं।
बारिश मुझे बचपन की याद दिलाती है बारिश मे भीगना, कागज की नाव बनाना
ReplyDeleteऔर उससे खेलना, बारिश मे गीत गाना
झूले झूलना आदि
Myself Sukhchain Singh Pendro my theme-एक बार बारिश के मौसम में जब मैं गांव के अन्य बच्चों के साथ 10कि.मी.दूर पढने के लिए जा रहा था। रास्ते पर लगभग 6फिट चौड़ा नाला पड़ता था। जब कभी रात में तेज बारिश हो जाती थी तो वह नाला सुबह तक तेज बहाव के साथ उफान में आ जाता था।उस नाले को पार करके ही विद्यालय जाना पड़ता था। इसके लिए 2-3साथी हमसे बड़े उम्र के थे, तो वे कूदकर उस नाले को पार कर जाते फिर सभी छोटे-छोटे साथी अपने अपने बस्ते उस पार फेंकते और फिर दूर से दौड़ते हुए छलांग लगाकर नाला पार कर जाते थे। एक बार एक साथी जैसे ही छलांग लगाया तो वह बीच नाले में जा गिरा और वह नीचे की ओर जोर जोर से चिल्लाते हुए बहने लगा, तभी अन्य साथियों ने कहा कि नाले में जो जड़ें लटकी हुई हैं उसे जमकर पकड़ ले इस तरह उसने जड़ पकड़ लिया और लटका रहा उसके बाद सभी बच्चों ने उसके हाथ पकड़ कर बाहर निकाला।
ReplyDeleteBarish me bhigna bachpan me bhahut acha lagta tha mitti ki sodhi khusbu or ghar ake bhajiye kana or jukam hone ke dar sekada pina
ReplyDeleteबरसात का एक अपना ही आनंद है बहुत बरसात होने पर नदियों में बाढ़ देखने में कागज की नाव चलाने में बड़ा आनंद आता था चारों ओर हरियाली ध्यान आ जाती है बरसात मैं ही अधिकांश त्यौहार आते है जिनका आनंद का आनंद लिया जाता है बचपन में ज्यादा बारिश हो जाने पर स्कूलों की छुट्टियां भी हो जाती थी
ReplyDeletekailash prasad yadav
ReplyDeletem.s soojipurva Gangeo rewa m.p
मेरे विचार
सबसे पहले एक सुहावने मौसम का । चित्र दिमाग में आता है ' वो पहली बारिश मे भीगना घर की टीन की छ्त से टपटप पानी टपकना पानी के नीचे बरतन रखना फिर कितना पानी जमा हुआ है देखना
बचपन में बारिश का आनंद और मजा ही कुछ और था! बारिश होते ही बारिश में भीगने के लिए बाहर चले जाते थे और निमाड़ी गाना गाते थे ! " पानी बाबा आरे काकडी भुट्टे लारे " और खूब गोल गोल घूमते थे ! माताजी डाटती थी की सर्दी हो जाएगी बुखार आ जाएगा ! और हम नासमझ होने के कारण सुनते नहीं थे! और बारिश थमने के बाद पांव के ऊपर गीली मिट्टी बहुत सारी डाल कर कुकड़ु कु या घोंसला बनाते थे ! पानी में पत्थर फेंकते थे, पांव से पानी उछालते थे, वास्तव में बारिश के पानी में भीगने में बहुत मजा आता था ! धन्यवाद शासकीय माध्यमिक विद्यालय रूपाबेड़ी !
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ReplyDeleteI am Ghasiram bisen ms khamghat lalburra district Balaghat Madhya pradesh बारिश के मौसम ak अलग ही मजा आता है kbhi भीग जाते है तो सर्दी jukam हो जाती है ये मौसम सावधानी बरतने का होता है बिजली गिरने का mn me भय रहता है चारों तरफ हरियाली होती है इस मौसम में कुछ गर्म चीज खाने का मन होता है अतिवृष्टी से नुकसान होता है बहुत परेशानियां बढ़ जाती है मेरे विचार से बारिश का मौसम बहुत ही अच्छा लगता है
ReplyDeleteवारिश के मोसम में मिट्टी की सोंधी-सोंधी खूशबू मेंढक की टर्र-टर्र की आवाज ,पानी में नाव चलाना,एवं रिमझिम -वारिश मेंभींगना बड़ा आनंद देता हैं ।
ReplyDeleteबारिश का आनंद और बारिश का मजा ही कुछ और था बारिश में खूब भीगते थे गोल गोल घूमते थे और कहते थे पानी बाबा रे काकडी भुट्टे लारे माताजी का डॉटती थी और कहां की थी सर्दी हो जाएगी बुखार आ जाएगा पानी थमने के बाद पांव के ऊपर गिर गई मिट्टी डालकर कुकड़ू कु बनाते थे और पानी में पत्थर फेकते थे कभी छोटे गड्ढे के पानी में खूब कूदते थे ! और कभी पानी में कागज की नाव चलाते थे ! वास्तव में बारिश का आनंद ही कुछ और होता है धन्यवाद
ReplyDeleteनमस्कार साथियो,
ReplyDeleteइस गतिविधि ने मुझे अपने बचपन की यादें तरो-ताजा कर दी, जो भूली-बिसरी यादें बन गई थीं। वो बीती अनमोल यादें जब हम संगी-साथियों के साथ मिलकर बारिश के दिनों का आनन्द उठाते थे। वो पहली बारिश में घर से बाहर गलियों में भीगना, छत से गिरने वाले पानी को दोनों हाथों में भरना और धीरे से चुपचाप नहा लेना, घर मे टपकते पानी के लिए अपने- अपने बर्तन लेकर रखना, वो काली अंधेरी रातो को मेंढकों की टर्र-टर्र, झिंगुर की आवाजें, जुगनुओं का प्रकाश, का कुछ अलग ही आनंद था। घर से बाहर निकलो तो कल -कल करती नदी में फिसलना, नहाना, मित्रों के साथ मिलकर मछलियों को हाथों से और कपड़ों से पकड़ने का प्रयास करना। आते-जाते कभी-कभार तेज बारिश आ जाने पर बाढ़ में फॅस जाना और नदी का पानी कम होने का घंटो इंतजार करना। खेती-किसानी में मदद हेतु जाने पर खेतों की मेंढ़ों किनारे भरे पानी में कूदना-तैरना। खेतों में सिंचाई करते हुए मिट्टी की सौंधी-सौंधी महक मुग्ध हो खा लेना,भले ही बाद में इस हेतु पिटाई हुई हो। आषाढ़ श्रावण मास में वो सामूहिक आल्हा गीत, सावनी गीत, शैला गीत जिन्हें सुनकर सबके पैर अपने आप थिरकने लगते थे, ऐसी न जाने कितनी सुहानी,यादें हैं, जो......
