मॉड्यूल 2 - गतिविधि 2 : व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को समझना

हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की क्या भूमिका है? क्या यह अधिगम में सहायक हैं? शिक्षक व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों को बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं?

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Comments

  1. यह मॉड्यूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति, उसकी रूपरेखा, पाठ्यचर्या व इनके प्रकार और शिक्षा-शास्त्र की एक अच्छी समझ विकसित करने पर केन्द्रित है जिससे विभिन्न असाधारण परिस्थितियों, जिनमें COVID-19 भी सम्मिलित है, में विविधता को स्वीकार किया जा सके और समावेशी कक्षाओं का निर्माण किया जा सके।

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    1. में राकेश कुमार kummariya शा.मा. वि.tundil व्यतिगत और सामाजिक गुणों को समझना व्यक्ति के लिए बहुत ही महत्व पूर्ण होता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति में अलग अलग भावनाएं जैसे गुस्सा,प्यार, ईर्ष्या,उदासी ,रोष,आदि होती है लेकिन इनका समाज और शिक्षा जगत में अपना ही अलग महत्व होता है।शिक्षक में सभी गुण होना चाहिए ।जब किसी छात्र द्वारा कोई अच्छा कार्य किया जाए तो शाबाशी देना चाहिए।जब कोई छात्र काम ठीक से नहीं कर पाता तो उसे क्रोधित नहीं होना चाहिए उसमे धैर्य होना चाहिए।शिक्षक को भी सामाजिक होना चाहिए जिससे छात्र अपनी बात बिना डरे कह सके

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    2. हमारे दैनिक जीवन में स्कूल मे बच्चों व सहकर्मियों के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनानें में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं |

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    3. Hamare dainik Jivan Me vyatikgat samajik guno ki bhoomika mahtvpoorna hai. Pratidin teacher student ke jivan Me sahas, dhirya, samvedansilata, upkar, dukh, sukh, aadi gatividhiyan chalati rahati hai .aachhe guno Vale shikshak aapane baccho Me enhi guno ko poshan karata hai. Is karan shikshak ki bhoomika mahatvpoorna hai

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    4. Barf ka Matlab Pani ka ek kathore thanda swaroop h denik jivan me Kai bar iska upyog hota h

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    5. हम सभी शिक्षक छात्रों के साथ मित्रता पूर्वक व्यवहार करते हैं जिससे कक्षा में छात्र भयमुक्त होकर अपना अध्यापन का कार्य करते हैं

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    6. सरयू प्रसाद विश्वकर्मा
      कोरोना काल में मैं बच्चों के घर घर जाकर रेडियो,डिजीलेप एवं पाठ्य पुस्तकों से शिक्षण कार्य जारी रखा तथा गांव एवं S.M.C.के सदस्यों के सहयोग से भी शिक्षण कार्य कराया जा रहा है इससे बच्चों को लाभ प्राप्त हो रहा है ।

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    7. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की भूमिका,
      ज्योति सियुनिया,
      कोरोना काल में मैंने बच्चों को घर-घर जाकर अध्यापन कार्य तथा रेडियो,डिजिलेप, पाठ्य पुस्तकों द्वारा शिक्षण कार्य कराया |
      पालकों तथा एस.एम.सी. के सदस्यों से सहयोग लिया, इससे बच्चों को लाभ प्राप्त हो रहा है |

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    8. Hum sikshak hmari padhsala main alag alag vyavhar ke bachhe rehte hain sabhi ke sath madhma vaani bolna chahiye jisse khusiyon ka mahol bna rhe baccho main ruchi jaagrat krna jisse padhsala ka mahol acha bnana.

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    9. हम विद्यालय मे अपने विचार व्वहार ,कार्य शैली ,सामाजिक परिवेश ,शासनके नियमानुसार कार्य करते है। अब शिक्षा सिर्फ नौकरी के लिए है। आदर्श एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा जिससे विद्यार्थियों को अपने जिवनोपयोगी एवं समाजिक परिवेशों के अनुरूप ,
      नयी शिक्षा नीति लागू कि जा रही है।

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  2. Hamare jiwan me vyaktigat or samajik guno ki aham bhoomika hai. Jisse class me marg darshan pradan krne ke liye aavashyak guno or kaushalo ko viksit krne me madad krta hai.

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  3. Humari pratidin kii dincharya me vayktigat samajik guno ki mahatvpoorna bhoomika hai.
    Haan ye adhigam me sahayak hai.
    Haan shikhsak samaaj me margdarshak ki bhoomika nibhakar samaaj me ek positive parivartan laa sakta hai.

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  4. अपने क्रियाकलापों से बोलचाल अपने व्यवहार से अपने-अपने पढ़ने के तरीके से अपने होने से शिक्षक सामाजिक एवं व्यक्तिगत विकास बच्चों का कर सकता है शिक्षक का व्यवहार शिक्षक का ज्ञान शिक्षक का अपने प्रति तथा बच्चों के प्रति दृष्टिकोण भी सामाजिक एवं व्यक्तिगत विकास को प्रभावित करता है

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  5. दैनिक दिनचर्या मे व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इससे हमारे व्यक्तित्व की पहचान होती है, व्यक्तिगत और सामाजिक गुण adhigam मे सहायक होते है छात्र और शिक्षक का सम्बंध मधुर होने से adhigam सरल हो सकता है, निश्चित ही शिक्षक व्यक्तिगत और सामाजिक गुण के विकास मे महती भूमिका निभा सकते है

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  6. एक प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएं होती हैं जो दूसरे व्यक्ति में नहीं होती इन्हीं गुणों एवं विशेषताओं के कारण प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से भिन्न होता है इन गुणों का समूचा ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है व्यक्तित्व एक स्थिर अवस्था ना होकर एक गत्यात्मक समझती है जिस पर परिवेश का प्रभाव पड़ता है इसी कारण से उसने बदलाव आ सकता है व्यक्ति के आचार विचार व्यवहार क्रियाएं और गतिविधियों में व्यक्ति का व्यक्तित्व झलकता है व्यक्ति का समस्त व्यवहार उसके बाद आवरण या परिवेश में समायोजन करने के लिए होता है अर्थात हम जैसे शिक्षक बच्चों के समग्र विकास के लिए तत्पर रहते हैं उन्हें संवेदनशीलता जागरूकता भावनात्मक था तथा सहृदयता की भावना से उद्वेलित करते हैं जिससे बच्चे अपने गुरु और अभिभावक एवं माता पिता के द्वारा सीख लेते हैं। संपूर्ण रूप से ऐसे वातावरण में बच्चे अपने गुणों से शिष्य और गुरु की परंपरा का निर्वहन करते हैं

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    1. Kisi bhi shiksha ka aadhar bachhon ka sarvangin vikas hi hai

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  7. दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणो की महत्ता सर्व विदित है ।इसके अभाव मे आपसी समझ ,व्यवहार निर्वहन मे भी कठिनाई होती है

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  8. दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणो की महत्ता सर्वविदित है इसके अभाव मे आपसी समझ और व्यवहार निर्वहन मे भी कठिनाई होती है

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  9. दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत एवम् सामाजिक गुणों का समावेश होने से पाठ्यचर्या का अधिगम सरल हो जाता है।यह विद्यार्थियों को अनुकरणीय होता है ।

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  10. शिक्षक अपने गुणों के माध्यम से ही बच्चों तक अपनी बात रख पाता है यदि शिक्षक दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का उपयोग करता है तो उसे बच्चों की समझ जानने मैं आसानी होगी।

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  11. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणो के माध्यम से हम दोस्ताना माहौल तैयार कर सकते हैं जो हमारे विद्यायल में भयमुक्त वातावरण तैयार करने में सहायक होता हैं

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  12. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत एवम सामाजिक गुणों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका हैं, हाँ यह अधिगम में सहायक है, शिक्षक इन गुणों को बढ़ाने में बहुत योगदान देते हैं।

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  13. दैनिक दिनचर्या मेव्यक्तिगत एवम् सामाजिक गुणों के आदर्श उदाहरण बच्चों को प्रेरित करते है ,जिससे अधिगम प्रक्रिया सरल सहज ग्राहय हो जाती है

