माॅड्यूल 1 - गतिविधि 5: द एनिमल स्कूल (जानवरों का विद्यालय) कल्पित कथा पर चिंतन

अपनी कक्षा में विविधता को संबोधित करने के लिए कहानी में से क्या क्रिया बिंदु निकलते हैं?​​

चिंतन के लिए कुछ समय लें और कमेंट बॉक्स  में  अपनी टिप्पणी दर्ज करें ।

Comments

  1. यह मॉड्यूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति, उसकी रूपरेखा, पाठ्यचर्या व इनके प्रकार और शिक्षा-शास्त्र की एक अच्छी समझ विकसित करने पर केन्द्रित है जिससे विभिन्न असाधारण परिस्थितियों, जिनमें COVID-19 भी सम्मिलित है, में विविधता को स्वीकार किया जा सके और समावेशी कक्षाओं का निर्माण किया जा सके।

    ReplyDelete
    Replies
    1. कक्षा 6 से 8 तक के विद्याथियों को गति विधियों का साप्ताहिक कैलेंडर जारी किया जा चुका है । हमारा घर हमारा विद्यालय के रूप में शिक्षा सत्र आरम्भ किया गया है। जिससे बच्चों के सीखने की प्रक्रिया निरन्तर जारी है। आनलाइन भेजिये ।

      Delete
    2. क्लास में तरह तरह के विद्यार्थी होते है , प्रत्येक विद्यार्थी में अलग अलग गुण होते हैं, हम अध्यापक का यह कर्तव्य होता ह कि हिम उसके गुण या योग्यता का विकास करें तथा उसे प्रोत्साहित करें, कभी भी किसी कमजोर विद्यार्थी को हीन भावनासे नहीं देखना चाहिए , नहि तों जैसा की हमने कहानी में देखा की विद्यार्थी विद्यालय छोड़ने तक का सोचने लगते हैं, तथा खुद को कमजोर समझने लगते है , विद्यार्थी की जीवन में अध्यापकका बहुत महत्व होता है कि हिम किस तरह से उसे प्रोत्साहित करे।

      Delete
    3. तमाम भाषाई और सांस्कृतिक विविधताओं भिन्नताओं के बीच बच्चों को न केवल एक साथ पढ़ाना बल्कि यह भी देखना बहुत महत्वपूर्ण है कि जिस बच्चे में जिस प्रकार की योग्यता है उसका भी समर्थन करते हुए उसे आगे बढ़ाया जाए केवल अपने पाठ्यक्रम और पाठ्य पुस्तकों को सभी पर एक जैसा थोपना उचित नहीं है कक्षा में अभ्यास कराते समय कई ऐसी परिस्थिति बनती हैं जब कोई ऐसा विषय जो कक्षा के होशियार छात्र से नहीं बनता यह थी भविष्य कम स्तर वाले बच्चे से ज्यादा अच्छे से आता है

      Delete
    4. I like the way you teach to the teachers in lock down

      Delete
    5. जो विद्यार्थी जिस कार्यक्षेत्र या कला में दक्ष हो उसको प्रोत्साहित कर उसी क्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना चाहिए

      Delete
    6. Baccho ke sarh madur vyavgarvkrna cahiye priveah maun jodkar padhau ka mahil bnana cahiye jisse bacche ko achhe se samjh aa sake.

      Delete
  2. Online bidhiyo ke prikar ki samjhana

    ReplyDelete
  3. महान वैज्ञानिक अल्‍बर्ट आइंस्‍टीन का कहना था कि, 'प्रत्‍येक व्‍यक्ति जीनियस है। यदि आप मछली में पेड़ पर चढ़ने की योग्‍यता देखेंगे तो वह जिंदगी भर स्‍वयं को मूर्ख समझेगी। ' यानी कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है कि जो गुण बतख में था या, गिलहरी में या ख़रगोश में था, उसकी अनदेखी की गई और उनसे वो कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी, इस तरह असफलता के भय ने उन्हें घेर लिया। अगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल।

    ReplyDelete
  4. सभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि बे वज़ह अधिक प्रेशर डाल कर उनकी विशेषता और योग्यता को दबाना चाहिए

    ReplyDelete

  5. कक्षा में विविधता के रूप में भिन्न शारीरिक एवं मानसिक आयु के बच्चे होते हैं जिनकी योग्यता एवं स्तर अलग-अलग होते हैं । इन बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ हमें अध्यापन कार्य करना चाहिए । प्रत्येक बच्चे में अपना एक कौशल होता है, शिक्षक के रूप में उसके कौशल को विकसित करना चाहिए साथ ही कमजोर छात्र को हीन दृष्टि या भावना से नहीं आंकना चाहिए, अपितु उसके अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करके उसकी प्रतिभा को निकालना चाहिए।

    ReplyDelete
  6. एक साथ मिलकर एक ही परिसर में रहकर सबको अपनी शिक्षा एक साथ पूर्ण करना है और एक साथ अब्बल आना है सब को एक दूसरे के छुपे हुए कौशलों को जानना है और समझना है और एक दूसरे को पारंगत करना है यही तो है राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020।

    ReplyDelete
  7. सबके साथ मिलकर एक ही परिसर में रहकर शिक्षा प्राप्त करना या पूर्ण करना या पूर्ण करना और एक साथ सभी को अब्बल आना और एक दूसरे के कौशलों को जानना पारंगत होना समझना और जिंदगी जीना यही तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत सिद्धांत है।

    ReplyDelete
  8. हम डिजीलाइफ मॉडल नंबर 1 में पूर्व में पड़ चुके हैं साथ ही इस कहानी को बच्चों ने भी पड़ चुका है एक बार की बात है जंगल में एक बार जानवरों ने सोचा कि हम भी एक स्कूल खोलने स्कूल खोलने का निश्चय किया जिसमें उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि जिस प्रकार एक गांव के स्कूल में पूरी सुविधाएं होती हैं ठीक उसी प्रकार हम जानवर वैसे ही सर्व सुविधा युक्त स्कूल खोलेंगे और और सब जानवरों ने मिलकर एक ही स्कूल खोल ही दिया हम इस स्कूल के बारे में हम सब को बताते हैं जानवरों को पता लगेगा तब हम ऐसा हम काम करके दिखाएंगे कि हमारी वह ताली बजाएंगे यह सब सोचकर जानवरों ने अपने दिमाग में आधारशिला रखी पहले दिन इस स्कूल में पानी में तैरने वाली बतख और पेड़ों पर कूदने वाली गिलहरी इसके बाद खरगोश आया जानवरों ने अपने करिकुलम में सभी सब्जेक्ट को पड़ेंगे सभी बच्चे सभी सब्जेक्ट को सीखेंगे तथा अधिगम करेंगे अर्थात अधिगम का मतलब है कूदना इसका मुख्य उद्देश्य था कि इस विद्यालय में सभी लोग आएं बतख मां से तैरना सीखा था खरगोश में उड़ना नहीं आता था प्रैक्टिस करो चलना दौड़ना सीखो बतख बार-बार चलने लगी और टहलने भी लगी बतख के बार बार चलने से उसके पैर फट गए पैर में घाव हो गए हैं तैरने के बाजार बताना उसको नहीं आया ए ग्रेड के बजाय वह बताती डी ग्रेड में आई ।तो बतख छोटी बतख के परिवार ने निर्णय लिया कि इसको हम स्कूल में नहीं भेजेंगे इससे हमारे परिवार में बड़ी हंसी हुई खरगोश को जब करने को कहा तो वह कांपने लगा पिछली बार तो मैं किसी तरह बच गया था जब मुझे पानी में डाला जाए खरगोश पतली गली से निकल गया । जानवरों ने अपने करिकुलम में दौड़ना टायर ना पेड़ पर चढ़ना खुद अपना आदि डाला अर्थात सभी विषय के करिकुलम में शामिल किया गया अर्थात सभी अव्वल आए इसके लिए सभी को चिन्हित किया गया साथ ही स्कूल से भी भाग गया । 3 महीने का रिकॉर्ड कार्ड देखा परिवार ने तो बता कि नानी भी करीबी दोस्त और बहुत से लोग थे उस उस उस के रिपोर्ट कार्ड की देखने के लिए उत्सुकता थी पहली बार रिपोर्ट कार्ड में देखा तो दिन था बत्तख का परिवार बहुत दुखी हुआ छोटी सी आज छोटी सी बता कोई स्कूल में नहीं भेजेंगे इसने तो हमारे परिवार का बहुत निराशाजनक स्पॉट कार्ड लाई है साथ ही मन खराब हुआ पुण्य तुम बहुत प्यारी गिलहरी हो इधर खुदा खुद आकर करने से तुम्हें मार्क से नहीं मिलेंगे नीचे से शाखा पर चढ़ और इस पेड़ से उत्पाद पर चढ़ या एक डाली से दूसरे डाली पर तू दो तभी मार्क मिला उसे भी मार्क नहीं मिला वह भी बहुत निराश ह। माड्यूल से हमें यह सीख मिलती है कि हम जैसे शिक्षक इन जानवरों से सीख लें और बच्चों को आवश्यक करिकुलम का प्रयोग कर बच्चों को विभिन्न गतिविधियां करवाएं साथ ही हम शिक्षकों को दैनिक जीवन में बच्चों से खुश रख सकते हैं साथ ही उनका पोटेंशियल उभारने की पूरी कोशिश या चेष्टा सामने आएंगी जो हम लेकर लक्ष्य लेकर आते हैं उस लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं यही इस कहानी का मूल उद्देश्य था हम खरगोश गिलहरी और बतख से हम भी निराश हैं क्योंकि एक शिक्षक हैं शिक्षक इन तीनों जानवरों को एक बच्चा ही समझ कर आप बार-बार अभ्यास कराइए अर्थात स्टेप बाई स्टेप अध्यापन कराइए बच्चे कैसे नहीं सीखेंगे अर्थात हम जैसे शिक्षक बच्चों को पुनर्वास सब व्यवहार डांट फटकार नहीं होनी चाहिए उन्हें सहृदयता कके साथ बच्चों को स्कूल में तालीम के साथ ही इस में जानवरों की कहानी से सीख हमें भी मिली और बच्चे भी आनंद महसूस किए कहानी को सुनकर।

    ReplyDelete
  9. इस कहानी ने हम शिक्षकों को मजबूर कर दिया कि बतख गिलहरी और खरगोश के प्रयास विफल होने यानी हमारी जो पढ़ाने की गतिविधि है और ठीक ढंग से होनी चाहिए जिससे विविध क्रियाकलाप अध्यापन विधियों पर भी ध्यान देना चाहिए साथ ही किस प्रकार अच्छे ढंग से भटकता है रत्ना जानती है और गिलहरी एक डाली से दूसरी डाली पर फूटा जाती है फिर भी यह अपने प्रतियोगिता में सबसे पीछे रहे इसका भाव यह निकलता है कि हमें जो प्रेजेंटेशन अध्यापन पूर्व देना होता है उसको सुचारू रूप से करें और विद्यालय में एक सुनियोजित पाठ योजना तैयार कर बच्चों को पढ़ाया जाए जिससे गिलहरी और फटाक तथा खरगोश जैसी नियत ना हो यही कथा का सार है