अपने अनुभव....
पूनाराम राजपूत
बारिश होने पर किसान का मन प्रफुल्लित हो जाता है। बारिश होने से जल भी जाता है
ReplyDeleteDharmraj रहांगडाले Nps Bhurkatola मेहंद्वानी डिंडोरी
बचपन में बारिश में स्कूल जाते समय अक्सर भीग जाता करता था क्योंकि तब न छाता था न बरसाती।रात में घर के आसपास पानी से भरे गड्ढो से मेंढ़कों की टर्र टर्र की आवाजें आती थीं।
ReplyDeleteअमर सिंह सोलंकी
शासकीय माध्यमिक विद्यालय द्वारका नगर फंदा पुराना शहर भोपाल मध्यप्रदेश
मुझे बारिश बहुत पसंद है। मै यह गतिविधि बच्चों के साथ ज़रूर करूंगी। बच्चे बहुत ख़ुश होगे।
ReplyDeleteबारिश होने पर मिट्टी की सोंधी खुशबू, की पहिचान,बूदों के गिरने की आवाज, पेड़ो में बैठे पक्षियों के हावभाव,वर्षा गीत का आनंन्द,अचानक बारिश होने से लोग छाया की तरफ कैसे भागते है का दृश्य,साथ ही बाढ़ की स्थिति निर्मित होने पर लोग अपने बचाव के लिए क्या करते है,एक किसान के हाव भाव का प्रदर्शन कर कला के माध्यम से सामाजिक विज्ञान का अध्यापन करा सकते है।
ReplyDeleteबारिश होने पर मिट्टी की सोंधी खुशबू, की पहिचान,बूदों के गिरने की आवाज, पेड़ो में बैठे पक्षियों के हावभाव,वर्षा गीत का आनंन्द,अचानक बारिश होने से लोग छाया की तरफ कैसे भागते है का दृश्य,साथ ही बाढ़ की स्थिति निर्मित होने पर लोग अपने बचाव के लिए क्या करते है,एक किसान के हाव भाव का प्रदर्शन कर कला के माध्यम से सामाजिक विज्ञान का अध्यापन करा सकते है।
ReplyDeleteBarsat ka samay bachpan ki yad aate he has last se Bhar jata hai mitti ki khushbu ki pahchan sath hi badh ki sthiti nirmit hone per log Apne bachav ke liye kya kya Nahin karte Hain
ReplyDeleteBarish ka mousam bahut hi suhawna hota h..pachpan me barish me bhigna, khelna, kagaz ki boat bnakar pani me bahana achha lgta tha..
ReplyDeleteBarish ka mausam aane par bada anand aata h ,bachapan k dino ki Yaad taza ho jati h ,mitti ki vo sodhi khushboo,barish m bheegna ,charo trf hariyali aa jati h .barish ka mausam anek anubhav lata h .
ReplyDeleteSadhna pandey
ReplyDeletePs makronia sagar
Vikas khand sagar mp
Barish ke Mausam Mein Mitti ki wo saundhi Khushboo aur Pani Ki Awaaz aur vah garam garam pakode chai bachpan ki Yad Dila aati Hai
Savan Ka Mahina tha Halki Halki pachiya Hawa chal rahi thi sign ka samay Ho Chala tha Achanak Paschim ke Taraf Kale Aasman per Badal Umra Ne Ghumar Ne Lage pahle to Dhire Dhire FIR jodon Ki Barish Hone Lagi ped per Charo Aur Barish Ka Shor Yahan tak ki Samne Baithe vyakti se batchit karne mein kathinai Bij bich Mein Aasman Se chamakti bijali Kuchi second Mein joron ki Garjana hirday in gardan ko sunkar daal kutta tha FIR jhingurda dhoran Ka Shor Kali ghataen Umar Ghumar kar Barish kar rahi thi Barish se Mitti Se Sondhi Khushboo Man Ko tasalli de rahi thi ya Kya Main To kapde saaf Karke Chhat per faila diye the Sare kapde bhinge Itni Barish Man Ki khoon mein badh ka Drishya ghumne Laga Hona Ho is bar bhi badh Hamen
ReplyDeleteमैं शंकर लाल परधान शासकीय प्राथमिक शाला सुआतला करेली नरसिंहपुर कक्षा (1और 2)मेरे बचपन के अनुभव मैं बारिश का मौसम बड़ा ही सुहावना लगता है आसमान से गिरता पानी और उससे बचने के लिए सागौन के पत्तों का छाता गजब का था
ReplyDeleteBarish Ka Mausam bahut Achcha Suhana Hota Hai
ReplyDeleteबारिश का मौसम बहुत ही सुहाना मौसम होता है क्योकि हम गर्मी के कारण परेशान होते हैं ओर जब बारिश का मौसम आता है तो मानो जैसे पर निकल आए हों और हम आनंदित होजाते हैं। किसान झूमने लगता है। और बचपन का क्या कहना वो दिन जब हम बारिश थमने के बाद बेहेते पानी को रोकने की कोशिश करना मिट्टी की पार बनाना वाह! यह विषय यह एक्टिविटी बच्चों को सिखाने के नजरिए से बहुत ही सुंदर है।
ReplyDeleteमैं रत्नेश कुमार मिश्रा जनशिक्षक जनशिक्षा केंद्र तेवर जबलपुर ग्रामीण जिला जबलपुर म प्र
ReplyDeleteमेरे बचपन में बारिश का मौसम बड़ा कौतुहल भरा होता था। स्कूल में पढ़ते समय तेज बारिश होती थी और जब अर्ध्द अवकाश होता तो गांव की गलियों में भरे पानी में चलते हुए आनंद महसूस होता था। ज्यादा तेज बारिश होने पर 1:30 बजे पूरी छुट्टी हो जाती थी तब घर पहुंचकर बारिश में झूला पर झूलते हुए बारिश का आनंद लिया जाता था। भरे पानी में कागज की नाव बनाकर चलाना। जीवन का वह पल एक अद्भुत आनंदित करने वाला था।
मैं दीप्ति जैन शा. मा. वि .सोनागिर स्टेशन दतिया मे पदस्थ हूँ ..ये मॉड्यूल कला समेकित शिक्षा...बच्चों के लिए बहुत ही लाभदायक सिद्ध होगा ।