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  14. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को चार भागों में विभक्त किया गया है पहला भाग समझ विकसित करने के लिए माइनस पहला हिस्सा परिप्रेक्ष्य लेने के बारे में समझना दूसरा हिस्सा व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को समझना तीसरा हिस्सा स्कूल में अवसर जहां व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की पोषण किया जा सकता है चौथा हिस्सा - सीखने सिखाने वालों को समझना दूसरा भाग 5 व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के बारे में है जिसको सीखना है और उन्हें अपने छात्रों में कैसे पोषित किया जाए इस बारे में केंद्रित है तीसरा भाग विभिन्न सूचनाओं के बारे में है जिसके बारे में स्कूल और कक्षा में शारीरिक और भावनात्मक रूप से सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए किसी को भी जागरूक होने में आवश्यक है

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    1. निश्चित रूप से , यही एक अच्छे शिक्षक कि पहचान भी है

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  15. मनोवैज्ञानिक चरित्र को व्यक्तित्व लक्षणों का एक संयोजन कहते हैं जो इसके व्यवहार को निर्धारित करते हैं चरित्र लोग यह नहीं सोचते कि चरित्र उनकी सफलताओं या असफलताओं को कैसे प्रभावित करता है लेकिन चरित्र को बनाने वाले व्यक्तिगत गुणों को देखते हुए यह समझना आसान है कि वह समग्र रूप से व्यक्तित्व को कैसे प्रभावित करते हैं व्यक्ति के चरित्र लक्षण तंत्रिका गतिविधि अनुवांशिकता और शिक्षा के वातावरण के प्रकार के आधार पर विकसित होते हैं वे जीवन भर बनाते हैं कुछ लक्षणों की व्यापकता किसी व्यक्ति की जीवन शैली को निर्धारित करती है दूसरों के प्रति दृष्टिकोण स्वयं के प्रति दृष्टिकोण भौतिक मूल्यों के प्रति दृष्टिकोण काम करने का रवैया अर्थात शैक्षणिका स्तर पर बच्चों से कैसे व्यवहार करना चाहिए गतिविधि के साथ हमको अध्यापन कराएं जिससे हम आप जैसे शिक्षकों से वह प्रभावित हो सके और साथ ही साथ भविष्य में एक अच्छे नागरिक भी बन सके जो स्वयं के व्यक्तित्व और गुणों को देखते हुए देश और कल्याण की भावना बच्चों में विकसित हो सके।ग

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  16. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का शिक्षण कार्य में महत्वपूर्ण योगदान होता है व्यक्ति हर समय समाज में यह बाहरी वातावरण में कुछ न कुछ नया सीखता है और हमारे द्वारा यह सीखे गए बिंदु शिक्षण के दौरान बहुत उपयोगी होते हैं

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  17. व्यक्ति समाज में रहते हुए हर समय सामाजिक तौर पर और व्यक्तिगत तौर पर कुछ न कुछ सीखता है और उन्हें अपने शब्दों में अपने व्यवहार में रूपांतरित करके बेहतर शिक्षण कार्य कर सकता है एक शिक्षक के लिए व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का पूर्णरूपेण विकास होना बहुत आवश्यक है

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  18. जी हाँ बिलकुल सही है कि हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों के विकाश में और अधिगम को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    क्योंकि हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या का असर व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों व अधिगम पर होता हैं , तथा हम जो भी दिनचर्या करते है उसका सीधा प्रभाव हमारे सामाजिक गुणों और अधिगम को प्रभावित करते है।

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  19. हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या मैं व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है शिक्षण को प्रभावित करता है बच्चे शिक्षक को आदर्श मानते हैं इसलिए इन इन गुणों के विकास में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है

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  20. Shikshak chhatron Mein vyaktigat avam Samajik ganon ka Vikas karte hue student Mein adhigam ki prakriya ko sucharu V Saral kar sakte hain aur class ke sath sath Desh Ke Liye bhi Adarsh avum acche Charitra ke Nagrik pradan kar sakte hain

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  21. व्यक्तिगत एवं समाजिक गुणों का शिक्षण कार्य में महत्वपूर्ण योगदान है !

    हमारे क्रियाकलाप को देखकर ही बच्चा सीखता है जिसे हिडेन करिकुलम भी कहा गया है ..अतः ऐसी गतिविधि हों जो बच्चे पर सकारात्मक प्रभाव डालें!!

    प्रीतेश कुमार श्रीवास्तव
    gms surdaha
    सतना

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  22. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका है
    व्यक्तिगत सामाजिक गुण समझ विकसित करने पर केंद्रित है इनसे सामाजिक गुणों के बारे में सीखा जा सकता है विभिन्न प्रकार की सूचनाओं के बारे में जाना जा सकता है
    व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से अधिगम में सहायता प्राप्त होती है, विद्यालय का वातावरण अधिगम प्रक्रिया में भावनाएं जो सकारात्मक और नकारात्मक हो सकती हैं सकारात्मक भावनाएं खुशी और उत्साह से प्रेरणा देती हैं और अधिगम में मदद करती हैं जबकि नकारात्मक भावनाएं जैसे क्रोध उदासी अपराध बोध दोष असुरक्षा प्रेरणा से ध्यान हट आती हैं और अधिगम में बाधा आती है
    शिक्षक व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, शिक्षक शिक्षार्थियों के विश्वास भावनाओं विचार प्रक्रियाओं और व्यवहार में बदलाव की सुविधा प्रदान करते हैं

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  23. बच्चो को बोलने का अवसर देकर,सुनकर समझकर उनमे व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास कर सकते है।

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  24. ऐसे बच्चों में नैतिक शिक्षा का विकास होता है, वह सामाजिक बनता है, और वह एक दूसरे के साथ सहयोगात्मक रवैया अपनाता है।

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  25. Bachhao me vayktigat vikas ke liye shikshak ki aham bhumika nai.

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  26. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास बच्चों को मार्गदर्शन देने तथा कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण है |

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  27. Bachhe sikshak ke kriyakalap ko dekhkar anusharan karte hai atah vyaktigat samajik gunon ka vikas sikhak ke sikshan ko or prabhvi banata hai

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  28. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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  29. हमारे दैनिक जीवन में सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुणों की बहुत भूमिका है क्योंकि हमारा व्यवहार आचरण सब अपने आसपास के परिवेश संस्कृति एवं व्यक्तिगत आचरण पर निर्धारित होता है

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  30. सामाजिक परिवेश की स्थिति का बच्चों पर मानसिक एवं शारीरिक प्रभाव पड़ता है। शिक्षक को बच्चों के मानसिक स्थिति का आंकलन कर उन्हें ज्ञान देना चाहिए ।

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  31. दैनिक कार्यों मै हमारे हमारे सामाजिक गुणो का विकास होता हैं

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  32. समाजिक और व्यक्तिगत गुण हमारे जीवन में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है और शिक्षक बच्चों के सामने निडरता का महौल बनाता है ताकि क्षात्र शिक्षक से डरे नहिं

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  33. हम समाज मे रहते हुए, होने वाले परिवर्तन से प्रभावित होते है

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  34. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास बच्चों को मार्गदर्शन देने तथा कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण है |

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  35. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है हमारा व्यवहार ही हमारे और हमारे बच्चो में सामंजस्य स्थापित करता है।

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  36. व्यक्तिगत व सामाजिक गुण शिक्षा के लिये अनिवार्य है खुशी उत्साह ईमानदारी आदि के गुणों का विकास करना

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  37. हमारे दैनिक जीवन का सामाजिक और व्यक्तिगत व्यवहार हमारे जीवन और हमारे छात्रों के जीवन पर महत्वपूर्ण पर प्रभाव डालता है जिससे हम बच्चों को भयमुक्त वातावरण प्रदान कर सकते हैं

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  38. सामाजिक ओर व्यक्तिगत गुड़ हमारे जीवन मे बहुत महत्व पूर्ण भूमिका निभाते है

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  39. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने व भयमुक्त वातावरण बनाने में सहायक होते है

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  40. Vyaktigat samajik guno ka abhyas pratidin ki dincharya main sammilit hona avshyak hai.