    ReplyDelete
  10. हिमांशु मिश्र
    शासकीय माध्यमिक विद्यालय चक गुंधारा ग्वालियर
    इस कहानी से हमें यह समझ आया कि विद्यालय में भी भिन्न भिन्न प्रकार के बच्चे होते हैं जिनकी अलग अलग गुण और क्षमतायें होती हैं हमें उन्हें उनके गुणों और क्षमताओं को देखकर समझकर ही शिक्षण कराना चाहिए ऐसा ना करने से बच्चों की खुद की प्रतिभा भी खत्म हो सकती है और वे विद्यालय छोड़ भी सकते हैं जैसा कि कहानी में उल्लेखित किया गया है

    ReplyDelete
  11. कहानी का सीधा सा मतलब है विद्यार्थी को उसकी स्ट्रैंथ से विमुख नहीं करना चाहिए
    अगर सचिन तेंदलकर को पड़ने के लिए विवश किया गया होता तो आज वो बेस्ट क्रिकेटर नहीं बन पाते
    इस लिए पड़ाने के साथ साथ विद्यार्थी की रुचि का भी विशेष ध्यान रखना जरूरी है

    ReplyDelete
  12. Bcho ko Swatantrata ke sath apne vichar rkhne dena chahiye

    ReplyDelete
  13. मैं अमृत लाल पाटीदार सीएससी संकुल केंद्र बर वेट तहसील पेटलावद जिला झाबुआ मैं मेरे विद्यालय के एक गांव में कोरोनावायरस हो जाने के कारण पड़ोसी गांव के बच्चे भी डरे हुए थे उनके माता-पिता भी डरे हुए थे फिर मैंने बचाव के तरीकों को बरतने को कहा जैसे मास्क हैंड वॉच 2 गज की दूरी आदि तथा डीजी ले रेडियो आदि के माध्यम से शिक्षक को देखरेख में पढ़ाने हेतु कहा तथा पढ़ाई जारी रखी

    ReplyDelete
  14. रामानुज रावत
    प्राथ. शिक्षक
    मेरे विचार:- हमारे विद्यालय में भी अलग-अलग प्रकार की योग्यता क्षमता व गुण वाले बच्चे होते हैं हमें उनकी योग्यता एवं गुण को समझकर ही उनकी मन की स्थिति को समझकर ही शिक्षण कार्य कराना चाहिए ऐसा न करने से उनकी प्रतिभा दब सकती है और उनमें बतख की तरह हीन भावना आ सकती है और वे विद्यालय छोड़ भी सकते हैं ।

    ReplyDelete
  15. मेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके

    ReplyDelete
  16. अपने शिक्षको और बच्चो के साथ संपर्क में रहते हुए,उनसे लगातार बात और वाट्सप मैसेज के द्वारा उनकी समस्याओं का समाधान करने का प्रयास स्वयम और वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन और सहयोग से किया

    ReplyDelete
  17. विद्यालय में और कक्षा में विभिन्न क्षमताओं वाले बच्चे होते हैं ..अतः उनको ध्यान में रखकर शिक्षण का उद्देश्य और शिक्षण विधा तैयार किए जाने चाहिए

    ReplyDelete
  18. मोहन सिंह यादव

    कक्षा में विविधता के रूप में भिन्न शारीरिक एवं मानसिक आयु के बच्चे होते हैं जिनकी योग्यता एवं सीखने के स्तर अलग-अलग होते हैं । इन बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ हमें अध्यापन कार्य करना चाहिए । प्रत्येक बच्चे में अपना एक कौशल होता है, शिक्षक के रूप में उसके कौशल को विकसित करना चाहिए साथ ही कमजोर छात्र को हीन दृष्टि या भावना से नहीं आंकना चाहिए, अपितु उसके अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करके उसकी प्रतिभा को निकालना चाहिए।विद्यालय में और कक्षा में विभिन्न क्षमताओं वाले बच्चे होते हैं ..अतः उनको ध्यान में रखकर शिक्षण का उद्देश्य और शिक्षण विधा तैयार किए जाने चाहिए

    ReplyDelete
  19. मोहन सिंह यादव

    कक्षा में विविधता के रूप में भिन्न शारीरिक एवं मानसिक आयु के बच्चे होते हैं जिनकी योग्यता एवं सीखने के स्तर अलग-अलग होते हैं । इन बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ हमें अध्यापन कार्य करना चाहिए । प्रत्येक बच्चे में अपना एक कौशल होता है, शिक्षक के रूप में उसके कौशल को विकसित करना चाहिए साथ ही कमजोर छात्र को हीन दृष्टि या भावना से नहीं आंकना चाहिए, अपितु उसके अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करके उसकी प्रतिभा को निकालना चाहिए।विद्यालय में और कक्षा में विभिन्न क्षमताओं वाले बच्चे होते हैं ..अतः उनको ध्यान में रखकर शिक्षण का उद्देश्य और शिक्षण विधा तैयार किए जाने चाहिए

    ReplyDelete
  20. Govt. Ke direction Anusaar Shikshan Karya kiya

    ReplyDelete
  21. जानवरों का विद्यालय कहानी से तात्पर्य है कि छात्रों को उनके गुणों एवंविशेषताओं के आधार पर ही गुणों मे निखार लाया जाए रुचि अनुरुप शिक्षण हो क्योंकि हर व्यक्ति की प्रकृति भिन्न भिन्न होती है।

    ReplyDelete
  22. कहानी में विविधता को प्रदर्शित करने के लिए इस तरह की कहानी होना चाहिए जिसमें विविधता को प्रदर्शित किया जा सके जैसे कि कोई कहानी है जिसमें अलग-अलग प्रकार के बच्चे हैं और वह साथ में मिलकर ग्रुप में काम कर रहे हैं लड़के लड़कियां हैं वह एक साथ मिलकर काम कर रहा है कोई किसी समस्या का हल खोज रहे हैं और अलग-अलग प्रकार के हल खोज कर एक बेहतर निष्कर्ष पर पहुंचे जाते हैं।

    ReplyDelete
  23. द एनिमल स्कूल काल्पनिक कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि विद्यालयो में शिक्षक इस बात का ध्यान अवश्य रखे कि हम जो पढा रहे हैं सभी बच्चे सीख रहे हैं या नहीं । यदि कोई बच्चा किसी एक विषय में कमजोर है तो दूसरे विषय में अव्वल भी हो सकता है। कोई भी बच्चा कमजोर नहीं होता बस सीखने की गति एवं तरीका अलग हो सकता है

    ReplyDelete
  24. mein varsha jaat madhyamik shikshak khadera belkhader vikaskhand Sagar se kaksha mein vividhta ke roop mein alag alag kshamta wale bacche hote hain unki shamta ko hamen pahchan kr usi Roop mein unka vikas karna hai tabhi unka sarvangin vikas sambhav ho sakta hai

    ReplyDelete
  25. हमे प्रत्येक बच्चे की मानसिक स्थित ,रुचि एवं उसकी प्रतिभा का ध्यान रखकर शिक्षण विधियां अपनाना चाहिए

    ReplyDelete
  26. आज के समय की कटु सच्चाई

    ReplyDelete
  27. Mai leeladhar deshmukh EPS CHAKORA ham jante hai ki sabhi bachche ek jaise nahi hote hai toh iske liye hame sabhi bachcho ki capability ke anusar unhe developed karna chahiye.

    ReplyDelete
  28. बच्चो की भिन्नता को ध्यान में रखते हुए, सभी को साथ मे पढ़ना, उनकी कमियां गिनवाने की जगह उनकी खूबियों को और तराशने के अवसर प्रदान करना ।

    ReplyDelete
  29. Class me har bachhe ki pratibha aur interest alag hote hai , hame har bachhe ki pratibha ko dekhte hue apni teaching me changes krne chahiye

    ReplyDelete
  30. लक्स्य निर्धारित होना चाहिए haumara

    ReplyDelete
  31. मेरे हिसाब से हर बच्चो की अपनी-अपनी एक विशेषता होती है और समझने की क्षमता भी अलग-अलग होती है।इसलिए हम शिक्षकों को बड़े ही विनम्रतापूर्वक सभी बच्चो को समझाना चाहिए।ना कि उन्हे डाँटकर या चिल्लाकर उनपर दबाव डालना चाहिए ।

    ReplyDelete
  32. कक्षा में विविधता के रूप में भिन्न शारीरिक एवं मानसिक आयु के बच्चे होते हैं जिनकी योग्यता एवं स्तर अलग-अलग होते हैं । इन बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ हमें अध्यापन कार्य करना चाहिए । प्रत्येक बच्चे में अपना एक कौशल होता है, शिक्षक के रूप में उसके कौशल को विकसित करना चाहिए साथ ही कमजोर छात्र को हीन दृष्टि या भावना से नहीं आंकना चाहिए, अपितु उसके अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करके उसकी प्रतिभा को निकालना चाहिए।

    ReplyDelete
  33. इस कहानी व्दारा यह समझ विकसित हुई की जिन बच्चो की रुचि जिस क्षेत्र मे है हम उसे शिक्षा देने के साथ साथ उसी क्षेत्र मे प्रेरित,करे

    ReplyDelete
  34. हमे सभी बच्चो की मानसिक स्थिति ओर रुचि के अनुसार ही उन्हें अध्यापन कार्य कराया जाना चाहिए परिवार को भी बच्चों को मानसिक दबाव नहीं देना चाहिए

    ReplyDelete
  35. लक्ष्य का निर्धारण कर बच्चों की रुचि के अनुसार कार्य कराना एवं शाला त्यागी होने से बचाना

    ReplyDelete
  36. Bachchon ki vibhinn mansik bauddhik avm sharirik visheshtao k aadhar par unhe padhana chahiye

    ReplyDelete
  37. राकेश पंथी प्राथमिक शिक्षक खैरोदा बागरोद
    मेरे द्वारा बच्चों को दालान से लेकर नीम के वृक्ष के नीचे बड़ी ही निष्ठा के साथ बच्चों को पढ़ाया गया कोरोनावायरस से बचाव के लिए जानकारी दी गई। लॉक डाउन में सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखकर घर घर जाकर एवं मोबाइल के माध्यम से बच्चों को शिक्षा दी गई।

    ReplyDelete
  38. कोरोना वायरस के दौरान मोबाइल कॉल से बच्चों से संपर्क किया उनकी समस्याओं का समाधान वीडियो भेज कर भी किया जिन बच्चों के पास स्मार्टफोन मोबाइल नहीं थे उनसे ग्रह संपर्क भी किया मास्क लगाया और पर निश्चित दूरी का पालन करके उनकी समस्याओं का समाधान किया पालकों को भी उन्हें निश्चित समय पर पढ़ाई करने बैठ आने का वादा भी लिया

    ReplyDelete
  39. हर एक बच्चे की सीखने क्षमता अलग अलग होती हैं हमें भी उनकी क्षमता और रूचि के अनुसार पढाई की विधिया,तरीके अपनाना चाहिए |