ReplyDeleteइस गतिविधि मे बारिश से जुड़े अनुभव साझा करना है । वैसे तो मुझे बारिश का मौसम बहुत पसंद है और बारिश मे भीगना भी ....क्योंकि मैं एक आशावादी और हर माहौल मे ढलने वाली महिला हूँ ...पर कुछ यादें बारिश को लेकर ज्यादा अच्छी नही .....बचपन मे आर्थिक परेशानियों के चलते किराए के मकान मे रहना पड़ा और चूंकि आर्थिक परेशानी रही तो ज्यादा अच्छा घर affort भी नही कर सकते थे .....तो कई बार रात मे नींद से जागकर बगल मे बर्तन रखकर तक सोये है मैं और मेरा परिवार ......कभी कभी तो ये हालत रही कि बैठने ही जगह मुश्किल से बच पाती थी ....but हम लोग तब भी दुखी नही होते थे और मैं ...मैं तो तब भी बर्तन पास मे रखकर गधे घोड़े बेचकर सोती थी ...और जब कभी पानी भर जाता ज्यादा तो माँ के साथ help भी कराती थी ...means कुल मिलाकर मैंने adjust और enjoy दोनों किया परिस्थितियों को ......और ये सब सीख मुझे मेरी माँ से मिली ......wotld best mother🙏🙏👌my mom....
thanks and नमस्कार सभी को
वर्ष शुरू होते ही किसानों के चेहरे खिल उठते हैं मिटटी से खुशबू आने लगती हैं चारो तरफ हरियाली फेल जाती हैं तथा पर्यावरण मन मोहक हो जाता हैं।
ReplyDeleteMain B. P. Singh Teacher M. S. Kharkata singrauli Mujhe barish ka mausam pasand hai. Barish me nahana daurna maja aata hai bachapan me dhan ke khet me kam karna mahua ka rasputka khana etc.
ReplyDeleteLatika jaiswal G.P.S.panjra , chhindwara
ReplyDeleteBachho ko barish se snbndhit activities clapping wali bhut achi lgt h.....
Latika jaiswal G.p.s panjra , chhindwara
ReplyDeleteBarish se smdhit activities cllaping wali bacho ko bhut achi lgti h...
पहली बारिश में सोंधी सोंधी खुशबू महसूस करना जलभराव में नाव चलाना
ReplyDeleteबच्चों को न साफ सफाई एवं संक्रमण से बचने के उपाय बताना
पहली बारिश में सोंधी सोंधी खुशबू महसूस करना जलभराव में नाव चलाना
ReplyDeleteबच्चों को न साफ सफाई एवं संक्रमण से बचने के उपाय बताना
मैं पवनेश साहू (प्राथमिक शिक्षक) शा. उ. मा. विद्यालय बरखेड़ा स्टेशन जिला रायसेन मध्य प्रदेश
ReplyDeleteबरसात शुरू होते ही मौसम सुहाना हो जाता है। बरसात के मौसम में मिट्टी की सोंधी खुशबू बहुत ही अच्छी लगती है। चारों और हरियाली छा जाती है। कागज की नाव बनाना , पानी में भीगने का आनंद, छतरी का हवा में उल्टा हो जाना, गरमा गरम पकोड़े खाना बचपन की याद दिलाता है।
मै पुखराज अग्रवाल पानी बाबा आ जे काकडी भूट्टा् लाजे गीत का आनंद बच्चे बहुत लेते है/
ReplyDeleteबारिश आने वाली हैं बचपन मे देखकर बहुत अच्छा लगता था।ऐसा लगता था पेड़ नहाये हुए बाढ़ से नदियाँ साफ साफ । चारो तरफ हरियाली बड़ा खूबसूरत नज़ारा।
ReplyDeleteबारिश में भीगने का एक अलग मजा
लेकिन उस टाइम घर खपरैल वाला हुआ करता था तेज बारिश से घर में बहुत जगह पानी भर जाता था रात की बारिश में एक डर।स्कूल जाते समय एक छोटी नदी उसमें बाढ़ आ जाती थी घंटो ििइंतजार करते थे बाढ़ का पानी कम हो तो घर आये।
कहते है न बचपन की बारिश में दिल खोल के भीगा करते थे अब तो भीगे हुए ज़माना हो गया।
आनंद खरे प्राथमिक शाला मगदूपुरा
ReplyDeleteबारिश के मौसम में किसानों के चेहरे खिल जाते है बच्चों को खेलने में बहुत मजा आता है। बारिश के कारण ही हमें खाद्य पदार्थों की प्राप्ति होती है बारिश में भीगने में बहुत मजा आता है
द मेमोरी लेन
ReplyDeleteबारिश के मौसम की मधुर स्मृतियों में मां की यादें जुड़ी हुईं हैं। मां का कपड़ों को चूल्हे पर सुखाना तवे पर रखकर सुखाकर देना। डांट ते जाना।
"नुनबरिया" एक पकवान जो उत्तरभारत में हमारे गांव में बनता है ।आटे में प्याज नमक मिर्च डालकर भजिए की तरह बनाकर सबके साथ भरपेट खाना चटनी आचार या जो भी कुछ मिले उसके साथ।मज़े से आम चूसना।
घर से बाहर नाली में नाव बनाकर बहाना।देखे किसकी नाव कितनी दूर तक जाती है।नाव के साथ साथ नाली के किनारे दौड़ना।गिरना, गंदे भीगे कपड़ों के साथ घर आना । पिटना ।नहाना । कांपना।
गपन्नी , चीटीधप सड़क पर,बनाकर खेलना।गीली मिट्टी के, रेत के घरौंदे बनाना । नए पौधे।कलम लगाना ।एक दूसरे की घरों में पेड़ो को देखना ।लगाना ,तोडना , लड़ना,।
मां के साथ पहली बार की बारिश की भीनी भीनी सी खुशबू को याद करना आज भी मन को द्रवित करता है।
सुनीलकुमार बिसेन शा,मा,क,शाला रामपायली,बालाघाट
ReplyDeleteइस प्रतिक्रिया से बचपन के दिन ,,बरसातों के दिन याद आते है,,वर्तमान में भी बरसात के दिनों में मेण्ठको के टर्राने की आवाज ,,हवा का चलना,सरसराहट,,कानो में गूंजती है,,,घर के छतो से पानी की बूंदों का टपकना,,,टपक-टपक की आवाज मन को आनन्दित व आल्हादित करती है,,,व इस गतिविधि के साथ तुलना करने की इक्छा होती है
जब हम छोटे थे तो बारिश मे bhogne me मजा आता था और स्कूल से छुट्टी मिल जाती थी.