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  41. बच्चों के अध्यापन उनके रहन सहन के तरीको की जानकारी सत्य प्रेम ईमानदारी नियमितता क्रोध सहिष्णुता के भावो की जानकारी व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से होती है।

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  42. विद्यार्थी के जीवन में सामाजिक और व्यक्तिगत संबंधों का बहुत ही महत्व है क्योंकि अगर विद्यार्थी अपनी व्यक्तिगत और सामाजिक विचारों से अवगत नहीं होगा तो वह समाज में अपने व्यवहारिक जीवन में कुछ अलग नहीं कर पाएगा इसलिए व्यक्ति तो सामाजिक संबंध व्यक्ति और शिक्षक के लिए उतना ही जरूरी है जितना एक मछली के लिए जल की आवश्यकता होती है।
    गनपत पन्द्राम शासकीय प्राथमिक शाला डूंगरिया जेएसके बटका खापा हर्रई छिंदवाड़ा_

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  43. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का विकास कक्षा शिक्षण को प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है

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  44. Yes, manav ek samajik prani hei. Balak ko acche bure ki pehchan samaj mea rehkar hi prapt hoti hei. Samaj mea ghatne vali samast ghatnay balak ke neatik avm vyaktigat unnati mea sahayak hoti hei. Shikshak ek acche samaj ka darpan hota hei jisse balak ko margdarshan milta hei, vha swablambi banne ka prayas karta hei.

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  45. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण हमें कुछ सीखने एवम सिखाने का अवसर प्रदान करते हैं

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  46. श्रीमती कमलेश यदुवंशी
    प्रा.शा.गांगापुरा
    प्रत्येक व्यक्ति में कुछ व्यक्तिगत और सामाजिक गुण होते हैं व्यक्तिगत गुण जैसे वहस्वयं के गुण होते हैं कि वह किस तरह अपने आप को प्रदर्शित करता है उसका व्यवहार आचार विचार उसी से उसके व्यक्तिगत गुण दिखाई देते हैं उसी तरह सामाजिक गुण होते हैं जैसे समाज के प्रति क्या कर्तव्य हैं ।समाज में वह अपनेआपको कैसे प्रस्तुत करता है कैसे वह समाज के दायित्वों को पूर्ण करता है यह उसके सामाजिक गुण होते हैं एक शिक्षक के व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों बच्चों के लिए बहुत अहम होते हैं कि वह बच्चों में किस तरह से उन व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास करने में सक्षम हैशिक्षक इस प्रकार की कुछ गतिविधियां कर सकते हैं जिनसे वह अपने विद्यार्थियों में सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास कर सकें।

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    1. Vyaktigat aur samajik gunon se naitikta ke vikas mai sahayak. hai. Udham lal chahiya H.M. m. s.Gindaura 23060306602 m.p.

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  47. pratyek vyakti me vyaktigat evam samajik guno ka hona atyant avashyak hai, iske bina vah ek pashu ks saman hai. kyanki in guno ke dwara hi vah samaj me apne kartavyon ka nirvahan kar sakta hai,

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  48. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का शिक्षण कार्य में महत्वपूर्ण योगदान होता है व्यक्ति हर समय समाज में यह बाहरी वातावरण में कुछ न कुछ नया सीखता है और हमारे द्वारा यह सीखे गए बिंदु शिक्षण के दौरान बहुत उपयोगी होते हैं

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  49. हर शिक्षक को व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों की पहचान होना चाहिए।ताकि वह अपने समाज ,छात्रों और पालको के बीच सही तालमेल बैठा सके।

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  50. Because teacher is important roles for society and students .every student understand roll model our teachers so teachers have more responsibility for society so we have always keep smiling then our students feel very happy because we are teachers.

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  51. मुझे लगता है कि व्यक्ति गत सामाजिक गुडों का बहुत अधिक महत्व है क्योंकि इसी गुड़ के कारण हम समाज और स्कूल में बच्चो के साथ अच्छे से जुड़ पाते हैं।

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  52. व्यक्तिगत ओर सामाजिक गुण अधयापन के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हे इन्ही गुणों के कारण है बच्चों ओर शिक्षको में सही तालमेल बैठ पाता है इन्ही गुणों से ही बच्चा शिक्षक को ओर शिक्षक बच्चा को सही तरीके से समझ सकता है ओर अध्ययन की सही गतिविधियों को करा पाता है

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  53. व्यक्ति गत सामाजिक गुणो़ से हम समाज और स्कूल में बच्चों के साथ अच्छे से जुड़ पाते हैं

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    1. सुरेश चन्द़ शर्मा

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    2. व्यक्ति गत सामाजिक गुणो़ से हम समाज और स्कूल में बच्चों के साथ अच्छे से जुड़ पाते हैं
      सुरेश चन्द़ शर्मा

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  54. शिक्षण की योजना ऐसी होने चाहिये कि व्यक्ति और समाज दोनों के बीच में समन्वय स्थापित किया जा सके। इससे व्यक्ति और समाज दोनों की प्रगति सम्भव है। अत: जहाँ एक ओर बालक को उसके विकास हेतु पूर्ण अवसर प्रदान किये जाने चाहिये वहाँ दूसरी ओर शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात बालक को भी नागरिक के रूप में समाज की उन्नति में यथाशक्ति योगदान देना चाहिये। ऐसी दशा में में जहाँ एक ओर प्रत्येक माता-पिता, गुरुजन तथा राज्य का कर्त्तव्य है कि वे बालकों को सर्वांगीण विकास करने के लिए उन्हें पूर्ण अवसर प्रदान करें वहाँ दूसरी ओर बालकों का भी यह कर्त्तव्य है की वे जब नागरिक जीवन में प्रवेश करें तो वे भी समाज की यथाशक्ति सेवा करें।

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  55. जीवन का हर पहलू व्यक्तिगत व सामाजिक गुणों की एक परीक्षा है। व्यक्ति के अंदर सामाजिक गुणों व व्यक्तिगत गन इतने आवश्यक है कि इनके कारण ही एक व्यक्ति को मनुष्य के तूल समझा जाता है। अतः शिक्षकों के अंदर इन गुणों का होना अनिवार्य है तभी वह छात्रों के अंदर भी सामाजिक व व्यक्तिगत गुणों का विकास कर सकता है।

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  56. व्यक्तिगत ओर सामाजिक गुणों से बच्चो ओर पालको में को समझाने में सुविधा होती है

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  57. Veyaktigat avam samajik gudo ka vikash hone per hi viksit samaj ki kalpna kar sakte hai

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  58. हमारे दैनिक जीवन में स्कूल मे बच्चों व सहकर्मियों के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनानें में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं |हाँ हम शिक्षक बच्चों के साथ मित्रतापूर्वक व्यवहार करके उन्हें भयमुक्त वातावरण देकर,उन्हें बोलने का अवसर दे कर उन्हें सुनकर समझकर उन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास कर सकते हैं|

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  59. मैं श्रीमती सीमा दवे शा.क.मा.वि.नीमच नगर
    हमारे प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की बहुत अहम भूमिका है हाँ यह अधिगम में बहुत सहायक है ।क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति का सीखना सिखाना निरन्तर चलता रहा हैं और यह कहना भी उचित ही प्रतित होगा की यह सर्वागीण विकास मे सहायक है। हमारे द्वारा किसी को समझना समझाना इन्हीं गुणों पर निर्भर करता है। और यह गुण ही व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास में सहायक सिद्ध होता है

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  60. इस मॉड्यूल से कोविद 19 के दौरान किस तरह से हम बच्चो की सहायता कर सकते है विषम परिस्थतियों में बच्चो के साथ जुड़े रहने की शिक्षा मिलती hai

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  61. छात्रों का विद्यालय में सामाजिक विकास होता है। छात्र आपस में एक दूसरे का सहयोग आपसी प्रेम, भाई चारे के साथ साथ विद्यालय में समाज के विकास के लिए भी विचार विमर्श करते हैं। उनमें दया सहानुभूति के साथ साथ सत्य और ईमानदार बनने के गुण भी विकसित होते हैं।

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  62. हमारे दैनिक जीवन में स्कूल मे बच्चों व सहकर्मियों के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनानें में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है

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  63. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों के विकास हेतु हमे छात्रों की भावनाओ को समझना होगा,उनके विचारों को गहराई से लेकर उनकी समझ को परख कर आगे का रास्ता तय करना होता है,उनके विचारों में हमे अपने विचार समावेश करना होता है,ताकि उन्हें उचित रास्ता,और उनके अंदर सही विचार उत्पन्न हो कर ,सही मार्ग दर्शन उन्हें मिल सके और एक जुम्मेवार नागरिक बन सके।विचारों का आदान प्रदान ही सही मार्ग दर्शन का एक सफल रास्ता हो सकता ।

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  64. व्यक्तिगत सामाजिक गुण जैसे क्रोध,खुशी,गम ,दया,प्रेम,ईर्ष्या आदि
    के वावजूद कक्षा में प्रभावी शैक्षणिक वातावरण तैयार करना चिंतन द्वारा ही सम्भव है।