    ReplyDelete
  40. Radhe Radhe
    Pratyek bacchon ki apni visheshta hoti hai. Teacher ke Roop mein unke Kaushal ko viksit karna chahie, Kahani ka sar yah Hai Ki Vidyalay mein bhi Kai Tarah Ke bacche Hote Hain, Unki samajh chhamtaon ko Samajh Kar Hi Hame Shikshan Karya Karana chahie.
    Dhanyawad

    ReplyDelete
  41. देविका पाठक कुंडाली कला,परासिया,छिंदवाड़ा
    कहानी में यह स्पष्ट संदेश है कि हर बच्चे की अभिरुचि अलग अलग होती है।शिक्षक का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने छात्र की अभिरुचियों को खोजें और छात्र की उस अभिरुचि को विक्षित करने मे भरपूर मदद करे।किसी छात्र की रुचि खेल कूद में,ती किसी छात्र की चित्रकारी में,किसी की गणित में तो अन्य विषय में हो सकती है । शिक्षक छात्रों की इन अभिरुचियों को खोजकर छात्र के सम्पूर्ण विकास मे सहायता करे

    ReplyDelete
  42. हर बच्चे की अपनी क्षमता और योग्यता होती है, उसमे कुछ विशेष गुण होते है जो उसे दुसरो से अलग बनाते है। बच्चे में आत्मविश्वास पैदा करते है।

    ReplyDelete
  43. Good morning everyone
    Learning with mobile is the new experience for our department and our students

    ReplyDelete
  44. The animal school ई कहानी से हमे यह प्रेरणा मिलती है कि स्कूल के प्रत्येक कक्षा में अनेक बुद्धि ,गुण, talented, विचार, क्षमता, परिवेश आदि वाले बच्चे होते हैं तो हमे उनके tallent को देखना चाहिए और उनकी सीखने की गति के अनुसार उनको काम देना चाहिए एक axa माहौल बनाना चाहिए ,ताकि उनको सीखने में मन लगे और सभी बच्चों लो साथ मे लेकर चलना चाहिये।

    ReplyDelete
  45. हर बच्चे में एक से समझ नहीं होती उसमें अलग-अलग विशेषताएं पाल जाति कुछ का बुद्धि लब्धि अधिक पाए जाते हैं तो कुछ बुद्धि लब्धि कम पाया जाता है इस कारण उसे अपने हिसाब से शिक्षा के क्षेत्र में बढ़ाया जाना चाहिए

    ReplyDelete
  46. कक्षा में भिन्न-भिन्न समस्या से ग्रसित जैसे सामाजिक, आर्थिक एवं मानसिक समस्या से जूझ रहे बच्चे अध्ययन करते हैं हमें उन समस्याओं को समझ कर उनमें छुपी प्रतिभाओं को उजागर कर उन्हें कक्षा के सभी विद्यार्थियों के साथ आगे बढ़ने का समान अवसर उपलब्ध कराना चाहिए एवं उनमें व्याप्त गुणों की प्रशंसा करना चाहिए ।

    ReplyDelete
  47. गिरिराज कुमार सिंघल
    यह मॉड्यूल नई शिक्षा नीति के अन्तर्गत शिक्षा शास्त्र की एक अच्छी समझ पर आधारित है इस कहानी से कुछ क्रिया बिन्दु निकलकर आते हैं कि एक कक्षा में विभिन्न प्रकार विद्यार्थी होते हैं हर विद्यार्थी की क्षमता अलग अलग होती है जिस प्रकार बतख पेड़ पर नही चढ़ सकती खरगोश उड़ नही सकता उसी प्रकार हर एक विद्यार्थी में कुछ खासियत और कुछ कमजोरी होती हैं शिक्षक को चाहिए कि वो कमजोर विद्यार्थी से किसी प्रकार का द्वेष ना करे और उसके अंदर की छिपी प्रतिभा को निखारने में उसकी मदद करे जिससे विद्यार्थी अपना सर्वांगीण कर देश के उत्थान में अपना योगदान दे सके l

    ReplyDelete
  48. मैं विकास पाठक
    सभी बच्चों की अपनी बिशेषता होती है
    हमे उन बिसेषताओं को पहचानना है किसी एक बच्चे की बिशेषता दूसरे की कमजोरी हो सकती है पर हमें सभी पर एक जैसा ध्यान देना है
    माहौल ऐसा भी बना सकते है कि बच्चे आपस मे भी एक दूसरे से सीख सकते है
    बस हमे सही मार्गदर्शन करना है

    ReplyDelete
  49. मैं दिलीप कुमार मिश्रा प्राथमिक विद्यालय अमलई जन शिक्षा केन्द्र बसकुटा जनपद शिक्षा केद्र मानपुर जिला-उमरिया मैने कोविड- 19 में बच्चों की पढाई निरन्तर जारी रखने के लिये सबसे पहले बच्चों के ह्वाटशाप ग्रुप बनाकर बच्चों को उन ग्रुप में जोड़ा और जिन बच्चों के पास एण्डाइड मोबाइल नहीं थे,तो मैने 64 जी वी का एक यस डी कार्ड खरीद कर डिजीलेप की आने वाले कन्टेन्ट को अपने मोबाइल में डाउनलोड करके उनकोरोज मोहल्ला कक्षा में उनके घर घर जाकर दिखाया
    जिससे बच्चों की पढाई रूकी नही और बच्चों की प्रगति निरंतर चलती रही

    ReplyDelete
  50. अलग-अलग बच्चों की क्षमताएं अलग-अलग होती है।उनकी क्षमता ओं को पहचाने और उसके अनुसार क्षमता ओं को विकसित करने में सहीयोग करें।

    ReplyDelete
  51. मे बबिता चिनोरिया प्राथमिक शिक्षक,भगतपुरि । वि.ख. खाचरौद जिला उज्जैन. Covd19 की स्थिति में बच्चों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाया उनके पास तक जानकारी पहुचाने का काम किया, मोहल्ला क्लास चल रही हैं बच्चे पढाई कर रहे है।

    ReplyDelete
  52. जैसा कि हम सब को विदित है कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है किअगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल हो जाएंगे। इसलिए प्रत्येक विद्यार्थियों को अपनी भिन्न योग्यता को ज्ञात कराने का कार्य शिक्षक को करना चाहिए ताकि वह उसमे पूर्ण रूप से सफल हो सके।

    ReplyDelete

  53. मेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके

    ReplyDelete
  54. मेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके

    ReplyDelete
  55. गौरी शंकर गौतम शासकीय प्राथमिक शाला साली बालाघाट विकासखंड अमरवाड़ा जिला छिंदवाड़ाक्लास में तरह तरह के विद्यार्थी होते है , प्रत्येक विद्यार्थी में अलग अलग गुण होते हैं, हम अध्यापक का यह कर्तव्य होता ह कि हिम उसके गुण या योग्यता का विकास करें तथा उसे प्रोत्साहित करें, कभी भी किसी कमजोर विद्यार्थी को हीन भावनासे नहीं देखना चाहिए , नहि तों जैसा की हमने कहानी में देखा की विद्यार्थी विद्यालय छोड़ने तक का सोचने लगते हैं, तथा खुद को कमजोर समझने लगते है , विद्यार्थी की जीवन में अध्यापकका बहुत महत्व होता है कि हिम किस तरह से उसे प्रोत्साहित करे।

    ReplyDelete
  56. जैसा कि हम सब को विदित है कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग अलग होती है। प्रत्येक विद्यार्थियों को अपनी भिन्न योग्यता को ज्ञात कराने का कार्य शिक्षक को करना चाहिए ताकि वह उसमे पूर्ण रूप से सफल हो सके

    ReplyDelete
  57. प्रत्येक बच्चे की अलग अलग विशेषता होती है अलग-अलग स्तर होते हैं बच्चों के स्तर को ध्यान में रखकर किसी भी कहानी की व्यवस्था के लिए सरल शब्दों में चर्चा कर कहानी की विविधता को समझाते हैं।
    राकेश पंथी प्राथमिक शिक्षक खैरोदा बागरोद

    ReplyDelete
  58. जानवरों की क्लास में सभी जानवरों के रहन-सहन आचार-विचार अलग-अलग होते हैं । उनकी परिस्थिति के आधार पर किसी को कुछ अच्छा लगता है किसी को कुछ, इन सभी बातों का अध्ययन कर जो सर्व सामान्य के लिए लागू हो ऐसी बातों को ध्यान मे रखना होगा ।

    ReplyDelete
  59. मैं राजकुमार शर्मा सहा.शिक्षक शा.ए.मा.वि.नोहरी कलां।
    बच्चों को उनकी क्षमता के साथ अन्य क्षमताएं विकसित करने हेतु प्रोत्साहित करें परन्तु उन्हें हताष या निराश न होने दें।
    जैसे कहानी में बता तैर सकती पर पेड़ पर नहीं चढ़ सकती परन्तु दौड़ तो सकती है।
    और आगे बढ़ सकें।
    बच्चों को उनकी विशेषताओं के साथ अन्य क्षमताएं विकसित करने पर दबाव न डालते हुए प्रोत्साहित करें।

    ReplyDelete
  60. महान वैज्ञानिक अल्‍बर्ट आइंस्‍टीन का कहना था कि, 'प्रत्‍येक व्‍यक्ति जीनियस है। यदि आप मछली में पेड़ पर चढ़ने की योग्‍यता देखेंगे तो वह जिंदगी भर स्‍वयं को मूर्ख समझेगी। ' यानी कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है कि जो गुण बतख में था या, गिलहरी में या ख़रगोश में था, उसकी अनदेखी की गई और उनसे वो कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी, इस तरह असफलता के भय ने उन्हें घेर लिया। अगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल।

    ReplyDelete
  61. रामेश्वर श्रीवास्तव कन्या हाथीखाना दतिया
    सभी वर्गों के बच्चे साथ-साथ पढ़ें और बड़े बच्चे इस कल्पना को साकार करने के लिए मैडम अनुपमा आहूजा द्वारा द एनिमल स्कूल के विषय में एक काल्पनिक और बड़ी रोचक कहानी सुनाई गई ऐसा सुनकर हम सभी शिक्षकों के अंदर एक नई जागृति पैदा हुई जिसमें हमें रोचक तरीके से यह बताया गया है गिलहरी बदक और खरगोश यह सभी जानवर चलना उड़ना और तैरना सीख रहे है अर्थात सभी तरह के बच्चों को सभी तरह की शिक्षा अनिवार्य है यह उनका मौलिक अधिकार है इस कठिन विषय को बहुत ही सरल तरीके से समझाया गया है

    ReplyDelete
  62. मछ्ली से यदी पेड पर चढ़्ने की उम्मीद की जाए तो यह नसमझी हे हर कक्षा मे अलग अलग छमता वाले छात्र होते हे ओर वह उसी क्षेत्र में ग्रो कर सकते है ज़ीसमे वह विशेष योग्यता रखता है इसलिए उने जबरन कोई पाठक्रम नही पधाना चहिए

    ReplyDelete
  63. Bachcho ki suvidhaon avam unkie parivesh ko dhyan me rakhte huyeranniti banaker shikshan kary karna