ReplyDeleteपर कीचड़ बहुत होती थी इसलिए बारिश बहुत बुरी लगती थी
Barish Ke Mausam Mein Mitti ki Soni Soni Khushboo bahut hi acchi Lagti Hai Barsaat ke Mausam main mendhak ki Awaaz Karte Hain Rimjhim Barish Mein bheegna Bada Anandita Hai Sari Prithvi hariyali ho jati h jise dekh kar man bhut aanandit hota h
ReplyDeleteBarsat ke dino ki poem yad aa jati----wo barish ki cham cham wo pakshiyon ka chahchahana yad aa gaya mujhe Mera bachpan suhana.wo barish me Kagaj ki Nav banana or nav ke piche piche bhage jana.
ReplyDeleteBarsaat Ke Mausam Mein bahut Achcha lagta hai sari Prithvi Mein Hariyali Ho Jaati hain Bada Hi Sundar Drishya lagta hai
ReplyDeleteमैं राहुल खेड़कर प्राथमिक शिक्षक शासकीय प्राथमिक विद्यालय पटेल फल्या घट्या विकासखंड पानसेमल जिला बड़वानी मध्यप्रदेश ।
ReplyDeleteहमारा बचपन गाँव मे गुजरा , जब बारिश का मौसम होता हैं बारिश आने वाली होती हैं तो हमारे दादाजी हमे अंदर बुलाते ओर हम छुपकर बाहर जाने की कोशिश करते हैं , बारिश में भीगने मैं बहुत आनंद आता हैं ।
जब छोटे -छोटे ओले गिरते थे हम उनको उठा-उठाकर खूब खाते थे । बहुत आनंद आता था ।
अब लगता हैं वो दिन वापस कैसे आएंगे ।
Bachpan m barish ke mosam ka maze liye h aaj tak bhool nahi Paa rahe h 3 Rd class me padhta ttha ek chhote se nale kood kar nahane ka Manzar bahut yaad aaya.apni Sanstha ke bachcho Ko dekhta hu mujhe apna bachpan yaad aaya h
ReplyDeleteबारिश हमे बचपन की याद दिलाता है वह बारिश में भीगना पानी में छप-छप- करना नाव चलाना ऐसी कितनी बातें याद आती है।
ReplyDeleteश्रीमती श्रीलेखा तारे शा.सुभाष प्रा.वि.क्र.२रतलाम
मुझे याद है एक दिन मैं जब अपने स्कूल पैदल जा रही थी मेरा स्कूल 3 किमी अंदर था बहुत तेज बारिश हो रही थी मैं पूरी भीग गई थी रास्ते में कहीं भी रुकने की जगह नहीं थी मेरा एक पैर काम नहीं कर रहा था लंगड़ाते हुए ही जैसे तैसे अपने स्कूल पहुँची |
ReplyDeleteWhen it rains the aroma of soil and children's bathing boat refreshes chikdhood memories and recalls childhood experiences
ReplyDeleteRainy season is really a beautiful season at this time the whole environment become fresh , green and beautiful. I remember that in my childhood how i used to enjoy making paper boats and playing with them and how i enjoyed eating fried food like pakoras n all....So...i have wonderful memory of my childhood of rainy season. Govt.MS Guradiyadeda Mandsaur
ReplyDeleteBarsaat Ke Mausam Mein bahut Achcha lagta hai sari Prithvi Mein Hariyali Ho Jaati hain Bada Hi Sundar Drishya lagta hai
ReplyDeleteMei bachpan mei jab chote the to barish mei nahate the or kagaj ke boat banake chalate the purani yade baccho ke sath share karunge Or baccho se puchege unhe kaisa lagta hai jaab barish hote hai barish hme bachpan ke yad dilate hai
ReplyDeleteबारिश होने पर मिट्टी की सोंधी खुशबू, बूंंदो के गिरने की आवाज, पैैड़ो में बैठे पक्षियों का कलरव ,वर्षा गीत का आनन्द,अचानक बारिश से बचने के लिए आश्रय तलाश करतेे भागने का आनन्द।वर्षा शुरू होते ही किसानों के चेहरे खिल उठते हैं। मिटटी से खुशबू आने लगती हैं चारो तरफ हरियाली फेल जाती हैं तथा पर्यावरण मन मोहक हो जाता हैं।
ReplyDeleteबचपन में बारिश हो और हम जैसे बच्चे घर में बैठे रहें, नामुमकिन था. किसी न किसी बहाने बाहर जाना था, बारिश की ठंडी फुहारों का आनन्द लेते हुए न जाने क्या-क्या करना था. हां, पहले से बना कर रक्खे विभिन्न साइज के कागज़ के नाव को बारिश के बहते पानी में चलाना और पानी में छप-छपाक करना सभी बच्चों का पसंदीदा शगल था।
ReplyDeleteराकेश पंथी प्राथमिक शिक्षक खैरोदा बागरोद जिला विदिशा
Sawan Ka Mahina Tha. halki Halki Pachhiya hawa Chal rahi Thi Sham ka samay ho Chala Tha. achanak pachim ke taraf aasman par kale kale badal uramrne ghumarne lage. pahle to dhire dhire fir joroun ki baris hone lagi. pad pad baris ka shor yaha tak ki samne baithe wyakti se bat-chit karne me kathinai. Bich -bich me ashman se chamakti bijali. kuchh hi second me joroun ki garjna. Dil in garjanao ko sunkar dahal uthata tha. Fir jhiguro daduro ka shor barish se mitti se saundhi khushaboo man ko tasalli de rahi thi. itani baris se man ke kone me badh ka bhayawah drishya ghumne laga. Khair in sabhi asankayen chinta ke sath hi barish ka jod thamne laga. Dil ko tasalli huwa. Thank You