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  65. मानव सामाजिक गुणों के बिना पशु के समान हे शिक्षक होने व् एक सामाजिक प्राणी होने के नाते हममे समाजिक गुणों का होना अत्यंत आवश्यक हें तभी हम अपने छात्रों में व्यक्ति गत व् सामाजिक गुणों का विकास पोषित कर पायेंगे जेसा की हम जानते हे की हर छात्र के परिवेश के अनुसार अपने कुछ पूर्वाग्रह होते हे वो उन्ही पूर्वाग्रह के साथ शाला में प्रवेश करता हें इसी कारण से हमें ज्यादा सुनने का अवसर देना चाहिए ताकि हम उनसे आंतरिक भाव से जुड़ सकें और उनमें व्यक्ति गत सामाजिक गुणों का विकास क्र सकें |

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  66. मैं अनिरुद्ध प्रसाद यादव शासकीय प्राथमिक शाला हरिजन बस्ती मांजन व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों के विकास को बच्चों में विकसित करने के लिए हमें अपने व्यक्तित्व व व्यवहार को बच्चों के बीच चर्चा करना होगा यहां तक की बच्चों के अभिभावकों पालको के बीच बैठक आयोजित करके सभी के सामाजिक व्यक्तित्व को समझना होगा और बच्चों में उसका प्रभाव डालना होगा।

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  67. Vyaktigat samajik gun hona samaj mein ek swasth watavaran ka nirman krta hai

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  68. व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही व्यक्ति के जीवन की दिशा तय करते हैं।व्यक्तिगत सामाजिक गुण ही किसी व्यक्ति के सामाजिक स्थान को त य करते हैं। यदि आपका व्यवहार शिष्टता और सद्भावना पूर्ण है तो लोग आपको एक अच्छा व्यक्ति मानते हैं और आपको सम्मान की दृष्टि से देखते हैं यदि आप में सामाजिक गुणों की कमी है और आपका व्यवहार अभद्र है या अशोभनीय है तो आप सम्मान के पात्र नहीं होते हैं। अतः व्यक्ति में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है

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  69. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों के विकास हेतु हमे छात्रों की भावनाओ को समझना होगा,उनके विचारों को गहराई से लेकर उनकी समझ को परख कर आगे का रास्ता तय करना होता है ।

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  70. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत एवम सामाजिक गुणों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका हैं, हाँ यह अधिगम में सहायक है, शिक्षक इन गुणों को बढ़ाने में बहुत योगदान देते हैं।

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  71. शिक्षक का चरित्र,, रहन सहन, उसका व्यवहार ही समाज को दिशा देता है ,, जिसके सर्वोत्तम साधन छात्र हैं,, जैसा शिक्षक होगा वैसे बच्चे उसके आदर्शों को अपनाएंगे

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  72. Har EK vyakti Mein Apni Apni Samaj Hoti Hai Koi jaldi sakta hai koi let sakta hai

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  73. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है अतः उसमें कुछ सामाजिक गुणों एवं व्यक्तिगत गुणों का होना परम आवश्यक है और शिक्षक शाला रूपी रेल का इंजन होता है अतः उसमें इन गुणों के रहने से सभी बच्चों में भयमुक्त वातावरण का निर्माण होगा ।

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  74. Hamare jeevan me vyaktigat or samajik guno ki aham bhoomika hai. Jisse class me marg darshan pradan krne ke liye aavashyak guno or kaushalo ko viksit krne me madad krta hai.

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  75. Har vyakti me apne apne gun hote he shikshak ki bhumika aham hoti he

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  76. व्यक्तिगत और सामाजिक गुण ही हमारे जीवन के मापदंड है,इन्ही के द्वारा हमारी दिशा, एवं दशा का निर्धारण होता है। हमारे क्रियाकलापो का निर्धारण इन्ही के द्वारा होता है।यदि हम अपने सफल दिशा निर्देशों का पालन छात्र हित मे उनके द्वारा करवा पाते है,उनमें समझ पैदा कर पाते है,तो यह हमारी सफलता के मापदंड होंगे। सामाजिक गुणों का उद्भव हमारा परिवार है साथ मे परिवेश ।
    किन्तु हम अपने व्यक्तिगत गुणों द्वारा छात्रों में नैतिक गुण, परोपकार, सहयोग ,सहकार की भावना ,देशभक्ति जैसे गुणों व भावो का समावेश कर सकते है।

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  77. एक शिक्षक समाज गुरु को बढ़ाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता सचिव समाज के साथ कैसे कार्य करें एवं शिक्षा में विकास किस प्रकार कार्य इसकी प्रमुख भूमिका शिक्षक केदार निभाई जाती है और भारत की नई शिक्षा नीति में इसी को दर्शाया गया है कि से ज्यादातर छात्र का विकास किया जा सके

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  78. हमारे दैनिक जीवन में स्कूल मे बच्चों व सहकर्मियों के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनानें में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं |

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  79. शिक्षक छात्रों में सामाजिक गुणों और मूल्यों का विकास करने में सहायक होते हैं। वह छात्रों के मानसिक और भावनात्मक विकास में सहायक होते हैं

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  80. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का शिक्षा में बहुत योगदान है इनके द्वारा ही शिक्षकों और छात्रों मे सामंजस्य होता है जिससे शिक्षण कार्य मे सफलता मिलती है l

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  81. छात्र के प्रतिदिन की दिनचर्या में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसके द्वारा शिक्षा का एक ऐसा छात्रों को सुझाव देता जो उसके विकास में किस आशा समाज में कैसा जीवन यापन करें साथ ही शिक्षा का अपना विकास अधिकारी महत्वपूर्ण जानकारी शिक्षक के माध्यम से ही छात्र को पहुंचाई जाती

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  82. Mangala Upadhyay samajik aur vaytigat Gino ke dwara hi pahuchana photo hai ki bachho ko kis disha main praytan karne par adhik saflata milegi

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  83. शिक्षक ने व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों के विकाश से वह अपने विद्यार्थियों व अन्य व्यक्तियों के साथ पारस्परिक ताजमेल से अपने आसपास के वातावरण कों खुशनुमा बनाने में सफल रहेगा

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  84. सामाजिक गुण मनुष्य के लिए पहली सीढ़ी है बच्चों में संस्कार समाज और परिवार से प्राप्त होते है,जिनका होना बहुत जरूरी है

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  85. Hamare dainik jeevan me vaiyaktigat samajik gudo ka bahut mahatav kyuki vidhayal me bacchon me sabhi gudo ka vikas Kiya jata hai

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  86. Hamare dainik jeevan me vaiyaktigat samajik gudo ka bahut mahatav kyuki vidhayal me bacchon me sabhi gudo ka vikas Kiya jata hai

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  87. शिक्षक अपने गुणों के माध्यम से ही बच्चों तक अपनी बात रख पाता है यदि शिक्षक दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का उपयोग करता है तो उसे बच्चों की समझ जानने मैं आसानी होगी

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  88. शिक्षक छात्रों में सामाजिक गुणों और मूल्यों का विकास करने में सहायक होते हैं। वह छात्रों के मानसिक और भावनात्मक विकास में सहायक होते हैं

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  89. यशोदा जवादे - चिंतन द्वारा ही एक शिक्षक धेर्य रखते हुवे बच्चों की बातों को समझ सकता है। बच्चों के अच्छे कार्यों को सर्हाना एवं उन्हें शाबाशी देकर प्रोत्साहित करना चाहिये और ग़लत कार्य करने पर उन पर क्रोधित ना होकर उन्हें प्यार से समझाना चाहिये।

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  90. देविका पाठक,कुंडाली कला,परासिया,छिंदवाड़ा
    हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का हमारे शिक्षण कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका है।वह शिक्षक उतना ही सफल होता है ,जिसके समाज के साथ व्यवहार अच्छा होता है,जिसके व्यक्तित्व का प्रभाव छात्रों में अच्छा पड़ता है ,जो छात्रों से पुत्रवत व्यवहार करता है। शिक्षक निर्व्यसनी,कार्यकुशल,समय का पाबंद सामाजिक और अपने विषय में दक्ष हो , छात्रों के साथ घुल मिलकर पढ़ाने वाला हो,तो छात्रों का चहुमुखी विकास होता है

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  91. निधि रघुवंशी
    हमारे जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुडों की बोहोत आवश्यकता होती ह क्योंकि वो हमारी छवि को दर्शाता है समाज के प्रति हमारे कर्तव्य को दर्शाता है । और हम हमारे बच्चों को इन्हीं गुडों से अवगत कराते है ताकि आगे चलकर वह भी समाज में अपनी छवि बना सके।

