माॅड्यूल 1 - गतिविधि 5: द एनिमल स्कूल (जानवरों का विद्यालय) कल्पित कथा पर चिंतन
अपनी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से क्या क्रिया बिंदु निकलते हैं?
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यह मॉड्यूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति, उसकी रूपरेखा, पाठ्यचर्या व इनके प्रकार और शिक्षा-शास्त्र की एक अच्छी समझ विकसित करने पर केन्द्रित है जिससे विभिन्न असाधारण परिस्थितियों, जिनमें COVID-19 भी सम्मिलित है, में विविधता को स्वीकार किया जा सके और समावेशी कक्षाओं का निर्माण किया जा सके।
ReplyDeleteकक्षा 6 से 8 तक के विद्याथियों को गति विधियों का साप्ताहिक कैलेंडर जारी किया जा चुका है । हमारा घर हमारा विद्यालय के रूप में शिक्षा सत्र आरम्भ किया गया है। जिससे बच्चों के सीखने की प्रक्रिया निरन्तर जारी है। आनलाइन भेजिये ।
Deleteक्लास में तरह तरह के विद्यार्थी होते है , प्रत्येक विद्यार्थी में अलग अलग गुण होते हैं, हम अध्यापक का यह कर्तव्य होता ह कि हिम उसके गुण या योग्यता का विकास करें तथा उसे प्रोत्साहित करें, कभी भी किसी कमजोर विद्यार्थी को हीन भावनासे नहीं देखना चाहिए , नहि तों जैसा की हमने कहानी में देखा की विद्यार्थी विद्यालय छोड़ने तक का सोचने लगते हैं, तथा खुद को कमजोर समझने लगते है , विद्यार्थी की जीवन में अध्यापकका बहुत महत्व होता है कि हिम किस तरह से उसे प्रोत्साहित करे।
Deleteतमाम भाषाई और सांस्कृतिक विविधताओं भिन्नताओं के बीच बच्चों को न केवल एक साथ पढ़ाना बल्कि यह भी देखना बहुत महत्वपूर्ण है कि जिस बच्चे में जिस प्रकार की योग्यता है उसका भी समर्थन करते हुए उसे आगे बढ़ाया जाए केवल अपने पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकों को सभी पर एक जैसा थोपना उचित नहीं है कक्षा में अभ्यास कराते समय कई ऐसी परिस्थिति बनती हैं जब कोई ऐसा विषय जो कक्षा के होशियार छात्र से नहीं बनता यह थी भविष्य कम स्तर वाले बच्चे से ज्यादा अच्छे से आता है
DeleteI like the way you teach to the teachers in lock down
Deleteजो विद्यार्थी जिस कार्यक्षेत्र या कला में दक्ष हो उसको प्रोत्साहित कर उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना चाहिए
DeleteBaccho ke sarh madur vyavgarvkrna cahiye priveah maun jodkar padhau ka mahil bnana cahiye jisse bacche ko achhe se samjh aa sake.
DeleteOnline bidhiyo ke prikar ki samjhana
ReplyDeleteमहान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का कहना था कि, 'प्रत्येक व्यक्ति जीनियस है। यदि आप मछली में पेड़ पर चढ़ने की योग्यता देखेंगे तो वह जिंदगी भर स्वयं को मूर्ख समझेगी। ' यानी कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है कि जो गुण बतख में था या, गिलहरी में या ख़रगोश में था, उसकी अनदेखी की गई और उनसे वो कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी, इस तरह असफलता के भय ने उन्हें घेर लिया। अगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल।
ReplyDeleteसभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि बे वज़ह अधिक प्रेशर डाल कर उनकी विशेषता और योग्यता को दबाना चाहिए
ReplyDelete
ReplyDeleteकक्षा में विविधता के रूप में भिन्न शारीरिक एवं मानसिक आयु के बच्चे होते हैं जिनकी योग्यता एवं स्तर अलग-अलग होते हैं । इन बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ हमें अध्यापन कार्य करना चाहिए । प्रत्येक बच्चे में अपना एक कौशल होता है, शिक्षक के रूप में उसके कौशल को विकसित करना चाहिए साथ ही कमजोर छात्र को हीन दृष्टि या भावना से नहीं आंकना चाहिए, अपितु उसके अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करके उसकी प्रतिभा को निकालना चाहिए।
एक साथ मिलकर एक ही परिसर में रहकर सबको अपनी शिक्षा एक साथ पूर्ण करना है और एक साथ अब्बल आना है सब को एक दूसरे के छुपे हुए कौशलों को जानना है और समझना है और एक दूसरे को पारंगत करना है यही तो है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020।
ReplyDeleteसबके साथ मिलकर एक ही परिसर में रहकर शिक्षा प्राप्त करना या पूर्ण करना या पूर्ण करना और एक साथ सभी को अब्बल आना और एक दूसरे के कौशलों को जानना पारंगत होना समझना और जिंदगी जीना यही तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत सिद्धांत है।
ReplyDeleteहम डिजीलाइफ मॉडल नंबर 1 में पूर्व में पड़ चुके हैं साथ ही इस कहानी को बच्चों ने भी पड़ चुका है एक बार की बात है जंगल में एक बार जानवरों ने सोचा कि हम भी एक स्कूल खोलने स्कूल खोलने का निश्चय किया जिसमें उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि जिस प्रकार एक गांव के स्कूल में पूरी सुविधाएं होती हैं ठीक उसी प्रकार हम जानवर वैसे ही सर्व सुविधा युक्त स्कूल खोलेंगे और और सब जानवरों ने मिलकर एक ही स्कूल खोल ही दिया हम इस स्कूल के बारे में हम सब को बताते हैं जानवरों को पता लगेगा तब हम ऐसा हम काम करके दिखाएंगे कि हमारी वह ताली बजाएंगे यह सब सोचकर जानवरों ने अपने दिमाग में आधारशिला रखी पहले दिन इस स्कूल में पानी में तैरने वाली बतख और पेड़ों पर कूदने वाली गिलहरी इसके बाद खरगोश आया जानवरों ने अपने करिकुलम में सभी सब्जेक्ट को पड़ेंगे सभी बच्चे सभी सब्जेक्ट को सीखेंगे तथा अधिगम करेंगे अर्थात अधिगम का मतलब है कूदना इसका मुख्य उद्देश्य था कि इस विद्यालय में सभी लोग आएं बतख मां से तैरना सीखा था खरगोश में उड़ना नहीं आता था प्रैक्टिस करो चलना दौड़ना सीखो बतख बार-बार चलने लगी और टहलने भी लगी बतख के बार बार चलने से उसके पैर फट गए पैर में घाव हो गए हैं तैरने के बाजार बताना उसको नहीं आया ए ग्रेड के बजाय वह बताती डी ग्रेड में आई ।तो बतख छोटी बतख के परिवार ने निर्णय लिया कि इसको हम स्कूल में नहीं भेजेंगे इससे हमारे परिवार में बड़ी हंसी हुई खरगोश को जब करने को कहा तो वह कांपने लगा पिछली बार तो मैं किसी तरह बच गया था जब मुझे पानी में डाला जाए खरगोश पतली गली से निकल गया । जानवरों ने अपने करिकुलम में दौड़ना टायर ना पेड़ पर चढ़ना खुद अपना आदि डाला अर्थात सभी विषय के करिकुलम में शामिल किया गया अर्थात सभी अव्वल आए इसके लिए सभी को चिन्हित किया गया साथ ही स्कूल से भी भाग गया । 3 महीने का रिकॉर्ड कार्ड देखा परिवार ने तो बता कि नानी भी करीबी दोस्त और बहुत से लोग थे उस उस उस के रिपोर्ट कार्ड की देखने के लिए उत्सुकता थी पहली बार रिपोर्ट कार्ड में देखा तो दिन था बत्तख का परिवार बहुत दुखी हुआ छोटी सी आज छोटी सी बता कोई स्कूल में नहीं भेजेंगे इसने तो हमारे परिवार का बहुत निराशाजनक स्पॉट कार्ड लाई है साथ ही मन खराब हुआ पुण्य तुम बहुत प्यारी गिलहरी हो इधर खुदा खुद आकर करने से तुम्हें मार्क से नहीं मिलेंगे नीचे से शाखा पर चढ़ और इस पेड़ से उत्पाद पर चढ़ या एक डाली से दूसरे डाली पर तू दो तभी मार्क मिला उसे भी मार्क नहीं मिला वह भी बहुत निराश ह। माड्यूल से हमें यह सीख मिलती है कि हम जैसे शिक्षक इन जानवरों से सीख लें और बच्चों को आवश्यक करिकुलम का प्रयोग कर बच्चों को विभिन्न गतिविधियां करवाएं साथ ही हम शिक्षकों को दैनिक जीवन में बच्चों से खुश रख सकते हैं साथ ही उनका पोटेंशियल उभारने की पूरी कोशिश या चेष्टा सामने आएंगी जो हम लेकर लक्ष्य लेकर आते हैं उस लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं यही इस कहानी का मूल उद्देश्य था हम खरगोश गिलहरी और बतख से हम भी निराश हैं क्योंकि एक शिक्षक हैं शिक्षक इन तीनों जानवरों को एक बच्चा ही समझ कर आप बार-बार अभ्यास कराइए अर्थात स्टेप बाई स्टेप अध्यापन कराइए बच्चे कैसे नहीं सीखेंगे अर्थात हम जैसे शिक्षक बच्चों को पुनर्वास सब व्यवहार डांट फटकार नहीं होनी चाहिए उन्हें सहृदयता कके साथ बच्चों को स्कूल में तालीम के साथ ही इस में जानवरों की कहानी से सीख हमें भी मिली और बच्चे भी आनंद महसूस किए कहानी को सुनकर।
ReplyDeleteइस कहानी ने हम शिक्षकों को मजबूर कर दिया कि बतख गिलहरी और खरगोश के प्रयास विफल होने यानी हमारी जो पढ़ाने की गतिविधि है और ठीक ढंग से होनी चाहिए जिससे विविध क्रियाकलाप अध्यापन विधियों पर भी ध्यान देना चाहिए साथ ही किस प्रकार अच्छे ढंग से भटकता है रत्ना जानती है और गिलहरी एक डाली से दूसरी डाली पर फूटा जाती है फिर भी यह अपने प्रतियोगिता में सबसे पीछे रहे इसका भाव यह निकलता है कि हमें जो प्रेजेंटेशन अध्यापन पूर्व देना होता है उसको सुचारू रूप से करें और विद्यालय में एक सुनियोजित पाठ योजना तैयार कर बच्चों को पढ़ाया जाए जिससे गिलहरी और फटाक तथा खरगोश जैसी नियत ना हो यही कथा का सार है
ReplyDeleteहिमांशु मिश्र