ReplyDeleteकला शिक्षा वह पृकिर्या है जो संवेदी भावों को पृकट करती ह है। सीखने की गति मैं कला विभिन्न रूपों से जुड़ने मैं विचार कौशल भाव अहम हैं। कला ही आधार है।
ReplyDeletemai Ajay khare ms padwar majholi Jabalpur हम गांव के बच्चे और बारिश का मौसम हमें तो मानो स्वर्ग मिल जाता था ऊंचे ऊंचे पेड़ से तालाब में कूदना.. बहते पानी में तैराकी करना .मछली पकड़ना. और जाने क्या-क्या और फिर बड़ो से डांट खाना. भजिया मंगोड़े का क्या कहना.. कभी कोई बीमार नहीं होते थे. पर हां गांव में कुछ बच्चे अत्यधिक बीमार हो जाया करते थे मेरे पापा डॉक्टर भी थे इसलिए उन्हें दिखा कर हमें डांटते थे. स्कूल का आलम तो यह रहता था कि आसपास अधिक पानी भर गया तो मास्टर जी आई नहीं पाएंगे तो हम सब की मजा ही मजा हो जाती थी. आज तो बस उन दिनों की यादें. चारों और पक्की सड़कों का क्या कहना फिर भी बारिश तो बारिश है मजा आज भी लेते हैं अपने बच्चों के साथ.......
ReplyDeleteMs no ol kasrawad khargon
ReplyDeleteMedaK la tare tar insects ki
Aavaje night me dar sa hota
Niche Kuchar sky me badal bijli
Ek anjana sa khou f peda Kate
hai muse ma ko bar bar pukar
na hota tha.
Baarish ke mausam me bahut hi achha lagta h sab jagah hariyali ho jati h mitti ki sondhi sondhi khushbu bahut achhi lagti h
ReplyDeleteसावन का महीना था हल्की-हल्की पछिया हवा चल रही थी साईं का समय हो चला था अचानक पश्चिम के तरफ काले बादल उमड़ने उमर ने घूमर ने लगे काले बादल उमड़ने घूमर ने
ReplyDeleteउमर ने घूमर ने लगे पहले तो धीरे-धीरे फिर जोरों की बारिश होने लगी पर पर चारों और बारिश का शोर यहां तक की सामने बैठे व्यक्ति से बातचीत करने में कठिनाई बीच-बीच में आसमान से चमकती बिजली कुछ ही सेकंड में जोरो की गर्जना हृदय इन गर्जना को सुनकर दहल उठता था फिर जिम गौरव दादर ओं का शोर काली घटाएं उमर घूमर कर बारिश कर रही थी बारिश से मिट्टी से सोंधी खुशबू मन को तसल्ली दे रही थी यह क्या मैंने तो कपड़े साफ करके छत पर फैला दिए थे सारे कपड़े भीग गए इतनी बारिश से मन के कोने में बाढ़ का दृश्य घूमने लगा हो ना हो इस बार भी बाढ़ हमेशा पाएगा खैर इन इन आशंकाओं को सोचने के साथ ही बारिश का शोर थमने लगा दिल को तसल्ली हुआ
बारिश का होना बहुत अच्छा लगता है। बारिश में नहाने से मन प्रसन्न हो जाता है। बारिश होने से सभी के चेहरे खिल उठते है मानो सबकी मनोकामना पूर्ण हो गई हो।
ReplyDeleteबारिश का मौसम बचपन से ही मन को प्रफुल्लित कर देता है 😊😊
ReplyDeleteजब बचपन की बात होती है वो भी बरसात की तब बहुत यादे ताजा हो जाती है बचपन में बरसात पूर्व खेती की तैयारी में हम छोटे बच्चे सहयोग करते मूंगफली तोड़ने में लकड़ी की हतौड़ी से जब वारिस आती तब चिड़ियों को छब्ला के नीचे फसाना और उन्हें लाल रंग से रंग कर छोड़ना तितलियों को पकड़ना छत के पाइप के नीचे नहाना बिजली की चमक देखकर कान बंद कर लेना की बादल टड़केगा मां के हाथ की महुआ से बनी डुब्री बेसन के चीले आटे के मीठे चीले बेसन के पकोड़े मूंग दाल की मगोड़ी दही बड़े आदि खाने की यादें ताजा हो जाती है
ReplyDeleteRanjana Raut p.s ghanadhana,chdangaon
ReplyDeleteBarish m Bache ko khelna bhut psnd h
बारिश की मौसम बहुत ही मनभावन लगते हैं बचपन की वह पहली बारिश का मौसम जिसमें पानी में भीगना मिट्टी की नमी में खेलना बहुत ही अच्छा लगता था
ReplyDeleteRita sharma
ReplyDeleteMS Satnoor
Block parsiya
Dist Chhindwara
बारिश जो मन को आन्नाद से भर देती है
मिट्टी की सोंधी खुशबू, की पहचान,बूदों के गिरने की आवाज, पेड़ो में बैठे पक्षियों के स्वर और गरमा गरम पकोङे की याद आ जाती है। बारिश में भीगने में बहुत मजा आता है।
सावन का महीना था हल्की-हल्की पछिया हवा चल रही साईं का समय हो चला था अचानक पश्चिम के तरफ आसमान पर काले काले बादल उमर ने घूमर ने लगे पहले तो धीरे-धीरे फिर जोरों की बारिश होने लगी पढ़-पढ़ का शोर चारों ओर छा गया यहां तक की सामने बैठे व्यक्ति से बातचीत करने में कठिनाई बीच-बीच में आसमान से चमकती बिजली कुछ ही सेकंड में जोरो की गर्जना ह्रदय इन घटनाओं को सुनकर दहल उठता था फिर जिंगरों दादर ओं का शोर काली घटाएं उमर घूमर कर बारिश कर रही थी बारिश से मिट्टी जय सौंधी खुशबू मन को तसल्ली दे रही थी यह क्या मैंने तो कपड़े साफ करके छत पर फैला दिए थे सारे कपड़े भी गए इतनी बारिश से मन के कोने में बाढ़ का भयावह दृश्य तक आने लगा घर इन सभी आशंकाओं चिंताओं सोचने के साथ ही अचानक से बारिश का शोर हमने लगा दिल को तसल्ली हुआ धन्यवाद