    ReplyDelete
  64. कक्षा में तरह-तरह के विद्यार्थी होते हैं और हर विद्यार्थी में अलग-अलग गुण होते हैं हमारा कर्तव्य है कि उनके गुणों को निकालना और उनका सर्वांगीण विकास करना

    ReplyDelete
  65. I am ghasiram bisen ms khamghat distric Balaghat lalburra hme kisi bachche ko kamjor nhi समझना चाहिए सभी बच्चों साथ में रेड करना है उन्हें अव्वल रहने के लिए प्रेरित करने की कोशिश करते रहे

    ReplyDelete
  66. सभी छात्र छात्राओं में अलग-अलग प्रतिभा होती है ,हमें आवश्यकता है उन गुणों को पहचानना चाहिए और उनके उन गुणों को विकसित करने पर ध्यान देना चाहिए।

    ReplyDelete
  67. पुष्पलता पटेल Gms ग्वालनगर हरदा । प्रत्येक व्यक्ति जन्मजात विभिन्नता के साथ उत्पन्न हुआ है एक ही उम्र के बच्चों में बुद्धि का स्तर अलग अलग होता है अतः उसकी विभिन्न आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर उसे अवधारणाओं को स्पष्ट किया जाए तो वह ज्यादा अच्छी तरह से और जल्दी समझ पाएगा।

    ReplyDelete
  68. कोविड 19 में बच्चों को मोबाईल द्वारा एवं घर घर जाकर बच्चों को पढ़ाया ।

    ReplyDelete
  69. हम जानते है कि सभी बच्चे एक समान नही होते प्रत्येक में कुछ न कुछ अलग होता है उनके गुणों में भिन्नता होती है जैसे कोई पढ़ने में होसियार है तो कोई खेल कूद में अव्वल कोई दौड़ अच्छी लगता है तो कोई तैराकी में उत्तम है अतः एक शिक्षक को चाहिए कि वह ये प्रयास करे कि जो छात्र जिस विधा में अच्छा है उसे उसी में प्रोत्साहन दे

    ReplyDelete
  70. कक्षा में छात्रों की क्षमता के अनुसार पृभावी शिक्षण कार्य करेगे साथ उनके विभिन्न गुणों का विकसित करेंगे.

    ReplyDelete
  71. I am gaura devi HS prathmik Khand amha se hu maine covid- 19 ki isthiti mai baccho ka ek what's app group bnaya or unke pass tak digilep video pahuchane ka kam kiya or hmara ghr hmara vidyalay ke madhyam se ghar ghar jakar baccho ko sikhane ka prayash kiya

    ReplyDelete
  72. मैं रामनिवास गोर एकता शासकीय कन्या माध्यमिक शाला सिराली हम अध्यापकों का यह कर्तव्य है कि हमारे पास आए हुए सभी प्रकार के कमजोर अच्छे एवं अलग अलग गुणों के बच्चे आते हैं उन सब बच्चों को हमें एक साथ लेकर चलना है कमजोर बच्चों पर अधिक ध्यान देते हुए अच्छे बच्चों को भी साथ में लेकर चलना है कोई बच्चा स्कूल से ना छूटे उसकी पढ़ाई ना छूटे इस प्रकार हमको हर बच्चे के गुणों को ध्यान में रखकर अध्यापन कराना चाहिए विविधता होते हुए भी हमें सभी को साथ में अध्यापन कराना चाहिए

    ReplyDelete
  73. ये बात अपने आप में सत्य है कि हर बच्चे में कुछ न कुछ नैसर्गिक और अनुवांशिक गुण होते हैं और कुछ गुण कम या ज्यादा मात्रा में परिवार,समाज,मित्रों, शिक्षक आदि के संपर्क तथा अभ्यास, प्रेरणा व समर्पणभाव से पैदा होते है अतः बच्चों के नैसर्गिक गुणों को निखारते हुए..,अन्य गुणों के विकास हेतु दबाव न डालकर प्रेरणा,माहौल व अभ्यास से लाने का प्रयास करना उचित है ताकि वह अन्य गुणों को भी कम या ज्यादा आत्मसात कर सकें।

    ... वैज्ञानिक अल्‍बर्ट आइंस्‍टीन का कहना था कि, 'प्रत्‍येक व्‍यक्ति जीनियस है। यदि आप मछली में पेड़ पर चढ़ने की योग्‍यता देखेंगे तो वह जिंदगी भर स्‍वयं को मूर्ख समझेगी। ' यानी कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग-अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है कि जो गुण बतख में था या, गिलहरी में या ख़रगोश में था, उसकी अनदेखी की गई और उनसे वो कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी, इस तरह असफलता के भय ने उन्हें घेर लिया। अगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल हो जायेगें।

    ReplyDelete
  74. इस अवधि में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में और उसे शिक्षकों द्वारा कैसे प्रदान किया जा सकता है उसमें आमूलचूल परिवर्तन होना चाहिए। हर विद्यार्थी में उसकी एक अलग ही रुचि होती है उस क्षेत्र में शिक्षकों ने प्रोत्साहित करना चाहिए। विद्यार्थियों की असमझता को दूर करने पर अधिक जोर देना चाहिए के लिए न्याय शिक्षा प्रदान करना चाहिए।हर बच्चे की अनोखी जरूरतों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए । बच्चों पर केंद्रित सामाजिक रूप से प्रासंगिक और न्यायोचित पढ़ाई सीखने सिखाने की प्रक्रिया पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए । विश्वास दिलाया कि वह किसी से कम नहीं है उसका जिस चित्र में ज्यादा रुचि उस पर विशेष ध्यान दिया जाए और बाकी चीजों में भी उसे आगे बढ़ाया जाए। जिनसे उनका आत्मविश्वास बढ़े और शिक्षकों पर ज्यादा विश्वास करें क्योंकि एक शिक्षक विद्यार्थी के जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं।

    ReplyDelete
  75. कक्षा में तरह तरह के विद्यार्थी होते है। प्रत्येक विद्यार्थी में अलग अलग गुण होते हैं। हम शिक्षक प्रशिक्षक का यह कर्तव्य होता ह कि हमे शिक्षक एवं बच्चों में उसके गुण या योग्यता का विकास करें तथा उसे प्रोत्साहित करें। कभी भी किसी कमजोर विद्यार्थी को हीन भावनासे नहीं देखना चाहिए ए नहि तों जैसा की हमने कहानी में देखा की विद्यार्थी विद्यालय छोड़ने तक का सोचने लगते हैंए तथा खुद को कमजोर समझने लगते है ए विद्यार्थी की जीवन में अध्यापकका बहुत महत्व होता है कि हिम किस तरह से उसे प्रोत्साहित करे।

    ReplyDelete
  76. महेन्द्र सिंह गुर्जर शा.प्रा.वि.तलावड़ा विकास खण्ड-राजगढ़ जिला राजगढ़
    ' द एनिमल स्कूल ' कल्पनिक कहानी में जो गुण बतख में था या गिलहरी या खरगोश में था उसकी अनदेखी की गई
    और उनसे वह कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी। अपनी कक्षा के सभी बच्चों को उनकी मानसिक स्थिति के अनुरूप शिक्षण प्रदान करने के लिए रूचि अनुसार शिक्षण प्रदान करने की कोशिश कर ना चाहिए जिससे बच्चों के मन में असफलता की भावना ना आए।

    ReplyDelete

  77. मैं संजय कुमार जासूजा, माध्यमिक शिक्षक,शा.मा.कसही,पनागर,जबलपुर ।ये बात अपने आप में सत्य है कि हर बच्चे में कुछ न कुछ नैसर्गिक और अनुवांशिक गुण होते हैं और कुछ गुण कम या ज्यादा मात्रा में परिवार,समाज,मित्रों, शिक्षक आदि के संपर्क तथा अभ्यास, प्रेरणा व समर्पणभाव से पैदा होते है अतः बच्चों के नैसर्गिक गुणों को निखारते हुए..,अन्य गुणों के विकास हेतु दबाव न डालकर प्रेरणा,माहौल व अभ्यास से लाने का प्रयास करना उचित है ताकि वह अन्य गुणों को भी कम या ज्यादा आत्मसात कर सकें।

    ... वैज्ञानिक अल्‍बर्ट आइंस्‍टीन का कहना था कि, 'प्रत्‍येक व्‍यक्ति जीनियस है। यदि आप मछली में पेड़ पर चढ़ने की योग्‍यता देखेंगे तो वह जिंदगी भर स्‍वयं को मूर्ख समझेगी। ' यानी कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग-अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है कि जो गुण बतख में था या, गिलहरी में या ख़रगोश में था, उसकी अनदेखी की गई और उनसे वो कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी, इस तरह असफलता के भय ने उन्हें घेर लिया। अगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल हो जाएगा।

    ReplyDelete
  78. सभी बच्चे एक ही योग्यता के नही होतेहै
    उनकी समझ और रुचि भिन्न होती है हमे उनकी रुचि के अनुसार उन्हें शिक्षा प्रदान करना चाहिए

    ReplyDelete
  79. Its being a pleasure for me to learned like this where we should focused on every animals to grow together.

    ReplyDelete
  80. आज काम के तनाव में बच्चों को एक लाठी से हांकने का काम हो रहा है,,,, शैलेन्द्र त्रिवेदी

    ReplyDelete
  81. इस कहानी ने हम शिक्षकों को मजबूर कर दिया कि बतख गिलहरी और खरगोश के प्रयास विफल होने यानी हमारी जो पढ़ाने की गतिविधि है और ठीक ढंग से होनी चाहिए जिससे विविध क्रियाकलाप अध्यापन विधियों पर भी ध्यान देना चाहिए साथ ही किस प्रकार अच्छे ढंग से भटकता है रत्ना जानती है और गिलहरी एक डाली से दूसरी डाली पर फूटा जाती है फिर भी यह अपने प्रतियोगिता में सबसे पीछे रहे इसका भाव यह निकलता है कि हमें जो प्रेजेंटेशन अध्यापन पूर्व देना होता है उसको सुचारू रूप से करें और विद्यालय में एक सुनियोजित पाठ योजना तैयार कर बच्चों को पढ़ाया जाए जिससे गिलहरी और फटाक तथा खरगोश जैसी नियत ना हो यही कथा का सार है

    ReplyDelete
  82. कक्षा मे विभिन्न परिवेश से आए बच्चों की परिस्थितियाँ व सीखने का तरीका अलग -अलग होता है जिसका ध्यान रखते हुए बच्चों को उनके स्तर अनुसार सहयोग करते हुए उनके गुणो को उभारने का प्रयास होना चाहिए

    ReplyDelete
  83. बच्चों के कोमल मन में बातों को गहराई तक पहुंचाने का तरीका कहानियां जिसमें बेहतर सीख व्यवहारिकता नेतृत्व जैसी बातों को आसान शब्दों के माध्यम से जीवन मैं अच्छे संस्कार की ओर प्रेरणा शिक्षाप्रद विविध क्रियाकलाप अच्छे ढंग से कराए जा सकते हैं

    ReplyDelete
  84. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  85. शासकीय माध्यमिक शाला सांधी

    ReplyDelete
  86. Namaste, Mai lock down Mai bhi Baccho ko DigiLEP ke dwara margdarshan deti rahi .phir hamara ghar hamara vidhyalay Yogna mai door to door jakar Baccho ko samjha rahi hu. Baccho se is prakar alag alag milkar unhe acchi Tarah se samjne aur samjhane ka avsar Mila. Thnks

    ReplyDelete
  87. मैं गुलाब साहू,विद्यालय का नाम- शासकीय प्राथमिक शाला कोटी-गुलेंदा,हम अध्यापकों का यह कर्तव्य है कि हमारे पास आए हुए सभी प्रकार के कमजोर अच्छे एवं अलग अलग गुणों के बच्चे आते हैं उन सब बच्चों को हमें एक साथ लेकर चलना है कमजोर बच्चों पर अधिक ध्यान देते हुए अच्छे बच्चों को भी साथ में लेकर चलना है कोई बच्चा स्कूल से ना छूटे उसकी पढ़ाई ना छूटे इस प्रकार हमको हर बच्चे के गुणों को ध्यान में रखकर अध्यापन कराना चाहिए विविधता होते हुए भी हमें सभी को साथ में अध्यापन कराना चाहिए।

    ReplyDelete
  88. sabhi baccho ke gun aur ruchi alag alag hoti he. hme unhe unki ruchi aur gun ke anusar shiksha deni chahiye.