ReplyDeleteशासकीय माध्यमिक विद्यालय चक गुंधारा ग्वालियर
इस कहानी से हमें यह समझ आया कि विद्यालय में भी भिन्न भिन्न प्रकार के बच्चे होते हैं जिनकी अलग अलग गुण और क्षमतायें होती हैं हमें उन्हें उनके गुणों और क्षमताओं को देखकर समझकर ही शिक्षण कराना चाहिए ऐसा ना करने से बच्चों की खुद की प्रतिभा भी खत्म हो सकती है और वे विद्यालय छोड़ भी सकते हैं जैसा कि कहानी में उल्लेखित किया गया है
कहानी का सीधा सा मतलब है विद्यार्थी को उसकी स्ट्रैंथ से विमुख नहीं करना चाहिए
ReplyDeleteअगर सचिन तेंदलकर को पड़ने के लिए विवश किया गया होता तो आज वो बेस्ट क्रिकेटर नहीं बन पाते
इस लिए पड़ाने के साथ साथ विद्यार्थी की रुचि का भी विशेष ध्यान रखना जरूरी है
Bcho ko Swatantrata ke sath apne vichar rkhne dena chahiye
ReplyDeleteमैं अमृत लाल पाटीदार सीएससी संकुल केंद्र बर वेट तहसील पेटलावद जिला झाबुआ मैं मेरे विद्यालय के एक गांव में कोरोनावायरस हो जाने के कारण पड़ोसी गांव के बच्चे भी डरे हुए थे उनके माता-पिता भी डरे हुए थे फिर मैंने बचाव के तरीकों को बरतने को कहा जैसे मास्क हैंड वॉच 2 गज की दूरी आदि तथा डीजी ले रेडियो आदि के माध्यम से शिक्षक को देखरेख में पढ़ाने हेतु कहा तथा पढ़ाई जारी रखी
ReplyDeleteरामानुज रावत
ReplyDeleteप्राथ. शिक्षक
मेरे विचार:- हमारे विद्यालय में भी अलग-अलग प्रकार की योग्यता क्षमता व गुण वाले बच्चे होते हैं हमें उनकी योग्यता एवं गुण को समझकर ही उनकी मन की स्थिति को समझकर ही शिक्षण कार्य कराना चाहिए ऐसा न करने से उनकी प्रतिभा दब सकती है और उनमें बतख की तरह हीन भावना आ सकती है और वे विद्यालय छोड़ भी सकते हैं ।
मेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके
ReplyDeleteअपने शिक्षको और बच्चो के साथ संपर्क में रहते हुए,उनसे लगातार बात और वाट्सप मैसेज के द्वारा उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास स्वयम और वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और सहयोग से किया
ReplyDeleteविद्यालय में और कक्षा में विभिन्न क्षमताओं वाले बच्चे होते हैं ..अतः उनको ध्यान में रखकर शिक्षण का उद्देश्य और शिक्षण विधा तैयार किए जाने चाहिए
ReplyDeleteमोहन सिंह यादव
ReplyDeleteकक्षा में विविधता के रूप में भिन्न शारीरिक एवं मानसिक आयु के बच्चे होते हैं जिनकी योग्यता एवं सीखने के स्तर अलग-अलग होते हैं । इन बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ हमें अध्यापन कार्य करना चाहिए । प्रत्येक बच्चे में अपना एक कौशल होता है, शिक्षक के रूप में उसके कौशल को विकसित करना चाहिए साथ ही कमजोर छात्र को हीन दृष्टि या भावना से नहीं आंकना चाहिए, अपितु उसके अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करके उसकी प्रतिभा को निकालना चाहिए।विद्यालय में और कक्षा में विभिन्न क्षमताओं वाले बच्चे होते हैं ..अतः उनको ध्यान में रखकर शिक्षण का उद्देश्य और शिक्षण विधा तैयार किए जाने चाहिए
मोहन सिंह यादव
ReplyDeleteकक्षा में विविधता के रूप में भिन्न शारीरिक एवं मानसिक आयु के बच्चे होते हैं जिनकी योग्यता एवं सीखने के स्तर अलग-अलग होते हैं । इन बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ हमें अध्यापन कार्य करना चाहिए । प्रत्येक बच्चे में अपना एक कौशल होता है, शिक्षक के रूप में उसके कौशल को विकसित करना चाहिए साथ ही कमजोर छात्र को हीन दृष्टि या भावना से नहीं आंकना चाहिए, अपितु उसके अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करके उसकी प्रतिभा को निकालना चाहिए।विद्यालय में और कक्षा में विभिन्न क्षमताओं वाले बच्चे होते हैं ..अतः उनको ध्यान में रखकर शिक्षण का उद्देश्य और शिक्षण विधा तैयार किए जाने चाहिए
Govt. Ke direction Anusaar Shikshan Karya kiya
ReplyDeleteजानवरों का विद्यालय कहानी से तात्पर्य है कि छात्रों को उनके गुणों एवंविशेषताओं के आधार पर ही गुणों मे निखार लाया जाए रुचि अनुरुप शिक्षण हो क्योंकि हर व्यक्ति की प्रकृति भिन्न भिन्न होती है।
ReplyDeleteकहानी में विविधता को प्रदर्शित करने के लिए इस तरह की कहानी होना चाहिए जिसमें विविधता को प्रदर्शित किया जा सके जैसे कि कोई कहानी है जिसमें अलग-अलग प्रकार के बच्चे हैं और वह साथ में मिलकर ग्रुप में काम कर रहे हैं लड़के लड़कियां हैं वह एक साथ मिलकर काम कर रहा है कोई किसी समस्या का हल खोज रहे हैं और अलग-अलग प्रकार के हल खोज कर एक बेहतर निष्कर्ष पर पहुंचे जाते हैं।
ReplyDeleteद एनिमल स्कूल काल्पनिक कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विद्यालयो में शिक्षक इस बात का ध्यान अवश्य रखे कि हम जो पढा रहे हैं सभी बच्चे सीख रहे हैं या नहीं । यदि कोई बच्चा किसी एक विषय में कमजोर है तो दूसरे विषय में अव्वल भी हो सकता है। कोई भी बच्चा कमजोर नहीं होता बस सीखने की गति एवं तरीका अलग हो सकता है
ReplyDeletemein varsha jaat madhyamik shikshak khadera belkhader vikaskhand Sagar se kaksha mein vividhta ke roop mein alag alag kshamta wale bacche hote hain unki shamta ko hamen pahchan kr usi Roop mein unka vikas karna hai tabhi unka sarvangin vikas sambhav ho sakta hai
ReplyDeleteहमे प्रत्येक बच्चे की मानसिक स्थित ,रुचि एवं उसकी प्रतिभा का ध्यान रखकर शिक्षण विधियां अपनाना चाहिए
ReplyDeleteआज के समय की कटु सच्चाई
ReplyDeleteMai leeladhar deshmukh EPS CHAKORA ham jante hai ki sabhi bachche ek jaise nahi hote hai toh iske liye hame sabhi bachcho ki capability ke anusar unhe developed karna chahiye.
ReplyDeleteबच्चो की भिन्नता को ध्यान में रखते हुए, सभी को साथ मे पढ़ना, उनकी कमियां गिनवाने की जगह उनकी खूबियों को और तराशने के अवसर प्रदान करना ।
ReplyDeleteClass me har bachhe ki pratibha aur interest alag hote hai , hame har bachhe ki pratibha ko dekhte hue apni teaching me changes krne chahiye
ReplyDeleteलक्स्य निर्धारित होना चाहिए haumara
ReplyDeleteमेरे हिसाब से हर बच्चो की अपनी-अपनी एक विशेषता होती है और समझने की क्षमता भी अलग-अलग होती है।इसलिए हम शिक्षकों को बड़े ही विनम्रतापूर्वक सभी बच्चो को समझाना चाहिए।ना कि उन्हे डाँटकर या चिल्लाकर उनपर दबाव डालना चाहिए ।
ReplyDeleteकक्षा में विविधता के रूप में भिन्न शारीरिक एवं मानसिक आयु के बच्चे होते हैं जिनकी योग्यता एवं स्तर अलग-अलग होते हैं । इन बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ हमें अध्यापन कार्य करना चाहिए । प्रत्येक बच्चे में अपना एक कौशल होता है, शिक्षक के रूप में उसके कौशल को विकसित करना चाहिए साथ ही कमजोर छात्र को हीन दृष्टि या भावना से नहीं आंकना चाहिए, अपितु उसके अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करके उसकी प्रतिभा को निकालना चाहिए।
ReplyDeleteइस कहानी व्दारा यह समझ विकसित हुई की जिन बच्चो की रुचि जिस क्षेत्र मे है हम उसे शिक्षा देने के साथ साथ उसी क्षेत्र मे प्रेरित,करे
ReplyDeleteहमे सभी बच्चो की मानसिक स्थिति ओर रुचि के अनुसार ही उन्हें अध्यापन कार्य कराया जाना चाहिए परिवार को भी बच्चों को मानसिक दबाव नहीं देना चाहिए
ReplyDeleteलक्ष्य का निर्धारण कर बच्चों की रुचि के अनुसार कार्य कराना एवं शाला त्यागी होने से बचाना
ReplyDeleteBachchon ki vibhinn mansik bauddhik avm sharirik visheshtao k aadhar par unhe padhana chahiye
ReplyDeleteराकेश पंथी प्राथमिक शिक्षक खैरोदा बागरोद
ReplyDeleteमेरे द्वारा बच्चों को दालान से लेकर नीम के वृक्ष के नीचे बड़ी ही निष्ठा के साथ बच्चों को पढ़ाया गया कोरोनावायरस से बचाव के लिए जानकारी दी गई। लॉक डाउन में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर घर घर जाकर एवं मोबाइल के माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी गई।
कोरोना वायरस के दौरान मोबाइल कॉल से बच्चों से संपर्क किया उनकी समस्याओं का समाधान वीडियो भेज कर भी किया जिन बच्चों के पास स्मार्टफोन मोबाइल नहीं थे उनसे ग्रह संपर्क भी किया मास्क लगाया और पर निश्चित दूरी का पालन करके उनकी समस्याओं का समाधान किया पालकों को भी उन्हें निश्चित समय पर पढ़ाई करने बैठ आने का वादा भी लिया
ReplyDeleteहर एक बच्चे की सीखने क्षमता अलग अलग होती हैं हमें भी उनकी क्षमता और रूचि के अनुसार पढाई की विधिया,तरीके अपनाना चाहिए |
ReplyDeleteRadhe Radhe
ReplyDeletePratyek bacchon ki apni visheshta hoti hai. Teacher ke Roop mein unke Kaushal ko viksit karna chahie, Kahani ka sar yah Hai Ki Vidyalay mein bhi Kai Tarah Ke bacche Hote Hain, Unki samajh chhamtaon ko Samajh Kar Hi Hame Shikshan Karya Karana chahie.