ReplyDeleteबचपन के दिनों में जब बारिश का मौसम आता था तो मेरे गांव में किसानों चेहरे खिल जाते थे सभी लोग अपने अपने खेतों में बोवनी करते पहली बारिश में मिट्टी की भीनी भीनी सुगंध बहुत अच्छी लगती है बरसात का मौसम मुझे बहुत भाता है
ReplyDeleteबचपन में जुलाई के शुरुआत में दिन के समय तेज बारिस के बाद हल्की बूंदों में साथियों के भींगना और इन्द्र धनुष के निकलने पर बहुत ही खुश होना व मौजमस्ती करना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteRekha Thakur .chhindwara.Barish keMousam main mitti. ki khushboo sondhin -sondhi acchi lagti hai. Dal meBhaji dali yaad aati hai. Sardi-jukam hone par gurha adarak ki chai milti thi.
ReplyDeleteASHIM KUMAR TIWARI CAC BALSAMUD RAJPUR BARWANI
ReplyDeleteइस मौसम में सभी पेड़ पौधे फिरसे एक बार खिल उठते है और पूरी तरह से बारिश की वजह से हरे भरे हो जाते है। बारिश की वजह से गर्मियों के मौसम में सूखे तालाब और नदियां भी फिर से एक बार बहने लगती है। बारिश के कारण वातावरण में फैली गर्मी के मौसम की गर्मी भी नष्ट हो जाती है। जिससे पूरा वातावरण ठंडा हो जाता है।
in rainy season , i enjoy the environment all around me . it is very cool . in rainy season the farmers get most benefit there farm get water and there crop can grow.
ReplyDeleteबारिश मौसम में सभी पेड़ पौधे फिरसे एक बार खिल उठते है और पूरी तरह से बारिश की वजह से हरे भरे हो जाते है। बारिश की वजह से गर्मियों के मौसम में सूखे तालाब और नदियां भी फिर से एक बार बहने लगती है। बारिश के कारण वातावरण में फैली गर्मी के मौसम की गर्मी भी नष्ट हो जाती है। जिससे पूरा वातावरण ठंडा हो जाता है।
ReplyDeletebarish ka mausam aata tha tab Ham mitti ki tab hamen mitti ki khushbu bahut acchi lagti thi aur hamara khane ka man hota tha per hamesha kha nahin paate the ham aur jab Hum barish mein nahane jaate the tab badalon ki gardan sunkar Ham dar jaate the aur jab barish hoti thi tab hamara pakode chai peene ka man karta tha
ReplyDeletehamen Bachpan mein barish ka mausam bahut achcha lagta tha aur ham barish mein bahut nahate bhi the per jab badal Gairajta the to Ham darkar Ghar ke andar chale jaate the hamen Gili mitti ki sugandh bahut acchi lagti thi
ReplyDeleteमै वह शिक्षक हूँ ,जो विद्यालय को साधना केन्द्र मान हूँ। अपने ज्ञान, सामर्थ्य, ओर मन से क साधक केरुप मे बच्चों को शिक्षा, सुरक्षा एवं स्वस्थ रहने की शिक्षा देता हूँ।ओर एक राष्ट्र के प्रति समर्पित देशभक्त उर्जावान व्यक्तिव्य का निर्माण करने देश का सहयोग करता हूँ।
ReplyDeleteबारिश से मिट्टी की सुगंध आती है पानी की बूंद मोती के समान दिखाई देना बारिश में चाय की याद कागज की नाव बनाना तथा प्रकृति का सौंदर्य ठंडी हवा बादलों का आना जाना होता है बहुत अच्छा लगता है।
ReplyDeleteबारिश का नाम सुनते ही मन उत्साहित होता था कभी बारिश मे नहाना कभी बारिश मे खेलना आदि।
ReplyDeleteबारिश में बिमारियां जैसे-बुखार,सर्दी ज़ुकाम आदि रोग होते थे
.बस सोचते ही अंदर घोर बरसात के गहरे अहसास फुदकने लगे।
ReplyDeleteकई त्यौहार, कई पर्व,कई उत्सव,कई राग-रंग के पल जो अब हैं आंखों से ओझल लेकिन हमने उन्हें जिया है, इसलिए अंतर्मन में मीठे थोड़े खट्टे से समाए हैं, वर्षा के वे दिन बड़े ही नाचते, गाते,फिसलते, लिपटते,उठते फिर गिरते या भीगते ही भागते पर रोके न रुकते ;हाँ ज्यादा करते तो ठुकते तो थे;पर खुशी में वह चटाचट किसी संगीत की ही थाप लगती थी।(by anjana chopra)
बचपन में बारिश के मौसम में भीगना और खेलना अच्छा लगता था।
ReplyDeleteबचपन में बारिश के दिनों में हमको कई प्रकार के अनुभव हुए हैं जैसे- मिट्टी की सौंधी-सौंधी सी महक , चारों और हरियाली , ठंडी-ठंडी हवा ये सब मन को बहुत सुकून देता था, छोटी -छोटी सी कागज़ की नावों को पानी में तैराना आसमान में कभी -कभी इंद्रधनुष का बनना एक अलग ही अहसास देता था, कभी -कभी में बारिश में भीगकर घर आना, झूलें झूलना सभी बहुत अच्छा लगता था
ReplyDeleteI enjoy the rainy season very much.