    ReplyDelete
  89. मेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके

    ReplyDelete
  90. शासकीय माध्यमिक शाला सांघी श्रीमती स्नेह लता पटेल माध्यमिक शिक्षक बच्चों के कोमल मन में बातों को गहराई तक पहुंचाने का तरीका कहानियां जिसमें बेहतर सीख व्यावहारिकता नेतृत्व जैसी बातों को आसान शब्दों के माध्यम से जीवन में अच्छे संस्कार की और प्रेरणा शिक्षाप्रद क्रियाकलाप अच्छे ढंग से कराए जा सकते हैं

    ReplyDelete
  91. सभी बच्चो को उनकी विशेषता और योग्यता अनुसार एक साथ सिखने सिखाने की प्रक्रिया करनी चाहिए ।

    ReplyDelete
  92. मैं दीनदयाल शर्मा माध्यमिक शिक्षक माध्यमिक शाला बिसराही हम अध्यापकों का यह कर्तव्य है कि हमारे पास आए हुए सभी प्रकार के कमजोर अच्छे एवं अलग अलग गुणों के बच्चे आते हैं उन सब बच्चों को हमें एक साथ लेकर चलना है कमजोर बच्चों पर अधिक ध्यान देते हुए अच्छे बच्चों को भी साथ में लेकर चलना है कहानी कमजोर बच्चो को समझाने का सबसे सरल एबं प्रभावी तरीका है।

    ReplyDelete
  93. Namste, Mai lock down Mai bhi DigiLEP dwara Baccho ko margdarshan deti rahi. Hamara ghar hamara vidhyalay Yogna mai door to door jakar Baccho ko samjha rahi hu. Baccho se is prakar alag alag milkar unhe samjhne aur samjhane ka avsar Mila. Thnks

    ReplyDelete
  94. विद्यालय में अलग अलग योग्यता एवम् गुणों बाले विद्यार्थी होते है । हमें उनके बीच समन्वय बना कर योजनाबद्ध तरीके से सब को साथ लेकर उनका सर्वांगीण विकास करने के लिए भिबिन्न गतिविधियों के साथ विद्यालय में अध्ययन करना चाहिए ।

    ReplyDelete
  95. मैं रीतेश कोरी मा शिक्षक शा. मा . शाला नीमनमूढ़ा तह.-सोहागपुर जिला- होशंगाबाद (म.प्र.) मैंने बच्चों के अलग-अलग स्तर को ध्यान में रखते हुए शिक्षण कार्य कराया है ताकि बच्चों की गुणवत्ता और योग्यता का विकास हो सके ।

    ReplyDelete
  96. कक्षा में तरह तरह के विद्यार्थी होते है। प्रत्येक विद्यार्थी में अलग अलग गुण होते हैं। हम शिक्षक प्रशिक्षक का यह कर्तव्य होता है कि हमे शिक्षक एवं बच्चों में उसके गुण या योग्यता का विकास करें तथा उसे प्रोत्साहित करें। कभी भी किसी कमजोर विद्यार्थी को हीन भावनासे नहीं देखना चाहिए नहि तों जैसा की हमने कहानी में देखा की विद्यार्थी विद्यालय छोड़ने तक का सोचने लगते हैंए तथा खुद को कमजोर समझने लगते है विद्यार्थी के जीवन में अध्यापक का बहुत महत्व होता है

    ReplyDelete
  97. कक्षा शिक्षण में सभी तरह के विद्यार्थी होते हैं उन्हें उनके योग्यता के आधार पर शिक्षित करना ही इस कहानी का मुख्य उद्देश्य है यह बहुत उपयोगी है

    ReplyDelete
  98. हर बच्चों मे एक जैसे सोचने की बुद्धि की क्षमता नही होती है प्रत्येक बच्चो में अलग अलग विचार होते हैं हमें उनके tallent को देखने के अनुसार ही काम देना चाहिए

    ReplyDelete
  99. अविनाश चंद्र नागोत्रा
    कक्षा में विविधता के रूप में भिन्न शारीरिक एवं मानसिक आयु के बच्चे होते हैं जिनकी योग्यता एवं सीखने के स्तर अलग-अलग होते हैं ।सबकी अपनी अपनी विचार धारा होती है सबके अपनी अपनी काबिलियत होती है इन बच्चों को अन्य सामान्य बच्चों के साथ हमें अध्यापन कार्य करना चाहिए । शिक्षक के रूप में उसके कौशल को विकसित करना चाहिए साथ ही कमजोर छात्र को हीन दृष्टि या भावना से नहीं आंकना चाहिए, अपितु उसके अंदर छुपे हुए कौशल को विकसित करके उसकी प्रतिभा को निकालना चाहिए।

    ReplyDelete
  100. द एनिमल स्कूल की कहानी में सत्यता है। क्योंकि प्रत्येक बच्चा अपने आप मे किसी भी क्षेत्र में एक विशेष गुण लेकर जन्म लेता है। उम्र के साथ2 वह गुण उसमे विकसित होता है।
    शिक्षक को चाहिए कि मनोवैज्ञानिक तरीके से उसके उस गुण को पहचान कर, सामान्य शिक्षा के साथ गुण को भी विकसित करें।
    ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार फ़िल्म " तारे ज़मी पर" का निर्देशन किया गया है।

    ReplyDelete
  101. कक्षा में कई प्रकार के छात्र होते हैं, हमें उन्हें उनकी क्षमताओं के अनुसार पढ़ाना होगा l कुछ विषयों में कमजोर छात्रों को अधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है l हमें उनकी ताकत और कमजोरी को स्वीकार करना होगा और उन्हें सर्वश्रेष्ठ सिखाने के लिए उनके स्तर तक पहुंचना होगा जिसे वे समझ सकते हैंl जानवरों के स्कूल की तरह हमें भी पढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार छात्र मिलते हैं और हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें बिना किसी भेदभाव के पढ़ाएँ l

    ReplyDelete
  102. Jis tarah se hum apne parivar ke har sadsya ko mahtv dete h aur unka har prakar se sahyog karte h usi tarah jab hum shala ke bachcho ke saath bhi imandari evm sahyog karna chahiye bhedbhav nhi karke sabhi bhachcho ko apne gyan se otprota karna chahiye.
    Devaki chouhan.
    Assi.teacher Rajbhavan school bhopal

    ReplyDelete
  103. मैं सुरेश मिश्रा शायकीय माध्यमिक विद्यालय अंसेरा , जिला- बालाघाट में कार्यरत हूँ।
    मैंने lockdown के दौरान डिजिटल दीक्षा aap का प्रयोग करते हुए विद्यार्थियों की जहां तक संभव हो सका कक्षा लेने का प्रयास किया।
    साथ ही social distancing और मास्क के साथ कुछ कक्षाएं घर मे भी लेने का प्रयत्न किया।
    और मैं आगे भी इस हेतु तत्पर रहूँगा।

    ReplyDelete
  104. मैं मंसूर खान प्राथमिक विद्यालय नवा नवापाड़ा मैं हम सभी शिक्षकों ने कोविड-19 में नियमित जाकर गांव में हमारी शाला हमारे विद्यालय के तहत मोहल्लो जाकर कोने के माध्यम से बच्चों को गृह कार्य देखना गृह कार्य देना और वर्क बुक में नियमित अध्ययन करवाना और ऐसे छात्र छात्रा जहां नेटवर्क नहीं मिलता वहां पर हमारे मोबाइल से डीजी लैब कार्यक्रम को दिखाना उस पर चर्चा करना और उसमें जो परेशानी आ रही है उसको हल करना तथा साप्ताहिक टेस्ट और दक्षता उन्नयन आदि कार्यक्रम निरंतर कोविड-19 के तहत चल रहे हैं और हम लगातार राज्य शिक्षा केंद्र के नियमों को फॉलो कर रहे

    ReplyDelete
  105. हर बच्चे की क्षमता को पहचान कर उसे प्रोत्साहन देते हुए शिक्षण कार्य करना।

    ReplyDelete
  106. हमें अपनी कक्षा के सभी बच्चों को उनकी प्रतिभा और उनकी रुचि को ध्यान में रखते हुए अध्यापन कार्य करवाना चाहिए।जब हम प्रत्येक बच्चे को उसकी रुचि के अनुसार शिक्षण कार्य कराएंगे तो बच्चे अधिक गति से सीखेंगे एवं उनका आत्मविश्वास बढ़ेगा

    ReplyDelete
  107. कहानी में हमने सुना कि जिस बच्चे में जो प्रतिभा होती है यदि उसे जबरन किसी और काम को करने के लिए कहा जाए तो वह उस काम में इतना अच्छा परफॉर्मेंस नहीं कर पाता है इसलिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि बच्चे की रूचि के अनुसार और उसके गुणों को ध्यान में रखते हुए उसे उस कार्य में हमें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे वह अपने काम में अच्छा परफॉर्म करते हुए आगे बढ़े

    ReplyDelete
  108. मैं मंसूर खान प्राथमिक विद्यालय नवा नवापाड़ा मैं हम सभी शिक्षकों ने कोविड-19 में नियमित जाकर गांव में हमारी शाला हमारे विद्यालय के तहत मोहल्लो जाकर कोने के माध्यम से बच्चों को गृह कार्य देखना गृह कार्य देना और वर्क बुक में नियमित अध्ययन करवाना और ऐसे छात्र छात्रा जहां नेटवर्क नहीं मिलता वहां पर हमारे मोबाइल से डीजी लैब कार्यक्रम को दिखाना उस पर चर्चा करना और उसमें जो परेशानी आ रही है उसको हल करना तथा साप्ताहिक टेस्ट और दक्षता उन्नयन आदि कार्यक्रम निरंतर कोविड-19 के तहत चल रहे हैं और हम लगातार राज्य शिक्षा केंद्र के नियमों को फॉलो कर रहे

    ReplyDelete
  109. कक्षा में कई प्रकार के छात्र होते हैं, हमें उन्हें उनकी क्षमताओं के अनुसार पढ़ाना होगा l कुछ विषयों में कमजोर छात्रों को अधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है l हमें उनकी ताकत और कमजोरी को स्वीकार करना होगा और उन्हें सर्वश्रेष्ठ सिखाने के लिए उनके स्तर तक पहुंचना होगा जिसे वे समझ सकते हैंl जानवरों के स्कूल की तरह हमें भी पढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार छात्र मिलते हैं और हमारी जिम्मेदारी है कि हम उन्हें बिना किसी भेदभाव के पढ़ाएँ l

    ReplyDelete
  110. Class mein alag alag Tarah ke bacche hote hain unme samajh bhi alag alag Hoti Hai Hamara Kartavya hota hai ki Ham unke gunon ko smjhe air yogyata ka Vikas Karen kamjor bacchon per Vishesh Dhyan den aur jo bacche school se Bhag Jaate Hain UN per Vishesh Dhyan de. bacche Mata Pita Ke bad Shikshak Se Hi Jivan ke bare mein Sikhte hain Hamen unko Ho protsahit karna hai.