Dhanyawad
देविका पाठक कुंडाली कला,परासिया,छिंदवाड़ा
ReplyDeleteकहानी में यह स्पष्ट संदेश है कि हर बच्चे की अभिरुचि अलग अलग होती है।शिक्षक का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने छात्र की अभिरुचियों को खोजें और छात्र की उस अभिरुचि को विक्षित करने मे भरपूर मदद करे।किसी छात्र की रुचि खेल कूद में,ती किसी छात्र की चित्रकारी में,किसी की गणित में तो अन्य विषय में हो सकती है । शिक्षक छात्रों की इन अभिरुचियों को खोजकर छात्र के सम्पूर्ण विकास मे सहायता करे
हर बच्चे की अपनी क्षमता और योग्यता होती है, उसमे कुछ विशेष गुण होते है जो उसे दुसरो से अलग बनाते है। बच्चे में आत्मविश्वास पैदा करते है।
ReplyDeleteGood morning everyone
ReplyDeleteLearning with mobile is the new experience for our department and our students
The animal school ई कहानी से हमे यह प्रेरणा मिलती है कि स्कूल के प्रत्येक कक्षा में अनेक बुद्धि ,गुण, talented, विचार, क्षमता, परिवेश आदि वाले बच्चे होते हैं तो हमे उनके tallent को देखना चाहिए और उनकी सीखने की गति के अनुसार उनको काम देना चाहिए एक axa माहौल बनाना चाहिए ,ताकि उनको सीखने में मन लगे और सभी बच्चों लो साथ मे लेकर चलना चाहिये।
ReplyDeleteहर बच्चे में एक से समझ नहीं होती उसमें अलग-अलग विशेषताएं पाल जाति कुछ का बुद्धि लब्धि अधिक पाए जाते हैं तो कुछ बुद्धि लब्धि कम पाया जाता है इस कारण उसे अपने हिसाब से शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ाया जाना चाहिए
ReplyDeleteकक्षा में भिन्न-भिन्न समस्या से ग्रसित जैसे सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक समस्या से जूझ रहे बच्चे अध्ययन करते हैं हमें उन समस्याओं को समझ कर उनमें छुपी प्रतिभाओं को उजागर कर उन्हें कक्षा के सभी विद्यार्थियों के साथ आगे बढ़ने का समान अवसर उपलब्ध कराना चाहिए एवं उनमें व्याप्त गुणों की प्रशंसा करना चाहिए ।
ReplyDeleteगिरिराज कुमार सिंघल
ReplyDeleteयह मॉड्यूल नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत शिक्षा शास्त्र की एक अच्छी समझ पर आधारित है इस कहानी से कुछ क्रिया बिन्दु निकलकर आते हैं कि एक कक्षा में विभिन्न प्रकार विद्यार्थी होते हैं हर विद्यार्थी की क्षमता अलग अलग होती है जिस प्रकार बतख पेड़ पर नही चढ़ सकती खरगोश उड़ नही सकता उसी प्रकार हर एक विद्यार्थी में कुछ खासियत और कुछ कमजोरी होती हैं शिक्षक को चाहिए कि वो कमजोर विद्यार्थी से किसी प्रकार का द्वेष ना करे और उसके अंदर की छिपी प्रतिभा को निखारने में उसकी मदद करे जिससे विद्यार्थी अपना सर्वांगीण कर देश के उत्थान में अपना योगदान दे सके l
मैं विकास पाठक
ReplyDeleteसभी बच्चों की अपनी बिशेषता होती है
हमे उन बिसेषताओं को पहचानना है किसी एक बच्चे की बिशेषता दूसरे की कमजोरी हो सकती है पर हमें सभी पर एक जैसा ध्यान देना है
माहौल ऐसा भी बना सकते है कि बच्चे आपस मे भी एक दूसरे से सीख सकते है
बस हमे सही मार्गदर्शन करना है
मैं दिलीप कुमार मिश्रा प्राथमिक विद्यालय अमलई जन शिक्षा केन्द्र बसकुटा जनपद शिक्षा केद्र मानपुर जिला-उमरिया मैने कोविड- 19 में बच्चों की पढाई निरन्तर जारी रखने के लिये सबसे पहले बच्चों के ह्वाटशाप ग्रुप बनाकर बच्चों को उन ग्रुप में जोड़ा और जिन बच्चों के पास एण्डाइड मोबाइल नहीं थे,तो मैने 64 जी वी का एक यस डी कार्ड खरीद कर डिजीलेप की आने वाले कन्टेन्ट को अपने मोबाइल में डाउनलोड करके उनकोरोज मोहल्ला कक्षा में उनके घर घर जाकर दिखाया
ReplyDeleteजिससे बच्चों की पढाई रूकी नही और बच्चों की प्रगति निरंतर चलती रही
अलग-अलग बच्चों की क्षमताएं अलग-अलग होती है।उनकी क्षमता ओं को पहचाने और उसके अनुसार क्षमता ओं को विकसित करने में सहीयोग करें।
ReplyDeleteमे बबिता चिनोरिया प्राथमिक शिक्षक,भगतपुरि । वि.ख. खाचरौद जिला उज्जैन. Covd19 की स्थिति में बच्चों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाया उनके पास तक जानकारी पहुचाने का काम किया, मोहल्ला क्लास चल रही हैं बच्चे पढाई कर रहे है।
ReplyDeleteजैसा कि हम सब को विदित है कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है किअगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल हो जाएंगे। इसलिए प्रत्येक विद्यार्थियों को अपनी भिन्न योग्यता को ज्ञात कराने का कार्य शिक्षक को करना चाहिए ताकि वह उसमे पूर्ण रूप से सफल हो सके।
ReplyDelete
ReplyDeleteमेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके
मेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके
ReplyDeleteगौरी शंकर गौतम शासकीय प्राथमिक शाला साली बालाघाट विकासखंड अमरवाड़ा जिला छिंदवाड़ाक्लास में तरह तरह के विद्यार्थी होते है , प्रत्येक विद्यार्थी में अलग अलग गुण होते हैं, हम अध्यापक का यह कर्तव्य होता ह कि हिम उसके गुण या योग्यता का विकास करें तथा उसे प्रोत्साहित करें, कभी भी किसी कमजोर विद्यार्थी को हीन भावनासे नहीं देखना चाहिए , नहि तों जैसा की हमने कहानी में देखा की विद्यार्थी विद्यालय छोड़ने तक का सोचने लगते हैं, तथा खुद को कमजोर समझने लगते है , विद्यार्थी की जीवन में अध्यापकका बहुत महत्व होता है कि हिम किस तरह से उसे प्रोत्साहित करे।
ReplyDeleteजैसा कि हम सब को विदित है कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग अलग होती है। प्रत्येक विद्यार्थियों को अपनी भिन्न योग्यता को ज्ञात कराने का कार्य शिक्षक को करना चाहिए ताकि वह उसमे पूर्ण रूप से सफल हो सके
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे की अलग अलग विशेषता होती है अलग-अलग स्तर होते हैं बच्चों के स्तर को ध्यान में रखकर किसी भी कहानी की व्यवस्था के लिए सरल शब्दों में चर्चा कर कहानी की विविधता को समझाते हैं।
ReplyDeleteराकेश पंथी प्राथमिक शिक्षक खैरोदा बागरोद
जानवरों की क्लास में सभी जानवरों के रहन-सहन आचार-विचार अलग-अलग होते हैं । उनकी परिस्थिति के आधार पर किसी को कुछ अच्छा लगता है किसी को कुछ, इन सभी बातों का अध्ययन कर जो सर्व सामान्य के लिए लागू हो ऐसी बातों को ध्यान मे रखना होगा ।
ReplyDeleteमैं राजकुमार शर्मा सहा.शिक्षक शा.ए.मा.वि.नोहरी कलां।
ReplyDeleteबच्चों को उनकी क्षमता के साथ अन्य क्षमताएं विकसित करने हेतु प्रोत्साहित करें परन्तु उन्हें हताष या निराश न होने दें।
जैसे कहानी में बता तैर सकती पर पेड़ पर नहीं चढ़ सकती परन्तु दौड़ तो सकती है।
और आगे बढ़ सकें।
बच्चों को उनकी विशेषताओं के साथ अन्य क्षमताएं विकसित करने पर दबाव न डालते हुए प्रोत्साहित करें।
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का कहना था कि, 'प्रत्येक व्यक्ति जीनियस है। यदि आप मछली में पेड़ पर चढ़ने की योग्यता देखेंगे तो वह जिंदगी भर स्वयं को मूर्ख समझेगी। ' यानी कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है कि जो गुण बतख में था या, गिलहरी में या ख़रगोश में था, उसकी अनदेखी की गई और उनसे वो कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी, इस तरह असफलता के भय ने उन्हें घेर लिया। अगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल।
ReplyDeleteरामेश्वर श्रीवास्तव कन्या हाथीखाना दतिया
ReplyDeleteसभी वर्गों के बच्चे साथ-साथ पढ़ें और बड़े बच्चे इस कल्पना को साकार करने के लिए मैडम अनुपमा आहूजा द्वारा द एनिमल स्कूल के विषय में एक काल्पनिक और बड़ी रोचक कहानी सुनाई गई ऐसा सुनकर हम सभी शिक्षकों के अंदर एक नई जागृति पैदा हुई जिसमें हमें रोचक तरीके से यह बताया गया है गिलहरी बदक और खरगोश यह सभी जानवर चलना उड़ना और तैरना सीख रहे है अर्थात सभी तरह के बच्चों को सभी तरह की शिक्षा अनिवार्य है यह उनका मौलिक अधिकार है इस कठिन विषय को बहुत ही सरल तरीके से समझाया गया है
मछ्ली से यदी पेड पर चढ़्ने की उम्मीद की जाए तो यह नसमझी हे हर कक्षा मे अलग अलग छमता वाले छात्र होते हे ओर वह उसी क्षेत्र में ग्रो कर सकते है ज़ीसमे वह विशेष योग्यता रखता है इसलिए उने जबरन कोई पाठक्रम नही पधाना चहिए
ReplyDeleteBachcho ki suvidhaon avam unkie parivesh ko dhyan me rakhte huyeranniti banaker shikshan kary karna
ReplyDeleteकक्षा में तरह-तरह के विद्यार्थी होते हैं और हर विद्यार्थी में अलग-अलग गुण होते हैं हमारा कर्तव्य है कि उनके गुणों को निकालना और उनका सर्वांगीण विकास करना
ReplyDeleteI am ghasiram bisen ms khamghat distric Balaghat lalburra hme kisi bachche ko kamjor nhi समझना चाहिए सभी बच्चों साथ में रेड करना है उन्हें अव्वल रहने के लिए प्रेरित करने की कोशिश करते रहे
ReplyDeleteसभी छात्र छात्राओं में अलग-अलग प्रतिभा होती है ,हमें आवश्यकता है उन गुणों को पहचानना चाहिए और उनके उन गुणों को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।
ReplyDeleteपुष्पलता पटेल Gms ग्वालनगर हरदा । प्रत्येक व्यक्ति जन्मजात विभिन्नता के साथ उत्पन्न हुआ है एक ही उम्र के बच्चों में बुद्धि का स्तर अलग अलग होता है अतः उसकी विभिन्न आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर उसे अवधारणाओं को स्पष्ट किया जाए तो वह ज्यादा अच्छी तरह से और जल्दी समझ पाएगा।
ReplyDeleteकोविड 19 में बच्चों को मोबाईल द्वारा एवं घर घर जाकर बच्चों को पढ़ाया ।
ReplyDeleteहम जानते है कि सभी बच्चे एक समान नही होते प्रत्येक में कुछ न कुछ अलग होता है उनके गुणों में भिन्नता होती है जैसे कोई पढ़ने में होसियार है तो कोई खेल कूद में अव्वल कोई दौड़ अच्छी लगता है तो कोई तैराकी में उत्तम है अतः एक शिक्षक को चाहिए कि वह ये प्रयास करे कि जो छात्र जिस विधा में अच्छा है उसे उसी में प्रोत्साहन दे
ReplyDeleteकक्षा में छात्रों की क्षमता के अनुसार पृभावी शिक्षण कार्य करेगे साथ उनके विभिन्न गुणों का विकसित करेंगे.