ReplyDeleteबारिश के मौसम का हमको बचपन में बहुत इंतजार रहता था और हम पहली बारिश में ही भीग कर खेलते और बारिश का खूब आनंद उठाते बचपन के दिन को याद करके हमे आज भी सकून मिलता है बारिश हमे बहुत अच्छी लगती थी।
ReplyDeleteBarish,umas bhari garmi,mitti ki sondhi Mehak,paddi(dhan)ki ropai wah,kya baris hae
ReplyDeleteवर्षा के आगमन के साथ ही प्रकृति हरी भरी हो जाती है। इस बारिश के मौसम में प्रकृति में विभिन्न परिवर्तन होते है। बारिश इस मौसम में नवीन जीव जंतु जैसे मेंढ़क, केचुए आदि देखने को मिलते है। मानव जीवन में भी इस मौसम नई शुरुआत होती है। किसान इस मौसम में नई फसल की तैयारी शुरू करते है। आम जीवन में भी बारिश आने से नवीन परिवर्तन आते है।
ReplyDeletePushpa singh MS bagh farhat afza phanda old city jsk-girls station bhopal
ReplyDeleteBarish ka mousam matlab Har taraf hariyali,mitti ki Khushbu se pata chal jata tha ki kahi barish ho rahi hai.Road par jaha bahut Sara pani ikttha ho jata tha usme aasman ka pratibimb dekhkar lagta tha jaise aakash bhi jamin par aagaya ho.pani me bhigna achha lagta tha.
बचपन में बारिश में भिंगना,जगह - जगह भरे पानी में उछालना, पानी में कागज के नाव बनाकर तैराना ,घर में मस्ती करते गरम गरम पकौड़े खाना बहुत अच्छा लगता था।
ReplyDeleteबारिश के मौसम में धरती हरी भरी हो जाती है जो मन को मोह लेती है
ReplyDeleteमैं मंगलिया ककोडिया इस प्रशिक्षण से अच्छे से सीख रही हूं और बच्चों के लिए भी यह प्रशिक्षण बहुत अच्छा है।
ReplyDeleteबचपन की बहुत सी यादें बारिश से जुड़ी हुई हैं। बारिश आरम्भ होते ही गांव की गलियों में कीचड़ जमा हो जाता था। कहीं पर भी पक्का रोड नहीं था।हमारा स्कूल भी घर से दूर था और कच्चा था।
ReplyDeleteबचपन में पानी में भीगना कागज की नाव चलाना तथा बादल की गर्जना सुनकर डर जाना ।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लगता था बारिश का मौसम ।
बचपन में पानी में भीगना कागज की नाव चलाना तथा बादल की गर्जना सुनकर डर जाना ।
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लगता था बारिश का मौसम ।
बचपन की बहुत सी यादें पानी से जुड़ी हुई है कागज की नाव बनाकर पानी में चलाना बारिश के पानी में भीगना बारिश होते समय चाय के साथ पकोड़े खाना बारिश के मौसम में हर तरफ हरियाली छाई होती है मिट्टी की बहुत ही अच्छी खुशबू आती है मिट्टी की खुशबू से हमें पता चलता है कि कहीं बारिश हो रही है इंद्रधनुष का बनना एक अलग ही एहसास देता था किसान इस मौसम में नई फसलें उगाने की शुरुआत करते हैं। कला शिक्षा वह प्रक्रिया है जो संवेदी भावों को प्रकट करती है। सीखने की गति में कला विभिन्न रूपों से जुड़ने में विचार कौशल भाव अहम है।
ReplyDeleteचंद्रिका कौरव
एमएस स्टेशन गंज
गाडरवारा
जिला-नरसिंहपुर
मध्य प्रदेश
बारिश को लेकर बचपन के अनुभव शायद सभी के लिए मजेदार ही होंगे ,पहली बारिश होने पर मिट्टी से उठने वाली सोंधी खुशबू हो या जमीन में इकट्ठे पानी पर कागज की नाव चलाना बच्चों के लिए सबसे प्रिय मौसम है यह ,मुझे याद है बरसात होने पर जानबूझकर बरसात में भीगना, फिर अपने टीचर से भीग गए कहकर छुट्टी मांगना और टीचर का छुट्टी देना ,उस समय टीचर से छुट्टी पाकर ऐसा अनुभव होता था जैसे किसी बड़ी योजना में सफलता प्राप्त हो गई बारिश अपने साथ कई बीमारियों की संभावना भी साथ लेकर आती है लेकिन बचपन में इन सबसे बेपरवाह हम केवल इसका आनंदी उठाते थे ,लेकिन हां मां और दादी के नुस्खे और परवाह हमें बारिश के मौसम का पूरा आनंद उठाने का भरपूर मौका देते थे
ReplyDeleteJab barish hoti he to mujhe school phuchene me afat ka samna karna padta he school ki rasta chikni mitti ka pure 2k.m. ka he so school jane me dar lagta he
ReplyDeleteगर्मी के बाद जब बरसात होती है तो चारों तरफ खुशी का माहौल समाया हुआ होता है और सड़कें सूनी हो जाती है जिससे आवागमन के साधन संपन्न हो जाते हैं और चारों तरफ मिट्टी की खुशबू आने लगती है और कुछ लोग बरसात के पानी का मजा लेने के लिए घर से बाहर निकलते हैं कुछ अपने घर में बैठकर पानी की बूंदों को निहारते हैं और कुछ अपने खेती का काम करने के लिए हजारों को तैयार करते हैं