    ReplyDelete
  111. कक्षा में अलग अलग संस्कार संस्कृति बौद्धिक स्तर वाले बच्चों को एक साथ कक्षा में बैठकर शिक्षा देनी चाहिए।इस हेतु शिक्षकों को बच्चों की आवश्यकतानुसार शैक्षिक विधियों का प्रयोग करना चाहिए।

    ReplyDelete
  112. कक्षा मे अलग अलग क्षमता वाले बच्चे होते हैं उन्हें समावेशित करते हुए उनके गुणों का आकलन करते हुए ज्ञान देना व आंकलन करना जिससे बच्चों मे रुचि पैदा हो वो खुश रहें शाला में उनका मन लगे शालात्यागी ना बनें

    ReplyDelete
  113. Bachho ko unke कौशल क्षमता के आधार पर ही उनका आकलन कर अलग अलग गतिविधियों के माध्यम से सिखाना चाहिए

    ReplyDelete
  114. कहानी व्यंग्यात्मक थी। इस कहानी का सारांश यह है कि कक्षा में विभिन्न विशेषताओं वाले बच्चे होते हैं। साथ ही विशेष आवश्यकताओं वाले बच्चे भी होते हैं। कक्षा में बच्चों के विशेषताओं के अनुरूप संचालित करना चाहिए। साथ ही बोरिंग कक्षा के बजाय उत्साह होना चाहिए। छात्रों के अनुरूप विविध गतिविधियों को समाहित किया जाना चाहिए। छात्रों में सीखने के प्रति संकल्पित होना चाहिए। साथ ही सीखने के साथ- साथ उनका आंकलन तथा समस्या का समाधान किया जाना चाहिए।न कि उनके असफलता का त्रिषकार। कार्य के लिए उत्साहित किया जाना चाहिए

    ReplyDelete
  115. इस कहानी से हमें यह समझ आया कि विद्यालय में भी भिन्न भिन्न प्रकार के बच्चे होते हैं जिनकी अलग अलग गुण और क्षमतायें होती हैं हमें उन्हें उनके गुणों और क्षमताओं को देखकर समझकर ही शिक्षण कराना चाहिए ऐसा ना करने से बच्चों की खुद की प्रतिभा भी खत्म हो सकती है और वे विद्यालय छोड़ भी सकते हैं जैसा कि कहानी में उल्लेखित किया गया है

    ReplyDelete
  116. सादर नमस्कार vividh 19 के कारण हम सभी हमारी शाला के सहयोगी साथी शिक्षक बच्चों से सतत रुप से आज भी हमारा घर हमारा विद्यालय योजना निर्देशानुसार शैक्षणिक कार्य कर रहे हैं।आपका धन्यवाद जो हमारे लिए जितने भी प्रशिक्षण आयोजित किये वे सभी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी होंगे निश्चित ही । धन्यवाद.....

    ReplyDelete
  117. हिम्मत सिंह राजपूत
    शा.मा.शाला सुकलिया

    कक्षा में कई प्रकार के छात्र होते हैं, हमें उन्हें उनकी दक्षताओं के अनुसार पढ़ाना होगा l कुछ विषयों में कमजोर छात्रों को अधिक अभ्यास की आवश्यकता होती है l हमें उनकी ताकत और कमजोरी को स्वीकार करना होगा और उन्हें सर्वश्रेष्ठ सिखाने के लिए उनके स्तर तक पहुंचना होगा जिससे वे समझ सकते हैंl जानवरों के स्कूल की तरह हमें भी पढ़ाने के लिए अलग-अलग प्रकार छात्र मिलते हैं, और हमारी जिम्मेदारी है की उन्हें साथ लेकर पढ़ाये।

    ReplyDelete
  118. सरोज प्रजापति
    govt middle ghatampur
    sagar mp

    शाला में सब तरह के बच्चे होते है।इसलिये पाठ्यक्रम और गतिविधियां इस प्रकार की होनी चाहिए कि सभी बच्चों की प्रतिभा निखर सके और सभी बच्चों को गुणवत्ता पुर्ण शिक्षा प्राप्त हो।

    ReplyDelete
  119. हमारी कक्षा में जो छात्र होते है हैं उनमें कुछ ना कुछ गुण अवश्य छिपे होते है। आवश्यक होता है शिक्षक उनके गुणों को पहचाने।उन्हें प्रोत्साहित करें।उनकी कमजोरी को न देख कर उनके छिपे हुए कौशल का विकास करे।

    ReplyDelete
  120. Alag alag janwarro ki visheshatae alag alag hoti hain
    Vividhata hona jarui hain.

    ReplyDelete
  121. After unlock the program hamara ghar hamara vidyalay played an important role to educate the student

    ReplyDelete
  122. इस कहानी ने हम शिक्षकों को मजबूर कर दिया कि बतख गिलहरी और खरगोश के प्रयास विफल होने यानी हमारी जो पढ़ाने की गतिविधि है और ठीक ढंग से होनी चाहिए जिससे विविध क्रियाकलाप अध्यापन विधियों पर भी ध्यान देना चाहिए साथ ही किस प्रकार अच्छे ढंग से भटकता है रत्ना जानती है और गिलहरी एक डाली से दूसरी डाली पर फूटा जाती है फिर भी यह अपने प्रतियोगिता में सबसे पीछे रहे इसका भाव यह निकलता है कि हमें जो प्रेजेंटेशन अध्यापन पूर्व देना होता है उसको सुचारू रूप से करें और विद्यालय में एक सुनियोजित पाठ योजना तैयार कर बच्चों को पढ़ाया जाए जिससे गिलहरी और फटाक तथा खरगोश जैसी नियत ना हो यही कथा का सार है

    ReplyDelete
  123. सभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि बे वज़ह अधिक प्रेशर डाल कर उनकी विशेषता और योग्यता को दबाना चाहिए ..मेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके....

    ReplyDelete
  124. हर व्यक्ति के अलग अलग गुण होते है । जो कि उसमें जन्मजात होते है। कोई खेल में आगे है तो कोई पढ़ाई में, कोई गायन जानता है तो वादन उसी प्रकार उसके गुणों को पहचान कर यदि उसे कौशल पर ध्यान दिया जाए तो उसका अच्छा विकास हो सकता है।

    ReplyDelete
  125. Nice story we inspire for this story

    ReplyDelete
  126. मंगला कैथवास ps निपानिया जाट फंदा ग्रामीण भोपाल-इस कहानी से हमे सीख मिलती है कि कक्षा में विभिन्न जाति, वर्ग, समूह,आकार, आयु,पृष्ठभूमि,और लिंग के विद्यार्थी होते है हमे बच्चो के गुण के आधार पर कक्षा में अध्यापन कार्य कराना चाहिए और उसकी प्रतिभा को निखारना चाहिए तभी सही मायने में वह उन्नति कर सकता है

    ReplyDelete
  127. हमारे द्वारा कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए शासन द्वारा निर्देशित हमारा घर हमारा विद्यालय के अंतर्गत जिन बच्चों पर एंड्राइड मोबाइल थे उनके ग्रुप बनाकर उन्हें मोबाइल द्वारा अध्यापन कराया एवं जिन बच्चों पर मोबाइल नहीं थी उनको डोर टू डोर कोविड-19 मौका पालन करते हुए संपर्क कर अध्यापन कार्य निरंतर जारी है।

    ReplyDelete
  128. Sabhi bachha ek saman hai.kisi ko heen bhawna se nahi dekhna chahiye

    ReplyDelete
  129. We Are'll inspired for this story

    ReplyDelete
  130. Bacchon ki apni ek yogyata hoti hai use shikshak ko pahchana jaruri hai agar shikshak ne us ki yogyata ko pahchan liyaagar shikshak news kis Yogita ko pahchan liya to bacche ko padhne mein aur shikshak ko padhaane mein bahut aasani rahegi jisse ki yah Jo kahani he batak khargosh aur gilhari ki uska batak jaisa HAL nahin hoga baccha apne aap use chij ko Sikh sakta hai

    ReplyDelete
  131. राष्टीय शिक्षा नीति 2020 का प्रमुख उद्देश्य समावेशी कक्षा शिक्षा है

    ReplyDelete
  132. चित्र जानवरों में अलग जब विशेषताएं होती है उसी तरह बच्चों में भी अलग अलग विशेषताएं होती है कोई बच्चा पढ़ाई गई वस्तु को जल्दी कैच कर लेता है और कोई बच्चा उसे धीरे कैच कर पाता है इसलिए ऐसी गतिविधियां नहीं जानी चाहिए ताकि दोनों तरह के बच्चों को पढ़ने में दिक्कत ना आए और हमारे हमारे लक्ष्य और उद्देश्य पूर्ण हो जाए

    ReplyDelete
  133. प्रत्येक बच्चे मैं उसकी स्वयं कि कुछ विशेष क्षमता और कुछ कमजोरियां होती है हमें उनकी विशेष क्षमताओं को प्रोत्साहित करते हुए उनकी कमजोरियों को दूर करना चाहिए

    ReplyDelete
  134. हर बच्चे में सीखने की क्षमता भिन्न होती है ,हर कक्षा में विभिन्न क्षमताओ वाले बच्चे होते हैं, प्रत्येक बच्चे में अपना एक कोशल होता है।हमे उनके गुणों एवं विशेषताओ के आधार पर ही गुणों में निखार लाया जाता है,हमे प्रत्येक बच्चे की मानसिक स्थिति रुचि एवं उसकी प्रतिभा का ध्यान रखकर, शिक्षण विधियाँ अपनानी चाहिए।
    Smt. santosh nagda

    ReplyDelete
  135. सभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि बे वज़ह अधिक प्रेशर डाल कर उनकी विशेषता और योग्यता को दबाना चाहिए ..मेरी शाला में अलग अलग प्रकार की योग्यता वाले बच्चे हैं,उनकी योग्यता को समझकर शिक्षण कार्य करना होगा।ताकि उनकी योग्यता का विकास हो सके.