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  92. मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है,और शिक्षक व छात्र इस समाज की अहम कड़ी है।व्यक्तिगत रूप से शिक्षक में जितने अधिक मात्रा में सामाजिक गुणों का विकास होगा,उतना अधिक छात्रों के लिए उपयोगी होगा।

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  93. बच्चों के सामाजिक एवं व्यक्तिगत गुणों से ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ, सहयोग की भावना का विकास होता हैं ।

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  94. हमारी दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की बहुत भूमिका रहती है क्योंकि हम अपने ही विचारों से बच्चों पालको एवं समाज के लोगों को अच्छी दिशा एवं अच्छा सुझाव दे सकते हैं

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  95. कोविड 19 के दौरान बच्चों को पूर्ण नियमों का पालन करते हुए सुरक्षित रहने का पहला संदेश देते हुए हमारा घर हमारा विद्यालय साप्ताहिक समय सर्णी का पालन करते हुए बच्चों को घर जाकर क्लास के अनुसार समूह बनाकर तथा डिजिल ऐप कार्यक्रम के माध्यम से pdhaya गया
    अब pdhai नहीं रुकेगी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हमारे द्वारा पूर्ण प्रयास किया गया

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  96. में Rajendra kumar rai ps bhadli व्यतिगत और सामाजिक गुणों को समझना व्यक्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति में अलभावनाएं जैसे गुस्सा,प्यार, ईर्ष्या आदि होती है लेकिन इनका शिक्षा जगत में अपना ही महत्व होता है।शिक्षक में सभी गुण होना चाहिए ।जब किसी छात्र द्वारा कोई अच्छा कार्य किया जाए तो शाबाशी देना चाहिए।जब कोई छात्र काम ठीक से नहीं कर पाता तो उसे क्रोधित नहीं होना चाहिए उसमे धैर्य होना चाहिए।जिससे छात्र अपनी बात बिना डरे कह सके

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  97. हमारे जीवन में व्यक्तिगतओर सामाजिक गुणों का होना अति आवश्यक है, छात्र के प्रतिदिन की दिनचर्या में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है इसके द्वारा शिक्षा का एक ऐसा छात्रों को सुझाव देता जो उसके विकास में किस आशा समाज में कैसा जीवन यापन करें साथ ही शिक्षा का अपना विकास अधिकारी महत्वपूर्ण जानकारी शिक्षक के माध्यम से ही छात्र को पहुंचाई जाती है।

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  98. हमारी दिनचर्या व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों पर निर्भर रहती है प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन कुछ न कुछ नया सीखता है और खुद में परिवर्तन लाने का प्रयास भी करता है और हमारे सामाजिक गुणहमें समाज में विशेष बनाते हैं।

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  99. हमारे प्रतिदिन के जीवन मे व्यक्ति गतऔऱ सामाजिक मूल्यो का बहुत महत्व है हमारे ये गुण ही हमे समाज मे एक आदर्श नागरिक बनाते है एक शिक्षक बच्चों के व्यक्ति गत और सामाजिक गुणों को बढाने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है

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  100. शिक्षक और समुदाय दोनों एक साथ व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को बढ़ाने में मदद करते है

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  101. शिक्षक और आसपास का परिवेश बदलाव के लिए उत्तरदायी है।

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  102. मैं सुनीत कुमार पाण्डेय
    दोनो की जिम्मेदारी है।

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  103. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का शिक्षण कार्य में महत्वपूर्ण योगदान होता है व्यक्ति हर समय समाज में यह बाहरी वातावरण में कुछ न कुछ नया सीखता है और हमारे द्वारा यह सीखे गए बिंदु शिक्षण के दौरान बहुत उपयोगी होते हैं

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  104. शाला मे व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का सकारात्मक उपयोग किया जाना चाहिए

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  105. Pratik manushya ki dincharya vyakti ke to Samajik Gudiyon per nirbhar Karti Hai Pratidin Kuchh naya Karta Hai vah Naya sakta hai vah Swayam Mein vah samaj mein Parivartan Gane Ka Har Sambhav Prayas karta hai

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  106. मैं अजय कुमार खरे शासकीय प्राथमिक शाला पड़वार मझौली जबलपुर. शिक्षक होने के नाते हमारा व्यवहार बच्चों को प्रभावित करता है वे अनुसरण करते हैं शिक्षक का व्यवहार उसके छात्रों अभिभावकों के साथ मित्रवत सहयोगी हो विद्यार्थी अपने शिक्षक के साथ खुशी-खुशी ज्ञान अर्जित करें. भ य मुक्त हो ऐसा हमारा प्रयास होना चाहिए

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  107. Vyakitigat aur samajik gun mahtvpurn hote hi kunki chatra ke liye sikhak ek rol modal ki tarah hota hi vah uski har ek gatividhi ko notice karta hi aur bahut had tak apne jevan me utarne ka prayas karta hi ....

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  108. बच्चों के सामाजिक की बुनियादी परिवार से पड़ती है| सामाजिक की इस प्रक्रिया में माता-पिता, परिवार के अन्य सदस्य, रिश्तेदार प्रमुख अभिकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है| तत्पश्चात बाल्यावस्था में आस-पड़ोस, मित्रमंडली एवं विद्यालय की भूमिका भी सामाजिक विकास प्रक्रम में महत्वपूर्ण हो जाती है| जैसे-जैसे बालक परिवार के दायरे से निकलकर बाहरी लोगों से सम्पर्क बनाता है वैसे-वैसे उसकी सामाजिक दुनिया विस्तृत होती जाती है| माता-पिता पर बच्चे की निर्भरता कम होने लगती है तथा उसके स्थान पर परिवार के बाहरी व्यक्तियों से सम्बन्ध बनते जाते हैं| हिथर्स (1957) का मानना है कि घर के बाहर की आरंभिक सामाजिक अनुभव संवेगों की दृष्टि से बालक के लिए प्रायः समस्या उत्पन्न करने वाले होते है

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  109. व्यक्तिगत व सामाजिक गुणों से परिवार,समाज द्वारा में छात्रों, सहकर्मियों से व्यवहार दौरान ससमझ विकसित होकर व्यक्तित्व निखार होता है

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  110. अपने अच्छे विचारों से विधालय में छात्रों के समक्ष समझाना, हमारे हर तरह के कार्य का छात्रों पर प्रभाव होता है.

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  111. शिक्षक हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या मैं व्यक्तिगत - सामाजिक गुणों मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं

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  112. हम सभी शिक्षक छात्रों के साथ मित्रता पूर्वक व्यवहार करते हैं जिससे कक्षा में छात्र भयमुक्त होकर अपना अध्यापन का कार्य करते हैंlछात्रों में सामाजिक , पारिवारिक,व्यक्तिगत गुणों की भावना का होना अतिआवश्यक है।

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    1. mujhe barf ki parikalpna krte hue bachpan yad aata he,jese hi ham barf ko hath me lete he to bhut jyada thanda lgta he,or dekhte hi dekhte hi pighalkar pani ho jata he?

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  113. Sala me Samajik Ayam yakthigaut gurdro ka sakaatamk samavas hona chiyha jesa ki bharf ka naam sunte hi barfille bhardo ki yad aa jati haan

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  114. Namaskar main Mamta Namdev girls PS khannodhi Hamare Jivan mein Hamen vyaktigat aur Samajik chijon ka bahut Tak Gyan Hona chahie jisse ki ham har vyakti ko acche se per Rakh sakte hain Uske vyavhar ko per Rakh sakte hain ki ki uski Soch kya hai aur Hamari Samajik daily karyon mein vyaktigat aur Samajik chijen ko bahut mahatvpurn kar Hota Hai

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  115. शिक्षक में व्यक्तिगत सामाजिक गुण भरपूर होना चाहिये उनके बिना बच्चों के सम्पूर्ण विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती

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  116. यह निष्ठा शिक्षा नीति कि एक अच्छी पहल है

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  117. Nai rashtriya Shiksha niti e 2020 ke dwara bacchon ka sarvangeen Vikas karte hue shasan ke dwara diye Gaye nirdeshan ka palan karte hue gatividhi aadharit learning outcomes sikhane ka pratifal ke dwara bacchon ka sarvangeen Vikas Kiya ja raha hai