ReplyDeleteI am gaura devi HS prathmik Khand amha se hu maine covid- 19 ki isthiti mai baccho ka ek what's app group bnaya or unke pass tak digilep video pahuchane ka kam kiya or hmara ghr hmara vidyalay ke madhyam se ghar ghar jakar baccho ko sikhane ka prayash kiya
ReplyDeleteमैं रामनिवास गोर एकता शासकीय कन्या माध्यमिक शाला सिराली हम अध्यापकों का यह कर्तव्य है कि हमारे पास आए हुए सभी प्रकार के कमजोर अच्छे एवं अलग अलग गुणों के बच्चे आते हैं उन सब बच्चों को हमें एक साथ लेकर चलना है कमजोर बच्चों पर अधिक ध्यान देते हुए अच्छे बच्चों को भी साथ में लेकर चलना है कोई बच्चा स्कूल से ना छूटे उसकी पढ़ाई ना छूटे इस प्रकार हमको हर बच्चे के गुणों को ध्यान में रखकर अध्यापन कराना चाहिए विविधता होते हुए भी हमें सभी को साथ में अध्यापन कराना चाहिए
ReplyDeleteये बात अपने आप में सत्य है कि हर बच्चे में कुछ न कुछ नैसर्गिक और अनुवांशिक गुण होते हैं और कुछ गुण कम या ज्यादा मात्रा में परिवार,समाज,मित्रों, शिक्षक आदि के संपर्क तथा अभ्यास, प्रेरणा व समर्पणभाव से पैदा होते है अतः बच्चों के नैसर्गिक गुणों को निखारते हुए..,अन्य गुणों के विकास हेतु दबाव न डालकर प्रेरणा,माहौल व अभ्यास से लाने का प्रयास करना उचित है ताकि वह अन्य गुणों को भी कम या ज्यादा आत्मसात कर सकें।
ReplyDelete... वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का कहना था कि, 'प्रत्येक व्यक्ति जीनियस है। यदि आप मछली में पेड़ पर चढ़ने की योग्यता देखेंगे तो वह जिंदगी भर स्वयं को मूर्ख समझेगी। ' यानी कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग-अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है कि जो गुण बतख में था या, गिलहरी में या ख़रगोश में था, उसकी अनदेखी की गई और उनसे वो कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी, इस तरह असफलता के भय ने उन्हें घेर लिया। अगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल हो जायेगें।
इस अवधि में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में और उसे शिक्षकों द्वारा कैसे प्रदान किया जा सकता है उसमें आमूलचूल परिवर्तन होना चाहिए। हर विद्यार्थी में उसकी एक अलग ही रुचि होती है उस क्षेत्र में शिक्षकों ने प्रोत्साहित करना चाहिए। विद्यार्थियों की असमझता को दूर करने पर अधिक जोर देना चाहिए के लिए न्याय शिक्षा प्रदान करना चाहिए।हर बच्चे की अनोखी जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए । बच्चों पर केंद्रित सामाजिक रूप से प्रासंगिक और न्यायोचित पढ़ाई सीखने सिखाने की प्रक्रिया पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए । विश्वास दिलाया कि वह किसी से कम नहीं है उसका जिस चित्र में ज्यादा रुचि उस पर विशेष ध्यान दिया जाए और बाकी चीजों में भी उसे आगे बढ़ाया जाए। जिनसे उनका आत्मविश्वास बढ़े और शिक्षकों पर ज्यादा विश्वास करें क्योंकि एक शिक्षक विद्यार्थी के जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं।
ReplyDeleteकक्षा में तरह तरह के विद्यार्थी होते है। प्रत्येक विद्यार्थी में अलग अलग गुण होते हैं। हम शिक्षक प्रशिक्षक का यह कर्तव्य होता ह कि हमे शिक्षक एवं बच्चों में उसके गुण या योग्यता का विकास करें तथा उसे प्रोत्साहित करें। कभी भी किसी कमजोर विद्यार्थी को हीन भावनासे नहीं देखना चाहिए ए नहि तों जैसा की हमने कहानी में देखा की विद्यार्थी विद्यालय छोड़ने तक का सोचने लगते हैंए तथा खुद को कमजोर समझने लगते है ए विद्यार्थी की जीवन में अध्यापकका बहुत महत्व होता है कि हिम किस तरह से उसे प्रोत्साहित करे।
ReplyDeleteमहेन्द्र सिंह गुर्जर शा.प्रा.वि.तलावड़ा विकास खण्ड-राजगढ़ जिला राजगढ़
ReplyDelete' द एनिमल स्कूल ' कल्पनिक कहानी में जो गुण बतख में था या गिलहरी या खरगोश में था उसकी अनदेखी की गई
और उनसे वह कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी। अपनी कक्षा के सभी बच्चों को उनकी मानसिक स्थिति के अनुरूप शिक्षण प्रदान करने के लिए रूचि अनुसार शिक्षण प्रदान करने की कोशिश कर ना चाहिए जिससे बच्चों के मन में असफलता की भावना ना आए।
ReplyDeleteमैं संजय कुमार जासूजा, माध्यमिक शिक्षक,शा.मा.कसही,पनागर,जबलपुर ।ये बात अपने आप में सत्य है कि हर बच्चे में कुछ न कुछ नैसर्गिक और अनुवांशिक गुण होते हैं और कुछ गुण कम या ज्यादा मात्रा में परिवार,समाज,मित्रों, शिक्षक आदि के संपर्क तथा अभ्यास, प्रेरणा व समर्पणभाव से पैदा होते है अतः बच्चों के नैसर्गिक गुणों को निखारते हुए..,अन्य गुणों के विकास हेतु दबाव न डालकर प्रेरणा,माहौल व अभ्यास से लाने का प्रयास करना उचित है ताकि वह अन्य गुणों को भी कम या ज्यादा आत्मसात कर सकें।
... वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का कहना था कि, 'प्रत्येक व्यक्ति जीनियस है। यदि आप मछली में पेड़ पर चढ़ने की योग्यता देखेंगे तो वह जिंदगी भर स्वयं को मूर्ख समझेगी। ' यानी कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग-अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है कि जो गुण बतख में था या, गिलहरी में या ख़रगोश में था, उसकी अनदेखी की गई और उनसे वो कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी, इस तरह असफलता के भय ने उन्हें घेर लिया। अगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल हो जाएगा।
सभी बच्चे एक ही योग्यता के नही होतेहै
ReplyDeleteउनकी समझ और रुचि भिन्न होती है हमे उनकी रुचि के अनुसार उन्हें शिक्षा प्रदान करना चाहिए
Its being a pleasure for me to learned like this where we should focused on every animals to grow together.