ReplyDeleteमुझे अभी भी अपना बचपन याद है जिस समय बरसात के मौसम में पानी जोरो से वाह धीमे धीमे टप टप गुणों के साथ करता था बादल की तेज गर्जना होती थी मन भयभीत हो जाता था पानी गिरने के बाद हम बहते पानी में कागज की नाव बनाकर चलाते थे कितना सुंदर था वह दृश्य जब मन बहुत प्रसन्न हो जाए करता था ताली बजाकर अपने दोस्तों के साथ खुशी जाहिर करते थे।
ReplyDeleteYah moudle bada hi rochak hai apne bachpan yad kara diya barsat me to rimjhim barish me to cycle chalna or bhigna Bahut pasand tha sath me mummy ki dat padti thi
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ReplyDeleteबारिश होने पर मिट्टी की सोंधी खुशबू, बूंंदो के गिरने की आवाज, पैैड़ो में बैठे पक्षियों का कलरव ,वर्षा गीत का आनन्द,अचानक बारिश से बचने के लिए आश्रय तलाश करतेे भागने का आनन्द। बाढ़ की स्थिति में बचाव के लिए किए जाने वाले प्रयास, घरों में बारीश में गर्म भजिए खाने का आनन्द भीग जाने पर पिता की डांट, मॉ का प्यार से सिर का पोंछना, पिता को डॉटने से राेेकना। सर्दी होने पर लोंग, अदरक, तुलसी का काढा मॉ के हाथों से पीना, इस प्रकार बारिश से जुडी अनगिनत यादें मन को प्रसन्न कर देती है।
Bachpan me jab barish Aati thi.to bahut suhani lagti thi. Mitro ke sath Bahut maje karte the. Jab Aata tha sawan ka mahina. Tab bo rimghim pani ki fuware. Bo jhulon ki bahare.man ko Aanndit kar deti thi. Barish par likhane ko to bahut hai.kintu bakat come hai.
ReplyDeleteSawan ke mahua mein gaon Jana jhule jhulna barsat mein bheeg na yah sab bahut sohani bachpan ki yaden Hain
ReplyDeleteबारिश के मौसम में कागज़ की नाव बनाना और बताना कि मेरी नाव सबसे आगे जा रही है।नावचलाना बहुत याद आता है ।
ReplyDeleteमे एम.एस.चाँवड़ी मे पदस्थ हूँ। बात उन दिनों है की जब हमारे गांव मे कच्ची सड़क हुआ करती थी। वारिस मे सब तरफ किचड़ हुआ करता था रास्ते मे तथा घर के नीचे से पानी के झिर निकल जाया करते थे। हम लोग उन झिर के पानी को रोक कर बांध बनाया करतेथे। कुछ शरारती साथी बांध को बार बार फोड़ दिया करते थे । न कपड़ों की चिंता रहती थी और न कोई बीमारी का डर। मेरा बांध खाली है और उसका बांध भरा है इस बात को लेकर खूब लड़ाई हुआ करती थी। इसकी शिकायत हम घर मे करते थे। मेरे पिता जी शिक्षक थे। हम लोगों को समझाते थेकि पहाड़ों के झिर से इसी प्रकार नदियां निकलती है जो आगे जाकर बड़ा रुप ले लेती है और आप लोग जो बांध बांधते हो इसी प्रकार बड़े बड़े बाँध बनाए जाते है जिसका पानी नहरों से खेतों तक पहुंचाया जाता है जिससे फसलों मे सिचाई की जाती है। कभीकभी तुम्हारे बांध की तरह बड़े बांध भी फूट जाया करते है जिससे बड़ी जन धन की हानि हो जाती है।
ReplyDeleteअतः खेल खेल मे हमको बहुत सी जानकारी प्राप्त हो जाती थी। सच मे बचपन बहुत याद आता है और हमारे बड़ों की सीख भी .........
मे एम.एस.चाँवड़ी मे पदस्थ हूँ। बात उन दिनों है की जब हमारे गांव मे कच्ची सड़क हुआ करती थी। वारिस मे सब तरफ किचड़ हुआ करता था रास्ते मे तथा घर के नीचे से पानी के झिर निकल जाया करते थे। हम लोग उन झिर के पानी को रोक कर बांध बनाया करतेथे। कुछ शरारती साथी बांध को बार बार फोड़ दिया करते थे । न कपड़ों की चिंता रहती थी और न कोई बीमारी का डर। मेरा बांध खाली है और उसका बांध भरा है इस बात को लेकर खूब लड़ाई हुआ करती थी। इसकी शिकायत हम घर मे करते थे। मेरे पिता जी शिक्षक थे। हम लोगों को समझाते थेकि पहाड़ों के झिर से इसी प्रकार नदियां निकलती है जो आगे जाकर बड़ा रुप ले लेती है और आप लोग जो बांध बांधते हो इसी प्रकार बड़े बड़े बाँध बनाए जाते है जिसका पानी नहरों से खेतों तक पहुंचाया जाता है जिससे फसलों मे सिचाई की जाती है। कभीकभी तुम्हारे बांध की तरह बड़े बांध भी फूट जाया करते है जिससे बड़ी जन धन की हानि हो जाती है।
ReplyDeleteअतः खेल खेल मे हमको बहुत सी जानकारी प्राप्त हो जाती थी। सच मे बचपन बहुत याद आता है और हमारे बड़ों की सीख भी .........
Barish ka mausam yani bahar jane se pahle sochna.kabhi kabhi gadhon ka andaaz lagnana mushkil hota h kabhi khud gir jana kabhi dushron Ko girte dekhna anand ki anubhuti deta hai.prakriti nahaai hui si lagti hai.
ReplyDeletePankaj Kumar Patel,gms-suddi.बारिश का मौसम मुझे बहुत अच्छा लगता है।बचपन में हम बारिश के मौसम में भीगते थे,खेलते थे, कागज की नाव बना कर पानी में बहाया करते थे।
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