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  118. शिक्षक में व्यक्तिगत सामाजिक गुण भरपूर होना चाहिये उनके बिना बच्चों के सम्पूर्ण विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती बच्चों के सामाजिक की बुनियादी परिवार से पड़ती है| सामाजिक की इस प्रक्रिया में माता-पिता, परिवार के अन्य सदस्य, रिश्तेदार प्रमुख अभिकर्ता के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है| तत्पश्चात बाल्यावस्था में आस-पड़ोस, मित्रमंडली एवं विद्यालय की भूमिका भी सामाजिक विकास प्रक्रम में महत्वपूर्ण हो जाती है| जैसे-जैसे बालक परिवार के दायरे से निकलकर बाहरी लोगों से सम्पर्क बनाता है वैसे-वैसे उसकी सामाजिक दुनिया विस्तृत होती जाती है| माता-पिता पर बच्चे की निर्भरता कम होने लगती है तथा उसके स्थान पर परिवार के बाहरी व्यक्तियों से सम्बन्ध बनते जाते हैं|

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  119. बिल्कुल सही शिक्षक व्यक्तिगत समाजिक गुणो को बढाने मे भूमिका निभाते है ! शिक्षक बच्चों के भविष्य के निर्माता होते हैं

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  120. व्यक्ति का विकास सामाजिक वातावरण में ही होता है और बच्चों का सर्वांगीण विकास समाज में ही रहने से होगा

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  121. एक ि‍शिक्षक के व्‍यक्तिगत और सामाजिक गुणो का बहुुुत ज्‍यादा प्रभाव बच्‍चो पर पडता हैं इसलिये एक ि‍शिक्षक को अपने जीवन में सामाजिकता को अधिक महत्‍व ि‍दिया जाना चाहिये

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  122. Hamare vyavhar or samaj ko banane ke liye samajik avm vayktigat guno ki mahatavpurn bhumika hoti hai.

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  123. Shikshak me ye dono gun hoge to wah bachcho ki bhavnao ko achchhe se samajh sakte hai dharya se bina gussa kiye bachcho ko samjha sakte hai bachche bhi shikshak ke vyavhar se sekhege

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  124. Main shrimati Rama khare. Vyakti ka samajik gunon ka dincharya main bahut mahatva hota hai ek shikshak hone ke naate shikshak ka vyavhar sabse adhik Uske vidyarthiyon par prabhav dalta hai yah ati avashyak hai hai ki hamara vyaktigat samajik vyavhar ATI Uttam ho kyunki vidyalay mein main yah adhigam ko bhi prabhavit karta hai ek achcha samajik gun adhigam ko saral aur Uttam banata hai. Bacchon ke vyaktigat samajik gunon ko badhane mein ek shikshk ki mahatvpurn bhumika hoti hai alag alag prakar ke ke vidyarthiyon ko ek acche gunon ka shikshak apni sakaratmak Soch se unhen samaj mein main ek accha nagrik banane ki ki vyavastha Kar leta hai aur yah shikshak ka Param kartavya bhi hai

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  125. me manoj singh baghel GMS Girls Sapahi (1to8)me Corona ke samay bachho ka ek group banaya usme video bheja aur muhalla class chalu ki gai isme unke ghar ke pass bachho ko padhne ke liye ek walintiyar rakha gaya

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  126. me manoj singh baghel GMS Girls Sapahi (1to8)me Corona ke samay bachho ka ek group banaya usme video bheja aur muhalla class chalu ki gai isme unke ghar ke pass bachho ko padhne ke liye ek walintiyar rakha gaya

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  127. hamara Ghar hamara Vidyalay ke antargat bacchon ko mohalla class mein khatta bulakar ke social distancing ka palan karte hue munh mein mans lagakar bacchon ko nai Shiksha niti ke antargat unka sampurn samajik vyaktigat Vikas ka sarvangeen Shiksha Di ja rahi hai

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  128. मैं सुरेश कुमार पटेल माध्यमिक शाला पहरा ब्लॉक राजनगर जिला छतरपुर
    व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का हमारी दिन प्रतिदिन की दिनचर्या में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। ये गुण हमे हमारे सामाजिक परिवेश से सामंजस्य स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक शिक्षक के लिए इन गुणों का अधिगम प्रक्रिया में बहुत योगदान है। शिक्षक छात्रों में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों का समावेश कर उनमे आवश्यक गुणों एवं कौशलों का विकाश करता है। जिससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जागता है और छात्र इन गुणों का उपयोग अपने आने बाले जीबन में एक दूसरे की भलाई के लिए करते हैं।

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  129. हम सभी शिक्षक छात्रों के साथ मित्रता पूर्वक व्यवहार करते हैं जिससे कक्षा में छात्र भयमुक्त होकर अपना अध्यापन का कार्य करते हैं

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  130. Deepika meda students ko school me kai gun prapt hote he,teacher apne sarvsreshth pradarshan kar shikshan dvara students ke vyaktigat or samajik gunoo ka vikas krne me aham bhumika nibhate he thank u

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  131. Main Bhagbai Rohit -byakti ke samajik guno ka dincharya me mahatvpurn sthan hai har byaktu ke pratyek karta me samajik gun dikhte hai.yadi koi shikshak bidhayarthi ko kuch sikhatha hai ya padhata hai tab bhi samajik guno ki bhumika ati mahatwpurn hai samajik gun adigam ke marg ko saral banate hai .

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  132. बहुत अहम भूमिका है अधिगम में सहायक है शिक्षक इसमें भूमिका निभाने हैं

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  133. हमारे दैनिक जीवन में स्कूल मे बच्चों व सहकर्मियों के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनानें में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं |

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  134. हमारे दैनिक जीवन में स्कूल मे बच्चों व सहकर्मियों के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनानें में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं |दैनिक जीवन में व्यक्तिगत सामाजिक गुणो की महत्ता सर्व विदित है ।इसके अभाव मे आपसी समझ ,व्यवहार निर्वहन मे भी कठिनाई होती है

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  135. हमारे दैनिक जीवन में स्कूल मे बच्चों व सहकर्मियों के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनानें में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं |हाँ हम शिक्षक बच्चों के साथ मित्रतापूर्वक व्यवहार करके उन्हें भयमुक्त वातावरण देकर,उन्हें बोलने का अवसर दे कर उन्हें सुनकर समझकर उन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास कर सकते हैं|

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  136. यह मॉड्यूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत हमें कोविड-19 जैसी पांडेमिक बीमारी में भी अपने विद्यालय के बच्चों तक गुणवत्तापूर्ण एवं योग्य शिक्षा पहुंचाने के लिए प्रेरित करती है

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  137. व्यक्तिगत सामाजिकगुणों का बड़ा महत्व इनके द्वारा ही छात्रों से आत्मीय संपर्क स्थापित होता है

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  138. हाँ, हमारे दैनिक जीवन में सामाजिक गुणों का बहुत महत्व है और यह हमारी दैनिक दिनचर्या मे भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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  139. शिक्षक की व्यक्तिगत आचरण व्यवहार का समाज व अपने शैक्षिक कर्तव्यनिष्ठा पर बहुत ही गहरा प्रभाव होता है ।
    समाज का सबसे सम्पर्क, व बच्चों के भाग्य रचेता के रूप मे अभिभावक, पालक सम्मान प्रदान करते है ।
    सामाजिक, सद्धाभावना धार्मिकता का मूल गढ़ है ।
    सकारात्मक व चिन्तनशील समाज को जोडने वाला है शिक्षक ।

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  140. Mai Rajendra pratap singh GPS kolan tola surdaha..ik teacher hone ke nate samajik gundo ke mahtva ko smjhana wa apne bachho ko bhi is bare me smjhana ati awasyak hota h taki wo samaj ke bare me jagruk ho

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  141. हमारे दैनिक जीवन में स्कूल मे बच्चों व सहकर्मियों के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनानें में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं |हाँ हम शिक्षक बच्चों के साथ मित्रतापूर्वक व्यवहार करके उन्हें भयमुक्त वातावरण देकर,उन्हें बोलने का अवसर दे कर उन्हें सुनकर समझकर उन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास कर सकते हैं|

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  142. हमारे दैनिक जीवन में स्कूल मे बच्चों व सहकर्मियों के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनानें में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं |हाँ हम शिक्षक बच्चों के साथ मित्रतापूर्वक व्यवहार करके उन्हें भयमुक्त वातावरण देकर,उन्हें बोलने का अवसर दे कर उन्हें सुनकर समझकर उन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास कर सकते हैं|

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  143. Mai ek shikshika hu , Mera kaam sirf bcho ko pdhana nhi unhe vyaktigat v samajhik guno ki smajh viksit krana bhi h . Hmm unhe kitabo ke alwa smajik Gyan ke vishay me btana bhi h kuki safalta sirf kitabo me nhi balki hmare vyawhar pr bhi nirbhar krti h .Hme unhe shikhana chahiye ki dooshro ki galti ko nazarandaz krte hue aage bdh Jana chahiye . Or aese bht se gun h Jo ki likhne Jaye agr to baate khatm nhi hongii isliye hme bcho ko jitna ho ske utna Gyan dene ka prayash krna chahiye taking aage unki safalta me koi rukawat ka aane paye. Dhnyawad🙏

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  144. Bachho k saath friendship banaya. Social distence ka matalab batay.bachho ki sankoch ki bhawna ko door karne ki prarena de jaye

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  145. दैनिक दिनचर्या में व्यक्तिगत एवम् सामाजिक गुणों का समावेश होने से पाठ्यचर्या सरल हो जाती हैं

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    1. Vyaktigat samajik guno ka hona param aawshak hain.