ReplyDeleteआज काम के तनाव में बच्चों को एक लाठी से हांकने का काम हो रहा है,,,, शैलेन्द्र त्रिवेदी
ReplyDeleteइस कहानी ने हम शिक्षकों को मजबूर कर दिया कि बतख गिलहरी और खरगोश के प्रयास विफल होने यानी हमारी जो पढ़ाने की गतिविधि है और ठीक ढंग से होनी चाहिए जिससे विविध क्रियाकलाप अध्यापन विधियों पर भी ध्यान देना चाहिए साथ ही किस प्रकार अच्छे ढंग से भटकता है रत्ना जानती है और गिलहरी एक डाली से दूसरी डाली पर फूटा जाती है फिर भी यह अपने प्रतियोगिता में सबसे पीछे रहे इसका भाव यह निकलता है कि हमें जो प्रेजेंटेशन अध्यापन पूर्व देना होता है उसको सुचारू रूप से करें और विद्यालय में एक सुनियोजित पाठ योजना तैयार कर बच्चों को पढ़ाया जाए जिससे गिलहरी और फटाक तथा खरगोश जैसी नियत ना हो यही कथा का सार है
ReplyDeleteकक्षा मे विभिन्न परिवेश से आए बच्चों की परिस्थितियाँ व सीखने का तरीका अलग -अलग होता है जिसका ध्यान रखते हुए बच्चों को उनके स्तर अनुसार सहयोग करते हुए उनके गुणो को उभारने का प्रयास होना चाहिए
ReplyDeleteबच्चों के कोमल मन में बातों को गहराई तक पहुंचाने का तरीका कहानियां जिसमें बेहतर सीख व्यवहारिकता नेतृत्व जैसी बातों को आसान शब्दों के माध्यम से जीवन मैं अच्छे संस्कार की ओर प्रेरणा शिक्षाप्रद विविध क्रियाकलाप अच्छे ढंग से कराए जा सकते हैं
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ReplyDeleteशासकीय माध्यमिक शाला सांधी
ReplyDeleteNamaste, Mai lock down Mai bhi Baccho ko DigiLEP ke dwara margdarshan deti rahi .phir hamara ghar hamara vidhyalay Yogna mai door to door jakar Baccho ko samjha rahi hu. Baccho se is prakar alag alag milkar unhe acchi Tarah se samjne aur samjhane ka avsar Mila. Thnks
ReplyDeleteमैं गुलाब साहू,विद्यालय का नाम- शासकीय प्राथमिक शाला कोटी-गुलेंदा,हम अध्यापकों का यह कर्तव्य है कि हमारे पास आए हुए सभी प्रकार के कमजोर अच्छे एवं अलग अलग गुणों के बच्चे आते हैं उन सब बच्चों को हमें एक साथ लेकर चलना है कमजोर बच्चों पर अधिक ध्यान देते हुए अच्छे बच्चों को भी साथ में लेकर चलना है कोई बच्चा स्कूल से ना छूटे उसकी पढ़ाई ना छूटे इस प्रकार हमको हर बच्चे के गुणों को ध्यान में रखकर अध्यापन कराना चाहिए विविधता होते हुए भी हमें सभी को साथ में अध्यापन कराना चाहिए।
ReplyDeletesabhi baccho ke gun aur ruchi alag alag hoti he. hme unhe unki ruchi aur gun ke anusar shiksha deni chahiye.
ReplyDeleteमेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके
ReplyDeleteशासकीय माध्यमिक शाला सांघी श्रीमती स्नेह लता पटेल माध्यमिक शिक्षक बच्चों के कोमल मन में बातों को गहराई तक पहुंचाने का तरीका कहानियां जिसमें बेहतर सीख व्यावहारिकता नेतृत्व जैसी बातों को आसान शब्दों के माध्यम से जीवन में अच्छे संस्कार की और प्रेरणा शिक्षाप्रद क्रियाकलाप अच्छे ढंग से कराए जा सकते हैं
ReplyDeleteसभी बच्चो को उनकी विशेषता और योग्यता अनुसार एक साथ सिखने सिखाने की प्रक्रिया करनी चाहिए ।
ReplyDeleteमैं दीनदयाल शर्मा माध्यमिक शिक्षक माध्यमिक शाला बिसराही हम अध्यापकों का यह कर्तव्य है कि हमारे पास आए हुए सभी प्रकार के कमजोर अच्छे एवं अलग अलग गुणों के बच्चे आते हैं उन सब बच्चों को हमें एक साथ लेकर चलना है कमजोर बच्चों पर अधिक ध्यान देते हुए अच्छे बच्चों को भी साथ में लेकर चलना है कहानी कमजोर बच्चो को समझाने का सबसे सरल एबं प्रभावी तरीका है।
ReplyDeleteNamste, Mai lock down Mai bhi DigiLEP dwara Baccho ko margdarshan deti rahi. Hamara ghar hamara vidhyalay Yogna mai door to door jakar Baccho ko samjha rahi hu. Baccho se is prakar alag alag milkar unhe samjhne aur samjhane ka avsar Mila. Thnks
ReplyDeleteविद्यालय में अलग अलग योग्यता एवम् गुणों बाले विद्यार्थी होते है । हमें उनके बीच समन्वय बना कर योजनाबद्ध तरीके से सब को साथ लेकर उनका सर्वांगीण विकास करने के लिए भिबिन्न गतिविधियों के साथ विद्यालय में अध्ययन करना चाहिए ।
ReplyDeleteमैं रीतेश कोरी मा शिक्षक शा. मा . शाला नीमनमूढ़ा तह.-सोहागपुर जिला- होशंगाबाद (म.प्र.) मैंने बच्चों के अलग-अलग स्तर को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य कराया है ताकि बच्चों की गुणवत्ता और योग्यता का विकास हो सके ।
ReplyDeleteकक्षा में तरह तरह के विद्यार्थी होते है। प्रत्येक विद्यार्थी में अलग अलग गुण होते हैं। हम शिक्षक प्रशिक्षक का यह कर्तव्य होता है कि हमे शिक्षक एवं बच्चों में उसके गुण या योग्यता का विकास करें तथा उसे प्रोत्साहित करें। कभी भी किसी कमजोर विद्यार्थी को हीन भावनासे नहीं देखना चाहिए नहि तों जैसा की हमने कहानी में देखा की विद्यार्थी विद्यालय छोड़ने तक का सोचने लगते हैंए तथा खुद को कमजोर समझने लगते है विद्यार्थी के जीवन में अध्यापक का बहुत महत्व होता है
ReplyDeleteकक्षा शिक्षण में सभी तरह के विद्यार्थी होते हैं उन्हें उनके योग्यता के आधार पर शिक्षित करना ही इस कहानी का मुख्य उद्देश्य है यह बहुत उपयोगी है
ReplyDeleteहर बच्चों मे एक जैसे सोचने की बुद्धि की क्षमता नही होती है प्रत्येक बच्चो में अलग अलग विचार होते हैं हमें उनके tallent को देखने के अनुसार ही काम देना चाहिए
ReplyDeleteअविनाश चंद्र नागोत्रा
ReplyDeleteकक्षा में विविधता के रूप में भिन्न शारीरिक एवं मानसिक आयु के बच्चे होते हैं जिनकी योग्यता एवं सीखने के स्तर अलग-अलग होते हैं ।सबकी अपनी अपनी विचार धारा होती है सबके अपनी अपनी काबिलियत होती है इन बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ हमें अध्यापन कार्य करना चाहिए । शिक्षक के रूप में उसके कौशल को विकसित करना चाहिए साथ ही कमजोर छात्र को हीन दृष्टि या भावना से नहीं आंकना चाहिए, अपितु उसके अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करके उसकी प्रतिभा को निकालना चाहिए।
द एनिमल स्कूल की कहानी में सत्यता है। क्योंकि प्रत्येक बच्चा अपने आप मे किसी भी क्षेत्र में एक विशेष गुण लेकर जन्म लेता है। उम्र के साथ2 वह गुण उसमे विकसित होता है।
ReplyDeleteशिक्षक को चाहिए कि मनोवैज्ञानिक तरीके से उसके उस गुण को पहचान कर, सामान्य शिक्षा के साथ गुण को भी विकसित करें।
ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार फ़िल्म " तारे ज़मी पर" का निर्देशन किया गया है।
कक्षा में कई प्रकार के छात्र होते हैं, हमें उन्हें उनकी क्षमताओं के अनुसार पढ़ाना होगा l कुछ विषयों में कमजोर छात्रों को अधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है l हमें उनकी ताकत और कमजोरी को स्वीकार करना होगा और उन्हें सर्वश्रेष्ठ सिखाने के लिए उनके स्तर तक पहुंचना होगा जिसे वे समझ सकते हैंl जानवरों के स्कूल की तरह हमें भी पढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार छात्र मिलते हैं और हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें बिना किसी भेदभाव के पढ़ाएँ l
ReplyDeleteJis tarah se hum apne parivar ke har sadsya ko mahtv dete h aur unka har prakar se sahyog karte h usi tarah jab hum shala ke bachcho ke saath bhi imandari evm sahyog karna chahiye bhedbhav nhi karke sabhi bhachcho ko apne gyan se otprota karna chahiye.
ReplyDeleteDevaki chouhan.
Assi.teacher Rajbhavan school bhopal
मैं सुरेश मिश्रा शायकीय माध्यमिक विद्यालय अंसेरा , जिला- बालाघाट में कार्यरत हूँ।
ReplyDeleteमैंने lockdown के दौरान डिजिटल दीक्षा aap का प्रयोग करते हुए विद्यार्थियों की जहां तक संभव हो सका कक्षा लेने का प्रयास किया।
साथ ही social distancing और मास्क के साथ कुछ कक्षाएं घर मे भी लेने का प्रयत्न किया।
और मैं आगे भी इस हेतु तत्पर रहूँगा।
मैं मंसूर खान प्राथमिक विद्यालय नवा नवापाड़ा मैं हम सभी शिक्षकों ने कोविड-19 में नियमित जाकर गांव में हमारी शाला हमारे विद्यालय के तहत मोहल्लो जाकर कोने के माध्यम से बच्चों को गृह कार्य देखना गृह कार्य देना और वर्क बुक में नियमित अध्ययन करवाना और ऐसे छात्र छात्रा जहां नेटवर्क नहीं मिलता वहां पर हमारे मोबाइल से डीजी लैब कार्यक्रम को दिखाना उस पर चर्चा करना और उसमें जो परेशानी आ रही है उसको हल करना तथा साप्ताहिक टेस्ट और दक्षता उन्नयन आदि कार्यक्रम निरंतर कोविड-19 के तहत चल रहे हैं और हम लगातार राज्य शिक्षा केंद्र के नियमों को फॉलो कर रहे
ReplyDeleteहर बच्चे की क्षमता को पहचान कर उसे प्रोत्साहन देते हुए शिक्षण कार्य करना।
ReplyDeleteहमें अपनी कक्षा के सभी बच्चों को उनकी प्रतिभा और उनकी रुचि को ध्यान में रखते हुए अध्यापन कार्य करवाना चाहिए।जब हम प्रत्येक बच्चे को उसकी रुचि के अनुसार शिक्षण कार्य कराएंगे तो बच्चे अधिक गति से सीखेंगे एवं उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा
ReplyDeleteकहानी में हमने सुना कि जिस बच्चे में जो प्रतिभा होती है यदि उसे जबरन किसी और काम को करने के लिए कहा जाए तो वह उस काम में इतना अच्छा परफॉर्मेंस नहीं कर पाता है इसलिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि बच्चे की रूचि के अनुसार और उसके गुणों को ध्यान में रखते हुए उसे उस कार्य में हमें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे वह अपने काम में अच्छा परफॉर्म करते हुए आगे बढ़े
ReplyDeleteमैं मंसूर खान प्राथमिक विद्यालय नवा नवापाड़ा मैं हम सभी शिक्षकों ने कोविड-19 में नियमित जाकर गांव में हमारी शाला हमारे विद्यालय के तहत मोहल्लो जाकर कोने के माध्यम से बच्चों को गृह कार्य देखना गृह कार्य देना और वर्क बुक में नियमित अध्ययन करवाना और ऐसे छात्र छात्रा जहां नेटवर्क नहीं मिलता वहां पर हमारे मोबाइल से डीजी लैब कार्यक्रम को दिखाना उस पर चर्चा करना और उसमें जो परेशानी आ रही है उसको हल करना तथा साप्ताहिक टेस्ट और दक्षता उन्नयन आदि कार्यक्रम निरंतर कोविड-19 के तहत चल रहे हैं और हम लगातार राज्य शिक्षा केंद्र के नियमों को फॉलो कर रहे
ReplyDeleteकक्षा में कई प्रकार के छात्र होते हैं, हमें उन्हें उनकी क्षमताओं के अनुसार पढ़ाना होगा l कुछ विषयों में कमजोर छात्रों को अधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है l हमें उनकी ताकत और कमजोरी को स्वीकार करना होगा और उन्हें सर्वश्रेष्ठ सिखाने के लिए उनके स्तर तक पहुंचना होगा जिसे वे समझ सकते हैंl जानवरों के स्कूल की तरह हमें भी पढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार छात्र मिलते हैं और हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें बिना किसी भेदभाव के पढ़ाएँ l
ReplyDeleteClass mein alag alag Tarah ke bacche hote hain unme samajh bhi alag alag Hoti Hai Hamara Kartavya hota hai ki Ham unke gunon ko smjhe air yogyata ka Vikas Karen kamjor bacchon per Vishesh Dhyan den aur jo bacche school se Bhag Jaate Hain UN per Vishesh Dhyan de. bacche Mata Pita Ke bad Shikshak Se Hi Jivan ke bare mein Sikhte hain Hamen unko Ho protsahit karna hai.