    ReplyDelete
  136. इस कहानी से हमे अपनी पाठ योजना को बनाकर सभी को एक साथ शिक्षण करवा सके

    ReplyDelete
  137. सभी बच्चों में अलग अलग प्रतिभाएं होती है बस उनकी प्रतिभागियों को पहचान कर प्रमोट करने की आवश्यकता होती है।

    ReplyDelete
  138. Sabhi bachche alag alag dimag k hote h koi budhhiman to koi kam ....lekin vistar se smjhane pr samjh me aajaate h ...hame har bachche k pdhai k adhar pr smjhana chahiye ...

    ReplyDelete
  139. Sbhi bacho ka sarvangin vikash hoo

    ReplyDelete
  140. Vidhyarti jis chetra me ruchi rakhta h usi chetra me us vidhyarti ko protsahit karna chaliye naki us par apni marji se davab dalna chahiye anytha wah vidhyarthi na Keval apne chetra me paripagya rhega na hi kisi or chetra me use ruchi hogi arthat pratek vidhyarti apne chetra me kushal hota h use usi chetra me badawa Dena chahiye

    ReplyDelete
  141. Es kahani se hame yah samajh aaya ki school mai bhi bhinn bhinn parkar ke bacche hote hai hame unke guno or partibha ko samjhkar shiksha deni chahiye

    ReplyDelete
  142. I am Alka Rajput ,M.S. Deori, Block-Panagar, District-Jabalpur
    .
    I have tought children in moholla classes and also send the studies related videos in whats app group.

    ReplyDelete
  143. छात्रों में जो विशेष गुण हैं उन्हें ध्यान में रखकर आगे शिक्षा देनी चाहिए।।

    ReplyDelete
  144. इस कहानी को सुनने से हमको यह ज्ञात होता है कि जिस प्रकार हमारे हाथ की पांचों उंगलियां बराबर नहीं होती उसी प्रकार बच्चों की सीखने की क्षमता भी अलग-अलग होती हैं अतः कोई बच्चा किसी क्षेत्र में अच्छा कार्य करता है और किसी क्षेत्र में कम कार्य करता है अतः शिक्षक के रूप में सभी बच्चों की विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए उनमें जो विशेषताएं होती हैं उनको और कैसे विकसित किया जा सके इस पर विशेष प्रयास करना चाहिए और बच्चों की रूचि के अनुसार बच्चों को शिक्षा कार्य कराना चाहिए।

    ReplyDelete
  145. Santosh Karma (MS Dalka)
    सभी बच्चो मे योग्यता होती है । उसके अनुसार उन्हे शिक्षा देना चाहिए।

    ReplyDelete
  146. Kaksha Mein Sabhi bacchon Ko Saman avsar bolane ka saman aur avsar tatha likhane ka saman aur AVN khelne ka saman Sar Kisi Prakar ka bhedbhav Nahin Rakhna chahie bacchon ko bacchon ke sath badhiya Prem se khelna chahie

    ReplyDelete
  147. महान वैज्ञानिक अल्‍बर्ट आइंस्‍टीन का कहना था कि, 'प्रत्‍येक व्‍यक्ति जीनियस है। यदि आप मछली में पेड़ पर चढ़ने की योग्‍यता देखेंगे तो वह जिंदगी भर स्‍वयं को मूर्ख समझेगी। ' यानी कि हर इंसान के अंदर अलग-अलग तरह की प्रतिभा होती है उसी तरह कक्षा में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी की पढ़ने और सीखने को योग्यता अलग अलग होती है। कहानी 'द एनिमल स्कूल' को अगर देखें तो ये स्पष्ट है कि जो गुण बतख में था या, गिलहरी में या ख़रगोश में था, उसकी अनदेखी की गई और उनसे वो कार्य करने को कहा गया जिसमें उन्हें बिल्कुल रुचि नहीं थी, इस तरह असफलता के भय ने उन्हें घेर लिया। अगर हम अपनी कक्षा के विद्यार्थियों की मानसिक दशा को समझे बिना शिक्षण कार्य करेंगे तो असफलता को भावना के चलते विद्यार्थी विद्यालय से दूर हो जाएगा और हम अपने लक्ष्य में असफल हो जायेंगे ।जो कि 2020 की शिक्षानीति हैं।सभी बच्चो को साथ लेकर उनका सर्वागीण विकास।

    ReplyDelete
  148. विषय वस्तु शिक्षण के समय उनके पूर्व दक्षता का अवलोकन कर, पाठ्यवस्तु को प्रभावी ढंग से गतिविधि आधारित शिक्षण के माध्यम से पूरा किया जाना ज्यादा उचित होगा।इससे बच्चे जल्द सीख जाएंगे।अवधारणा स्प्ष्ट हो जाएगा।

    ReplyDelete
  149. मैं शारदा शिल्पी प्रधान पाठक शासकीय कन्या उमा विद्यालय गांधीनगर इंदौर द एनिमल स्कूल की कहानी अनुसार किसी भी बच्चे को कमजोर नहीं समझना चाहिए प्रत्येक बच्चे में योग्यता व क्षमता का स्तर अलग अलग होता है बच्चों को उनकी क्षमता अनुसार ही शैक्षणिक कार्य देना चाहिए यही कुशल शिक्षक की पहचान होगी उन्हें सफलता मिलेगी

    ReplyDelete
  150. मैं शारदा शिल्पी प्रधान पाठक शासकीय कन्या उमा विद्यालय गांधीनगर इंदौर द एनिमल स्कूल की कहानी अनुसार किसी भी बच्चे को कमजोर नहीं समझना चाहिए प्रत्येक बच्चे में योग्यता व क्षमता का स्तर अलग अलग होता है बच्चों को उनकी क्षमता अनुसार ही शैक्षणिक कार्य देना चाहिए यही कुशल शिक्षक की पहचान होगी उन्हें सफलता मिलेगी

    ReplyDelete
  151. कहानी में हमने सुना कि जिस बच्चे में जो प्रतिभा होती है यदि उसे जबरन किसी और काम को करने के लिए कहा जाए तो वह उस काम में इतना अच्छा परफॉर्मेंस नहीं कर पाता है इसलिए हमारा यह कर्तव्य बनता है कि बच्चे की रूचि के अनुसार और उसके गुणों को ध्यान में रखते हुए उसे उस कार्य में हमें आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिससे वह अपने काम में अच्छा परफॉर्म करते हुए आगे बढ़े

    ReplyDelete
  152. बच्चों के मानसिक स्तर और उनकी सीखने की क्षमता के अनुरूप क्रियाकलाप करवा कर हम उनके शिक्षा की रुचि रुचि को बढ़ा सकते हैं जिससे वह अपने सीखने के कौशल को और आगे बढ़ा सकता है

    ReplyDelete
  153. यह कहानी हमने नही पढी क्योकि मैं प्राथमिक शिक्षक हूँ।

    ReplyDelete
  154. Social distensing ka palan karte hue electronic media ke madhyam se seekhne ke naye avsar prapt hue

    ReplyDelete
  155. अनिल कुमार नागर शासकीय माध्यमिक शाला नई जेल भोपाल
    स्कूल में अलग-अलग पृष्ठभूमि के विद्यार्थी अध्ययन करते हैं एवं उन विद्यार्थियों की सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि भी अलग-अलग होती है जिसके कारण उनके सीखने मैं अंतर हो सकता है परंतु शिक्षक के प्रयास से विद्यार्थी को अच्छा ज्ञान कराया जा सकता है!

    ReplyDelete
  156. In every class there are students of all kinds i.e., dumb, average and good in studies.
    So, we need to use those strategies by which we can teach each and every one of them.

    hope, you will understand.

    ReplyDelete
  157. सभी बच्चों की अपनी अपनी योग्यता होती हैं उनकी पहचान करना विकास करना चाहिये।सभी बच्चों को एक तराजू में नही तोल सकते। व्यक्तिगत विशेषता और कमजोरी पर ध्यान देना होगा।

    ReplyDelete
  158. साथियो जरूरी नहीं कि हर विद्यार्थी सर्वगुण सम्पन्न , परंतु ये यथार्थ सत्य है कि कुछ न कुछ गुण प्रत्येक विद्यार्थी में होता है। सबके टैलेंट को हमें एक ही पैमाना में हम नही मैप सकते। यह व्यंगात्मक कहानी हमें बोध कराती है हम भी इस विचार धारा को न अपनाएं।

    ReplyDelete
  159. निष्ठा प्रशिक्षण शिक्षकों एवं छात्रों में सर्वांगीण विकास करने पर केंद्रित है। इस प्रशिक्षण में सभी बिंदुओं पर बहुत ही बारीकी से विस्तृत चर्चा की गई है। इससे शिक्षकों के शिक्षण कौशल में वृद्धि होगी । पूर्व में cm rise प्रशिक्षण लिए इस महामारी की गंभीरता को देखते हुए हमारा घर हमारे विद्यालय शिक्षा का कोना हम सभी शिक्षकों छात्रों को बहुत ही कारगर रहा सी एम राइस प्रशिक्षण पर्याप्त समय में पूर्ण कर छात्रों तक लाभ पहुंचा तथा हमारा घर हमारा विद्यालय कार्यक्रम से पढ़ाई के साथ-साथ कोविड-19 के बारे में छात्रों,पालकों ग्रामीण जनों में भी जागरूकता आई
    सतीश कुमार साहू
    माध्यमिक शिक्षक
    शासकीय माध्यमिक शाला भौंरा

    ReplyDelete
  160. बच्चे जिस क्षेत्र में कुशल हो उसकी पहचान कर ही शिक्षण कार्य करना जिससे कि बच्चो का सर्वांगीण विकास हो सके

    ReplyDelete
  161. कोविद 19 को ध्यान में रखते हुए बच्चों की पढ़ाई के लिए हम डिजिटल तकनीक के जरिये मोबाइल, फोन के प्रयोग से तथा बच्चों के घर - घर जाकर मास्क लगा कर सोसल डिस्टेंसी का पालन करते हुए बच्चों के स्तर को ध्यान में रखते हुए खेल और स्थानीय परिवेश के अनुसार पढ़ने के लिए सुझाव दिया गया।

    ReplyDelete
  162. कक्षा एक से पांच तक के छात्रों का साप्ताहिक कैलेंडर जारी हो चुका है हमारा घर हमारा विद्यालय के रूप में शिक्षा सत्र आरंभ किया गया है

    ReplyDelete
  163. सभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि बे वज़ह अधिक प्रेशर डाल कर उनकी विशेषता और योग्यता को दबाना चाहिए

    ReplyDelete
  164. काशीराम टेमरे शासकीय प्राथमिक शाला डाबरी विद्यालय में अलग-अलग प्रकृति के बच्चे अलग-अलग सामाजिक परिवेश के बच्चे होते हैं इन बच्चों को शिक्षक के माध्यम से बच्चों की प्रकृति को समझते हुए विद्या अध्ययन कराया जा सकता है एवं सभी बच्चों को विद्या अध्ययन करने के अवसर प्रदान किए जा सकते हैं।

    ReplyDelete
  165. मनीराम कुशवाहा. मेरे विचार
    कोविड 19 के दौरान बच्चों को पूर्ण नियमों का पालन करते हुए सुरक्षित रहने का पहला संदेश देते हुए हमारा घर हमारा विद्यालय साप्ताहिक समय सर्णी का पालन करते हुए बच्चों को घर जाकर क्लास के अनुसार समूह बनाकर तथा डिजिल ऐप कार्यक्रम के माध्यम से pdhaya गया
    अब pdhai नहीं रुकेगी कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हमारे द्वारा पूर्ण प्रयास किया गया
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  166. राजेन्द्र अग्रवाल प्राथमिक शाला खरबई,विदिशा
    प्रत्येक छात्र की अलग अलग क्षमताये व योग्यताये होती है,उनके अनुरूप ही शैक्षिक योजना बनानी चाहिए।

    ReplyDelete
  167. अनिल कुमार नागर शासकीय माध्यमिक शाला नई जेल भोपाल
    स्कूल में अलग-अलग पृष्ठभूमि के विद्यार्थी अध्ययन करते हैं एवं उन विद्यार्थियों की सामाजिक आर्थिक पृष्ठभूमि भी अलग-अलग होती है जिसके कारण उनके सीखने मैं अंतर हो सकता है परंतु शिक्षक के प्रयास से विद्यार्थी को अच्छा ज्ञान कराया जा सकता है!