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  146. Me salma Qureshi block barghat.haan ek sikshak ke liye uska vyakatigat or samajik swabhav bahut mayne rakhta h apne isi svabhav ke Karan ham apni shala me ek bhaymukt va anaddayi vatavaran Bana sakte h or bachche ,hamare isi svabhav se prerit hokar bina dar ke khel khel me sikhsha hasil karenge or hamare school ka vatavaran anandayi ban jayega.

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  147. me bhagbai rohit kahna chahungi ki manushya ke ek samajik prani hone ke nate usme samajik guno ka hona atiaawashyak hai yah adhigam me sahayak hai or bidhayartiyo ko padhate hue hame unhe bolne ka purn awarar dena chaiye

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  148. Vyaktigat avam samjik gun adhigam mein mahatvpurn bhumika nibhate hai. Ek shikshak students mein en guno ko badhane mein aham bhumika nibhate hai. Bachha netikta, emandari, satywadita, anushasan, deshprem jesi bhawnao ko apne vyaktigat guno mein samahit kar k ek achha nagrik banta hai aur achhe samaj ka nirman karta hai. Ye gun shaikshik adhigam mein bhi bahut sahayak hote hai.

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  149. Vyaktitwa me positive attitude, motivational thoughts zaroori hote hai ek shikshak k liye..wahi us k vyaktitwa ki pehchan hai ..adigam m sahayak ..aur samaj me sudhar kar skte hai.

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  150. हम सभी शिक्षक कक्षा में भयमुक्त वातावरण में बच्चों को अध्यापन कार्य कराते समय सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का समावेश होना चाहिए जिससे छात्र भयमुक्त वातावरण में अपना अध्यापन कर सके

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  151. हमारे दैनिक जीवन में स्कूल मे बच्चों व सहकर्मियों के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनानें में व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं |हाँ हम शिक्षक बच्चों के साथ मित्रतापूर्वक व्यवहार करके उन्हें भयमुक्त वातावरण देकर,उन्हें बोलने का अवसर दे कर उन्हें सुनकर समझकर उन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास कर सकते

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  152. शाला में शिक्षक को व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का सकारात्मक उपयोग करना चाहिए व्यक्ति हर समय समाज में वबाहरी वातावरण में रहकर कुछ ना कुछ नया सीखता है शिक्षक द्वारा दिखाए गए बिंदु शिक्षण के दौरान बहुत उपयोगी होते हैं

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  153. Amit Kumar Sharma GMS Dehgaon block-Gohad District-Bhind se,Dainik dincharyaa mn vyakti ke vyaktigat avn samajik gudon ka mahatvapoorna yogdaan rehtà he, school mn baccho avm sahkarmiyo ke saath hmaare aapsi sahyog avm aapsi samjh vikshit krne mn bhiiii vyaktigat avn samaajik gudon ki mahatvapoorna bhumikaa rehti he

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  154. Humhe baccho ko keval kitaabi gyaan nahi dena h hme unhe samaaj , samajik guno se bhi parichit karana h...baccho ke beech ek bhaymukt vatavaran hona ek anivaryta honi chaiye taaki bacche prashan puch kr apni samasyaein suljha sake.... bhaymukat vatavaran avashyak h iska tatparya anushashan heenta se nahi h...

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  155. व्यक्तिगत एवं सामाजिक गुण बच्चों के अधिगम व शिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान कर सकते हैं व शिक्षक व बच्चों के बीच मधुर संबंध बनाते हुए एक शिक्षक बच्चों को सर्वगुण संपन्न बना सकते हैं।

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  156. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का हमारे जीवन पर बहुत असर होता है ।बच्चे इससे बहुत प्रभावी होते है।

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  157. Hmare dainik jeevan ki dincharya me hmare vyaktigat or samajik bhavnao ki bhut adhik bhumika h isi ke karan hm baccho ko sala me adhyan krvate h.baccho me saman roop se vyvhar krte h.

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  158. हमारे वयवहार ही विधाथी और हमारे बिच मित्रता का सबध बनाते हैं जिससे उन्हें भयमुक्त वातावरण मिलता है और वो अपनी हर विचार को हमसे साझा कर सकते हैं

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  159. Chhatro me samajik avm vyakitgat gudo ka vikas karke hi unhe ik adrash nagrik bnaya ja sakta he

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  160. प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से सर्वांगीण विकास होता है शिक्षक में सामाजिक गुण होंगे तो शिक्षक बच्चों में भी सामाजिक गुणों का विकास कर सकेंगे जिससे बच्चों में सर्वांगीण विकास भी होंगे

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  161. शिक्षक अपने गुणों से छात्रों का मार्गदर्शक बनकर उसे एक नई राह दिखाता है।एक सफल शिक्षक ही बच्चों में इन गुणों का विकास कर पाता है ।बच्चों को सुनने के साथ साथ बोलने का भी अवसर दे ताकि सुनकर ,समझकर,बोलकर उनके व्यक्तिगत एवम् सामाजिक गुणों का विकास किया जा सके ।

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  162. निश्चित रूप से हमारा व्यवहार ही हमारा दर्पण होता है दैनिक जीवन मे हमारा व्यक्तिगत और सामाजिक व्यवहार हमारे अपने व्यवहार पर डिपेंड करता है।हमें चाहिए कि हम अपने आस पास के परिवेश तथा बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार करें ,समय और स्थिति के हिसाब से हमे अपने व्यवहार में परिवर्तन भी करना चाहिए।
    भीमसिंह सिसोदिया
    शा.मा.विद्यालय. कालीकिराय

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  163. हम सभी शिक्षक छात्रों के साथ मित्रता पूर्वक व्यवहार करते हैं जिससे कक्षा में छात्र भयमुक्त होकर अपना अध्यापन का कार्य करते हैंशिक्षक अपने गुणों से छात्रों का मार्गदर्शक बनकर उसे एक नई राह दिखाता है।एक सफल शिक्षक ही बच्चों में इन गुणों का विकास कर पाता है ।बच्चों को सुनने के साथ साथ बोलने का भी अवसर दे ताकि सुनकर ,समझकर,बोलकर उनके व्यक्तिगत एवम् सामाजिक गुणों का विकास किया जा सके ।

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  164. Shikshak ki daink dinchrya me mehtavpurn bhumika hoti hai shikshak chhatro ke sahygatmak byabhar jar unke Aachar bichar ko samaghkar apne sarles byabhar se unke byktigat ,samajik Gino ka vikas karne me mahtvpurn bhumika nihal sakte hai

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  165. Baccho ko padhane me vyaktigat samajik gudo ka vikas hota h, baccho ke gyaan ko badhaana wa unki smjh anusaar sahi disha nirdesh dene me baccho aur sikshako ki karyachamta ka vikas hota h

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  166. प्रत्येक व्यक्ति में कुछ व्यक्तिगत और सामाजिक गुण होते हैं व्यक्तिगत गुण जैसे वहस्वयं के गुण होते हैं कि वह किस तरह अपने आप को प्रदर्शित करता है उसका व्यवहार आचार विचार उसी से उसके व्यक्तिगत गुण दिखाई देते हैं उसी तरह सामाजिक गुण होते हैं जैसे समाज के प्रति क्या कर्तव्य हैं ।समाज में वह अपनेआपको कैसे प्रस्तुत करता है कैसे वह समाज के दायित्वों को पूर्ण करता है यह उसके सामाजिक गुण होते हैं एक शिक्षक के व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों बच्चों के लिए बहुत अहम होते हैं कि वह बच्चों में किस तरह से उन व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों का विकास करने में सक्षम हैशिक्षक इस प्रकार की कुछ गतिविधियां कर सकते हैं जिनसे वह अपने विद्यार्थियों में सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों का विकास कर सकें।