ReplyDeleteकक्षा में अलग अलग संस्कार संस्कृति बौद्धिक स्तर वाले बच्चों को एक साथ कक्षा में बैठकर शिक्षा देनी चाहिए।इस हेतु शिक्षकों को बच्चों की आवश्यकतानुसार शैक्षिक विधियों का प्रयोग करना चाहिए।
ReplyDeleteकक्षा मे अलग अलग क्षमता वाले बच्चे होते हैं उन्हें समावेशित करते हुए उनके गुणों का आकलन करते हुए ज्ञान देना व आंकलन करना जिससे बच्चों मे रुचि पैदा हो वो खुश रहें शाला में उनका मन लगे शालात्यागी ना बनें
ReplyDeleteबहुत अच्छे
ReplyDeleteBachho ko unke कौशल क्षमता के आधार पर ही उनका आकलन कर अलग अलग गतिविधियों के माध्यम से सिखाना चाहिए
ReplyDeleteकहानी व्यंग्यात्मक थी। इस कहानी का सारांश यह है कि कक्षा में विभिन्न विशेषताओं वाले बच्चे होते हैं। साथ ही विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे भी होते हैं। कक्षा में बच्चों के विशेषताओं के अनुरूप संचालित करना चाहिए। साथ ही बोरिंग कक्षा के बजाय उत्साह होना चाहिए। छात्रों के अनुरूप विविध गतिविधियों को समाहित किया जाना चाहिए। छात्रों में सीखने के प्रति संकल्पित होना चाहिए। साथ ही सीखने के साथ- साथ उनका आंकलन तथा समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।न कि उनके असफलता का त्रिषकार। कार्य के लिए उत्साहित किया जाना चाहिए
ReplyDeleteइस कहानी से हमें यह समझ आया कि विद्यालय में भी भिन्न भिन्न प्रकार के बच्चे होते हैं जिनकी अलग अलग गुण और क्षमतायें होती हैं हमें उन्हें उनके गुणों और क्षमताओं को देखकर समझकर ही शिक्षण कराना चाहिए ऐसा ना करने से बच्चों की खुद की प्रतिभा भी खत्म हो सकती है और वे विद्यालय छोड़ भी सकते हैं जैसा कि कहानी में उल्लेखित किया गया है
ReplyDeleteसादर नमस्कार vividh 19 के कारण हम सभी हमारी शाला के सहयोगी साथी शिक्षक बच्चों से सतत रुप से आज भी हमारा घर हमारा विद्यालय योजना निर्देशानुसार शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं।आपका धन्यवाद जो हमारे लिए जितने भी प्रशिक्षण आयोजित किये वे सभी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी होंगे निश्चित ही । धन्यवाद.....
ReplyDeleteहिम्मत सिंह राजपूत
ReplyDeleteशा.मा.शाला सुकलिया
कक्षा में कई प्रकार के छात्र होते हैं, हमें उन्हें उनकी दक्षताओं के अनुसार पढ़ाना होगा l कुछ विषयों में कमजोर छात्रों को अधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है l हमें उनकी ताकत और कमजोरी को स्वीकार करना होगा और उन्हें सर्वश्रेष्ठ सिखाने के लिए उनके स्तर तक पहुंचना होगा जिससे वे समझ सकते हैंl जानवरों के स्कूल की तरह हमें भी पढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार छात्र मिलते हैं, और हमारी जिम्मेदारी है की उन्हें साथ लेकर पढ़ाये।
सरोज प्रजापति
ReplyDeletegovt middle ghatampur
sagar mp
शाला में सब तरह के बच्चे होते है।इसलिये पाठ्यक्रम और गतिविधियां इस प्रकार की होनी चाहिए कि सभी बच्चों की प्रतिभा निखर सके और सभी बच्चों को गुणवत्ता पुर्ण शिक्षा प्राप्त हो।
हमारी कक्षा में जो छात्र होते है हैं उनमें कुछ ना कुछ गुण अवश्य छिपे होते है। आवश्यक होता है शिक्षक उनके गुणों को पहचाने।उन्हें प्रोत्साहित करें।उनकी कमजोरी को न देख कर उनके छिपे हुए कौशल का विकास करे।
ReplyDeleteAlag alag janwarro ki visheshatae alag alag hoti hain
ReplyDeleteVividhata hona jarui hain.
After unlock the program hamara ghar hamara vidyalay played an important role to educate the student
ReplyDeleteइस कहानी ने हम शिक्षकों को मजबूर कर दिया कि बतख गिलहरी और खरगोश के प्रयास विफल होने यानी हमारी जो पढ़ाने की गतिविधि है और ठीक ढंग से होनी चाहिए जिससे विविध क्रियाकलाप अध्यापन विधियों पर भी ध्यान देना चाहिए साथ ही किस प्रकार अच्छे ढंग से भटकता है रत्ना जानती है और गिलहरी एक डाली से दूसरी डाली पर फूटा जाती है फिर भी यह अपने प्रतियोगिता में सबसे पीछे रहे इसका भाव यह निकलता है कि हमें जो प्रेजेंटेशन अध्यापन पूर्व देना होता है उसको सुचारू रूप से करें और विद्यालय में एक सुनियोजित पाठ योजना तैयार कर बच्चों को पढ़ाया जाए जिससे गिलहरी और फटाक तथा खरगोश जैसी नियत ना हो यही कथा का सार है
ReplyDeleteसभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि बे वज़ह अधिक प्रेशर डाल कर उनकी विशेषता और योग्यता को दबाना चाहिए ..मेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके....
ReplyDeleteहर व्यक्ति के अलग अलग गुण होते है । जो कि उसमें जन्मजात होते है। कोई खेल में आगे है तो कोई पढ़ाई में, कोई गायन जानता है तो वादन उसी प्रकार उसके गुणों को पहचान कर यदि उसे कौशल पर ध्यान दिया जाए तो उसका अच्छा विकास हो सकता है।
ReplyDeleteNice story we inspire for this story
ReplyDeleteमंगला कैथवास ps निपानिया जाट फंदा ग्रामीण भोपाल-इस कहानी से हमे सीख मिलती है कि कक्षा में विभिन्न जाति, वर्ग, समूह,आकार, आयु,पृष्ठभूमि,और लिंग के विद्यार्थी होते है हमे बच्चो के गुण के आधार पर कक्षा में अध्यापन कार्य कराना चाहिए और उसकी प्रतिभा को निखारना चाहिए तभी सही मायने में वह उन्नति कर सकता है
ReplyDeleteहमारे द्वारा कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए शासन द्वारा निर्देशित हमारा घर हमारा विद्यालय के अंतर्गत जिन बच्चों पर एंड्राइड मोबाइल थे उनके ग्रुप बनाकर उन्हें मोबाइल द्वारा अध्यापन कराया एवं जिन बच्चों पर मोबाइल नहीं थी उनको डोर टू डोर कोविड-19 मौका पालन करते हुए संपर्क कर अध्यापन कार्य निरंतर जारी है।
ReplyDeleteSabhi bachha ek saman hai.kisi ko heen bhawna se nahi dekhna chahiye
ReplyDeleteWe Are'll inspired for this story
ReplyDeleteBacchon ki apni ek yogyata hoti hai use shikshak ko pahchana jaruri hai agar shikshak ne us ki yogyata ko pahchan liyaagar shikshak news kis Yogita ko pahchan liya to bacche ko padhne mein aur shikshak ko padhaane mein bahut aasani rahegi jisse ki yah Jo kahani he batak khargosh aur gilhari ki uska batak jaisa HAL nahin hoga baccha apne aap use chij ko Sikh sakta hai
ReplyDeleteराष्टीय शिक्षा नीति 2020 का प्रमुख उद्देश्य समावेशी कक्षा शिक्षा है
ReplyDeleteचित्र जानवरों में अलग जब विशेषताएं होती है उसी तरह बच्चों में भी अलग अलग विशेषताएं होती है कोई बच्चा पढ़ाई गई वस्तु को जल्दी कैच कर लेता है और कोई बच्चा उसे धीरे कैच कर पाता है इसलिए ऐसी गतिविधियां नहीं जानी चाहिए ताकि दोनों तरह के बच्चों को पढ़ने में दिक्कत ना आए और हमारे हमारे लक्ष्य और उद्देश्य पूर्ण हो जाए
ReplyDeleteप्रत्येक बच्चे मैं उसकी स्वयं कि कुछ विशेष क्षमता और कुछ कमजोरियां होती है हमें उनकी विशेष क्षमताओं को प्रोत्साहित करते हुए उनकी कमजोरियों को दूर करना चाहिए
ReplyDeleteहर बच्चे में सीखने की क्षमता भिन्न होती है ,हर कक्षा में विभिन्न क्षमताओ वाले बच्चे होते हैं, प्रत्येक बच्चे में अपना एक कोशल होता है।हमे उनके गुणों एवं विशेषताओ के आधार पर ही गुणों में निखार लाया जाता है,हमे प्रत्येक बच्चे की मानसिक स्थिति रुचि एवं उसकी प्रतिभा का ध्यान रखकर, शिक्षण विधियाँ अपनानी चाहिए।
ReplyDeleteSmt. santosh nagda
सभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि बे वज़ह अधिक प्रेशर डाल कर उनकी विशेषता और योग्यता को दबाना चाहिए ..मेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके.