    ReplyDelete
  168. कहानी में से कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु निकलते है कहानी से क्या सीख मिली कहानी के पात्रो का चरित्र चित्रण कैसा रहा

    ReplyDelete
  169. बच्चा जिस क्षेत्र में जाना चाहे उसे उसी क्षेत्र मे आगे बढाया जाय

    ReplyDelete
  170. Govind Soni BQ8363 Hss Excellence Sarangpur
    19 के द्वारा जो स्थिति बनी वह चिंताजनक थी ऐसे में बच्चों का स्कूल नहीं आना और उन्हें पढ़ाई से जुड़े रखना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था लेकिन हमने हार नहीं मानी इस दौरान हम पहले छात्र छात्राओं के कांटेक्ट नंबर के द्वारा उनके संपर्क में रहे एवं इसके बाद गूगल मीट के माध्यम से शिक्षण कार्य किया गया पहले छात्र-छात्राओं के जागरूक नहीं होने से कम बच्चे जुड़े लेकिन जैसे-जैसे उन्हें इसकी जानकारी पता चली बच्चों की संख्या बढ़ती गई अभी हम वास्तव में सभी बच्चों की संख्या तक नहीं पहुंच पाए लेकिन फिर भी हमारी कक्षाएं मासिक पाठ्यक्रम के अनुसार प्रतिदिन चलती रही हमने जो गृह कार्य ऑनलाइन के दौरान बच्चों को दिया उससे भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए विद्यालय आकर चेक करवा रहे हैं एवं ऑनलाइन कक्षाओं के साथ में जिन बच्चों के पास में मोबाइल सुविधा नहीं है उन्हें भी सोशल डिस्टेंसिंग के माध्यम से ऑफलाइन पढ़ाया जा रहा है

    ReplyDelete
  171. कक्षा में विभिन्न प्रकार के छात्र-छात्राएं होते हैं। उनमें कई विभिन्नताए होती है जैसे-उम्र, शारीरिक कद काठी, बोलियां, अलग-अलग फील्ड का ज्ञान (खेल ,कृषि, सिनेमा,व्यापार, सामाजिक, राजनीतिक आदि), सीखने की क्षमता इत्यादि। ऐसी कई विभिन्नताओ के आधार पर बच्चों के सीखने के तरीके भी विभिन्न होने चाहिए।

    ReplyDelete
  172. जिस प्रकार एक ही हाथ की पांचों उंगलियां बराबर नहीं होती वैसे ही सभी बच्चों की क्ष मताए और कमजोरियां अलग अलग होती है हमें उनकी क्षमता ओ का विकास और कमजोरियों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए

    ReplyDelete
  173. जो छात्र जिस कार्य या कला में रुचि रखता हो उसे उसी क्षेत्र में प्रोत्साहन देकर आगे बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए ।
    नरेन्द्र कुमार मिश्रा माध्यमिक शिक्षक शासकीय माध्यमिक विद्यालय Ataniya जिला छतरपुर मध्य प्रदेश ।

    ReplyDelete
  174. Bacho ki yogyta pehchan kr usko badawa dena..Or protsahit karna ...

    ReplyDelete
  175. इस कहानी से हम यह सीखते हैं कि बच्चों में जो प्रतिभा हो उस को विकसित करना चाहिए जबरदस्ती बच्चों पर पाठ्यक्रम नहीं तो पर जाने चाहिए

    ReplyDelete
  176. There are different types of students in class they have different quality. We should find them and grow.

    ReplyDelete
  177. सभी बच्चों के साथ एक ही तरीके से पढ़ा ना सही नहीं है

    ReplyDelete
  178. इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि बच्चों में जो प्रतिभा हो उसे विकसित किया जाना चाहिए बच्चों पर अनावश्यक पाठ्यक्रम नहीं थोपे जाने चाहिए

    ReplyDelete

  179. सभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए। अधिक प्रेशर डाल कर बच्चों की विशेषता और योग्यता को दबाना नही चाहिए ।

    ReplyDelete
  180. शिक्षक का सबसे प्रमुख कर्तव्य है कि बालक का सर्वांगीण विकास.....। कक्षा में प्रत्येक बच्चे की सीखने की गति एवं स्तर अलग अलग होता है, इसलिए किस बच्चे के शिक्षण के लिए कोन सी शिक्षण विधि अधिक उपयोगी होगी उसको अपनाकर ही हम बालक को अच्छा शिक्षण कार्य प्रदान कर सकते है।। राजेश कुमार जांगिड़ , संस्था-शासकीय माध्यमिक विद्यालय, ढोटी, जिला- श्योपुर।। मध्यप्रदेश।।

    ReplyDelete
  181. Dheeresh Kumar chadhar प्राथमिक शिक्षक शासकीय हाई स्कूल gadar इस module की परिकल्पना है कि प्रत्येक बच्चा अलग अलग प्रतिभा और क्षमता रखता है जिसको पहचान कर हमे उनके हिसाब से हमे निर्धारित कर कार्य करना चाहिए

    ReplyDelete
  182. क्लास में तरह तरह के विद्यार्थी होते है , प्रत्येक विद्यार्थी में अलग अलग गुण होते हैं, हम अध्यापक का यह कर्तव्य होता ह कि हिम उसके गुण या योग्यता का विकास करें तथा उसे प्रोत्साहित करें, कभी भी किसी कमजोर विद्यार्थी को हीन भावनासे नहीं देखना चाहिए , नहि तों जैसा की हमने कहानी में देखा की विद्यार्थी विद्यालय छोड़ने तक का सोचने लगते हैं, तथा खुद को कमजोर समझने लगते है , विद्यार्थी की जीवन में अध्यापकका बहुत महत्व होता है कि हिम किस तरह से उसे प्रोत्साहित करे।

    ReplyDelete
  183. Really animal school explains very nicely that how to teach students of various quality in the same platform. This activity helps to develop each student.

    ReplyDelete
  184. एक ही कक्षा में विभिन्न प्रकार के बच्चे होते है और सभी कि योग्यता और सीखने का स्तर अलग अलग होता है तो हमें उन बच्चों के अन्दर छुपी हुई प्रतीभा और उन कि समता को पहचान कर उन्हें आगे बढ़ने का मोका देना होगा नहीं तो जेसा कहानी में हुआ ऐसा होगा।

    ReplyDelete
  185. जानवरों की पाठशाला की कहानी छात्राओं के दृष्टिकोण से काफी रोचक लगी क्योंकि जैसा दिखाया गया वादक गिलहरी और खरगोश की उदाहरणों से कहानी में स्पष्ट किया गया की जानवरों के अनुसार मनुष्यों में भी स्वाभाविक रूचि सीखने की गति कार्य करने का स्तर भिन्न-भिन्न होता है शिक्षक को हमेशा छात्रों की रुचि के अनुरूप ही दायित्व सौंपना चाहिए उनकी गाड़ियों का आकलन करना चाहिए उसके आधार पर ही बने लक्ष्य निर्धारण करना चाहिए तभी हम समावेशी शिक्षा के लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं

    ReplyDelete
  186. सभी बच्चों के शारीरिक मानसिक और कौशल विकास में भिन्नता होती है तथा सभी बच्चों की सीखने की रुचि अलग-अलग होती है इसलिए बच्चों को जिस क्षेत्र में रुचि है उनको उस क्षेत्र में सीखने के अवसर देना चाहिए ना कि उन पर अनावश्यक दबाव बनाना चाहिए उससे

    ReplyDelete
  187. बच्चों का अपना अपना अलग अलग सीखने का स्तर होता हैं, कोई बच्चा जल्दी तो कोई देर से सीख पाता है।शिक्षक को चाहिए कि वह प्रत्येक बच्चे का मानसिक स्तर,उसके सीखने का कौशल ध्यान में रखते हुए उन्हें शिक्षा दे।लेकिन उन्हें असमय होने वाली असाधारण घटनाओं जैसे कोरोना वायरस या और भी चेलेंज अगर कोई आते हैं, उनसे निपटने हेतु प्रेरित करना चाहिए।
    भीमसिंह सिसोदिया
    शा.मा.विद्यालय कालीकिराय महूं

    ReplyDelete
  188. मैं हबीब खान,शा.मा.शाला पायली,जन शिक्षा केन्द्र कन्हर गाँव,संकुल केन्द्र कुंडाली कला,विकास खण्ड परासिया,जिला छिंदवाड़ा
    सभी बच्चों की अलग-अलग रुचि होती है । शिक्षक का यह दायित्व है कि वह उनकी रुचि के क्षेत्र खोजे और उन्हें उस क्षेत्र में आगे बढ़ने में प्रोत्साहन और मार्गदर्शन प्रदान करे । उन्हें उचित सुझाव और परामर्श प्रदान करे। कोई भी बात उन पर जबरन न थोपे। उनके परिवार से सम्पर्क कर उन्हें छात्र की रुचि के विषय से अवगत कराये।

    ReplyDelete
  189. कक्षा में विविध प्रकार के बच्चे होते हैं कोई शारीरिक कोई मानसिक रूप से अलग होते हैं तो किसी के माता-पिता झगड़ा करते हैं जिससे बच्चे परेशान रहते हैं बच्चों का अलग-अलग रुचि होते हैं कोई गाना गा सकता है तो कोई नहीं जा पाता है कोई थर्ड जेंडर का होता है सभी बच्चों को साथ लेकर चलना है सभी को शिक्षा प्रदान करना है

    ReplyDelete
  190. Bcho ko Swatantrata ke sath apne vichar rkhne dena chahiye.सभी बच्चों की अपनी अपनी विशेषता होती है उन्हें उसी मे प्रोत्साहित करना चाहिए ना कि बे वज़ह अधिक प्रेशर डाल कर उनकी विशेषता और योग्यता को दबाना चाहिए

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

मॉड्यूल 13 गतिविधि 3: विद्यालय नेतृत्व एवं छात्र अधिगम

मॉड्यूल 13 गतिविधि 1 : प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता के गुण

मॉड्यूल 6 - गतिविधि 6: प्रतिबिंब