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  167. Hamare pratidin ki dincharya mein vyaktigat samajik good ki mahatvpurn bhumika hai yah adhigam mein ati mahatvpurn hai shikshak vyaktigat or samajik gudoko badhane mein mahatvpurn bhumika nibhate Hain shikshak ke dwara hi diye Gaye vicharon se Hi vidyarthiyon ki vyaktigat jivan ka mahatvpurn vikas hota h

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  168. हम सभी शिक्षकों को कक्षा में भयमुक्त वातावरण रखना चाहिए जिससे बच्चे खुलकर बातें कर सके सुन सके और अगर पढ़ने में कुछ समझ में नहीं आया तो वह शिक्षक के पास आकर कुछ पूछ सके अध्यापन कार्य कराते समय सामाजिक और व्यक्तिगत व्यक्तिगत गुणों का समावेश होना चाहिए जिससे छात्र भयमुक्त अध्यापन कार्य कर सके

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  169. हम सभी के जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों जैसे परवाह, देखभाल, संवेदनशीलता, एक दुसरे के प्रति सम्मान,दुसरों की भावनाओं को महत्व देना, स्वीकार्यता,चिंतन आदि अनेक गुणों का गहरा वअमिट प्रभाव होता है। स्वयं के अतिरिक्त हमारे विद्यार्थियों में ईन गुणों को विकसित करने के लिए विद्यालय परिसर एवं संचालित होने वाली गतिविधियाँ महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
    ईन गुणों के विकास से हम एक स्वस्थ दृष्टिकोण के साथ हमारे पेशे व सामाजिक जीवन के मध्य तालमेल साधते हुए सफलतापूर्वक अपने दायित्वों का निर्वहन कर सकते ह़ै।
    सार यह है कि व्यक्तिगत व सामाजिक गुण हम सबके जीवन की दशा वदिशा तय करने मे अहम भूमिका निभाते हैं।
    ईन्ही गुणों के कारण समाज मे हमारी पहचान बनती है।ये हमारे व्यक्तित्व का आईना है।
    शिक्षक और विद्यार्थी के मध्य सेतु का काम करते हैं।

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  170. सभी व्यक्तियों के गुण एक समान नही होतेहै व्यक्तिगत गुणों की हम चर्चा कर तो कुछ व्यक्ति पेंटर, कुछ लेखक होते है एवम हर व्यक्तित्व अलग ही होताहै
    सामाजिक गुणों की चर्चा करें तो सर्वप्रथम तो व्यक्ति सामाजिक प्राणी है वह समाज मे रहकर ही जीता है।कुछ में नेतृत्व कीक्षमता होती है

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  171. Hamare vyaktigat evam samajik gun hamare vyavhar ko nikharte hai inke dwara hum vidhyalay me bachcho ka sarvangin vikas karne me madad kerte hai

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  172. हमारे जीवन में व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों को बहुत महत्व होता है हम शिक्षक हैं वह हमारे लिए इनका महत्व और बढ़ जाता है क्योंकि हमारे पास छोटे-छोटे बच्चों के रूप में कच्ची मिट्टी अर्थात जिनको सांचे में ढालने का कर्तव्य हमारा है और हमारे सामाजिक और व्यक्तिगत गुणों से ही हम उनका एक आकार प्रदान करते हैं ।

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  173. ham shala me chatro k sath snehpurvak vayvahar karte h jisse kaksh me chatro ko aanndmay va prasannchit ho kar apana adhayyapann karya ko karte hai

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  174. smt bharti badole
    व्यक्तिगत और सामाजिक रूप से विद्यार्थियों के परिवेश को समझकर उनकी समस्याओं का निदान कर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना होगा तभी उसका सर्वांगीण विकास संभव है।

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  175. hamari pratidin ki dincharya mein vyakti ke to samajik gaudo ki mahatvpurn bhumika hai aur yah adhigam mein sahayak hote hain shikshak vyaktigat aur samajik gudo ko badhane mein mahatvpurn bhumika ka nirvah karte Hain

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  176. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या मैं व्यक्तिगत-सामाजिक गुणों की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है | बच्चो के परिवेश , उनकी व्यक्तिगत और सामाजिक पृष्ठभूमि को जानकर हमे उनमे सकारात्मक सोच के साथ अध्यापन करें तभी बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है |

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  177. हमारी प्रतिदिन की दिनचर्या में व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की अहम भूमिका है जब हम दूसरों के प्रति सकारात्मक स्वयं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं तो यह हमें अधिक सशक्त बनाता है कक्षा में दृष्टिकोण की क्षमता एक आधार बनती है जब शिक्षक छात्र को समझने और उसकी सहाना करने के लिए बातचीत करते हैं तो वह व्यक्तिगत सामाजिक गुणों का अभ्यास सुविधा प्रदान करते हैं विद्यालय विद्यार्थियों के जीवन के सभी पहलुओं में उनके अधिगम और व्यवहार को प्रभावित करता है इसमें भी दो तरह की भावनाएं होती हैं सकारात्मक व नकारात्मक आदि छात्रों के अधिगम और प्रदर्शन को सुविधाजनक बनाती हैं अपराध बोध की भावनाएं या किसी के द्वारा ना कोई आरोप लगाना आमतौर ध्यान हटाती हैं और अधिगम में बाधा डालती हैं विद्यार्थी जब समूह में काम करते हैं तो उनकी अलग-अलग पृष्ठभूमि या और अनुभव व्यक्तिगत विशेषताओं रुचि और संस्थाओं के साथ अपने व्यक्तिगत और सामाजिक क्षमता विद्यार्थियों के आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति बनने में सहायता करती हैं एक शिक्षक विद्यार्थियों के विश्वास उनकी भावनाओं उनके विचार प्रक्रियाओं और व्यवहार में बदलाव की सुविधा प्रदान कर सकते हैं।

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  178. व्यक्तिगत और सामाजिक गुणों के द्वारा जीवन में सामंजस्य स्थापित कर अपना कौशलों को विकसित करने में सहायता मिलती है

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  179. व्यक्तिगत एंव सामाजिक गोनू में एक शिक्षक आदर्श शिक्षक मिलनसार होना, शैक्षणिक योग्यता मजबूत होंना, प्रेरित करने की क्षमता होंना, अच्छा मार्गदर्शन करनें वाला, अच्छा व्यक्तित्व वाला, उचित व सही सलाह देनें वाला

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  180. H S dighwar हमारे दैनिक जीवन में स्कुल में बच्चों व सहकर्मियो के साथ हमारे व्यवहार और आपसी समझ को बनाने में व्यकितगत एवं सामाजिक गुणों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हम शिक्षक बच्चो के साथ मित्रतापूर्वक व्यवहार करके उन्हें भयमुक्त वातावरण देकर उन्हें बोलने का अवसर दे उन्हें संवेदनशील जागरूकता देकर ।

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  181. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को चार भागों में विभक्त किया गया है पहला भाग समझ विकसित करने के लिए माइनस पहला हिस्सा परिप्रेक्ष्य लेने के बारे में समझना दूसरा हिस्सा व्यक्तिगत सामाजिक गुणों को समझना तीसरा हिस्सा स्कूल में अवसर जहां व्यक्तिगत सामाजिक गुणों की पोषण किया जा सकता है चौथा हिस्सा - सीखने सिखाने वालों को समझना दूसरा भाग 5 व्यक्तिगत सामाजिक गुणों के बारे में है जिसको सीखना है और उन्हें अपने छात्रों में कैसे पोषित किया जाए इस बारे में केंद्रित है तीसरा भाग विभिन्न सूचनाओं के बारे में है जिसके बारे में स्कूल और कक्षा में शारीरिक और भावनात्मक रूप से सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए किसी को भी जागरूक होने में आवश्यक है

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  182. व्यक्तिगत सामाजिक गुणों में शिक्षक एक महत्त्व पूर्ण भूमिका निभाते हैं जिसमें शिक्षक बच्चों को व्यक्तिगत सामाजिक गुणों से परिपूर्ण बनाते हैं

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