ReplyDeleteइस कहानी से हमे अपनी पाठ योजना को बनाकर सभी को एक साथ शिक्षण करवा सके
ReplyDeleteसभी बच्चों में अलग अलग प्रतिभाएं होती है बस उनकी प्रतिभागियों को पहचान कर प्रमोट करने की आवश्यकता होती है।
ReplyDeleteSabhi bachche alag alag dimag k hote h koi budhhiman to koi kam ....lekin vistar se smjhane pr samjh me aajaate h ...hame har bachche k pdhai k adhar pr smjhana chahiye ...
ReplyDeleteSbhi bacho ka sarvangin vikash hoo
ReplyDeleteVidhyarti jis chetra me ruchi rakhta h usi chetra me us vidhyarti ko protsahit karna chaliye naki us par apni marji se davab dalna chahiye anytha wah vidhyarthi na Keval apne chetra me paripagya rhega na hi kisi or chetra me use ruchi hogi arthat pratek vidhyarti apne chetra me kushal hota h use usi chetra me badawa Dena chahiye
ReplyDeleteEs kahani se hame yah samajh aaya ki school mai bhi bhinn bhinn parkar ke bacche hote hai hame unke guno or partibha ko samjhkar shiksha deni chahiye
ReplyDeleteI am Alka Rajput ,M.S. Deori, Block-Panagar, District-Jabalpur
ReplyDelete.
I have tought children in moholla classes and also send the studies related videos in whats app group.
छात्रों में जो विशेष गुण हैं उन्हें ध्यान में रखकर आगे शिक्षा देनी चाहिए।।
ReplyDeleteइस कहानी को सुनने से हमको यह ज्ञात होता है कि जिस प्रकार हमारे हाथ की पांचों उंगलियां बराबर नहीं होती उसी प्रकार बच्चों की सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती हैं अतः कोई बच्चा किसी क्षेत्र में अच्छा कार्य करता है और किसी क्षेत्र में कम कार्य करता है अतः शिक्षक के रूप में सभी बच्चों की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए उनमें जो विशेषताएं होती हैं उनको और कैसे विकसित किया जा सके इस पर विशेष प्रयास करना चाहिए और बच्चों की रूचि के अनुसार बच्चों को शिक्षा कार्य कराना चाहिए।
ReplyDeleteSantosh Karma (MS Dalka)
ReplyDeleteसभी बच्चो मे योग्यता होती है । उसके अनुसार उन्हे शिक्षा देना चाहिए।
Kaksha Mein Sabhi bacchon Ko Saman avsar bolane ka saman aur avsar tatha likhane ka saman aur AVN khelne ka saman Sar Kisi Prakar ka bhedbhav Nahin Rakhna chahie bacchon ko bacchon ke sath badhiya Prem se khelna chahie
ReplyDeleteमहान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का कहना था कि, 'प्रत्येक व्यक्ति जीनियस है। यदि आप मछली में पेड़ पर चढ़ने की योग्यता देखेंगे तो वह जिंदगी भर स्वयं को मूर्ख समझेगी। ' यानी कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है कि जो गुण बतख में था या, गिलहरी में या ख़रगोश में था, उसकी अनदेखी की गई और उनसे वो कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी, इस तरह असफलता के भय ने उन्हें घेर लिया। अगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल हो जायेंगे ।जो कि 2020 की शिक्षानीति हैं।सभी बच्चो को साथ लेकर उनका सर्वागीण विकास।
ReplyDeleteविषय वस्तु शिक्षण के समय उनके पूर्व दक्षता का अवलोकन कर, पाठ्यवस्तु को प्रभावी ढंग से गतिविधि आधारित शिक्षण के माध्यम से पूरा किया जाना ज्यादा उचित होगा।इससे बच्चे जल्द सीख जाएंगे।अवधारणा स्प्ष्ट हो जाएगा।
ReplyDeleteमैं शारदा शिल्पी प्रधान पाठक शासकीय कन्या उमा विद्यालय गांधीनगर इंदौर द एनिमल स्कूल की कहानी अनुसार किसी भी बच्चे को कमजोर नहीं समझना चाहिए प्रत्येक बच्चे में योग्यता व क्षमता का स्तर अलग अलग होता है बच्चों को उनकी क्षमता अनुसार ही शैक्षणिक कार्य देना चाहिए यही कुशल शिक्षक की पहचान होगी उन्हें सफलता मिलेगी
ReplyDeleteमैं शारदा शिल्पी प्रधान पाठक शासकीय कन्या उमा विद्यालय गांधीनगर इंदौर द एनिमल स्कूल की कहानी अनुसार किसी भी बच्चे को कमजोर नहीं समझना चाहिए प्रत्येक बच्चे में योग्यता व क्षमता का स्तर अलग अलग होता है बच्चों को उनकी क्षमता अनुसार ही शैक्षणिक कार्य देना चाहिए यही कुशल शिक्षक की पहचान होगी उन्हें सफलता मिलेगी
ReplyDeleteकहानी में हमने सुना कि जिस बच्चे में जो प्रतिभा होती है यदि उसे जबरन किसी और काम को करने के लिए कहा जाए तो वह उस काम में इतना अच्छा परफॉर्मेंस नहीं कर पाता है इसलिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि बच्चे की रूचि के अनुसार और उसके गुणों को ध्यान में रखते हुए उसे उस कार्य में हमें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे वह अपने काम में अच्छा परफॉर्म करते हुए आगे बढ़े
ReplyDeleteबच्चों के मानसिक स्तर और उनकी सीखने की क्षमता के अनुरूप क्रियाकलाप करवा कर हम उनके शिक्षा की रुचि रुचि को बढ़ा सकते हैं जिससे वह अपने सीखने के कौशल को और आगे बढ़ा सकता है
ReplyDeleteयह कहानी हमने नही पढी क्योकि मैं प्राथमिक शिक्षक हूँ।
ReplyDeleteSocial distensing ka palan karte hue electronic media ke madhyam se seekhne ke naye avsar prapt hue
ReplyDeleteअनिल कुमार नागर शासकीय माध्यमिक शाला नई जेल भोपाल
ReplyDeleteस्कूल में अलग-अलग पृष्ठभूमि के विद्यार्थी अध्ययन करते हैं एवं उन विद्यार्थियों की सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि भी अलग-अलग होती है जिसके कारण उनके सीखने मैं अंतर हो सकता है परंतु शिक्षक के प्रयास से विद्यार्थी को अच्छा ज्ञान कराया जा सकता है!
In every class there are students of all kinds i.e., dumb, average and good in studies.
ReplyDeleteSo, we need to use those strategies by which we can teach each and every one of them.
hope, you will understand.
सभी बच्चों की अपनी अपनी योग्यता होती हैं उनकी पहचान करना विकास करना चाहिये।सभी बच्चों को एक तराजू में नही तोल सकते। व्यक्तिगत विशेषता और कमजोरी पर ध्यान देना होगा।
ReplyDeleteसाथियो जरूरी नहीं कि हर विद्यार्थी सर्वगुण सम्पन्न , परंतु ये यथार्थ सत्य है कि कुछ न कुछ गुण प्रत्येक विद्यार्थी में होता है। सबके टैलेंट को हमें एक ही पैमाना में हम नही मैप सकते। यह व्यंगात्मक कहानी हमें बोध कराती है हम भी इस विचार धारा को न अपनाएं।
ReplyDeleteनिष्ठा प्रशिक्षण शिक्षकों एवं छात्रों में सर्वांगीण विकास करने पर केंद्रित है। इस प्रशिक्षण में सभी बिंदुओं पर बहुत ही बारीकी से विस्तृत चर्चा की गई है। इससे शिक्षकों के शिक्षण कौशल में वृद्धि होगी । पूर्व में cm rise प्रशिक्षण लिए इस महामारी की गंभीरता को देखते हुए हमारा घर हमारे विद्यालय शिक्षा का कोना हम सभी शिक्षकों छात्रों को बहुत ही कारगर रहा सी एम राइस प्रशिक्षण पर्याप्त समय में पूर्ण कर छात्रों तक लाभ पहुंचा तथा हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम से पढ़ाई के साथ-साथ कोविड-19 के बारे में छात्रों,पालकों ग्रामीण जनों में भी जागरूकता आई
ReplyDeleteसतीश कुमार साहू
माध्यमिक शिक्षक
शासकीय माध्यमिक शाला भौंरा
Nice story
ReplyDeleteबच्चे जिस क्षेत्र में कुशल हो उसकी पहचान कर ही शिक्षण कार्य करना जिससे कि बच्चो का सर्वांगीण विकास हो सके
ReplyDeleteकोविद 19 को ध्यान में रखते हुए बच्चों की पढ़ाई के लिए हम डिजिटल तकनीक के जरिये मोबाइल, फोन के प्रयोग से तथा बच्चों के घर - घर जाकर मास्क लगा कर सोसल डिस्टेंसी का पालन करते हुए बच्चों के स्तर को ध्यान में रखते हुए खेल और स्थानीय परिवेश के अनुसार पढ़ने के लिए सुझाव दिया गया।
ReplyDeleteकक्षा एक से पांच तक के छात्रों का साप्ताहिक कैलेंडर जारी हो चुका है हमारा घर हमारा विद्यालय के रूप में शिक्षा सत्र आरंभ किया गया है
ReplyDeleteसभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि बे वज़ह अधिक प्रेशर डाल कर उनकी विशेषता और योग्यता को दबाना चाहिए
ReplyDeleteकाशीराम टेमरे शासकीय प्राथमिक शाला डाबरी विद्यालय में अलग-अलग प्रकृति के बच्चे अलग-अलग सामाजिक परिवेश के बच्चे होते हैं इन बच्चों को शिक्षक के माध्यम से बच्चों की प्रकृति को समझते हुए विद्या अध्ययन कराया जा सकता है एवं सभी बच्चों को विद्या अध्ययन करने के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं।
ReplyDeleteमनीराम कुशवाहा. मेरे विचार
ReplyDeleteकोविड 19 के दौरान बच्चों को पूर्ण नियमों का पालन करते हुए सुरक्षित रहने का पहला संदेश देते हुए हमारा घर हमारा विद्यालय साप्ताहिक समय सर्णी का पालन करते हुए बच्चों को घर जाकर क्लास के अनुसार समूह बनाकर तथा डिजिल ऐप कार्यक्रम के माध्यम से pdhaya गया
अब pdhai नहीं रुकेगी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हमारे द्वारा पूर्ण प्रयास किया गया
धन्यवाद
राजेन्द्र अग्रवाल प्राथमिक शाला खरबई,विदिशा
ReplyDeleteप्रत्येक छात्र की अलग अलग क्षमताये व योग्यताये होती है,उनके अनुरूप ही शैक्षिक योजना बनानी चाहिए।
अनिल कुमार नागर शासकीय माध्यमिक शाला नई जेल भोपाल
ReplyDeleteस्कूल में अलग-अलग पृष्ठभूमि के विद्यार्थी अध्ययन करते हैं एवं उन विद्यार्थियों की सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि भी अलग-अलग होती है जिसके कारण उनके सीखने मैं अंतर हो सकता है परंतु शिक्षक के प्रयास से विद्यार्थी को अच्छा ज्ञान कराया जा सकता है!
कहानी में से कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु निकलते है कहानी से क्या सीख मिली कहानी के पात्रो का चरित्र चित्रण कैसा रहा
ReplyDeleteबच्चा जिस क्षेत्र में जाना चाहे उसे उसी क्षेत्र मे आगे बढाया जाय
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteGovind Soni BQ8363 Hss Excellence Sarangpur
ReplyDelete19 के द्वारा जो स्थिति बनी वह चिंताजनक थी ऐसे में बच्चों का स्कूल नहीं आना और उन्हें पढ़ाई से जुड़े रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था लेकिन हमने हार नहीं मानी इस दौरान हम पहले छात्र छात्राओं के कांटेक्ट नंबर के द्वारा उनके संपर्क में रहे एवं इसके बाद गूगल मीट के माध्यम से शिक्षण कार्य किया गया पहले छात्र-छात्राओं के जागरूक नहीं होने से कम बच्चे जुड़े लेकिन जैसे-जैसे उन्हें इसकी जानकारी पता चली बच्चों की संख्या बढ़ती गई अभी हम वास्तव में सभी बच्चों की संख्या तक नहीं पहुंच पाए लेकिन फिर भी हमारी कक्षाएं मासिक पाठ्यक्रम के अनुसार प्रतिदिन चलती रही हमने जो गृह कार्य ऑनलाइन के दौरान बच्चों को दिया उससे भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए विद्यालय आकर चेक करवा रहे हैं एवं ऑनलाइन कक्षाओं के साथ में जिन बच्चों के पास में मोबाइल सुविधा नहीं है उन्हें भी सोशल डिस्टेंसिंग के माध्यम से ऑफलाइन पढ़ाया जा रहा है
कक्षा में विभिन्न प्रकार के छात्र-छात्राएं होते हैं। उनमें कई विभिन्नताए होती है जैसे-उम्र, शारीरिक कद काठी, बोलियां, अलग-अलग फील्ड का ज्ञान (खेल ,कृषि, सिनेमा,व्यापार, सामाजिक, राजनीतिक आदि), सीखने की क्षमता इत्यादि। ऐसी कई विभिन्नताओ के आधार पर बच्चों के सीखने के तरीके भी विभिन्न होने चाहिए।
ReplyDeleteजिस प्रकार एक ही हाथ की पांचों उंगलियां बराबर नहीं होती वैसे ही सभी बच्चों की क्ष मताए और कमजोरियां अलग अलग होती है हमें उनकी क्षमता ओ का विकास और कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए
ReplyDeleteजो छात्र जिस कार्य या कला में रुचि रखता हो उसे उसी क्षेत्र में प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ।
ReplyDeleteनरेन्द्र कुमार मिश्रा माध्यमिक शिक्षक शासकीय माध्यमिक विद्यालय Ataniya जिला छतरपुर मध्य प्रदेश ।
Bacho ki yogyta pehchan kr usko badawa dena..Or protsahit karna ...
ReplyDeleteइस कहानी से हम यह सीखते हैं कि बच्चों में जो प्रतिभा हो उस को विकसित करना चाहिए जबरदस्ती बच्चों पर पाठ्यक्रम नहीं तो पर जाने चाहिए
ReplyDeleteThere are different types of students in class they have different quality. We should find them and grow.
ReplyDeleteसभी बच्चों के साथ एक ही तरीके से पढ़ा ना सही नहीं है
ReplyDeleteइस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बच्चों में जो प्रतिभा हो उसे विकसित किया जाना चाहिए बच्चों पर अनावश्यक पाठ्यक्रम नहीं थोपे जाने चाहिए
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ReplyDeleteसभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए। अधिक प्रेशर डाल कर बच्चों की विशेषता और योग्यता को दबाना नही चाहिए ।
शिक्षक का सबसे प्रमुख कर्तव्य है कि बालक का सर्वांगीण विकास.....। कक्षा में प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति एवं स्तर अलग अलग होता है, इसलिए किस बच्चे के शिक्षण के लिए कोन सी शिक्षण विधि अधिक उपयोगी होगी उसको अपनाकर ही हम बालक को अच्छा शिक्षण कार्य प्रदान कर सकते है।। राजेश कुमार जांगिड़ , संस्था-शासकीय माध्यमिक विद्यालय, ढोटी, जिला- श्योपुर।। मध्यप्रदेश।।
ReplyDeleteDheeresh Kumar chadhar प्राथमिक शिक्षक शासकीय हाई स्कूल gadar इस module की परिकल्पना है कि प्रत्येक बच्चा अलग अलग प्रतिभा और क्षमता रखता है जिसको पहचान कर हमे उनके हिसाब से हमे निर्धारित कर कार्य करना चाहिए
ReplyDeleteक्लास में तरह तरह के विद्यार्थी होते है , प्रत्येक विद्यार्थी में अलग अलग गुण होते हैं, हम अध्यापक का यह कर्तव्य होता ह कि हिम उसके गुण या योग्यता का विकास करें तथा उसे प्रोत्साहित करें, कभी भी किसी कमजोर विद्यार्थी को हीन भावनासे नहीं देखना चाहिए , नहि तों जैसा की हमने कहानी में देखा की विद्यार्थी विद्यालय छोड़ने तक का सोचने लगते हैं, तथा खुद को कमजोर समझने लगते है , विद्यार्थी की जीवन में अध्यापकका बहुत महत्व होता है कि हिम किस तरह से उसे प्रोत्साहित करे।
ReplyDeleteReally animal school explains very nicely that how to teach students of various quality in the same platform. This activity helps to develop each student.
ReplyDeleteएक ही कक्षा में विभिन्न प्रकार के बच्चे होते है और सभी कि योग्यता और सीखने का स्तर अलग अलग होता है तो हमें उन बच्चों के अन्दर छुपी हुई प्रतीभा और उन कि समता को पहचान कर उन्हें आगे बढ़ने का मोका देना होगा नहीं तो जेसा कहानी में हुआ ऐसा होगा।
ReplyDeleteजानवरों की पाठशाला की कहानी छात्राओं के दृष्टिकोण से काफी रोचक लगी क्योंकि जैसा दिखाया गया वादक गिलहरी और खरगोश की उदाहरणों से कहानी में स्पष्ट किया गया की जानवरों के अनुसार मनुष्यों में भी स्वाभाविक रूचि सीखने की गति कार्य करने का स्तर भिन्न-भिन्न होता है शिक्षक को हमेशा छात्रों की रुचि के अनुरूप ही दायित्व सौंपना चाहिए उनकी गाड़ियों का आकलन करना चाहिए उसके आधार पर ही बने लक्ष्य निर्धारण करना चाहिए तभी हम समावेशी शिक्षा के लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं
ReplyDeleteसभी बच्चों के शारीरिक मानसिक और कौशल विकास में भिन्नता होती है तथा सभी बच्चों की सीखने की रुचि अलग-अलग होती है इसलिए बच्चों को जिस क्षेत्र में रुचि है उनको उस क्षेत्र में सीखने के अवसर देना चाहिए ना कि उन पर अनावश्यक दबाव बनाना चाहिए उससे
ReplyDeleteबच्चों का अपना अपना अलग अलग सीखने का स्तर होता हैं, कोई बच्चा जल्दी तो कोई देर से सीख पाता है।शिक्षक को चाहिए कि वह प्रत्येक बच्चे का मानसिक स्तर,उसके सीखने का कौशल ध्यान में रखते हुए उन्हें शिक्षा दे।लेकिन उन्हें असमय होने वाली असाधारण घटनाओं जैसे कोरोना वायरस या और भी चेलेंज अगर कोई आते हैं, उनसे निपटने हेतु प्रेरित करना चाहिए।
ReplyDeleteभीमसिंह सिसोदिया
शा.मा.विद्यालय कालीकिराय महूं
मैं हबीब खान,शा.मा.शाला पायली,जन शिक्षा केन्द्र कन्हर गाँव,संकुल केन्द्र कुंडाली कला,विकास खण्ड परासिया,जिला छिंदवाड़ा
ReplyDeleteसभी बच्चों की अलग-अलग रुचि होती है । शिक्षक का यह दायित्व है कि वह उनकी रुचि के क्षेत्र खोजे और उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ने में प्रोत्साहन और मार्गदर्शन प्रदान करे । उन्हें उचित सुझाव और परामर्श प्रदान करे। कोई भी बात उन पर जबरन न थोपे। उनके परिवार से सम्पर्क कर उन्हें छात्र की रुचि के विषय से अवगत कराये।
कक्षा में विविध प्रकार के बच्चे होते हैं कोई शारीरिक कोई मानसिक रूप से अलग होते हैं तो किसी के माता-पिता झगड़ा करते हैं जिससे बच्चे परेशान रहते हैं बच्चों का अलग-अलग रुचि होते हैं कोई गाना गा सकता है तो कोई नहीं जा पाता है कोई थर्ड जेंडर का होता है सभी बच्चों को साथ लेकर चलना है सभी को शिक्षा प्रदान करना है
ReplyDeleteNice story
ReplyDeleteBcho ko Swatantrata ke sath apne vichar rkhne dena chahiye.सभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि बे वज़ह अधिक प्रेशर डाल कर उनकी विशेषता और योग्यता को दबाना चाहिए
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